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आखिर खुल ही गया पति की हत्या करवाने वाली ललिता का राज

30 जनवरी, 2017 की बात है. भगवानदास कुशवाह आंगन में बैठे चाय पी रहे थे. तभी उन की नजर भतीजे रामरतन के कमरे की तरफ गई. मांबाप की मौत के बाद रामरतन उन के साथ ही रह रहा था. करीब 10 महीने पहले भगवानदास ने ही रामरतन की शादी ललिता से कराई थी. उस समय उस की बीवी मायके गई हुई थी. रोजाना रामरतन सूरज निकलने से पहले ही सो कर उठ जाता था लेकिन उस दिन सुबह के करीब साढ़े 8 बज गए. तब भी रामरतन के कमरे का दरवाजा नहीं खुला था.

भगवानदास ने आंगन से ही रामरतन को कई आवाजें लगाईं पर उस के कमरे से कोई आवाज नहीं आई. तब वह चाय का प्याला एक तरफ रख कर दरवाजा खोल कर उस के कमरे में पहुंचे. रामरतन अपनी चारपाई पर था. उन्होंने उसे फिर कई आवाज दीं पर वह नहीं उठा.

तब उन्होंने आवाज देते हुए उसे झकझोरा. झकझोरते समय उन्हें कुछ शक हुआ तो उस की नब्ज टटोली. नब्ज गायब मिली और उस का शरीर भी एकदम ठंडा था. लग रहा था जैसे उस की मौत हो चुकी है.

भगवानदास घबराते हुए बाहर गए और पड़ोसियों को बुला लाए. सभी ने कमरे में पहुंच कर रामरतन की धड़कनों आदि को देखा तो पाया कि उस की मौत हो चुकी है. वह रात को खाना खा कर ठीकठाक सोया था तो यह अचानक हो क्या गया. भगवानदास समझ नहीं पाए.

रामरतन के गले पर कुछ निशानों को देख कर भगवानदास को शक हो गया कि उस की मौत स्वाभाविक नहीं हुई है बल्कि किसी ने उस की हत्या की है. इसलिए वह कुछ लोगों के साथ तिघरा थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी आर.पी. मिश्रा को उन्होंने रामरतन की मौत की बात बता दी.

थानाप्रभारी आर.पी. मिश्रा ने भगवानदास की बात को काफी गंभीरता से लिया और तत्काल फोर्स ले कर उन के साथ गांव तालपुरा के लिए रवाना हो गए. थाने से तालपुरा महज 4 किलोमीटर दूर था, इसलिए थानाप्रभारी 10-15 मिनट में ही घटनास्थल पर पहुंच गए.

तब तक भगवानदास के घर के बाहर गांव के काफी लोग जमा हो चुके थे. थानाप्रभारी ने लाश का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया तो मृतक की गरदन पर उन्हें कुछ निशान दिखाई दिए. गौर से देखने पर लग रहा था जैसे किसी ने उस का गला घोंटा हो.

मरने वाले की उम्र यही कोई 33 साल थी. तलाशी के दौरान मृतक की पैंट की जेब से कुछ रुपए और एक डायरी मिली. डायरी में नातेरिश्तेदारों के मोबाइल नंबर लिखे हुए थे. कमरे का सारा सामान अपनीअपनी जगह रखा था. कमरे का मुआयना करने के बाद नहीं लग रहा था कि वहां कोई लूट की वारदात हुई है. लग रहा था कि हत्या लूट के लिए नहीं बल्कि सुनियोजित तरीके से की गई है.

थानाप्रभारी के पूछने पर भगवानदास ने बताया कि रामरतन की पत्नी ललिता इन दिनों अपने मायके कुलैथ गई हुई है. उस के मायके वालों को इस घटना की सूचना भिजवा दी है. वे लोग आपस में बातें कर ही रहे थे कि इतने में ललिता दहाड़ मारती हुई उस कमरे में आ गई, जहां उस के पति की लाश पड़ी थी.

कुछ देर बाद थानाप्रभारी ने ललिता से पूछा, ‘‘क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारे पति की हत्या किस ने की होगी?’’

‘‘साहब, मैं तो अपने मायके में थी. मोए का मालूम किस ने मेरा सुहाग उजाड़ दयो.’’ इतना कह कर वह फिर सुबकने लगी.crime story

थानाप्रभारी की सूचना पर फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट ब्यूरो का स्टाफ भी वहां पहुंच गया. उन का काम निपट जाने के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई की और लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. इस के बाद थाने पहुंच कर भगवानदास की तहरीर पर अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर लिया.

थानाप्रभारी ने भगवानदास से बात की तो उन्होंने बताया कि ललिता के लाखन के साथ नजदीकी संबंध थे. रामरतन ललिता से कहता था कि वह लाखन से न मिला करे, पर वह नहीं मानी. उन्होंने ललिता पर ही रामरतन की हत्या का आरोप लगाया.

थानाप्रभारी जब उस दिन घटनास्थल पर गए थे तो उन्हें ललिता के हावभाव देख कर शक भी हो रहा था. उन्होंने भगवानदास से ललिता का फोन नंबर लेने के बाद उस की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स का अध्ययन करने पर पता चला कि ललिता एक फोन नंबर पर सब से ज्यादा बातें किया करती थी. उस फोन नंबर की जांच हुई तो वह ललिता के चचेरे देवर लाखन का निकला. लाखन के बारे में जांच की तो पता चला कि उस के ललिता के साथ नाजायज संबंध थे. यह जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी समझ गए कि रामरतन अपनी पत्नी ललिता और लाखन के अवैध संबंधों की भेंट चढ़ा है.

पुलिस ने एक बार फिर ललिता से पूछताछ की. उस ने बिना डरे बड़ी सफाई से सभी सवालों के जवाब दिए. पति से खटपट की बात तो उस ने स्वीकार की लेकिन उस की हत्या करने की बात को नकार दिया.

पुलिस के पास काल डिटेल्स के अलावा ललिता के खिलाफ ऐसा कोई ठोस अहम सबूत नहीं था जिस के आधार पर उसे गिरफ्तार किया जा सके.

अब पुलिस लाखन से पूछताछ करना चाहती थी. लेकिन वह घर से फरार हो चुका था. कई संभावित जगहों पर उसे तलाशा पर वह नहीं मिला. उस की फरारी ने थानाप्रभारी का शक और मजबूत कर दिया. लाखन से पूछताछ से पहले पुलिस ने ललिता को थाने बुलाना उचित नहीं समझा.

थानाप्रभारी ने गांव के मुखबिर को ललिता की निगरानी के लिए लगा दिया. करीब पौने 3 महीने बाद लाखन पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने रामरतन की हत्या करने की बात स्वीकार ली. उस ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों की बुनियाद पर रची निकली.

रामरतन और ललिता की शादी करीब 10 महीने पहले एक सामूहिक विवाह सम्मेलन में हुई थी. दोनों की उम्र में 13 साल का अंतर था. यानी 20 साल की ललिता की अपनी उम्र से 13 साल बड़े रामरतन से शादी तो हो गई थी, पर वह उस के साथ खुश नहीं थी.

इस का नतीजा यह हुआ कि शादी के एक पखवाड़े बाद ही पतिपत्नी में खटपट शुरू हो गई. वैसे भी रामरतन सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर के शाम को थकामांदा घर लौटता. वह पत्नी की जरूरतों का खयाल किए बिना ही सो जाता था.

ललिता ने इधरउधर नजरें दौड़ाईं तो उसे चचेरा देवर लाखन जंच गया. वह अविवाहित था. ललिता ने उसे अपने जाल में फांस लिया. जब घर में कोई नहीं होता तो वह उसे बुला लेती थी. इस तरह उन दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए.

धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. रामरतन निर्धारित समय पर रोजाना अपनी नौकरी पर निकल जाता था, उसी मौके का फायदा उठा कर ललिता लाखन को फोन कर घर पर बुला लेती थी. फिर दोनों अपनी हसरतें पूरी करते.

इस तरह के संबंधों को कोई लाख छिपाने की कोशिश करे, पर वह ज्यादा दिनों तक छिपे नहीं रहते. एक न एक दिन उजागर हो ही जाते हैं. लाखन का जब रामरतन की गैरमौजूदगी में उस के घर ज्यादा आनाजाना होने लगा तो लोगों का शक भी बढ़ गया.crime story

आखिरकार एक दिन रामरतन के एक पड़ोसी ने उस से कह ही दिया, ‘‘भैया, नौकरी तो तुम पूरी मुस्तैदी के साथ करते हो, मगर घरवाली का भी खयाल रखा करो.’’

