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मोह भंग-भाग 2 : रिश्तों में सेंधमारी

इन सब बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा. जब घर में सब को इस बात का पता चला, तो सब ने समझाने की कोशिश की, ‘‘क्यों तू अपनी जिंदगी खराब कर रही है? ऐसी औरततें न घर की रहती हैं और न घाट की.’’

पर, जब मुझ पर असर नहीं हुआ तो भाई ने मुझे थप्पड़ मार दिया और भाभी ताने कसने लगी और मुझे सब ने घर में कैद करने की कोशिश की.

धीरेधीरे संजय के घर में, आसपड़ोस और मेरी सहेलियों में हवा की तरह यह बात फैल गई. दोनों तरफ से समझाना शुरू हो गया, पर हमारी तो दीवानगी बढ़ रही थी.

डाक्टर की पत्नी गीता एक दिन रविवार को अचानक मेरे पास आ गर्ई और क्रोध से भरी फुफकार उठी, ‘‘तूझे क्या मेरा ही पति आंख लड़ाने को मिला था? मेरे 2 छोटेछोटे बच्चे हैं और हमारी सुखी गृहस्थी है. उस में आग का गोला क्यों फेंक रही हो?’’

मैं पहले तो एकदम अवाक रह गई, पर फिर मैं ने शांत स्वर में कहा, ‘‘देखिए, जो भी आप को कहना हो, अपने पति से कहो, मेरातुम्हारा कोर्ई रिश्ता नहीं है और न ही तुम मुझ पर कोई दबाव डाल सकती हो.’’

मैं निष्ठुर बनी बैठी रही, फिर एकाएक उस की आंखों में आंसू आ गए, ‘‘देखो, मैं तुम से विनती कररती हूं. मेरा घर मत उजाड़ो, तुम तो कुंआरी हो, तुम शादी कर सकती हो, पर इस गलत रिश्ते से तुम समाज में मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहोगी.’’

पर, हम दोनों की आंखों का पानी तो मर चुका था. अब हम रेस्टोरेंट, पार्क, सिनेमा सब जगह मिलने लगे.
4-5 दिन बाद संजय की मां हमारे घर आ गई. मैं उन्हें देख कर पिछले दरवाजे से बाहर खिसक गई. उन्होंने भी मेरे मांबाप को बहुत समझाने की कोशिश की. कहने लगी, ‘‘दोनों घरों की इज्जत धूल में मिल जाएगी. और तुम्हारी लड़की की शादी भी कहीं नहीं होगी.’’

मेरे वापस लौटने पर मेरे पिताजी ने गुस्से में मेरे 2-4 थप्पड़ जड़ दिए और साथ ही सख्त हिदायत दे दी कि पढ़ाई खत्म हो गई है. अब घर में रहो. बड़ी बहन ने भी समझाया, पर न जाने मुझ पर कैसा जुनून सवार था कि जितना सब कहते, उतनी ही मैं उद्दंड होती जा रही थी.

रोज की किचकिच से परेशान हो कर मैं ने घर से 50 किलोमीटर दूर नौकरी कर ली.

इस अपरिचित जगह में संजय सप्ताह में 2 दिन मेरे पास रह जाते थे, पर हमें संतुष्टि नहीं थी. कुछ दिन बाद संजय ने सुझाव दिया, ‘‘हम ऐसा करते हैं शहर से कुछ दूरी पर ही किराए पर मकान ले लेते हैं. मैं वहां से रोज अस्पताल चला जाऊंगा. यह सुन कर मेरी तो बांछे खिल गईं.

बस संजय ने चुपचाप एक मकान 10 किलोमीटर की दूरी पर ले लिया और थोड़ाबहुत सामान का भी इंतजाम कर लिया. मैं ने भी पास ही के स्कूल में नौकरी कर ली, पर 6 महीने बाद ही मैं गर्भवती हो गर्ई और पड़ोसियों की गढ़ती निगाहों से बचने के लिए मैं ने नौकरी छोड़ दी. हमारा कहीं भी आनाजाना नहीं था.
अब कहीं भी जाने से हम कतराने लगे थे, अस्पताल तो चल रहा था, पर सामाजिक दायरा, यारदोस्त सब न के बराबर हो गए थे. मेरे घर वालों ने तो मुझ से बिलकुल ही रिश्ता तोड़ दिया था. इसलिए अन्नू के जन्मदिन की खुशी में भी हमारे साथ कोई भी शामिल नहीं था.

अन्नू 4 साल की हो गर्ई थी. तब मन लगाने के लिए मैं ने घर पर ही बच्चों की इंगलिश की कोचिंग लेनी शुरू कर दी.

पर, वो भी धीरेधीरे बंद हो गई. न जाने क्यों हमें ऐसा लगता था कि जैसे राह चलता हर आदमी हमें घूर रहा है और हमारा उपहास उड़ा रहा है. समय के साथ हमारा उन्माद भी कम हो रहा था.

सब से बड़ी बात यह हुई कि संजय ने न तो गीता को तलाक दिया और न ही मुझ से शादी की. संजय के पिताजी ने साफ कह दिया था, ‘‘तू रह उस औरत के साथ, मेरी भुजाओं में अभी भी इतनी ताकत है कि मैं बहू और बच्चों को आराम से रख सकता हूं. पर तुझे तलाक नहीं लेने दूंगा. याद रखना तू बहुत पछताएगा.”

संजय पैर पटकता हुआ चला गया. गीता संजय को जाते देख रोने लगी, तो उस के ससुर बोले, ‘‘सब ठीक हो जाएगा बहू. तू फिक्र मत कर, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. यहां तुझे कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा.”

बस दूर रह कर संजय अपनी अधपकी जिंदगी जी रहे थे. वैसे भी धीरेधीरे हमारी जिंदगी रूखीसूखी होती जा रही थी. थोड़ाबहुत प्यार था तो वो सिर्फ अन्नू की वजह से, संजय अन्नू को बहुत प्यार करते थे.

सब से बड़ी बात जो मुझे खटकती थी वो यह कि संजय ने अपने घर जाना बंद नहीं किया था. सप्ताह में वो 3-4 चक्कर लगा ही लेते थे और उन की छोटीछोटी ख्वाहिश भी पूरी कर देते थे.

यह बात मुझे पता चल गर्ई थी, चिढ़ भी बहुत छूटती थी. हम दोनों के बीच इस बात को ले कर कई बार झगड़ा भी हुआ था और मैं अपने लिए असुरक्षा भी महसूस होती थी.

कसक- भाग 2: क्यों अकेले ही खुश थी इंदु

खैर, अब तो कुछ नहीं किया जा सकता, इंदू सोचने लगी.

आज इंदू को मीडिया में पूरे 19 साल हो चुके थे. वह हर रोज की तरह घर से औफिस के लिए निकली.

रास्ते में उस की मुलाकात पड़ोसिन से हुई, जो बसस्टौप पर स्कूलबस में अपने बेटे को छोड़ने आई थी. इंदू को देख कर तरुणा भाभी ने कुछ कटाक्ष के अंदाज में कहा, ‘अरे, कहां जा रही हो?’

फिर थोड़ा रुक कर कहती हैं, ‘अरे, मैं भी कितनी पागल हूं, तुम कहां जाओगी…औफिस के सिवा तुम्हारे पास जाने के लिए कौन सी जगह है, तुम्हारी कौन सी शादी हुई है जो घरपरिवार की जिम्मेदारी तुम पर हो.’

इंदू ने थोड़ा सकपकाते हुए तरुणा भाभी को देखा.

इंदू सोचने लगी, कब मेरा समय बदलेगा, मुझे तो किसी से कोई सरोकार नहीं. बस, जैसी भी है अपनी जिंदगी काट रही हूं. पर इन लोगों को न जानें मुझे ताने मारने से क्या खुशी मिलती है.

इंदू के घर से मैट्रो का रास्ता कुल 15 मिनट का था. उसे पैदल चल कर जाना ही पंसद था.

इस समय इंदू के कदमों के साथसाथ उस का दिमाग भी चल रहा था. इंदू सोचने लगी कि ऐसा नहीं है कि उस ने कभी शादी के बारे में नहीं सोचा. सब से पहले एक डाक्टर का रिश्ता आया था और लड़के एवं उस के परिवार ने इंदू की खूबसूरती व उस के गुण देख कर शादी के लिए एकदम हां कर दिया था.

पर शादी की बात इसलिए आगे न बढ़ सकी क्योंकि लड़के की मां ने कहा था, ‘हमें सुंदर और घरेलू लड़की चाहिए. मीडिया की लड़कियां कहां घर संभालती हैं. जबकि इंदू अपने कैरियर की जिम्मेदारियों के साथसाथ दूसरे घर की जिम्मेदारियां संभालना चाहती थी.

इतने में इंदू चलतेचलते एकदम रुक गई. नई चप्पल ने उस के पैर में घाव कर दिया था और पैर की एड़ी से खून आ रहा था. पर ऑफिस पहुंचने की जल्दी में उस ने अपने पैर का दर्द भी दरकिनार कर दिया. उस की आंखों से वेदना के आंसू बह रहे थे. वह सोचने लगी, काश, मुझे भी प्यार करने वाला मेरा पति होता, बच्चे होते और मेरा अपना परिवार होता. यह सोचतेसोचते मैट्रो स्टेशन आ गया था.

औफिस पहुंचने के लिए मैट्रो का इंतजार करती इंदू ने सोचा, आज मुझे अपने नए कार्यक्रम के विषय में बौस को जानकारी देनी है. इस बीच, उस के बराबर में खड़ी लड़की बेहोश हो कर गिर पड़ी, साथ में खड़े लोग ‘अरे—अरे’ करते रह गए और जैसे ही मैट्रो आई, उस लड़की को अनदेखा कर मैट्रो में निकल लिए.

औफिस के लिए लेट होती इंदू ने पहले मैट्रो प्रशासन को सूचित किया और फिर उस लड़की के परिवार वालों के आने तक वहां इतजार किया. लड़की को सुरक्षित हाथों में, सही देखरेख में सौंपने के बाद इंदू अपने औफिस के लिए रवाना हुई. औफिस लेट होने पर बौस ने उसे कमरे में बुलाया.

‘इंदु, तुम अकसर लेट क्यों आती हो? तुम अपने मांबाप के साथ रहती हो जहां तुम्हें हर सुविधा उपलब्ध है. तुम्हारी शादी तो हुई नहीं कि बच्चों या घर की जिम्मेदारी निभातेनिभाते देर हो गई? बौस ने बहुत ही गुस्से में इंदू को फटकार लगाई.

इंदु बिना कोई जवाब दिए, चुपचाप मन में कुछ सोचते हुए ‘सौरी सर’ कह कर बौस के कमरे से निकल गई. मन में इंदु के अभी भी बहुतकुछ चल रहा था. वह सोचने लगी, मैं अपने मातापिता की अकेली संतान हूं. मां अकसर बीमार रहती हैं और पिताजी अपनी नौकरी के चक्कर में आएदिन शहर से बाहर जाते रहते हैं. तो क्या ऐसे में घर की जिम्मेदारी मेरी नहीं है. और क्या अपने पास खड़े किसी इंसान को मरने के लिए छोड़ दूं. क्या दुनिया में शादी करना ही सब से बड़ा काम है. क्या जो लोग शादी नहीं करते या जिन्हें जीवन में सही जीवनसाथी नहीं मिला उन्हें जीने का अधिकार नहीं है.

यह सब सोचते हुए इंदु अपनी केबिन में अपनी सीट पर बैठ गई. अपने विचारों पर अल्पविराम लगाते हुए उस ने औफिस के काम में खुद को व्यस्त कर लिया.

कुछ समय बाद एक बड़ी खबर आई कि राजस्थान में एक इमारत गिर गई और उस में करीब 40 लोग दब कर मर गए.

इंदू चैनल में न्यूज संपादक थी तो एकदम इस खबर ने हलचल मचा दी. अब उसे इस खबर के लिए अपनी टीम से काम करवाना था. तमाम खबर से जुड़े अपडेट पर नजर बनाए रखनी थी. औफिस में दिनभर की गहमागहमी के बाद रात के करीब 9 बज रहे होंगे.

घर से मां का फोन आया, ‘बेटा, तबीयत बहुत खराब लग रही है, लगता है अस्पताल जाना होगा.’

इंदु ने गहरी सांस ली और फिर अपना पर्स संभालते हुए घर के लिए निकल पड़ी. घर पहुंचने पर मां को अस्पताल में दाखिल करा दिया और बौस को फोन कर के कई दिनों तक औफिस न आने की बात बताई. इंदु की परेशानी को देखते हुए बौस ने तुरंत छुट्टी के लिए हामी भर दी. रात काफी हो चुकी थी. डाक्टर की निगरानी में इंदु और उस की मां दोनों ही सुरक्षित महसूस कर रहे थे.

मां के सोने के बाद इंदू मां के सिरहाने बैठी सोचने लगी कि क्या मुझे जीवन में कभी प्यार और अपनापन मिलेगा. क्या मेरा भी कभी अपना परिवार होगा. सोचने लगी कि मातापिता ने जीवन में अब तक उसे कभी किसी भी परेशानी में अकेला नहीं छोड़ा. हर मुश्किल घड़ी में उस के साथ खड़े नजर आए हैं.

इंदू को याद है सुषमा मौसी का लाया हुआ रिश्ता जिस में लड़के के परिवारवाले थे तो सब पढ़ेलिखे पर उन की सोच बड़ी ही छोटी थी. उस समय इंदू न्यूज चैनल में रिपोर्टर के पद पर काम कर रही थी. उसे कभी भी किसी घटना के होने पर घटनास्थल पर खबर कवर जाना होता था. लड़के का कहना था कि एक तो लड़की इतनी सुंदर है, ऊपर से उसे दूसरे लोग देखें, यह तो मुझे बिलकुल पंसद नहीं. ऐसे कई रिश्ते आए और गए पर इंदु के तब तक तक के जीवन किसी का सिंदूर न लिखा था. उस के जीवन में पारंपरिक रीतिरिवाज से हट कर अपने मातापिता की सेवा करना ही लिखा था, शायद.

इंदु याद करने लगी कि मां अकसर कहती हैं कि किसी गलत व्यक्ति से शादी करने से अच्छा है कि किसी से शादी ही न करो. इंदु ने भी अपने जीवन में काम के सिवा कभी किसी लड़के की तरफ नहीं देखा था, शायद इसलिए वह जीवन में आज तक अकेले जूझ रही है. कुछ दिनों बाद मां स्वस्थ हो कर घर लौट आईं.

इंदु ने कई दिनों की छुट्टी के बाद दोबारा अपना औफिस जौइंन किया. एक नए प्रोग्राम पर अब उसे काम शुरू करना था, जो मां की बीमारी के चलते काफी समय से लंबित पड़ा था. कार्यक्रम सेना में शहीद हुए जवानों की विधवाओं पर आधारित था. हर रविवार को कार्यक्रम का प्रसारण किया जाना था. कई दिनों की कड़ी मेहनत के बाद आज कार्यक्रम प्रसारण के लिए तैयार था. इंदु ने कार्यक्रम में जवानों की विधवाओं पर इतनी गहनता से काम किया था कि पहले एपिसोड से ही दर्शकों के बीच कार्यक्रम ने अपनी लोकप्रियता बना ली थी. इस से इंदू पर काम का बोझ और बढ़ गया था. उसे दर्शकों तक उस सचाई को ले कर जाना था जिस से समाज अभी तक अनभिज्ञ था.

समाज ने अभी तक केवल विधवाओं की दयनीय छवि ही देखी है, पर पूरी सचाई यह नहीं है. शहीद जवानों की इन विधवाओं में से अधिकांश ऐसी भी थीं जो न केवल एक बेटी की तरह अपनी ससुराल को संभाल रही थीं बल्कि वे समाजहित में भी कार्य करने से नहीं चूकती थीं.

ऐसी ही एक शहीद जवान की विधवा परी ने न केवल अपने पति के जाने के बाद स्कूल में अध्यापिका बन कर परिवार को संभाला बल्कि उस ने अपनी 2 छोटी ननदों को भी स्वावलंबी बनाया. इंदु के मन पर परी ने गहरा प्रभाव डाला था क्योंकि दोनों की स्थिति कुछकुछ एकजैसी ही थी. एक को पति का प्यार नहीं मिला और दूसरी से पति का प्यार छिन गया, पर इन दोनों महिलाओं की जिम्मेदारियां पुरुषों से कहीं भी कम न थीं.

 

शालीन ने दिया बिग बॉस को खुला चैलेंज, कहा- इस शर्त पर रहूंगा घर में?

बॉलीवुड स्टार सलमान खान के द्वारा होस्ट किया जाने वाला शो बिग बॉस 16 आएं दिन कुछ न कुछ नया ड्रामा देखने को मिलते रहता है. इस शो में शालीन भनोट और टीना दत्ता जितने अच्छे दोस्त थें. वहीं अब एक -दूसरे के खिलाफ हो गए हैं.

शुरुआत में टीना और शालीन को एक करने की कोशिश की गई लेकिन अब दोनों लगातार एक-दूसरे के खिलाफ होते नजर आ रहे हैं. शुरुआत में शिव ठाकरे ने इनको शांत कराने की कोशिश किए लेकिन बाद में जब शालीन से बात की गई तो उन्होंने शिव पर अटैक करने के आरोप लगाएं हैं.

 

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शिव ने अपनी दोस्त का परिचय कराया और बाद में सबकुछ ठिक करने की कोशिश किया, इस लड़ाई वाले मामले पर बात करने के लिए शालीन भनोट ,टीना दत्ता और शिव ठाकरे को कंफरेंश रूम में बुलाया है.

जब कंफरेश रूम में गए तो शालीन ने दावा किया कि शिव ने उन्हें मारने की कोशिश की है, उन्होंने बल का प्रयोग किया है, शालीन भनोट ने सभी के सामने खुलकर बात की है.

कंफेश रूम में टीना दत्ता ने एमसी स्टेन की क्लास लगा दी है. वहीं शालीन भनोट ने बिग बॉस से बात करने से साफ मना कर दिया उन्होंने कहा कि इस घर में या तो मैं रहूंगा या फिर एमसी स्टेन और शिव ठाकरे रहेंगे. टीना ने जब स्टेन का साथ दिया तो शालीन परेशान हो गए उन्होंने कहा कि मैं इस घर में अब बिल्कुल भी नहीं रहूंगा.

टीना के इस की बातों से शालीन नाराज भी हो गए थें, बिग बॉस लाख कोशिश करते रहें समझाने की लेकिन शालीन उनकी बातों को नहीं माने तो बिग बॉस ने कहा कि अब अगले एपिसोड में सलमान खान आपसे बात करेंगे.

आइरा खान की हुई सगाई, फातिमा और आमिर ने पहनी एक कलर की ड्रेस

बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान की बेटी इरा खान ने आखिरकर अपने लॉग टाइम बॉयफ्रेंड से सगाई कर ली है. फैंस को इरा का यह डिसीजन काफी ज्यादा अच्छा लगा, आइरा खान को सभी बधाई दे रहे हैं.

जहां आइरा खान लाल रंग की गाउन पहने नजर आईं तो वहीं उनके मंगेतर नुपुर शिखरे कोर्ट पैंट पहने नजर आएं. वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ पोज देती नजर आईं, वह सगाई के बाद लगातार अपने बॉयफ्रेंड के साथ कई सारी तस्वीरें खींचवाती नजर आईं.

 

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आमिर खान की बेटी की सगाई में कई सारे सुपर स्टार शामिल हुए इसके साथ ही परिवार के करीबी रिश्तेदार भी नजर आएं. इसके साथ ही आमिर खान की रयूमर्ड गर्लफ्रेंड फातिमा सना शेख भी शामिल हुईं.

आमिर खान की बेटी आइरा खान की तस्वीर खूब सोशल मीडिया पर वायरल हो री है, दरअसल कुछ लोगों का कहना यह भी है कि आइरा खान की सगाई में आमिर खान और फातिमा सना शेख एक तरह के कपड़े पहनते नजर आएं.

दोनों ने ऑफ व्हाइट कलर की ड्रेस पहन रखी थी, इस पार्टी मेंआमिर खान पूर्व पत्नी किरण राव भी नजर आईं. आमिर खान अपनी मां के साथ पोज देते नजर आ रहे थें. वहीं कुछ लोगों ने इरा खान को उनके ड्रेस के लिए ट्रोल कर रहे हैं.

विंटर स्पेशल : हाय! मुझे इतनी ठंड क्यों लगती है

अब ठंड का मौसम है तो ठंड तो लगेगी ही, ठंड का मजा लेना चाहिए. आखिर साल में यह तीन महीने ही तो होते हैं जब दिल्ली वाले भी शिमला और कश्मीर का आनन्द ले पाते हैं, वरना बाकी नौ महीने तो वही गर्मी, चिपचिपाहट, प्रदूषण और पसीना. लेकिन सर्दियां शुरू होते ही अनुराधा तो ऊपर से नीचे तक बिल्कुल पैक हो जाती है. मोजे, टोपे, ग्लव्ज, कोट, स्कार्फ, मफलर और न जाने क्या क्या. सुबह दस बजे से पहले रजाई से नहीं निकलती. सूरज कोहरे में छिपा रहे तो बारह बजे तक बिस्तर में घुसी रहती है. तीन-तीन, चार-चार दिन हो जाते हैं, नहाती नहीं है. हाथ-मुंह धोने के लिए भी पहले पानी गर्म करती है. शाम से पहले ही खाना बना कर रख देती है, ताकि जल्दी-जल्दी डिनर करके सब लोग बिस्तर में घुस जाएं. उसकी इन हरकतों से घर के दूसरे सदस्य बड़े परेशान रहते हैं.

सर्दी की शामें कितनी रूमानी होती हैं. कोट की जेबों में हाथ डाले लोग सड़कों पर घूमते-टहलते मौसम का लुत्फ उठाते हैं. कुछ नौजवान जोड़े तो ठंड भी आइसक्रीम खाकर सेलिब्रेट करते हैं. ठंड की शाम किसी चाय वाले की दुकान की रौनक देखिए. कुल्हड़ चाय से उठता धुआं कितना अच्छा लगता है. मगर ठंड शुरू होते ही अनुराधा तो घर में ही कैद हो जाती है. उसको हर वक्त यह डर बना रहता है कि बाहर की ठंडी हवा लगी नहीं, कि सर्दी-जुकाम ने पकड़ा. और फिर सारी सर्दियां वह छींकते-खांसते परेशान रहना पड़ेगा. वह कहती है कि ठंड जैसे उसकी हड्डियों में समा जाती है. पूरा बदन दर्द करता है. कभी-कभी तो बुखार भी हो जाता है. इसीलिए ठंड शुरू होने से पहले ही वह अपने सारे गर्म कपड़े निकाल कर धूप दिखा कर सामने की अलमारी में रख लेती है. रात को मोटी रजाई के नीचे गर्म-ऊनी कम्बल लेती है और सिर को गर्म शॉल से लपेट कर सोती है.

सर्दी के मौसम में ठंडक का अहसास अगर शरीर पर हावी होने लगे और इसकदर हावी हो जाए कि आप रोजमर्रा के काम सामान्य तौर पर न कर पायें तो यह सामान्य स्थिति नहीं है. जिन लोगों को अन्य लोगों से सर्दी का अहसास ज्यादा होता है, उन्हें कोई न कोई शारीरिक समस्या होती है. इन समस्याआें को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है, क्योंकि बाद में ये समस्याएं बहुत गम्भीर हो जाती हैं. आइये जानें कि ऐसी क्या वजहें हैं कि आपको अन्य लोगों से ज्यादा ठंड का अहसास होता है –

नींद पूरी ना हो पाना

जब आप किसी भी कारण से पूरी नींद नहीं ले पाते हैं तो आपको ठंड का अहसास ज्यादा होता है. चौबीस घंटे में सात से आठ घंटे की नींद प्रत्येक व्यक्ति की जरूरत है. अगर आपके शरीर को पूरा रेस्ट नहीं मिलेगा तो वह अपना टेम्प्रेचर मेंटेन नहीं रख पाएगा. नींद पूरी ना होने की स्थिति में मेटाबॉलिजम धीमे होने लगता है, इससे शरीर में ऊर्जा का उत्पादन भी कम होता है और अधिक ठंड महसूस होने लगती है.

ब्लड सर्कुलेशन धीमा होना

शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से ना हो पाना भी हर समय ठंड महसूस होने की वजह होता है. यह स्थिति आमतौर पर डायबिटीज और हार्ट पेशंट्स में देखने को मिलती है. इसके अलावा मसल्स का स्टिफ होना, जोड़ों में दर्द होना या पेट में क्रैंप्स के साथ दर्द होना भी ठंड लगने की निशानी होती है. इनका कारण भी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से ना हो पाना होता है. इस स्थिति की मुख्य वजह ब्लड की थिकनेस और सही डायट का अभाव होता है.

शरीर में खून की कमी होना

बहुत अधिक डायटिंग करने या फास्ट फूड पर निर्भर रहने के कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है. सर्दियों में हल्दी, तिल, गुड़, चना, मूंगफली आदि चीजों का सेवन ज्यादा किया जाना चाहिए, लेकिन फास्ट फूड पर जिन्दगी बसर करने वाले ज्यादातर बच्चे और टीनेजर्स प्रॉपर न्यूट्रिशन की कमी के चलते एनिमिया के शिकार हो जाते हैं. यह स्थिति महिलाओं में भी अधिक देखने को मिलती है. शरीर में खून की कमी होने पर भी शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती है और ठंड अधिक महसूस होती है.

अंडर वेट होना

जिन लोगों का वजन उनकी हाइट और उम्र के हिसाब से नहीं होता है, उन लोगों को भी ठंड अधिक महसूस होती है. इसकी वजह यह है कि बहुत अधिक पतले लोगों में या जो लोग वेट लॉस मिशन पर ऐक्टिव होते हैं उनकी बॉडी में स्टोर्ड फैट अमाउंट कम होता है, जिसे बॉडी एनर्जी और हीट जनरेट करने के लिए इस्तेमाल करती है. यह फैट ना मिलने पर बॉडी अपनी जरूरत के हिसाब से गर्मी नहीं जनरेट कर पाती और आपको अधिक ठंड महसूस होती है.

हाइपोथाइरौइडिज्म

शरीर में हॉर्मोन की गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार होती है हाइपोथाइरॉइडिज्म की स्थिति. यह एक हॉर्मोनल डिसऔर्डर है. इस स्थिति में बौडी में हौर्मोन्स का उत्पादन उतनी मात्रा में नहीं हो पाता है, जितनी बॉडी को जरूरत होती है. इसके चलते मेटाबॉलिज्म बॉडी टेम्प्रेचर मेंटेन नहीं कर पाता है और आपको ज्यादा ठंड लगती है.

विंटर स्पेशल: सर्दी में पीजिए ये 4 गरमागरम चाय और ड्रिंक

सर्दी के मौसम में गरमाहट लाने के लिए कुछ ऐसा चाहिए होता है जो सेहतमंद होने के साथसाथ गरमाहट भी दे. इस सर्दी में मजा लीजिए कुछ ऐसे हैल्दी ड्रिंक्स का.

  1. ट्रोपिकल टी

सामग्री :

6 कप उबला पानी, 6 टी बैग्स, 11/2 कप संतरे का जूस, 11/2 कप पाइनऐप्पल जूस, 1/3 कप चीनी, 2 छोटे चम्मच शहद.

विधि :

एक पैन में उबला पानी ले कर उस में टी बैग्स डाल कर 5 मिनट के लिए ढक कर रख दें. फिर टी बैग्स निकाल कर बाकी सामग्री मिलाएं और धीमी आंच पर 5 मिनट तक मिश्रण को पकाएं. गरमगरम सर्व करें.

2. हौट ऐप्पल ड्रिंक

सामग्री :

2 कप सेब का जूस, 1/3 कप ब्राउन शुगर, 2 दालचीनी के टुकड़े, 2 लौंग.

विधि :

एक पैन में सारी सामग्री मिला कर उबालने के बाद 15 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं और फिर छान कर गरमगरम सर्व करें.

3. होममेड हौट चौकलेट

सामग्री :

1/2 कप चीनी, 1/4 कप कोकोआ, 1/2 छोटा चम्मच नमक, 1/3 कप गरम पानी, 4 कप दूध, 3/4 छोटा चम्मच वैनिला ऐक्स्ट्रैक्ट.

विधि :

एक पैन में चीनी, कोकोआ, नमक और पानी डाल कर 2 मिनट तक चलाते हुए पकाएं. अब इस में दूध डाल कर कुछ देर तक पकाएं. ध्यान रखें कि मिश्रण में उबाल न आए. अब मिश्रण को आंच से उतार कर उस में वैनिला ऐक्स्ट्रैक्ट मिला कर तब तक फेंटें जब तक कि उस में झाग न बनने लगे. फिर सर्व करें.

4. लैमन बेसिल टी

सामग्री :

2 कप पानी, 1 छोटा चम्मच तुलसीपत्ती बारीक कटी, 1 छोटा चम्मच नीबू का छिलका कद्दूकस किया, 2 छोटे चम्मच काली चायपत्ती.

विधि :

पानी को उबाल कर पैन को आंच से उतार लें और फिर उस में तुलसीपत्ती, नीबू का छिलका और चायपत्ती डाल कर 4 मिनट तक ढक कर रखें. फिर छान कर गरमगरम सर्व करें.

दुनिया की बढ़ती आबादी और भारत

15 नवंबर 2022 का दिन दुनिया के मानव की बढ़ती आबादी का एक ऐसा दिन इतिहास के रूप में दर्ज हो गया जब फिलीपींस में प्रतीकात्मक रूप से आठवां अरबवां बच्चा पैदा हुआ और दुनिया की महत्ती संस्थाओं ने इसे अपनी अपनी तरह उत्सव के रूप में दर्ज किया और यह संदेश दे दिया कि यह जितनी खुशी का क्षण हैउतना ही मनुष्य को सोचने के लिए भी विवश करने वाला है.

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मनुष्यता के एक अहम रास्ते पर बीते 12 वर्षों में एक अरब लोगों को जोड़ने के बाद मंगलवार 15 नवंबर को वैश्विक जनसंख्या आठ अरब तक पहुंच कर इतिहास में दर्ज हो गई.

सच तो यह है कि बढ़ती वैश्विक आबादी के बीच चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत का अगले साल दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश तय माना जा रहा है .  दरअसल,दुनिया की जनसंख्या घड़ी ने 15 नवंबर को आठ अरब का आंकड़ा दर्शाया है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) नं. ट्वीट किसी कवि की कविता की तरह किया -” आठ अरब उम्मीदें आठ अरब सपने आठ अरब संभावनाएं हमारा ग्रह अब आठ अरब लोगों का घर है.”

यही नहीं संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या के “आठ अरब” तक पहुंचने को मील का पत्थर‘ करार दिया” है.

हमें इस संपूर्ण परिदृश्य को समझने के लिए कुछ आंखों को जानना चाहिए दरअसल मानव आबादी लगभग 1800 सन  तक एक अरब से कम थीऔर एक से दो अरब तक बढ़ने में 100 से अधिक वर्षों का समय लगा. यूएनएफपीए ने कहा -” हमारी आबादी की वृद्धि मानवता की उपलब्धियों का एक प्रमाण हैजिसमें गरीबी और लैंगिक

असमानता में कमीस्वास्थ्य देखभाल में प्रगति और शिक्षा तक पहुंच का विस्तार शामिल है. उसने कहा है-” इनके परिणामस्वरूप अधिक महिलाएं प्रसव के बाद जीवित रहींअधिक बच्चे अपने प्रारंभिक वर्षो में जीवित रहेऔर उनका जीवनकाल दशक दर दशक लंबा व स्वस्थ रहा.”

यहां पाठकों को हम यह भी बताते चलें कि दिलचस्प आंकड़े यह है कि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है वैश्विक जनसंख्या 2037 के आसपास नौ अरब होने तथा 2058 के आसपास 10 अरब से अधिक हो जाएगी. इस साल जुलाई में जनसंख्या विभाग के आर्थिक और सामाजिक मामलों के संयुक्त राष्ट्र विभाग द्वारा जारी विश्व जनसंख्या संभावना 2022 में कहा गया कि वैश्विक जनसंख्या के 2080 के दौरान लगभग 10.4 अरब लोगों के साथ शिखर पर पहुंचेगी और इसके वर्ष 2100 तक उस स्तर पर रहने का अनुमान है.

भारत सरकार नीति निर्धारण करें

उल्लेखनीय है कि आगामी वर्ष भारत में लोकतांत्रिक महोत्सव है अर्थात आम चुनाव का महाकुंभ. ऐसे में भारत के लिए वर्ष 2023 एक ऐतिहासिक वर्ष भी हो सकता है क्योंकि उसके दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान लगाया जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष एक भारतीय की औसत आयु 28.7 वर्षजबकि चीन के लिए औसत आयु 38.4 वर्ष है. जनसंख्या संभावना रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की 1.426 अरब आबादी की तुलना में 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 अरब है. 2050 में भारत की आबादी 1.668 अरब होने का अनुमान है,

जो सदी के मध्य तक चीन की 1.317 अरब जनसंख्या से काफी आगे है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसारदेश की 27 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 15-29 वर्ष की आयु के बीच है. 25.3 करोड़ के साथ भारत दुनिया की सबसे बड़ी किशोर आबादी (10-19 वर्ष) का भी घर है.  भारत 2030 तक दुनिया की सबसे युवा आबादी वाले देशों में से एक बना रहेगा.वहीं चीन की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र अनुमानों के मुताबिकउसकी आबादी 2035 में गंभीर उम्र‘ के दौर में होगी और वहां लगभग 40 करोड़ लोगों की उम्र तब 50 साल से ज्यादा होगी. संयुक्त राष्ट्र संघ के इन आंकड़ों से हटकर के हमें अब यह चिंतन भी करना होगा कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए आबादी का यह महा विस्फोट क्या परिणाम लेकर आएगा सच तो यह है कि हमारे देश की सरकार आबादी की इस महा विस्फोट के संदर्भ में एक तरह से कुंभकर्णी निद्रा में है. अब यह सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वह इस संदर्भ में एक नीति  निर्धारण करें. 

आखिर कितना घूरोगे?-भाग 2: गांव से दिल्ली आई वैशाली के साथ क्या हुआ?

दिल्ली देश की ही नहीं, खबरों की भी राजधानी है. आम आदमी तो खबरें पढ़पढ़ कर वैसे घबराया रहता है जैसे सारे अपराध दिल्ली में ही होते हों. जितना हो सकता था उन्होंने वैशाली को ऊंचनीच समझाई. फिर भी डर था कि जाने का नाम नहीं ले रहा था.

दिल्ली में निवास करने वाले अड़ोसपड़ोस के दूरदराज के रिश्तेदारों के पते लिए जाने लगे. न जाने कितने नंबर इधरउधर के परिचितों के ले कर वैशाली के मोबाइल की कांटैक्ट लिस्ट में जोड़े जाने लगे. तसल्ली इतनी थी कि किसी गाढ़े वक्त में बेटी फोन मिला देगी तो कोई मना थोड़ी न कर देगा. आखिर इतनी इंसानियत तो बची ही है जमाने में. उन्हें क्या पता कि दिल्ली घड़ी की नोंक पर चलती है.

मां ने डब्बाभर कर लड्डू व मठरी रख दिए साथ में. कुछ नहीं खा पाएगी, तो भी ये लड्डू, मठरी, सत्तू तो साथ देगा ही. दिल लाख आगेपीछे कर रहा हो, पर बेटी की इच्छा तो पूरी करनी ही थी. लिहाजा, कदम चल पड़े दिल्ली की ओर.

औफिस के श्याम ने ‘ओय’ होटल बुक कर दिया था. यह सस्ता होता है, दोचार दिन तो टिकना ही पड़ेगा, यही ठीक रहेगा. वैशाली के लिए गर्ल्स पीजी की ढूंढा जाने लगा. आखिरकार, लक्ष्मीनगर में एक गर्ल्स पीजी किराए पर ले लिया था. खानानाश्ता मिल ही जाएगा. औफिस, बस, 2 मेट्रो स्टेशन दूर था. यहां सब लड़कियां ही थीं. पिता बेफिक्र हुए कि उन की लड़की सुरक्षित है.

वैशाली अपना रूम एक और लड़की से शेयर करती थी. उस का नाम था मंजुलिका. मंजुलिका वेस्ट बंगाल से थी. जहां वैशाली दबीसिकुड़ी सी थी, मंजुलिका तेजतर्रार, हाईफाई. कई साल से दिल्ली में रह रही थी. चाहे आप इसे आबोहवा कहें या वक्त की जरूरत, दिल्ली की ख़ास बात है कि वह लड़कियों को अपनी बात मजबूती से रखना सिखा ही देती है. मंडे को जौइनिंग थी. मातापिता जा चुके थे.

अब शनिवार, इतवार पीजी में ही काटने थे. बड़ा अजीब लग रहा था इतनी तेजतर्रार लड़की के साथ दोस्ती करना, पर जरूरत ने दोनों में दोस्ती करा दी. शुरुआत मंजुला ने ही की. पर जब उस ने अपने लोक के किस्सों का पिटारा खोला, तो खुलता ही चला गया. मंजुलिका रस लेले कर सुनती रही.

उस के लिए यह एक अजीब दुनिया थी. अपना लोक याद आने लगा जहां लोगों के पास इतना समय होता था कि कभी भी, कहीं भी महफिलें जम जातीं. लोग चाचा, मामा, फूफा होते… मैडम और सर नहीं. देर तक बातें करने के बाद दोनों रात की श्यामल चादर ओढ़ कर सो गईं.

औफिस का पहला दिन था. वैशाली ने जींस और लूज शर्ट पहन ली. गीले बालों पर कंघी करती हुई वह बाथरूम से बाहर निकली ही थी कि मंजुलिका ने सीटी बजाते हुए कहा, ‘पटाखा लग रही हो, क्या फिगर है तुम्हारी.’ वह हंस दी. वैसे, जींसटौप तो कभीकभी देवास में भी पहना करती थी वह. कभी ऐसा कुछ अटपटा महसूस ही नहीं हुआ था. उस ने ध्यान ही कहां दिया था अपनी फिगर पर.

उस का ऊपर का हिस्सा कुछ ज्यादा ही भारी है, यह उसे आज महसूस हुआ जब औफिस पहुंचने पर बौस सन्मुख ने उसे अपने चैंबर में बुलाया और उस से बात करते हुए पूरे 2 मिनट तक उस के ऊपरी भाग को घूरते रहे. वैशाली को अजीब सी लिजलिजी सी फीलिंग हुई. जैसे सैकड़ों चीटियां उस के शरीर को काट रही हों. उस ने जोर से खांसा. बौस को जैसे होश आया हो. उसे फ़ाइल पकड़ा कर काम करने को कहा.

फ़ाइल ले कर वैशाली अपनी टेबल पर आ गई यी संज्ञाशून्य सी. देवास में उस ने लफंगे टाइप के लड़के देखे थे, पर शायद हर समय मां या पिताजी साथ रहने या फिर सड़क पर घूमने वाले बड़ों का लिहाज था, इसलिए किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुई थी. उफ़, कैसे टिकेगी वह यहां? जब शीशे के पार केबिन में बैठे हुए उस ने सन्मुख को देखा था तो पिता की ही तरह लगे थे वे. 50 वर्ष के आसपास की उम्र, हलके सफेद बाल, शालीन सा चेहरा. बड़ा सुकून हुआ था कि बौस के रूप में उसे पिता का संरक्षण मिल गया है. लेकिन, क्यों एक पुरुष अपनी बेटी की उम्र की लड़कियों के लिए भी, बस, पुरुष ही होता है. अपने विचारों को झटक कर वैशाली ने अपना ध्यान काम पर लगाने का मन बनाया.

आखिर वह यहां काम करने ही तो आई है. कुछ बनने आई है. सारी मेहनत सारा संघर्ष इसीलिए तो था. वह हिम्मत से काम लेगी और अपना पूरा ध्यान अपने सपनों को पूरा करने में लगाएगी. पर जितनी बार भी उसे बौस के औफिस में जाना पड़ता, उस का संकल्प हिल जाता. अब तो बौस और ढीठ होते जा रहे थे. उस के खांसने का भी उन पर कोई असर नहीं पड़ रहा था.

पीजी में लौटने के बाद वैशाली खुद को बहुत समझाती रही कि उसे, बस, अपने सपनों पर ध्यान देना है. पर उस लिजलिजी एहसास का वह क्या करे जो उसे अपनी देह पर महसूस होता, चींटियां सी चुभतीं, घिन आती. घंटों साबुन रगड़ कर नहाई, पर वह फीलिंग निकलने का नाम ही नहीं ले रही थी. काश, सारे मैल साबुन से धोए जा सकते. आज उसे अपने शरीर से नफरत हो रही थी. पर क्यों? उस की तो कोई गलती नहीं थी. अफ़सोस, यह एक दिन का किस्सा नहीं था. आखिर, रोजरोज उन काट खाने वाली नज़रों से वह खुद को कैसे बचाती.

लेखिकावंदना बाजपेयी

Bigg Boss 16 : अर्चना गौतम ने बनाया साजिद खान की उम्र का मजाक, घर में हुआ हंगामा

बिग बॉस 16 के घर में सभी लोग एक-दूसरे के खिलाफ जानें के लिए परेशान नजर आ रहे हैं, इस घर में हर रोज किसी  न किसी की लड़ाई होती रह रही है.

बीते दिनों अर्चना गौतम ने जमकर हंगामा मचाया हुआ है, पहले तो अर्चना ने साजिद को खूब परेशान किया फिर लड़ाई कर ली. उसके बाद घर के सभी सदस्यों को खूब परेशान कर रही हैं. कोई भी उनके साथ अब रूम शेयर नहीं करना चाह रहा है.

 

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इतना ही नहीं अर्चना गौतम ने तो साजिद खान की उम्र की भी खिल्ली उड़ा दी, बीते एपिसोड में दिखाया गया था कि अर्चना गौतम साजिद खान से अपना पुराना बदला लेती नजर आ रही हैं. किचेन का काम करने के दौरान अर्चना गौतम ने खूब हंगामा करना शुरू कर दिया है.

इसके बाद से अर्चना गौतम ने निमृत से अपने समान को लेकर लड़ाई की है, इस दौरान एम सी स्टेन और शिव ठाकरे भी अर्चना गौतम को खूब खरी खोटी सुनाते नजर आएं. जब शिव ठाकरे ने कहा कि जाओ फूटेज देख लो तो पता चल जाएगा , शिव के इस बात पर नाराज होकर अर्चना ने कहा कि मुझे जानना है कि अश्लील हरकते मेरे साथ कौन करते नजर आ रहा है.

साजिद खान ने अर्चना को कहा कि बिग बॉस के घर में मेमसाहब हैं बाकी लोग  नौकरानी हैं इन्हें बकबक करने दों. जिसके बाद से अर्चना गौतम को गुस्सा आ गया और फिर अर्चना ने कहा कि मुझे फिर से टारगेट किया जा रहा है, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि ये बुढ्ढा साजिद खान कर क्या रहा है. यहां पर

 

GHKKPM: सई ने टीम के साथ मनाया नंबर वन होने का जश्न, नहीं दिखे विराट और पाखी

सीरियल गुम है किसी के प्यार में इऩ दिनों लगातार टीआरपी लिस्ट में बना हुआ है, टीआरपी लिस्ट में आते ही सीरियल के सभी एक्टर्स और एक्ट्रेस ने मिलकर जश्न मनाया है. सेट पर सभी हंसी खुशी केक काटते नजर आएं.

सेट पर चल रही पार्ट्री में सभी तो नजर आ रहे थें, लेकिन विराट और पाखी नहीं नजर आएं, तस्वीर को देखने के बाद से फैंस कह रहे हैं कि टीम ने एश्वर्या शर्मा और नीट भट्ट को भाव नहीं दिया . पार्टी के दौरान आयशा और आरिया सकारिया ने मिलकर पार्टी किया.

 

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इस तस्वीर में सवि सभी को केक खिलाते नजर आ रही है, लाख ट्रोल होने के बाद भी ये सीरियल नंबर वन पर बना हुआ है. इस वजह से लोग सेट पर धमाल मचाते नजर आ रहे हैं.

इस बार तो इस सीरियल ने अनुपमा को पछाड़ दिया है, इसे देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि नील भट्ट शो में सभी को खूब पसंद आ रहे हैं. इस तस्वीर में आयशा अपने फैन के साथ पोज देती नजर आ रही हैं. सेट पर आयशा काफी ज्यादा खुश नजर आ रही हैं.

खबर है कि इस सीरियल में जल्द ही बड़ा ट्विस्ट आने वाला है, भवानी सवि का डिएनए टेस्ट करवाने वाली है.

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