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वन नाइट स्टैंडः कमजोर कथा व पटकथा ले डूबी

जैस्मिन डिसूजा निर्देशत रोमांटिक थ्रिलर फिल्म‘‘वन नाइट स्टैंड’’ महज सनी लियोनी की वजह से देखी जा सकती है. वह फिल्म दर फिल्म अपनी अभिनय क्षमता निखारती जा रही है. मगर अभी भी खुद को एक बेहतरीन अदाकारा साबित करने के लिए सनी लियोनी को काफी मेहनत करने की जरुरत है. वह परदे पर सेक्सी व खूबसूरत ही नजर आती हैं. फिल्म की कहानी बासी और बोरिंग है. फिल्म मं मुद्दा उठाया गया है कि यदि एक लड़का मौजमस्ती करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है,तो फिर लड़की क्यों नहीं.. मगर इस मुद्दे को भी सही ढंग से उभारा न जा सका.   

फिल्म की कहानी के केंद्र में सलीना(सनी लियोनी)और शादीशुदा उर्विल (तनुज विरवानी) हैं. वैसे कहानी शुरू होती है उर्विल से.उर्विल अपने अतीत की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताता है कि वह आज जो कुछ है,उसकी वजह उसका अतीत है.उर्विल की कंपनी मंबई में एक फैशन शो का आयोजन करती है. फैशन शो खत्म होने के बाद इसकी सफलता का जष्न मनाने के लिए उर्विल अपने कुछ दोस्त के संग पब में पहुॅचता है. जहाॅं उसके दोस्त उससे कुछ रूपयों के लिए शर्त लगाते हं कि वह अनजान लड़की सलीना से बात करके दिखाए. इस शर्त को जीतने के लिए उर्विल, सलीना से परिचय करता है. दोनों बहुत ही जल्द एक दूसरे के दोस्त बनकर एक दूसरे के करीब आ जाते हैं. फिर वन नाइट स्टैंड के बाद दोनो अलग हो जाते हैं. उर्विल अपने घर पुणे पहुॅचता है, जहाॅं उसकी पत्नी सिमरन (न्यारा बनर्जी) उसका स्वागत करती है. सलीना तो उर्विल को भूलकर अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ जाती है. मगर उर्विल, सलीना को नहीं भूल पाता. वन नाइट स्टैंड की घटना घटित होने के कुछ समय बाद एक माल में अपनी पत्नी सिमरन के साथ कुछ खरीददारी करने जाता है, तो वहां पर उर्विल व सलीना फिर मिलते हैं और यहीं से उर्विल और उसकी पत्नी सिमरन (न्यारा बनर्जी) की जिंदगी में तूफान आ जाता है. उसके बाद उर्विल, सलीना को दुबारा पाने का प्रयास करता है. उसके बाद कहानी कई मोड़ो से होकर गुजरती है.

फिल्म की कहानी मंबई, पुणे होते हुए बैंकाक तक पहुॅचती है .मगर भवानी अय्यर की इस कहानी में कहीं कुछ भी नयापन नहीं है. कहानीकार के तौर पर वह दर्शकों को बांधकर रखने में पूरी तरह से नाकाम नजर आते हैं. यदि ख्बसूरत लोकेशंस को भूल जाए तो पूरी फिल्म उबाउ लगती है. फिल्म का इंटरवल के बाद का हिस्सा तो कुछ ज्यादा ही बोर और उबाउ है. संगीत भी कुछ खास नही है. फिल्म में निनाद कामत को छोड़कर कोई भी कलाकार बेहतरीन परफार्मेस नहं दे पाया है. तनुज विरानी कई दृष्यों में अपने चेहरे पर सही हाव भाव नहीं ला पाए. यदि यह कहा जाए कि कमजोर कहानी व कमजोर पटकथा इस फिल्म को ले डूबी,तो कुछ भी गलत नहीं होगा.

