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बिमारियों से रहना है दूर तो बनाएं अच्छी यादें

क्या आप की छोटीछोटी आदतें दूसरों को नाराज कर देती हैं, आप माहौल को खुशनुमा बनाने के बजाय मुंह फुला कर बैठ जाती हैं या जब सब इंजौय करते हैं तब सेंटर औफ अटै्रक्शन बनने के लिए एक कोने में चली जाती हैं तो अपनी इन आदतों को बदल दीजिए क्योंकि आप अपनी इन आदतों से न सिर्फ मजा किरकिरा करती हैं बल्कि अपने लिए स्ट्रैस और डिप्रेशन जैसी बिमारियों को भी न्यौता देती हैं.

जी हां ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी औफ लिवरपुल के द्वारा किए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि अच्छी यादें व्यक्ति के मस्तिष्क में पौजिटिव एनर्जी लाती हैं जोकि हर तरह की चिंता या डिप्रेशन जैसी विकारों से आप को बचाती हैं. इस शोध में शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए ब्रौड माइंडेड इफेक्टिव कोपिंग (बीएमएसी) तकनीक का इस्तेमाल किया है. बीएमएसी एक तकनीकी हस्तक्षेप है जो पौजिटिव यादों की मानसिक कल्पना के माध्यम से सकारात्मक प्रभाव या भावनाओं को प्रकाशित करता है.

क्यों जरूरी हैं अच्छी यादें

मनोवैज्ञानिक रिपन सिप्पी के अनुसार हमारा अतीत हमारे आज को प्रभावित करता है. अगर यादें अच्छी नहीं हैं तो हमारे आज पर असर डालती हैं. हम बारबार याद कर के उदास होते हैं, जिस की वजह से हमारे अंदर नकारात्मक भाव आते हैं, लेकिन अगर अच्छी यादें हैं तो सुरक्षित महसूस करते हैं और याद कर के खुश होते हैं.

दरअसल हम जो सोचते हैं हमारे मस्तिष्क पर वही बात असर डालती है. अगर हम अच्छा करते हैं तो हमारे अंदर अच्छे भाव आते हैं. एक कहावत है कि हम जो देंगे हमें वही मिलेगा. ठीक इसी प्रकार हम अच्छी चीजें करेंगे तो हमारी यादें भी अच्छी बनेंगी, जिस से हमें पौजिटिव एनर्जी मिलेगी. अब आप सोच रहे होंगे कि भला यादों को कैसे अच्छा किया जा सकता है, तो टेंशन न लें. ये कुछ छोटीछोटी चीजें हैं जिस से आप अपनी यादों को खूबसूरत बना सकते हैं और खुश रह सकते हैं.

हैल्दी रिलेशनशिप बनाएं

घर, गाड़ी, नौकरी, कपड़े ये चीजें तो बदलती ही रहती हैं, लेकिन जो हमेशा आप के साथ रहेंगे, वे है आप की फैमिली, फ्रैंड्स और रिश्तेदार. इसलिए उन के साथ हैल्दी रिलेशन बनाएं. जब भी समय मिले, उन के साथ कुछ समय बिताएं, उन की पसंद की चीजें करें.

लेना नहीं बल्कि देना सीखें

हम सब की आदत होती है कि हम चाहते हैं कि हम किसी के लिए कुछ करें चाहे न करें लेकिन लोग हमारे लिए जरूर करें. पर जिस दिन आप ने दूसरों से लेने के बजाय देना सीख लिया, उस दिन से आप को खुश रहने के लिए वजह नहीं ढूंढ़नी पड़ेगी, बल्कि आप खुद से खुश रहेंगे.

एक्सपैरिमैंट करने से डरे नहीं

जब तक आप कुछ करना शुरू नहीं करेंगे, तब तक आप इंजौय करना नहीं सीख पाएंगे. इसलिए हमेशा कुछ नया एक्सपैरिमैंट करें ताकि वह पल यादगार बन जाए. इस के लिए भले ही आप को कुकिंग नहीं आती हो लेकिन इस का यह मतलब नहीं है कि आप कोशिश न करें, बल्कि जो भी आता है, उसे बनाएं. आप की छोटीछोटी गलतियां ही पलों को खास बनाती हैं.

इंजौय करना सीखें

जब तक आप छोटीछोटी चीजों को इंजौय करना नहीं सीखेंगे तब तक आप हैप्पी मैमोरी नहीं बना पाएंगे. भले ही आप परेशान क्यों न हों लेकिन जब चीजों को इंजौय करना शुरू करते हैं तब अपनेआप ही टेंशन कम होने लगती है.

पुरानी बातों को भूलना सीखें

जब हमारी किसी से लड़ाई होती है तब हमें उस की हर बात बुरी लगने लगती है. अगर कभी किसी फ्रैंड ने मिलने का प्लान बनाया और हमें पता चलता है कि वहां प्रिया भी आ रही है तो हम वहां नहीं जाते और पुरानी बात की वजह से आज के पल को मिस कर देते हैं. अगर आप भी ऐसा करती हैं तो अपनी आदत को बदल दीजिए और पुरानी बातों को भूलना शुरू कीजिए और फिर देखिए.

बाहर घूमने जाएं

अच्छी यादें सिर्फ एक इंसान से नहीं बनती, बल्कि इस में फन का तड़का तब लगता है जब कई लोग शामिल होते हैं.आप कहीं भी क्यों न हों, कितने भी व्यस्त क्यों न हो, लेकिन थोड़ा समय निकाल कर अपने दोस्तों के साथ कहीं घूमने जाएं. इस से आप न सिर्फ फ्रेश फील करेंगे बल्कि यह ट्रिप एक यादगार ट्रिप बनेगी.

डायरी लिखें

यहां डायरी लिखने का मतलब यह नहीं है कि आप हर चीज को डायरी में लिखें, बल्कि आप ने जो खास पल बिताएं हैं, उसे लिखें. ताकि कुछ समय बाद जब आप उसे पढ़ें तो आप के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाए.

फोटो क्लिक करना न भूलें

कुछ लोगों को फोटो खिंचवाना अच्छा नहीं लगता है लेकिन यादों को खूबसूरत बनाने के लिए बहुत जरूरी है. जब भी आप खुश हों तो फोटो जरूर क्लिक करें.

