Download App

टैबलेट के लौलीपॉप के बाद समाजवादी स्मार्टफोन

साल 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा नेता अखिलेश यादव ने हाईस्कूल पास करने वाले सभी छात्रों को टैबलेट और इंटरमीडिएट पास करने वाले सभी छात्रों को लैपटौप देने का वादा किया. युवाओं ने बडी संख्या में वोट देकर समाजवादी पार्टी को बहुमत से सरकार बनाने का मौका दिया. मुख्यमंत्री बनने के बाद यह वादा पूरा करना मुश्किल काम होने लगा तो सरकार ने शर्तों के साथ अपना वादा पूरा करने की कोशिश शुरू की. साल 2012 के इंटरपास उन बच्चों को लैपटौप दिया गया जिन्होने इंटरपास करने के बाद अगली क्लास में प्रवेश लिया था. जो बच्चे इंजीनियरिंग, डाक्टरी और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये अगली क्लास में प्रवेश नहीं लिया, उनको लैपटौप नहीं दिये गये. साल 2012 के बाद तो केवल चुने गये बच्चों को ही लैपटौप दिये गये.

इंटरपास बच्चों को तो कुछ शर्तो के साथ लैपटौप दिया भी गया, हाईस्कूल पास बच्चे तो टैबलेट के वादे के पूरा होने का इंतजार ही करते रह गये. यह बच्चे उस समय भले ही वोटर नहीं थे, पर अब 2017 के विधानसभा चुनाव में यह वोटर बन चुके हैं. ऐसे में उनको समाजवादी स्मार्टफोन के बादे पर यकीन कैसे होगा समझने वाली बात है. अखिलेश सरकार 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी को स्मार्टफोन देने की बात कर रही है. उसमें भी सभी के लिये यह फोन नहीं है. यह फोन हाईस्कूल पास करने वाले उन लोगों के लिये है जिनके माता पिता सरकारी नौकरी में नहीं होगे. जिनकी सालाना आय 2 लाख रूपये से कम होगी.

2012 में लैपटौप और टैबलेट की योजना बनाते समय हाईस्कूल और इंटर पास करने वाले बच्चों की संख्या और इसमें खर्च होने वाले बजट का कोई ध्यान नहीं रखा गया था. उत्तर प्रदेश में हर साल 26 लाख बच्चे हाईस्कूल और 18 लाख बच्चे इंटर पास करते हैं. इस तरह हर साल 44 लाख लैपटौप और टैबलेट की जरूरत थी. इतनी बडी तादाद में लैपटौप या टैबलेट देना संभव नहीं था. तब सरकार ने हाईस्कूल के बच्चों को योजना से बाहर कर दिया, क्योंकि वह वोटर नहीं थे. इंटर पास करने वाले बच्चों को भी कटौती के साथ एक साल लैपटौप बांटे गये. 5 साल तक लैपटौप बांटना सरकार के लिये मुश्किल हो गया तब केवल मेधावी बच्चों को ही यह बांटे जाने लगे.

समाजवादी स्मार्टफोन देने की घोषणा के पहले सरकार ने एक बार फिर से इस बात का अनुमान नहीं लगाया है कि कितने लोगों को यह स्मार्टफोन देना पडेगा. अखिलेश सरकार स्मार्टफोन देने की पूरी प्रक्रिया समझा रही है पर यह नहीं बता रही कि अनुमानन कितने फोन देने होंगे. सरकार ने इसके लिये अभी किसी तरह के बजट का प्रावधान भी नहीं किया है. यह कहा जा रहा है कि जून 2017 के बाद यह फोन बांटे जायेंगे. इसके पहले उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होंगे, उसके परिणाम तय करेंगे कि प्रदेश में किस पार्टी की सरकार बनेगी. मुफ्त समाजवादी स्मार्ट फोन दिये जाने की घोषणा ने हाईस्कूल और इंटरपास करने वाले बच्चों के दर्द को ताजा कर दिया है, जिनसे मुफ्त लैपटौप और टैबलेट का वादा कर 2012 में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की सरकार बनाई.  

मैग्जीन कवर विवाद में धोनी को मिली SC से राहत

क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में धोनी के ऊपर चल रहे केस को रद्द कर दिया है.

