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लोन चाहिए? अपनाएं ये आसान तरीके

अगर आपको किसी काम के लिए लोन की जरूरत है और लोन कैसे लिया जाए यह आपको समझ नहीं आ रहा है तो आपको अब बिल्कुल भी परेशान होने या घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे तरीके जिनको अपनाकर आप आसानी से लोन पा सकते हैं.

कंपनी या संस्था से

कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को एडवांस सैलरी या फेस्टिवल अडवांस लोन के नाम पर लोन देतीं हैं. यह लोन आपको तीन दिन के भीतर मिल सकता है. जिसे आप 3 से लेकर 24 महीने के अंदर चुका सकते हैं. इस राशि पर आपको 5-8 प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना पड़ सकता है.

टाप अप लें

अगर आपने होम लोन लिया है तो आप टाप-अप के रूप में लोन ले सकतें हैं. इस उपाय से आपको अधिकतम 50 लाख रुपये तक के लोन मिल सकते हैं. यह भी आपको 3 दिन अंदर मिल सकता है. हालांकि इसे लेने के लिए कई नियम और शर्तें हैं. इस पर ब्याज 9 से 13 फीसदी की दर से चुकाना होता है.

गोल्ड या गोल्ड जूलरी के बदले

गोल्ड या गोल्ड जूलरी को गिरवी रखकर भी आप 10,000 से लेकर 25 लाख तक का लोन ले सकते हैं. हालांकि इसमें लोन चुकाने की समय सीमा काफी कम होती है. इसके लिए ब्याज दर 10 से लेकर 26 फीसदी तक होती है. यह लोन आपको बैंक के अलावा कई निजी फाइनैंस कंपनिया भी देतीं हैं. गोल्ड लोन आपको 1 दिन के अंदर आसानी से मिल सकता है.

पर्सनल लोन भी है एक औप्शन

पर्सनल लोन पूरी तरह से कस्टमर और बैंक के रिश्ते पर निर्भर करता है. यह आपको 30 मिनट से 3 दिन के अंदर मिल सकता है. पर्सनल लोन में ब्याज दर काफी ज्यादा होती है. आपको 13 से 24 फीसदी तक की दर से ब्याज देना होता है.

प्रापर्टी के नाम पर

अगर आपके नाम से कोई प्रापर्टी है तो आप उसे गिरवी रख कर 5 लाख से 10 करोड़ तक की राशि का लोन ले सकते हैं. यह लोन आपको 3 से लेकर 20 दिन तक में मिल सकता है. इसमें ब्याज दर 9.5 फीसदी से लेकर 13 फीसदी तक होती है. लोन चुकाने की सीमा 2 साल से लेकर 15 साल तक होती है.

शेयर और म्यूचुअल फंड के बदले

अगर आपने शेयर, म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस आदि में इन्वेस्ट किया हुआ है तो बैंक आपको इसके बदले भी लोन दे सकती हैं. जिसमें 9 से 15 फीसदी तक की दर से आपको ब्याज चुकाना होता है.

मोबाइल हैंग होने की समस्या से पाएं छुटकारा

आजकल हर कोई स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है. कई बार ज्यादा इस्तेमाल करने के बाद आपका स्मार्टफोन हैंग करने लगता है. इससे बचने के लिए आप नया फोन खरीदते हैं पर कुछ समय बाद वो भी हैंग करने लगता है. ऐसे में आपको यह जानकारी होना जरूरी हे कि फोन हैंग करने के पीछे का कारण क्या है. वैसे तो फोन हैंग होना बहुत ही आम समस्या है. पर समस्या सिर्फ आपके फोन के कन्फिगरेशन की ही नहीं है. आपके फोन यूजिंग हैबिट्स की भी है. वक्त रहते अपनी उन आदतों को बदल दीजिए, ऐसा करने से आपका फोन हैंग नहीं करेगा.

बिना जरूरत अपडेट करना

कई स्मार्टफोन कंपनियां अपने हैंडसेट के पुराने औपरेटिंग सिस्टम को अपडेट करने की सुविधा देती हैं. लेकिन औपरेटिंग सिस्टम अपडेट करने से स्मार्टफोन स्लो हो सकता है. इसकी वजह फोन में पुराने हार्डवेयर. कम स्पीड वाला प्रोसेसर और रैम हो सकती है. स्मार्टफोन में ऐप्स अपडेट करने में भी कई बार यह समस्या आती है.

एक साथ कई ऐप्स खोल कर रखना

जब आप स्मार्टफोन पर ऐप्स इस्तेमाल करने के बाद बैक करते हैं, तो ऐप्स बंद न होकर मिनीमाइज हो जाते हैं, पूरी तरह बंद नहीं होते और बैकग्राउंड में ओपन ही रहते हैं. ऐसा करते करते कई ऐप्स बैकग्राउंड में ओपन ही रह जाते हैं. इंटरनेट ऐक्सेस करने पर ये भी सक्रिय हो जाते हैं. इस वजह से फोन स्लो हो जाता है और कई बार हैंग भी हो जाता है.

