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कैसे बचते हैं मौसम की मार से पशु पक्षी

तेज बर्फीली हवाओं और कड़ाके की ठंड में जब हम गरम कपड़ों से खुद को ढक लेते हैं और रजाईकंबल ओढ़ कर सोते हैं, ऐसे में पशुपक्षी अपना बचाव कैसे करते हैं, क्या कभी सोचा है?

मेढक, सांप, कछुए, छिपकली, केंचुए कुछ मछलियां, जमीन के अंदर घुस कर शीत निद्रा में चली जाती हैं और सर्दियां खत्म होने पर इन की नींद खुलती है. केंचुआ 6-7 फुट जमीन के नीचे जा कर सोता है. काला भालू भी अपनी गुफा में पूरी सर्दी सोता रहता है. शीतनिद्रा लेने से पहले ये जीव भरपेट खापी लेते हैं और शरीर में वसा जमा कर लेते हैं. इसी तरह कीट पेड़ों की छालों के नीचे तथा छिपकलियां मकान की दराजों में जा कर सो जाती हैं. वैज्ञानिक भाषा में इस क्रिया को हाइबरनेशन कहा जाता है. कुछ पक्षी सर्दियों से अनुकूलन कर के सर्दी में बने रहते हैं, किंतु कुछ पक्षी अधिक सर्दी वाले इलाकों से उड़ कर कम ठंड वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं, इन में खंजन, कोयल, साइबेरियन सारस, जांघिल आदि पक्षी हजारों मील उड़ कर भारत आते हैं.

उत्तरी ध्रुव में पाई जाने वाली चिडि़या आर्कटिक टर्न तो शीत शुरू होते ही उड़ चलती है और आधी पृथ्वी पार कर दक्षिण ध्रुव में जा कर रहती है. चमगादड़, कैरिबू भी कम सर्दी वाले प्रदेशों में चले जाते हैं. उत्तरी अमेरिका में पाई जाने वाली कुछ तितलियां उड़ कर मैक्सिको चली जाती हैं. कुछ पक्षी अपने खून को जाड़ों में गरम व सर्दियों में ठंडा कर के मौसम की मार से बचते हैं. इन के पंजों के रोएं व बाल भी इन्हें सर्दी से बचाते हैं. इसे उत्प्रवास (माइगे्रशन) तथा अनुकूलन (ऐडाप्टेशन) कहते हैं. छछूंदर, ऊदबिलाव, खरगोश आदि जीव बिलों में अपने खाने का पर्याप्त सामान जमा कर सर्दी भर दुबके रहते हैं. भेड़बकरियों के लंबे घने बाल, उन के लिए कंबल का काम करते हैं, तो कुत्ते, लोमडि़यां तथा बंदर ठिठुरते रहते हैं.

सियार, लोमड़ी तथा कुत्ते, कूंकूं कर कुकुआ कर शीत की रात बिताते हैं. हरदम धमाचौकड़ी मचाने वाली गिलहरी अपने गुदड़नुमा घोंसले में दुबकी रहती है और धूप निकलने पर बाहर निकलती है. पेड़पौधों व फूलों को भी सर्दी लगती है. बर्फ पड़ने पर पौधे सूख जाते हैं व फूल मुरझाने लगते हैं.

यह थेरैपी बीमारी करे जड़ से खत्म

इनाया का जन्म आम बच्चे की तरह हुआ था. लेकिन जन्म के पहले सप्ताह में उस के मातापिता ने पाया कि उस की कलाइयां मुड़ी सी लग रही हैं. उस के पांव भी मुड़े पाए. 3 महीने होतेहोते उस की आंखों और गरदन का हिलना झटके से होने लगा. यह देख कर मातापिता हैरान हो गए और फिर डाक्टर के पास ले गए. डाक्टर ने कई दवाएं दीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.  6 महीने की आयु में उसे मिरगी के दौरे भी पड़ने लगे. जब भी दौरा पड़ता उस के हाथपांव पूरी तरह मुड़ जाते. जब दौरे ज्यादा पड़ने लगे तब किसी दोस्त के कहने पर मातापिता बच्ची को ले कर ‘स्टेम आर ऐक्स हौस्पिटल’ गए. वहां के स्टेम सैल ट्रांसप्लांट सर्जन डा. प्रदीप महाजन से मिले और बेटी का इलाज करवाया.

डा. का इस बारे में कहना है कि कम उम्र में इस थेरैपी के प्रयोग से पहले काफी जांचें करनी पड़ती हैं. मेसेनकिमल स्टेम सैल्स प्रक्रिया में इतनी क्षमता होती है कि वह कठिन रोगों को ठीक कर सकती है. इस बच्ची को 21 दिनों के लिए सैल्युलर थेरैपी 3 सत्रों में दी गई. इस से उसे काफी लाभ पहुंचा. वह बहुत हद तक नौर्मल हो चुकी है.

