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ये है इस लड़की के जिस्म की कीमत, देखें हैरान कर देने वाला वीडियो

वर्जिनिटी लूज करने की कीमत का अंदाजा क्या लगा सकते हैं आप, चंद पैसे? जब एक वर्जिन लड़का पहुंचा एक प्रॉस्टिट्यूट के पास तो उस लड़की ने जो कीमत मांगी, जान कर हैरान रह जायेंगे आप.

उस बंद कमरे में जो हुआ आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते.

देखें ये विडियो:

http://www.sarita.in/web-exclusive/a-prostitute-and-a-virgin-boy

ढिशुम: नई बोतल में पुरानी शराब

फिल्म ढिशुम देखते हुए दिमाग में एक सवाल उठा कि फिल्म निर्देशक रोहित धवन ने यह फिल्म दर्शकों के लिए बनायी है या सरकार के साथ पीआर बढ़ाने के लिए. फिल्म में पुलिस अफसर जुनैद अंसारी का किरदार निभा रहे अभिनेता वरूण धवन का संवाद है, ‘कमाता हूं दिरहम में, लेकिन खर्चता हूं रुपए में. खाता हूं इनकी, लेकिन सुनता हूं सिर्फ मोदी जी की.’

तो वहीं फिल्म में भारतीय विदेश मंत्री का किरदार निभा रही अभिनेत्री को पूरी तरह से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का ही गेटअप दिया गया है. उनकी चाल-ढाल की भी नकल करने का प्रयास किया गया है. पर फिल्मकार ने फिल्म के शुरू होते ही कहा है कि उनकी तरफ से ऐसा कोई जानबूझकर प्रयास नहीं किया गया. मगर फिल्म खत्म होने पर भी हमारे दिमाग में उठे सवाल का जवाब नहीं मिला. मगर फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसकी वजह से दर्शक को अपनी गाढ़ी कमाई इस फिल्म को देखने के लिए खर्च करने को कहा जा सके.

फिल्म की कहानी भारतीय क्रिकेटर विराज शर्मा के अपहरण से शुरू होती है. विराज का अपहरण एक बुकी वागा यानी कि अक्षय खन्ना ने किया है. उसे चार सौ करेाड़ का नुकसान हो चुका है. वह चाहता है कि विराज ऐसा खेले जिससे फाइनल मैच में भारत से पाकिस्तान जीत जाए. पर विराज तैयार नहीं होता. उधर भारतीय विेदेश मंत्री विराज की तलाश के लिए जांबाज अफसर कबीर यानी जॉन अब्राहम को भेजती है. मिडल इस्ट में एक नया पुलिस अफसर जुनैद अंसारी यानी वरूण धवन मिलकर विराज की तलाश शुरू करते हैं. इनकी मदद के लिए एक चोर इशिका यानी जैकलीन फर्नाडिस भी आ जाती है. फिर कई घटनाक्रम घटित होते हैं. भारत सरकार बुकी वागा के बैंक खाते में पांच सौ करोड़ भी जमा कर देती है. पर बुकी चाहता है कि विराज शर्मा मारा जाए. लेकिन जुनैद अंसारी और कबीर विराज को क्रिकेट के मैदान में पहुंचाने के साथ ही बुकी वागा को भी गिरफ्तार कर लेते हैं.

भारतीय फिल्म में गाना जरुर होना चाहिए. इसलिए फिल्म की शुरूआत और अंत में एक एक गाना यूं ही रख दिया गया है. जिनकी जरुरत नजर नहीं आती. फिल्म में इंटरवल के बाद भी एक गाना है. पर दर्शक को कुछ नहीं मिलता. फिल्म के कैमरामैन बधाई के पात्र हैं. लोकेशन अच्छे चुने गए हैं. उड़ते हवाई जहाज से लटकने का दृश्य भले ही रोमांचित करे पर एक्शन दृश्यों में दम नहीं है.

जहां तक कहानी का सवाल है तो वही घिसी पिटी कहानी है. क्रिकेट और बुकी को लेकर ‘जन्नत’ जैसी कई फिल्में बन चुकी हैं. जॉन अब्राहम इस तरह का एक्शन कई फिल्मों में कर चुके हैं. वरुण धवन के अभिनय में भी कुछ नयापन नही है. कई दृश्य तो वरूण धवन की पुरानी ईमेज को भुनाने के लिए ही रखे गए हैं. रोहित धवन निर्देशक के तौर पर कुछ खास नहीं कर पाए.

चप्पल

‘‘अरे, उस पागल को पकड़ो… भागने न पाए,’’ एक सिक्योरिटी गार्ड दौड़ते हुए बोला. तब तक चारों ओर से सभी उसे दौड़ कर पकड़ चुके थे.

‘‘उसे छोड़ दो और मेरे पास लाओ,’’ मुख्यमंत्री का आदेश सुन कर सभी उसे उन के पास ले आए.

‘‘आओ, यहां आ कर बैठो,’’ मुख्यमंत्री ने थोड़ा गंभीर आवाज में कहा.

वह सिक्योरिटी गार्डों के घेरे में आ कर बैठ गया.

‘‘बताओ, तुम ने मुझे क्यों मारा? मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?’’ मुख्यमंत्री ने सीधे सवाल पूछा.

‘‘आप ने शराबबंदी क्यों लागू की?’’ यह उस का पहला सवाल था, जो सवाल के जवाब में पूछा गया.

‘‘शराबबंदी लागू करने की वजह से मुझे क्यों मारा?’’ मुख्यमंत्री ने फिर सवाल किया.

‘‘इसलिए कि लाखों लोगों की रोजीरोटी इसी शराब से चलती थी. इसलिए कि बिना पहले कोई सूचना दिए शराबबंदी लागू कर देने से लाखों रुपए का घाटा हो गया,’’ उस ने जवाब दिया.

‘‘देखो भाई, शराब पीने से हजारों लोग मरते थे. अनेकों घर उजड़ जाते थे,’’ मुख्यमंत्री ने सरल भाव से उसे समझाया.

‘‘मगर, कितने लोगों की रोजीरोटी इस से चलती थी… कितने लोग इस के कारोबार से पलते थे… रही बात शराबबंदी की, तो शराब आज भी धड़ल्ले से बिक रही है. बस, पड़ोसी राज्य कमा रहे हैं,’’ उस ने मुख्यमंत्री को आईना दिखा दिया.

‘‘मगर मुझे मारने से तुम्हें क्या मिला?’’ मुख्यमंत्री का सवाल था.

‘‘दिल को सुकून. मैं आप को थप्पड़ नहीं मार सकता. आप अच्छे आदमी हैं, इसलिए जान से नहीं मारना चाहता था. बस, सबक सिखाने के लिए मैं ने अपना हाथ चला दिया.’’

इस जवाब ने मुख्यमंत्री को चौंका दिया. वे बोले, ‘‘देखो, तुम बहुत गरीब हो. इस तरह की हरकत से तुम अपना नुकसान कर रहे हो.’’

मुख्यमंत्री ने उस से इतना कह कर सिक्योरिटी गार्ड से उसे ले जाने को कहा. बाद में एसपी को बुला कर सच्ची बात उगलवाने की सलाह दी.

‘‘यह झूठ बोल रहा है. चप्पल मार कर यह मुझे मानसिक आघात पहुंचाना चाहता था, इसलिए पता करो कि सच क्या है?’’

मुख्यमंत्री की इस बात को सुनते ही एसपी झट से बोल उठा, ‘‘आप चिंता न करें सर. इस से सच उगलवा कर रहेंगे.’’

उसे सचिवालय थाने में लाया गया.

‘‘देख बे, हम सब आराम से पूछ रहे हैं. सच बता दे, वरना हमें दूसरा रास्ता भी अपनाना आता है,’’ एसपी उस के पास जा कर बोला.

‘‘क्या कर लेगा? हाईप्रोफाइल केस है. हाथ लगा कर तो दिखा, वरदी न उतरवा दूं, तो कहना,’’ वह अकड़ कर बोला.

अब तो एसपी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. वह 8-10 बेंत जमा कर बोला, ‘‘वरदी उतरवाएगा… चल उतरवा… तेरा एनकाउंटर यहीं कर देते हैं.’’

डंडे की चोट अच्छेअच्छों को ठीक कर देती है. वह चिल्लाया, ‘‘मत मारो, मैं बताता हूं.’’

एसपी रुकते हुए बोला, ‘‘सच बता दे, वरना तेरा यहीं काम तमाम कर देंगे.’’

‘‘बिलकुल सच बोलूंगा. मेरी मां बहुत बीमार हैं. उन के इलाज पर काफी पैसा खर्च होना है. मुझे इस काम के लिए 50 हजार रुपए मिले थे. मनोहर लाल ने मुझे पैसा दिया, तो मैं ने अपना काम कर दिया,’’ उस ने कहा.

‘‘तेरी बात गलत निकली, तो काट कर रख देंगे,’’ एसपी इतना कहता हुआ वहां से चला गया. मुख्यमंत्री को जैसे ही पता चला, तो वे झट से मीडिया को बुला कर मुखातिब होते हुए बोले, ‘‘मेरे ऊपर चप्पल फेंकने वाला राजनीति से प्रेरित था. उसे ऐसा करने के लिए लोगों ने खासकर एक नेता ने मजबूर किया था.’’

