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गाल बजाने में भला नहीं

वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री चाहे जितना बोस्ट कर लें कि भारत दुनिया में सब से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है, जमीनी हकीकत यह है कि न देश में नौकरियां हैं और न देश के बाहर. देश में भुखमरी की हालत नहीं है, क्योंकि कुछ लोग बहुत कमा रहे हैं और कुछ पहले से देश से बाहर रह कर कमा कर सरकार के विदेशी मुद्रा के खजाने को भर रहे हैं.

अब देश के पिंक आर्थिक समाचारपत्रों में नई कंपनियों और नए उत्पादों के बनने के विज्ञापन व समाचार कम हो रहे हैं. अब रिटेल व्यवसाय में शाइन जरूर है और किराने की दुकान की जगह मेगा स्टोर और औनलाइन स्टोर खुल रहे हैं जिन की चमक तो है पर बारिश के नाम पर बूंदाबांदी में स्टोर चीजों को सस्ता कर के उन की मांग थोड़ी बढ़ा रहे हैं, पर इस का मतलब यह भी है कि पहले का ट्रैडिशनल व्यापार मंदा हो रहा है.

युवाओं के लिए औनलाइन और ब्रिक फंड मौर्टार स्टोर नौकरियों के स्रोत हैं पर कोई विशेष नहीं. इन की मांग सीजनल होती है और व्यापार में अस्थिरता

है. औनलाइन कंपनियां सैकड़ोंकरोड़ों के घाटे में चल रही हैं.

नए स्टार्टअपों का हल्ला है पर वे भी कागजी शेर नजर आते हैं. 100-200 में 3-4 चल पाते हैं बाकी निवेशकों का पैसा खा कर शांत हो जाते हैं. नया कैरियर बनाने की चाहत अगर स्टार्टअप शुरू कराए तो ऐसा है मानो रेगिस्तान में अधिक पानी चाहने वाली गन्ने की फसल बोना.

एक बड़ी उम्मीद पढ़ेलिखे युवाओं को विदेशी नौकरियों से थी पर अमेरिका, आस्ट्रेलिया, यूरोप अब दरवाजे बंद कर रहे हैं. सब जगह ‘भारतीयो भारत जाओ’ के नारे लगने लगे हैं. यूरोप पश्चिम एशिया से आए मुसलिम शरणार्थियों को बसाने में लगा है और अमेरिका दक्षिण अमेरिका के घुसपैठियों को रोकने के चक्कर में भारतीयों को भी बोरियाबिस्तर बांधने को कह रहा है. गिरते पैट्रोल के दामों ने तेल निर्यातक देशों में भारतीयों की खपत कम कर दी है.

भगवान भला करेगा बस, थोड़ा जपतप करो, सब्र करो, वोट दान लगातार करते रहो, यह सरकार सुखसमृद्धि ला कर ही छोड़ेगी. इस तरह के लुभावने शब्दों को अब तो सुन कर भी अजीब लगता है पर कोई और चारा नहीं तो इसी सरकार के गुणगान करना भी अनिवार्य सा है.

युवाओं को नई चेतना, नए कामों की लकीर के फकीर से हमले की कोई चेष्टा तक नहीं हो रही. सिर्फ गाल बजाने से युवाओं का भला नहीं होगा.

लिप्स की टैनिंग को कहें बाय बाय

चेहरा हमारे व्यक्तित्त्व का आईना होता है. यही कारण है कि हर महिला अपने चेहरे को खूबसूरत बनाने के लिए बहुत से जतन करती है. लेकिन यह भी सच है कि चेहरा तभी खूबसूरत दिखाई देता है जब त्वचा बेदाग व होंठ गुलाबी हों. फटे और टैन होंठ चेहरे की सुंदरता को फीका कर देते हैं.

इस में सब से ज्यादा चिंता की बात यह है कि महिलाएं अपने शरीर के अन्य पार्ट्स की टैनिंग को ले कर तो बहुत जागरूक होती हैं, लेकिन लिप्स की टैनिंग को ले कर बिलकुल भी अवेयर नहीं होती हैं. जानिए, होंठों की देखभाल करने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:

होंठों की टैनिंग के अन्य कारण

– कई बार होंठों पर घटिया किस्म का कौस्मैटिक यूज करने से भी होंठ टैन हो

जाते हैं या फिर जरूरत से ज्यादा कौस्मैटिक के प्रयोग से भी होंठों का रंग गहरा पड़ सकता है.

– धूम्रपान की वजह भी होंठ काले हो जाते हैं.

– ज्यादा देर तक स्विमिंग करने से भी होंठों में कालापन आ सकता है.

– ज्यादा कैफीन का सेवन होंठों के कालेपन का कारण बनता है.

टैनिंग दूर करने के टिप्स

लिप फेशियल: डर्मावर्ल्ड स्किन क्लिनिक के डर्मैटोलौजिस्ट ऐंड हेयर क्लीनिक्स डा. रोहित बत्रा का कहना है कि लोग आमतौर पर चेहरे पर ही फेशियल करते हैं. वो इस बात से अनजान होते हैं कि लिप फेशियल द्वारा लिप्स की टैनिंग से पूरी तरह मुक्ति पा सकते हैं. यही नहीं यह लिप्स को और भी ज्यादा आकर्षक बना देता है. मगर इसे किसी ऐक्सपर्ट से ही कराएं.

लिप ट्रीटमैंट व लिप मास्क: इन दिनों मार्केट में लिप की टैनिंग दूर करने के लिए लिप लाइटनिंग जैसे ट्रीटमैंट्स भी उपलब्ध हैं जो बहुत लोकप्रिय भी हो रहे हैं. इस के अलावा इन दिनों लिप मास्क भी लिप्स की सुंदरता बढ़ाने के लिए बहुत पौपुलर हो रहे हैं.

अन्य नुस्खे

अनार: अनार के रस के प्रयोग से भी टैनिंग दूर होती है. इसे हलदी के साथ मिला कर होंठों पर लगाएं. 15 मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें.

गुलाब की पंखुडि़यां: होंठों की टैनिंग को दूर करने के लिए गुलाब की पंखुडि़यां बहुत ही फायदेमंद होती हैं. इन्हें पीस कर थोड़ी सी ग्लिसरीन मिला कर घोल को रोज रात को होंठों पर लगा कर सो जाएं, सुबह धो लें.

नीबू: सुबह और शाम नीबू के रस को होठों पर रगड़ें. 10 मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें. यह टैनिंग दूर करने का बहुत ही कारगर उपाय है.

केसर और दूध: केसर के इस्तेमाल से भी होंठों का कालापन दूर होता है. कच्चे दूध में केसर मिला कर उसे रात को होंठों पर लगा कर सो जाएं, सुबह ठंडे पानी से चेहरा धो लें.

चुकंदर: चुकंदर को काट कर टुकड़ों को होंठों पर घिसें या फिर इस का रस निकाल कर नीबू के रस में मिला कर भी लगा सकती हैं. नियमित लगाने से होंठ गुलाबी व चमकदार बनते हैं.

चीनी का स्क्रब: होंठों की टैनिंग हटाने के लिए चीनी में नारियल तेल की कुछ बूंदें डाल कर ब्रश की सहायता से बिलकुल हलके हाथों से लिप्स को स्क्रब करें. होठों का कालापन दूर हो जाएगा.                                        

खूबसूरती बढ़ाने के लिए मेकअप काफी नहीं

ज्यादातर महिलाएं यह स्वीकारती हैं कि वे घर से निकलने से पहले अपना काफी वक्त आईने के सामने गुजारती हैं. जितना हो सके चेहरे पर महंगे सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग कर अपनी खूबसूरती बढ़ाने का प्रयास करती हैं.

वैसे भी महिलाएं मेकअप के लिए मशहूर हैं. हाल ही में स्किनस्टोर डौट कौम नामक कंपनी द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि औसत अमेरिकन महिलाएं अकेले चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर करीब क्व1 करोड़ 93 लाख अपनी पूरी जिंदगी में खर्च कर डालती हैं. 16 से 75 साल की उम्र की करीब 3000 महिलाओं पर किए गए इस सर्वे में पाया गया कि महिलाएं घर से निकलने से पहले कम से कम 16 ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं.

सिर्फ मेकअप काफी नहीं

क्या इस तरह मेकअप प्रोडक्ट्स पर निर्भर रहना पैसे और समय की बरबादी है? क्या वाकई मेकअप प्रोडक्ट्स लुक में आश्चर्यजनक रूप से परिवर्तन ला कर आप का आकर्षण बढ़ा पाते हैं?

हाल ही में इस विषय पर की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि महिलाओं को खूबसूरत दिखाने में मेकअप का योगदान काफी कम होता है. उन का नैचुरल लुक ही उन्हें आकर्षक या अनाकर्षक दिखाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोई बदसूरत महिला चेहरे पर मेकअप की कितनी भी परतें चढ़ा ले पर वह स्वाभाविक रूप से खूबसूरत महिला, जिस ने कोई मेकअप नहीं किया है, के आगे नहीं टिक पाएगी.

इस संदर्भ में बैंगोर यूनिवर्सिटी नौर्थ वेल्स, अमेरिका में किया गया एक अध्ययन काफी महत्त्वपूर्ण है. इस के तहत 44 अंडरग्रैजुएट लड़कियों, जिन की उम्र 18 से 21 साल के बीच थी, की मेकअप के साथ और बिना मेकअप के तसवीरें ली गईं. इन तसवीरों को 62 छात्रों के एक दूसरे ग्रुप, जिस में स्त्रीपुरुष दोनों ही शामिल थे, को दिखाया गया और कहा गया कि वे इन्हें खूबसूरती के आधार पर 1 से 7 के बीच रेटिंग दें. इन युवकों को लड़कियों की मेकअप के साथ या बिना मेकअप में से कोई एक तसवीर ही दिखाई गई.

रेटिंग का विश्लेषण कर पाया गया कि मेकअप की वजह से खूबसूरती में महज 2% तक का ही इजाफा हुआ जबकि लड़की के नैचुरल फीचर्स और पर्सनैलिटी उसे खूबसूरत दिखाने में 69% तक उत्तरदायी रही.

असली खूबसूरती

दरअसल, खूबसूरती बहुत सी बातों पर निर्भर करती है. हाई चीकबोंस, भरे होंठ, बड़ी आंखें, शाइनी हेयर्स और कोमल बेदाग त्वचा महिलाओं के लिए तो चौड़ा जबड़ा, चौड़ा माथा और मजबूत कदकाठी पुरुषों में स्वाभाविक आकर्षण लाती है. मेकअप, फीचर्स और रंग के अलावा भी बहुत सी बातें हैं, जो आप को आकर्षक बनाती हैं:

स्माइली फेस: 2013 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हंसतामुसकराता चेहरा आप को दूसरों की नजरों में अधिक आकर्षक व सुंदर दिखाता है. लोग न सिर्फ मुसकराते चेहरे को देखना पसंद करते हैं वरन स्वाभाविक रूप से भी मुसकराहट रखने वालों के चेहरे पर अलग ग्लो नजर आता है.

परफैक्ट फिगर: यदि आप अपनी फिगर को 36-24-36 की माप पर मैंटेन रखती हैं, तो आप सांवली होने या मेकअप न करने के बावजूद स्वाभाविक रूप से आकर्षक नजर आएंगी, जबकि मोटी थुलथुल महिला कितना भी मेकअप पोत ले खूबसूरत नहीं लग सकती.

स्मार्ट बिहेवियर: आप की बातचीत का तरीका, चलनेबैठने का ढंग, कपड़े पहनने का सलीका, दूसरों की बातों पर रिऐक्शन देने का अंदाज जैसी बातें खूबसूरती निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

इनर ब्यूटी: आप का दूसरों के प्रति नजरिया क्या है, कितनी पौजिटिव हैं, दूसरों की कितनी मदद करती हैं, क्रोध और तनाव पर कितना नियंत्रण कर सकती हैं जैसी बातें भी अंदर से आप को खूबसूरत बनाती हैं.

स्टाइलिश ड्रैसेज: कितना भी मेकअप कर लें, जब तक आप के कपड़े आप के व्यक्तित्व और फैशन के अनुरूप नहीं होंगे, आप खूबसूरत नहीं दिख सकतीं.

बेदाग कोमल त्वचा: खूबसूरत दिखने के लिए आप की त्वचा का बेदाग और मुलायम होना जरूरी है. निखरी रंगत और स्वस्थ त्वचा सहज ही लोगों को आकर्षित कर लेती है.

चमकदार काले बाल: लंबे काले बालों पर कितनी ही शायरियां की जाती रही हैं. महिला का सौंदर्य उस के स्वस्थ चमकदार बालों से है.

इन के अलावा अच्छी सेहत, तेज दिमाग, छिपा हुनर और सफलता भी व्यक्ति के आकर्षण में इजाफा करती है.            

 

जैसी त्वचा वैसी देखभाल

मौनसून के दौरान हवा में ज्यादा नमी से परेशानी होती है. विशेषरूप से उन्हें जिन की त्वचा तैलीय या मिश्रित होती है. पसीने और तेलस्राव के कारण तैलीय त्वचा और अधिक तैलीय व सुस्त लगने लगती है. जब मौसम गरम और नमीयुक्त होता है तब लाल चकत्ते, फुंसियां, खुले रोमकूप जैसी समस्याएं पैदा होती हैं और गंदगी त्वचा पर जमने लगती है.

तरोताजा त्वचा के लिए

पसीने और तेल से मुक्त होने के लिए मौनसून में त्वचा को साफ और तरोताजा करना बहुत जरूरी होता है. स्क्रब की सहायता से रोमकूपों की गहरी सफाई करने से त्वचा अवरुद्ध नहीं होती और मुंहासों से भी बचाव होता है. टोनिंग के जरीए भी त्वचा को तरोताजा बनाने और रोमकूपों को बंद करने में मदद मिलती है.

– एक फेशियल स्क्रब का सप्ताह में 2 बार प्रयोग करें. इसे चेहरे पर लगाएं और धीरेधीरे गोलाई में त्वचा पर रगड़ें. फिर साफ पानी से धो लें. दही में चावल का आटा या पिसे बादाम मिला कर घर में ही फेशियल स्क्रब तैयार कर सकती हैं. स्क्रब में सूखे नीबू का चूर्ण या फिर संतरे के छिलकों का चूर्ण भी मिला सकती हैं.

– मुंहासे और संवेदनशील त्वचा होने पर स्क्रब का प्रयोग न करें. मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए ओट्स और अंडे की सफेदी के मिश्रण का सप्ताह में 2 बार प्रयोग करें.

– इस मौसम में फूलों से बने किसी त्वचा टौनिक या फ्रैशनर का इस्तेमाल उपयोगी साबित होता है. गुलाबजल एक नैसर्गिक टोनर है. रुई पैड को गुलाबजल में भिगो कर या त्वचा टौनिक को फ्रिज में रखें. त्वचा को स्वच्छ और तरोताजा बनाने के लिए इस से चेहरे को साफ करें. घर से बाहर निकलते समय नम टिशू साथ ले जाएं. नम टिशू से चेहरा साफ करने के बाद कौंपैक्ट पाउडर लगाएं. इस से त्वचा की ताजगी बढ़ेगी और वह तैलीय भी नजर नहीं आएगी.

– अगर लाल चकत्ते, मुंहासे या फुंसियां हों तो सुबह और रात रोज 2 बार औषधीय साबुन या क्लींजर से चेहरा धोएं. एक कसैला लोशन खरीदें और उस में बराबर मात्रा में गुलाबजल मिला लें. रुई की सहायता से इस से दिन में

4-5 बार चेहरा साफ करें. फुंसियों पर चंदन का पेस्ट लगाएं.

– बारिश के मौसम में चेहरे को सादे पानी से कई बार धोएं. दिन भर त्वचा पर जो मैल एकत्रित हो जाती है उस की सफाई रात में जरूर करें. मौनसून के दिनों में शरीर से पानी पसीने के रूप में बाहर निकलता है. इसलिए शरीर में पर्याप्त पानी मौजूद रहे, इस के लिए अधिक मात्रा में पानी पीएं.

– गरम चाय की जगह आइस टी में नीबू रस और शहद मिला कर पीएं.

– त्वचा सामान्य हो या तैलीय, ऐसे फेसवाश का प्रयोग करें, जिस में नीम और तुलसी जैसे तत्त्व हों. सही निखार पाना है, तो अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार ही उस की साफसफाई का ध्यान भी रखना होगा.

तैलीय त्वचा

त्वचा के तैलीय होने से अकसर मुंहासों, फुंसियों और लाल चकत्तों की समस्या हो जाती है.

त्वचा की सफाई: बेसन और दही का पेस्ट तैयार कर चेहरे पर लगाएं. 20 मिनट के बाद चेहरे को धो लें. सूखी पुदीनापत्ती का चूर्ण भी इस पेस्ट में मिला सकती हैं.

तैलीय त्वचा के लिए टोनर: गुलाबजल और खीरे का रस बराबर मात्रा में ले कर चेहरे पर लगाएं. 20 मिनट बाद चेहरा पानी से धो लें.

सामान्य त्वचा

बादाम का चूर्ण दही में मिला कर चेहरे पर लगाएं. 15 मिनट बाद पानी से इसे गोलाकार मलें. फिर चेहरा पानी से धो लें.

2 चम्मच शहद, थोड़ाथोड़ा दूध, गुलाबजल और सूखे नीबू के चूर्ण का पेस्ट बनाएं. इसे हफ्ते में 2 या 3 बार चेहरे और गरदन पर लगाएं. 20 मिनट के बाद धो लें.

शुष्क त्वचा

2 चम्मच बादाम चूर्ण में 1 चम्मच शहद मिला कर चेहरे पर लगाएं और 5 मिनट बाद हलके हाथ से रगड़ने के बाद चेहरे को पानी से धो लें.

सामान्य एवं शुष्क त्वचा के लिए टोनर: 100 एमएल गुलाबजल में 1/2 चम्मच ग्लिसरीन मिला कर कांच की बोतल में भर कर अच्छी तरह हिला लें. फिर फ्रिज में रख दें. रोज इस्तेमाल करें.

शुष्क त्वचा के लिए मास्क: 3 चम्मच चोकर, 1 चम्मच बादाम चूर्ण और 1 अंडे की सफेदी को मिला कर उस में 1-1 चम्मच शहद और दही डाल कर पेस्ट तैयार करें. इसे सप्ताह में 1 या 2 बार चेहरे पर लगाएं. आधे घंटे के बाद चेहरा धो लें.

मुंहासों वाली त्वचा

अगर त्वचा तैलीय है और जल्दीजल्दी मुंहासे निकलते हैं, तो तैलीय क्रीम और मौइश्चराइजर का इस्तेमाल न करें. अगर त्वचा सूखी महसूस होती है तो अकसर यह ऊपरी परत की कृत्रिम शुष्कता होती है. इस से छुटकारा पाने के लिए निम्न तरीके अपनाएं:

– औषधीय क्लींजर या फेसवाश से सफाई करें. मुंहासे पर चंदन का पेस्ट लगाएं या चंदन के पेस्ट को गुलाबजल के साथ मिला कर पूरे चेहरे पर लगाएं. 20-30 मिनट के बाद चेहरे को पानी से धो लें.

– नीम के कुछ पत्तों को 4 कप पानी में हलकी आंच पर 1 घंटे तक उबालें. रात भर उसे छोड़ दें. सुबह छान कर पानी से चेहरा धोएं और पत्तियों का पेस्ट बना कर चेहरे पर लगाएं.            

क्या करें

– दिन में ठंडे पानी से चेहरे को कई बार धोएं.

– रोमकूपों को बंद करने के लिए शीतल त्वचा टौनिक या गुलाबजल से टोन करें.

– सप्ताह में एक फेशियल स्क्रब का 2 बार प्रयोग करें.

– मेकअप, पसीने और तेल को हटाने के लिए रात में त्वचा की सफाई करें.

– त्वचा को ताजगी प्रदान करने के लिए कई बार चेहरे को नम टिशू से पोंछें.

क्या न करें

– भुना या भारी स्टार्च युक्त आहार लेनेसे बचें.

– तैलीय और मुंहासों वाली त्वचा के लिए क्रीम या मौइश्चराइजर का प्रयोग न करें.

– साबुन और पानी से दिन में 3 बार से अधिक मुंह न धोएं.

– हाथों को धोए बिना चेहरा न छुएं और न

ही मुंहासों या फुंसियों को कुरेदने की कोशिश करें.

मौनसून फेस पैक

– मुलतानी मिट्टी ठंडक पहुंचाती है और तेल को सोखती है. 1 चम्मच मुलतानी मिट्टी को गुलाबजल में मिला कर चेहरे पर लगाएं. 15-20 मिनट बाद चेहरा धो लें.

– खीरे के रस या गूदे में 2 चम्मच मिल्क पाउडर और 1 अंडे की सफेदी मिलाएं. फिर ब्लैंडर में पेस्ट बनाएं. चेहरे और गरदन पर लगाएं. आधे घंटे के बाद चेहरा धो लें.

– नीबू के रस को पानी में मिला कर आइस क्यूब ट्रे में रख कर फ्रीज करें. जब भी ताजगी की जरूरत महसूस हो, एक क्यूब को चेहरे पर हलके से फिराएं और फिर रुई से पोछ लें. इस से तैलीय पदार्थ कम होता है और त्वचा को ताजगी मिलती है.

– अंडे की सफेदी, नीबू रस और शहद को मिला कर चेहरे पर मास्क की तरह लगाएं. 20 मिनट बाद चेहरा धो लें.

– 1 चम्मच शहद, 15 बूंदें संतरे का रस, 1 चम्मच ओट्स और 1 चम्मच गुलाबजल को मिलाएं. इसे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट के बाद चेहरा धो लें. इस से तैलीय पदार्थ दूर होते हैं और चमक बढ़ती है.

– सेब, पपीता, संतरा जैसे फलों को मिला कर चेहरे पर लगाया जा सकता है. 20-30 मिनट के बाद चेहरा पानी से धो लें. 

शातिर सोच

कंधे पर बैग टांग कर घर से निकलते हुए राजा ने मां से कहा कि वह 2 दिनों के लिए बाहर जा रहा है तो मां ने पूछा, ‘‘अरे कहां जा रहा है, यह तो बताए जा.’’ लेकिन जब बिना कुछ बताए ही राजा चला गया तो माधुरी ने झुंझला कर कहा, ‘‘अजीब लड़का है, यह भी नहीं बताया कि कहां जा रहा है?’’

यह 19 अक्तूबर, 2016 की बात है.

मीरजापुर की कोतवाली कटरा के मोहल्ला पुरानी दशमी में अशोक कुमार का परिवार रहता था. उन के परिवार में पत्नी माधुरी के अलावा 4 बेटों में राजन उर्फ राजा सब से छोटा था. उस की अभी शादी नहीं हुई थी. अशोक कुमार के परिवार का गुजरबसर रेलवे स्टेशन पर चलने वाले खानपान के स्टाल से होता था.

अशोक कुमार के 2 बेटे उन के साथ ही काम करते थे, जबकि 2 बेटे गोपाल और राजा मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर स्थित होटल जननिहार में काम करते थे. चूंकि मीरजापुर और मुगलसराय स्टेशन के बीच बराबर गाडि़यां चलती रहती हैं, इसलिए उन्हें आनेजाने में कोई परेशानी नहीं होती थी.

राजा 2 दिनों के लिए कह कर घर से गया था, जब वह तीसरे दिन भी नहीं लौटा तो घर वालों ने सोचा कि किसी काम में लग गया होगा, इसलिए नहीं आ पाया. लेकिन जब चौथे दिन भी वह नहीं आया तो घर वालों को चिंता हुई. दरअसल इस बीच उस का एक भी फोन नहीं आया था. घर वालों ने फोन किया तो राजा का फोन बंद था. जब राजा से बात नहीं हो सकी तो उस की मां माधुरी ने उस के सब से खास दोस्त रवि को फोन किया. उस ने कहा, ‘‘राजा दिल्ली गया है. मैं भी इस समय बाहर हूं.’’

इतना कह कर उस ने फोन काट दिया था. राजा का फोन बंद था, इसलिए उस से बात नहीं हो सकती थी. उस के दोस्त रवि से जब भी राजा के बारे में पूछा जाता, वह खुद को शहर से बाहर होने की बात कह कर राजा के बारे में कभी कहता कि इलाहाबाद में है तो कभी कहता फतेहपुर में है. अंत में उस ने अपना मोबाइल बंद कर दिया.

जब राजा का कहीं पता नहीं चला तो परेशान अशोक कुमार मोहल्ले के कुछ लोगों को साथ ले कर कोतवाली कटरा पहुंचे और राजा के गायब होने की तहरीर दे कर गुमशुदगी दर्ज करा दी.

कोतवाली पुलिस ने गुमशुदगी तो दर्ज कर ली, लेकिन काररवाई कोई नहीं की. इस के बाद अशोक कुमार 26 अक्तूबर को समाजवादी पार्टी के युवा नेता और सभासद लवकुश प्रजापति के अलावा मोहल्ले के कुछ प्रतिष्ठित लोगों को साथ ले कर मीरजापुर के एसपी अरविंद सेन से मिले और उन्हें अपनी परेशानी बताई. अशोक कुमार की बात सुन अरविंद सेन ने तत्काल कटरा कोतवाली पुलिस को काररवाई का आदेश दिया. कोतवाली पुलिस ने राजा के बारे में पता करने के लिए उस के दोस्त रवि से पूछताछ करनी चाही, लेकिन वह घर से गायब मिला. अब तक राजा को गायब हुए 10 दिन हो गए थे. रवि घर पर नहीं मिला तो पुलिस ने उस का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया, क्योंकि उस ने अपना मोबाइल बंद कर दिया था.

पुलिस की लापरवाही से तंग आ कर बेटे के बारे में पता करने के लिए अशोक कुमार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. मामला न्यायालय तक पहुंचा तो पुलिस ने तेजी दिखानी शुरू की. 28 अक्तूबर, 2016 को राजा के दोस्त रवि और उस के पिता को एसपी औफिस के पास एक मिठाई की दुकान से पकड़ कर कोतवाली लाया गया. लेकिन उन से की गई पूछताछ में कोई जानकारी नहीं मिली तो पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया. इसी तरह अगले दिन भी हुआ. संयोग से उसी बीच एसपी अरविंद सेन ही नहीं, कोतवाली प्रभारी का भी तबादला हो गया. मीरजापुर जिले के नए एसपी कलानिधि नैथानी आए. दूसरी ओर कटरा कोतवाली प्रभारी की जिम्मेदारी इंसपेक्टर अजय श्रीवास्तव को सौंपी गई. अशोक कुमार 9 नवंबर को नए एसपी कलानिधि नैथानी से मिले. एसपी साहब ने तुरंत इस मामले में काररवाई करने का आदेश दिया. उन्हीं के आदेश पर कोतवाली प्रभारी ने अपराध संख्या 1232/2016 पर भादंवि की धारा 364 के तहत मुकदमा दर्ज कर के काररवाई शुरू कर दी.

इस घटना को चुनौती के रूप में लेते हुए एसपी कलानिधि नैथानी ने कोतवाली प्रभारी कटरा, प्रभारी क्राइम ब्रांच स्वाट टीम एवं सर्विलांस को ले कर एक टीम गठित कर दी. इस टीम ने मुखबिरों द्वारा जो सूचना एकत्र की, उसी के आधार पर 14 नवंबर, 2016 को राजा के दोस्त रवि कुमार को मीरजापुर के नटवां तिराहे से गिरफ्तार कर लिया. उस से राजा के बारे में पूछा गया तो उस ने उस के गायब होने के पीछे की जो कहानी सुनाई, उसे सुन कर पुलिस वाले जहां हैरान रह गए, वहीं रवि के पकड़े जाने की खबर सुन कर कोतवाली आए राजा के घर वाले रो पड़े. क्योंकि उस ने राजा की हत्या कर दी थी. उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के थाना नरसैना के गांव रूखी के रहने वाले नरेश कुमार पीएसी में होने की वजह से मीरजापुर में परिवार के साथ रहते हैं. वह पीएसी की 39वीं वाहिनी में स्वीपर हैं. रवि कुमार उन्हीं का बेटा था. उस की दोस्ती राजा से हो गई थी, इसलिए कभी वह उस से मिलने मुगलसराय तो कभी उस के घर आ जाया करता था. दोनों में पक्की दोस्ती थी.

रवि का एक चचेरा भाई दीपेश उर्फ दीपू फिरोजाबाद के टुंडला की सरस्वती कालोनी में किराए का कमरा ले कर पत्नी के साथ रहता था. वह वहां दर्शनपाल उर्फ जेपी की गाड़ी चलाता था. जेपी की बहन राजमिस्त्री का काम करने वाले प्रवीण कुमार से प्यार करती थी. यह जेपी को पसंद नहीं था. उस ने बहन को समझाया . बहन नहीं मानी तो प्रेमी से उसे जुदा करने के लिए उस ने प्रवीण कुमार को ठिकाने लगाने का मन बना लिया.

यह काम वह अकेला नहीं कर सकता था, इसलिए उस ने अपने ड्राइवर दीपेश उर्फ दीपू को साथ मिलाया और 13 अक्तूबर, 2016 को बहन के प्रेमी प्रवीण कुमार को अगवा कर लिया. दोनों उसे शहर से बाहर ले गए और गोली मार कर हत्या कर दी. दोनों के खिलाफ इस हत्या का मुकदमा थाना टुंडला में दर्ज हुआ. चूंकि इस मुकदमे में एससी/एसटी एक्ट भी लगा था, इसलिए पुलिस दोनों के पीछे हाथ धो कर पड़ गई. दर्शनपाल उर्फ जेपी तो गिरफ्तार हो गया, लेकिन दीपेश उर्फ दीपू फरार चल रहा था. पुलिस उस की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह छापे मार रही थी. पुलिस दीपेश को तेजी से खोज रही थी. इस स्थिति में पुलिस से बचने के लिए वह मीरजापुर आ गया था. टुंडला में घटी घटना के बारे में उस ने चचेरे भाई रवि को बता कर कहा, ‘‘रवि, मैं बुरी तरह फंस गया हूं. अगर तुम मेरी मदद करो तो मैं बच सकता हूं.’’

इस के बाद राजा और दीपेश ने योजना बनाई कि किसी ऐसे आदमी को खोजा जाए, जिसे टुंडला ले जा कर हत्या कर के उस की लाश को जला दिया जाए और लाश के पास दीपेश अपनी कोई पहचान छोड़ दे, जिस से पुलिस समझे कि लाश दीपेश की है और उस की हत्या हो चुकी है. इस के बाद पुलिस उस का पीछा करना बंद कर देगी.

जब ऐसे आदमी की तलाश की बात आई तो रवि को अपने दोस्त राजा उर्फ राजन की याद आई. क्योंकि राजा का हुलिया दीपेश से काफी मिलताजुलता था. फिर क्या था, दोनों ने राजा को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली, उसी योजना के तहत उस ने 18 अक्तूबर को राजा को फोन कर के कहा, ‘‘राजा, हम लोगों ने किराए पर एक गाड़ी की है, जिस से कल यानी 19 अक्तूबर को दिल्ली घूमने चलेंगे. मेरा चचेरा भाई दीपेश भी आया हुआ है, वह भी साथ चलेगा. मैं चाहता हूं कि तुम भी चलो.’’

राजा तैयार हो गया तो रवि ने 19 अक्तूबर, 2016 को पीएसी कालोनी के एक परिचित की गाड़ी बुक कराई और राजा को साथ ले कर दिल्ली के लिए चल पड़ा. योजना के अनुसार रास्ते में पैट्रोल खरीद लिया गया. इस के बाद उन्होंने बीयर खरीदी और राजा को जम कर पिलाई. वह नशे में हो गया तो रात 11 बजे के करीब फिरोजाबाद के थाना पचोखरा के गांव सराय नूरमहल और गढ़ी निर्भय के बीच सुनसान स्थान पर पेशाब करने के बहाने गाड़ी रुकवाई और राजा को उतार कर मारपीट कर पहले उसे बेहोश किया, उस के बाद पैट्रोल डाल कर जला दिया.

जब उन्हें विश्वास हो गया कि राजा मर गया है तो पहचान के लिए दीपेश ने अपना जूता राजा की लाश के पास रख दिया, जिस से बाद में उस लाश की पहचान उस की लाश के रूप में हो. इस के बाद दीपेश ने फिरोजाबाद पुलिस को मोबाइल से फोन कर के कहा, ‘‘मैं दीपेश उर्फ बाबू बोल रहा हूं. 3-4 बदमाश मेरा पीछा कर रहे हैं. मुझे बचा लीजिए अन्यथा ये मुझे मार डालेंगे.’’

जिस जगह पर रवि और दीपेश ने राजा को जलाया था, दीपेश का घर वहां से करीब 8 किलोमीटर दूर था. दीपेश ने इस जगह को यह सोच कर चुना था, जिस से पुलिस को लगे कि वह चोरीछिपे अपने गांव आया था. बदमाशों को पता चल गया तो उन्होंने उसे मार डाला. पुलिस को फोन कर के रवि और दीपेश फरार हो गए. जबकि पुलिस सर्विलांस के माध्यम से लोकेशन के आधार पर उन की तलाश में मीरजापुर से फिरोजाबाद तक उन के पीछे लगी थी. दीपेश तो फरार हो गया, लेकिन रवि मीरजापुर तो कभी सोनभद्र तो कभी सिगरौली जा कर छिपा रहा. आखिर ज्यादा दिनों तक वह पुलिस की नजरों से बच नहीं पाया और 14 नवंबर को उसे पकड़ लिया गया.

पूछताछ के बाद रवि की निशानदेही पर पुलिस ने पैट्रोल का डिब्बा, वह गाड़ी जेस्ट कार संख्या यूपी 63जेड 8586, जिस से वे राजा को ले गए थे, बरामद कर ली. इस के बाद उसे उस स्थान पर भी ले जाया गया, जहां उस ने दीपेश के साथ मिल कर राजा को जलाया था. राजा के पिता अशोक कुमार भी साथ थे, इसलिए उन्होंने राजा के अधजले कपड़ों को पहचान लिया था. पुलिस ने रवि को प्रैसवार्ता में पेश किया, जहां उस ने अपना अपराध स्वीकार कर के हत्या की सारी कहानी सुना दी.

घटना का खुलासा होने के बाद कोतवाली पुलिस ने राजा उर्फ राजन की गुमशुदगी हत्या में तब्दील कर आरोपी रवि को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. दीपेश उर्फ दीपू की तलाश में पुलिस ने ताबड़तोड़ छापे मारने शुरू कर दिए तो दबाव में आ कर उस ने फिरोजाबाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. अदालत ने उसे जेल भेज दिया था

प्यार जब पराया हो गया

30 अक्तूबर, 2016 को दिवाली का त्यौहार था, इसलिए सारे शहर की सड़कों पर ही नहीं, गलीगली में चहलपहल थी. हर कोई खुश नजर आ रहा था. सिर्फ हेमंत ही एक ऐसा आदमी था, जो ऊपर से भले ही खुश नजर आ रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर वह सुलग रहा था. दोपहर बाद वह अपने दोस्त मनोज के मैडिकल स्टोर पर पहुंचा और उस से घूमने चलने को कहा.

इस के बाद दोनों ने घूमने की योजना बनाई और एक अन्य दोस्त सलीम को बुला कर मोटरसाइकिल से घूमने निकल पड़े. तीनों दोस्त काफी देर तक बाजार में घूमते रहे. शाम हो गई तो हेमंत ने दोनों दोस्तों से कहा, ‘‘मोटरसाइकिल छप्परी गली की ओर ले चलो, मैं तुम लोगों को वहां एक तमाशा दिखाता हूं.’’

‘‘कौन सा तमाशा दिखाएगा भाई?’’ सलीम ने पूछा तो हेमंत ने गंभीर हो कर कहा, ‘‘पहले वहां चलो तो, खुद ही देख लेना वह तमाशा.’’

सलीम ने मोटरसाइकिल छप्परी गली की ओर मोड़ दी. गली के बाहर ही मोटरसाइकिल रुकवा कर हेमंत उतर गया तो सलीम भी उतर कर खड़ा हो गया. शाम का समय था. दिवाली का त्यौहार होने की वजह से लोग दीए जला रहे थे. गली में बच्चे पटाखे फोड़ रहे थे. हेमंत ने मनोज से उस की पिस्टल मांगी और गली में घुस गया. वह जिस घर के सामने जा कर रुका, वह भारती माहेश्वरी का था. उन की मौत हो चुकी थी. घर में पत्नी सुनीता, बेटा तुषार, बेटी प्रेरिका और छोटे भाई की पत्नी पूजा और बहन का बेटा रानू था.

प्रेरिका उस समय घर के बाहर दीए जला रही थी. हेमंत उसी के पास जा कर खड़ा हो गया. उसे देख कर प्रेरिका हड़बड़ा सी गई. उस ने हेमंत को घूरते हुए पूछा, ‘‘तुम यहां कैसे?’’

‘‘क्यों, मैं यहां नहीं आ सकता क्या?’’ कह कर हेमंत ने उस का हाथ पकड़ कर खींचा तो उस ने शोर मचा दिया. उस की चीखपुकार सुन कर उस की बुआ का बेटा रानू और छोटा भाई तुषार बाहर आ गया. उन्होंने प्रेरिका को छुड़ा कर हेमंत को घेर लिया.

खुद को घिरा पा कर हेमंत घबरा गया और उस ने मनोज की पिस्टल सीधी कर के प्रेरिका पर गोली चला दी, जो उस के पेट में लगी. गोली लगते ही वह गिर गई. इस के बाद उस ने रानू पर गोली चला दी, तो उस के भी पेट में गोली लगी. उस ने तीसरी गोली तुषार पर चलाई, जो उसे छूती हुई निकल गई.

अब तक चीखपुकार मच गई थी. गोलियों की आवाज सुन कर गली वाले इकट्ठा हो गए थे. हेमंत ने भागना चाहा, लेकिन तभी उसे अजीत ने घेर लिया. अजीत हेमंत पर भारी पड़ा तो पकड़े जाने के डर से उस ने अजीत पर भी गोली चला दी, जो सीधे उस के सीने में लगी. उस की तुरंत मौत हो गई. अजीत तातारपुर निवासी प्रेरिका के भाई राहुल की दुकान पर नौकरी करता था. वह शादीशुदा ही नहीं, एक बेटी का बाप भी था.

अजीत के गिरते ही गली में अफरातफरी मच गई, जिस का फायदा उठा कर हेमंत दोस्तों के साथ भाग निकला. किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम को इस घटना की सूचना दे दी तो वहां से मिली सूचना के आधार पर एसपी सुनील कुमार, एडीएम सुरेंद्र कुमार, सीओ शबीह अहमद और थानाप्रभारी पदम सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे.

पुलिस ने घायलों को तुरंत अस्पताल भिजवाया और मृतक अजीत के घर वालों को सूचना दी. सूचना मिलते ही कुछ ही देर में अजीत के मांबाप और पत्नी गीता रोतीबिलखती आ पहुंची. औपचारिक पूछताछ के बाद पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर अजीत की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और थाने लौट कर घायल प्रेमिका के घर वालों की ओर से गोली चलाने वाले हेमंत और उस के दोस्तों मनोज तथा सलीम के खिलाफ हत्या तथा हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर लिया.

इस के बाद पुलिस हेमंत को गिरफ्तार करने उस के घर पहुंची तो वही नहीं, उस के दोनों साथी भी अपनेअपने घरों से फरार मिले. पुलिस ने तीनों की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह छापे मारने शुरू किए. इस का नतीजा यह निकला कि घटना के तीसरे दिन यानी 2 नवंबर, 2016 को हेमंत पुलिस के हाथ लग गया.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में हेमंत ने कहा कि वह वहां घूमने गया था. लोगों ने उसे घेर लिया तो गोलियां उस ने अपने बचाव में चलाई थीं. इस के बाद गोलियां चलाने की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज की छप्परी गली में रहते थे भारती माहेश्वरी. उन की मौत हो चुकी थी. उन के बाद घर में उन की पत्नी सुनीता के अलावा उन के भाई की पत्नी पूजा, बेटा तुषार, बेटी प्रेरिका और बहन का बेटा रानू रहता था. पिता की मौत के बाद तुषार ने उन की गहनों की दुकान संभाल ली थी. 12वीं पास करने के बाद प्रेरिका कोई प्रोफैशनल कोर्स करना चाहती थी. उस ने यह बात घर वालों से कही तो उन्होंने उस का दाखिला दिल्ली में एनआईआईटी में कंप्यूटर सीखने के लिए करा दिया.

घर में शायद किसी को मालूम नहीं था कि प्रेरिका के नजदीकी संबंध कासगंज की ही दुर्गा कालोनी के रहने वाले रूप सिंह यादव के बेटे हेमंत यादव से हैं. वह यूपी टैक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ से एमसीए कर रहा था. कासगंज में पढ़ाई के दौरान हेमंत की मुलाकात प्रेरिका से हुई थी. कालेज में पढ़ते समय दोनों मिले तो कुछ ऐसी बातें हुईं कि एकदूसरे की ओर आकर्षित हो उठे.

इस का नतीजा यह निकला कि दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. 12वीं करने के बाद हेमंत आगे की पढ़ाई के लिए जहां लखनऊ चला गया, वहीं प्रेरिका दिल्ली. दोनों भले ही दूरदूर हो गए थे, लेकिन मोबाइल के जरिए उन का संपर्क बना हुआ था.

कंप्यूटर का कोर्स पूरा हो गया तो प्रेरिका ने बीकौम में दाखिला लेने के साथ बैंकिंग की कोचिंग में भी दाखिला ले लिया था. अब तक हेमंत की पढ़ाई पूरी हो गई थी. उसे दिल्ली की रिलैक्सो कंपनी में नौकरी मिल गई तो वह भी दिल्ली आ कर रहने लगा था.

दिल्ली में न प्रेरिका पर कोई नजर रखने वाला था और न हेमंत पर. दोनों खुलेआम मिलनेजुलने के साथसाथ घूमनेटहलने लगे. प्रेरिका भले ही हेमंत से मिलजुल रही थी और घूमफिर रही थी, लेकिन अपने इस प्रेम संबंध को वह वैवाहिक संबंध में तब्दील नहीं कर सकती थी. इस की वजह यह थी कि उस की और हेमंत की जाति अलगअलग थी. दोनों के ही घर वाले उन की शादी के लिए कतई तैयार न होते. हेमंत और प्रेरिका ने अपने प्रेम संबंधों को बहुत छिपाया, पर उन के घर वालों को उन के प्रेम संबंधों का पता चल ही गया. फिर तो दोनों के ही घर वाले परेशान हो उठे. न हेमंत के घर वाले दूसरी जाति की लड़की से शादी करने को तैयार थे और न प्रेरिका के घर वाले दूसरी जाति के लड़के से शादी करना चाहते थे. दोनों के ही घर वालों ने उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन दोनों ने कोई उचित जवाब नहीं दिया.

कोई ऊंचनीच न हो जाए, यह सोच कर हेमंत के घर वाले उस के लिए लड़की ढूंढने लगे. यह जान कर हेमंत परेशान हो उठा. दूसरी ओर प्रेरिका भी कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी, इसलिए हेमंत भ्रम में था. वैसे वह अपने पैरों पर खड़ा था, जिस से चाहता, उस से शादी कर सकता था.

आखिर रूप सिंह ने हेमंत के लिए अलीगढ़ की एक लड़की पसंद कर ली. जब इस बात की जानकारी हेमंत को हुई तो वह चिंतित हो उठा. उस ने प्रेरिका से कहा कि अब उसे जल्दी ही फैसला कर लेना चाहिए कि वह उस से शादी कर रही है या नहीं? इस पर प्रेरिका ने कहा कि वह किसी तरह इस शादी को कुछ समय के लिए टाल दे. उसे जैसे ही नौकरी मिल जाएगी, वह उस से शादी के बारे में विचार करेगी.

प्रेरिका का यह व्यवहार हेमंत की समझ में नहीं आ रहा था. वह तनाव में रहने लगा. प्रेरिका के कहने पर उस ने घर में शादी के लिए मना कर दिया. उस ने घर में कहा था कि अभी उस की नईनई नौकरी है, ऐसे में अभी शादीब्याह का झंझट ठीक नहीं है. लड़का बड़ा हो गया था, इसलिए मांबाप को उस की बात माननी पड़ी. उन्होंने विवाह के लिए मना कर दिया.

लेकिन जब समय बीतने के साथ प्रेरिका ने कोई निर्णय नहीं लिया तो हेमंत को लगने लगा कि प्रेरिका शादी को ले कर गंभीर नहीं है. उसे लगा कि शायद वह उस के साथ खेल खेल रही है.

यह बात उसे परेशान करने लगी थी, क्योंकि अब प्रेरिका उस से कटने लगी थी. वह जब भी उस से मिलने को कहता, वह कोई न कोई बहाना बना देती. उस का फोन भी रिसीव करना कम कर दिया था. कभीकभी तो बात करतेकरते ही फोन काट कर स्विच्ड औफ कर देती.

प्रेरिका की ये हरकतें हेमंत को अखरने लगी थीं. परेशान हो कर आखिर एक दिन उस ने पूछ ही लिया, ‘‘प्रेरिका, आखिर तुम चाहती क्या हो, साफसाफ क्यों नहीं बता देतीं?’’

प्रेरिका ने तुनक कर कहा, ‘‘मेरी मम्मी को हमारे प्यार के बारे में पता चल गया है. उन्होंने कसम दिलाई है कि मैं तुम से बिलकुल न मिलूं.’’

हेमंत अवाक रह गया. प्रेरिका यह क्या कह रही है. उसे तो वैसे भी लग रहा था कि प्रेरिका की जिंदगी में कोई और आ गया है, इसीलिए वह उस से दूर भाग रही है. उस ने यह बात प्रेरिका से कही तो उस ने कहा, ‘‘यह तुम क्या कह रहे हो हेमंत?’’

‘‘मैं तो वही कह रहा हूं, जो तुम्हारे बातव्यवहार से मुझे लग रहा है. लेकिन तुम्हारे लिए यह ठीक नहीं होगा प्रेरिका.’’

‘‘तो तुम मुझे धमकी दे रहे हो?’’

‘‘धमकी ही समझ लो. प्रेरिका अगर तुम ने खुद को सुधारा नहीं तो मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं.’’ कह कर हेमंत चला गया.

प्रेरिका प्रेमी की इन बातों से बुरी तरह डर गई. दूसरी ओर हेमंत का भी दिल टूट चुका था. प्रेरिका की दूरी उसे परेशान कर रही थी, इसलिए उसे उस पर गुस्सा आ रहा था. इसी गुस्से में उस ने प्रेरिका के साथ का अपना एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.

प्रेरिका ने जब उस वीडियो को देखा तो परेशान हो उठी. हेमंत उसे इस तरह बदनाम करेगा, उस ने कभी सोचा भी नहीं था. जब इस बात की जानकारी प्रेरिका के घर वालों को हुई तो सब की नींद उड़ गई.

उन्होंने समाज के कुछ प्रतिष्ठित लोगों को अपनी परेशानी बताई तो उन्होंने हेमंत के घर वालों से बात की. इस के बाद दोनों ओर के कुछ प्रतिष्ठित लोग इकट्ठा हुए. सब ने हेमंत तथा प्रेरिका को बुला कर समझाया और अपनीअपनी जिंदगी जीने की सलाह दी.

प्रेरिका ने जब कहा कि अब वह हेमंत से कोई संबंध नहीं रखना चाहती तो बड़ेबुजुर्गों ने हेमंत को सख्त हिदायत दी कि अब वह प्रेरिका से बिलकुल नहीं मिलेगा. हेमंत ने सब के सामने वादा कर लिया कि अब वह प्रेरिका से बिलकुल नहीं मिलेगा. वह उसे फोन भी नहीं करेगा.

बड़ेबुजुर्गों के सामने दबाव में हेमंत ने वादा तो कर लिया कि वह प्रेरिका से बिलकुल नहीं मिलेगा और उसे फोन भी नहीं करेगा. लेकिन शायद वह प्रेमिका के बिना रह नहीं सकता था. घर वालों को लग रहा था कि हेमंत सुधर गया है, इसलिए उन्होंने उस की शादी मैनपुरी में तय कर दी.

लड़की सेवानिवृत्त फौजी की बेटी थी. रूप सिंह और उस की पत्नी को लगता था कि शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा. बेटा प्रेरिका को भूल कर अपनी गृहस्थी को संभाल लेगा. अब तक प्रेरिका की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी, इसलिए वह कासगंज आ कर रहने लगी थी. उसे भी पता चल गया था कि हेमंत की शादी हो रही है. उसे भी लगा कि शादी के बाद हेमंत उसे परेशान नहीं करेगा.

 

सन 2016 के अप्रैल महीने में हेमंत की शादी हो गई. घर वाले चाहते थे कि वह पत्नी को अपने साथ दिल्ली ले जाए, लेकिन हेमंत पत्नी को साथ नहीं ले गया.

भले ही हेमंत की शादी हो गई थी, लेकिन वह प्रेरिका को भूल नहीं पा रहा था. उस के साथ गुजारे गए पल उसे बारबार याद आ रहे थे, जिस से उसे यह सोचसोच कर गुस्सा आ रहा था कि प्रेरिका ने उस के प्यार को मजाक बना कर रख दिया.

हेमंत से रहा नहीं गया तो उस ने प्रेरिका को फोन कर के कहा कि वह उस से मिलना चाहता है. लेकिन प्रेरिका ने मिलने से मना कर दिया. उस ने कहा कि अब तो उस की शादी हो चुकी है, इसलिए अब वह उस से मिल कर क्या करेगा. उसे अपनी पत्नी में दिल लगाना चाहिए.

हेमंत गुस्से में उबल पड़ा. बस उस ने उसी समय तय कर लिया कि अब वह प्रेरिका के इस व्यवहार का बदला ले कर रहेगा. दूसरी ओर घबरा कर प्रेरिका ने अपना मोबाइल नंबर बदल दिया था, जिस से हेमंत की उस से बात नहीं हो पा रही थी. इस से उस का गुस्सा बढ़ता ही गया. बात न होने की वजह से उस का मन बेचैन रहता था. उस की पत्नी को भी उस का व्यवहार अजीब लगता था. उसे सच्चाई का पता नहीं था, फिर भी उसे लगता था कि कुछ गड़बड़ जरूर है.

 

दिवाली का त्यौहार आया तो हेमंत घर आया. लेकिन त्यौहार को ले कर उस के दिल में कोई उत्साह नहीं था. दिवाली के दिन वह अपने दोस्त मनोज की दुकान पर गया. उस की कमर पर लगी उस की लाइसैंसी पिस्टल देख कर एकदम से उसे प्रेरिका से बदला लेने की बात याद आ गई. इस के बाद बदला लेने के लिए उस ने उसे गोली जरूर मारी, पर वह बच गई. उस के बदले मारा गया निर्दोष अजीत.

पूछताछ के बाद पुलिस ने हेमंत को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. बाद में मनोज और सलीम ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था, जहां से उन्हें भी जेल भेज दिया गया था.

  इस मामले में निर्दोष मारे गए अजीत का परिवार अनाथ हो गया. जिलाधिकारी ने सहानुभूति जताते हुए प्रधानमंत्री फंड से सहायता दिलाने का वादा किया था. लेकिन उस के घर वालों को तो कभी न भुलाने वाला गम मिल ही गया है.

बहुरुपिया किन्नर निकला बच्चा चोर

रुखसाना पिछले एक हफ्ते से आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ देखने की जिद पति सोनू से कर रही थी, लेकिन सोनू अपने काम में व्यस्त था इसलिए वह पत्नी को फिल्म दिखाने के लिए टाइम नहीं निकाल पा रहा था. पत्नी के काफी कहने के बाद उस ने 2 जनवरी, 2017 को उसे फिल्म दिखाने का वादा कर दिया. इतना ही नहीं, उस ने 2 जनवरी को शाम के शो की 2 टिकटें भी बुक करा दीं. टिकट बुक हो जाने पर रुखसाना बहुत खुश हुई.

2 जनवरी, 2017 को रुखसाना और उस के पति सोनू को शाम के शो में पिक्चर देखने जाना था, इसलिए रुखसाना अपराह्न 3 बजे ही तैयार हो गई. वह पति से भी तैयार होने के लिए बारबार कह रही थी पर वह वाट्सऐप पर किसी से चैटिंग करने में लगा हुआ था. रुखसाना के कहने पर फोन टेबल पर रख कर वह नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया. इस के बाद रुखसाना अपनी ढाई साल की बेटी सोनी को भी तैयार करने लगी.

उसी समय उस के दरवाजे पर हलकी सी दस्तक के साथ किसी की आवाज आई, ‘‘भाभी, घर में हो क्या?’’

‘‘कौन?’’ रुखसाना ने पूछा.

‘‘मैं हूं इच्छा.’’ एक दुबलेपतले से युवक ने अंदर प्रवेश करते हुए कहा.

‘‘इच्छा, तुम कहां थे, 2 दिन से दिखे नहीं.’’ रुखसाना ने अपना दुपट्टा सीने पर ठीक करते हुए पूछा.

‘‘एक बड़ा प्रोग्राम था भाभी, अपनी मंडली के साथ मैं उसी में गया था. इधर आने का वक्त ही नहीं मिला.’’ कह कर इच्छा उर्फ राकेश रुखसाना की बेटी सोनी के पास बैठ कर उसे प्यार करने लगा.

‘‘पानी लोगे तुम?’’ रुखसाना ने पूछा.

‘‘नहीं भाभी, पानी नहीं, बस एक कप चाय पिला दो.’’ वह बोला.

‘‘चाय का समय भी है और तुम्हारे भाई को नहाने के बाद चाय पीने की आदत है. तब तक तुम सोनी से खेलो, मैं चाय बना कर लाती हूं.’’ कह कर रुखसाना किचन में चली गई.

‘‘क्या भाई घर पर ही हैं?’’ इच्छा ने चौंक कर पूछा तो रुखसाना ने मुसकरा कर कहा, ‘‘हां, बाथरूम में नहा रहे हैं. आज हम लोग पिक्चर देखने जा रहे हैं.’’

रुखसाना ने अभी चाय का पानी गैस पर चढ़ाया ही था कि इच्छा की आवाज उस के कान में पड़ी, ‘‘भाभी, मैं सोनी बेटी को चौकलेट दिलवाने के लिए दुकान पर ले जा रहा हूं.’’

‘‘अच्छा.’’ रुखसाना ने अंदर से ही कहा और चाय बनाने में व्यस्त हो गई.

चाय बनी तब तक सोनू भी नहा कर कमरे में आ गया. उसे सोनी नजर नहीं आई तो उस ने रुखसाना से पूछा, ‘‘सोनी कहां है?’’

‘‘इच्छा आया है, वही उसे चौकलेट दिलाने दुकान पर ले गया है. चाय भी उसी ने बनवाई है.’’ चाय की ट्रे टेबल पर रखते हुए रुखसाना बोली.

तैयार होने के बाद सोनू ने चाय पी ली लेकिन इच्छा सोनी को ले कर नहीं लौटा था. तब सोनू ने पत्नी से झल्ला कर पूछा, ‘‘चाय ठंडी हो रही है, कहां चला गया यह इच्छा?’’

‘‘चौकलेट लेने को कह कर गया है. अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था.’’ रुखसाना के स्वर में परेशानी उभर आई, ‘‘दुकान भी ज्यादा दूर नहीं है.’’

‘‘तुम देख आओ रुखसाना, हमें फिल्म के लिए देर हो जाएगी.’’ सोनू ने कहा तो रुखसाना घर से निकल कर मोहल्ले की परचून वाली दुकान पर पहुंच गई. वह जब भी आता था, उसी दुकान से सोनी को चौकलेट दिलाता था.

उस दुकान पर इच्छा और उस की बेटी नहीं दिखी तो उस ने दुकानदार से पूछा. दुकानदार रुखसाना की बेटी सोनी को जानता था. वह दुकान पर आई नहीं थी, इसलिए उस ने मना कर दिया.

‘आखिर वह सोनी को ले कर किस दुकान पर गया है’, बुदबुदाते हुए वह दूसरी दुकान पर गई.

इस तरह एकएक कर के उस ने मोहल्ले की सारी दुकानें देख डालीं, पर इच्छा कहीं भी नजर नहीं आया. बाद में थकहार कर वह उदास चेहरा ले कर घर लौट आई. उस ने पति को बताया, ‘‘इच्छा मोहल्ले की किसी दुकान पर नहीं है. पता नहीं वह बेटी को ले कर कहां गया है.’’

इतना सुनते ही सोनू झल्ला उठा, ‘‘यह आज हमारा प्रोग्राम चौपट करवा देगा. तुम्हें उस के साथ बेटी को भेजना ही नहीं चाहिए था.’’

‘‘वह जब भी आता था तो सोनी को चौकलेट दिलाने दुकान पर ले जाता था. मैं ने सोचा 5-10 मिनट में आ ही जाएगा, इसलिए उसे जाने दिया.’’ वह बोली, ‘‘आप देख आइए, कहीं किसी परिचित से खड़ा बतिया तो नहीं रहा.’’

‘‘देख कर आता हूं.’’ कह कर सोनू इच्छा की तलाश में निकल गया. सोनू ने भी मोहल्ले की सभी दुकानें देख डालीं. इस के अलावा उस ने लोगों से इच्छा और अपनी बेटी सोनी के बारे में मालूम किया पर उन का कहीं पता नहीं लगा. बेटी को ले कर उस की घबराहट बढ़ने लगी. घर से निकले हुए आधा घंटा बीत चुका था. उसे अब अहसास होने लगा था कि इच्छा कुछ गड़बड़ कर गया है. परेशान हालत में वह घर लौटा तो रुखसाना भी घबरा कर रोने लगी. उस के रोने की आवाज सुन कर आसपास की औरतें भी उस के यहां आ गईं.

सोनू की आंखें भी बारबार नम हो रही थीं. इच्छा को मोहल्ले के सभी लोग जानते थे क्योंकि वह था तो लड़का पर हावभाव और स्वभाव लड़कियों की तरह था. और तो और वह जनाने कपड़े पहन कर किन्नरों के साथ रहता था. वह सोनी को क्यों ले गया, इस बात को कोई भी नहीं समझ पा रहा था. मोहल्ले के लड़के भी इच्छा को ढूंढने के लिए इधरउधर निकल पड़े. 2 घंटे बीतने के बाद भी जब वह नहीं मिला तो यह विश्वास हो गया कि इच्छा ने किसी योजना के तहत ही सोनी को गायब किया है. वह योजना फिरौती या फिर गलत नीयत में से कोई एक हो सकती थी.

सोनू की हैसियत फिरौती की रकम देने की नहीं थी, इसलिए सभी को यह शंका थी कि इच्छा ढाई साल की मासूम के साथ कुछ गलत हरकत न कर बैठे. जमाना है भी बहुत खराब. हवस की आग में जल रहे दुराचारियों के लिए क्या बुजुर्ग और क्या मासूम. हवस का कीड़ा उन्हें अंधा जो बना देता है.

रुखसाना और सोनू की समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें, क्या न करें. आखिर तय हुआ कि उन्हें पुलिस थाने में जा कर इस घटना की जानकारी दे देनी चाहिए. अभी यह विचार बना ही था कि किसी परिचित ने 100 नंबर पर फोन कर के इस घटना की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. सोनू अपनी पत्नी रुखसाना और ढाई साल की बेटी सोनी के साथ दिल्ली के मध्य जिला के पहाड़गंज क्षेत्र के  पानदरीबा में किराए पर रहता था. करीब 4 साल पहले वह यहां आया था. गुजरबसर के लिए उस ने यहीं पर पटरी लगानी शुरू कर दी थी. रुखसाना भी घर का काम निपटा कर उस के काम में हाथ बंटाती थी. इसी किराए के मकान में रुखसाना ने सोनी को जन्म दिया था. 20 साल का इच्छा उर्फ राकेश उर्फ फलक मूलरूप से राजस्थान के जोधपुर जिले का रहने वाला था. दिल्ली में वह कई सालों से रह रहा था. यहां वह किन्नरों के साथ लड़की की वेशभूषा में घूमता रहता था. किन्नर जहां भी नेग लेने जाते, वह उन के साथ जाता.

पहाड़गंज की पानदरीबा बस्ती में रहने वाले किन्नरों के पास भी उस का आनाजाना था. यहीं उस की पहचान सोनू और रुखसाना से हुई थी. बाद में वह उन का घनिष्ठ बन गया था. इच्छा जब भी रुखसाना के घर जाता तो उस की बेटी सोनी को चौकलेट दिलवाने के लिए पास की दुकान पर ले जाता था. यही कारण था कि आज जब शाम को इच्छा आया तो रुखसाना ने उसे सोनी को ले जाने से इनकार नहीं किया. रुखसाना को क्या मालूम था कि इच्छा आज उन के विश्वास को तारतार कर देगा.

रुखसाना का रोरो कर बुरा हाल था. जब उन की गली के सामने पुलिस वैन आ कर रुकी, रुखसाना विलाप ही कर रही थी. संग तराशान चौकीइंचार्ज एसआई देवेंद्र प्रणव 2 कांस्टेबलों के साथ रुखसाना के कमरे पर पहुंचे. सोनू भी वहीं मौजूद था. सोनू और उस की पत्नी ने एसआई देवेंद्र प्रणव को बेटी के गायब होने की बात विस्तार से बता दी.

‘‘इच्छा कहां रहता है?’’ एसआई ने पूछा.

‘‘सर, मैं ने उस का घर नहीं देखा.’’ सोनू बोला.

‘‘रुखसाना, क्या तुम ने इच्छा का घर देखा है?’’ एसआई प्रणव ने रोती हुई रुखसाना से पूछा.

‘‘नहीं जी, वह कहां रहता है, मैं नहीं जानती.’’ रुखसाना रोते हुए बोली.

‘‘तुम लोग कब से जानते हो उसे?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘यही कोई 3-4 साल से साहब. वह इसी मोहल्ले में रहता होगा. क्योंकि 2-3 दिन में उस की हम से मुलाकात होती रहती थी.’’ सोनू ने बताया.

इस के बाद उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पूछा, ‘‘क्या तुम में से किसी ने इच्छा का घर देखा है?’’

इस प्रश्न पर सभी एकदूसरे का मुंह देखने लगे. इस से जाहिर हो रहा था कि उन में से कोई भी इच्छा के घर के बारे में नहीं जानता था. पुलिस के लिए यह एक हैरान कर देने वाली बात थी. इच्छा अगर इसी बस्ती में रहता है तो कोई उस के घर का पता क्यों नहीं जानता. एसआई प्रणव ने साथ आए एक कांस्टेबल को इच्छा के घर का पता लगाने के लिए भेज दिया और सोनू से इच्छा के हुलिए तथा अन्य जानकारी जुटाने में लग गए.

सोनू ने उन्हें इच्छा का हुलिया बताने के बाद यह जानकारी दी कि वह ज्यादातर किन्नरों के साथ रहता है. उन के साथ ही घूमता है. एसआई देवेंद्र प्रणव सोनू और रुखसाना को ले कर थाने लौट आए. देवेंद्र प्रणव उन दोनों को थानाप्रभारी इंद्रकुमार झा के कक्ष में ले गए. रुखसाना और सोनू से बात करने के बाद थानाप्रभारी ने सोनू की तरफ से इच्छा के खिलाफ भादंवि की धारा 363 के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा दी. फिर तसल्ली दे कर रुखसाना और सोनू को घर भेज दिया.

उन के जाने के बाद थानाप्रभारी ने एसआई देवेंद्र से इस बारे में कुछ विचारविमर्श किया और मामले की जानकारी डीसीपी संदीप सिंह रंधावा को दे दी. चूंकि मामला अपहरण का था, इसलिए डीसीपी रंधावा ने उसी समय श्री झा को आवश्यक निर्देश दे कर इस मामले को जल्द से जल्द निपटाने का आदेश दिया. थानाप्रभारी ने एसआई देवेंद्र के साथ इस केस पर काम करना शुरू कर दिया तो पता चला कि इच्छा के पास कोई मोबाइल फोन नहीं है. यदि होता तो उस के सहारे उस तक पहुंचा जा सकता था. अब दूसरा रास्ता था किन्नरों से पूछताछ कर के. चूंकि वह किन्नरों के साथ रहता था इसलिए किन्नरों द्वारा ही उस के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद थी.

देवेंद्र पुन: पानदरीबा पहुंच गए. उन्होंने लोगों से बातचीत कर यह पता लगा लिया कि उस इलाके में किन्नर कहां रहते हैं. उन्होंने किन्नरों से इच्छा के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश शुरू कर दी. उन्हें उन में से ऐसा कोई किन्नर नहीं मिला जो इच्छा के निवास स्थान के बारे में जानता हो. आधी रात हो चुकी थी. इतनी सर्द रात में लोगों से पूछताछ करना उचित नहीं लगा इसलिए वह थाने लौट आए. अगले दिन तैयार हो कर वह थाने पहुंचे. थानाप्रभारी इंद्रकुमार झा थाने में ही रुके हुए थे. एसआई देवेंद्र ने उन्हें अपनी जांच की जानकारी दे दी. थानाप्रभारी ने आगे की जांच के लिए 4 कांस्टेबलों की एक टीम बनाई. थानाप्रभारी से दिशानिर्देश ले कर एसआई देवेंद्र टीम के साथ पानदरीबा पहुंच गए. उन्होंने अपनी पूछताछ उसी जगह से शुरू की, जहां पर छोड़ी थी.

2 घंटे की मेहनत के बाद उन्हें कुछ कामयाबी मिली. एक कांस्टेबल को चांदनी नाम का एक किन्नर मिला जो इच्छा को पहचानता था. चांदनी किन्नर मूलरूप से कानपुर का रहने वाला था. उस ने बताया कि इच्छा उर्फ राकेश त्रिलोकपुरी की झुग्गियों में रहता है. उस ने इच्छा का एक रंगीन फोटो भी पुलिस को दे दिया. एसआई देवेंद्र प्रणव टीम के साथ चांदनी किन्नर को ले कर त्रिलोकपुरी पहुंच गए. पर वह अपनी झुग्गी में नहीं मिला. तब पुलिस ने उस की आसपास तलाश की. काफी भागदौड़ के बाद आखिर शाम को इच्छा पकड़ में आ गया. उस समय वह अपना हुलिया बदल कर बाजार में घूम रहा था. पर उस के साथ सोनी नहीं थी. पूछने पर उस ने बताया कि वह सोनी को बेचने की फिराक में था. फिलहाल उस ने उसे त्रिलोकपुरी में ही अपनी मौसी के घर में रखा है. पुलिस उसे ले कर उस की मौसी के यहां पहुंची. सोनी वहीं पर मिल गई. पुलिस ने सब से पहले सोनी को अपने कब्जे में लिया. उस की मौसी ने बताया कि इच्छा इस बच्ची को अपने दोस्त की बेटी बता कर यहां कुछ समय के लिए छोड़ गया था. इच्छा का इरादा क्या था, वह नहीं जानती.

पुलिस इच्छा को हिरासत में ले कर पहाड़गंज थाने लौट आई. यहां इच्छा से सख्ती से पूछताछ शुरू हुई तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. उस ने बताया कि वह इस से पहले किन्नर वेश में 3 और बच्चों का अपहरण कर के उन्हें बेच चुका है. किन्नर तो वह दिखावे के लिए बना था. इस की वजह यह थी कि किन्नरों के साथ उसे मोहल्ले में घूमने में दिक्कत नहीं होती थी और कोई उस पर शक भी नहीं करता था. किन्नर होने की सहानुभूति बटोर कर वह छोटी बच्ची के मांबाप से दोस्ती गांठता फिर उन का विश्वास जीतने के बाद मौका पा कर उन की बच्ची ले उड़ता.

थानाप्रभारी इंद्रकुमार झा ने रुखसाना और सोनू को थाने बुला कर उन की बेटी सोनी उन के हवाले कर दी. बेटी को सुरक्षित पा कर दोनों खुश हो गए. 24 घंटे के अंदर इस केस को हल करने वाली टीम को डीसीपी संदीप सिंह रंधावा ने सराहना की. बच्ची का अपहरण करने वाले बहरूपिए से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उस ने कितने बच्चों का अपहरण किया और उन्हें कहां बेचा था.       

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित और सोनी काल्पनिक नाम है.

अपनी ही बनाई भूमिका में बंध गई हूं : कल्कि कोचलीन

रंगरूप से विदेशी, लेकिन खालिस हिंदुस्तानी लड़की जब अपनी पहली फिल्म ‘देव डी’ में नजर आई तो एक बार दर्शकों को लगा कि यह विदेशी चेहरा बौलीवुड के ग्लैमर की चमक में कहां टिक पाएगा. लेकिन ‘शैतान’, ‘शंघाई’ और राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुनी गई फिल्म ‘मार्गरिटा विद ए स्ट्रा’ में सेरेब्रल पल्सी नामक बीमारी से पीडि़त लड़की का सशक्त किरदार निभा कर कल्कि ने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा ग्लैमर की मुहताज नहीं होती.

अदाकारी के साथसाथ लेखन में भी पारंगत कल्कि का जन्म पांडिचेरी में हुआ था. पिता जोएल कोचलीन और मां फैंकोइस अरमैंडी की संतान कल्कि के परदादा मौरिस कोचलीन अपने जमाने के प्रसिद्ध इंजीनियर थे, जिन्होंने ऐफिल टावर और स्टैच्यू औफ लिबर्टी के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी.

हरदिल अजीज कल्कि सिर्फ संजीदा ऐक्टिंग के लिए ही नहीं अपने बेबाक बयानों के लिए भी जानी जाती हैं. वे बी टाउन की उन अभिनेत्रियों में से एक हैं, जो बिना किसी लागलपेट के अपने विचार व्यक्त करती हैं. फिर चाहे बात सैंसर बोर्ड की तानाशाही की हो या कास्टिंग काउच की. स्कूल समय से ही टौमबौय स्टाइल लाइफ जीने वाली कल्कि ने स्कूली शिक्षा ऊटी से कंप्लीट की. इस के बाद लंदन में ऐक्टिंग का कोर्स करने गईं. फिर मुंबई आ कर थिएटर करने लगीं. लेकिन दिल तो फिल्मों में बसा था. इस के लिए काफी संघर्ष किया. फिल्म ‘देव डी’ में पहला मौका मिला. इस के बाद उन्होंने कई फिल्मों में सशक्त अभिनय कर के अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.

पिछले दिनों जिलेट वीनस लौंच के इवैंट पर कल्कि से हुई बातचीत के कुछ अंश पेश हैं:

आप की ज्यादातर फिल्में परफौर्मैंस बेस्ड रही हैं. कमर्शियल से इतनी दूरी क्यों?

मैं तो कमर्शियल फिल्में करना चाहती हूं, लेकिन औफर ही नहीं मिल रहे तो मैं क्या करूं. जो फिल्में मिलीं उन में मैं ने अपना सौ प्रतिशत दिया है. लगता है मैं खुद की बनाई इमेज का शिकार हो गई हूं, क्योंकि जब मैं ने बौलीवुड में कदम रखा था तो ‘देव डी’, ‘शैतान’, ‘शंघाई’ जैसी फिल्मों में काम किया. इन सब में मेरा किरदार हट कर रहा है. इस के बाद मेरे पास जिस भी फिल्म का औफर आता वह परफौर्मैंस बेस्ड फिल्म का ही आता. लगता है मैं अपनी ही बनाई भूमिका में बंध गई हूं. अगर कोई औफर आता है तो मैं कमर्शियल फिल्म जरूर करूंगी.

मन कहां लगता है राइटिंग में या ऐक्टिंग में?

राइटिंग अपने शौक के लिए करती हूं. मैं थिएटर लिखती हूं, पोइट्री लिखती हूं, लेकिन मैं हमेशा ऐक्टिंग ही करना चाहती हूं.

अपनी ऐक्टिंग और लुक से कितनी संतुष्ट हैं?

मुझे लगता है निर्देशक दिबाकर बनर्जी की फिल्म शंघाई को छोड़ कर मैं हमेशा बेहतर दिखी हूं. फिल्म में दिबाकर मेरी भूमिका को कुछ अलग दिखाना चाहते थे जिसे मैं कर न सकी, क्योंकि जिस इंडस्ट्री से हम हैं वहां अच्छा दिखना और अच्छा पहनना बहुत जरूरी है. अगर आप अपने लुक पर ध्यान नहीं देंगे तो इंडस्ट्री कब आप को आउट कर देगी, पता ही नहीं चलेगा. इसलिए मैं अच्छा दिखने के नएनए तरीके तलाशती रहती हूं.

आप के लिए फ्रीडम के माने क्या हैं?

आप अपनी जिंदगी अपने अनुसार जी सकें, मेरे लिए वही फ्रीडम है. जो मन को अच्छा लगे वह करो. किसी के दबाव में रह कर जीना कोई जिंदगी नहीं है. जब मुझे यह लगने लगा कि मेरे पार्टनर और मेरे बीच एक साइलैंट प्रैशर काम कर रहा है, तो मैं ने उस रिश्ते से दूरी बनाने में समय नहीं लगाया, क्योंकि घुटघुट कर आप कुछ समय तक ही जिंदा रह सकते हैं. आज का समय सोशल मीडिया का है और यह मेरे लिए काफी सकारात्मक है, क्योंकि इस के सहारे मैं कुछ भी बोल सकती हूं, अपनी बात सीधे रख सकती हूं. हालांकि आजकल फिल्मी सितारों को ट्रोल करने का चलन काफी बढ़ गया है, लेकिन मैं विवादों पर ध्यान नहीं देती. अपने काम से मतलब रखती हूं.

पहली फिल्म में डेब्यू अवार्ड मिलना और इस के बाद राष्ट्रीय अवार्ड मिलने पर कभी किसी तरह का दबाव या बड़ा स्टार होने की फीलिंग तो नहीं हुई?

किसी को भी पुरस्कार मिलता है, तो खुशी तो होती ही है, लेकिन मेरे ऊपर ऐसा

कोई दबाव नहीं है कि मुझे सिर्फ उसी स्क्रिप्ट पर काम करना है, जो मुझे अवार्ड दिलवा सके. ‘मार्गरिटा’ में मेरा काम कैसा रहा यह नैशनल अवार्ड से मुझे मालूम चला. नैशनल अवार्ड से मुझे इस बात का प्रोत्साहन मिला कि मैं ने जो काम किया वह अच्छा है और आगे भी अच्छा करने की कोशिश करती रहूंगी. मैं ने भी बौलीवुड में धक्के खाए हैं. कभीकभी बहुत सारी फिल्मों के औफर एकसाथ आ जाते हैं, तो कभीकभी ऐसा भी होता है कि कुछ समय के लिए कोई फिल्म नहीं मिलती.

अभी किस तरह के किरदार निभाने की तमन्ना है?

मैं ऐतिहासिक किरदार निभाना चाहती हूं. मेरी बचपन से ही इतिहास में रुचि रही है. अगर कभी कोई ऐतिहासिक किरदार निभाने का मौका मिला तो जरूर निभाऊंगी. अगर पुरानी फिल्मों में से ‘प्यासा’ का रीमेक बनता है, तो यह फिल्म मैं अवश्य करूंगी क्योंकि यह मुझे बहुत पसंद है.

आप की आने वाली फिल्में कौन सी हैं?

इस समय मैं 3 फिल्मों में काम कर रही हूं, जिस में से ‘अ डेथ औफ गंज’ जल्दी आने वाली है. इस फिल्म में 60 के दशक की कहानी है, जिसे कोंकणा सेन निर्देशित कर रही हैं. मैं इस में एक बोल्ड राइटर की भूमिका निभा रही हूं. इस फिल्म के अलावा ‘जीया और जीया’, ‘रिबन’, ‘आजमाइश’, ‘कैडीफ्लिप’ फिल्में भी मैं कर रही हूं.                 

– कल्कि किसी फेयरनैस क्रीम का विज्ञापन नहीं करतीं. उन का कहना है कि खूबसूरती का गोरा होने से कोई संबंध नहीं है.  

– सैक्स संबंधों पर खुल कर अपनी बात रखने वाली कल्कि का मानना है कि वे इन दिनों बिस्तर पर पहले से ज्यादा स्वार्थी हो गई हैं. उन के अनुसार 30 साल की उम्र के पहले के सैक्स और उस के बाद के सैक्स का अनुभव अलग होता है. उन्हें 30 के बाद सैक्स करने में बहुत रोमांचकारी अनुभव रहा है.

– अनुराग से अलगाव के बाद कल्कि का नाम फरहान अख्तर के साथ भी जोड़ा जाने लगा था. ‘नीरजा’ में काम कर चुके जिम सरभ के साथ भी कल्कि की नजदीकियों की खबरें आई थीं.

– 2014 में फिल्म ‘मार्गरीटा विद ए स्ट्रा’ ने टैलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फैस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का खिताब जीता. यह पहली बार था जब किसी बौलीवुड फिल्म की स्क्रीनिंग टैलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फैस्टिवल में हुई.

सेट पर श्रीदेवी अपनी एनर्जी से मेरा उत्साह बढ़ाती थीं : रवि उध्यावर

हर बड़ा कलाकार हमेशा सफल व स्थापित निर्देशक के साथ ही फिल्में करना पसंद करता है. मगर बॉलीवुड में सुपर स्टारडम हासिल करने वाली एकमात्र अदाकारा श्रीदेवी ने सात जुलाई को प्रदर्शित हो रही अपने करियर की तीन सौ वीं फिल्म ‘‘मॉम’’ में निर्देशक रवि उध्यावर के साथ काम किया है. जिनकी बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है. इससे हर कोई आश्चर्य चकित है.

श्रीदेवी की शीर्ष भूमिका वाली फिल्म ‘‘मॉम’’ का निर्देशन कर फीचर फिल्म निर्देशक के रूप में करियर शुरू करने वाले रवि उध्यावर पिछले 22 वर्षों से कमर्शियल यानी कि एड फिल्में निर्देशित करते आए हैं. उन्होंने सलमान खान, रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण सहित कई दिग्गज कलाकारों को अपनी एड फिल्म में निर्देशित किया है. दीपिका पादुकोण और उनका पूरा परिवार तो रवि उध्यावर का प्रशंसक है. दीपिका पादुकोण अपनी हर एड फिल्म के निर्देशन के लिए रवि उध्यावर का ही नाम लेती हैं. मगर श्री देवी जैसी अदाकारा अपने करियर की 300 वीं जैसी अहम फिल्म के निर्देशक के तौर पर रवि उध्यावर को स्वीकार कर लें, यह रवि की अपनी प्रतिभा की कद्र ही है. यही सच है. फिल्म ‘‘मॉम’’ के निर्माता बोनी कपूर स्वयं रवि उध्यावर की एड फिल्में देखकर प्रभावित हुए और उन्हें बुलाकर अपने साथ काम करने का प्रस्ताव दिया. पर बोनी कपूर की शर्त थी कि कहानी श्री देवी को पसंद आनी चाहिए.

बोनी कपूर की शर्त जानकर रवि उध्यावर ने दो वर्ष तक फिल्म की कहानी व पटकथा पर अपने सह लेखक के साथ काम किया. उसके बाद सबसे पहले केरला जाकर अपनी मां को कहानी सुनायी. जब उनकी मां कहानी सुनते-सुनते रो पड़ी और कहा कि यह कहानी सभी को पसंद आएगी. तब उन्होंने वह कहानी श्री देवी को सुनायी.

खुद रवि उध्यावर कहते हैं- ‘‘महान अदाकारा श्री देवी को संतुष्ट करना आसान नहीं था, इसका अहसास मुझे था. इसलिए मैंने कहानी पर काफी काम किया. इसलिए कहानी पूरी होने के बाद मैं केरला अपनी मम्मी के पास गया. मैंने उन्हें पूरे इमोशंस के साथ कहानी सुनायी. उन्होंने कहा कि यह कहानी लोगों को पसंद आएगी. अपनी मम्मी को कहानी सुनाते हुए जो इमोशंस समझ में आए, उसी इमोशंस के साथ मैंने श्रीदेवी को कहानी सुनायी. उन्हें भी पसंद आयी. इसके अलावा उन्होंने मेरे कुछ कमर्शियल भी देखे हुए थे.’’

श्रीदेवी को कहानी पसंद आ गयी, इसके बावजूद श्री देवी की 300वीं फिल्म को निर्देशित करने का दबाव तो रवि पर रहा होगा?

इस पर उन्होंने कहा- ‘‘दबाव तो होता ही है. पर जब आप अच्छी कहानी, अच्छा ड्रामा व अच्छे इमोशन को या यूं कहें कि जब आप फिल्म के माध्यम से इमानदारी से कुछ कह रहे होते हैं, तो सारा दबाव खत्म हो जाता है. श्रीदेवी ने जब कहानी की तारीफ कर दी थी, तो मेरा हौसला बढ़ गया था. सेट पर भी उनका भरपूर सहयोग मिला. मेरी पहली फिल्म है, लेकिन सेट पर वह अपनी एनर्जी से मेरा उत्साह बढ़ा देती थी.’’

रवि उध्यावर का पूरा परिवार श्रीदेवी का प्रशंसक है.

इस बात का जिक्र करते हुए रवि उध्यावर ने कहा- ‘‘मैं तो उनकी फिल्में देखते हुए ही बड़ा हुआ हूं. मैं उनके काम का प्रशंसक हूं. ‘सदमा’ से ‘इंग्लिश विंग्लिश’ तक मैंने उनकी तकरीबन 100 फिल्में देखी होंगी. बहुत बड़ा फैन हूं. श्रीदेवी ऐसी कलाकार हैं, जिनकी फिल्में तीन पीढ़ीयों ने देखी हैं. मेरे पिता ने उनकी फिल्में देखी थीं. मैंने उनकी फिल्में देखी हैं. मेरे बच्चों ने भी उनकी फिल्में देखी हैं. इस फिल्म में एक मां के किरदार में जो उनका रूप सामने आया है, वह अमेजिंग है. मैं तो चाहता हूं कि हर इंसान को श्रीदेवी के साथ काम करना चाहिए और कला की क्राफ्ट क्या होती है, इसका अहसास करना चाहिए. श्रीदेवी के अंदर डेडीकेशन बहुत ज्यादा है. वह पूरे पैशन और समर्पण के भाव के साथ अभिनय करती हैं. कई बार तो उन्हें पूरे दिन खड़े रहना पड़ता है. जब तक मैं दृश्य ओके नहीं करता था, तब तक वह हमेशा यही कहती थी कि कुछ और नया किया जा सकता हो, तो बताएं.’’

रवि उध्यावर जे जे स्कूल आफ आर्टस से फाइन आर्टस में गोल्ड मैडलिस्ट हैं. यानी कि वह मूलतः पेंटर है. जो कि उनके निर्देशन में उनकी काफी मदद करता है.

इस बात को स्वीकार करते हुए रवि उध्यावर ने कहा- ‘‘पेंटर/चित्रकार होने की वजह से हमें रंगों की अच्छी समझ है. हम मूड़ के अनुसार रंगों का चयन कर लेते हैं. तो चरित्र के इमोशन को मैं रंगो के साथ बैकड्राप में पेश करता हूं. मेरी फिल्म ‘‘मॉम’’ में इमोशंस के लेयर हैं, उनकी वजह हैं. और जो रंग हैं, उनकी भी वजह हैं.’’

श्रीदेवी की राय में रवि उध्यावर एक अच्छे निर्देशक होने के साथ-साथ इमोशनल इंसान भी हैं.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रवि उध्यावर ने कहा- ‘‘मेरी राय में हर बंदा/इंसान इमोशनल होता है. पर लोग इसे छिपाने की कोशिश करते हैं. पेंटर हूं, आर्टिस्ट हूं, इसलिए इमोशंस तो होने ही हैं.’’

निवेश के क्षेत्र में आपका पहला कदम

एक निवेशक के तौर पर असेट क्‍लास के बारे में जानना बहुत ही जरूरी होता है, क्‍योंकि जब आप अपना पैसा कहीं भी निवेश करते हैं, तब इसकी निश्चित असेट क्‍लास को ही देखा जाता है. पर्सनल फाइनेंस की दुनिया में कई फाइनेंशियल प्रोडक्‍ट्स हैं, जो किसी निवेशक के लिए हर चीज को उलझा हुआ बना देते हैं, लेकिन यदि आप यह जानते हैं कि कौन सा असेट क्‍लास किस प्रोडक्‍ट से संबंधित हैं, तब पर्सनल फाइनेंस आपके लिए एक आसान खेल की तरह होगा.

असेट क्‍लास क्‍या है?

असेट क्‍लास को एक बड़ी बास्‍केट के रूप में माना जा सकता है, जहां सभी फाइनेंशियल प्रोडक्‍ट्स इन असेट क्‍लास से संबंधित होते हैं. रिस्‍क, रिटर्न, लिक्‍वीडिटी और अन्‍य विभिन्‍न पैरामीटर्स इनमें एक जैसे होते हैं.

उदाहरण के लिए, फि‍क्‍स्‍ड डिपॉजिट और पीपीएफ अलग-अलग फाइनेंशियल इंस्‍ट्रूमेंट हैं, लेकिन गहरे स्‍तर पर यह दोनों ही सुरक्षित प्रोडक्‍ट हैं, इन प्रोडक्‍ट्स में आपको कभी नुकसान नहीं होगा. इन पर मिलने वाला रिटर्न पहले से ही तय होता है और इनके रिटर्न का अनुमान भी लगाया जा सकता है. एफडी और पीपीएफ के सामन्‍य लक्षणों को आप देख सकते हैं, ऐसा इसलिए है क्‍योंकि ये दोनों ही फि‍क्‍स्‍ड इनकम असेट क्‍लास से संबंधित हैं.

असेट क्लास के प्रकार

– फिक्स्ड इनकम

– इक्विटी

– रियल एस्टेट

– कमोडिटीज

– कैश

सारे फाइनेंशियल प्रोडक्ट इन्ही असेट क्लास में से ही एक होते हैं. हर असेट क्लास की अपनी अलग खासियत होती है.

फिक्स्ड इनकम

फिक्स्ड इनकम असेट क्लास के फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में निवेशित राशि पर मिलने वाला रिटर्न फिक्स्ड या फिर पहले से अनुमानित होता है. इसमें इंडोनमेंट पॉलिसी, डेट म्यूूचुअल फंड्स, डिबेंचर्स, ईपीएफ, पोस्ट ऑफिस के प्रोडक्ट्स आदि शामिल हैं.

फिक्स्ड इनकम में निवेश एक तरह से किसी को पैसा उधार देने के जैसा होता है. इसमें निश्चित तौर पर पहले से तय किए रिटर्न के मुताबिक पैसे वापस मिलते हैं. जब आप बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हैं तो वह पूरी तरह से निवेश नहीं होता, बल्कि आप अपना पैसा बैंक के पास रखवा रहे होोते हैं, जहां वह आपको पहले से तय किए गए ब्याज के साथ प्रिंसिपल अमाउंट लौटाएंगे.

फिक्स्ड डिपॉजिट की मंहगाई दर को मात : यदि आप अपने फिक्स्ड डिपॉजिट पर 8 फीसदी से 9 फीसदी तक का रिटर्न ले रहे हैं तो उस स्थिति में मिलने वाले रिटर्न पर पहले से टैक्स लगा हुआ होता है. क्योंकि फिक्स्ड डिपॉजिट कर योग्य होता है इसलिए टैक्स भरने के बाद रिटर्न 6 से 7 फीसदी रह जाता है. आपको बता दें कि महंगाई दर 8 से 10 फीसदी की है. ऐसे में आपको अपने फिक्स्ड इनकम निवेश पर नेगेटिव रिटर्न मिलता है.

जोखिम होता है कम : जो लोग अपने निवेश को लेकर जोखिम उठाने में सक्षम नहीं हैं वे इस असेट क्लास का चयन करते हैं. ऐसे ही पीपीएफ, एनएससी, रेकरिंग डिपॉजिट, कई सरकारी बॉण्ड व डेट म्यूूचुअल फंड्स की स्थिति में होता है. यह निवेश विकल्प महंगाई को मात देने वाले रिटर्न नहीं देते हैं. यह असेट क्लास आपके पैसे को सुरक्षित रखते हैं, उसे बढ़ाते नहीं हैं.

इक्विटी

इक्विटी में निवेश का यह मतलब भी हो सकता है कि आप किसी व्यवसाय में स्वामित्व ले रहे हैं. इस कैटेगरी में स्टार्टअप फंडिंग, इंडेक्स फंड्स, ईटीएफ आदि शामिल होते हैं. उदाहरण के तौर पर जब आप इंफोसिस या रिलायंस के स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस बिजनेस के एक छोटे से मालिक बन जाते हैं. अगर आप किसी बिजनेस में निवेश करते हैं तो आप कुछ हिस्से के मालिक बन जाते हैं. अगर वह कंपनी भविष्य में बड़ी बन जाती है तो आपको भी इसका फायदा मिलेगा. आप किसी अमीर व्यक्ति को देखें, वह इक्विटी में निवेश जरूर करता है. कुछ ने या तो निवेश के लिए अपनी कंपनी खोल ली है या फिर कुछ ने ऐसी कंपनी में निवेश किया है जो वृद्धी कर रही है.

इक्विटी में निवेश, लंबी अवधि के लिए : नीचे दिए गए चार्ट से आप देख सकते हैं कि पिछले 10 वर्षों में सेंसेक्स ने 12 फीसदी से ज्यादा के रिटर्न दिया है. इक्विटी रिटर्न में उतार-चढ़ाव की वजह से कई लोग इसमें निवेश करने से कतराते हैं. लेकिन म्यूूचुअल फंड्स और स्‍टॉक मार्केट में निवेश से ही पूंजी बढ़ती है.

रियल एस्टेट

रियल एसेट का मतलब फिजिकल स्पेस या फिर जमीन, रेजिडेंशियल फ्लैट्स, कमर्शियल स्पेस आदि होते हैं. इन जगहों का इस्तेमाल रहने, बिजनेस या फिर इनकम जनरेट करने के लिए किया जाता है. रियल एस्टेट के बाजार में उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं. इसके रिटर्न शहर के भविष्य, सरकार की पॉलिसी, राजनीतिक माहौल आदि पर निर्भर करता है.

कमोडिटी

कमोडिटी वे फिजिकल गुड्स व प्रोडक्ट्स होते हैं जो खरीदे औप बेचे ज सकें. जैसे कि गोल्ड, सिल्वर, कॉपर, चावल, कॉर्न, गेहूं और कच्चा तेल आदि. इनकी कीमतेंं बाजार की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है. इनका इस्तेमाल निवेश के लिए कम और ट्रेडिंग के लिए ज्यादा किया जाता है. हर कमोडिटी के अपने बाजार और डायनामिक्स होते हैं. कमोडिटी में सबसे ज्यादा सोना और चांदी में ही लंबे समय के लिए निवेश किया जाता है.

कैश

कैश केवल नकदी नहीं होती, इसमें सेविंग एकाउंट, लिक्विड फंड्स, ऑनलाइन वॉलेट आदि भी होते हैं. इस क्लास का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि यह आपको कुछ भी खरीदने की स्वतंत्रता देता है. आप इससे फोन, घर, गाड़ी या फिर अन्य एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं. कैश महंगाई दर को मात नहीं दे पाता. सेविंग्स एकाउंट में रखे पैसे पर 4 फीसदी का ब्याज मिलता है.

खास बातें

– सैकड़ों फाइनेंशियल प्रोडक्‍ट में से आपके लिए क्‍या बेहतर है, इसके लिए आपको पहले असेट क्‍लास को समझना होगा.

– असेट क्लास को पांच कैटेगरी में बांट सकते हैं, जैसे फिक्स्ड इनकम, इक्विटी, रियल एस्टेट, कमोडिटीज, कैश.

– अगर आप सुरक्षित निवेश का रास्‍ता तलाश रहे हैं तो आपको फिक्‍स्‍ड इनकम निवेश का चयन करना चाहिए.

– जोखिम ले सकते हैं तो आपके लिए इक्विटी और कमोडिटी में निवेश लंबे समय में काफी फायदेमंद हो सकता है.

– किसी भी असेट क्‍लास में लंबे समय तक निवेशित रहना फायदे मंद होता है खासतौर पर रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में.

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