साल 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा नेता अखिलेश यादव ने हाईस्कूल पास करने वाले सभी छात्रों को टैबलेट और इंटरमीडिएट पास करने वाले सभी छात्रों को लैपटौप देने का वादा किया. युवाओं ने बडी संख्या में वोट देकर समाजवादी पार्टी को बहुमत से सरकार बनाने का मौका दिया. मुख्यमंत्री बनने के बाद यह वादा पूरा करना मुश्किल काम होने लगा तो सरकार ने शर्तों के साथ अपना वादा पूरा करने की कोशिश शुरू की. साल 2012 के इंटरपास उन बच्चों को लैपटौप दिया गया जिन्होने इंटरपास करने के बाद अगली क्लास में प्रवेश लिया था. जो बच्चे इंजीनियरिंग, डाक्टरी और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये अगली क्लास में प्रवेश नहीं लिया, उनको लैपटौप नहीं दिये गये. साल 2012 के बाद तो केवल चुने गये बच्चों को ही लैपटौप दिये गये.
इंटरपास बच्चों को तो कुछ शर्तो के साथ लैपटौप दिया भी गया, हाईस्कूल पास बच्चे तो टैबलेट के वादे के पूरा होने का इंतजार ही करते रह गये. यह बच्चे उस समय भले ही वोटर नहीं थे, पर अब 2017 के विधानसभा चुनाव में यह वोटर बन चुके हैं. ऐसे में उनको समाजवादी स्मार्टफोन के बादे पर यकीन कैसे होगा समझने वाली बात है. अखिलेश सरकार 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी को स्मार्टफोन देने की बात कर रही है. उसमें भी सभी के लिये यह फोन नहीं है. यह फोन हाईस्कूल पास करने वाले उन लोगों के लिये है जिनके माता पिता सरकारी नौकरी में नहीं होगे. जिनकी सालाना आय 2 लाख रूपये से कम होगी.
2012 में लैपटौप और टैबलेट की योजना बनाते समय हाईस्कूल और इंटर पास करने वाले बच्चों की संख्या और इसमें खर्च होने वाले बजट का कोई ध्यान नहीं रखा गया था. उत्तर प्रदेश में हर साल 26 लाख बच्चे हाईस्कूल और 18 लाख बच्चे इंटर पास करते हैं. इस तरह हर साल 44 लाख लैपटौप और टैबलेट की जरूरत थी. इतनी बडी तादाद में लैपटौप या टैबलेट देना संभव नहीं था. तब सरकार ने हाईस्कूल के बच्चों को योजना से बाहर कर दिया, क्योंकि वह वोटर नहीं थे. इंटर पास करने वाले बच्चों को भी कटौती के साथ एक साल लैपटौप बांटे गये. 5 साल तक लैपटौप बांटना सरकार के लिये मुश्किल हो गया तब केवल मेधावी बच्चों को ही यह बांटे जाने लगे.