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क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में आप भी तो नहीं करते ये गलतियां

समय पर पैसों की जरूरत के लिहाज से क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. अगर क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग हो तो यह एक खतरनाक चीज हो सकती है. लेकिन अगर इसका सही तरीके से उपयोग किया जाए है, तो यह वास्तव में काफी सारे लाभ प्रदान कर सकता है.

अपने क्रेडिट कार्ड का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपसे कुछ भूल न हो. क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इसलिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते वक्त कभी ना करें ये गलतियां.

अपने बिल का देर से भुगतान करना

समय पर क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान न करने से आपको एक से अधिक तरीकों से नुकसान हो सकता है. अपने न्यूनतम बिल का समय पर भुगतान न करने की वजह से आपको लेट पेमेंट फीस का भी भुगतान करना पड़ सकता है. साथ ही देरी से भुगतान करने पर आपका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित हो सकता है.

क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वाना भी खतरनाक

अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वाते रहते हैं तो यह भी कई स्तर पर खतरनाक है. इसका कारण यह है कि आप पर जितना चार्ज लगता है आप अपने बैलेंस के भुगतान के लिए उतना ही संघर्ष करते हैं. क्रेडिट कार्ड की लिमिट को बढ़वाने से आपके क्रेडिट उपयोग का अनुपात भी बढ़ सकता है. लिमिट में जो भी इजाफा होता है वो आपके क्रेडिट कार्ड के उपयोग करने के लिए होता है, लेकिन जब ऐसा होता है आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है.

कार्ड खोने की तुरंत रिपोर्ट न करना

अधिकांश जारीकर्ता खोए हुए या चोरी हुए क्रेडिट कार्ड पर किए गए आरोपों से सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन अहम बात यह है कि आप अपने नुकसान पर तुरंत कार्यवाही करें, ताकि नुकसान को कम किया जा सके. कार्ड खोने की सूरत में आप जितनी जल्दी इसकी रिपोर्ट करते हैं आपके लिए यह उतना ही फायदेमंद रहता है.

अगर आप सिर्फ मिनिमम पेमेंट का भुगतान करते हैं तो

अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड के लिए सिर्फ मिनिमम पेमेंट का भुगतान करते हैं तो यह भी एक गलत आदत है. मिनिमम पेमेंट के भुगतान से बेहतर है कि आप कुछ भी भुगतान न करें. ऐसा करने से आपको ऊपर ब्याज का बोझ भी तेजी से बढ़ता चला जाता है. ऐसे में जितनी लंबी अवधि तक आप अपने कार्ड पर पेमेंट को बनाए रखते हैं उससे आपका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित होता है.

बैंकों के लालची ऑफर्स से बचें

काफी सारी क्रेडिट कार्ड कंपनियां ग्राहकों को डिफर्ड इंट्रेस्ट रेट के साथ लुभाने का प्रयास करती हैं जिसका मतलब होता है कि आप आज से कार्ड का इस्तेमाल करना शुरू करें और निकट अवधि में आपको अपने बैलेंस पर किसी भी तरह के ब्याज का भुगतान नहीं करना पड़ेगा. लेकिन ऐसे में ग्राहकों को यह अंदेशा नहीं रहता है कि अगर आप समय पर अपने बिल का भुगतान नहीं कर पाते हैं और आपका फ्री ग्रेस पीरियड खत्म भी खत्म हो जाता है, तब क्रेडिट कार्ड कंपनियां आपके मूल बैलेंस पर व्यापक स्तर पर चार्ज वसूलती हैं. इस लिहाज से यह भी नुकसानदेह होता है.

पुराना क्रेडिट कार्ड बंद करवाना

ऐसा देखा जाता है कि छठे चौमासे इस्तेमाल में आने वाले क्रेडिट कार्ड को लोग बंद करवा देते हैं. लेकिन अगर आपके पास कोई ऐसा कार्ड है जो काफी पुराना है लेकिन उसका इस्तेमाल कभी कभी ही होता है तो इसे ओपन रखना ही आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. इसका पहला फायदा यह होता है कि अगर आप लंबे समय तक ऐसे खाते को ओपन रखते हैं तो यह आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के लिए फायदेमंद रहता है.

क्रेडिट कार्ड की शर्तों को नजरअंदाज करना

बैंक की ओर से क्रेडिट कार्ड दिए जाने से पहले एक लंबा करार किया जाता है, जिसमें कुछ कानूनी क्लॉज शामिल होते हैं, लेकिन वास्तव में, कागज का वह टुकड़ा उन जानकारियों से भरा होता है जिसे आपको जानने की आवश्यकता होती है. अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड से जुड़ी शर्तों व नियम को बखूबी जानते हैं तो यह आपको खरीद निर्णयों में मदद कर

बेहतर टर्म के बारे में नहीं पूछना

आप सोचते होंगे कि आपके क्रेडिट कार्ड से जुड़े टर्म पत्थर पर लिखी बात हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर आप अपने बैंक से जानकारी लेते रहते हैं तो यह आपके लिए ज्यादा बेहतर साबित हो सकता है. अगर आपमें लगातार पूछने (बैंक के संपर्क में रहने की) की आदत है को आप अपनी सालाना फीस को भी कम ब्याज दर के साथ कम करवा सकते हैं.