मामला एक मैग्जीन में धोनी को भगवान विष्णु की तरह दिखाए जाने से जुड़ा है. बिजनेस टुडे मैगजीन के कवर पेज पर छपी इस तस्वीर में विष्णु बने धोनी के आठ हाथों में कई तरह के उत्पाद दिखाए गए थे. इनमें एक जूता भी शामिल था.

दरअसल, पत्रिका ने विज्ञापनों में धोनी की लोकप्रियता के बारे में खबर लिखी थी. इसमें ये बताया गया था कि धोनी विज्ञापन देने वालों की पहली पसंद हैं. खबर का शीर्षक था, ‘गॉड ऑफ बिग डील्स’. इस कवर फोटो में धोनी के हाथ में कई ब्रांड्स की चीजें नजर आ रही थीं, जिसमें रिबॉक का जूता भी शामिल था.

इस तस्वीर को लेकर धोनी के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा. एक वकील ने बेंगलुरु के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आईपीसी की धारा 295 के तहत मुकदमा दर्ज कराया. इसके बाद, मजिस्ट्रेट ने इस मामले में धोनी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का समन जारी कर दिया.

इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे धोनी ने दलील दी कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है. मैगजीन ने अपनी मर्जी से उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया.

धोनी की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि उनकी तस्वीर को भगवान की तरह पेश करने का फैसला मैगजीन के संपादकों था. उन्होंने अपनी फोटो के लिए मैगजीन से कोई पैसा नहीं लिया. ऐसे में उन्हें इस मामले में पक्ष बनाना बिलकुल गलत है.

अब सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मजिस्ट्रेट ने समन जारी करते वक्त सही कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

नए स्मार्टफोन पर कर सकते हैं व्हाट्सऐप डेटा ट्रांसफर

हमने कई लोगों को जो व्हाट्सऐप मैसेज, वीडियो और फोटो भेजे हैं उसको ट्रांसफर करना सबसे बड़ा सवाल है. खैरियत है कि ऐसा करना अब पहले से बहुत आसान हो गया है.

जो भी जीमेल अकाउंट किसी के भी एंड्रायड स्मार्टफोन से जुड़ा हुआ है, व्हाट्सऐप हर रात दो बजे सभी डेटा का बैकअप ले लेता है. इससे गूगल ड्राइव पर पिछले दिन तक का डेटा आपको बड़ी आसानी से नए फोन पर डाउनलोड किया जा सकता है. जब भी ये बैकअप होता है तो पुराने डेटा को व्हाट्सऐप नए डेटा से अपडेट कर देता है.

जैसे ही नए स्मार्टफोन पर अपने जीमेल अकाउंट पर लॉग इन करेंगे और व्हाट्सऐप डाउनलोड कर लेंगे, पुराने अकाउंट से डेटा को उस स्मार्टफोन पर ट्रांसफर करने के लिए स्क्रीन पर एक पॉप-अप विंडो आएगा.

गूगल ड्राइव के जरिये डेटा ट्रांसफर करना बहुत आसान है और अगर व्हाट्सऐप पर ये सवाल नहीं पूछा जाता है तो उसका मतलब है कि आपने उस गूगल अकाउंट में नहीं लॉग इन किया है या फिर अपने फोन नंबर बदल दिया है.

स्मार्टफोन पर भी पिछले सात दिन तक का डेटा स्टोर होता है और उसे रिस्टोर किया जा सकता है. अगर उनमें से कोई एक फाइल को स्मार्टफोन पर डाउनलोड करना है तो वो भी संभव है. इसके लिए यहां से कोई एक फाइल एक्स्प्लोरर डाउनलोड कर लीजिये.

जो डेटा स्मार्टफोन के एसडी कार्ड पर स्टोर किया है उसके लिए इस लिंक पर जाकर अपने व्हाट्सऐप के डेटा को देख सकते हैं.

उसके बाद आपको व्हाट्सऐप को अनइन्सटॉल करके एक बार फिर से इनस्टॉल करना होगा. फिर से इनस्टॉल करने के बाद जैसे ही स्क्रीन पर रिस्टोर का विकल्प दिखाई देता है तो उसे चुन लीजिये.

गूगल ड्राइव पर सेव करने के लिए व्हाट्सऐप के मेनू बटन से 'सेटिंग', फिर 'चैट' और फिर 'चैट बैक अप' चुनिए. वहां पर 'बैक अप टू गूगल ड्राइव' चुन लीजिये.

कितनी देर के बाद ये बैकअप होगा वो आप तय कर सकते हैं. बैकअप की सेटिंग ऐसी रखिये कि वो वाई फाई नेटवर्क पर ही हो नहीं तो हर दिन डेटा की खपत बढ़ जायेगी. अगर रात को वाई फाई ऑफ करके सोने की आदत है तो व्हाट्सऐप के बैकअप के लिए सुबह के समय तय कीजिये.

जब भी ऐसी सेटिंग कर रहे हैं एक बात का ध्यान रखिये. एसडी कार्ड में स्टोरेज के लिए जगह में कमी नहीं होनी चाहिए.

इस मामले में है भारत विश्व में दूसरे स्थान पर

दुनिया में भारत दूसरा सबसे ज्यादा ‘असमानता’ वाला देश है जहां पर कुल संपत्ति का आधे से अधिक सम्पत्ति ऐसे धनाढ्यों के हाथ में केंद्रित है जिनकी हैसियत दस लाख डॉलर (लगभग 6.7 करोड़ रुपए) से अधिक की है. यह जानकारी एक रपट में दी गई है.

संपत्ति शोध कंपनी न्यू वर्ल्ड वेल्थ के अनुसार, रूस के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा असमानता वाला देश है जहां पर 54 प्रतिशत संपत्ति मात्र कुछ करोड़पतियों के हाथ में है.

भारत दुनिया के 10 सबसे अमीर देशों में है जहां कुल संपत्ति 5,600 अरब डॉलर है लेकिन औसतन भारतीय गरीब है.

वैश्विक तौर पर रूस दुनिया का सबसे ज्यादा असमान देश है जहां कुल संपत्ति के 62 प्रतिशत पर मात्र कुछ धनकुबेरों का नियंत्रण है. वहीं दूसरी तरफ जापान दुनिया पर सबसे ज्यादा समानता वाला देश हैं जहां धनाढ्यों के हाथ में कुल संपत्ति का केवल 22 प्रतिशत हिस्सा है. इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भी कुल संपत्ति के मात्र 28 प्रतिशत पर ही करोड़पतियों का आधिपत्य है.

पाक की वर्ल्ड कप 2019 की उम्मीदों को लगा झटका

पाकिस्तान क्रिकेट टीम को 2019 वर्ल्ड कप के लिए खुद से क्वालीफाई करने की उम्मीदों को करारा झटका लगा है. इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज 1-4 से गंवाने के बाद पाकिस्तान सबसे कम रेटिंग अंक 86 पर पहुंच गया है.

पांचवें और अंतिम वनडे में चार विकेट से जीत दर्ज करने के बावजूद पाकिस्तान पर वर्ल्ड कप 2019 के लिए खुद क्वालीफाई करने में नाकाम रहने का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि अब वह आठवें नंबर पर काबिज वेस्टइंडीज से आठ अंक पीछे है. वेस्टइंडीज आईसीसी रैकिंग में आठवें और पाकिस्तान नौवें स्थान पर है.

2001 में वर्तमान रैकिंग प्रणाली शुरू होने के बाद वह अब अपने सबसे कम अंकों पर है. पाकिस्तान को अब वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया से वनडे सीरीज खेलनी हैं और उसे आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 के लिए खुद क्वालीफाई करने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी.

ऑस्ट्रेलिया ने अपनी स्थिति की और मजबूत

ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड ने क्रम से श्रीलंका और पाकिस्तान पर 4-1 के समान अंतर से जीत दर्ज करके आईसीसी वनडे टीम रैंकिंग में अपनी स्थिति में सुधार किया है. पल्लेकल में श्रीलंका पर पांच विकेट से जीत दर्ज करने वाले ऑस्ट्रेलिया के अब 123 के बजाय 124 अंक हो गये हैं और वह दूसरे नंबर पर काबिज न्यूजीलैंड से 11 अंक आगे हो गया है.

श्रीलंका की रैंकिंग में बदलाव नहीं

श्रीलंका ने अपना छठा स्थान बरकरार रखा है लेकिन उसके अब 101 अंक ही रह गए हैं. श्रीलंका के एक अंक कम होने से बांग्लादेश उसके करीब पहुंच गया है. वह अपने इस एशियाई प्रतिद्वंद्वी से केवल तीन अंक पीछे है.

बांग्लादेश को अभी अफगानिस्तान और इंग्लैंड दोनों के खिलाफ तीन-तीन वनडे मैचों की सीरीज खेलनी हैं. अगर बांग्लादेश अफगानिस्तान के खिलाफ सभी तीनों मैच जीत लेता है और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज जीतने में सफल रहता है तो वह अपनी सर्वश्रेष्ठ छठे रैंकिंग पर पहुंच जाएगा. वह अभी सातवें स्थान पर है.

भारत तीसरे नंबर पर

इंग्लैंड की निगाहें अब 50 ओवरों का अपना पहला आईसीसी खिताब जीतने पर टिकी हैं. पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में जीत से इंग्लैंड के 106 के बजाय 107 अंक हो गए हैं और वह पांचवें स्थान पर हैं. इंग्लैंड अब भारत और दक्षिण अफ्रीका से तीन अंक पीछे है. इन दोनों के समान 110 अंक हैं लेकन दशमलव में गणना पर भारत तीसरे स्थान पर है.

इंग्लैंड और आईसीसी वनडे टीम रैंकिंग में 30 सितंबर 2017 तक टॉप पर रहने वाली सात टीमें वर्ल्ड कप 2019 के लिए सीधे क्वालीफाई करेंगी जबकि बाकी दो टीमों को दस टीमों के आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप क्वालीफायर 2018 में खेलना होगा.

भारत में अब बचत का पाठ पढ़ाएगा गूगल

गूगल ज्यादा बचत करने और बेहतर तरीके से इन्वेस्टमेंट करने में आपकी मदद करना चाहता है. गूगल ने इसके लिए 'भारत सेव्स' नाम से एक वेबसाइट डिवेलप करने का प्लान बनाया है. इस साइट पर फाइनैंशल प्लानिंग संबंधी जानकारियां दी जाएंगी. गूगल 'भारत सेव्स' को सरकारी फाइनैंशल इनक्लूजन स्कीम ‘जन धन योजना’ के हिसाब से चलाएगा. 2014 में लॉन्च इस स्कीम के तहत 24 करोड़ नए खाते खुले हैं, जिनमें कुल 41,000 करोड़ रुपये जमा हैं.

गूगल के प्रवक्ता ने कहा, 'यह देश में व्यापक फाइनैंशल इनक्लूजन हासिल करने के प्रधानमंत्री के विजन के मुताबिक है. एक डिजिटल प्लेटफॉर्म की लॉन्चिंग के लिए बहुत सी BFSI (बैंकिंग, फाइनैंशल सर्विसेज और इंश्योरेंस) कंपनियां एकजुट हो रही हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय साक्षरता जागरूकता अभियान इस योजना का हिस्सा हो सकता है.

केंद्र सरकार के लिए गूगल का यह प्रपोजल तब आया है जब एक और दिग्गज अमेरिकी कंपनी ऐप्पल ने फाइनैंशल इन्क्लूजन प्रोग्राम के तहत अपने मोबाइल पेमेंट और डिजिटल वॉलेट सर्विस ऐपल पे के लिए सरकार से बात की है. प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने कई टेक कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की है और उनकी बैठकों का एजेंडा सरकार के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम में उनकी बड़ी भागीदारी रही है.

ऐसे लें पेड एप का मजा फ्री में

एंड्रायड, अब तक का सबसे बेस्‍ट ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे स्‍मार्टफोन और टेबलेट पर ऑपरेट किया जाता है. एंड्रायड में उपलब्‍ध, प्‍ले स्‍टोर सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल किया जाने वाला फीचर एप मार्केट है. प्‍ले स्‍टोर में उपलब्‍ध एप मुख्‍य रूप से दो प्रकार होते हैं – पेड और फ्री.

पेड एप को फ्री में इंस्‍टॉल करने की प्रक्रिया

फ्री एप को आप बिना पेमेंट के ही इंस्‍टॉल कर सकते हैं लेकिन पेड एप के लिए आपको पैसे देने पड़ेंगे, क्‍योंकि इनमें इतने ज्‍यादा फीचर्स होते हैं कि डेवलेपर को इन्‍हें बनाने में काफी फंडिंग करनी पड़ती है.

लेकिप अब कई ऐसी कम्‍पनियां आ गई हैं जो ऐसी पेड एप को भी फ्री में प्रदान कर रही हैं ताकि किसी प्रकार की कोई समस्‍या न हों. आइए डालते हैं एक नजर कि ऐसा किस प्रकार संभव है:

थर्ड पार्टी एप इंस्‍टॉलेशन को स्‍वीकृत करना

सामान्‍य एंड्रायड फोन, यूजर को थर्ड पार्टी एप इंस्‍टॉल करने की अनुमति नहीं देता है लेकिन कुछ ऐसे प्‍लेटफॉर्म हैं जिनमें यह सुविधा दी गई है. अगर आप थर्ड पार्टी एप को इंस्‍टॉल करना चाहते हैं तो इसे फॉलो करें-

Go to Menu >> Settings >> Security. Check on "Unknown Sources"

पेड एप को फ्री में इंस्‍टॉल करने की प्रक्रिया

इस प्रकार आप थर्ड पार्टी एप को इंस्‍टॉल कर सकते हैं. आप इसकी मदद से एपीके पैकेज को भी अपलोड कर सकते हैं. इसके लिए, एपटॉयड सबसे अच्‍छा एप है जो कि पेड एप भी फ्री में प्रदान करता है. आइए जानते हैं आप किस प्रकार प्‍ले स्‍टोर की तरह एपोटायड से थर्ड पार्टी एप का लाभ उठा सकते हैं:

स्‍टेप – 1: अपने स्‍मार्टफोन में बेव ब्राउजर को ओपन करें और टाइप करें – m.aptoide.com. इस यूआरएल को टाइप करने के बाद आपको पेज दिखेगा.

स्‍टेप – 2: जब आपके सामने पेज ओपन हो जाएं, तो एपीके फाइल के माध्‍यम से एपटायड को क्लिक करके इंस्‍टॉल कर लें.

स्‍टेप – 3: डाउनलोड एप को इंस्‍टॉल करने के लिए पैकेज मैनेजर को लांच करें और अगर किसी मामले में आपके पास कोई अन्‍य एपीके फाइल है तो एक मेन्‍यू पॉप अप, आपसे फाइल का चयन करने के लिए कह सकता है.

स्‍टेप -4 : इंस्‍टॉल करने के बाद, एपटायड एप स्‍टोर को ओपन करें.

स्‍टेप – 5: जब सबकुछ सेट हो जाता है, सीधी ओर पर सबसे ऊपर बने एप को सर्च करें. अगर किसी मामले में, एप पॉप आउट नहीं होती है तो सर्च मोर ऑप्‍शन को सेलेक्‍ट करें.

स्‍टेप – 6: अगर आपको मनचाही एप मिल जाती है तो एक डायलॉग बॉक्‍स ओपन होगा, जो कि आपसे एप इंस्‍टॉन को कन्‍फर्म करने के लिए पूछेगा. आपको सिर्फ इस पर क्लिक करना होगा.

स्‍टेप – 7: इस बीच, यह आपको फिर से किसी विशेष एप रिपोजिटरी को जोड़ने का संकेत देगा. आप आगे बढ़ जाएं, अगर आपको उसे इंस्‍टॉल करना हो; अन्‍यथा छोड़ दें.

स्‍टेप – 8: अंत में, पैकेज मैनेजर, आपके स्‍मार्टफोन में एप को इंस्‍टॉल करेगा. आप ओके पर क्लिक करके प्रकिया को आगे बढ़ाएं.

