Download App

अलविदा अली

दुनिया के महान मुक्केबाज मुहम्मद क्ले अली अब हमारे बीच नहीं रहे. चाहे वियतनाम युद्ध के खिलाफ उन की मुहिम हो या फिर नस्लभेद के खिलाफ लड़ाई, लोगों से जुड़े हर मसले को उठाने में वे आगे रहते थे. यही कारण था कि 3 दशकों तक उन्होंने लोगों को अपना मुरीद बनाए रखा.  मुहम्मद अली का असली नाम कैसियस क्ले था. जब उन का जन्म हुआ तो अमेरिका में नस्लभेद अपने चरम पर था. इस समस्या से परेशान हो कर उन्होंने इसलाम धर्म कबूल कर लिया और बाद में कट्टरपंथियों ने उन का जीना हराम कर दिया. उन का जीवन कम कष्टदायक नहीं रहा. माना जाता है कि एक बार लुई विला के बाजार में उन्हें प्यास लगी तो एक दुकानदार से पानी मांगा. दुकानदार श्वेत था, इसलिए पानी देने से मना कर दिया. अली को इस से गहरा धक्का लगा. यह बात उन के मन में घर कर गई.

अली के जीवन में टर्निंग पौइंट 1954 में आया जब वे 12 वर्ष के थे. एक जिम के निकट उन की साइकिल चोरी हो गई. उन्होंने जिम मास्टर जो मार्टिन से कहा कि उन की साइकिल चोरी हो गई और वहीं उन्होंने कसम खाई कि जिस ने भी उन की साइकिल चुराई है उसे वे घूंसे से सबक सिखाएंगे. इस बात से जो मार्टिन, जो अश्वेत थे, ने कहा कि इस के लिए तुम्हें हमारे पास रोज जिम आना पड़ेगा. उस के बाद अली रोज अभ्यास करने लगे. धीरेधीरे अली मुक्केबाजी प्रतियोगिता में भाग लेने लगे. अली के लिए सब से अच्छा यह रहा कि उन्हें ऐंजलो डंडी जैसे प्रशिक्षक का साथ मिला और वर्ष 1960 में रोम ओलिंपिक में मुहम्मद अली को स्वर्ण पदक मिला. स्वर्ण पदक से पूर्व अली ने बड़ेबड़े मुक्केबाजों से मुकाबला किया. उन्होंने खतरनाक माने जानेवाले मुक्केबाज सोनी लिस्टन, जौर्ज फोरमैन जायरे, सोवियत रूस के गैनेडी शातको जैसों को धूल चटा दी.

मुहम्मद अली के दौर में न तो उतनी सुविधाएं थी और न ही सोशल मीडिया व टैलीविजन. फिर भी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं थी. उन्होंने लाखों डौलर कमाए और जब भी प्रतियोगिता रिंग में लड़ने को उतरते तो उन के सम्मान में लोग खड़े हो कर उन का अभिवादन करते थे. अली को एक बार और नस्लभेद को ले कर तब धक्का लगा जब वे पदक जीतने के बाद एक रेस्तरां में दोस्तों के साथ गए और वेटर को और्डर देने के लिए बुलाया. तब वेटर ने और्डर लेने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि अली अश्वेत थे. अली ने उसे वह पदक भी दिखाया कि वे ओलिंपिक में स्वर्ण विजेता हैं पर उस वेटर पर उस का कोई असर नहीं हुआ. इस बात से अली को जबरदस्त धक्का लगा और उन्होंने गुस्से में आ कर गले से पदक निकाला और ओहायो नदी के पुल पर जा कर नीचे फेंक दिया.

उस के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और प्रतियोगिता में बड़ेबड़े मुक्केबाजों को धूल चटाते रहे और 61 पेशेवर लड़ाइयों में उन्होंने 56 प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की. 1981 में उन्होंने आखिरी फाइट लड़ी और हैवीवेट के नियमों में बदलाव के बाद मजबूरी में उन्होंने रिटायरमैंट ले ली. उस के बाद भी वे दुनियाभर में शांति और सौहार्द के लिए लौ जलाते रहे. अली की 4 पत्नियां और 9 बच्चे हैं. एक बेटी लैला, अपने पिता की तरह विश्व चैंपियन मुक्केबाज है. अली को वर्ष 2005 में अमेरिकी राष्ट्रपति जौर्ज बुश ने इंसानियत के लिए किए गए कार्यों के लिए विशेष पदक दिया था. जब वे भारत आए थे तो उन्होंने गरीब लोगों के लिए धन भी एकत्र किया था. ऐसे महान खिलाड़ी के साथसाथ ऐसे इंसान का जाना वाकई दिल को अखरता है.

बौस नहीं दोस्त की तरह रहे कोच

भारतीय क्रिकेट टीम का कोच बनना आसान काम नहीं है. बीसीसीआई ने कोच के लिए विज्ञापन दिया तो इस पद के लिए सरकारी नौकरियों के परीक्षार्थियों की तरह देशीविदेशी दिग्गजों की होड़ लग गई. हालांकि इस पद के लिए विदेशी कोच को तरजीह दी जाती रही है पर इस बार देशी दिग्गजों की होड़ लगी हुई है जिस में प्रमुख रूप से रवि शास्त्री, अनिल कुंबले, संदीप पाटिल, वेंकटेश प्रसाद, प्रवीण आमरे, लालचंद राजपूत और बलविंदर सिंह संधू हैं. देश व विदेश से बीसीसीआई के पास कुल 57 आवेदन आए हैं. उम्मीद की जा रही कि बीसीसीआई की अगली कार्यसमिति की बैठक में तय हो जाएगा कि टीम इंडिया का मुख्य कोच कौन होगा.

वैसे इशारोंइशारों में महेंद्र सिंह धौनी ने साफ कर दिया है कि कोच वही बने जो टीम और भारतीय संस्कृति को समझे. कोच को सभी खिलाडि़यों के साथ तालमेल बैठाना होता है और यह जगजाहिर है कि पिछले कुछ कोचों के साथ खिलाडि़यों का व्यवहार या यों कहें कि कोच खिलाडि़यों के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाए चाहे जौन राइट हों, ग्रेग चैपल या फिर डंकन फ्लेचर हों. कोच बौस की तरह नहीं बल्कि दोस्त की तरह खिलाडि़यों के साथ ट्रीट करे, इसलिए टीम की बेहतरी के लिए सही कोच का चयन अहम चुनौती होता है. हालांकि यह भी पक्का है कि बीसीसीआई में जिस की ज्यादा चलती है, कोच वही होगा.

सात माह बाद सूचकांक 27 हजार के पार

शेयर बाजार के लिए मई का आखिरी और जून का शुरुआती सप्ताह उत्साहवर्द्धक रहा. जून की शुरुआत में बाजार लगातार दूसरे सप्ताह तेजी पर रहा. अर्थव्यवस्था के प्रति वैश्विक परिदृश्य की अभिव्यक्ति से बाजार में रौनक बनी रही और 7 माह बाद बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई का सूचकांक पहली बार 27,000 अंक के पार पहुंचा. रुपया भी मजबूत स्थिति में है.

लंबे समय बाद बाजार लगातार 5 दिनों तक तेजी पर रहा और 4 हफ्तों के उच्चतम स्तर पर पहुंचा है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल भी लंबे समय बाद 50 डौलर प्रति बैरल की दर को पार कर गया है. इस से बाजार में विश्वास बढ़ा है. इस से पहले तेल के दाम में लगातार गिरावट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के कमजोर होने की आशंका से बाजार में खलबली का माहौल था.

अब कंपनियों के वित्त वर्ष की पहली तिमाही के परिणाम भी आने शुरू होंगे. सूचना तकनीकी कंपनी इन्फोसिस का पहली तिमाही में लाभ कम रहने की संभावना है जिस का असर बाजार में देखने को मिल रहा है. इस वजह से बाजार में जारी तेजी को ब्रेक लगा है. इस के बावजूद शेयर बाजार में तेजी के संकेत हैं.

 

फ्लैट टीवी बिक्री में बहुराष्ट्रीय कंपनियां पिछड़ीं

टैलीविजन स्क्रीन का बाजार बदल गया है. बाजार में फ्लैट टीवी की देसी कंपनियों का कब्जा है. शुरुआत में इस बाजार पर सैमसंग, एलजी तथा सोनी जैसी कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा रहा है. इस से पहले भी परंपरागत टीवी बाजार में इन्हीं कंपनियों की धाक रही है. भारत के विशाल मोबाइल फोन उपकरण बाजार पर भी इन्हीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा रहा है लेकिन अब स्थिति पलट गई है. मोबाइल बाजार में देसी कंपनियों ने कब्जा कर लिया है. डेढ़दो दशकों पहले जापान तथा कोरिया की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने सशक्त नैटवर्क तथा देसी कंपनियों के टीवी की तुलना में सस्ते टीवी दे कर और अच्छी तकनीक की वजह से बीपीएल, वीडियोकोन तथा ओनिडा जैसी भारतीय कंपनियों को तबाह कर दिया था लेकिन आज स्थिति उलट गई है.

भारतीय कंपनियां इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खतरा बन गई हैं. माइक्रोमैक्स, वीयू, इनटैक्स जैसी देसी कंपनियां अच्छी तकनीकी तथा एलजी, सोनी, सैमसंग की तुलना में 30-40 फीसदी सस्ती दर पर टीवी बेच रही हैं. बड़ी बात यह है कि अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को मात देने के लिए देसी कंपनियों ने सब से पहले छोटे शहरों के बाजारों पर कब्जा किया. इन बाजारों में ग्रामीण क्षेत्र का भी जबरदस्त दखल है. वीयू ने नैटफ्लीक्स फ्लैट टीवी को और ज्यादा नई तकनीक के साथ पेश किया है. उस ने अपने उत्पाद बेचने के लिए फ्लिपकार्ट जैसी औनलाइन कंपनी के साथ समझौता किया है.

टीवी बेचने और विदेशी कंपनियों को मात देने का जो नया तरीका देसी कंपनियों ने निकाला है उस से उन के राजस्व में जबरदस्त वृद्धि हुई है. नतीजतन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए बाजार में टिका रहना कठिन हो गया है. देसी कंपनियों की यह रणनीति मेक इन इंडिया के लिए महत्त्वपूर्ण कदम है.

बढ़ रहा है प्रिंट मीडिया का सर्कुलेशन

टैलीविजन समाचार चैनलों की बाढ़ तथा इंटरनैट के प्रभाव के कारण सूचना की दुनिया में आए क्रांतिकारी बदलाव के बीच यह अवधारणा बढ़ती जा रही है कि अब प्रिंट मीडिया धीरेधीरे महत्त्वहीन हो रहा है. समाचारपत्र, पत्रिकाएं और प्रिंट मीडिया का आधार न्यूज एजेंसियों का महत्त्व अब कम हो रहा है लेकिन औडिट बयूरो औफ सर्कुलेशन यानी एबीसी की ताजा रिपोर्ट उन अटकलों को खारिज करती है. अखबारों और पत्रिकाओं के सर्कुलेशन को प्रमाणित करने वाली इस मानक संस्था ने कहा है कि 2008 से 2015 के बीच प्रिंट मीडिया का सर्कुलेशन 5.04 प्रतिशत बढ़ा है.

देश की विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित पत्रपत्रिकाओं के सर्कुलेशन पर मानक रिपोर्ट देने वाली इस संस्था का कहना है कि प्रिंट मीडिया का काम प्रभावित नहीं हुआ है और जबरदस्त प्रतिस्पर्धा के बीच देश में प्रिंट मीडिया का विस्तार हो रहा है. प्रिंट मीडिया को टीवी, न्यूज पोर्टल, रेडियो तथा अन्य डिजिटल माध्यमों से जबरदस्त चुनौती मिल रही है.

एबीसी के दैनिक और साप्ताहिक सदस्य अखबारों की संख्या करीब पौने सात सौ है और पत्रिकाओं की संख्या 50 से अधिक है. ये सभी हर 6 माह में अपने सर्कुलेशन की रिपोर्ट एबीसी को सौंपते हैं और फिर तीसरी पार्टी के जरिए उन के सर्कुलेशन का प्रामाणिक विश्लेषण किया जाता है.प्रिंट मीडिया के लिए यह अच्छी खबर है. बड़े अखबारों का आज भी बाजार में दबदबा है. प्रभावशाली मंत्री कई बार सिर्फ प्रिंट मीडिया के लोगों को बुला कर उन से बात करते हैं जबकि वे टीवी चैनलों की घरघर तक की पहुंच से परिचित हैं.

खुदरा कारोबार में तेजी से बढ़ता भारत

भारत के खुदरा बाजार में कारोबार करना आसान और वहां लाभ की गुंजाइश भी भरपूर है. यह विश्वास खुदरा निवेश में आने वाले विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर है. उन के इसी विश्वास के कारण 2013 से 2015 के बीच खुदरा बाजार में विदेशी निवेश का प्रवाह 8.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. विदेशी निवेशकों का यह भरोसा आधारहीन नहीं है. इस के मजबूत आधार की पुष्टि वैश्विक खुदरा विकास सूचकांक यानी जीआरडीआई की कंसल्टैंसी फर्म एटी केरनी की रिपोर्ट भी करती है. रिपोर्ट के अनुसार, 30 विकासशील देशों की सूची में भारत में खुदरा कारोबार में एफडीआई तेजी से हो रहा है जिस के कारण सूची में भारत 13 स्थानों के सुधार के साथ इस साल दूसरे स्थान पर पहुंचा है. भारतीय खुदरा बाजार का कारोबार 67 लाख करोड़ रुपए का है और विदेशी कंपनियां इस में ज्यादा रुचि ले रही हैं.

विशेषज्ञ मानते हैं कि ई-कौमर्स का दौर बढ़ रहा है और इस में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस स्थिति को देखते हुए भारत का खुदरा बाजार कारोबार दूसरे देश के खुदरा बाजार कारोबार के लिए चुनौती बना रहेगा. वहां का निवेशक लाभार्जन के वास्ते खुद ही भारतीय बाजार का रुख करेगा जिस का सीधा असर विकासशील देशों के खुदरा कारोबार के सूचकांक पर रहेगा. स्थिति यदि इसी तरह से भारत के पक्ष में रही तो आने वाले समय में इस सूचकांक में भारत लंबे समय तक शीर्ष पर बना रहेगा. 

 

सूरज की रोशनी से उर्वरक

सौर ऊर्जा के फायदों से हमारा देश अभी अछूता है. हम अभी तक सिर्फ विद्युत ऊर्जा के रूप में ही इस प्राकृतिक ऊर्जा का दोहन कर पाए हैं. अमेरिका ने तो सौर ऊर्जा का उपयोग कर के अमोनिया उर्वरक की पर्यावर्णोन्मुखी नई किस्म बना ली है. इस विधि से प्राप्त अमोनिया उर्वरक बिना किसी प्रदूषण के प्राप्त की जाती है. इस विधि में प्रकाश संचालित विधि के द्वारा अमोनिया का निर्माण किया जाता है.

अमेरिका के ‘सीयू बोल्डर’ यूनिवर्सिटी की असिस्टैंट प्रोफेसर गोर्दाना ड्यूकोविक और अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि प्रकाश की उपस्थिति में कैडमियम सल्फाइड यौगिक के नैनो आकार के रवों का इस्तेमाल करने से रासायनिक परिवर्तन के दौरान इलैक्ट्रौन में इतनी ऊर्जा जुड़ जाती है कि इस के कारण वह ‘एन-2’ अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है. डाईनाइट्रोजन ‘एन-2’ में बदलाव के लिए प्रकाश ऊर्जा का इस्तेमाल कर के उस से नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के यौगिक अमोनिया ‘एनएच-3’ का निर्माण किया जा सकता है. ‘एन-2’ एक अणु है जो नाइट्रोजन के 2 परमाणुओं से मिल कर बना होता है.

गुदगुदी क्यों होती है

अक्सर बच्चों को हंसाने के लिए गुदगुदी करना पड़ती है. बच्चे नहीं बड़ेबड़े भी गुदगुदी करने पर खिलखिला कर हंस पड़ते हैं. शरीर में यह सब हार्मोंस और सैंसटिविटी के कारण होता है. वैज्ञानिकों ने इस के कारणों का पता लगाया है कि क्या कारण है कभीकभी बिना किसी को छुए सिर्फ हंसाने का दूर से इशारा करने पर ही वह खिलखिलाने लगता है.

शरीर में गुदगुदी 2 तरह से होती है, निसमेसिस और गार्गालेसिस. निसमेसिस में जब कोई शरीर की त्वचा को हलके से स्पर्श करता है या किसी हलके पंख से धीरेधीरे सहलाए, यह संदेश त्वचा की बाहरी सतह पर मौजूद असंख्य स्पर्श कोशिकाएं मस्तिष्क तक भेजती हैं और हमें त्वचा पर हलकीहलकी खुजली का आभास होता है. गार्गालेसिस में व्यक्ति के पेट या गले पर उंगलियों से छूने पर वह खिलखिला कर हंसता है.

हमारे दिमाग में कुछ इस तरह से प्रोग्राम होता है कि उस में बाहरी संवेग और आंतरिक संवेगों को अलग करने में महारत हासिल होती है. दिमाग सब से पहले उन संकेतों की अनदेखी करता है जो आंतरिक होते है यानी जो व्यक्ति स्वयं अपने शरीर पर करता है. जब भी कोई व्यक्ति हमें गुदगुदी करता है तो हमें हंसी उस के कारण होने वाले आकस्मिक भय का ही रूप होती है.

जरमन वैज्ञानिकों के मुताबिक, गुदगुदी दिमाग के उस हिस्से को सक्रिय करती है जिस से व्यक्ति को दर्द का एहसास होता है, इसीलिए गुदगुदी करते ही या उस से पहले व्यक्ति सतर्क हो जाता है. यही कारण है कि बेहद गुस्से में व्यक्ति को गुदगुदी करने पर हंसी नहीं आती. जब हम स्वयं अपने को गुदगुदाते हैं तो हमें किसी भी प्रकार का भय नहीं रह जाता है. अपनेआप को गुदगुदाने पर यह प्रतिक्रिया दिमाग के जिस हिस्से के कारण नहीं हो पाती है, उसे ‘सेरेबेलम’ कहते हैं और यह दिमाग के पिछले हिस्से में होता है. यह दिमाग के अन्य हिस्सों को मिलने वाले संवेदात्मक संकेतों को नियंत्रित करता है. गुदगुदी करने पर हंसना दिमागी परिस्थिति पर निर्भर करता है.

ड्रोन से मौसम की जानकारी

अभी तक सिर्फ अमेरिका द्वारा तालिबान के सफाए के लिए ही ड्रोन का नाम सुना गया था पर अब विदेश ही नहीं, हमारे देश में भी कई कार्यों में इस छोटे से हैलिकौप्टरनुमा यंत्र की सहायता ली जा रही है. ड्रोन का एक और बेहतरीन इस्तेमाल पिछले दिनों महाराष्ट्र में तब देखने को मिला जब सूखा राहत के लिए सूखे का सर्वेक्षण कराने का जिम्मा राज्य सरकार ने ड्रोन्स के हवाले किया. राज्य के उस्मानाबाद जिले में 2 ड्रोन्स की मदद से सरकार ने यह काम किया और उन के जुटाए आंकड़ों के आधार पर ही किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे का निर्धारण किया गया.

अब फ्रैंच सैंटर औफ एटमौसफेयर रिसर्च सैंटर वायुमंडल में मौजूद नमी, आद्रता और तापमान की जानकारी के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहा है. ड्रोन के साथ मौसम के ताप दाब का अध्ययन करने वाले कई उपकरणों को बांध कर आसपास के मौसम की गणना की जा रही है. इस से सटीक जानकारियां भी मिल रही हैं. अभी तक हम सिर्फ उपग्रहीय जानकारी पर ही सीमित थे. मौसम की और अधिक जानकारी हासिल करने में ड्रोन का ऐसा प्रयोग निश्चित ही लाभकारी होगा.

बाबुल का बसेगा घर

प्रसिद्ध गायक और मोदी सरकार में मंत्री बाबुल सुप्रियो एक बार फिर से अपना घर बसाने जा रहे हैं. बाबुल ने बीते दिनों गुपचुप तरीके से सगाई कर ली है. उन की यह सगाई रचना से हुई है. रचना एक एयरहोस्टेस हैं. दिलचस्प बात यह है कि दोनों की पहली मुलाकात फ्लाइट में हुई थी. पहली मुलाकात का सिलसिला ऐसा परवान चढ़ा कि दोनों ने एकदूसरे के साथ जिंदगी बसर करने का फैसला कर डाला. अब दोनों अगस्त में शादी करेंगे. बाबुल सुप्रियो की यह दूसरी शादी है. गौरतलब है कि बाबुल सुप्रियो का कैरियर बतौर गायक खास नहीं रहा जितना सियासी कैरियर चल निकला. उन की राजनीतिक व पर्सनल लाइफ दोनों खुशनुमा चल रही हैं. 

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें