Download App

दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं है : यामी गौतम

विज्ञापनों से अभिनय के क्षेत्र में उतरी अभिनेत्री यामी गौतम को फिल्म ‘विकी डोनर’ से प्रसिद्धी मिली. हालांकि उन्होंने अपना कैरियर टीवी से शुरू किया था, लेकिन हमेशा से उन्हें फिल्मों में काम करने की इच्छा रही. 20 साल की उम्र में वह अभिनय के लिए मुंबई आई और जो भी काम मिला करती गईं. स्वभाव से नम्र और हंसमुख यामी की कुछ फिल्में सफल तो कुछ असफल रहीं, लेकिन उस पर वह ध्यान नहीं देती, इंडस्ट्री में गॉडफादर न होने के बावजूद काम के मिलने को अपना लक समझती हैं. हिंदी के अलावा उन्होंने पंजाबी,तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़ आदि सभी भाषाओं में फिल्में की हैं. इस समय वह फिल्म ‘काबिल’ के प्रमोशन पर हैं, जिसे लेकर वह काफी खुश हैं. उनसे मिलकर बात करना रोचक था. पेश है कुछ अंश.

प्र. इस फिल्म का मिलना कैसे हुआ? कितनी खुश हैं?

ये फिल्म मेरे लिए बड़ी बात है, केवल स्क्रिप्ट ही नहीं, ऋतिक रोशन के साथ काम करना, संजय गुप्ता द्वारा निर्देशन किया जाना, राकेश रोशन के द्वारा बनाया जाना आदि सब मेरे लिए एक्साइटमेंट है.

प्र. आपने इसमें एक अंधी लड़की की भूमिका निभाई है, अपने आप को कैसे तैयार किया?

ये कोई एक दो दिन में नहीं हुआ, काफी समय लगा. जिससे वह रियल लगे. हमने काम के दौरान मिलकर ‘एक्स्प्लोर’ किया है. मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, बहुत सारें यू ट्यूब पर रियल वीडियो देखी, जिसमें वे कैसे खाना बनाते हैं, कैसे चलते हैं, कैसे बात करते हैं, उनका बॉडी लैंग्वेज कैसा होता है आदि सारी बारीकियों को देखा. फिर ऋतिक ने बहुत सहयोग दिया, जिससे काम करना आसान हो गया.

प्र. निर्माता राकेश रोशन ने आपको क्या टिप्स दिए?

उनका कहना था कि लड़की आंखों से देख नहीं सकती, पर वह हर जगह जाने के लिए आजाद है. वह मासूम है पर उसका व्यवहार आम लड़की की तरह ही होना चाहिए. मैंने जब कहा कि मैं बहुत नर्वस हूं तो उन्होंने कहा कि मैं भी अपनी हर फिल्म में नर्वस होता था. ये अच्छी बात है और ऋतिक से हेल्प लेने की बात कही.

प्र. ऋतिक के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

मैं ऋतिक से पहले कभी मिली नहीं थी. पहली बार जब सेट पर मिली, तो मेरे दिमाग में काफी प्रश्न थे, क्योंकि उन्होंने धूम, बैंग-बैंग, कृष आदि कई बड़ी फिल्में की हैं. वे एक स्टाइलिस्ट इंसान हैं, उन्हें पूरा विश्व जानता है. लेकिन जब बात की तो पता चला कि ये बहुत ही सिंपल इंसान हैं. उनके साथ आप कुछ भी बात कर सकते हैं, 50 के दशक के गाने भी वे जानते हैं. इसके अलावा उनका ‘सेंस ऑफ़ ह्यूमर’ बहुत अच्छा है. काम के दौरान भी वे फन ढूंढ लेते हैं. हालांकि वे काम पर भी बहुत फोकस्ड रहते हैं, लेकिन शूटिंग करते हुए कुछ न कुछ ‘फनी जोक्स’ सुनाकर सबको खुश कर देते हैं. उनके साथ डांस करते हुए मुझे थोड़ी मुश्किल आई, पर मैंने काफी मेहनत की है. जब मुझे पता चला कि इसमें थोड़ा टैंगो डांस है, तो मैंने पहले से ही सीखनी शुरू कर दिया था, जिससे मुझे अधिक मुश्किलें नहीं आई. मैं कोई ‘रिटेक’ नहीं लेना चाहती थी.

प्र. इस फिल्म से आपने क्या सीखा? आंखों से न देख पाने वालों के लिए कुछ करना चाहती है?

मैंने जाना कि दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं है. आंखों से न देख पाने के बावजूद वे एक सामान्य इंसान की तरह ही मौज-मस्ती, घूमना-फिरना, प्यार करना सब पसंद करते हैं. मैं खुद भी ऐसे ही प्यार की तलाश कर रही हूं, जो मुझे सच्चा प्यार करे. आजकल रिलेशनशिप के माइने बदल चुके हैं, उसे आप प्यार नहीं कह सकते. मेरे हिसाब से प्यार का अर्थ और एहसास बदला नहीं है. वे जैसे थे, वैसे ही हैं. मेरे पूरे परिवार ने आज से दस साल पहले अपनी आंखें दान कर  दी थी. ये एक छोटा प्रयास है, तब फिल्म की कोई बात नहीं थी.

