परिवार 46 साल के कलाकार सिद्धांत वीर सूर्यवंशी को जिम में वर्कआउट करते समय हार्टअटैक आ गया जिस से उस की मौत हो गई. इस के पहले कलाकार सिद्धार्थ शुक्ला और कौमेडियन राजू श्रीवास्तव की मौत भी कुछ इसी तरह से हो चुकी है. जब हम हादसों की बात करते हैं तो केवल ऐक्सिडैंट का ही खयाल आता है. आज हादसों की परिभाषा बदल गई है. अब घर और जिम में ऐसे ही हादसे होने लगे हैं, जिन में अच्छाखासा आदमी हलकी सी दिक्कत में पड़ते ही गुजर जा रहा है.

कोविड के बाद ऐसे हादसे ज्यादा ही बढ़ गए हैं. इन को कोविड का प्रभाव भी माना जा रहा है. डेंगू, टायफाइड और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में भी तमाम लोगों की जानें चली गई हैं. इस के साथ ही साथ दुर्घटनाओं के कारण भी मरने वालों की संख्या में तेजी आ गई है. हंसीखेल करतेकरते लोग गुजरात के मोरबी पुल जैसे हादसे में मौत के शिकार हो जा रहे हैं. इस तरह की अचानक होने वाली मौत का प्रभाव घरपरिवार पर बहुत ज्यादा पड़ता है. अगर मरने वाला घर का कमाई करने वाला होता है, तब दिक्कतें अधिक होती हैं. पहले के समय में ऐसे हादसे कम होते थे. इस कारण परिवारों पर इस का दबाव कम पड़ता था. आज के समय में ऐसे हादसे अधिक होने लगे हैं.

परिवार छोटे होने लगे हैं. इस की वजह से संकट के समय मदद करने वाले नहीं मिलते. कई बार तो हादसों में पूरेपूरे परिवार ही खत्म हो जाते हैं. परिवारों को कुछ प्रयास ऐसे करने चाहिए जिन से वे ऐसे हादसों से खुद को बचाए रख सकें. इस के लिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर कम जाएं. मंदिरों और मेलों में ऐसे हादसे अधिक होते हैं, उन से बचें. अपनी सेहत के प्रति लापरवाह न रहें. यह मान कर चलें कि अगर ऐसे हादसे हो जाते हैं तो कैसे उन से निबटें. अस्पताल के खर्चे भी कम नहीं होते.

इस के लिए व्यवस्था कर के रखें. अगर हादसा हो जाता है तो क्रियाकर्म का फैसला अपनी आर्थिक हालत के हिसाब से लें. कई बार सामाजिक दबाव में पड़ कर परिवार बो झ उठा लेते हैं. जायदाद को ले कर भी विवाद होने लगते हैं. इन सब मसलों पर फैसले बेहद सू झबू झ के साथ लें क्योंकि इस के प्रभाव दूरगामी होते हैं. परिवार की मदद उतनी ही लें जितनी बहुत जरूरी है. अपने बल पर हालात का मुकाबला करें क्योंकि किसी से ज्यादा मदद लेनी पड़ी तो भविष्य में उस का दबाव अलग होगा. हादसे कभी भी हो सकते हैं, सो हमेशा खुद को इस के लिए तैयार रखें.

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