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आखिर क्या है सनी लियोन की ख्वाहिश!

बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोन की ख्वाहिशों की लिस्ट थोड़ी अजीब और आश्चर्यजनक है। जहां, कई लोगों का सपना बंजी जंपिंग और स्काई डाइविंग करने का होता है, वहीं सनी की आशा जीवन में एक बार शार्क के साथ तैराकी करने की है।

टेलीविजन शो 'यार मेरा सुपरस्टार'  में सनी ने कहा, 'मैं शार्क के साथ तैराकी करना चाहूंगी। यह मेरी आशा सूची में है। यह सब कुछ एक पिंजरे में होना चाहिए, ताकि वह मुझे खा न जाए।'

इस आशा के अलावा सनी कुछ समय आश्रम में भी बिताना चाहती हैं, क्योंकि उन्हें शांत माहौल काफी अच्छा लगता है।

सनी ने कहा, 'मैं उन आश्रमों में से एक में जाना पसंद करूंगी, जहां आपको एक या दो सप्ताह के लिए कुछ भी बोलने की जरूरत न हो। मुझे शांति काफी अच्छी लगती है। अगर मुझे ऐसी किसी जगह पर जाने का अवसर मिले, तो इससे मुझे स्वयं को जानने में मदद मिलेगी।'

सनी का कहना है कि उनके पति डेनियल वैबर के पास एक पालतू सांप है और अब उन्हें भी इसकी आदत पड़ चुकी है। 

एक तरफ बच्चा दूसरी तरफ ग्राहक

देह धंधा शौक नहीं मजबूरी होता है.एक बार इस धंधा में आने वाली औरत के लिये इसके अलावा कोई रास्ता नहीं रहता है. ग्राहक को खुश रखना ही उसकी पहली जरूरत बन जाती है. जिन औरतों के बच्चे 2 से 3 माह के भी नहीं हुये वह भी देह धंधा में ग्राहक को खुश रखना पहली जरूरत मानती है. कई औरतें तो कहती है कि गर्भावस्था के अंतिम दिनों में भी वह ग्राहक को खुश रखना चाहती है. ग्राहक खुश होगा तो वह अपना और बच्चे दोनो का पेट पाल सकेगी. यही सोंच कर वह एक तरफ बच्चा और दूसरी तरफ ग्राहक को रखकर देहध्ंध करती है. इलाहाबाद के मीरगंज रेड लाइट ऐरिया में जब पुलिस ने 200 कोठों पर छापा मारा तो 75 से अध्कि लडकियों और 45 के करीब कोठा मालकिनों और 10 ग्राहको को पकडा. पकडी गई लडकियों में आधी ऐसी थी जिनके पास 3 माह से लेकर 3 साल के तक छोटे बच्चे थे. इनमें कई लडकियां भी थी.

इस छापेमारी को मीरगंज की सबसे बडी छापेमारी के तौर पर देखा जा रहा है. इसका अंदाजा पुलिस फोर्स से लगाया जा सकता है. पुलिस ने एक एसपी की अगुवाई में 31 एसओ, 15 महिला एसओ, 300 सिपाही और 100 महिला सिपाहियों की पूरी टीम तैयार की थी. मीरगंज में देह धंधा पुराने समय से चला आ रहा है. ऐसी छापेमारी यहां होती ही रहती है. पुलिस ने बचने के लिये कोठा मालिक लकडी की जगह लोहे के दरवाजे लगवाते है. जिनको तोडने में पुलिस को समय लगता है तबतक वह भागने में सफल हो जाती है. कई कोठे आपस में जुडे होते है. जिससे भागने  में आसानी होती है. पुलिस की छापेमारी में देह धंधा करने वाली औरतो को ही नहीं उनके मासूम बच्चों को भी जेल भेज दिया गया.

22 साल की बिशाखा बदला नाम के 3 माह की बेटी गोद में थी पुलिस ने उसको छोटी बेटी के साथ जेल भेज दिया. बिशाखा ने बताया कि बच्ची के जन्म देने के कुछ दिन बाद ही देह धंधा करना शुरू करना पडता है. वह कहती है यहां रोज के खर्च होते है. कोठा मालकिन को पैसे देने के अलावा बाकी खर्च भी होते है. सबको चलाने के लिये पैसा चाहिये होता है. ऐसे में बच्चा होने वाला हो या हो चुका हो इसका कोई मतलब नहीं होता है. हम ग्राहक को किसी भी तरह से खुश रखने का काम करते है. कई बार दुध्मुहें बच्चे दूध् के लिये रोते रहते है पर हम उनकी तरफ ध्यान नहीं दे पाते क्योकि हम ग्राहक को खुश कर रहे होते है. यह बच्चे जब तक 2 से 3 साल के होते है हम इनको अपने साथ ही रखते है.ऐसे में यह बहुत बार होता है कि एक तरफ लेटा बच्चा सो रहा होता है तो दूसरी तरफ हम ग्राहक को खुश कर रहे होते है. हमारे पास इतना पैसा नहीं होता कि हम 2 अलग अलग जगहें ले सके. जब बच्चे बडे हो जाते है तो इनको अलग जगहो पर रहने देते है.
                            
 

कन्हैया ने उतारा “नीतीश का नशा”

बिहार में शराबबंदी के अपने फेैसले पर इतराते मुख्यमंत्राी नीतीश का नशा कन्हैया कुमार ने एक झटके में उतार डाला है. जेएनयू छात्रा संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा है कि अपराध् और झगड़ों को रोकने के लिए तो यह सही कदम है. इससे गरीबों को काफी पफायदा होगा. गरीबों की मेहनत की कमाई शराब में बर्बाद नहीं होगी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह कर नीतीश को तगड़ा झटका दे डाला  कि समूचे देश में शराबबंदी लागू करना बहुत बड़ा मसला है. इसके लिए समाज की मनोदशा को पढ़ना और समझना जरूरी है. कन्हैया ने साफ तौर पर शराबबंदी की ध्ज्जियां उड़ते हुए कहा कि होना तो यही चाहिए कि जो शराब पीना चाहते हैं, वो पीएं और जो नहीं पीना चाहते हों, वह नहीं पीएं. यह कह कर उन्होंने साफ कर दिया कि वह शराब पीने की भी ‘आजादी’ चाहते हैं. उसने माना कि लोकतांत्रिक नजरिए से देखा जाए तो वह शराबबंदी के फैसले के पक्ष में नहीं हैं.

गौरतलब है कि पिछले एक अप्रैल से देसी शराब पर रोक लगाई गई थी और 5 अप्रैल से विदेशी शराब और ताड़ी पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है. सरकार के इस फैसले के बाद बिहार पूरी तरह ‘ड्राइ स्टेट’ बन गया है. राज्य में किसी भी तरह की शराब बेचने, खरीदने और पीने पर रोक है. होटलों, क्लबों, बार और रेस्टोरेंट में भी जाम का छलकना और टकराना बंद है. शराब बेचते, खरीदते और पीते पकड़े जाने वालों को 10 साल की कैद की सजा हो सकती है.

कन्हैया सवर्ण जाति भूमिहार से आते हैं और बिहार में भूमिहार जाति पूरी तरह से भाजपा की अंध्भक्त हैं. कन्हैया के बहाने भूमिहार जाति को पटाने-रिझाने के लिए मुख्यमंत्राी नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव पलक-पांवड़े बिछाए रहे. लालू ने तो साफ तौर पर कह भी दिया कि भूमिहार जाति से आने के बाद भी कन्हैया दलित और पिछड़ों के हित की बात करते हैं, यह तारीफ के काबिल है. कन्हैया के पटना पहुंचने पर उसका खूब आदर- सत्कार किया गया. पूरे वीआइपी सुरक्षा में कन्हैया ने पटना की सड़कों पर चक्कर लगाया. किसी बड़े नेता की तरह उन्होंने गांधी मेैदान में महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह की मूर्तियों पर माला चढ़ाया. उसके बाद जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर, कुंवर सिंह की मूर्ति पर भी पफूल-मालाएं चढ़ाई. उनकी हिपफाजत मे डीएसपी लेबल के 2 अपफसर, सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी, वज्रवाहन और एबुलेंस तैनात था. बिहार सरकार ने किसी बड़े नेता की तरह उनकी खातिरदारी की गई.

30 अप्रैल और एक मई को कन्हैया पटना में थे. अफजल गुरू और शराबबंदी से जुड़े सवालों पर वह साफ जबाब नहीं दे सके. दिल्ली में अफजल के समर्थन में नारे लगाने के आरोपी कन्हैया ने अपने गृहराज्य बिहार आकर कहा कि अफजल गुरू उनका आदर्श नहीं हैं, पर साथ ही पलट कर यह सवाल भी दाग दिया कि अफजल जैसे लोग बनते कैसे हैं? आतंकी कौन है? यह साबित करने का अध्किार मोहन भागवत और उनके चेले-चपाटों को नहीं है. कपूर्री ठाकुर, सहजानंद सरस्वती, जोबा मांझी जैसे समाज की बेहतरी के लिए काम करने वाले लोग ही उनके आदर्श हैं.

कन्हैया पूरी तरह से नीतीश और लालू के रास्ते पर चलने को आतुर नजर आए. उन्होंने महागठबंध्न की तारीफ में कसीदे पढ़े और आरएसएस पर जम कर तीर चलाए. देश को संघ परिवार से मुक्त करने के लिए नीतीश कुमार के संकल्प की तारीपफ करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें ठोस काम करने होंगे. केंद्र सरकार की जुमलेबाजी का जबाब ठोस काम के जरिए ही किया जा सकता है.

कन्हैया के करीबी लोग बताते हैं कि वह लालू और नीतीश के दलित-पिछड़े सियासत की राह पर उतरने के लिए तैयार है और अगले लोक सभा चुनाव में बेगुसराय संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में लग गए हैं. जेएनयू मामले में जेल जाने और फिर जमानत पर छूटने के दौरान अपने पक्ष में उपजी सहानूभूति लहर को वह लोक सभा चुनाव तक गरम और बरकरार रखना चाहते हैं और इसमें उन्हें लालू और नीतीश की मदद की दरकार होगी. राज्य के मुख्यमंत्राी रहे जीतनराम मांझी ने यह कह कर सियासी हलकों को गरमा दिया है कि कन्हैया लालू और शराब मापिफयाओं के साथ मिलकर शराबबंदी का विरोध् कर रहे हैं. मांझी ने कन्हैया से सवाल पूछा है कि दिल्ली से पटना हवाई जहाज से आने-जाने और पटना के कई कार्यक्रमों के आयोजन का खर्च कहां से आया?

बोतलबंद ताजा हवा जल्द बाजार में उपलब्ध

साफ और ताजी हवा के लिए हाहाकार मचा हुआ है. देश का हर महानगर और हर बड़ा शहर प्रदूषण की जबरदस्त मार झेल रहे हैं. दिल्ली में पसरे प्रदूषण की बदनामी पूरी दुनिया भर में फैल चुकी है. औड-इवेन का तमाशा भी दुनिया देख रही है. सुप्रीम कोर्ट भी सख्ती दिखा चुका है. पुरानी और डिजेल गाडि़यों को सड़क से उठा लेने की ताकीद भी कोर्ट कर चुका है. लेकिन प्रदूषण की मात्रा है कि घटने का नाम ही नहीं ले रही है. इन दिनों प्रदूषण के मामले में भारत-चीन भाई-भाई बने हुए हैं. दुनिया भर में प्रदूषण के वैज्ञानिक पैमाने में भारत और चीन खतरे के लाल निशान को कब का पार कर चुके हैं. जिस तरह दिल्ली और इसके आसपास की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गयी है, उसी तरह बेंजिंग की हवा भी दमघोंटु हो गयी है. कहते हैं कि दिल्ली और चीन में प्रदूषण की मात्रा लगभग एक बराबर है.

वारूटलिटी एयर नाम की कनाडा की एक कंपनी चीन में भी बोतलबंद स्वच्छ हवा की सप्लाई कर रही है. बोतलबंद ताजा हवा. सुनने में जरा अटपटा लगता है. वैसे पहली बार जब बोतलबंद पानी बाजार में आया था, तब शुरूआत में लोगों ने यह कहते हुए इसे हल्के में लिया था कि जब नलके से पानी आता है तो बोतलबंद पानी की क्या जरूरत? पर आज यह वास्तविक सच्चाई है. लोग नलके के पानी के बजाए बोतलबंद पानी का ज्यादा भरोसा करने लगे हैं. यह कितना विशुद्ध होता है, यह अलग से बहस का विषय है.

कंपनी का ओवरसीज कारोबार चीन से ही शुरू हुआ. चीन में कंपनी ने पहलेपहल महज 500 बोतल की सप्लाई की थी, जो कि इतना सफल रहा कि एक हफ्ता के भीतर 4000 बोतल की सप्लाई की मांग आयी. इसके बाद तो कंपनी चीन में दमखम के साथ सफल हो गयी.

अब जल्द ही यही कंपनी भारतीय बाजार में सांस लेने के लिए बोतलबंद ताजा हवा उपलब्ध होने जा रहा है. कनाडा की यह कंपनी वाइटलिटी एयर भारत में भी बोतलबंद स्वच्छ और ताजी हवा की सप्लाई करने जा रही है. कंपनी का दावा है कि कनाडा के अलबर्टा के बंफ नेशनल पार्क और लेक लुइज की ताजा हवा को विशेष तकनीक के जरिए कंप्रेस करके एल्मुनियम के बोतल में बंद कर इसकी सप्लाई कर रही है. इसीलिए चीन में सफलता हासिल करने के बाद अब कंपनी कई देशों में अपना कारोबार बढ़ा रही है. कंपनी के पास विशुद्ध औक्सीजन और ताजा हवा – दो तरह के उत्पाद हैं. नवंबर 2014 को यह कंपनी लांच हुई है. कंपनी ने पहली बार खुदरा बाजार में 7.7 लीटर की ताजा हवा वाली बोतल 16.80 डौलर उतारा. इससे लगभग 150 बार सांस लिया जा सकता था.

शुरूआती सफलता के बाद कंपनी ने 3 लीटर और 8 लीटर की बोतल से 160 बार की बोतल को बाजार में उतारा है. की बोतल से 80 बार सांस लिया जा सकता है और 8 लीटर से 160 बार. कंपनी के अनुसार 8 लीटर की बोतल की मांग सबसे ज्यादा है. इसकी वजह यह है कि इस बोतल के साथ एक मास्क भी आता है, जिसे मुंह पर रख कर ताजी हवा का एक कतरा बर्बाद किए बगैर इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन कंपनी 3 लीटर की बोतल की कीमत भारत में 1450 रु. और 8 लीटर की बोलत की कमत 2800 रु. रखी गयी है. यानि एक बार ताजी हवा में सांस लेने के लिए औसतन 17-18 रु. चुकानी होगी. सवाल यह है कि ताजी हवा को बोतल में क्या वाकई बंद किया जा सकता है? बोतल बंद पानी की तरह बोतल बंद हवा उतना ही सफल होगा – यह तो आनेवाला समय ही बताएगा. बहरहाल, ताजा हवा के इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार है या नहीं – इस बारे में अभी कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. हां, इतना जरूर है कि आनेवाले समय में इसके खाली बोतल से प्रदूषण जरूर बढ़ेगा.te

सादगी के महिमामंडन की राजनीति

नेताओं की खासियत होती है कि वह जनता के बीच रहते है. इसीलिये उनको नेता कहा जाता है. कुछ सालांे से नेता जनता से दूर होती जा रही है. ऐसे में नेता अपनी सादगी का दिखावा करने लगते है. अपने प्रबंध् तंत्रा के बलबते नेता अपनी सादगी का दिखावा करते हुये खूब प्रचार करते है. मई दिवस को मजदूर दिवस के नाम से जाना जाता है. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक ने इस दिन मजदूरों के साथ अपना समय गुजारा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बलिया में गरीब औरतों के लिये उज्जवला योजना शुरू की. इसके तहत उनको रसोई गैस की सुविध दी जायेगी. बलिया के ही पडोस में प्रधानमंत्री मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में दूसरा कार्यक्रम था. इसमें प्रधानमंत्री ने गरीबो को ई-रिक्शा बांटा. यहां प्रधानमंत्री ने खुद को मजदूर नम्बर वन बताया. वैसे भी लोकसभा चुनावों में नरेंद मोदी ने खुद को चाय वाले के रूप में पेश किया था. जिसका लाभ भी उनको मिला था.

बात केवल नरेंद मोदी की ही नहीं है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव में पूरे उत्तर प्रदेश का दौरा कर जनता से संवाद बनाया था. सरकार बनने के बाद जनता दरबार से लेकर बाकी चीजे बंद हो गई. अब चुनाव आये तो गरीबों की याद आने लगी. मजदूर दिवस के दिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गरीबों के लिये 10 रूपये में सस्ते भोजन की योजना शुरू की. गरीबों को साइकिल बांटी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गरीब महिलाओं से भोजन पर बातचीत की. उनके साथ भोजन करने वाली महिलाओं के फोटो और वीडिया खूब दिखाये गये. मुख्यमंत्री के प्रचारतंत्र ने पूरी घटना इस तरह से पेश किया जैसे मुख्यमंत्री रोज गरीबों के साथ बैठ कर भोजन करते हो. मुख्यमंत्री के साथ भोजन के साथ गरीबों को भी मिनरल वाटर की बोतल पीने के लिये दी गई. बेहतर होता कि इस तरह का काम पूरे साल चलता जहां गरीबों को सम्मान सहित कम से कम पैसों में भोजन मिल सकता. सरकारे इस तरह के काम कर सकती है. जब मंदिरों में भंडारे चल सकते है तो सरकारे ऐसी व्यवस्था क्यो नहीं कर सकती ?

सादगी का महिमामंडन की शुरूआत कांग्रेस के जमाने से हुई. जब राहुल को दलित लोगों के बीच खाना खाते दिखाया जाता था. नेताओं को राहुल के इस तरह के महिमामंडन से सबक लेना चाहिये. इन तरह के महिमामंडन से वोट मिलते तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार कब की बन चुकी होती. किसी की असफलता से सबक सीखना भी जरूरी होता है. गरीबों के बीच जाकर सादगी दिखाने का महिमामंडन कांग्रेस को वोट नहीं दिला सका तो दूसरों को भी इससे वोट नहीं मिलने वाला. नेताओं को सोचना चाहिये कि उनको इस बात जरूरत क्यों आ पडी कि उनको गरीबों के करीब रहने का दिखावा करना पडे. दरअसल आजकल के नेता जनता से दूर रहते है. इसलिये समय समय पर उनको जनता के करीब रखने का दिखावा करना पडता है. यह बात साफ है कि ऐसे महिमामंडन से वोट नहीं मिलते है. 
         
                            
 

रामू की अगली फिल्म ‘राय’ का पहला लुक जारी

डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा (रामू) की अपकमिंग फिल्म 'राय' का फर्स्ट लुक रिलीज किया गया है. पूर्व अंडरवर्ल्ड डॉन मुथप्पा राय की लाइफ पर बेस्ड इस फिल्म से विवेक ओबरॉय करीब तीन साल बाद वापसी कर रहे है. वे आखिरी बार 'कृष 3'(2013) में दिखाई दिए थे. रामू ने फिल्म का फर्स्ट लुक ट्विटर पर शेयर किया है और मुथप्पा राय को दुनिया का सबसे बड़ा डॉन बताया है. 30 रुपए से शुरुआत, आज 30 हजार करोड़ की संपत्ति का मालिक है राय…

– रामू ने फर्स्ट लुक के साथ एक ट्वीट में लिखा है, "उसने 30 रुपए से अपनी यात्रा शुरू की थी और 30 साल बाद आज वह 30,000 करोड़ की संपत्ति का मालिक है."

– रामू ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है, " डी-कंपनी और अमेरिकन माफिया सहित दुनिया का वह इकलौता गैंगस्टर रहा है, जिसने साबित किया कि क्राइम पे करता है.

– वहीं, एक ट्वीट में रामू ने राय को भगवान बताने की कोशिश की है. उन्होंने लिखा है, "उसने एक छोटे से बैंक क्लर्क के रूप में काम किया और आज वह खुद एक बैंक है"

– एक अन्य ट्वीट में वे रामू लिखते हैं, "सबसे खतरनाक डॉन मुथप्पा राय को इंटरपोल ने अरेस्ट किया और भारत को सौंप दिया. आज लाखों लोग उसकी पूजा करते हैं."

– रामू ने एक ट्वीट में यह भी बताया कि जहां भारत में एक सिंपल मर्डर के लिए 20 साल तक ट्रायल चलता है. वहीं, राय को 20 खून के लिए महज 21 महीने में रिहा कर दिया गया था.

– रामू ने फिलहाल, फिल्म की रिलीज डेट अनाउंस नहीं की है. हां, एक ट्वीट में उन्होंने यह जरूर कहा है कि वे तीन फिल्में 'राय', 'वीरप्पन' और 'सरकार 3' अलग स्टाइल में बनाएंगे.

 

 

देश में बस 1% आबादी भरती है टैक्स

देश की कुल आबादी में करदाताओं की संख्या सिर्फ 1% हैं. हालांकि, 5,430 लोग ऐसे हैं जो सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स देते हैं. सरकार के आकलन वर्ष 2012-13 के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.

पारदर्शिता अभियान के तहत सरकार ने पिछले 15 साल के प्रत्यक्ष कर आंकड़ों को सार्वजनिक किया है. आकलन वर्ष 2012-13 के लिए लोगों के आंकड़ों को प्रकाशित किया गया है. इसमें 31 मार्च, 2012 को समाप्त वित्त वर्ष के आयकर के आंकड़े दिए गए हैं. कुल मिलाकर 2.87 करोड़ लोगों ने वित्त वर्ष के लिए आयकर रिटर्न दाखिल किया. इनमें से 1.62 करोड़ ने कोई टैक्स नहीं दिया. इस तरह करदाताओं की कुल संख्या 1.25 करोड़ रही, जो उस समय देश की 123 करोड़ की आबादी का लगभग 1% है.

आंकड़ों के अनुसार ज्यादातर यानी 89% या 1.11 करोड़ लोगों ने 1.5 लाख रुपये से कम का कर दिया. इस दौरान औसत कर भुगतान 21,000 रुपये रहा. कुल कर संग्रहण 23,000 करोड़ रुपये रहा. 100 से 500 करोड़ रुपये के दायरे में तीन लोगों ने 437 करोड़ रुपये का टैक्स दिया. इस तरह औसत कर भुगतान 145.80 करोड़ रुपये रहा.

कुल मिलाकर 5,430 लोगों ने एक करोड़ रुपये से अधिक का आयकर अदा किया. इनमें से 5,000 लोगों का कर भुगतान एक से पांच करोड़ रुपये के दायरे में रहा. इन लोगों का कुल कर भुगतान 8,907 करोड़ रुपये रहा. कुल आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में कुल आयकर संग्रहण नौ गुना बढ़कर 2.86 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह 2000-01 में 31,764 करोड़ रुपये था.

 

 

बैंकों ने बढ़ाया सर्विस चार्ज

देश के प्रमुख बैंक अब अपनी सर्विसेस को महंगा करने जा रहे हैं. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) इनमें सबसे आगे हैं. जहां पीएनबी 6 मई से ही नई दरें लागू करने जा रहा है, वहीं एसबीआई 1 जून से ग्राहकों पर यह अतिरिक्त भार डालेगा. सर्विसेस महंगी होने से बैंक अकाउंट से लेकर चेक और दूसर सभी प्रमुख सेवाएं महंगी हो जाएंगी.

ये सर्विसेस होंगी महंगी

कैश जमा – नए नियमों के अनुसार एसबीआई सेविंग्स और करंट अकाउंट होल्डर किसी भी ब्रांच में एक दिन में 50 हजार रुपए तक कैश बिना कोई सर्विस चार्ज चुकाए जमा कर सकेंगे, जबकि 50 हजार से ज्यादा कैश जमा करने पर प्रति हजार रुपए पर 30 पैसे का सर्विस चार्ज भुगतान करना पड़ेगा. इस सर्विस चार्ज को बैंक तय करेंगे और नॉन होम ब्रांच में एक दिन में अधिकतम 25000 रुपए ही जमा किए जा सकेंगे. अब तक कोई भी अकाउंट होल्डर एक लाख रुपए तक बिना किसी सर्विस चार्ज के जमा कर सकता है.

बैंक अकाउंट – पीएनबी में बैक अकाउंट खोलने के एक साल के अंदर बंद करने पर सेविंग्स अकाउंट पर 200 रुपए से लेकर 500 रुपए, जबकि करंट अकाउंट पर 500 रुपए से लेकर 800 रुपए तक सर्विस चार्ज वसूला जाएगा. फिलहाल इन सर्विसेस के लिए बैंक 100 रुपए से 500 रुपए तक चार्ज ले रहा है.

चैक – चैक रिटर्न होने पर अब ग्राहक पर 300 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक का जुर्माना लगेगा. वर्तमान में यह चार्ज 100 रुपए से 500 रुपए तक है.

बैंक लॉकर – बैंक लॉकर के लिए अब साल में केवल 12 फ्री विजिट होंगी, अब तक साल में 24 बार तक फ्री विजिट की छूट थी. 12 बार के बाद हर विजिट पर 50 रुपए चार्ज देना होगा.

इंटरनेट बैंकिंग होगी सस्ती

एसबीआई ने ऑनलाइन बैंकिंग को प्रमोट करने के लिए उसे सस्ता कर दिया है. इसके तहत अब एनईएफटी ट्रांजेक्शन और आरटीजीएस ट्रांजेक्शन सस्ता हो गया है.

एनईएफटी – 10 हजार रुपए तक के ट्रांजेक्शन पर 2.50 रुपए की जगह अब 2 रुपए देने होंगे. इसी तरह 10 हजार से ज्यादा और एक लाख रुपए तक के ट्रांजेक्शन पर 5 की जगह 4 रुपए देने होंगे. वहीं एक लाख रुपए से ज्यादा और 2 लाख रुपए तक के ट्रांजेक्शन पर 15 की जगह 12 रुपए और दो लाख रुपए से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर 25 की जगह 20 रुपए देने होंगे.

आरटीजीएस – 5 लाख रुपए से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर चार्ज 50 रुपए से घटाकर 45 रुपए कर दिया गया है. जबकि उससे कम के ट्रांजेक्शन पर 25 की जगह 20 रुपए देने होंगे.

सैलेरी अकाउंट होल्डर्स को एटीएम इस्तेमाल पर राहत

इसके तहत एसबीआई और उसके समूह बैंकों के एटीएम से सैलेरी अकाउंट होल्डर्स को अनलिमिटेड ट्रांजेक्शन की सुविधा दी है. इसी तरह दूसरे बैंक के एटीएम के इस्तेमाल पर अनलिमिटेड ट्रांजेक्शन की सुविधा मिलेगी.

 

महंगाई की मार अब एलपीजी पर…!

एलपीजी निर्माता कंपनियों ने रसोई गैस सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी कर दी है. सब्सिडी वाले सिलेंडर 18 रुपए 50 पैसे व व्यवसायिक सिलेंडर के दाम 21 रुपए बढ़ गए हैं. मई महीने में इसी कीमत पर सिलेंडर की बिक्री की जाएगी.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ गए हैं. पेट्रोल व डीजल की कीमत बढ़ने के साथ ही 30 अप्रैल की आधी रात से एलपीजी निर्माता कंपनियों ने रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी. कीमत बढ़ने के साथ ही मई महीने की दर भी तय कर दी गई है.

 मई में उपभोक्ताओं को 609 रुपए में सिलेंडर खरीदना पड़ेगा. सब्सिडी के रूप में उपभोक्ताओं के खाते में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा 181 रुपए 35 पैसा जमा किए जायेंगे. व्यावसायिक सिलेंडर की कीमत को भी बढ़ाया गया है. 21 रुपए की वृद्धि के साथ ही 1,098 रुपए की दर से सिलेंडर की बिक्री की जाएगी.

केंद्र सरकार ने ‘पहल योजना’ प्रारंभ करने के साथ ही रसोई गैस सिलेंडर को नियंत्रण मुक्त कर दिया है. मसलन एलपीजी निर्माता कंपनियों को हर महीने दाम तय करने की छूट दे दी गई है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता आते ही रसोई गैस सिलेंडर के दाम में भी तब्दीली कर दी जाती है. जब से कीमतों को नियंत्रणमुक्त किया गया है रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में अस्थिरता बनी हुई है.

बीते चार महीने से कीमत में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है. इसी तरह पेट्रोल व डीजल की कीमतों में अस्थिरता का माहौल देखा जा रहा है. अधिक कीमत पर कमर्शियल सिलेंडर की खरीदी कर गोदाम में स्टॉक रखते ही दूसरे महीने अचानक कीमत में कमी कर दी जाती है. इसका घाटा डीलरों को उठाना पड़ रहा है.

सब्सिडी धारकों पर कोई असर नहीं

सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत में गिरावट या फिर दाम ऊंचे होने का असर सब्सिडीधारी उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा. ये अलग बात है कि सिलेंडर खरीदते वक्त जेब ढीली करनी पड़ेगी. दो या तीन बाद सब्सिडी की राशि खाते में जमा करा दी जाएगी.

 

मैच फिक्सिंग में हो सकती है 10 साल की सजा

लोकसभा सांसद और BCCI सेक्रटरी अनुराग ठाकुर ने तीन गैर सरकारी विधेयक पेश किए जिसमें महत्वपूर्ण 'नैशनल स्पोर्ट्स एथिक्स कमिशन' विधेयक भी शामिल है जो मैच फिक्सिंग में शामिल प्लेयर्स को 10 साल जेल की सजा की सिफारिश करता है. इस गैर सरकारी विधेयक में जस्टिस के अलावा जानी मानी खेल हस्तियां शामिल होंगी.

ठाकुर का यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि IPL 2013 मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद से BCCI विवाद में रहा है. आईपीएल 2013 फिक्सिंग प्रकरण में पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज एस श्रीसंत सहित तीन क्रिकेटरों को गिरफ्तार किया गया था. दो अन्य क्रिकेटर अजित चंदीला और अंकित चव्हाण थे.

नैशनल स्पोर्ट्स एथिक्स कमिशन होगा गठित

यह पूछने पर कि उन्होंने आखिर किन कारणों से लोकसभा में विधेयक पेश किया, ठाकुर ने कहा, 'खेल प्रेमियों के प्रति निष्पक्ष होने के लिए उचित है कि जवाबदेही लाई जाए. मैच फिक्सिंग पर लगाम कसने के लिए कोई नियम नहीं है. यह अनिवार्य है कि इस से लड़ने के लिए कोई कानून हो.'  लोकसभा में पेश विधेयक के अनुसार इसका उद्देश्य नैशनल स्पोर्ट्स एथिक्स कमिशन का गठन है जिस से कि सुनिश्चित हो सके कि सभी खेलों में नैतिक गतिविधियां हो और साथ ही डोपिंग,  मैच फिक्सिंग,  उम्र धोखाधड़ी,  खेलों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का उन्मूलन की दिशा में काम करना शामिल है.

क्या है प्रस्ताव में

ठाकुर द्वारा पेश यह विधेयक अगर पारित हो जाता है तो ना सिर्फ खिलाड़ी पर आजीवन प्रतिबंध लगेगा बल्कि मैच फिक्सिंग के मामले में उसे 10 साल जेल की सजा और रिश्वत की राशि का पांच गुना जुर्माना भी लगेगा. आयु या लिंग की धोखाधड़ी पर छह महीने की जेल और एक लाख रूपये का जुर्माना होगा. खिलाड़ी ही नहीं बल्कि इस तरह की आपराधिक गतिविधियों में मदद करने वाले कोचों और खेल महासंघों के सदस्यों को भी इन्हीं धाराओं के तहत सजा दी जाएगी. इस गैर सरकारी विधेयक में ‘राष्ट्रीय खेल नैतिक आयोग’  के गठन की मांग की गई है जिसमें न्यायाधीशों के अलावा जानी मानी खेल हस्तियां शामिल होंगी.

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