‘‘आप को इन बातों का पता कैसे चला?’’ एक पत्रकार के सवाल पर उन्होंने एसपी को आगे कर दिया, जिस ने सभी को उचित जवाब दिया.

‘‘अब आप क्या करेंगे?’’ एक पत्रकार के इस सवाल पर मुख्यमंत्री झट से बोल उठे, ‘‘मैं उस की मां का इलाज कराऊंगा, क्योंकि जनता की देखरेख करना मेरा फर्ज है.’’

मुख्यमंत्री के इस बयान की सब ने तारीफ की. इधर मनोहर लाल नफरत की आग में जलने लगा था, ‘‘उस ने पैसा ले कर गद्दारी की है. मैं उसे कभी माफ नहीं करूंगा. मैं उस की मां को अस्पताल में ही मरवा दूंगा,’’ वह बड़बड़ाता हुआ बाहर आया, मगर बाहर खड़ी पत्रकारों की टीम ने उस के होश उड़ा दिए.

‘‘मनोहर लाल साहब, आप ने मुख्यमंत्री को चप्पल क्यों मरवाई?’’ एक पत्रकार का सीधा सवाल था.

‘‘मैं ऐसा क्यों करने लगा? जनता जनार्दन ही बुरे कामों के चलते चप्पल मारती है,’’ उस ने जवाब दिया.

‘‘आप गलत बोल रहे हैं. मुख्यमंत्री को चप्पल मारने वाला इस बात को कबूल कर चुका है कि आप ने चप्पल मारने के लिए उसे 50 हजार रुपए दिए थे,’’ यह दूसरे पत्रकार का कहना था.

‘‘पुलिसिया डंडे से तो आप भी उन का मनचाहा बयान दे देंगे. सच तो यह है कि मैं ने इस काम के लिए किसी को कोई पैसा नहीं दिया,’’ मनोहर लाल लीपापोती में लगा था.

‘‘आप का पैसा पकड़ा जा चुका है. वह आदमी न सिर्फ कबूल कर चुका है, बल्कि अस्पताल में फीस के 50 हजार रुपए आप का आदमी दीनदयाल जमा करा चुका है,’’ यह तीसरे पत्रकार की आवाज थी.

‘‘दीनदयाल ने किसी की मदद की तो यह अच्छी बात है, मगर चप्पल मारने का सौदा मैं ने किसी के साथ नहीं किया,’’ मनोहर लाल ने बात को संभालने की कोशिश की. इधर मुख्यमंत्री खुद अस्पताल जा कर उस की मां के इलाज का पूरा पैसा जमा करा चुके थे. मनोहर लाल वाली बात वह अपराधी भी कबूल चुका था. वह पास आते ही उन के पैरों पर गिर कर बोला, ‘‘हुजूर, मुझ से गुनाह हो गया. आप मुझे चाहे फांसी पर लटकवा दें, मगर मेरी मां को…’’

‘‘कुछ नहीं होगा तुम्हारी मां को. वह पूरी तरह ठीक है. रही बात तुम्हारी, तो तुम ने सच कबूला है, इसलिए तुम्हारा बाल भी बांका नहीं होगा,’’ मुख्यमंत्री के इस बयान से वह रोने लगा.

‘‘अच्छा जाओ,’’ कह कर मुख्यमंत्री ने उसे विदा किया, तो वह बाहर आ गया. मनोहर लाल का बयान बेतुका हो गया. जब पुलिस के डंडे दीनदयाल पर बजे, तो उस ने भी इस सच को कबूला कि उसे मनोहर लाल ने 50 हजार रुपए अस्पताल में जमा कराने के लिए भेजा था. साथ ही, चप्पल मारने का ठेका भी दिया था. अब तो आलाकमान ने मनोहर लाल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. जेल की हवा खानी पड़ी, सो अलग. मुख्यमंत्री मनोहर लाल से जेल में मिलने गए और मिलने के बाद पत्रकारों से मुखातिब होते हुए बोले, ‘‘मेरा मनोहर लाल से कोई वैर नहीं है. उस ने मुझे नीचा दिखाने के लिए ऐसी ओछी हरकत की. जो आदमी 50 हजार रुपए दे कर मुझ पर चप्पल फिंकवा सकता है, वह लाख 2 लाख रुपए दे कर मुझे मरवा भी सकता है.’’

‘‘मगर सर, क्या आप इस घटना से दुखी नहीं हैं,’’ एक पत्रकार के इस सवाल के जवाब में वे बोले, ‘‘जनता की सेवा करना, गलत काम को रोकना मेरा फर्ज है. सुशासन देने के लिए जनता ने मुझे मुख्यमंत्री बनाया है. मैं ने शराबबंदी की, तो शराबियों की दुकानें बंद हो गईं. मनोहर लाल भी इन्हीं में से एक है. वह मौत का सौदागर है.’’ अब तो मुख्यमंत्री की जयजयकार होने लगी, वहीं मनोहर लाल कोर्टकचहरी में उलझता चला गया. उस के घर से एक पेटी शराब पकड़ी गई और सरकार ने उस का घर सील कर दिया. इस से मनोहर लाल टूट गया और झट से पैतरा बदलते हुए बोला, ‘‘मुख्यमंत्री मेरे दोस्त हैं. मुझे उन से कोई वैर नहीं है और न ही मैं ने ऐसा कराया है. चप्पल मारने वाले उस आदमी और दीनदयाल को सद्बुद्धि मिले. मैं ने उन दोनों को माफ कर दिया है.

ऐसे घर में बनाएं इलेक्ट्रिक शॉक स्पाई पेन

आप भी शॉक लगने वाले पेन से खूब खेले होंगे या आपने दोस्तों के साथ प्रैंक किया होगा. अब ये पेन मार्केट में आसानी से नहीं मिलते.

ऐसे में अगर एक बार फिर इससे अपने फ्रेंड्स को डराना चहते हैं तो हम आपको बता रहे हैं घर पर स्पाई पेन बनाने की ट्रिक. घर बैठे ऐसे बनाएं इलेक्ट्रिक शॉक स्पाई पेन…

इलेक्ट्रिक शॉक स्पाई पेन बनाने के लिए जरूरी सामान-

1 छोटी कील

1 लाइटर

एक मोटा पेन (ताकि इसमें आसानी से इलेक्ट्रिक एलिमेंट फिल हो सके. इसके अलावा इसमें एक मेटल क्लिप भी होना चाहिए.)

कटर

ग्लू

इलेक्ट्रिक शॉक स्पाई पेन बनाने के लिए ये प्रोसेस फॉलो करें

स्टेप नंबर 1

सबसे पहले हमें एक लाइटर से PS इलेक्ट्रिक एलिमेंट निकाल लेना है. इसे खोल कर इलेक्ट्रिक एलिमेंट बाहर निकाल लें.

स्टेप नंबर 2

अब पेन को खोल कर इसके सभी पार्ट्स अलग कर लें. पेन के अंदर दो प्लास्टिक पार्ट (टॉप और बॉटम), एक इंक रिफिल और एक टॉप. इन सभी को खोल कर अलग कर लें.

स्टेप नंबर 3

अब कटर से मार्क किए हुए पार्ट को काट दें. हम इस कटे हुए मिडल पार्ट का यूज नहीं करेंगे. इसे अलग कर दें.

स्टेप नंबर 4

अब पेन से मेटल क्लिप को अलग करें. कील को लाइटर से गर्म करें और मेटल क्लिप के नीचे की प्लास्टिक के ठीक नीचे एक होल बनाएं. इसके बाद होल के ऊपर प्लास्टिक के पार्ट (मेटल क्लिप निकालने के बाद प्लास्टिक एक छोटा हिस्सा दिखाई देता है) को काटना है ताकि इसमें इलेक्ट्रिक वायर को एडजस्ट किया जा सके.

स्टेप नंबर 5

अब हमें पेन को फिर से असेम्बल करना है. पहले हम पेन का टॉप असेम्बल करेंगे.  सबसे पहले बॉटम इंसर्ट करें. इसके बाद Ps इलेक्ट्रिक एलिमेंट के वायर में ग्लू लगाकर पेन की बॉडी (ऊपरी हिस्से) में इंसर्ट करें. वायर को होल से बाहर निकालें. इस वायर को प्लास्टिक के उस छोटे से पार्ट में अच्छे से इंसर्ट कर दें जिसे स्टेप 5 में बनाया था.

स्टेप नंबर 6

अब मेटल क्लिप लगा दें. इसके बाद पेन के सभी पार्ट्स को पहले जैसा फिट कर दें. आपका इलेक्ट्रिक शॉक स्पाई पेन रेडी है.

कैसे करता है काम?

जब आप पेन की बटन प्रेस करेंगे तो PS इलेक्ट्रिक एलिमेंट प्रेस होगा. इस प्रोसेस में स्पार्क प्रोड्यूस होता है. ये वायर से पास होते हुए मेटल क्लिप तक पहुंचता है और पेन पकड़े हुए व्यक्ति को एक शॉक लगता है. पेन में इंक भी लगाएं ताकि ये फेक पेन न लगे. इस पेन से आप अपने दोस्तों के साथ प्रैंक कर सकते हैं.

मोबाईल गेम्स खेलें और फिटनेस बढ़ायें

मल्टीमीडिया प्रफेशनल रितु घोष रोजाना सात किलोमीटर वॉक करती हैं. उनकी इस वॉक को अच्छा कहा जा सकता है, लेकिन इसकी शुरुआत कुछ सप्ताह पहले पोकेमॉन गो को डाउनलोड करने के बाद हुई. बेंगलुरु की रहने वाली रितु (29) पोकेमॉन की खोज में दिन में तीन से चार बार निकलती हैं.

अगर आप रितु की तरह हैं और एक पॉपुलर मोबाइल गेम का इस्तेमाल फिटनेस ऐप की तरह करना चाहते हैं तो आपके लिए काफी विकल्प हैं. इंग्रेस, जॉम्बीज रन और पैरेलल किंगडम जैसी ऑगमेंटेड रियल्टी और लोकेशन बेस्ड गेम्स पश्चिमी देशों में फिटनेस पसंद करने वाले लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. यह ट्रेंड अब भारत में भी जोर पकड़ता दिख रहा है.

भारत में बना फाइटर्टल भी अच्छा विकल्प है. इस लोकेशन-बेस्ड ऐप के फीचर्स एक डेटिंग ऐप की तरह हैं. यह फिटनेस पसंद करने वाले लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ते हैं और लोग इसके जरिए अपनी एक कम्युनिटी बना सकते हैं. फाइटर्टल के चीफ एग्जिक्युटिव साकेत अग्रवाल ने बताया कि इस ऐप में एक कैमरा रिमाइंडर फीचर शामिल है, जो यूजर के इनटेक की मॉनिटरिंग के लिए फूड और वॉटर की फोटो लेता है. इसके जरिए ऐप के 4,200 यूजर्स को अलग-अलग वर्गों में बांटा जाता है.

फाइटर्टल से उन्हें जिम जाने के लिए एक पार्टनर खोजने में मदद मिली है और इसके साथ ही वह अपने घर के नजदीक स्विमिंग पूल जैसे फिटनेस से जुड़े ऑप्शंस भी देख सकती हैं. संस्कृति ने कहा, 'मुझे पहले इन सुविधाओं का पता नहीं था. अब अगर मैं जिम नहीं जा पाती तो अपने पार्टनर के साथ स्विमिंग करने या वॉक पर चली जाती हूं.'

फिटनेस पसंद करने वालों के लिए हैदराबाद की एम्पावर लैब्स अगले महीने ऑगमेंटेड रियल्टी गेम डेल्टा T लॉन्च करने जा रही है. कंपनी को उम्मीद है कि यह गेम यूजर्स को काफी पसंद आएगा. पोकेमॉन जैसे गेम्स की लोकप्रियता दुनिया भर में बढ़ रही है, लेकिन मोबाइल फोन की स्क्रीन पर नजर टिकाकर सड़कों पर घूमने से यूजर्स को खतरा भी हो सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूजर्स को सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और अन्य जगहों पर दुर्घटनाओं से बचने के लिए इन गेम्स को खेलते समय सतर्क रहना चाहिए.

लॉन्च से पहले 10 हजार रुपए में मिल रहा iPhone 7!

एप्पल आईफोन 7 को लॉन्च होने में अभी कम से कम 2 महीने का समय बाकी है. सूत्रों की मानें तो इस साल कंपनी हैंडसेट की डिजाइन में ज्यादा बदलाव न करते हुए आईफोन 6S प्लस का अपग्रेडेड वर्जन ही लॉन्च करेगी.

आईफोन 7 की फीचर्स और फोटो लीक्स को देखते हुए काफी हद तक ये बात सही भी लग रही है. लेकिन, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आईफोन 7 का क्लोन चाइनीज मार्केट में बिकने लगा है.

लॉन्च से पहले कैसे बन गया क्लोन?

दरअसल, फोन की लगातार लीक हो रही इमेजेस और फीचर्स के बल पर आईफोन का क्लोन बनाने वाली Goophone जैसी कंपनियों ने इसका क्लोन बनाकर चीनी मार्केट में उतार दिया है. ये आईफोन 7 के कॉन्सेप्ट डिजाइन की तरह दिखता है. हैंडसेट के बैक साइड पर लिखा गया है 'Designed by TAIWAN made in CHINA'. इसका नाम GooApplei7 है.

ऐसे बनता है आईफोन क्लोन

GooApple चीन की मोबाइल क्लोन मैन्युफैक्चरर है जो एंड्ररॉइड के OS और आईफोन की डिजाइन को मर्ज करने लेटेस्ट आईफोन के क्लोन तैयार करती है. आपको बता दें कि आईफोन 5s से लेकर आईफोन 6S प्लस तक मार्केट में सभी हैंडसेट्स के क्लोन कम दाम में अवेवेबल हैं.

क्या है कीमत

ये हैंडसेट चीनी मार्केट में 149 डॉलर से 199 डॉलर (10 हजार से 14 हजार रुपए) कीमत में बेचा जा रहा है.

चाइना में क्यों है आईफोन क्लोन की डिमांड?

 चाइना आईफोन क्लोन का हब है. यहां अधिकतर एंड्रॉइड यूजर्स आईफोन तो खरीदना चाहते हैं लेकिन महंगा होने के कारण खरीद नहीं पाते. ऐसे में उन्हें क्लोन से ही काम चलाना पड़ता है और क्लोन मैन्युफैक्चरर्स को इसे बनाने और प्रॉफिट कमाने के लिए बढ़ावा मिलता है.

iPhone 7 फीचर्स…

डुअल रियर कैमरा

इस आईफोन 7 क्लोन में 2 रियर कैमरा है. हालांकि, कैमरा क्वालिटी के बारे में हमें जानकारी नहीं मिल पाई है. आपको बता दें कि कुछ समय पहले आईफोन 7 के फीचर्स लीक हुए थे जिसमें इस हैंडसेट में डुअल रियर कैमरा होने की बात कही गई थी. इसे देखते हुए क्लोन में दो रियर कैमरा दिए गय हैं. कैमरे की साइज और पोजिशनिंग में चेंज साफ देखा जा सकता है.

लोगो और कलर वेरिएंटGooApplei7 के बैक साइड पर एप्पल का लोगो बना है ये दिखने में ऑरिजनल आईफोन जैसा है. ये रोज गोल्ड कलर वेरिएं में अवेलेबल है. रोज गोल्ड कलर वेरिएं आईफोन का सबसे महंगा वेरिएंट है और यूजर्स में ये काफी पॉपुलर भी है. हालांकि, कि एक आईफोन फैन ऑरिजनल आईफोन और क्लोन के लोगो और कलर को काफी आसानी से पहचान सकता है.

ऑपरेटिंग सिस्टम

ये हैंडसेट एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है. हालांकि इसका इंटरफेस iOS से मिलता जुलता है.

हेडफोन जैक

आईफोन 7 से हेडफोन जैक हटाने की बात सामने जाई थी जिसका यूजर्स ने काफी विरोध किया था. आईफोन 7 में 3.5mm हेडफोन जैक होगा. ऐसे में इस चीनी कंपनी ने इस बात को अपने क्लोन में साबित कर दिया है. GooApplei7 में हेडफोन जैक मौजूद है.

परफॉर्मेंस

आईफोन 7 के इस क्लोन में 4GB रैम के साथ Mediatek Helio P10 प्रोसेसर है. ये हैंडसेट 256GB इंटरनल मेमोरी के साथ आता है. इसमें फास्ट चार्जिंग फीचर के साथ 3100 mAh पावर की बैटरी है.

ये हैंडसेट दिखने में आईफोन 7 जैसा हो सकता है लेकिन दोनों के फीचर में कोई समानता नहीं होगी. हालांकि आईफोन 7 का ये पहला क्लोन है हैंडसेट की लॉन्चिंग के बाद न जाने कितने क्लोन मार्केट में तैरेंगे. हम आईफोन 7 का क्लोन खरीदने की सलाह नहीं देंगे क्योंकि ये फेक और इलीगल है.

उत्तर प्रदेश में धराशायी हो जाते हैं बाहरी नेता

उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग प्रदेश के बाहरी नेताओं को बहुत आकर्षित करती है. यहां पर अपनी ताकत दिखाना, सबका सपना होता है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि उत्तर प्रदेश से देश की गददी का सफर तय होता है. ऐसे में दूसरे प्रदेशों में राज कर रही पार्टियों के नेता चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में उनका दखल बढ़ जाये.

परेशानी की बात यह है कि उत्तर प्रदेश के वोटर ऐसे बाहरी पार्टियों के मुखिया और उनके दलों को खास तबज्जों नहीं देते हैं. लोकसभा के चुनाव हो या विधानसभा के बाहरी नेता और उनकी पार्टियां यहा आकर धराशायी हो जाते हैं. ऐसे में यह सवाल भी लाजमी है कि जनता दल(यू) और उसके नेता नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में कैसे सफल होंगे?

उत्तर प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस और उनकी नेता ममता बनर्जी बहुत सक्रिय रही हैं. इसके बाद भी उनको कोई बडी सफलता नहीं मिली. राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार, लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान, राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव, आरपीआइ के नेता रामदास अठावले और शिवसेना इसके प्रमुख उदाहरण हैं. इसी तरह से तमाम मुस्लिम पार्टी और उसके नेता उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ते जरूर हैं पर इससे उनको कोई लाभ नहीं होता. चुनाव मैदान में ऐसे नेता और उनके दल उत्तर प्रदेश में अपना असर नहीं छोड़ पाते है.

इस बार विधानसभा के चुनावों में एआईएमआईएम नेता ओवैसी का नाम बहुत चल रहा है. ऐसे में कई राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि ओवैसी कुछ बदलाव कर सकते हैं. जो लोग उत्तर प्रदेश के मतदाता के मिजाज को समझते हैं वह यह मानने को तैयार नहीं है कि बाहरी दल और उनके नेता उत्तर प्रदेश में बदलाव जैसी पोजीशन में आ सकते हैं.

आम आदमी पार्टी अपने आन्दोलन के समय उत्तर प्रदेश में बहुत ताकतवर नजर आती थी. इसके बाद भी आम आदमी पार्टी यह समझ रही है कि उत्तर प्रदेश में उसका जनाधार मजबूत नहीं है. इस कारण ही उसने उत्तर प्रदेश से अधिक पंजाब में चुनाव लड़ने में तेजी दिखाई है. आम आदमी पार्टी को अगर देश की राजनीति करनी है तो उत्तर प्रदेश मजबूत करना पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश की जंग को जीतना सरल नहीं है. बाहरी नेताओं के लिये यह कठिन डगर है. राजनीतिक लेखक और समीक्षक योगेश श्रीवास्तव कहते हैं ‘गंगा यमुना के मैदान में बसा उत्तर प्रदेश राजनीति रूप से बहुत बेहतर सोच रखता है. यहां के मतदाता, नेता और उसके दल को गहराई से समझते हैं. उसे यह भी समझ है कि कौन सा दल जनता की पकड़ में रहेगा और कौन सा नेता चुनाव के बाद प्रदेश में दिखाई नहीं देगा. ऐसे में वह अपना वोट उन दलों और नेताओं को देता है जो उसके अपने बीच का होते हैं. वोटर भले ही जाति और धर्म के नाम पर वोट देता हो पर वह प्रदेश के नेताओं और बाहरी नेताओं के फर्क को आसानी से समझता है. यही वजह है कि बाहरी नेता और दल उत्तर प्रदेश में धराशायी हो जाते हैं.’

 

 

बचत के नाम पर चपत लगा रहा 5 स्टार एसी!

घर में एसी लगवाते वक्त पहली बात यही ध्यान में रखी जाती है कि बिजली कितनी खर्च होगी क्योंकि एसी लगाने का मतलब ही है बिजली की ज्यादा खपत. ऐसे में कोशिश रहती है कि ज्यादा-से-ज्यादा स्टार वाला एसी ही खरीदा जाए. यही वजह है कि 5 स्टार वाला एसी बढ़िया माना जाता है और इसे खरीदने के लिए कस्टमर ज्यादा दाम चुकाने को भी तैयार हो जाता है. लेकिन, सवाल यह है कि क्या 5 स्टार एसी क्या हमारी उम्मीदों पर खरा उतरता है?

तापमान बढ़ा, कूलिंग गिरी

सीएसई की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गर्मियों में जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है तो 5 स्टार एसी भी 2 स्टार एसी की तरह काम करने लगता है. इसी तरह अगर पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाए तो यह 1 स्टार एसी की तरह काम करने लगता है. यानी बिजली की बचत नहीं करता बल्कि 28 फीसदी ज्यादा ही खर्च करता है. इसके कमरा ठंडा करने की क्षमता 30 फीसदी तक कम हो जाती है. 1.5 टन वाला एसी 1 टन वाले एसी की तरह काम करता है.

नामी ब्रैंड्स के मॉडल

सीएसई ने तीन नामी ब्रैंड्स के तीन मॉडलों की स्टडी करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है. बाजार में 50 पर्सेंट एसी इन्हीं तीन कंपनियों के बिकते हैं. रिपोर्ट कहती है कि 5 स्टार एसी से बिजली की बचत का दावा एक धोखा है. इससे बचत नहीं होती, उलटा ज्यादा बिजली और पैसे खर्च होते हैं.

जब जीजा-साले की जोड़ी ने वेस्टइंडीज में बनाया यह रिकॉर्ड

टीम इंडिया वेस्टइंडीज के दौरे पर है और वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला टेस्ट मैच भी हो चुका है. दोनों टीमों के बीच 68 साल के क्रिकेट रिश्ते में कई ऐसे रिकॉर्ड बने हैं जिसके बारे में चर्चा होती रहती है और आगे भी होती रहेगी.

1948 में दोनों टीमों के बीच जब पहला टेस्ट मैच खेला गया तब इस टेस्ट मैच में भी ऐसे कई रिकॉर्ड बन गए थे जो क्रिकेट के पन्नों पर अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखे हैं. इस मैच में सर क्लाइड वालकॉट ने जब 154 रन की शानदार पारी खेली तब उन्होंने वेस्टइंडीज खिलाड़ी के रूप में भारत के खिलाफ पहला टेस्ट शतक मारने का रिकॉर्ड दर्ज किया था.

सी आर रंगचारी ने जब पहले विकेट के रूप में वेस्टइंडीज के एलन रय को आउट किया तब उन्होंने भी टीम इंडिया की तरफ से वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला विकेट लेने का गौरव हासिल किया. हेमचंद्र अधिकारी ने जब भारत के लिए शतक लगाया तब वे भी वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने.

जरा सोचिए इस मैच में जो भी हुआ वह सब रिकॉर्ड में दर्ज हो गया, जो पहला कैच पकड़ा, जो पहला रन आउट किया, जिसने पहला ओवर गेंदबाज़ी की, जो टॉस जीता वगेरा-वगेरा.

दोनों टीमों के बीच इस मैच में और एक शानदार रिकॉर्ड भी कायम हुआ जो आज तक नहीं टूट पाया. यह एक पारी में सबसे ज्यादा शतक मारने का रिकॉर्ड है. वेस्टइंडीज के चार बल्लेबाजों ने अपनी पहली पारी में शतक लगाए थे जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है और आज तक दोनों टीमों के बीच यह रिकॉर्ड नहीं टूट पाया है.

चलिए अब असली मुद्दे पर आते है. जैसे हम जानते हैं 60-70 के दशक में वेस्टइंडीज टीम दुनिया की सबसे शानदार टीम मानी जाती थी. वेस्टइंडीज टीम कितनी शानदार थी वह रिकॉर्ड ही बयां करते हैं.

1961 से लेकर 1967 के बीच वेस्टइंडीज ने अलग-अलग टीमों के खिलाफ लगातार पांच टेस्ट सीरीज जीती थी. विदेशी मैदानों पर भी वेस्टइंडीज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कई टीमों को हराया था. अगर भारत और वेस्टइंडीज के बीच हुए सीरीज की बात की जाए तो 1948 से लेकर 1971 के बीच भारत वेस्टइंडीज के खिलाफ एक भी टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाया था.

यह 1974 की बात है, टीम इंडिया ने चार टेस्ट सीरीज खेलने के लिए वेस्टइंडीज का दौरा किया था. ब्रिजटाउन में खेले गये पहले टेस्ट मैच को वेस्टइंडीज ने एक पारी और 97 रन से जीता. दूसरा टेस्ट मैच ड्रा रहा.

इसी तरह पोर्ट ऑफ स्पेन में जब तीसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ तब सब यही सोच रहे थे कि तीसरे टेस्ट में भी वेस्टइंडीज की जीत होगी. टॉस जीतने के बाद वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया और अपनी पहली पारी में 359 रन बनाए. भारत अपनी पहली पारी में सिर्फ 228 रन बनाए. इस तरह वेस्टइंडीज को पहली पारी के हिसाब से 131 रन की बढ़त मिल गई. वेस्टइंडीज ने अपनी दूसरी पारी 271 रन पर घोषित कर दी, इस तरह भारत के सामने 403 रन का एक विशाल लक्ष्य रखा.

भारत को इतना बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच जीतना मुश्किल लग रहा था. इसे पहले दुनिया की कोई भी टीम इतने बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच नहीं जीत पाई थी. वेस्टइंडीज की टीम में कई शानदार गेंदबाज़ थे. उनका सामना करना भारत के बल्लेबाज़ों के लिए आसान नहीं था.

लेकिन भारत की किस्मत में कुछ और लिखा हुआ था. इस मैच में टीम इंडिया को जीत मिली थी और टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज के खिलाफ रिकॉर्ड भी कायम किया था.

इस जीत के हीरो थे सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ. विश्वनाथ, गावस्कर के जीजा हैं. जीजा-साले दोनों ने मिलकर वेस्टइंडीज के गेंदबाज़ों की काफी धुलाई की थी. इन दोनों छोटे कद के बल्लेबाज़ों के सामने वेस्टइंडीज के लंबे-लंबे गेंदबाज़ घुटने टेकते हुए नज़र आए थे.

सलामी बल्लेबाज के रूप में सुनील गावस्कर ने 102 रन की शानदार पारी खेली, विश्वनाथ कमाल की बल्लेबाजी करते हुए 112 रन पर नॉट-आउट रहे और भारत को जीत दिलवाई. महेंद्र अमरनाथ ने भी 85 रन की पारी खेली थी. इतिहास में यह पहली बार हुआ था जब कोई भी टीम 400 से भी ज्यादा रन का लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच जीती थी. हालांकि बाद में यह रिकॉर्ड ज़रूर टूटा लेकिन दोनों टीमों के बीच यह रिकॉर्ड अभी-तक कायम है.

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