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मैं 12वीं तक पढ़ाई कर के नेता बनना चाहता हूं. इस के लिए मैं और क्या करूं.

सवाल

मैं 20 साल का हूं और 5वीं जमात तक पढ़ा हूं. मेरा भाई 15 साल का है और 8वीं जमात तक पढ़ा है. मेरी 2 बहनों की शादी हो चुकी है और तीसरी बहन की शादी होने वाली है. हमारे पिताजी गुजर चुके हैं. मां हमारे साथ हैं. हम दोनों भाई मुंबई के एक कारखाने में काम करते हैं. बहन की शादी के बाद मैं 12वीं जमात तक की पढ़ाई कर के विकासवादी नेता बनना चाहता हूं. इस के लिए मैं और क्या करूं?

जवाब

पढ़ाई करना अच्छी बात है. आप काम के साथसाथ 10वीं व 12वीं जमात की पढ़ाई कर सकते हैं. आप प्राइवेट तालीम हासिल कर सकते हैं. आप ओपन स्कूल से तालीम ले सकते हैं. जहां तक नेता बनने की बात है, तो यह उतना आसान व कारगर नहीं है.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

आईपीएल में हुआ बड़ा बदलाव, अब दर्शक होंगे अंपायर

इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल हर बार कुछ अलग-अगल रंगों से लबरेज होता है. इस बार आईपीएल-9 में दर्शकों को भी अंपायर की भूमिका निभाने का मौका मिल सकेगा. लेकिन दर्शक इस भूमिका का निर्वाह स्टेडियम में बैठे-बैठे ही कर सकेंगे. इसके लिए उनके मैदान पर आने की जरूरत नहीं होगी.

आईपीएल के नौंवे सीजन में इस बार मैदान में मौजूद दर्शकों को भी थर्ड अंपायर को रैफर किए गए फैसले पर अपनी राय देने का मौका होगा. आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने कहा कि मैदान में मौजूद दर्शकों को एक प्लेकार्ड दिया जाएगा, जिस पर आउट या नॉट आउट लिखा होगा.

कैमरे पर दर्शकों की राय को दिखाया जाएगा, लेकिन इस मामले में थर्ड अंपायर के फैसले को ही अंतिम फैसला माना जाएगा. दर्शकों की राय का थर्ड अंपायर के फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा. थर्ड अंपायर टीवी पर रिप्ले देखकर ही अपना फैसला करेगा. लेकिन माना जा रहा है कि इस कदम से दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

आईपीएल सीजन-9 में 8 टीमें हिस्सा ले रही हैं और ये टूर्नामेंट 9 अप्रैल से 29 मई तक खेला जाएगा. पुणे की राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स और राजकोट की गुजरात लांयस पहली बार लीग में हिस्सा ले रही है.

गजब का कप्तान: प्रदर्शन जीरो, फिर भी बन गया हीरो

कई बार ऐसा देखा गया है कि एक टीम की हार या जीत के लिए ज्यादा से ज्यादा कप्तान को दोषी माना जाता है. अगर कोई कप्तान अच्छा खेलता है लेकिन उसकी टीम हार जाती है तब उसकी कप्तानी को लेकर सवाल उठाया जाता है. अगर किसी कप्तान का ज्यादा योगदान नहीं होता टीम मैच जीत जाती है तब भी कप्तान की तारीफ होती रहती है.

यह भारत के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के साथ भी हो चुका है. सचिन जब टीम इंडिया के कप्तान बने थे तब उनका प्रदर्शन अच्छा होते हुए भी भारत ज्यादा मैच नहीं जीत पाया था, जिसकी वजह से उनकी कप्तानी को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे और उन्हें कप्तानी छोड़नी पड़ी थी.