‘‘स्विस इंटरटेनमंट प्रा.लिमिटेड’’ के बैनर तले बनी फिल्म ‘‘वन नाइट स्टैंड’’के निर्माता  फरक्वान खान व प्रदीप शर्मा, निर्देशन जस्मिन डिसूजा, कहानीकार भवानी अय्यर,संगीतकार जीत गांगुली, मीत ब्रदर्स, विवेक कर और टोनी कक्कड़ तथा कलाकार हैं- सनी लियोन,तुनज विरवानी,न्यारा बनर्जी,खालिद सिद्दकी, निनाद कामत.

नहीं आया कभी फिक्सिंग का ऑफर: कोहली

भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली की राय है कि 'चाहे आप कितने भी कड़े कदम उठा लें, चाहे कितना भी मजबूत सुरक्षा सिस्टम बना लें, लेकिन अगर क्रिकेट में मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग को रोकना है, तो इसके लिए एक खिलाड़ी को खुद ही सही फैसले लेने होंगे'.

उन्होंने कहा कि मैच फिक्सिंग को हटाने के लिए आप कितना ही भरसक प्रयत्न करो लेकिन यह हमेशा ही व्यक्तिगत खिलाड़ी पर निर्भर करेगी कि वह कौन सा विकल्प चुनता है.

कोहली ने आगे कहा कि आप निश्चित रूप से किसी के कमरे में जाकर यह नहीं कह सकते कि आप किसी से इस तरह से बात मत कीजिए. उन्होंने कहा कि वे नियम बना सकते हैं और आप इतना ही कर सकते हैं. अंतत: यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह किस तरह के फैसले करना चाहता है.

यह पूछने पर कि क्या क्रिकेट अधिकारियों ने मैच फिक्सिंग को दूर करने के लिए काफी प्रयास किया है तो कोहली ने कहा कि मुझे लगता है कि अधिकारी उतना तो कर रहे हैं कि वे खेल को साफ सुथरा रख सकें. अगर कोई कुछ गलत करने का विकल्प चुनता है तो यह मायने नहीं रखता कि आप कितना नियंत्रण करते हो.

इसके खिलाफ खिलाड़ी हों सख्त

विराट कोहली ने कहा कि जो भी अधिकारी हैं और जो भी संस्थाएं हैं, वो पूरी कोशिश कर रही हैं कि खेल से फिक्सिंग को दूर किया जाए, लेकिन जब तक इस खेल को खेलने वाले खिलाड़ी ही सख्ती से इसके खिलाफ नहीं होगें तब तक इस पूरी तरह हटाना मुश्किल है. 

 नहीं आया ऐसा कोई प्रस्ताव

अगर कोई खिलाड़ी इतने नियम होने के बावजूद भी फिक्सिंग करना चाहता है, तो आप इसे नहीं रोक पाएंगे. हालांकि विराट कोहली ने यह भी कहा कि उनके क्रिकेट करियर में अभी तक उनके सामने मैच फिक्स या स्पॉट फिक्स करने का कभी कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं आया और कोहली उम्मीद करते हैं कि आगे भी भगवान की कृपा से उन्हें ऐसा कुछ न देखना पड़े.

रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे कैप्टन कूल!

भारतीय क्रिकेट टीम के वनडे और टी20 कप्तान कूल महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद व्यवसाय में हाथ आजमाने का फैसला किया है क्योंकि वो अभी से ही कई व्यवसाय में जुड़ चुके हैं. धोनी रियल एस्टेट, सिक्यूरिटी साल्यूशंस, जिम्नेशियम चेन और स्पोर्ट्स वस्त्र निर्माण चेन 'सेवन' में निवेश कर चुके हैं

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 'सेवन' धोनी का पहला व्यापार उपक्रम नहीं है, वे रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्रायवेट लिमिटेड के साथ मिलकर स्पोर्ट्स फिट वर्ल्ड नामक फिटनेस सेंटर चेन के सहमालिक भी है. रिति स्पोर्ट्स ही उनके ब्रांड इंडोर्समेंट और कम्युनिकेशन्स का प्रबंधन देखती है.

रिति खेल प्रबंधन अध्यक्ष अरुण पांडेय ने कहा कि, धोनी खुद एक प्रमुख ब्रांड है उन्हें खुद के प्रचार के लिए किसी विज्ञापन अभियानों की जरूरत नहीं है.

जिम चेन में धोनी की 65 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसके अलावा धोनी की हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) फ्रेंचाइजी ‘रांची रेज’ और इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) ‘चेन्नईयन एफसी’ तथा सुपरस्पोर्ट व्लर्ड चैंपियनशिप टीम ‘माही रेसिंग टीम इंडिया’ में भी हिस्सेदारी है.

स्पोर्ट्स और फिटनेस वर्ल्ड के अलावा धोनी ने आम्रपाली माही डेवलपर्स प्रा.लि. के जरिए रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश किया है. यह उनका आम्रपाली ग्रुप के साथ संयुक्त उपक्रम है. इसमें उनकी पत्नी साक्षी धोनी की 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. धोनी इसके अलावा ऑप्टिमम विलिजेंस साल्युशंस में सबसे बड़े पार्टनर है. वे इसके अलावा 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' में संयुक्त निर्माता भी है.

धोनी वर्तमान में 17 ब्रांड्स के साथ जुड़े हुए हैं और सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाले क्रिकेटर हैं. फोर्ब्स ने 2014-15 में 31 मिलियन डॉलर की आमदनी के साथ उन्हें दुनिया का 23वां सबसे अमीर खिलाड़ी बताया था. इसमें 4 मिलियन डॉलर वेतन और अन्य राशि विज्ञापनों के जरिए प्राप्त हुई थी.

क्रिकेटर्स आमतौर पर सेवानिवृत्ति होने के बाद रेस्तरां खोल लेते हैं जिनमें सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान के नाम शामिल हैं.

स्विट्जरलैंड में यश चोपड़ा की कांस्य प्रतिमा स्थापित

यश चोपड़ा के सम्मान में स्विट्जरलैंड सरकार ने उनकी प्रतिमा स्थापित की है. चोपड़ा के फिल्म बैनर यशराज फिल्म्स ने एक बयान में कहा कि दिवंगत फिल्मकार की पत्नी पामेला और बहू रानी मुखर्जी ने उनकी कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया. प्रतिमा का वजन करीब 250 किलोग्राम है.

चोपड़ा ने अपनी फिल्मों में जिस तरह स्विट्जरलैंड की खूबसूरती को दिखाया था, उसने देश में दक्षिण एशिया के पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में मदद की. प्रतिमा इंटरलेकन नगर के मध्य में स्थित कुरसाल इलाके में कांग्रेस सेंटर के पास स्थापित की गई है. कांग्रेस सेंटर पर्यटकों का पसंदीदा गंतव्य स्थल है.

स्विट्जरलैंड के मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाह अनावरण समारोह में मौजूद थे जिसका आयोजन इंटरलेकन टूरिज्म और जुंगफ्रो रेलवे ने किया था. इससे पहले इंटरलेकन प्रशासन ने 2011 में चोपड़ा को ‘एंबेसडर ऑफ इंटरलेकन’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया था और जुंगफ्रो रेलवे ने उनके नाम पर एक ट्रेन का नाम रखा था. इंटरलेकन में स्थित पांच सितारा होटल विक्टोरिया जुंगफ्रो ग्रैंड होटल एंड स्पा में यश चोपड़ा के नाम का एक सुईट भी है.

अब नेटवर्क न होने पर भी कर सकेंगे बात

आज मोबाइल फोन के बिना जिंदगी अधूरी-सी लगती है और बिना सिग्नल के महंगे से महंगा फोन भी बेकार ही लगता है. बहुत बार ऐसा होता है कि आप ऐसी जगह पर होते है, जहां आपके फोन में नेटवर्क नहीं आता और ऐसे में अगर आपको किसी को जरूरी फोन करना हो, तो आपके लिए मुश्किल पैदा हो सकती है. ऐसे हालात में गुस्सा आना लाजमी है. जब फोन में नेटवर्क नहीं आते तो आपको अपना फोन साइड में रखना पड़ता है, क्योंकि आप अपने मोबाइल फोन को चाहकर भी इस्तेमाल नहीं कर पाते. क्या ऐसी बेबसी की हालत में भी कुछ किया जा सकता है?

आपको यह जानकार हैरानी होगी जब आपके फोन में नेटवर्क नजर नहीं आ रहा हो, तो ऐसी स्थिति में भी आप लोगों को कॉल कर सकते हैं. साथ ही आप अपने दोस्तों की कॉल को उठा भी सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. तो आज हम आपको जो कुछ बताने जा रहे हैं, उसके जरिए आप इस असंभव काम को भी आसानी से संभव बना सकते हैं: –

– इसके लिए सबसे पहले आपको अपने फोन में LIBON APP डाउनलोड करना होगा. इस एप का एक नया फीचर 'Reach Me' से आप बिना मोबाइल नेटवर्क के भी फोन पर बात कर सकते हैं.

– इस फीचर के लिए आपको वाई-फाई ऑन करना होगा. वाई-फाई की मदद से आप बिना नेटवर्क के फोन पर बात कर सकते हैं.

– इस फीचर की मदद से यदि आप किसी कॉल को नहीं उठाना चाहते तो आप वॉयस मेल भेज सकते हैं.

– 'Reach Me' फीचर की एक खास बात यह है कि सारी कॉल आपके मोबाइल नंबर से ही रिसीव होंगी.

– यदि आप LIBON APP का इस्तेमाल करते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि सामने वाले के फोन में भी यह एप हो.

टाटा मोटर्स देगा इलेक्ट्रिक वाहन के साथ दस्तक

टाटा मोटर्स जैगुआर लैंडरोवर के साथ​ मिलकर जल्द ही भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन के साथ दस्तक दे सकता है. यह जानकारी कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर गोपीचंद कट्रागडा ने मीडिया को दी.

ग्रुप के एग्जिक्यूटिव काउंसिल मेंबर मुकुंद राजन ने कहा कि टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक कार का कॉन्सेप्ट तैयार किया है और इसको अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों की मदद सें अंतिम रूप दिया जा सकता है.

टाटा मोटर्स की अप्रैल 2016 में 9.9 फीसदी ग्रोथ हुई है. कंपनी को कॅमर्शियल और पैसेंजर वाहनों के सेगमेंट में भी फायदा हुआ है. इन सेगमेंट में अप्रैल 2015 के मुकाबले 11 फीसदी की ग्रोथ दर्ज हुई है.

टाटा इस इलेक्ट्रिक व्हीकल को पैसेंजर और कॅमर्शियल व्हीकल सेगमेंट दोनों के लिए ला सकती है.

इस व्हीकल के लॉन्च होने के साथ ही भारत में इसका मुख्य मुकाबला होगा महिंद्रा ई20 से. महिंद्रा भी चार दरवाजों वाली इलेक्ट्रिक कार पर काम कर रही है, जो कि जल्द ही भारतीय बाजार में दस्तक दे सकती है.

