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अहसास

31 दिसंबर की रात को प्रेम पैलेस लौज का बीयर बार लोगों से खचाखच भरा हुआ था. गीत ‘कांटा लगा….’ के रीमिक्स पर बारबाला डांसर भाग्यवती ने जैसे ही लहरा कर डांस शुरू किया, तो वहां बैठे लोगों की वाहवाही व तालियों की गड़गड़ाहट से सारा हाल गूंज उठा. लोग अपनीअपनी कुरसी पर बैठे अलगअलग ब्रांड की महंगी से महंगी शराब पीने का लुत्फ उठा रहे थे और लहरातीबलखाती हसीनाओं का आंखों से मजा ले रहे थे. पूरा बीयरबार रंगबिरंगी हलकी रोशनी में डूबा हुआ था. रामनाथ पुलिसिया अंदाज में उस बार में दबंगता से दाखिल हुए. उन्होंने एक निगाह खुफिया तौर पर पूरे बार व वहां बैठे लोगों पर दौड़ाई. उन्हें सूचना मिली थी कि वहां आतंकवादियों को आना है, लेकिन उन्हें कोई नजर नहीं आया.

रामनाथ सीआईडी इंस्पैक्टर थे. किसी ने उन्हें पहचाना नहीं था, क्योंकि वे सादा कपड़ों में थे. जब कोई संदिग्ध नजर नहीं आया, तो रामनाथ बेफिक्र हो कर एक ओर कोने में रखी खाली कुरसी पर बैठ गए और बैरे को एक ठंडी बीयर लाने का और्डर दिया. वे भी औरों की तरह बार डांसर भाग्यवती को घूर कर देखने लगे. बार डांसर भाग्यवती खूबसूरत तो यकीनन थी, तभी तो सभी उस की देह पर लट्टू थे. एक मंत्री, जो बार में आला जगह पर बैठे थे, टकटकी लगाए भाग्यवती के बदन के साथ ऐश करना चाहते थे. वह भी चंद नोटों के बदले आसानी से मुहैया थी. मंत्री महोदय भाग्यवती की जवानी और लचकती कमर पर पागल हुए जा रहे थे, मगर वहां एक सच्चा मर्द ऐसा भी था, जिसे भाग्यवती की यह बेहूदगी पसंद नहीं थी.

रामनाथ का न जाने क्यों जी चाह रहा था कि वह उसे 2 तमाचे जड़ कर कह दे कि बंद करो यह गंदा नाच. पर वे ऐसा नहीं कर सकते थे. आखिर किस हक से उसे डांटते? वे तो अपने केस के सिलसिले में यहां आए थे. शायद यह सवाल उन के दिमाग में दौड़ गया और वे गंभीरता से सोचने लगे कि जिस लड़की के सैक्सी डांस व अदाओं पर पूरा बार झूम रहा है, उस की अदाएं उन्हें क्यों इतनी बुरी लग रही थीं? तभी बैरा रामनाथ के और्डर के मुताबिक चीजें ले आया. उन्होंने बीयर का एक घूंट लिया और फिर भाग्यवती को ताकने लगे.

भाग्यवती का मासूम चेहरा रामनाथ के दिलोदिमाग में उतरता जा रहा था. उन्होंने कयास लगाया कि हो न हो, यह लड़की मुसीबत की मारी है. बार डांसर रेखा रामनाथ को बहुत देर से देख रही थी. कूल्हे मटका कर उस ने रामनाथ की ओर इशारा करते हुए भाग्यवती से कहा, ‘‘देख, तेरा नया मजनू आ गया. वह जाम पी रहा है. तुझ पर उस की निगाहें काफी देर से टिकी हैं. कहीं ले न उड़े… दाम अच्छे लेना, नया बकरा है.’’

 ‘‘पता है…’’ मुसकरा कर भाग्यवती ने कहा. 

भाग्यवती थिरकथिरक कर रामनाथ की ओर कनखियों से देखे जा रही थी कि तभी रामनाथ के सामने वाले आदमी ने कुछ नोटों को हाथ में निकाल कर भाग्यवती की ओर इशारा किया. भाग्यवती इठलातेइतराते हुए उस कालेकलूटे मोटे आदमी के करीब जा कर खड़ी हो गई और मुसकरा कर नोट लेने लगी.

इस दौरान रामनाथ ने कई बार भाग्यवती को देखा. दोनों की निगाहें टकराईं, फिर रामनाथ ने भाग्यवती की बेशर्मी को देख कर सिर झुका लिया. वह मोटा भद्दी शक्लसूरत वाला आदमी सफेदपोश नेता था. वह नई जवां लड़कियों का शौकीन था. उस के आसपास ही उस का पीए, 2-4 चमचे जीहुजूरी में वहां हाजिर थे. मंत्री धीरेधीरे भाग्यवती को नोट थमाता रहा. जब वह अपने हाथ का आखिरी नोट उसे पकड़ाने लगा, तो शराब के नशे में उस का हाथ भी पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया. उस की छातियों पर हाथ फेरा, गालों को चूमा और बोला, ‘‘तुझे मेरे प्राइवेट बंगले पर आना है. बाहर सरकारी गाड़ी खड़ी है. उस में बैठ कर आ जाना. मेरे आदमी सारा इंतजाम कर देंगे. मगर हां, एक बात का ध्यान रखना कि इस बात का पता किसी को न लगे.’’

भाग्यवती मंत्री को हां बोल कर वहां से हट गई. यह देख कर रामनाथ के तनबदन में आग लग गई और वे अपने घर आ गए. उन की आंखों में भाग्यवती का मासूम चेहरा छा गया और वे तरहतरह के खयालों में डूब गए. दूसरे दिन डांस शुरू होने के पहले कमरे में बैठी रेखा भाग्यवती से बोली, ‘‘तेरा मजनू तो एकदम भिखारी निकला. उस की जेब से एक रुपया भी नहीं निकला.’’ भाग्यवती ने हंसते हुए कहा, ‘‘मैं तो बस उसी का चेहरा देख रही थी. जब वह मंत्री मुझे नोट दे रहा था, तब वह एकदम सिटपिटा सा गया था.’’

बार डांसर रेखा बोली, ‘‘शायद तू ने एक चीज नहीं देखी. जब तू उस मंत्री की गोद में बैठी थी और वह तेरी छातियों की नापतोल कर रहा था, तब उस के चेहरे का रंग ही बदल गया था. देखना, आज फिर वह आएगा. हमें तो सिर्फ पैसा चाहिए, अपने खूबसूरत बदन को नुचवाने का.’’ तभी डांस का समय हो गया. वे दोनों बीयर बार में आ कर गीत ‘अंगूर का दाना हूं….’ पर थिरकने लगी थीं.

रामनाथ अभी तक बार में नहीं आए थे. भाग्यवती की निगाहें बेताबी से उन्हें ढूंढ़ रही थीं. नए ग्राहक जो थे, उन से मोटी रकम लेनी थी. कुछ देर बाद जब रामनाथ आए, तो उन्हें देख कर भाग्यवती को अजीब सी खुशी का अहसास हुआ, पर जब वे खापी कर चलते बने, तो वह सोच में पड़ गई कि यह तो बड़ा अजीब आदमी है… आज भी एक रुपया नहीं लुटाया उस पर. भाग्यवती का दिमाग रामनाथ के बारे में सोचतेसोचते दुखने लगा. वह उन्हें जाननेसमझने के लिए बेचैन हो उठी. जब वे तीसरेचौथे दिन नहीं आए, तो परेशान हो गई.

एक दिन अचानक ही एक पैट्रोल पंप के पास वाली गली के कोने पर खड़ी भाग्यवती पर रामनाथ की नजर पड़ी. कार में बैठा एक आदमी भाग्यवती से कह रहा था, ‘‘चल. जल्दी चल. मंत्रीजी के पास भोपाल. ये ले 10 हजार रुपए. कार में जल्दी से बैठ जा.’’ भाग्यवती ने पूछा, ‘‘मुझे वहां कितने दिन तक रहना पड़ेगा?’’

‘‘कम से कम 4-5 दिन.’’

‘‘मुझे उस के पास मत भेज. वह मेरे साथ जानवरों जैसा सुलूक करता है,’’ गिड़गिड़ाते हुए भाग्यवती बोली. इस पर वह आदमी एकदम भड़क कर कहने लगा, ‘‘तो क्या हुआ, पैसा भी तो अच्छा देता है,’’ और वह डांट कर वहां से चलता बना. इस भरोसे पर कि मंत्री को खुश करने वह भोपाल जरूर जाएगी. यह सारा तमाशा रामनाथ चुपचाप खड़े देख रहे थे. वे जल्दी से भाग्यवती के पीछे लपक कर गए और बोले ‘‘सुनो, रुकना तो…’’ भाग्यवती ने पीछे मुड़ कर देखा और रामनाथ को पहचानते हुए बोली, ‘‘अरे आप… आप तो बार में आए ही नहीं…’’

‘‘वह आदमी कौन था?’’ रामनाथ ने भाग्यवती के सवाल को अनसुना करते हुए सवाल किया.

‘‘क्या बताऊं साहब, मंत्री का खास आदमी था. बार मालिक का हुक्म था कि मैं भोपाल में मंत्रीजी के प्राइवेट बंगले पर जाऊं,’’ भाग्यवती ने रामनाथ से कहा.

‘‘तुम छोड़ क्यों नहीं देती हो ऐसे धंधे को?’’ रामनाथ ने सवाल किया.

‘‘छोड़ने को मैं छोड़ देती साहब… उन को मेरे जैसी और लड़कियां मिल जाएंगी, पर मुझे सहारा कौन देगा? मुझ जैसी बदनाम औरत के बदन से खेलने वाले तो बहुत हैं साहब, पर अपनाने वाला कोई नहीं,’’ कह कर वह रामनाथ के चेहरे की तरफ देखने लगी. रामनाथ पलभर को न जाने क्या सोचते रहे. समाज में उन के काम से कैसा संदेश जाएगा. एक कालगर्ल ही मिली उन को? लेकिन पुलिस महकमा तो तारीफ करेगा. समाज के लोग एक मिसाल मानेंगे. भाग्यवती थी तो एक मजबूर गरीब लड़की. उस को सामाजिक इज्जत देना एक महान काम है. रामनाथ ने भाग्यवती से गंभीरता से पूछा, ‘‘तुम्हें सहारा चाहिए? चलो, मेरे साथ. मैं तुम्हें सहारा दूंगा.’’ भाग्यवती हां में सिर हिला कर रामनाथ के साथ ऐसे चल पड़ी, जैसे वह इस बात के लिए पहले से ही तैयार थी. वह रामनाथ के साथ उन की मोटरसाइकिल की पिछली सीट पर चुपचाप जा कर बैठ गई.

रामनाथ के घर वालों ने भाग्यवती का स्वागत किया. खुशीखुशी गृह प्रवेश कराया. उस का अलग कमरा दिखाया. इसी बीच भाग्यवती पर मानो वज्रपात हुआ. टेबल पर रखी रामनाथ की एक तसवीर देख कर वह घबरा गई, ‘‘साहब, आप पुलिस वाले हैं? मैं ने तो सोचा भी नहीं था.’’ ‘‘हां, मैं सीबीआई इंस्पैक्टर रामनाथ हूं,’’ उन्होंने गंभीरता से जवाब दिया, ‘‘क्यों, क्या हुआ? पुलिस वाले इनसान नहीं होते हैं क्या?’’ ‘‘जी, कुछ नहीं, ऐसा तो नहीं है,’’ वह बोल कर चुप हो गई और सोचने लगी कि पता नहीं अब क्या होगा?

‘‘भाग्यवती, तुम कुछ सोचो मत. आज से यह घर तुम्हारा है और तुम मेरी पत्नी हो.’’

‘‘क्या,’’ हैरान हो कर अपने खयालों से जागते हुए भाग्यवती हैरत से बोली.

‘‘हां भाग्यवती, क्या तुम्हें मैं पसंद नहीं हूं?’’ उसे हैरान देख कर रामनाथ ने पूछा.

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. आप मुझे बहुत पसंद हैं. मैं सोच रही थी कि हमारी शादी… न कोई रस्मोरिवाज…’’ भाग्यवती बोली. ‘‘देखो भाग्यवती, मैं नहीं मानता ऐसे ढकोसलों को. जब लोग शादी के बाद अपनी बीवी को छोड़ सकते हैं, जला सकते हैं, मार सकते हैं, उस से गिरा हुआ काम करा सकते हैं, तो फिर ऐसे रिवाजों का क्या फायदा? ‘‘मैं ने तुम्हें तुम्हारी सारी बुराइयों को दरकिनार करते हुए सच्चे मन से अपनी पत्नी माना है. तुम चाहो तो मुझे अपना पति मान कर मेरे साथ इज्जत की जिंदगी गुजार सकती हो,’’ रामनाथ ने जज्बाती होते हुए कहा. यह सुन कर भाग्यवती खुशी से हैरान रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इस जिंदगी में उसे सामाजिक इज्जत मिलेगी. अगले दिन जब रामनाथ के आला पुलिस अफसरों ने आ कर भाग्यवती को शादी की बधाइयां दीं व भेंट दीं, तो उस की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. भाग्यवती को उस नरक जैसी जिंदगी से बाहर निकाल कर रामनाथ ने उसे दूसरी जिंदगी दी थी. प्यार के इस खूबसूरत अहसास से वे दोनों बहुत खुश थे.

कोई नई नहीं है भारतीय टीम में अहम की लड़ाई

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली और पूर्व दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले के बीच चला आ रहा विवाद आखिरकार कुंबले के इस्तीफे के साथ ही थम गया. कुंबले ने इस्तीफा तो दे दिया लेकिन कप्तान कोहली और कुंबले के विवाद की खबरें इन दिनों विश्व क्रिकेट में छाई हुई है.

ऐसा नहीं है कि दुनिया में यह पहला मामला है जब कप्तान और कोच के बीच टकराव हुआ हो. आज हम आपको भारत के ऐसे ही कप्तान-कोच या कोच-टीम विवाद के बारे में बताने जा रहे हैं.

कपिल देव बनाम तेंदुलकर

तेंदुलकर की कप्तानी के दूसरे दौर में कपिल देव टीम इंडिया के कोच बंने. हालांकि यह जोड़ी भी कामयाब साबित नहीं हुई. भारत ने घरेलू मैदान पर न्यूजीलैंड को टेस्ट और वनडे सीरीज में हराया. लेकिन इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज में 0-3 से हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद त्रिकोणीय सीरीज में भारत ने 8 में से 7 मैच हारे. घरेलू मैदान पर दक्षिण अफ्रीका से टेस्ट सीरीज हारने के बाद तेंदुलकर ने कप्तानी छोड़ दी. इसके बाद गांगुली ने कप्तानी संभाली. मनोज प्रभाकर ने एक स्टिंग ऑपरेशन में मैच फिक्सिंग में कपिल देव का नाम लिया. इसके बाद कपिल देव ने कोचिंग छोड़ दी. रिपोर्ट्स में तो यह भी कहा गया कि खिलाड़ी कपिल की कोचिंग स्टाइल से सहमत नहीं थें.

बेदी बनाम टीम का विवाद

त्रिकोणीय सीरीज के एक मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्राइस्टचर्च में भारत को 18 रनों से हार का सामना करना पड़ा था. भारतीय टीम के सामने 187 रनों का लक्ष्य था, लेकिन टीम इतने कम स्कोर पर भी हार गई. इसके बाद गुस्से में भरे बेदी ने कहा था, 'पूरी टीम को प्रशांत महासागर में फेंक देना चाहिए.' इस आपत्तिजनक बयान के बाद बेदी को कोच पद से हटा दिया गया और उनके स्थान पर अशोक माकंड़ को यह जिम्मेदारी दी गई थी.

