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धोनी ने मानी बात, छोड़ दिया आम्रपाली का साथ

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रियल एस्टेट फर्म आम्रपाली के ब्रांड एंबैसडर के पद से इस्तीफा दे दिया है चूंकि नोएडा में एक हाउसिंग प्रोजेक्ट के रहवासियों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाकर धोनी को इस बिल्डर से खुद को अलग करने के लिये कहा था.

कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा ने कहा, 'धोनी अब हमारे ब्रांड एंबैसडर नहीं हैं. मैं नहीं चाहता कि आम्रपाली से जुड़े रहने के कारण उनकी छवि पर कोई असर पड़े. धोनी और हमने मिलकर यह फैसला लिया है.' धोनी पिछले छह सात साल से कंपनी के ब्रैंड एंबैसडर थे.

 

पिता की जिद ने सरफराज को बना दिया सुपरस्टार क्रिकेटर

आईपीएल 9 के एक मैच में सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ खेलते हुए मात्र 10 गेंदों में 35 रन बनाने वाले सरफराज खान फिर से सुर्खियों में आ गये हैं. उनकी धुआंधार बल्लेबाजी देखकर हर कोई उनका मुरीद हो गया है. सरफराज के क्रिकेटर बनने की कहानी भी बिल्कुल अलग है. दरअसल, इसके पीछे उनके पिता की एक जिद है, जिसने उन्हें आज इस मुकाम पर पहुंचा दिया है कि क्रिस गेल, विराट कोहली, शेन वाटसन और डेविड वॉर्नर जैसे दिग्गज भी उनके प्रशंसकों की फेहरिस्त में शुमार हैं.

दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरफराज के पिता नौशाद इकबाल अब्दुल्ला नाम के एक स्पिनर को उत्तर प्रदेश से मुंबई लाए थे. यहां इकबाल को उन्होंने क्रिकेट के गुर सिखाए और एक अच्छे मुकाम तक पहुंचा दिया. बाद में इकबाल अंडर-19 भारतीय टीम और आईपीएल में भी खेले. लेकिन जब नौशाद को उनकी जरूरत थी तो उन्होंने ताना मारते हुए कहा- 'मेरे में काबिलियत थी, इसलिये खेला. तुम्हारे अंदर टैलेंट है तो अपने बच्चे को खिलाकर दिखाओ.'

यह जवाब सुनकर सरफराज के पिता को अच्छा नहीं लगा, उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए अपने बेटे को स्टार क्रिकेटर बनाने की ठान ली. आज सरफराज इस मुकाम पर हैं कि क्रिस गेल जैसे दिग्गज बल्लेबाज उन्हें अपने बेटे की तरह मानते हैं. सरफराज के लिये गेल कहते हैं- 'वह मेरा पक्का यार है. वह मेरे लिये बेटे के समान है. वह ज्यादातर मेरे कमरे में ही रुकता है. वह ऐसा खिलाड़ी है जिसे देखना आनंददायक होता है.'

ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर शेन वाटसन ने भी सरफराज की तारीफ की थी, उन्होंने कहा इसमें कोई शक नहीं कि इस तरह के शॉट पर उसने बेहद कड़ी मेहनत की है. इससे पहले कभी उसके जैसी युवा प्रतिभा नहीं देखी. आईपीएल के वर्तमान सत्र में हुए एक मैच में सरफराज ने 10 गेंदों पर 5 चौकों और दो छक्कों के सहारे 35 रनों की बेहद दर्शनीय पारी खेली थी. इसी दौरान उन्होंने स्विंग के महारथी भुवनेश्वर कुमार की पांच गेंदों पर 22 जोड़े थे. भारत की अंडर-19 टीम की ओर से खेलते हुए सरफराज ने 33 वनडे में एक शतक और 11 अर्धशतक के सहारे 1080 रन बनाए हैं.

VIDEO: आखिर एक प्रेमी को क्यों बनानी पड़ी प्रेमिका की ऐसी फिल्म

यूट्यूब पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसका नाम है 'फर्स्ट नाइट'. यह वीडियो झूठे रेप केस पर बनाई गई एक शार्ट फिल्म है. इस शार्ट फिल्म को ट्रेवलिंग सिनेमा शॉटर्स की तरफ से बीते 10 अप्रैल को यू ट्यूब पर अपलोड किया गया था, जिसे अब तक 2 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा है. इस वीडियो में दिखाया गया है कि आखिर क्यों एक लड़के को अपनी गर्लफ्रेंड की वीडियो बनाने की जरूरत पड़ी.

इस वीडियो में दिखाया गया है कि कबीर नाम का एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ असहज महसूस करता है और उसके साथ बिताए गये निजी पलों को लैपटॉप में रिकॉर्ड कर लेता है. लड़की इस दौरान नशे में रहती है. वीडियो के अंत में लड़का एक मैसेज देता है और कहता है कि 'वो अपनी गर्लफ्रेंड से बहुत प्यार करता है, पर वो उसके साथ कुछ भी करने से डरता है, इसलिए वो उन पलों को रिकॉर्ड कर लेता है'.

कबीर ऐसे करने के पीछे एक खास वजह बताते हुए कहता है कि उसका एक दोस्त एक लड़की के साथ 3 सालों से रिलेशन में था. इसके बावजूद भी लड़की ने उस पर रेप का केस कर दिया और उसे चार दिनों तक हवालात में रहना पड़ा. अंत में कबीर कहता है कि बलात्कार की ज्यादातर घटनाएं झूठी होती है. उसने दिल्ली महिला आयोग के रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 के बीच दर्ज किए गये 53.2 फीसदी रेप के मामले गलत थे.

आप भी देखिए ये पूरा वीडियो

‘जोरावर’ के क्रू के लिए हर रात परफॉर्म करते थे हनी सिंह

सबसे फेमस रैपर हनी सिंह उनकी आगामी फिल्म "जोरावर" से  ​इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में अपना डेब्यू कर रहे हैं और वे इस बात से बेहद उत्साहित हैं. हनी ने फिल्म की शूटिंग के दौरान बेहद ज्यादा  मेहनत तो की ही है पर साथ में उन्होंने अपने क्रू का खूब मनोरंजन भी किया है.

हनी हर रात शूटिंग पूरी होने के बाद क्रू के लिए परफॉर्म करते थे, इतना ही नहीं जब उन्हें शूटिंग के बीच ब्रेक मिलता, वे सॉन्ग लिखते थे तथा उसे रिकॉर्ड भी करते थे. वे उनके आगामी वीडियो के लिए स्टोरीलाइन लिखते तथा फिल्म ज़ोरावर के निर्देशक को कई आईडिया भी बताते रहते थे.

फैनः एक फैन के आगे मात खा गया सुपर स्टार

एक सेलेब्रिटी और उसके फैन के बीच क्या रिश्ता होना चाहिए, इसी बात को समझाने के लिए निर्माता आदित्य चोपड़ा और निर्देशक  मनीष शर्मा फिल्म ‘‘फैन’’ लेकर आए हैं, जिसमें मुख्य भूमिका में शाहरुख खान हैं. शाहरुख खान ने इस फिल्म में ही फिल्मों के सुपर स्टार आर्यन खन्ना और उस के फैन यानी कि गौरव चानना की दोहरी भूमिका निभायी है. यूं तो गौरव चानना के किरदार में जान फूंकने में शाहरुख खान सफल रहे हैं, मगर फिल्म को बाक्स आफिस पर कामयाबी मिल जाएगी, ऐसा नही लगता. सुपर स्टार आर्यन के किरदार में अपने अभिनय की छाप छोड़ने में शाहरुख असफल रहे हैं.

पिछले दिनों शाहरुख खान ने कहा था कि उनकी फिल्म ‘फैन’ एक संदेशपरक फिल्म है, तो यह सच है. उनकी फिल्म ‘फैन’ हर दर्शक को संदेश देती है कि वह इस मुगालते में कभी न रहे कि वह जिस सुपर स्टार का फैन है, वह सुपर स्टार कभी उसे अपनी जिंदगी का पांच सेकंड भी देगा. सुपर स्टार कहने के लिए कहता है, ‘मैं जो  कुछ हूं अपने फैन की वजह से हूं.’ पर हर सुपर स्टार मानकर चलता है कि वह जिस मुकाम पर पहुंचा है, उसके पीछे उसकी मेहनत, उसकी किस्मत के साथ साथ उसका सनकी होना शामिल है. अन्यथा वह भी उसी मिट्टी का है, जिस मिट्टी का वह फैन है. हकीकत में कोई भी स्टार अपनी सफलता का श्रेय अपने फैन को नहीं देता.

फिल्म को बाक्स आफिस पर कामयाबी न मिल पाने की कई वजहे हैं. फिल्म के पात्र जरुरत से ज्यादा बनावटी लगते हैं. सुपरस्टार और उसका फैन इस फिल्म में जो कुछ करता है, वह तो लेखक व निर्देशक की दिमागी कल्पना की पराकाष्ठा है. तीसरी वजह फिल्म का नकारात्मक रवैया व सोच. एक सफल इंसान अपने फैन को अपनी सफलता का श्रेय दे न या दे, मगर वह आर्यन खन्ना की तरह अपने ‘सुपर स्टार’ की शक्ति व पैसे के बल पर अपने फैन को पुलिस के हाथों पिटवाकर उसे अपराधिक प्रवृत्ति का नहीं बनाएगा. सुपर स्टार की मंत्र मुग्धता तो देखिए, वह फैन भी अपनी शक्ल सूरत वाला ही चुनता है. परिणामतः कहानी में खोखलापन भर जाता है. पर फिल्मकार यही कहेंगे कि यह तो सिनेमा है, हकीकत नहीं.

यह कहानी है दिल्ली के युवक गौरव चानना (शाहरुख खान) की, जो बचपन से ही फिल्म अभिनेता आर्यन खन्ना का अंध भक्त है. वह आर्यन की ही फिल्में देखते हुए बड़ा हुआ है. वह अपने मोहल्ले के हर समारोह में आर्यन खन्ना की फिल्मों के किरदारों की नकल किया करता है. गौरव दिल्ली में एक सायबर कैफे चलाता है. वह आर्यन के जन्मदिन पर आर्यन से मिलने के लिए मुंबई जाता है. और उसी होटल के उसी कमरे में ठहरता है, जिसमें पहली बार मुंबई पहुंचने पर आर्यन खन्ना ठहरे थे. दूसरे दिन वह आर्यन खन्ना के जन्मदिन पर उनके बंगले पर जाता है पर मिल नहीं पाता. भीड़ का हिस्सा बनकर रह जाता है. दूसरे दिन उसे पता चलता है कि अभिनेता सिड कपूर को आर्यन खन्ना ने गुस्से में थप्पड़ मार दिया. सिड का मानना है कि आर्यन खन्ना अपने गिरते करियर व उसके चढ़ते करियर को देख खुद को असुरक्षित महसूस करते हुए ऐसा कर्म किया.

उधर टीवी पर आर्यन के खिलाफ सिड की बातें सुनकर आर्यन खन्ना के फैन व अंध भक्त गौरव चानना को गुस्सा आ जाता है. वह सिड का फैन बनकर सिड के पास जाता है और उसकी वैनिटी वैन में उसकी पिटायी कर उससे जबरन एक संदेश रिकार्ड करवाता है कि वह आर्यन से गुस्सा नहीं है. उसने आर्यन को लेकर मीडिया में गलत बाते कहीं, उसके लिए वह माफी मांगता है…’ अपने घर पर अपनी पत्नी व बच्चों के साथ टीवी पर सिड का माफीनामा देखते हुए सुपर स्टार आर्यन खन्ना खुश होते हैं, मगर कुछ ही देर में उनकी पीए सुनयना (सयानी गुप्ता) आर्यन का वह वीडियो दिखाती है, जिससे पता चलता है कि गौरव चानना ने सिड से जबरन माफी मंगवायी. यह बात आर्यन को नागवार लगती है. वह गौरव से फौन पर पूछता है कि वह कहां है और फिर एक पुलिस इंस्पेक्टर को धन देकर गौरव को पकड़वाकर पुलिस स्टेशन के अंदर बुरी तरह से पिटवाता है. फिर खुद पुलिस स्टेशन आकर गौरव से मिलता है और उसे धमकाते हुए कहता है-‘‘मैं सुपर स्टार हूं. मेरे पास तुम्हें या किसी फैन को देने के लिए पांच सेकंड नही है. वह अपनी मेहनत के बल पर सफल है.’’ तब गौरव चाननार फोन करके आर्यन से कहता है कि वह उसे बर्बाद कर देगा. अन्यथा आर्यन सारी बोले.’’पर आर्यन सारी बोलने के लिए तैयार नहीं. उसका मानना है कि वह सुपर स्टार है. उसके पास ताकत, धन सब कुछ है.

यहीं से गौरव के अंदर बदले की भावना आ जाती है. वह दिल्ली जाकर अपनी दुकान बेच देता है और आर्यन का पीछा करते हुए लंदन तक पहुंच जाता है. यहीं से आर्यन व गौरव के बीच शह और मात का खेल शुरू हो जाता है. हार कर आर्यन लंदन में प्रेस वार्ता कर गौरव पर हमशक्ल व अपराधी होने का आरोप लगाता है. एक दिन गौरव, आर्यन के बंगले में पहुंच जाता है और आर्यन के कमरे में तोड़फोड़कर आर्यन की पत्नी से कहता है कि वह आर्यन से कहे कि वह अपने फैन से बदतमीजी करने के लिए सारी कहे. इस पर आर्यन दिल्ली गौरव के घर पहुंचकर उसके माता पिता को धमकाता है और फिर गौरव की प्रेमिका को हथियार बनाकर दिल्ली के उसी मोहल्ले में सारे आरोप गौरव पर लगा देता है. शह और मात के इस खेल का अंत गौरव की मौत के साथ होता है. पर सुपर स्टार अपने फैन से सारी नहीं कहता.

फिल्म ‘‘फैन’’ में इस बात पर जोर दिया गया है कि फैन की  सीमाएं होनी चाहिए, पर इस बात का कोई जिक्र नही है कि सुपर स्टार या किसी भी सेलीब्रिटी को इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए. फिल्म में संवेदनशीलता का घोर अभाव है. फिल्म में गीत संगीत, रोमांस, कामेडी का घोर अभाव है. फिल्म के अंदर आर्यन व गौरव के बीच एक दूसरे का पीछा करने व आपस मे मारपीट के सीन बहुत ज्यादा लंबे व उबाउ हैं. फिल्म का पहला हिस्सा दर्शकों के मन में कुछ उत्सुकता जगाता है, पर दूसरा हिस्सा मुट्ठी में में बंद रेत की तरह फिसल जाता है. लेखक व निर्देशक दोंनों भटके हुए नजर आते हैं.

फिल्म के निर्देशक यह भूल गए कि उनकी फिल्म का फैन आम इंसान है. आम इंसान फिल्मी हीरो जैसे कारनामे नहीं करेगा. ‘‘यशराज फिल्मस’ के बैनर तले बनी 143 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘फैन’’ के निर्माता आदित्य चोपड़ा, निर्देशक मनीष शर्मा, एडीटर नम्रता राव हैं. कलाकार हैं- शाहरुख खान, सयानी गुप्ता, श्रिया पिलगांवकर, दीपिका देशपांडे अमीन व अन्य.

मान गईं महबूबा

लंबी कवायद के बाद जम्मूकश्मीर में पीडीपी और भाजपा का ब्रेकअप खत्म हो गया है, अब महबूबा मुफ्ती वहां की पहली महिला मुख्यमंत्री होंगी. यह पुनर्मिलाप किन शर्तों पर हुआ, इस का खुलासा शायद ही सार्वजनिक हो पर दोनों पार्टियों के स्वार्थ इस में साफ दिख रहे हैं. भाजपा इस राज्य में पहली बार मिले समर्थन को खोना नहीं चाहती थी और राज्यसभा में भी मजबूती चाहती है ताकि विपक्षी कभी विधेयक पारित कराने में टांग न अड़ाएं. उधर महबूबा भी परेशान थीं कि वक्त रहते सरकार न बनाई तो जमीन तो उन की भी कमजोर होती, लिहाजा सीधे नरेंद्र मोदी से मिलीं और फिर सरकार बनाने का दावा पेश करते विकास की जमीन पर आ गईं. देर से ही सही दोनों दलों को ज्ञान तो मिला कि वजूद बनाए रखना है तो ज्यादा देर ठीक नहीं वरना वोटर खफा हो सकते हैं.

आप क्यों बोले

बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती इस दफा देशभर में धूमधाम से मनाई गई और बसपा प्रमुख मायावती सहित उन के पार्टीजनों ने हर जगह से मांग की कि मान्यवर कांशीराम को भारतरत्न सम्मान दिया जाए. किसी ने यह नहीं देखा कि इस रत्न को मांगने वालों की प्रतीक्षा सूची लंबी होती जा रही है. मायावती ने तो अपना राजनीतिक धर्म निभाया पर हैरत तब हुई जब दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने भी कांशीराम को भारतरत्न दिए जाने की पैरवी की जिस में दलित हित, अमूल्य योगदान जैसे चलताऊ शब्दों का इस्तेमाल करते उन्होंने सब को चौंका दिया. वजह, केजरीवाल को पसंद किए जाने की एक वजह उन की छवि धर्म निरपेक्षता की रही है. वे अब सियासी भाषा बोलने लगे हैं? तो लोगों को समझ आ रहा है कि पंजाब में चुनाव सिर पर हैं और वहां के दलित वोटों पर उन की नजर है.

घात प्रतिघात

असहिष्णुता, देशद्रोह और भारत माता पर हल्ले के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच एक नई खिचड़ी पक चुकी है कि भाजपा इस साल अंबेडकर जयंती राज्य में जिला स्तर तक धूमधाम से मनाए और अंबेडकर की जन्मस्थली इंदौर के नजदीक महू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विशालकाय सभा को संबोधित करें. दरअसल, सवर्णों को भाजपा का उमड़ रहा या दलितप्रेम रास नहीं आ रहा है. एक तरफ आरएसएस आरक्षण के मुद्दे पर पुनर्विचार की बात कर भाजपा की लुटिया डुबो देता है तो दूसरी तरफ मोदी और उन की टीम का कहना है कि आरक्षण ज्यों का त्यों रहेगा. इस समीकरण के 2 मतलब लोग निकाल रहे हैं, पहला यह कि यह संघ व मोदी की मिलीभगत है और दूसरा, अगर मिलीभगत नहीं है तो यह मोदी को डुबोने की चाल है.

टैलिफोनिक इंटरव्यू: क्या रैडी हैं आप

आज हर युवा को अच्छी नौकरी चाहिए एक अच्छे पद के साथ. जहां युवा पोजीशन को ले कर सचेत हैं वहीं आजकल कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को ले कर सतर्क हो रही हैं. कंपनी एक पद हेतु एक ही वेकेंसी निकालती है और उस एक पद के लिए कई उम्मीदवार होते हैं. उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कंपनियों ने एक तरीका निकाला है और वह है टैलीफोन पर ही इंटरव्यू लेने का. यह एक बेहतर तरीका है उम्मीदवारों को शौर्टलिस्ट करने का. इस तरीके के कारण एक शहर से दूसरे शहर आनेजाने की परेशानियों से बचा जा सकता है. साथ ही कंपनी को टैलीफोन पर इंटरव्यू के जरिए उम्मीदवार की कम्युनिकेशन स्किल्स के बारे में भी पता चल जाता है. इसलिए अगर आप नौकरी ढूंढ़ रहे हैं तो अब आप को फेस टू फेस इंटरव्यू के अलावा टैलिफोनिक इंटरव्यू के लिए भी तैयार रहना चाहिए. कुछ बातों का ध्यान रख कर आप टैलीफोन पर दिए इंटरव्यू में सफ लता पा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं :

–       आमतौर पर उम्मीदवार को पहले से ही कि इंटरव्यू किस दिन है और समय क्या रहेगा, इस बारे में सूचित कर दिया जाता है. ऐसे में आप उस दिन के लिए पहले से ही तैयारी कर के रखें ताकि लास्ट टाइम पर आप को भागदौड़ न करनी पड़े.

–       अपना रेज्यूमे अपने सामने रखें.

–       कागज और पैन रखना न भूलें ताकि अगर कुछ नोट करने की जरूरत पड़े तो आप को इधरउधर न भागना पड़े क्योंकि इस से इंटरव्यू लेने वाले पर अच्छा इफैक्ट नहीं पड़ेगा.

–       कंपनी के बारे में पहले से ही जानकारी एकत्रित कर के रखें. इंटरव्यू के दौरान कंपनी के बारे में पूछा जा सकता है.

–       अपनी उपलब्ध्यों की सूची उदाहरण सहित तैयार कर के रखें. टैलिफोनिक इंटरव्यू का यह एक बड़ा फायदा है कि आप लिखी हुई सूची में से पढ़ कर सुना सकते हैं.

–       इस बात का ध्यान रखें कि इंटरव्यू के दौरान आप के आसपास शोरगुल या किसी तरह का व्यवधान न हो. रेडियो, टीवी बंद रखें. जिस रूम में आप इंटरव्यू दे रहे हैं वहां दूसरा फोन हो तो उसे बंद कर दें ताकि बीच में कोई फोन बजने से व्यवधान उत्पन्न न हो.

–       अगर इंटरव्यू मोबाइल फोन पर दे रहे हैं, तो फोन को पहले से ही पूरी तरह चार्ज करना न भूलें.

–       अपने फोन को कौल वेटिंग के औप्शन पर सैट कर लें, ताकि इंटरव्यू कौल के दौरान व्यवधान उत्पन्न न हो.

–       फोन पर इंटरव्यू देने की प्रैक्टिस करें और अपनी आवाज को रिकौर्ड कर के सुनें. उस में जो भी कमी लगे उसे सुधारने का प्रयास करें.

–       माना कि इंटरव्यूअर आप को देख नहीं सकता, लेकिन अगर आप इंटरव्यू के दौरान थोड़े फ ौर्मल कपड़े पहनेंगे तो इस का आप पर मनौवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा और आप अधिक प्रोफैशनल हो कर इंटरव्यू दे पाएंगे.

–       नमस्ते सर, गुड मार्ैिंनग सर, गुड ईवनिंग सर जैसे शब्दों से इंटरव्यू की शुरुआत करें, जिस से इंटरव्यू लेने वाले पर आप का अच्छा प्रभाव पडे़गा.

–       इंटरव्यू के दौरान मुंह में कोई खाने की चीज न रखें.

–       बिस्तर पर बैठ कर इंटरव्यू न दें. इस से आप की आवाज में एक इनफौर्मल अंदाज झलकेगा जो ठीक नहीं है.

–       बहुत तेज या जोर से न बोलें. उच्चारण पर खास ध्यान दें.

–       अगर किसी सवाल का जवाब देने के लिए आप को कुछ सोचना पडे़ तो खामोश न हों बल्कि कुछ सैकंड का समय मांग लें.

–       बोलते समय मुसकराते रहें. इंटरव्यूअर भले ही आप को देख न पाए लेकिन मुसकराहट का प्रभाव आप की आवाज से स्पष्ट उजागर हो जाएगा.

–       शुरुआत में ही इंटरव्यूअर का नाम पूछ लें और इंटरव्यू के दौरान बारबार सम्मानपूर्वक उन का नाम ले कर उन्हें संबोधित करें.

–       इंटरव्यूअर की बात कतई न काटें.

–       इंटरव्यू की समाप्ति पर इंटरव्यूअर को धन्यवाद दें और चयन प्रक्रिया के अगले चरण के  बारे में पूछ लें.

कैसे बोलें कि पब्लिक हो मुट्ठी में

रिया ने आज दी जाने वाली अपनी स्पीच की अच्छी तरह तैयारी की थी, लेकिन स्टेज पर पहुंचते ही अपने सामने पब्लिक को देख उस की टांगें कांपने लगीं, घबराहट से उसे पसीना आने लगा और पलभर में ही उस के चेहरे के हावभाव बदल गए. कहां तो रिया पूरे भाषण की अच्छी तैयारी कर के आई थी और कहां अब उसे एक शब्द भी कहने के लिए नहीं सूझ रहा था कि उसे क्या कहना है. जैसेतैसे कुछ भी बोल कर वह स्टेज से उतर कर बाहर चली गई और मन ही मन भविष्य में उस ने कभी भी भाषण न देने की ठान ली.

उसे खोजतेखोजते आई उस की फ्रैंड स्नेहा ने जब उसे एक कोने में रोते हुए देखा तो उसे काफी दुख हुआ, लेकिन रिया को समझाते हुए वह बोली, ‘‘तुम बेकार में डर रही हो. तुम जैसे बहुत से लोग भीड़ को देख कर घबरा जाते हैं. लेकिन तुम्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. आज इस में सफल नहीं हुई तो क्या हुआ, अगर तुम पब्लिक स्पीकिंग की कला को सीख जाओगी तो भविष्य में जरूर सफल होगी.’’ रिया ने जैसेतैसे अपने को सहज करते हुए स्नेहा से पूछा, ‘‘क्या पब्लिक स्पीकिंग सचमुच में एक कला है?’’ स्नेहा ने जवाब दिया, ‘‘हां, पब्लिक स्पीकिंग वाकई एक कला है और जो इस कला के कलात्मक गुण सीख लेता है वह महफिल की शान बन जाता है.’’

स्नेहा की बात सुन कर रिया ने उन कलात्मक गुणों को जानना चाहा, क्योंकि वह अब खुद के भीतर के इस डर को बाहर निकाल कर एक अच्छा वक्ता बनना चाहती थी. अगर आप भी किसी के सामने कुछ बोलने में हिचकिचाते हैं, बहुत से लोगों के सामने बोलने में आप को डर लगता है, तो जानिए कुछ ऐसे टिप्स, जिन से आप इस डर से तो बाहर निकलेंगे ही साथ ही आप खुद को लोगों के सामने बेहतर ढंग से प्रैजेंट भी कर पाएंगे :

विषय को गहराई से समझें

आप ही सोचिए अगर आप आधाअधूरा ज्ञान ले कर किसी को सिखाने चल दिए और ऐेसे में उस ने आप से कुछ पूछ लिया तो आप के पसीने छूट जाएंगे, आप की जानकारी पर प्रश्नचिह्न लगेगा सो अलग. इस से अच्छा है कि विषय में महारत हासिल करें. आप जिस टौपिक पर भाषण देने वाले हैं उस पर गहराई से जानकारी हासिल करें. अगर आप को कंप्यूटर विषय पर ही भाषण देना है तो इतनी जानकारी जुटाएं कि आप के भाषण को सुन कर कोई यह अंदाजा भी न लगा पाए कि आप इस विषय परबोलने से पहले इस विषय में कुछ नहीं जानते थे. इस के लिए आप इस विषय पर ऐसे लेखकों की किताबें पढ़ें, जिन में तथ्यों को बहुत स्पष्ट समझाया गया हो. जानकारी के लिए सिर्फ किताबों की ही नहीं बल्कि आप कंप्यूटर की हैल्प भी लें. गहन अध्ययन का फायदा यह होगा कि आप अपनी स्पीच को सही दिशा देने के साथसाथ औडियंस के प्रश्नों के जवाब भी दे पाएंगे.

इस बात का खास ध्यान रखें कि आप लीक से हट कर पढ़ने की कोशिश न करें क्योंकि एकसाथ कई चीजें ले कर चलने से हम उन में उलझ जाते हैं, जिस से हम क्या कहना चाहते हैं खुद को ही स्पष्ट नहीं होता, जिस से हम अपनी ही बात को सही तरह समझा नहीं पाते. औडियंस के ब्लैंक ऐक्सप्रैशंस स्पीच देने वाले के कौन्फिडैंस को हिला सकते हैं. एक अच्छा भाषण देने में आप तभी सफल हो पाएंगे जब खुद चीजों को बेहतर ढंग से जानते होंगे. इस स्थिति में आप को न तो लोगों से डर लगेगा और न ही आप के पसीने छूटेंगे.

कैसी है आप की औडियंस

अपनी स्पीच तैयार करते समय इस बात पर गौर करें कि आप अपना भाषण ऐक्सपर्ट्स के सामने देने वाले हैं या फिर एक ऐसे समूह के सामने जो विषय की थोड़ीबहुत ही जानकारी रखता है, क्योंकि अगर आप ऐक्सपर्ट्स के सामने कम ज्ञान के साथ स्पीच देने पहुंच गए तो उस समय न तो आप कौन्फिडैंट हो पाएंगे और न ही स्पीच में फ्लो बन पाएगा. भाषण देते समय भी आप यही सोचते रहेंगे कि कहीं किसी ने मुझ से कोई ऐसा प्रश्न पूछ लिया जिस का मैं जवाब नहीं दे पाया तो? भाषण देते समय दिमाग में इस तरह की बातें चलने से स्पीच में रुकावट पैदा हो सकती है.

आप पहले से ही औडियंस को ध्यान में रख कर स्पीच तैयार करें. जटिल से जटिल और आसान से आसान प्रश्नों की लिस्ट बना कर उन के उत्तर तैयार करें. जब आप विषय की बेहतर तैयारी कर के मंच पर बोलेंगे तो आप को औडियंस की न ज्यादा संख्या परेशान करेगी और न ही मन में इस बात की चिंता रहेगी कि औडियंस आप से किस तरह का प्रश्न पूछ लेगी. चाहे प्रश्न कितना भी टेढ़ा क्यों न हो, लेकिन आप अपनी जानकारी से उस का उत्तर दे कर औडियंस को संतुष्ट कर ही देंगे.

बैस्ट परफौर्मैंस के लिए तैयार करें प्रैजेंटेशन

किसी भी ऐग्जाम में आप तभी बैस्ट परफौर्म कर पाते हैं जब उसे बेहतर व अलग ढंग से प्रैजेंट करते हैं. ठीक उसी तरह अगर आप स्टेज पर खुद की प्रैजेंटेशन को खास बनाना चाहते हैं तो सब से पहले अपनी तैयारी पर ध्यान दें. जिस विषय पर स्पीच देने वाले हैं उस के सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं को समझते हुए उसे एक पेज पर नोट करते जाएं और अति महत्त्वपूर्ण चीजों, जिन पर आप को स्पीच में मेन फोकस करना है, को नोट करने के साथ ही अंडरलाइन कर लें, फिर उन पौइंट्स को आज के उदाहरणों से जोड़ते हुए दिमाग में बैठाएं. इस से आप की प्रैजेंटेशन में जान आ जाएगी, साथ ही सुनने वाले भी आप की स्पीच से इंप्रैस होंगे.

जब पौइंट्स तैयार हो जाएं, उस के बाद पूरी स्क्रिप्ट को अपनी भाषा में तैयार करें ताकि आप उलझें नहीं, क्योंकि जटिल भाषा में स्क्रिप्ट तैयार करने से शब्दों के भूलने का डर ज्यादा बना रहता है.

वर्ड टू वर्ड याद न करें स्पीच

कुछ टीनएजर्स  सोचते हैं कि यदि हम बोलनेलिखने वाली विषयवस्तु को रट लेंगे तो इस से अव्वल आ सकते हैं. लेकिन अगर ऐसा होता तो ऐग्जाम्स में बुक्स तो सभी रटते हैं फिर कोई अव्वल और कोई पिछड़ क्यों जाता है?इस का कारण यही है कि सभी की ग्रहणशक्ति अलग होती है.

इसलिए यदि आप चाहते हैं कि बेहतर वक्ता बनें तो स्पीच को वर्ड टू वर्ड याद करने की भूल बिलकुल न करें, क्योंकि अगर आप एकएक शब्द रटेंगे और स्पीच के दौरान एक भी शब्द आप भूल गए तो आगे की स्पीच बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे, जिस से आप का कौन्फिडैंस खत्म होगा. इस से बेहतर है कि आप तथ्यों को समझने की कोशिश करें. इस से अगर आप भाषण देते समय थोड़े डगमगाए भी तो फिर आप अपने ज्ञान व शब्दों से टै्रक पर लौटते हुए महफिल में छा सकते हैं.

ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें

यदि आप चाहते हैं कि स्टेज पर जाते हुए आप को घबराहट महसूस न हो तो आप स्पीच की अच्छी तरह पै्रक्टिस करें. प्रैक्टिस की शुरुआत आप पहले अकेले में करें. इस से आप के मन से डर निकलेगा. फिर जब आप अपनी तैयारी को ले कर कौन्फिडैंट हो जाएं तो ऐसे लोगों के सामने प्रैक्टिस करें जिन से आप फ्रैंडली हों और जो आप की अच्छाइयों व कमियों को भी बता सकें, क्योंकि अगर आप ऐसे लोगों के सामने प्रैक्टिस करेंगे जो सिर्फ आप की तारीफ ही करते हों तो इस से आप को अपनी कमियां पता नहीं चल पाएंगी.

जिन लोगों के सामने आप स्पीच दे रहे हैं उन से फीडबैक भी मांगें. आप अपनी स्पीच को रिकौर्ड भी कर सकते हैं, जिस से आप को पता चलेगा कि आप कहां गलती कर रहे हैं और आप को कहांकहां सुधार की जरूरत है.

फोकस औडियंस पर नहीं स्पीच पर

स्पीच देते समय आप औडियंस से ज्यादा अपनी स्पीच पर फोकस करें, क्योंकि लोग इस ओर ज्यादा ध्यान देते हैं कि आप किस तरह अपनी बात को उन तक पहुंचा रहे हैं या फिर किन नई जानकारियों को उन के सामने परोस रहे हैं. भीड़ देख कर नर्वस कोई भी हो सकता है लेकिन उस समय आप को खुद पर कंट्रोल करना आना चाहिए.

यह भी हो सकता है कि स्टेज पर जाने से पहले कोई आप की इस नर्वसनैस को पहचान भी ले, ऐसे में आप को यह सोच कर परेशान होने की जरूरत नहीं है कि अगर सब आप की इस नर्वसनैस को पहचान गए तो क्या होगा? बल्कि आप एकदो गिलास ठंडा पानी पी कर खुद को कूलडाउन करने की कोशिश करें. मन ही मन यह सोचें कि आप से बेहतर कोई हो ही नहीं सकता. इस तरह के विचार जब आप मन में लाएंगे तो निश्चित ही आप अपनी स्पीच व स्पीच देने के तरीके को सफल बना पाएंगे.

नर्वस होने की चर्चा सब से न करें

अगर आप जल्दी ही नर्वस हो जाते हैं तो भी उस की चर्चा हर किसी से न करें. अगर सामने वाले ने आप की कमी जानने के बाद भी आप को बूस्ट नहीं किया, तो आप की स्थिति पहले से भी खराब हो सकती है. इसलिए ढोल पीटने से अच्छा है कि आप अपनी वीकनैस पर काबू पाएं. शीशे के सामने खड़े हो कर बारबार स्पीच की प्रैक्टिस करें. इस से आप को अपने फेस ऐक्सप्रैशंस के बारे में भी पता चल जाएगा और जहां आप को लगेगा कि आप गलती कर रहे हैं उसे आप और ज्यादा प्रैक्टिस से सुधार सकते हैं.

ड्रेसअप कंफर्टेबल हो

आप अपनी प्रैजेंटेशन पर तभी ठीक से ध्यान दे पाएंगे जब आप का ड्रैसअप सही होगा. इसलिए ध्यान रखें कि आप का ड्रैसअप ऐसा हो कि आप उस में जचें भी सही और वह कंफर्टेबल भी हो.

सभी से आई कौंटैक्ट करें

आप स्पीच देते वक्त अगर किसी एक की ही आंखों में आंखें डाल कर अपनी बात कहने लगेंगे तो उस से शेष सुनने वालों पर अच्छा इफैक्ट नहीं पड़ेगा और आप की प्रैजेंटेशन भी सफल नहीं बन पाएगी. अगर आप चाहते हैं कि स्पीच के दौरान आप का कौन्फिडैंस और बढ़े तो आप सभी औडियंस की तरफ देख कर अपनी बात कहें. औडियंस के पौजिटिव चेहरे देख कर आप में जोश आएगा, जिस से आप का और बेहतर स्पीच देने का उत्साह बढ़ेगा.    

स्वयं से पूछें नैगेटिव प्रश्नों के जवाब

यदि आप प्रैजेंटेशन देने से पहले घबराए हुए हैं तो खुद से ही कुछ नैगेटिव प्रश्न पूछें जैसे ‘अगर मैं टौपिक को ही भूल गया तो’ या फिर ‘विषय से भटक गया तो?’ भले ही प्रश्न कितना भी नैगेटिव क्यों न हो लेकिन उस में भी पौजिटिव ही ढूंढ़ने की कोशिश करें. यकीन मानिए जब आप नैगेटिव में भी पौजिटिव ढूंढ़ने की कोशिश करने लगेंगे तब आप विषम परिस्थितियों में भी रास्ता खोज ही लेंगे.

आप उन लोगों की भी मदद ले सकते हैं जो खुद इस दौर से गुजर चुके हैं, लेकिन आज अपनी इस कमी पर काबू पा कर हजारों लोगों के सामने भी उन्हें अपने विचार प्रकट करने में डर नहीं लगता

यदि आप इन बातों को आजमा कर देखेंगे तो आप खुद में एक बड़ा चेंज महसूस करेंगे

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