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हिम्मत

अंधेरा होते ही बबली का पति काम कर के अपने घर आ गया था. बबली भी एक कबाड़ी के गोदाम पर गंदगी के ढेर से बेकार चीजों की छंटाई का काम करती थी. उसे 2 सौ रुपए रोजाना मिलते थे. पति पत्नी दोनों बड़ी लगन से मेहनतमजदूरी करते थे, तभी घर का खर्च चल पाता था. कबाड़ी के गोदाम पर बबली जैसी 4-5 औरतें काम करती थीं. सभी औरतें झोंपड़पट्टी इलाके की थीं. उन के पति भी किसी चौधरी के खेतों में काम करते थे. सुबह 6 बजे जाते थे और शाम को 6 बजे थकेहारे लौटते थे. घर आते ही उन में इतनी ताकत नहीं होती थी कि अपनी झोंपड़ी से थोड़ी दूर पैदल जा कर नहर में नहा आएं.

बबली का पति मेवालाल तो रोजाना की इस कड़ी मेहनत से सूख कर कांटा हो गया था. उस के बदन का रंग काला पड़ गया था. गरमी के चलते कई दिनों से नल में पानी नहीं आ रहा था. अगर पानी आ भी जाता था, तो गरीब बस्ती से पहले दबंग लोगों की कालोनी थी, जहां हर घर में बिजली की मोटर लगी थी. जब बड़े घरों में बिजली की मोटरें चलेंगी, तो गरीबों के नल में पानी आना कतई मुमकिन नहीं. ऐसे हालात में गरीब बस्ती वालों का एकमात्र सहारा बस्ती से थोड़ी दूर बहती गंदे पानी की नहर थी. अंधेरा होने पर बस्ती की जवान बहू बेटियों की इज्जत पर कितनी बार हमले हो चुके थे. गरीब लोग दबंगों के ऐसे हमले सहने को मजबूर थे.

मेवालाल सारा दिन मेहनत मजदूरी करने की वजह से प्यास से मरा जा रहा था. उसे नहाना भी था. घर में पानी की एक बूंद नहीं थी. उस ने बबली को नहर से पानी लाने को कहा. बबली भी थकी हुई थी. उस ने तुनक कर जवाब दिया, ‘‘इतनी दूर से पानी कैसे लाऊंगी? मैं भी थकी हुई हूं. तुम नहर पर जा कर नहा आओ. देर भी हो गई है. अंधेरा फैला हुआ है.’’

‘‘सारा दिन काम करतेकरते पूरे जिस्म से जान निकली जा रही है. अगर मैं मर गया, तो तुम विधवा हो जाओगी. चलता हूं तो चक्कर आते हैं. कहीं नहर में गिर गया तो…

‘‘मेरी नखरे वाली बिल्लो, जा पानी ले आ. अभी तो 3 बेटियां ब्याहनी हैं. अकेले ही तीनों को कैसे ठिकाने लगाओगी?’’ मेवालाल ने बबली की चिरौरी की, तो वह मान गई.

‘‘हां हां, मैं ही मिट्टी की बनी हूं. मुझ पर ही जवानी चढ़ी जा रही है. सारा दिन मैं भी तो मेहनत करती हूं,’’ बबली ने भी अपनी हालत बयान करते हुए थकेहारे लहजे में कहा, तो मेवालाल खामोश रहा. भारी थकावट के चलते उस का बदन दर्द के मारे दुखा जा रहा था. उस की उम्र अभी 35 साल से ज्यादा नहीं थी, मगर कमजोरी के चलते कितनी बीमारियों ने उस के बदन में घर बना लिया था. थकीहारी बबली ने दुखी मन से बड़ा बरतन उठाया और पानी लेने चली गई. रास्ता कच्चा और ऊबड़खाबड़ था. अंधेरे के चलते बबली ठोकर खाती नहर की तरफ बढ़ रही थी, तभी उस के कानों में एक मर्दाना आवाज आई. उस के सामने इलाके का दबंग आदमी रास्ता रोक कर खड़ा हो गया था. वह शायद शराब के नशे में चूर था. वह पहले भी इसी रास्ते पर बबली से जोरजबरदस्ती कर चुका था. बसअड्डे पर उस की मोटर मेकैनिक की दुकान थी.

उस दबंग की 2 बार शादी हुई थी. दोनों ही बार उस की शराब पीने की आदत के चलते घरवालियां भाग चुकी थीं. अब वह दूसरों की घरवालियों पर तिरछी नजर रखता था. बबली कबाड़ के गोदाम पर काम करती थी. गोदाम का मालिक पाला राम उस का दोस्त था. इसी दोस्ती के चलते वह दबंग बबली पर अपना हक समझने लगा था. ‘‘अरे, इस अंधेरी रात में इतनी दूर से पानी ले कर आओगी. इस तरह तो तेरी जवानी का कचरा हो जाएगा. मेरी रानी, तू अगर रात को मेरे पास आ जाया करे, तो मैं तेरी झोंपड़ी के सामने ही पानी का ट्यूबवैल लगवा दूंगा. बोल, रोज रात को मेरे कमरे पर आया करेगी?’’ सामने रास्ता रोक कर उस मोटर मेकैनिक ने रोमांटिक होते हुए पूछा.

‘‘मुझे अपने घरवाले के लिए नहाने का पानी ले जाना है. मैं सारा दिन काम कर के थकीहारी लौटी हूं. कहीं दूसरी गंदी नाली में मुंह मार,’’ दहाड़ते हुए बबली ने कहा.

‘‘अरे, क्यों उस मरे हुए आदमी के लिए अपनी मस्त जवानी बरबाद कर रही है? उसे छोड़ कर मेरे साथ आ जा. मैं तुझे रानी बना कर रखूंगा,’’ कहते हुए हवस से भरे उस मोटर मेकैनिक ने थकीहारी बबली को गोद में उठा कर साथ ही के खाली प्लाट में जमीन पर गिरा दिया और उस की साड़ी उतारने पर आमादा हो गया. सारे दिन की थकीहारी बबली अपनेआप को बचा नहीं पा रही थी. मोटर मेकैनिक अपनी मनमानी कर के माना. बबली अपनी आबरू गंवा बैठी. जातेजाते वह दबंग 5 सौ रुपए का नोट देते हुए बोला, ‘‘ऐसे ही मजे देती रहेगी, तो तुझे मालामाल कर दूंगा.’’

‘‘मैं थूकती हूं तेरे रुपयों पर. आज तो तू ने अपनी मनमरजी कर ली, दोबारा ऐसी कोशिश मत करना. अगर कोशिश की, तो बहुत बुरा अंजाम होगा,’’ बबली ने उसे चेतावनी दी. उस ने अपने कपड़े पहने और रोतीसिसकती पानी लाने नहर पर चली गई. घर जा कर बबली ने पति को सारी बात बताई और यह भी कहा कि मोटर मेकैनिक की बेहूदा हरकत पर उसे सबक सिखाना बहुत जरूरी हो गया है. अगली सुबह मेवालाल बबली के साथ बस्ती के नजदीक पुलिस थाने पहुंचा. पहले पहल तो थानेदार ने उन की शिकायत सुनी ही नहीं, उलटे बबली पर ही देह धंधा करने का आरोप लगा दिया. जब बबली ने बड़े साहब के पास जाने की धमकी दी, तब थानेदार ने एक पुलिस वाला भेज कर मोटर मेकैनिक को थाने बुला लिया. थानेदार ने जब मोटर मेकैनिक को बबली के साथ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी, तो वह थानेदार के साथ मुंशी के केबिन में घुस गया.

पता नहीं, मुंशी के केबिन में उन के बीच क्या कानाफूसी हुई. थोड़ी देर में थानेदार केबिन से मोटर मेकैनिक के साथ बाहर निकला और उस के साथ बबली को धमकाते हुए फिर कभी ऐसी गलती न करने की चेतावनी देते हुए थाने से निकाल दिया. बबली ज्वालामुखी की तरह दहक उठी थी. वह तो मोटर मेकैनिक से बदला लेना चाहती थी. तब उस ने अपनी बस्ती की तमाम सयानी औरतों के सामने अपना दर्द रखा. साथ ही, यह गुहार भी लगाई कि अगर ऐसे दबंगों पर शिकंजा न कसा गया, तो ये किसी की भी बहनबेटी पर जबरन हाथ डाल सकते हैं. सब औरतों ने बबली को भरोसा दिलाया कि अगर अब फिर कभी मोटर मेकैनिक ऐसी हरकत करेगा, तो वह बस्ती की दबंग औरत फुलवा को फोन कर के जगह बता दे.

बबली ने एक पुराना मोबाइल फोन खरीदा. उस ने सोच लिया था कि अगर मोटर मेकैनिक दोबारा ऐसा करता है, तो उस का अंजाम बहुत बुरा होगा. अब वह रोजाना नहर पर रात के अंधेरे में पानी लेने जाती थी. एक दिन शाम ढलने के बाद वह पानी लेने गई, तभी मोटर मेकैनिक फिर मिल गया.

‘‘क्यों रानी, मेरी शिकायत पुलिस में कर के देख ली? क्या हुआ… कुछ भी नहीं. थानेदार भी मेरा चेला है. मेरे दबदबे से तो उस की हवा निकलती है. मेरी रातें रंगीन कर दे मेरी रानी. मैं तुझे महारानी बना दूंगा,’’ शराब के नशे में झूमते हुए मोटर मेकैनिक ने बबली के उभारों पर हाथ रखा.

‘‘यहां रास्ते में कोई आ जाएगा. मैं नदी पर जा रही हूं. तुम आगेआगे वहीं पहुंचो. नहाधो कर वहीं पर मजे लूटेंगे,’’ मन ही मन सुलगते हुए बबली शहद घुली आवाज में बोली. बबली की यह बात सुन कर मोटर मेकैनिक खुशी के मारे झूम उठा. वह तेजतेज चलते हुए आगे बढ़ने लगा. बबली ने अपनी बस्ती की फुलवा को फोन कर दिया. वह धीरेधीरे चलते हुए नहर के किनारे पहुंची. मोटर मेकैनिक बेसब्री के आलम में जल्दीजल्दी बबली की साड़ी खोलने लगा.

बबली ने झिड़क कर उसे रोक दिया, ‘‘रुको… मैं नहा तो लूं. बदन की थकावट उतर जाएगी, तो मस्ती मारने का मजा भी खूब आएगा,’’ बबली ने रोकना चाहा, तो मोटर मेकैनिक रुका नहीं. उस ने बबली को अपनी बांहों में कस कर जमीन पर गिरा दिया. मोटर मेकैनिक उस पर झपटने ही वाला था कि तभी एकसाथ कई आवाजें सुन कर वह चौंक उठा. बस्ती की कितनी औरतें हाथों में जूतेचप्पलें ले कर आई थीं. जवान लड़के भी पूरी तैयारी के साथ वहां पहुंच गए थे. सब के हाथों में टौर्च भी थी.

‘‘बदमाश, तू दूसरों की बहन बेटियों को अपनी जागीर समझता है. बहुत जोश भरा है तेरे अंदर? अभी तेरा इलाज करते हैं,’’ बस्ती की फुलवा गुस्से के मारे दहाड़ उठी थी. इस के बाद तो रात के अंधेरे में सब उस मोटर मेकैनिक पर बरस पड़े.

मोटर मेकैनिक की हालत खराब हो गई थी. उसे कोई बचाने वाला नहीं था. सब उसे पकड़ कर घसीटते हुए बस्ती में ले आए.

‘‘यह ले, इस कागज पर दस्तखत कर दे, वरना तेरी हालत और भी बुरी हो जाएगी,’’ फुलवा ने एक सादा कागज उस के सामने रखते हुए कहा.

‘‘यह क्या है?’’ बुरी तरह घायल मोटर मेकैनिक ने बड़ी मुश्किल से पूछा. उस की आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था. अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करते ही वह जमीन पर चीखते हुए गिर पड़ा था. ‘‘अगर फिर कभी दोबारा तुम ने किसी भी बहनबेटी की तरफ बुरी नजर से देखा, तो तेरा अंगअंग काट दिया जाएगा. इस सजा की जिम्मेदारी सिर्फ तेरी होगी. किसी दूसरे को आरोपी नहीं माना जाएगा, इसलिए तेरे दस्तखत कराना जरूरी है.

‘‘हम इस कागज की एक कौपी थाने में और एक कौपी कचहरी में जमा कराएंगे,’’ फुलवा ने सारी बात समझाई, तो उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया. उस की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था. जबान मानो तालू से चिपक गई थी.

‘‘अरे, मोटर मेकैनिक बाबा, अभी दस्तखत कर दो, वरना गुस्से में आई ये औरतें तेरा आज ही अंग भंग कर देंगी. अगर तुम इन औरतों से बच गए, तो हम तुझे अभी नहर में फेंक देंगे. बस्ती में हमारी मांबहनें रहती हैं. जल्दी दस्तखत कर,’’ वहां जमा हुए लड़कों में से एक ने कहा. मोटर मेकैनिक ने कांपते हाथों से कागज पर अपने दस्तखत करने में ही भलाई समझी. दस्तखत करते ही वह बेहोश हो गया. बबली ने साथ आई औरतों का शुक्रिया अदा किया. उस ने महसूस किया कि हिम्मत और सूझबूझ से बड़ी से बड़ी मुसीबत से पार पाई जा सकती है.

आलोचक सच्चे हितैषी: अभिषेक बच्चन

स्टार पुत्र अभिषेक बच्चन का 16 वर्ष का अभिनय कैरियर हिचकोले खाते हुए आगे बढ़ रहा है, जबकि वे जे पी दत्ता और मणिरत्नम जैसे दिग्गज फिल्मकारों के साथ काम कर चुके हैं. उन के कैरियर की हालत यह है कि वे जिस मल्टीस्टारर फिल्म का हिस्सा बनते हैं, वह फिल्म जरूर हिट हो जाती है मगर जब भी वे सोलो हीरो वाली फिल्म करते हैं, उन्हें असफलता ही हाथ लगती है.

आप अपना अब तक का कैरियर किस तरह देखते हैं?

हर इंसान की तरह मेरे कैरियर में भी उतारचढ़ाव आते रहे. मैं ने हमेशा हर फिल्म में कुछ अलग करने का प्रयास किया. अलग तरह का किरदार चुनने की कोशिश की. मैं हमेशा अपने ऊपर फिट बैठने वाले चरित्रों की तलाश में रहता हूं. मेरी कोशिश रही है कि फिल्म दर फिल्म मेरी अभिनय प्रतिभा में निखार आए.

सच कहूं तो अभी तक मुझे ऐसे किरदार नहीं मिले, जिन के साथ मैं पूरा न्याय कर सकूं. मैं निरंतर खुद को एक कलाकार के तौर पर खोजता आ रहा हूं. यह प्रक्रिया सतत जारी रहेगी. मैं आज भी सीख रहा हूं. वैसे मुझे किसी भी फिल्म में काम करने का मलाल नहीं है. मैं वह फिल्म नहीं करता, जो मुझे कथानक व पटकथा के स्तर पर पसंद न आए. मैं ने अपनी अब तक की हर फिल्म में काम करते हुए ऐंजौय किया.

आप की फिल्म ‘औल इज वेल’ बौक्स औफिस पर नहीं चली, क्या कमी रह गई थी?

पहली बात तो फिल्म के बनने में काफी देर हो गई. हम इस फिल्म को 6 माह में बना कर रिलीज कर देना चाहते थे, लेकिन फिल्म के निर्माण में 3 साल लग गए. दूसरी बात ईमानदारी से कहूं तो इस फिल्म के लिए मेरा चयन शायद गलत हुआ था. मुझे प्रतिक्रिया मिली कि आप के सामने जो विलेन थे, जिन की वजह से आप भाग रहे थे, वे ऐसे थे, जिन्हें देख कर लगता नहीं था कि आप इन से डरते हों. मुझे भी यह समस्या समझ में आई. मैं शारीरिक रूप से इतना बड़ा हूं कि जो मेरे सामने कलाकार थे, हालांकि वे बहुत अच्छे कलाकार हैं, मो. जिशान अयूब, वे पहली बार मुझे धमकी देते हैं तो लगता है कि एक थप्पड़ मारो, ठीक हो जाएगा. ऐसे इंसान से डर कर रोड ट्रिप पर जाना व भागना गलत लगता है. यदि मैं इस फिल्म में न होता तो शायद यह फिल्म चल जाती.

आप ने कहीं कहा है कि फिल्म का पहला ट्रायल देख कर हर कलाकार समझ जाता है कि फिल्म चलेगी या नहीं. उस के बाद भी आप प्रमोशन में फिल्म की वाहवाही करते हैं?

मैं स्पष्ट कर दूं कि मैं ने सिर्फ डबिंग के समय अनएडिटेड वर्जन के कुछ अंश देखे थे, जिन से फिल्म को ले कर कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता था, पर जब हम पहली बार पूरी फिल्म देखते हैं, तो उस के चलने या न चलने का एहसास हो जाता है. आखिर हम भी दर्शक की हैसियत से ही फिल्म देखते हैं, लेकिन जब हम ने फिल्म में काम किया है, तो हमें अंत तक उस के साथ रहना होता है. मेरा मानना है कि एक बार यदि फिल्म करने की हामी भर दी, तो फिर उसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए.

मीडिया को ले कर आप की क्या सोच है?

मीडिया चाहे भारतीय हो या विदेशी, सब जगह वह अपना काम सही ढंग से कर रहा है. मेरी समझ में यह नहीं आता कि हम क्यों सोचते हैं कि कलाकार और मीडिया के बीच काफी तनाव है? मीडिया तो मीडिया है. मेरे नानाजी भी पत्रकार थे. लोग फिल्म आलोचकों को ले कर कई तरह की बातें करते हैं. कुछ कलाकार तो शिकायत करते हैं कि फलां आलोचक ने बहुत बुराई लिख दी.

मेरी राय में कोई भी आलोचक निजी दुश्मनी नहीं रखता. मेरा मानना है कि यह आलोचक भी हमारे दर्शक हैं. मुझे लगता है कि यह फिल्म आलोचक हम कलाकारों को सलाह देने का काम करते हैं. वे हमें मुफ्त में सलाह देते हैं, ‘भाई, तुम अपने अभिनय में, अपने किरदार में यह बदलाव करो.’ तो फिर वह गलत कैसे हो गया. हम लोग क्यों खामखां रक्षात्मक हो जाते हैं. फिल्म आलोचक कभी यह नहीं कहता कि कलाकार को क्या करना चाहिए.

जब मेरे कैरियर की शुरुआत हुई थी, तब जो भी आलोचक मेरे अभिनय की कमियां गिनाते थे, तो उन पर निशान लगा कर मैं अपने कमरे की दीवार पर चिपका लेता था. मेरी कोशिश होती थी कि जो दीवार पर चिपकाया है, वह कमी फिल्म दर फिल्म दूर होती जाए. इस का अर्थ यह था कि मैं अपने अभिनय में सुधार कर रहा हूं. मेरे विचार से आलोचक आप के सब से बड़े हितैषी होते हैं.

सोशल मीडिया पर भी आप व आप के परिवार के बारे में काफी कुछ लिखा जाता रहा है?

देखिए, मेरा मानना है कि मैं पब्लिक फिगर हूं. मैं पब्लिक के लिए काम करता हूं, तो यह जरूरी नहीं कि पब्लिक सिर्फ अच्छी बात ही कहेगी. उन का हक है कि वे अपने मन की हर बात सोशल मीडिया पर लिखें. मेरा सोशल मीडिया अकाउंट निजी नहीं है, हर किसी को उस पर अपनी बात लिखने का हक है.

क्या आप एडल्ट कौमेडी वाली फिल्में करना चाहेंगे?

सिनेमा तो सिनेमा है. हर इंसान को अपनी पसंद का सिनेमा देखने का हक है. कोई जबरन आप को फिल्म नहीं दिखा सकता. पर जहां तक मेरा अपना सवाल है, तो मैं ऐसी फिल्में नहीं करना चाहूंगा, क्योंकि मुझे ये समझ में नहीं आतीं.

निजी जिंदगी में आप कबड्डी के खेल से जुड़ कर ‘प्रो कबड्डी’ की एक टीम के मालिक हैं. ऐसे में किसी खेल पर फिल्म बनाने के बारे में नहीं सोचा?

मैं ऐसी फिल्में करना चाहता हूं, जो  किसी खेल से संबंधित हों लेकिन किसी इंसान के बारे में न हों. यह मानवीय कहानी होनी चाहिए. आप फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ देखें तो यह फिल्म मिल्खा सिंह की दौड़ की कहानी नहीं है. किसी भी खेल पर फिल्म बनाई जा सकती है, बशर्ते उस खेल से जुड़ी कोई मानवीय कहानी मिल जाए.

कुछ कलाकारों का मानना है कि बौलीवुड में लोग अपने लाभ के लिए रिश्ते बनाते या बिगाड़ते हैं. आप की इस पर क्या राय है?

मैं इस से सहमत नहीं हूं. मेरे लिए रिश्ते बहुत माने रखते हैं. रिश्तों को लाभ के लिए बनाना या बिगाड़ना मेरी फितरत नहीं है, पर दूसरे ऐसा नहीं करते होंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता. हर प्रोफैशन में लोग उन्हीं से रिश्ते बनाते हैं, जो उन के काम आते हैं.

लोग सिनेमा में बदलाव की बातें कर रहे हैं, लेकिन हमारे यहां हीरो प्रधान सिनेमा अब भी है?

ऐसा न कहें, ‘क्वीन’, ‘तनु वैड्स मनु’, ‘एनएच 10’, ‘नीरजा’ सहित कई फिल्में नारी प्रधान भी हैं. मैं आप की बात से सहमत नहीं हूं. जो फिल्में निर्माता को बौक्स औफिस पर कमा कर देंगी, निर्माता उसी तरह की फिल्में ज्यादा बनाना चाहेगा, लेकिन 2-3 नारी प्रधान फिल्मों की सफलता से लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है. अब कई तरह की फिल्में बन रही हैं.

क्या हौलीवुड फिल्में बौलीवुड के लिए खतरे की घंटी हैं?

मैं ऐसा नहीं मानता. हौलीवुड की साल में 1 या 2 फिल्में आएंगी और सफलता बटोर लेंगी. हमारे और उन के कल्चर में बहुत  अंतर है. इसी के चलते भारतीय फिल्में विदेशों में बहुत ज्यादा नहीं चलतीं. हमारा कल्चर एकदम अलग है. फिल्म ‘हाउसफुल 3’ अपनी कौमेडी और गानों की वजह से दर्शकों को पसंद आई जबकि हौलीवुड में लोगों को यह फिल्म समझ में ही नहीं आएगी. ‘जंगल बुक’ फिल्म सफल हुई, पर ‘जंगल बुक’ का आधार भारत ही है. हौलीवुड की वही फिल्में भारत में सफल होंगी, जिन का कुछ न कुछ भारतीय दर्शकों के साथ जुड़ाव होगा. इस वजह से हमें सतर्क रहने की भी जरूरत है. हमें अच्छी फिल्में बनानी पड़ेंगी. वे हमें चुनौती दे रहे हैं, तो हम भी उन्हें चुनौती दे रहे हैं. हमारी कई तमिल फिल्में अमेरिका में तहलका मचा रही हैं.

ब्रेकअप आफ्टर सैक्स

एक अंगरेजी वैबसाइट के अनुसार सेमी पहले अपने बौयफ्रैंड के साथ काफी लंबे समय तक रही, लेकिन किसी वजह से उस का उस से ब्रेकअप हो गया, जिस के बाद वह बिलकुल अकेली पड़ गई. वह डिप्रैशन में चली गई, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. इस के बाद सेमी ने पढ़ाई के साथसाथ एक पार्टटाइम जौब जौइन की और ब्रेकअप से उबरने के लिए सैक्स का सहारा लेने लगी. वह अजनबी युवकों के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगी. एक तरह से उसे सैक्स की लत लग गई थी, जिस कारण उस ने पढ़ाई तक छोड़ दी थी. यह सिर्फ सेमी की कहानी नहीं है बल्कि बहुत सी युवतियां हैं जो ब्रेकअप के बाद खुद को संभाल नहीं पातीं और गलत राह पर चल पड़ती हैं वे अपना कैरियर तक तबाह कर बैठती हैं. इस बारे में मनोचिकित्सक स्मिता देशपांडे का कहना है कि यह बात सही नहीं है. माना ब्रेकअप का होना जिंदगी में घटने वाली एक बहुत बड़ी घटना है, लेकिन अगर कोशिश की जाए और हिम्मत से काम लिया जाए तो इस गम से बाहर निकला जा सकता है.

पढ़ाई से मन हटना

एक बार मन जब सैक्स या इसी तरह के अन्य व्यसनों की तरफ चला जाता है तो मन पढ़ाई से कोसों दूर भागने लगता है. रातों की नींद और दिन का चैन उड़ जाता है और बस, इन्हीं बातों में ध्यान अटक जाता है. कालेज जाने पर भी साथी से मिलने का खयाल बेचैन किए रखता है. लैक्चर अटैंड कर भी लिए तो जो पढ़ाया वह समझ से बाहर हो जाता है, क्योंकि दिल तो कुछ और ही चाहता है. ऐसी स्थिति में नोट्स बनाना व पढ़ना कहीं पीछे छूट जाता है.

सैक्स की लत

‘लत लग गई… लग गई मुझे तो तेरी लत लग गई…’ यह गाना तो आप ने सुना ही होगा. एक बार सैक्स की लत लग जाने पर बारबार उस की तलब उठती है और जब साथी पास न हो या उस से ब्रेकअप हो जाए तो युवा उस के लिए सैक्स टौयज आदि का सहारा लेना शुरू कर देते हैं जोकि हर वक्त सही नहीं रहता. दूसरे, इस के बारे में अगर घर वालों को पता चल जाए तो छोटे या बडे़ भाईबहनों के सामने शर्मिंदगी महसूस होती है सो अलग. इसलिए सैक्स रिलेशनशिप में रहने के बाद जब ब्रेकअप होता है तो उस से बहुत सी मैंटल और फिजिकल प्रौब्लम्स हो जाती हैं.

सैक्स के साइड इफैक्ट

असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर कई बार कुछ ऐसी जानलेवा बीमारियां लग जाती हैं जिन की वजह से पूरी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है. साथ ही अगर किसी गलत जगह पर सैक्स किया जाए तो ब्लैकमेलिंग आदि का शिकार भी हो सकती हैं.

दोबारा भरोसा करना मुश्किल

एक बार ब्रेकअप के बाद किसी दूसरे पर भरोसा करना बहुत मुश्किल होता है. कई बार युवतियां इस वजह से डिप्रैशन में चली जाती हैं और अगर ब्रेकअप सैक्स के बाद हुआ हो तब तो सिचुऐशन और भी नाजुक हो जाती है.

कई युवतियां बहुत भावुक होती हैं और उन्हें लगता है कि उन्होंने शादी से पहले यह सब क्यों किया. यही सब सोच कर वे खुद से घृणा करने लगती हैं और सभी युवकों को धोखेबाज समझती हैं. युवकों से दोस्ती करना तो दूर वे उन से बात करने से भी कतराने लगती हैं, जो सही नहीं है. जो हुआ वह गलत था लेकिन जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है.

ध्यान दें

पौजिटिव सोचें

कुछ युवकों का इंटै्रस्ट युवतियों में सिर्फ सैक्स तक ही होता है. एक बार सैक्स करने के बाद उन का मतलब पूरा हो जाता है और वे अपने रास्ते चल पड़ते हैं. वैसे तो यह स्थिति युवती के लिए दुखद ही है, लेकिन एक तरह से देखा जाए तो बात शादी तक पहुंचे और फिर रिश्ता टूटने से बेहतर है कि अभी यह बात पता चल गई और समय रहते आप एक बड़े धोखे से बच गईं. इस सदमे से उबरने में समय तो लगेगा, लेकिन पूरी जिंदगी बरबाद होने से बच जाएगी.

जल्दबाजी न करें

एक बार ब्रेकअप हो जाने के बाद जीवन में जो कमी आई है उसे भरने के लिए जल्दबाजी में कोई दूसरा बौयफ्रैंड बना लेना सही नहीं है. एक बार आप इस तरह के रिलेशन को भुगत चुकी हैं इसलिए दोबारा इस में न फंसें.

प्रैग्नैंसी टैस्ट करें

अगर सैक्स करने के कुछ ही दिन के अंतराल में ब्रेकअप हो गया है तो नजर रखें कि कहीं गलती से आप प्रैग्नैंट तो नहीं हो गईं, अगर ऐसा हो गया है तो बिना घबराए ठंडे दिमाग से इस बारे में सोचविचार करें कि आगे क्या करना है और कैसे करना है. अपने किसी खास को विश्वास में ले कर उस से इस बारे में बात करें.

तुलना न करें

अगर आप की जिंदगी में कोई दूसरा बौयफ्रैंड आ गया है, तो उस की तुलना पहले वाले से न करें. यह भी न सोचें कि वह सैक्स करने में अच्छा था और यह नहीं है. सैक्स करने और इस की फीलिंग्स सब में अलगअलग होती है इसलिए एक की तुलना दूसरे से करेंगी तो किसी भी रिलेशनशिप में न संतुष्ट हो पाएंगी और न ही खुश रह पाएंगी.

अपना मजाक न बनाएं

अपने पहले प्यार और सैक्स के किस्से अपने दोस्तों के बीच न सुनाएं, क्योंकि इस से आप स्वयं अपनी जगहंसाई करवाएंगी और अपने दोस्तों के बीच गौसिप का कारण बन कर रह जाएंगी.

आप के दोस्त आप से आप का दुख बांटने के लिए बौयफ्रैंड के किस्से सुनेंगे और उन में से कुछ लोग पीठ पीछे उन्हीं बातों को दोहरा कर आप का मजाक बनाएंगे साथ ही वे आप की गलतियां ढूंढ़ढूंढ़ कर बातें बनाने से भी बाज नहीं आएंगे.

इसलिए बेहतर है कि अगर आप कुछ शेयर ही करना चाहती हैं तो अपनी किसी खास दोस्त के साथ अकेले में बात करें और उसे भी हिदायत दे दें कि किसी से न कहे और न ही पूरे ग्रुप के सामने शुरू हो जाए.

ब्रेकअप के बाद क्या करें

–  सब से पहले खुद को संभालें, उस के लिए बिजी रहना सब से अच्छा औप्शन है. जब आप के पास कुछ सोचने का समय ही नहीं होगा तो फिर मन इधरउधर भटकेगा नहीं और आप अपने गम से बाहर निकल पाएंगी.

– अपने ऐक्स बौयफ्रैंड से दोबारा मिलने की कोशिश न करें. एक बार रिश्ते में दरार पड़ जाती है तो फिर उसे दोबारा भरना मुश्किल होता है.

– सैक्स की आदत हो गई है तो उस के लिए तुरंत पार्टनर ढूंढ़ने के बजाय सब्र से काम लें, अगर हड़बड़ाहट दिखाएंगी तो दोबारा धोखा मिलने के अधिक चांस रहेंगे.

– अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें, ये सब करने के लिए पूरी उम्र पड़ी है. कम से कम कुछ समय के लिए बे्रक लें और बिना बौयफ्रैंड के जिंदगी बिताएं, खाली समय अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ बिताएं. ऐसा करना बौयफ्रैंड को भूलने में भी मददगार होगा और आप अपने घर वालों के करीब भी आ पाएंगी.

– आप दुखी हैं तो इस का यह अर्थ नहीं कि खुद को नजरअंदाज करें. दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें. अपना कोई पुराना शौक दोबारा शुरू करें. इस से आप को गम भुलाने में काफी मदद मिलेगी.        

युवतियां ब्रेकअप के बाद भी करती हैं अपने ऐक्स बौयफ्रैंड के साथ सैक्स

अकेले रहने वाली युवतियों में से आधे से ज्यादा युवतियां नए पार्टनर तलाशने के दौरान अपने ऐक्स बौयफ्रैंड के साथ सैक्स करती हैं. चौंकिए मत, एक सर्वे से यह खुलासा हुआ है. इस सर्वे में लगभग 1 हजार युवतियों और युवकों ने भाग लिया था. अधिकतर युवतियों का कहना था कि वे अपने ऐक्स के साथ सैक्स करती हैं क्योंकि वे फिजिकल टच को बहुत मिस करती हैं.

इस सर्वे में 31 फीसदी युवतियों ने यह माना कि वे इस उम्मीद पर ऐक्स बौयफ्रैंड के साथ संबंध बनाती हैं कि उन के रिश्ते में सुधार हो सके. वहीं 43 फीसदी लड़कियों ने माना कि वे नए पार्टनर की तलाश के दौरान ऐक्स से सैक्स करती हैं. वहीं 47 फीसदी युवकों ने भी इस बात को स्वीकार किया यानी युवतियों से अधिक युवक नए पार्टनर की तलाश के दौरान ऐक्स गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करते

अखिलेश मारेंगे ‘अपराध का रावण’

उत्तर प्रदेश की राजनीति में अचानक रावण का महत्व बढ़ गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा है कि वह भी दशहरा मे रावण वध करेंगे. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ‘यूपी 100‘ के कार्यक्रम में यह बात कही. वैसे तो उनकी इस बात के कई मायने निकाले जा रहे हैं, पर मुख्यमंत्री अपराध के रावण का मारने पर ही जोर दे रहे हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डायल 100 की जगह पर ‘यूपी 100’ की शुरुआत की. अखिलेश सरकार का प्रयास है कि कोई भी 100 नम्बर मिलाये तो 15 से 20 मिनट में उसे पुलिस की सहायता हासिल हो जाये. उत्तर प्रदेश के विधानसभा के नये लोकभवन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘यूपी 100’ की शुरुआत की.

मुख्यसचिव राहुल भटनागर ने कहा कि ‘यूपी 100’ के लिये पैसे की कमी नहीं आने दी जायेगी.1600 करोड रुपये से यह योजना पूरी हो रही है. इसमें 5 हजार गाड़ियों का नेटवर्क होगा. इसमें 700 इनोवा, 2500 बोलेरो, 1600 टू व्हीलर को शामिल किया गया है. ‘यूपी 100’ मोबाइल एप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है. यह मुफ्त होगा. एप पर आपातकालीन संपर्क के लिये अधिकतम 5 मोबाइल नम्बर रजिस्टर हो सकते हैं. आपात स्थित में उपभोक्ता द्वारा रजिस्टर नम्बरों पर एसएमएस भेजा जा सकेगा. एप पर 5 स्थान रजिस्टर हो सकेंगे. मुसीबत के समय ‘यूपी 100’ से संपर्क करने पर यह लोकेशन स्वतः नजर आने लगेगी. जिन लोगों के रिश्तेदार उत्तर प्रदेश में रहते हैं तो उनकी मदद के लिये इस एप का प्रयोग कर सकते है.

विधानसभा चुनाव में अपराध एक अहम मुद्दा है. अपराध के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी की सबसे अधिक आलोचना होती है. जेल में बंद अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि को सपा का टिकट मिलने से राजनीति के अपराधीकरण की बात तेज हो गई है. ऐसे में अपनी सरकार की स्वच्छ छवि को बनाये रखने के लिये अखिलेश यादव जनता के बीच पुलिस का भरोसा बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं. ‘यूपी 100’ का संचालन बेहतर तरीके से हो गया तो यह एक अच्छा कदम साबित हो सकता है. पुलिस जनता की बात सुनकर मुकदमा कायम कर ले, तो अपराध से काफी राहत मिल सकती है. जनता में अपनी सरकार का भरोसा बढ़ाने के लिये अखिलेश अपराध के रावण को मारने की बात कह रहे है.

अपराध के रावण के बहाने अखिलेश ने प्रधानमंत्री की लखनऊ यात्रा और रावण दहन के कार्यक्रम का राजनीति जवाब भी देने की कोशिश कर रहे है. वह यह बताना चाहते हैं कि रावण दहन में भी वह पीछे नहीं रहेंगे. चुनावी संग्राम में भाजपा जिस भी अस्त्र का प्रयोग करेगी वह उसका उसी अस्त्र से मुकाबला करेंगे.

मैं ओवरवेट हूं और कई बार सर्वाइकल दर्द भी रहता है. इस से कैसे छुटकारा मिल सकता है.

सवाल

मैं ओवरवेट हूं और कई बार सर्वाइकल दर्द भी रहता है. इस से कैसे छुटकारा मिल सकता है?

जवाब

हमारी रीढ़ पर हमारे शरीर का अधिकांश वजन टिका रहता है. अधिक वजन होने पर इस में दर्द होने लगता है. लेकिन लंबे समय तक दर्द रहने पर रीढ़ कमजोर भी होने लगती है. यह स्थिति स्पाइनल स्टेनोसिस यानी स्पाइनल कैनाल में संकीर्णता की स्थिति कहलाती है. ऐसा शारीरिक संरचना पर ज्यादा दबाव के कारण होता है. इस में वजन घटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

इस के लिए व्यायाम और खानपान पर नियंत्रण जैसे उपाय करने होंगे. अपनी मुद्रा पर भी ध्यान दें, क्योंकि इस से भी आप की रीढ़ पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. अपने सोने के लिए आरामदेह मैट्रेस रखें. काम करते वक्त भी अपनी मुद्रा का ध्यान रखें. दर्द से नजात पाने के लिए डाक्टर से भी परामर्श लें.

 

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रियालिटी शो की शोहरत अस्थायी होती है: संदीप बत्रा

संगीत के रियालिटी शो से निकली प्रतिभाएं कुछ बन नहीं पाती हैं. जिनकी वजह से धीरे धीरे यह चर्चा भी होने लगी है कि रियालिटी शो की वजह से कई बच्चे अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करने की बजाय भटक रहे हैं. मगर जो लोग रियालिटी शो के पक्ष में हैं, उनके लिए गायक व संगीतकार संदीप बत्रा बहुत बड़ा उदाहरण बन गए हैं. संदीप बत्रा के बतौर गायक कुछ अलबम बाजार में आ चुके हैं, तो वहीं वह कुछ फिल्मों के लिए आवाज दे चुके हैं. संदीप बत्रा भी टीवी के संगीत प्रधान रियालिटी शो ‘‘फेम गुरुकुल’’ की पैदाइश हैं. जबकि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं. संदीप का मानना है कि हर बच्चा टीवी के रियालिटी शो का हिस्सा होते हुए भी अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दे सकता है. पर इसके लिए उसके माता पिता को भी इस बारे में सोचना चाहिए.

हाल ही में जब संदीप बत्रा से हमारी मुलाकात हुई, तो हमने उनसे पहला सवाल यही किया कि रियालिटी शो से निकलने वाली बहुत कम प्रतिभाएं ही सफलता पा सकी हैं. आपकी सफलता का राज क्या है? इस पर ‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए संदीप बत्रा ने कहा-‘‘मेरे पास बहुत ज्यादा अनुभव नहीं है. मगर मैंने अपने माता पिता व गुरुजनों से जो कुछ सीखा व समझा है, उसके आधार पर यह कह सकता हूं कि इसमें रियालिटी शो से जुड़ने वाले बच्चों के साथ साथ उनके माता पिता की भी कुछ गलती रहती है. यह सभी रियालिटी शो से जुड़कर शोहरत पाते ही हवा में उड़ने लगते हैं और उन्हें लगता है कि अब सब कुछ आसान हो गया और वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना बंद कर देते हैं. जबकि रियालिटी शो के बंद होने के बाद उस शो से जुड़ी प्रतिभाओं का असली संघर्ष शुरू होता है. जहां तक मेरा सवाल है, तो मेरे माता पिता ने मुझ पर यह दबाव बनाकर खा कि पहले मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए.’

संदीप बत्रा आगे कहते हैं- ‘‘देखिए, मुझे तो संगीत का माहौल विरासत में मिला है. मेरी मां स्वयं अच्छी गायक हैं. मैने छह वर्ष की उम्र से गायन शुरू किया था. मैंने स्कूल व कालेज मे संगीत प्रतियोगिताओ में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया. मगर मेरी मां मुझसे पढ़ाई भी करवाती थी. आज मैं पेशे से साफ्टवेअर इंजीनियर हूं. मैंने दिल्ली में रहते हुए पं.बलदेव राज शर्मा से संगीत का प्रशिक्षण भी लिया. पर 2005 में सोनी टीवी के रियालिटी शो ‘फेम गुरुकुल’ से लोगों ने मेरी प्रतिभा के बारे में जाना. इस शो के जज जावेद अख्तर, शंकर महादेवन और गायक के के से मुझे संगीत की बारीकियां सीखने का सुनहरा अवसर मिला. साथ में शोहरत भी मिली. पर मेरे माता पिता ने हमेशा मुझे याद दिलाया कि रियालिटी शो की यह शोहरत अस्थायी है. इससे आप सफल हो गए, ऐसा न समझो. इसलिए मैं कठिन मेहनत करता रहा. एक तरफ पढ़ाई, दूसरी तरफ संगीत का रियाज जारी रखा.’’

तो फिर संगीत के क्षेत्र में प्रोफेशनल स्तर पर कब शुरुआत हुई और क्या क्या किया? इस सवाल पर संदीप बत्रा ने कहा-‘‘मेरी मेहनत का परिणाम यह रहा कि 2008 में मेरा पहला संगीत अलबम ‘‘कारी कजरी’’ बाजार में आया. उसके बाद ‘दीपावली आई रे’ व ‘यारियां’ अलबम आए. इसी दौरान मेरी मुलाकात संगीतकार मोंटी शर्मा से हो गयी. उनके साथ मैंने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘‘रामलीलाःगोलियों की रासलीला’’ तथा विभु पुरी की फिल्म ‘‘हवाईजादा’’ की. वास्तव में इन दोनों फिल्मों का पार्श्वसंगीत मोंटी शर्मा ने किया है. तो जहां जहां गायकी की जरुरत पड़ी, उन्होंने मुझसे गवाया. मैंने कई टीवी विज्ञापनो के लिए जिंगल्स गाए हैं.’’

