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30 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मैं चाहती हूं मेरे पैर खूबसूरत दिखें. क्या करूं.

सवाल

30 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मेरी समस्या मेरे पैरों को ले कर है. मेरे पैरों की त्वचा बहुत ड्राई है, साथ ही पंजों पर टैनिंग भी हो गई है. मैं चाहती हूं मेरे पैर खूबसूरत दिखें ताकि मैं शौर्ट ड्रैसेज पहन सकूं और साथ ही कोई भी फुटवियर मेरे पैरों पर अच्छा दिखे?

जवाब

जहां तक पैरों की ड्राइनैस की समस्या है, तो उस के लिए पैरों की नियमित क्लींजिंग, स्क्रबिंग, टोनिंग और मौइश्चराइजिंग करें. पैरों को गरमी के मौसम में धूप के सीधे संपर्क से बचाएं. इस के अलावा दिन में 8-10 गिलास पानी अवश्य पीएं. इस से पैरों की त्वचा को भीतर से नमी मिलेगी. रात को सोते समय पैरों की अच्छी तरह क्लींजिंग कर के औलिव औयल या मौइश्चराइजिंग क्रीम से मसाज करें. पंजों की टैनिंग के लिए 1 कटोरी में दही, नीबू व टमाटर का रस मिला कर पंजों पर लगाएं. सूखने पर धो लें. ऐसा नियमित करें. नीबू, दही व टमाटर में ब्लीचिंग प्रौपर्टीज होती हैं, जो पैरों की रंगत को निखारने में मदद करती हैं.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

 

 

कितनी बार लांच होंगी श्वेता कुमार

फिल्मकार इंद्र कुमार इन दिनों एक तरफ अपनी एडल्ट कामेडी फिल्म ‘‘ग्रैंड मस्ती’’ को लेकर चर्चा में हैं, तो दूसरी तरफ उन्हे अपनी बेटी श्वेता कुमार की भी चिंता सता रही है. इंद्र कुमार की बेटी श्वेता कुमार दो बार लांच हो चुकी हैं, पर उनका करियर आगे बढ़ ही नहीं पाया. सबसे पहले हिमेश रेशमिया ने अपनी फिल्म ‘‘कर्ज’’ में श्वेता कुमार को अभिनय करने का मौका दिया था. लेकिन ‘कर्ज’ के साथ ही श्वेता कुमार का करयिर डूब गया. उसके बाद खुद इंद्र कुमार ने अपनी बेटी श्वेता कुमार का कैरियर संवारने की जिम्मेदारी लेते हुए फिल्म ‘‘सुपर नानी’’ का निर्माण व निर्देशन किया. इस फिल्म को सफल बनाने के लिए इंद्र कुमार ने नानी के किरदार में मशहूर अदाकारा रेखा के साथ ही रणधीर कपूर को भी जोडा था. मगर फिल्म ‘‘सुपर नानी’’ ने बाक्स आफिस पर पानी नही मांगा और श्वेता कुमार का करियर दूसरी बार भी डूब गया.

पर इंद्र कुमार हार माने को तैयार नही है. अब एक बार फिर वह अपनी बेटी का करियर संवारने जा रहे हैं. इस बार इंद्र कुमार ने अपनी बेटी का करियर संवारने के लिए अपनी 1990 की आमिर खान के अभिनय से सजी सर्वाधिक सफल फिल्म ‘‘दिल’’ का रीमेक ‘दिल 2’ बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें मुख्य भूमिका श्वेता कुमार निभाएंगी.

इस बात को स्वीकार करते हुए इंद्र कुमार बताते हैं-‘‘हर पिता अपने बच्चों की भलाई चाहता हैं. यूं तो मैं चाहता था कि श्वेता बौलीवुड में अपनी जगह स्वयं बनाए. इसीलिए उसने पहले बाहरी बैनर यानी कि हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘कर्ज’ से करियर की शुरूआत की थी. पर ‘कर्ज’ असफल रही और बात नहीं बनी. उसका ‘कर्ज’ में अभिनय करने का निर्णय गलत साबित हुआ. तब मैने उसको लेकर फिल्म ‘सुपर नानी’ बनायी. इस फिल्म में मैने श्वेता को बहुत सशक्त किरदार दिया. पर ‘सुपर नानी’ भी नहीं चली. अब हम ‘दिल 2’ के साथ श्वेता को परदे पर लाने वाले हैं. जो कि मेरी नब्बे के दशक की सफल फिल्म ‘दिल’ का रीमेक होगी. हम इसे वर्तमान समय के अनुसार बनाने वाले हैं. श्वेता के साथ हीरो कोई नया लड़का होगा, उसकी तलाश जारी है. ‘दिल 2’ भी उसकी लांचिंग फिल्म की तरह होगी.’’

सूत्रों की माने तो इंद्र कुमार और आमिर खान के बीच बहुत प्रगाढ़ संबंध हैं, इसलिए इंद्र कुमार ‘दिल 2’ में मेहमान कलाकार के रूप में आमिर खान को जोड़ने वाले हैं.

‘नेता जी’ का लखनऊ जीतो मंत्र

जिस तरह से देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का बडा महत्व है, उसी तरह उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजधानी लखनऊ का महत्व है. उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने लखनऊ को विकास के मौडल की तरह पेश करने की योजना के तहत लखनऊ मेट्रो, गोमती नदी का सौन्दर्यीकरण करना और एशिया के सबसे बडे जनेश्वर मिश्रा पार्क जैसे तमाम प्रोजेक्ट शुरू किये. समाजवादी पार्टी ने लखनऊ में अपनी ताकत बढ़ाने के लिये पार्टी की 2 सबसे महत्वपूर्ण महिला नेताओं को विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिये लखनऊ कैंट और लखनऊ पूर्व से क्रमशः अपर्णा यादव और श्वेता सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. दोनो को ही चुनाव के बहुत समय पहले टिकट दे दिया, जिससे वह अपना पूरा प्रचार कर सके.

अपर्णा और श्वेता दोनो का ही समाजवादी पार्टी से महत्वपूर्ण रिश्ता है. अपर्णा यादव सपा प्रमुख मुलायम की छोटी बहू हैं और श्वेता सिंह समाजवादी महिला सभा की प्रदेश अध्यक्ष हैं. वह पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में हैं. उनको क्षेत्र का समर्थन भी मिल रहा है. लखनऊ में मलिहाबाद, बक्शी का तालाब, सरोजनीनगर, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंट और मोहनलाल गंज 9 विधानसभा सीटे हैं.

पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने लखनऊ की 7 विधानसभा सीटों को जीत कर भारतीय जनता पार्टी को करारी मात दी थी. समाजवादी पार्टी ने लखनऊ की 2 विधानसभा सीटों को जीतने के लिये पार्टी की 2 महिला नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है.

2017 के विधानसभा चुनावों में सपा पुरानी 7 सीटो के साथ बची 2 विधानसभा सीटों को भी अपने कब्जे में कर सके इसके लिये सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पार्टी को ‘लखनऊ जीतो‘ मंत्र दिया है. प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार में लखनऊ के 2 विधायकों रविदास मेहरोत्रा और शारदा प्रताप शुक्ला को मंत्री बना दिया. अब लखनऊ के 7 में से 3 विधायक मंत्री है. पूरे प्रदेश के किसी दूसरे जिले से इतने मंत्री नहीं है.

दरअसल जिस समय समाजवादी पार्टी ने लखनऊ कैंट की हारी हुई विधानसभा सीट से अपर्णा यादव को टिकट दिया था, उस समय यह कहा गया कि मुलायम की बहू के लिये यहां से जीतना संभव नहीं होगा. लखनऊ कैंट का चुनावी समीकरण पूरी तरह से सपा के विरोध में था. अपर्णा यादव के चुनाव हार जाने के बाद यह आरोप लगना तय था कि जानबूझ कर ऐसी सीट से अपर्णा को टिकट दिया गया जहां से वह हार जाये. समाजवादी पार्टी के बदले समीकरण में लखनऊ कैंट की सीट जीतना सबसे जरूरी लक्ष्य हो गया है. इसके लिये मुलायम ने लखनऊ में जनाधर रखने वाले विधायकों रविदास मेहरोत्रा और शारदा प्रताप शुक्ला को मंत्री बनवा दिया.

बहू की जीत की राह को सरल करने के लिये मुलायम विरोधी दलों से भी इस सीट पर कमजोर प्रत्याशी उतारने का दांव चल सकते हैं. लखनऊ कैंट की वर्तमान विधायक रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस की नेता हैं. उनके कांग्रेस छोडने की खबरे भी चर्चा में रहती हैं. भाजपा इस सीट पर कमजोर प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारे इसके लिये भाजपा के बडे नेताओं को साधने का काम किया जा सकता है. अपर्णा यादव खुले मंच पर भाजपा नेता राजनाथ सिंह के पैर छू कर उनका आर्शीवाद ले चुकी हैं. समय समय पर अपर्णा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की तारीफ भी कर चुकी है. ऐसे में उनकी राह सरल दिख रही है.                      

सरदार सिंह के खिलाफ FIR की मांग!

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की और भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला हॉकी खिलाड़ी के कथित यौन उत्पीड़न पर भारतीय हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की.

मालीवाल ने महिला हॉकी खिलाड़ी के साथ सुषमा से उनके निवास पर मुलाकात की और शिकायत की कि डीसीडब्ल्यू के लगभग 14 दिन पहले शिकायत देने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.

मालीवाल ने बैठक के बाद कहा, ‘हमने 14 दिन पहले शिकायत उनके पास भेजी लेकिन अब तक कोई एफआईआर नहीं की गई. मामला बनता है या नहीं इसकी बाद में जांच हो सकती है लेकिन एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई.’

महिला ने डीसीडब्ल्यू से संपर्क करके आरोप लगाया था कि सरदार ने उनका शारीरिक उत्पीड़न किया, उन्हें दिल्ली में पांच सितारा होटल के शीर्ष तल से धक्का देने का प्रयास किया गया और बाद में सरदार ने उनके साथ बलात्कार किया.

मालीवाल ने कहा, ‘सुषमा स्वराज ने हमें आश्वासन दिया है कि वे इस मुद्दे को देखेंगी और जल्द की एफआईआर दर्ज की जाएगी.’ इससे पहले सरदार अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि आरोप ‘अनुचित’ और ‘झूठे’ हैं.

आईफोन यूजर्स जल्द सुन पायेंगे मनपसंद तराने

जैसा कि आप सब जानते हैं, एंड्रायड में व्हाट्सएप के जरिए गाने भेजना आम बात है लेकिन यही सर्विस आईओएस में उपलब्ध नहीं है. इसी के चलते व्हाट्सएप जल्द ही एक नया फीचर ला सकता है जिसके जरिए आईओएस यूजर्स भी एक दूसरे को व्हाट्सएप के जरिए गाने भेज पाएंगे. अगर सोशल मीडिया की बात की जाए तो आईओएस में व्हाट्सएप पर इस फीचर का न होना एक बहुत बड़ी कमी है. वहीं, एक जर्मन साइट Macerkopf की मानें तो जल्द ही व्हाट्सएप आईओएस में म्यूजिक शेयरिंग फीचर ला सकता है.

फिलहाल, आईओएस व्हाट्सएप(वर्जन 2.16.6) यूजर्स केवल फोटो, लोकेशन, वीडियोज, कॉन्टैक्ट और डॉक्यूमेंट्स भेज सकते हें. इसके अलावा ऑडियो फाइल्स को रिसीव भी कर सकते हैं लेकिन उसे अपने फोन में सेव नहीं कर सकते. प्राप्त खबरों की मानें तो व्हाट्सएप का बेटा वर्जन 2.16.7.257 के जरिए म्यूजिक को शेयर किया जा सकेगा जिसे आईओएस यूजर्स अपने फोन में भी सेव कर पाएंगे.

सरोगेसी से अविवाहित तुषार कपूर बने पिता

अभिनेता तुषार कपूर एक बेटे लक्ष्य के पिता बन गए हैं और इसी के साथ अब अपने समय के मशहूर अभिनेता जीतेंद्र दादा तथा ‘टीवी क्वीन’ के रूप में मशहूर निर्माता एकता कपूर बुआ बन गयी हैं. माना कि तुषार कपूर ने अभी तक शादी नही की है, मगर यह खबर कोई फिल्मी गासिप नही है, बल्कि एक हकीकत है.

पिछले कुछ वर्षों से तुषार कपूर अपनी मित्र मंडली में जब कहते थे कि वह 40 साल की उम्र से पहले ही बिना शादी किए ही पिता बन जाएंगे, तो किसी को भी उन पर यकीन नहीं होता था. एक दो बार तुषार ने अपनी मित्र मंडली के बीच किसी बच्चे को गोद लेने की भी इच्छा जाहिर की थी, पर इस तरह वह पिता बनने वाले हैं, इसकी भनक तो तुषार कपूर की मित्र मंडली को भी नहीं थी. बहरहाल, मुंबई के मशहूर ‘जसलोक अस्पताल’ के डाक्टरों के सहयोग से सरोगसी तकनीक से तुषार कपूर एक बेटे के पिता बने हैं, जिसका नाम उन्होंने लक्ष्य रखा है. लक्ष्य के दादा दादी बनकर जीतेंद्र और उनकी पत्नी शोभा कपूर बहुत खुश हैं.

लक्ष्य का पिता बनने के बाद तुषार कपूर ने कहा-‘‘पिता बनकर मैं खुश हूं. मेरा बेटा लक्ष्य हमारे घर पहुंच चुका है. मेरे दिल व दिमाग में पैतृक भावनाएं उमड़ घुमड़ रही हैं. मेरे पास पिता बनने की खुशी बयां करने के लिए शब्द नहीं है. ईश्वर की कृपा और जसलोक अस्पताल के डाक्टरों की टीम की बदौलत यह संभव हो पाया. अब कई पुरूष इस तकनकी से सिंगल पिता बन सकते हैं.’’

जसलोक अस्पताल में ‘आईवीएफ और जेनेटिक की निदेशक डाक्टर फिरूजा पारखि कहती हैं-‘‘मैं तुषार कपूर के पिता बनने के पक्के इरादे से प्रभावित हूं. उन्होंने हर कदम पर बच्चे की सेहत का ख्याल रखा. वह एक अच्छे भावुक व बेटे की अच्छी परवरिष करने वाले पिता साबित होंगे.’’ एक तरफ तुषार कपूर पिता बनकर खुश हैं, तो दूसरी तरफ दादी बन चुके जीतेंद्र व शोभा कपूर को अपने बेटे तुषार कपूर पर गर्व है. इन्होंने मीडिया को जारी बयान में कहा है-‘‘हम लक्ष्य को पाकर खुश हैं. हम अपने बेटे तुषार के इस निर्णय के साथ हैं. तुषार अच्छा बेटा है. हमें उस पर गर्व है. हमने उसे जो छूट दी है, वह जिस तरह से जिम्मेदारियां निभाता है, उसके अंदर जो दया भाव है, उससे वह एक अच्छा पिता साबित होगा.’’

अक्षय कुमार को पाकिस्तानी अभिनेत्रियों का सहारा

बौलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि तमिल फिल्म ‘‘कथथि’’ की हिंदी रीमेक फिल्म ‘‘इक्का’’ में अक्षय कुमार पाकिस्तानी फिल्म ‘‘मन मयाल’’ की अदाकारा माया अली और पाकिस्तानी माडल सादिया खान के साथ अभिनय करने वाले हैं. सूत्रों की माने तो ‘‘लायका प्रोडक्शन’’ के निमंत्रण पर माया अली और सादिया खान पिछले सप्ताह भारत आयी थीं. यूं तो ‘‘लायका प्रोडक्शन’’ की तरफ से इस संबंध में चुप्पी साधी गयी है. पाकिस्तानी अभिनेत्री माया अली भी चुप हैं. मगर पाकिस्तान पहुंचने के बाद वहां की मीडिया से बात करते हुए सादिया खान ने कहा है-‘‘मुझे और माया अली को बौलीवुड फिल्म का आफर मिला है. मैं इसमें सिर्फ आइटम नंबर नही कर रही हूं. मुझे फिल्म ‘इक्का’ में अक्षय कुमार की हीरोईन के किरदार का आफर दिया गया है. मुझे फिल्म की पटकथा और अपना किरदार पसंद आया.’’ तो क्या माया अली इस फिल्म में नही होंगी? इस पर सादिया ने कहा है-‘‘अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. क्योंकि अभी भी बातचीत चल रही है.’’ सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘‘इक्का’’ में दो हीरोईनें होंगी. इस फिल्म में अक्षय कुमार की दोहरी भूमिका है.

‘पंजाबी फिल्मों के बाद बौलीवुड में छा जाने की तमन्ना’

इन दिनों पंजाबी फिल्मों में स्टार बनने के बाद बौलीवुड की तरफ मुड़ने वाले कलाकारों की संख्या बढ़ती जा रही है. पंजाबी के स्टार अभिनेता दिलजीत दोसांज के बाद अब बौलीवुड में छा जाने की तमन्ना लेकर पंजाबी की सुपर हिट फिल्म ‘‘मुंडे कमाल दे’’ की चर्चित अदाकारा सुफी गुलाटी भी बौलीवुड पहुंच गयी हैं. सुफी गुलाटी बालीवुड में अपने करियर की शुरूआत गीतकार से निर्माता बने फाएज अनवार और प्रेम प्रकाश गुप्ता की फिल्म ‘‘लव के फंडे’’ से कर रही हैं.

जुलाई में प्रदर्शित होने वाली लेखक व निर्देशक इंदरवेश योगी की फिल्म ‘‘लव के फंडे’’ में सुफी गुलाटी ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली अमीर लड़की रिया का किरदार निभाया है, जो कि खुद अपने बिजनेस एम्पायर को संभालती है.

बौलीवुड में कदम रखने के अपने निर्णय की चर्चा करते हुए सुफी गुलाटी कहती हैं-‘‘मुझे लगता है कि मेरी तकदीर में अभिनेत्री बनना लिखा था. मैं पंजाब के ऐसे परिवार से हूं, जहां लड़कियों को घर से बाहर निकलने की आजादी बहुत कम होती है. पर मुझे पढ़ाई करने की छूट मिली. पंजाब में पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने दिल्ली से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया. यह कोर्स करते हुए ही मुझे पंजाबी फिल्म ‘मुंडे कमाल दी’ में हीरोईन बनने का आफर मिला, तो मैंने लपक लिया. जिसे पंजाब में जबरदस्त सफलता मिली. इस फिल्म की सफलता से प्रेरित होकर मैं मुंबई चली आयी. यहां पर मुझे फिल्म ‘लव के फंडे’ मिल गयी. इस फिल्म में मेरा रिया का काफी इमोशनल किरदार है. मेरे किरदार का युवा पीढ़ी पर काफी प्रभाव पड़ेगा. क्योंकि रिया लिव इन रिलेशनशिप में रहती है, जिसकी वजह से उसकी जिंदगी में काफी उतर चढ़ाव आते हैं. इससे अधिक अभी कुछ नही कहूंगी.’’

NSG: समर्थन और विरोध के बीच झूलता भारत

न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप (एनएसजी) के सदस्य 48 देशों के संगठन में भारत ने अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए भले पूरा जोर गला दिया था, लेकिन यह भी कड़वी सच्चाई है कि एनएसजी में भारत की एंट्री को फिलहाल बड़ा धक्का लगा है. सबसे बड़ा रोड़ा चीन बना हुआ है. हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने बेशक चीनी प्रधानमंत्री शी जिंगपिंग को उनके भारत दौरे पर खूब झूला झुलाया. लेकिन एनएसजी के मामले में चीन ने भारत को झुला दिया. भारत के लिए सुकून की बात यह रही कि चीन की ओर से लगातार रोड़ा अकटाए जाने के बावजूद एनएसजी में भारत की एंट्री को लेकर तीन घंटे चर्चा हुई. लेकिन चर्चा बेनतीजा ही रहा. इसीलिए इस मुद्दे पर एक बार फिर से इसी साल विचार करने की भी खबर है.

सियोल में हुई एनएसजी के 26वें प्लेनरी ‍‍‍मिटिंग भारत उपस्थित तो नहीं था, लेकिन बैठक में भारत के मित्र और शुभाकांक्षी देशों से प्राप्त हुई जानकारी के हवाले से विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया, जिसमें साफ तौर कहा गया है कि एनएसजी में नए देशों की एंट्री को लेकर चर्चा हुई और भारत के पक्ष में कई देश सामने आए. इसी समर्थन से भारत को एक उम्मीद की किरण नजर आयी है. जबकि बैठक से बहुत पहले ही चीन ने बार-बार दावा करता रहा कि बैठक में भारत की एंट्री पर अगल से चर्चा नहीं होगी, क्योंकि प्लेनरी ‍मि‍‍टिंग में नए सदस्यों की एंट्री पर कभी चर्चा नहीं होती है. बावजूद इसके ‍सियोल में भारत की एंट्री पर तीन घंटे चर्चा हुई और भारत को कई देशों का समर्थन भी मिला.

अब सवाल यह है कि भारत आखिर एनएसजी की सदस्यता आखिर क्यों चाहता है? हाल ही में पेरिस में हुए जलवायु परिवर्तन को लेकर हुई बैठक में 170 देशों ने पूरे विश्व में कार्बन के उत्सर्जन की मात्रा को कम करने पर सहमति जाहिर करने के साथ इसके प्रति प्रतिबद्धता भी जतायी थी. इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए भारत के लिए जरूरी है वह 2030 तक गैर जीवाश्म संसाधन के जरिए 40 प्रतिशत बिजली की उत्पादन की क्षमता को प्राप्त कर ले. इसी कारण भारत का एनएसजी क सदस्यता चाहता है. अगर सदस्यता मिल गयी तो ऊर्जा सुरक्षा बढ़वा देने और जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने में भारत की अपने आपको सक्षम कर पाएगा. वहीं एनएसजी में भारत की एंट्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का मामला बन गया है. हालांकि चीन की सहमति प्राप्त करने के लिए भारत हर किस्म का कूटनीतिक रास्ता अपना रहा है. लेकिन इस कोशिश को एक अओर बड़ा धक्का तब लगा जब हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को बड़ी हताशा के साथ चीन के दौरे को पूरा करना पड़ा.

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भले ही भारत की एंट्री पर भले ही मुहर लगा दी है, लेकिन अगर बराक ओबामा के रहते अगर यह नहीं हो पाया और ट्रंप अगर अगले राष्ट्रपति बन गए तो यह मामला सालों-साल खिंच जाना तय है. जहां तक हिलरी का सवाल है तो अभी तक भारत के समर्थन में हिलरी बराक ओबामा के साथ खड़ी दिख रही हैं और अमेरिका में भारतीय मूल के छात्र हिलरी के समर्थन में है, ऐसे में हिलरी के अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनने की सूरत में आगे भी एनएसजी में भारत की एंट्री को अमेरिका का समर्थन मिलेगा. इसी की ज्यादा उम्मीद है. बहरहाल, एनएसजी में भारत के कदम रखने के मामले 48 देशों के इस संगठन में एक गुट अलग-थलग हो गया है और इस गुट के नेतृत्व चीन कर रहा है. चीन के नेतृत्व में और भी कई देशों ने सियोल बैठक में भारत के प्रवेश पर अडंगा लगा. इस अडंगे के पीछे परमाणु अप्रसार संधि का जिन्न ही है जो एक बार फिर से भारत का पीछा कर रहा है. दरअसल, चीन समेत एनएसजी में भारत के प्रवेश की मुखालफ करने वाले देश परमाणु अप्रसार संधि का मामला उठा रहे हैं. गौरतलब है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने इंकार कर दिया है. भारत का मानना है कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) और व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) यानि परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि अपने आपमें भेदभावपूर्ण संधि है.

1996 में अस्तित्व में आए सीटीबीटी पर अभी तक 178 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किया है. लेकिन भारत के साथ पाकिस्तान ने भी इस पर हस्ताक्षर नहीं किया. वहीं 1968 में आए परमाणु असप्रसार संधि 190 देशों ने हस्ताक्षर किया है. लेकिन भारत पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया इसके सदस्य नहीं हैं. दरअसल, एनपीटी का उद्देश्य दुनिया भर में परमाणु हथियार के प्रसार पर पर नियंत्रण करना है. इसका प्रसताव आयरलैंड ने रखा था. इस संधि के तहत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र की श्रेणी में केवल उन्हीं देशों को रखने का प्रावधान किया था जिन देशों ने 1967 से पहले परमाणु हथियार का परीक्षण कर लिया है. यहां गौरलतब है कि भारत ने 1974 में पोखरण में परमाणु पहले परमाणु परीक्षण किया. और भारत के बहुत बाद में पाकिस्तान ने किया. लेकिन उत्तर कोरिया एक राष्ट्र है, जिसने संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद उसका उल्लंघन किया. जहां तक इजराइल का सवाल है तो अपने परमाणु भंडार के बारे में इजराइल ने अभी खुलासा नहीं किया है. इसीलिए इन देशों को परमाणु अप्रसार संधि वाले सदस्य देशों में शामिल नहीं किया गया है. बहरहाल, चीन का तर्क यह है कि भारत अगर एनपीटी यानि परमाणु अप्रसार संधि में शामिल नहीं है तो एनएसजी में शामिल भला कैसे हो सकता है.

लेकिन चीन द्वारा इस विरोध का एक दूसरा पहलू भी है और वह चीन का पाकिस्तान का गौड फादर बनना. गौरतलब है कि चीन की शह पर पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन कर रखा है. चीन चाहता है अगर एनएसजी में भारत को प्रवेश की छूट मिलती है तो पाकिस्तान को क्यों नहीं? क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही परमाणु अप्रसार संधि का सदस्य देश नहीं है. दूसरा तर्क यह है कि अगर अकेले भारत को यहां प्रवेश की अनुमित मिल जाती है तो भविष्य में भारत हमेशा पाकिस्तान को एनएसजी से दूर रखने की कोशिश करेगा. इससे पाकिस्तान को एनएसजी में प्रवेश नहीं मिल पाएगा, क्योंकि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में हर काम सर्वसम्मत निर्णय से होतारहा है.

बहरहाल, आखिर कौन-कौन से वे देश हैं जो एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध कर रहे हैं? मोटे तौर पर चीन के अलावा और ऐसे सात देश हैं, जो नहीं चाहते कि भारत एनएसजी में शामिल हो. ब्राजील भी नहीं चाहता कि भारत एनएसजी में शामिल हो. हालांकि पिछले दिनों ब्राजील के साथ भारत की द्विपक्षीय वार्ता काफी सफल रही, लेकिन बावजूद इसके इस मामले में ब्राजील चीन के साथ खड़ा है. वह भी परमाणु अप्रसार संधि पर भारत द्वारा हस्ताक्षर न किए जाने तक एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध करेगा. वहीं जहां तक स्विट्ज़रलैंड का सवाल है तो वह बार-बार अपना मन बदल रहा है. शुरू से ही उसने एनएजी में भारत का विरोध किया था, लेकिन नरेंद्र मोदी के स्विट्ज़रलैंड दौरे के बाद उसने अपना मन बदल लिया था और उसने भारत का समर्थन करने की घोषणा कर दी थी. लेकिन सियोल बैठक में चर्चा के दौरान उसने एक बार फिर चीन का साथ देते हुए भारत का विरोध किया था.

अब दक्षिण अफ्रीका की बात करें तो भारत के साथ इसके हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं. लेकिन एनएसजी के सवाल पर तमाम संबंधों को किनारा करके दक्षिण अफ्रीका ने अपना विरोध ही दर्ज किया है. भारत को दक्षिण ूअफ्रीका से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. अब अगर औस्ट्रिया को लें तो ब्राजील की ही तरह यह भी शुरू से ही नहीं चाहता है कि भारत को एनएसजी में कदम रखने का मौका मिले.

आयरलैंड ने भी भारत के आगे यही शर्त रखी है कि भारत पहले एनपीटी में हस्ताक्षर करे, तभी उसे एनएसजी में उसे एंट्री मिले. हालांकि भारत की परमाणु सुरक्षा रिकौर्ड को देखते हुए आयरलैंड ने भारत का समर्थन किया था. लेकिन खबर है कि बैठक में उसने अपना फैसला बदल कर विरोध की जताया है. वहीं यूरोपीय देश तुर्की पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए हमेशा से भारत के एनएसजी में प्रवेश का विरोध करता रहा है. हालांकि इस मामले में भारत के पक्ष में अमेरिका की सक्रियता को देखते हुए बताया जा रहा था कि सियोल बैठक में तुर्की भारत के पक्ष में अपना फैसला सुनाएगा. लेकिन तुर्की के मामले में भारत को आशंका पहले से थी. और हुआ भी वहीं. बैठक में तुर्की कहा कि एनएसजी में सदस्यता के लिए अकेले भारत के आवेदन पर नहीं, बल्कि पाकिस्तान के भी आवेदन पर विचार किया जाना चाहिए.

भारत का विरोध करने वाले देश में एक न्यूजीलैंड भी है. यह भी शुरू से भारत का विरोध करता रहा है. बताया जाता है कि अमेरिकी दबाव में आकर न्यूजीलैंड विरोध का रास्ता छोड़ दिया था. लेकिन उसके बाद सियोल बैठक में इस मामले में न्यूजीलैंड का रूख साफ नहीं हो पाया है. बहरहाल, इस साल के एनएसजी में भारत समेत नए देश की दावेदारी पर फिर से बैठक होनी है. अब तो यह समय ही बताएगा कि भारत को अकेले इसमें प्रवेश मिल जाएगा या पाकिस्तान भी इसमें शामिल होगा?

अफ़्तारी की सियासत

ज्ञात इतिहास में कांग्रेस पहली दफा रोजा अफ़्तारी की पार्टियां आयोजित नहीं करेगी और श्रुति व स्मृति के आधार पर कहा जा सकता है कि आरएसएस पहली बार रोजा अफ़्तारी का जलसा कर रहा है. दूसरी बात ज्यादा दिलचस्प अहम और चिंताजनक है. कल तक मुसलमानो और इस्लाम के नाम से बिदकने वाले संघ की सेहत या तो गड़बड़ है या फिर दशकों पुराना मर्ज ठीक हो रहा है, यह कहना थोड़ा मुश्किल है पर इतना जरूर तय है कि राजनीति नई करवट ले रही है. यह करवट दो टूक कहा जाए तो शुद्ध धार्मिक है, इसके पीछे कोई उदारता, उपकार या भाईचारे की भावना नहीं है, बल्कि स्वार्थ है जिसका मकसद यह है कि पंडे मौलवी सब मिलबांट कर खाएं अपने अपने अनुयायियों को लूटें.

देश का माहौल दान दक्षिणा और धार्मिक बना रहे इसके लिए सब एकजुट होने तैयार हैं. भाजपा सत्ता में है और आगे भी बने रहने जरूरी हो गया है कि वह मुस्लिम वोटों का बटवांरा करे. उदाहरण उत्तर प्रदेश का लें तो भाजपा को मुस्लिम वोट नहीं चाहिए, वह चाहती है कि ये वोट सपा, बसपा और कांग्रेस में बंट जाएं तभी उसे फायदा है. बिहार में कांग्रेस लालू और नीतीश के साथ थी इसलिए मुस्लिम वोटो का बंटवारा नहीं हुआ. पश्चिम बंगाल मे ममता मुस्लिम वोट वटोर ले गईं, तो तमिलनाडु में जयललिता के खाते में ये वोट गए.

रोजा अफ़्तारी इन्हीं समीकरणों का आविष्कार है कि अब भाईचारे का दिखावा किया जाए, ठीक वैसे ही जैसे पंडित नेहरू और उनके वारिसान करते थे, लेकिन अब सोनिया हिम्मत हारते अफ़्तारी सियासत से किनारा करते उनके खजूर और राशन गरीबों में बांटने की बात कर रही हैं, तो कांग्रेस की गिरती माली हालत देख लोग मज़ाक में कह भी रहे हैं कि बेहतर होगा कि ये खजूर (काजू तो बचे नहीं) और राशन वह जकात और खैरात समझ खुद रख ले, अल्ला ताला ने चाहा तो फिर अच्छे दिन आएंगे, जो हाल फिलहाल नागपुर में ठहर गए हैं.

संघ का सच और मंशा अभी हर कोई नहीं समझ रहा कि भारत माता की जय बुलवाने वह साम, दाम, दंड, भेद सब हथकंडे अपनाएगा. अभी तो अफ़्तारी की आड़ में मुसलमानो को पुचकारा जा रहा है. अब कट्टर मुस्लिमों और संगठनों की रणनीति और प्रतिकिया आना बाकी है, मुमकिन है जवाब में वे भी नवरात्रि के दिनो में लंगर और भंडारे आयोजित करने लगें, यानि गंगा जमनी तहजीब को शबाब पर लाकर ही छोड़ें, ताकि दुकान चलती रहे. इसके लिए दोनों धर्मों के दुकानदार गले मिलने भी तैयार हैं और जरूरत पड़े तो काटने भी.

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