जैसे ठंडी हवाएं

बादलों की गड़गड़ाहट और

बारिश के कुछ छींटे

जैसे बागों में नाचता हुआ मोर

कोयल का चारों तरफ शोर और

गुनगुना रहे हों भंवरे कुछ गीत

जैसे समुद्र का किनारा

लहरों का सरगम गाना और

कुछ रेत में दबे हुए मोती

जैसे डूबते हुए सूरज का रंग लाल

हर चेहरे में बस तेरी ही झलक दिखती

काश कि तेरी मौजूदगी मेरे साए में होती.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...