एक सैल यानी कोशिका से जीवन बनता है. क्या आप ने कभी सोचा कि इसी सैल से ही असाध्य रोगों का इलाज संभव है? मुंबई के सैवन हिल्स हौस्पिटल में जहां अब तक करीब 2 हजार मरीज अपना इलाज करवा चुके हैं, की चीफ औपरेटिंग औफिसर डा. रुचा पोंक्शे बताती हैं कि स्टेम सैल का प्रयोग सालों से होता आ रहा है. जिस रोगी को और्गन कैंसर होता था वहां उस के शरीर से स्टेम सैल निकाल कर कीमोथेरैपी के साथ दिए जाते थे ताकि कीमोथेरैपी अच्छी तरह से रोगी सह सके और उस का परिणाम अच्छा हो. कभी बीमारी ठीक हुई तो कभी नहीं, क्योंकि इसे कस्टमाइज्ड नहीं किया गया.

इलाज संभव है

पिछले 10 सालों से बच्चों के जन्म के बाद उस की नाल को रखने की विधि चलन में आई है. उस में अधिक से अधिक स्टेम सैल पाए जाते हैं, जिन का प्रयोग किसी कठिन रोग के इलाज के लिए किया जाता है. स्टेम सैल का इलाज मुंबई में पिछले 4 साल से हो रहा है.

बड़े होने पर भी हमारे अंदर ‘मदरसैल’ रहते हैं, जो जीवन के अंत तक रहते हैं. उन का प्रयोग इंटरनली रिपेयर, वियर ऐंड टियर में होता रहता है, जिस में नहाना, पेट के अंदर के सैल का बदलना, इन सब में स्टेम सैल का हाथ रहता है. इस पेशी का एक लाइफटाइम पहले से होता है, जो आप की आयु को बताती है. जैसे ही उम्र का बढ़ना चालू होता है वैसे ही स्टेम सैल की शक्ति कम होती जाती है. हम यहां उन व्यक्तियों के लिए काम करते हैं जिन्हें हाइपरटैंशन, मधुमेह आदि बीमारियां हो गई हों. ऐसे में उस शरीर के सैल्स को ले कर उस जगह पर डाल कर इलाज कर सकते हैं. परेशानी होने पर जल्दी डाक्टर के पास जाने से अच्छा रिजल्ट मिलता है. इस के अधिक उपयोगी होने की वजह यह है कि इसे रोगी के शरीर से निकाल कर उसे अच्छी तरह प्रोसैस कर फिर रोगी के अंदर डाला जाता है. इस के प्रोसैस निम्न हैं:

– पहले रोगी की काउंसलिंग कर उसे समझाया जाता है. अगर वह राजी हुआ तो इलाज शुरू किया जाता है.

– ‘बोनमैरो’ में हमेशा सैल्स तैयार होते रहते हैं. यह मशीनरी है, जो सैल्स तैयार करती है.

– स्टेम सैल्स हर व्यक्ति किसी भी उम्र में दे कर अपना इलाज करवा सकता है.

– स्टेम सैल्स को बोनमैरो या बौडी के ऊपर जो फैट रहता है उस में से ऐनेस्थीसिया कर निकाला जाता है, जिस तरह की बीमारी है उस तरह का कौंबिनेशन बनाया जाता है. सैल्स का भी वैसा ही कौंबिनेशन बनाना जरूरी होता है ताकि अच्छी तरह के स्टेम सैल्स निकलें. इस प्रक्रिया में 2-3 घंटे का समय लगता है.

– कई लोगों में आईवी के जरीए नौर्मल डोज दी जाती है. किसी में अगर हड्डियों की बीमारी है तो ब्रेन या स्पाइनल कौर्ड में इंजैक्शन देना आवश्यक होता है.

– ‘मस्कुलर डिस्ट्रोफी’ होने पर उन में जो कमजोर मांसपेशी है उसे पहचान कर वहां पर इंजैक्शन दिया जाता है.

– अगर किसी को ‘गैगरीन’ जैसी बीमारी है जिस में पांव काटना पड़ रहा है तो उस घाव के आसपास के एरिया में इंजैक्शन देते हैं.

– डोज का भी बंटवारा रोग के आधार पर पहले से ही तय करना पड़ता है.

डा. प्रदीप महाजन आगे कहते हैं कि यह थेरैपी अभी तक लोगों में अधिक प्रचलित नहीं है. यह साधारण चिकित्सा नहीं है. यह कस्टमाइज्ड विधि है. एक बीमारी के साथ कई बीमारियां होती हैं, इसलिए सब का पता कर फिर इलाज किया जाता है. यह ट्रीटमैंट दिन में 1 या 2 ही किया जा सकता है. नी रिप्लेसमैंट, हिप रिप्लेसमैंट, कैंसर, मधुमेह, किडनी का खराब हो जाना, स्पाइनल कौर्ड इंजरी, गठिया के दर्द आदि सभी का इलाज संभव है. आगे जा कर कई जैनेटिक डिसऔर्डर को भी यह थेरैपी ठीक कर सकेगी. जन्म से पहले अगर बच्चे की कमी को जान कर मां को पहले ही उस कम हुई सैल्स का इंजैक्शन दे दिया जाए तो बच्चे की स्वस्थ डिलिवरी भी हो सकेगी. थोड़े दिनों में स्टेम सैल ड्रग डिलिवरी का काम करेगी.

किसी को इस तरह के इलाज की आवश्यकता है और उस के पास पैसे कम हैं तो डा. महाजन फ्री में भी इलाज करते हैं. इलाज का खर्च बीमारी के आधार पर होता है.

इलाज के बाद सावधानी के बारे में पूछे जाने पर डा. महाजन का कहना है कि इस में सब से पहले लाइफस्टाइल को ठीक करना पड़ता है, जिस में खासकर डाइट पर ध्यान देना पड़ता है. इस के अलावा व्यक्ति का मिलनसार होना जरूरी है, जिस में घरपरिवार दोस्तों का होना जरूरी है ताकि वह अपने भाव को शेयर कर सके.

टाइप वन डायबिटीज बच्चों में हो या बड़ों में, उस में 100% उस व्यक्ति को लाभ होता है. उस की इंसुलिन लगाने की प्रक्रिया पूरी तरह खत्म हो जाती है.

गलत तरीके से इलाज करने पर इस का परिणाम गलत होता है, इसलिए जानकार डाक्टर के पास जाना ही सही रहता है. महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता के अलावा दुबई, मसकट, कनाडा, अमेरिका, नाईजीरिया आदि से भी लोग इलाज के लिए यहां आते हैं.

काले धन के कुबेरों की कहानियां

मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद आम आदमियों को तो डेढ़ महीने तक लाइनों में खड़ा रखा, लेकिन काले धन के असल कुबेरों पर हाथ तक नहीं डाला. वजह शायद यह थी कि इन में से कई के भाजपा से करीबी रिश्ते थे.

नोटबंदी के समय जिन परिवारों में बेटे या बेटी की शादी थी, उन्होंने या तो बिना पैसे के सामान्य शादी की या आगे के लिए स्थगित कर दी. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इस माहौल में भी शादी पर करोड़ों रुपए पानी कर तरह बहाए.

कर्नाटक के खनन उद्योग के किंग और पूर्व भाजपा के मंत्री जर्नादन रेड्डी भाजपा के बेहद करीबी हैं. बताया जाता है कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी में 500 करोड़ रुपए खर्च किए. इस शादी में कांग्रेस और भाजपा के कई बडे़ नेताओं ने तो शिरकत की ही, 50 हजार मेहमान भी शामिल हुए.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक में चर्चित यह शादी तब ज्यादा सुर्खियों में आई जब भूमि अधिग्रहण अधिकारी और जर्नादन रेड्डी के करीबी भीमा नायक के ड्राइवर रमेश ने माड्या जिले के मड्डूर स्थित एक लौज में आत्महत्या कर ली. रमेश ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि वह जिस अधिकारी का ड्राइवर है उस ने मनी लांड्रिंग में जर्नादन रेडडी की मदद की थी.

रमेश ने अपने सुसाइड नोट में आगे लिखा कि मुझे पता है कि मेरे साहब जर्नादन रेड्डी का 100 करोड़ रुपए का काला धन सफेद करा रहे हैं, मैं यह बात जानता हूं इसलिए मुझे मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है, धमकियां मिल रही हैं.

इसी दौरान केरल में कांग्रेस के पूर्व मंत्री अडूर प्रकाश के बेटे की शादी शराब करोबारी बीजू रमेश की बेटी से हुई. इस शादी में भी पानी की तरह पैसा बहाया गया. शादी के लिए अक्षरधाम मंदिर की तरह दिखने वाला मंडप तैयार किया गया. विवाह स्थल बाहर से मैसूर पैलेस जैसा लग रहा था. इस शादी में करीब 20 हजार मेहमान आए.

8 एकड़ जगह को फिल्म के सेट की तरह सजाया गया. पूछने पर बीजू रमेश ने बताया, ‘मेरे पास ब्लैकमनी नहीं है. मेरे तमाम कारोबार हैं, जहां से पैसा आता रहता है. रमेश कुछ भी कहें, लेकिन जानने वाले हकीकत जानते हैं.

जब पूरा देश पैसे के लिए कतारों में खड़ा था, कुछ लोग ऐसे भी थे जो ऐश कर रहे थे. कर्नाटक के प्रदेश राजमार्ग विकास परियोजना अधिकारी एस.सी. जयचंद्रन के पास से 5.7 करोड़ रुपए के नोट पकड़े गए. उन्होंने अफसरों से कहा, ‘कुछ देर पहले आते तो 40 करोड़ मिलते.’ जयचंद्रन ने इस के लिए अपने बेटे त्रिजेश को जिम्मेदार बताया, जिसे लेंबोरगिनी और पोर्शे जैसी महंगी कारों का शौक था.

तमिलनाडु के एलेम से भाजपा युवा मोर्चा के नेता जे.वी.आर. अरुण नोटबंदी के बाद डिमौनेटाइजेशन के समर्थक के रूप में उभरे थे.

पकड़े जाने के बाद एक हफ्ते पहले ही उन्होंने फेसबुक पर लिखा था, ‘देश के लिए चलिए आज कतार में खड़े होते हैं.’ जे.वी.आर. अरुण के पास से 22.55 लाख के 2000 के नोट पकडे़ गए. उस की कार में भी2000 के 926 नोट मिले. जे.वी.आर. अरुण को पार्टी से निकाल दिया गया.

कर्नाटक के चल्लाकेर से जनता दल (एस) के नेता के.सी. वीरेंद्र 3 बड़े कैसिनो चलाते हैं. वीरेंद्र पर सट्टेबाजी के भी आरोप हैं. उस के पास 2000 रुपए के 5.5 करोड़ के नए नोट पकड़े गए. साथ ही 28 किलो सोना भी. यह सब बाथरूम में छिपा कर रखा गया था.

तमिलनाडु के चेन्नै के ठेकेदार, अन्नाद्रमुक सदस्य और तिरूपति देव स्थानम ट्रस्ट के सदस्य शेखर रेड्डी के पास से 2000 के नोटों की शक्ल में 70 करोड़ रुपए बरामद हुए इन के 2 सहयोगियों श्रीनिवासुलू और प्रेम के यहां भी आयकर के छापे पड़े, जहां से बड़ी नकदी मिली.

पश्चिम बंगाल के राजनीगंज से भाजपा के नेता मनीष शर्मा के पास से 33 लाख रुपए की नई करेंसी मिली. मनीष के साथ उस के  5 साथियों को भी पकड़ा गया. इन लोगों के पास नकदी के अलावा हथियार भी मिले.

जब पति हों टूर पर

बड़े चाव से मेरे मातापिता ने मेरी शादी सुधीर से की. हमारी अरेंज मैरिज थी. घरबार और लड़का मेरे मातापिता को पसंद थे, बस सुधीर के घर वालों ने पहले ही बोल दिया था कि लड़के ने इंजीनियरिंग अभीअभी पूरी की है. जल्द ही उसे नौकरी के लिए दूसरे शहर जाना पड़ेगा. वहां सैटल होते ही आप की बेटी को भी वहां ले जाएगा. मेरे मातापिता भी राजी हो गए और मैं भी, क्योंकि मातापिता अपने बच्चे के लिए अच्छा ही सोचते हैं. लेकिन शादी होते ही सुधीर का बाहर रहना मेरी बरदाश्त के बाहर हो गया. हम दोनों में खटपट शुरू हो गई. लेकिन इस में सुधीर की कोई गलती नहीं थी. वे भी तो अपने कैरियर पर ही फोकस कर रहे थे. इसी बीच मेरी स्कूल की एक दोस्त मिली, जिस ने मुझे कुछ ऐसी बातें समझाईं कि उन से मेरी शादीशुदा जिंदगी में बदलाव आ गया.

यदि आप के पति भी ज्यादातर टूर पर रहते हैं या फिर कुछ समय के लिए बाहर रहने गए हैं तो कैसे आप दोनों अपनी रिलेशनशिप को मजबूत बना कर रख सकते हैं, आइए जानें:

भावनात्मक रूप से जुड़ें

जरूरी नहीं है कि जब हम आमनेसामने बैठे हों तभी अपने भाव प्रकट कर सकते हैं. जब हम एकदूसरे से दूर होते हैं तो पूरे दिन में हलकीफुलकी बात फोन पर कर के भी अपने भाव प्रकट कर सकते हैं. इस तरह की हलकीफुलकी बातचीत यह दर्शाती है कि आप एकदूसरे की बहुत परवाह करते हैं. रिश्ते को

बड़ी समझदारी से निभाते हैं. पूरा दिन व्यस्त रहने के बाद यदि आप रात को थोड़ी देर एकदूसरे से फोन पर बात कर लेते हैं तो भी मन हलका हो जाता है, साथ ही आप को अकेलापन भी महसूस नहीं होता.

न हो बातचीत में लंबा गैप

यदि आपस में बातचीत किए लंबा समय हो जाता है, तो आप दोनों के बीच एक लंबा फासला आ जाता है, जिस से मनमुटाव आना स्वाभाविक है. आप रोज बात करते हैं, तो आप को एकदूसरे के बारे में पता चलता रहता है. इसलिए जरूरी है कि आपसी बातचीत में लंबा गैप न आने दें.

एकदूसरे को समझें

किसी भी रिश्ते में फूट जरूरी नहीं कि दूर रहने से ही पड़े. यदि आप उस रिश्ते को समझेंगे नहीं तो तनाव आना ही है. ऐसे में जरूरी है कि एकदूसरे को समझने के लिए एकसाथ समय बिताएं, फिर चाहे वह फोन पर बात करने में बिताएं या ईमेल अथवा मैसेज करें. बात करते समय ध्यान दें कि साथी को किन बातों को करने से खुशी मिलती है. उन पर रिसर्च करें. अगली बार फोन पर बात करने पर उन से जुड़े टौपिक पर बात करें.

हमेशा साथ दें

ध्यान रखें कि आप का पार्टनर किसी समस्या में फंसा है, तो उसे मानसिक तौर से धैर्य बंधाएं. जितना हो सके अपना सहयोग दें, क्योंकि यदि उसे समस्याओं को अकेले झेलने की आदत हो जाएगी तो उसे आप की भी परवाह नहीं होगी. उसे ऐसे समय में खुश रहने की सलाह देते रहें. साथ ही कुछ ऐसी बातें भी करें, जिन से साथी का मूड फ्रैश हो जाए.

विश्वास बनाए रखें

किसी भी रिश्ते में बेहद जरूरी है कि एकदूसरे पर विश्वास रखें. लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप में यह थोड़ा कठिन कार्य हो जाता है, लेकिन आपसी मतभेद न हों इस का पूरा प्रयास करें. एकदूसरे पर विश्वास बनाए रखें. झूठ बोलने से कभी न कभी झूठ सामने आ ही जाता है, जो बाद में आप के रिश्ते को प्रभावित कर सकता है, इसलिए बेहतर है अपने पार्टनर को पहले ही सच बता कर चलें.

रिश्तों में बनी रहती है गरमाहट

दूर रहने पर रिश्तों में और भी अधिक मजबूती आ जाती है, क्योंकि आप को दूर रहने पर ही पता चलता है कि आप एकदूसरे से कितना प्यार करते हैं. इस के अलावा आप को मिलने का एक अलग सा उत्साह बना रहता है. घंटों साथ बैठ कर बात करने की चाहत के लिए आप तरहतरह की प्लानिंग करते रहते हैं.

कैसे रखें खुद को व्यस्त

यदि आप के हसबैंड टूर पर या बाहर रहते हैं, तो इस तरह खुद को व्यस्त रखें:

– अपनेआप को किसी भी कार्य में व्यस्त रखें. यदि वर्किंग हैं तो बेहद अच्छी बात है और अगर नहीं हैं तो अपनी पसंद के किसी कार्य को अपना टाइमपास बना लें.

– फिट रहने की कोशिश करें. यदि आप फिट रहेंगी तो नकारात्मक विचार भी मन में नहीं आएंगे. इस के लिए शाम या सुबह थोड़ा समय अपनेआप को दें.

– क्रिएटिव बनें. कुछ अलग हट कर करें. हसबैंड के टूर से आने से पहले घर की अच्छी तरह साफसफाई कर के रखें. इस से उन को और आप को दोनों को अच्छा महसूस होगा.

– कुकिंग में नया ऐक्सपैरिमैंट करें जो आप के हसबैंड को पसंद हो. उन के आने पर कुछ नया बनाएंगी तो उन्हें अच्छा लगेगा.

– घिसीपिटी बातों में अपना वक्त बेकार न करें. कई लोग मनोबल को गिराने की कोशिश करते हैं. आप उन की बातों को एक कान से सुनें दूसरे से निकाल दें, जो आप को सही लगता हो, वही करें.

– यदि आप के बच्चे हैं तो उन की पढ़ाई पर ध्यान दें. बच्चों के साथ तो वैसे भी वक्त का पता  नहीं चलता है.         

लाएं कुछ नयापन

 

रिश्तों में मिठास और नयापन बनाए रखने के लिए पेश हैं कुछ टिप्स:

 

– हमेशा ध्यान रखें कि यदि आप के हसबैंड टूर या जौब के सिलसिले में बाहर रहते हैं, तो आप उन से हमेशा सकारात्मक तरीके से ही बात करें.

 

– आप दोनों एकदूसरे को दिन की शुरुआत गुड मौर्निंग के मैसेज से कर सकते हैं.

 

– कुछ ऐसे मैसेज या टैक्स्ड एकदूसरे को भेज सकते हैं, जिन से मन खुश हो जाए.

 

– किसी दिन सरप्राइज दें. साथ ही बताए बिना उन के पास पहुंच जाएं. फिर देखिएगा उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा.

 

– विडियो चैट करें. इस से आप को लगेगा आप आमनेसामने ही बैठे हैं.

 

– जब आप के पति छुट्टी पर घर आ रहे हों, तो कुछ नया प्लान करें जहां आप फुरसत से एकदूसरे के लिए समय निकाल सकें.

 

– हमेशा शिकायतों को ही एकदूसरे के सामने न रखें. अगर शिकायत रखनी भी है, तो कुछ इस तरह कि कल तुम मुझ से बिना बात किए ही सो गए.

 

– एकदूसरों के परिवार की चिंता जाहिर करें. इस से महसूस होता है कि आप को एकदूसरे के पविर की भी चिंता है.

 

रिमांड होम: मेरी जिंदगी है क्या एक कटी पतंग है…

पटना के पुराने इलाके गायघाट मुहल्ले में बने महिला रिमांड होम. ऊंचे गेट और दीवारों को लांघ कर संवासिनों की दर्द और सिसकियां गाहेबगाहे ही बाहर आ पाती हैं. उसके बाद कुछ जांच के आदेश जारी होते हैं. कुछ रिपोर्ट तैयार होती है. हालात को सुधरने का फरमान जारी होता है. कुछ दिन के बाद मामला शांत होने के बाद फिर वहीं सिसकियों का दौर चालू हो जाता है. रिमांड होम में फिलहाल 136 बंदी हैं. उनके नहाने और कपड़ा धोने की बात तो दूर, पीने के पानी का ठीक इंतजाम नहीं है. कमरों में रोशनी और हवा का आना मुहाल है. तन ढंकने के लिए ढंग का कपड़ा तक मुहैया नहीं किया जाता है. इलाज का कोई इंतजाम नहीं होने की वजह से बीमार संवासिनें तड़प-तड़प कर जान दे देती हैं और उनकी आहें ऊंची दीवारों से बाहर नहीं जा पाती हैं.

महिला रिमांड होम का बड़ा सा दरवाजा जब भी खुलता है तो उसके भीतर रहने वाली महिलाओं और लड़कियों की आंखें एक साथ किसी अपनों के आने इंतजार में बरबस उस ओर उठ जाती हैं. वहां हर बंदी इस उम्मीद में जी रही है कि कभी न कभी कोई न कोई आकर उन्हें अंधेरी और सड़ांध भरी दुनिया से बाहर निकाल ले जाएगा, लेकिन हर बार उनकी उम्मीदें टूटती ही रही हैं.

भटकी, लाचार, पीड़ित महिलाओं की रक्षा या सुधर के नाम पर बने रिमांड होम की अलग ही दुनिया है. घुटन,जलालत, प्रताड़ना, भूख, फटेहाली, गंदगी, बीमारियों का जमावड़ा ही महिला रिमांड होम की यही कड़वी सच्चाई है. प्रेम और अपराध के कई मामलों में रिमांड होम की ऊंची और अंधेरी चाहरदीवारी के बीच कैद औरतों और लड़कियों को सुधरने के बजाए उनकी जिंदगी को तबाह और बर्बाद करने की करतूतें चलती हैं. रिमांड होम में कुछेक दबंग संवासिनियों (महिला कैदी) की हूकूमत चलती है और पीड़ितों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है. रिमांड होम का प्रशासन भी उनका साथ देता रहा है.

समाज कल्याण विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रिमांड होम के गेट के भीतर पुरानी और दबंग कैदियों का राज चलता है. उनकी बात नहीं मानने वाली कैदियों की थप्पड़, घूंसों, लातों और डंडों से पिटाई की जाती है. कभी खाना बंद करने का फरमान सुना दिया जाता है. इससे कई डिप्रेशन का शिकार होकर दिमागी रूप से विक्षिप्त भी हो चुकी हैं. कुछ साल पहले विक्षिप्त संवासिन पिंकी ने तो गले में फंदा लगा कर खुदकुशी कर ली थी. पिंकी की चीख रिमांड होम के अंधेरे कमरों की दीवारों में घुट कर रह गई.

पिछले दिनों बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष अंजुम आरा की अगुवाई में आयोग की टीम ने रिमांड होम का मुआयना किया. रिमांड होम में बंद लड़कियों और औरतों की सेहत, पढ़ाई और समाज कल्याण महकमे से मिलने वाली सुविधओं की पड़ताल की. अंजुम आरा ने माना कि सुधार गृह को ही सुधरने की दरकार है, तभी इसे बनाने का मकसद पूरा हो सकेगा. सुधार गृह की बंदियों को ट्रेनिंग देकर अपने पैरों पर खड़ा करने की जरूरत है, इससे बाहर निकलने के बाद वह किसी की मोहताज नहीं रहेंगी. प्रेम प्रसंग के मामलों में बंद लड़कियों के बारे में आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि प्रेम प्रसंग के मामलों में पिछले कई सालों से रह रही 18साल के ऊपर की संवासिनों (बंदियों) को फर्स्ट क्लास ज्यूडिसियल मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिला कर उन्हें उनके घरवालों के पास भेजने की कोशिशें की जाएंगी.

गौरतलब है कि पटना के रिमांड होम में प्रेम प्रसंग के मामलों में 34 लड़कियां बंद हैं. बिहार के किशनगंज जिलेकी रहने वाली लड़की बेबी पिछले 10 महीने से रिमांड होम में कैद है. उसका गुनाह इतना ही है कि उसने दूसरेधर्म के लड़के से प्यार किया. उसके घरवालों ने पहले तो उसे समझाया पर वह अपने प्यार को पाने की जिद पर अड़ी रही. आखिरकार गुस्से में आकर बेबी के घरवालों ने उसके प्रेमी को मार डाला. उसके बाद लड़के के परिवार ने बेबी समेत उसके समूचे परिवार को हत्या का आरोपी बना दिया. बेबी सिसकते हुए कहती है कि जिससे मोहब्बत की और साथ-साथ जीने और मरने की कसमें खाई थी, उसे वह कैसे मार सकती है? बेबी की भावनाओं को समझने की समझ और समय कानून के पास नहीं है. प्रेम करने की सजा के तौर पर उनके परिवार वालों और समाज के ठेकेदारों ने उन लड़कियों को रिमांड होम की काली कोठरी में पहुंचा दिया है. 

मेरी मां जल्द से जल्द मेरा विवाह कर देना चाहती हैं. मैं किसी और लड़के से प्यार करती हूं. क्या करूं.

सवाल

मैं 20 वर्षीय युवती हूं. पिछले साल ही मेरे पिता का देहांत हुआ है. अब मेरी मां जल्द से जल्द मेरा विवाह कर देना चाहती हैं. उन का मानना है कि लड़की की शादी जितनी जल्दी हो सके कर देनी चाहिए. उन्होंने मेरे रिश्ते की बात दुबई में रहने वाले एक युवक से शुरू कर दी है, यह जानते हुए भी कि मैं किसी और लड़के से प्यार करती हूं. लड़का अच्छा खाताकमाता है और शादी को ले कर पूरी तरह से गंभीर है. पर चूंकि वह दूसरी जाति का है, इसलिए घर वाले इस रिश्ते से इनकार कर रहे हैं. क्या करूं कि वे शादी को ले कर जबरदस्ती न करें?

जवाब

यदि सिर्फ लड़के के अंतर्जातीय होने से ही आप के घर वाले आ के बौयफ्रैंड से आप के विवाह को ले कर ऐतराज कर रह हैं, तो यह सरासर गलत है. यदि लड़के में कोई ऐब नहीं है और आप को लगता है कि आप उस के साथ खुश रहेंगी तो घर वालों को राजी करने का प्रयास करें. आजकल अंतर्जातीय विवाह आम हैं. समाज भी इन का विरोध नहीं करता.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

आपका चेहरा पहचान लेगा आईफोन 8!

एप्पल का नया आईफोन 8 आने में अभी काफी समय है लेकिन आने से पहले ही इसे लेकर अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है. इस फोन के लिए लोगों की दीवानगी का आलम यह है कि कोवेन एंड कंपनी की ओर लीक ताजा जानकारी के मुताबिक इस साल फोन की दसवीं वर्षगांठ पर कंपनी नया हैंडसेट लांच कर सकती है.

आईफोन 8 में एक खास तरह का फीचर होगा. आईफोन का यह वर्जन आपका चेहरा पहचान लोगा. सूत्रों का दावा है कि इस फोन का डिस्प्ले 5.8 इंच का होगा और इसमें ओएलईडी स्क्रीन होगी. इसके अलावा इसमें टच आईडी के साथ कांच के नीचे फिंगरप्रिंट सेंसर भी लगा होगा.

चेहरा पहचानने वाले फीचर के लिए फोन में लेजर सेंसर और सामने के कैमरा के साथ इनफ्रारेड सेंसर लगे होंगे. कंपनी के विश्लेषक टिमोथी एर्कूरी की मानें तो आईफोन 8 में ऑगमेंट रिएलिटी का फीचर भी जोड़े जाने की संभावना है.

अपने अडि़यल स्वभाव के कारण बात इतनी बढ़ गई कि मेरा तलाक हो गया. बताएं मैं क्या करूं.

सवाल

मैं अपने 4 सालों के वैवाहिक जीवन में तालमेल नहीं बैठा पाई. अपने अडि़यल स्वभाव के कारण बात इतनी बढ़ गई कि मेरा तलाक हो गया. पति से अलग हो जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं ने जिंदगी में क्या खो दिया है. मुझे अपनी गलतियों और व्यवहार के लिए बहुत पछतावा है. मैं ने अपने पति से कई बार माफी मांगी है. उन से कहा कि मैं कुसूरवार हूं और बहुत शर्मिंदा हूं. वे मुझे माफ कर दें. पर वे कहते हैं कि उन्हें मुझ से कोई मतलब नहीं है. वे मुझ से बात भी नहीं करना चाहते. बताएं क्या करूं?

जवाब

वैवाहिक जीवन में तालमेल बैठाने का प्रयास करने के बजाय आप ने संबंधविच्छेद करने का फैसला ले लिया. तलाक किसी समस्या का हल नहीं है. तलाक लेने के बाद आप पछता रही हैं लेकिन अब पछताने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. इतना बड़ा फैसला लेने से पहले आप ने ठंडे दिमाग से सोचा होता तो आज आप को अपराधबोध न होता. अब चूंकि आप निर्णय ले चुकी हैं और तलाक भी हो चुका है तो अब पति के सम्मुख जा कर माफी मांगने या गिड़गिड़ाने से कुछ नहीं होगा.

 

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रोबोट बना पत्रकार, लिखा 1 सेकेंड में 300 शब्द

चीन के एक अखबार के लिए रोबोट पत्रकार ने एक सेकेंड में 300 शब्दों का आर्टिकल लिखा है. वसंत उत्सव में होने वाली भीड़ पर ‘शिआओ नान’ ने सिर्फ 1 सेकेंड में 300 शब्दों का आर्टिकल लिख दिया.

वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘शिआओ नान’ छोटे और बड़े दोनों तरह के रिपोर्ट लिखने में सक्ष्म है. इस रोबोर्ट को बनाने वाले टीम के प्रोफेशर वॉन शिआओजून के अनुसार ‘अखबार के ऑफिस में कार्यरत रिपोर्टरों की तुलना में यह रोबोर्ट तेजी से डेटा ऐनालिसस कर लेता है और आर्टिकल भी जल्दी लिख लेता है. पर इसका मतलब यह नहीं कि रोबोट पत्रकारों की जगह ले लेंगे.’

‘शिआओ नान’ साक्षात्कार लेने में, फॉलो अप प्रश्नों के उत्तर देने में और किसी बातचीत या साक्षात्कार से खबर निकालने में समर्थ नहीं है. पर शिआओजून का मानना है कि रोबोट भी अब संपादकों और रिपोर्टों के सहायक की तरह काम कर सकेंगे.

यह पहली बार नहीं है जब किसी रोबोट ने अखबार के लिए आर्टिकल लिखा हो. अमरीकी अखबार 'दि लॉस ऐंजलिस टाइम्स' रोबोट द्वारा लिखी खबर प्रकाशित करने वाला पहला अखबार है. 2014 में एक रोबोट ने 'दि लॉस ऐंजलिस टाइम्स' के लिए भूंकप के बारे में खबर लिखी थी.

 

जब गेंद बाउंड्री पार भेजे बिना लग गया छक्का

क्रिकेट इतिहास में एक बल्लेबाज को 6 रन हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करती पड़ती है. लेकिन अगर बल्लेबाज गेंद को बिना सीमा रेखा के पार पहुंचाए ही एक गेंद में 6 रन हासिल करे, तो क्या ऐसा मुमकिन है? जी हां बिलकुल, एक बल्लेबाज गेंद को बिना बाउंड्री पार भेजे भी एक गेंद में 6 रन हासिल कर सकता है.

ऐसा ही कुछ नजारा 2002 में श्रीलंका में आयोजित हुई आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच एक मैच में देखने को मिला. जब पाकिस्तानी टीम की ओर से उसके विकेटकीपर बल्लेबाज राशिद लतीफ 26वां ओवर खेल रहे थे और श्रीलंका की तरफ से स्पिनर उपुल चंदना गेंदबाजी कर रहे थे उस वक्त एक अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला था. जैसे ही उपुल चंदना ने गेंद को लेग साइड की दिशा में डाला तब लतीफ ने स्वीप किया और गेंद विकेटकीपर संगकारा के पीछे रखे हैलमेट पर जा लगी. तब अम्पायर स्टीव बकनर ने पेनल्टी के रूप में 5 रनों का इशारा कर दिया.

वह पांच रन बल्लेबाजी करने वाली टीम पाकिस्तान के खाते में जुड़े, चूंकि दोनों बल्लेबाज गेंद हेलमेट पर लगने से पहले ही एक रन के लिए दौड़ पड़े थे इसलिए बल्लेबाज के खाते में एक रन और पेनाल्टी के पांच अतिरिक्त रन पाकिस्तान के खाते में जुड़े. इस तरह यह 6 रन क्रिकेट इतिहास का सबसे छोटा छक्का बन गया.

आपको बता दें की अगर गेंद के हेलमेट पर लगने से पहले बल्लेबाज़ दौड़कर एक रन पूरा कर लेते हैं तो बल्लेबाज के खाते में 1+5 रन जोड़े जाते हैं.

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