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धर्म और तर्क के बीच द्वंद्व

धर्म का अलिखित पर वास्तव में सब से मुख्य उद्देश्य औरतों को गुलामी में धकेलना रहा है. कट्टर इसलामी गुट इसे लगातार साबित कर रहे हैं. सीरिया से ले कर नाइजीरिया तक इसलामी जेहादियों का मुख्य लक्ष्य मुफ्त में औरतें पाना बन गया है और इन औरतों को जेहादियों को खुश रखने के लिए इस्तेमाल करा जा रहा है. हर औरत, इन में 12 साल की लड़कियां तक शामिल हैं, हर समय किसी अनजान जेहादी द्वारा बलात्कार के आक्रमण से भयभीत रहती है.

इसलाम में कहीं यह विधान है कि गर्भवती से यौन संबंध न बनाया जाए, इसलिए इन लड़कियों और औरतों को जबरन गर्भनिरोधक दवाइयां दी जा रही हैं और लगातार टैस्ट कराए जा रहे हैं कि वे गर्भवती तो नहीं हैं. गुलामी की हालत में रह रही इन लड़कियों व औरतों के पास बचाव का साधन केवल एक ही होता है और वह है जेहादियों को खुश रखना और इस के लिए वे जेहादियों को दुत्कारने, उन से लड़ने की जगह उन्हें खुश करने के उपाय सीख लेती हैं. धर्म का औरत और सैक्स से क्यों वास्ता हो? पर सच यही है कि हर धर्म में औरतों की बड़ी जगह है. हर धर्म ने आश्रम, कौन्वैंट, भिक्षुणीगृह बना रखे हैं, जिन में धर्म को समर्पित औरतें ही रखी जाती हैं. यह समर्पण किसी तथाकथित ईश्वर के लिए नहीं, धर्म को चलाने वाले पुरुषों के लिए है.

कोई भी धार्मिक तमाशा हो, उस में औरतों का जमघट न हो तो भीड़ ही नहीं आती. हर संत, मौलवी, भिक्षु, पादरी औरतों की खास सुनता है. धर्म ने विवाह संस्था पर कब्जा कर रखा है, जिस का अर्थ है कि स्त्रीपुरुष यौन संबंध बिना धर्म की अनुमति के बना ही नहीं सकते. प्रकृति ने जब यौन संबंधों में बराबरी का स्थान नरमादा को दिया है तो ईश्वर के आदेश के नाम पर धर्म बीच में कहां से आ गया? अगर भारत में वर्णव्यवस्था की गुलाम लड़कियां वेश्याघरों में ठुंसी पड़ी हैं तो और्थोडौक्स क्रिश्चियनिटी को मानने वाले पूर्व सोवियत संघ के देशों की युवतियों को दुनिया भर के वेश्याबाजारों में ला पहुंचाया है, क्योंकि उन का धर्म उन्हें वैसे भी पुरुष का गुलाम बना कर रखता है.

नए कट्टर इसलाम ने बाकी तकनीकों का इस्तेमाल तो खुशी से कर लिया पर औरतों के अधिकारों के मामले तर्क को धर्मद्रोह बना रखा है. भारत में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को नीचा दिखाने के लिए कट्टरपंथियों को जातिगत भेदभाव की इतनी चिंता नहीं है जितनी वहां मिलने वाले कंडोमों की है. उन्हें स्वीकार्य ही नहीं कि लड़कियां स्वतंत्र जीवन कैसे जी सकती हैं.

आज धर्म और तर्क के बीच द्वंद्व एक बार फिर खड़ा हो गया है. धर्म ने तर्क को ठुकरा कर आधुनिक प्रचारतंत्र का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. इंटरनैट, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सैटेलाइट ड्रोनों का इस्तेमाल पुराने जंग खाए एकतरफा धर्म को फिर से स्थापित करने के लिए किया जा रहा है. पुरुषों की तो बन आई है, क्योंकि वे धर्म के सहारे स्त्रियों पर फिर राज कर सकते हैं. अमीर भी खुश हैं, क्योंकि वे धर्म की आड़ में अपने शोषण को छिपा सकते हैं. यहां तक कि अधेड़ औरतें भी खुश हैं, क्योंकि उन्हें युवा सुंदर औरतों से प्रतियोगिता नहीं करनी पड़ती  इसलामिक स्टेट ने इस सोच का लाभ उठाया है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का उदय और भारत में कट्टरपंथी सोच की पकड़ इसी की कडि़यां हैं.

एक हसीना एक दीवाना

पिछले अंक में आप ने पढ़ा: 3 साल बाद अपनी प्रेमिका कामिनी को देख कर प्रभात हैरान था. प्रभात ने बताया कि उस ने अभी तक शादी नहीं की है. कामिनी ने उसे अपने घर बुलाया और उस की हर चाहत पूरी करने का भरोसा दिलाया. दरअसल, प्रभात की कामिनी से पहली मुलाकात कालेज में हुई थी. वह उस से प्यार करने लगा था, लेकिन तब कामिनी ने उस से कहा था कि वह नौकरी मिलने के बाद ही शादी करना चाहेगी. इस के बाद वह प्रभात के प्रस्ताव को बारबार टालती रही. इस से परेशान प्रभात ने कामिनी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाने का फैसला किया. अब पढि़ए आगे…

कामिनी गांव से लौट कर शहर आ गई. वह रोज कालेज आनेजाने लगी, तो प्रभात पहले की तरह उस से मिलनेजुलने लगा. कामिनी को प्रभात ने यह कह कर यकीन दिला दिया था कि जब वह कहेगी, तभी उस से शादी करेगा. 3 महीने बाद प्रभात को शहर में 3-4 घंटे के लिए एक फ्लैट मिल गया. फ्लैट उस के दोस्त का था. उस दिन उस के घर वाले कहीं बाहर गए हुए थे. दोस्त ने सुबह ही फ्लैट की चाबी प्रभात को दे दी थी.

उस दिन प्रभात कालेज के गेट पर समय से पहले ही जा कर खड़ा हो गया. कामिनी आई, तो उसे गेट पर ही रोक लिया. वह बहाने से अपने दोस्त के फ्लैट में ले गया. प्रभात ने जैसे ही फ्लैट के दरवाजे पर अंदर से सिटकिनी लगाई, कामिनी चौंक गई. वह उस की तरफ घूरते हुए बोली, ‘‘तुम ने दरवाजा बंद क्यों किया?’’ ‘‘मुझे तुम से जो बात करनी है, वह दरवाजा बंद कर के ही हो सकती है. बात यह है कामिनी कि जब तक मैं तुम्हें पा नहीं लूंगा, मुझे चैन नहीं मिलेगा. तुम तो अभी शादी नहीं करना चाहती, इसलिए मैं चाहता हूं कि शादी से पहले तुम मुझ से सुहागरात मना लो. इस में हर्ज भी नहीं है, क्योंकि एक न एक दिन तुम मेरी पत्नी बनोगी ही.’’

प्रभात के चुप होते ही कामिनी बोली, ‘‘तुम पागल हो गए हो क्या? ऐसा करना सही नहीं है. मैं अपना तन शादी के बाद ही पति को सौंपूंगी. इस की कोई गारंटी नहीं है कि मेरी शादी तुम से ही होगी, इसलिए अभी मेरा जिस्म पाने की ख्वाहिश छोड़ दो.’’

‘‘प्लीज, मान जाओ कामिनी. मैं अब मजबूर हो गया हूं. देखो, तुम्हें अच्छा लगेगा,’’ कहते हुए प्रभात कामिनी के कपड़े उतारने की कोशिश करने लगा.

कामिनी जोर लगा कर उस की पकड़ से छूट गई और बोली, ‘‘मैं तुम्हारा इरादा समझ गई हूं. तुम्हें यह लगता है कि मेरे साथ जोरजबरदस्ती करोगे, तो मजबूर हो कर मैं अपना मकसद भूल जाऊंगी और तुम से शादी कर लूंगी. मगर ऐसा हरगिज नहीं होगा.

‘‘अगर तुम मेरे साथ जबरदस्ती करोगे, तो मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगी. मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगी. उस के बाद तुम्हारा क्या होगा, यह तुम खुद सोच सकते हो. तुम जेल चले जाओगे, तो क्या तुम्हारी जिंदगी बरबाद नहीं हो जाएगी?’’

रेप के खतरे से कामिनी डर गई थी और बचने का तरीका ढूंढ़ने लगी थी. कुछ देर चुप रहने के बाद कामिनी प्रभात को समझाने लगी, ‘‘मेरी मानो तो अभी सब्र से काम लो. 3 महीने बाद हमारे इम्तिहान होंगे. उस के 2-3 महीने बाद रिजल्ट आएगा. फिर हम बैठ कर आपस में बात कर लेंगे.

‘‘मैं जानती हूं कि तुम हर हाल में मुझे पाना चाहते हो. मैं तुम्हारी ख्वाहिश जरूर पूरी करूंगी. मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगी. मैं तुम्हें प्यार करती हूं, तो तुम से ही शादी करूंगी न.’’ कामिनी ने प्रभात को तरहतरह से समझाया, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस दिन उस के साथ सैक्स करने का इरादा छोड़ कर उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी बात मान लेता हूं. रिजल्ट आने तक मैं शादी के लिए तुम्हें परेशान नहीं करूंगा, लेकिन तुम्हें भी मेरी एक बात माननी होगी.’’

‘‘कौन सी बात?’’ कामिनी ने पूछा.

‘‘मेरे पिता से मिल कर तुम्हें यह कहना होगा कि गे्रजुएशन पूरी करने के बाद तुम मुझ से शादी कर लोगी. नौकरी की तलाश नहीं करोगी.’’

कुछ सोच कर कामिनी प्रभात की बात मान गई. 2 दिन बाद प्रभात के साथ कामिनी उस के घर गई. उस के मातापिता से उस ने वह सबकुछ कह दिया, जो प्रभात चाहता था. साथ ही, उस ने उस के पिता से यह भी कहा कि अभी वे उस के घर वालों से न मिलें. रिजल्ट आने के बाद ही मिलें. प्रभात के मातापिता ने भी कामिनी की बात मान ली. उस के बाद सबकुछ पहले की तरह चलने लगा. इम्तिहान के बाद कामिनी गांव चली गई. उस के बाद प्रभात उस से मिल न सका. गांव जाते समय कामिनी ने उस से कहा था कि वह उस से मिलने कभी गांव न आए. अगर वह गांव में आएगा. तो उस की बहुत बदनामी होगी. वह उस से फोन पर बात करती रहेगी. रिजल्ट मिलने के एक महीने बाद वह अपने पिता को रिश्ते की बात करने के लिए उस के घर भेज देगी.

प्रभात ने उस की बात मान ली. वह उस से मिलने उस के घर कभी नहीं गया. प्रभात ने सोचा था कि रिजल्ट लेने कामिनी आएगी, तो उसी दिन वह उस से भविष्य की बात कर लेगा. मगर उस का सोचा नहीं हुआ. रिजल्ट लेने कामिनी कालेज नहीं आई. उस का कोई रिश्तेदार आया था और रिजल्ट ले कर चला गया. प्रभात फर्स्ट डिवीजन में पास हुआ था, जबकि कामिनी सिर्फ पास हुई थी. बधाई देने के लिए प्रभात ने कामिनी को फोन किया, पर उस का फोन स्विच औफ था. रिजल्ट मिलने के एक दिन पहले तक कामिनी का फोन ठीक था. प्रभात ने उस से बात की थी. अचानक उस का फोन क्यों बंद हो गया, यह वह समझ नहीं पाया.

प्रभात कामिनी से तुरंत मिलना चाहता था, मगर वह उस के गांव इसलिए नहीं गया कि उस ने मना कर रखा था. वह उस के साथ वादाखिलाफी नहीं करना चाहता था. कई दिनों तक प्रभात ने फोन पर कामिनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. एक महीना बीत गया. वादे के मुताबिक कामिनी ने अपने मातापिता को प्रभात के घर नहीं भेजा, तो एक दिन वह उस के गांव चला गया. पहली बार जिस औरत के सहयोग से प्रभात कामिनी से मिला था, वह सीधे उसी के घर गया.

उस औरत से प्रभात को पता चला कि रिजल्ट मिलने के कुछ दिन बाद कामिनी को मुंबई में नौकरी मिल गई थी. अभी वह मुंबई में है.

कामिनी मुंबई में कहां रहती थी, उस औरत को इस की जानकारी नहीं थी. कामिनी के बिना प्रभात रह नहीं सकता था, इसलिए बेखौफ उस के घर जा कर उस के मातापिता और बहनों से मिला. अपनी और कामिनी की प्रेम कहानी बता कर प्रभात ने उस के पिता से कहा, ‘‘कामिनी को मैं इतना प्यार करता हूं कि अगर उस से मेरी शादी नहीं हुई, तो मैं पागल हो कर मर जाऊंगा. मुंबई में वह कहां रहती है? उस का पता मुझे दीजिए. मैं उस से पूछूंगा कि उस ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?’’ कामिनी का पता देना तो दूर उस के पिता ने दुत्कार कर प्रभात को घर से निकाल दिया.

घर आ कर प्रभात ने कामिनी का सारा सच पिता को बता दिया. उस के पिता प्रभात को बरबाद होता नहीं देखना चाहते थे. उन्होंने जल्दी ही उस की शादी करने का फैसला किया. आननफानन उस के लिए लड़की तलाश कर शादी भी पक्की कर दी. प्रभात के दिलोदिमाग से कामिनी अभी गई नहीं थी. उसे लग रहा था कि अगर वह कामिनी से शादी नहीं करेगा, तो जरूर पागल हो कर रहेगा, इसलिए उस ने मुंबई जा कर कामिनी को ढूंढ़ने की सोची. प्रभात जानता था कि उस ने अपने दिल की बात पिता को बता दी, तो वे खुदकुशी करने की धमकी दे कर शादी करने के लिए मजबूर कर देंगे.

शादी में 2 दिन बच गए, तो किसी को कुछ बताए बिना प्रभात घर से मुंबई चला गया. वहां एक दोस्त के घर में रह कर प्रभात ने नौकरी की तलाश के साथसाथ कामिनी की तलाश भी जारी रखी. 6 महीने बाद प्रभात को एक सरकारी बैंक में नौकरी मिल गई, लेकिन कामिनी का पता नहीं चला. इसी तरह 3 साल बीत गए. इस बीच उस ने चिट्ठी लिख कर अपने पिता को यह बता दिया था कि वह मुंबई में सहीसलामत है. कामिनी से शादी करने के बाद ही वह घर आएगा. 3 साल बाद अचानक प्रभात का ट्रांसफर कोलकाता हो गया. 2 महीने से वह कोलकाता की एक शाखा में अफसर था और इस बात से बेहद चिंतित था कि अब वह कामिनी की तलाश कैसे करेगा?

आज अचानक कामिनी खुद ही उस के पास आ गई. शाम के साढ़े 5 बजे प्रभात की छुट्टी हुई, तो वह कामिनी के पास गया. कामिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘अब चलें?’’

‘‘हां, चलो.’’

बैंक से कुछ ही कदम पर कामिनी का घर था. पैदल चलतेचलते प्रभात ने पूछा,  ‘‘रिजल्ट आने के बाद तुम मुझ से शादी करने वाली थीं, फिर मुझे बिना बताए घर से चली क्यों गई थीं?’’

‘‘तुम तो जानते ही थे कि मैं अपने पैरों पर खड़ी होने के बाद ही शादी करना चाहती थी. उस दिन तुम मेरे साथ जिस्मानी हरकत करने पर उतारू हो गए थे, इसलिए मुझे तुम से झूठा वादा करना पड़ा था.

‘‘मैं जानती थी कि रिजल्ट आने के बाद शादी के लिए तुम मुझ पर दबाव डालोगे, इसलिए रिजल्ट निकलने के कुछ दिन बाद ही अपने मामा के पास मुंबई चली गई थी. मेरे मामा वहां एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं.

‘‘मामा के पास रह कर ही मैं ने नौकरी पाने की कोशिश की, तो 7-8 महीने बाद मुझे प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई. पर पोस्टिंग मुंबई में न हो कर कोलकाता हुई. तब से मैं कोलकाता में ही हूं.’’

बात करतेकरते कामिनी घर पहुंच गई. दरवाजा बंद था. ताला खोलने के बाद कामिनी बोली, ‘‘तुम्हारी पूर्व प्रेमिका के घर में तुम्हारा स्वागत है.’’ ‘‘पूर्व क्यों? आज भी तुम मेरी प्रेमिका हो. तुम्हारे सिवा किसी और के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता. जब तक मैं तुम्हें पा नहीं लूंगा, तब तक मुझे चैन नहीं मिलेगा,’’ कहते हुए प्रभात अंदर आ गया.

‘‘ऐसी बात है, तो आज मैं पहले तुम्हारी चाहत पूरी करूंगी, उस के बाद कोई बात करूंगी.’’

दरवाजा अंदर से बंद करने के बाद प्रभात की आंखों में आंखें डाल कर कामिनी बोली, ‘‘तुम बैडरूम में जा कर मेरा इंतजार करो. मैं कपड़े बदल कर जल्दी आती हूं.’’ ‘‘मतलब, शादी से पहले ही तुम अपना सबकुछ मुझे सौंप दोगी?’’

‘‘हां,’’ कामिनी चुहलबाजी करते हुए बोली.

यह सुन कर प्रभात हैरान था. कामिनी में हुए बदलाव की वजह वह समझ नहीं पा रहा था. प्रभात को हैरत में देख कामिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘आज मैं तुम्हारी चाहत पूरी कर देना चाहती हूं, तो तुम्हें हैरानी हो रही है?’’

‘‘हैरानी इसलिए हो रही है कि पहले मैं कभीकभी तुम्हें चूम लेता था, तो तुम यह कह कर डांट देती थीं कि शादी से पहले यह सब करोगे, तो मिलनाजुलना तो दूर बात करना भी बंद कर दूंगी, फिर अचानक आज तुम ने अपना सबकुछ मेरे हवाले करने का मन कैसे बना लिया?’’

‘‘तुम ने अब तक शादी नहीं की और न ही मेरी तलाश बंद की. इसी वजह से तुम पर मेरा प्यार उमड़ पड़ा है. वैसे, तुम नहीं चाहते हो, तो कोई बात नहीं है. हम यहीं बैठ कर बात कर लेते हैं,’’ कामिनी बोली. प्रभात हाथ आए मौके को गंवाना नहीं चाहता था. पता नहीं, कामिनी का मन कब बदल जाए, इसलिए उस ने झट से कह दिया, ‘‘मैं  क्यों नहीं चाहूंगा. तुम्हें पाने के लिए ही तो मैं 3 साल से दरदर भटक रहा था. तुम बताओ कि बैडरूम किधर है?’’

‘‘चलो, मैं साथ चलती हूं,’’ कामिनी के साथ प्रभात बैडरूम में चला गया. वह उसे बांहों में भर कर उस के गालों व होंठों को दीवानों की तरह चूमने लगा.

कामिनी उसे सहयोग करने लगी. प्रभात की बेकरारी बढ़ गई, तो उस ने कामिनी के सारे कपड़े उतार दिए. मंजिल पर पहुंच कर सांसों का तूफान जब थम गया, तो प्रभात ने कहा, ‘‘तुम्हें पा कर आज मेरा सपना पूरा हो गया कामिनी.’’

‘‘यही हाल मेरा भी है प्रभात. तुम्हारा हक तुम्हें दे कर कितनी खुशी मिली है, यह मैं बता नहीं सकती.’’

‘‘ऐसी बात है, तो तुम मुझ से शादी कर लो. अब मैं तुम से जुदा नहीं रह सकता.’’

‘‘मैं भी अब कहां तुम से जुदा रहना चाहती हूं. मैं खुद तुम से शादी करना चाहती हूं, मगर इस में एक अड़चन है.’’

‘‘कैसी अड़चन?’’

‘‘दरअसल, बात यह है कि मैं प्राइवेट नौकरी से खुश नहीं हूं. नौकरी छोड़ कर मैं खुद की एक फैक्टरी लगाना चाहती हूं. इस के लिए मैं ने एक जगह भी देख रखी है. बस, मुझे पैसों की जरूरत है.

‘‘मैं लोन मांगने के लिए ही बैंक गई थी. वहां तुम मुझे मिल गए. अब अगर तुम मेरी मदद कर दोगे, तो मुझे जरूर लोन मिल जाएगा.’’

‘‘कितना लोन चाहिए?’’

‘‘कम से कम 5 करोड़ का.’’

‘‘5 करोड़? तुम पागल हो गई हो क्या? बिना गारंटर के कोई भी बैंक इतनी बड़ी रकम नहीं देता.’’

‘‘क्या तुम मेरे लिए गारंटर बन नहीं सकते?’’

‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब यह कि बैंक में गारंटर के कागजात ही तो दिखाने हैं. वे तुम नकली बना लो. तुम बैंक में काम करते ही हो. तुम्हारे लिए ऐसा करना कोई मुश्किल नहीं होगा.’’

बात करतेकरते अचानक कामिनी ने प्रभात को बांहों में भर लिया और बोली, ‘‘तुम मुझे लोन दिला दोगे, तो मैं फिर कभी तुम से कुछ नहीं मांगूंगी.’’ प्रभात चिंता में पड़ गया. प्रभात को परेशान देख कामिनी बोली, ‘‘अगर तुम लोन नहीं दिलाना चाहते हो, तो कोई बात नहीं. मैं यह समझ कर अपने दिल को समझा लूंगी कि तुम्हें मुझ से नहीं, मेरे जिस्म से प्यार था. मेरा जिस्म पाने के बाद तुम ने मुझ से किनारा कर लिया.’’ प्रभात ने मन ही मन तय किया कि वह हर हाल में बैंक से कामिनी को लोन दिला कर यह साबित कर देगा कि वह उस के जिस्म का नहीं, बल्कि उस के प्यार का भूखा है. उस ने नकली गारंटर बनने का फैसला किया. बैंक में अकसर ऐसा किया जाता है, जब पैसा महफूज हो. प्रभात ने ऐसा किया भी. नकली गारंटर बना कर 2 महीने में उस ने कामिनी को बैंक से 5 करोड़ रुपए का लोन दिला दिया.

5 करोड़ रुपए पा कर कामिनी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. 2 महीने तक तो ठीक रहा, पर उस के बाद प्रभात के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. कामिनी प्रभात से कम मिलने लगी. लोन का ब्याज नहीं आ रहा था. सारा पैसा निकाल लिया गया था. कामिनी को लोन दिलाने के 4 महीने बाद बैंक के अफसरों को सचाई का पता चल गया. नतीजतन, प्रभात को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. उस पर मुकदमा चला सो अलग. एक दिन प्रभात ने कामिनी से शादी करने के लिए कहा, तो उस ने शादी करने से साफ मना कर दिया. कामिनी ने कहा, ‘‘आज मैं तुम्हें एक सचाई बता रही हूं…’’

‘‘क्या?’’ प्रभात ने पूछा.

‘‘सचाई यह है कि मैं ने तुम्हें कभी प्यार ही नहीं किया. दरअसल, मैं प्यारमुहब्बत में यकीन नहीं करती. कालेज लाइफ में तुम मेरे आगेपीछे घूमने लगे थे, तो टाइम पास के लिए मैं ने तुम्हारा साथ दिया था, पर तुम से प्यार नहीं किया था.

‘‘दरअसल, मेरी मंजिल रुपए कमाना है. होश संभालते ही मैं भरपूर दौलत की मालकिन बनने का सपना देखने लगी थी. सपना पूरा करने के लिए मैं कुछ भी करगुजरने के लिए तैयार थी. इस के लिए मैं कोई शौर्टकट रास्ता ढूंढ़ रही थी कि बैंक में तुम मिल गए और मुझे रास्ता दिखाई पड़ गया.

‘‘मुझे तुम से जो पाना था, मैं पा चुकी हूं. अब तुम्हारे पास मुझे देने के लिए कुछ भी नहीं बचा है. तुम मुझ से जो चाहते थे, मैं भी वह तुम्हें दे चुकी हूं,  इसलिए अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं रहा.

‘‘तुम से कमाए पैसों से मैं अपनी जिंदगी संवार लूंगी. तुम भी अपनी जिंदगी के बारे में सोचो, अब तुम मुझ से कभी मिलने की कोशिश मत करना.’’ प्रभात यह सुन कर हैरान रह गया. कोई हसीना इतनी खतरनाक भी हो सकती है, वह नहीं जानता था. अब कामिनी से कोई बात करना बेकार था, इसलिए प्रभात चुपचाप उस के घर से बाहर आ गया. कामिनी से उस का मोह भंग हो गया था और वह जल्दी अपने घर लौट जाना चाहता था.

मर्दानगी बेचने वालों से सावधान

‘यह लीजिए साहब… पुश्तैनी जोड़ों के दर्द को जड़ से मिटा देगी… यह जड़ीबूटी डायबिटीज, पेट की खराबी, सुस्ती, थकावट सब दूर कर देगी… काम में मन न लगना, मन अशांत रहना, हर मर्ज की दवा है हमारे पास,’ जैसी बातें कह कर ठग ग्राहकों को खूब लूटते हैं.

‘यह दवा आप को किसी डाक्टर के पास या मैडिकल स्टोर में नहीं मिलेगी. ‘साहब, हम इसे जंगल से ढूंढ़ढूंढ़ कर लाते हैं. हमारे खानदान के लोगों को ही इस जड़ी के बारे में मालूम है. यह हिमालय की चोटी पर उगती है, बर्फ में ढूंढ़नी पड़ती है. बहुत महंगी बिकती है. इसे खाने के बाद सामने वाला चारों खाने चित नहीं हुआ, तो सारा पैसा वापस.’ ऐसी ही बातें सुन कर खदान में काम करने वाले एक मजदूर ने सड़क किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वाले से तेल लिया. उसे अंग पर लगाने के थोड़ी देर बाद तकलीफ होनी शुरू हो गई. अंग फूल कर मोटा हो गया. उस में जलन व दर्द होने लगा. धीरेधीरे तकलीफ इतनी बढ़ गई कि वह छटपटाने लगा.

उस मजदूर की बीवी ने पड़ोसियों की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाया. डाक्टरों ने फौरन इलाज कर के दर्द व जलन दूर कर दी. पर तेल लगाने से जो छूत की बीमारी हुई थी, उसे ठीक होने में डेढ़ महीना लग गया. इसी तरह एक आदमी ने सैक्स ताकत बढ़ाने के लिए सड़क किनारे दवा बेचने वाले से दवा ली. दवा खाने के थोड़ी देर बाद हाथपैरों में ऐंठन शुरू हो गई. उस की बीवी पति की हालत देख कर घबरा गई. उस ने पड़ोसियों को बुलाया, जो उसे अस्पताल ले गए. डाक्टर ने इलाज किया, जहां वह काफी समय बाद ठीक हुआ.

जब उस आदमी ने डाक्टर से ताकत की दवा लेने के बारे में बताया, तो डाक्टर ने उसे बताया कि ऐसी दवाओं में नशीली चीजें होती हैं. उन्हीं के असर से उसे ऐसी तकलीफ हो गई थी. सारणी में सड़क के किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वाले तथाकथित वैद्य के पास एक आदमी पहुंचा. बाहर से साधारण दिखने वाले तंबू के अंदर का नजारा चकाचौंध कर देने वाला था. सामने सैकड़ों शीशियों में गोलियां, चूर्ण, कैप्सूल, जड़ीबूटियां वगैरह रखी हुई थीं. उस ने मरीज के रूप में अपना हाथ दिखाया, तो उस वैद्य ने हाथ की नाड़ी को पकड़ कर कहा, ‘शरीर में गरमी हो गई है. इस से शरीर का धातु पतला हो कर बाहर चला जा रहा है. शरीर में पानी की मात्रा बढ़ रही है, जिस से वह फूल गया है.’ वैद्य ने 750 रुपए की एक महीने की दवा लेने को कहा और पौष्टिक चीजें खाने की राय दी.

जब उस से कहा गया कि मैं तो पूछताछ करने आया हूं, तो वह वैद्य घबरा गया. अपनेआप को संभालते हुए उस ने कहा कि मैं तो मजाक कर रहा था. इतने रुपए की दवा नहीं लगेगी. जब उस से पूछा कि धातु क्या होता है? दवा से अंग कैसे मोटा हो जाता है? जवानी की ताकत बढ़ाने वाली दवा में क्याक्या मिलाते हैं? तो उस ने सवालों के जवाब देने से मना कर दिया और कहा कि वह कल अपने गुरु से इन सवालों के जवाब मालूम कर के बता देगा. दूसरे दिन वहां पर तंबू नहीं था. वैसे, उस तंबू वाले तथाकथित वैद्य की कमाई का अंदाजा उस के पास मौजूदा रंगीन टैलीविजन, मोटरसाइकिल, मेटाडोर वगैरह से लगाया जा सकता है. खानदानी इलाज करने वाले तथाकथित वैद्यों की जवान पीढ़ी भी इसी काम में लगी हुई?है. इस काम में लगे ज्यादातर नौजवान नासमझ हैं. उस की वजह यह है कि एक ही जगह पर अधिक दिनों तक तंबू लगा कर न रहने से बच्चे स्कूली पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

उन का कहना है कि पढ़लिख कर उन्हें कौन सी नौकरी करनी है. उन्हें तो बापदादाओं से मिले हुनर का ही काम करना है. जड़ीबूटी बेचना उन की विरासत है. वह इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं. उन की औरतें भी इसी काम में लगी रहती हैं. मर्दों को बुला कर सैक्स की दवा बेचने में उन्हें शर्म या झिझक महसूस नहीं होती. इन के पास केवल आदमी ही इलाज के लिए जाते हैं, ऐसा नहीं है. तमाम औरतें व स्कूली छात्राएं छाती बढ़ाने, ढीली छाती को कसने, पेट गिराने, बांझपन, ल्यूकोरिया, माहवारी संबंधी बीमारियां, ठंडापन, बालों का झड़ना, कीलमुहांसे वगैरह की शिकायतें ले कर इन तंबुओं में पहुंचती हैं.

पिछले दिनों एक मामला सामने आया. जब एक कालेज की छात्रा कीलमुहांसे के इलाज के लिए तंबू में पहुंची, तब तंबू के तथाकथित वैद्य ने उसे छेड़ दिया. जब बात कालेज के छात्रों को पता चली, तो उन्होंने आ कर तंबू उखाड़ दिया. तथाकथित वैद्य वहां से फरार हो गया. सैक्स मामलों के जानकार डाक्टर का कहना है कि सड़क के किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वालों से किसी भी तरह का इलाज नहीं कराना चाहिए. इन्हें दवाओं के बारे में सही जानकारी नहीं होती, जिस की वजह से इन की दी हुई दवाएं इस्तेमाल करने पर फायदा होने के बजाय नुकसान होता है. इन के द्वारा दी गई जवानी बढ़ाने वाली दवाओं में नशीली चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती हैं.

गूगल पर महिलाओं की खोजी नजर

आज की महिला किसी से कम नहीं हैं. वे हर क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए है और अगर बात हो उन के लुक्स और शौपिंग की तो उन की खोजी नजर से कुछ भी बचना आसान नहीं होता. उन्हें पता होता है कि कहां अच्छे ब्यूटी प्रोडक्ट्स मिल रहे हैं और कहां कपड़ों की सैल लगी हुई है. इन सब मामलों में महिलाएं हमेशा ही नंबर वन रही हैं. पर कय आप को पता है कि महिलाएं गूगल सर्च इंजन में भी अपने मतलब की चीजें खोजने में पुरुषों से आगे हैं? चलिए, हम आप को बताते हैंः

हर मर्ज की दवा है गूगल

आज किसी भी चीज के बारे में कोई खास जानकारी लेनी हो तो हम सब गूगल की शरण में जाना अधिक पसंद करते हैं. गूगल में जहां पल भर में ही हमें जानकारी मिल जाती है वहीं हमारा अतिरिक्त समय भी जाया नहीं करता. आज गूगल हर मर्ज की दवा है और आप को जान कर हैरानी होगी कि औरतें यहां मर्दों से ज्यादा समय बिताती हैं.

गूगल रिपोर्ट के अनुसार, 35 से 44 साल के बीच की महिलाएं गूगल पर इसी आयु वर्ग के पुरुषों से ज्यादा समय इंटरनैट पर बिताती हैं. 2015 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार 15-24 आयु वर्ग और 24-35 आयु वर्ग की कामकाजी औरतों का दबदबा था लेकिन पुरुषों की अपेक्षा कम.

क्या सर्च करती हैं महिलाएं

महिलाएं गूगल सर्च इंजन पर अपने मतलब की 5 चीजें पहले सर्च करती हैं. वे निम्न हैंः

ब्यूटी प्रोडक्ट्स

इस में सब से पहली कैटिगरी में आते हैं ब्यूटी प्रोडक्टस. गूगल सर्च में ब्यूटी प्रोडक्ट्स तलाशने में महिलाओं की तादाद बढ़ी है और वे फैशन ऐक्सैसरीज तलाशने में भी पुरुषों से आगे हैं. इस तरह के सर्च करने के साथसाथ महिलाएं गूगल के अलावा औनलाइन स्टोर्स प भी ज्यादा समय बिताती हैं.

हैल्थ और फिटनैस

हैल्थ और फिटनैस से संबंधी लेख खोजने के मामले में भी महिलाओं के संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इस के अलावा औनलाइन रैसिपी ढूंढ़ने वाली महिलाओं की संख्या भी गूगल पर बढ़ी है.

फूड पौइंट और मनोरंजन

फूड पौइंट और मनोरंजन के साधन ढूंढ़ने में भी अब तक पुरुषों की तादाद ज्यादा थीं, लेकिन कुछ सालों के आंकड़ों ने महिलाओं को आगे दिखाया है.

मैट्रिमोनियल साइट्स

गूगल सर्च के अलावा मैट्रिमोनियल साइट्स पर भी औरतें औसतन ज्यादा समय बितती हैं. इस में दूसरे के प्रोफाइल चैक करने में बिताए गए वक्त में कुछ सालों की तुलना में इजाफा हुआ है.

पौर्न साइट्स

आप को यह जानकर हैरानी होगी कि वेबसाइट्स के अनुसार भारत में कुछ सालों में पौर्न पसंद करने वाली महिलाओं की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हुई है. 2014 में जहां महिलाओं की भागीदारी 24% थी. वहीं 2015 में यह बढ़ कर 30% हो गई है. ये आंकड़े भारत के संदर्भ में हैं. ये डाटा 40 मिलियन यूजर वाले पौर्न हब से प्राप्त किया गया है.

फिल्म ‘‘अजहर’’को प्रेरणादायक कहानी मानते हैं इमरान हाशमी?

सीरियल किसर के रूप मे मशहूर अभिनेता इमरान हाशमी इन दिनों मशहूर क्रिकेटर मो. अजहरुद्दीन के जीवन पर बनी नाटकीय फिल्म‘‘अजहर’’को लेकर उत्साहित हैं. इस फिल्म में इमरान हाशमी ने मो.अजहरुद्दीन का किरदार निभाया है,जिन पर क्रिकेट मैच फिक्सिंग का आरोप भी लगा था. यह एक अलग बात है कि बाद में अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया था. पर इमरान हाशमी की नजर में यह फिल्म एक प्रेरणादायक कहानी व फिल्म है. ख्ुाद इमरान हाशमी कहते हैं-‘‘मेरी राय में फिल्म‘अजहर’एक प्रेरणादायक कहानी है. इस फिल्म को देखते हुए दर्शक कई प्रेरणा ले सकता हैं.

लोग सोचेंगे कि मैच फिक्सिंग में तो अजहर भाई ने पैसे लिए थे,पर उससे पहले क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में उनका बीस साल का करियर रहा है. बीस साल की जिंदगी रही है. वह भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन रहे हैं. उन्होंने टीम को कई बार जिताया है. उन्होंने जिस तरह का बेहतरीन क्रिकेट खेला,उसे आप भुला नहीं सकते. पर मैच फिक्सिंग वाला मुद्दा उनकी जिंदगी का काला दाग वाला हिस्सा है. उन्होंने पूरे 12 साल तक कोर्ट केस लड़ा. मेरी नजर से यह भी एक प्रेरणादायक कहानी है. हो सकता है कि कुछ लोग यह भी कहें कि अदालत ने भले उन्हें बरी कर दिया हो,पर हमें लगता है कि अजहर भाई ने पैसे लेकर मैच फिक्सिंग की थी. महज एक गलती की वजह से किसी भी इंसान की सारी अच्छाईयों पर परदा नहीं डाला जा सकता. हम सभी को अदालत के निर्णय को स्वीकार करना चाहिए.’’
 

संगीता बिजलानी बन खुश हैं नरगिस फाखरी

अमरीकन मूल की अदाकारा नरगिस फाखरी ने जब से बौलीवुड में कदम रखा है, तब से वह लगातार हिट फिल्में देती जा रही हैं. इन दिनों वह फिल्म‘अजहर’को लेकर उत्साहित है. जिसमें उन्होने मो.अजहरुद्दीन की दूसरी पत्नी और अभिनेत्री संगीता बिजलानी का किरदार निभाया है. खुद नरगिस फाखरी बताती हैं-‘‘मुझे अपना किरदार बहुत पसंद आया. फिल्म‘अजहर’में मैने संगीता बिजलानी का किरदार निभाया है. यह एक डैशिंग, स्टाइलिश, फैशनेबुल किरदार है. 1990 के दशक की ज्वेलरी व कास्ट्यूम पहनना मेरे लिए बहुत बेहतरीन /फैंटास्टिक अनुभव रहा.

मैं इस किरदार के साथ कुछ हद तक रिलेट कर पायी. क्यांकि मेरी ही तरह यह भी किरदार भी पहले माॅडल और फिर अभिनेत्री बनी. एक इंसान के तौर पर मैं उनके साथ जुड़ सकी.यह बहुत ही रोचक किरदार है. संगीता बिजलानी व मो.अजहरुद्दीन की प्रेम कथा को दर्शक अजहरुद्दीन की आॅंखों से देख सकेंगे. मगर मैंने अपनी निजी जिंदगी में किसी शादीशुदा पुरुष से प्यार नहीं किया.’’
संगीता बिजलनी के किरदार के साथ न्याय करने के लिए नरगिस फाखरी ने उनकी कुछ पुरानी फिल्में देखी. वह कहती हैं-‘‘इस किरदार को निभाने से पहले मैंने संगीता बिजलानी के अभिनय से सजी कुछ फिल्में देखीं. निर्देशक से पूरी कथा को समझा. वर्कशाप किया. मैंने खुद कोई रिसर्च नहीं किया.’’

नौरीन की निजता का सम्मान करना आता है प्राची देसाई को

हैदराबाद निवासी नौरीन की जिन्दगी काँटों से भरी हुई है. उनकी जिंदगी में तमाम मुसीबतें आयी. जब वह महज सोलह साल की थीं, तभी नौरीन ने मशहूर क्रिकेटर अजहरुद्दीन के संग व्याह रचा लिया था. मो. अजहरुद्दीन के साथ उनका वैवाहिक जीवन महज नौ साल ही टिक पाया. उसके बाद अजहरुद्दीन ने फिल्म अभिनेत्री संगीता बिजलानी के साथ दूसरा ब्याह रचा लिया था. लेकिन मीडिया से सदैव दूरी बनाए रखने वाली नौरीन ने आज तक मो. अजहरुद्दीन या उनकी अपनी निजी जिन्दगी के साथ जो कुछ बीता, उस पर कभी कुछ नहीं कहा. फिल्म ‘‘अजहर’’ में नौरीन का किरदार निभाने वाली अदाकारा प्राची देसाई ने हैदराबाद में नौरीन से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान नौरीन ने प्राची के सामने अपने मन की कई बात इस शर्त के साथ रखी कि प्राची उनकी निजता का हनन नहीं होेने देंगी.

प्राची देसाई भी नौरीन की निजता का ख्याल रखते हुए कई बात को उजागर नहीं करना चाहतीं. जब हमने प्राची देसाई से पूछा कि अजहरुद्दीन से अलगाव के मुद्दे पर नौरीन ने प्राची से क्या कहा, तो प्राची ने विनम्रता के साथ कहा- ‘‘मैं इस सवाल का जवाब नही दे पाउंगी. मैं बहुत निजी स्तर पर उनसे मिली थी. हमारे बीच बहुत सी बातें निजता के आधार पर हुई हैं. इसलिए मैं उन्हें सार्वजनिक नहीं कर सकती. नौरीन बहुत प्रायवेट इंसान हैं. उनकी हर बात को सार्वजनिक करना उचित भी नही होगा. वह कभी लाइम लाइट में नहीं रही. मैं उनकी इच्छाओं,उनकी निजता का सम्मान करती हूं. उनसे मेरी मुलाकात और उनसे मेरी जो बातें हुई हैं,उससे मुझे अभिनय करने में मदद मिली. पर उन चीजों को मैं मीडिया लाना उचित नहीं समझती हूं. वैसे भी हर इंसानी रिश्ते की अपनी सीमाएं होनी चाहिए. ’’
 

जब पिटने से बचे निखिल घई

हर कलाकार की कोशिश होती है कि वह अपने किरदार में इस कदर घुस जाए कि लोग उसे उस किरदार से ही पहचानने लगे. पर कई बार कलाकार का यह प्रयास उनके लिए मुसीबत का सबक बन जाता है. जी हां! ऐसा कई कलाकारों के साथ हो चुका है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के बाराबंकी शहर में अभिनेता निखिल घई अपनी शीघ्र रिलीज होने वाली फिल्म ‘‘खेल तो अब शुरू होगा’’ की शुटिंग कर रहे थे.

इस फिल्म में निखिल घई का किरदार एक मुस्लिम कसाई वाले का है. शुटिंग के बीच में थोड़ा सा वक्त मिलने पर वह अपनी वैनिटी वैन के पास बैठकर फ्रूट जूस/फलों का रस पीने लगे. उधर से गुजर रहे कुछ लोगों की नजर जब उन पर पड़ी तो उन्हे लगा कि यह बंदा सड़क पर बैठकर शराब पी रहा है. उन्होने निखिल को घेर कर सवाल जवाब करने शुरू कर दिए. अच्छा हुआ कि युनिट के लोग बगल मं ही थे. युनिट के सदस्यों ने उन लोगों को समझाया कि वह अभिनेता हैं और फिल्म के अपने मुस्लिम कसाई की वेशभूषा पहनकर बैठे हुए जूस पी रहे हैं. बड़ी मुश्किल से निखिल घई उस दिन पिटने से बच गए. इसकी चर्चा चलने पर निखिल घई कहते हैं-‘‘इस घटनाक्रम से मुझे इस बात का भरोसा हो गया कि मैं अपने किरदार में डूबा हुआ था.
 

……तो फेसबुक की गिरफ्त में हैं आप

फेसबुक एक पापुलर सोशल साइट है जिसके पीछे हर उम्र के लोग दीवाने हैं. इस सोशल साइट के जरिए दोस्‍तों, परिवार जनों और दूर देश के मित्रों के साथ हमेशा टच में रहा जा सकता है. लेकिन आजकल यंग जेनरेशन ही नहीं बल्कि अधेड़ उम्र के लोग भी फेसबुक पर ज्‍यादा से ज्‍यादा समय बिताते हैं.

ऐसे में कई लोगों को फेसबुक की भयानक लत लग जाती है और वो अपना सारा टाइम उसी को देते हैं. क्‍या आप भी फेसबुक पर अपना बहुत सारा टाइम गवां देते हैं…. जानिए इन 10 लक्षणों से कि कहीं आपको भी फेसबुक की लत तो नहीं लग गई:

होम पेज

अगर आपने अपने इंटरनेट ब्राउजर पर फेसबुक को होमपेज बना रखा है तो आपको फेसबुक की लत लग चुकी है.

दो से ज्‍यादा स्‍टेटस

अगर आप एक दिन में दो से ज्‍यादा स्‍टेटस अपडेट करते हैं तो इसमें कोई शक नहीं कि आपको फेसबुक की भयानक आदत लग चुकी है.

बहुत सारे दोस्‍त

फेसबुक फ्रैंडलिस्‍ट में 500 से ज्‍यादा दोस्‍त होना और उनमें से कई दोस्‍त ऐसे होना, जिनसे आप कभी मिले न हों और न ही आप उन्‍हें व्‍यक्तिगत तौर पर जानते हों. अगर ऐसा है तो आप फेसबुक के आदी हो चुके हैं.

काम पर ध्‍यान न देना

जब भी आप फेसबुक पर होते हैं तो आपको ध्‍यान नहीं रहता है कि आपको कुछ अन्‍य काम भी करने हैं.

लोगों को टैग करते रहना

आप फेसबुक पर फोटो अपलोड करते हैं और उस पर ज्‍यादा से ज्‍यादा लाइक और कमेंट पाने के लिए दूसरे लोगों को टैग कर देते हैं, चाहें उस फोटो से उनका कोई वास्‍ता हो या नहीं.

प्रोफाइल पिक्‍चर बदलते रहना

हर दूसरे दिन एक प्रोफाइल पिक्‍चर बदलना, साफ दिखाता है कि आप फेसबुक के लिए क्रेजी हैं और दोस्‍तों के बीच दिखावा करने में विश्‍वास रखते हैं.

अभी भी फेसबुक

अगर आपने 4 मिनट के इस आर्टिकल को पढ़ने के दौरान भी फेसबुक चेक लिया है तो आप वाकई में फेसबुक के फैन हैं.

वॉल साफ करते रहना

कई लोग फेसबुक पर बहुत टाइम बिताते हैं लेकिन अपनी वॉल को क्‍लीन करते रहते हैं, बेकार के टैग हटा देते हैं ताकि सभी को लगे कि आप फेसबुक पर आते ही नहीं. लेकिन जनाब, आप भूल जाते हैं कि मैसेंजर भी देखा जा सकता है कि पिछली बार आप कब फेसबुक पर थे.

ग्रुपबाजी

फेसबुक पर दस से ज्‍यादा ग्रुप के मैंबर होना, बात देता है कि आप फेसबुक के आदी हो चुके हैं.

रिलेशनशिप स्‍टेटस

लोगों का ध्‍यान अपनी ओर खींचने के लिए आप कई बार रिलेशनशिप स्‍टेटस को बदलते रहते हैं. ताकि आपको ज्‍यादा अटेंशन मिले और आपको हर पल एफबी पर कुछ नया कहने और करने को मिलता रहें.

चुनावी सीजन ने बढ़ाई कोर सेक्टर की रफ्तार

जब भी नेता वोट मांगने के लिए सड़कों पर निकलते हैं, ऐसा लगता है कि इससे इंडस्ट्रियल सेक्टर की ग्रोथ तेज होती है. इकनॉमिक डेटा इसकी गवाही दे रहे हैं. कोर सेक्टर की ग्रोथ मार्च में 6.4% रही. इस सेक्टर को इंडस्ट्रियल सेक्टर का अहम पैमाना माना जाता है. मार्च में कोर सेक्टर की रफ्तार पिछले 16 महीनों में सबसे तेज रही है.

इलेक्शन कमीशन ने असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी के चुनावों की तारीख का ऐलान 4 मार्च को किया था. कोर सेक्टर में इसी तरह की तेजी फरवरी 2014 में भी आई थी, जिसके बाद अप्रैल और मई में लोकसभा चुनाव हुए थे. उस वक्त कोर सेक्टर की ग्रोथ 6.1% पहुंच गई थी.

वहीं, सितंबर 2013 में दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले इसकी रफ्तार में 9% की बढ़ोतरी हुई थी, जो जनवरी 2010 के बाद सबसे तेज ग्रोथ थी.

चुनाव और कोर सेक्टर के बीच क्या रिश्ता है? दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान गाड़ियों का जमकर इस्तेमाल होता है. इस बार कमर्शियल व्हीकल सेल्स में बढ़ोतरी और रोड प्रोजेक्ट्स पर काम तेज होने से भी रिफाइनरी प्रॉडक्शन पर पॉजिटिव असर पड़ा है. कोर सेक्टर इंडेक्स में रिफाइनरी वेटेज के लिहाज से तीसरे नंबर पर है.

मार्च में पेट्रोल, डीजल सहित रिफाइनरी प्रॉडक्शन में 10.8% की बढ़ोतरी हुई, जो दिसंबर 2012 के बाद सबसे अधिक है. साल भर पहले इसी अवधि में इसमें 1.5% की गिरावट आई थी. उसके बाद नवंबर 2015 तक इसमें लगातार बढ़ोतरी हुई. मार्च में पेट्रोल सेल्स बढ़कर 20.4 लाख टन हो गई, जो अब तक का रिकॉर्ड है.

पेट्रोलियम मिनिस्ट्री की डिवीजन पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल का कहना है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रचार के चलते रिफाइनरी वॉल्यूम में बढ़ोतरी हुई है.

वहीं, सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के मुताबिक, मार्च में व्हीकल प्रॉडक्शन में सालाना 12.8% का इजाफा हुआ. कई क्षेत्रों में रोड रिपेयर और सड़कों को चौड़ा करने का काम भी शुरू हुआ है. चुनाव से पहले अक्सर ऐसे काम में तेजी आती है. इससे डीजल की खपत बढ़ी है. रोड बनाने में इस्तेमाल होने वाले बिटुमेन में मार्च में 16.9% और फ्यूल ऑयल में 39.4% का इजाफा हुआ है.

 

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