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मैदान में क्रिकेटर की पीट-पीटपर हत्या

बांग्लादेश में खेल-खेल में एक युवा की जान चली गई. मिल रही खबरों के मुताबिक यह घटना एक क्रिकेट मैच के दौरान हुई, जिसमें अंपायर को ताना मारे जाने पर बैट्समैन को इतना गुस्सा आ गया कि उसने ताना मार रहे लड़के की स्टंप से पीटकर हत्या कर दी. मामला सिर्फ इतना था कि उसने एक नो बॉल को लेकर अंपायर को ताना मारा था.

16 साल के बाबुल शिकदार ढाका में अपने दोस्तों के साथ एक मैच खेल रहा था, जब उसकी हत्या कर दी गई. स्थानीय पुलिस प्रमुख भुइयां महबूब हसन ने कहा कि अंपायर ने नो बॉल देकर बल्लेबाज के पक्ष में फैसला दिया. अंपायर ने पिछली गेंद को भी नो बॉल करार दिया था. शिकदार, अंपायर पर जानबूझकर बैट्समैन को फेवर करने का आरोप लगाने लगा.

इस पर शिकदार ने अंपायर पर ताना मार दिया और इससे बल्लेबाज इतना नाराज हो गया कि उसने स्टंप उठाकर शिकदार को सिर के पीछे दे मारा. वह मैदान पर गिर गया और अस्पताल जाते समय उसकी मौत हो गई. वारदात के बाद आरोपी बैट्समैन वहां से भाग गया, जिसके बाद पुलिस उसकी तलाश कर रही है.

इंग्लैंड महिला टीम की कप्तान एडवर्डस ने लिया सन्यास

लंबे समय तक इंग्लैंड की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान रही चालरेट एडवर्डस ने अपने चमकदार अंतरराष्ट्रीय कॅरियर को अलविदा कह दिया. एडवर्डस ने इंग्लैंड की तरफ से हर प्रारूप में अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया. उन्होंने बयान जारी करके कहा कि उनके लिए संन्यास का फैसला करना काफी मुश्किल काम रहा.

उन्होंने कहा, 'मुझे इंग्लैंड की तरफ से खेलना बहुत पसंद है जो कोई भी मुझे जानता है वह यह समझ सकता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना मेरे लिए कितना मुश्किल फैसला रहा होगा. मैंने काफी सोच विचार करने तथा इंग्लैंड के कोच मार्क रोबिनसन और इंग्लैंड महिला क्रिकेट की निदेशक क्लेरी कोनोर से विस्तृत बातचीत के बाद यह फैसला लिया.’

एडवर्डस ने अपने अंतरराष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत 1996 में की थी. इस 36 वर्षीय क्रिकेटर ने अपने कॅरियर में 23 टेस्ट मैचों में चार शतकों की मदद से 1676 रन बनाए और कामचलाऊ लेग स्पिनर के तौर पर 12 विकेट लिए. सलामी बल्लेबाज चालरेट ने 191 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 5992 रन बनाए, जिसमें नौ शतक शामिल हैं.

 उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 173 रन रहा. वनडे में उन्होंने 54 विकेट भी लिए हैं. इसके अलावा 95 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में एडवर्डस के नाम पर 2605 रन दर्ज हैं. उन्होंने कुल 220 मैचों की इंग्लैंड की अगुवाई की. उनकी कप्तानी में इंग्लैंड ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन बार 2008, 2013 और 2014 में एशेज जीती.

इसके अलावा 2009 में इंग्लैंड ने वनडे विश्व कप और विश्व टी20 का खिताब भी जीता. चालरेट को 2008 में आईसीसी की तरफ से वर्ष की महिला क्रिकेटर और 2014 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया. वह घरेलू क्रिकेट में केंट की तरफ से खेलना जारी रखेंगी जबकि पहले सुपर लीग में सदर्न वाइपर्स की तरफ से खेलेंगी.

