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विंटर स्पेशल : गोंद के लड्डू ऐसे आसान तरीके से घर पर बनाएं

अक्सर हम अपने घरों में देखते हैं कि सर्दी के मौसम में गोंद के लड्डू बनाएंं जाते हैं जिससे बच्चों और बुढों को ठंड नहीं लगती है.ऐसे में आपको आज गोंद के लड्डू बनाना बताते हैं.

समाग्री

बादाम 1 कप

घी 2 कप

खाने वाली गोंद

गेंहूं के आटा

दरदरी पिसा हुआ शक्कर

विधि

एक कड़ाही गर्म करके कुछ देर तक उसमें बादाम को भूनें, इसमें घी नहीं डालें, अब कड़ाही में घी गर्म करके गोंद को भूनें, जब गोंद फूल जाएं तो उसे ठंड़ा करने के लिए रख दें.

अब उस कड़ाही में आटा डाले और मध्यम आंच पर कुछ देर तक भूने, जब तक आटा लाल न हो जाए, जब आटा भून जाएगा तो उसमें सोंधी खूशबू आने लगती है. अब आटा और गोंद को मिक्स करके रख दें, उसमें शक्कर और घी मिक्स कर दें.

बदाम को भी ग्राइडर में दरदरा पिस लें और गोंद और आटा में मिक्स कर लें, अब उसका गोल-गोल लड्डू बना लें.

इंडियन आइडल 13 को मिले टॉप 10 कंटेस्टेंट , जानें कौन हुआ बाहर

टीवी के रियलिटी शो इंडियन आइडल 13 में आएं दिन कुछ न कुछ देखने को मिलते रहता है, वहीं शो में आने वाले गेस्ट परफॉर्मेंस देखकर जमकर तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. पिछले एपिसोड में इस शो की हिस्सा बनी थी एक्ट्रेस हेमा मालिनी और उनकी बेटी ईशा देओल जिन्हें देखकर सभी कंटेस्टेंट ने अच्छा परफॉर्म किया था.

वहीं लेटेस्ट एपिसोड में एक कंटेस्टेंट का सफर यहां से खत्म हो गया है, इस शो में सभी कंटेस्टेंट ने हेमा मालिन की फिल्मों के गाएं और हेमा ने सभी कंटेस्टेंट की जमकर तारीफ करती दिखीं.

इसके साथ ही हेमा ने पुराने किस्से भी शेयर किए जिसे सुनकर सभी ने खूब एंजॉय किया, अब इंडियन आइडल में मात्र 10 कंटेस्टेंट बचे हुए हैं, इन्हीं में से कोई एक फाइनल विनर के लिए.

इंडियन आइडल में दिखाया गया है कि सभी कंटेस्टेंट ने एक से बढ़कर एक पर्फॉर्मेंस दी है. जिसे देखकर फैंस उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं.

वहीं गायिका अनुष्का पात्रा को कम नंबर मिले थें, जिस वजह से उन्हें शो से बाहर जाना पड़ा था, हालांकि उनकी विदाई से सभी फैंस काफी ज्यादा दुखी थें, वहीं शो पर भी माहौल थोड़ा गमगीन था.

वहीं हेमा और इशा ने सभी कंटेस्टेंट के साथ जमकर मस्ती करते दिखें.

 

धनिया उत्पादन की उन्नत तकनीक

लेखक- डा. मनीष कुमार सिंह,

विषय वस्तु विशेषज्ञ (उद्यान विज्ञान) ] डा. सोमेंद्र नाथ, विषय वस्तु विशेषज्ञ (शस्य विज्ञान) ध निया मसालों वाली फसलों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. इस के दानों में पाए जाने वाले वाष्पशील तेल के कारण यह भोज्य पदार्थों को स्वादिष्ठ एवं सुगंधित बनाती है. भारत में इस की खेती मुख्यत: राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में की जाती है. जलवायु और भूमि धनिया की फसल को शुष्क व ठंडा मौसम अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अनुकूल होता है.

बीजों के अंकुरण के लिए 25-26 सैल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. धनिया शीतोष्ण जलावायु की फसल है. इस की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली अच्छी दोमट भूमि सब से अच्छी मानी जाती है, जिस का पीएच मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए. असिंचित दशा में काली भारी भूमि अच्छी होती है. धनिया की फसल क्षारीय एवं लवणीय भूमि को सहन नहीं करती है. भूमि की तैयारी बोआई के समय सही नमी न हो, तो भूमि की तैयारी पलेवा दे कर करनी चाहिए, जिस से जमीन में जुताई के समय ढेले न बनें. 2 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. बोआई का समय और तापमान धनिया की फसल रबी मौसम में बाई जाती है. धनिया की बोआई 15 अक्तूबर से 15 नवंबर तक की जाती है. धनिया की फसल के लिए दिन का उपयुक्त तापमान 20 डिगरी सैल्सियस से कम आते ही बोआई शुरू कर देनी चाहिए. फसल चक्र धनियाभिंडी, धनियासोयाबीन, धनियामक्का, धनियामूंग आदि फसल चक्र लाभदायक पाए जाते हैं.

बीज की मात्रा 10-15 किलोग्राम बीज के लिए और 18-20 किलोग्राम बीज पत्ती के लिए प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है. बोआई की विधि और दूरी इस की 2 विधियां प्रचलित हैं :

1. छिड़काव विधि : सुविधाजनक क्यारियां बना कर, बीज को एकसमान मात्रा में छिड़क कर मिट्टी 3 सैंटीमीटर गहरी तह से ढक देते हैं.

2. पंक्ति विधि : अधिक उपज लेने के लिए पंक्तियों में बोआई करना लाभदायक रहता है. पंक्ति की दूरी 10-15 सैंटीमीटर और बीज की गहराई 3 सैंटीमीटर होनी चाहिए. बीज का शोधन बोने से पहले बीजों को पैरों से हलका दबा कर 2 भागों में कर लेना चाहिए. इस के बाद बीज को कार्बंडाजिम थाइरम (2:1) 3 ग्राम प्रति किलोग्राम या कार्बंडाजिम 37.5 फीसदी थाइरम 37.5 फीसदी 3 ग्राम प्रति किलोग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. खाद्य व उर्वरक कंपोस्ट की खाद 18-20 टन प्रति हेक्टेयर, 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देने पर अच्छी उपज प्राप्त होती है. उक्त उर्वरकों में नाइट्रोजन की एकतिहाई मात्रा, फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बोआई के पूर्व आधार खुराक के रूप में दें और बाकी बची नाइट्रोजन की मात्रा को 2 भागों में बांट कर क्रमश: 40-45 दिन पर पौधों की छंटनी करने के बाद एवं दाना बनना शुरू होने के समय सिंचाई के साथ दें. सिंचाई और जल निकास पहली सिंचाई 30 से 35 दिन बाद (पत्ती बनने की अवस्था), दूसरी 50-60 दिन बाद (शाखा निकलने की अवस्था), तीसरी सिंचाई 70-80 दिन बाद (फूल आने की अवस्था) और चौथी सिंचाई 90-100 दिन बाद (बीज बनने की अवस्था) में करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण व अंत:शस्य क्रियाएं धनिया की फसल में खरपतवार प्रतिस्पर्धा की क्रांतिक अवधि 35-40 दिन है. इस अवधि में खरपतवार की निराई नहीं करते हैं, तो धनिया की उपज 40-45 फीसदी कम हो जाती है. इस में पेंडीमिथलीन 1,000 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लिटर पानी में डाल कर छिड़काव करें. फसल संरक्षण बीमारी और रोकथाम उकठा रोग यह रोग पौधों की जड़ में लगता है, जिस से पौधा सूख कर मर जाता है.

रोकथाम : * ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें एवं उचित फसल चक्र अपनाएं.

* बीज की बोआई नवंबर के पहले हफ्ते से ले कर दूसरे हफ्ते करें.

* उकठा रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडाजिम 50 डब्ल्यूपी 2.0 ग्राम प्रति लिटर का छिड़काव करें. चूर्णिल आसिता रोग रोग की शुरुआती अवस्था में पौधों की पत्तियों व टहनियों पर सफेद चूर्ण नजर आता है. रोगी पौधे में बीज या तो बनते ही नहीं हैं या फिर बहुत छोटे बनते हैं.

रोकथाम : * बोआई के पहले बीजों को कार्बंडाजिम 50 डब्ल्यूपी 3.0 ग्राम प्रति किलोग्राम या ट्राइकोडर्मा विरडी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोआई करें.

* कार्बंडाजिम 50 डब्ल्यूपी 2.0 मिलीलिटर प्रति लिटर का छिड़काव करें. तने की सूजन इस बीमारी में पौधे के तने पर सूजन आ जाती है, जिस से पौधा नष्ट हो जाता है.

रोकथाम : * रोगरोधी किस्मों की बोआई करनी चाहिए, जैसे आरसीआर-41, पंत हरीतिमा आदि.

* रोग के लक्षण दिखाई देने पर स्ट्रैप्टोमाइसिन 0.04 फीसदी (0.4 ग्राम प्रति लिटर) का 20 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें. कीट और रोकथाम धनिया की फसल में पौधों पर रस चूसक कीट माहू, चैंपा का प्रकोप होता है, जिस से उपज में 70-80 फीसदी तक भारी कमी आ जाती है.

मुख्यत: पुष्पण व बीज बनते समय माहू कीट का भारी आक्रमण होता है.

रोकथाम : * इस की रोकथाम के लिए औक्सीडेमेटानमिथाइल 25 ईसी प्रति हेक्टेयर- 0.03 (1.5 मिलीलिटर प्रति लिटर)

* डाइमेथोएट 35 ईसी प्रति हेक्टेयर- 0.20 (2.0 मिलीलिटर प्रति लिटर) 3. इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल प्रति हेक्टेयर-0.025 (0.25 मिलीलिटर/लिटर) कटाई हरे धनिया के लिए पौधों की बोआई के 30 दिन बाद कटाई शुरू कर देते हैं. बीज की फसल 120-130 दिन में तैयार हो जाती है.

जैसे ही दाने पीले पड़ने लगें, फसल की कटाई कर देनी चाहिए. उस के बाद हलकी धूप में सुखा कर दाने अलग कर लेते हैं. उपज और भंडारण धनिया का बीज उत्पादन 12-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है. वैज्ञानिक तरीके से व्यावसायिक स्तर पर की गई खेती से 18-20 क्विंटन बीज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है. पूरी तरह सुखाई हुई धनिया के बीजों को साफ बोरियों में भर कर नमीरहित गोदाम में रखना चाहिए.

धनिया की उन्नत किस्में हिसार सुगंध : यह प्रजाति 120-125 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. दाना मध्यम आकार का, अच्छी सुगंध, पौधे की मध्यम ऊंचाई, उकठा रोग, स्टेमगाल प्रतिरोधक. इस की उपज 19-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

पंत हरीतिमा : यह प्रजाति पत्ती व दानों के लिए उगाई जाती है. 130-135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. दाना गोल, सुडौल व छोटा होता है. इस की उपज 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. तना सूजन के प्रति मुक्त है.

कुंभराज : इस की पकने की अवधि 115-120 दिनों की है. इस के दाने छोटे सफेद फूल, उकठा स्टेमगाल प्रतिरोधी, भभूतिया रोग सहनशील प्रजाति है. पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं और इस की उपज क्षमता 14-15 हेक्टेयर प्रति क्विंटल है.

आरसीआर 728 : यह प्रजाति 125-130 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. इस के दाने छोटे गोल, सफेद फल, भभूतिया सहनशील, उकठा, स्टेमगाल निरोधक, सिंचित, असिंचित एवं हरी पत्तियों के लिए उपयुक्त है. जेडी 1 : यह प्रजाति 120-125 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. इस के दाने गोल मध्यम आकार के, पौधे मध्यम ऊंचाई के, उकठा, स्टेमगाल, भभूतिया सहनशील, सिंचित एवं असिंचित के लिए उपयुक्त है.

उपज : सिंचित फसल की वैज्ञानिक तकनीक से खेती करने पर 15-18 क्विंटल बीज एवं 100-125 क्विंटल पत्तियों की उपज और असिंचित फसल की 5.7 क्विंटल उपज प्राप्त होती है.