‘‘मैं समझा नहीं, तुम क्या कहना चाह रहे हो?’’ रामरतन ने कहा.

‘‘आजकल लाखन तुम्हारे घर के खूब चक्कर लगा रहा है.’’ पड़ोसी बोला.

उस पड़ोसी की बात सुन कर रामरतन हक्काबक्का रह गया. उस ने ललिता से पूछा, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में लाखन आता है क्या?’’

‘‘आप से किस ने कहा कि आप की गैरमौजूदगी में लाखन आता है?’’ ललिता ने उलटे उस से सवाल किया.

‘‘किस ने कहा है, इस से मतलब मत रख, पर इतना समझ ले कि अब लाखन घर आए तो उसे कमरे में कतई नहीं आने देना. उसे ले कर समूचे तालपुरा में तरहतरह की चर्चाएं हो रही हैं. मैं कतई नहीं चाहता कि उस की वजह से हमारी गांव में बदनामी हो.’’ रामरतन बोला.

ललिता ने कोई जवाब नहीं दिया. रामरतन इस बात को ले कर काफी परेशान था. वह भी कुछ दिनों से महसूस कर रहा था कि ललिता का व्यवहार उस के प्रति उपेक्षापूर्ण रहने लगा है. उस से उसे लगा कि कहीं ललिता सही में मर्यादा की दीवार तो नहीं लांघ गई

उधर ललिता ने लाखन को फोन कर के बता दिया था कि पति को हम दोनों पर शक हो गया है इसलिए कुछ दिनों वह घर न आए. ललिता के कहने के बाद लाखन ने ऐहतियात बरती. उस दौरान वे केवल फोन पर ही बात कर लेते. पर खाली बातों से काम चलने वाला नहीं था. वे फिर से मिलने का उपाय खोजने लगे.

रामरतन अपनी नौकरी पर निकल जाता और भगवानदास अपने खेतों पर, इसी का फायदा उठा कर ललिता लाखन को फोन कर के कमरे पर बुला लेती.

इत्तफाक से एक दिन दोपहर में रामरतन की तबीयत अचानक खराब हो गई तो वह काम से घर लौट आया. संयोग से लाखन उस वक्त ललिता से मिलने उस के घर आया हुआ था. रामरतन को क्या पता था कि उस के पीछे घर में क्या हो रहा है. रामरतन आया और सीधा अपने कमरे में दाखिल हो गया. पर सामने का दृश्य देख कर वह भौचक्का रह गया. उस की पत्नी अपने चचेरे देवर लाखन की बांहों में समाई हुई थी.

यह देख कर गुस्से से रामरतन का खून खौल उठा. रामरतन को अचानक आया देख लाखन वहां से भाग गया. तब उस ने ललिता की जम कर पिटाई की.

गुस्सा शांत हो जाने के बाद रामरतन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह चरित्रहीन पत्नी का क्या करे. यदि वह उसे मायके भेज देगा तो समस्या यह थी कि रोटी कौन बनाएगा और नौकरी छोड़ कर पत्नी की रखवाली कर नहीं सकता था.

उधर ललिता का लाखन से इतना लगाव हो गया था कि वह उसे छोड़ना नहीं चाहती थी. इस के साथसाथ वह पति से भी नाता नहीं तोड़ना चाहती थी. क्योंकि जो सुखसुविधा रामरतन उसे दे रहा था, वह लाखन फिलहाल नहीं दे सकता था. क्योंकि वह तो बेरोजगार था. यही सब सोच कर ललिता ने पति से माफी मांगते हुए वादा किया कि आइंदा वह लाखन से नहीं मिलेगी. रामरतन को लगा कि ललिता को शायद अपनी गलती का अहसास हो गया है तो उस ने पत्नी को माफ कर दिया.

दूसरी ओर लाखन अब ललिता से मेलजोल बनाए रखने का साहस नहीं जुटा पा रहा था. क्योंकि उस दिन रामरतन ने उसे रंगेहाथों जो पकड़ लिया था. वह ललिता से कन्नी काटने लगा. मगर ललिता उस का पीछा कहां छोड़ने वाली थी. उस ने एक दिन लाखन से कह भी दिया कि वह उस के बिना नहीं रह सकेगी. अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से उस ने लाखन को मना लिया. लिहाजा पहले की तरह उन की रासलीला चलने लगी.

इस तरह रामरतन के पीठ पीछे वह अपनी हसरतें पूरी करते रहे. गांव वालों से रामरतन को पुन: पता चल गया कि लाखन अब भी उस के घर आता है.

लाखन और ललिता इश्क की राह में इतने दूर आ चुके थे कि अब वे किसी भी कीमत में वापस नहीं लौटना चाहते थे. इश्क का जुनून दोनों के सिर चढ़ कर बोल रहा था. आखिर एक दिन रामरतन ने उन दोनों को फिर रंगेहाथ पकड़ लिया. इस बार रामरतन ने ललिता की पिटाई करने के बजाय खरीखोटी सुनाई. बाद में उस ने पत्नी को समझाने की भरसक कोशिश की. लाखन उस दिन भी भाग गया था. रामरतन को लगा कि ललिता सुधरने वाली नहीं है इसलिए उस ने उसी दिन अपने मामा हरिज्ञान सिंह को बुला कर ललिता को उस के मायके कुलैथ भिजवा दिया.

रामरतन ने ललिता को भले ही उस के मायके भिजवा दिया पर उस ने खुद को नहीं बदला. कुछ दिनों बाद वह लाखन को फोन कर के एकांत में मिलने के लिए अपने मायके कुलैथ बुला लेती.

ललिता भले ही अपने मायके वालों की नजरों से बच कर लाखन के साथ रंगरलियां मना रही थी, लेकिन कुलैथ के लोगों की नजरों को वह कैसे चकमा दे सकती थी. यानी मायके में भी ललिता और लाखन के अवैध संबंधों को ले कर चर्चाएं होने लगीं. इस से ललिता के मांबाप और भाईभाभी की बदनामी होने लगी.

इस के बावजूद भी ललिता अपने प्रेमी लाखन को नहीं भूल पाई. एक दिन वह लाखन से बोली, ‘‘लाखन, मैं तेरे बिना अब जी नहीं सकती. अब मुझे हमेशाहमेशा के लिए तेरा साथ चाहिए. रामरतन के रहते यह संभव नहीं है क्योंकि वह हम दोनों के मिलन में रोड़ा बना हुआ है. इस रोड़े को अब हर हाल में हटाना होगा.’’

अपनी लच्छेदार बातों से ललिता ने लाखन से पति को रास्ते से हटाने के लिए रजामंद कर लिया. लाखन यह काम करने के लिए तैयार हो गया.

29 जनवरी, 2017 को ललिता के मातापिता और भाई रिश्तेदारी में शादी के कार्यक्रम में शरीक होने के लिए गए थे. घर पर सिर्फ ललिता और उस की भाभी ही थी. मौका देख कर आधी रात को ललिता ने लाखन को फोन कर के कुलैथ बुला लिया.  इस के बाद ललिता लाखन की मोटरसाइकिल पर बैठ कर तालपुरा के लिए निकल गई. रास्ते में स्थित पुलिया पर कुछ देर बैठ कर दोनों ने यह तय कर लिया कि आज रामरतन को हर हाल में रास्ते से हटाना है.

कुलैथ से तालपुरा पहुंच कर दोनों घर के पिछवाड़े की दीवार फांद कर दबे पांव रामरतन के कमरे में पहुंच गए. रामरतन उस समय गहरी नींद में सो रहा था. उस के चाचा भगवानदास दूसरे कमरे में थे. ललिता और लाखन ने रामरतन को दबोच लिया.

ललिता ने उस के हाथ पकड़े और लाखन छाती पर सवार हो गया. फिर दोनों हाथों से उस का गला दबाने लगा. रामरतन ने जान बचाने के लिए हाथपैर पटके तो ललिता ने उस के पैर कस कर पकड़ लिए.

कुछ ही देर में रामरतन की सांसें थम गईं. वह बेदम हो गया तो उसे उसी हालत में छोड़ कर दोनों दीवार फांद कर निकल गए. लाखन रात के अंतिम पहर में ही ललिता को उस के मायके कुलैथ छोड़ आया. जहां ललिता रात में ही नहाई. इतनी रात में नहाने पर उस की भाभी ने टोका तो ललिता ने बहाना बना दिया.

लाखन से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की प्रेमिका ललिता को भी गिरफ्तार कर लिया. थाने में उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

ललिता को क्या पता था कि पति की ढाई बीघा जमीन पर लाखन के साथ मौज करने के बजाय वह जेल चली जाएगी. पुलिस ने गिरफ्तार लाखन और ललिता को 22 मार्च को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक दोनों की जमानत नहीं हुई थी.

लेखक : मुकेश तिवारी/रणजीत सुर्वे

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

4 साल की बच्ची के लिए फरिश्ता बना औटोरिक्शा चालक

ग्वालियर के ख्वाजानगर के रहने वाले हेमराज सिंह 29 दिसंबर, 2016 को अपने परिवार के साथ शहर के प्रसिद्ध साईंबाबा मंदिर गए थे. वहीं उन की 4 साल की बेटी दिव्या बिछुड़ गई. हेमराज सिंह और उन की पत्नी बेटी को इधरउधर खोजने लगे, पर वह कहीं दिखाई नहीं दी.

उन्होंने बच्ची को मंदिर परिसर से ले कर बाहर सड़क तक तलाशा, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चल सका. कुछ ही देर में बच्ची के गायब होने की खबर मंदिर परिसर में मौजूद लोगों के बीच फैल गई. किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम और नजदीकी पुलिस स्टेशन में दिव्या के गुम होने की सूचना दे दी. पुलिस को सूचना देने के बावजूद भी हेमराज सिंह और उन की पत्नी बेटी को मंदिर के आसपास खोजते रहे.

उसी बीच एक महिला एक औटोरिक्शा में बैठते हुए औटोचालक से बोली कि उसे बसअड्डा जाना है. उस महिला के साथ जो बच्ची थी, उस की उम्र यही कोई 3-4 साल थी. वह बच्ची लगातार रोए जा रही थी. उसे चुप कराने के लिए वह महिला उसे खाने को कभी बिसकुट तो कभी कुछ और चीजें दे रही थी. पर वह बच्ची रोते हुए अपनी मां के पास जाने के लिए कह रही थी. बच्ची को इस तरह रोता देख औटोचालक हरिमोहन चौरसिया को कुछ शक हुआ तो उस ने महिला से पूछा कि यह बच्ची क्यों रो रही है?

‘‘दरअसल, इस बच्ची की मां अस्पताल में भरती है. यह उस के पास जाने की जिद कर रही है.’’ महिला ने कहा. हरिमोहन को उस महिला की बात पर विश्वास नहीं हुआ. उसे दाल में कुछ काला नजर आया. लिहाजा वह अपने औटो को रास्ते में पड़ने वाले इंदरगंज थाने में ले गया. महिला ने जब औटो थाने में लाने के बारे में पूछा तो ड्राइवर हरिमोहन ने कहा कि उसे थाने में किसी से 2 मिनट बात करनी है.

हरिमोहन ने थाने में मौजूद हैडकांस्टेबल राजकिशोर त्रिपाठी को महिला पर हो रहे अपने शक के बारे में बता दिया. हरिमोहन की बात सुन कर हैडकांस्टेबल राजकिशोर उस के औटोरिक्शा के पास पहुंचे और महिला को पूछताछ के लिए औफिस में ले आए. पूछताछ में महिला ने बताया कि वह इस बच्ची की पड़ोसन है. इस बच्ची की मां सरकारी अस्पताल में भरती है. मैं इसे इस की मां से मिलवाने के लिए ले जा रही हूं.crime news

हैडकांस्टेबल को भी उस महिला की बातों पर शक हुआ तो उस ने उस बच्ची को अलग ले जा कर बात की. उस ने कहा, ‘‘अंकल, मेरा नाम दिव्या है. मैं तो अपने मम्मीपापा के साथ साईंबाबा मंदिर में दर्शन के लिए गई थी. यह जो आंटी मुझे ले जा रही हैं, इन्हें मैं नहीं जानती. मेरी मम्मी अस्पताल में नहीं भरती हैं. पता नहीं यह मुझे कहां ले जा रही हैं?’’ इतना कह कर दिव्या रोने लगी.

हैडकांस्टेबल राजकिशोर को अब मामला समझ में आ गया. उस ने उस समय उस महिला से कुछ नहीं कहा. उसे थाने में बिठा कर वह दिव्या को मोटरसाइकिल पर बिठा कर साईंबाबा मंदिर ले गया. वहां दिव्या के पिता हेमराज सिंह और उन की पत्नी मिल गई. दोनों ही परेशान थे. जैसे ही उन्होंने पुलिस वाले के साथ अपनी बेटी को देखा, उन के चेहरे पर खुशी की चमक लौट आई.

मां ने दिव्या को सीने से लगा लिया. कई मिनट तक वह उसे पुचकारती रही. हेमराज सिंह ने जब दिव्या के साथ आए पुलिस वाले से पूछा कि उन्हें उन की बेटी कहां मिली तो उस ने बताया कि एक महिला इस का अपहरण कर औटो में बैठा कर कहीं ले जा रही थी. वह तो भला हो उस औटो वाले का जो अपना औटो सीधे थाने ले आया और आप की बच्ची गलत जगह पहुंचने से बच गई. बेटी को बचाने वाले उस औटोचालक को बहुत दुआएं दीं. इस के बाद हैडकांस्टेबल राजकिशोर हेमराज और उन की पत्नी को थाने ले आए.

थाने पहुंचने के बाद हैडकांस्टेबल ने पूरी जानकारी थानाप्रभारी को दी. दिव्या का अपहरण कर के ले जा रही महिला से हैडकांस्टेबल राजकिशोर त्रिपाठी ने पूछताछ की तो उस महिला ने अपना नाम लक्ष्मी उर्फ मुन्नीबाई बताया. वह डबरा कस्बे की जवाहर कालोनी की रहने वाली थी.

सख्ती से की गई पूछताछ में उस ने स्वीकार कर लिया कि वह बच्चों को चुराने वाले गैंग से जुड़ी है. इस बच्ची को भी वह चुरा कर ले जा रही थी.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी एसपी डा. आशीष खरे को दी. जिले के अलगअलग क्षेत्रों से अनेक बच्चियां गायब हो चुकी थीं. उन का कोई सुराग नहीं मिल रहा था, इसलिए उन्होंने झांसी रोड सर्किल के सीएसपी डी.बी.एस. भदौरिया को इस मामले की जांच करने को कहा.

सीएसपी भदौरिया ने महिला पुलिस की मदद से लक्ष्मी से पूछताछ की तो उस ने  सारा राज उगल दिया. पता चला कि लक्ष्मी के गैंग में 8 लोग शामिल थे और ये तमाम बच्चियों को चुरा कर अलगअलग जगहों पर भेज चुके हैं. एक बच्ची चुराने के लिए उन्हें 25 से 30 हजार रुपए मिलते थे. पैसे के लालच में लक्ष्मी के 2 बेटे राजेश और राजू भी यही काम कर रहे थे.

लक्ष्मी ने बताया था कि उस के गैंग में 3 महिलाएं और 5 शातिर पुरुष शामिल हैं. कई शहरों में मौजूद दलालों से बच्चियों को सप्लाई करने का सौदा किया जाता है. कभीकभी दलाल डील के बदले एडवांस में भी पैसे देते थे.

गैंग के सदस्य रेलवे स्टेशनों, बसअड्डे, मंदिरों आदि भीड़भाड़ वाले इलाकों में सक्रिय रहते हैं. पता चला कि गैंग के टारगेट में केवल छोटी बच्चियां ही होती हैं. बच्ची को अगवा करने के बाद कुछ दिनों तक ये अपने ठिकाने पर रखते हैं, फिर उन्हें दूसरी जगहों पर रख कर भीख मंगवाई जाती है और जवान होने पर उन्हें जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया जाता है. पता चला है कि 50 वर्षीया लक्ष्मी ही गैंग की मुखिया थी.

सीएसपी डी.बी.एस. भदौरिया ने लक्ष्मी से सभी राज खुलवाने के बाद लक्ष्मी की निशानदेही पर ग्वालियर के गिर्जोरा गांव से राममिलन कंजर, रामदास कुशवाह और लक्ष्मी के दोनों बेटों राजू और राजेश के घर दबिश दे कर गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने इन के पास से अगवा की गई 3 बच्चियों को बरामद किया था.

इस के बाद एक पुलिस टीम राजस्थान के धौलपुर जिला भेजी गई. वहां से पुलिस ने सरनाम कंजर को धर दबोचा. उस के पास से पुलिस ने अगवा की गई 2 बच्चियां बरामद कीं. ग्वालियर जिले का बदनापुरा क्षेत्र वेश्यावृत्ति के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर रोशनबाई और आकाश कालकोट के घर दबिश दी गई. उस के पास से भी 2 बच्चियां बरामद की गईं. 

गैंग का नेटवर्क देश के 5 राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ था.

पुलिस ने 8 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर उन के पास से ग्वालियर के माधोगंज की 6 वर्षीया मोहिनी माहौर, गुढ़ागढ़ी के नाके की 5 वर्षीया नेहा खान, नई बस्ती ललितपुर की 6 साल की कांती, मोहनगढ़ की 4 साल की नैना, 8 साल की राशि, 4 साल की अंजलि, 5 साल की प्राची और 4 साल की रज्जो उर्फ आयशा को बरामद किया.

यह पुलिस के लिए बहुत बड़ी सफलता थी. पुलिस ने बरामद की गई सभी बच्चियां उन के मातापिता को सौंप दीं. अपनी बच्चियों को पा कर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

इस सफलता के लिए सीएसपी डी.बी.एस. भदौरिया और औटो चालक हरिमोहन को प्रदेश की राजधानी भोपाल में बाल आयोग द्वारा सम्मानित किया गया. औटोरिक्शा चालक की चौकसी के बाद यदि लक्ष्मी नहीं पकड़ी जाती तो पता नहीं यह गैंग कितनी और बच्चियों को चुरा कर उन का जीवन तबाह कर देता.

वासना की भेंट चढ़ी नंदिनी : हवस और हत्या की हैरान कर देने वाली कहानी

1 मार्च, 2017 की सुबह सरिता की आंख खुली तो बेटी को बिस्तर पर न पा कर वह परेशान  हो उठी. उस की समझ में नहीं आया कि 6 साल की मासूम बच्ची सुबहसुबह उठ कर कहां चली गई. उस ने कई आवाजें लगाईं, जब वह नहीं बोली तो उस ने सोचा कि कहीं वह चाची के पास तो नहीं चली गई. वह देवरानी रीना के घर गई, लेकिन नंदिनी वहां भी नहीं थी.

नंदिनी के इस तरह गायब होने से रीना भी परेशान हो उठी. वह जिस हालत में थी, उसी हालत में सरिता के साथ नंदिनी की तलाश में निकल पड़ी. सरिता और उस की देवरानी रीना अकेली ही थीं. दोनों के ही पति विदेश में रहते थे. कोई मर्द न होने की वजह से नंदिनी को ले कर दोनों कुछ ज्यादा ही परेशान थीं.

धीरेधीरे नंदिनी के गायब होने की बात गांव वालों को पता चली तो सरिता से सहानुभूति रखने वाले उस के साथ नंदिनी की तलाश में लग गए. बेटी के न मिलने से सरिता काफी परेशान थी.

बेटी को तलाशती हुई वह अकेली ही गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर कुआवल नदी पर बने पुल पर पहुंची तो वहां से नदी के किनारे एक जगह पर भीड़ लगी दिखाई दी. उत्सुकतावश सरिता वहां पहुंची तो नदी के रेत पर उसे एक बच्ची का अर्द्धनग्न शव दिखाई दिया. सरिता का कलेजा धड़क उठा, क्योंकि वह लाश उस की बेटी नंदिनी की थी.

बेटी की लाश देख कर वह चीखचीख कर रोने लगी. उस के इस तरह रोने से वहां इकट्ठा लोगों को समझते देर नहीं लगी कि लाश इस की बेटी की है. थोड़ी ही देर में यह खबर जंगल की आग की तरह हरपुरबुदहट गांव पहुंची तो गांव वाले घटनास्थल पर आ पहुंचे.

किसी ने इस बात की सूचना थाना हरपुरबुदहट पुलिस को दे दी थी. थानाप्रभारी बृजेश कुमार यादव पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने इस घटना की सूचना एसएसपी रामलाल वर्मा, एसपी (ग्रामीण) ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी और सीओ को भी दे दी थी. कुछ देर में ये पुलिस अधिकारी भी आ गए थे.

घटनास्थल और लाश की बारीकी से जांच की गई. लाश और घटनास्थल की स्थिति देख कर यही लग रहा था कि हत्या कहीं और कर के लाश वहां ला कर फेंकी गई थी. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज भिजवा दिया.

बृजेश कुमार यादव ने जांच शुरू की तो पता चला कि जमीन को ले कर गांव के ही चांदबली और उन के बेटे दुर्वासा से सरिता की रंजिश थी. सरिता ने उन पर आशंका भी व्यक्त की थी. सूचना पा कर विदेश में रह रहा सरिता का पति दिनेश कुमार भी आ गया था. उस ने बेटी की हत्या के लिए चांदबली और दुर्वासा को जिम्मेदार ठहराते हुए उन के खिलाफ तहरीर भी दे दी थी. दिनेश की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने बापबेटे को गिरफ्तार कर लिया था.

पुलिस ने चांदबली और उस के बेटे दुर्वासा से नंदिनी की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की, लेकिन वे खुद को निर्दोष बताते रहे. जब नंदिनी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो सारी कहानी ही बदल गई. जिस चांदबली और उस के बेटे को पुलिस जमीन के विवाद की वजह से नंदिनी की हत्या का दोषी मान रही थी, वह गलत निकला. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, हत्या से पहले नंदिनी के साथ दुष्कर्म भी किया गया था.crime story

चांदबली और दुर्वासा ऐसा नहीं कर सकते थे. यह पुलिस ही नहीं, नंदिनी के घर वाले भी मान रहे थे. जब बापबेटे इस मामले में निर्दोष पाए गए तो पुलिस ने उन्हें हिदायत दे कर छोड़ दिया और इस मामले में नए सिरे से जांच में जुट गई.

बृजेश कुमार यादव ने घटना के खुलासे के लिए मुखबिरों की मदद ली. घटना के 12 दिनों बाद 12 मार्च, 2017 को एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी कि गांव का ही 22 साल का गोरखप्रसाद इधर कुछ दिनों से सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं खा रहा है. डेढ़ साल पहले उस की पत्नी उसे छोड़ कर मायके चली गई थी. मुखबिर की इस बात से पुलिस को लगा कि हो न हो, सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवा खाने वाले गोरखप्रसाद ने ही मासूम नंदिनी के साथ दुष्कर्म किया हो और पहचाने जाने के डर से उस की हत्या कर दी हो.

बृजेश कुमार यादव ने शक के आधार पर गोरखप्रसाद को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने मासूम नंदिनी के साथ दुष्कर्म कर हत्या की बात स्वीकार कर ली. उस ने वजह बताई कि नंदिनी की चाची रीना ने उसे धोखा दिया था, इसलिए उस ने बदला लेने के लिए यह सब किया.

‘‘नंदिनी की चाची ने तुम्हारे साथ कैसा धोखा किया?’’ बृजेश कुमार यादव ने पूछा.

‘‘सर, वह मुझ से प्यार करती थी लेकिन इधर वह मुझ से कटीकटी रहने लगी, जबकि उसी की वजह से मेरी पत्नी छोड़ कर चली गई. अब वह किसी और से प्यार करने लगी थी.’’ गोरखप्रसाद ने कहा.

गोरखप्रसाद द्वारा अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस उसे उस जगह पर ले गई, जहां उस ने यह सब किया था. घटनास्थल से पुलिस ने मृतका नंदिनी के कपड़े बरामद किए. इस के बाद रोजनामचे से चांदबली और दुर्वासा का नाम हटा कर गोरखप्रसाद को आरोपी बना कर उसी दिन अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. गोरखप्रसाद ने पुलिस को नंदिनी की चाची रीना से प्रेम करने से ले कर उस की हत्या तक की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

22 साल का गोरखप्रसाद जिला गोरखपुर के थाना हरपुरबुदहट का रहने वाला था. 2 भाईबहनों में वह सब से बड़ा था. उस के पिता खेती करते थे. इंटर तक पढ़ा गोरखप्रसाद छोटामोटा काम करता था. उस के घर से थोड़ी दूरी पर रीना का घर था. पड़ोसी होने के नाते रीना के पति विनोद से उस की खूब पटती थी. रिश्ते में वह गोरखप्रसाद का चाचा लगता था.

विनोद बड़े भाई दिनेश के साथ विदेश कमाने चला गया तो घर में रीना अकेली रह गई. जेठानी सरिता भी बेटी के साथ रहती थी. रीना का कोई बच्चा नहीं था. दोनों भाइयों के बीच नंदिनी ही एकलौती बेटी थी, इसलिए वह पूरे परिवार की दुलारी थी. विनोद के विदेश चले जाने के बाद भी गोरखप्रसाद उस के घर आताजाता रहा. इसी आनेजाने में उस की नजर रीना पर जम गई. अविवाहित गोरखप्रसाद को लगा कि रीना का पति बाहर रहता है, अगर कोशिश की जाए तो वह उस के वश में आ सकती है.

बस फिर क्या था, वह रीना को चाहतभरी नजरों से ताकने लगा. जल्दी ही रीना ने उस के मन की बात को ताड़ भी लिया. रीना भी पुरुष सुख से वंचित थी, इसलिए उसे गोरखप्रसाद का इस तरह देखना अच्छा लगा. गोरखप्रसाद गबरू जवान था, रीना भी उस पर मर मिटी. जब दोनों ओर से चाहत जागी तो वे मिलने का मौका तलाशने लगे.crime story

एक दिन दोपहर को गोरखप्रसाद रीना के घर पहुंचा तो सरिता बेटी को ले कर कहीं गई हुई थी. घर में रीना अकेली ही थी. उसे देखते ही रीना ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘आओ…आओ, बैठो. कहो, कैसे आना हुआ?’’

गोरखप्रसाद रीना से सट कर बैठते हुए बोला, ‘‘बस, आप के दीदार करने चला आया. बताओ, कैसी हो तुम?’’

‘‘अच्छी हूं, तुम्हारे चाचा की याद में एकएक दिन काट रही हूं.’’

‘‘और दिन है कि काटे नहीं कट रहे.’’

‘‘हां, सच कहते हो. लेकिन मन की बात कहूं भी तो किस से. निगोड़ी रात है कि काली नागिन की तरह डंसती है. पति के बिना बिस्तर कांटों की तरह चुभता है.’’

‘‘चाहो तो मुझ से कह सकती हो. मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. आखिर मैं किस दिन के लिए हूं चाची.’’

‘‘तुम्हारी इसी अदा पर तो मैं तुम पर मर मिटी हूं. लेकिन तुम भी तो दूर से ही देख कर चले जाते हो.’’

‘‘क्यों, इस गरीब का मजाक उड़ा रही हो. मर तो मैं तुम पर गया हूं. मुझे लगता है, मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा.’’

‘‘मुझे भी यही लगता है.’’ कह कर रीना ने गोरखप्रसाद को बांहों में भर लिया.

इस के बाद तो रिश्तों के बारे में न रीना ने सोचा और न गोरखप्रसाद ने. रिश्तों को तारतार करने का दोनों ने पश्चाताप भी नहीं किया. जबकि दोनों चाचीभतीजे तो थे ही, उम्र में भी 8 साल का अंतर था. एक बार मर्यादा टूटी तो सिलसिला बन गया. जब भी दोनों को मौका मिलता, जिस्म की भूख मिटा लेते.

गोरखप्रसाद ने रीना से वादा किया था कि वह उसी का हो कर रहेगा. लेकिन उस ने रीना को बताए बगैर शादी कर ली. रीना को पता तो तभी चल गया था, जब उस की शादी तय हुई थी. लेकिन शादी होने तक गोरखप्रसाद मुंह छिपाए रहा. प्रेमी की इस बेवफाई से त्रस्त रीना ने भी तय कर लिया था कि गोरखप्रसाद से ऐसा बदला लेगी कि वह सोच भी नहीं सकता.

उस ने कुछ ऐसा किया भी. उसी की वजह से शादी के एक हफ्ते बाद ही गोरखप्रसाद की पत्नी उसे छोड़ कर चली गई. उस ने आरोप लगाया कि उस का पति नामर्द है. वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाता. इस तरह रीना ने प्रेमी से उस की बेवफाई का बदला ले लिया. जबकि रीना ने उस से अपने संबंधों के बारे में बता दिया था.

गोरखप्रसाद की पत्नी ने उस पर जो आरोप लगाया था, उस से गांव में गोरखप्रसाद की खूब बदनामी हुई. गांव वालों के सामने निकलने में उसे शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी. पत्नी छोड़ कर चली गई तो गोरखप्रसाद रीना के घर के चक्कर लगाने लगा. रीना ने उसे प्यार तो दिया, लेकिन अब पहले वाली बात नहीं रही. शायद वह उस की बेवफाई को भुला नहीं पाई थी.

गोरखप्रसाद की इस बेवफाई से नाराज रीना ने किसी और से संबंध बना लिए थे. इसीलिए वह गोरखप्रसाद को पहले जैसा प्यार नहीं दे रही थी. रीना उस से कटीकटी रहने लगी थी. रीना का यह व्यवहार गोरखप्रसाद को अखरने लगा था. इस से उसे लगा कि पत्नी ने उस पर जो आरोप लगाया था, वह सच है. रीना भी उस की नामर्दी की वजह से उसे पहले जैसा प्यार नहीं दे रही है.crime story

यही सोच कर गोरखप्रसाद मर्दानगी बढ़ाने के लिए नौसड़ के एक वैद्य से इलाज कराने लगा. 6 महीने तक इलाज कराने से वह खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस करने लगा था.

27 फरवरी, 2017 की रात गांव में एक बारात आई थी. बारात के साथ आर्केस्ट्रा भी था. घर से निकलने से पहले गोरखप्रसाद ने सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवा खा ली और आर्केस्ट्रा देखने चला गया. दवा ने अपना असर दिखाया तो उसे रीना की याद आई. उस के जिस्म में शारीरिक सुख का कीड़ा कुलबुलाया तो वह रीना के घर जा पहुंचा.

उस समय रात के करीब 12 बज रहे थे. गहरी नींद में सोई रीना के जिस्म पर गोरखप्रसाद ने हाथ फेरा तो रीना चौंक कर उठ बैठी. गोरखप्रसाद को देख कर उस ने कहा, ‘‘इतनी रात को तुम यहां क्या कर रहे हो?’’

‘‘तुम से मिलने आया हूं.’’

‘‘देखो, अभी मेरा मन नहीं है. मुझे सोने दो.’’

‘‘मेरा बड़ा मन है. मन नहीं मान रहा.’’

‘‘मैं ने तुम्हारे मन को मनाने का ठेका ले रखा है क्या?’’

‘‘मेरी हालत पर तरस खाओ रीना, तुम्हारा प्यार पाने के लिए मन बड़ा बेचैन है. खुद को संभाल नहीं पा रहा हूं.’’

‘‘कहा न, मैं ने तुम्हारे मन को मनाने का ठेका नहीं ले रखा. जाते हो या…’’ रीना गुर्राई.

‘‘ठीक है भई, जाता हूं, नाराज क्यों हो रही हो.’’ कह कर गोरखप्रसाद रीना के पास से उठ कर आगे बढ़ा तो बरामदे में रीना की जेठानी सरिता अपनी मासूम बेटी नंदिनी के साथ सोती दिखाई दी. नंदिनी को देख कर उस की नीयत खराब हो गई, साथ ही रीना की बेवफाई भी याद आ गई. उस से बदला लेने के लिए वह दबे पांव सरिता की चारपाई के पास पहुंचा और गहरी नींद में सो रही नंदिनी को गोद में उठा कर बाग की ओर चल पड़ा.

बाग में पहुंच कर नंदिनी की आंखें खुलीं तो वह रोने लगी. गोरखप्रसाद पूरी तरह से हैवान बन चुका था. उस ने नंदिनी के कपड़े उतार दिए और जब उस के साथ जबरदस्ती की तो वह चिल्ला पड़ी. उसे चुप कराने के लिए गोरखप्रसाद ने उस का मुंह इतने जोर से दबाया कि उस की सांस थम गई. इसी के साथ उस ने पूरी ताकत से उस के सिर पर 2-3 घूंसे भी मार दिए थे. रहीसही कसर इन घूंसों ने पूरी कर दी थी.

जिस्म की आग ठंडी पड़ी तो उस ने नंदिनी को हिलाडुला कर देखा. उस के शरीर में हरकत न होते देख गोरखप्रसाद कांप उठा. उस ने सोचा कि अगर उस ने नंदिनी की लाश को यहां छोड़ दिया तो वह कभी भी पकड़ा जा सकता है. इसलिए उस ने नंदिनी की लाश को कंधे पर रखा और गांव से 3 किलोमीटर दूर ले जा कर कुआवल नदी में फेंक कर वापस आ गया. रीना ने कभी यह नहीं सोच रहा होगा कि उस का प्रेमी गोरखप्रसाद दरिंदगी की इस हद तक गुजर जाएगा और उस के घर का चिराग बुझा देगा. रीना पश्चाताप की आग में जल रही है. क्योंकि उसी के कारण मासूम बेटी नंदिनी की जान गई.

रीना का कोई दोष नहीं था, इसलिए पुलिस ने उस पर कोई काररवाई नहीं की. कथा लिखे जाने तक गोरखप्रसाद जेल में बंद था. पुलिस ने जांच पूरी कर आरोपपत्र दाखिल कर दिया था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कुछ पात्रों के नाम बदले गए हैं.

इस तरीके से अपने बालों को दें मनचाहा स्टाइल

अपने बालों को सही स्टाइल देना किसी चुनौती से कम नहीं होता. इस के लिए जरूरी है कि आप अपने बालों का प्रकार समझें. इस से प्रयोग में आने वाले प्रोडक्ट्स व टूल्स का सलैक्शन करना भी आसान हो जाता है.

बाल मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं- मोटे बाल, मध्यम श्रेणी के बाल और पतले व मुलायम बाल. अपने बालों का प्रकार जानने का सब से सहज तरीका है रबड़ बैंड की सहायता से बालों की पोनीटेल बांध लें. यदि आप रबड़ को एक बार में ही घुमा लेती हैं तो समझें बाल मोटे हैं. यदि रबड़ को बारबार लपेटना पड़े तो समझें आप के बाल मध्यम श्रेणी के हैं और यदि रबड़ कई दफा लपेटना पड़ जाए तो बाल पतले कहलाएंगे.

हेयर टैक्स्चर

बालों के प्रकार के अलावा उन की संरचना (टैक्स्चर) भी अलगअलग होती है. उदाहरण के लिए सीधे यानी स्ट्रेट, घुंघराले (कर्ली), वेवी और क्रिंकी बाल. बालों की संरचना का पता भी आप आसानी से लगा सकती हैं. इस के लिए जब बाल प्राकृतिक अवस्था में हों तो आईने के आगे खड़ी हो जाएं और गौर से देखें. आप को अपने बालों की संरचना समझ में आ जाएगी.

एक बार जब अपने बालों के प्रकार और संरचना की जानकारी हो जाती है तो फिर आप वे प्रोडक्ट्स आसानी से खरीद पाती हैं, जो आप के बालों के लिए मुफीद होते हैं, इस से बालों को सही स्टाइल दे पाना आसान हो जाता है.

बालों की कर्लिंग

यदि आप के बाल प्राकृतिक रूप से स्ट्रेट या थोड़े वेवी हैं तो संभव है आप उन्हें कर्ली रूप देना चाहेंगी. यह कोई कठिन काम नहीं.

आइए जानते हैं कि बालों को बेहतर तरीके से कैसे कर्ल किया जाए-

सिरैमिक कर्लिंग आयरन चुनिए, यह बालों को अंदर से बाहर की तरफ हीट देता है, जिस से आसानी से कर्ल्स बनते हैं. हां, इस बात का ध्यान रखें कि इस में आसानी से तापमान नियंत्रित करने की सुविधा हो ताकि आप अपने बालों के प्रकार के अनुसार तापमान नियंत्रित कर सकें. पतले बालों के लिए कम और मोटे या घने बालों के लिए अधिक तापमान की जरूरत पड़ती है.

यदि आप भीगे बालों के साथ इस प्रक्रिया की शुरुआत करने वाली हैं तो एक लाइट वेट हेयर मूस में केयोकार्पिन की 3-4 बूंदें मिला कर बालों के छोटे छोटे हिस्से कर लगाएं और फिर सुखा लें.

गरदन के पिछले हिस्से के बालों से शुरू करें. बालों के छोटे छोटे सैक्शन बना कर आयरन के बैरल लपेटें. पीछे के बालों पर प्रक्रिया पूरी करने के बाद आगे के दोनों तरफ के बालों पर भी इसे दोहराएं. सिर के ऊपरी हिस्से के बालों को जब आयरन से पलटें तो दिशा बदल दें ताकि लुक बेहतर निकल कर आए.

केयोकार्पिन तेल की कुछ बूंदें अपनी उंगलियों पर लगाएं और बालों पर फिराएं ताकि नैचुरल फिनिश आ सके.

अब बालों पर स्प्रे करें और छोड़ दें.

यदि आप के बाल प्राकृतिक रूप से कर्ली या वेवी हैं तो डैमेज के डर से उन्हें वैसा ही छोड़ देना ठीक नहीं है. सही प्रोडक्ट्स और उन के बेहतर प्रयोग के जरीए बालों को चमकदार और खूबसूरत रूप दिया जा सकता है.

स्ट्रेटनिंग

सिरैमिक प्लेट्स वाले फ्लैट आयरन का चुनाव करें, क्योंकि यह बालों पर कठोर नहीं होता और उन्हें डैमेज नहीं करता.

बालों पर प्रैसिंग की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उन्हें तैयार करना और वैसे प्रोडक्ट्स लगाना जरूरी है जो इस प्रक्रिया को सहज बनाएं और बालों को हीट से होने वाले नुकसान से भी बचाएं.

स्मूदिंग शैंपू से बालों को धोएं. फिर कंडीशनिंग करने के बाद सुखा लें.

अब एक थर्मल प्रोटैक्शन फ्लुइड ऐप्लाई कर के प्रैसिंग की प्रक्रिया शुरू करें.

पूरी प्रक्रिया खत्म करने के बाद केयोकार्पिन तेल की 3-4 बूंदें हथेली पर ले कर बालों पर लगाएं ताकि उन में चमक आ जाए.

साड़ी ड्रैपिंग के ये हौट स्टाइल आपकी खूबसूरती में लगा देंगे चार चांद

साड़ी ऐसा पहनावा है, जो पारंपरिक होते हुए भी हौट लुक दे सकता है. साड़ी हर किसी पर फबती है. इसे पहनने का तरीका हर प्रदेश में अलगअलग होता है. लहंगा, बटरफ्लाई, जलपरी आदि प्रचलित स्टाइलों में से हैं. साड़ी पहनने के कुछ हौट स्टाइल निम्न हैं:

बटरफ्लाई साड़ी: बटरफ्लाई स्टाइल साड़ी डिजाइन में साड़ी पहनने का तरीका निवी स्टाइल जैसा होता है. सिर्फ पल्लू का अंतर होता है. इस साड़ी स्टाइल में पल्लू को काफी पतला कर दिया जाता है, जिस से शरीर का मध्यम भाग दिखता है.

पैंट स्टाइल: पैंट और जैगिंग के साथ साड़ी को एक लाजवाब स्टाइल दे सकते हैं. यह लेटैस्ट फैशन लड़कियों और महिलाओं का पसंदीदा स्टाइल बन चुका है. सौलिड पैंट के लिए आप प्रिंटेड साड़ी चुन सकती हैं. यह एक बहुत अच्छा मेल बनेगा और आप इस में बेहद खूबसूरत लगेंगी.

निवी साड़ी: निवी साड़ी ओढ़ना काफी आसान है और यह साड़ी पहनने का काफी प्रचलित तरीका भी है. यह साड़ी आप आसानी से रोजाना के इस्तेमाल में या किसी उत्सव में भी पहन सकती हैं. निवी स्टाइल ने आंध्र प्रदेश में जन्म लिया था और आज यह सारे भारत में एक प्रचलित स्टाइल है.

मुमताज स्टाइल: पार्टी में जाते वक्त रैट्रो लुक के लिए मुमताज स्टाइल से बेहतर भला क्या विकल्प हो सकता है. आप की खूबसूरत फिगर है, तो आप के लिए इस स्टाइल से बेहतर कोई विकल्प नहीं है.

लहंगा स्टाइल: यह साड़ी डिजाइन एक आधुनिक स्टाइल है, जो साड़ी और लहंगे के रूप में 2 खूबसूरत भारतीय परिधानों का मिश्रण करती है. साड़ी को लहंगे की तरह पहना जाता है और इस के लिए चुन्नटों की मदद ली जाती है. इस स्टाइल के लिए आमतौर पर उलटे पल्लू का प्रयोग किया जाता है. किसी भी खास उत्सव पर पहनने के लिए यह बिलकुल सही विकल्प है.

बंगाली स्टाइल: ट्रैडिशनल लुक के लिए साड़ी के मामले में बंगाली पैटर्न का कोई जवाब नहीं है. यह न केवल ग्रेसफुल लुक देता, बल्कि इसे संभालना भी ज्यादा मुश्किल नहीं होता है.

कूर्गी स्टाइल: यह एक बहुत ही अनोखा स्टाइल है. इस में प्लेट्स पीछे बनाई जाती हैं ताकि आप ठीक से चल सकें. इस स्टाइल में पल्लू फ्रंट चैस्ट में लपेटा होता है और पीछे से घुमा कर आगे कंधे पर डाला जाता है, बगल की नैकलाइन का ध्यान रखते हुए.

मराठी स्टाइल: आम साडि़यों के पैटर्न के मुकाबले यह स्टाइल काफी अलग है. इस के लिए 6 हाथ के बजाय 9 हाथ की लंबाई वाली साडि़यों का इस्तेमाल किया जाता है और नीचे पेटीकोट नहीं पहनते हैं.

तो त्योहारों के इस सीजन में परंपरागत भारतीय लुक पाने के लिए इन में से साड़ी ड्रैपिंग का अपना मनपसंद अंदाज चुनें और फैस्टिव मस्ती का खुल कर आनंद उठाएं.

– विनीत छज्जर, डाइरैक्टर, विनीत साड़ीज

एयरटेल और जियो में टक्कर, 300 GB डेटा के साथ अनलिमिटेड कौलिंग आफर

एयरटेल ने जियो को टक्कर देने का पूरा तरह से मन बना लिया है. एयरटेल अपने यूजर्स की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एक नया आफर निकाला है. इस आफर में वह अपने यूजर्स को 300GB डेटा के साथ ही अनलिमिटेड कालिंग की सुविधा भी दे रहा है. इसी के साथ ही इस आफर में यूजर को रोजाना 100 मैसेज भी फ्री मिलेंगे. इस प्लान की वैधता 360 दिन की है. यह प्लान उन लोगों को ध्यान में रखते हुए निकाला गया है जिन्हें ज्यादा डेटा इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है.

इस प्लान को लेने वाले यूजर को 300GB डेटा एक साथ अकाउंट में मिल जाएगा. इसे यूजर चाहे तो एक दिन में या फिर चाहे तो वह 360 दिन में खर्च कर सकता है. इस प्लान के लिए यूजर को 3,999 रुपए देने होंगे.

यह एयरटेल यूजर्स के लिए अच्छा आफर है क्योंकि अगर देखा जाए तो यह प्लान लेने वाले यूजर को यह आफर 334 रुपए महीने पड़ेगा. वहीं यूजर अगर एक महीने में 25GB डेटा खर्च करेता है तो वह पूरे एक साल तक इसका इस्तेमाल आसानी से कर सकता है.

वहीं रिलायंस जियो 4,999 रुपए के प्लान में यूजर को 360 दिन तक अनलिमिटेड इंटरनेट और कालिंग की सुविधा मिलती है. इसमें एक साथ 350GB डेटा मिलता है. 350GB डेटा खत्म होने के बाद इंटरनेट की स्पीड घटकर मात्र 64kbps रह जाएगी, लेकिन इंटरनेट अनलिमिटेड चलता रहेगा.

इसी के साथ ही जियो 399 रुपए के रिचार्ज में यूजर्स को 70 दिन की वैधता देता है जिसमें 70 दिन तक अनलिमिटेड इंटरनेट और कालिंग की सुविधा दी जाती है. लेकिन इस शर्त के साथ कि यूजर को रोजाना हाई स्पीड का केवल 1GB डेटा ही खर्च करना होगा. वहीं रोजाना की स्पीड खत्म होने के बाद इंटरनेट की स्पीड कम हो जाएगी.

अगर उपर के आफर्स को देखा जाएं तो समझ आ जाता है कि दोनों ही कंपनियां एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रही हैं. अब देखना ये है कि बाजार में ज्यादा बोलबाला किस कमपनी का होता है. एयरटेल का यह आफर कितना लोगों को लुफाता है और लोग जियो के सामने एयरटेल को चुनते हैं या नहीं.

बुलेट के शौकीनों के लिए है ये खबर, अब कम किस्तों मे खरीदें ये बाइक

जब बुलेट चले, दुनिया रास्ता दें. ये टैग लाइन तो आपने बचपन से ही सुनी होगी. बाइक के शौकीन लोगों के लिए Royal Enfield के मौडल के लिए जबदस्त क्रेज रहता है. कुछ लोग इसे हाई बजट की होने के कारण खरीद नहीं पाते. हालांकि अब वाहन निर्माता कंपनी और बैंकों की तरफ से ग्राहकों को खूब आकर्षक औफर दिए जा रहे हैं. ऐसे में कम बजट वालों के लिए आसान किश्तों में कार या महंगी बाइक खरीदना आसान हो गया है. एक निश्चित डाउन पेमेंट देकर आप बैंकों से बाइक या फिर कार को फाइनेंस करा सकते हैं और आसान किश्तों में भुगतान कर सकते हैं.

यदि आप भी Royal Enfield की बाइक लेने का प्लान कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है. रौयल एनफील्ड के अलग-अलग मौडल की देश में कीमत 1.13 लाख रुपए से लेकर 2.08 लाख रुपए है. ये बाइक के दिल्ली में एक्स शो-रूम रेट हैं, इसके अलावा रजिस्ट्रेशन का चार्ज आपको अलग से देना होता है. ऐसे में यदि आप Royal Enfield के मिडिल रेंज वाली बाइक लेते हैं और उस पर एक लाख रुपए का लोन कराते हैं तो आपको करीब 2100 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से भुगतान करना होगा.

Bullet 350

बुलेट 350 (Bullet 350) की दिल्ली में एक्स शोरूम कीमत 1.13 लाख रुपए है. यदि आप इस बाइक को लेने के लिए 13 हजार रुपए का डाउन पेमेंट करते हैं और 1 लाख रुपए का लोन लेते हैं तो आपको 10 फीसदी प्रतिवर्ष के हिसाब से यह बाइक लोन मिलेगा. इस रकम को चुकाने के लिए आपको पांच साल में 2124 रुपए के हिसाब से 60 किश्त चुकानी होंगी. 2124 रुपए का भुगतान करने के लिए आप 71 रुपए प्रति दिन की बचत कर सकते हैं. लोन की प्रोसेसिंग फीस बैंक के हिसाब से अलग-अलग है.

बुलेट 500

अगर आप बुलेट 350 से ज्यादा पावरफुल बाइक लेने का मन बना रहा हैं तो ‘बुलेट 500’ (Bullet 500) आपके लिए अच्छा औप्शन हो सकती है. दिल्ली में बुलेट 500 की एक्स शोरूम कीमत करीब 1 लाख 65 हजार रुपए है. इस बाइक को आप 65 हजर रुपए की डाउन पेमेंट कर घर ला सकते हैं और 1 लाख रुपए का लोन ले सकते हैं. लोन की राशि को आप 2124 रुपए प्रति माह के हिसाब से चुका सकते हैं.

Classic 350

क्‍लासि‍क 350 (Classic 350) बाइक के शौकीन लोगों के बीच काफी पापुलर है. इसकी दिल्ली में एक्स शोरूम कीमत 1 लाख 35 हजार 400 रुपए है. आप 35,400 रुपए का डाउन पेमेंट कर क्‍लासि‍क 350 की राइड का लुत्फ ले सकते हैं. डाउन पेमेंट के बाद 1 लाख रुपए के लोन का भुगतान आप 60 किश्तों में कर सकते हैं.

ThunderBird 350

थंडरबर्ड 350 (ThunderBird 350) की दिल्ली में 1 लाख 45 हजार 900 रुपए है. इसे आप 45,900 रुपए का डाउन पेमेंट कर अपने घर लाकर खुशियां दोगुनी कर सकते हैं. डाउन पेमेंट के बाद बची हुई रकम 1 लाख का आप ऑटो लोन ले सकते हैं और इसकी भुगतान 60 आसान किश्तों में कर सकते हैं. इसके लिए आपको 2124 रुपए की किश्त देनी होगी.

पूर्व क्रिकेटरों ने कुछ इस तरह धोनी पर साधा निशाना

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के औसत प्रदर्शन को लेकर पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण और अजीत अगरकर ने उन पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि अब भारतीय टीम और खुद धोनी को नये खिलाड़ियों को खेलने का मौका देना चाहिये. आपको दें कि ये उन्होंने शनिवार को राजकोट में न्यूजीलैंड के खिलाफ हुए दूसरे टी-20 मैच के बाद कहा जब भारत को 40 रनों से हार का सामना करना पड़ा. इस मैच में 10वें ओवर पर बेटिंग करने आए एमएस धोनी ने 37 गेंदों पर 49 रन बनाए, लेकिन उनकी शुरुआत काफी धीमी थी. हालांकि बाद में धोनी ने आखिरी के 19वें और 20वें ओवरों में तेजी दिखाते हुए रन बनाए.

न्यूजीलैंड के खिलाफ हुए टी-20 मैच में एमएस धोनी के औसत प्रदर्शन को लेकर वीवीएस लक्ष्मण का कहना है कि न्यूजीलैंड के खिलाफ हुए मैच में जब विराट कोहली और धोनी दोनों ही क्रीज पर थे, तब धोनी स्ट्राइक बार बार विराट को दे रहे थे. कोहली की स्ट्राइक रेट 160 थी जबकि धोनी की स्ट्राइक रेट 80 थी, जो कि उस वक्त के लिए कम था क्योंकि उस वक्त टीम इंडिया एक बड़े लक्ष्य का पीछा कर रही थी और ऐसे में उन्हें और स्ट्राइक रेट का आवश्यकता थी. धोनी एकदिवसीय मैचों में अभी भी अच्छा कर रहे हैं. ऐसे में मुझे लगता है कि अब वह वक्त आ गया है जबकि टी-20 मैचों में एमएस धोनी को नए खिलाड़ियों को मौका देना चाहिये, क्योंकि इसके जरिए वे अपने प्रदर्शन से इंटरनेशनल क्रिकेट में जगह बना सकते हैं. ये अवसर युवा खिलाड़ियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है

वहीं अजीत अगरकर का कहना है, ‘मुझे लगता है कि अब भारतीय क्रिकेट टीम को एक अच्छा विकल्प तलाशने की जरूरत है, कम से कम टी-20 के लिए तो यह बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि जब आप कप्तान होते हो तब स्थिति अलग होती है, लेकिन क्या सिर्फ एक बल्लेबाज के तौर पर भारत धोनी को याद रखेगा, मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होने वाला. मैंने बहुत से लोगों को ये कहते सुना है कि धोनी को अपने बल्लेबाजी का नंबर बदल लेना चाहिए, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी वह 10वें ओवर में बल्लेबाजी करने आए. पिछले कई टी-20 मैचों में देखा गया है कि धोनी को क्रीज पर जमने के लिए काफी समय लगता है, लेकिन टी-20 मैचों में इतना समय नहीं होता और यहां पर कम समय में ही ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करना होता है.

भारत में पहली बार! औनलाइन फ्रौड के खिलाफ करा सकेंगे इश्योरेंस

आनलाइन शापिंग और पेमेंट करने वालो के लिए बड़ी खुशखबरी है. आपको यह जानकर बेहद ही खुशी होगी कि आनलाइन शापिंग करने और पेमेंट करने में ज्यादा सुविधा देने के लिए भारत में पहली बार एक ऐसी इंश्योरेंश पालिसी आई है जो आपको फर्जीवाड़ा के खतरें से बचाएगी.

जी हां, अगर आप आनलाइन पेमेंट करते हैं और आपके साथ कोई फर्जीवाड़ा हो जाता है और आपके अकाउंट से पैसे कट जाते हैं तो अब आपको बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है. बजाज एलाइंज जनरल इंश्योरेंश कंपनी इन पैसो का भुगतान करेगी. बजाज कंपनी ने एक ऐसी पालिसी निकाली है जिसके तहत आनलाइन फ्राड के हो जाने के बाद भरपाई की सुविधा दी जा रही है. यह कवर किसी एक डिवाइस के लिए नहीं है बल्कि यह आफिस फैमिली के गैजेट्स द्वारा किए गए लेनदेन को कवर करेगा. हालांकि, पालिसी धारक से यह उम्मीद है कि वह साइबर कैफे या संदिग्ध उपकरणों से लेनदेन नहीं करेगा.

इसके अलावा यदि कोई हैकर पालिसी धारक का सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर लेता है तो इस केस में भी पालिसी लीगल पालिसीधारक की लीगल कास्ट की भरपाई करेगी. यह बीमाकर्ता का बचाव करने के साथ ही, यह कंपनी ऐसे मामलों में अपराधियों के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए कानूनी लागत भी प्रदान करेगी.

बजाज एलाइंज जनरल इंश्योरेंस के एमडी एंड सीईओ ने बताया कि यह कवर लोगों के साथ होने वाले आनलाइन फ्राड को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. दो दशक पहले पाकेट कटने का खतरा रहता था, लेकिन आज के समय में पाकेट कटने से ज्यादा साइबर क्राइम एक बड़ा खतरा है.

आपको बता दें कि कंपनी का कहना है कि भारतीय साइबर इंश्योरेंस मार्केट करीब 30 करोड़ रुपए का है और इसमें संस्थानों द्वारा खरीदे गए संरक्षण शामिल हैं. जो लोग धोखाधड़ी के शिकार होते हैं वे इस पालिसी को लेने के बाद सुरक्षित हो जाएंगे.

..तो इसलिए बढ़ जाता है आपके इलाज का खर्च

वक्त बदलने के साथ जितनी तेजी से बीमारियां बढ़ी हैं उतनी ही तेजी से इलाज का खर्च भी बढ़ा है. इन सब के अलावा बचा-कुचा काम बिगाड़ने के लिए मंहगाई है. कई बार तो इलाज का खर्च निकालने के लिए लोगों को अपना घर भी गिरवी रखना पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दवाओं और औपरेशन के खर्चे के अलावा हमारी अपनी गलती से भी इलाज का खर्च बढ़ जाता है. इन कामों को करने से बचें और और अपने इलाज का खर्च कम करें.

नियमित रूप से जांच न करवाना

ये आदत ज्यादातर भारतीयों में है कि वे नियमित रूप से अपनी जांच नहीं करवाते हैं. पर नियमित रूप से अपने पूरे शरीर की मेडिकल जांच करवाना बहुत जरूरी है. इससे आपको दोहरा लाभ होगा. सही समय पर बीमारी पता लगने से आप जल्द से जल्द अपना इलाज करवा सकेंगे और इससे आपका खर्च भी थोड़ा कम हो जाएगा. बीमारी का पता जितनी देरी से पता चलता है, आपका स्वास्थय उतना ही गिरता है और आपकी जेब पर भी इसका भारी प्रभाव पड़ता है.

बीमा पालिसी की सही जानकारी न होना

आपने हेल्थ इंश्योरेंस ले तो लिया है पर बीमा लेते समय आपने पालिसी के कागजात ठीक से नहीं पढ़े, क्योंकि या तो आपको सब्र नहीं है या आपको पढ़ने की जरूरत महसूस नहीं हुई. पर बिना ढंग से पढ़े कोई भी बीमा ले लेना सही नहीं है. पालिसी के कागजात ढंग से नहीं पढ़ने के कारण आपको पालिसी की सभी शर्तों के बारे में पता नहीं चलेगा. ऐसे में जब आपको या आपके परिवार के किसी सदस्‍य को इलाज की जरूरत पड़ती है तब आपको पता चलता है कि किस-किस बीमारी को आपकी पालिसी में कवर नहीं मिलता है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप सारी जानकारियां जुटा कर ही मेडिकल इंश्योरेंस लें.

किसी लंबी बीमारी को छिपाना

अगर आप मेडिक्लेम कर रहे हैं तो आपसे फार्म में कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं. जिसमें आपसे आपकी बीमारियों और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी पूछा जाता है. इन सवालों का सही जवाब देना बहुत जरूरी है. बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि अपनी पुरानी बीमारी की जानकारी दिए बिना ही उनका काम चल जाएगा. अगर आपने कोई बात छिपाई है तो बीमा कंपनी वाले पता लगा ही लेते हैं, क्योंकि आपके द्वारा दी गई जानकारी को क्रौस-चेक भी किया जाता है. पर बेहतर इलाज के लिए अपने बारे में सारी जानकारी देना जरूरी है. सही जानकारी देने से आपको मेडिक्लेम भी आसानी से मिल जाएगा.

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