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‘मदर्स डे‘ पर करें कुछ स्पैशल

आज के युवा ‘मदर्स डे‘ पर अपनी मम्मी के लिए कुछ स्पैशल करें चाहें ना करें लेकिन फेसबुक पर फोटो टैग करना और व्हाट्सऐप पर प्रोफाइल फोटो व स्टेटस अपलोड करना नहीं भूलते। वैसे तो मां के प्यार को किसी एक दिन में परिभाषित नहीं किया जा सकता है, लेकिन फिर भी ‘मदर्स डे‘ पर छोटीछोटी चीजों से उन्हें स्पैशल फील जरूर करवाया जा सकता है।
इस ‘मदर्स डे‘ आप भी करें अपनी मम्मी के लिए ये चीजें –

  1. शौपिंग करना भला किसे अच्छा नहीं लगता। बेशक आप और आप की मम्मी शौपिंग के लिए जाते होंगे, लेकिन इस बार कुछ अलग करिए। आप, अपनी मम्मी को शौपिंग पर ले कर जाइए और उन की पसंद की चीजें दिलवाइए, जिन्हें वे काफी समय से खरीदना चाहती हों लेकिन खरीद नहीं पाईं हों।
  2. इस दिन आप मम्मी के साथ बाहर घूमने का प्लान भी बना सकते हैं। घूमने के लिए वैसे स्थान का चुनाव करें जो उन्हें पसंद हों। आप चाहें तो पापामम्मी के लिए मूवी टिकट भी बुक कर सकते हैं, जहां वे मूवी देखने के साथसाथ एकदूसरे के साथ समय भी बिता सकें।
  3. घर के कामों से इतना समय नहीें मिलता कि वे खुद पर ध्यान दें, खुद की केयर करें। इस लिए आप उन्हें ब्यूटी पैकेज भी दे सकते हैं, जिस से वे ब्यूटी ट्रीटमैेंट व स्पा का मजा लें सकें और खुद को रिलैक्स कर सकें।
  4. इस दिन मम्मी से कहें कि आज उन की छुट्टी है, इस लिए किचन की जिम्मेदारी आप संभालेंगे। बेशक आप को किचन के काम नहीं आते हों, लेकिन आप उन से पूछ कर करें। आप को इस तरह से काम करते देख उन्हें यकीनन खुशी होगी।
  5. मम्मी को बिना बताए घर पर एक सरप्राइज पार्टी और्गेनाइज कर सकते हैं जिस में आप अपने रिश्तेदारांे के साथसाथ अपनी मम्मी की खास फैंड्स को बुला सकते हैं, जिन से वे काफी समय से नहीं मिली हों
  6. मार्केट में कई तरह के अलगअलग डिजाइंस व साइज के कार्ड मिल रहे हैं लेकिन अगर आप अपने हाथ से कार्ड बना कर देंगे तो आप की मम्मी ज्यादा खुश होंगी।
  7. पुरानी यादों को याद करने पर हमारे चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है, आप इस दिन के लिए पुरानी फोटोज से एक कोलाज बना कर भी गिफ्ट कर सकते हैं।
  8. आप कोई गिफ्ट खरीदने की प्लानिंग कर रहीं हैं तो वैसी चीजें खरीदें जो उन की जरूरत की हांे, ना कि आप के फायदे की।
  9. अगर मम्मी को गाना सुनना पसंद है तो आप उन की पसंदीदा गानों की एक सीडी तैयार कर के दे सकते हैं।
  10. जरूरी नहीं है कि आप इस दिन के लिए महंगे गिफ्ट ही खरीदें, आप उन के लिए एक प्यारा सा लैटर या फिर कविता भी लिख कर गिफ्ट कर सकते हैं।
  11. आप चाहें तो अपने फैंड्स के साथ मिल कर कौलोनी में एक पार्टी और्गेनाइज कर सकते हैं, जहां कौलोनी के सारे लोग मिल कर इंजौय कर सकें।
  12. अगर आप घर से दूर हौस्टल या पीजी में रहते हैं तो उदास न हो। आप दूर हैं तो क्या हुआ, दूर रह कर भी औनलाइन साइटों की मदद से सरप्राइज गिफ्ट दे सकते हैं। स्काइप के माध्यम से वीडियो कौलिंग कर सकते हैं। आप चाहें तो सरप्राइज विजिट कर के भी मम्मी को खुश कर सकते हैं। मम्मी को बिना बताए जब आप उन से मिलने पहुंचते हैं तो उन के लिए इस से बड़ा सरप्राइज और कुछ नहीं हो सकता