अपने रिवार्ड को एक्सपायर होने देना

एक क्रेडिट कार्ड के बावजूद दूसरे कार्ड का चयन करना पेश होने वाले रिवार्ड ऑफर्स होते हैं. लेकिन कुछ रिवार्ड्स की कोई अंतिम तारीख नहीं होती है जबकि कुछ इसकी पेशकश करते हैं. हमें हमेशा इस बात पर नहीं ध्यान देना चाहिए कि आपके पास कितने रिवार्ड प्वाइंट बल्कि इस पर भी गौर करना चाहिए कि आप उन्हें कब तक भुना या उनका फायदा ले सकते हैं.

इंस्टाग्राम पर बढ़ाने हैं फॉलोअर्स!

फेसबुक, वॉट्सऐप, ट्विटर के बाद इंस्टाग्राम लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसमें फेसबुक ने कई नये फीचर्स जोड़े हैं. इंस्टाग्राम पर अब तकरीबन 600 ​मिलियन ऐक्टिव यूजर्स हैं, जो कि स्नैपचैट और ट्विटर के मुकाबले दोगुने हैं. नतीजतन, हर कोई अपने ब्रैंड प्रमोशन, अवेयरनेस से लेकर लोगों से जुड़ने तक के लिए इस प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं.

अगर आप भी इस ऐप पर अपने फॉलोअर्स बढ़ाना चाहते हैं तो हम आपको कुछ आसान तरीके बता रहे हैं.

पेज ऑप्टिमाइजेशन

अगर आप किसी ब्रैंड को इंस्टाग्राम पर प्रमोट करना चाहते हैं या फिर चाहते हैं कि कोई जानकारी ज्यादा लोगों तक पहुंचे तो आपके फॉलोअर्स का होना जरूरी है. इसके लिए आप अपने इंस्टाग्राम अकाउंट को ऑप्टिमाइज कर सकते हैं. इसके तहत ब्रैंड लोगो, डिस्प्ले तस्वीर का लगाना जरूरी है. इसके साथ ही अपनी प्रोफाइल को यूजर्स के लिए ​पब्लिक कर देना चाहिए. बायो में आप खुद या खुद के किसी ब्रैंड से जुड़े ब्लॉग या वेबसाइट पेज का लिंक दे सकते हैं.

क्वॉलिटी कॉन्टेंट

इंस्टाग्राम पर ज्यादा से ज्यादा फॉलोअर्स बनाने के लिए कॉन्टेंट क्वॉलिटी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसके लिए बूमरैंग जैसे फिल्टर्स को भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे ज्यादा ऑडियंस एंगेज होती है. इसके साथ ही आपको पोस्ट्स में एक निरंतरता बरकरार रखनी होगी.

शेयर करें इंस्टाग्राम लिंक्स

इंस्टाग्राम पर आप जो कुछ भी पोस्ट करें उसका बैकलिंक आप अपने फेसबुक, ट्विटर अकाउंट पर भी दें. इससे आप लोगों का ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहेंगे. इस तरह से आप अपने फॉलोअर्स को अन्य प्लैटफॉर्म्स पर भी फॉलो करने के लिए आमंत्रित करते हैं.

हैशटैग्स का सही इस्तेमाल

इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते वक्त हैशटैग्स का खास ख्याल रखना चाहिए. इससे आपकी पोस्ट की विजिबिलटी पर असर पड़ता है. हमेशा ऐसी कोशिश होनी चाहिए कि पोस्ट में पॉप्युलर या ट्रेंडिंग हैशटैग का इस्तेमाल हो. इसके साथ ही गैर जरूरी हैशटैग लगाने से भी बचना चाहिए.

प्रभावी लोगों से संपर्क में रहे

अपनी मार्किट से जुड़े लोगों से जुड़े रहें और जिनका उस बाजार विशेष में खास प्रभाव हो उनसे संवाद का सिलसिला बरकरार रखें. उनके पोस्ट्स को लाइक करें और उनपर कॉमेंट करें. इससे यह होगा कि आप उनकी नजर में बने रहेंगे. एक रोज वह आपको या आपके किसी ब्रैंड को प्रमोट कर सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो आपकी पोस्ट रीच काफी अधिक हो सकती है. ऐसे में फॉलोअर्स के बढ़ने की भी संभावना बनी रहती है.

जानें आईपीएल 10 में किसके नाम रहा कौन सा अवॉर्ड

आईपीएल 10 का सफर खत्म हो चुका है. मुंबई इंडियंस ने आईपीएल 10 का खिताब जीत कर इतिहास रच दिया. वह तीसरी बार इंडियन प्रीमियर लीग का खिताब जीतने वाली पहली टीम बन गई. उन्होंने हैदराबाद में खेले गए फाइनल में राइजिंग पुणे सुपरजायंट को फाइनल में एक रन से हराया.

आईपीएल का तीसरा खिताब

मुंबई इंडियंस ने आईपीएल 10 का खिताब अपने नाम किया. यह उसका तीसरा आईपीएल खिताब था. इससे पहले मुंबई ने 2013 और 2015 में खिताब अपने नाम किया था. 10 सीजन में से 3 खिताब अपने नाम कर मुंबई की टीम सबसे ज्यादा आईपीएल खिताब जीतने वाली टीम बन गई है.

हिट हुए कैप्टन रोहित

मुंबई इंडियंस ने अपने तीनों खिताब रोहित शर्मा की कप्तानी में जीते हैं. रोहित शर्मा सबसे ज्यादा आईपीएल जीतने वाले कप्तान भी बन गये हैं. आपको बता दें कि मुंबई की टीम ने रिकी पोंटिंग को कप्तानी से हटाकर रोहित को कप्तान बनाया था.

फाइनल मुकाबले में ये कुछ कारण रहे, जिसके कारण मुंबई को जीत हासिल हुई.

स्टीव स्मिथ का आउट होना बना टर्निंग प्वाइंट

आखिरी ओवर में पुणे को 11 रन की दरकार थी. उसी दौरान पुणे के कप्तान स्टीव स्मिथ आउट हो गए. ओवर की तीसरी गेंद पर उन्होंने शॉट मारा, जो सीधा फील्डर रायूडू के हाथ में चला गया.

जॉनसन का आखिरी ओवर फेंकना

स्टीव ऑस्ट्रेलियाई कप्तान हैं. वहीं, आखिरी ओवर फेंक रहे जॉनसन भी ऑस्ट्रेलियाई के लीड बॉलर रहे हैं. ऐसे में रोहित शर्मा ने चालाकी दिखाते हुए स्टीव के मुकाबले जॉनसन को खड़ा किया. आखिरी ओवर में 11 रन की जरूरत थी, मैच के पेस को देखते हुए समझा जा रहा था कि पुणे आसानी से ये रन बना लेगी. लेकिन जॉनसन स्टीव की खामियों को जरूर जानते रहेंगे और इसका फायदा उन्हें तीसरी गेंद में ही मिल गया. इससे पहले जॉनसन ने दूसरी गेंद पर मनोज तिवारी को कैच आउट करा कर पुणे को मुश्किल में डाल दिया था.

आखिरी ओवर का रोमांच

19वें ओवर की कमान जॉनसन को मिली. पहली ही बॉल पर मनोज तिवारी ने चौका मार दिया. दूसरी गेंद पर मनोज तिवारी आउट हो गए. जॉनसन के ऑफकटर को उन्होंने ओवर एक्स्ट्रा कवर पर मारने की कोशिश की, हाथ में उनका बल्ला टर्न हो गया और पोलार्ड ने एक शानदार कैच पकड़ लिया. तिवारी 7 रन पर आउट हुए.

तीसरी गेंद पर स्मिथ ने शॉट खेला लेकिन कैच आउट हो गए. चौथी गेंद पर पुणे को एक रन मिला. पांचवीं गेंद पर डेल क्रिश्चियन ने 2 रन मारा. अंतिम बॉल पर पुणे को जीतने के लिए चार रन चाहिए थे. आखिरी गेंद पर क्रिश्चियन ने शॉट खेला 2 रन भी लिए लेकिन तीसरा रन लेते हुए आउट हो गए.

मनोज तिवारी का आउट होना

मनोज तिवारी का आउट होने भी पुणे को हार की ओर ले गया. आखिरी ओवर की दूसरी बॉल पर मनोज तिवारी ने एक्स्ट्रा कवर के ऊपर शॉट खेलना चाहा था पर किरोन पोलार्ड ने शानदार कर पकड़ लिया.

तीसरा रन लेने में चूक

मैच के आखिरी गेंद पर चार रन चाहिए थे. पर पुणे के प्लेयर्स दो रन ही जोड़ पाए. क्रिस्चियन रन आउट हो गए.

पुणे और मुंबई के बीच खेले गए फाइनल मुकाबले में ये दो खिलाड़ी सबसे खास हैं. ये फाइनल मुकाबला इस खिलाड़ी का सातवां फाइनल था. आईपीएल के इतिहास में किसी खिलाड़ी ने ये उपलब्धि हासिल नहीं की है. इसके अलावा ये खिलाड़ी आईपीएल फाइनल खेलने वाला सबसे युवा खिलाड़ी है. आइए जानते हैं कौन हैं ये दोनों. इसके अलावा आपको बताते हैं आईपीएल से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातें.

सातवां आईपीएल फाइनल

पुणे के विकेट कीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी ने अपना सातवां आईपीएल फाइनल मैच खेला. आईपीएल के इतिहास में किसी भी खिलाड़ी ने इतने फाइनल मैच नहीं खेले हैं. इसमें से वो दो बार आईपीएल का खिताब जीत चुके हैं. अपने पिछले छह फाइनल मुकाबलों में उन्होंने 150 के स्ट्राइक रेट से कुल 168 रन बनाए हैं.

चौथी बार खेला फाइनल

मुंबई इंडियंस चौथी बार आईपीएल फाइनल खेल रही थी. मुंबई इससे पहले वर्ष 2010, 2013 और 2015 में फाइनल मैच खेल चुकी है. ये सारे मैच मुंबई ने चेन्नई के खिलाफ खेले थे और 2013 और 2015 में खिताब भी जीता था.