प्र. आपने पिछले 5 सालों में बहुत कम फिल्में की हैं, इसकी वजह क्या है? क्या आप ‘चूजी’ हैं?

मैं अपने हिसाब से फिल्में करती हूं. कुछ सफल हुई कुछ नहीं. हमेशा से मैं ऐसी फिल्में करना चाहती हूं, जिससे मुझे लोग याद करें और मेरा प्रयास यही चलता रहता है. अगर मेरी फिल्में सफल नहीं भी हुई तो भी मैं अधिक नहीं  सोचती और इसकी क्रेडिट मैं अपने माता-पिता को देती हूं. जो हमेशा आगे बढ़ने की सलाह देते रहते हैं. मैं हो-हल्ला अधिक पसंद नहीं करती. पार्टी में अधिक नहीं जाती, इसलिए शायद मुझे आगे बढ़ने में थोडा समय लग रहा है. अभी मेरी दो फिल्में काबिल और सरकार 3 आ रही हैं.

प्र. परिवार के बिना मुंबई में अकेले रहना कितना मुश्किल होता है?

अकेले रहना मुश्किल होता है, पर मेरे माता–पिता हमेशा आते रहते हैं. यहां अगर काम न हो तो अपने आप को हमेशा ‘एंगेज’ रखना पड़ता है, ताकि आपकी ग्रूमिंग होती रहे.

प्र. आप की खूबसूरती का राज क्या है?

इसका श्रेय मैं अपने मेकअप आर्टिस्ट और माता-पिता को देती हूं. काबिल फिल्म में मेकअप ने काफी काम किया है, क्योंकि इसमें कही भी अधिक मेकअप दिखाना नहीं था. इस फिल्म में मैंने सुप्रिया की भूमिका निभाई है, जो पियानो की क्लास लेने जाती है. जो सजती भी है, क्योंकि बाहर जाती है. रियल लाइफ में मैं अधिक मेकअप नहीं पसंद करती.

अच्छी फोटो के लिए डिएसएलआर नहीं, फोन ही काफी है

आजकल अलग अलग स्टाइल और इंप्रेशन के साथ सेल्फी लेने और सोशल मीडिया पर डालने का ट्रेंड है. पर अच्छी सेल्फी खींचने के लिए फोन में ज्यादा मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा और एलईडी फ्लैश होना जरूरी है. आमतौर पर बजट फोन में इस तरह के फीचर कम ही मिलते हैं. ऐसे में यूजर्स सस्ती ऐसेसरीज आजमाकर बजट फोन से प्रीमियम फोन जैसी ही सेल्फी ले सकते हैं.

सेल्फी फ्लैश लाइट

फोन के फ्रन्ट साइड में एलईडी फ्लैश लाइट न होने पर अक्सर उससे धुंधली या बेरंग सेल्फी आ जाती है. रात के समय और कम रोशनी वाले बैकग्राउंड में फोटो खींचने के दौरान तो एलईडी फ्लैश की कमी सबसे ज्यादा खलती है. ऐसे में यूजर सेल्फी फ्लैश लाइट नाम की एक फोन असेसरी का सहारा ले सकते हैं, जो विभिन्न ई-कॉमर्स वेबसाइट पर औसतन 250 रुपये में उपलब्ध है. इसे फोन में लगाकर कम रोशनी होने पर भी बेहतरीन सेल्फी ली जा सकती है. खास बात यह है कि सेल्फी फ्लैश लाइट को पीछे की तरफ मोड़ने की सुविधा भी उपलब्ध है. यानी यह बैक कैमरे की फोटो क्वालिटी सुधारने में भी मददगार साबित हो सकती है.

पोर्टेबल कैमरा लेंस

स्मार्टफोन में कम मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा लगा हुआ है तो अच्छी सेल्फी खींचने के लिए आप पोर्टेबल कैमरा लेंस का इस्तेमाल कर सकते हैं. अलग-अलग ई-कॉमर्स वेबसाइट पर इस तरह के लेंस औसतन 200 रुपये में बिकते हैं. ओरिग्लो यूनिवर्सल 3 इन 1 सेलफोन कैमरा लेंस किट में तीन अलग-अलग तरह के लेंस (मैक्रो लेंस, फिश लेंस और वाइड एंगल लेंस) दिए गए हैं.

फोन ट्राईपॉड

फोन कैमरे से सेल्फी लेने के लिए ज्यादातर लोग सेल्फी स्टिक का सहारा लेते हैं. हालांकि हाथ कांपने या हिलने के कारण अक्सर सेल्फी खराब हो जाती है. इस समस्या से बचने के लिए यूजर फोन ट्राईपॉड का इस्तेमाल कर सकते हैं. ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर ऐसे स्टैंड औसतन 500 रुपये में उपलब्ध हैं.

अपनी मंजिल की तलाश में एक गीतकार

नक्ष लायलपुरी उन गीतकारों में से थे, जिनके बारे में स्व. राज कपूर ने कहा था, ‘‘मुझे अफसोस है कि फिल्म ‘हिना’ से पहले इस इंसान और इसकी लेखनी को अपनी टीम का हिस्सा नही बना सका.’’