ग्रैग चैपल बनाम गांगुली

चैपल 2005-07 के दौरान भारतीय टीम के कोच थे. उन्होंने जॉन राइट के बाद टीम की कमान संभाली थी. चैपल को गांगुली की सलाह पर ही कोच बनाया गया था, हालांकि बाद में उनके ही चैपल के साथ संबंध खराब हो गए थे. अंत में गांगुली को हटाकर राहुल द्रविड़ को भारत की कमान दी गई. चैपल के केवल गांगुली ही नहीं, दूसरे भारतीय खिलाड़ियों के साथ भी काफी खराब संबंध रहे.

संदीप पाटिल बनाम सचिन

संदीप पाटिल 1996 के विश्व कप में वह अजीत वाडेकर के असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर तैनात थें. वह 1996 में इंग्लैंड में मोहम्मद अजहरुद्दीन और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच हुए झगड़े के दौरान टीम के कोच भी थे. इसके बाद सिद्धू दौरा बीच में ही छोड़ देश लौट आए थे. इसी साल श्रीलंका में चार देशों के टूर्नमेंट के दौरान जब सचिन तेंदुलकर भारत के कप्तान थे तब हालात और खराब हो गए थे. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में भारत के नौ विकेट गिर चुके थे और कुंबले गलत शॉट खेलकर आउट हो गए. पाटिल ने इस पर नाराजगी जताई. तेंदुलकर और दूसरे सीनियर खिलाड़ियों को यह अच्छा नहीं लगा था. टोरंटो में सहारा कप में पाकिस्तान से हार के साथ ही पाटिल को उनके पद से हटा दिया गया.

अब्बास अली बेग बनाम अहजरुद्दीन

1991-92 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे में भारत को पांच में से चार टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा. इसके कुछ ही समय बाद भारतीय टीम 1992 विश्व कप के सेमीफाइनल से पहले बाहर हो गई थी. अब्बास अली बेग और मैनेजर को इस हार के लिए कसूरवार ठहराया गया था. ऐसी खबरें भी आ रही थीं कि कप्तान अजहरुद्दीन भी कोच की भूमिका से खुश नहीं थे. बेग के स्थान पर अजीत वाडेकर को कोच बनाया गया.

मदन लाल बनाम अजहरुद्दीन

मदन लाल 1996-97 में भारत के कोच बने थें. भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच जीता था. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में अच्छा प्रदर्शन किया. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ईडन गार्डन्स टेस्ट मैच में अजहरुद्दीन की कोहनी में ब्रायन मैकमिलन की गेंद लगी. इसके बाद मदन लाल ने कहा कि अजहर तेज गेंदबाजी का सामना करने से बच रहे थें. इसके कुछ समय बाद खिलाड़ियों ने बीसीसीआई से कहा कि उन्हें तकनीकी इनपुट देने वाला कोच चाहिए.

आखिर विश्व चैंपियनशिप से क्यों बाहर हुईं दीपा करमाकर

रियो ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान हासिल करने वाली जिमनास्ट दीपा करमाकर अपने घुटने की सर्जरी से उबरने के बाद रिहैबिलिटेशन के दौर से गुजर रही हैं और इस साल अक्टूबर में मांट्रियल में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाएंगी.

अप्रैल के शुरूआत में दीपा की मुंबई में घुटने की सर्जरी हुई थी जिसके कारण वह मई में एशियाई चैंपियनशिप से दूर रही थीं और अब मांट्रियल में 2 से 8 अक्टूबर तक होने वाली विश्व चैंपियनशिप से भी दूर रहेंगी.

यह इस 23 वर्षीय खिलाड़ी के लिये एक और झटका है. वह इससे पहले चोट के कारण इस साल के शुरू में एशियाई चैंपियनशिप में भी हिस्सा नहीं ले पाईं थी.

आपरेशन के बाद के उनके उपचार में छह महीने का समय लगेगा. इसके बाद ही वह अभ्यास शुरू कर सकती हैं. विश्व चैंपियनशिप अक्टूबर में कनाडा में होगी. दीपा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चोट के मामले में आप कुछ नहीं कर सकते. एक खिलाड़ी के लिये यह निराशाजनक होता है लेकिन मैं इस झटका नहीं मानूंगी हालांकि यह निश्चित तौर पर एक चुनौती है.

अपने कोच बिश्वेश्वर नंदी के साथ इंदिरा गांधी स्टेडियम में ठहरी दीपा ने जॉगिंग शुरू कर दी है लेकिन वह छह महीने का रिहैब समाप्त होने के बाद ही अभ्यास के बारे में सोच सकती है. नंदी ने कहा कि दीपा विश्व चैंपियनशिप के लिये तैयार नहीं हो पाएगी और इसलिए उनका ध्यान अगले साल होने वाले राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों पर है.

उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता हूं कि वह केवल भागीदारी के लिये विश्व चैंपियनशिप में जाए. उसके लिये इस बड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये पूरी तरह से तैयार होना संभव नहीं होगा. नंदी ने कहा कि चोट से वापसी करना चुनौती होता है लेकिन इसके साथ ही आपको यह भी ध्यान रखना पड़ता है आप प्रतियोगिता के दौरान चोटिल हो सकते हो. रियो में एक भागीदार के साथ ऐसा हुआ था.

मैं एक लड़के से बहुत प्यार करती हूं. हम दोनों ने वह सब कर लिया जो शादी के बाद होना चाहिए था. अब मैं क्या करूं.

सवाल

मैं एक लड़के से बहुत प्यार करती हूं. हम दोनों के बीच नजदीकियां इतनी अधिक बढ़ गईं कि आवेश में आ कर वह सब कर लिया जो शादी के बाद होना चाहिए था. संबंध बनाने के बाद से मैं अपराधबोध से ग्रस्त हूं. मुझे अपनेआप से घृणा होने लगी है. हर समय तनावग्रस्त रहती हूं. लगता है मुझे डिप्रैशन हो जाएगा. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं? कैसे अपने दिमाग को संयत रखूं?

जवाब

अंतरंग पलों में बहक कर आप ने अपने बौयफ्रैंड के साथ संबंध बना लिया. अब उस बात के लिए अपराधबोध होना या तनाव पालना समस्या का हल नहीं है. बेहतर होगा कि आप इस घटना को भूल जाएं और भविष्य में सतर्क रहें. तनाव से बचने के लिए स्वयं को व्यस्त रखें.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

क्या है पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस

जीवन बीमा आपकी मृत्यु के बाद आपके परिजनों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है. अगर आपके परिवार के पास आपके सिवाय आमदानी का और कोई जरिया नहीं है तो यह अपने प्रियजनों को आर्थिक रुप में सक्षम बनाने में काफी मददगार होता है. वहीं दूसरी तरफ कंपनियां दुर्घटना बीमा की सेवाएं भी उपलब्ध करवाती हैं, लेकिन इसमें मौत के प्राकृतिक कारणों को शामिल नहीं किया जाता है, यह सिर्फ आपके परिवार की सुरक्षा के लिहाज से उचित माना जा सकता है.

पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस तभी बेहतर विकल्प माना जाता है जब-

– अगर कोई व्यक्ति सक्रिय जीवनशैली जीना पसंद करता है और आकस्मिक कारणों से मृत्यु या अपंगता से बचने के लिए अतिरिक्त संरक्षण चाहता है.

– अगर किसी व्यक्ति के घर में काफी सारे सक्रिय सदस्य हैं और वो मृत्यु, पति-पत्नी या आश्रित की अपंगता से बचाव चाहता है.

– कोई व्यक्ति जो चिकित्सकीय कारणों से जीवन बीमा के लिए अर्हता प्राप्त नहीं कर सकता है, लेकिन इसके बावजूद वो मृत्यु और अपंगता से बचाव चाहता है.

जीवन बीमा क्या है-

जीवन बीमा ऐसा अनुबंध है, जो उन घटनाओं के घटने पर, जिनके लिए बीमित व्यक्ति का बीमा किया जाता है, एक खास रकम अदा करने का वादा करता है. कुल मिला कर जीवन बीमा मृत्यु की वजह से पैदा होने वाली समस्याओं का एक आंशिक समाधान है.

जीवन बीमा दो तरीके का होता है-

1. प्योर लाइफ इंश्योरेंस

2. इंश्योरेंस कम इन्वेस्टमेंट

प्योर लाइफ इंश्योरेंस भी चार तरह का होता है, लेकिन इसमें टर्म इंश्योरेंस सबसे प्रमुख माना जाता है.

टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी

यह इंश्योरेंस का सबसे सस्ता और आसान रुप होता है, जिसमें एक विशेष अवधि के लिए आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाती है. यह अवधि 15 से 20 साल हो सकती है. टर्म इंश्योरेंस सुनिश्चित करता है कि आपके न रहने पर आपके परिवार को एकमुश्त राशि मिल जाएगी. वहीं अगर बीमाधारक को पॉलिसी के दौरान कुछ भी नहीं होता है, तो किसी को भी कोई भुगतान नहीं किया जाएगा. इसका प्रीमियम अन्य पॉलिसियों से भी सस्ता होता है.

पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस

पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु या दुर्घटना के कारण होने वाली स्थायी विकलांगता से सुरक्षा प्रदान करता है. हालांकि, पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस को अभी तक लोकप्रियता नहीं मिली है क्योंकि बहुत कम बीमा एजेंट ही इसे बेचने का प्रयास करते हैं. अगर आप युवा हैं और अपने बीमा पोर्टफोलियो को सुरक्षित करने की तलाश में हैं, तो आपको पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करने पर विचार करना चाहिए.

टर्म इंश्योरेंस और पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस में अंतर-

टर्म इंश्योरेंस व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा से व्यापक रूप से अलग होता है. क्योंकि टर्म इंश्योरेंस आपको मृत्यु से सुरक्षा प्रदान करता है फिर चाहे वो किसी बीमारी की वजह से हो या फिर दुर्घटना के कारण. वहीं दूसरी तरफ पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस आपको तभी फायदा पहुंचाता है जब किसी सड़क दुर्घटना में आपकी मौत हुई हो या फिर आप एक्सीडेंट के कारण ही स्थायी विकलांग्ता, आंशिक स्थायी अक्षमता और अस्थायी कुल अक्षमता (अंग कट जाना) के शिकार हुए हों. इसमें प्राकृतिक मौत होने पर आपको फायदा नहीं मिलता है.

टर्म इंश्योरेंस के दौरान बीमाधारक की उम्र काफी मायने रखती है, जबकि पर्सनल एक्सीडेंटल इंश्योरेंस में आपका पेशा अहम कारक होता है जो आपका प्रीमियम तय करता है. इसमें तीन तरह की जोखिम श्रेणियां होती हैं.

1. उन लोगों को शामिल करता है जो प्रबंधकीय कार्य, वकील, शिक्षक, बैंकर आदि पेशे से जुड़े हुए हैं.

2. उन लोगों को शामिल करता है जो संविदात्मक निर्माण कार्य, गैराज मैकेनिक, लाइट मोटर वाहन आदि के चालक होते हैं.

3. उन लोगों को शामिल करता है जो खतरनाक व्यवसायों में शामिल होते हैं, जैसे खानों में काम करने वाले लोग, उच्च तनाव वाले तार आदि की स्थापना में शामिल लोग.

मैच से पहले ही धोनी ने स्वीकार ली थी पाक से हार

अगर बात आईसीसी टूर्नामेंट की हो तो पाकिस्तान के सामने भारत हमेशा से बेहतर टीम साबित हुई है. वर्ल्ड कप (50 ओवर वर्ल्ड कप और टी-20 वर्ल्ड कप) में भारत ने कभी भी पाकिस्तान के खिलाफ हार का सामना नहीं किया है. लेकिन, चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया इस रिकॉर्ड को कायम नहीं रख पाई. यहां पाकिस्तान भारत से अब 3-2 से आगे है.

जब से चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत को पाकिस्तान के हाथों करारी शिकस्त मिली है तब से तरह तरह की बातें सामने आ रही हैं. इस हार के बाद से पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है.

2016 टी-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ मिली जीत के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी ने कुछ ऐसी बातें कही थीं, जो इन दिनों खूब वायरल हो रही है. धोनी ने कहा था, कि अगर उन पर 0-11 का प्रेशर होता है तो हम पर भी 11-0 का प्रेशर होता है.

धोनी ने कहा, 'अगर हमें इस बात पर गर्व है कि हम 11-0 से जीते हैं तो एक सच्चाई यह भी है कि हम कभी ना कभी हारेंगे भी. ऐसा नहीं हो सकता कि हम कभी हारे ही नहीं. आईसीसी इवेंट्स में हमारा प्रदर्शन लगातार सुधरा है. 11-0 का आंकड़ा ऐसा है कि आपको खुद पर गर्व होगा, लेकिन आपको हर बार ही अपनी तरफ से उतना ही जोर लगाना पड़ता है.'

चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान से हार मिलने के बाद अब टीम इंडिया वेस्टइंडीज दौरे पर है. जहां टीम इंडीज के खिलाफ 23 जून से 9 जुलाई तक वनडे और टी-20 मैच खेलेगी.

देखें वीडियो में धोनी ने क्या कुछ कहा था.

अब मोबाइल पर ही करें वीडियो एडिटिंग

कुछ साल पहले तक, आप अपने पीसी या लैपटॉप के माध्यम से कम ड्यूरेशन वाले वीडियो को ही एडिट किया करते थे. हालांकि, वीडियो एडिट एक बड़ा टास्क है, जिस प्रोसेस को सपोर्ट करने के लिए एक खास स्पेसिफिकेशन की जरुरत होती है. हालांकि अब तो सिस्टम के लिए कई नयी-नयी और बेहतरीन तकनीक आ गई हैं.

जैसा की हम सभी जानतें हैं, हम अपने फोन पर जटिल एडिटिंग टस्क को नहीं कर सकते, लेकिन हम अपने स्मार्टफोन के जरिये बेसिक एडिटिंग आसानी से कर सकते हैं. आज हम 5 ऐसे ऐप की एक सूची लेकर आये है जिसका उपयोग आप वीडियो को एडिट करने के लिए कर सकते हैं.

तो ये हैं पांच फिल्ममेकिंग ऐप्स, जिनके जरिये आप अपने स्मार्टफोन में वीडियो को आसानी से एडिट कर सकते हैं.

1. Adobe Premiere Clip

एडोब नाम का यह ऐप जो वीडियो एडिट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस ऐप में आपकी तस्वीरों का उपयोग करते हुए ऑटो-जनरेट होने वाले वीडियो सहित कई खास चीजे दी हुई हैं. आप अपनी पसंद के क्रम में क्लिप और तस्वीरें खींचना और ड्रॉप कर सकते हैं. आप इसे फ्री में प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं.

2. Funimate Video Effects Editor

इस ऐप में 15 से अधिक वीडियो इफेक्ट दिए हुए हैं. हालांकि यह एक बड़ा ऐप नहीं है. इसके ऐप के जरिये आप स्मार्टफोन पर म्यूजिक वीडियो या नॉर्माल वीडियो बना सकते है. इस ऐप को आप गूगल प्ले स्टोर निःशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं.

3. Movie Maker Filmmaker

यह एक अच्छी फिल्टर और एनिमेशन VFX इफेक्ट्स के साथ वीडियो एडिट करने वाला ऐप है. इस ऐप के जरिये आप अपने वीडियो में लेंस फ्लैर्स, लाइट लीक्स, फिल्म इफेक्ट और लाइट ओवरले जैसे इफेक्ट्स को शामिल सकते हैं. गूगल प्ले स्टोर पर इस ऐप को फ्री में डाउनलोड करें.

4. Video Editor

यह एक आसान वीडियो एडिट ऐप है जो आपको आपके वीडियो को और भी खास बना सकता है. यह ऐप इन्स्टाग्राम में वीडियो शेयर करने के लिए बढ़िया ऐप है.

5. VideoShow

इस ऐप के जरिये आप अपने वीडियो में अपने पसंद के म्यूजिक को एड कर सकते हैं. इसके अलावा आप वीडियो में डबिंग, डूडल, स्लो मोशन और फास्ट मोशन जैसे फीचर्स को जोड़ सकते है.

ट्यूबलाइट : सलमान खान के प्रशंसक होंगे निराश

बौलीवुड के कुछ फिल्मकार बड़े कलाकारों का साथ मिलते ही दर्शकों को मनोरंजन प्रदान करने या दर्शकों को एक बेहतरीन कहानी सुनाने की बनिस्बत अपने एजेंडे को फिल्म के माध्यम से पेश करने लग जाते हैं. परिणामतः फिल्म इतनी खराब बनती है कि दर्शक फिल्म को सिरे से नकार देता है. फिल्मकार की इस हरकत का खामियाजा फिल्म से जुड़े बडे़ स्टार को झेलना पड़ता है कि दर्शक ने इस स्टार की फिल्म को स्वीकार नहीं किया. ऐसे ही फिल्मकार हैं कबीर खान. कबीर खान की फिल्म ‘‘ट्यूबलाइट ’’ उनके निहित एजेंडे वाली फिल्म है, जिसे वह बेहतर कहानी व मनोरंजन वाली फिल्म के रूप में नहीं बना सके. परिणामतः फिल्म के कलाकारों की अभिनय क्षमता, कैमरामैन का बेहतरीन काम, शाहरुख खान की मौजूदगी भी इस फिल्म को डूबने से नहीं बचा सकती.

यूं तो फिल्मकार के अनुसार ‘‘ट्यूबलाइट ’’ एक बहुत बुरी तरह से असफल रही अंग्रेजी फिल्म ‘‘लिटिल ब्वाय’’ का भारतीयकरण है. कबीर खान का दावा है कि उनकी फिल्म ‘ट्यूबलाइट ’ की वजह से ‘लिटिल ब्वाय’ को लोग जानने लगे हैं. मगर फिल्म ‘ट्यूबलाइट ’ देखकर फिल्म ‘लिटिल ब्वाय’ के निर्माता सोच रहे होंगे कि काश उन्होंने अपनी फिल्म के अधिकार कबीर खान को न दिए होते. जिन्होंने फिल्म ‘लिटिल ब्वाॅय’ देखी है, उन्हे इस बात का अहसास हो जाता है कि ‘ट्यूबलाइट ’ और ‘लिटिल ब्वाय’ दोनों ही फिल्में एजेंडे वाली हैं. फिल्म ‘लिटिल ब्वाय’ में बच्चे को बाइबल सिखाने का मसला है, तो कबीर खान ने अपनी फिल्म ‘‘ट्यूबलाइट ’’ को इस एजेंडे के साथ बनाया है कि यदि चीन यानी किसी भी देश का निवासी तीन पीढ़ियों से भारत में रह रहा है, तो वह हिंदुस्तानी ही होता है, उसके हिंदुस्तानी होने पर शक या सवाल नहीं उठाया जा सकता.

फिल्म ‘‘ट्यूबलाइट ’’ की कहानी सितंबर 1962 में उत्तर भारत के कुमायूं क्षेत्र के अंतर्गत जगतपुर नामक एक गांव की है, जहां लक्ष्मण (सलमान खान) को बचपन से ही ‘ट्यूबलाइट ’ पुकारते हैं. क्योंकि वह थोड़ा मंद बुद्धि है. पर उसका छोटा भाई भरत (सोहेल खान) उसे कैप्टन मानता है. भरत की वजह से ही लोग ‘ट्यूबलाइट ’ बुलाना बंद कर देते हैं. लक्ष्मण और भरत के माता पिता बचपन में ही गुजर चुके हैं. इनकी परवरिश बन्ने खां (ओम पुरी) ने अपने आश्रम में रखकर की है. भारत चीन सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद भारतीय सेना में नवयुवकों की भर्ती शुरू की जाती है. बन्ने खां की सलाह पर भरत आर्मी में भर्ती हो जाता है. लक्ष्मण भी आर्मी में जाना चाहता है. पर उसकी मंदबुद्धि के कारण उसका चयन नहीं हो पाता.

भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ जाता है. अब लक्ष्मण अपने भाई भरत को लेकर परेशान है. इसी बीच गांव में एक जादूगर (शाहरुख खान) आता है. जो कि लक्ष्मण को अपने शो का हिस्सा बनाकर साबित करता है कि यदि आप पूरे यकीन के साथ किसी काम को अंजाम दें, तो हो सकता है. लक्ष्मण दूर से अपने हाथों के इशारे से एक बोटल हिला देता है. अब इसमें जादूगर का क्या खेल रहा? यह बात सामने नहीं आती है. उसके बाद बन्ने खां भी लक्ष्मण को समझाते हैं कि यदि वह यकीन रखे, तो युद्ध जल्दी खत्म होगा और उसका भाई वापस आ जाएगा.

इसी बीच कलकत्ता से एकदम चीनी जैसी दिखती एक महिला ले लेलिन (जू जू) अपने बेटे गुओ (मातिन) के साथ जगतपुर गांव की सीमा के पास अपने घर में रहने आती है. चीन के साथ युद्ध छिड़ चुका है. इसलिए लक्ष्मण और गांव के दूसरे युवक ले लेलिन को चीनी समझकर उनके घर को जलाने की असफल कोशिश करते हैं. तब बन्ने खां लक्ष्मण को समझाते हैं कि यदि वह महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए चीनी से दोस्ती करेगा, तो उसका भाई जल्दी वापस आ जाएगा. लक्ष्मण की लेलिन व गुओ से दोस्ती हो जाती है. ले लेलिन भी लक्ष्मण से यकीन की बात करती है. इनकी दोस्ती गांव के दूसरे लोगों को पसंद नहीं आती. क्योंकि सभी उसे चीनी समझकर दुश्मन मानते हैं.

एक मुकाम आता है, जब पूरे गांव के बीच ले लेलिन कहती है कि,‘‘वह पूरे दिल से हिंदुस्तानी है. उसके हिंदुस्तानी होने पर सवाल उठाने का हक किसी को नहीं है.’ कई घटनाक्रम बदलते हैं. भूकंप आता है और लक्ष्मण को लगता है कि उसके यकीन से चट्टान हिली. इधर युद्ध बंद हो जाता है. ले लेलिन वापस कलकत्ता जाने की बात करती हैं. भरत मिल जाता है, जिसका सैनिक छावनी में इलाज चल रहा है.

सलमान खान एकदम नए अवतार में हैं. लेकिन मंदबुद्धि इंसान के पूरे मैनेरिजम को पकड़ने में वह असफल रहे हैं. वैसे भी इन स्टार कलाकारों का अपना मैनेरिज्म लोगों के सिर पर इस कदर चढ़कर बोलता है कि दिव्यांग किरदारों को निभाना इनके लिए आसान नहीं कहा जा सकता. स्व.ओम पुरी व बाल कलाकार मातिन रे तंगू ने बेहतरीन काम किया है. मगर ‘बजरंगी भाईजान’ जैसा करिश्मा इस बार बाल कलाकार व सलमान खान के बीच नहीं जम पाया. फिल्म में शाहरूख खान की छोटी सी भूमिका प्रभावित नहीं करती. बृजेंद्र काला, मो.जीशान अयूब व यशपाल शर्मा ने बेहतरीन काम किया है. सोहेल खान के हिस्से कुछ खास करने का है नहीं.

फिल्म की गति बहुत धीमी है. पटकथा की कमजोरी के चलते इंटरवल से पहले कहानी किसी अन्य मोड़ पर होती है, जबकि इंटरवल के बाद कहानी किसी अन्य मोड़ पर होती है. कमजोर पटकथा की वजह से पूरी कहानी बिखरी हुई नजर आती है. कमजोर पटकथा व निर्देशन के चलते फिल्म में यकीन करने का मुद्दा भी उभर नही पाता. फिल्म में इमोशनल पक्ष को उभारने के लिए पटकथा व निर्देशन के स्तर पर मेहनत नहीं की गयी. परिणामतः कई इमोशनल सीन भी दर्शकों को भावुक नहीं बना पाते. फिल्म अपने पड़ोसियों से प्यार करने की बात करती है, मगर यह मुद्दा भी उभर कर नही आता.

फिल्म में ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ का संदेश देने का असफल प्रयास किया गया है. क्योंकि संदेश वाहक दूर नजर आता है. हर सीन इतना बनावटी लगता है कि यह संदेश ‘हिंदी चीनी बाय बाय’ में बदल जाता है. फिल्म में रंगभेद का मुद्दा भी है. उत्तरपूर्वी भारतीयों के साथ जिस तरह का भेदभाव होता है, उस हकीकत को सही अर्थों में पेश करने में ‘ट्यूबलाइट ’ बुरी तरह से असफल रहती है. फिल्म के क्लायमेक्स में कोई रोचकता नहीं है. कबीर खान तो युद्ध दृश्यों को फिल्माने में महारत रखते हैं. उन्होंने डाक्यूमेंट्री फिल्मकार के रूप में कई युद्ध दृश्यों को चित्रित किया है, पर इस फिल्म में वह विफल रहे.

फिल्म का रेडियो वाला गाना प्रभावित करता है. कैमरामैन असीम मिश्रा तारीफ के हकदार हैं.

दो घंटे 16 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘ट्यूबलाइट ’’ का निर्माण ‘‘सलमान खान फिल्मस’’ के बैनर तले सलमा खान व सलमान खान ने किया है. लेखक व निर्देशक कबीर खान, संगीतकार प्रीतम, कैमरामैन असीम मिश्रा तथा कलाकार हैं- सलमान खान, सोहेल खान, स्व. ओम पुरी, बृजेंद्र काला, मो.जीशान अयूब, झू झू, बाल कलाकार मातिन रे तंगू, यशपाल षर्मा व मेहमान कलाकार शाहरुख खान.

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देवर ने भाभी के साथ खेला मदहोश कर देने वाला खेल, देखिए वीडियो

देवर और भाभी का एक ऐसा रिश्ता होता है जिसे बहुत अच्छा और उच्च दर्जा दिया जाता है. ऐसा कहा जाता है भाभी मां समान होती है. लेकिन कभी-कभी लोग इस रिश्ते को शर्मशार कर दाग लगा देते हैं. एक ऐसा ही वीडियो इन दिनों सोशल मिडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमे एक भाभी और देवर को अन्तरंग होते देखा जा सकता है.

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