‘राज रीबूट’ का Motion Poster रिलीज

इमरान हाशमी अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘अजहर’ को ले कर काफी चर्चा में हैं. हालांकि फिल्म रिलीज हो चुकी है, और फिल्म समीक्षकों को ये फिल्म रास नहीं आ रही है. इसी बीच इमरान अभिनीत फिल्म 'राज' सीरीज की चौथी फिल्म 'राज रीबूट' का मोशन पोस्टर रिलीज हो गया है. 40 सेकेंड के इस मोशन पोस्टर में खून से रंगे मंगलसूत्र की फोटो को एक धुंधले चहरे के साथ उभरते हुए दिखाया गया है. फिल्म की टैगलाइन है 'सीक्रेट्स आर एनमी ऑफ लव'. बता दें, इमरान हाशमी, कृति खरबंदा और गौरव अरोड़ा स्टारर इस फिल्म के डायरेक्टर विक्रम भट्ट हैं.

वहीं महेश भट्ट और मुकेश भट्ट इस फिल्म के निर्माता हैं. ‘विशेष फिल्म्स’ के बैनर तले इस फिल्म का निर्माण किया जा रहा है. फिल्म कब रिलीज होगी इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है.

मोशन पोस्टर को देखकर ये कयास लगाया जा रहा है कि 'राज रीबूट' रहस्य और रोमांच का तड़का होगी. काफी दिनों से दर्शकों को ऐसी फिल्म का इंतजार है. अब देखने वाली बात  ये होगी कि ये फिल्म दर्शकों के उम्मीद पर खरी उतर पाती है या नहीं.

मुझे बुरा होना पसंद है: प्रियंका चोपड़ा

जानी मानी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा बॉलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवाने के बाद हॉलीवुड में अपना भाग्य आजमा रही हैं. प्रियंका अमरीकी टीवी सीरीज क्वांटिको में दमदार अभिनय के बाद फिलहाल हॉलीवुड फिल्म बेवॉच की शूटिंग में व्यस्त हैं.

वह अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में अपनी नकारात्मक भूमिका से शुरुआत कर रही हैं. 'बेवॉच' में अपनी खलनायिका की भूमिका के संदर्भ में उन्होंने कहा कि उन्हें 'बुरा होना' पसंद है.

प्रियंका इस फिल्म में विक्टोरिया लीड्स की भूमिका में हैं. उन्होंने इंटाग्राम पर 'बेवॉच' के निर्देशक सेठ गॉरडन के साथ फोटो भी साझा की है. प्रियंका ने फोटो कैप्शन में लिखा, 'लगता है कि मुझे बुरा होना बहुत पसंद है.'

'बेवॉच' फिल्म इसी नाम से 1990 के दशक में आने वाली बेहद लोकप्रिय टीवी श्रृंखला पर आधारित है. इस फिल्म में हॉलीवुड के सितारों में ड्वेन जॉनसन और जैक एफ्रोन भी हैं.

फिकी पड़ती सोने की चमक

देश में चालू कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही के दौरान सोने की मांग में 39% की भारी-भरकम गिरावट दर्ज की गई है. ग्राहकों के कीमतें कम होने की उम्मीद में खरीदारी टालने से मांग गिरी है. वैश्विक खनिकों की प्रतिनिधि संस्था ‘विश्व स्वर्ण परिषद’ (डब्ल्यूजीसी) के आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में जनवरी से मार्च 2016 के दौरान सोने की कुल मांग घटकर 116.5 टन रही, जिसकी कीमत 29,900 करोड़ रुपये (4.4 अरब डॉलर) थी.

वहीं, पिछले साल की इसी अवधि में मांग 191.7 टन रही थी, जिसकी कीमत 46,730 करोड़ रुपये (7.5 अरब डॉलर) थी. भारत में जनवरी-मार्च तिमाही में सोने की आभूषण और निवेश दोनों मांग गिरी. आभूषणों की मांग 41% घटकर 88.4 टन रही, जो 2015 की जनवरी-मार्च तिमाही में 150.8 टन थी.

डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमसुंदरम पीआर ने कहा, 'उत्पाद शुल्क फिर लागू किए जाने के विरोध में हुई सराफा कारोबारीयों की हड़ताल के कारण भारत में सोने की मांग प्रभावित हुई. इससे वैवाहिक खरीदार भी प्रभावित हुए. यह मांग कम होने का प्रमुख कारण था. इस साल की शुरुआत से सोने की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी और सोने पर सीमा शुल्क में कटौती की उम्मीद में ग्राहकों ने खरीदारी टाली.'

उन्होंने कहा कि ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि 2 लाख रुपये से अधिक की खरीद पर स्थायी खाता संख्या (पैन) का ब्योरा अनिवार्य किए जाने का भी खरीदारी पर असर पड़ा है. इस साल की शुरुआत से सोने की कीमतें करीब 17% बढ़ चुकी हैं. इस वजह से ग्राहकों ने कीमतों में बढ़ोतरी को अस्थायी मानते हुए अपनी खरीदारी टाली है, जिससे मांग कम हुई है. गौरतलब है कि फरवरी में सोने की कीमतों में अचानक तेजी आई थी, इसलिए खरीदारों ने कीमतों में स्थिरता आने का इंतजार किया.

आमतौर पर साल की दूसरी छमाही में सोने की मांग अच्छी होती है. वहीं, मॉनसून की बारिश के सकारात्मक पूर्वानुमान, सावधि जमा और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) सहित वित्तीय योजनाओं में कम ब्याज दर और शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव जैसे कारक सोने की खरीदारी के लिए अत्यधिक सकारात्मक हैं.'

 

 

‘बाकी कुछ बचा तो मंहगाई मार गई’!!!

अप्रैल में दालों, चीनी, मसालों, मांस-मछली एवं अंडों के दाम में तेज बढ़ोतरी के कारण खुदरा मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की दर बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 5.39% पर पहुंच गई. महंगाई बढऩे से जून में रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद कम हो गई है.

अप्रैल में रेपो दर 0.25% घटाने के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि यदि आंकड़े अनुकूल रहते हैं तो भविष्य में और कटौती की जा सकती है. वहीं, मार्च के आंकड़ों से औद्योगिक उत्पादन के सुस्त पड़ने का संकेत मिलता है. विनिर्माण तथा खनन क्षेत्र में उत्पादन घटने के कारण आलोच्य महीने में औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक महज 0.1% बढ़ा. खुदरा महंगाई का यह स्तर इस साल जनवरी के बाद सबसे ज्यादा है.

यूं बढ़ी महंगाई

मार्च में 4.83% , फरवरी में 5.26% और जनवरी में 5.69% रही, जबकि पिछले साल अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.87% थी.

दालों की कीमतों में सबसे ज्यादा वृद्धि

रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल महीने में सबसे ज्यादा दालों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इस अवधि में 34% की बढ़ोतरी हुई है. इसके बाद चीनी और कॉन्फेक्शनरी की कीमतें 11.18% बढ़ी हैं. इसी तरह मीट, अंडे, अनाज और दूसरे प्रमुख खाने-पीने की चीजों में बढ़ोतरी हुई है. खाने-पीने के अलावा लोगों के लाइफस्टाइल पर भी असर हुआ है. अप्रैल में हेल्थ, कपड़े, एजुकेशन से लेकर दूसरी प्रमुख चीजें भी महंगी हुईं हैं.

मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर में बड़ी गिरावट

मार्च में एक ओर बिजली, वाणिज्यिक वाहनों, टेलीफोन उपकरणों, सीमेंट तथा डीजल का उत्पादन बढ़ने से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक को बल मिला तो दूसरी ओर रबड़ इंसूलेटेड केबल, चीनी, बॉयलर, स्टेनलेस तथा अलॉय स्टील और प्लास्टिक मशीनरियों का उत्पादन घटने से इस पर दबाव रहा.

मार्च महीने में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 11.3% बढ़ा, जबकि विनिर्माण क्षेत्र का 1.2% तथा खनन क्षेत्र का 0.1% घट गया. पूरे वित्त वर्ष के दौरान बिजली क्षेत्र का उत्पादन 5.6%, विनिर्माण का 2.0% तथा खनन का 2.2%  बढ़ा.

 

…तो इसलिए सौ करोड़ रुपये डोनेट करेगा एयरटेल

निजी कंपनी भारती एयरटेल ने कॉल ड्रॉप के लिए 1.5% का अधिक कड़ा मानक स्वैच्छिक रूप से लागू करने की घोषणा की है. सुप्रीम कोर्ट ने कॉल ड्रॉप के लिए उपभोक्ताओं को भरपाई करने संबंधी ट्राई के रेगुलेशन को बुधवार को खारिज कर दिया था.

कंपनी ने एक बयान में कहा है कि वह अपने परिचालन वाले सर्किल में कॉल ड्रॉप दर में प्रत्येक 0.01% वृद्धि पर हर महीने एक लाख रुपये ग्रामीण शिक्षा मद में खर्च करेगी. इस मद में अधिकतम 100 करोड़ रुपये सालाना खर्च किए जाएंगे.

बच्चों की शिक्षा पर खर्च करेगा एयरटेल

एयरटेल का कहना है कि वह मोबाइल कॉल ड्रॉप के लिए नियामक ट्राई द्वारा तय 2% के बेंचमार्क की तुलना में 25% अधिक कड़े मानक 1.5% का पालन करेगी. इसके अनुसार अगर वह स्वैच्छिक बैंचमार्क पर खरा नहीं उतर पाती है तो सालाना अधिकतम 100 करोड़ रुपये ग्रामीण इलाकों में वंचित बच्चों की शिक्षा पर खर्च करेगी.

 

किसने किया नरगिस के प्रपोजल को रिजेक्ट?

नरगिस फखरी काफी दिनों से अपनी नई फिल्मों के प्रमोशन और इवेंट्स में नहीं दिख रही हैं. सूत्रों ने बताया कि वे सभी काम छोड़कर अपने घर न्यू यॉर्क लौट गई हैं.

इमरान हाशमी के साथ फिल्म ‘अजहर’ के प्रमोशन में नरगिस यह कहकर नहीं आ रही थीं कि उन्हें चोट लगी है. लेकिन नरगिस के एक करीबी दोस्त ने बताया, ‘नरगिस को नर्वस ब्रेकडाउन हुआ है और इस वजह से वह देश छोड़ अपने घर न्यू यॉर्क चली गई हैं. इस दौरान नरगिस की मानसिक स्थिति इतनी ठीक नहीं थी कि वे काम पर ध्यान लगा सकें. वे हर हाल में इस देश से निकलना चाहती थीं. यही वजह है कि दो दिन पहले रात की फ्लाइट से वे न्यू यॉर्क रवाना हो गईं.'

नरगिस की अचानक रवानगी और नर्वस ब्रेकडाउन के पीछे उदय चोपड़ा को वजह बताया जा रहा है. उनसे जुड़े सूत्र ने बताया, ‘नरगिस जल्द ही उदय के साथ अपनी शादी की तारीख का खुलासा करने वाली थीं. लेकिन उदय ने कदम पीछे हटा लिए. नरगिस को इससे गहरा सदमा लगा है. एक वक्त ऐसा था जब नरगिस से शादी करने के लिए उदय उतावले थे.’

उदय ने नरगिस को शादी के लिए प्रपोज भी किया था, लेकिन उस समय नरगिस अपने करिअर पर ध्यान देना चाहती थीं. आज बात इसके उलट है. इसी बात पर नरगिस की काफी बड़ी लड़ाई उदय से हुई, जिस वजह से उनका नर्वस ब्रेकडाउन हुआ और वह यूएसए निकल गईं.

नरगिस के इस तरह से जाने की वजह से उनकी फिल्म के प्रोड्यूसर्स को धक्का लगा है. उनकी फिल्म नरगिस की वजह से बीच में अटक गई हैं. हालांकि नरगिस ने सभी प्रोड्यूसर्स से कहा है कि उन्हें काम पर लौटने के लिए एक-दो महीने लगेंगे.

 

बसपा की ‘फ्रेंडलिस्ट’ में कांग्रेस ‘न्यू फ्रेंड’

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर सभी दलों ने अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर चुके है.ऊपरी तौर पर सभी दल आत्मविश्वास से भरे दिख रहे है.सभी ऐसा दिखा रहे है जैसे उनकी ही सरकार बनने जा रही है.जैसेजैसे चुनाव आगे बढेगा हालात और हकीकत सामने आते जायेगे.सही मायनों में असल गणित चुनाव नतीजों के बाद ही सामने आयेगा.प्रदेश के राजनीतिक हालात मिलेजुले जनादेश की तरफ इशारा कर रहे है.जिसमें 3 प्रमुख दल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी सबसे बडे खिलाडी के रूप में उभरेगे.कांग्रेस सहित कई छोटे दल भी इस हैसियत में होगे कि सरकार बनाने में उनकी भूमिका उपयोगी होगी.बहुमत का गणित 2 दलो के चुनाव बाद गठबंधन से ही हल होगा.ऐसे में आकलन इस बात का हो रहा है कि चुनाव बाद बनने वाले गठबंधन किनकिन दलां के बीच होगा.

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के बीच गठबंधन होने की संभावना दूरदूर तक दिखाई नहीं पड रही है.बसपा-भाजपा का गंठबंधन कई बार पहले बन चुका है.दोनो दलो ने मिलकर पहले सरकार बनाई भी है.हाल के कुछ सालों में बसपा-भाजपा के बीच की दूरियां बढी है.ऐसे में इस बार बसपा-भाजपा गठबंधन की उम्मीद कम दिखाई दे रही है.उत्तराखंड में जिस तरह से बसपा ने भाजपा के विरोध में वोट दिया उसका एक मकसद यह संदेश देना भी था कि उत्तर प्रदेश में बसपा-भाजपा के बीच गठबंधन नहीं होगा. उत्तराखंड का एक संदेश यह भी था कि जरूरत पडने पर बसपा कांग्रेस के प्रति नरम रूख रख रही है.अगर दोनो दल के गठजोड से सरकार बनने के हालात बने तो चुनाव बाद दोनो तालमेल कर सकते है.चुनाव पहले तो इन दलों का आपस में कोई गठजोड नहीं होगा.

ऐसे में बसपा की फ्रेंडलिस्ट में सबसे करीबी दोस्त कांग्रेस हो सकती है.इसके लिये जरूरी है कि कांग्रेस खुद में इतनी सीट ले आये कि दो दल मिलकर सरकार बना सके.कांग्रेस के पक्ष में एक अच्छी बात यह है कि वह कई दलों को मिलाकर एक बडा गठबंधन बनाने की योजना में है.इसमें राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल युनाइटेड और लोकदल सहित कुछ और दलो के शामिल होने की उम्मीद है.ऐसे में कांग्रेस गठबंधन एक बडी पार्टी के रूप में उभर सकता है.चुनाव पूर्व का अनुमान बताता है कि सफलता की जो उम्मीद भाजपा को थी अब वह दिखाई नहीं दे रही है.समाजवादी पार्टी को जिस नुकसान की उम्मीद थी वह कम होती दिख रही है.ऐसे में किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं दिख रहा.बिना आपस में मिले कोई दल सरकार बनाने में सफल नहीं होगी.ऐसे में जिन दलों में दोस्ती दिख रही है.उनमे कांग्रेस और बसपा सबसे उपर है.बसपा नेता मायावती और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के बीच बेहतर तालमेल भी है.बसपा ने कांग्रेस की यूपीए सरकार को हमेशा मदद दी. राजनीतिक वोटबैंक के लिहाज से दोनो दल करीब है.बसपा में जब कांशीराम थे तब कांग्रेस बसपा का गठबंधन हो भी चुका है.ऐसे में दोनो दलों के बीच दोस्ती पुरानी है.नये समीकरण से इसको मजबूत बनाने की जरूरत रह गई है.

न संघ चलेगा न शराब : नीतीश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इलाके बनारस में घुस कर बिहार के मुख्यमंत्रा और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने संघमुक्त भारत और शराबमुक्त समाज का हुंकार भर कर मोदी को खुली चुनौती दे डाली. नीतीश ने भाजपा शसित राज्यों को तो शराबमुक्त बनाने की दलील दी पर बिहार में अपने साथी कांग्रेस शसित राज्यों में शराबबंदी को लेकर अपने मुंह बंद रखा. 12 मई को नीतीश ने उत्तर प्रदेश में अपने सियासी मुहिम की शुरुआत कर अपनी पार्टी जदयू की जड़ें जमाने की पुरजोर कोशिश की. बनारस एयरपोर्ट के पास पिंडारा इंटर कौलेज मैदान  में जदयू के कार्यकर्त्ता सम्मेलन कर नीतीश ने 2019 तक दिल्ली पहुंचने का बिगुल फूंक दिया है. नीतीश को पता है कि उत्तर प्रदेश से होकर ही दिल्ली की कुर्सी तक पहुंचा जा सकता है. नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश की सियासी कडुवाहट जगजाहिर है और बिहार के बाद अब दिल्ली में मोदी को हराने के लिए नीतीश कोई भी कोर-कसर छोड़ना नहीं चाह रहे हैं. बिहार से सैंकड़ों बसों में भी कर लोगों को बनारस पहुंचाया गया है.

उत्तर प्रदेश में नीतीश को भाजपा के साथ साथ बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से भी निबटना है. उनके महागठबंध्न में बड़े दलों के शमिल होने की गुंजाइश नहीं बनी ऐसे में अजीत सिंह जैसे छोटे-छोटे इलाकाई दलों के साथ मिलकर प्रधनमंत्रा की कुर्सी तक पहुंचने का उनका बड़ा सपना शयद ही कामयाब हो सके. इसके बाद भी नीतीश बनारस में कार्यकर्त्ता सम्मेलन नीतीश ने सभी दलों को अपनी ताकत दिखाने की कवायद की है.

बनारस की सभा में नीतीश कुमार ने यह दिखा दिया कि वह अब पूरी तरह से जदयू के ‘बिग बौस’ बन गए हैं. पांचवीं बार मुख्यमंत्रा बन कर उन्होंने बिहार में तो अपना खूंटा गाड़ ही लिया है अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन कर वह दिल्ली फतह करने की मुहिम में लग गए हैं. जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर बनारस में उनकी पहली सभा हुई. नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्रा में नीतीश ने पूरा जोर भाजपा की ध्ज्जियां उड़ाने में ही लगाई. अपने 45 मिनट के भाषण में वह केवल भाजपा पर ही निशना साध्ते रहे और अपनी पार्टी और महगठबंध्न की आगे की योजना पर कुछ नहीं कहा. भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी करार देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटने में लगी हुई है पर समाज के अंमित पायदान पर खड़े लोगों तक तरक्की की धरा पहुंचाने में उसे कोई दिलचस्पी नहीं है. केंद्र की भाजपा सरकार को आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह से नाकाम बताते हुए उन्होंने कहा कि अपनी नाकामी को छुपाने के लिए भाजपा घर वापसी, लव जिहाद, देशभक्ति जैसे नारे उछाल कर जनता को बरगला रही है.

…और अपनों ने नीतीश पर निशना साध
बनारस की सभा में जब नीतीश भाजपा और नरेंद्र मोदी पर निशना साध्ने में लगे थे तो उसी समय पटना में उनके सहयोगी दल राजद के सीनियर लीडर रघुवंश प्रसाद सिंह नीतीश पर निशना साध् रहे थे. रघुवंश ने कहा कि अपने स्वार्थ के लिए नीतीश सहयोगी दलों की अनदेखी कर रहे हैं. उन्होंने नीतीश से तल्ख सवाल पूछा कि आखिर उन्हें प्रधनमंत्रा का उम्मीदवार किसने बना दिया? किस हैसियत से वह मिशन-2019 की बात कर रहे हैं. अकेले घूम कर नीतीश सेकुलर ताकतों को कमजोर और सांप्रदायिक ताकतों को कमजोर कर रहे हैं. दूसरे राज्य में सभा करने से पहले नीतीश को सहयोगी दलों से बात करनी चाहिए, उन्हें भरोसे में लेना चाहिए. इतना ही नहीं नीतीश पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि पहले तो 10 सालों तक नीतीश ने खूब शराब बिकवाई और अब कूद-कूद कर उसे बंद कराने में लगे हैं. नरेंद्र मोदी की सरकार देश में जो बीमारी फैला रही है उसे ठीक करना अकेले नीतीश के वश की बात नहीं है. ‘हम’ सबसे बड़े है, यह भावना ठीक नहीं है.
 

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