यादों को महकाएं

आप सोच रहे होंगे कि भला ये क्या है लेकिन वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि जब यादों को फिर से ताजा करने की बात आती है तो स्मेल एक खूबसूरत अनुभव देते हैं. आप खास दिन के लिए स्पैशल डीओडरंट, शैंपू, साबून, बौडी स्प्रे चुनें, जिस का आप ने पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया हो.

कुछ अलग ट्राई करें

कुछ अलग का मतलब है अपनी पर्सनाल्टी के साथ कुछ डिफरैंट ट्राई करें. आप हेयरकट करवा सकती हैं, स्पा ले सकती हैं, अकेले मूवी देखने जा सकती हैं, आप जब पहली बार कोई चीज करती हैं तो यकीनन आप को उस से खुशी मिलती है.

बातें करें

आप को जिन लोगों से बात करना अच्छा लगता है आप उन से थोड़ेथोड़े अंतराल पर बात करते रहें. इस से आप के अंदर भी पौजिटिव एनर्जी आती है. जब कोई आप को मैसेज के माध्यम से कुछ स्पैशल चीज भेजे तो उस का स्क्रीनशौट ले लें, क्योंकि मैसेज एक सय के बाद डिलिट करना पड़ता है लेकिन स्क्रीन शौट को आप हमेशा एक याद के तौर पर रख सकते हैं.

…और लालू बने गए बाबा के ब्रांड एंबेसेडर?

और एक झटके में ही राजद सुप्रीमो लालू यादव अपने धुर विरोधी बाबा रामदेव के पतंजलि उत्पादों के ब्रांड एंबेसेडर बन गए. सच ही कहा गया है कि राजनीति में कोई भी रिश्ता परमानेंट नहीं होता है. लालू और रामदेव दोनां ही यादव जाति के हैं, पर दोनों के बीच हमेशा से 36 का आंकड़ा वाला रिश्ता रहा है. लालू कई मौकों पर रामदेव को पूंजीपति और ठग तक करार दे चुके हैं, लेकिन आज रामदेव को लेकर लालू के सुर बदले-बदले नजर आए. आज अचानक दिल्ली में रामदेव लालू के घर पहुंच गए और उन्हें 21 जून को अपने फरीदाबाद योग जलसे में आने का न्यौता दिया.

लालू ने भी रामदेव, उनके योग और उनके प्रोडक्टस की जम कर तारीफ की. रामदेव ने लालू के और करीब पहुंचते हुए उनके गालों पर पतंजलि का गोल्ड क्रीम लगा डाला. उत्तर प्रदेश के चुनावी मौसम के बीच लालू और रामदेव के इस बेमेल मिलन के कई अर्थ और अनर्थ निकाले जाने लगे हैं. ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब लालू ने रामदेव की जम कर पोल-पट्टी खोली थी. पिछले 14 अप्रैल को ही डाक्टर भीमराव अंबेडकर की 125 जयंती के मौके पर राजद कार्यालय में आयोजित जलसे में लालूू ने बाबा रामदेव समेत रविशकर, आसाराम सहित तथाकथित ध्र्मगुरूओं पर जम कर निशाना साध था. रामदेव पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा था कि रामदेव खुद को संत और योग गुरू कहते हंै पर वह आज सबसे बड़े उद्योगपति और पूंजीपति बने बैठे हैं. उनसे बड़ा मौकापरस्त तो चिराग लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा.

जब उत्तर प्रदेश में उन्हें अपना योग और जड़ी-बूटियों की दूकान चलानी थी तो वह मुलायम सिंह यादव के गुण गाते नहीं थकते थे और आज अपना उद्योग चलाने और फैलाने के लिए नरेंद्र मोदी की गोद में जा बैठे हैं. ऐसा आदमी बाबा कैसे हो सकता है? उसी रामदेव और उनके प्रोडक्टस की तारीपफ करते हुए आज लालू कह रहे हैं कि रामदेव के प्रोडक्टस काफी बेहतरीन और खास बात यह है कि रामदेव उसकी शुद्धता की गारंटी भी देते है. रामदेव के प्रोडक्टस की कामयाबी की वजह से कई लोग उन्हें तिरछी नजरों से देखते हैं. रामदेव की वजह से कई लोगों की दूकानें बंद हो गई हैं.

लालू ने यह भी माना की रामदेव के बताए योगासन को करने से उन्हें काफी पफायदा मिला था. भाजपा और नरेंद्र मोदी से करीबी के चलते रामदेव भाजपा विरोधी दलों के निशाने पर रहे हैं. जब तक वह केवल योग गुरू थे तो हर राज्य की सरकारें उन्हें सम्मान देती थी. बिहार में योग शिविर लगाने कई बार रामदेव पहुंचे तो राज्य सरकार ने उन्हें स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया था. जब से रामदेव बिजनेसमैन और राजनेता बनने की कोशिश में लगे तो कई दलों के निशने पर आ गए. लालू और रामदेव के मिलन और एक दूसरे की तारीपफ में कसीदे पढ़ने के मामले को उत्तर प्रदेश के विधन सभा चुनाव से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. कहीं यह यादव वोट के ध््रुवीकरण के लिए सोची-समझी राजनीति तो नहीं है. बात कुछ भी हो पर रामदेव को बगैर एक फूटी कौड़ी खर्च किए अपने प्रोडक्टस के लिए गांवों लेकर नेशनल और इंटरनेशनल लेबल पर मशहूर लालू यादव जैसा ब्रांड एंबेसेडर तो फ़िलहाल मिल ही गया है. लालू ने भी रामदेव के सुर में सुर मिलते हुए कहा कि वह तो उनके लाइपफ टाइम ब्रांड एंबेसेडर हैं.

शायरी और सियासत

दिल का बोझ और तनाव कम करने के लिए मुशायरे में शिरकत करने वालों की तादाद घट रही हैं क्योंकि शायर अभी भी जुल्फ, जंगल और जंग जैसे शब्दों में उलझे पड़े हैं. इस के बाद भी उन की अहमियत है क्योंकि वे कम लफ्जों में कायदे की बात कह जाते हैं और किसी की परेशानी की वजह नहीं बनते. मुशायरे हालांकि, सियासत के बडे़ अड्डे आज भी हैं.

कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी 6 अप्रैल को दिल्ली के एक मुशायरे में जा पहुंची और तयशुदा 10 मिनट के बजाय 3 घंटे रुकीं. मौका था जगजीवनराम की जयंती पर उन की बेटी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा आयोजित मुशायरे का जिस में कुछ नामचीन शायर भी कलाम पढ़ने आए थे. शायरों से सोनिया गांधी पूरी आत्मीयता से मिलीं तो ऐसा लगा मानो तख्तापलट में इन का सहयोग मांग रही हों. अब ये शायद कुछ करें, न करें लेकिन असहिष्णुता और भारत माता की जय पर विवादों को तो शायरी के जरिए आगे बढ़ा ही सकते हैं. अब यह सोनिया गांधी को तय करना है कि ऐसे विवादों से कांगे्रस को फायदा ज्यादा हो रहा है या नुकसान.

एक थी अभिनेत्री

3 अप्रैल, 2016

‘‘मशहूर अभिनेत्री प्रथना देसाई नहीं रही. कल अपने ही घर में मृत पाई गई. प्रथना देसाई के पड़ोसियों को कुछ शंका हुई तो उन्होंने ही पुलिस को खबर दी. दरवाजा तोड़ सभी अंदर गए. शायद 24 घंटे से ज्यादा हो गया था उस की मौत हुए. वह अपने ही घर में पंखे से लटकी हुई मिली. शव को पोस्टमौर्टम के लिए भेजा जा रहा है और उस के घर को सील कर दिया गया है. प्रथना, गुजरात के वडोदरा शहर की रहने वाली थी. अभी कुछ देर में उस के मातापिता पहुंचने ही वाले हैं. उस के बाद ही पोस्टमौर्टम होगा और फिर अंतिम संस्कार.

‘‘ऐक्टिंग के शौक ने प्रथना को मुंबई बुला लिया. मुंबई के डोबिवली इलाके में वह 2 बीएचके के फ्लैट में रहती थी. अब पोस्टमौर्टम के बाद ही पता चल पाएगा कि उस ने आत्महत्या की या फिर उस की हत्या की गई और अगर उस ने आत्महत्या की तो क्यों? प्रथना देसाई की मौत की खबर ने सब को हैरान कर दिया है, खासकर उस के चाहने वालों को. आखिर क्यों की उस ने आत्महत्या? ऐसे कई सवाल अपने पीछे छोड़ गई है प्रथना. कैमरामैन राहुल पांडे के साथ नम्रता सेठ, मुंबई नैशनल चैनल.’’

‘‘आप की अपनी बेटी से अंतिम बार कब बात हुई?’’ इंस्पैक्टर साहब ने पूछा पर अभिनेत्री प्रथना की मां उस अवस्था में नहीं थी कि जवाब दे पाए. जब उस के पापा दिलीप देसाई से पूछा गया तो वे बोले, ‘‘परसों रात को करीब 11 बजे उस का फोन आया था, हमारी उस से बात हुई.’’

‘‘क्या रोज फोन करती थी?’’

‘‘रोज तो नहीं, पर हफ्ते में 1-2 दिन छोड़ कर फोन करती थी.’’

‘‘उस की बातों से आप को कुछ ऐसा लगा कि वह परेशान या दुखी है?’’

‘‘नहीं, ऐसा कुछ नहीं लगा.’’

‘‘अरे, मेरी बेटी तो यहां मेरे पास आने वाली थी कुछ दिनों के लिए.’’ रोतेरोते जलपा (प्रथना की मां) बोलने लगी, ‘‘कह रही थी कि मां, अब मैं शादी करना चाहती हूं.’’ बहुत खराब हालत थी उन सब की और कुछ पूछा नहीं जा रहा था, ‘‘कोई डायरी, चिट्ठी, कुछ पता है?’’

‘‘हां, डायरी लिखती थी, मेरी दीदी.’’ प्रथना का भाई जिगर बोला, ‘‘मैं ने कितनी बार देखा है डायरी लिखते हुए, जब दीदी घर पर होती थी तब और जब हम यहां आते थे तब भी देखा है लिखते हुए.’’ प्रथना के घर की तलाशी में डायरी के अलावा कोई भी सुबूत नहीं मिला. प्रथना देसाई के अंतिम संस्कार के कुछ दिन बाद सभी पुलिस वालों और प्रथना के परिवार वालों के सामने डायरी पढ़ी गई. डायरी में प्रथना ने यों लिखा था :

13 जनवरी, 2013

‘‘आज मैं बहुतबहुत खुश हूं. कितनी कोशिशों के बाद फाइनली आज मुझे एक डेलीसोप में लीड रोल मिल ही गया. 6 महीने से स्ट्रगल कर रही थी, अब जा कर मेरा सपना पूरा हुआ है.’’

7 जुलाई, 2013

‘‘अपने कमाए गए पैसों से पहली बार मैं ने अपने मांपापा को गाड़ी खरीद कर दी. मैं ने अपने पापा से वादा किया था कि अगर मैं मुंबई में अपनी जगह नहीं बना पाई तो आप लोगों के पास वापस आ जाऊंगी पर मेरा सपना पूरा हो गया.’’

1 दिसंबर, 2013

‘‘मेरा बौयफ्रैंड धु्रव, उस के साथ आज मेरा झगड़ा हो गया. उस ने मुझ पर हाथ उठाया. मां से भी बात नहीं हो पाई आज. मैं बहुत दुखी हूं, कुछ अच्छा नहीं लग रहा. अब मैं ने तय कर लिया है, अब और नहीं सहूंगी, छोड़ दूंगी धु्रव को और अगर फिर भी उस ने बदतमीजी करने की कोशिश की तो पुलिस के पास जाऊंगी मैं.’’

13 जनवरी, 2014

‘‘आज सीरियल में काम करते हुए पूरा 1 साल हो गया. बहुत खुश हूं मैं. जिंदगी सुहानी लगने लगी है. सबकुछ अच्छा हो रहा है. बहुत सारे दोस्त हैं, पार्टियां, गेटटुगेदर, मस्ती, फन. आज मेरे पास वह सबकुछ है जो मुझे चाहिए था.’’

30 मार्च, 2014

‘‘आज मुझे एक रिऐलिटी शो के लिए औफर आया. क्या करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा. औफर स्वीकार किया तो डेलीसोप छोड़ना पड़ेगा. मेरे सारे कोस्टार मुझे मना कर रहे हैं पर मैं कुछ अलग करना चाहती हूं.’’

5 अप्रैल, 2014

‘‘मैं ने तय कर लिया है कि मैं रिऐलिटी शो के लिए ‘हां’ कर दूंगी. अब डेलीसोप कर के थक गई हूं, कुछ नया चाहिए. वैसे भी मैं अपने दिल की ज्यादा सुनती हूं.’’

4 जून, 2014

‘‘आज मुझे डांस रिऐलिटी शो के लिए औफर आया. मुझे बचपन से शौक था डांस का लेकिन पैसों की कमी के कारण सीख नहीं पाई. अब वह सपना भी पूरा हो जाएगा. कमर्शियल में भी रोल मिला.’’

9 अगस्त, 2014

‘‘आज मेरा बर्थडे है, शाम तक मांपापा और मेरा भाई जिगर आ जाएंगे. एक छोटी सी गेटटुगेदर रखी है मैं ने अपने घर पर, जिस लड़के के साथ मैं ने कमर्शियल रोल किया था उस ने मुझे फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी और मैं ने एक्सैप्ट कर ली. उसे भी मैं ने पार्टी में इन्वाइट किया है.’’

10 सितंबर, 2014

‘‘आज मैं अभिनव के साथ बाहर गई. मुझे अभिनव के साथ अच्छा लगा. बहुत ही मजाकिया है, उस ने मुझे ड्रैस गिफ्ट की.’’

23 सितंबर, 2014

‘‘आज उस ने मुझे प्रपोज किया. डरती हूं कहीं यह भी धु्रव जैसा न हो. पर शायद यह अच्छा हो, यह सोच कर मैं ने उसे ‘हां’ कर दी.’’

25 अप्रैल, 2015

‘‘बहुत बोर हो जाती हूं. अभी कोई काम नहीं है मेरे पास. अभिनव तो अब व्यस्त रहने लगा है. मुझे ऐसा लगता है जैसे अब मुझे वह इग्नोर करने लगा है. कुछ पूछती हूं तो वह झगड़ा करने पर तुल जाता है. क्या करूं, न तो मेरे पास काम है और न उतना पैसा. परसों मां का फोन आया था, ‘कुछ पैसे चाहिए,’ बोल रही थीं. अब क्या करूं?’’

9 अगस्त, 2015

‘‘आज मेरा जन्मदिन है और मेरे साथ कोई नहीं है. मांपापा, मेरा भाई, मेरे दोस्त सब मुझ से दूर हैं. बिलकुल अकेली हूं मैं आज. हैप्पी बर्थडे टु मी. कहते हैं कि लोग अपनी डायरी में अपनी दिल की बातें लिखते हैं. आज मैं भी अपना एक राज लिखूंगी. लोग कहते हैं कि मैं सिर्फ अपने मतलब की बातें करती हूं. सब मुझे मतलबी, स्वार्थी वगैरावगैरा कह कर बुलाते हैं पर मैं किसी की बातों का जवाब नहीं देती हूं. मैं बचपन से ही ऐसी नहीं थी. लेकिन मैं ऐसी बन गई हूं यहां आ कर.’’

23 सितंबर, 2015

‘‘पूरे एक साल से मैं और अभिनव एकदूसरे को डेट कर रहे हैं. वह कहता है, ‘मेरे साथ आ कर रहो.’’’

16 अक्तूबर, 2015

‘‘अब हम लिवइन में रहते हैं. इस बात से मेरे मांपापा मुझ से नाराज हैं. मैं उन्हें मना लूंगी, इस का मुझे विश्वास है. मेरे घर वालों का कहना है, ‘एकसाथ रहना है तो शादी कर लो,’ पर अभी इतनी जल्दी मैं शादी नहीं करना चाहती हूं. मुझे तो अभी बहुत आगे तक जाना है.’’

2 नवंबर, 2015

‘‘अभी मेरे पास कोई काम नहीं है. डायरैक्टरों के घर के चक्कर काट रही हूं काम के लिए. वे छोटेमोटे रोल पकड़ा देते हैं. मुझे कोई दमदार रोल चाहिए फिर से. घर पर भी पैसा भेजना पड़ता है हर महीने. पापा का तो कपड़े का छोटा सा बिजनैस है.’’

8 जनवरी, 2016

‘‘आज मैं ने अभिनव को किसी दूसरी लड़की के साथ डिस्को में देखा और उस से पूछा तो उस ने झूठ बोल कर बात को टालने की कोशिश की. मेरी हर बात पर चिढ़ कर बोलता है, ‘खुद तो कमाती नहीं हो, मेरे ही पैसों से घर चलता है और मैं अपने कोस्टार्स से मिलूं तो भी शक करती हो.’’’

20 जनवरी, 2016

‘‘आज मैं ने अभिनव से हमारी शादी की बात की तो कहने लगा, ‘अभी कुछ साल रुक जाओ. मुझे थोड़ी सफलता पाने दो, फिर सोचेंगे.’ मुझे थोड़ा बुरा लगा पर वह भी सही ही कह रहा है. मैं उस का साथ नहीं दूंगी तो कौन देगा.’’

15 फरवरी, 2016

‘‘आज मुझे एक नैगेटिव रोल का औफर आया. मन तो नहीं कर रहा था पर सोचा कि खाली बैठने से तो अच्छा है कि ‘हां’ कर दूं. शराब और ड्रग्स के बिना अब नहीं रहा जाता है. और इस की वजह से हर रोज शूट पर लेट पहुंचती हूं. कोई कुछ कहता है तो उस से ही झगड़ पड़ती हूं. मुझे पता है मेरा यह व्यवहार सही नहीं है पर क्या करूं, कंट्रोल नहीं होता.’’

20 मार्च, 2016

‘‘आज मुझे मेरे व्यवहार की वजह से डेलीसोप से निकाल दिया गया. अब कुछ अच्छा नहीं लगता यहां. कुछ दिनों के लिए मांपापा के पास जाना चाहती हूं पर उन के पास जा कर क्या करूंगी.’’

28 मार्च, 2016

‘‘किसी से पता चला कि अभिनव ने अपनी पुरानी गर्लफ्रैंड से सगाई कर ली. उस ने भी मुझे धु्रव की तरह मुझ से चीट किया. मैं बिलकुल यूज्ड जैसा फील कर रही हूं. मांपापा इस बात से गुस्सा हैं कि बिना शादी के मैं किसी गैर लड़के के साथ रही और उस ने भी मुझे छोड़ दिया. इस चमकधमक भरी दुनिया में मैं एकदम अकेली हूं. मुझे कोई नहीं समझता है. अब मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं और कहां जाऊं. सब खत्म हो गया हमारे बीच, जो कुछ भी था. अभिनव ने मुझे कितना कमतर महसूस कराया. पता नहीं मेरी अक्ल को क्या हो गया था जो मैं लिवइन में रहने चली गई. एक साल से हम एकदूसरे के साथ रहे, मैं ने अपनेआप को पता नहीं कितनी बार उसे छूने दिया. छि…’’

2 अप्रैल, 2016

‘‘मैं मां बनने वाली हूं. 2 महीने का गर्भ है. कितनी बार यह बात अभिनव को बताई. वह कहता है, ‘अबौर्शन करवा लो.’ उस ने मुझे धोखा दिया, अब कहता है कि उसे क्या पता कि मेरे पेट में किस का बच्चा है.

‘‘मैं बिलकुल यूजलैस हो गई हूं. मांपापा, मुझे माफ कर देना. अब मैं जीना नहीं चाहती हूं. यहां सब ने मुझे धोखा दिया. मेरी मौत का जिम्मेदार कोई नहीं है. जब आप यह डायरी पढ़ रहे होंगे तब आप की प्रथना, आप लोगों के साथ नहीं होगी. मुझे माफ कर देना

‘‘आप की प्यारी बेटी,

‘‘प्रथना देसाई.’’

डायरी से तो यह पता चलता है कि प्रथना ने आत्महत्या की. वह अपनी जिंदगी से मायूस हो गई थी. मुंबई में अभिनय की दुनिया की चकाचौंध में प्रथना कहीं गुम हो गई थी या यों कहें कि इंसान परखने की समझ नहीं थी उस में. अपनी जिंदगी से हताश, निराश हो कर वह मौत को गले लगा बैठी और पीछे छोड़ गई रोतेबिलखते अपने परिवार को हमेशा के लिए.

‘वेश्या’ कहलाने से कोई गुरेज नहीं: कंगना रनौत

कंगना रनौत ने पहली बार अपने साथ जुड़े विवादों पर खुलकर बात की है. इन दिनों बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन के साथ विवादों को लेकर सुर्खियों में आई कंगना रनौत ने कहा कि 'अगर एक महिला यौन रूप से सक्रिय होती है,  तो उसे 'वेश्या' कहा जाता है और अगर वह बेहद सफल है, तो फिर 'मनोरोगी' करार दे दी जाती है.

बतौर रंगना, ''मुझे साइकोपैथ कहा गया, खून पीने वाला कहा गया. मैं इस तरह से खुद के लिए इन नामों के इस्तेमाल के लिए तैयार नहीं थी.'' बता दें कि ऋतिक के साथ मेल हैक करने को लेकर कानूनी विवाद के बीच उनके पूर्व ब्वॉयफ्रेंड अध्ययन सुमन ने दावा किया था कि कंगना काला जादू करती थीं और मेरे खाने में अपना खून मिलाती थीं.

अध्‍ययन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कंगना उन्‍हें बेइज्‍जत करती थी और मारती थी. वह काले जादू का प्रयोग करती थी. अध्‍ययन ने कंगना और ऋतिक रोशन के बीच चल रहे विवाद में भी ऋतिक का पक्ष लिया था.

अपने साथ कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर क्या कहा…

अपनी हालिया कॉन्ट्रोवर्सी के बारे में कंगना ने किसी का नाम लिए बिना कमेंट्स किए. उन्होंने कहा, ''मेरी जिंदगी में अब तक जो कुछ हुआ, उससे मैं शॉक्ड रही हूं. कई बार आप जिंदगी में कई लोगों के लिए इनसिक्योर रहते हैं लेकिन आप कभी किसी के साथ क्रूर नहीं हो सकते. आप काफी नाजुक चीजें इस तरह के पब्लिकली नहीं रख सकते.''

''जब मुझे साइकोपैथ कहा जाता है तो मैं इसकी परवाह नहीं करती. इस देश में महिलाओं को डायन, चुड़ैल, होर, साइकोपैथ कहा जाता रहा है. मैं यही कहना चाहूंगी कि मैं प्राउड हिंदू हूं. मेरी पर्सनैलिटी का फाउंडेशन स्वामी विवेकानंद की टीचिंग और सनातन धर्म पर है.''

''अगर मेरी धार्मिक मान्यताएं हैं और आप उसे बुरी तरह से पेश करेंगे तो यह ठीक नहीं है. (जादू-टोने वाली) हैरी पॉटर की फिल्में क्या आपको पसंद नहीं हैं? अगर कोई बायपोलर डिस्ऑर्डर से जूझ रहा है तो आप क्यों उस पर सवाल उठाएंगे. पीरियड ब्लड जैसी चीजों से आपको क्यों शर्मिंदा होनी चाहिए?''

फिल्म में आकर पिता को गलत साबित करना था…

इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू में कंगना ने कहा, ''फिल्मों में आने के बाद उनका एक ही मकसद था कि अपने पिता को गलत साबित करें, जो कि उन्हें सपोर्ट नहीं कर रहे थे. हालांकि, बाद में मुझे एहसास हुआ कि सलाह देने वाला भी अपने हिसाब से गलत नहीं होता.''

खान एक्टर्स के साथ काम करने को लेकर

जब उनसे पूछा गया- आपने किसी किंग खान के साथ काम क्यों नहीं किया? कंगना ने कहा, ''शुरुआत में मैं काफी सिम्पल चीजें चाहती थी. बॉलीवुड में ये ट्रेन्ड है कि अगर आप सुपरस्टार्स के साथ काम कर लेते हैं तो आप खुद भी सुपरस्टारिनी कहलाने लगते हैं. लेकिन मेरे साथ नहीं था.'' ''मुझे याद है कि जब मैं पिता का सपोर्ट हासिल करने के लिए स्ट्रगल कर रही थी. जब मैं काम चाहती थी, तब कोई मेरे साथ काम नहीं करना चाहता था.

अब मैं कामयाब हूं तो मैं आगे होकर क्यों किसी के साथ काम करना चाहूंगी?  क्या तीनों खान के साथ ऑफर अब मिलते हैं? हां. अब मुझे तीनों खान के साथ काम करने के काफी ऑफर मिलते हैं. मैं अपने आप में खुद हीरो हूं. विशाल की अगली फिल्म में डायरेक्टर पहले ही कह चुके हैं कि इसमें तीन हीरो हैं सैफ, कंगना, शाहिद.

बॉलीवुड को लेकर क्या कहा?

जब उनसे पूछा गया, क्या बॉलीवुड ने आपको एक्सेप्ट किया? इस पर उल्टा कंगना ने ही सवाल कर लिया कि आपको ये पूछना चाहिए कि क्या मैंने बॉलीवुड को एक्सेप्ट किया? उन्होंने कहा, ''मैंने बॉलीवुड को एक्सेप्ट किया है. बॉलीवुड ने मुझे किया या नहीं, मैं इसकी परवाह नहीं करती.''

ऋतिक-कंगना के बीच विवाद क्यों?

जनवरी के आखिर में एक इंटरव्यू के दौरान कंगना से पूछा गया था कि क्या उन्हें ऋतिक ने 'आशिकी 3' से बाहर कराया. बता दें कि पहले इस फिल्म में कंगना और ऋतिक को लेने की बात चल रही थी. लेकिन किसी वजह से ऐसा नहीं हो पाया.

जवाब में कंगना ने कहा था, "हां, मैंने भी ऐसी बातें सुनी हैं. मुझे नहीं पता कि सिली एक्स पार्टनर्स पब्लिसिटी पाने के लिए ऐसी हरकतें क्यों करते हैं. मेरे लिए वो चैप्टर खत्म हो चुका है और मैं पुरानी बात नहीं दोहराना चाहती."

इसके बाद ऋतिक ने ट्वीट कर कहा था कि इस एक्ट्रेस की बजाय उनका पोप से अफेयर होने के चांसेस ज्यादा हैं. इसी के बाद से दोनों के बीच विवाद है. ऋतिक ने कंगना के इसी बयान को लेकर नोटिस भेजा था. ऋतिक ने हैकिंग और कंगना के खिलाफ 40 सबूत सौंपे हैं. इसमें ज्यादातर ईमेल हैं.

ऋतिक और कंगना, दोनों यह दावा कर रहे हैं कि उनके ईमेल अकाउंट हैक हुए थे. ऋतिक की तरफ से सबूत के तौर पर ईमेल सौंपे जाने पर कंगना ने कहा है कि वे किसी भी हद तक जा सकते हैं. जबकि ऋतिक सीधे तौर पर कंगना का नाम लेने से बच रहे हैं.

मंदिर में महिला प्रवेश

महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित शनि श्ंिगणापुर मंदिर में 400 साल बाद महिलाओं को गर्भगृह में जा कर पूजा करने का हक उच्च न्यायालय ने आखिर दिला दिया. मंदिर के प्रबंधकों को थकहार कर अदालत के फैसले को मानना ही पड़ा. भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने आंदोलन छेड़ा था कि औरतों को भी पुरुषों के बराबर का हक है और अदालत ने उन की बात मान ली. बहुत से मंदिरों, मसजिदों में औरतों का प्रवेश मना है. यह अपनेआप में दर्शाता है कि औरत और आदमी के बीच खाई धर्म ने पैदा की है और आदमी इस का फायदा उठाते हैं. सभ्यता से पहले आदमी व औरत लगभग बराबर थे. औरतें कमजोर होती हैं पर बहुत से पुरुषों से ताकतवर भी होती हैं. हर पुरुष हरक्यूलस या किंगकौंग नहीं होता. डेढ़ पसली वाले पतियों की पिटाई करती औरतें अकसर दिख जाती हैं.

यह तो धर्मजनित सामाजिक व्यवस्था है जिस ने औरतों का मन मारा. दुनिया में जहां भी धर्म का बोलबाला है, औरतें कमजोर हैं. जहां धर्म कमजोर है वहां औरतें मजबूत हैं. पहाड़ी क्षेत्रों के कबीलों में मातृसत्ता प्रणाली आज भी जिंदा है क्योंकि वहां धर्म का दबाव कम है. मैदानी इलाकों में धर्मों ने अपनी पैठ बना ली. धर्मों ने पहले औरतों को कमजोर घोषित कर दिया और फिर उन्हें संरक्षण देने, अपनी कमजोरी के कारण पनाह लेने के लिए धर्म की छांव में आने को मजबूर किया. शिंगणापुर मंदिर में घुस कर तृप्ति देसाई ने क्या पा लिया? उस ने उसी मूर्ति पर जल चढ़ाया जो 400 सालों से उन को भेदभाव के कठघरे में खड़ी करती रही है. जो देवी या देवता महिलाओं को उन का प्राकृतिक हक न दे, उसे पूजने से क्या मिलेगा?

यह विजय ऐसी ही है जैसे बलात्कारी से विवाह. जो पुरुष औरत को पैर की जूती मानता हो, उसे पीडि़ता पर प्यार आ जाए तो क्या इसे औरत की जीत मानी जाएगी? बार गर्ल्स कई बार बहुत पैसा कमा लेती हैं, पर क्या वह पुरुषों पर जीत है? खरीदी हुई लड़कियों से विवाह कर के, उन से बच्चे पैदा कर के उन्हें उपरानी का दरजा देने की पुरानी परंपरा है पर क्या यह बराबरी की निशानी है? वह देवी, देवता, धर्म किस काम का जो पहले थप्पड़ मारे और फिर सहला दे. धर्म से सामाजिक सुधारों की अपेक्षा करना गलत है. धर्म से अलग हो कर जो सोचते हैं, करते हैं, वे ही सुधार लाते हैं. तृप्ति देसाई के भूमाता ब्रिगेड ने औरतों के लिए शनि श्ंिगणापुर के दरवाजे खुलवा कर उन्हें एक दलदल से निकाल कर अंधविश्वासों, रीतिरिवाजों के दूसरे दलदल में ढकेल दिया है. इस ‘महान’ उपलब्धि पर ज्यादा खुश होने का कोई कारण नहीं है. मंदिर को तो अब दोगुना चढ़ावा मिलेगा.

सुलगता रहेगा कश्मीर

जम्मू कश्मीर में पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी की महबूबा मुफ्ती भारतीय जनता पार्टी की कृपा से मुख्यमंत्री तो बन गई हैं पर लगता है वे कश्मीर को जलवा ही देंगी. घाटी की जनता को वैसे ही सरकारों से बहुत नाराजगी रहती है, ऊपर से मुफ्ती का भारतीय जनता पार्टी से तब समझौता करना जब उस का कट्टरवादी चेहरा और ज्यादा उग्र होता जा रहा हो, शायद यह कश्मीरियों के गले न उतर रहा हो. पाकिस्तान इस मौके का फायदा न उठाए, ऐसा कैसे हो सकता है. पाकिस्तान सरकार चाहे चुप बैठी रहे, मगर पाकिस्तान में ऐसे ताकतवर गुटों की कमी नहीं है जो सरहद के पार से ही चिंगारियां फेंक सकते हैं. हंदवारा में सेना के जवानों द्वारा एक लड़की से बदसलूकी को ले कर हुए झगड़े पर सैनिकों ने गोलियां चला कर कश्मीर व भारत सरकार दोनों को सकते में डाल दिया है. ऐसे में कश्मीर फिर जल सकता है.

महबूबा मुफ्ती का कद काफी बड़ा है पर वे कश्मीरी आम जनता को समझाबुझा सकें, इस की कला उन में है, पता नहीं. महबूबा ने भाजपा से काफी नाराजगी तो दिखाई और अपने पिता की मृत्यु के सप्ताहों बाद तक सरकार नहीं बनाई थी लेकिन आखिरकार वे भाजपा की झोली में ही जा गिरीं. इस से उन की राजनीतिक धार कुंद हो गई है. अब वहां नेतृत्व में एक खाली स्थान पैदा हो गया है. कश्मीर देश का सब से ज्यादा संवेदनशील इलाका है पर सरकार उसे हमेशा मिलिटरी सौल्यूशन की नजर से ही देखती रही है. दुनिया के ऐसे सभी देश, जहां सेना के बल पर जनभावना को नियंत्रित किया गया है, सदा ही अस्थिर रहे हैं. शासकों को तो आमतौर पर नुकसान नहीं होता पर आम जनता छोटेछोटे मामलों पर भड़क जाती है और फिर फोर्स इस्तेमाल की जाती है जिस का नतीजा और तेज विरोध के रूप में सामने आता है.

1947 से ही कश्मीर में ऐसा होता चला आ रहा है. शांति कहें, तो इन सालों में मुश्किल से 10 साल ही रही थी. यह अफसोस की बात है कि लोकतंत्र की वजह से भारत में जहां खासी स्थिरता रही और कानून का राज रहा वहीं कश्मीर में अस्थिरता और बंदूक का राज रहा. मुफ्ती मोहम्मद सईद से उम्मीद थी कि वे भाजपा के साथ मिल कर बीच का रास्ता निकाल पाएंगे और अब महबूबा से ऐसी उम्मीद थी जो धूमिल हो गई है और लगता है कि यह इलाका सुलगता ही रहेगा.

नेशनल अवॉर्ड से नवाजे गए बिग-बी और कंगना

मंगलवार को राजधानी दिल्ली में 63वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स के दौरान भारत के महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रतिष्ठित पुरस्कारों का वितरण किया. इस दौरान इस गरिमामय कार्यक्रम में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को कॅरियर का चौथा और ऋतिक के साथ विवादों में चल रही अभिनेत्री कंगना रनौट को तीसरा नेशनल अवॉर्ड मिला. इस अवार्ड समारोह में साउथ की सुपरडुपर हिट फिल्म 'बाहुबली : द बिगनिंग' के लिए डायरेक्टर एमएस राजामौली नवाजे गए. कार्यकम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मशहूर फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली को उनकी फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' के बेस्ट डायरेक्टर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया.

इस अवार्ड समारोह में फिल्मों में योगदान के लिए मनोज कुमार को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया. अभिनेता मनोज कुमार जो कि भारतप्रेम से संबंधित अपनी फिल्मों के कारण जाने जाते है. समारोह में सीनियर एक्टर और निर्देशक मनोज कुमार को 47वें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया. यह पुरस्कार भारत सरकार की ओर से फिल्म जगत में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया जाता है. इसमें स्वर्ण कमल, एक शाल और 10 लाख रुपये की नकद राश‍ि शामिल रहती है. तथा 63वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह मंगलवार को राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया.

गौरतलब है कि अभिनेता मनोज कुमार ने अनगिनत सफलतम देश-भक्ति से ओतप्रोत फिल्मों का निर्माण किया है जिनमे कि 'शहीद' 'धरती कहे पुकार', 'क्रांति' और 'उपकार' जैसी फिल्मों के जरिए लोगों में राष्ट्रभक्ति की भावना जगाने वाले फिल्में शामिल हैं. उनकी इन फिल्मों के आधार पर उन्हें 'भारत कुमार' के नाम से भी जाना जाता रहा है. समारोह में व्हील चेयर पर आए मनोज कुमार ने सम्मानित होने के बाद जेब से एक मूर्ति निकाली और प्रेसिडेंट को तोहफे में दी, यह मूर्ति साईं बाबा की थी.

…तो इस फिल्म में कैट और शाहरूख दिखेंगे साथ साथ

आनंद राय और शाहरुख खान ने घोषणा कर दी है कि वे साथ में एक फिल्म करने वाले हैं. इसमें शाहरुख बौने का रोल करेंगे. पहली यही रोल सलमान ने ठुकरा दिया था.

कैटरीना कैफ से फिल्म में शाहरुख की हीरोइन का रोल करने के लिए संपर्क किया गया था. कैटरीना ने फिल्म को अपनी मंजूरी दे दी है.

लेकिन इसमें दो और अभिनेत्रियां भी होंगी. हालांकि निर्देशक राय तीन इसकी पुष्टि नहीं करते लेकिन कहते हैं, "फिल्म में दो हीरोइन होंगी.’

एक सूत्र ने बताया है, "इन दोनों हीरोइन का रोल बराबरी का होगा. ये वैसी फिल्म नहीं होगी जिसमें एक एक्ट्रेस का रोल बड़ा है और दूसरी का छोटा. इसीलिए आनंद चाहते हैं कि शाहरुख के साथ बॉलीवुड की दो स्थापित अभिनेत्रियों को लिया जाए.’

 

ये लाइफ तुम्हारी है…इसे अपने तरीके से जियो

मेरी समस्या यह है कि मैं सांवली हूँ मुझ पर कुछ भी जंचता नहीं है मुझे गोरे होने का घरेलू उपाय बताइए, मैं बहुत मोटी हूँ मेरे साइज़ के कपडे मार्केट में बहुत कम मिलते  हैं, मैं क्या करुं जिससे मैं फिल्मी अभिनेत्रियों जैसी स्लिम ट्रिम और स्मार्ट दिखूं , मेरे बाल बहुत कर्ली हैं जिससे मैं कोई भी हेयर स्टाइल नहीं बना पाती ,मुझे सिल्की बालों का नुस्खा बताइए, मैं कैसा मेकअप करूं कि मेरी आँखें झील सी और बड़ी दिखें .

ऐसी समस्याओं से जूझती, अपने लुक्स को लेकर परेशान हर लड़की के आत्मविश्वास को बढाने  की एक बार फिर कोशिश की है अभिनेत्री राधिका आप्टे ने…. इस बार  राधिका आप्टे लड़कियों को खुद पर विश्वास रखने की सलाह देती नजर आ रही हैं. यूट्यूब के चैनल ब्लश पर रिलीज़ वीडियो ‘फाइंड योर ब्यूटीफुल’ वीडियो में राधिका जिस तरह लड़कियों से बात कर रही हैं, उसे देखकर और सुनकर हर लड़की  खुद को स्पेशल फील करने लगेगी.

दरअसल भारतीय  समाज में खूबसूरती और सभ्य भारतीय लड़की की परिभाषा ही कुछ ऐसी गढ़ी गयी है जिसमे गोरेपन, काली झील सी आँखों, लम्बे घने बालों, छरहरी काया को खूबसूरत और अधिक वजन वाली  लड़कियों को एक्स्ट्रा लार्ज कह कर उनका मजाक बनाया जाता है. राधिका का यह वीडियो लड़कियों से कह रहा है कि अपने नियम खुद बनाओ, आप दिखने में कैसी भी हो मोटी-पतली, लंबी-छोटी, काली-गोरी एक बात याद रखिए – 'आप खुबसूरत हैं' और 'अपनी जिंदगी के छोटे बड़े हिस्से किराए पर मत देना' क्योंकि. ये लाइफ तुम्हारी है. और सिर्फ तुम्हें इसे जीना है.

वे उन मोटी लड़कियों , जिन्हें हम एक्स्ट्रा लार्ज कहते हैं. उनसे कह रही हैं कि वे अपने वजन को कमी मानने की बजाय, अल्हड़ हो उछलें-कूदें. राधिका कह रही हैं कि वे जैसी हैं खूबसूरत हैं. वो कम हाईट की लड़कियों का हौसला बढ़ाते हुए कह  रही हैं कि गलती उनकी नहीं, लोगों की नजरों की है. वे इस विडियो के जरिये उम्र में बड़ी हो रही लड़कियों को तमाम ढ़कोसलों से बचने को कहती हैं. राधिका ऐसे हर एक स्टीरियोटाइप को तोड़ने की बातें करती हैं जो जाने अनजाने लाद दिए और स्वीकार कर लिए जाते हैं. आज की लड़कियों को अपने नियम खुद बनाने का मेसेज देता यह विडियो बार बार एक ही बात कह रहा है दिखने में आप भले ही कैसी भी हों, मोटी-पतली, लंबी-छोटी, लेकिन एक बात याद रखें कि 'आप खूबसूरत हैं. जो भी करें पूरे आत्मविश्वास  से करें.’

एक अध्ययन के मुताबिक तकरीबन 30 से 40 प्रतिशत महिलाएं अपने रंग- रूप से असंतुष्ट रहती हैं और हर 15 मिनट में अपने शरीर की कमी के बारे में सोचती हैं, वहीं 45 प्रतिशत इस वजह से तनाव व बेचैनी का शिकार हो जाती हैं. जबकि असलियत यह है असली खूबसूरती खुद से प्यार करना है, आप जैसी हैं, खुद को उस रूप में स्वीकारें. साढ़े पांच फिट से कम लंबाई वाले लोग खूबसूरत नहीं हो सकते या लार्ज साइज पहनने वाले खूबसूरत नहीं हो सकते, गोरापन ही खूबसूरती का पैमाना है. ये सारे पैमाने ही गलत हैं जो  समाज ने धीरे-धीरे हमारे दिमाग में डाल दिए हैं. अगर वजन ज्यादा है, रंग सांवला है बाल घुंघराले हैं तो इसके लिए खुद को दोष न दें, बल्कि आप जैसी हैं खुद को उसी रूप में प्यार करें और खुद खूबसूरत समझें. लगातार खुद को यह कहना कि मैं खूबसूरत हूं, आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देगा.

 

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