Download App

अमेरिका में होगा ‘मिनी आईपीएल’!

क्रिकेट फैंस अब एक नहीं बल्कि दो-दो आईपीएल टूर्नामेंट देखने का लुत्फ उठा सकेंगे। अब तक महज हर साल भारतीय धरती पर ही आईपीएल करवाया जाता था, लेकिन जल्द ही आप विदेशी धरती पर भी आईपीएल मैच होते देख सकेंगे.

सूत्रों की मानें तो आईपीएल की 8 बड़ी टीमें सितंबर महीने में एक बार फिर आमने सामने होगी. बीसीसीआई इसे मिनी आईपीएल के रूप में पेश कर सकती है. हालांकि ये मुकाबला भारत में नहीं बल्कि किसी दूसरे देश में खेला जाएगा.

ऐसे में अमेरिका बीसीसीआई की पहली पसंद बन सकता है. सितंबर के समय में किसी टेस्ट खेलने वाले देश का कोई कार्यक्रम नहीं है और उस समय छोटी विंडो उपलब्ध है।

इस पूरे सीरीज को लेकर सभी तरह की ब्लू प्रिंट लगभग तैयार है और यह बीसीसीआई की बैठक में मूर्त रुप लेगी. पिछले साल भी मिनी आईपीएल की योजना थी, लेकिन आपसी विवाद और कानूनी पचड़ों के चलते बीसीसीआई इसे आयोजित नहीं करवा पाया था.

स्मार्टफोन से जुड़े मिथ जिन्हें आप मानते हैं सच

स्मार्टफोन की बैटरी, कैमरा, प्रोसेसर और ऐप्स से जुड़े कई मिथ्स हैं जिन्हें हम जाने-अनजाने में सच मानते हैं. हम आपको बता रहे हैं स्मार्टफोन के मिथ्स और उनकी सच्चाई. कौन-से हैं ये मिथ्स…

मिथ – ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बेहतर फोटोग्राफी

फैक्ट- अगर आपको लगता है कि ज्यादा मेगापिक्सल होने से इमेज क्वालिटी बेहतर होगी तो आप गलत सोच रहे हैं. ज्यादा मेगापिक्सल किसी इमेज को बड़ी शीट पर प्रिंट करने के लिए यूजफुल होता है. फोटो की इमेज क्वालिटी कैमरे की शटर स्पीड और अपर्चर पर निर्भर करती है, न कि मेगापिक्सल पर.

मिथ – फोन को ज्यादा स्विच ऑफ रखने से बैटरी खराब होती है

फैक्ट – फोन की चिप सिंगल कोर से डुअल कोर हो जाती है. फिर डुअल कोर से क्वाड कोर, लेकिन फोन के बाकी रिसोर्सेस तो वही रहते हैं. इन सभी कोर को एक ही बैटरी और लिमिटेड मेमोरी से काम चलाना पड़ता है. ऐसे में सिर्फ प्रोसेसर को डबल करने से ही फोन की परफॉर्मेंस डबल नहीं होगी.

मिथ – स्क्रीन को स्क्रैच से बचाने के लिए फोन में स्क्रीन प्रोटेक्टर लगाना जरूरी है

फैक्ट – स्क्रीन को स्क्रैच से बचाने के लिए हम फोन में स्क्रीन प्रोटेक्टर/ स्क्रीन गार्ड लगाते हैं. लेकिन अब लगभग सभी स्मार्टफोन कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास और स्क्रीन प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं जो कि स्क्रीन को प्रोटेक्ट करने में कैपेबल हैं.

मिथ – ऐप्स बंद करने से फोन की परफॉर्मेंस बढ़ जाएगी

फैक्ट – ये सच नहीं है. रिसेंटली यूज्ड ऐप्स बैकग्राउंड में नहीं चल रहे होते हैं, बल्कि वो रैम में स्टोर होते हैं ताकि आप फिर से उनका इस्तेमाल करना चाहें तो तुरंत से उन पर जा सकें. इसलिए रिसेंटली यूज्ड ऐप्स को बंद करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे आपके फोन की परफॉर्मेंस पर कोई नेगेटिव असर नहीं डालते. हां अगर ऐप्स बहुत सारे हैं तो जरूर फोन पर असर पड़ेगा.

मिथ – लोकल चार्जर से बैटरी ब्लास्ट हो सकती है

फैक्ट – स्मार्टफोन बैटरी में ब्लास्ट होने के कई कारण हो सकते हैं. इनमें लोकल चार्जर का हाथ नहीं होता. जब तक चार्जर ठीक से काम कर रहा है, बैटरी को कोई नुकसान नहीं होगा, फिर चाहे चार्जर किसी भी कंपनी का हो. ऑरिजनल चार्जर भी अगर खराब हों तो स्मार्टफोन बैटरी खराब हो सकती है.

मिथ – थर्ड पार्टी ऐप्स बैटरी की लाइफ बढ़ाती हैं

फैक्ट – हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता. कई बैटरी ऐप्स तो बैटरी बैकअप के मामले में कोई भी मदद नहीं करते. कुछ एक जो मदद करते हैं, वो भी सिर्फ बैटरी मैनेजमेंट में हेल्प करते हैं. इनका काम बाकी ऐप्स का ध्यान रखना होता है, बैटरी बैकअप बढ़ाना नहीं.

मिथ – ब्लूटूथ या वाई-फाई ऑन होने से बैटरी खत्म होती है

फैक्ट – अक्सर कहा जाता है कि अगर यूज नहीं कर रहे हैं तो ब्लूटूथ या वाई-फाई बंद कर देना चाहिए, इससे बैटरी खत्म होती है. लेकिन सच तो ये है कि बैटरी तभी खर्च होती है, जब ब्लूटूथ या वाई-फाई इस्तेमाल में आ रहे हों. सिर्फ ऑन रहने से बैटरी खर्च नहीं होती.

मिथ – पूरी रात चार्जिंग से डैमेज होती है बैटरी

फैक्ट – पूरी रात मोबाइल चार्जिंग पर रहने से बैटरी में कोई फिजिकल डैमेज नहीं होता है. हालांकि, बैटरी लाइफ बढ़ाने के लिए उसे 80 प्रतिशत तक ही चार्ज किए जाने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा, आपका स्मार्टफोन इतना स्मार्ट होता है कि वो फुल चार्ज होने के बाद करेंट रिसीव करना बंद कर दे.

मिथ – फोन से रेडिएशन निकलता है इन्हें जेब में न रखें

फैक्ट – कंपनियों के स्मार्टफोन को SAR (स्पेसिफिक एब्जॉर्प्शन रेटिंग) टेस्ट से गुजरना पड़ता है. इस टेस्ट में ये देखा जाता है कि फोन कहीं तय सीमा से ज्यादा हार्मफुल रेडिएशन तो पैदा नहीं करता. इसके बाद ही फोन को क्लियरेंस मिलती है. इनसे इतना रेडिएशन नहीं निकलता की आप इन्हें जेब में रख ही ना पाएं.

मिथ – ब्लैक वॉलपेपर बैटरी लाइफ बढ़ाते हैं

फैक्ट – ये बात सच है लेकिन कुछ हद तक. आपको बता दें कि LED डिस्प्ले में ब्लैक पिक्सल्स को पावर की जरूरत नहीं होती. लेकिन अगर हम बात करें LCD डिस्प्ले की तो ये ब्लैक वॉलपेपर में भी पावर यूज करते हैं. इसलिए ये कहना कि ब्लैक वॉलपेपर बैटरी लाइफ बढ़ाते हैं पूरी तरह सच नहीं है.

 

ICC T20 रैंकिंग: बुमराह दूसरे तो कोहली टॉप पर मौजूद

भारत और ज़िम्बाब्वे के बीच हुई तीन मैचों की टी20 सीरीज के बाद आईसीसी ने टी20 की रैंकिंग जारी कर दी है. टीम रैंकिंग में भारत को एक मैच हारने का नुकसान हुआ और अब वो 128 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर है. 132 अंकों के साथ न्यूजीलैंड टॉप पर मौजूद हैं.

मंदीप सिंह ने टॉप 100 में प्रवेश किया, वहीँ केएल राहुल 102वें स्थान पर हैं. मनीष पाण्डेय 152वें और अम्बाती रायडू 217वें स्थान पर हैं. ज़िम्बाब्वे से एल्टन चिगुम्बुरा और पीटर मूर को फायदा हुआ.

गेंदबाजी रैंकिंग

गेंदबाजी रैंकिंग में जसप्रीत बुमराह को 6 स्थान का फायदा हुआ और वो दूसरे पायदान पर पहुँच गए हैं. वेस्टइंडीज के सैमुएल बद्री टॉप पर मौजूद हैं.

भारत से इसके अलावा टॉप 20 में रविचन्द्रन अश्विन, रविन्द्र जडेजा और आशीष नेहरा टॉप 20 में मौजूद हैं. दो मैचों में 6 विकेट लेने वाले बरिंदर सरान ने 225वें स्थान के साथ रैंकिंग में प्रवेश किया है.

अश्विन को हुआ ना खेलने का नुकसान

इस सीरीज में न खेलने के कारण ऑफ स्पिनर रविचन्द्रन अश्विन को चार स्थान का नुकसान हुआ है और वह सातवें स्थान पर आ गए. इस लिस्ट में वेस्टइंडीज के सैमुएल बद्री टॉप पर हैं. बुमराह के साथी और सीरीज में सबसे सफल गेंदबाज बरिंदर सरन को रैंकिंग में 225वां स्थान मिला है.