सिंपो एस 33 : यह प्रजाति लंबे समय के लिए होती है. इस की पकने की अवधि 140-150 दिनों की है. इस के दाने बड़े, अंडाकार, पौधे मध्यम ऊंचाई के, उकठा, स्टेमगाल प्रतिरोधक, भभूतिया सहनशील, बीज के लिए यह सब से उपयुक्त प्रजाति है और इस की उपज क्षमता 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

नरेंद्र मोदी का “आशीर्वाद” क्यों जरूरी है

देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली नगर निगम के चुनाव में लाख चाहने और हजार कोशिशों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की और उनकी भारतीय जनता पार्टी के साथ पूरी सेना और विचारधारा को करारी हार का सामना करना पड़ा है. जग जाहिर है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली नगर निगम के आधिपत्य के अथक प्रयास किए. यह राजनीति की क, ख, ग जानने समझने वाले अच्छी तरह समझते हैं. उन्होंने दिल्ली नगर निगम का पूरा स्वरूप ही बदल डाला केंद्र की सारी ताकत लगाकर एक नए स्वरूप में दिल्ली नगर निगम खड़ा करके यह सोचकर चुनाव करवाया गया कि अब तो भारतीय जनता पार्टी की जीत सुनिश्चित है. मगर अब जब चुनाव के परिणाम हमारे सामने हैं यह कहा जा सकता है कि यह करारी हार भारतीय जनता पार्टी की पराजय नहीं बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की हार है. इधर,जीत से गदगद आम आदमी पार्टी (आप) ने जीत के पश्चात जो संबोधन दिया है वह कई अर्थों को प्रतिध्वनित कर रहा है उन्होंने नागरिक सुविधाओं में सुधार का वादा किया, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को यह आत्मविश्वास था कि वह फिर जीत दर्ज करेगी.मगर नतीजा पूर्व सर्वेक्षण में करारी हार के अनुमान के बावजूद 100 से अधिक सीट मिलने पर मतदाताओं का आभार व्यक्त कर अब विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार खड़ी है.
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लोकतंत्र में आशीर्वाद, दुखद और शर्मनाक

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दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने नतीजों के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह यही है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का “आशीर्वाद” चाहिए. यह आशीर्वाद अनेक अर्थों में आज देश भर में गूंज रहा है और सबसे बड़ा सत्य तो यह है कि लोकतंत्र में किसी मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री का आशीर्वाद किसी भी निर्वाचित संवैधानिक पदाधिकारियों और संस्था को क्यों चाहिए?

अगर देश में लोकतंत्र है तो संस्थाएं स्वयं संविधान के अनुरूप जनहित के कार्य करेंगी. यह आशीर्वाद आखिर है क्या चीज़ और किस महाशक्ति की ओर इशारा करती है. देश के राजनीतिक प्रेक्षक और बौद्धिक वर्ग इस पर विचार करें तो स्पष्ट हो जाता है कि या आशीर्वाद निरंकुशता का पर्याय है. शायद यही कारण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पार्टी कार्यालय में समर्थकों से कहा – वह लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे और दिल्ली को बेहतर बनाने के लिए सभी दलों से एक साथ आने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हमें दिल्ली की स्थिति में सुधार करना है और भाजपा, कांग्रेस के सहयोग तथा केंद्र और प्रधानमंत्री के आशीर्वाद की भी जरूरत है।’
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे नकारात्मक पार्टी को हराकर दिल्ली की जनता ने कट्टर ईमानदार और काम करने वाले अरविंद केजरीवाल को जिताया है. हमारे लिए ये सिर्फ जीत नहीं बड़ी जिम्मेदारी है.”
‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा- महज 10 साल पुरानी पार्टी ने देश की सबसे बड़ी पार्टी (भाजपा) को उसी के गढ़ में ‘मात’ दे दी. उन्होंने कहा, ‘परिणामों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि ‘आप’ एक बेहद ईमानदार पार्टी है.’ पंजाब के मुख्यमंत्री एवं ‘आप’ के नेता भगवंत मान ने इसे दिल्ली के आम लोगों की जीत बताई. अब सबसे बड़ा सच यही है कि दिल्ली नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा है एक ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा है अब इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा यह तो समय के गर्भ में है मगर यह भी सच है कि अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री के आशीर्वाद का मुद्दा उठाकर यह संकेत दे दिया है कि चाहे दिल्ली की सरकार हो या नगर पाली की सत्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नरम रुख के बगैर वह नहीं चला सकते और यह अपने आप में लोकतंत्र के लिए बड़ी अंधेरी और काली बातें है. यहां यह बताना लाजिमी है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस गुजरात में नरेंद्र मोदी की भाजपा को बहुमत मिली है,कुल मिलाकर तीनों नेताओं को अपने अपने गृह राज्य में मतदाताओं ने विजय दिलाकर सत्ता की चाबी सौंपी है .

ये प्यार न कभी होगा कम -भाग 6: अनाया की रंग लाती कोशिश

अनाया आज रात को पार्टी के मूड में थी. अपने करीबी 5 कलीग को उस ने बुलाया था, जिन में 2 लड़की और 3 लड़के थे.

2 कमरे, छोटा एक हाल, जिस में ड्राइंगरूम और डाइनिंग करीने से सजा था, एक ओपन किचन और किचन के पीछे वाशिंग प्लेस, सबकुछ सौम्या ही संवार कर रखती,भले ही वह अनाया के मना करने के बावजूद इस फ्लैट के 20,000 रुपए किराए में से 8,000 रुपए जबरदस्ती अनाया के कमरे की अलमारी में रख ही देती.

सौम्या यहां पीजी से बेहतर थी और 20 साल की सौम्या से अनाया 5 साल बड़ी होते हुए भी अपनी सारी बातें दोस्त सी सौम्या से साझा करती.

पार्टी की पूरी तैयारी सौम्या ने कर ली थी, और अनाया ने सब की पसंद से स्नैक्स, साइड डिशेज और खाना मंगवा लिया था.