मंत्री और विधायको का पसीना छुडा रही साइकिल यात्रा

साइकिल समाजवादी पार्टी का चुनाव निशान है. विधानसभा चुनावों करीब आता देख पार्टी ने सभी नेताओं खासकर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियो, विधायकों और सांसदों को अपने अपने क्षेत्र में साइकिल यात्रा निकालने के लिये कहा है. 1 मई से 10 मई के बीच चलने वाली इस यात्रा का उददेश्य है कि प्रदेश सरकार ने 4 सालों में जो काम किये है वह जनता के बीच पहंुचाये जा सके.साइकिल यात्रा के पहले 5 दिनों में वह उत्साह मंत्रियों और विधायको में दिखाई नहीं दिया जिसकी उम्मीद समाजवादी पार्टी के नेता कर रहे थे.साइकिल यात्रा के प्रति मंत्रियों और विधायकों में जोश भरने के लिये पार्टी के प्रभारी और कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने जसवंतनगर के गावों मंे साइकिल चलाई.

लखनऊ में सपा नेता अपर्णा यादव, श्वेता सिंह, रंजना वाजपेई, अमेठी में सपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमरेन्द्र, वाराणसी में हाजी अब्दुल अंसारी जैसे बहुत सारे लोगों ने साइकिल यात्रा की.सबसे परेशान करने वाली बात यह रही कि प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायक इस यात्रा में बहुत उत्साह पूर्वक हिस्सा नहीं ले रहे है.

साइकिल यात्रा में दिखने वाली भीड उन नेताओं की ज्यादा है जो पहली बार विधानसभा चुनाव लडने की तैयारी कर रहे है. मंत्री और विधायको में से कुछ तो साइकिल यात्रा को हरी झंडी दिखाकर अपना काम पूरा समझ ले रहे है.पार्टी प्रवक्ता दीपक मिश्रा ने बताया ‘अभी यात्रा की शुरूआत है.सभी छोटे बडे नेतामंत्री इसमें हिस्सा लेगे.कई लोगों की जानकारियां मीडिया तक नहीं पहंुच पा रही है.साइकिल यात्रा जब खत्म होगी और इसकी समीक्षा होगी तब इसके बारे में आकलन हो सकता है.’ यह बात सही है कि समाजवादी पार्टी को साइकिल यात्रा से बडी उम्मीद है.वह जनता तक अपने काम को पहंुचाना चाहती है.पार्टी ने गांव, गरीब, किसान सभी को लेकर अच्छे काम किये है.गांव के लेवल पर इसका सही तरह से प्रचार नहीं हो सका है.सरकार के कामों के प्रचार की चमक केवल शहरी इलाको तक सीमित रह गई है.सरकार के प्रचार अभियान में भी केवल शहरी चमकदमक ही दिखाई दे रही है.

पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव कार्यकर्ताओं से बारबार कह चुके है कि वह सरकारी योजनाओं के प्रचार का काम करे.गांवगांव घरघर सरकार की सफल योजनाओं की चर्चा करे.भंयकर गर्मी और लू की थपेडों के बीच पार्टी ने साइकिल यात्रा का आयोजन कर नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगाने का काम किया. जिससे वह जग जाये और अपनेअपने चुनाव क्षेत्रों में जनता के बीच जाये.बूथ लेवल तक संगठन को गति देने का काम करेे.4 साल सत्ता की आरामगाह में रहे मंत्रियों और विधायको के लिये इस गर्मी में साइकिल यात्रा करना कठिन काम है.मंत्री और विधायको को साइकिल यात्रा के नाम पर ही पसीना छूट रहा है.कई विधायक तो सुबह के समय साइकिल यात्रा शुरू कराकर धूप होने के पहले यात्रा छोडकर चले जाते है.उनके समर्थक यात्रा को पूरा करते रहते है.चुनावी साल होने के कारण विधायको और मंत्रियों को जैसेतैसे करके साइकिल यात्रा में शामिल होना पड रहा है.साइकिल यात्रा ने विधायको और मंत्रियो का पसीना छुडा दिया है.धूप अैर गरमी के कारण कार्यकर्ताओं की भीड भी बहुत देखने को नहीं मिल रही है.

