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खेती जगत से जुड़े ये हैं अप्रैल के जरूरी काम

गरमी से भरपूर अप्रैल का महीना भी खेती किसानी के लिहाज से अन्य महीनों की तरह ही खास होता है. अप्रैलफूल से शुरू होने वाले इस महीने के मूर्ख बनाने वाले मकसद में ज्यादा किसानों की दिलचस्पी नहीं होती, मगर इस महीने का बैसाखी का त्योहार उन के लिए खास होता है. वैसे भी कुछ ही अरसा पहले आई होली को भी वे इतनी जल्दी नहीं भूलते और उसी नशे में अपने कामों में जुटे रहते हैं.

जश्न और मौजमजे से हट कर अप्रैल में रबी की तमाम फसलों की कटाई चालू हो जाती है और जायद की फसलें खेतों में शबाब पर पहुंच रही होती हैं. पेश है एक ब्योरा अप्रैल के दौरान होने वाले खेती से जुड़े खासखास कामों का :

* शुरुआत रोटी की फसल यानी गेहूं से करें तो अप्रैल तक गेहूं की फसल पक कर तैयार हो चुकी होती है. ऐसे में अप्रैल में गेहूं की कटाई का काम ही सब से ज्यादा जरूरी माना जा सकता है. गेहूं की कटाई खत्म करने के बाद जो सुकून किसानों को मिलता है, वह अनोखा होता है.

* बात गेहूं की कटाई पर ही नहीं थम जाती. गेहूं की फसल को बाकायदा सुखा कर उस की गहाई करना भी बेहद अहम होता है.

* आमतौर पर अपने गेहूं को किसान जल्दी से जल्दी बेच कर पैसे खड़े करने में यकीन करते हैं. सरकार भी बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीद करती है. मगर दाम कम होने या किसी दूसरी वजह से गेहूं को फौरन न बेच कर उस का भंडारण करना पड़े तो उस के लिए नवीनतम तकनीक को अपनाना चाहिए.

* एक जमाने में भले ही चने की इज्जत नहीं थी और उसे नौकरचाकरों व गरीबों का अन्न माना जाता था, मगर अब चने के दिन फिर चुके हैं और उस की हैसियत किसी सुपर स्टार अनाज जैसी है. यह स्टार अनाज भी अप्रैल तक पक कर कटाई के लिए तैयार हो जाता है, लिहाजा इस की कटाई भी फटाफट निबटा लेनी चाहिए. आजकल कमाई के लिहाज से चने की फसल का गेहूं से कहीं ज्यादा रुतबा है.

*  चने की समय से बोई गई फसल तो अप्रैल में कटाई लायक हो जाती है, पर देरी से बोई गई फसल काटने लायक होने में कुछ और वक्त लगता है. अप्रैल के आसपास इस में दाने तो पड़ने लगते हैं, मगर कटाई की नौबत अगले महीने तक आती है.

* चने की देरी से बोई जाने वाली फसल की कटाई तो देरी से ही होगी, लेकिन इस की देखभाल में कोताही न बरतें. इस दौरान इस में फलीछेदक कीट के हमले का डर रहता है. अगर ऐसा अंदेशा लगे तो कृषि वैज्ञानिकों से राय ले कर मुनासिब दवा का इस्तेमाल करें.

* वैसे तो आजकल मौसम का कोई दीनईमान नहीं रह गया है यानी कभी भी जाड़ा, गरमी या बरसात का नजारा देखने को मिल सकता है, लेकिन मोटे तौर पर अप्रैल में बारिश नहीं होती है. अकसर अप्रैल के दौरान खेत सूखने लगते हैं, ऐसी हालत में गन्ने के खेतों में सिंचाई करते रहना चाहिए.

* सिंचाई के अलावा अपने गन्ने के खेत में सही तरीके से निराईगुड़ाई करें और खरपतवारों के प्रति सजग रहें, क्योंकि खरपतवार गन्ने की खुराक में हिस्सा बंटा लेते हैं.

* गन्ने के खेत की निराईगुड़ाई से पहले खेत में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद व कंपोस्ट खाद डालें. केंचुआ खाद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. खाद डालने के बाद कायदे से निराईगुड़ाई करने से तमाम किस्म की खादें खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाती हैं. इस से मिट्टी की पानी सोखने की कूवत में खासा इजाफा होता है. नतीजतन गन्ने ज्यादा बेहतर और रसीले होते हैं और उपज में भी इजाफा होता है.

* अप्रैल के दौरान ही बैसाखी की मूंग बोने का भी माकूल समय होता है. बोआई का यह काम मध्य अप्रैल तक निबटा लेना मुनासिब होता है.

* पिछले महीने बोई गई मूंग की भी खोजखबर लेते रहना चाहिए. आमतौर पर इस दौरान इसे सिंचाई की जरूरत पड़ सकती है. अगर मूंग के खेत सूखे होते नजर आएं तो बगैर वक्त बरबाद किए सिंचाई करें.

* गेहूंचना, दालचावल वगैरह इनसानों के लिए जरूरी होते हैं, तो जानवरों यानी मवेशियों को भी हमेशा चारे की दरकार रहती है. मवेशियों के चारे के लिए अप्रैल में बाजरा, मक्का व लोबिया वगैरह की बोआई की जा सकती है.

* 2 महीने पहले बोई गई चारे की फसलों को नाइट्रोजन की खुराक मुहैया कराएं. इस के लिए खेत में यूरिया खाद का इस्तेमाल करें और खेत में नमी बराबर बरकरार रखें.