आदर्श ग्राम की संकल्पना पर ‘इंग्लिश की टांय टांय फिस्स’

इन दिनों बौलीवुड में कई फिल्मकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान को प्रचारित करने के लिए फिल्में बनाने में लगे हुए हैं. इसी के चलते रेमो डिसूजा फिल्म ‘‘ए फ्लाइंग जट्ट’’ लेकर आए, जिसमें उन्होंने स्वच्छता अभियान को प्रमुखता दी. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आदर्श ग्राम’ की परिकल्पना को प्रचारित करने के मकसद से राजस्थानी फिल्मों के वितरक रहे संजीत कुमार ठाकुर व शिव प्रसाद शर्मा की जोड़ी हिंदी भाषा की फिल्म ‘इंग्लिश की टांय टांय फिस्स’ से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतरे हैं. जिसके लिए उन्होंने मशहूर गायक शान व ममता शंकर की आवाज में गाने भी रिकार्ड कर लिए हैं. फिल्म के मुख्य कलाकार नवोदित रोहित कुमार और ब्रिटिश अभिनेता डेविड हैं. शेष कलाकार व तकनीशियनों के चयन के बाद इस फिल्म को माऊंट आबू, जोधपुर, जयपुर के खूबसूरत लोकेशनों पर फिल्माया जाएगा.

फिल्म ‘‘इंग्लिश की टांय-टांय फिस्स’’ की कहानी के अनुसार डेविड अपनी बहन के साथ भारत भ्रमण पर आते हैं. वह राजस्थान के एक गांव पहुंचते हैं, जहां के लोग न उसकी बात समझते हैं, न ही वह उनकी. इसी बीच इन्हें शहर में पढ़ा लिखा रोहित मिलता है, वह डेविड और गांव वालों के बीच सेतु का काम करता है. इस फिल्म में स्वच्छता अभियान को महत्व दिया जाएगा. इसमें इस बात को रेखांकित किया जाएगा कि किस तरह कोई गांव ‘आदर्श ग्राम’ बनता है.

अभय देओल और उनकी राजनीतिक समझ

आनंद एल राय निर्देशित फिल्म ‘‘रांझणा’’ में एक राजनेता का किरदार निभाने के बाद अभय देओल हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ में भी लाहौर के बिलाल के किरदार में नजर आए, जिन्हे न चाहते हुए अपने पिता की इच्छा के आगे झुककर राजनेता बनना पड़ता है. ‘रांझणा’ में उनके किरदार का पैशन राजनीति थी, जबकि ‘हैप्पी भाग जाएगी’ में उनके किरदार का पैशन राजनीति नहीं है. ऐसे में निजी जीवन में वह राजनीति को लेकर क्या सोच रखते हैं, यह जानना कम दिलचस्प नहीं रहा.

हाल ही में अभय देओल से मुलाकात होने पर जब हमने उनसे जानना चाहा कि राजनीति को लेकर उनकी अपनी समझ क्या है? तो अभय देओल ने ‘‘सरिता’’ पत्रिका को बताया-‘‘सच कहूं तो मुझे राजनीति की कोई समझ नही है. राजनीति हो या व्यापार हो, हर चीज पैसे से संचालित होती हैं. यह दुर्भाग्य की बात है. पैसा ही मानवता को भी संचालित करती है. जबकि होना यह चाहिए कि मानवता को संचालित करना चाहिए कि क्या बिजनेस किया जाए और किस तरह की राजनीति विकसित हो? पर जो हालात हैं, वह सिर्फ भारत ही नही पूरे विश्व के हैं.

आज की तारीख में कोई भी इंसान देश या समाज में बदलाव लाने के लिए राजनीति का हिस्सा नहीं बनता. सभी सिर्फ पैसा कमाने के लिए राजनीति से जुड़ रहे हैं. पूरे विश्व का माहौल इतना गंदा हो गया है कि यदि आप राजनीति में रहते हुए भ्रष्टाचार से दूर रहना चाहते हैं, तो संभव नहीं हैं. राजनेता को भ्रष्ट होना ही पड़ता है.’’

जब हमने उनसे पूछा कि राजनीति में जो हालात हैं, उनसे उबरने का कोई रास्ता उन्हे नजर आता है? तो अभय देओल ने कहा-‘‘इसके लिए जरूरी है कि हर आम इंसान जागरूक हो और एकता के सूत्र में बंधे. हम जिन्हें सरकार कहते हैं, वह आते कहां से हैं? वह भी हमारे ही बीच से ही हैं. हम ही उन्हें वोट देकर चुनकर भेजते हैं. मुझे लगता है कि लोग वोट देते समय सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं. जिस दिन लोग अपने बारे में सोचना छोड़कर दूसरों के बारे में, समाज व देश के बारे में सोचना शुरू करेंगे, उसी दिन वोट देने का उनका तरीका बदलेगा. तभी राजनीति में बदलाव आएगा. देखिए, बिना सरकार के तो देश चल नहीं सकता. इसके अलावा गीता मे कहा गया है कि हर इंसान को उसके कर्म के अनुसार ही सब कुछ मिलेगा. इसे हमें याद रखना चाहिए. ’’

कांग्रेस पर भारी, सोनिया की बीमारी

70 साल की हो चलीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पिछले पखवाड़े दो बार अस्पताल में भर्ती हुईं और अब स्वास्थ लाभ ले रहीं हैं, लेकिन उनकी खराब सेहत का असर पार्टी पर पड़ता दिखाई देने लगा है. दूसरी पंक्ति के कांग्रेसी नेताओं को नहीं मालूम कि देश में चल रही राजनैतिक उठापटक पर उन्हे क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है, लिहाजा तमाम कांग्रेसी नेता असमंजस के चलते राहुल गांधी के बयानों को विस्तार देते मौजूदा मुद्दों पर रटी रटाई भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.

देश की राजनीति में दो मुद्दे ही अहम हैं पहला कश्मीर समस्या और दूसरा सदावहार मुद्दा दलित हैं. जब राहुल गांधी आरएसएस को निशाने पर लेते उसके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कहते हैं तो अब कोई प्रतिक्रिया नहीं होती, उनकी तर्ज पर कांग्रेसी भी राहुल का कहा दोहरा देते हैं क्योंकि कांग्रेस के संविधान का एक अलिखित अनुच्छेद यह भी है कि जो राहुल सोनिया कह दें, उसे ही दोहराते रहना है.

दलितों से भाजपा की हमदर्दी दिखावा है राहुल का यह बयान भी वे रट्टू तोते की तरह दोहरा देते हैं. यानि जब तक सोनिया स्वस्थ होकर मैदान में नहीं आ जातीं तब तक यह दोहराव चलता रहेगा. इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान उत्तर प्रदेश में हो रहा है जहां पार्टी की अगुवाई करने वाले प्रदेश अध्यक्ष फिल्म अभिनेता राज बब्बर और मुख्यमंत्री पद की दावेदार शीला दीक्षित हाथों मे गुलदस्ता लिए अपनी बॉस की वापसी का इंतजार इतनी खामोशी से कर रहे हैं कि लगता है कि कांग्रेस वहां चुनाव लड़ने की रस्म भर अदा कर रही है.

उलट इसके बसपा प्रमुख मायावती ताबड़तोड़ रैलियाँ कर रहीं हैं और अंदरूनी कलह से जूझती सपा के जूनियर बॉस मुख्य मंत्री अखिलेश यादव थोक में सौगातें बांटते मतदाताओं को लुभा रहे हैं. भाजपा गुपचुप तरीके से जातिगत सेंधमारी में जुटी अपनी स्थिति मजबूत कर रही है. इस परिदृश्य में कांग्रेस अमेठी और रायबरेली को ही उत्तर प्रदेश मान बैठी है और वहां भी उसकी हालत खस्ता है राहुल गांधी का सार्वजनिक विरोध इस बात की पुष्टि भी करता है, प्रियंका गांधी का जादू चढ़ने के पहले ही उतर गया लगता है.

ऐसे में सोनिया गांधी की बीमारी यूपी पर भारी पड़ रही है, तो इसका खामियाजा भी भुगतने कांग्रेस को तैयार रहना चाहिए, जिसके सिपाही बगैर सेनापति के रण क्षेत्र में असहाय से खड़े तमाशा देखते  वक्त काट रहे हैं और राज बब्बर और शीला दीक्षित अपने बंगलों मे बगैर किसी बीमारी के आराम फरमा रहे हैं, जिनके भरोसे कई नारे और अभियान चलाने की बात कांग्रेस कर चुकी है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें