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VIDEO: पाकिस्तान की ‘पूनम पांडे’ ने ये क्या कर दिया

पाकिस्तानी मॉडल-अभिनेत्री और 'ड्रामा क्वीन' कंदील बलूच एक बार फिर नए विवादों में घिर गई हैं. इस बार कंदील ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के एक नामी धार्मिक गुरु मुफ़्ती अब्दुल कावी के साथ सैल्फी शेयर की है. इस सेल्फी में मुफ़्ती साहब भी काफी खुश नजर आ रहे थे.

बता दें कि सैल्फी की सोशल मीडिया पर आलोचना होनी शुरू हो गई जिसके बाद मुफ़्ती साहब को उनकी धार्मिक संस्था से सस्पेंड भी कर दिया गया. सोशल मीडिया पर लोगों का कहना था की अब्दुल कावी ने सैल्फी के दौरान मुफ़्ती की टोपी भी सिर से उतारना जरूरी नहीं समझा.

फोटो आने के बाद मचा बवाल अभी थमा भी नहीं था की इससे संबंधित एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर ट्रैंड करने लगा. वीडियो में भी साफ दिखाई दे रहा है कि कंदील मुफ़्ती की टोपी से खेल रही थीं. ये तस्वीरें वायरल होने के बाद पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने भी कड़े कदम उठाते हुए मुफ़्ती को रुएत-ए-हिलाल नाम की कमिटी से सस्पेंड कर दिया.

बलूच के मुताबिक मुफ़्ती ने ही उन्हें 'इफ्तार पार्टी' के लिए होटल में बुलाया था. बलूच ने आरोप लगाया कि मुफ़्ती को सिर्फ इसलिए सस्पेंड किया गया है क्योंकि उन्होंने पब्लिकली उनसे मुलाक़ात की. उधर मुफ़्ती के मुताबिक बलूच ने उनसे कहा था कि वो उसे ईद के चांद से पहले देखना चाहती है. मुफ़्ती ने बताया कि बलोच ने पाकिस्तानी नेता और क्रिकेटर इमरान खान से भी मिलने की इच्छा जाहिर की थी.

आप को बता दें कि ये कोई पहली कंट्रोवर्सी नहीं है. बलूच पहली बार लाइमलाइट में तभी आई जब उन्होंने एलान किया कि अगर पाकिस्तानी टीम भारत के खिलाफ टी20 मैच जीतीं तो वो स्ट्रिप करेंगी. इसके आलावा पिछले दिनों पाकिस्तानी ऐक्ट्रैस वीना मालिक के साथ उनका लाइव शो के दौरान हुआ झगड़ा भी खूब सुर्ख़ियों में रहा था.

किसके नक्शे कदम पर चलेगा टीम इंडिया का हेड कोच

भारत के नए मुख्य कोच अनिल कुंबले ने स्वीकार किया है कि उनके काम करने की शैली में ‘जॉन राइट का काफी प्रभाव’ है और वह युवा टीम पर अपने विचार थोपने की जगह उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे.

कुंबले ने कहा, ‘‘सबसे पहले मैं चीजों को समझने की कोशिश करूंगा. उम्मीद करता हूं कि इसके बाद मैं खिलाड़ियों को समझा पाऊंगा. अगर वे इसे प्रभावी नहीं समझेंगे तो वे इसे नहीं अपनाएंगे. मैं चीजों को लागू करने में मदद करने वाले के रूप में काम करने की कोशिश करूंगा.’’

इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘मैं जॉन राइट के मार्गदर्शन में काफी खेला हूं. उनका काफी प्रभाव है और संभवत: मैं भी अपना काम इसी तरह करूंगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई इंडियन्स के मेंटर के तौर पर मैं जॉन को लेकर आया क्योंकि वह भारतीय संस्कृति और यहां कोच कैसे काम करते हैं उसके बारे में काफी कुछ जानते हैं. मैं उन्हीं की तरह काम करने की कोशिश करूंगा. मैं कुछ समय के लिए गैरी कर्स्टन के साथ भी जुड़ा रहा. वह भी पीछे से काम करते हैं और खुद को सामने नहीं आने देते. मैं भी पर्दे के पीछे से काम करने का प्रयास करूंगा.’’

कोचिंग का मतलब कप्तान का बोझ कम करना

कुंबले ने कहा, ‘‘कोच के रूप में मेरा काम कप्तान के कंधे से बोझ को कम करना होगा. क्रिकेट के अलावा क्रिकेट के इतर के फैसले करने होते हैं और यहीं मैं कप्तान के कंधे से काफी बोझ कम कर सकता हूं. जब मैं कप्तान था तो मैंने महसूस किया कि मैदान पर ही नहीं बल्कि बाहर भी फैसले करने होते हैं. मैं इन पर काम करने की कोशिश करूंगा जिससे कि कप्तान का बोझ कम हो.’’

कोच का काम मैदान के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर भी

उन्होंने कहा, ‘‘आप सिर्फ क्रिकेट के मैदान पर ही कोच नहीं होते बल्कि मेरा मानना है कि आप मैदान के बाहर भी कोच होते हो. मेरा काम व्यक्तियों के अलावा नेतृत्वकर्ताओं को तैयार करना भी होगा. बेहतरीन प्रतिभा मौजूद है और हम इनमें से नेतृत्वकर्ता तैयार कर सकते हैं. यह तुरंत नहीं होगा। हमें चढ़ाव ही नहीं बल्कि उतार भी देखने को मिलेंगे. आप सिर्फ सफल समय में ही कोच नहीं हो सकते बल्कि कड़े समय में भी आपको कोच रहना होगा.’’

पहली जिम्मेदारी वेस्टइंडीज का दौरा

कोच के रूप में कुंबले की पहली जिम्मेदारी वेस्टइंडीज का दौरा होगा जिसके लिए रवाना होने से पहले भारतीय टीम बंगलुरू में संक्षिप्त शिविर में हिस्सा लेगी. उन्होंने कहा, ‘‘छोटे समय में लक्ष्य वेस्टइंडीज का दौरा है. मैंने विराट से बात की है और एमएस धोनी संभवत: जिंबाब्वे से वापस लौट रहे हैं. बंगलुरू में शिविर होना अच्छा है. 20 विकेट चटकाने पर ध्यान होगा. विराट, पुजारा, रहाणे, रोहित, राहुल और साथ ही शिखर के रूप में बल्लेबाजी शानदार है. इशांत टीम में सबसे सीनियर टेस्ट क्रिकेटर है. इस टीम में प्रतिभा है जिसकी अगुआई युवा कप्तान कर रहा है.’’

दीर्घकालीन योजना बना सकते हैं

कुंबले ने कहा, ‘‘हम दीर्घकालीन योजना बना सकते हैं क्योंकि स्वदेश में काफी टेस्ट मैच खेलने हैं. हम विदेश में अपने रिकॉर्ड में सुधार करना चाहेंगे. वेस्टइंडीज दौरा भारतीय हालात से अलग नहीं होगा.’’ कुंबले ने कहा कि उनका मुख्य लक्ष्य स्वस्थ टीम वातावरण तैयार करना है जो लगातार अच्छा और प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलने के लिए अनुकूल हो.

साक्षात्कार काफी नर्वस करने वाला था

उन्होंने कहा, ‘‘यह काफी अलग तरह का साक्षात्कार था. मैं कुछ क्लबों की सदस्यता के लिए पेश हुआ हूं लेकिन काम के लिए साक्षात्कार देने नहीं. और ऐसे साथियों के सामने पेश होना जिनके साथ आप अपने पूरे जीवनभर खेले हैं. अपना मामला रखना अजीब था. यह काफी नर्वस करने वाला था लेकिन योजना तैयार करना और भारतीय क्रिकेट का खाका रखना शानदार था.’’ कुंबले ने कहा कि उन्हें लगता है कि यह इस काम के लिए सही समय है क्योंकि वह अब भी इतने फिट हैं कि भागदौड़ कर सकते हैं.

NSG पर नाउम्मीदी: हादसा नहीं रणनीतिक चूक

भारत ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानि एनएसजी की सदस्यता को अपनी नाक का सवाल बना लिया था. केन्द्र सरकार को यह लग रहा था कि भारत के एनएसजी में शामिल होने से उसकी ताकत केवल दुनिया भर में ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि देश के अंदर भी सरकार के पक्ष में माहौल बन सकेगा. केन्द्र सरकार ने इसी कारण अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. मनोविज्ञान कहता है कि जिस काम के करने में जितनी ताकत लगती है, उसके ना होने पर निराशा भी उतनी ही ज्यादा होती है.

केन्द्र सरकार को निराश होने के बजाय अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना चाहिये. भारत को अपनी आर्थिक और राजनायिक क्षमता बढाने की दिशा में काम करना चाहिये. जिससे उसे इस तरह के विरोध का भविष्य में सामना ही न करना पडे. एनएसजी के मुद्दे पर भारत में एक पक्ष केवल चीन को ही दोषी मान रहा है. समझने वाली बात यह है कि चीन के साथ ही साथ आयरलैंड, न्यूजीलैंड, तुर्की, ब्राजील और स्विटजरलैंड जैसे देश भी भारत के विरोध में खडे हो गये. इस रणनीति के पीछे चीन सबसे बडी ताकत हो सकती है. पर विरोध करने वालों में वह अकेला देश नहीं है.

निश्चित तौर पर भारत की रणनीति में बडी चूक मानी जा सकती है. एनएसजी के सभी फैसले सर्वसम्मति से लिये जाते हैं. एक भी देश के विरोध को दरकिनार नहीं किया जाता है. यह बात केन्द्र सरकार को पता थी इसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित मंत्रिमंडल के दूसरे मंत्री और असफर इस प्रयास में लगे रहे कि भारत को हर हाल में एनएसजी की सदस्यता मिल जाये.

एनएसजी को लेकर 2 बातें साफतौर पर समझनी जरूरी है. पहली कि यह उन देशों का संगठन है जिन्होने परमाणु अप्रसार संधि यानि एनटीपी पर हस्ताक्षर किये है. यह देश अपनेआप एनएसजी के सदस्य मान लिये जाते हैं. दूसरी बात कि एनएसजी बनाने की पहल ही 1974 में तब हुई थी जब भारत ने पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण कर लिया था. इसका गठन इसलिये किया गया था जिससे भारत को परमाणु क्षमता विकसित करने से रोका जा सके. भारत ने एनटीपी पर हस्ताक्षर नहीं किये है. एनटीपी को भारत भेदभावपूर्ण संधि मानता है.

भारत की ताकत को समझते हुये अमेरिका 2008 से इस बात का पक्षधर है कि भारत को एनएसजी में शामिल करने के लिये छूट दी जाये. भारत को छूट देने का मतलब यह है कि एनएसजी के मूलस्वरूप को  बदलना पडेगा. भारत ने एनएसजी की सदस्यता को लेकर बहुत उत्साह दिखाया. यह भारत को नहीं करना चाहिये था. सदस्यता न मिलने की दशा में भारत की साख प्रभावित हुई है. भारत को इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिये था.

भारत अपनी ओर से सदस्यता का प्रयास नहीं कर सकता है. अमेरिका ने ही भारत के समर्थन का भरोसा देकर इस अभियान को आगे बढाया था. भारत इसे अमेरिका पर ही छोड देता तो इतनी नाउम्मीदी नहीं होती. भारत को अपने प्रभाव को बढाना चाहिये. एनएसजी में भारत को प्रवेश न मिलने से कोई बडा हादसा नहीं हो गया है. यह एक रणनीतिक चूक भर है.

भारत के विरोध पर चीन ने सफाई देते कहा है कि उसका रूख एनएसजी समूह के नियमों के अनुसार है. हमने किसी देश का विरोध नहीं किया है. भारत में विदेश मंत्रालय ने कहा कि एनएसजी में भारत की भागीदारी से परमाणु अप्रसार संधि को मजबूती मिलती और पूरी दुनिया में परमाणु व्यवसाय को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि एनएसजी के मुद्दे पर भारत को शर्मिंदगी उठानी पडी है. इससे बचा जा सकता था.

रिमिक्स और आइटम नंबर्स का जलवा

अजीब दास्तान है ये, लग जा गले. आज फिर तुम पर प्यार आया है, तुम्हें अपना बनाने की कसम खाई है, पुराने हिट गानों को मौडर्न म्यूजिक और रौक स्टाइल में पेश करने का नया ट्रैंड इसी दशक में शुरू हुआ. रिमिक्स के जरिए पुराने मैलोडियस गानों को भी अश्लीलता का जामा पहनाया दिया जाता है. मुग्ड़ा मुग्ड़ा मैं गुड़ की डली और ‘कांटा लगा’ जैसे गानों के रिमिक्स वर्जन को नई मौडल्स ने बेहद सैक्सी अदा में पेश किया है. कुछ पुराने गाने तो अच्छे हैं लेकिन कुछ गानों का तो बुरा हाल है. रिमिक्स के अलावा इस दौर की सब से बड़ी उपलब्धि रही आइटम नंबर्स शब्द की खोज.

पिछले कुछ वर्षों से तो जैसे आइटम नंबर्स फिल्मों को लाइम लाइट में लाने का एक जरिया बन गए हैं. बिना आइटम नंबर्स के कोई फिल्म पूरी ही नहीं मानी जाती. फिल्म चले या न चले आइटम नंबर्स पर काफी मेहनत की जाती है. इन आइटम नंबर्स में हिरोइनों के कपड़े दिनोदिन छोटे व भड़काऊ और गानों के शब्द अश्लील होते जा रहे हैं जैसे कुंडी मत खड़काओ राजा, सीधा अंदर आओ राजा और मोस्ट रौकिंग आइटम सौंग जुगनी पी के टाइट है आदि. जैसे गाने शर्म और हया से कोसो दूर है. फिर भी लोग आइटम नंबर्स गाने को देखना चाहते हैं.

बढ़ रहा है आइटम नंबर्स का क्रेज

चाहे कोई कुछ भी कहे लेकिन आइटम नंबर्स का क्रेज किस कदर बढ़ रहा है. इस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब टौप लेवल की अभिनेत्रियां भी आइटम नंबर्स करने में पीछे नहीं हटती प्रियंका चोपड़ा, माधुरी दीक्षित, कैटरीना कैफ, ऐश्वर्या राय, करीना कपूर तक आइटम नंबर्स कर चुकी है. पहले जहां आइटम गर्ल कहलवाने में अभिनेत्रियां संकोच करती थी वहीं अब वह शौक से आइटम गर्ल बनना पसंद करती है.

हौट आइटम गर्ल, सनी लियोनी का गाना ये दुनिया पीतल दी और गौहर खान का जवानी ले डूबी आज भी लोगों को काफी पसंद है.

आइटम बौयज भी पीछे नहीं

जब हर फिल्म में आइटम सौंग्स पापुलर हो रहे हैं तो इस लोकप्रियता को भुनाने में भला अभिनेता अभिनेत्रियों से पीछे कैसे रह सकते हैं वे भी अपनी शर्ट उतार कर लगे हुए हैं ठुमके लगाने में लगे हुए हैं. जहां अभिषेक बच्चन के फिल्म आग और ‘मिशन इस्तांबुल’ में आइटम नंबर किया वहीं ऋतिक रोशन ने क्रेजी-4, जौन अब्राहम ने कभी अलविदा न कहना, शाहरुख खान ने ओम शांति ओम, शक्ति, काल और वहीं सलमान ने सन औफ सरदार में पोंपों पोंपों तेरी कैट जैसी वाक जैसी फिल्मों में आइटम नंबर्स किए.

पाकिस्तान में ‘उड़ता पंजाब’ के प्रदर्शन की उम्मीदें खत्म

लगभग तय हो चुका है कि पाकिस्तान के दर्शक अब फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ नहीं देख पाएंगे. लगभग चार दिन पहले पाकिस्तान फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष मुबाशिर हसन ने मीडिया को बताया था कि फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ में 100 से अधिक कट के बाद ‘ए’ प्रमाण पत्र देने का निर्णय लिया गया है.

उस वक्त खबर आयी थी कि फिल्म के वितरकों व निर्माताओं ने तय किया है कि वह पाकिस्तान फिल्म सेंसर बोर्ड के आदेश का पालन करते हुए दुबई में फिल्म को एडिट कर पाकिस्तान के फिल्म सेंसर बोर्ड को दिखाकर फिल्म को पारित करा पाकिस्तान में इस सप्ताह  प्रदर्शित करेंगे.

मगर इस खबर के आने के बाद अनुराग कश्यप पर चौतरफा हमले होने शुरू हो गए. सूत्रों की माने तो लोगों न कहना शुरू कर दिया कि यदि वह पाकिस्तान के फिल्म सेंसर बोर्ड के आदेश का पालन करते हुए फिल्म में सौ कट करने के लिए तैयार होते हैं, तो  फिर उनकी रचनात्मक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या होगा? इसका बहुत खराब असर पड़ेगा. सूत्रों का दावा है कि चौतरफा बढ़ती आलोचनाओं से बचने के लिए  निर्माताओं को मजबूरन फिल्म के दृश्यों व संवादों पर कैंची चलाने की बजाय इसे पाकिस्तान में प्रदर्शित न करने का निर्णय लेना पड़ा.

जबकि  एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ के निर्देशक अभिषेक चौबे ने कहा है-‘‘हम ‘उड़ता पंजाब’ को पाकिस्तान में नहीं प्रदर्शित करने वाले हैं. इससे हमें आर्थिक नुकसान जरुर होगा. लेकिन सौ कट के साथ फिल्म को प्रदर्शित करने का कोई औचित्य नहीं बनता. हमने यह फिल्म कुछ कहने और एक सार्थक संदेश पहुंचाने के लिए बनायी है.’’

अभिषेक चौबे ने आगे कहा- ‘‘भारत में जब सेंसर बोर्ड ने कट दिए थे, तो हमने अदालत का दरवाजा खटखटाया और हमें न्याय मिला. लेकिन पाकिस्तान की अदालत में मुकदमा लड़ने का फायदा नजर नहीं आता. इसलिए हमने पाकिस्तान मे फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को रिलीज न करने का निर्णय लिया है. भारत में हमारी फिल्म अच्छा व्यापार कर रही है. यदि यह फिल्म इंटरनेट पर लीक न हुई होती, तो और अधिक अच्छा व्यापार करती.’’

इससे पहले पाकिस्तानी फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष मुबाशिर हसन ने मीडिया से कहा है-‘‘हम कभी भी पाकिस्तान के खिलाफ या इस्लाम के खिलाफ या समाज के खिलाफ कहीं जाने वाली बातों पर समझौता नहीं कर सकते. जिन फिल्मों में इस तरह बातें या दृश्य होते हैं, हम उन्हें बैन कर देते हैं. फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ के वितरकों की खास मांग पर हमारी कमेटी ने इस फिल्म को देखकर 100 से अधिक कट के साथ रिलीज करने का प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया है.’’ 

 

एक तो चोरी, ऊपर से सीना जोरी

मशहूर एडीटर, ‘जाने मन’ तथा ‘जोकर’जैसी असफल फिल्मों के निर्देशक और मशहूर नृत्य निर्देशक व निर्देशक फरहा खान के पति शिरीष कुंडेर कई वजहों से यदा कदा विवादों से घिरे रहते हैं. अब उन पर नेपाली फिल्म ‘‘बीओबी’’ को चुराकर अपनी सायकोलाजिकल थ्रिलर लघु फिल्म ‘कृति’ बनाने का आरोप लगा है.

अभी दो दिन पहले ही शिरीष कुंडेर ने मुंबई में अपने निर्देशन में बनी सायकोलाजिकल थ्रिलर लघु फिल्म ‘‘कृति’’ को ‘‘यूट्यूब’’ पर रिलीज किया. इस लघु फिल्म को कंगना रानौट के हाथों रिलीज कराया गया था. शिरीष कुंडेर निर्देशित सायकोलाकिल थ्रिलर 18 मिनट लंबी लघु फिल्म ‘‘कृति’’ में मनोज बाजपेयी और राधिका आप्टे ने अभिनय किया है. अपनी आदत से मजबूर बौलीवुड की हर छोटी बड़ी शख्सियत ‘कृति’ की प्रशंसा में कसीदे पढ़ते हुए नहीं थक रही है. उधर शिरीष कुंडेर का पीआर दावा कर रहा है कि शिरीष कुंडेर की फिल्म ‘‘कृति’’ को कई करोड़ लोगों ने ‘यूट्यूब’ पर देखा है.

इन सब के बीच नेपाली फिल्मकार अनील न्यूपाने ने आरोप लगाया है कि शिरीष कुंडेर ने उनकी 17 मिनट की लघु फिल्म ‘बीओबी’’ को चुराकर ‘कृति’ बनाई है. लेखक व निर्देशक अनील न्यूपाने का दावा है कि उनकी फिल्म ‘‘बीओबी’’ अक्टूबर 2015 में कुछ दोस्तो को देखने के लिए वीमियो पर प्रायवेट वीडियो के रूप में लोड की गयी थी और 12 मई 2016 में उन्होंने इसे यूट्यूब पर रिलीज किया. जबकि शिरीष कुंडेर खुद को पाक साफ बता रहे हैं.

मगर ‘‘बीओबी’’ देखने के बाद  अनील न्यूपाने के आरोपों में दम नजर आता है. ‘बीओबी’ और ‘कृति’ दोनो में सायक्रेटिक/मनोवैज्ञानिक डाक्टर के साथ जो दृश्य हैं, वह एक समान हैं. दूसरी समानता यह है कि दोनों ही फिल्मों का मुख्य प्रोटोगानिस्ट दिमागी बीमारी का शिकार है. इतना ही नहीं सायक्रेटिक/ मनोवैज्ञानिक डाक्टर  द्वारा पूछे गए सवाल भी दोनो ही फिल्मों में एक जैसे ही हैं.

 

नेपाली फिल्म ‘‘बीओबी’’ का लिंकः

https://youtu.be/RkEv0MWM-7E

 

शिरीष कुंडेर की फिल्म ‘‘कृति’’ का लिंकः

https://youtu.be/b5GGKuK3iEI

 

इसके बावजूद शिरीष कुंडेर  चोरी के आरोप को गलत बता रहे हैं. जी हां! ट्विटर पर बीओबी के लेखक व निर्देशक ने एक खुला पत्र लिखकर अक्टूबर 2015 का वीडियो भी जारी किया है. इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए जब लोगों ने शिरीष पर हमला बोलना शुरू किया, तो शिरीष ने भी ट्वीटर पर जाकर सफाई देते हुए लिखा-‘‘जो लोग मेरी फिल्म की तुलना ‘बीओबी’ से कर रहे हैं, उन्हे पता होना चाहिए कि हमने अपनी फिल्म ‘कृति’ को फरवरी 2016 में फिल्माया था, जबकि ‘बीओबी’ तो 12 मई 2016 को रिलीज हुई. उम्मीद है कि इससे सारा मामला सुलझ गया.’’

इस पर फिल्म ‘‘बीओबी’’ के निर्देशक ने ट्विटर पर एक खुला पत्र लिख दिया. इस खुले पत्र को पुणे के फिल्मकार ब्रूस ली सहित कईयों ने ट्विटर पर रीट्वीट किया है.

इसके जवाब में शिरीष कुंडेर ने ट्वीटर पर लिखा-‘‘उन्होने कहा है कि वीमियो (पर नजदीकी दोस्तों के लिए लिंक दी थी. तो मैं उनका दोस्त नही हूं.’’

मजेदार बात यह है कि जब से शिरीष कुंडेर पर चोरी करने का आरोप लगा है, तब से पूरा बौलीवुड मौन है. कल तक शिरीष कुंडेर की फिल्म की प्रशंसा करने वाले भी अब इस मसले पर अपनी कोई राय नहीं दे रहे हैं.

जबकि बौलीवुड की कुछ हस्तियां अपना नाम छिपाकर शिरीष कुंडेर को सजा देने की बात जरूर कर रही हैं. एक फिल्मकार ने नाम छिपाते हुए ‘‘सरिता’’ पत्रिका से कहा-‘‘शिरीष ने नेपाली फिल्म ‘बीओबी’ की नकल कर एक घटिया फिल्म बनायी है. नेपाली फिल्म ‘बीओबी’ तो ‘कृति’ के मुकाबले कई गुना बेहतर फिल्म है.’’

एक फिल्मकार ने नाम गुप्त रखते हुए ‘‘सरिता’’ पत्रिका से कहा-‘‘शिरीष ने ‘बीओबी’ के निर्माता से अधिकार नहीं खरीदे. यह पूरी तरह से कापीराइट के उल्लंघन का मामला है. यूटय्ब को चाहिए कि वह शिरीष कुंडेर या ‘कृति’ के निर्माता को एक भी पैसा न दे और इस तरह की खुलेआम चोरी करने वाले को सजा मिलनी चाहिए.’’

नेपाली फिल्म ‘‘बीओबी’’ के लेखक व निर्देशक अनील न्यूपाने का खुला पत्रः

(नोटः अंग्रेजी पत्र का हिंदी अनुवाद)

मैंने व ‘जाज प्रोडक्शन’ की हमारी पूरी टीम ने लघु फिल्म ‘बीओबी’ को रिलीज करने के लिए एड़ी चोटी की मेहनत की है. ‘बीओबी’ को हम सभी ने अपना खून पसीना दिया है. हमें फिल्म को बनाने के लिए पैसे की जरुरत थी, तो हमने अपने दोस्तों से मदद मांगी. मैने अपने मित्र खासकर तेजस्वी रजथाला से मदद की गुहार लगायी और तेजस्वी रजथाला (जाज प्रोडक्शन, ऑस्ट्रेलिया) ने हमारी मदद की. पर हमें सीमित बजट में फिल्म पूरी करनी थी. हमें सिर्फ 32 हजार भारतीय रूपए ही मिले. इतनी कम राशि में फिल्म बनाना संभव नहीं था. लेकिन मैं अपनी पूरी तकनीकी टीम व कलाकारों का आभारी हूं, जिनके चलते ही फिल्म बन सकी.

हमारी फिल्म अक्टूबर 2015 में तैयार हो गयी. तब हमने इसे प्राइवेट वीडियो के रूप में अपने खास दोस्तों के लिए वीमियो पर लोड किया, यह वीडियो सात महीने पुराना है. फिर 12 मई 2016 को हमने इसे यूट्यूब पर रिलीज किया, जिसे 3033 लोगों ने देखा. पर हमें तमाम लोगों की तरफ से संदेश मिल रहे हैं, कई लोग बीओबी की प्रशंसा कर रहे हैं. हमारे लिए दर्शकों की प्रतिक्रिया बहुत मायने रखती है.’’

कल यानी कि 23 जून 2016 को मैंने शिरीष कुंडेर की फिल्म ‘कृति’ यूट्यूब पर देखी. मुझे लगा कि थोड़ी बहुत समानताएं हो सकती हैं. मगर अब मेरी समझ में नही आ रहा है कि इस दिशा में मैं क्या करूं? मैं इस बात को लेकर गुस्सा नहीं हूं कि शिरीष कुंडेर ने मेरी फिल्म का पूरा प्लाट चुराकर अपनी फिल्म बना ली. हम गुस्सा इसलिए हैं कि जब हम ‘बीओबी’ बना रहे थे, तो हमारे पास भोजन के लिए भी पैसे नहीं थे. जबकि शिरीष कुंडेर की फिल्म कृति के स्पाट ब्वाय को फिल्म ‘बीओबी’ के बजट से भी ज्यादा पैसे मिले हैं. मैंने और मेरी टीम ने गधा मजदूरी इसलिए नहीं की थी, कि कल को कोई भारत से अमीर इंसान आएगा और इस तरह हमारी मेहनत पर पानी फेर देगा. यह कहीं से भी सही नही है.

पर हमारे लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. हमारी नेपाली फिल्म इंडस्ट्री में तमाम नेपाली फिल्में बौलीवुड फिल्मों से प्रेरित होकर बनायी जाती है. हमारे फिल्मकार बैठकर कई बौलीवुड फिल्में देखते हैं और उन सबका मिश्रण कर एक नेपाली फिल्म बना लेते हैं. लेकिन मेरी नेपाली फिल्म ने बालीवुड के ए ग्रेड के कलाकारों व निर्देशकों को प्रभावित किया. मैं सोचता हूं कि यह नेपाल की बहुत बड़ी जीत है. यह जानकर सुखद अहसास हुआ कि नेपाल का एक छोटा फिल्मकार भी बौलीवुड के बड़े कलाकारों व निर्देशकों को प्रेरित करता है.

अब ईमानदारी की बात तो यह है कि मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि आगे मैं क्या करूं? मैं इनसे लड़ने के लिए आर्थिक या अन्य रूप से भी सक्षम नहीं हूं. मेरी आवाज तो उनके कानों तक पहुंचेगी भी नहीं. कई लोगों ने मुझसे कहा कि इनसे भिड़ना मूर्खता है. यह लोग बडी आसानी से अपने आपको बचा लेंगे. इसलिए अब सब कुछ आप लोगो पर पर निर्भर करता है. आप लोग यूट्बर पर इस तरह के वीडियो डालकर मेरी मदद करें.

‘एवरी बडी इज फेमस’ की हिंदी रीमेक में होंगे अनिल कपूर

राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपने समय के स्टार रहे अभिनेता अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर को ‘दिल्ली 6’ तथा ‘भाग मिल्खा भाग’ में अभिनय करने का मौका दिया था. तो वहीं राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने ही अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर को अपनी फिल्म ‘मिर्जिया’ में ब्रेक दिया है. मगर सूत्रों के अनुसार राकेश ओम प्रकाश मेहरा की दिली तमन्ना अभी भी अधूरी है. राकेश ओमप्रकाश मेहरा का दावा है कि वह अनिल कपूर के साथ काम करना चाहते थे, और अभी भी चाहते हैं.

बहरहाल, अनिल कपूर इन दिनों पिता पुत्री के रिश्तों पर आधारित ऑस्कर नोमीनेटेड फिल्म ‘‘एवरी बडी इज फेमस’’ के हिंदी रीमेक मे अभिनय कर रहे हैं. इस फिल्म के लिए अनिल कपूर ने शूटिंग भी की है, जिसका निर्माण राकेश ओमप्रकाश मेहरा की ही प्रोडक्शन कंपनी के साथ मिलकर ‘सिन्टान फिल्म कंपनी’ कर रही है. जबकि इसके निर्देशक हैं-अतुल मांजरेकर, जो लंबे समय तक राकेश ओम प्रकाश मेहरा के साथ बतौर सहायक काम कर चुके हैं.

जीनत अमान भी अब वेब सीरीज में

लगता है 2016 का वर्ष बौलीवुड की अपने समय की सर्वाधिक चर्चित रही अदाकारा जीनत अमान के लिए खुशियां ही खुशियां लेकर आ रहा है. एक तरफ जीनत अमान की पुरानी फिल्म ‘‘दिल तो दीवाना है’’ अंततः इस वर्ष रिलीज हो रही है, तो दूसरी तरफ जीनत अमान अब वेब सीरीज ‘‘लव लाइफ एंड स्क्रू अप्स’’ में अभिनय करते हुए अपनी वापसी भी कर रही हैं.

सूत्रों के अनुसार इस वेब सीरीज का पहला पोस्टर हाल ही में अमेरिका में ‘‘माई ट्रू कलर्स फेस्टिवल’’ में लांच किया गया. इस वेब सीरीज में जीनत अमान एक बार फिर अपने चिर परिचित ग्लैमरस अवतार में नजर आने वाली हैं. वह एक कैफे की मालकिन जौना के किरदार में नजर आएंगी, जो किसी से माफी नहीं मांगती. हमेशा हंसती मुस्कुराते रहने के साथ ही सकारात्मक सोच वाली महिला हैं. यह वेब सीरीज कुछ दोस्तों और उनकी जटिल जिंदगी की दास्तान है.

इस वेब सीरीज के लेखक व निर्देशक कपिल कौस्तुभ शर्मा का दावा है कि वह अपनी इस वेब सीरीज में जीनत अमान को उनकी फिल्मों ‘हीरा पन्ना’, ‘मनोरंजन’ और ‘यादों की बारात’ फिल्मों की तरह ही पेश करने वाले हैं.

जीनत अमान का दावा है कि वह वेब सीरीज से जुड़ने को हिचकिचा रही थी. लेकिन जब कपिल कौस्तुभ ने उन्हे कहानी सुनायी, तो वह तैयार हो गयीं. वह कहती हैं-‘‘कहानी ने मुझे इस वेब सीरीज से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. इसमें मेरा सत्तर के दशक का लुक नजर आएगा. वही लंबा स्कर्ट और आंखों में बड़ा चश्मा. इस वेब सीरीज में अभिनय करने के लिए मुझे तीन माह तक कठिन डाइट प्लान से गुजरना पड़ा.’’

सूत्रों के अनुसार इस युवा पीढ़ी को समर्पित एक बेहतरीन रोमांटिक वेब सीरीज में थिएटर व माडंलिंग जगत की भी कई हस्तियां अभिनय कर रही हैं.

अब आ गया सीएनजी स्कूटर

प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए दिल्ली में सीएनजी स्कूटर बाजार में उतारा गया है. इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड प्रयोग के तौर पर इसकी शुरुआत कर रहा है. कंपनी के अनुसार यह स्कूटर दो किलो गैस में 120 किमी चल सकेगा. अभी प्रयोग के लिए एक कंपनी के पिज्जा डिलीवरी करने वाले 50 वरकर्स को ये स्कूटर दिए गए हैं. स्कूटर की कीमत 15 से 20 हजार रुपए के बीच हो सकती है.

कंपनी के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित स्टेशन से गुरुवार को इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिली. दरअसल कंपनी गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया मिलकर 'हवा बदलो" अभियान चला रहे हैं जिसके तहत सीएनजी से चलने वाले दुपहिया वाहनों की शुरुआत हुई है.

केंद्र सरकार का दावा है कि सीएनजी से 75 प्रतिशत कम हाइड्रोकार्बन और 20 प्रतिशत कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होगा.

इसमें एआरएआई द्वारा स्वीकृत सीएनजी रिट्रोफिटमेंट किट है. इसलिए दुपहिया वाहन को एआरएआई द्वारा मान्यता मिली हुई है. जानकारी के अनुसार यह सीएनजी किट आई-टुक नाम की कंपनी ने बनाया है. इस स्कूटर में एक-एक किलो के दो सीएनजी सिलेंडर लगे होंगे.

कंपनी का दावा है कि एक बार पूरी गैस भरने के बाद यह स्कूटर 120 किलोमीटर का सफर तय करेगी. पिज्जा डिलीवर करने वाले वरकर्स को यह मुफ्त में दी जाएगी. करीब 50 स्कूटर जांच के लिए दिए जाएंगे. डिलीवरी बॉय हर रोज स्कूटर की परफारमेंस पर रिपोर्ट देंगे जिसके बाद इसमें जरूरी बदलाव किए जा सकेंगे.

रियो ओलंपिक में मेसी को नहीं मिली जगह

अगस्त में होने वाले रियो ओलंपिक के लिए घोषित अर्जेंटीना फुटबॉल टीम में स्टार खिलाड़ी और अपने देश के लिए सर्वाधिक गोल करने वाले लियोनल मेसी को शामिल नहीं किया गया है.

अर्जेंटीना के कोच गेर्राडो मार्टिनो ने रियो ओलंपिक के लिए जिस 22 सदस्यीय टीम की घोषणा की है उसमें मेसी का नाम नहीं है. ओलंपिक टीम में मेसी का न चुना जाना आश्चर्यचकित करने वाला फैसला है क्योंकि सभी को मेसी के चुने जाने की उम्मीद थी.

मेसी कोपा अमेरिका कप में शानदार फॉर्म में चल रहे हैं और टूर्नामेंट में उन्होंने पांच गोल किये हैं. पांच बार के वर्ल्ड फुटबॉलर आफ द ईयर मेसी हाल ही में अपना 55वां अंतरराष्ट्रीय गोल करके अपने देश के लिए सर्वाधिक गोल कराने वाले खिलाड़ी बने हैं.

मेसी ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने कोपा अमेरिका कप में ही गेब्रियल बतिस्तुता के रिकॉर्ड को भी तोड़ा है. रियो ओलंपिक के लिए इस बार अर्जेंटीना की टीम में नौ खिलाड़ियों को शामिल किया गया है.

अर्जेंटीना की टीम 2004 और 2008 में ओलंपिक चैंपियन रह चुकी है और इस बार भी उन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा है. रियो ओलंपिक में अर्जेंटीना को पुर्तगाल और अल्जीरिया के साथ ग्रुप डी में रखा गया है.

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