टी-20 वर्ल्ड कप में ऐसा मामला फिर सामने आया है. लेकिन यह मामला सचिन से अलग है, वेस्टइंडीज के कप्तान डैरेन सैमी इस वर्ल्ड कप के हीरो बन गए हैं, क्योंकि उनकी कप्तानी में वेस्टइंडीज ने वर्ल्ड कप जीता है. अगर सैमी के खुद के खेल की बात की जाए तो सैमी ने इस वर्ल्ड कप में कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है. चाहे वह गेंदबाज़ी में हो या बल्लेबाजी में, लेकिन फिर भी उनकी कप्तानी में वेस्टइंडीज ने वर्ल्ड कप जीत लिया है. चलिए जानते हैं इस वर्ल्ड कप में कैसा रहा सैमी का प्रदर्शन.

16, मार्च इंग्लैंड के खिलाफ वेस्टइंडीज का पहला मैच

इस मैच में सैमी ने एक भी ओवर बॉलिंग नहीं की और न ही बैटिंग में उन्हें मौका मिला. इस मैच के हीरो क्रिस गेल रहे जिन्होंने शानदार शतक ठोका. वेस्टइंडीज ने इस मैच को छह विकेट से जीता था.

21 मार्च को श्रीलंका के खिलाफ दूसरा मैच

इस मैच में भी सैमी ने खुद गेंदबाज़ी नहीं की और बल्लेबाजी में उनका नंबर नहीं आया. वेस्टइंडीज ने इस मैच को सात विकेट से जीता था.

25 मार्च, साउथ अफ्रीका के खिलाफ मैच

इस मैच में सैमी ने क्रिस गेल से तो गेंदबाजी करवाई, लेकिन खुद बॉलिंग नहीं की. इस मैच में सैमी को बल्लेबाजी करने का मौका तो मिला लेकिन पहली ही गेंद पर आउट हो गए. वेस्टइंडीज ने यह मैच तीन विकेट से जीता था.

30 मार्च को अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ

वेस्ट इंडीज ने अपना आखिर लीग मैच अफगानिस्तान के खिलाफ खेला. इस मैच में वेस्टइंडीज की हार हुई थी. कप्तान सैमी खुद अपने प्रदर्शन में फ़ेल हुए. सैमी ने इस मैच में दो ओवर बॉलिंग की और 17 रन दिए थे और उन्हें एक विकेट भी मिला था और दस गेंदों का सामना करते हुए उन्होंने सिर्फ छह रन बनाए थे.

भारत के खिलाफ सेमीफाइनल मैच

टीम इंडिया के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में न सैमी ने बॉलिंग की और न ही बैटिंग, लेकिन दूसरे खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की वजह से वेस्टइंडीज को इस मैच में जीत मिली और वेस्टइंडीज फाइनल में पहुंचा.

इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल मैच

टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में इंग्लैंड के खिलाफ सैमी ने एक ओवर गेंदबाज़ी करते हुए 14 रन दिए और फिर जब बल्लेबाजी में मौका मिला तो सिर्फ दो रन बना पाए.

इस प्रकार से देखा जाए तो पूरे वर्ल्ड कप टी 20 टूर्नामेंट में सैमी ने छह मैच खेलते हुए सिर्फ तीन ओवर यानि 18 गेंदें बॉलिंग करते हुए 31 रन देकर एक विकेट लिया और बल्लेबाजी में पूरे छह मैच में 13 गेंद खेलते हुए सिर्फ 8 रन बनाए जिसमें न एक भी चौका था और न छक्का. लेकिन उनकी कप्तानी में वेस्टइंडीज ने वर्ल्ड कप जीत लिया. सैमी सबसे भाग्यशाली कप्तान इस मामले में भी रहे कि छह मैचों में से पांच मैच में टॉस जीता, जिसकी वेस्टइंडीज को खास जरूरत थी.

VIDEO: जब लाइव मैच में वार्न ने सैमुअल्स को दी गालियां

वेस्टइंडीज के आक्रामक बल्लेबाज मार्लोन सैमुअल्स और शेन वार्न के बीच टकराहट की खबरें आती रही है. गौर हो कि वर्ष 2013 में एक बीबीएल मैच के दौरान डेविड हसी जब दूसरा रन लेने की कोशिश कर रहे थे तो गेंदबाजी कर रहे सैमुअल्स ने उनका टी-शर्ट पकड़कर उन्हें रोकने की कोशिश की थी.