चला गया रीयल लाइफ ओरो

महज 15 साल की उम्र में वास्तविक जीवन का ओरो यानि निहाल वितला ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. निहाल का तेलेंगना के एक अस्पताल में प्रोजेरिया का इलाज चल रहा था. अपने आखिरी सांस के दौरान महज पंद्रह साल की उम्र में वह अस्सी साल का नजर आने लगा था. यही है प्रोजेरिया. गौरतलब है कि इसी निहाल वितला के जीवन और उसकी बीमारी को आधार बना कर ‘पा’ फिल्म बनायी गयी थी, जिसमें अमिताभ बच्चन ने प्रोजेरिया के मरीज ओरो की भूमिका निभाया था.

जन्मजात रूप से जिन (लैमिन ए/सी) में गड़बड़ी के होनेवाली इस बीमारी के प्रति जागरूकता और प्रचार अभियान का भारत में निहाल एक चेहरा बन चुके थे. हालांकि निहाल के पिता का कहना है कि निहाल के चले जाने के बावजूद उनका और उनके परिवार का प्रोजेरिया के लिए प्रचार अभियान जारी रहेगा.

दुनिया में पहली बार इस बीमारी का पहला मामला जौनाथल हचिनसन द्वारा 1886 में खोजा गया था. बाद में 1897 में हेस्टिंग गिलफोर्ड ने इसके लक्ष्ण को दुनिया को बताया. इसीलिए प्रोजेरिया का वैज्ञानिक नाम हचिनसन गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिंड्रोम (संक्षेप में एचजीपीएस) कहलाता है. भारत में कोलकाता इंस्टीट्यूट औफ चाइल्ड हेल्थ, एसबी देवी चैरिटी होम और स्वीट्जरलैंड के युनिवर्सिटी चिल्ड्रेन’स होस्पिटल बासेल सांझे तौर पर रिसर्च करता है. इनके द्वारा किए गए रिसर्च से प्रोजेरिया के जिम्मेदार जिन पता चल चुका है, यह जिन लैमिन ए/सी है. यह जिन एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को भी प्रभावित करता है.

एसबी देवी चैरिटी होम के डॉ. शेखर चटर्जी का कहना है कि पूरे देश में अब तक कुल 60 प्रोजेरिया के मरीजों की पहचान हो चुकी है. वहीं पूरी ‍दुनिया में इस बीमारी के कुल 124 मरीज हैं. जाहिर है अपने आपमें यह विरल किस्म की बीमारियों में भी विरलतम है. कहते हैं 80 लाख बच्चों में से एक इसके मरीज पाए जाते हैं. आमतौर पर इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों की औसत उम्र 13-15 साल तक ही होती है. हालांकि कुछ मामलों में 20-22 साल भी हो सकती है.

ज्यादातर मामलों में  ऊपरी लक्ष्णों में पूरे शरीर की तुलना में सिर बड़ा होता है, सिर के बाल लगभग न के बरारबर होते हैं, शुरू में त्वचा झुर्रीदार और खुरदुरापन लिये होती है और बाद में त्वचा सख्त होने लगती है. आंखें बड़ी-बड़ी और बाहर की ओर निकल आती है, पलके और भौंहें तक झर जाते हैं. बहुत छोटी-सी उम्र ये सभी लक्ष्ण दिखाई देने लगते हैं. कुल मिला कर बचपन में ही बूढ़ापे का आगाज होने लगता है. लेकिन अंदरुनी तौर पर जो बदलाव आते हैं, उनमें प्रमुख नसों में चर्बी जमा होने लगती है, जिसके कारण आमतौर पर दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक होने से इनकी मौत होती है. जलपाईगुड़ी के आनंद भक्त भी प्रोजेरिया का मरीज है. जन्म से समय वह सामान्य बच्चा था, लेकिन तीन साल की उम्र में चेचक निकलने के बाद उसमें अस्वाभाविक बदलाव आने शुरू होते गए. उम्र बढ़ने के साथ उसकी लंबाई नहीं बढ़ी, सिर कुछ ज्यादा ही बड़ा होने लगा. फिलहाल इसका इलाज उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में चल रहा है. अमेरिका की प्रोजेरिया रिसर्च फाउंडेशन भारत में पीडि़त बच्चों के कल्याण के लिए कई योजनाएं बना रही है. यह संस्था भारत में प्रोजेरिया के लिए काम करनेवाली संस्थाओं के साथ मिल कर काम करेगी.

