अगर आदिमानव युग से आज के समय की तुलना की जाए तो मानव जीवन काफी सरल और सुगम हो गया है. और ये सब संभव हो पाया है विज्ञान और उसके आविष्कारों के कारण. यहां ऐसे ही कुछ आविष्कारों के बारे में बता रहे हैं हम जिससे अभी तक नामुमकिन लगने वाली चीजें भी मुमकिन लगने लगेंगी.

कॉन्सस कंप्यूटर

कॉन्सस कंप्यूटर (खुद के होश में रहने वाला कंप्यूटर) पर काम हो रहा है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण रजनीकांत की फिल्म रोबोट से लिया जा सकता है. चिट्टी जैसे रोबोट हकीकत का जामा ओढ़ेंगे. इनकी कृत्रिम बुद्धि इंसानों की तरह जवाब-तलब करेगी. एक पल को आप भूल जाएंगे कि आप मशीन से नहीं, इंसान से बात कर रहे हैं. ये रोबोट जज्बाती होंगे, आपके अहसासों को तरजीह देंगे. गूगल लंबे समय से इस तकनीक पर काम कर रहा है. बहुत संभव है कि साइंस फिक्शन पर आधारित फिल्मी पटकथा भविष्य में यथार्थ का रूप ले लेगी.

वायरलैस इलेक्ट्रिसिटी

जरा सोचिए, अगर आपका फोन चार्जर का इस्तेमाल किए बिना चार्ज हो जाए, घर में बिजली कनेक्शन के लिए तारों का झंझट न रहे, अंडरग्राउंड बिजली के तारों के लिए जमीन न खोदना पड़े, तो कैसा रहेगा? बहुत संभावना है कि भविष्य में वायरलैस इलेक्ट्रिसिटी जन-जीवन का हिस्सा होगी. फोन चार्जिंग वगैरह पर फिलहाल प्रयोग किए जा रहे हैं. लेकिन भविष्य की गर्त में वायरलैस इलेक्ट्रसिटी का फंडा बखूबी काबिज है.

सिर ट्रांसप्लांट

मानव अंगों को बदलने यानी ट्रांसप्लांट करने में वैज्ञानिकों ने बहुत हद तक सफलता पाई है. लिवर, हार्ट, आंख ट्रांसप्लांट करना जैसे आम बात हो गई है. लेकिन अभी मानव सिर को ट्रांसप्लांट करने की मशक्कत जारी है. इटली के न्यूरोसर्जन सर्जियो कैनावेरो कई वर्षों से सिर ट्रांसप्लांट पर काम कर रहे हैं. उनका दावा है आने वाले कुछ वर्षों में इंसान का पूरा सिर ट्रांसप्लांट करना संभव होगा, इससे उसे नई जिंदगी जीने का मौका मिलेगा. इससे लकवा खाए लोगों को सबसे ज्यादा फायदा होगा.

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