अनाया एक मैरून वेलवेट की मिनी रैप टाइप मिडी में कमाल लग रही थी. इस के ऊपर उस ने स्पाइरल डिजाइन की थ्री क्वार्टर बांह वाली बिसकुट कलर क्रौप टौप पहने थी, जो उस के पीठ तक लटके घुंघराले ब्राउन बालों के साथ खूब मैच कर रहे थे.

सौम्या ने लाइट पिंक कलर की फ्लेयर्ड हाफ स्लीव की नी लेंथ वन पीस पहनी हुई थी, जिस पर लखनऊ की चिकनकारी के काम सजे थे, उस के कंधे तक स्टेप में कटे बाल उस के सौम्य रूप को मौर्डन लुक दे रहे थे.
कमरे की लाइट औलिव रंग के परदे सोफे के क्रीम कवर के साथ शानदार थे.

और इन सब के बीच कुछ रंगीन बल्ब और रोशनियां गजब का आकर्षण पैदा किए हुए थीं.

अनाया के कुछ दोस्त गाने पर थिरक रहे थे, और कुछ अपने फोन पर एकदूसरे के साथ कुछ देखदिखा रहे थे. ये सारे अनाया के मौडलिंग, फोटोग्राफी और स्क्रिप्ट राइटिंग ग्रुप के कलीग थे.

सौम्या को अनाया के इन से इंट्रोड्यूस कराने के बाद से सौम्या भी इन के साथ घुलमिल गई थी.

अचानक अनाया ने कहा, “दोस्तो, अच्छा बताओ, अगर मैं अपनी शादी की बात सोचने का मन बनाऊं तो कैसा रहे?”

“खूब… कौन है वो बदनसीब?” एक फोटोग्राफर लड़के ने कहा.

एक सहेली ने तपाक से कहा, “ये आज से नहीं, कई जमाने सेे है कि लोमड़ी को अंगूर खट्टे लगते हैं.”

ठहाके के बीच अनाया ने अपने मोबाइल में एक तसवीर निकाली और दोस्तों की ओर बढ़ाया. तसवीर देखने के लिए जैसे सब मोबाइल में घुसे चले जा रहे थे. सौम्या रुक गई, वो तो घर की है, देख लेगी आराम से, यद्यपि उत्सुकता उस की भी छलकी जा रही थी.

सौम्या ने खुद को रोका, लेकिन उत्सुकता इतनी थी कि अनाया के दोस्तों के बीच से उस ने अपना चेहरा घुसा कर मोबाइल में झांका.

इधर ग्वालियर में अरुणेश ने आज छुट्टी का दिन देख कर राघव को अपने घर बुला लिया था.

अरुणेश जैसे दबंग, मुंहफट अधिकारी के आगे राघव की तरह शांत, कम बोलने वाले नरम स्वभाव के व्यक्ति की चलेगी क्या. राघव को उन के घर जाना पड़ा.

अरुणेश के घर से वापस आ कर राघव ने अपने बेटे रूपक, उस की बहन और अपनी पत्नी को बैठक में बुलाया और कहा, “अरुणेशजी ने रूपक के लिए यह सारा उपहार भेजा है. शर्टपैंट, सूट का कपड़ा, बेटी के लिए सूट का कपड़ा, और पत्नी के नाम से यह कांजीवरम साड़ी भेजी है, देखो.”

पत्नी आश्चर्य मे थी. पूछा, “क्यों…? और आप ने लिया ही क्यों…?”

राघव ने आगे जोड़ा, “रूपक के लिए सोने की अंगूठी और चैन भी भेजी है. साथ में 21,000 का नेग भी मुझे थमाया. उन्होंने अपनी बेटी के साथ मेरे रूपक का रिश्ता तय कर लिया है. हम मना नहीं कर सकते.”

“अरे, यह क्या बात हुई पापा? मना नहीं कर सकते का क्या मतलब?” अकसर शांत रहने वाला रूपक अब उग्र हो रहा था.

राघव की पत्नी ने कहा, “यह तो अच्छी बात हुई. अफसर है इस का क्या मतलब कि हम ने अपना सर ही गिरवी रख दिया. यह नहीं हो सकता. आप साफ मना कर दीजिए.”

“तुम क्या समझती हो कि मैं ने मना नहीं किया. मेरी यह सारी चीजें लेने की बिलकुल भी इच्छा नहीं थी, मैं ने कहा, ‘मैं पहले रूपक से पूछ लूं.’ कहता है कि तुम बाप हो, कोई दुमछल्ले नहीं. मर्द हो, घर में अपनी बात चलाओ, मिमियाते रहते हो.

“कहता है कि वह कुछ नहीं सुनेगा. शादी उस की बेटी से ही करनी पड़ेगी. अगर उस की इच्छा से शादी हुई, तो वह हमें मालामाल कर देगा.”

“नहीं पापा, आप उस की बात ना मानें. मैं यहां शादी नहीं कर सकता.”

“पर, एक बार सोच सकते हो. ऐसा भी बुरा क्या है. आज नहीं तो कल एक अच्छी लड़की से तुम्हारी शादी होनी ही है, तो अरुणेशजी की बेटी से हुई तो बुरा क्या.”

पत्नी ने समझाया, “ऐसे लोग सही नहीं होते. इन से रिश्ता करना जिंदगीभर का दुख मोल लेना है. पिता का व्यवहार ऐसा है तो बेटी को कौन संभाले. शादी का रिश्ता जबरदस्ती तो नहीं हो सकता.

“रही बात नौकरी की, तो आप समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लेना, लेकिन रूपक के सिर पर यह परेशानी चढ़ाने की कोई जरूरत नहीं. आप कल ही उन का सामान वापस कर देना.”

अरुणेश जैसे लोग किसी की ‘न’ को अपना तौहीन ही नहीं समझते, अपनी सत्ता पर कटार की वार समझते हैं. राघव ने जैसेतैसे सामान वापस किया और अपनी मजबूरी बता कर चले आए.

अरुणेश का दिमाग पिघला हुआ गरम लोहा बन चुका था. चाहे यह दिमाग अब जो कर ले, चाहे वह जो बन जाए.

अरुणेश शादी के मामले को ले कर अनाया से अब बात करने लगे कि रूपक को फांसने के लिए वह क्याक्या कर सकती है, ताकि रूपक अनाया के सिवा दूसरा कोई विकल्प ना सोच पाए.

अनाया के ऊपर उस के मम्मीपापा की ओर से लगातार दबाव बनाया जा रहा था. अनाया चुपचाप सुनती और सहती. सौम्या सब समझ रही थी. जाने कैसे सौम्या और अनाया के बीच एक तनाव सा बनता जा रहा था.

एक दिन अनाया झल्ला पड़ी. कहा, “यह शादी नहीं हो सकती. आप लाख चाहो, मैं नहीं करूंगी यह शादी, लड़का किसी और का प्यार है , मेरी तो जिंदगी नरक हो जाएगी. मेरे लिए क्या एक ही लड़का रखा है. अब फोन मत करना, वरना ब्लौक कर दूंगी आप दोनों को.”

अरुणेश ने बेटी से कहा तो कुछ नहीं, लेकिन वे आपे में रहे भी नहीं. उन का दिमाग बेहिसाब तरीके से चलता था. उन्होंने सोचा कि अभी लड़के को छोड़ दिया जाए, मितेश की बेटी के बारे में पता लगाया जाए. आखिर ऐसा क्या हुआ कि अनाया को उस लड़के के बारे में इतनी छुपी हुई बात साफ पता चली. अरुणेश ने पत्नी शीना के साथ मशवरा किया.

शीना इतनी तेज दिमाग की तो नहीं थी, लेकिन पति की खुराफात में उसे मजा आता था.

आपस में कुछ तय कर के शीना ने गौरव को फोन किया. कहा, “बेटा, अपनी बेटी के लिए हम तो एक लड़का ढूंढ़ चुके, लेकिन सौम्या भी अपनी बेटी ही है, लगे हाथ अभी बहुत सारे लड़कों की खबर आई है, पर बहुत पहले सौम्या किसी लड़के को पसंद करती थी, कहीं उस के मन में अभी भी वही हो, तुम को सब मानते हैं. तुम जरा पता करो ना. अभी वह लड़का क्या करता है और अभी भी दोनों एकदूसरे को चाहते हैं या नहीं? अनाया की शादी के बाद सौम्या के स्नातक पूरा करते ही अगर वह चाहे तो उस की पसंद से शादी तय कर देंगे.”

गौरव ने कहा, “बड़ी मां, पूछना क्या है? वह लड़का तो ग्वालियर का ही है. रूपक नाम है उस का, पढ़लिख कर वह प्रोफैसर बन गया है. जहां तक मुझे स्निग्धा से पता चला है, दोनों अब भी एकदूसरे को पसंद करते हैं.”

“अच्छा, फिर तो बड़ी अच्छी बात है. चलो, देखते हैं फिर.”

बात निकल आई थी, अरुणेश को बात पता चल गई.

गौरव ने खुश हो कर उसी रात अनाया को फोन किया और उस की मां से हुई सारी बातें उसे बताईं.

अनाया ने दुखी होते हुए गौरव से कहा, “कुछ पता नहीं चल रहा सौम्या का. 2 महीने पहले हम ने रात को एक पार्टी रखी थी अपने दोस्तों के साथ. उसी दिन पापा ने मुझे उस लड़के की तसवीर भेजी थी, जिस से मेरी शादी उन्होंने तय करनी चाही थी. तसवीर मैं ने सभी को दिखाई. शायद सौम्या ने भी देखी. उस रात उसे बुखार आया और यह बुखार 5 दिन तक रहा. उस के बाद से ही जाने क्या उस के और मेरे बीच में खो सा गया है. लगता है, जैसे दिल की डोर कमजोर हो गई है.
तुम सौम्या से बात करो, प्लीज. उस ने मुझे बताया कुछ भी नहीं, लेकिन मुझे पता चल गया है. क्या सौम्या उस लड़के से प्यार करती है, जिस का नाम रूपक है?”

“हां, रूपक है, लेकिन क्यों?”

“पापा ने जबरदस्ती मेरी जिस से शादी तय करने की बात सोच रखी है, वह भी रूपक ही है.”

“हो सकता है कि वह कोई दूसरा रूपक हो.”

“हो सकता था, पर है नहीं. जब से उस ने मेरे मोबाइल पर उस लड़के की तसवीर देखी है, वह उदासी में रहने लगी थी और एक दिन मैं ने उसे सोएसोए उस के अपने मोबाइल में एक तसवीर को देखते हुए पाया, जो रूपक की ही तसवीर थी. मैं तब से पूरी तरह कंफर्म हो गई. तुम सौम्या से बात करो कि मेरी तरफ से वह निश्चिंत हो जाए. मैं उस से इस मामले में खुल कर बोल नहीं सकती. उसे मेरे पापा पर भरोसा नहीं है. उसे ऐसा लगता है कि पापा की जबरदस्ती के आगे किसी की नहीं चलेगी.”

“सोचती तो वह ठीक ही है. बड़े पापा जैसे लोग दूसरों के लिए बोझ जैसे होते हैं. बुरा नही मानना अनाया. वैसे, रूपक तो जीवाजी कालेज में प्रोफैसर हो गया है, वह चाहे तो अपना फैसला ले सकता है. चलो, मैं उस से बात करता हूं. पहले रूपक से बात करना सही रहेगा. सौम्या से बाद में बात करूंगा.”

गौरव ने स्निग्धा के जरीए रूपक से बात की.

सौम्या समझने लगी थी कि गरीब और मजबूर को अपना हाजमा ठीक रखना ही पड़ता है, क्योंकि बहुत सारी अनचाही बातें उसे पचानी पड़ती ही हैं.

इस घर में उस के पिता सब से ज्यादा आर्थिक रूप से मजबूर ही तो हैं. उसे अनाया पर गुस्सा बिलकुल भी नहीं है. वह तो सौम्या को बहुत प्यार करती है. वह अपनी जिंदगी को कोसती है. रूपक को चाहती है, लेकिन उसे बिलकुल हक नहीं है कि वह दिल खोल कर इस बात को सब के सामने स्वीकार कर सके. और रूपक, वह क्या कर रहा है? प्रेम की गहरी बातों को, अपने व्यक्तित्व को वह छोड़ चुका है.

“कोई बात नहीं. वह अपनी जिंदगी इस तरह बिताएगी कि रूपक शर्मसार रहे.
उस ने भौतिक सुखों के लिए प्रेम जैसे विलक्षण गुण को ठुकरा दिया.

और कुछ दिनों बाद अचानक रूपक को अपनी कंपनी में आया देख अनाया एक बेहद खूबसूरत सरप्राइज से रूबरू थी. आधे दिन की छुट्टी ले कर रूपक के साथ वह निकल गई.

दोपहर 3 बजे तक वे दोनों मुंबई के कई जगहों पर घूमते रहे. शाम 4 बजे अनाया ने रूपक को अपने फ्लैट में पहुंचा दिया और रात 8 बजे तक के लिए औफिस चली गई.

सौम्या अपने कमरे में कुरसी पर बैठ पढ़ाई की टेबल पर छूटे हुए नोट्स लिखने में जुटी थी. उसे एहसास हुआ कि पीछे से उस के कमरे का दरवाजा खोल कर कोई अंदर आया है.

सौम्या ने कलम चलाते हुए ही कहा, “दीदी, आप की कंपनी वाले आ कर अब मुझे ही पीट जाएंगे. एक तो वे जल्दी छुट्टी देते नहीं हैं. और आप ने पहले से ही मेरी तबीयत खराब देख कर बहुत सारी छुट्टियां ले चुकी हैं.”

किसी ने कहा, “तुम्हारे लिए तो जान हाजिर है, छुट्टी क्या बड़ी बात है.”

सौम्या चौंकते हुए पीछे मुड़ी. रूपक, सच में पीछे तुम ही खड़े थे.

सौम्या को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं था. हो सकता है कि रूपक सौम्या से आखिरी बार मिलने आया हो. उस ने अपने दिल को सख्त कर लिया. पक्का है कि वह नहीं रोएगी, न ही टूटेगी.

पर, यह सब धरा ही रह गया. रूपक सौम्या से लग कर खड़ा हो गया था और उस की पीठ पर अपना एक हाथ रख दिया. जाने यह कैसी युगों की बिछड़ी हुई आसक्ति थी.

सौम्या ने रूपक की कमर पर अपना चेहरा टिका दिया और फूटफूट कर रो पड़ी.

“मैं सिर्फ तुम्हारा हूं सुमी. मेरी प्यारी सुमी. तुम ने मुझ पर अपना विश्वास बनाए रखा. मुझे पता चला है कि तुम उदास थी, चिंतित थी.”

“अनाया दी का दिल मैं तोड़ नहीं सकती थी. उस ने अपने मम्मीपापा के खिलाफ जा कर मुझे इस अजनबी शहर में सहारा दिया है. मुझे अपना लगाव दिया है. तो क्यों न चिंतित होऊं?” सौम्या उदास सी कह रही थी.

“अरे पगली, अनाया ने ही मुझे तुम्हारे पास पहुंचाया है. मैं तो पहले उस से ही मिलने गया था, ताकि उसे अपनी और तुम्हारी सचाई बता सकूं. मगर उस ने ही पहले मुझे तुम्हारी बात बताई और मुझ से शादी करने से साफ इनकार कर दिया.”

सौम्या ने एक मीठी मुसकान के साथ विश्वास भरा दिल संजो कर रूपक की आंखों में देखा.

अनाया के वापस आने पर तीनों ने एकसाथ खूबसूरत शाम बिताई और डिनर के बाद रूपक ग्वालियर जाने के लिए रेलवे स्टेशन की ओर निकल पड़ा.

अब फिर से गौरव की जिम्मेदारी निभाने की बारी आ चुकी थी.

गौरव ने अर्णव को वीडियो कौल किया. अर्णव ने अनाया को जोड़ा. अनाया ने स्निग्धा और सौम्या को. अर्णव गौरव और अनाया ने यह निर्णय लिया कि रूपक और सौम्या को मिलाने की कोशिश की जाए. जब उन्होंने खुद में बात साफ कर ली, तो अनाया ने रूपक को भी इस कौल में जोड़ने की सलाह दी.

और फिर एक दिन यह हो गया, जो अरुणेश और जितेश कभी सोच भी नहीं सकते थे. उन के बच्चों ने यह साबित कर दिया कि दुनिया का दीन यानी महानता इनसान के ईमान में है, रुतबे और पैसे की औकात में नहीं.

रूपक ने ही तय किया था कि फिर कहीं कोई उलझन आ जाए, इस से पहले सौम्या को वह अपना लेना चाहेगा.

सौम्या शादी के बाद आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखेगी और कैरियर बनाने में रूपक उस की पूरी मदद करता रहेगा.

और फिर वह दिन आया, जब रूपक की शादी की पार्टी में अरुणेश, जितेश, शीना,आयशा मेहमान बने, सिर्फ खाने का आनंद ही ले पाए. शादी और पार्टी की पूरी व्यवस्था का भार अर्णव, गौरव और अनाया ने उठा रखा था. चाहे बिंदास अनाया हो या जिम्मेदार स्निग्धा, दमदार अर्णव हो या सुलझा हुआ गौरव, सभी रूपक और सौम्या पर इस तरह प्यार बरसा रहे थे कि अरुणेश और जितेश ठगे से रह गए.

रूपक और सौम्या जब वरवधू के वेश में सिंहासन पर बैठे थे, गौरव सभी भाईबहनों के साथ आया और उन दोनों को तोहफा देते हुए कहा, “यह प्यार ना कभी होगा कम.”

सौम्या और रूपक ने अर्णव, गौरव, अनाया और स्निग्धा को गले से लगा लिया.

मितेश, नलिनी, रूपक के मम्मीपापा और बहन इन लोगों की एकता पर निहाल थे.

सोशल मीडिया होता अनसोशल

पूनावाला और श्रद्धा के मामले में हिंदूमुसलिम सवाल इतना उछाला गया है कि अब हिंदू प्रचारकों को एक और तरीका मिल गया है कि जिस से वे विधर्मियों को सोशल मीडिया के माध्यम से दलदल में घसीट सकें. अब सोशल मीडिया महारथी किसी भी ऐरेगैरे का इंटरव्यू एक माइक ले कर कर रहे हैं और अगर धर्म का मुद्दा भुनाया जा सके तो कहीं न कहीं उसे जगह मिल जाती है.

दिल्ली के किसी सोशल मीडिया पर न्यूज चलाने वाले ने इंटरव्यू किया ऐसे जने से जो कह रहा था कि अगर मूड खराब हो तो किसी के 35 क्या, 36 टुकड़े भी किए जा सकते हैं. यह सोशल मीडिया पर चल रहे न्यूज चैनलों का कमाल है कि वे किस का इंटरव्यू कर रहे हैं, यह न जानते हुए भी क्लिप वायरल कर देते हैं. गैरजिम्मेदार इंटरव्यू करने वाले ने यह बकवास करने वाले की पृष्ठभूमि जानने की कोशिश भी न की.

जब उस से नाम पूछा गया तो उस ने वीडियो में अपना नाम रशीद खां, बुलंदशहर से बताया. वीडियो देखने के बाद पुलिस हरकत में आई और इस रशीद खां को पकड़ लिया गया. वह एक छोटामोटा चोर निकला जिस का नाम विकास कुमार है.

हिंदूमुसलिम भेद भुनाने के लिए सिकंदराबाद पुलिस के थानेदार ने इंडियन पीनल कोड की धारा 295 ए, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए आजकल भरपूर इस्तेमाल की जा रही है, में एक केस भी दर्ज कर लिया.

बड़ी शिकायत न पूनावाला से है न रशीद खां यानी विकास कुमार से है, बड़ी शिकायत तो सोशल मीडिया से है जो अफवाहों को रिकौर्ड कर के यूट्यूब जैसे माध्यम से देश की शांति में खलल मचाने के लिए डाल देते हैं. सोशल मीडिया आज पावरफुल है पर केवल तोडफ़ोड़ करने वाली भीड़ की तरह, पत्थरबाजों की तरह जो बिना सोचेसमझे कुछ भी कहीं भी फेंक सकते हैं.

पूनावाला के कांड के बाद ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिन में शवों के टुकड़े कर के फेंके गए पर चूंकि उन में हिंदूमुसलिम मामला सोशल मीडिया पर नहीं गरमाया गया,  सो वे सिर्फ आम अपराध बन कर रह गए.

सोशल मीडिया पर अंकुश लगना चाहिए पर सरकार के हाथों नहीं, लोगों के खुद द्वारा. सोशल मीडिया की वीडियो क्लिप फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर न देखी जाएं और जिम्मेदार अखबारों व चैनलों पर भरोसा किया जाए. यह बात दूसरी है कि आज के भक्त मीडिया के जमाने में कौन से अखबार या चैनल की खबर में चटपटी नकली बातें नहीं जा रहीं, कहां नहीं जा सकता.

मैं एक लड़की से बहुत प्यार करता था और उस के साथ शादी करना चाहता था, लेकिन उसकी शादी कही और हो गई?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवक हूं. मैं एक लड़की से बहुत प्यार करता था और उस के साथ शादी करना चाहता था. लेकिन उस के दादाजी उस की शादी कहीं और करना चाहते थे. लड़की ने कहीं और शादी करने की बात पर खुदकुशी करने की धमकी दी तो उस की बूआ और दादी ने फोन कर के मुझ से कहा कि मैं उसे भगा कर ले जाऊं. दादी व बूआ के कहने पर मैं लड़की को जैसे ही ले कर उन के घर से निकला, पुलिस ने मुझे लड़की को भगाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया. दरअसल, लड़की के दादाजी ने पहले से ही मुझ पर केस कर दिया था. कुछ समय बाद जब कोर्ट में केस के दौरान लड़की से बयान देने के लिए कहा गया तो उस ने उसे भगाने के लिए मुझे दोषी ठहराया जिस के परिणामस्वरूप मुझे 7 साल की सजा हो गई.

अब करीब 4 साल की सजा काट कर मैं जमानत पर बाहर निकला हूं. लेकिन मैं आज भी उस लड़की को उतना ही चाहता हूं जितना पहले चाहता था. वर्तमान स्थिति में मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं, उस से मिलूं या नहीं, सलाह दें.

जवाब

आप ने यह नहीं बताया कि लड़की और आप की उम्र क्या है? आप दोनों बालिग हैं या नाबालिग? और दूसरी बात लड़की ने अदालत में आप के खिलाफ बयान क्यों दिया था जिस की वजह से आप को 4 साल की सजा जेल में काटनी पड़ी.

एक संभावना यह भी हो सकती है कि लड़की ने उस समय अदालत में आप के खिलाफ बयान अपने परिवार वालों के दबाव में आ कर दिया हो. वर्तमान स्थिति में अगर आप उस लड़की को अभी भी चाहते हैं और सारी बात साफ करना चाहते हैं तो आप एक बार उस लड़की से मिल कर सारी बात साफ कर लें और उस के बाद ही निर्णय लें कि आप को उस के साथ कोई संबंध रखना है अथवा नहीं.

वेदना के स्वर: शची ने राजीव का हाथ क्यों थामा

आखिर कितना घूरोगे?-भाग 1: गांव से दिल्ली आई वैशाली के साथ क्या हुआ?

कालीकजरारी, बड़ीबड़ी मृगनयनी आंखें किस को खूबसूरत नहीं लगतीं. लेकिन उन से ज्यादा खूबसूरत होते हैं उन आंखों में बसे सपने, कुछ बनने के, कुछ करने के. सपने लड़कालड़की देख कर नहीं आते. छोटाबड़ा शहर देख कर नहीं आते.

फिर भी, अकसर छोटे शहर की लडकियां उन सपनों को किसी बड़े संदूक में छिपा लेती हैं. उस संदूक का नाम होता है ‘कल’. कारण, वही पुराना. अभी हमारे देश के छोटे शहरों और कसबों में सोच बदली कहां है? घर की इज्ज़त हैं लड़कियां. जल्दी शादी कर उन्हें उन के घर भेजना है जहां की अमानत बना कर मायके में पाली जा रही है. इसलिए लड़कियों के सपने उस कभी न खुलने वाले संदूक में उन के साथसाथ ससुराल और अर्थी तक की यात्रा करते हैं.

जो लड़कियां बचपन में ही खोल देती हैं उस संदूक को, उन के सपने छिटक जाते हैं. इस से पहले कि वे छिटके सपनों को बिन पाएं, बड़ी ही निर्ममता से वे कुचल दिए जाते हैं, उन लड़कियों के अपनों द्वारा, समाज द्वारा.

कुछ ही होती हैं जो सपनों की पताका थाम कर आगे बढती हैं. उन की राह आसान नहीं होती. बारबार उन की स्त्रीदेह उन की राह में बाधक महसूस है. अपने सपनों को अपनी शर्त पर जीने के लिए उन्हें चट्टान बन कर टकराना होता है हर मुश्किल से. ऐसी ही एक लड़की है वैशाली.

हर शहर की एक धड़कन होती है. वह वहां के निवासियों की सामूहिक सोच से बनती है. दिल्लीमुंबई में सब पैसे के पीछे भागते मिलेंगे. एक मिनट भी जाया करना जैसे अपराध है. छोटे शहरों में इत्मीनान दिखता है. ‘हां भैया, कैसे हो?’ के साथ छोटे शहरों में हालचाल पूछने में ही लोग 2 घंटे लगा देते हैं.

देवास की हवाओं में जीवन की सादगी और भोलेपन की धूप की खुशबु मिली हुई थी. बाजारवाद ने पूरे देश के छोटेबड़े शहरों में अपनी जड़ें जमा ली थीं. लेकिन देवास में अभी भी वह शैशव अवस्था में था. कहने का मतलब यह है कि शहर में आए बाजारवाद का असर वैशाली पर भी था. लिबरलिज्म यानी बाजारवाद की हवाओं ने ही तो बेहिचक इधरउधर घूमतीफिरती वैशाली को बेफिक्र बना दिया था. उम्र हर साल एक सीढ़ी चढ़ जाती. पर बचपना है कि दामन छुड़ाने का नाम ही नहीं लेता.

वैसे भी, मांबाप की एकलौती बेटी होने के कारण वह बहुत लाड़प्यार में पली थी. जो इच्छा करती, झट से पूरी कर दी जाती. यों छोटीमोटी इच्छाओं के आलावा एक इच्छा जो वैशाली बचपन से अपने मन में पाल रही थी वह थी आत्मनिर्भर होने की. वह जानती थी कि इस मामले में मातापिता को मनाना जरा कठिन है. पर उस ने मेहनत और उम्मीद नहीं छोड़ी. वह हर साल अपने स्कूल में अच्छे नंबर ला कर पास होती रही. मातापिता की इच्छा थी कि पढ़लिख जाए, तो जल्दी से ब्याह कर दें और गंगा नहाएं.

एक दिन उस ने मातापिता के सामने अपनी इच्छा जाहिर कर दी कि वह नौकरी कर के अपने पंखों को विस्तार देना चाहती है. शादी उस के बाद ही. काफी देर मंथन करने के बाद आखिरकार उन्होंने इजाजत दे दी. वैशाली तैयारी में जुट गई. आखिरकार उस की मेहनत रंग लाई और दिल्ली की एक बड़ी कंपनी का अपौइंटमैंट लैटर उस के हाथ आ गया.

वैशाली की ख़ुशी जैसे घर की हवाओं में अगरबत्ती की खुशबू की तरह महकने लगी. यह अपौइंटमैंट लैटर थोड़ी ही था, उस के पंखों को परवाज पर लगी नीली स्याही की मुहर थी. मातापिता भी उस की ख़ुशी में शामिल थे, पर अंदरअंदर डर था कि इतनी दूर दिल्ली में अकेली कैसे रहेगी. आसपास के लोगों ने डराया भी बहुत… ‘दिल्ली है, भाई दिल्ली, लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. जरा देखभाल के रहने का इंतजाम कराना.’ वे खुद भी तो आएदिन अख़बारों में दिल्ली की खबरें पढ़ते रहते थे. यह अलग बात है कि छोटेबड़े कौन से शहर लड़कियों के लिए सुरक्षित हैं, पर खबर तो दिल्ली की ही बनती है.

लेखिकावंदना बाजपेयी

पिता बनने के बाद रणबीर को सता रहा है इस बात का डर, उम्र को लेकर कही ये बात

अभी 1 महीेने पहले रणबीर कपूर और आलिया भट्ट नए एक बेटी के माता-पिता बने हैं, बेटी के जन्म के बाद से इनकी जिंदगी खुशियों से भर गई हैं. क्वालिटी टाइम बिताने के बाद से रणबीर वापस अपने पर वापस लौट आएं हैं.

इसी बीच एक इंटरव्यू में रणबीर ने बताया है कि इस खूबसूरत पल को जीने के लिए मैंने इतना इंतजार क्यों किया अब मैं 40 साल का हो गया हूं, जबतक मेरी बेटी 20,21 साल की होगी तब तक मैं 60 साल का हो जाउंगा ऐसे में मैं क्या उसके साथ फूटबॉल खेल पाउंगा.

 

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रणबीर की इस बात ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है, रणबीर के कहने का सीधा मतलब था कि मुझे उन्हें थोड़ा पहले बच्चा पैदा कर लेना चाहिए था. ताकी वह और जवान रहते अपने बच्चों के साथ.

बता दें कि इसी साल रणबीर और आलिया ने चट मंगनी और पट ब्याह किया था, फिल्म स्टार 40 की उम्र में पापा बने हैं, ऐसे में यह पल उनके लिए खास होगा,जल्द ही रणवीर कपूर लव रंजन की फिल्म में श्रद्धा कपूर के साथ नजर आएंगे, इसके अलावा वह ब्रम्हाशास्त्र  2में भी आलिया के साथ नजर आएंगे.

पेरेट्स बनने के बाद से रणबीर कपूर काफी ज्यादा खुश हैं,

 

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