सिंहस्थ हादसा: कलई तो इनकी भी खुली

लग ऐसा रहा है जैसे ये सात  मौतें एक प्राकार्तिक हादसे से नहीं हुईं है बल्कि इनकी हत्या की गई है और एकलौता गुनहगार उज्जैन का प्रशासन है जिसने सिंहस्थ कुम्भ की तैयारियां ढंग से नहीं कीं थीं । 5 मई की शाम कोई 4 बजे आसमान मे बादल छाए तो कुम्भ मे आए श्रद्धालुओं को भीषण गर्मी से राहत मिली थी थोड़ी देर बाद जब बूँदा बाँदी शुरू हुई तो हर हर महादेव के नारे लगाते इन्हीं श्रद्धालुओं ने कहा की इन्द्र देवता भी कुम्भ का पुण्य लाभ उठाने आ गए पर देखते ही देखते घनघोर वारिश शुरू हो गई तो लोग इन्द्र , शंकर और दूसरे देवी देवताओं को भूल अपनी जान यम देवता से बचाने भागते नजर आए । इधर वायु देवता और प्रसन्न हो उठा तो मेला क्षेत्र के सैकड़ों पंडाल उखड़ कर गिर पड़े जिनके नीचे दबकर 6 लोग मारे गए और सौ के लगभग घायल हुये । घनघोर वारिश और आँधी तूफान का कहर लगभग 45 मिनिट तक रहा और इस दौरान मेले में  भगदड़ मची रही लेकिन तब तक जो होना था वो हो चुका था ।

वारिश इतनी तेज थी कि शिविरों और पांडालों में घुटने घुटने पानी भर गया और बिजली चली गई जिससे आसमानी अंधेरा और स्याह हो गया । यह सब कुम्भ की तैयारियों के लिहाज से नाकाफी और अप्रत्याशित था लिहाजा 7 बजे तक जब इस हादसे की खबर देश भर में पहुंची तो उसके साथ प्रशासन की लापरवाही का प्रमाण पत्र भी संलग्न था । फौरी तौर पर अंदाजा यह लगाया गया कि चूंकि तम्बू मिट्टी मे गड़े थे इसलिए पानी के वहाव में उखड़ गए । इस दुखद हादसे के और भी पहलू और चर्चाए हैं जिन पर प्रशासन को कोस रहे लोग जानबूझ कर गौर नहीं कर रहे मसलन कुम्भ में देश भर के नामी गिरामी बाबा साधू संत महंत ज्योतिषी तांत्रिक मांत्रिक महा मंडलेश्वर शंकरचार्य और अघोरी आदि मौजूद थे जो मोक्ष दिलाने का कारोबार करते हैं और सीधे अपनी पहुँच भगवान तक होना बताते हैं इनमे से किसी को क्यों इस हादसे के बारे में मालूम नहीं हुआ क्या इनकी सिद्धियाँ भी फर्जी हैं और ये सिर्फ पैसा बटोरने कुम्भ आते हैं तो  इस सवाल का जबाब न मे देने बालों को मान लेना चाहिए कि चमत्कार सिद्धियाँ परकाया प्रवेश अद्रश्य हो जाना जैसे दर्जनो दावे तो कपोलकल्पित और दूर की बातें हैं भगवान के इन दलालों में इतनी व्यावहारिक बुद्धि भी नहीं हाती कि वे मौसम का अंदाजा लगा सकें। 

इस हादसे का इन दावों और धर्म के कारोबार से गहरा ताल्लुक है क्योंकि इन्हीं चमत्कारों के नाम पर लोग पैसा चढ़ाते हैं यही वे धर्म दूत हैं जिनहोने यह प्रचार कर पूरी कौम को अकर्मण्य बना रखा है कि जो भी होता है वह ऊपर बाले की मर्जी से होता है तो फिर प्रशासन की भूमिका पर हाय हाय क्यों सिर्फ इसलिए कि अपनी खुद की असलियत पर ये पर्दा डाल सकें । धर्म ने किस तरह सभ्य समाज को अपनी गिरफ्त में ले रखा है यह इस हादसे के बाद हुई कुछ अप्रकाशित और अप्रसारित चर्चाओं से उजागर हुआ जिनमे से पहली यह थी कि चूंकि इसी दिन एक शंकरचार्य स्वरूपानन्द उज्जैन पहुंचे थे जिन्हे वजहे कुछ भी हों मेला क्षेत्र में जाने दो घंटे इंतजार करना पड़ा था इसलिए उनके क्रोध के चलते यह हादसा हुआ । दूसरी चर्चा यह रही कि जब सरकार दलितों को अलग से कुम्भ नहलायेगि तो ऐसा हादसा तो होगा ही । इन बातों के माने सिर्फ इसलिए अहम हैं कि कोई इस मुगालते में ना रहे कि हम किसी सभ्य और आधुनिक युग में रह रहे हैं ये अंदरूनी चर्चाए एक खास मकसद से की जाती हैं जिससे श्रेष्ठी वर्ग को यह प्रचारित करने में सहूलियत रहे कि हम पौराणिक काल मे ही हैं ।

जो दिख और हो रहा है वह कलियुग का प्रभाव है । हादसे के बाद की तमाम रस्मे अदा हो रहीं हैं मुआवजा घोषित कर दिया गया दिल्ली से प्रधान मंत्री ने संवेदना जताई और लगे हाथ ऊपर बाले के सामने दया करो रक्षा करो की गुहार लगाते  झोली भी फैला दी मुख्य मंत्री ने अपना दुख प्रदर्शित कर दिया कांग्रेस ने भी दुख जताया कुछ सुझाव भी भाजपा सरकार को दे दिये । लेकिन यह किसी ने नहीं कहा कि धर्म के नाम पर आयोजित होने बाले ऐसे मेले ठेले बंद किए जाना चाहिए जिनमे भीड़ के चलते जान माल के नुकसान की आशंका बनी रहती है और अरबों रु गरीब जनता का फिजूल खर्च होता है । बिलाशक प्रशासन की कलई इस हादसे से खुली है पर कलई चमत्कारी सिद्ध बाबाओं की ज्यादा खुली है जो लोक परलोक सुधारने के नाम पर दक्षिणा बटोरते शाही ज़िंदगी जीते हैं लेकिन इन्हे भी अगले पल की खबर नहीं रहती तो समारोह पूर्वक ऐसे भव्य ख़र्चीले आयोजनों का औचित्य क्या झूठ ठगी और छल का यह जानलेवा धंधा बंद किया जाना ही बेहतर है ।     

अब विद्या ने किया कंगना का सपोर्ट

अब तक कंगना रनोट और रितिक रोशन की लड़ाई में फिल्म इंडस्ट्री ने चुप्पी साध रखी थी. लेकिन हाल ही में जब विद्या बालन से ये सवाल पूछा गया कि कंगना और रितिक की लड़ाई के मामले वह क्या कहना चाहती हैं तो उन्होंने इसका जवाब बहुत बेबाकी से दिया.

विद्या ने कहा, 'कौन सही है और कौन गलत ये तय करने वाली मैं कौन होती हूं लेकिन कंगना की तारीफ करना चाहूंगी क्योंकि वो अपने हक के लिए खड़ी हुई हैं.' विद्या ने ये भी कहा, 'अक्सर महिलाएं अपने परिवार, अपने बच्चों के हक के लिए खड़ी हो जाती हैं मगर जब बात खुद की होती है तो वो चुप रहती हैं इसलिए मैं कंगना के जज्बे को सलाम करती हूं और अपनी शुभकामनायें देती हूं.

वहीं जब अमिताभ बच्चन से भी कंगना-रितिक विवाद के बारे में सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था, 'मुझे इस बात के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ‘हालांकि अमिताभ ने ये जरूर कहा कि महिलाओं को समाज में शक्ति मिलनी चाहिए.’ अमिताभ और विद्या बालन से यह बातचीत उनकी आने वाली फिल्म TE3N के ट्रेलर लॉन्च के दौरान हुई. अकसर स्टार्स फिल्म प्रमोशन के दौरान किसी दूसरे मुद्दे पर बात करने से कतराते हैं. लेकिन फिर भी विद्या बालन ने कंगना के पक्ष में बात कर ये साबित कर दिया कि उनका अंदाज सबसे जुदा है.

फिल्म TE3N में अमिताभ बच्चन, विद्या बालन के अलावा नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी अहम भूमिका में नजर आएंगे. यह फिल्म 10 जून को रिलीज होने जा रही है.

सोने के आयात में भारी गिरावट

देश में सोने का आयात अप्रैल माह में 67.33% गिरकर 19.6 टन रह गया. सोना आयात में आई इस भारी गिरावट के लिये आभूषण विक्रेताओं की लंबी चली हड़ताल को मुख्य वजह माना जा रहा है.

गौरतलब है कि गैर-चांदी आभूषणों पर बजट में 1% उत्पाद शुल्क लगाये जाने के विरोध में आभूषण विक्रेताओं एवं निर्माताओं की हड़ताल एक महीने से भी अधिक समय तक चली. सोने और चांदी का शोधन करने वाली कंपनी एमएमटीसी पैंप के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘मांग में कमी के चलते अप्रैल 2016 में सोने का आयात 19.6 टन तक गिर गया जबकि एक साल पहले इसी माह के दौरान 60 टन सोने का आयात किया गया.’

उन्होंने बताया कि कुल आयात में इस साल अप्रैल में सर्राफा का आयात (निर्यात के लिए) 13.14 टन रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 54 टन था. अधिकारी ने बताया कि आभूषण निर्माताओं की हड़ताल के चलते मांग कमजोर रही जिसकी वजह से कम आयात हुआ. इसके अलावा जनवरी और फरवरी में सोने का जो आयात हुआ था उसका ही इस्तेमाल किया गया.

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा गैर चांदी आभूषणों पर बजट में 1% उत्पाद शुल्क लगाने के बाद आभूषण निर्माताओं ने 2 मार्च से प्रतिष्ठानों को बंद कर दिया. 42 दिन लंबी चली हड़ताल वित्त मंत्री द्वारा उत्पाद शुल्क अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित नहीं किए जाने का आश्वासन देने के बाद खत्म हुई.

एमएमटीसी पैंप, सरकारी कंपनी एमएमटीसी और स्विट्जरलैंड की पैंप के बीच एक संयुक्त उद्यम है. कंपनी के अनुसार 2015-16 में अनुमानित तौर पर 750 टन सोने का आयात हुआ जबकि इससे पिछले साल 971 टन सोना आयात किया गया था. इसमें वह आयात शामिल नहीं है जो निर्यात के लिए आयातित था. भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है जो हर साल 800-900 टन सोने का आयात करता

 

 

सिर्फ 3300 रुपए में कर सकेंगे बुलेट ट्रेन की सवारी

मुंबई अहमदाबाद के बीच भारत की पहली बुलेट ट्रेन चलने में अभी भले ही समय हो लेकिन रेल मंत्रालय ने मुंबई-अहमदाबाद के बीच भविष्य में चलने वाली बुलेट ट्रेन के किराए का प्रस्ताव जरूर रख दिया है.

रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने बुधवार को संसद में बताया कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच दौड़ने वाली दुरंतो एक्सप्रेस का एसी फर्स्ट क्लास का किराया 2200 रुपए है. इस लिहाज से बुलेट ट्रेन का किराया करीब 3300 रुपए होगा.एक लिखित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पहले चरण में भारत में दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन की अधिकतम रफ्तार 350 किलोमीटर प्रति घंटे होगी. हालांकि इस ट्रेन का संचालन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से किया जाएगा.

जापान में टोक्‍यो और ओसाका के बीच का किराया 8500 रुपये है. इन दोनों शहरों के बीच की दूरी 550 किलोमीटर है. वहीं मुंबई-अहमदाबाद के बीच 508 किमी का फासला है. टोक्‍यो-ओसाका बुलेट ट्रेन पर ही भारत में बुलेट ट्रेन का मॉडल तैयार किया गया है. मंत्री ने लिखित जवाब में कहा कि भारत में बुलेट ट्रेन के पहले चरण में 350 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार होगी. इस पर 320 किमी/घंटे की रफ्तार से ट्रेन का संचालन किया जाएगा.

उन्‍होंने कहा,’मंत्रालय को साल 2023 तक रोजाना 36000 यात्रियों की उम्‍मीद है जो कि 2053 तक बढ़कर 186000 हजार हो जाएंगे. यात्रा में स्‍टेशनों के रूकने के समय को जोड़ने पर कुल 2 घंटे और 58 मिनट का समय लगेगा.इस योजना पर लगभग 97636 करोड़ रुपये की लागत आएगी.’

रेल मंत्रालय ने यात्रा के दौरान 12 स्‍टेशन प्रस्‍तावित किए हैं.ये स्‍टेशन- मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसार, वापी, बिलीमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती होंगे. रेल राज्यमंत्री ने बताया कि अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन दौडऩे के लिए इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 97,636 करोड़ रुपए की लागत आएगी.

 

 

कैसे गलेगी केन्द्र सरकार की दाल राज्यों में?

एक बार फिर 200 रुपये प्रति किलो की उंचाई पर पहुंचते दालों के दाम पर अंकुश लगाने के लिये केन्द्र ने प्रयास तेज कर दिये हैं. चार राज्यों को तुअर और उड़द की 10,400 टन दालों की खेप जारी की गई है ताकि ये राज्य 120 रुपये किलो की सस्ती दर पर इनकी बिक्री कर सकें. केन्द्र सरकार ने दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु को अपने बफर स्टॉक से यह दाल जारी किया है. केन्द्र ने घरेलू स्तर पर दालों की खरीदारी कर 50 हजार टन दालों का बफर स्टॉक तैयार किया है. चालू रबी मौसम के दौरान सरकार का इरादा एक लाख टन चना और मसूर दालों की खरीदारी करने का है.

खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने संवाददाताओं से कहा, ‘अपने बफर स्टॉक से हमने दिल्ली में केन्द्रीय भंडार और सफल बिक्री केन्द्रों पर 400 टन तुअर और उड़द दाल की आपूर्ति की है. हमने उन्हें यह दाल 120 रूपये प्रति किलो के दर पर बेचने को कहा है.’ उन्होंने कहा कि केन्द्रीय भंडार और मदर डेयरी की खुदरा श्रृंखला सफल ने कहा है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में तुअर और उड़द दाल की सस्ते दाम पर कल से बिक्री करेंगे.

पासवान ने कहा कि केन्द्र ने आंध्र प्रदेश को 8,000 टन की उनकी मांग के मुकाबले 2,000 टन तुअर दाल जारी की है. तेलंगाना को भी 15,000 टन की उनकी मांग के मुकाबले 2,000 टन तुअर दाल जारी की गई है. तमिलनाडू ने 10,000 टन दाल की मांग की थी उसे 5,000 टन उड़द दाल दी गई. जबकि 1,000 टन तुअर की आपूर्ति की गई.

राम विलास पासवान ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने 30,000 टन तुअर और उड़द की मांग की है. इस पर जल्द ही निर्णय लिया जायेगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा बाजार में उड़द 195 रुपये किलो, तुअर यानी अरहर 170 रपये, मूंग दाल 121 रुपये, मसूर दाल 105 रुपये और चना दाल 85 रुपये किलो के भार पर उपलब्ध है.

कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) के दौरान दलहन उत्पादन 1.73 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो कि पिछले साल के 1.71 करोड़ टन के मुकाबले मामूली अधिक है. भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है लेकिन उसकी मांग उत्पादन के मुकाबले अधिक है. ऐसे में उत्पादन और मांग के बीच के अंतर को आयात के जरिये पूरा किया जाता है.

 

रणदीप हुड्डा को लगी हथकड़ियां, जाना पड़ा जेल

अभिनेता रणदीप हुड्डा ने कई फिल्मों में काम किया है. हाईवे, बॉम्बे टॉकीज, साहब, बीवी और गैंगस्टर में उनके अभिनए को काफी पसंद किया गया. अब रणदीप को उमंग कुमार की आगामी रिलीज फिल्म 'सरबजीत' में मुख्य किरदार में देखा जाएगा.

इस फिल्म में वह पाकिस्तान के जेल में बंद भारतीय किसान सरबजीत की भूमिका निभा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने दोनों हाथों पर ढाई-ढाई किलो की हथकड़ियां भी पहनी हैं.

'सरबजीत' सरबजीत सिंह के जीवन पर आधारित है, जो पाकिस्तान में आतंकवाद और जासूसी का दोष सिद्ध होने के बाद जेल में बंद थे. इस फिल्म में अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन को सरबजीत की बहन दलबीर कौर की भूमिका में देखा जाएगा और ऋचा चड्ढा सरबजीत की पत्नी का किरदार निभाती नजर आएंगी.

उमंग कुमार ने बयान में कहा, 'इस किरदार के लिए रणदीप ने अपार समर्पण दिखाया है और कड़ी मेहनत की है. वह अपने अभिनय के लिए ही जाने जाते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि इस फिल्म के लिए अभिनेता ने जी-जान लगाकर काम किया है. फिल्म की रिलीज के बाद इस किरदार के लिए की गई उनकी मेहनत सभी को नजर आएगी.'

फिल्म सरबजीत 20 मई को रिलीज होने वाली है.

 

इंडियन नहीं ‘इंजर्ड प्रीमियर लीग’ है ये IPL 9

IPL-9 में खिलाड़ियों का लगातार चोटिल होना जारी है. अभी एक महीना भी नहीं हुआ है और अब तक 11 प्लेयर्स चोट के कारण टूर्नामेंट से आउट हो चुके हैं. वहीं, कुछ अभी भी चोटिल हैं तो कुछ चोट से उबर कर वापसी कर चुके हैं. प्लेयर्स की इंजरी के कारण सबसे ज्यादा मुश्किल में हैं धोनी की टीम राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स.

इंजर्ड खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा पुणे के खिलाड़ी…

सबसे ज्यादा खिलाड़ी पुणे टीम से बाहर हुए हैं. इसमें फॉफ डु प्लेसिस, केविन पीटरसन, मिशेल मार्श और लेटेस्ट नाम स्टीवन स्मिथ का है. खराब फॉर्म से जूझ रही पुणे को बहुत सारे मैच में हार का सामना करना परा है. दूसरी टीमों के फॉर्म को देखते हुए उसका सेमीफाइनल में पहुंचना भी मुश्किल लगता है.

वहीं, स्टीवन स्मिथ हों या मिशेल स्टार्क या फिर जोएल पेरिस और जॉन हैस्टिंग्स, चोटिल होकर स्वदेश लौट चुके हैं. लौटने वालों में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ज्यादा हैं.

बता दें कि मई के अंत में ऑस्ट्रेलिया को वेस्ट इंडीज के खिलाफ सीरीज खेलनी है. इसलिए वो अपने खिलाड़ियों को लेकर ज्यादा रिस्क नहीं ले रही है.

 IPL-9 में अब तक इंजरी के कारण बाहर हुए 11 खिलाड़ियों की लिस्ट

   क्रमांक

  खिलाड़ी का        नाम

   टीम का नाम

     मैच

     इंजरी टाइप

     रन

    विकेट

      1

  जोएल पेरिस

  दिल्ली                   डेयरडेविल्स

      0

  टखने के नीचे          चोट

 

 

      2

  स्टीवन स्मिथ

    राइजिंग पुणे         सुपरजाइंट्स

      8

    कलाई में चोट

    270

 

      3

   केविन           पीटरसन

    राइजिंग पुणे         सुपरजाइंट्स

      4

  पैर की मांसपेशियों में  खिंचाव

     73

 

      4

    फॉफ डु         प्लेसिस

    राइजिंग पुणे         सुपरजाइंट्स

      6

   उंगली में चोट

 

    206

 

      5

  लसिथ मलिंगा

   मुंबई इंडियंस

      0

    घुटने में चोट

 

 

      6

   जॉन हैस्टिंग

  कोलकता            नाइटराइडर्स

      2

    एड़ी में चोट

 

      2

      7

  लेंडल सिमंस

   मुंबई इंडियंस

      1

 लोअर बैक में चोट

      8

 

      8

   मिशेल मार्श

     राइजिंग पुणे       सुपरजाइंट्स

      3

     साइड स्ट्रेन

 

       4

      9

  मिशेल स्टार्क

    रॉयल चैलेंजर्स            बंगलुरु

      0

     एड़ी में चोट

 

 

      10

  सैमुअल बद्री

    रॉयल चैलेंजर्स           बंगलुरु

      0

      कंधे में चोट

 

 

      11

   शॉन मार्श

    किंग्स इलेवन             पंजाब

      6

  पीठ में दर्द ऐर            खिंचाव

   159

 

 

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