अब क्या कर रहे हैं? इस सवाल पर संदीप बत्रा ने कहा-‘‘मोंटी शर्मा के ही निर्देशन में मैंने योगेश पगारे की 14 अक्टूबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘एक था हीरो’ में दो गाने गाए हैं. इस फिल्म का एक गीत ‘साइकल मेरी..’ मैंने अर्पिता मुखर्जी के साथ गया है, जो कि इन दिनों काफी पसंद किया जा रहा है. तथा इसी फिल्म के एक गीत  ‘आतिश है तू’ को संगीत से संवारा और इस गीत को दिव्या कुमार के साथ गाया है. यह गीत भी काफी लोकप्रिय हो चुका है.’’

गायन के साथ साथ संगीत निर्देशन..? इस पर संदीप बत्रा ने कहा-‘‘मैं तो बचपन से ही गीत लिखने के अलावा उसे संगीत से संवारने व गाने का शौकीन रहा हूं. पर मैं अपनी पहली पहचान गायक के तौर पर ही बनाना चाहा. अब जब गायक के तौर पर पहचान बन गयी है, तो योगेश पगारे ने एक गाने को संगीत निर्देशन से संवारने का जिम्मा दिया, तो इस काम को भी अंजाम दिया. मुझे खुशी है कि मेरे इस काम को पसंद किया जा रहा है.’’

SA ने दर्ज की वनडे इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी जीत

डेविड मिलर की तूफानी सेंचुरी (118) के दम पर साउथ अफ्रीका ने डरबन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैच की सीरीज के तीसरे वनडे में इतिहास रच दिया. अफ्रीका ने इस मैच में क्रिकेट हिस्ट्री का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर चेज किया.

ऐसा रहा रोमांचक मैच…

ऑस्ट्रेलिया पहले बैटिंग करने उतरी और 6 विकेट पर 371 रन बनाए. इसमें कप्तान स्टीव स्मिथ ने 108 और डेविड वॉर्नर ने 117 रन बनाए. जवाब में साउथ अफ्रीका ने 4 विकेट और 4 बॉल शेष रहते मैच जीत लिया.

मिलर ने 79 बॉल पर 10 चौके और 6 छक्के लगाकर 118 रन बनाए. मिलर और एंडिले (42 नॉटआउट) के बीच 7वें विकेट के लिए 105 रन की पार्टनशिप हुई.

क्रिकेट हिस्ट्री का दूसरा सबसे बड़ा टारगेट

साउथ अफ्रीका ने इस मैच में वनडे क्रिकेट हिस्ट्री का दूसरा बड़ा टारगेट चेज किया. इससे बड़ा टारगेट (436) चेज करने का रिकॉर्ड भी 10 साल पहले अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही बनाया था.

अफ्रीका से सातवीं फास्टेस्ट सेंचुरी

मिलर ने इस मैच विनिंग इनिंग के दौरान 79 बॉल में सेंचुरी लगाई. यह साउथ अफ्रीका की तरफ से वनडे में सातवीं सबसे तेज सेंचुरी है. इससे तेज छह सेंचुरी में से पांच एबी डीविलियर्स के नाम है.

वैसे यह किसी अफ्रीकी बैट्समैन की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे तेज वन-डे सेंचुरी है. इससे पहले यह रिकॉर्ड क्विंटन डी कॉक के नाम दर्ज था, जिन्होंने 74 बॉल में सेंचुरी लगाई थी.

लगातार हार का पांचवां मौका

ऑस्ट्रेलिया के लिए किसी पांच वन-डे मैचों की सीरीज के शुरुआती तीन मैच हारने का यह पांचवां मौका है. इससे पहले उसके साथ इस तरह तीन बार इंग्लैंड के और एक बार न्यूजीलैंड के खिलाफ ऐसा हो चुका है.

डेल स्टेन सबसे महंगे

अफ्रीका ने भले ही यह मैच जीता, लेकिन डेल स्टेन उसके सबसे महंगे वन-डे बॉलर बने. स्टेन ने 96 रन देकर 2 विकेट लिए. इससे पहले साउथ अफ्रीका की तरफ से किसी वन-डे में सबसे ज्यादा रन देने का रिकॉर्ड वेन पार्नेल के नाम दर्ज था. उन्होंने 2010 में ग्वालियर में भारत के खिलाफ 95 रन दिए थे.

काबिल: रानी मुखर्जी से होगी रितिक के अभिनय की तुलना

2010 में संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म ‘‘गुजारिश’’ में रितिक रोशन ने पैरलाइज यानी कि पक्षाघात के शिकार म्यूजीशियन से रेडियो जॉकी बने एथान का किरदार निभाया था, जो कि अदालत में ‘इच्छा मौत’ की आज्ञा के लिए लड़ाई लड़ता है. अब वही रितिक रोशन अपने पिता राकेश रोशन के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘‘काबिल’’ में एक ऐसे अंधे इंसान का किरदार निभा रहे हैं, जो कि एक आम इंसान की तरह जिंदगी जीता है और अपनी जिंदगी के गुजर बसर के लिए डबिंग आर्टिस्ट का काम करता है.

फिल्म ‘‘काबिल’’ में एक डबिंग कलाकार के तौर पर अभिनय करते हुए एक दृश्य में रितिक रोशन को  बौलीवुड के कई कलाकारों की आवाज निकालनी होती है. सूत्रों के अनुसार रितिक रोशन ने इस सीन में अमिताभ बच्चन की आवाज निकाली है. यानी कि अब वह फिल्म ‘काबिल’ में कुछ कलाकारों की मिमिक्री करते हुए नजर आएंगे. फिल्म ‘काबिल’ से जुड़े सूत्र दावा कर रहे हैं कि अमिताभ बच्चन की आवाज हूबहू निकालने के लिए रितिक रोशन ने काफी रिहर्सल की और जब उन्होंने टेक दिया, तो उनकी आवाज सुनकर सेट पर मौजूद लोगों के साथ साथ साउंड इंजीनियर रेसूल पुकिटी भी हैरान रह गए. सभी को लगा जैसे कि खुद अमिताभ सेट पर पहुंच गए हों.

इस संबंध में रितिक रोशन कहते हैं-‘‘मिमिक्री मेरा छिपा हुआ टैलेंट है. इसलिए जब मुझे पता चला कि फिल्म ‘काबिल’ में मेरा किरदार अंधे के साथ डबिंग आर्टिस्ट का है, तो मैंने कहा कि मेरे संवाद डब न किए जाएं, मैं खुद ही इस काम को अंजाम दूंगा. मेरे इस काम में साउंड इंजीनियर रसूल पुकुटी से भी काफी मदद मिली.

26 जनवरी 2017 को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘काबिल’’ को लेकर रितिक रोशन व उनके पिता तथा फिल्म के निर्देशक राकेश रोशन दोनों काफी उत्साहित हैं. फिल्म ‘‘काबिल’’ से जुड़ा हर शख्स रितिक रोशन की तारीफों के पुल बांधने में लगा हुआ है, पर वह यह भूल जाते हैं कि इस फिल्म के प्रदर्श के बाद लोग रितिक रोशन के अभिनय की तुलना रानी मुखर्जी से कर सकते हैं. रानी मुखर्जी अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘‘ब्लैक’’ में अंधे का किरदार निभा चुकी हैं. इस फिल्म की जबरदस्त प्रशंसा की जा चुकी है.

सर्जिकल स्ट्राइक या संजीवनी बूटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूपी पहुंचने से पहले ही उनके शहर बनारस में नये जमाने के पोस्टर लग गये हैं. बनारस में पोस्टर शिव सेना की ओर से लगाये गये हैं. पोस्टर में खास तौर पर रामलीला के तीन किरदारों पर फोकस किया गया है. पोस्टर में मोदी को राम के रूप में तो पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को रावण के रूप में दिखाया गया है. सर्जिकल स्ट्राइक पर सबसे पहले सवाल उठाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी शिव सेना ने पोस्टर में जगह दी है, लेकिन मेघनाद के रूप में.

वैसे अगर चुनाव नहीं होने होते तो शायद अरविंद केजरीवाल भी ऐसे बयान न देते कि उन्हें भारत से ज्यादा पाकिस्तान में सपोर्ट मिले. कांग्रेस भी शायद संजय निरूपम के बयान से उस तरह किनारा नहीं करती. दिग्विजय सिंह तो खैर अपवाद हैं. कांग्रेस में उन्हें भी आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह की तरह लिया जाना चाहिये, जिस पर किसी का भी कंट्रोल नहीं. शायद, लालू प्रसाद और खुद उनका भी नहीं, लेकिन कोई इस बात से भी इंकार नहीं करता कि वो आलाकमान के मन की बात नहीं कर रहे.

लगता है केजरीवाल ने सबसे पहले सर्जिकल स्ट्राइक की सियासी अहमियत समझी और अगर उन्हें ऐसा लगा कि ये चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है तो वो बिलकुल सही सोच रहे हैं. मोदी सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक का सरहद पार डिप्लोमेटिक असर हुआ है, तो मुल्क के अंदर सियासी सरगर्मी तेज हो चली है. ब्रांड मोदी एक बार फिर चुनावी बाजार में ट्रेंड करने लगा है. सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह.

समझा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दिल्ली छोड़ कर दशहरा मनाने इस बार लखनऊ जा रहे हैं. लखनऊ के दशहरे में जो पुतला दहन होगा, उसकी थीम भी 'आतंकवाद' बताया जा रहा है.

पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी दोनों ही के लिए संजीवनी बूटी साबित होने जा रही है. उरी हमले के बाद मोदी सरकार को भी जवाब देना मुश्किल हो रहा था. सोशल मीडिया पर '56 इंच का सीना' टैग कर लोग मजाक उड़ाने लगे थे.

यूपी, पंजाब और गोवा में चुनावी माहौल जोर पकड़ने लगा था, लेकिन बीजेपी नेताओं में जीत की उम्मीद न के बराबर दिखने लगी थी. दिल्ली और बिहार में ब्रांड मोदी पूरी तरह फेल हो जाने के बाद केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी की मुश्किलें कम नहीं हो पा रही थीं. पंजाब की सत्ता में बीजेपी के साझीदार शिरोमणि अकाली दल के नेताओं में भी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जोश भरा दिख रहा है. बुलंद तिरंगा मार्च में सड़क पर उतरे समर्थकों ने प्रकाश सिंह बादल के परिवार और पार्टी को नयी आस बंधायी है.

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद माहौल पूरी तरह बदल गया है. कांग्रेस भले ही जोर जोर से शोर मचा रही हो कि ऐसे कई सर्जिकल स्ट्राइक हमने भी किये लेकिन ढोल नहीं पीटा. लेकिन जश्न के नगाड़े की आवाज में ढोल का कोई मोल नजर नहीं आ रहा. गोवा में आरएसएस प्रमुख को लेकर विवाद और केजरीवाल की जोरदार दस्तक के बाद बीजेपी सहमी सहमी नजर आने लगी थी, लेकिन अब उसकी बाछें खिली खिली नजर आ रही हैं. गोवा बीजेपी की ओर से मनोहर पर्रिकर का सम्मान और विजय जुलूस का कार्यक्रम भी तय था, लेकिन उनकी व्यस्ताओं के चलते स्थगित करना पड़ा. पर्रिकर करीब नौ हजार बाइक सवार समर्थकों के साथ रैली में शामिल होने वाले थे. ये विजय जुलूस वास्को में डबलिम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लेकर पणजी तक निकाला जाने वाला था.

पंजाब में भले ही शिवसेना का बहुत प्रभाव न हो लेकिन उसके नेताओं ने लड्डू जरूर बांटे और अब महाराष्ट्र में संजय निरूपम के खिलाफ हल्ला बोलने पर आमादा है. सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल सियासी वजहों से उठ रहे हैं. सवाल उठाने वालों में अब तक केजरीवाल, संजय निरूपम और दिग्विजय सिंह आगे आये हैं. केजरीवाल ने सबूत मांगे हैं. निरूपम और दिग्विजय ने भी केजरीवाल के ही अंदाज में ऐसा किया है. कांग्रेस की ऑफिशयल लाइन अलग है.

क्या करें जब फोन की स्‍क्रीन न करे काम

स्‍मार्टफोन यूजर्स को अक्‍सर एक शिकायत होती है कि उनका फोन एकदम से बंद पड़ जाता है या उसकी स्‍क्रीन पर कुछ भी करिए, कुछ नहीं होता है. ये सभी की प्रॉब्‍लम है, इसका मतलब ये नहीं है कि आपका फोन खराब हो गया है.

अगर आपके फोन में स्‍क्रीन फ्रीज होने की दिक्‍कत है तो परेशान न हों. इस आर्टिकल में बताये जाने वाले कुछ टिप्‍स को अपनाएं और अपने फोन की समस्‍या को फिक्‍स कर लें.

चार्ज करें

कई बार फोन चार्ज न होने पर ऐसे हो जाता है और स्‍क्रीन काम नहीं करती है. अगर बैट्री लेवल 50 प्रतिशत से कम है तो उसे चार्जिंग पर लगा दें. उसके 10 मिनट बाद देखें, आपका फोन काम करने लगेगा.

फोन को स्‍वीच ऑफ कर दें

अगर फोन हैंग हो जाएं या उसकी स्‍क्रीन ही काम करना बंद कर दें. तो सबसे पहले अपने फोन को स्‍वीच ऑफ कर दें. 2 मिनट बाद उसे ऑन करें और आपका फोन बिलकुल सही से काम करने लगेगा.

रिस्‍टार्ट करें

फोन के बंद हो जाने पर या काम न करने की स्थिति में उसे रिस्‍टार्ट करने की कोशिश करें. रिस्‍टार्ट होने पर फोन ठीक से काम करने लगेगा.

बैट्री निकाल दें

आप अपने फोन की बैट्री निकाल दें और 2 मिनट बाद फिर से लगाकर ऑन करें. आप देखेंगे कि फोन सही से काम करने लगा है.

एप को अनइंस्‍टॉल करें

जिन एप का आप इस्‍तेमाल नहीं करते हैं या जो एप काफी ज्‍यादा स्‍पेस घेरती हैं उन्‍हें फोन से अनइंस्‍टॉल कर लें. आपका फोन अपने आप सही से काम करने लगेगा.

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