भारत के नए मुख्य कोच अनिल कुंबले ने स्वीकार किया है कि उनके काम करने की शैली में ‘जॉन राइट का काफी प्रभाव’ है और वह युवा टीम पर अपने विचार थोपने की जगह उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे.

कुंबले ने कहा, ‘‘सबसे पहले मैं चीजों को समझने की कोशिश करूंगा. उम्मीद करता हूं कि इसके बाद मैं खिलाड़ियों को समझा पाऊंगा. अगर वे इसे प्रभावी नहीं समझेंगे तो वे इसे नहीं अपनाएंगे. मैं चीजों को लागू करने में मदद करने वाले के रूप में काम करने की कोशिश करूंगा.’’

इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘मैं जॉन राइट के मार्गदर्शन में काफी खेला हूं. उनका काफी प्रभाव है और संभवत: मैं भी अपना काम इसी तरह करूंगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई इंडियन्स के मेंटर के तौर पर मैं जॉन को लेकर आया क्योंकि वह भारतीय संस्कृति और यहां कोच कैसे काम करते हैं उसके बारे में काफी कुछ जानते हैं. मैं उन्हीं की तरह काम करने की कोशिश करूंगा. मैं कुछ समय के लिए गैरी कर्स्टन के साथ भी जुड़ा रहा. वह भी पीछे से काम करते हैं और खुद को सामने नहीं आने देते. मैं भी पर्दे के पीछे से काम करने का प्रयास करूंगा.’’

कोचिंग का मतलब कप्तान का बोझ कम करना

कुंबले ने कहा, ‘‘कोच के रूप में मेरा काम कप्तान के कंधे से बोझ को कम करना होगा. क्रिकेट के अलावा क्रिकेट के इतर के फैसले करने होते हैं और यहीं मैं कप्तान के कंधे से काफी बोझ कम कर सकता हूं. जब मैं कप्तान था तो मैंने महसूस किया कि मैदान पर ही नहीं बल्कि बाहर भी फैसले करने होते हैं. मैं इन पर काम करने की कोशिश करूंगा जिससे कि कप्तान का बोझ कम हो.’’

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