‘’साहिल, उठो, आज सोते ही रहोगे क्या ’’

अनीता की आवाज सुन कर साहिल उनींदा सा बोला, ‘‘क्या मां, तुम भी न, आज छुट्टियों का पहला दिन है. आज तो चैन से सोने दो.’’

‘‘ठीक है, सोते रहो, मैं तो इसलिए उठा रही थी कि फैजल तुम से मिलने आया था. चलो, कोई बात नहीं, उसे वापस भेज देती हूं.’’ फैजल का नाम सुनते ही साहिल झटके से उठा, ‘‘फैजल आया है  इतनी सुबहसुबह, जरूर कोई खास बात है. मैं देखता हूं,’’ वह उठा और दौड़ता हुआ बाहर के कमरे में पहुंच गया.

‘‘क्या बात है, फैजल, कोई केस आ गया क्या ’’

‘‘अरे भाई, केस से भी ज्यादा धांसू बात है मेरे पास,’’ हाथ में पकड़ी चिट्ठी को लहराते हुए फैजल बोला, ‘‘देखो, अनवर मामूजान का लैटर आया है, वही जो रामगढ़ में रहते हैं. उन्होंने छुट्टियां बिताने के लिए हम दोनों को वहां बुलाया है. बोलो, चलोगे ’’

‘‘नेकी और पूछपूछ  यह भी कोई मना करने वाली बात है भला. वैसे भी अगर हम ने मना किया, तो मामू का दिल टूट जाएगा न,’’ कहतेकहते साहिल ने ऐसी शक्ल बनाई कि फैजल की हंसी छूट गई.

‘‘अच्छा, जाना कब है  तैयारी भी तो करनी होगी न ’’ साहिल ने पूछा.

‘‘चार दिन बाद मामू के एक दोस्त अब्बू की दुकान से कपड़ा लेने यहां आ रहे हैं. 2 दिन वे यहां रुकेंगे और वापसी में हमें अपने साथ लेते जाएंगे,’’ फैजल ने बताया.

‘‘हुर्रे…’’ साहिल जोर से चिल्लाया, ‘‘कितना सुंदर है पूरा रामगढ़. वहां नदी में मछलियां पकड़ना और स्विमिंग करना, सारा दिन गलियों में मटरगश्ती करना, मामू की खुली गाड़ी में खेतों के बीच घूमना और सब से बढ़ कर मामी के बनाए स्वादिष्ठ व्यंजन खाना. इस बार तो छुट्टियों का मजा आ जाएगा.’’

साहिल और फैजल दोनों बचपन के दोस्त थे. दिल्ली के मौडल टाउन इलाके में वे दादादादी के समय से बिलकुल साथसाथ वाली कोठियों में दोनों परिवार रहते आ रहे थे. दोस्ती की यह गांठ तीसरी पीढ़ी तक आतेआते और मजबूत हो गई थी. दोनों को एकदूसरे के बिना पलभर भी चैन नहीं आता था. लगभग एक ही उम्र के, एक ही स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ते थे दोनों. साहिल एकदम गोराचिट्टा और थोड़ा भारी बदन का था. उस की गहरी, काली आंखें और सपाट बाल उस के अंडाकार चेहरे पर खूब फबते थे. ऊपर से वह चौकोर फ्रेम का मोटे शीशे वाला चश्मा पहनता था जो उस की पर्सनैलिटी में चार चांद लगा देता था.

दूसरी तरफ फैजल एकदम दुबलापतला था और उस के गाल अंदर पिचके हुए थे. उस के घुंघराले ब्राउन बाल थे और आंखें गहरी नीली. सांवला रंग होने के बावजूद उस के चेहरे में ऐसी कशिश थी कि देखने वाला देखता ही रह जाता था.

दोनों को बचपन से ही जासूसी का बड़ा शौक था. दोनों का एक ही सपना था कि बड़े हो कर उन्हें स्मार्ट और जीनियस जासूस बनना है इसीलिए हर छोटीबड़ी बात को बारीकी से देखना उन की आदत बन गई थी. एक बार पड़ोस के घर से कुछ सामान चोरी हो जाने पर दोनों ने खेलखेल में जासूस बन कर चोरी की तहकीकात कर कुछ ही घंटे में जब घर के माली को सुबूतों सहित चोर साबित कर दिया था, तोे सब हैरान रह गए थे. घर वालोें के साथसाथ पुलिस इंस्पैक्टर आलोक जो उस केस पर काम कर रहे थे, ने भी उन की बड़ी तारीफ की थी. फिर तो छोटेमोटे केसों के लिए इंस्पैक्टर उन्हें बुला कर सलाह भी लेने लगे थे.

साहिल के घर के पिछवाड़े एक छोटा सा कमरा था जिसे उन्होंने अपनी वर्कशौप बना लिया था. एक आधुनिक कंप्यूटर में अपराधियों की पहचान करने से संबंधित कई सौफ्टवेयर उन्होंने डाल रखे थे, जो केसों को सौल्व करने में उन के काम आते थे.

कंप्यूटर के अलावा उन के पास स्पाई कैमरे, नाइट विजन ग्लासेज, मैग्नीफाइंग ग्लास, स्पाई पैन, पावरफुल लैंस वाली दूरबीन और लेटैस्ट मौडल के मोबाइल भी थे जो समयसमय पर उन के काम आते थे. उन के जासूसी के शौक को देखते हुए साहिल के बैंक मैनेजर पिता ने बचपन से ही उन्हें कराटे की ट्रेनिंग दिलवानी शुरू कर दी थी और 8वीं क्लास तक आतेआते दोनों ब्लैक बैल्ट हासिल कर चुके थे.

अनवर मामूजान के यहां वे दोनों पहले भी एक बार जा चुके थे और दोनों को वहां बड़ा मजा आया था. सो इस बार भी वे वहां जाने के लिए बड़े उत्साहित थे. सोमवार की सुबह खुशीखुशी घर वालों से विदा ले कर दोनों गाड़ी में बैठे व रामगढ़ के लिए रवाना हो गए.

जब वे रामगढ़ पहुंचे तो उस समय शाम के 4 बज रहे थे. हौर्न की आवाज सुनते ही उन के मामूजान अनवर और मामी सकीना अपने दोनों बच्चों जुनैद और जोया के साथ गेट पर आ खड़े हुए. दोनों बच्चे दौड़ कर उन से लिपट गए, ‘‘भाईजान, आप हमारे लिए क्या गिफ्ट लाए हैं ’’ 9 साल की जोया ने पूछा.

‘‘आप अपने वे जादू वाले पैन और कैमरे लाए हैं कि नहीं  मैं ने आप को फोन कर के याद दिलाया था,’’ 11 साल का जुनैद अधीरता से बोला.

‘‘अरे भई, लाए हैं, सबकुछ लाए हैं, पहले घर के अंदर तो घुसने दो,’’ फैजल हंसते हुए बोला, ‘‘आदाब मामू, आदाब मामीजान.’’

‘‘अरे मामू, आप आज क्लिनिक नहीं गए ’’ अनवर मामू के पैर छूने को झुकता हुआ साहिल बोला.

‘‘नहीं, तुम दोनों के आने की खुशी में जनाब क्लिनिक से छुट्टी ले कर घर में ही बैठे हैं,’’ मुसकराते हुए सकीना मामी बोलीं, ‘‘चलो, अंदर चल कर थोड़ा फ्रैश हो लो तुम लोग, फिर गरमागरम चायनाश्ते के साथ बैठ कर बातें करेंगे.’’

अनवर मामू का घर पूरी हवेली थी. वे फैजल की अम्मी सायरा के चचेरे भाई थे. रामगढ़ में उन की बहुत सी पुश्तैनी जमीनजायदाद और खेत वगैरा थे सो वे यहीं रह कर अपनी डाक्टरी की प्रैक्टिस करते थे.

अगले दिन सब लोगों ने खूब सैरसपाटा और मौजमस्ती की. दिनभर के थकेमांदे साहिल और फैजल घर आते ही सो गए. अगले दिन उन की आंख काफी देर से खुली. वे उठ कर ड्राइंगरूम में आए तो सकीना मामी दोनों बच्चों को नाश्ता करा रही थीं.

‘‘उठ गए तुम लोग, चलो, मुंहहाथ धो कर आ जाओ. तुम्हारा भी नाश्ता लगा देती हूं.’’

‘‘मामू, कहां हैं मामी  आज जल्दी क्लिनिक चले गए क्या ’’ उबासी लेते हुए फैजल ने पूछा.

‘‘अरे नहीं, सुबहसुबह एक फोन आया और उसे सुन कर बड़ी हड़बड़ी में बिना कुछ बताए चले गए, लेकिन अब तो उस बात को काफी देर हो गई. बस, आते ही होंगे.’’

‘‘अरे, तो आप ने पूछा नहीं कि कहां जा रहे हैं ’’

‘‘चिंता की कोई बात नहीं है साहिल, अकसर मरीजों के ऐसे फोन आते रहते हैं. किसी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई होगी, तो उस ने बुलाया होगा…’’ उन की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि अनवर मामा आते दिखाई दिए. उन के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थीं, वे काफी परेशान दिखाई दे रहे थे. आते ही वे धम्म से सोफे पर गिर पड़े.

‘‘क्या बात है अनवर, क्या हुआ ’’ सकीना ने घबरा कर उन से पूछा.

टेबल पर रखा पानी का गिलास उठा कर एक ही सांस में खाली करने के बाद अनवर बोले, ‘‘पुरानी कोठी वाले अजय का किसी ने कत्ल कर दिया है, मैं अभी वहीं से आ रहा हूं.’’

‘‘क्या…’’ सब के मुंह से एकसाथ निकला.

‘‘पुरानी कोठी  लेकिन पिछली बार जब हम आए थे तो वह खाली थी शायद, वहां कोई नहीं रहता था,’’ साहिल ने कुछ सोचते हुए पूछा.

‘‘हां, हम लोग उस के बाहर काफी देर घूमते भी रहे थे. मुझे अच्छी तरह याद है,’’ फैजल बोला.

‘‘तुम ठीक कह रहे हो फैजल. दरअसल, ये लोग यहां 2 साल पहले ही आए हैं. बस, मियांबीवी 2 लोग ही तो थे. दोनों अपनेआप में ही मगन रहते थे, किसी से ज्यादा मिलतेजुलते भी नहीं थे.’’

‘‘लेकिन कत्ल हुआ था, तो वे पुलिस को बुलाते. आप को क्यों बुलाया ’’ सकीना की हैरत अभी भी कम नहीं हो रही थी.

‘‘मुझे उन लोगों ने नहीं, पुलिस ने ही बुलाया था. वैसे तो लाश की हालत से ही साफ पता चल रहा था कि खून हुए कुछ घंटे बीत चुके हैं, लेकिन फिर भी फौर्मैंलिटी पूरी करने के लिए डाक्टरी सर्टिफिकेट की जरूरत होती है. मैं तो यह सोच कर हैरान हूं कि हमारे रामगढ़ में जहां सब लोग इतनी शांति और प्यार से रहते हैं, ऐसा काम कोई कैसे कर सकता है,’’ कहते हुए अनवर की आवाज से हैरानी साफ जाहिर हो रही थी.

उन की बातें सुन कर साहिल और फैजल की आंखों में एक अजीब सी चमक उभर आई. उन्होंने आंखों ही आंखों में एकदूसरे को इशारा किया और उठ कर अनवर मामूजान के पास आ कर बैठ गए. फैजल ने बोलना शुरू किया, ‘‘मामूजान, क्या हम भी आप के साथ वहां एक बार चल सकते हैं प्लीज  आप को तो पता ही है न कि हमें ऐसे केस सौल्व करने का कितना शौक है.’’

काफी देर नानुकर करने के बाद आखिर अनवर को उन की जिद के आगे हथियार डालने ही पड़े, ‘‘ठीक है, मैं अपने दोस्त पुलिस कमिश्नर से बात करता हूं. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ.’’

आधे घंटे बाद जब वे घर से निकले तो साहिल और फैजल के दिलोदिमाग में एक अजीब सा रोमांच था. गाड़ी रानी चौक के चौराहे से दाईं ओर मुड़ी तो फैजल चौंकते हुए बोला, ‘‘लेकिन मामू, पुरानी कोठी तो दूसरी तरफ है ’’

‘‘मर्डर उन के घर में नहीं, कहीं और हुआ है. अजय पिछले एक हफ्ते से लापता थे. पिछले मंगलवार को अजय की पत्नी यास्मिन ने थाने में रिपोर्ट लिखवाई थी और पुलिस उन्हें तलाश कर रही थी. आज सुबहसुबह 2-3 लोग राम बाजार के पीछे वाली गली से गुजर रहे थे. गली के आखिरी कोने पर एक अस्तबल है जो बरसों से खाली पड़ा है और जहां कभीकभार भिखारी या नशेड़ी आ कर डेरा जमा लेते हैं. उसी अस्तबल में उन्हें अजय की लाश पड़ी दिखाई दी. डरेसहमे उन लोगों ने तुरंत पुलिस को खबर की. यहां के थाना इंचार्ज इंस्पैक्टर राजेश इस केस को देख रहे हैं. सब से अजीब बात यह है कि मरतेमरते अजय एक संदेश भी छोड़ गए हैं.

आमतौर पर ऐसी स्थिति में मरने वाला खूनी का नाम लिखने की कोशिश करता है, पर अजय ने जो लिखा है वह तो किसी कोड जैसा लग रहा है. न जाने किस के लिए यह अजीब और गुप्त संदेश छोड़ा है अजय ने.’’

‘‘क्या संदेश है वह मामू ’’ दोनों ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘तुम खुद ही पहुंच कर देख लेना,’’ मामू ने कहा.

गाड़ी घटनास्थल की ओर बढ़ रही थी.

(क्रमश:)    

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