लॉन्च हुआ ‘मेड फॉर इंडिया’ स्मार्टफोन

चीनी इंटरनेट टेक्नोलॉजी कंपनी लीईको (LeEco) ने अपना पहला 'मेड फॉर इंडिया' स्मार्टफोन भारत में लॉन्च कर दिया है. कंपनी लीईको ली 1एस (Le 1s Eco) स्मार्टफोन के साथ अपनी सुपरटेनमेंट सर्विस भी लॉन्च की है. यह फोन 10 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है. इसकी पहली फ्लैश सेल फ्लिपकार्ट पर 12 मई को दोपहर 2 बजे होगी. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आइए जानते हैं क्‍या है इसमें खास-

ले 1एस (ईको) की कीमत 10899 रुपये तय की गई है, लेकिन शुरुआती 1 लाख ग्राहक इसको 9,999 रुपये में पा सकते हैं. यह 5.5 इंच फुल-एचडी (1080×1920 पिक्सल) डिस्प्ले के साथ है. ऑपरेटिंग सिस्टम की बात करें तो यह एंड्रॉयड 5.0 लॉलीपॉप पर आधारित है.

यह पावरवीआर ग्राफिक्स के साथ ऑक्टा-कोर मीडियाटेक प्रोसेसर, 3 जीबी रैम और 32 जीबी इंटरनल स्टोरेज पर काम करता है. हालांकि फोन की मैमोरी को बढ़ाया नहीं जा सकता है. ले 1एस (ईको) पूरी तरह मैटल बॉडी पर तैयार किया गया है.

फोटोग्राफी के लिए फ्लैश के साथ 13 मेगापिक्सल रियर कैमरा और सेल्फी के ल‌िए 5 मेगापिक्सल फ्रंट मौजूद है. फोन फिंगरप्रिंट सेंसर भी सपोर्ट करता है. Leeco ने अपने मनोरंजन सेवाओं के ‌लिए हंगामा, इरोज और YuppTV के साथ टाई-अप किया है. साथ ही कंपनी ने एक Levidi नाम से एप भी पेश की है, जिसके जर‌िए इंटरनेट पर मौजूद वीडियो देखे जा सकते हैं.

कनेक्टिविटी के ‌लिए 4जी, वाई-फाई, ब्लूटूथ, जीपीएस और टाइप-सी चर्जिंग सपोर्ट मौजूद है. फोन की बैटरी 3000mAh की है.

ऐसा क्या मांग बैठीं दलबीर कि रो पड़े ‘सरबजीत’

पाकिस्तान की जेल में आतंकवाद और जासूसी के आरोप में 22 साल कैद रहे भारतीय किसान सरबजीत सिंह की जिंदगी पर बन रही फिल्म 'सरबजीत' के एक कार्यक्रम में फिल्म की हीरोइन ऐश्वर्या और हीरो रणदीप हुड्डा के साथ सरबजीत की बहन दलबीर कौर भी पहुंचीं.

मौका था सरबजीत की तीसरी पुण्य तिथि का जब इसी बीच दलबीर कौर ने रणदीप हुड्डा के सामने ऐसी मांग रख दी जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं रही होगी. दलबीर ने अपनी एक ख्वाहिश जाहिर की जिसे सुनते ही रणदीप भी भावुक हो उठे.

फिल्म में सरबजीत का रोल निभा रहे रणदीप से दलबीर कौर ने कहा'' मैं रणदीप को कहना चाहूंगी कि मैंने उसमें सच में सरबजीत देखा है. मेरी इच्छा है और मैं उससे एक वादा लेना चाहती हूं कि जब मैं मरूं तो वो मेरी अर्थी को जरूर कंधा दे. मेरी आत्मा को शांति मिलेगी कि सरबजीत ने मुझे कंधा दिया.''

उन्होंने ये भी कहा,''मेरे लिए ये खुशी की बात थी कि मुझे रणदीप जैसा भाई मिला. इस फिल्म में वो सिर्फ हीरो नहीं है, मेरा भाई भी है. जब मैं पहले दिन आई थी तो उसने छोटे से कमरे में शॉट दिया था. मुझे ऐसा ही लगा था जैसे मेरा 'शेर' बैठा है. मैंने उन्हें मेसेज भेजा कि वे हजारो साल जिएं और किसी की बुरी नजर न पड़ने पाए.''

इस समारोह में फिल्म के निर्देशक ओमंग कुमार भी मौजूद थे. ओमंग कहते हैं कि इस फिल्म को बनाने से पहले हमने सरबजीत की बहन दलबीर कौर से बात की. उनसे सरबजीत के रोल के लिए हीरो के बारे में पूछा तो उन्होंने रणदीप हुड्डा का नाम सजेस्ट किया. तभी हमने रणदीप को फाइनल कर लिया.

फिल्म में ऐश्वर्या राय ने सरबजीत की बहन दलबीर का रोल निभाया है. रिचा चढ्ढा भी मुख्य भूमिका में है. ये फिल्म 20 मई को रिलीज होगी.

पंजाब की बाहुबली बनी जोरावर

पंजाबी सिनेमा के इतिहास में सबसे बड़ी फिल्म जोरावर जबरदस्त रिलीज हुई

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पीटीसी मोशन पिचर्स , रजी एम शिंदे और रवींद्र नारायण निर्मित तथा विनील मारकन निर्देशित म्यूजिक सेंसेशन हनी सिंह अभिनीत फिल्म "ज़ोरावर" बड़े पैमाने पर प्रदर्शित हुई है। 

​फिल्म एक्शन और एंटरटेनमेंट मसाले से भरपूर है , फिल्म की जब घोषणा हुई

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 तब से फिल्म के बारे में चर्चा हर जगह 

​रही

 चर्चा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी रही

​ थी

 ।  ​जोरावर पहली ऐसी पंजाबी फिल्म है

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 की वर्ल्ड वाइड ६ जगह ​प्रदर्शित हुई है यानी की, यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड में। 

 कल रात फिल्म जोरावर का प्रीमियर चंडीगढ़ में हुआ इस दौरान ​फिल्म की स्टारकास्ट पवन मल्होत्रा, मुकुल देव, बानी गुरबाणी और पारुल गुलाटी मौजूद रहे । फिल्म की कास्ट के अलाव स्क्रीनिंग में अम्मी विर्क, प्रीत हरपाल, बब्बल राय, हार्डी संधू, रंजीत बावा, मनकीरत औलख,  सिप्पी गिल इन्होने खास उपस्थिति दर्ज कराई। ​स्क्रीनिंग के बाद मौजूदा गेस्ट ने फिल्म का स्केल देखते हुए यह प्रतिक्रिया दी की " जोरावर पंजाबी की अगली बाहुबली है"  पीटीसी मोशन पिक्चर्स, रजी एम शिंदे और रवींद्र नारायण द्वारा निर्मित और विनील मारकन निर्देशित तथा हनी सिंह, पारुल गुलाटी, गुरबानी न्यायाधीश, पवन मल्होत्रा , अंचित कौर अभिनीत फिल्म जोरावर ६ मई २०१६ को सभी सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई है। 

 

आतंक की जड़ धर्म

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का भय गहराता जा रहा है. बैल्जियम की राजधानी बू्रसैल्स में कई स्थानों पर एकसाथ हमले कर के 31 लोगों की जान ले कर इसलामिक स्टेट संगठन के आतंकवादियों ने एक बार फिर संदेश दे दिया है कि उन के आत्मघाती दस्तों को रोकना दुनिया की बड़ी ताकतों के वश में नहीं है और दुनिया के देशों की सरकारों को हर समय डर कर रहना होगा कि न जाने कब, कहां, कैसे हमला हो जाए.

प्रकृति की अप्रत्याशित मार के भय के चलते धर्म की उत्पत्ति की गई थी. सयाने लोगों ने आम व्यक्तियों को मूर्ख बना डाला था कि प्राकृतिक कहर, किसी अदृश्य हस्ती की नाराजगी के कारण होते हैं और उस का मुकाबला करना है तो इस या उस धर्म की शरण में जाओ. बाद में ये धर्म आपस में ही लड़ने लगे क्योंकि हर धर्म जनता को बहकाने का एकाधिकार चाहता था. मानव ने, सभ्य होने के बाद, अपनी बुद्धि से प्रकृति पर काफी विजय पाई है. आज भी प्रकृति की अचानक टेढ़ी हुई निगाहें उसे नुकसान पहुंचाती हैं, पर उतना नहीं. भूकंप और सुनामी के अलावा बहुत सी आपदाओं पर विजय पा ली गई है. यह विजय धर्मों को स्वीकार नहीं है. पश्चिमी देशों के धर्म व नेताओं ने तो इस स्थिति को स्वीकार कर लिया है पर इसलाम व हिंदू इस बदलाव को सहन नहीं कर पा रहे. कट्टर मुसलिम और कट्टर हिंदू अपना धंधा बनाए रखने के लिए कुछ न कुछ प्रपंच रचते रहते हैं.

इसलाम पर पिछले दशकों में बड़ा हमला नहीं हुआ. इसराईल बना लेकिन वह उस इलाके के लोगों का सैकड़ों सालों का आपसी मामला था, वह भी जमीन का, धर्म का नहीं. तेल के फलफूल रहे इलाके में धर्म के हाथों से लोग निकल न जाएं, क्योंकि वे पश्चिम की तकनीकी प्रगति खरीद सकते थे, धर्म के सौदागरों ने उन्हें धर्म के नाम पर बहकाना शुरू किया और अधपढ़ी जनता ने उसे अंतिम सत्य मान कर अपनाना शुरू कर दिया. इसलाम के साथ यह परेशानी खड़ी हो गई कि मुसलिम देशों में बेकारी बहुत है. वहां तेल का पैसा तो है पर हरेक के लिए काम नहीं. तेल का पैसा सरकार, शासकों, तेल कंपनियों के मालिकों और नौकरशाही के हाथों से निकल कर आम व्यक्ति के हाथ में कैसे पहुंचे, इस का कोई फार्मूला नहीं. वहां के युवा, खासतौर पर गरीब घर के युवा जो कई भाईबहनों के बीच पले, कट्टरपंथी समाज में घुटे और जिन्हें मां का प्यार नहीं मिला, कुंठित हो गए. और वे ही धर्म के सौदागरों की सौगात बन गए.

धर्म ने इसलाम के नाम पर उन्हें बरगला लिया. बिना वजह दुनिया को इसलाम का दुश्मन कह डाला. अमेरिका, यूरोप, एशिया इसलामी जनता को परेशान नहीं कर रहे थे. बस, धर्म के दुकानदारों ने हौआ पैदा कर दिया. आज ईसाई गोरे देशों पर पश्चिमी एशिया के गुस्सैल युवा इसलाम के सहारे अपनी कुंठा निकाल रहे हैं. उन्हें न अपनी जान की चिंता है न दूसरों की जान की. जीवन उन के लिए खेल है क्योंकि जिंदगी उन्हें कुछ नहीं दे रही. उन्हें निर्दोषों की जिंदगी लेने में कोई हिचक नहीं हो रही. अमेरिका में खासतौर पर और यूरोप में यदाकदा ऐसे युवा हैं जो निहत्थे निर्दोर्षों को बिना धर्म के नाम पर भी मार रहे हैं.

30 मार्च को मिस्र में हुए विमान अपहरण की कहानी भी ऐसी ही है जिस में अपनी रूठी पत्नी को पाने के लिए एक आदमी ने हवाई जहाज का अपहरण कर सब की जान को घंटों तक कच्चे धागे से लटकाए रखा. ब्रूसैल्स का आतंकवादी हमला बिना मतलब का था. न जमीन जीतनी है, न कोई मांग मनवानी है. बस, अपना गुस्सा आम जनता पर उतारना है. इस बीमारी का कोई हल नहीं दिख रहा. जब तक धर्म जिंदा है, यह फलेगीफूलेगी क्योंकि धर्म निठल्लों, घर सेभागे लोगों की पनाहगाह है.

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