जी हां फिल्म ‘‘हिना’’ का जिक्र करते हुए खुद नक्ष लायलपुरी ने कहा था, ‘‘संगीतकार रवींद्र जैन ने मुझे फिल्म ‘हिना’ का गीत ‘चिट्ठियां’ लिखने का मौका दिया था. राज कपूर जी ने यह गीत सुना और उनकी आंखों से आंसु बहने लगे थे. फिर उन्होंने मुझसे कहा था, ‘आप इतने दिनों तक थे कहां? मुझसे गलती हो गयी, जो मैं आपसे पहले न मिल सका.’ उसके बाद रवींद्र जैन के विरोध के बावजूद उन्होंने मुझसे ‘अनारदाना’ के गीत लिखने के लिए कहा था. मगर जिस दिन गीत की रिकॉर्डिंग होनी थी, उसी दिन राज जी बीमार हो गए. रिकॉर्डिंग रद्द हो गयी. फिर उनका असामयिक देहांत हो गया. जब रणधीर कपूर ने कमान संभाली तो रवींद्र जैन अपना गीत लेकर पहुंच गए और कहा कि राज जी ने उनके गीत को पसंद किया था. सच जानने वाले रमेश बहल ने, विवाद से बचने के लिए रणधीर कपूर के सामने सच नहीं कबूला था. पर उसके बाद रवींद्र जैन व रमेश बहल दोनों मेरी नजर से गिर गए थें. कुछ समय बाद रवींद्र जैन ने मुझसे माफी भी मांगी थी, पर माफी का सवाल ही नहीं था.’’

नक्ष लायलपुरी ने शंकर जयकिशन, जयदेव, खय्याम, मदन मोहन, राजेश रोशन, रवींद्र जैन सहित 145 संगीतकारों के लिए गीत लिखे. मगर उन्हें हमेशा बी या सी ग्रेड फिल्मों के ही गीत लिखने का अवसर दिया गया. जबकि उन्होंने हर फिल्म में ‘ए’ ग्रेड स्तरीय गीत लिखे और उनके गीत लोकप्रिय हुए.

मसलन फिल्म ‘तेरी तलाश में’ का गीत ‘तेरी आवाज की जादूगरी’ से फिल्म ‘दिल-ए-नादान’ का गीत ‘प्यार का दर्द है मीठा मीठा प्यारा प्यारा..’, फिल्म ‘हिना’ का गीत ‘चिट्ठियां ने’, फिल्म ‘मान जाइए’ का गीत ‘यह वही गीत है जिसको मैंने’, फिल्म ‘कागज की नाव’ का गीत ‘हर जनम में हमारा मिलन’, फिल्म ‘तुम्हारें लिए’ का गीत ‘तुम्हें देखती हूं’, फिल्म ‘खानदान’ का गीत ‘यह मुलाकात एक बहाना है’, फिल्म ‘दर्द’ का गीत ‘ना जाने क्या हुआ, जो तूने छू लिया’, फिल्म ‘कॉल गर्ल’ का गीत ‘उल्फत में जमाने की’, फिल्म ‘ठोकर’ का गीत ‘अपनी आंखों में बसा के’, फिल्म ‘घरौंदा’ का गीत ‘तुम्हें हो न हो’ गीत लिखे.

अपने हर गीत से उन्होंने लोगों को अपना बनाया. मगर फिल्मकार व संगीतकार उन्हें अपना नहीं बना सके. इसकी वजह क्या रही? इस संबंध में नक्ष लायलपुरी ने कहा था, ‘‘कवि अपने मन का मालिक होता है. मैंने निर्माताओं की गुलामी या उनके गलत आदेश का पालन कभी नहीं किया. मैंने अश्लील गीत नहीं लिखे. मैंने अपने गीतों में कभी भी घटिया शब्द नही डाले. मेरे हर गीत में शालीनता रही है. शायद इसकी वजह यह रही, कि मैं बचपन से ही अच्छा साहित्य पढ़ता रहा हूं. जो बहुतों की नाराजगी की वजह रही. इतना ही नहीं मैने अपनी जिंदगीं में निर्माताओं या संगीतकारों द्वारा दिए गए मुखड़ों को विस्तारित करने का काम नहीं किया. उन दिनों साहिर लुधियानवी व कैफी आजमी का लिखना ही पत्थर की लकीर होता था.’’

शब्द की अहमियत

गीत के शब्दों की चर्चा चलने पर नक्ष लायलपुरी ने कहा था कि ‘‘फिल्म ‘नागिन’ का गीत ‘मन डोले मेरा तन डोले’. ‘…कौन बजाएगा बांसुरिया’ की पृष्ठभूमि में बांसुरी नहीं बजती है, इसके बावजूद शब्द इतने जोरदार थे कि गीत ने जबरदस्त लोकप्रियता बटोरी थी.’’

स्पष्टवादी स्वभाव ने भी उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया

नक्ष लायलपुरी स्पष्ट बात करते थे. जिसकी वजह से भी उन्हें काफी नुकसान पहुंचा. वह गीतकार गुलजार की इज्जत करते थे, पर जब भी उन्हें गुलजार का कोई गीत पसंद नही आता, तो उसका विरोध भी करते. गुलजार का एक गीत है, ‘‘हमनें देखीं है उन आंखों की महकती खुशबू..’’ इस गीत की आलोचना करते हुए नक्ष लायलपुरी ने कहा था, ‘‘मैं मान लेता हूं कि आपने खुशबू देख ली, लेकिन महकती खुशबू? लोग इस तरह शब्दों के साथ गलत खिलवाड़ करते रहे हैं, यह सब मुझे पसंद नहीं था. कविता या गीत के व्याकरण के साथ समझौता या खिलवाड़ के खिलाफ मैने अपनी बात हमेशा कही.’’

कुछ स्टंट फिल्मों के गीत लिखे

यूं तो नक्ष लायलपुरी ने भी संघर्ष के दिनों में कुछ स्टंट फिल्मों के गीत लिखे थे. जी हां ! यह उस वक्त की बात है, जब नक्ष लायलपुरी पंजाबी फिल्में कर रहे थे. पर वह स्तर हीन हिंदी फिल्मों के प्रस्ताव ठुकरातें जा रहे थे. इससे नाराज होकर उनकी पत्नी ने उन्हें ऐसी सलाह दी कि नक्ष लायलपुरी ने हर हिंदी फिल्म के लिए गीत लिखने शुरू कर दिए थे. खुद नक्ष ने बताया था, ‘‘मेरी पत्नी ने कहा था कि फिल्में स्तरहीन हो सकती है, या मीडियोकर हो सकती है. पर मैं यह ध्यान रखूं कि मेरा लेखन स्तरहीन न हो. तब मैंने कुछ स्टंट फिल्मों के लिए गीत लिखे थे.’’

मैं विवाह से पूर्व नौकरी करती थी. अब मैं चाहती हूं दोबारा नौकरी कर लूं. पति मना कर रहे हैं. क्या करूं.

सवाल

मैं 26 वर्षीय विवाहिता व 3 वर्षीय बेटे की मां हूं. विवाह से पूर्व मैं नौकरी करती थी. शादी चूंकि दूसरे शहर में हुई है, इसलिए नौकरी छोड़नी पड़ी. अब मैं चाहती हूं दोबारा नौकरी कर लूं. पति से इस विषय में बात की तो वे मना करने लगे. चूंकि हम यहां अकेले रहते हैं, घर में कोई बड़ा बच्चे को संभालने के लिए नहीं है. बच्चे को क्रैच में छोड़ने के वे सख्त खिलाफ हैं. इस के अलावा उन का कहना है कि जब आर्थिक तौर पर हम सक्षम हैं तो फिर मैं क्यों नौकरी करना चाहती हूं. मैं कैसे समझाऊं कि आर्थिक निर्भरता के लिए नहीं अपनी इच्छा के लिए नौकरी करना चाहती हूं. यदि मैं ने और 2-4 साल यों ही बरबाद कर दिए तो मेरा कैरियर चौपट हो जाएगा. बताएं क्या करूं?

जवाब

शादी के बाद पारिवारिक कारणों से खासकर बच्चों की परवरिश के लिए अधिकांश महिलाएं नौकरी छोड़ देती हैं. उन्हें इस बात का मलाल भी नहीं होता, क्योंकि घरगृहस्थी और बच्चों का लालनपालन अपनेआप में एक फुल टाइम जौब है. दोनों को एकसाथ मैनेज करना, खासकर तब जब बच्चे की देखरेख करने के लिए परिवार का कोई सदस्य न हो, बहुत मुश्किल होता है. जहां तक क्रैच में बच्चे को छोड़ने की बात है, पहले तो अच्छे क्रैच मिलते नहीं और मिल भी जाएं तो भी उतनी अच्छी देखभाल बच्चे की नहीं हो पाती जितनी उस की मां करती है. अत: यदि आप को किसी प्रकार की आर्थिक तंगी नहीं है तो आप को नौकरी के लिए जिद नहीं करनी चाहिए. घर में अतिरिक्त समय में आप अपनी कोई हौबी विकसित या ट्यूशन आदि कर सकती हैं.

एक ही दिन में इस बल्लेबाज ने लगाए दो अर्धशतक

आईसीसी के द्वारा 14-20 जनवरी के बीच दुबई में आठ एसोसिएट देशों के बीच आयोजीत डेजर्ट टी-20 टूर्नामेंट में अफगानिस्तान के ओपनर बल्लेबाज मोहम्मद शहजाद ने एक अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. अफगानिस्तान ने आयरलैंड को 10 विकेट से हराकर खिताब पर कब्जा किया. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय टीम  के कप्तान विराट कोहली का रिकॉर्ड भी धवस्त कर दिया.

शहजाद अफगानिस्तान की टीम में विकेटकीपर और ओपनर की भी भूमिका निभाते हैं. क्रिकेट के इतिहास में कई यादगार पारियां उनके नाम दर्ज हैं. हाल ही में उन्होंने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है जो अपने आप में अनूठा है. वह अफगानिस्तान की टीम के लिए वनडे शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज हैं. आइए जानते हैं कि उन्होंने कैसे इतिहास रच दिया है.

एक ही दिन में लगाए दो अर्धशतक

ओपनर बल्लेबाज मोहम्मद शहजाद ने एक ही दिन में दो बार अर्द्धशतकीय पारी खेलकर एक अनोखा वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कर लिया है. दरअसल मोहम्मद शहजाद ने सबसे पहले ओमान के खिलाफ खेले गए पहले सेमीफाइनल मुकबाले में 60 गेंदों में 80 रनों की विस्फोटक पारी खेली और अपनी टीम को फाइनल में पहुंचाया. अपनी 80 रनों की पारी में 8 चौके और तीन छक्के लगाए. इस तरह से 50 रन तो उन्होंने चौको-छक्कों से जोड़ लिए.

उसके बाद उसी दिन फाइनल मुकाबला आयरलैंड के साथ खेला गया. इस मैच में भी शहजाद का बल्ला जमकर बोला. उन्होंने 40 गेंदों में 50 रन बनाकर एक ही दिन में दो बार अर्धशतक लगाने का अनोखा कारनामा कर दिखाया.

अफगानिस्तान ने खिताब किया अपने नाम

फाइनल मुकबाले में अफगानिस्तान के गेंदबाजों ने मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए आयरलैंड की पूरी टीम को 13.2 ओवर में मात्र 71 रनों पर ऑलआउट कर दिया. 72 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी अफगानिस्तान की टीम ने मात्र 8 ओवर में मैच जीतकर खिलाब अपने नाम कर लिया.

फाइनल मुकबाले में भी शहजाद ने एक बार फिर शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया और 40 गेंदों में 50 रन बनाकर एक ही दिन में दो बार पचासा जड़ दिए. इस तरह शहजाद टी-20 फॉर्मेट मे ऐसा करने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बन गए हैं जिन्होंने इंटरनेशल क्रिकेट में एक ही दिन में दो बार अर्द्धशतक जड़ने का वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है.

शहजाद ने अपने इंटरनेशल करियर में कुल 48 वनडे और 55 टी-20 मैच खेला है. वनडे क्रिकेट में 4 शतक और 7 अर्द्धशतक के साथ 91.56 के स्ट्राइक रेट से 1649 रन अपने नाम किया है जबकि टी-20 में 136.63 के स्ट्राइक रेट से 1656 रन बानए हैं.

कोहली का रिकॉर्ड भी तोड़ा 

शाहजाद ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में किसी एक टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा फिफ्टी ठोकने का रिकॉर्ड तोड़ा. उन्होंने एक ही सीरीज में चार अर्धशतक बनाए. चौथा अर्धशतक आयरलैंड के खिलाफ लगाया. शाहजाद ने एक ही दिन में दो अर्धशतक लगाने का भी नया कीर्तिमान भी बनाया है जो कि अपने आप में अनूठा है.

इससे पहले एक ही सीरिज में तीन अर्धशतक के साथ यह रिकॉर्ड कोहली के नाम था. कोहली ने एक सीरिज में सर्वाधिक अर्धशतक बनाने का ये रिकॉर्ड पिछले साल भारत में हुए वर्ल्ड टी20 के दौरान बनाया था.

आठ एसोसिएट देशों के बीच सीरिज

14-20 जनवरी के बीच दुबई में आठ एसोसिएट देशों के बीच चैम्पियंस ऑफ डेजर्ट टी20 चैलेंज आयोजित हुआ था. अफगानिस्तान ने आयरलैंड को 10 विकेट से हराकर खिताब पर कब्जा किया. 28 साल के शाहजाद ने पूरी सीरिज में कमाल की बैटिंग की. 

ट्रंप का संरक्षणवादी राष्ट्रवाद

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रवाद का आवेग जगाने वाले जब भाषण दिया करते थे, तब बहुतों को लगता था कि उनका यह लोकप्रियतावादी नजरिया सिर्फ चुनाव जीतने के लिए है और वास्तव में राष्ट्रपति बन जाने के बाद वे वैश्विक परिदृश्य में चीजों को देखेंगे तथा वैश्वीकरण की अगुवाई दूसरे देशों के साथ तालमेल बनाकर वैसे ही करेंगे जैसा कि उनके पूर्ववर्ती करते आए हैं.

एक अवधारणा तो यह बनी है कि भारत के साथ संबंधों को ट्रंप से और ऊंचाई तथा और गहराई मिलेगी, लेकिन राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रंप ने जो भाषण दिया है, उसने भारत-अमेरिकी कारोबार की चिंता बढ़ा दी है. असल में ट्रंप का राष्ट्रीय अमेरिकावाद दूसरे शब्दों में वह संरक्षणवाद है, जो अमेरिकी हितों के लिए दूसरों के पर कतरने वाला साबित हो सकता है और इसका शिकार भारत भी हो सकता है.

यह अकारण नहीं है कि ट्रंप युग में भारतीय उद्योग जगत और सरकार को लग रहा है कि संरक्षणवाद और एच1बी वीजा में कटौती हो सकती है, भले ही भारत के साथ वित्तीय और तकनीकी सहयोग अमेरिका जारी रखे. ट्रंप का यह कहना कि अमेरिकी सामान खरीदो और अमेरिकियों को ही नौकरी दो, दरअसल भारी तादाद में अमेरिका में नौकरी कर रहे भारतीयों को बेहद परेशान करनेवाला है.

ट्रंप का यह संरक्षणवादी राष्ट्रवाद वैश्विक अर्थव्यवस्था, व्यापार और शेयर बाजारों के लिए बेहद चिंताजनक है. इसका शेयर बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा. हमारे केंद्रीय वित्त सचिव का आशावाद कहता है कि अमेरिका वित्तीय और तकनीकी भागीदारी तथा निवेश के माध्यम से वैश्विक विकास का समर्थन जारी रखेगा और दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं यानी अमेरिका-भारत के बीच पारस्परिक लाभ के लिए दो गतिशील लोकंतत्रों के बीच अपने लोगों की भलाई और समृद्धि के लिए मजबूत संबंध स्थापित होने की उम्मीद है, लेकिन उद्योग संगठन एसोचैम के अध्यक्ष बिल्कुल दूसरी बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि ट्रंप सरकार का फोकस स्पष्ट है और वे खुद की तरफ देख रहे हैं, इसलिए वैश्वीकरण की उससे ज्यादा उम्मीद नहीं है.

जाहिर है कि ऐसे में भारतीय उद्योग को बदलना होगा और अमेरिका में वस्तु और सेवाओं के क्षेत्र में निवेश करना होगा. वहीं भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष मानते हैं कि अमेरिका का वित्तीय घाटा बढ़ेगा, क्योंकि वह कर में कटौती करेगा तथा अवसंरचना पर खर्च बढ़ाएगा, जिससे भारत जैसे देशों को नुकसान होगा, क्योंकि यहां से पूंजी निकलकर अमेरिका चली जाएगी. घोष का भी कहना है कि सबसे बुरा प्रभाव भारतीय आईटी उद्योग पर पड़ेगा, क्योंकि ट्रंप एच1बी वीजा में कटौती करने वाले हैं.

गौरतलब है कि अमेरिका की हजारों कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों को बड़ी तादाद में भारतीय लोग कुशल आईटी समाधान मुहैया कराके अमेरिकी बाजार की जरूरतें पूरी करते हैं . भारतीय कंपनियों ने समूचे अमेरिका में महत्वपूर्ण निवेश किया है. एक सर्वेक्षण के मुताबिक अलगे पांच वर्षों में 84 भारतीय कंपनियां अमेरिका में निवेश करनेवाली हैं, जबकि वहां के सभी राज्यों में भारतीयों की मौजूदगी पहले से ही है. ऐसे में देखना होगा कि भारतीय हितों के मद्देनजर ट्रंप का अमेरिका क्या रुख अपनाता है.

हाशिये पर मुलायम सिंह यादव

करीब तीन दशकों तक देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र में बने रहनेवाले मुलायम सिंह यादव ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वे अपनी ही बनायी पार्टी से अपने ही बेटे द्वारा किनारे लगा दिये जायेंगे. यह अलग बहस का मुद्दा है कि समाजवादी पार्टी पर से अपना नियंत्रण खोने के लिए खुद मुलायम सिंह कितने जिम्मेवार हैं, या फिर वे अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षाओं से परास्त हुए हैं.

चर्चा इस पर भी हो रही है कि पार्टी और परिवार में छह महीने से चल रहे अंदरूनी उठा-पटक के विभिन्न कारण और आयाम क्या-क्या हैं. बहरहाल, इस पर विचार भी जरूरी है कि राज्य और केंद्र की सियासत में मजबूत दखल रखनेवाले देश का कद्दावर बुजुर्ग नेता आखिर इस चुनाव में बेमानी कैसे हो गया. ऐसे हाशिये पर चले जाने का एक मतलब यह भी है कि अब उनकी राष्ट्रीय आकांक्षाओं को भी विराम लग गया है. हालांकि, वे अब भी अपना दावं खेलने की पूरी कोशिश जरूर कर सकते हैं, पर सपा पर रामगोपाल और अखिलेश की चाचा-भतीजे की जोड़ी पूरी तरह काबिज हो चुकी है तथा पार्टी के अदने समर्थक से लेकर बड़े-बड़े नेता मुलायम सिंह से किनारा कर चुके हैं.

जनता दल के दिनों से लेकर कुछ समय पहले तक केंद्र और राज्य में मुलायम ने जोड़-तोड़ और पैंतरों से अपनी साइकिल बखूबी दौड़ायी तथा इस यात्रा में उन्होंने भरोसे को बहुत ज्यादा मान भी नहीं दिया. पुराने साथियों से दूरी बना लेना, वादे कर पलट जाना और सत्ता के लिए करवटें बदलना मुलायम की राजनीति के चिर-परिचित अंदाज रहे हैं. कमांडर भदौरिया, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, अजीत सिंह जैसे लोगों का साथ छोड़ने में उन्हें हिचक नहीं हुई. मायावती के साथ गंठबंधन किया, तो उन पर हमला भी करा दिया.

वर्चस्व बढ़ाने की कवायद में दागी लोगों का साथ भी लिया और फिर रास्ता भी बदल लिया. आश्चर्य नहीं है कि आज वे अखिलेश पर ही अल्पसंख्यकों का अहित करने या फिर रामगोपाल पर भाजपा से सांठ-गांठ करने का आरोप लगा रहे हैं. यह एक बुजुर्ग नेता की खीझ नहीं है, बल्कि अखाड़े से बाहर धकेले जाते मंझे हुए पहलवान का एक हताश दावं है.

बहरहाल, बड़ा जनाधार रखनेवाले सत्ताधारी पार्टी के सबसे बड़े नेता के अप्रासंगिक होने का यह दृश्य स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास का बेहद दिलचस्प अध्याय है. उत्तर प्रदेश की राजनीति की भावी दिशा तो आगामी दिनों में जनता तय करेगी, पर यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मुलायम सिंह चुप नहीं बैठेंगे और अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के लिए कुछ जरूर करेंगे. अगले कुछ दिन भी खासा दिलचस्प हो सकते हैं.

आसान है ऑनलाइन पैसे कमाना

समय के साथ साथ नौकरी करने के तौर तरीके भी बदल रहे हैं. अब वो जमाना नहीं रहा जब हर इंसान बैग उठाकर ही ऑफिस जाता हो. तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि आप घर पर बैठे बैठे भी पैसे कमा सकते हैं. ऑनलाइन जॉब में पैसा भी अच्छे खासा है   और मेहनत भी कम है. आप घर पर ही आराम से बैठकर ऑफिस का काम कर सकते हैं. जल्द से जल्द ऑनलाइन पैसे कमाने के कई तरीके हैं.

जल्दी ऑनलाइन पैसे कमाने के तरीके

1. डोमेन नाम बदलना

डोमेन नाम इंटरनेट जगत के मूल्यवान रियल एस्टेट हैं. कुछ लोग इन्हें बेच और खरीद के अच्छे पैसे कमा लेते हैं. आप गूगल keywords सर्च कर के पता लगा सकते हैं कि किस डोमेन नैम की ज्यादा मांग होगी.

2. ऑनलाइन सर्वे करके

ऑनलाइन सर्वे से आपकी ज्यादा कमाई नहीं होगी. पर आप कम मेहनत में अपनी पॉकेट मनी कमा ही सकते हैं. अगर आप पहले से ही कहीं कार्यरत हैं तो इससे आपके पास कुछ ऐक्स्ट्री पैसे आ जाएंगे.

3. ऑडियो अनुवाद करें

इस जॉब में सुनने में अक्षम लोगों के लिए रिकोर्डेड ऑडियो को लिखा जाता है. ऐसे काम कॉन्ट्रेक बेसिस पर मिलते हैं. यह एक आसान काम है पर इसके लिए भी मेहनताना कम ही मिलता है. उपलब्ध अनुवादन कार्यों को देखने के लिए oDesk और eLance पर देखें.

4. ऑडियो एडिट करें

आपको अगर एडिटिंग सॉफ्टवेयर की जानकारी है तो आप ये काम कर सकते हैंय अनुवाद की तुलना में इसमें ज्यादा पैसे मिलते हैं. आप वेबकास्ट और साक्षात्कारों के ऑनलाइन प्रसारण होने से पहले उन्हें एडिट कर सकते हैं. आप नवीनतम अवसरों के लिए eLance या oDesk पर देख सकते हैं.

5. ऑनलाइन प्रतियोगिताओं में भाग लें

हालांकि इसमें आपको जीते बिना पैसे नही मिलंगे. आपके कार्यक्षेत्र जैसे फोटोग्राफी, लोगो बनाना, बैकग्राउंड निर्माण में मौजूद "मुफ्त" प्रतिगिताओं की खोज करें और अपने कार्यों को ज्यादा से ज्यादा जगहों पर सबमिट करें. इससे मिलने वाला अनुभव आपको अन्य नए रचनात्मक रास्तो की खोज भी करा सकता है.

6. एफिलिएट मार्केटर बनें

बिना किसी सामान को सहेजे किसी दूसरे के उत्पादों या सेवाओं का प्रचार कर पैसे कमाने का यह बहुत अच्छा तरीका हैं. एफिलिएट विज्ञापन सामान्यतः आपके वेबसाइट/ब्लॉग/पृष्ठ में लिंक द्वारा जुड़े रहते है (यह बहुत अच्छा तरीका है यदि आपके लेख मजबूत और सम्मोहक हैं, लेकिन यह ध्यान से किया जाना चाहिए ताकि विज्ञापन स्पैमी नहीं लगे, उत्पाद-प्लेसमेंट वीडियो (यह भी अच्छा तरीका हैं यदि आप मजाकिया या आपमें प्रदर्शन की प्रतिभा हैं), या बहुत कम बैनर विज्ञापन (कम प्रभावशील) क्योंकि ज्यादातर लोग इन्हें टाल देते हैं.

7. ऑनलाइन मिस्ट्री खरीददार बने

बहुत से लोगों ने असल दुनिया में रहस्यमयी खरीददार के बारे में सुना होगा, लेकिन ऑनलाइन खरीददारी में भी अब यह तेजी से बढ़ने लगा है, जिन्हें ऑनलाइन खरीददारी करने के लिए भेजा जाता है. यदि आप इसमें नयी शुरुआत ही कर रहे हैं, तो आपको खरीददारी के लिए लगने वाली कीमत के लिए तैयार रहना होगा, क्षतिपूर्ति के लिए आपका योग्य रहस्यमयी खरीददार होना जरुरी हैं.

8. वेबिनार (webinar) मार्केटिंग करें

यह साधारण ऑनलाइन सेमिनार मार्केटिंग हैं – वहीं यह असल सेमिनार बनाने से काफी सस्ता है. यदि किसी विषय के बारे में आपको लिखने का अधिकार है जिनके बारे में लोग आपको कीमत चुका कर सीखना चाहते है, पेशेवर जगह पर आप खुद को विषय के बारे में बताते हुए रिकॉर्ड करे (परंपरागत रूप से किसी कॉन्फ्रेंस कमरे में, जो आपके विषय पर निर्भर करता है) इसे अपनी वेबसाइट पर लगाएं और विज्ञापन करें.

9. बने स्वतंत्र डिजाइनर

अपने कार्य की जानकारी के लिए एक वेबसाइट बनाएं और ऑनलाइन वर्गीकृत विज्ञापनों की सहायता से अपने ग्राहकों की सूची बनाएं. हालांकि इस तरह से आपको खुद को स्थापित करने में समय लगेगा, लेकिन यहां आप अपने सामान की कीमतें खुद तय कर सकते हैं.

अभिनय के साथ साथ संगीत में भी हाथ आजमा रही हैं सोनाक्षी

श्रृद्धा कपूर के पदचिन्हों पर चलते हुए अब सोनाक्षी सिंहा भी अपनी हर फिल्म में एक गीत गाना चाहती हैं. सोनाक्षी सिंहा ने सबसे पहले अपनी फिल्म ‘अकीरा’ में अपनी आवाज में एक गाना गाया था. उसके बाद इंटरनेट पर भी वे अपना एक सिंगल गाना लेकर आयीं थी.  

अब खबर है कि सोनाक्षी सिंहा ने अपनी नई फिल्म ‘नूर’ में संगीतकार अमाल मलिक के निर्देशन में एक गाना अपनी आवाज में रिकार्ड कराया है. फिल्म ‘नूर’ एक पाकिस्तानी उपन्यासकार सबा इम्तियाज के 2014 में प्रकाशित उपन्यास ‘कराची यू आर कालिंग मी’ पर आधारित है, जिसमें सोनाक्षी सिंहा एक पत्रकार की भूमिका अदा करने वाली हैं और इसमें वे गीत गाते हुए भी नजर आएंगी.

इसका मतलब है कि अब सोनाक्षी अभिनय के साथ साथ संगीत में भी हाथ आजमा रही हैं यानि कि वे दो नावों की सवारी करना चाहती हैं और दो नावों की सवारी हमेशा ही खतरनाक होती है. हाल ही में श्रृद्धा कपूर ने फिल्म ‘रॉक ऑन 2’ में तीन गाने गाए थे और साथ ही अभिनय भी किया था. पर ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर चल नहीं सकी. इतना ही नहीं सोनाक्षी सिंहा ने जिस फिल्म ‘अकीरा’ में अभिनय करने के साथ साथ एक गीत गाया था वो भी बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से असफल हो गयी थी. तो अब सोनाक्षी को दो नावों की सवारी करने से पहले इन बातों पर ध्यान देना चाहिए.

देखें कैसे कोहली ने उड़ाया युवी का मजाक

भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरे मैच के दौरान एक रोमांचक क्षण ऐसा भी आया जब एक गेंद युवराज सिंह की छाती पर लगी. गेंद लगने से युवराज कराह उठे. दर्द इतना तेज था कि युवराज सिंह के हाथ से बल्ला छूट गया. हालांकि बल्ला किसी को लगा नहीं.

मजेदार बात यह रही कि कोहली ने इस पूरे मामले में युवी के पास दौड़ते हुए आए और युवराज की चुटकी लेकर वापस लौट गएं. हालांकि शुरुआत में ऐसा लगा कि जैसे बल्ले को हिट करने के प्रयास में युवराज सिंह के हाथ से बल्ला छूटा है लेकिन रीप्ले में साफ हुआ कि बल्ला हाथ से गेंद को मारने की कोशिश में नहीं बल्कि छाती पर गेंद लगने के कारण छूटा है. स्टेडियम पर मौजूद दर्शक भी इस घटना से थोड़ी देर के लिए स्तब्ध रह गए.

कोलकाता में खेले गए तीसरे वनडे मैच में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन इस सीरीज में भारतीय टीम के बहुत कुछ अच्छा हुआ है जैसे केदार जाधव का उभरकर सामने आना, धोनी और युवराज का पुराने रंग में लौटना.

खासकर युवी का क्योंकि वो तीन साल के बाद वनडे टीम में वापसी कर रहे थे. युवी ने भी अपने कप्तान और सेलेक्टर्स के विश्वास को सही साबित करते हुए ऐसी धमाकेदार पारी खेली कि ऐसा लगा ही नहीं कि वो तीन साल बाद एकदिवसीय मैच खेल रहे हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें