पहला पीरियड शुरू हो चुका था. सभी कक्षाओं के कक्षाध्यापक अपनीअपनी कक्षाओं में जा चुके थे. तभी एनसीसी कक्ष से बाहर आते विनय सर की नजर केशव पर पड़ी, जो पूरे 15 मिनट लेट था. विनय सर ने केशव को बुलाया और लेट आने पर दंड देते हुए कहा, ‘‘जाओ, पूरे ग्राउंड के 3 चक्कर लगा कर आओ. तुम पूरे 15 मिनट लेट हो.’’

केशव 10वीं कक्षा का छात्र था. वह बोला, ‘‘सर, मुझे माफ कर दीजिए. मैं हमेशा समय पर स्कूल आता हूं. आज ही लेट हो गया हूं. आगे से ध्यान रखूंगा.’’

विनय सर का अपना अलग मिजाज था. उन का स्वभाव और व्यवहार सारे शिक्षकों से अलग था. छात्र उन की आज्ञा का उल्लंघन करें यह उन्हें बरदाश्त नहीं था. इस से पहले भी विनय सर कई छात्रों को कठोर दंड दे चुके थे. उन छात्रों के अभिभावकों से झगड़ा होने पर विद्यालय के शिक्षकों ने विनय सर को समझाया भी था और कार्यवाही होने पर बचाया भी था. अपनी आदत के अनुसार विनय सर बोले, ‘‘तुम्हें ग्राउंड के 3 चक्कर तो लगाने ही पड़ेंगे?’’

केशव विनम्रता से बोला, ‘‘सर, आप कोई और सजा दे दें, मेरे पैर में चोट लगी है, जिस कारण मैं ग्राउंड के 3 चक्कर नहीं लगा सकता.’’ केशव के मुंह से इतना सुनना था कि विनय सर तमतमा उठे और उन्होंने 3-4 थप्पड़ केशव को जड़ दिए.

केशव थप्पड़ खाने के बाद अपने घर की तरफ दौड़ पड़ा. घर आ कर उस ने पूरी बात अपने मम्मीपापा को बताई. उस की मां बोलीं, ‘‘ऐसे कौन से सर हैं, जिन्होंने तुम्हें इतना मारा है? उन की इतनी हिम्मत.’’

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