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बिपासा ने शेयर की बेटी की क्यूट फोटो, पति करण भी दिखें साथ

एक्ट्रेस बिपासा बासु ने 12 नवंबर को एक बेटी को जन्म दिया है, जिसके बाद से उनका परिवार पूरा हो गया है, बता दें कि करण सिंह ग्रोवर और बिपासा बासु ने साल 2016 में शादी रचाई थी, जिसके बाद से वह लंबे समय से पेरेंट्स बनने का इंतजार कर रहे थें.

हालांकि कुछ दिक्कतों के बाद उनकी विश अब जाकर पूरी हो गई हैं. 6 साल के लंबे इंतजार के बाद उनके घर में बच्चे की किलकारी गुंजी हैं. इन दिनों वह पैरेट्स वुड को एंजॉय कर रहे हैं. हाल ही में बिपासा ने अपनी बेटी की पहली झलक दिखाई है, जिसमें उनकी बेटी अपने पापा करण की गोद में सोई हुईं नजर आ रही हैं.

 

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शेयर की गई फोटो में देखा जा सकता है कि करण की बेटी देवी अपने पापा की गोद में हैं, यह बेहद की प्यारी तस्वीर है, फैंस इस तस्वीर पर लगातार कमेंट कर रहे हैं. वहीं एक यूजर ने इस तस्वीर को देखने के बाद से लिखा है कि थू थू नजर ना लगे.

वहीं करण बिपासा की बेटी काफी ज्यादा क्यूट लग रही हैं, इससे पहले बिपासा ने करण के साथ रोमांस करते हुए फोटो शेयर की थीं. बता दें कि करण और बिपासा की पहली मुलाकात अलोन के सेट पर हुई थी, जहां से दोनों का रोमांस शुरू हुआ था. इससे पहले भी करण सिंह ग्रोवर 2 शादियां कर चुके थें, बिपासा

आर्यन खान जल्द करेंगे बॉलीवुड में डेब्यू, शाहरुख के सपने होंगे पूरे

बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनाने वाले किंग खान यानि शाहरुख खान जल्द अपने बेटे आर्यन खान को बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले हैं. आर्यन को बॉलीवुड में ल़ॉच को लेकर शाहरुख खान काफी ज्यादा एक्साइटेड हैं.

इसका इशारा खुद आर्यन खान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए दिया है, लेकिन मजे की बात ये है कि आर्यन खान एक्टिंग से हटकर वो राइटिंग में अपनी कैरियर को बनाना चाहते हैं, आर्यन खान ने मंगलवार को अपनी इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है जिसे देखकर साफ हो रहा है कि वह जल्द डेब्यू करने वाले हैं.

 

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आर्यन ने अपने पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है कि राइटिंग पूरी कर ली है, जिसे वह अपने चाहने वाले लोगों को इशारे करते नजर आ रहे हैं,आगे उन्होंने लिखा है कि वह एक्टश का इंतजार नहीं कर सकता है,

आर्यन की इस पोस्ट पर तमाम बॉलीवुड से लेकर उनके चाहने वाले फैंस उन्हें बधाई देते नजर आ रहे हैं, वहीं शाहरुख ने कमेंट किया है कि वाह सोच रहे हो , विश्वास कर रहे हो, सपने पूरे होंगे, बस अब हिम्मत करो,

तुम्हारे प्रोजेक्ट के लिए मेरी दुआएं हमेशा मेरी साथ हैं, आर्यन खान की मां गौरी खान ने लिखा है कि यह स्पेशल होता है. जिससे साफ समझ आ रहा है कि आर्यन की कामयाबी को देखकर उनके परिवार वाले काफी ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं. उम्मीद है कि आर्यन भी अपने पापा की तरह कामयाब निकलेंगे.

कोंडागांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती

गन फ्रूट मूल रूप से मैक्सिको का पौधा माना जाता है. इस का वैज्ञानिक नाम ह्वाइट फ्लेशेड पतिहाया है और वानस्पतिक नाम ‘हाइलोसेरेसुंडाटस’ है. वियतनाम, चीन और थाईलैंड में इस की खेती बड़े पैमाने पर होती है. भारत में इसे वहीं से आयात किया जाता रहा है. अब तक इसे अमीरों और रईसों का ही फल माना जाता था, पर जल्द ही यह आम लोगों तक भी पहुंचने वाला है.

बेहद खूबसूरत दिखने वाले इस फल में अद्भुत स्वास्थ्यवर्धक और औषधीय गुण पाए जाते हैं. इस बेहद स्वादिष्ट फल में भरपूर मात्रा में एंटीऔक्सीडैंट्स, प्रोटीन, फाइबर, विटामिंस और कैल्शियम आदि पाया जाता है. यही वजह है कि इसे वजन घटाने में मददगार, कोलैस्ट्राल कम करने में सहायक और कैंसर के लिए लाभकारी बताया जाता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का विशेष गुण होने के कारण कोरोना काल में इस का महत्त्व काफी बढ़ गया. इन्हीं वजहों से पूरी दुनिया के लोग इस के दीवाने हैं. वैसे, भारत के कई राज्यों में किसानों द्वारा इस की खेती के प्रयोग हो रहे हैं.

गुजरात के कच्छ, नवसारी और सौराष्ट्र जैसे हिस्सों में बड़े पैमाने पर यह उगाया जाने लगा है. छत्तीसगढ़ में भी कई प्रगतिशील किसानों ने इस की खेती शुरू की है. बस्तर क्षेत्र के जगदलपुर में भी कुछ प्रगतिशील किसानों ने इस की खेती में कामयाबी हासिल की है. कोंडागांव में पहली बार ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म और रिसर्च सैंटर’ ने इस की खेती लगभग 2 साल पहले शुरू की थी. शुरुआत में इन के द्वारा तकरीबन 1,000 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए गए थे. वर्तमान में इस में अच्छी तादाद में फल आने शुरू हो गए. इस उपलब्धि के बारे में मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म और रिसर्च सैंटर के संस्थापक डा. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि यह कोंडागांव ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व और खुशी का विषय है कि कोंडागांव में पैदा किए जा रहे ड्रैगन फ्रूट का न केवल स्वाद और रंग बेहतरीन है, बल्कि औषधीय गुणों व पौष्टिकता के हिसाब से भी यह उत्तम गुणवत्ता का है.

इस का स्वाद भी बेजोड़ है. उन्होंने आगे बताया कि बस्तर की जलवायु और धरती इस की खेती के लिए मुफीद है. हम ने सिद्ध कर दिया कि यहां पर ड्रैगन फ्रूट की सफल खेती की जा सकती है. आस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों पर काली मिर्च की सफल खेती के साथ ही पेड़ों के बीच वाली खाली जगह में ड्रैगन फ्रूट की मिश्रित खेती भी सफलतापूर्वक की जा सकती है. ड्रैगन फ्रूट का पौधा कोई विशेष देखभाल भी नहीं मांगता और केवल एक बार लगाने पर कई साल तक लगातार भरपूर उत्पादन और नियमित मोटी आमदनी देता है. कैक्टस वर्ग का कांटेदार पौधा होने के कारण इसे कीड़ेमकोड़े भी नहीं सताते और जानवरों के द्वारा इस पौधे को बरबाद करने का डर भी नहीं रहता है. एक बार रोपने के बाद इस की सफल खेती से किसान बिना किसी विशेष अतिरिक्त लागत के एक एकड़ से तकरीबन 4-5 लाख रुपए सालाना अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं. आस्ट्रेलियन टीक के रोपने के साथ काली मिर्च व औषधीय पौधों के साथ मिश्रित खेती करने पर यह आमदनी द्विगुणित, बहुगुणित हो सकती है.

भारी मांग होने के कारण इस की मार्केटिंग में भी कोई समस्या नहीं है. गुजरात सरकार दे रही इस की खेती को बढ़ावा ड्रैगन फ्रूट की खेती के इतने सारे फायदों को देखते हुए गुजरात सरकार ने इस की खेती को अपने प्रदेश में काफी बढ़ावा दिया है. यह अलग बात है कि आज राजनीति का हर क्षेत्र में प्रवेश हो रहा है, इसलिए गुजरात सरकार ने इस फ्रूट का नाम बदल कर ‘कमलम’ रखने का फैसला किया है.

गुजरात सरकार ने इस फ्रूट के नए नामकरण ‘कमलम’ के पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है. अब देखने वाली बात यह है कि कोंडागांव में इस की सफल खेती को देखते हुए इस लाभदायक खेती से क्षेत्र के अन्य किसानों को जोड़ने की मुहिम को जिला प्रशासन और प्रदेश शासन का कितना सहयोग मिल पाता है, क्योंकि यह तो तय है कि काली मिर्च और औषधीय पौधों के साथ ही इस की मिश्रित खेती यहां के किसानों को न केवल मालामाल कर सकती है, बल्कि बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है.

लेखिका- अपूर्वा त्रिपाठी

हादसों से निबटने के लिए तैयार रहें परिवार

परिवार 46 साल के कलाकार सिद्धांत वीर सूर्यवंशी को जिम में वर्कआउट करते समय हार्टअटैक आ गया जिस से उस की मौत हो गई. इस के पहले कलाकार सिद्धार्थ शुक्ला और कौमेडियन राजू श्रीवास्तव की मौत भी कुछ इसी तरह से हो चुकी है. जब हम हादसों की बात करते हैं तो केवल ऐक्सिडैंट का ही खयाल आता है. आज हादसों की परिभाषा बदल गई है. अब घर और जिम में ऐसे ही हादसे होने लगे हैं, जिन में अच्छाखासा आदमी हलकी सी दिक्कत में पड़ते ही गुजर जा रहा है.

कोविड के बाद ऐसे हादसे ज्यादा ही बढ़ गए हैं. इन को कोविड का प्रभाव भी माना जा रहा है. डेंगू, टायफाइड और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में भी तमाम लोगों की जानें चली गई हैं. इस के साथ ही साथ दुर्घटनाओं के कारण भी मरने वालों की संख्या में तेजी आ गई है. हंसीखेल करतेकरते लोग गुजरात के मोरबी पुल जैसे हादसे में मौत के शिकार हो जा रहे हैं. इस तरह की अचानक होने वाली मौत का प्रभाव घरपरिवार पर बहुत ज्यादा पड़ता है. अगर मरने वाला घर का कमाई करने वाला होता है, तब दिक्कतें अधिक होती हैं. पहले के समय में ऐसे हादसे कम होते थे. इस कारण परिवारों पर इस का दबाव कम पड़ता था. आज के समय में ऐसे हादसे अधिक होने लगे हैं.

परिवार छोटे होने लगे हैं. इस की वजह से संकट के समय मदद करने वाले नहीं मिलते. कई बार तो हादसों में पूरेपूरे परिवार ही खत्म हो जाते हैं. परिवारों को कुछ प्रयास ऐसे करने चाहिए जिन से वे ऐसे हादसों से खुद को बचाए रख सकें. इस के लिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर कम जाएं. मंदिरों और मेलों में ऐसे हादसे अधिक होते हैं, उन से बचें. अपनी सेहत के प्रति लापरवाह न रहें. यह मान कर चलें कि अगर ऐसे हादसे हो जाते हैं तो कैसे उन से निबटें. अस्पताल के खर्चे भी कम नहीं होते.

इस के लिए व्यवस्था कर के रखें. अगर हादसा हो जाता है तो क्रियाकर्म का फैसला अपनी आर्थिक हालत के हिसाब से लें. कई बार सामाजिक दबाव में पड़ कर परिवार बो झ उठा लेते हैं. जायदाद को ले कर भी विवाद होने लगते हैं. इन सब मसलों पर फैसले बेहद सू झबू झ के साथ लें क्योंकि इस के प्रभाव दूरगामी होते हैं. परिवार की मदद उतनी ही लें जितनी बहुत जरूरी है. अपने बल पर हालात का मुकाबला करें क्योंकि किसी से ज्यादा मदद लेनी पड़ी तो भविष्य में उस का दबाव अलग होगा. हादसे कभी भी हो सकते हैं, सो हमेशा खुद को इस के लिए तैयार रखें.

जब बीवी छोड़ जाए

पति व पत्नी में खटपट तो हर घर में होती है, लेकिन जब झगड़े इतने बढ़ जाएं कि पत्नी अपना घर छोड़ कर मायके चली जाए या तलाक ले ले तो इस का ज्यादा खमियाजा पति को ही भुगतना पड़ता है जो हर काम के लिए पत्नी पर आश्रित रहा है. दो अलग परिवारों से, अलग परिवेश, अलग आर्थिक स्थितियों, अलग संस्कारों, अलग आदतों, अलग शिक्षा पाए दो लोग जब शादी के बंधन में बंध कर एक छत और एक कमरे में साथ रहने लगते हैं तो दोनों के बीच तालमेल बैठतेबैठते एक लंबा समय लग जाता है.

अगर पतिपत्नी के बीच पहले से प्रेम है तो एकदूसरे के प्रति आकर्षण के चलते तालमेल जल्दी बैठ जाता है, लेकिन अरेंज मैरिज के केस में जहां दोनों एकदूसरे के व्यक्तित्व और आदतों से अनजान होते हैं, तालमेल बैठाने में देर लगती है. कभीकभी यह तालमेल नहीं भी बैठता है. दोनों अपनी आदतों और संस्कारों के अनुरूप ही व्यवहार करते हैं और चाहते हैं कि दूसरा उसे स्वीकार करे. ज्यादातर वैवाहिक जोड़ों में देखा गया है कि पुरुष चाहता है कि उस की पत्नी अपने घर की आदतें-व्यवहार छोड़ कर उस के घर के अनुसार ढल जाए. पति ही नहीं बल्कि उस का पूरा परिवार इस कोशिश में जुट जाता है कि बहू अपने मायके के सारे रीतरिवाज, आदतव्यवहार भूल कर अब ससुराल वालों के मुताबिक ही चले. सास किचन में बहू को अपने तरीके से खाना बनाना सिखाने लगती है. सोचिए कि 25-30 साल तक एक लड़की अपनी मां से सीखसीख कर जिस तरह का भोजन पकाती आई है,

उसे दरकिनार कर उसे जबरन नए सिरे से सास के तरीके का खाना बनाना सीखना पड़ता है, फिर भले सास की रैसिपी उस की मां की रैसिपी से गईगुजरी और बेस्वाद क्यों न हो. भारत में मांएं बड़े जतन से अपनी बेटियों को बचपन से ही तरहतरह के पकवान बनाना सिखाती हैं ताकि ससुराल जा कर बेटी सुस्वाद भोजन बना कर खिलाए और अपने सासससुर व पति का दिल जीत सके. मगर ससुराल आ कर तो उस को पता चलता है कि 2 दशकों तक उस की मां ने उस पर जो मेहनत की, वह सारी व्यर्थ है क्योंकि ससुराल में तो सास के तरीके से खाना बनाना है. यहां अगर उस ने अपनी मां की रैसिपी ट्राई की तो उस के बनाए खाने में तमाम तरह के नुक्स निकाले जाएंगे. पति व पत्नी के बीच दरार पड़ने व आएदिन झगड़ों की सब से बड़ी वजह सास और उस का किचन होता है. सास, बहू के झगड़ों और मनमुटाव में लड़का मां और पत्नी के बीच ऐसा फंस जाता है कि फिर जिस पर उस का बस चलता है,

यानी उस की पत्नी, उसी पर सारी भड़ास निकालने लगता है. भारत में अधिकतर पति पत्नी में तलाक की मुख्य वजह सास है. जहां बहू और बेटे की एजुकेशन एकजैसी होती है और दोनों ही नौकरीपेशा होते हैं वहां भी बहू से औफिस के काम के साथ घर के सारे काम करवाए जाते हैं. एकाध साल में बच्चा हो गया तो घरबाहर के काम के साथ एक नई और बड़ी जिम्मेदारी भी उस पर आ जाती है. वह घरबाहर का काम भी करे, सास, ससुर और पति की सेवा भी करे और बच्चे भी पाले. कुछ अपवाद छोड़ दें तो आमतौर पर भारतीय पति जैसा शादी से पहले रहता आया है, वैसा ही शादी के बाद भी रहता है, बल्कि शादी के बाद तो उसे अपनी सेवा और सैक्स के लिए एक फ्री की नौकरानी भी मिल जाती है और उस का जीवन ज्यादा आसान व आनंदमय हो जाता है. लेकिन अपना घर छोड़ कर आई औरत के लिए ससुराल एक कारागार बन जाता है.

वह अपने मनमुताबिक कुछ कर ही नहीं सकती है. अपनी पसंद का खा नहीं सकती, अपनी पसंद का पहन नहीं सकती, अपनी इच्छानुसार कहीं आजा नहीं सकती, दोस्तों के साथ टाइम स्पैंड नहीं कर सकती. अधिकतर महिलाओं की दोस्त मंडली शादी के बाद छूट जाती है. उस के पास अपनी बातें शेयर करने के लिए कोई नहीं होता. ऐसे में वैवाहिक जीवन से औरत का मन उचटना, बातबात पर खिसियाना, चिड़चिड़ाना और अवसादग्रस्त होना, लड़ना झगड़ना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. भारत में लड़की की शादी बहुत महंगी होती है. दहेज के रूप में उस के पिता को लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं, इसलिए कोई लड़की अपना घर नहीं तोड़ना चाहती और जहां तक हो सके, सब से निभाने की कोशिश करती है. अधिकांश औरतें अपना मन मार कर ससुराल और पति के अनुसार इसलिए ढल जाती हैं ताकि उन का शादीशुदा जीवन शांतिपूर्ण तरीके से चले.

आर्थिक रूप से पति पर आश्रित महिलाएं मजबूरी में ससुराल द्वारा थोपे गए सारे नियमकानून मानती हैं और काम के बो झ को ढोती हैं. मगर ध्यान रखना चाहिए कि गुब्बारे को एक सीमा तक ही दबाया जा सकता है, उस से ज्यादा दबाने पर गुब्बारा फट जाएगा. पढ़ीलिखी, कामकाजी और अपने हक के प्रति जागरूक महिलाएं बहुत ज्यादा दबाव और ससुराल वालों के मनमाने रवैए को झेलने को तैयार नहीं होती हैं. यही कारण है कि अब एकल परिवारों की संख्या बढ़ने के साथ तलाक के मामले भी बढ़ रहे हैं. गौरतलब है कि भारत में तलाकशुदा औरत को लोग बड़ी बेचारगी और हीनता की दृष्टि से देखते हैं. हाय! अब इस बेचारी का क्या होगा, कौन करेगा इस से शादी, मांबाप पर बो झ बन कर आ गई, ससुराल वालों से नहीं निभा पाई, पति ने निकाल बाहर किया आदिआदि बातों से उसे छलनी करने की कोशिश की जाती है. जबकि तलाकशुदा पुरुष के बारे में ये बातें सुनने को नहीं मिलती हैं.

पुरुषों को ज्यादा दिक्कत हालांकि तलाकशुदा औरत परिवार और समाज द्वारा तमाम लानतमलामत करने के बाद भी खुद को जल्दी संभाल लेती है. अगर वह नौकरीपेशा है तो अलग घर ले कर आराम से रहने में उसे कोई दिक्कत नहीं होती है. वह अपने सारे काम खुद करने की आदी होती है. अपने किसी काम के लिए उसे दूसरे का मुंह नहीं देखना पड़ता है. जबकि तलाक होने पर आदमी को औरत से ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है क्योंकि वह अपने हर काम के लिए औरत पर निर्भर रहा है. बचपन से किशोरावस्था तक मां पर और उस के बाद बीवी पर. बुढ़ापे में मां से काम नहीं होता और अगर बीवी भी छोड़ कर चली गई तो वह असहाय सा हो जाता है. प्रभास की पत्नी सुलक्षणा बेहद सुंदर थी. आसपास के घरों में उस की खूबसूरती की चर्चा होती थी. उस का व्यवहार भी पड़ोसियों के साथ बहुत अच्छा था. 2 बच्चे होने के बाद उस की खूबसूरती और निखर गई थी. जबकि उस के मुकाबले में प्रभास का रंगरूप बहुत दबा हुआ था. प्रभास में इस को ले कर एक हीनभावना तो थी ही, वह सुलक्षणा के चरित्र पर भी शक करने लगा था. सुलक्षणा की सास आग में घी डालने का काम करती थी.

आज वह इस पड़ोसी से बात कर रही थी, कल वह उस को खिड़की से देख रही थी, इस तरह की बातें वह बेटे के कान में भरती रहती थी. इस के चलते प्रभास और सुलक्षणा के बीच अकसर विवाद होने लगा. फिर प्रभास पत्नी पर हाथ भी उठाने लगा. सुलक्षणा पहले ही घर और बच्चों की देखभाल में चकरघिन्नी बनी रहती थी, उस पर पति का यह रूप उस से सहा नहीं गया. एक दिन वह दोनों बच्चों को छोड़ कर अपने मायके चली गई और उस के बाद कभी नहीं लौटी. प्रभास और उस का परिवार 2 साल तक सुलक्षणा की मानमनौवल करता रहा मगर वह वापस नहीं आई. आखिरकार, दोनों की रजामंदी से तलाक हो गया और बच्चे प्रभास के पास रहे. तलाक के 6 महीने बाद ही सुलक्षणा की एक अन्य व्यक्ति से शादी हो गई और इधर प्रभास के सिर पर एक भारी बो झ आ गया. तलाक के वक्त सुलक्षणा द्वारा बच्चों को न मांगे जाने से प्रभास जितना खुश था, उन की जिम्मेदारियां उठाने में अब उस को दिन में तारे नजर आने लगे. उस की मां बुढ़ापे का बहाना ले कर कामकाज से अलग हो गई.

बच्चों की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी प्रभास के सिर आ गई. सुबह उठ कर उन के लिए नाश्ता और लंच बनाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना, उन्हें नहलानाधुलाना, यूनिफौर्म पहनाना, उन्हें स्कूल छोड़ने जाना, स्कूल से ले कर आना, उन का होमवर्क करवाना, खानेपीने, कपड़ों आदि का ध्यान रखना, हर सुबह के लिए उन का यूनिफौर्म साफ और प्रैस कर के रखना, छुट्टियों में उन को घुमाने ले जाना, उन की जरूरत का सामान खरीदना, अपने खुद के हजार काम जो अब तक सुलक्षणा बिना कुछ बोले करती आई थी, वह सब करने में प्रभास के हाथपैर फूलने लगे. दरअसल औरतों द्वारा घर में किए जाने वाले ये तमाम काम अकसर मर्दों को नजर ही नहीं आते हैं. ये कितने थकाऊ और समय लेने वाले काम हैं, यह तभी पता चलता है जब खुद करना पड़ता है. प्रभास की आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी कि कोई फुलटाइम नौकर रख सके. घर के नीचे ही एक छोटी किराने की दुकान थी, जिस से घर का खर्चा चलता था. दूसरी शादी में कभी बच्चे अड़चन बन रहे थे, कभी उस की दबी हुई पर्सनैलिटी तो कभी तलाक का लांछन. लोग कहते जो इतनी सुंदर और सुशील पत्नी से नहीं निभा पाया, उसे अब कौन अपनी लड़की देगा? घर में मां की गैरमौजूदगी बच्चों ने शिद्दत से महसूस की. पिता से सवाल भी किए मगर प्रभास उन को कभी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. अब कई साल बीत चुके हैं.

बच्चे अब किशोरावस्था में पहुंच गए हैं मगर काफी कोशिशों के बाद भी प्रभास की दूसरी शादी नहीं हुई. घर, दुकान और बच्चों की परवरिश के बीच झूलते हुए उस की काया पहले से ज्यादा बदसूरत हो चुकी है. वह अवसादग्रस्त और चिड़चिड़ा सा रहने लगा है. 40-42 साल की उम्र में 50-55 का नजर आता है. दूसरी तरफ सुलक्षणा अपनी दूसरी शादी से बहुत खुश है. उस के पास फिर से 2 बच्चे हैं. प्रभास से हुए बच्चों की तरफ उस ने आज तक पलट कर नहीं देखा. ऐसी ही कहानी गाजियाबाद के रहने वाले रामशरण की है. रामशरण और उस की पत्नी सरला शादी के बाद कुछ साल तक तो बड़े प्यार से रहे. दोनों के एक बेटा हुआ. मगर चौथे बरस रामशरण की मां भी गांव से आ कर उन के साथ रहने लगी. मां शुगर और बीपी की मरीज थी. यहां उस का इलाज चलने लगा. रामशरण की पत्नी सरला ने सास की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी. बिन साथी सब सूना बीमारी के कारण सरला को 2 जगह खाना बनाना पड़ता था. मां के लिए सादा और पति के लिए मिर्चमसाले वाला. छोटे बच्चे के साथ उस को सास की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ रही थी. वह खुद पास के एक प्राइवेट स्कूल में पार्टटाइम पढ़ाने जाती थी, मगर सास के आ जाने से उस को नौकरी भी छोड़नी पड़ गई. साल बीततेबीतते मां ने रामशरण को अपने वश में कर लिया और सरला के काम में मीनमेख निकालने लगी.

नतीजा पति व पत्नी के आराम से चल रहे जीवन में भूचाल आ गया. 2 साल ऐसे ही नरमगरम मामला चलता रहा. जब सरला की बरदाश्त की सीमा खत्म हो गई तो वह बेटे को ले कर मेरठ अपने मायके चली गई. वहां उस ने बच्चे का एडमिशन पास के एक स्कूल में करवा दिया. अब गाजियाबाद में रामशरण मां के साथ अकेले रहता है. घर का सारा काम अब उसे ही करना होता है. सुबह दूधसब्जीभाजी लाने से ले कर खाना बनाने, कपड़े धोने और घर की साफसफाई के अलावा मां की दवा व इंजैक्शन का खयाल उसे ही रखना पड़ता है. सरला न तो उसे तलाक देने को तैयार है और न उस के पास वापस लौटने को. पत्नी के यों छोड़ जाने से रामशरण अकेला और परेशान है. जबकि सरला अपने मायके में अपने मातापिता के साथ मजे से रह रही है. उस के बच्चे को नानानानी का भरपूर प्यार मिल रहा है. समाज की आम धारणा के विपरीत पत्नी के बिना पति का जीवन बिलकुल वैसा ही उजाड़ हो जाता है जैसे सूखी धरती का बारिश के बिना. जीवन में ऐसी दरारें पड़ जाती हैं जिन में प्रेम और स्नेह की कोई कोंपल नहीं फूटती. ऐसी स्थिति शारीरिक और मानसिक रोग का आधार बनती है.

68 वर्षीय राम बहादुर सिंह सोशल मीडिया पर अपने अकेलेपन का दर्द बांटते हुए लिखते हैं कि कहावत है बच्चे की मां और बुड्ढे की घरवाली का मरना अच्छा नहीं. जीवन का आंनद खत्म हो जाता है. जीता तो है आदमी मगर जिंदा लाश की तरह. कुछ कह नहीं सकता, दूसरे का मुहताज हो जाता है. मैं स्वयं भुक्तभोगी हूं. बच्चे हर प्रकार से ध्यान रखते हैं पर उन की भी एक सीमा है, उस से परे वे भी विवश हैं. कहते हैं, घूमोफिरो पर अकेले यहांवहां टक्कर मारने से क्या मिलेगा. मेरी तो सलाह है कि यदि आप के बच्चे अच्छे हैं तो उन के किसी भी काम में दखल मत दो, खासतौर से बहू के, क्योंकि घर उस को ही चलाना है. वह एक जीवित प्राणी है, वह गुलामी करने के लिए नहीं आई है.

‘मेरी भाभी’ फेम ईशा कंसार ने सिद्धार्थ संग लिए सात फेरे, वायरल हुईं फोटोज

इन दिनों लगातार शादियों का दौर चल रहा है,  हर तरफ लोग शादी करते नजर आ रहे हैं, फैंस को भई इनके फेवरेट सितारे की शादी का इंतजार हैं. वह भी चाहते हैं कि इनके सितारे सात फरे लेते हुए सबसे ज्यादा खूबसूरत दिखें.

इसी बीच मेरी भाभी फेम एक्ट्रेस ईशा कंसार ने म्यूजिशियन सिद्धार्थ अमित भावसात के साथ सात फेरे ले लिए हैं. इन दोनों कपल को लगातार फैंस बधाई दें रहे हैं. इन दोनों की तस्वीर लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. फैंस भी इनकी शादी से काफी ज्यादा खुश हैं,

 

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इन दोनों ने अपने इंस्टाग्राम पर तस्वीर शेयर कर अपने फैंस को इस बात की जानकारी दी है. वायरल हो रही तस्वीर में ईशा कंसार ने रेड और ऑफ व्हाइट कलर का लहंगा पहना है, वहीं पति सिद्धार्थ भी व्हाइट कलर के शेरवानी में नजर आ रहे हैं.

फैंस इन दोनों को एक साथ देखकर फेंस लगातार बधाई दें रहे हैं, लंबे समय तक एक दूसरे को डेट करने के बाद दोनों शादी के बंधन में बंधे हैं. इन दोनों को साथ में देखकर फैंस काफी ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं.

ईशा कंसार ने टीवी के अलावा गुजराती भाषा में भी काम किया है.

साल-दर-साल महिला शरीर में बदलाव किस तरह होते है

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारे जीवन में बहुत सी चीजें बदलती हैं। हमारी सोच बदलती है और हम जब तक जिंदा होते हैं, ये सोच तब तक बदलती रहती है। इसके साथ-साथ हमारे शरीर में भी बदलाव होते रहते हैं। एक महिला का शरीर, प्यूबर्टी से मेनोपॉज के दौर से गुजरता है, कई बार यह धीरे-धीरे होता है और कई बार अचानक ही।

डॉ.मनीषा रंजन, सीनियर कंसल्टेंट, प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा का कहना है कि-

कई बार ऐसा होता है जब एक महिला का शरीर लगातार बदल रहा होता है। एक महिला का शरीर बदलते और कम होते हॉर्मोन, गर्भावस्था, प्रसव और प्राकृतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का सामना करता है- और ये ऐसे बदलाव हैं जो केवल महिलाएं अनुभव करती हैं। यह प्यूबर्टी या यौवन से शुरू होता है और मेनोपॉज तक जारी रहता है, कुछ के लिये यह सूक्ष्म और कुछ के लिये यह जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया होती है।

प्यूबर्टी
लड़कियां 8 से 13 साल की उम्र में प्यूबर्टी के दौर में पहुंच जाती हैं। विकसित होना शरीर के लिये एक पीड़ादायक प्रक्रिया हो सकती है। लड़कियों के बाल मोटे होने लगते हैं और ‘ब्रेस्ट बड’ विकसित होते हैं। इसके कुछ समय बाद ही उनकी माहवारी शुरू हो जाती है। यह ऐसा दौर होता है, जिसे हम एक्‍ने और हमारे पहले क्रश के रूप में याद कर सकते हैं। दरसअल, यह महिला बनने की दिशा में शुरू होने वाला एक खूबसूरत सफर होता है।

प्यूबर्टी कब खत्म होती है
प्यूबर्टी शुरू होने के बाद से चार साल तक स्तन पूर्ण रूप से बढ़ते हैं। कुछ लड़कियों में अपर लिप्स पर बालों का उगना सामान्य बात होती है। टीनएज का गुस्सा और सोचने का बदलता तरीका इस स्टेज को बखूबी बयां करता है।

प्रेग्‍नेंसी और मदरहुड
जब महिला का शरीर प्रेग्‍नेंसी के लिये तैयार होता है तो वह कई तरीकों से बदलता है। आपका शरीर यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे को बढ़ने और विकसित होने के लिये पर्याप्त भोजन, जगह और ऑक्सीजन मिल पाए। प्रेग्‍नेंसी कई तरह के बदलाव ला सकती है, जिसमें बालों की मोटाई का बढ़ना, हड्डियों का मुलायम होना और आपकी त्वचा तथा ऑक्सीजन लेवल में बदलाव होना शामिल है।

जन्म देने के बाद आपका शरीर एक और महत्वपूर्ण बदलाव से गुजरता है। जन्म देने के तुरंत बाद आपके एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर काफी बदल जाएगा। बॉन्डिंग हॉर्मोन, ऑक्सीटॉसिन भी शरीर द्वारा अधिक बार निर्मित होता है। इस स्टेज पर, कुछ महिलाएं सामान्य से अधिक चिंतित रहती हैं। मदरहुड के शुरूआती सालों में मानसिक सेहत को सबसे पहली प्राथमिकता देनी चाहिए।

प्रीमेनोपॉज
मेनोपॉज से चार से पांच साल पहले, प्रीमेनोपॉज चरण शुरू हो जाएगा। महिलाएं अपने 40 के दशक में इस चरण से गुजरती हैं और अक्सर उन्हें पता नहीं होता कि क्या हो रहा है। आपका प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का स्तर महत्वपूर्ण रूप से बदल सकता है। मेनोपॉज के लक्षण जैसे रात को पसीना आना, हॉट फ्लैशेज, वजन बढ़ना और मूड स्विंग होना भी संभव है।

मेनोपॉज
आपके आखिरी माहवारी के एक साल के बाद, मेनोपॉज का चरण शुरू होगा। 50 की उम्र तक, महिलाएं इस स्तर पर पहुंच जाती हैं, जोकि दस साल तक चलती है। मूड स्विंग, हॉट फ्लैशेज, रात में पसीना आना, कम सोना, वजन का बढ़ना और चिड़चिड़ापन, मेनोपॉज के कुछेक लक्षण हैं। मेनोपॉज के सबसे बुरे और नकारात्मक प्रभाव वाले लक्षणों में हॉट फ्लैशेज होते हैं। हॉट फ्लैश अचानक ही होता है, इसमें बहुत ज्यादा गर्मी महसूस होती है और पूरे शरीर में फैल जाती है। हॉट फ्लैशेज की वजह से रात में आने वाले पसीने से आपके नींद का समय भी काफी कम हो सकता है।

समर और डिंपल को एक साथ देखकर नाराज होंगी बा, लगाएंगी ये इल्जाम

सीरियल अनुपमा इन दिनों लगातार सुर्खियों में बना हुआ है, इस सीरियल में हर दिन नए -नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. मेकर्स अनुपमा की कहानी को नया नया मोड़ दे रहे हैं. बीते दिनों अनुपमा में दिखाया गया है कि पाखी अनुपमा को आंटी कहकर बुलाती है.

वहीं अनुपमा घर का दरवाजा तक नहीं खोलती है, वह परेशान होकर दरवाजे पर खड़ी रहती है. वहीं दूसरी तरफ जेल में बंद गुंड़ो को जेल से जमानत मिल जाती है, वहीं गुंडे फिर से परेशान करना शुरू कर देते हैं.

 

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लेकिन इस सीरियल में आने वाले ट्विस्ट यहीं खत्म नहीं होते हैं, आगे दिखाया जाएगा कि गुंडे फिर से धमकी देना शुरू कर देते हैं कि वह केस को वापस ले वरना कुछ और गलत हो जाएगा. इस बात से डिंपल घबरा जाती है.

लेकिन अनुपमा शाह हाउस पहुंच जाती है और वहां पहुंचकर अपनी बातों को रखऩा चाहती है. वहीं दूसरी तरफ समर अनुपमा की मदद करने के चक्कर में डिंपल का हाथ थामता है, जिससे बा नाराज हो जाती हैं.  वहीं पाखी वनराज को इमोशनल ब्लैकमेल करती हुई नजर आती हैं.

पाखी अनुपमा को ताना मारती है, जिससे वह परेशान हो जाती है वह लाख पाखी को समझाने की कोशिश करती है लेकिन वह नहीं मानती हैं. अब आने वाले एपिसोड़ में काफी ज्यादा धमाका होने वाला है . देखते हैं आगे क्या होगा, क्या पाखी बात मानेगी अपनी मां का.

विंटर स्पेशल : ब्रेकफास्ट में बनाएं टोमैटो गार्लिक पास्ता

हर किसी को पास्ता खाना पसंद होता है. इसे बनाना भी बेहद आसान है और इसमें समय भी कम लगता है. तो आइए जानते हैं, टोमैटो गार्लिक पास्ता बनाने की रेसिपी.

सामग्री

400 ग्राम पास्ता

2 चम्मच वर्जिन ऑलिव ऑइल

2 चम्मच पार्मिसन चीज

1गुच्छा धनिया पत्ता

पिसी काली मिर्च (आवश्यकतानुसार)

500 ग्राम चेरी टमेटो

15 कलियां लहसुन की

8 तुलसी के पत्ते

नमक और पानी (आवश्यकतानुसार)

बनाने की वि​धि

सबसे पहले एक गहरे तले वाला पैन लें और उसमें पानी के साथ पास्ता को उबलने के लिए डालें.

हल्के उबाल आने पर गैस को बंद कर दें.

चेरी टमेटो धाएं और उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें.

लहसुन को भी छीलकर पीस लें और पार्मिसन चीज को ग्रेट कर लें.

इन सभी चीजों को अलग-अलग बोल में रख लें.

अब मध्यम आंच पर एक पैन रखें और उसमें कुछ औइल गर्म करें.

इसमें कटे हुए चेरी टमेटो डालें और 4-5 मिनट तक पकाएं.

जब टमाटर पक जाएं तो उसमें पिसा लहसुन, नमक और काली मिर्च डालकर मिलाएं.

कटा धनिया डालकर मिक्स करें और इस मिश्रण को 10 मिनट तक पकाएं.

अगर यह गाढ़ा हो जाए तो फिर थोड़ा सा पानी और डाल दें और इस मिश्रण में उबला हुआ पास्ता डालें और सभी चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करें.

गैस बंद कर दें और पास्ता को सर्विंग प्लेट में डालें.

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