कैशे डीलिट न करना

अगर आप फोन पर इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो इससे भी आपका फोन स्लो हो जाता है. इंटरनेट पर जब भी कुछ सर्च किया जाता है तो यह फोन की टेंपररी मेमोरी में सेव हो जाता है. जैसे जैसे डेटा बढ़ते जाता है, स्मार्टफोन स्लो होने लगता है.

थर्ड पार्टी ऐप्स इन्स्टाल करना

आप कई बार अपने स्मार्टफोन में ऐसे ऐप्स इन्स्टाल कर लेते हैं जो प्ले स्टोर पर भी नहीं होते. ऐसे ऐप्स से साफ्टवेयर के करप्ट होने का खतरा रहता है. इससे फोन भी हैंग होता है.

फोन औफ या रिस्टार्ट नहीं करना

बहुत से यूजर अपने स्मार्टफोन को कभी औफ या रिस्टार्ट नहीं करते. ऐसे में लगातार यूज करते रहने से स्मार्टफोन स्लो हो जाता है और हैंग होने लगता है.

सही चार्जर इस्तेमाल न करना

कई बार आप किसी भी चार्जर से फोन चार्ज कर लेते हैं. ऐसा करने से फोन की बैटरी पर असर पड़ता है.

बेमतलब के ऐप्स फोन में रखना

बहुत से यूजर्स अपने स्मार्टफोन में ऐसे ऐप्स रखते हैं जिनको वे कभी यूज नहीं करते. ऐसे फोन की इंटरनल मेमोरी का स्पेस कवर करते हैं और आपका फोन हैंग होने लगता है.

भारत की जीत के बाद रोहित शर्मा ने धोनी के बारे में कह दी यह बड़ी बात

भारतीय क्रिकेट टीम ने कटक टी 20 में अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की. इस शानदार जीत के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने महेंद्र सिंह धौनी को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. रोहित शर्मा ने कहा कि महेंद्र सिंह धौनी को बल्लेबाजी क्रम में प्रोन्नत कर नंबर चार के स्थान पर भेजने का जो फैसला टीम प्रबंधन ने किया था वह सही साबित हुआ. महेंद्र सिंह धौनी ने इस मैच के दौरान यह साबित कर दिया कि वह इस स्थान के लिए एक आदर्श बल्लेबाज हैं.

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आपको मालूम हो कि पूर्व कप्तान धोनी को मैच के दौरान बुधवार को नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए भेजा गया था. मैच के बाद रोहित ने कहा, ‘धोनी, वाकई एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं. उन्होंने नंबर चार पर बल्लेबाजी कर एक बार फिर से अपने शानदार खिलाड़ी होने का परिचय दिया है.

रोहित ने आगे कहा, धोनी ने हमारे लिए कई मैच खेले हैं और हमें कई मैच जिताए हैं. लंबे समय से धौनी मैच को खत्म करते आएं हैं, लेकिन अब हमें लगता है कि वह नंबर चार के लिए एक आदर्श बल्लेबाज हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि वह अब बिना किसी दबाव के उन्मुक्त होकर बल्लेबाजी करें.

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रोहित ने न केवल धौनी बल्कि के एल राहुल और मनीष पांडे की भी जमकर तारीफ की. उन्होंने उनकी तारिफ करते हुए कहा कि, ‘मैच के दौरान एक शानदार पारी का आगाज करना राहुल के लिए बेहद ही अच्छा मौका था. भले ही वह वनडे में टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उन्होंने यहां पर बेहद ही शानदार तरीके से बल्लेबाजी की. धौनी व पांडे ने भी बेहतरीन तरीके से पारी को खत्म किया. रोहित ने कहा, ‘चहल और कुलदीप बीच के ओवरों में हमारे विकेट लेने के विकल्प हैं. वह टी-20 के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक हैं.

रोहित का कहना है कि हमारी टीम के सभी खिलाड़ी यह जानते हैं कि टीम को उनसे क्या चाहिए और वह उसी के अनुसार अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं.

तैमूर अली खान को पहले जन्मदिन पर मिला ये खास गिफ्ट

बौलीवुड अभिनेता सैफ अली खान और अभिनेत्री करीना कपूर के बेटे तैमूर अली खान 1 साल के हो चुके हैं. 20 दिसंबर को पौपुलर स्टार किड तैमूर के जन्मदिन का ग्रैंड सेलिब्रेशन पटौदी पैलेस में हुआ, इस जश्न में सैफ-करीना के करीबी मौजूद थे. तैमूर ने मम्मी-पापा और दादी-नानी के साथ मिलकर अपना केक काटा. शर्मिला टैगोर, बबिता, रणधीर कपूर, करिश्मा कपूर, नताशा पूनावाला, करण कपूर समेत कई सेलेब्स जश्न का हिस्सा बने.

तैमूर को उनके इस खास दिन पर बेशक कई तरह के गिफ्ट्स मिले होंगे. लेकिन इस खास दिन उन्हे कुछ ऐसा गिफ्ट भी मिला, जो काफी हटकर है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि करीना कपूर और उनकी न्यूट्रिशनिस्ट रजुता दिवेकर ने तैमूर को उनके नाम का जंगल तोहफे में दिया है. जी हां, मुंबई से 50 किलोमीटर दूर सोनावे में एक कम्यूनिटी फार्मिंग की पहल के तहत करीना कपूर और रजुता दिवेकर ने तैमूर के नाम ये पर एक जंगल गिफ्ट किया है. ये तैमूर को मिलने वाला सबसे खास और अनोखा तोहफा है.

रुजुता ने इसकी जानकारी इंस्टाग्राम पर दी है. तैमूर अली खान पटौदी जंगल की क्यूट तस्वीर साझा करते हुए उन्होंने बताया कि यह सोनावे (मुंबई से करीब 50 किलो दूर) पर स्थित है. यह जंगल 1000 Sqft में फैला हुआ है, जिसमें 100 पेड़ हैं.

रुजुता ने लिखा, “एक छोटे बच्चे को चिड़िया, तितलियों को करीब से देखना काफी अच्छा लगता है, इसलिए मैंने इन सबसे भरा एक छोटा-सा जंगल तैमूर को उनके बर्थडे गिफ्ट के रूप में दिया है. जो मुंबई की सीमा पर मौजूद है. उन्होंने कहा, ‘यह जंगल एक साथ कई तरह की फसलों को उगाने में सक्षम है और मैं उम्मीद करती हूं कि तैमूर बड़ा होकर विविधता से भरा ऐसा समाज बनाने में सक्षम होगा जहां सभी लोग अंतर के बावजूद मिल-जुलकर रहेंगे.’

बता दें कि 1000 Sqft में फैले इस जंगल में 3 जामुन, 1 कटहल, 1 आंवला, 40 केले, 14 सहजन, 1 कोकम, 1 पपीता, 5 सीताफल, 2 रामफल और 2 नींबू के पेड़ हैं.

तैमूर अपने जन्म के वक्त से ही सुर्खियों में बने हुए हैं. पिछले साल 20 दिसंबर को जब उनका जन्म हुआ था, तब तैमूर अपने नाम को लेकर विवादों में आए थे. हालांकि, जैसे ही फैन्स ने इस नन्हें नवाब की पहली तस्वीर देखी, वैसे ही चारों तरफ उनकी क्यूटनेस की चर्चा होने लगी.

अदालत में जब दिलीप कुमार ने कहा कि ‘हां मै मधुबाला से प्यार करता हूं’

9 साल की उम्र में बौलीवुड इंड्रस्टी में कदम रखने वाली बेबी मुमताज यानी मधुबाला अपनी खूबसूरती और एक्टिंग की वजह से सभी के दिलों पर राज करती थीं. मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को दिल्ली के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. मधुबाला जितनी सुंदर थी, उनका जीवन उतना ही दर्द भरा था.

एक सच्चे साथी की कमी उनके जीवन में हमेशा थी. एक वक्त था जब बौलीवुड के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार से फिल्म ‘ज्वार भाटा’ के सेट पर पहली बार मधुबाला की मुलाकात हुई. दोनों के बीच प्यार हो गया और ये प्यार 9 साल तक परवान चढ़ा. यहां तक कि दिलीप कुमार को अदालत में सबके सामने यह बात कहनी पड़ी थी कि वो मधुबाला से प्यार करते हैं. चलिए बताते हैं आखिर क्या था पूरा मामला.

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दरअसल यह वाकया साल 1957 में रिलीज हुई बीआर चोपड़ा निर्देशित फिल्म ‘नया दौर’ से जुड़ा है. इस फिल्म में दिलीप कुमार और वैजंयतीमाला लीड रोल में नजर आए थे लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि एक साल पहले फिल्म की कास्ट अलग थी. फिल्म में वैजयंतीमाला की जगह मधुबाला को बतौर एक्ट्रेस रखा गया था.

हुआ कुछ यूं था कि मधुबाला, दिलीप कुमार और बाकी कास्ट फाइनल की जा चुकी थी. एक रिपोर्ट के मतुाबिक फिल्म के कुछ सीन भोपाल के पास बुधनी कस्बे में फिल्माए जाने थे लेकिन इस बात से मधुबाला के पिता अताउल्ला खान खुश नहीं थे. उनका कहना था कि आउटडोर शूटिंग मुंबई में सेट लगाकर कि जाए. कहा जाता है कि मधुबाला के पिता शायद इसलिए मधुबाला को आउटडोर शूटिंग के लिए भेजने से परहेज कर रहे थे क्योंकि उनके दिल में छेद था. इससे उनकी तबीयत बिगड़ सकती थी और साथ ही वह यह बात राज रखना चाहते थे.

वहीं बीआर चोपड़ा यह बात मानने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे. इसलिए उन्होंने मधुबाला को हटाकर वैजयंतीमाला को फिल्म में साइन कर लिया और फिल्म के पोस्टर पर मधुबाला की फोटो पर लाल निशान लगाकर इश्तिहार छपवा दिया. तब मधुबाला के पिता ने फिल्म की शूटिंग रुकवाने के लिए केस कर दिया, उधर बीआर चोपड़ा ने भी 30 हजार रुपए की वापसी के लिए केस लगा दिया.

कोर्ट में केस चल ही रहा था कि इसी बीच दिलीप कुमार को भी गवाही के लिए बुलाया गया. कई सवालों के बीच दिलीप कुमार से यह सवाल भी किया गया कि क्या वह मधुबाला से प्यार करते हैं. इस सवाल के जवाब में दिलीप साहब ने मजिस्ट्रेट आरएस पारख की अदालत में सबके सामने कहा था कि ‘हां मैं मधु से प्यार करता हूं और उसे हमेशा प्यार करता रहूंगा’. हालांकि यह अलग बात है कि इस वाकये के बाद दोनों के संबंध हमेशा के लिए खत्म हो गए थे.

रेलवे की नई योजना, बर्थ खाली होने पर मिलेगा 50 प्रतिशत तक का छूट

यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं को ध्यान रखते हुए रेलवे समय-समय पर नई सुविधाएं देती रहती है. नई योजना के तहत भारतीय रेलवे ने पैसेंजर के लिए डिस्‍काउंट औफर की पेशकश की है. यह डिस्‍काउंट 10 फीसदी से लेकर 50 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. इस योजना का सीधा लाभ यात्रियों को होगा.

रेलवे की नई प्लानिंग के तहत आप चार्ट लगने के बाद भी और डिस्‍काउंट लेकर यात्रा कर सकते हैं. आपको बता दें कि इंडियन रेलवे की तरफ से तैयार किए जा रहे डायनेमिक प्राइसिंग मौडल में इस तरह के प्रपोजल मिल रहे हैं. सूत्रों के अनुसार रेलवे की हाईलेवल कमेटी के पास ट्रेनों को 3 कैटेगरी में बांटने का प्रपोजल आया है. आगे पढ़िए क्या है रेलवे की पूरी प्लानिंग.

गौरतलब है कि पिछले साल रेलवे की तरफ से कुछ प्रीमियम ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर मौडल शुरू किया गया था. इस मौडल के अनुसार पीक औवर में ट्रेनों का किराया बढ़ जाता है. यानी जैसे-जैसे ट्रेन की खुलने की तारीख नजदीक आती है, ट्रेन का टिकट महंगा होता रहता है. इस बुकिंग मौडल से रेलवे को कर में तो फायदा हुआ लेकिन यात्रियों की संख्या कम हो गई.

finance

एक खबर के अनुसार वेस्‍टर्न रेलवे की एक रिपोर्ट बताती है कि फ्लेक्सी फेयर की वजह से इस जोन में जनवरी से अक्‍टूबर 2017 के बीच लगभग 1.34 लाख पैसेंजर्स घट गए. इस दौरान वेस्‍टर्न रेलवे ने करीब 54 करोड़ रुपए ज्यादा रेवेन्यू हासिल किया. इस दौरान 2nd एसी का किराया हवाई जहाज के किराए से भी ज्यादा हो गया. इससे यात्रियों की संख्या में कमी आई.

हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अब रेलवे का किराया एयरलाइंस की तरह डायनेमिक प्राइसिंग मौडल से तय किया जाएगा. इसके तहत ट्रेन का किराया बढ़ने के साथ ही घटेगा भी, यानी यदि किसी ट्रेन में सीटें खाली हैं तो यात्रियों को किराए में डिस्‍काउंट दिया जाएगा. इसके लिए रेलवे की तरफ से एक हार्इ लेवल कमेटी भी बनाई गई है.

यह है प्रपोजल

एक खबर के अनुसार रेलवे की कमेटी की तरफ से प्रपोजल आया है कि ट्रेनों को यात्री सुविधा, टाइमिंग और कैटरिंग सर्विस के आधार पर तीन कैटेगरी में बांटा जाएगा. इसमें सुपर प्रीमियम ट्रेन, प्रीमियम ट्रेन और नौन प्रीमियम ट्रेन की लिस्ट होगी. सुपर प्रीमियम ट्रेन की सालाना पंक्चुअल्टी 90 प्रतिशत से ज्यादा होगी. इसमें कस्‍टमर्स फीडबैक भी शामिल होगा.

सीजन के हिसाब से कैटेगरी

कमेटी की तरफ से यह भी सुझाव दिया गया है कि पूरे साल को छुट्टियों, त्‍योहारों, और शादी सीजन के आधार पर पीक, नौन पीक और स्‍लैक सीजन में बांटा जाएगा. पीक सीजन में सुपर प्रीमियम ट्रेनों का किराया ज्यादा बढ़ाया जाएगा, जबकि नौन पीक सीजन में थोड़ा और स्‍लैक सीजन में डिस्‍काउंट औफर किया जाएगा. इसी तरह पीक सीजन में प्रीमियम ट्रेनों का किराया कम ही बढ़ाया जाएगा, लेकिन नौन-पीक और स्‍लैक सीजन में बेस रेट पर या किराए में छूट दी जाएगी. नौन प्रीमियम ट्रेन में भी पीक सीजन में थोड़ा-बहुत किराया बढ़ाया जाएगा, जबकि नौन-पीक में अच्‍छा खासा डिस्‍काउंट औफर किया जा सकता है.

ऐसे बढ़ेगा किराया

सुपर प्रीमियम ट्रेन में पीक सीजन के दौरान पहली 10 फीसदी बर्थ पर साधारण किराया रहेगा. इसके बाद अगली 10 फीसदी बर्थ पर 10 फीसदी किराए में वृद्धि होगी. अगली 10 फीसदी बर्थ पर फिर से 10 फीसदी की वृद्धि की जाएगी. इस हिसाब से किराये की अपर लिमिट तय नहीं है. हालांकि, यात्रा की तिथि से दो दिन पहले किसी ट्रेन के 50 फीसदी टिकट ही बिके हों तो हर 12 घंटे में टिकट का किराया इसी स्‍लैब के अनुसार कम होता चला जाएगा. यह तब तक जारी रहेगा जब तक चार्ट नहीं लग जाता. चार्ट लगने के बाद भी ट्रेन खुलने से पहले तक सीटें खाली रहने पर 10 फीसदी डिस्‍काउंट और दिया जा सकता है.

क्रिकेट और 2017, क्या रहा खास

हर रोज क्रिकेटर्स क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाने काम कर रहे हैं. हर बीते साल के साथ क्रिकेट मैदान पर कई रिकौर्ड बनते और टूटते रहते हैं. भारतीय कप्तान विराट कोहली के लिए 2017 उनके जीवन के लिए काफी खास रहा. इस साल एक तरफ जहां उन्होंने कई बड़े रिकौर्ड अपने नाम किए तो वहीं दूसरी ओर वह शादी के बंधन में भी बंधे. पूरे साल विराट लोगों के बीच सुर्खियां बटोरते रहे, तीनों फौर्मेट में कप्तानी की कमान मिलने के बाद विराट पहले से भी ज्यादा ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने लगे हैं.

यही वजह है कि हर मैच के साथ वो और बेहतर बनते जा रहे हैं. आईसीसी चैंपियंस ट्रौफी में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में मिली हार को छोड़ दें तो विराट की कप्तानी में साल 2017 भारतीय टीम के लिए शानदार रही है. वहीं औस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ के लिए भी यह साल बेहद खास रहा. आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में स्मिथ 945 अंक के साथ टौप पर बरकरार हैं. इसके अलावा इस साल उन्होंने कप्तानी करते हुए एशेज सीरीज भी अपने नाम किया. आइये डालते हैं एक नजर 2017 में बनाए गए उन रिकौर्ड्स की तरफ जो शायद ही कभी टूट पाए.

टेस्ट मैच में रिजल्ट

पहले अधिकतर टेस्ट मैच ड्रौ पर खत्म हो जाया करते थे, जबकि अब ज्यादा में रिजल्ट आते है. इतना ही नहीं ज्यादातर मैचों का रिजल्ट तो तीन या चार दिन में ही आ जाता है. 2017 में खेले गए 45 टेस्ट मैच में 39 में नतीजा आया है जबकि 6 ड्रौ रहा. ये किसी साल में आने वाला सबसे ज्यादा टेस्ट रिजल्ट है. इससे पहले 2002 में खेले गए 54 टेस्ट मैचों में 46 में नतीजा निकला था.

श्रीलंका टीम ने बदले एक साल में सात कप्तान

एक साल के अंदर सात कप्तान बदलकर श्रीलंका ने एक नया रिकौर्ड बना दिया है. उपुल थरंगा, एंजलो मैथ्यूज, दिनेश चांदीमल, थिसारा परेरा, रंगना हेराथ, चामरा कपुगेदेरा और लसिथ मलिंग श्रीलंका के लिए इस साल कप्तानी कर चुके हैं. इससे पहले साल 2011 में इंग्लैंड की टीम ने 6 कप्तान बदले थे.

टेस्ट मैच में श्रीलंका पर लगातार जीत

भारतीय टीम श्रीलंका के खिलाफ अपने घर पर 20 टेस्ट मैच में जीत हासिल की है. इस दौरान श्रीलंका की टीम मैच ड्रौ करने में कामयाब रही है, लेकिन उसे जीत नहीं मिली.

एक ही दिन में दो हैट्रिक

14 अप्रैल 2017 को आरसीबी की तरफ से खेलने वाले सैमुअल बद्री ने मुंबई इंडियंस के खिलाफ हैट्रिक ली. वहीं शाम को गुजरात लौयंस के तेज गेंदबाज एंड्रयू टाई ने पुणे के खिलाफ हैट्रिक लेकर एक दिन में दो हैट्रिक का रिकौर्ड बना दिया.

रोहित शर्मा का दोहरा शतक

रोहित शर्मा ने श्रीलंका के खिलाफ मोहाली में वनडे क्रिकेट में तीसरा दोहरा शतक लगाकर एक नया रिकौर्ड अपने नाम कर लिया. जिसे शायद ही कोई खिलाड़ी तोड़ पाए.

ताकि वैवाहिक विवाद हो ही न

वैवाहिक विवादों में तलाक चाहे एक हल हो, बच्चों के कारण यह एक पेचीदा मामला बन जाता  है खासतौर पर तब जब बच्चे इतने छोटे भी न हों कि उन्हें अपनी  मरजी के खिलाफ मां या पिता के साथ जाने का हुक्म सुनाया जा सके. अदालतें आमतौर पर कानूनी आधार न ले कर मानवीय आधार ही लेने की कोशिश करती हैं पर दूसरा पक्ष अदालत के फैसले से खुश न हो या साथी से दुश्मन बने को कष्ट पहुंचाना चाहे तो मामला अदालतों में लटक जाता है.

पूर्वी और मुकेश का विवाह 1997 में हुआ पर जब 2013 में पूर्वी पुणे से मुंबई मां के घर जा पहुंची तो तब तक उन के दोनों बच्चे बड़े हो चुके थे. पहले वे पिता के साथ रहना चाहते थे फिर मां के पास रहने की जिद करने लगे. बच्चे पिता की जगह मां के पास रहने लगे तो पिता ने परेशान करने के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया.

कहने को तो बच्चों को मां का प्यार चाहिए पर इस कोरे प्यार की कोई कीमत नहीं होती अगर पास पैसा न हो. इस कारण मामला गहराता गया और बच्चे फुटबौल की तरह एक आदलत के आदेश पर कभी पिता के पास तो कभी दूसरी के आदेश पर मां के पास. कभी उन्हें वीकैंड पर मां के पास रहना होता तो कभी केवल छुट्टियों में पिता के पास.

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उस ने बच्चों को मां को ही सौंप दिया और पिता को आधी छुट्टियों में ही मिलने का हक दिया. बच्चे मांबाप के विवाद में बेकार में हथियार बन गए, यह अदालत समझ रही थी पर उस के पास कोई ठोस हल नहीं था.

जब तक बच्चे 18 साल के नहीं हो जाते तब तक उन्हें इसी तरह कभी मां के हाथों से छीन कर पिता के पास भेजा जाता है तो कभी पिता से छीन कर मां को लौटाया जाता है. उन का खर्चा कितना और कब दिया जाए यह विवाद अपनेआप चलता रहता है साथ में.

विवाह करना आप की इच्छा है, बच्चे पैदा करना भी आप की इच्छा है पर उन्हें पालना तो इच्छा के अनुसार नहीं हो सकता. अगर बच्चों को इच्छा पर छोड़ दिया जाए तो सामाजिक ढांचा जो पिछले कई हजार सालों से बना है टूट जाएगा. यह ढांचा अच्छा नहीं है, यह तो साफ है, क्योंकि इस में बच्चों के नाम पर औरतों को गुलाम बना डाला गया है पर फिलहाल समाज के पास यही ढांचा है.

इन विवादों को देख कर तो यही लगता है कि समाज ऐसा ढांचा बनाए, जिस में सारी संपत्ति हो ही औरतों की और बच्चों का भार भी उन्हीं पर हो. एक पति एक पत्नी का कृत्रिम कौंसैप्ट हक में उड़ा दिया जाए. औरतें बच्चों की संरक्षक हों और मर्दों से भरपूर फीस लें साथ रखने की और बच्चों को सुख देने की जो उन की अपनी सुरक्षा व बच्चों के लालनपालन की पूरी गारंटी दे. मर्द काम करें पैसा लाएं और औरतों व बच्चों का साथ चाहें तो उन पर खर्च करें. ऐसा समाज पैरेलली चलता रहा है पर समाज इसे नकारता रहा है. बढ़ते एकल परिवार इसे और अधिक लोकप्रिय बना रहे हैं और अब समय आ गया है कि वैवाहिक विवादों को जड़मूल से समाप्त करने की सोची जाए. धर्म के ठेकेदार हल्ला मचाएंगे पर उन का क्या, वे तो हमेशा झूठ और कल्पना के आधार पर लोगों को बेवकूफ बनाने में सफल रहे हैं. वे ही विवाह को ईश्वर प्रदत्त कह कर विवादों को पैदा करते रहे हैं, जिन में नुकसान औरतों का ही हुआ है. मर्द तो छुट्टे सांड़ों की तरह इधरउधर मुंह मारते रहे हैं.

अब अपने फोन को करें आखों से कंट्रोल

आप कुछ काम कर रहे हैं, ऐसा काम जिसमें आप अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल कर रहे हैं. अब बीच में आपको अपना फोन इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ जाए. इस हालत में लगता है कि काश आप अपने फोन को भी अपने चेहरे या आंखों से इस्तेमाल कर पाते.

हालांकि ऐसे फोन हैं जो आपकी आंखो से औपरेट होते हैं लेकिन यह फोन काफी महंगे हैं. यह आम लोगों के बजट में नहीं है. आज हम आपको ऐसे ही फीचर के बारे में बताने जा रहे हैं. इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है बस गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद एक मोबाइल ऐप को अपने फोन में इंस्टौल करना है. यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर बिलकुल फ्री है.

इसके लिये सबसे पहले आपके पास एक फेस डिटेक्ट करने वाले फोन का होना जरूरी है, जोकि थोड़ा महंगे बजट में आता है.

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इसके लिए आपको EVA फेसिअल माउस ऐप को अपने फोन में इंस्टौल करना है. इंस्टौल करने के बाद इसमें कुछ सेटिंग्स करनी होंगी. इंस्टौल करने के बाद एक्सेसेबिलिटी में सबसे नीचे फेसियल माउस पर जाना होगा. वहां जाकर इसे औन कर देना है.

इसके बाद कुछ इन्फोर्मेशन आ जाएंगी अब इसे ओके कर देना है. इसके बाद यह आपसे आपके फोन का एक्सेस मांगेगा इसे एक्सेस दे देंगे. इसके बाद कुछ एक और सेटअप करना होगा. इसके लिए यहां आ रहे नेक्सट पर क्लिक करना है.

यहां कुछ सेटिंग्स की जानकारी मांगेगा, यहां कीबोर्ड की सेटिंग्स मांगेगा. तो यहां से सेटिंग्स में जाने के बाद लेंग्वेज और इनपुट में जाना है. यहां कीबोर्ड डिफौल्ट आ रहा होगा. यहां EVA की बोर्ड सिलेक्ट करना है. यह सिलेक्ट करने के बाद बैक जाना है. इसके बाद फेस की सेटिंग्स करनी है. इसके लिए नीचे आ रहे नेक्स्ट पर क्लिक करना है. आपका फोन अब आपका फेस डिटेक्ट करेगा. यह सेटिंग्स होने के बाद आप अपने फोन को फेस से कंट्रोल कर पाऐंगे.

महंगाई की मार, चुप मोदी सरकार

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने हुए तकरीबन साढ़े 3 साल बीत चुके हैं. देश की जनता अच्छे दिन का इंतजार करतेकरते थक चुकी है, पर अच्छे दिनों ने तो आने का नाम ही नहीं लिया.

एक तरफ महंगाई व बेरोजगारी से बेहाल जनता ने अपने बुरे दिन वापस करने की ही मांग छेड़ दी है, वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी नेता अपनी लच्छेदार बातों के सपने दिखाते हुए साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट चुके हैं.

साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने देश की जनता को एक लोकप्रिय नारा दिया था. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के खिलाफ यह नारा था, ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अब की बार मोदी सरकार’.

सवाल यह है कि साढ़े 3 साल का सत्ता सुख भोगने के बाद भी सरकार आखिर अब तक महंगाई पर अंकुश क्यों नहीं लगा सकी है?

हद तो यह है कि इंटरनैशनल बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने के बावजूद भारत में पैट्रोल व डीजल सस्ता नहीं किया गया. रेलवे स्टेशन पर बिकने वाली प्लेटफार्म टिकट 2 रुपए से बढ़ा कर 10 रुपए कर दी गई थी, जबकि त्योहारों के नाम पर प्लेटफार्म पर होने वाली भीड़ को कम करने जैसी बात कहते हुए 31 अक्तूबर, 2017 को प्लेटफार्म टिकट की कीमत 20 रुपए कर दी गई.

सब्जियों व खानेपीने के दूसरे सामान सस्ते होने के बजाय और ज्यादा महंगे होने की अहम वजह डीजल व पैट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी ही है.

यही सत्तारूढ़ भाजपा साल 2014 से पहले टमाटर, प्याज, पैट्रोल, रसोई गैस वगैरह की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी के खिलाफ सड़कों पर उतर आया करती थी, जैसे जनता का इस से बड़ा कोई हमदर्द ही न हो.

आज मंत्री, सांसद व विधायक बने बैठे अनेक भाजपा नेताओं ने तो उस समय आधे नंगे हो कर धरनेप्रदर्शन किए थे. अपने गले में सब्जियों की मालाएं पहन कर वे चौराहों पर ढोल पीटते नजर आते थे, पर अब तो यही नेता महंगाई बढ़ने के पक्ष में और अपनी प्रशासनिक नाकामी को छिपाने के लिए ऐसीऐसी बातें बना रहे हैं, जिन की कल्पना भी नहीं की जा सकती.

मिसाल के तौर पर, केंद्रीय पैट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मीडिया द्वारा जब भारत में पैट्रोल की बढ़ती कीमतों पर सवाल किया गया, तो उन्होंने दुनिया के ऐसे देशों से भारत की तुलना की, जहां पैट्रोल की कीमत भारत से ज्यादा है.

बहुमत के नशे में चूर यह सरकार अब महंगाई के बारे में तो बात ही नहीं करना चाहती है और न ही बंटे हुए व पस्त पड़े विपक्ष में इतना दमखम दिखाई दे रहा है कि वह सत्तारूढ़ दल के सामने महंगाई के बारे में पुरजोर तरीके से कोई सवाल उठा सके या अपना विरोध दर्ज कर सके.

केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री अलफोस कननथनम ने बढ़ती हुई तेल की कीमतों पर अफसोस जाहिर करने के बजाय इस बढ़ोतरी का पक्ष ले कर यह साबित कर दिया कि भाजपा नेताओं द्वारा संप्रग के राज में महंगाई के खिलाफ आवाज जनता की हमदर्दी में नहीं, बल्कि संप्रग सरकार को बदनाम करने के मकसद से उठाई थी.

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘पैट्रोल कौन खरीदता है? वह जिस के पास कार या बाइक है? निश्चित रूप से वह भूख से नहीं मर रहा है. वह शख्स जो यह खर्च कर सकता है, उसे करना चाहिए.’’

मंत्री महोदय ने यह भी फरमाया, ‘‘हम टैक्स लगा रहे हैं, ताकि गरीबों की जिंदगी भी सम्मानजनक हो. जो पैसा हम आज टैक्स के रूप में जमा कर रहे हैं, उसे हमारे द्वारा चुराया नहीं जा रहा है. इस के लिए बहुत बड़ी रकम की जरूरत है, इसलिए हम उन लोगों से टैक्स ले रहे हैं, जो इसे भर सकते हैं.’’

मंत्री महोदय की यह भाषा साल 2014 के पहले की नरेंद्र मोदी की भाषा से बिलकुल ही उलट है. आज मोटरसाइकिल या स्कूटर एक साधारण यहां तक कि गरीब आदमी तक अपनी सुविधा के लिए रखने पर मजबूर है. कई लोगों का रोजगार इन्हीं दोपहिया वाहनों से जुड़ा हुआ है.

निश्चित रूप से ऐसे मेहनतकश लोग भूख मिटाने के लिए ही अपनी बाइक या पैट्रोल से चलने वाले दूसरे जुगाड़ू किस्म के तिपहिया वाहनों में तेल डलवाते हैं.

वे भूख से इसलिए नहीं मर रहे, क्योंकि उन्हें मेहनत कर के पैसा कमाना आता है. पर उस खूनपसीने की कमाई से अगर एक गरीब व साधारण शख्स टैक्स देने लगे और दूसरी तरफ देश की संसद में सब्सिडी वाला सस्ता भोजन मिलता रहे, देश के नेताओं को तरहतरह की ऐशोआराम व सुखसुविधाएं मिलती रहें, उन को व उन के परिवार के लोगों को गैरजरूरी सिक्योरिटी व माली फायदा दिया जाता रहे, तो क्या यह तबका मंत्रीजी की बातों के मुताबिक भूखे मरने वाला तबका है?

भूख से तो इस समय देश का किसान आएदिन मर रहा है. पिछले 3 सालों में पूरे भारत में किसानों द्वारा रिकौर्ड खुदकुशी की गई हैं. सरकार इन किसानों से हमदर्दी जताना तो दूर उलटे इन के साथ किए गए अपने वादे भी नहीं निभा पा रही है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अपने संकल्पपत्र में किसानों के कर्ज माफ करने का ऐलान किया था. यहां नारा लगाया गया था, ‘हर कदम किसानों के साथ’, पर सत्ता में आने के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आम किसानों के बजाय लघु व सीमांत किसानों तक अपने वादों को समेटते हुए डेढ़ लाख रुपए की कर्ज माफी का ऐलान किया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा में कर्ज माफी संबंधी प्रमाणपत्र जारी किया. हैरानी की बात यह है कि इन प्रमाणपत्रों में कई किसानों को यह सूचित किया गया कि उन का एक रुपया कर्ज माफ हुआ है, तो किसी का 2 रुपए, किसी का 9 पैसे, किसी का 84 पैसे.

उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद इलाके में भी 9 पैसे से ले कर 84 पैसे, 2 रुपए, 3 रुपए, 6 रुपए, 16 रुपए, 21 रुपए व इसी तरह 377 रुपए तक के कर्ज माफ किए गए. जरा सोचिए, जिस किसान को डेढ़ लाख रुपए की कर्ज माफी की उम्मीद हो, उस के केवल 10 पैसे या 10 रुपए माफ किए जाएं, तो उस के दिल पर आखिर क्या गुजरेगी?

पर, इन बातों से लगता है कि सरकार का इस बात से कोई लेनादेना नहीं है, उस का असली ध्यान तो साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में लगा हुआ है. उस की प्राथमिकताएं बुलट ट्रेन का ट्रेलर दिखा कर गुजरात में चुनाव जीतने की है. उस की प्राथमिकताएं ओडिशा और पश्चिम बंगाल में सत्ता पर कब्जा जमाना है. पर ऐसा कर के मोदी सरकार विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले इस नारे से खुद को निश्चित रूप से बचा नहीं सकेगी, जब विपक्ष पूछेगा कि ‘महंगाई की मार है, चुप क्यों मोदी सरकार है?’

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