* सूरजमुखी की फसल में अप्रैल तक फूल आने लगते हैं. इस दौरान खेत की निराईगुड़ाई करना बेहद जरूरी होता है. निराईगुड़ाई करने से फूलों की तादाद व क्वालिटी पर काफी असर पड़ता है.

* सूरजमुखी के खेत अगर सूख रहे हों, तो फौरन सिंचाई करें. पौधों की बढ़वार में कोई कसर नजर आए, तो यूरिया खाद का छिड़काव करें.

* अप्रैल के पहले हफ्ते के दौरान तुरई की नर्सरी डालें, ताकि सही वक्त पर पौध तैयार हो सकें. पिछले महीनों के दौरान डाली गई नर्सरी की पौध तैयार हो चुकी होगी, लिहाजा रोपाई का काम निबटाएं. रोपाई 50×100 सेंटीमीटर के फासले पर करें. रोपाई के बाद हलकी सिंचाई जरूर करें.

* अप्रैल में अरवी की अगेती किस्मों की बोआई का काम निबटा दें, ताकि समय पर फसल हाथ आ सके.

* अप्रैल में फूलगोभी की बीज वाली फसल कटाई लायक हो जाती है, लिहाजा इस की कटाई का काम खत्म करें. काटने के बाद फसल को सुखा कर बीज निकालें. बीजों को बाकायदा पैक कर के उन का भंडारण करें.

* साल की शुरुआत में नर्सरी में तैयार किए गए लौकी व करेले के पौधों की रोपाई करें. लौकी के पौधों की रोपाई 2×1 मीटर दूरी पर और करेले के पौधों की रोपाई 150×60 सेंटीमीटर के फासले पर करें.

* पिछले महीने रोपी गई बैगन की क्यारियों में निराईगुड़ाई करें. नमी कम लगे तो सिंचाई भी जरूर करें. बेहतर फसल के लिए यूरिया खाद का इस्तेमाल करें.

* अप्रैल तक गाजर व मूली की बीज वाली फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है, लिहाजा उस की कटाई करें. फिर फसल को सुखा कर बीज निकालें. बीजों को सही तरीके से सुखा कर पैक करें और फिर भंडारण करें.

* शिमला मिर्च के खेतों में निराईगुड़ाई कर के जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. नाइट्रोजन की कमी दूर करने के लिए यूरिया खाद का इस्तेमाल करें. इस से फसल उम्दा होगी.

* इसी महीने अदरक की बोआई का काम भी निबटाएं. बोआई के लिए करीब 20 ग्राम वजन के कंदों का इस्तेमाल करें. अदरक की बोआई 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड़ें बना कर करें. 2 कंदों के बीच करीब 20 सेंटीमीटर का फासला रखें.

* अप्रैल के दौरान ही लहसुन की फसल की खुदाई का काम भी निबटाएं. खोदने के बाद फसल को 3 दिनों के लिए खेत में ही छोड़ दें. चौथे दिन फसल को छायादार जगह पर रखें और ठीक से सुखाएं. पूरी तरह सूखने के बाद ही लहसुन का भंडारण करें.

* आमखोर लोग अप्रैल से ही आमों की बाट जोहने लगते हैं. अपने आम के बागों की सिंचाई करें, ताकि नमी कायम रहे. पेड़ों पर बीमारियों या कीड़ों के लक्षण दिखाई दें तो फौरन कृषि वैज्ञानिक की राय से बचाव का इंतजाम करें.

* अपने अमरूद के बागों  की भी सफाई करें और जरूरत के हिसाब  से निराईगुड़ाई व सिंचाई करें. कीटबीमारियों के हमले नजर आएं तो उन का भी इलाज करें.

* ठंड का दौर थमने से मवेशियों को बेहद राहत मिलती है, मगर उन के प्रति लापरवाही न बरतें. कोई भी मौसम पशुओं को अपनी चपेट में ले सकता है, लिहाजा मौका निकाल कर माहिर डाक्टर से अपने मवेशियों की जांच कराएं.

* पशुओं का डाक्टर कोई दवा वगैरह बताए, तो उस के इस्तेमाल में लापरवाही न बरतें. पशुओं को जरूरी टीके वगैरह लगवाने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए.

* भारीभरकम मवेशियों के साथसाथ छोटेमोटे मुरगामुरगी व चूजों का भी पूरा खयाल रखना लाजिम है, लिहाजा पशुओं के डाक्टर से उन की भी जांच कराएं.

शिक्षा और परीक्षा

मैरिट पर ही शिक्षा संस्थानों में दाखिला मिलने और सरकारी नौकरी मिलने की मांग आरक्षण विरोधियों द्वारा की जा रही है पर परीक्षाओं में धड़ाधड़ नकल, पेपर लीक होना और कोचिंग कक्षाओं में परीक्षा का प्रश्नपत्र ही खोल देना मैरिट के तर्क की धज्जियां उड़ा देता है. देशभर के परीक्षा केंद्र छावनियां बन जाते हैं पर फिर भी नकल इस बुरी तरह होती है कि लगता ही नहीं कि परीक्षा देने वाले कुछ तैयारी कर के आते हैं. परीक्षा देने के दिनों में पहले से अगर प्रश्नपत्र लीक हो जाए तो भी ज्यादातर छात्रों को चिटें साथ ले जानी पड़ेंगी क्योंकि प्रश्न मालूम होने पर भी वे उत्तर याद नहीं रख पाएंगे. अगर प्रश्नपत्र परीक्षा हाल में ही मिले तो उसे पहले स्मगल कर के बाहर लाना और फिर उस के उत्तर परीक्षार्थी तक पहुंचाना खासा टेढ़ा काम है मगर इस में अब विशेषज्ञ तक उतर आए हैं. वे मोटी रकम ले कर यह करतूत करते हैं.

मैरिट की मांग की प्रतिष्ठा उस समय ही समाप्त हो जाती है जब पता चलता है कि परीक्षाओं में मैरिट का मूल्य तो बहुत कम है. पहली बात तो यह है कि जो पढ़ाया जा रहा है और उस पढ़ाई पर जो प्रश्न पूछे जा रहे हैं, वे असल में हैं किस काम के. हमारी शिक्षा व परीक्षा प्रणाली आज भी बेहद दकियानूसी, अंधविश्वासी लकीर की फकीर है. आधुनिकीकरण के नाम पर हाल के दशकों में जो किया गया है वह शिक्षा और परीक्षा को कठिन बनाने के लिए षड्यंत्र के रूप में किया गया है ताकि पहली, दूसरी पीढ़ी के साधारण घरों के बच्चे उसे समझ ही न पाएं और कम पढ़े मातापिताओं के बच्चे शिक्षा परीक्षा छोड़ कर छोटीमोटी नौकरियां ही करते रहें.परीक्षाओं में धांधलियां होती ही इसलिए हैं कि जो पूछा जाता है वह इतना क्लिष्ट व अव्यावहारिक होता कि साधारण छात्र उसे हल कर ही नहीं सकते और इसलिए परीक्षाएं नकल के कारण निरर्थक हो गई हैं. यह स्थिति सुधरने वाली नहीं है. शिक्षा का  व्यावसायीकरण इस तरह हो गया है कि परीक्षा में अच्छे अंक पाने वालों को तो सिर्फ कोचिंग कक्षाओं वाले हार पहनाते हैं ताकि उन के बहाने नए छात्रों को आकर्षित किया जा सके.ऐसे माहौल में आरक्षण विरोधियों की मैरिट की मांग का क्या अर्थ रह जाता है. परीक्षाएं तो जुआ या पहुंच वालों के लिए बैरियर हैं, मेधावी युवाओं का चयन करने का काम तो बस अनायास हो जाता है. 

इंग्लैंड के इस क्रिकेटर को वेस्टइंडीज से मांगनी पड़ी माफ़ी

वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों को दिमाग से पैदल कहने वाले इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर मार्क निकोलस ने आज वेस्टइंडीज के कप्तान डेरेन सैमी और उनके खिलाडियों से अपने इस बयान के लिए बिना शर्त माफी मांगी है. बता दे की वर्ल्ड टी20 में फाइनल मुकाबले से पहले नाराज और भावुक सैमी ने इस बयान के बारे में उल्लेख भी किया था. और खिताबी मुकाबले में इंग्लैंड को हराकर वेस्टइंडीज टीम ने निकोलस को करारा जवाब दिया है.

इसके बाद निकोलस ने अपने बचाव में सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने वेस्टइंडीज को ‘बिना दिगाम वाला' नहीं कहा था जैसा कि समझा गया लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ ऐसा लिखा जो खेल के लायक नहीं था और शानदार क्रिकेट विरासत का अपमान था. निकोलस ने अपने कालम में लिखा, मैं डेरेन सैमी से माफी मांगता हूं, ऐसा व्यक्ति जिसका मैं काफी सम्मान करता हूं.

दो जासूस और अनोखा रहस्य- भाग 1 और 2

‘’साहिल, उठो, आज सोते ही रहोगे क्या ’’

अनीता की आवाज सुन कर साहिल उनींदा सा बोला, ‘‘क्या मां, तुम भी न, आज छुट्टियों का पहला दिन है. आज तो चैन से सोने दो.’’

‘‘ठीक है, सोते रहो, मैं तो इसलिए उठा रही थी कि फैजल तुम से मिलने आया था. चलो, कोई बात नहीं, उसे वापस भेज देती हूं.’’ फैजल का नाम सुनते ही साहिल झटके से उठा, ‘‘फैजल आया है  इतनी सुबहसुबह, जरूर कोई खास बात है. मैं देखता हूं,’’ वह उठा और दौड़ता हुआ बाहर के कमरे में पहुंच गया.

‘‘क्या बात है, फैजल, कोई केस आ गया क्या ’’

‘‘अरे भाई, केस से भी ज्यादा धांसू बात है मेरे पास,’’ हाथ में पकड़ी चिट्ठी को लहराते हुए फैजल बोला, ‘‘देखो, अनवर मामूजान का लैटर आया है, वही जो रामगढ़ में रहते हैं. उन्होंने छुट्टियां बिताने के लिए हम दोनों को वहां बुलाया है. बोलो, चलोगे ’’

‘‘नेकी और पूछपूछ  यह भी कोई मना करने वाली बात है भला. वैसे भी अगर हम ने मना किया, तो मामू का दिल टूट जाएगा न,’’ कहतेकहते साहिल ने ऐसी शक्ल बनाई कि फैजल की हंसी छूट गई.

‘‘अच्छा, जाना कब है  तैयारी भी तो करनी होगी न ’’ साहिल ने पूछा.

‘‘चार दिन बाद मामू के एक दोस्त अब्बू की दुकान से कपड़ा लेने यहां आ रहे हैं. 2 दिन वे यहां रुकेंगे और वापसी में हमें अपने साथ लेते जाएंगे,’’ फैजल ने बताया.

‘‘हुर्रे…’’ साहिल जोर से चिल्लाया, ‘‘कितना सुंदर है पूरा रामगढ़. वहां नदी में मछलियां पकड़ना और स्विमिंग करना, सारा दिन गलियों में मटरगश्ती करना, मामू की खुली गाड़ी में खेतों के बीच घूमना और सब से बढ़ कर मामी के बनाए स्वादिष्ठ व्यंजन खाना. इस बार तो छुट्टियों का मजा आ जाएगा.’’

साहिल और फैजल दोनों बचपन के दोस्त थे. दिल्ली के मौडल टाउन इलाके में वे दादादादी के समय से बिलकुल साथसाथ वाली कोठियों में दोनों परिवार रहते आ रहे थे. दोस्ती की यह गांठ तीसरी पीढ़ी तक आतेआते और मजबूत हो गई थी. दोनों को एकदूसरे के बिना पलभर भी चैन नहीं आता था. लगभग एक ही उम्र के, एक ही स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ते थे दोनों. साहिल एकदम गोराचिट्टा और थोड़ा भारी बदन का था. उस की गहरी, काली आंखें और सपाट बाल उस के अंडाकार चेहरे पर खूब फबते थे. ऊपर से वह चौकोर फ्रेम का मोटे शीशे वाला चश्मा पहनता था जो उस की पर्सनैलिटी में चार चांद लगा देता था.

दूसरी तरफ फैजल एकदम दुबलापतला था और उस के गाल अंदर पिचके हुए थे. उस के घुंघराले ब्राउन बाल थे और आंखें गहरी नीली. सांवला रंग होने के बावजूद उस के चेहरे में ऐसी कशिश थी कि देखने वाला देखता ही रह जाता था.

दोनों को बचपन से ही जासूसी का बड़ा शौक था. दोनों का एक ही सपना था कि बड़े हो कर उन्हें स्मार्ट और जीनियस जासूस बनना है इसीलिए हर छोटीबड़ी बात को बारीकी से देखना उन की आदत बन गई थी. एक बार पड़ोस के घर से कुछ सामान चोरी हो जाने पर दोनों ने खेलखेल में जासूस बन कर चोरी की तहकीकात कर कुछ ही घंटे में जब घर के माली को सुबूतों सहित चोर साबित कर दिया था, तोे सब हैरान रह गए थे. घर वालोें के साथसाथ पुलिस इंस्पैक्टर आलोक जो उस केस पर काम कर रहे थे, ने भी उन की बड़ी तारीफ की थी. फिर तो छोटेमोटे केसों के लिए इंस्पैक्टर उन्हें बुला कर सलाह भी लेने लगे थे.

साहिल के घर के पिछवाड़े एक छोटा सा कमरा था जिसे उन्होंने अपनी वर्कशौप बना लिया था. एक आधुनिक कंप्यूटर में अपराधियों की पहचान करने से संबंधित कई सौफ्टवेयर उन्होंने डाल रखे थे, जो केसों को सौल्व करने में उन के काम आते थे.

कंप्यूटर के अलावा उन के पास स्पाई कैमरे, नाइट विजन ग्लासेज, मैग्नीफाइंग ग्लास, स्पाई पैन, पावरफुल लैंस वाली दूरबीन और लेटैस्ट मौडल के मोबाइल भी थे जो समयसमय पर उन के काम आते थे. उन के जासूसी के शौक को देखते हुए साहिल के बैंक मैनेजर पिता ने बचपन से ही उन्हें कराटे की ट्रेनिंग दिलवानी शुरू कर दी थी और 8वीं क्लास तक आतेआते दोनों ब्लैक बैल्ट हासिल कर चुके थे.

अनवर मामूजान के यहां वे दोनों पहले भी एक बार जा चुके थे और दोनों को वहां बड़ा मजा आया था. सो इस बार भी वे वहां जाने के लिए बड़े उत्साहित थे. सोमवार की सुबह खुशीखुशी घर वालों से विदा ले कर दोनों गाड़ी में बैठे व रामगढ़ के लिए रवाना हो गए.

जब वे रामगढ़ पहुंचे तो उस समय शाम के 4 बज रहे थे. हौर्न की आवाज सुनते ही उन के मामूजान अनवर और मामी सकीना अपने दोनों बच्चों जुनैद और जोया के साथ गेट पर आ खड़े हुए. दोनों बच्चे दौड़ कर उन से लिपट गए, ‘‘भाईजान, आप हमारे लिए क्या गिफ्ट लाए हैं ’’ 9 साल की जोया ने पूछा.

‘‘आप अपने वे जादू वाले पैन और कैमरे लाए हैं कि नहीं  मैं ने आप को फोन कर के याद दिलाया था,’’ 11 साल का जुनैद अधीरता से बोला.

‘‘अरे भई, लाए हैं, सबकुछ लाए हैं, पहले घर के अंदर तो घुसने दो,’’ फैजल हंसते हुए बोला, ‘‘आदाब मामू, आदाब मामीजान.’’

‘‘अरे मामू, आप आज क्लिनिक नहीं गए ’’ अनवर मामू के पैर छूने को झुकता हुआ साहिल बोला.

‘‘नहीं, तुम दोनों के आने की खुशी में जनाब क्लिनिक से छुट्टी ले कर घर में ही बैठे हैं,’’ मुसकराते हुए सकीना मामी बोलीं, ‘‘चलो, अंदर चल कर थोड़ा फ्रैश हो लो तुम लोग, फिर गरमागरम चायनाश्ते के साथ बैठ कर बातें करेंगे.’’

अनवर मामू का घर पूरी हवेली थी. वे फैजल की अम्मी सायरा के चचेरे भाई थे. रामगढ़ में उन की बहुत सी पुश्तैनी जमीनजायदाद और खेत वगैरा थे सो वे यहीं रह कर अपनी डाक्टरी की प्रैक्टिस करते थे.

अगले दिन सब लोगों ने खूब सैरसपाटा और मौजमस्ती की. दिनभर के थकेमांदे साहिल और फैजल घर आते ही सो गए. अगले दिन उन की आंख काफी देर से खुली. वे उठ कर ड्राइंगरूम में आए तो सकीना मामी दोनों बच्चों को नाश्ता करा रही थीं.

‘‘उठ गए तुम लोग, चलो, मुंहहाथ धो कर आ जाओ. तुम्हारा भी नाश्ता लगा देती हूं.’’

‘‘मामू, कहां हैं मामी  आज जल्दी क्लिनिक चले गए क्या ’’ उबासी लेते हुए फैजल ने पूछा.

‘‘अरे नहीं, सुबहसुबह एक फोन आया और उसे सुन कर बड़ी हड़बड़ी में बिना कुछ बताए चले गए, लेकिन अब तो उस बात को काफी देर हो गई. बस, आते ही होंगे.’’

‘‘अरे, तो आप ने पूछा नहीं कि कहां जा रहे हैं ’’

‘‘चिंता की कोई बात नहीं है साहिल, अकसर मरीजों के ऐसे फोन आते रहते हैं. किसी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई होगी, तो उस ने बुलाया होगा…’’ उन की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि अनवर मामा आते दिखाई दिए. उन के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थीं, वे काफी परेशान दिखाई दे रहे थे. आते ही वे धम्म से सोफे पर गिर पड़े.

‘‘क्या बात है अनवर, क्या हुआ ’’ सकीना ने घबरा कर उन से पूछा.

टेबल पर रखा पानी का गिलास उठा कर एक ही सांस में खाली करने के बाद अनवर बोले, ‘‘पुरानी कोठी वाले अजय का किसी ने कत्ल कर दिया है, मैं अभी वहीं से आ रहा हूं.’’

‘‘क्या…’’ सब के मुंह से एकसाथ निकला.

‘‘पुरानी कोठी  लेकिन पिछली बार जब हम आए थे तो वह खाली थी शायद, वहां कोई नहीं रहता था,’’ साहिल ने कुछ सोचते हुए पूछा.

‘‘हां, हम लोग उस के बाहर काफी देर घूमते भी रहे थे. मुझे अच्छी तरह याद है,’’ फैजल बोला.

‘‘तुम ठीक कह रहे हो फैजल. दरअसल, ये लोग यहां 2 साल पहले ही आए हैं. बस, मियांबीवी 2 लोग ही तो थे. दोनों अपनेआप में ही मगन रहते थे, किसी से ज्यादा मिलतेजुलते भी नहीं थे.’’

‘‘लेकिन कत्ल हुआ था, तो वे पुलिस को बुलाते. आप को क्यों बुलाया ’’ सकीना की हैरत अभी भी कम नहीं हो रही थी.

‘‘मुझे उन लोगों ने नहीं, पुलिस ने ही बुलाया था. वैसे तो लाश की हालत से ही साफ पता चल रहा था कि खून हुए कुछ घंटे बीत चुके हैं, लेकिन फिर भी फौर्मैंलिटी पूरी करने के लिए डाक्टरी सर्टिफिकेट की जरूरत होती है. मैं तो यह सोच कर हैरान हूं कि हमारे रामगढ़ में जहां सब लोग इतनी शांति और प्यार से रहते हैं, ऐसा काम कोई कैसे कर सकता है,’’ कहते हुए अनवर की आवाज से हैरानी साफ जाहिर हो रही थी.

उन की बातें सुन कर साहिल और फैजल की आंखों में एक अजीब सी चमक उभर आई. उन्होंने आंखों ही आंखों में एकदूसरे को इशारा किया और उठ कर अनवर मामूजान के पास आ कर बैठ गए. फैजल ने बोलना शुरू किया, ‘‘मामूजान, क्या हम भी आप के साथ वहां एक बार चल सकते हैं प्लीज  आप को तो पता ही है न कि हमें ऐसे केस सौल्व करने का कितना शौक है.’’

काफी देर नानुकर करने के बाद आखिर अनवर को उन की जिद के आगे हथियार डालने ही पड़े, ‘‘ठीक है, मैं अपने दोस्त पुलिस कमिश्नर से बात करता हूं. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ.’’

आधे घंटे बाद जब वे घर से निकले तो साहिल और फैजल के दिलोदिमाग में एक अजीब सा रोमांच था. गाड़ी रानी चौक के चौराहे से दाईं ओर मुड़ी तो फैजल चौंकते हुए बोला, ‘‘लेकिन मामू, पुरानी कोठी तो दूसरी तरफ है ’’

‘‘मर्डर उन के घर में नहीं, कहीं और हुआ है. अजय पिछले एक हफ्ते से लापता थे. पिछले मंगलवार को अजय की पत्नी यास्मिन ने थाने में रिपोर्ट लिखवाई थी और पुलिस उन्हें तलाश कर रही थी. आज सुबहसुबह 2-3 लोग राम बाजार के पीछे वाली गली से गुजर रहे थे. गली के आखिरी कोने पर एक अस्तबल है जो बरसों से खाली पड़ा है और जहां कभीकभार भिखारी या नशेड़ी आ कर डेरा जमा लेते हैं. उसी अस्तबल में उन्हें अजय की लाश पड़ी दिखाई दी. डरेसहमे उन लोगों ने तुरंत पुलिस को खबर की. यहां के थाना इंचार्ज इंस्पैक्टर राजेश इस केस को देख रहे हैं. सब से अजीब बात यह है कि मरतेमरते अजय एक संदेश भी छोड़ गए हैं.

आमतौर पर ऐसी स्थिति में मरने वाला खूनी का नाम लिखने की कोशिश करता है, पर अजय ने जो लिखा है वह तो किसी कोड जैसा लग रहा है. न जाने किस के लिए यह अजीब और गुप्त संदेश छोड़ा है अजय ने.’’

‘‘क्या संदेश है वह मामू ’’ दोनों ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘तुम खुद ही पहुंच कर देख लेना,’’ मामू ने कहा.

गाड़ी घटनास्थल की ओर बढ़ रही थी.

(क्रमश:)    

शादी से पहले जडेजा को ससुर ने गिफ्ट में दी 1 करोड़ की कार

टीम इंडिया के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा इसी महीने शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. ऐसे में उनके होने वाले सुसर ने उन्‍हें 1 करोड़ रुपये की कीमत वाली ऑडी क्यू-745 उपहार में दी है. इस दौरान जडेजा की मंगेतर भी उनके साथ ऑडी के शोरूम में मौजूद रहीं.

भारतीय टीम के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के ससुर हरदेव सिंह ने उन्‍हें एक शानदार उपहार दिया. राजकोट के बड़े बिजऩेसमैन हरदेव सिंह ने जडेजा और अपनी बेटी रिवाबा को 1 करोड़ रुपये की कीमत वाली ऑडी क्यू-745 तोहफे में दी. इस दौरान शोरूम में मंगेतर रिवाबा के साथ रवींद्र जडेजा काफी खुश नजर आ रहे थे.

ससुर हरदेव सिंह से तोहफा मिलने के बाद रवींद्र जडेजा ने अपने हंसने हंसाने वाले व्यवहार का परिचय दिया. जडेजा का कहना था ऐसे ससुर सबको मिले. वह अपनी ए-फोर मॉडल की ऑडी को बदलने के मूड में थे, लेकिन अच्‍छा हुआ की अब उन्‍हें ससुर जी की ओर से बेहतर मॉडल की गाड़ी मिल गई. जो होता है सब अच्‍छे के लिए ही होता है.

रवींद्र जडेजा की इसी महीने 17 तारीख को मंगेतर रिवाबा के साथ शादी होने वाली है. जिससे दोनो के परिवार शादी की तैयारियों में व्‍यस्‍त हैं. रवींद्र जडेजा की रीवाबा के साथ दो महीने पहले ही इंगेजमेंट हुई है. रीवाबा ने अभी हाल ही में आत्मीय इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इन दिनों वह दिल्ली में आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. वह और रवींद्र जडेजा काफी समय से एक दूसरे को जानते हैं.

गौरतलब है कि अभी रवींद्र जडेजा से पहले क्रकेटर युवराज सिंह ने मॉडल-अभिनेत्री हेजल कीच से सगाई रचाई है. सबसे खास बात तो यह है कि रिवाबा को क्रिकेट खेलना नहीं पसंद हैं. वह इसे समय की बर्बादी मानती हैं.

वकार युनूस ने पाकिस्तान के मुख्य कोच का पद छोड़ा

वकार युनूस ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के मुख्य कोच के पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उनकी सिफारिशों पर ध्यान नहीं दिया जिससे टीम आगे नहीं बढ़ सकी. शाहिद अफरीदी ने टी-20 वर्ल्ड कप में टीम के खराब प्रदर्शन के कारण कप्तानी छोड़ दी थी. पाकिस्तान ग्रुप चरण में सिर्फ एक मैच जीत सका.

वकार ने कहा कि मैं भारी मन से अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं. मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि बोर्ड ने 2015 वर्ल्ड कप के बाद मेरी सिफारिशों को संजीदगी से नहीं लिया. दो साल पहले दूसरी बार कोच बने वकार ने कहा था कि वह खलनायक बनकर विदा नहीं लेना चाहते. वह पहले 2010-11 में कोच थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को उनकी सिफारिशों पर अमल करना चाहिए. वकार के करार के अभी तीन महीने बाकी थे.

उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि मेरी सिफारिशों पर अमल हो. मैंने 2015 में जब सिफारिशें दी थी, तब उन पर अमल नहीं किया गया. उनकी रिपोर्ट का एक हिस्सा मीडिया को लीक हो गया. उन्होंने चयन प्रक्रिया में उन्हें शामिल नहीं करने के पीसीबी के फैसले की आलोचना की थी और अफरीदी की कप्तानी पर भी सवाल उठाए थे.

उन्होंने कहा कि हम न्यूजीलैंड से हारे, एशिया कप और टी20 वर्ल्ड कप भी खराब कप्तानी के कारण हारे. मैंने कई बार कहा है कि शाहिद अफरीदी बल्ले, गेंद से या बतौर कप्तान कोई योगदान नहीं दे पा रहे लेकिन मेरी किसी ने नहीं सुनी.

पीसीबी वकार के विकल्प की तलाश कर रही है लेकिन एक सूत्र ने बताया कि नए कोच के चयन के लिए उचित प्रक्रिया अपनाई जाएगी क्योंकि अब पाकिस्तानी टीम को सीधे जुलाई में इंग्लैंड का दौरा करना है. अधिकारी ने कहा कि इस बार कोई जल्दी नहीं है. हम पूरा समय लेकर फैसला लेंगे. पद के लिए विज्ञापन दिया जाएगा ताकि विदेशी और देशी उम्मीदवार आवेदन भेज सकें.

फैशन में कर दे बड़े बड़ों को मात

अगर आपको लगता है आप को  फैशन  की बहुत समझ है और आप इस मामले में बहुत आगे हैं तो जरा संभल जाइए क्योंकि आपको कॉम्पिटिशन देने के लिए आ गयी हैं मात्र दो साल की दो बच्चियां एवरलेह स्टाउस और अवा फौली. इन नन्हीं फैशंनिस्ता को देख कर आप भी दांतों तले  उंगलिया दबा लेंगे क्योंकि इनका स्टाइल कुछ है ही इतना खास.

2 वर्ष की  उम्र में ही इन बच्चियों ने फैशन और स्टाइल के मामले में  सबको पीछे छोड़ दिया है. ये दोनों बच्चियां बेस्ट फ्रेंड्स हैं और इंस्टाग्राम पर 'बेस्ट ड्रेस्ड किड्स' का ख़िताब भी हासिल कर चुकी हैं. इन दोनों बच्चियों की माएं सवाना स्टाउस और मिशेल फौले भी आपस में पक्की सहेलियां हैं और वो दोनों भी काफी फैशनेबल हैं. शायद यहीं वजह है कि इन बच्चियों में भी फैशन के गुण बचपन से ही दिख रहे हैं.

इनकी क्यूट तस्वीरों के कारण कई बड़े ब्रांड की तरफ से मौडलिंग  के ऑफर आ रहे हैं. इन ब्रांड में 'गेस्स' और 'कार्देशिएन किड्स कलेक्शन' भी शामिल हैं. इन  बच्चियों पर सब जंचता  है और इनकी मासूमियत उसमें चार चांद लगा देती है.

रैंप पर ‘मौम टू बी’

समय के साथ साथ पुराने रीतिरिवाज नये फैशनेबल रंग में नजर आने लगे है. मां बनना हर औरत के लिये बडी खुशी का मौका होता है. गर्भावस्था के दौरान उसमें तमाम तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते है. गर्भावस्था के हर पल की खुशियों को जीवन भर समेट कर रखना चाहती है. गर्भावस्था के 8वें माह में गोद भराई की रस्म बहुत पहले से होती है. इसमें नाते रिश्तेदार एक जगह आकर होने वाली मां को ढेर सारी खुशियां और उपहार देते है.

नये ट्रेंड में यह बदलने लगा है. अब गोद भराई की जगह ‘बेबी शावर’ पार्टी का आयोजन होने लगा है. यह पूरी तरह से गोदभराई से अलग होता है. इसमें होने वाली मां के करीबी दोस्त और रिश्तेदार एक जगह एकत्र होकर फैशनलेबल अंदाज में ‘मौम टू बी’ का स्वागत करते है. पार्टी में आये हुये लोगों के मनोरंजन के लिये तरह तरह के गेम्स खेले जाते है.

होने वाली मां सहित पार्टी में आई दूसरी मां रैंप शो भी करती है. जहां पर वह किसी प्रोफेशनल मौडल की तरह कैटवाक करती है. लखनऊ की रहने वाली नम्रता मदन ने इसी तरह की पार्टी का आयोजन इसेंस लाउंज में किया. इसमें नम्रता के साथ उनकी सहेलियों ने भी रैंप पर चल कर दिखाया. खुद नम्रता ने जिस तरह से रैंप पर कैटवाक किया उसे देखकर यह नही कहा जा सकता कि वह जल्द ही बच्चे की मां बनने वाली है.

नम्रता मदन ने बताया कि ‘बेबी शावर पार्टी’ का आयोजन अब तेजी से होने लगा है. इससे होने वाली मां को जहां बहुत सारी खुशियां मिलती है वहीं वह एक्टिव भी रहती है. वह अपने दोस्तों के बीच बच्चों वाले गेम्स खेलती है. वह अपने बचपन का अनुभव करते अपने पेट में पल रहे बच्चे की खुशी को भी अनुभव करती है. अब फैशन का ट्रेंड बदल गया है.

पहले गर्भावस्था में पहनने के लिये डिजाइनर ड्रेस नहीं होती थी. जिससे एक ही तरह की ढीली डीली पोशाक पहननी पडती थी. महिलायें अपने को छिपाकर रखने की कोशिश करती थी. अब हर तरह की फैशनेबल ड्रेस बाजार में मिलने लगी है. इनको गर्भावस्था के दौरान पहना जा सकता है.

अब ‘बेबी शावर पार्टी’ के दौरान होने वाली मां भी दूसरे लोगों की तरह खुद का दिखा सकती है. गोद भराई की रस्म की जगह ‘बेबी शावर पार्टी’ का आयोजन बडे शहरों से होते हुये छोटे शहरों तक भी पहुंच गया है. नये ट्रेड से पुरानी परंपराओं को नई उर्जा मिल रही है. नई पीढी पूरे उत्साह के साथ इस बदलाव का स्वागत कर रही है. प्रसव के दौरान महिलाओं की मानसिक और शारीरिक बदलावों को महसूस वाली डाक्टर सुनीता चन्द्रा कहती है ‘प्रसव के दौरान कई तरह के दौरान तनाव हावी हो जाते है. ऐसे आयोजन से उन तनाव को दूर करने में मदद मिलती है’  

आत्महत्या के ख्याल को ऐसे करें दूर

आत्महत्या! यह शब्द अपनेआपमें आतंक पैदा करने वाला है. प्रत्युषा बनर्जी की असामयिक मौत निसंदेह बड़ी दुखद है. आखिर क्यों होती है आत्महत्या की घटनाएं  कोलकाता की जानीमानी मनोचिकित्सक प्रथमा चौधुरी कहती हैं कि किसी-किसी इंसान में आत्महत्या की प्रवृति होती है. ऐसे लोग बार-बार आत्महत्या की कोशिश करते हैं. किसी कमजोर पल में जीवन से वितृष्णा का एहसास हो सकता है और तब मन में आत्महत्या का ख्याल भी आ सकता है. तब वे ये नहीं सोचते कि उनके इस फैसले से उनके करीबी परिजनों पर क्या-कुछ गुजरेगी!

आत्महत्या को रोकने के सिलसिले प्रथमा चौधुरी निम्न सुझाव दे रही हैं:

·       अगर किसी के मन में ऐसा ख्याल आए तो उसे तुरंत मनोचिकित्सक की सलाह लेना चाहिए.

·       जीवन के प्रति जब कभी वितृष्णा या निराशा महसूस हो तो सबसे पहले एक ‘सेफ्टी प्लान’ तैयार कर लेना बहुत जरूरी है. जिनको शरीर में हमेशा क्रोनिक पेन की शिकायत रहती है, ऐसे कुछ लोगों में कभी-कभी आत्महत्या की प्रवृति को हावी होते पाया गया है. इसीलिए शरीर का किसी भी हिस्से में अक्सर दर्द रहता है तो उसका इलाज करवाना चाहिए

·       करीबी परिजनों और मित्रों से दिल की बात करके मन को हल्का कर लेना चाहिए. अपनी दुविधा को शेयर करना चाहिए. हो सकता है वह आपके लिए मदद साबित हो. किसी कठिन परिस्थिति से बाहर निकलने में सहायक हो.

·       जहां तक संभव हो अकेले रहने से बचना चाहिए. किसी भरोसेमंद मित्र या करीबी परिजन के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारना चाहिए.

·       परिजनों को भी चाहिए कि जब कभी इस बात का एहसास हो कि उनके परिवार का कोई सदस्य मन से कमजोर पड़ रहा है, निराशा से घिरा है, गहरी उदासी में है तो उसे भरसक कोशिश करके अकेला न छोड़े.

·       जब कभी दिल में कोई ‘बुरा’ ख्याल आए तो सबसे पहले आंखों को बंद करें और एक लंबी सांस लें. काफी बेहतर महसूस होगा. दिल और दिमाग दोनों शांत होगा.

·       कभी-कभी घर में कुछ समान मसलन; पुराने बोतल, कबाड़ से भरा कोना, कुछ कपड़े या ड्रेसेज, कोई बेडशीट- जिन पर नजर पड़ने पर मन दुखी हो जाता है, कभी-कभी डिप्रेशन-सा महसूस होता है; ऐसी हर चीज से पीछा छुड़ा लें. घर की सफाई कर लें. कबाड़ घर से बाहर निकल दें.

·       इसके अलावा आजकल तो औनलाइन बहुत सारे स्पोर्ट ग्रुप हैं. इन ग्रुप से बात करने पर मन हल्का होता है.

मन खराब हो तो अपने आपको हर वक्त किसी-न‍-किसी काम में व्यस्त रखना चाहिए. खासतौर पर रचनात्मक कामों में. रचनात्मक काम मानसिक तनाव या अवसाद को भुलाने में बहुत मददगार साबित  होता है.

बदले की भावना का भयावह रूप

‘बदले की भावना में इंसान अंधा हो जाता है’ पुराने समय की यह कहावत आज की दुनिया में पूरी तरह से फिट बैठती है. इंसानी बदले की भावना का कुछ ऐसा ही भयानक रूप रांची के लापुंग थाना क्षेत्र में देखने को मिला जिसकी कल्पना मात्र से किसी की भी रूह कांप जाए. बदले की आग में जल रहे एक प्रेमी बहुरण लोहरा ने शनिवार को पहले सात साल की बच्ची के साथ हैवानियत दिखायी, फिर पीट-पीट कर उसकी हत्या दी.

ये सब उसने सिर्फ इसलिए किया, क्योंकि बच्ची के पिता की चचेरी बहन से वो बेइंतहा प्यार करता था और उससे शादी करना चाह रहा था. लेकिन  एक साल पहले लड़की के घर वाले ने उसकी शादी दूसरी जगह कर दी थी. उसी समय से बहुरण लोहरा  मौके की ताक में था और  बच्ची के पिता करमू महतो से दुश्मनी का बदला लेना चाहता था. शनिवार को जब करमू  महतो की बच्ची स्कूल से घर लौटी, तो उसे साइकिल चलाने के लिए सिखाने के बहाने उसे घर से दूर ले गयाऔर  उसके साथ दुर्व्यवहार की कोशिश करने लगा लेकिन  बच्ची  द्वारा  विरोध करने पर उसने बच्ची की पीट-पीट कर हत्या कर दी.

मामले का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने बहुरण को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की. पूछताछ में उसने सारी बात बतायी और यह भी बताया कि उसने बच्ची की हत्या कर एक कुएं में फेक दिया है. देर रात पुलिस ने शव को कुएं से बरामद किया और रविवार को शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज गया. बच्ची की हत्या से पहले उसके साथ दुष्कर्म हुआ या नहीं, इस बात की पुष्टि के लिए पुलिस मेडिकल रिपोर्ट आने का इंतजार कर रही है. पुलिस के अनुसार आरोपी बच्ची के  पड़ोस में ही रहनेवाला है. 

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