गन फ्रूट मूल रूप से मैक्सिको का पौधा माना जाता है. इस का वैज्ञानिक नाम ह्वाइट फ्लेशेड पतिहाया है और वानस्पतिक नाम ‘हाइलोसेरेसुंडाटस’ है. वियतनाम, चीन और थाईलैंड में इस की खेती बड़े पैमाने पर होती है. भारत में इसे वहीं से आयात किया जाता रहा है. अब तक इसे अमीरों और रईसों का ही फल माना जाता था, पर जल्द ही यह आम लोगों तक भी पहुंचने वाला है.

बेहद खूबसूरत दिखने वाले इस फल में अद्भुत स्वास्थ्यवर्धक और औषधीय गुण पाए जाते हैं. इस बेहद स्वादिष्ट फल में भरपूर मात्रा में एंटीऔक्सीडैंट्स, प्रोटीन, फाइबर, विटामिंस और कैल्शियम आदि पाया जाता है. यही वजह है कि इसे वजन घटाने में मददगार, कोलैस्ट्राल कम करने में सहायक और कैंसर के लिए लाभकारी बताया जाता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का विशेष गुण होने के कारण कोरोना काल में इस का महत्त्व काफी बढ़ गया. इन्हीं वजहों से पूरी दुनिया के लोग इस के दीवाने हैं. वैसे, भारत के कई राज्यों में किसानों द्वारा इस की खेती के प्रयोग हो रहे हैं.

गुजरात के कच्छ, नवसारी और सौराष्ट्र जैसे हिस्सों में बड़े पैमाने पर यह उगाया जाने लगा है. छत्तीसगढ़ में भी कई प्रगतिशील किसानों ने इस की खेती शुरू की है. बस्तर क्षेत्र के जगदलपुर में भी कुछ प्रगतिशील किसानों ने इस की खेती में कामयाबी हासिल की है. कोंडागांव में पहली बार ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म और रिसर्च सैंटर’ ने इस की खेती लगभग 2 साल पहले शुरू की थी. शुरुआत में इन के द्वारा तकरीबन 1,000 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए गए थे. वर्तमान में इस में अच्छी तादाद में फल आने शुरू हो गए. इस उपलब्धि के बारे में मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म और रिसर्च सैंटर के संस्थापक डा. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि यह कोंडागांव ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व और खुशी का विषय है कि कोंडागांव में पैदा किए जा रहे ड्रैगन फ्रूट का न केवल स्वाद और रंग बेहतरीन है, बल्कि औषधीय गुणों व पौष्टिकता के हिसाब से भी यह उत्तम गुणवत्ता का है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...