इसे किसानों को बिचौलियों से बचाने की मुहिम कहें या उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की योजना, लेकिन जो भी हो, अब किसानों के अच्छे दिन आने शुरू हो जाएंगे यानी किसान यहां अपनी फसल बेच सकेगा. फसल के मूल्य के साथ कंपनी को जो भी लाभ होगा, किसान उसे आपस में बांट लेंगे.

नाबार्ड के सहयोग से बनी इस कंपनी का नाम ‘बदायूं फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ रखा गया है. कृषि के संस्थागत विकास से किसानों की माली हालत सुधारने के लिए केंद्र सरकार कृषि उत्पादक संगठन द्वारा इस योजना में बोआई से ले कर फसल बेचने तक जितना फायदा होगा, उसे किसानों में बांटा जाएगा.

यह जानकारी देते हुए नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक सुधीर सक्सेना ने बताया कि यह कंपनी शेयर आधारित है. इस में 500 से 1 हजार किसान शामिल किए जाएंगे.

कंपनी बन जाने से किसानों को खाद बीज के साथ-साथ कीटनाशक भी सीधे कंपनी से खरीदने का अधिकार मिल जाएगा और वे फसल की बिक्री सीधे कर सकेंगे. कंपनी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन और रख-रखाव में खर्च होने वाली धनराशि नाबार्ड द्वारा 3 सालों तक वहन की जाएगी.

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