आईपीएल फाइनल में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी

किरोन पोलार्ड इस आइनल मैच से पहले तीन आईपीएल फाइनल खेल चुके हैं और उनका स्ट्राइक रेट 205 का रहा है. वर्ष 2010 के फाइनल में उन्होंने 10 गेंदों पर 27 रन, 2013 फाइनल में 32 गेंदों पर नाबाद 60 रन और 2015 में 18 गेंदों पर 36 रन बनाए थे. वो वर्ष 2013 के फाइनल मैच में प्लेयर ऑफ द मैच भी रहे थे. मुंबई की तरफ से पोलार्ड ने आईपीएल फाइनल्स में सबसे ज्यादा रन और छक्के लगाए हैं साथ ही उनका स्ट्राइक रेट सबसे उपर रहा है.

फाइनल मैच खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी

टी20 लीग 2017 के फाइनल मुकाबले में भले ही पुणे मुंबई के हाथों हारकर खिताब हासिल करने से चूक गया, लेकिन उनके युवा ऑफ स्पिनर गेंदबाज वॉशिंगटन सुंदर ने अपनी गेंदबाजी से प्रभावित होकर 8 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ इतिहास रच दिया. वह लीग का फाइनल मैच खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए.

उन्होंने रवींद्र जडेजा का ‍8 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा. सुंदर 17 वर्ष 288 दिन की आयु में आईपीएल फाइनल खेलने मैदान में उतरे. इससे पहले यह कीर्तिमान रवींद्र जडेजा के नाम था, जब वे 19 वर्ष 178 दिन की उम्र में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से 2009 आईपीएल फाइनल में चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ मैदान में उतरे थे.

सुंदर ने फाइनल में भी मुंबई इंडियंस के खिलाफ शानदार गेंदबाजी की. उन्हें विकेट तो कोई नहीं मिला, लेकिन उन्होंने जबर्दस्त किफायती गेंदबाजी करते हुए 4 ओवरों में मात्र 13 रन दिए.

आईपीएल 10 अवॉर्ड्स

विनर – मुंबई इंडियंस

रनरअप – राइजिंग पुणे सुपरजायंट

मैन ऑफ द मैच (फाइनल) – क्रुणाल पांड्या

ऑरेंज कैप (सबसे ज्यादा रन) – डेविड वार्नर (सनराइजर्स हैदराबाद)

पर्पल कैप (सबसे जायादा विकेट) – भुवनेश्वर कुमार (सनराइजर्स हैदराबाद)

मैक्सिमम सीजन अवॉर्ड (सबसे ज्यादा छक्का) – ग्लेन मैक्सवेल (किंग्स इलेवन पंजाब)

सुपरफास्ट फिफ्टी अवॉर्ड – सुनील नारायण (कोलकाता नाइट राइडर्स)

ग्लैम शॉट ऑफ सीजन – युवराज सिंह (सनराइजर्स हैदराबाद)

स्टाइलिश प्लेयर ऑफ सीजन – गौतम गंभीर (कोलकाता नाइट राइडर्स)

फेयर प्लेयर अवॉर्ड – गुजरात लायंस

इर्मजिंग प्लेयर अवॉर्ड – बेसिल थंपी (गुजरात लायंस)

मैस्ट वैल्यूएबल प्लेयर – बेन स्टोक्स (राइजिंग पुणे सुपरजायंट)

पिच एंड ग्राउंड अवॉर्ड – पंजाब क्रिकेट एसोशिएशन, मुंबई क्रिकेट एसोशिएशन, क्रिकेट एसोशिएशन ऑफ बंगाल

परफेस्ट कैच ऑफ द सीजन – सुरेश रैना

जानें कब किस टीम ने जीता आईपीएल का खिताब

2008       राजस्थान रॉयल्स

2009       डेक्कन चार्जर्स

2010       चेन्नई सुपर किंग्स

2011       चेन्नई सुपर किंग्स

2012       कोलकता नाइट राइडर्स

2013       मुंबई इंडियंस

2014       कोलकता नाइट राइडर्स

2015       मुंबई इंडियंस

2016       सनराइजर्स हैदराबाद

2017       मुंबई इंडियंस

भाषा को लेकर श्रद्धा कपूर की ये है सोच

हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘‘हाफ गर्ल फ्रेंड’’ में प्रेम कहानी के साथ अंग्रेजी भाषा के मुकाबले हिंदी भाषा को कमतर मानने का मुद्दा उठाया गया है. फिल्म में यह मुद्दा भले ही ठीक से न उभर पाया हो, मगर भाषा को लेकर श्रद्धा कपूर की अपनी अलग सोच है.

खुद श्रद्धा कपूर ने भाषा को लेकर हमसे बात करते हुए कहा-‘‘मेरी राय में प्यार की कोई भाषा नहीं होती है. प्यार यह नहीं देखता है कि आपको अंग्रेजी आती है या नहीं. पर जहां तक करियर का सवाल है, वहां भाषा बहुत महत्व रखती है. मैं हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री हूं, तो मेरी हिंदी भाषा अच्छी होनी चाहिए. मुझे पता है कि मेरी हिंदी भाषा अच्छी नहीं है. पर मैं हमेशा भाषा सीखने की कोशिश करती हूं. मेरी कोशिश रहती है कि हर फिल्म के बाद मैं एक बेहतरीन अभिनेत्री बन जाउं. इसीलिए मैं ज्यादा से ज्यादा बातचीत हिंदी में करती हूं. हिंदी अखबार पढ़ती हूं, जिससे मेरी हिंदी भाषा सुधर जाए.’’  

यूपी में लड़कियों के साथ ये क्या कर रहे हैं लोग

यूं तो महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पूरी दुनिया में अनेक कदम उठाए जा रहे हैं. लेकिन आज भी कई जगहें ऐसी हैं जहां महिलाओं को हवस मिटाने का जरिया समझा जाता है. आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जहां महिलाओं के साथ यौन शोषण के नाम पर जो होता है उसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी. यहां पर ये लोग लड़कियों को कामुक बने रहने के लिए ड्रग्स का सेवन करने के लिए मजबूर करते हैं.

मामला उत्तर प्रदेश का है, जहां कई बड़े शहरों में चल रहे अनैतिक काम के अड्डों पर अवयस्क लड़कियों को खूबसूरत-जवान और कामुक बनाने के लिये खतरनाक ड्रग्स के इंजेक्शन दिये जाते हैं. तीन-चार दिन तक लगातार इंजेक्शन दिये जाने के बाद लड़कियों को इंजेक्शन की लत पड़ जाती है फिर वो खुद बिना इंजेक्शन रह नहीं पाती.

इस मामले का खुलासा आगरा के रेड लाइट ऐरिया से छुड़ायी गयी लड़कियों ने पुलिस के सामने किया है. चिकित्साविज्ञानियों के अनुसार रेड लाइट ऐरिया में लड़कियों को संभवतः वो इंजेक्शन दिये जा रहे थे जिनको डॉक्टर्स विशेष परिस्थितियों में किसी रोगी को प्रेसक्राइब्ड करते हैं. क्यों कि ऐसे ड्रग्स लगातार या ज्यादा मात्रा में लेने से मेंटल और फिजिकल डिसऑर्डर की भी आशंका रहती है.

चिकित्सा विज्ञानियों का यह भी कहना है कि अगर इस ड्रग्स का इंजेक्शन किसी 15-16 साल की लड़की को दिया जा रहा है तो 20-22 साल की होने से पहले ही उसकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. और बहुत ही कम उम्र में ही अर्थराइटिस की शिकार हो सकती है. इसके अलावा वो किसी न किसी मनोरोग की भी शिकार हो सकती है. इस ड्रग्स का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट ये है कि कोई दूसरी ड्रग्स अपना पूरा असर कभी डाल ही नहीं पाती और लड़की पूरी जिंदगी रोगी बनी रहती है. कोई देखभाल करने वाला न हो तो कम उम्र में मृत्यु की भी आशंका बढ़ जाती है.

अफसरों की आंकडेबाजी में उलझे योगी

महापुरुषों के नाम पर छुट्टियां रद्द करने से उत्तर प्रदेश की सरकार को 50 हजार करोड का लाभ होगा. यह अफसरों द्वारा तैयार की गई आंकड़ों की ऐसी बाजीगरी है जिससे योगी सरकार खुश होकर अपनी पीठ थपथपा रही है. सरकार को खुश करने की कला जानने वाले अफसर योगी सरकार को भी अपनी आंकड़ों की बाजीगरी दिखा रहे हैं. जिसमें गुमराह होकर सरकार खुश है. इसका जनता को क्या लाभ होगा यह दिखाई नहीं दे रहा है. छुटिट्या खत्म होने से काम की क्षमता बढ़ती है. यह सरल सा नियम है. सरकार के आधे से ज्यादा विभाग अनुउत्पादक काम करते हैं. ऐसे में उनसे यह लाभ कैसे मिलेगा सोचने वाली बात है. अगर महापुरुषों के नाम से छुट्टियां खत्म होने से इतना लाभ है तो सरकार को चाहिये कि धार्मिक आधार पर दी जाने वाली छुट्टियों को कम करके कुछ और लाभ कमाने की कोशिश करे जिससे उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से जल्दी बाहर निकाला जा सके.

योगी सरकार ने महापुरुषों के नाम पर होने वाली छुट्टियों को खत्म किया तो अफसरो ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ को यह बता दिया कि इससे उत्तर प्रदेश सरकार को 50 हजार करोड़ का लाभ होगा. देखिये अफसरों ने यह मुनाफा दिखाया कहां से है. विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण का जवाब देते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी सरकार की जीडीपी करीब रुपये 12 से 12.50 लाख करोड वार्षिक के बीच की है. इस हिसाब से एक महीने में एक लाख करोड का राजस्व मिलता है. 15 दिन की छुट्टियां खत्म होने पर करीब 50 हजार करोड़ का मुनाफा होगा.

दो माह के बाद भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी मनपसंद अफसरों की टीम का गठन नहीं कर पाये हैं. पुलिस विभाग में जिस तरह से अफसरों की तैनाती की गई उनके रैंक को लेकर सवाल उठने लगे हैं. प्रशासनिक अफसरों में वह कोई बड़ा बदलाव नहीं कर पा रहे हैं. शुरुआती दौर में केन्द्र सरकार से वापस लौटे अफसरों को प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दी गई, पर उसका कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है. न चाहने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी को पुरानी सरकार में खास पदों पर रहे नौकरशाहों को यहां भी बड़ी जिम्मेदारी देने पर मजबूर होना पड़ रहा है. अफसर भी अब ऐसी बातों पर जोर देने लगे है जिनको सुनकर मुख्यमंत्री खुश हों.

पुलिस के एक अधिकारी का बयान आया कि ‘पुलिस उन सड़कों पर सघन चेकिंग अभियान चलायेगी, जहां से पशुओं को लाया ले जाया जाता है.’ उत्तर प्रदेश में अपराध और कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार के दावे हवा हो रहे हैं. सरकार के खिलाफ जनता सड़कों पर है. ऐसे में अफसर इस बात को लेकर सर्तक हैं कि किसी पशु के खिलाफ कुछ गलत न हो. ऊर्जा विभाग के अफसरों के दावे में आकर मुख्यमंत्री ने सभी जिलों को ज्यादा बिजली देने की घोषणा कर दी. हालत यह है कि बिजली की कमी से पूरा प्रदेश परेशान है. सरकार इस बात को मानने को तैयार नहीं है.

असल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा अच्छी है. वह कहते हैं ‘यह पद मेरे लिये दायित्व है. आभूषण नहीं, कर्तव्य है प्रतिष्ठा है पर साथ ही साथ परीक्षा भी है’. योगी के अफसर अपने काम से मुख्यमंत्री की तारीफ पाने के लिये ऐसे काम कर रहे हैं जिससे योगी खुश रहें. अतिउत्साह में किये जाने वाले काम योगी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी शहीद के घर सात्वंना देने गये तो वहां प्रशासन ने एसी से लेकर तमाम तरह के इंतजाम कर दिये. मुख्यमंत्री के वापस आते ही प्रशासन ने वह सब सामान घर से हटवा लिया. जो एक तरह से शहीद का अपमान सा लगा. मुख्यमंत्री योगी को ऐसे अफसरों की करतूतों से सावधान रहना चाहिये. काम भले ही अफसर करते हो पर इनका परिणाम नेताओं को ही भुगतना पड़ता है.

असहज परिस्थितियों में रहें सकारात्मक

सकारात्मकता सफलता की कुंजी है. असहज परिस्थितियों में संयम व धैर्य ही काम आते हैं. एक शोध के अनुसार पौजिटिविटी हमारे भीतर असीमित ऊर्जा का संचार कर एर्डोफिन नामक हारमोन स्रावित करने में सहायक होती है, जिस से हम प्रसन्नता का अनुभव करते हैं. अगर हम मुश्किल हालात में धैर्य व संयम खोने के बजाय मजबूत इरादों के साथ उन का मुकाबला करें तो निश्चित ही हमारी जीत होगी.

कई बार हम ऐसी असहज परिस्थिति में घिर जाते हैं, जहां स्थिति हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाती है. विशेषकर कार्यस्थल पर यह बहुत जरूरी होता है कि हम कार्य और स्थितियों के बीच बेहतर तालमेल बैठाएं. इस की संभावना तब होती है जब हम घबराने के बजाय बेहद संतुलन के साथ अपना उच्च कार्यप्रदर्शन दिखाएं. इस में सकारात्मकता अहम भूमिका निभाती है, प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स, जिन से प्रबंधन कौशल दिखाते हुए असहज परिस्थितियों से बचा जा सकता है :

ऐसे पाएं औफिस में तनाव से मुक्ति

बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रोजैक्ट बेस्ड समयसीमा आधारित काम होता है. लिमिटेड टाइमलाइन के भीतर बैस्ट परफौर्मैंस देनी होती है और ऐसे हालात कमोबेश सभी दफ्तरों में होते हैं जहां वर्क का एकदम प्रैशर रहता है. आप ऐसे हालात के लिए बिलकुल तैयार नहीं होते, तो ऐसी स्थिति में एकदम परेशान न हों और बेहतर कार्यनिष्पादन के लिए निम्न तरीके आजमाएं :

–  वर्क प्रोजैक्ट मिलने के बाद उस का अध्ययन करें. प्रोजैक्ट देखते ही उस की जटिलता व समयसीमा का अंदाजा न लगा लें. धैर्यपूर्वक उस का आकलन करें और टाइम फ्रैक्शन तैयार करें.

–  एक रोडमैप बनाएं, जिस से सीमित समयसीमा के भीतर गुणवत्तापूर्ण कार्य प्रदर्शन में सहायता मिलेगी.

–  संभव हो तो अपने किसी अनुभवी सीनियर की ऐक्सक्यूशन मैथड में सहायता लें बशर्ते काम नया हो या फिनिशिंग की जरूरत हो.

–  कुछ समय के लिए अपनी अन्य प्राथमिकताओं को साइड करें, क्योंकि अगर फोकस टारगेटेड वर्क पर होगा तो कार्यसंपादन उम्दा होगा.

–  संयमित रहेंगे तो उलझनों से बचेंगे अन्यथा कार्य पर इस का विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इस से प्रोजैक्ट पैंडिंग हो सकता है.

ऐसे रहें असहज परिस्थितियों में सहज

–  आपा न खोएं.

–  नर्वस होने के बजाय अपने सहकर्मियों से परामर्श करें.

–  जब कुछ समझ न आए तो बौस से अपनी समस्या साझा करें और राय लें. अपनी सूझबूझ और अनुभव से निश्चित तौर पर वे कुछ रास्ता सुझाएंगे.

– तनाव बिलकुल न लें. वर्क को विनविन सिचुएशन में अंजाम दें.

– पुराने प्रोजैक्ट व संगृहीत दस्तावेजों से भी सहायता ली जा सकती है.

–  कार्य व स्थिति की अपरिहार्यता निश्चित रूप से व्यक्ति को तनावग्रस्त करती है, तो जरूरी है नकारात्मक आवेगों से बचें.

–  सुकून, संयम व निष्ठा के साथ किया गया काम हमेशा बेहतर परिणाम देता है इसलिए कार्य के प्रति संवेदनशीलता भी जरूरी है.

कुल मिला कर कहा जा सकता है कि काम कभी तनाव में न करें. हलकेफुलके अंदाज में बड़े से बड़े प्रोजैक्ट को आसानी से कुशल प्रबंधन के साथ निष्पादित किया जा सकता है. कौशल, क्षमता और योग्यता तभी निखर पाएगी जब तनावमुक्त रहा जाए.

आज की जीवनशैली में तनाव, डर और घबराहट ने हर जगह अपना डेरा जमा रखा है, चाहे घर हो या औफिस, सिर पर हरदम तय वक्त पर असीमित काम निबटाने का बोझ रहता है, लेकिन परिस्थितियां तभी हमारे अनुकूल बनती हैं जब हम उन्हें अपनी इच्छानुसार सकारात्मक रहते हुए अपने हिसाब से मोड़ दें.

हमारे अंतस में असीमित ऊर्जा का भंडार है. अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस ऊर्जा को धनात्मक बनाएं या ऋणात्मक, पर यह तो सौ फीसदी सच है कि जीतेगा वही जिस में नकारात्मकता को भी सकारात्मकता में बदलने का माद्दा हो, जो अपने जनून और आदर्श पौजिटिव सोच से अपने आसपास का माहौल भी जीवंत ऊर्जा से भर दे.                    

बैंकों को भा नहीं रही यह पौलिसी

इंश्योरैंस कंपनी की रिवर्स मौर्टगेज की स्कीम का फायदा लेने के लिए एक 80 वर्षीय बुजुर्ग दरदर भटकता हुआ सर्वोच्च न्यायालय तक जा पहुंचा. रिवर्स मौर्टगेज में इंश्योरैंस कंपनी एक संपत्ति पहले रख कर पौलिसी लेने वाले को हर माह कुछ न कुछ देती रहती है और संपत्ति कंपनी को पौलिसीधारक की मृत्यु के बाद मिलती है.

यह पौलिसी वृद्ध अकेलों के लिए बहुत अच्छी है, जो अपना मकान किसे दे कर जाएं यह नहीं जानते और मकान में संपत्ति फंसी होने के कारण हाथ में पैसा भी नहीं रख पाते. शायद यह पौलिसी बैंकों और इंश्योरैंस कंपनियों को भा नहीं रही, क्योंकि इस में पौलिसीधारक की मृत्यु के बाद बहुत से पेच खड़े हो जाते होंगे. ये बुजुर्ग जब सर्वोच्च न्यायाधीश के सामने उपस्थित हुए तो उन्होंने भी कुछ खास नहीं कहा. हां, इतना आश्चर्य अवश्य जताया कि वृद्ध वित्त मंत्री से कैसे मिल लिए जबकि वे सर्वोच्च न्यायाधीश होने के बावजूद वित्त मंत्री से मुलाकात नहीं कर पाते.

इस देश में दिक्कत यही है कि हर अफसर अपने अधिकारों का एक जाल बुन लेता है जिसे पार कर अधिकारी तक पहुंचना कठिन हो जाता है. औरतों को तो और ज्यादा तकलीफ होती है और हर सरकारी दफ्तर में बीसियों औरतें हवाइयां उड़े चेहरे लिए खड़ी दिख जाती हैं, जो फाइलों से घिरे बाबुओं को घेर नहीं पातीं. आज जब अकेली औरतों की संख्या बढ़ रही है, उन्हें खुद ही सरकारी दफ्तरों, बैंकों, अदालतों, जेलों, निजी दफ्तरों, बिजली दफ्तरों, कर अफसरों के पास जाना पड़ता है.

जैसे वृद्ध के साथ लिहाज नहीं किया जाता वैसे ही औरतों को भी बारबार न सुनना पड़ता है और बेटा या बेटी साथ न हो तो वे बहुत तकलीफ पाती हैं. आमतौर पर अब औरतों को किसी भी जगह प्राथमिकता कम ही मिलती है. पुरुष खार खाए रहते हैं कि जो भी थोड़ीबहुत छूट औरतों को औरत होने के नाते मिल जाती है वह अन्याय है.

पुरुषों के मन में यह भी कहीं दबे रहता है कि औरतों को घरों में रह कर अपने हाल पर संतुष्ट रहना चाहिए और यदि किसी जुल्म का सामना करना पड़ रहा है, तो पौराणिक कहानियों की तरह अहिल्या बन कर दंड भोगना चाहिए चाहे दोषी कोई भी हो. वे आज भी इसी मानसिकता में रहते हैं कि स्त्री तो पिता, पति या बेटे के संरक्षण में रहे वरना उस का जीना ही बेकार है. जो लोग महान संस्कृति का ढोल पीटते रहते हैं उन्हें एहसास होना चाहिए कि हमारे यहां वृद्धों और औरतों के साथ इस तरह का व्यवहार होता है. हमारी संस्कृति में वृद्ध वानप्रस्थ्य लेते हैं, औरतें सती होती हैं, आज भी यही हो रहा है, बस दंड का स्वरूप बदल गया है.

VIDEO: जब मैदान पर ही हो गई क्रिकेट खिलाड़ियों के बीच मारामारी

क्रिकेट को भद्रजनों का खेल कहा जाता है. लेकिन क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे मौके आये हैं, जब जब मैदान पर खिलाड़ियों के बीच आपसी कहा सुनी झगड़े में बदल गयी है. जिसकी वजह से ये खेल शर्मसार हुआ है.

बीते वर्षों में मैदान पर खिलाड़ियों की भिड़ंत इतनी बढ़ी है कि मैच के अधिकारियों को बीच बचाव कराने पड़े और बाद में उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही भी हुई है. इस खेल में ऐसे मौके कई बार स्लेजिंग से शुरू हुए, बाद में लड़ाई में बदल गये.

आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं एक ऐसा ही वीडियो, जिसमें आप देखेंगे किस तरह मैदान पर ही हो गई क्रिकेट खिलाड़ियों के बीच मारामारी…

औरतें अपने पैरों पर खड़ी हों : प्रज्ञा भारती

साल 2003 में हैल्थ सैक्टर से समाजसेवा का काम शुरू करने वाली प्रज्ञा भारती आज बिहार में अच्छीखासी पहचान और इज्जत हासिल कर चुकी हैं. प्रज्ञा भारती साल 2005 से औरतों की तरक्की के लिए भी लगातार काम कर रही हैं. वे अब तक बिहार के 10 जिलों में 5 हजार औरतों को हुनरमंद बना चुकी हैं और 2 हजार औरतों को रोजगार दिला चुकी हैं. वे ‘परिहार सेवा संस्थान’ के तले औरतों को हुनरमंद बनाने के साथसाथ उन्हें रोजगार देने की मुहिम में लगी हुई हैं. साथ ही, वे पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रही हैं.

प्रज्ञा भारती कहती हैं कि औरतों को हुनरमंद बनाने के साथसाथ उन्हें रोजगार से जोड़ना जरूरी है. जब तक काम करने के बाद औरतों के हाथ में पैसा नहीं आएगा, तब तक उन के मन में अपने पैरों पर खड़ा होने का भाव नहीं आएगा.

फिलहाल प्रज्ञा भारती ‘वुमन फूड वैंडर योजना’ पर काम कर रही हैं. इस योजना में औरतों को ही रखा गया है. कैटरिंग से ले कर सर्विस तक के काम में औरतों को ही लगाया गया है. औरतें ही खाना पकाएंगी, परोसेंगी, पैक करेंगी और उसे पहुंचाएंगी. इस के लिए फिलहाल सौ औरतों को ट्रेंड किया गया है.

प्रज्ञा भारती कहती हैं कि घरेलू औरतों को उन के घर में ही काम देने की जरूरत है. इस से वे कमाई के साथसाथ अपने बच्चों और परिवार की भी देखरेख कर सकेंगी.

प्रज्ञा भारती बाल सुधारगृह के बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए स्पैशल ट्रेनिंग देने में लगी हुई हैं. इस से बाल सुधारगृह से बाहर निकल कर बच्चे रोजगार में लग सकेंगे.

प्रज्ञा भारती बताती हैं कि उन्होंने पटना कालेज से बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद मास कम्यूनिकेशन में एमए किया था. उस के बाद कुछ दिनों तक पत्रकारिता की, पर उस में मन नहीं रमा, क्योंकि वे समाजसेवा और औरतों को मजबूत करने की दिशा में कुछ ठोस काम करने के सपने देख रही थीं और साल 2003 में वे इस मुहिम में लग गईं.

सब से पहले उन्होंने पटना के स्लम एरिया कमला नेहरू नगर, कौशल नगर और कुम्हार टोली की औरतों के हालात का जायजा लिया और उन्हें हुनरमंद बनाने के काम में लग गईं.

इस के बाद प्रज्ञा भारती जहानाबाद और अरवल जैसे नक्सली पैठ वाले इलाकों में भी अपने दलबल के साथ पहुंच गईं और वहां की औरतों को काम सिखाने लगीं.

सिकरिया जैसे नक्सली इलाके, जहां पुलिस भी जाने से खौफ खाती थी, में पहुंच कर प्रज्ञा भारती ने औरतों के मन से मर्द के भरोसे बैठ कर जिंदगी गुजार देने के भाव को मिटाने में कामयाबी हासिल की.

प्रज्ञा भारती को औरतों और कमजोर लोगों को अपने पैरों पर खड़ा करने की सीख अपने मातापिता से मिली. उन के पिता बचपन से ही पोलियो के शिकार हो गए थे, इस के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और सांख्यिकी महकमे के डायरैक्टर पद तक पहुंचे.

प्रज्ञा भारती की मां ने भी शारीरिक रूप से कमजोर होने के बावजूद अपना कारोबार खड़ा किया. ह्वीलचेयर पर बैठ कर ही उन्होंने अपने कारोबार को आगे बढ़ाने में कामयाबी पाई. उन की मां की सोच है कि वे किसी के सहारे जिंदगी न गुजारें. इसी सोच ने प्रज्ञा भारती को भी कामयाब औरत बनाया है.  

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