शेन वार्न इस पूरे घटनाक्रम से आग बबूला हो गए थे और जब दोनों का आमना-सामना हुआ तो वार्न ने सैमुअल्स की टी-शर्ट पकड़ उन्हें भद्दी गालियां दी थी. दोनों के बीच लाइव मैच के दौरान काफी देर तक बहस हुई थी. इसके अलावा मैच के दौरान ही वार्न के एक थ्रो से सैमुअल्स बौखला गए थे और उन्होंने गुस्से में अपना बल्ला फेंक दिया था.

दरअसल सोशल मीडिया पर टी20 वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज की रोमांचक जीत के बाद यह वीडियो वायरल हो रहा है. वॉर्न और सैमुअल्स के बीच की यह लड़ाई तीन साल पुरानी है. गौर हो कि टी20 विश्व कप में वेस्टइंडीज की जीत के नायक रहे मार्लोन सैमुअल्स ने ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाज शेन वार्न पर निशाना साधा था.

सैमुअल्स ने वार्न पर व्यंग्य कसते हुए कहा था कि वह बल्ले से जवाब देते है माइक पर नहीं. टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के स्टार बैट्समैन क्रिस गेल का जल्दी विकेट गंवाने के बाद सैमुअल्स ने मोर्चा संभालते हुए 66 गेंदों में 9 चौकों और दो छक्कों की मदद से 85 रनों की शानदार पारी खेल अपनी टीम के लिए जीत की राह आसान कर दी थी.

कंगना के वकील ने दी रितिक रोशन को धमकी

बॉलीवुड में आये दिन किसी न किसी स्टार्स के बीच झगड़े की खबर आती ही रहती हैं. किन्तु कंगना और रितिक के झगड़े नें अब तो विशाल रूप धारण कर लिया हैं तथा कंगना के वकील नें तो रितिक के लिए यहाँ तक कह दिया हैं की यदि रितिक परेशानियों से बचना चाहतें हैं तो अपना नोटिस वापस ले ले और केस को खत्म करें.

कंगना रानौत के वकील रिजवान सिदि्दकी ने एक बयान जारी करके कहा 'अभिनेत्री कंगना इस मामले को खत्म करना चाहती हैं. अगर रितिक नोटिस वापस लेकर इसमें सहयोग प्रदान करे तो. वकील नें कहा नोटिस वापस लेना सबसे सही रहेगा और यही एक विकल्प है. अन्यथा मीडिया ट्रायल और मुद्दे को भटकाने से हालात और बिगड़ सकते हैं. इससे न्याय मिलने की प्रक्रिया ही और जटिल होती जाएगी.

गौरतलब है की रितिक नें कंगना को ये नोटिस तब भेजा था जब कंगना नें रितिक के लिए सिली एक्स शब्द का उपयोग किया था. तब रितिक ने कंगना को कानूनी नोटिस भेजकर उन्हें 'सिली एक्स' कहने पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा.

रितिक नें कंगना को क़ानूनी नोटिस फरवरी माह में भेजा था, जबाव में कंगना नें रितिक को 21 पेज का कानूनी नोटिस भेजा था. जिसमे उन्होंने रितिक पर धमकाने का आरोप लगाया था. हालाँकि कंगना के नोटिस का अभी तक रितिक नें कोई जवाब नही दिया हैं.

VIDEO: सनी की ‘वन नाइट स्टैंड’ का दूसरा गाना रिलीज

बॉलीवुड अदाकारा सनी लियोनी की आगामी फिल्म वन नाइट स्टैंड का दूसरा गाना रिलीज हो गया है. इस गाने में सनी लियोनी का बेहद हॉट एंड बोल्ड अंदाज दिख रहा है. गाने में सनी ने बोल्ड सीन्स की भरमार लगा दी है. गाने में उनके साथ फिल्म के एक्टर तनुज विरवानी है. दोनों बेहद रोमांटिक होते हुए दिख रहे है.

जैस्मीन डिसूजा के निर्देशन में बन रही इस फिल्म में सनी लियोन के साथ अभिनेता तनुज विरवानी (रति अग्निहोत्री के बेटे) मुख्य किरदार निभा रहे हैं. गौर हो कि ‘पुरानी जींस’ और ‘लव यू सोनियो’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके तनुज एक लंबे समय के बाद ‘वन नाइट स्टैंड’ में नजर आएंगे. फिल्म की रिलीज डेट 22 अप्रैल को बताई जा रही है.

19 में शादी, 3 बच्चे, 30 में तलाक…अब शाहरुख की हीरोइन

बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान 15 फरवरी को रिलीज होने वाली फिल्म 'फैन' में मॉडल और एक्ट्रेस वलुश्चा डिसूजा से रोमांस करते हुए दिखाई देंगे. बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर मनीष शर्मा की इस थ्रिलर फिल्म से  33 वर्षीय वलुश्चा डिसूजा बॉलीवुड डेब्यू करने जा रही हैं.

वलुश्चा डिसूजा ने 19 साल की उम्र में सुपरमॉडल मार्क रॉबिन्सन से फरवरी, 2002 में लव मैरिज की थी. वलुश्चा डिसूजा तीन बच्चों शनेल, ब्रुकलिन, सिएना की मां है.  2013 में  वलुश्चा डिसूजा और  मार्क रॉबिन्सन दोनों अलग हो गए.

गोवा में जन्मी वलुश्चा डिसूजा के परिवार में सभी एडवोकेट और डॉक्टर्स हैं. सभी चाहते थे कि वो इनमें से ही कोई प्रोफेशन में करियर बनाए. जब वलुश्चा डिसूजा 10वीं क्लास में थीं तो एक मोटिवेशनल लेक्चर सुनने गई थीं. सभी स्टूडेंट्स इकोनॉमिक्स, साइकोलॉजी अन्य सब्जेक्ट्स के बारे में पूछ रहे थे.

उनसे जब कुछ पूछने को कहा गया तो वलुश्चा डिसूजा ने पूछा कि बॉलीवुड में कैसे जा सकते हैं और सभी क्लास मेट्स उन पर हंसने लगे थे. वलुश्चा डिसूजा ने 16 साल की उम्र से ही  मॉडलिंग करना शुरू कर दिया. वलुश्चा डिसूजा ने मॉडलिंग को करियर के रूप में चुना और 2000 में मिस इंडिया में हिस्सा लिया. फैशन इंडस्ट्री में  वलुश्चा डिसूजा ने एक खास पहचान बनाई है.

दिल्ली में शुरू हुई बाइक टैक्सी सर्विस, 5 रुपये में करें सफर

दिल्ली की कंपनी प्रॉम्टो ने शहर की पहली इको फ्रेंडली टू व्हीलकर इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी सर्विस की शुरुआत कर दी है. दूरी तय करने के लिहाज से यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

शुरुआती चरण में प्रॉम्टो ने 20 बैटरी चलित बाइक्स को हरी झंडी दिखाई. ये सभी दिल्ली स्थित कनॉट प्लेस से उसके इर्द-गिर्द 5 किलोमीटर के दायरे में सर्विस देंगी. इनका किराया महज 5 रुपये प्रति किलोमीटर रहेगा.

ये सभी बाइक्स पॉल्यूशन फ्री हैं और इन सभी में जीपीएस लगा है. इनका वेरीफिकेशन भी किया जा चुका है और इनके ड्राइवर्स का टेस्ट भी हो चुका है. प्रॉम्टो के मुखिया निखिल मलिक की मानें तो बाइक टैक्सी सर्विस की शुरुआत से दिल्ली में प्रदूषण को ​कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.

आगामी 6 महीनों में प्रॉम्टो ऐसी 500 बैटरी चलित बाइक्स को लाने की प्लानिंग कर रहा है. साथ ही आगामी 3 वर्षों में 10 हजार ऐसी बाइक्स लाने का प्राम्टो का विचार है.

केंद्र और राज्य मिल कर काम करें

केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि अमीरी और गरीबी के बीच की तेजी से बढ़ती खाई को सहकारिता के जरीए खत्म किया जा सकता है. सहकारिता संस्थाओं के जरीए किसानों को खेती के लिए कर्ज देने के अलावा खाद और बीज भी सस्ते दामों में मुहैया कराए जा सकते हैं. किसानों और गांवों की तरक्की में सहकारिता संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.

पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में बिहार राज्य सहकारिता विकास समन्वय समिति की ओर से राज्य स्तरीय सहकारिता सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में ‘बिहार के सर्वांगीण विकास एवं निर्माण में सहकारिता की भूमिका’ पर चर्चा की गई.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों की तरक्की के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को तालमेल बना कर काम करने की जरूरत है. बिहार सरकार को केंद्रीय योजनाओं का पूरा लाभ उठाना चाहिए और बाकी राज्यों की तरह किसानों को ब्याजमुक्त कर्ज मुहैया कराना चाहिए. केंद्र सरकार ने नाबार्ड के जरीए 265 करोड़ रुपए और कृषि एवं पशुधन के लिए 240 करोड़ रुपए दिए हैं.

चंपारण में राष्ट्रीय स्तर का सहकारी प्रबंधन संस्थान खोलने के लिए बिहार सरकार से जमीन मुहैया कराने की मांग की गई है. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में जनता ने महागठबंधन को और केंद्र में भाजपा को जनादेश दिया है, इसलिए राजनीतिक खींचतान छोड़ कर दोनों को मिल कर जनता और किसानों की भलाई के लिए काम करना चाहिए. कुछ उलटी सोच वाले लोग बिहार को बदनाम कर रहे हैं.

राज्य के सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने पैक्स और किसानों की परेशानियों को दूर करने पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को बैद्यनाथ कमेटी की सिफारिशों के तहत बिहार सूबे को भरपूर माली मदद देनी चाहिए.             

जेएनयू: नई सोच, नए विचार और नई क्रांति

एक जमाने में दिल्ली का जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दुनियाभर में नई सोच और नए विचारों के लिए जाना जाता था. इस यूनिवर्सिटी ने राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ी, कई धुरंधर राजनीतिबाजों ने यहीं से अपने जीवन की शुरुआत की, लेकिन आज धर्म के तथाकथित धंधेबाजों ने अपना धंधा चमकाने के लिए इन संस्थानों को ही अपना निशाना बनाया है. दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू पूरी दुनिया में छात्रों के नए विचार वाले विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है. यहां के पढ़े तमाम छात्र राजनीति, समाजसेवा, नौकरशाही और न्यायपालिका में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं. दूसरे विश्वविद्यालयों की तरह यहां किसी तरह का जातीय भेदभाव नहीं किया जाता.

देश ही नहीं विदेशों तक के छात्र भी यहां पढ़ने आते हैं. यहां के छात्र उन मुद्दों पर भी आपस में खुल कर बात करते हैं जो बाकी समाज में अछूत विषय समझे जाते हैं. छात्रों के लिए यहां आ कर पढ़ाई करना किसी सपने जैसा होता है. यह केंद्रीय विश्वविद्यालय है. उच्चस्तर की शिक्षा और शोध कार्य में यह विश्वविद्यालय भारत के सब से अच्छे विश्वविद्यालयों में आता है. 1969 में इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. करीब 550 शिक्षकों वाले इस विश्वविद्यालय में लगभग 6 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रगतिशील परंपरा और शैक्षिक माहौल को बनाए रखने में यहां के छात्रसंघ को बड़ा महत्त्वपूर्ण माना जाता है. यहां के छात्रसंघ के पूर्व पदाधिकारी ने भारतीय राजनीति पर भी अपनी छाप छोड़ी है. इस में प्रकाश करात, सीताराम येचुरी, डी पी त्रिपाठी, आनंद कुमार व चंद्रशेखर प्रसाद प्रमुख रहे हैं.

जेएनयू छात्रसंघ की राजनीति में वामपंथी छात्र संगठनों, औल इंडिया स्टूडैंट्स एसोसिएशन (आइसा) व स्टूडैं्स फैडरेशन औफ इंडिया (एसएफआई) का बोलबाला रहा है. वैचारिक विवादों के साथ जेएनयू का पुराना नाता रहा है. वामपंथी विचारधारा का विरोध करने वाले हमेशा ही यहां की कटु आलोचना करते रहे हैं. वहां छात्रों पर ही नहीं शिक्षकों पर भी नक्सलवादी हिंसा का समर्थन करने और भारतविरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के आरोप लगते रहे हैं.

कट्टरपंथियों द्वारा रैगिंग

9 फरवरी, 2016 को जेएनयू छात्रों के एक समूह द्वारा 2001 में भारतीय संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की तीसरी वर्षगांठ पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का नाम कश्मीरी कवि आगा शाहिद अली के काव्य संग्रह ‘बिना डाकघर वाला देश’ पर रखा गया था. यह कविता जम्मूकश्मीर के हिंसक दौर के बारे में लिखी गई थी. इस कार्यक्रम के प्रचार के लिए आयोजक छात्रों ने विश्वविद्यालय में पोस्टर लगाए. इस में लिखा था, ‘9 फरवरी मंगलवार को साबरमती ढाबे में पुरातनवादी विचारधारा के विरुद्ध अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की न्यायिक हत्या के विरुद्ध, कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष के समर्थन में कवियों, कलाकारों, गायकों, लेखकों, विद्यार्थियों, बुद्धिजीवियों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं के साथ सांस्कृतिक संध्या, कला और फोटो प्रदर्शनी’ में आप आमंत्रित हैं.’

जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव सौरभ कुमार शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एबीवीपी के सदस्य हैं. यह संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस का छात्र संगठन है और भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा है. सौरभ कुमार शर्मा ने विश्वविद्यालय के उपकुलाधिपति जगदीश कुमार को पत्र लिख कर इस कार्यक्रम को निरस्त करने की मांग की. इस के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति देने से मना कर दिया. इस के बाद कार्यक्रम आयोजकों ने विरोध मार्च की जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम करने का फैसला किया. इसी दौरान वहां विवादास्पद नारेबाजी होने लगी. इस बात से गुस्साए छात्र अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की अगुआई में विश्वविद्यालय प्रशासन से मिलने और नारेबाजी कर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वालों के निष्कासन की मांग करने लगे. मीडिया के एक हिस्से ने राष्ट्रविरोधी नारेबाजी को सनसनीखेज बना कर अपनी टीआरपी बढ़ाने की जुगत की, इसे देख कर देश की जनता में एक तीखी प्रतिक्रिया होने लगी. लोगों की इस प्रतिक्रिया को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी को अपने हित में राष्ट्रवाद का नया मुद्दा मिलता दिखा. पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह, इस के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पूरे मसले को राष्ट्रवाद और राष्ट्र विरोध से जोड़ कर परिभाषित किया. इस प्रकरण में जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार का बयान आया कि हम लोकतंत्र के लिए, अपने संविधान के लिए और सभी को समान राष्ट्र के लिए लड़ेंगे. अफजल गुरु के नाम पर एबीवीपी सभी मुद्दों से ध्यान हटा कर केंद्र सरकार की नाकामी को छिपाना चाहती है.

भाजपा राष्ट्रवाद के मुद्दे को उछाल कर चुनावी लाभ लेने की फिराक में जुट गई. भाजपा सांसद महेश गिरी की शिकायत पर 12 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया. आईपीसी की धारा 124ए के तहत उस पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया. 15 फरवरी को जब कन्हैया कुमार को हिरासत में लेने के बाद कोर्ट में पेश किया गया तो वहां कट्टरपंथियों द्वारा उस को पीटा गया. इस घटना की पूरे देश में तीखी आलोचना हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सुनवाई सुनिश्चित कराने का आदेश दिया. 17 फरवरी को जब कन्हैया को ले कर पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुंची तो विरोध करने वाले वकीलों ने उस पर पथराव शुरू कर दिया.

इस की सूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 वरिष्ठ वकीलों की टीम को तुरंत पटियाला हाउस भेज दिया. कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह की अगुआई में जब वकीलों की टीम पटियाला हाउस पहुंची तो राष्ट्रवाद की तरफदारी करने वाले कट्टरपंथियों ने इन पर पाकिस्तानी एजेंट कह कर पथराव किया. दिल्ली पुलिस पूरी तरह इन के दवाब में दिखी. किसी तरह कन्हैया को तिहाड़ जेल पहुंचाया गया. तिहाड़ की जेल नंबर 3 में कन्हैया के पहुंचने के बाद भी यह मसला खत्म नहीं हुआ. देशभर में इस घटना के समर्थन और विरोध में आवाजें उठने लगीं. जिस तरह से केंद्र सरकार पूरे मामले में खामोश रही, उस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब हुई. यह बात साफ हो चुकी थी कि कचहरी में दंगा करने वालों के संबंध भाजपा नेताओं से हैं. केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय की खामियां खुल कर सामने आईं.

वजह बना हैदराबाद

आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद के केंद्रीय विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद केंद्र सरकार पर आरोप लगे थे. वहां भी इस के पीछे कट्टरपंथी विचारधारा का हाथ था, जिस का पूरे देश में विरोध शुरू हो गया. सरकार पर यह आरोप भी लगा कि वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को आगे लाने के लिए दूसरे छात्र संगठनों पर दबाव बना कर उन की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है. दरअसल, हैदराबाद से ले कर दिल्ली तक फसाद की जड़ विचारों की लड़ाई रही है. भाजपा ने इस को राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग किया. हैदराबाद कांड पूरी तरह से छात्र राजनीति के टकराव और दबाव का परिणाम था. देशद्रोह का जो आरोप दिल्ली में कन्हैया पर लगा उस को ले कर भी कई मत हैं. जानकार इस को देशद्रोह की परिधि में नहीं मानते. भाजपा का विरोध करने वाले खुल कर आरोप लगाते हैं कि पार्टी सभी विश्वविद्यालयों का भगवाकरण करना चाहती है.

भाजपा के इस कदम का विरोध अब देश के तमाम विश्वविद्यालयों में होने लगा. पिछले साल मई में आईआईटी मद्रास में अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्किल को संस्थान ने बैन किया. इस में केंद्र सरकार के दखल को देखा गया. एक माह बाद जून 2015 में पुणे में एफटीआईआई छात्रों ने संस्थान के अध्यक्ष पद पर भाजपा सदस्य गजेंद्र सिंह चौहान की नियुक्ति को ले कर विरोध शुरू किया. इस वजह से 139 दिन लंबी हड़ताल चली. हैदराबाद में रोहित की मौत के बाद छात्रों की लड़ाई और तेज हो कर पूरे देश में फैल गई. इन छात्रों के निशाने पर एबीवीपी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय आ गया. लखनऊ में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राव अंबेडकर विश्वविद्यालय गए तो मोदी गो बैक के नारे लगे. जेएनयू के साथसाथ वाराणसी में भी मोदी का विरोध हुआ.

भाजपा की कट्टरवादी नीतियों ने कांग्रेस को अपनी जड़ें मजबूत करने का मौका दे दिया. हैदराबाद और जेएनयू प्रकरण पर लोकसभा में जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री स्म़ृति ईरानी ने जिस तरह से पूरे मामले को धर्म का रंग देने की कोशिश की उस से साफ जाहिर हो गया कि केंद्र सरकार धर्म और राष्ट्रवाद को एकसाथ मिला कर देश के सामने रखना चाहती है. स्मृति ईरानी ने मूल बातों का जवाब देने की जगह पर महिषासुर और दुर्गा पर बहस को केंद्रित करने का प्रयास किया. 2 मार्च को जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया. कोर्ट के सामने जिस तरह के सुबूत हैं, उस से यह बात साफतौर पर समझ में आती है कि सरकार के पास कोई ठोस सुबूत नहीं हैं. कट्टरपंथियों के दबाव में सरकार ने इन छात्रों की रैगिंग सी की है, जिस से नए विचारों, नई सोच और नई क्रांति वाले युवाओं को पुरानी कट्टरवादी, दकियानूसी सोच से जोड़ा जा सके. सरकार बहस और विचारों की आजादी को कुचलने का पूरा प्रयास कर रही है.

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