बल्लेबाजों का कुछ ऐसा रहा हाल

टी-20 में बल्लेबाजों की लिस्ट में भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली टॉप पर बने हुए हैं. उनके पीछे ऑस्ट्रेलिया के एरन फिंच दूसरे नंबर पर और न्यूजीलैंड के मार्टिन गुप्टिल तीसरे नंबर पर हैं.

बल्लेबाजों में मनदीप सिंह और लोकेश राहुल को क्रम से 100वां और 102वां स्थान मिला है. वहीं, मनीष पांडे को 152वां स्थान और अंबाती रायडू को 217वां स्थान मिला है. केदार जाधव को रैंकिंग में 106वां स्थान हासिल हुआ है.

हालांकि उनके अलावा टॉप 20 में कोई भी भारतीय बल्लेबाज मौजूद नहीं है. केदार जाधव को 181 स्थानों का फायदा हुआ है और अब वो 106वें पायदान पर हैं.

मंदीप सिंह ने टॉप 100 में प्रवेश किया, वहीँ केएल राहुल 102वें स्थान पर हैं. मनीष पाण्डेय 152वें और अम्बाती रायडू 217वें स्थान पर हैं. ज़िम्बाब्वे से एल्टन चिगुम्बुरा और पीटर मूर को फायदा हुआ.

नंबर-1 होने से चूकी टीम इंडिया

भारत अगर जिम्बाब्वे के खिलाफ टी-20 सीरीज 3-0 से जीत लेता तो वह इस फॉरमैट में टॉप टीम बन जाता. न्यूजीलैंड टी-20 टीमों की रैंकिंग में पहले स्थान पर है. भारत के 128 अंक हैं और वह न्यूजीलैंड से चार अंक पीछे है.

रमन राघव 2.0: सेक्स से भरपूर असहनीय फिल्म

नब्बे के दशक में मुंबई में लगातार कई हत्याएं करने वाले रमन राघव की कथा पर अनुराग कश्यप ने एक नई अपराध कथा को अपनी फिल्म ‘‘रमन राघव 2.0’’ में लेकर आए हैं. जिसमें रमन व राघव दो पात्र बना दिए हैं. रमन सीरियल किलर है और राघव एक चरसी पुलिस आफिसर है, वह भी हत्याएं करता रहता है. जब फिल्म के लेखक व निर्देशक अनुराग कश्यप हों, तो दर्शक को मान लेना चाहिए कि यह डार्क फिल्म होने के साथ ही अपराध, चरस व सेक्स दृश्यों से भरपूर फिल्म होगी. सायकोपाथ किलर के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने कमाल की परफार्मेंस दी है, मगर महज नवाजुद्दीन के कंधों पर पूरी फिल्म कैसे चलेगी और वह भी तब जब अति कमजोर पटकथा व बेसिर पैर के सीन हों.

फिल्म की कहानी शुरू होती है, तो परदे पर दिखायी देता है कि तीन पुलिस के सिपाही रमन्ना उर्फ रमन (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) को पकड़ कर ले जाते हैं. उससे पूछते है कि  उसने कितनी हत्याएं की हैं. वह नौ की संख्या बताता है. उसके बाद भी पुलिस के सिपाही रमन की पिटाई कर उसे उसी के मकान में बंद करके चले जाते हैं. तीन दिन बाद रमन किक्रट खेलने आए बच्चों की मदद से खुद को छुड़ाने में कामबयाब हो जाता है. तब पता चलता है कि रमन ने पहली हत्या एक चरस गांजा बेचने वाले चाचा की थी. वहीं पर चरसी पुलिस अफसर राघवन (विक्की कौशल) पहुंचता है. रमन छिपकर उसकी हरकत देखता रहता है.

राघवन वहां से चरस व गांजे के पैकेट चुराता है, उसी वक्त वहां एक पड़ोसी आ जाता है, जिसकी हत्या राघवन कर देता है, फिर खुद ही सबूत मिटा कर चला जाता है. उस वक्त रमन सोचता है कि उसे उसका साथी राघव मिल गया. उसके बाद से राघवन, सीरियल किलर रमन्ना का पीछा करना शुरू करता है.

इधर मकान से छूटने के बाद रमन अपनी बहन (अमृता सुभाष) के घर पहुंचता है. बहन, बहनोई व उसके छह साल के बच्चे की हत्या कर देता है. उसकी हत्याओं का सिलसिला जारी रहता है. रमन अपनी डायरी में लिखता रहता है कि उसने कब, किसकी और क्यों हत्या की. उधर राघवन, रमन का पीछा कर रहा है. जबकि रमन की निगाहें राघवन का पीछा करती रहती हैं.

चरसी पुलिस इंस्पेक्टर राघवन के सिम्मी (शोभिता धूलिपाला) नामक औरत के संग अवैध संबंध हैं. यह बात रमन जान चुका है. एक दिन रमन देखता है कि सिम्मी के घर काम करने वली नौकरानी उनके घर की एक चाभी अपने साथ लेकर गयी है. वह उस चाभी को हथियाने के लिए उस नौकरानी के पति की हत्या कर देता है. अब राघवन, रमन को पकड़ने के लिए पूरी पुलिस फोर्स लगा देता है. पर पकड़ नहीं पाता. इधर पुलिस इंस्पेक्टर राघवन चरस व गांजे के लिए ही दो चरस व्यापारियों की भी हत्या कर देता है. उधर रमन उस सूदखोर (मुकेश छाबड़ा) की हत्या कर देता है, जो कि राघवन को रमन की सारी बातें बताते हुए यह भी बता देता है कि रमन का मानना है कि उसे उसका राघवन मिल चुका है.

इधर सिम्मी से राघव का शादी के मुद्दे पर झगड़ा होता है. राघवन अपने पिता (विपिन शर्मा) का भी अपमान करता है. फिर चरस के नशे में चूर राघवन एक अन्य लड़की अंकिता को लेकर सिम्मी के घर पहुंच जाता है. सिम्मी के बेडरूम में वह अंकिता के साथ गलत हरकत करता है. वापस जाते समय सिम्मी की हत्या और अंकिता को बेडरूम में बंद कर जाता है. पर रमन के पास एक चाभी होती है, जिसकी मदद से वह अंकिता को भगा देता है. फिर रमन खुद ही पुलिस स्टेशन के सामने बैठ जाता है. पुलिस वाले उसे पकड़कर राघवन के सामने पूछताछ शुरू करते हैं.

रमन कहता है कि उसने सिम्मी की हत्या की और वही कहानी दोहराता है, जिस तरह से राघवन ने सिम्मी के घर में जो कुछ किया था. यह सुनकर राघवन का दिमाग चकरा जाता है. वह अपने सहयोगियों को बाहर भेज देता है. फिर रमन से बात करता है. रमन कहता है कि वह तो फांसी पर लटकना चाहता है. उसने जो हत्याएं की, उसमें सामने वाले की गलती थी. पर राघवन तो बिना किसी की गलती की उनकी हत्याएं करता है और वह राघवन को अपना राघव बताता है.

इंटरवल से पहले नवाजुद्दीन सिद्दिकी द्वारा की जाने वाली हत्याओं की वजह से कहानी में थोड़ी सी रोचकता बनी रहती है. पर इंटरवल के बाद पता चलता है कि असली कहानी का सूत्र तो इंस्पेक्टर राघवन है. इसी के साथ इंटरवल के बाद कहानी पूरी तरह से पटरी से उतर जाती है. पूरी तरह से एक बोझिल फिल्म है.

फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दिकी छाए रहते हैं. उनकी आंखे और कुटिल मुस्कान तो दर्शक के दिलों में समा जाती है. रमन और उसकी बहन के बीच के सीन तो दर्शक को टकटकी लगाने पर मजबूर कर देते हैं. विक्की कौशल ने नवाजुद्दीन सिद्दिकी के साथ ताल मिलाने की कोशिश की, पर नवाजुद्दीन के सामने वह टिक नहीं पाते हैं. पिछली फिल्मों के मुकाबले इस फिल्म में विक्की कौशल की परफार्मेंस थोड़ी कमजोर है. बहन के किरदार मे अमृता सुभाष ने अच्छा अभिनय किया है.

फिल्म शुरू होते ही अहसास होने लगता है कि फिल्मकार अनुराग कश्यप पूरी तरह से कंफ्यूज हैं, उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह नब्बे के दशक के मनोवैज्ञानिक रूप से बीमार हत्यारे रमन राघव पर फिल्म बना रहे हैं या चरस गांजे के नशे में डूबे पुलिस अफसर पर. फिल्म के कई सीन बेसिर पैर के नजर आते हैं. फिल्म में गाने भी कब क्यों आ जाते हैं, समझ से परे है. फिल्म में पुलिस इंस्पेक्टर राघवन चरसी क्यों है, वह शादी क्यों नहीं करना चाहता, यह कहीं स्पष्ट नहीं होता. फिल्म का क्लाइमेक्स भी समझ से परे है. अति कमजोर पटकथा व बोझिल दृश्यों की वजह से दर्शक सोचने लगता है कि फिल्म कब खत्म होगी.

‘‘फैंटम फिल्मस’’ फिल्म ‘‘रमन राघव 2.0’’ के लेखकद्वय अनुराग कश्यप व बसन बाला, निर्देशक अनुराग कश्यप, संगीतकार राम संपत तथा कलाकार हैं- नवाजुद्दीन सिद्दिकी, विक्की कौशल, विपिन शर्मा, अमृता सुभाष, शोभिता धूलिपाला व अशोक लोखंडे.

स्मार्टफोन बना सकता है आपको अंधा!

आप भी उन लोगों में जरूर शामिल होंगे जो रात को सोने से पहले कमरे की लाइट बुझाकर अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते होंगे. अगर अप अभी तक ऐसा करते आएं हैं तो अब आपको संभल जाने की जरुरत है. बता दें कि लगातार ऐसा करने के चलते कई लोगों में अंधेपन के लक्षण देखें गए हैं और दो महिलाएं तो पूरी तरह आंखों की रौशनी गंवा बैठी हैं.

कौन हैं महिलाएं

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एक महिला की उम्र 22 साल जबकि दूसरी की 40 साल है. अंधेरे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से शुरुआत में इनमें अंधेपन के लक्षण देखे गए. डॉक्टर्स के मना करने के बावजूद इन्होंने सावधानी नहीं बरती जिसके चलते अब ये पूरी तरह आंखों की रौशनी गंवा चुकीं हैं. इस बीमारी का नाम 'ट्रांजिएंट स्मार्टफोन ब्लाइंडनेस' बताया जा रहा है.

क्या हैं लक्षण

जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआत में इन महिलाओं को कुछ वक्त के लिए दिखाई देना बंद हो जाता था. महिलाओं के कई टेस्ट किए गए लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है इसका पता नहीं चल पाया. बाद में इन महिलाओं से जब पूछा गया कि ऐसा अक्सर कब होता है तो उन्होंने बाते कि रात में जब वो लेटकर स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहीं होती हैं तब ऐसा अक्सर होता है. तो अगर आपको भी टेम्परेरी ब्लाइंडनेस का अनुभव हो रहा है तो ये संभल जाने का वक्त है.

एक आंख से कभी न इस्तेमाल करें स्मार्टफोन

रिपोर्ट के मुताबिक अंधेरे में फोन इस्तेमाल करते हुए आंख स्क्रीन की रोशनी के हिसाब से काम कर रही होती है लेकिन जैसे ही आप दूसरी आंख का इस्तेमाल करते हैं दोनों तारतम्य नहीं बिठा पातीं और ब्लाइंडनेस का अनुभव होता है. इसलिए इससे बचना बेहद जरूरी है.

‘जम्बो’ की लंबी छलांग, बने हेड कोच

'हर सफल शुरुआत का एक हिस्सा चुनौती है, उसे आलिंगन कीजिए, स्वीकार कीजिए और उस पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध रहिए' यह अनिल कुंबले का मानना है. मैकेनिकल इंजीनियर बनने कि ख्वाहिश रखने वाले कुंबले ने लेग स्पिनर के रूप में पूरी दुनिया में नाम कमाया, भारत के सबसे शानदार गेंदबाज बने और अब टीम इंडिया के मुख्य कोच भी बन गए हैं.

जिस सचिन तेंदुलकर, सौरभ गांगुली और लक्ष्मण के साथ खेलते हुए उन्होंने भारतीय टीम को कई मैच जितवाए, आज इन्हीं तीन खिलाड़ियों ने टीम इंडिया के कोच के रूप में कुंबले के नाम मोहर लगाया. इसके साथ ही 16 साल बाद कोई भारतीय टीम इंडिया का कोच बना है.

करीब एक महीने तक चले सलेक्शन प्रॉसेस में अनिल कुंबले को रवि शास्त्री, संदीप पाटिल, वेंकटेश प्रसाद, टॉम मूडी समेत 56 क्रिकेटरों पर तरजीह दी गई. बीसीसीआई ने 23 मई को हेड कोच के लिए आवेदन मांगे थे. 57 पूर्व क्रिकेटरों ने इसके लिए आवेदन भेजा. इनमें से 21 लोगों का नाम सलाहकार समिति को भेजा गया.

सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण की क्रिकेट सलाहकार समिति ने इनमें से करीब 10 लोगों का इंटरव्यू किया और अपनी रिपोर्ट बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को सौंप दी. इसके बाद लगभाग 18 महीने बाद टीम इंडिया को अनिल कुंबले के रूप में नया कोच मिल गया.

कुंबले के कॅरियर का पहला विकेट

अनिल कुंबले का क्रिकेट कॅरियर 9 अगस्त 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ मैंचेस्टर मैदान पर शुरू हुआ. कुंबले ने करियर का पहला विकेट ऐलेन लैंब को आउट कर लिया.

 इस मैच में कुंबले ने 60 ओवर गेंदबाज़ी करते हुए तीन विकेट हासिल किए थे. ये तीनों विकेट कुंबले ने पहली पारी में लिए थे. दूसरे पारी में उन्हें कोई विकेट नहीं मिल पाया. इसके बाद दूसरे और तीसरे टेस्ट में भी कुंबले को तीन-तीन विकेट मिले और ये सारे ही विकेट उन्होंने पहली पारी में ही झटके.

अनिल कुंबले ने कॅरियर के चौथे टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आठ विकेट लेकर खुद पर भरोसा कायम किया. इस मैच की दूसरे पारी में कुंबले ने छह विकेट झटके थे. कुंबले पहले दस टेस्ट में तीन बार आठ विकेट लिए थे.

कोटला में रचा इतिहास

अनिल कुंबले भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे अधिक विकेट लेने वाले क्रिकेटर हैं. उन्होंने अपने कॅरियर के दौरान 956 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिए जो आज भी एक भारतीय रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है. कुंबले क्रिकेट के चाहने वालों के लिए वो जुझारू नाम है जो टूटा जबड़ा लेकर क्रिकेट के मैदान पर उतरा और ब्रायन लारा जैसे दिग्गज का विकेट लिया.

कुंबले ने टेस्ट की एक पारी की सभी 10 विकेट चटकाने का ऐतिहासिक कारनामा भी किया. 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ फिरोजशाह कोटला में खेले गए दिल्ली टेस्ट के दौरान उन्होंने यह अविस्मरणीय कारनामा किया था. जिम लेकर के बाद सभी 10 विकेट चटकाने का कारनामा करने वाले कुंबले एकमात्र क्रिकेटर हैं.

अपनी लेग स्पिन की बदौलत कुंबले क्रिकेट जगत के दिग्गज बल्लेबाजों को 18 सालों (1990 से 2008) तक परेशान करते रहे. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने जहां 619 विकेट (17 बार पांच विकेट, 8 बार 10 विकेट) लिए वहीं वनडे में 337 विकेट (10 बार पारी में चार विकेट) चटकाए.

उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में एक शतक भी जड़ा. 2007 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में टीम इंडिया इंग्लैंड के दौरे पर गई तो ओवल टेस्ट के दौरान कुंबले ने 110 रन बनाए और पांच विकेट लेकर मैच ड्रॉ कराने में अहम भूमिका निभाई.

कंगारुओं को उन्हीं की धरती पर रौंदा

17 अक्टूबर 1970 को बंगलुरु में जन्मे कुंबले को नवंबर 2007 में टीम इंडिया की बागडोर सौंपी गई. उन्होंने 14 टेस्ट में भारत की कप्तानी की. इनमें से तीन में भारत जीता तो पांच हारा वहीं छह मैच ड्रॉ रहे.

उनके ही नेतृत्व में भारतीय टीम ने कंगारुओं को पर्थ टेस्ट में उन्हीं की धरती पर 2008 में रौंद डाला था. ये वही दौरा था जब भारतीय टीम पर ऑस्ट्रेलियाई टीम ने नस्लवाद का आरोप लगाया था.

कुंबले के प्रशासनिक कार्य

2008 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कुंबले ने कई प्रशासनिक पदों पर भी काम किया. वो नवंबर 2010 में कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए. 2012 में कुंबले को आईसीसी क्रिकेट समिति का सदस्य और 2013 में इसका अध्यक्ष बनाया गया. इस पद पर उनका दोबारा चयन 2018 तक के लिए हुआ. बंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी के प्रमुख बनाए गए और साथ ही 2012 से 2015 तक बीसीसीआई की तकनीकी समिति का भी नेतृत्व किया.

वेस्टइंडीज दौरा पहला चैलेंज

2005 में पद्म श्री से सम्मानित कुंबले आईपीएल की फ्रेंचाइजी रॉयल चैंलेंजर्स बंगलुरु और मुंबई इंडियंस के मेंटर भी रहे हैं. 2013 से 2015 के बीच उनके कार्यकाल के दौरान ही मुंबई की टीम दो बार आईपीएल चैंपियन भी बनी.

अब बतौर हेड कोच कुंबले का पहला दौरा जुलाई-अगस्त के दौरान वेस्टइंडीज का होगा जहां टीम इंडिया को चार टेस्ट मैच खेलने हैं.

शानदार फोटोग्राफर भी हैं अनिल कुंबले

क्रिकेट के बाद अगर कोई चीज कुंबले के दिल के करीब है, तो वह है फोटोग्राफी. वह एक अच्छे फोटोग्राफर भी है. कुंबले ने 17 साल की उम्र में ही फोटोग्राफी शुरू कर दी थी.

क्रिकेट के बाद वह अपना ज्यादातर समय फोटोग्राफी में ही बिताते है. कुंबले ने कई बेहतरीन तस्वीरें भी खीची हैं और फोटोग्राफी पर एक किताब भी लिखी है. 'वाइड एंगल' नाम की इस किताब में कुंबले ने अपनी खीचीं कई बेहतरीन तस्वीरें साझा की हैं.

जैकलीन का हॉट वीडियो रिलीज़, क्या आपने देखा

बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस ने हाल ही में 'झलक दिखला जा 9' के प्रमोशनल सॉन्ग को शूट किया है, जिसमें उनकी कातिलाना लुक सब को घायल कर रही है. बेहद ही बोल्ड और इस खूबसूरत वीडियो में जैकलीन को पहचान पाना बहुत मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इसमें जैकलीन की लुक बहुत अलग लग रही है.

फिल्म 'हाउसफुल 3' में नज़र आई जैकलीन 'लड़की ब्यूटीफुल, कर गई चुल' सॉग पर थिरकती नज़र आ रही हैं. इसमें उन्होंने अपनी खूबसूरती और बोल्डनेस से सब को चुप करवा दिया.

ऐमजॉन इंडिया फ्लिपकार्ट से आगे

ऐमजॉन इंडिया ने भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को मोबाइल और कंप्यूटर के वेबसाइट ट्रैफिक के मामले में पीछे छोड़ दिया है. इसकी जानकारी कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के जरिए जुटाए गए डेटा से मिली है. हालांकि रिपोर्ट में मोबाइल और पीसी ट्रैफिक के अलग-अलग आंकड़ें उपलब्ध नहीं हैं.

इस रिपोर्ट में नवंबर 2015 से मई 2016 तक का दोनों कंपनियों का डेटा स्टडी किया गया है. इस पीरियड में ऐमजॉन में फ्लिपकार्ट के मुकाबले 33 से 62 फीसदी अधिक ट्रैफिक रहा है. ऐमजॉन में औसत मंथली यूजर विजिट 18 करोड़ के आसपास है वहीं फ्लिपकार्ट में यह केवल 12 करोड़ ही है.

मोबाइल ऐप के मामले में फ्लिपकार्ट डाउनलोड्स और ऐप पर समय बिताने में आगे जरुर है लेकिन अमेरिकी कंपनी ऐमजॉन काफी तेजी से आगे बढ़ रही है. गूगल प्लेस्टोर पर ऐप रैंकिंग के मामले में ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट को पछाड़ चुकी है. कोटक को यह जानकारी मोबाइल ऐप एनालिटिक्स कंपनी ऐप ऐनी से ली है.

फरवरी में फ्लिपकार्ट टॉप 10 प्लेस्टोर रेटिंग से नीचे आ गया था और ऐमजॉन कुछ लेवल ऊपर चढ़ा था. जून में कोई कंपनी टॉप 10 की लिस्ट में नहीं है. ऐमजॉन 14वें नंबर पर है और फ्लिपकार्ट उससे 2 रैंकिंग नीचे 16वें नंबर पर है.

ऐप डाउनलोड्स की बात करें तो फ्लिपकार्ट के फरवरी में 5 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड्स थे और ऐमजॉन फ्लिपकार्ट से पीछे है.

आ गया दुनिया का सबसे सस्ता स्मार्टफोन!

दुनिया का सबसे सस्ता 251 रुपये वाला फ्रीडम 251 मोबाइल फोन बनकर तैयार हो गया है. नोएडा की स्टार्टअप कंपनी रिंगिंग बेल्स प्राइवेट लिमिटेड ने कहा कि उस पर ऐसे आरोप लगाए गए कि इस कीमत पर फोन उपलब्ध नहीं किया जा सकता और कंपनी के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज कराई गई, लेकिन आखिरकार कंपनी ने फोन तैयार कर लिया है.

कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहित गोयल ने कहा कि कंपनी अपना वादा पूरा करने में सफल रही है. गोयल ने कहा, 'हम करीब दो लाख फ्रीडम 251 फोन के साथ तैयार हैं.' उन्होंने कहा कि प्रथम चरण की आपूर्ति (दो लाख) करने के बाद फिर से इस फोन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाएगा. कंपनी ने इस साल फरवरी मध्य में 30 जून से पहले 25 लाख फोन की आपूर्ति करने की योजना बनाई थी. कंपनी को हालांकि तीन दिन के अंदर सात करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन मिले और आखिरकार कंपनी के पेमेंट गेटवे ने काम करना बंद कर दिया.

गोयल ने कहा कि अभी उन्हें हर फोन पर 140-150 रुपए का घाटा हो रहा है, लेकिन अधिक संख्या में बेचने पर लाभ मिल सकता है. गौरतलब है कि फ्रीडम 251 स्मार्टफोन 3जी को सपॉर्ट करता है. इसमें 1.3 गीगाहर्ट्ज क्वॉड-कोर प्रोसेसर, 1 जीबी रैम और 8 जीबी की इंटरनल मेमरी दी गई है जिसे माइक्रोएसडी कार्ड की मदद से 32 जीबी तक बढ़ाया जा सकता है. फोन का रियर कैमरा 8 मेगापिक्सल (फ्लैश सहित) का और फ्रंट कैमरा 3.2 मेगापिक्सल का है. यह स्मार्टफोन ऐंड्रायड 5.1 (लॉलीपॉप) पर रन करता है. फोन ब्लैक एंड व्हाइट कलर में उपलब्ध है.

कंपनी ने कहा कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में 32 इंच का एचडी एलईडी टेलिविजन भी लॉन्च करना चाहता है. इसका नाम भी फ्रीडम रखा गया है. गोयल ने कहा, 'यह भारत का सबसे सस्ता टेलीविजन सेट होगा, जो 10 हजार रुपये से कम कीमत में उपलब्ध कराया जाएगा. सिर्फ दो दिन के भीतर आपूर्ति की जाएगी. हम इसे ऑनलाइन माध्यम से बेचेंगे.'

 

पुलिस पर नहीं, संतों पर भरोसा

कैराना कस्बे में रहने वालों के पलायन को लेकर बैकफुट पर आई उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 संतों की जांच कमेटी बनाई थी. इस कमेटी में आचार्य प्रमोद कृष्णम, हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि, कल्याणदेव, स्वामी चिन्मयानंद और स्वामी नारायण गिरी ने कैराना कस्बे का दौरा किया. संतों के दल ने अपनी 13 पेज की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंप दी. संतों के इस जाच दल की खा सबात यह थी कि इसे उत्तर प्रदेश की सरकार के द्वारा भेजा गया था. सरकार हमेशा किसी भी मामलें की जांच अपने प्रशासन तंत्र के जरीये करती है. इसमें पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन और मजिस्ट्रेट जांच को शामिल किया जाता है. सरकारें अपनी ही प्रशासन तंत्र की बात को मानती है.

सरकार द्वारा भेजे गये जांच दल पर सवाल उठने लगे है.भाजपा के सांसद हुकुम सिंह कहते हैं कि संतों का काम किसी राजनीतिक दल के लिये रिपोर्ट तैयार करना नहीं होता है. इससे उनके संतत्व पर सवाल उठता है.

दरअसल संतों का जांच दल भेज कर उत्तर प्रदेश की सरकार यह जताना चाहती थी कि वह हिन्दुओ के साथ है. आज के समय में संत भी राजनीतिक खेमेबंदी में शामिल हो गये हैं. जहां कुछ संत भाजपा का साथ देते हैं, तो कुछ भाजपा के खिलाफ हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जांच दल में इस बात का खास ख्याल रखा कि भाजपा का समर्थन करने वाले ज्यादा न हों.

कैराना पर संतो की रिपोर्ट का खुलासा उत्तर प्रदेश सरकार ने नहीं किया है. आपसी बातचीत में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजी गई संतों की टीम ने यह बताया कि कैराना में पलायन धार्मिक कारणों से नहीं हुआ. कैराना में बढते हुये अपराधों के कारण वहां से लोगों का पलायन हुआ. संतों की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का बचाव करते यह कहा गया है कि कैराना से लोगों का पलायन पहले से हो रहा है. यह केवल अखिलेश सरकार के समय में ही नहीं हुआ है. संतों की रिपोर्ट ने भाजपा सांसद हुकुम सिंह और पूर्व डीजीपी और अब भाजपा नेता ब्रजलाल को भी घेरने की कोशिश की गई.

रिपोर्ट में कहा गया कि 2007 से लेकर 2012 तक 125 लोगों का पलायन हुआ. संतों की रिपोर्ट में भडकाऊ भाषण और सोशल मीडिया पर भी प्रदेश के अमनचैन को खराब करने का आरोप लगाया गया है. रिपोर्ट में तमाम ऐसे नेताओं के नाम हैं, जो सत्ता और विपक्ष देानो से जुडे हैं. संतों की रिपोर्ट सहित सभी राजनीतिक दल की रिपोर्ट में एक बात जरूर कहीं गई है कि पलायन खराब कानून व्यवस्था के चलते हुआ है.

खराब कानून व्यवस्था प्रदेश सरकार का मुद्दा है. उत्तर प्रदेश की सरकार की परेशानी यह है कि वह कानून व्यवस्था को सही करने के बजाय दूसरे माध्यमों को अपना बचाव करने का प्रयास कर रही है. मानवधिकार आयोग की टीम ने अपनी रिपोर्ट 3 दिन में तैयार कि और संतो की रिपोर्ट डेढ घंटे में तैयार हो गई. सरकार को अपने तंत्र के सहारें ही काम करना चाहिये. अगर सरकारों ने संतो की रिपोर्ट पर काम करना शुरू किया, तो पुलिस और दूसरे सरकारी तंत्र का क्या काम रह जायेगा.                

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें