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चुनावी उत्सव : इस मौके का जमकर मजा उठा रहे हैं नेताजी

‘वक्तेरुखसत तसल्लियां दे कर, और भी तुम ने बेकरार किया.’

यहां शायर उन नेताओं के मन का दर्द कह रहा है, जो चुनावों में पार्टी के प्रचार के लिए किसी दूसरे राज्य में गए थे. वहां मीडिया ने उन्हें रंगरलियां मनाते हुए ऐक्सपोज कर दिया. अब अपने राज्य में उन के खिलाफ विपक्ष वालों ने खूब प्रचार किया है कि इस तरह के रंगीनमिजाज विधायकों की सदस्यता खारिज की जाए. उन के सुप्रीमो ने अब उन्हें तसल्ली दी है कि यह गर्दगुबार जल्दी ही छंट जाएगा, क्योंकि होहल्ला करने वाले विपक्ष के नेताओं का मुंह हीरेजवाहिरात से भर दिया गया है.

ये नेता वहां खूब रंगरलियां मनाते रहे, खरीदारी भी कमाल की हुई. सारा इंतजाम बढि़या था. घूमाघूमी भी बहुत अच्छी रही. शराब भी विलायती थी और मुरगा भी ताजा व जायकेदार मिलता रहा. दोस्तों की रंगीन महफिलें भी खूब जमीं.

इन नेताओं के अपने राज्य की तरफ चलने से 2 दिन पहले अखबार वालों ने पता नहीं कैसे यह राज उजागर कर दिया कि कुछ विधायक चुनावी प्रचार के दौरान रंगरलियों में डूबे रहे.

शायर कहता है कि हे देशवासियो, चुनाव प्रचार तो अपनेआप में एक नैशनल फैस्टिवल है. चुनावी परचा भरने से कई दिन पहले ही भावी उम्मीदवार के घर हलवाई बैठा दिया जाता है. लजीज, लुभावने और तर व्यंजनों की मनभावन खुशबू चारों तरफ फैल जाती है. दूरदूर से बधाइयों व समर्थनप्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है.

असली भांगड़ा तो उस दिन होता है, जब उम्मीदवार को पार्टी का टिकट मिल जाता है. साकी इतनी जोर से जाम छलकाता है कि हर तरफ मय ही मय बरसती है और सारी फिजां पर मदहोशी का नशा छा जाता है. गाजेबाजे के साथ हमारा होनहार उम्मीदवार पूरी तरह सजधज कर अपना नामांकन परचा भरने जाता है.

सजी हुई सैकड़ों कारें, आदमकद बैनर, कारोंबसों पर चस्पां पोस्टर और लोकलुभावन नारे हवा में उछलते हैं. पूरे शहर का ट्रैफिक गड़बड़ा जाता है. पुलिस वाले खुद आगे बढ़ कर बैरिकेड लगाते हैं, ताकि बड़े लोगों की कारों के काफिले रुकने न पाएं.

आम आदमी को आनेजाने में कोई परेशानी न हो, इस बात की किसे चिंता है. पुलिस वाले तो बस पार्टी उम्मीदवार के गुस्से से ही डरते हैं. कल को अगर वह जीत गया, तो वही उन का माईबाप होगा.

ताकत दिखाने का यह सिलसिला बदस्तूर चलता रहता है. परचा भरतेभरते आधा प्रचार तो यों ही हो जाता है.

चुनाव में विरोधी को मात देने के लिए एक और तरीका अपनाया जाता है. जगहजगह स्टेज शो कराए जाते हैं. फिल्मी सितारे, बड़े खिलाड़ी, गायक व कलाकार भीड़ जुटाने में एड़ीचोटी का जोर लगाते हैं. सब को वक्त पर पैसा जो मिल जाता है. कूल्हे मटकाती मौडलें स्टेज पर कैबरे दिखाती हैं. इस दौरान उम्मीदवार के घर के बाहर लंगर चलता रहता है.

आखिरी हफ्ते में तो यह चुनावी फैस्टिवल पूरे रंग में होता है. आसपास के राज्यों से दबदबे वाले नेता बुलाए जाते हैं. वोटरों के दुखते कानों में इतना चुनावी कचरा फेंका जाता है कि वे बेचारे भी सोचते हैं कि कब चुनाव का दिन आए और वे वोट फेंक कर शांति से सो सकें.

प्रशासन की नाक में भी दम रहता है. सरकारी मुलाजिमों की नींद हराम हो जाती है. उन की जान तब आफत में पड़ जाती है, जब वे रातदिन एक कर के वोटिंग मशीनों को संभालते हैं, चुनाव कराते हैं, पहरा देते हैं.

शायर सही कहता है, ‘… और भी तुम ने बेकरार किया,’ यानी सुप्रीमो ने चलतेचलते कहा था, ‘अगले 6 महीने बाद दूसरे राज्यों में भी चुनावी बिगुल बजने वाला है. तुम्हारी ऐसी धमाकेदार सेवा फिर की जाएगी. ये मीडिया वाले तो सिरफिरे हैं, जो चुनावी फर्ज व शानोशौकत को रंगरलियों जैसे घटिया नाम से पुकारते हैं. हम ने तुम्हारे राज्य के मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष को फोन कर दिया है. तुम आराम से जाओ, वहां तुम्हारा बाल बांका तक नहीं होगा.

‘हां, फिर तैयार रहना लल्ला. इस बार तुम्हें बंगाल के काले जादू व असम की ब्लैक ब्यूटी का स्वाद चखाएंगे.’

‘वक्तेरुखसत तसल्लियां दे कर…’ वाह, क्या रुतबा है चुनावी प्रचार से लौटने वाले जत्थे का. शायर की बेकरारी काबिलेगौर है. नेताओं को अपने सुप्रीमो पर पूरा भरोसा है कि ऐसे नायाब चुनावी फैस्टिवल कभी नहीं थमेंगे. इलैक्शन कमिश्नर लाख सयाना बने, मगर हमारे रहनुमा कोई न कोई चोर दरवाजा तलाश ही लेते हैं.

शायर कहता है कि धन्य हैं हमारे भविष्य निर्माता, जो चुनावों को एक रंगारंग फैस्टिवल की तरह मनाते हैं, लंगर चलाते हैं, कंबलसाडि़यां बांट कर गरीबगुरबों की लाज ढकते हैं, बाजेगाजे, ठुमके, दवादारू का कामयाब आयोजन करते हैं और देश की एकता की अनूठी मिसाल कायम करते हैं. आखिर में जीत उन्हीं की होती है, जो गरीब जनता की जितनी ज्यादा सेवा करते हैं. जनता एक बार फिर चुनावों का बेसब्री से इंतजार करने लगती है.

जय श्री अदभुत चापलूस चालीसा यंत्र

भक्तो, हमारे देश में सरकारी नौकरी में आज इतने ज्यादा खतरे बढ़ गए हैं कि अपने को तीसमार खां कहने वाले भी कुरसी पर बैठने से पहले सौ बार भगवान का नाम लेते हैं. क्या पता कब जनता से कुछ लेते हुए क्राइम ब्रांच वालों के हत्थे चढ़ जाएं. क्या पता कब कैसे तबादला हो जाए.  क्या पता कब सस्पैंड हो जाएं.

सरकारी नौकरी में बुरे दिन आते देर नहीं लगती, इसीलिए हम ने सरकारी नौकरी में काम कर रहे अपने भाइयों और बहनों के लिए शास्त्रोक्त विधि से अपने ही देश में तैयार किया है जय श्री अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र, ताकि हमारा हर भाई मजे से कुरसी पर बैठे और अपनी दोनों टांगें मेज पर रख कर मौज कर सके. साहब तो साहब, भगवान तक उसे पूछने की हिम्मत न कर सके कि यार, दिन में ही यह क्या रात वाली लूटमार शुरू कर रखी है.

दोस्तो, दुनिया में साहब को पटाने का ऐसा कोई यंत्र नहीं है, जैसा यह चापलूस चालीसा यंत्र है. इस यंत्र का हर शब्द जाग्रत मंत्र है. इस यंत्र के आगे एक ऐसा लैंस लगा है, जिस में एक खास कोण से देखने पर संपूर्ण चापलूस चालीसा मंत्र के हर शब्द को साफसाफ पढ़ा जा सकता है.

यह अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र शुद्ध चौबीस कैरेट गोल्ड प्लेटिड साहब मूरत पर लिखा गया है. यह यंत्र पसीने से खराब नहीं होता. इसे पहन कर मुलाजिम कुछ भी करे, उसे पसीना आता ही नहीं, बल्कि इस यंत्र को देख कर दूसरों को पसीने आने लगते हैं. इसे गले में जिसजिस ने डाला, आइए अब जानते हैं उन्हीं की जबानी इस अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र की रहस्यमयी कहानी :

मिस्टर राजेश : मैं ने जब से इस यंत्र को गले में डाला है, साहब मेरे वश में हो गए हैं. जब तक यह चमत्कारी यंत्र मेरे गले में नहीं था, तब तक साहब मेरी ओर देखते भी नहीं थे. साहब सामने आते थे, तो मेरे पसीने निकलने शुरू हो जाते थे. मैं उन के आगेपीछे दुम हिलाता हुआ थक जाता था, पर वे मुझ कुत्ते की ओर ध्यान तक न देते थे.

सच कहूं, जब से मैं ने यह अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र गले में डाला है, तब से मैं साहब की बीवी से भी ज्यादा उन के नजदीक हो गया हूं. अब मैं नहीं, बल्कि वे मेरे आगेपीछे दुम हिलाते हैं. वे मुझे अपनी बीवी से भी ज्यादा प्यार करते हैं. जय श्री अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र.

मिस्टर देवेंद्र : जब मेरे एक दोस्त ने मुझे इस अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र के बारे में बताया, तो मुझे जैसे जीने की नई राह मिली. पहले तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ था कि अपने देश में भी ऐसे आला दर्जे के चापलूस चालीसा यंत्र बन सकते हैं. सच कहूं, तो मेरे ऊपर रिश्वत लेते हुए हर समय सस्पैंड होने का खतरा मंडराता रहता था. अब पुरानी लत होने के चलते छोड़ी भी नहीं जा रही थी. दुविधा में था कि अब क्या करूं, क्या न करूं?

आखिरकार मेरी परेशानी को देख कर मेरे उस दोस्त ने मेरे गले में अपना श्री अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र डाला, तो पहनते ही मेरी रिश्वत के बारे में नैगेटिव सोच एकदम बदल गई. मुझे ऐसा लगा कि रिश्वत लेना भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि यह तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है. देखते ही देखते मेरे मन से रिश्वत का डर जाता रहा और मैं ने यह अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र मंगवा कर अपने गले में डाल लिया.

सच कहूं, जब से मैं ने इस अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र को गले में डाला है, तब से मेरे रिश्वत लेने के हौसले में सौ गुना इजाफा हुआ है.

अब मुझे महकमे के किसी मुलाजिम से कतई डर नहीं लगता. अब दफ्तर में लोग मुझे देवू नहीं, बल्कि रिश्वत का देवेंद्र कहने लगे हैं. जय श्री अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र.

भाइयो, इस देश में इन की ही तरह लाखों ऐसे मुलाजिम हैं, जो इस यंत्र को गले में डाल कर नौकरी में मजे कर रहे हैं. हमाम में नंगे नहा रहे हैं. भूख न होने के बाद भी बस खाए जा रहे हैं. अगर आप भी चाहते हैं कि दफ्तर में कदम फूंकफूंक कर रखने से छुटकारा मिले, तो आज ही हमारे इस चापलूस चालीसा यंत्र को मंगवाइए. कीमत केवल 5 हजार रुपए. डाक खर्च 2 सौ रुपए अलग.

और हां, अगर आप अभी और्डर करते हैं, तो अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र के साथ 24 कैरेट गोल्ड प्लेटिड चेन फ्री.

बंधुओ, हम अपने चापलूस चालीसा यंत्र का किसी अखबार में कोई इश्तिहार नहीं देते. नकली अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र से सावधान रहें. आप की सुविधा के लिए हम ने नकली यंत्र से बचने के लिए डब्बे पर आप के ही शहर के लोकप्रिय भ्रष्ट की तसवीर नाई है, जो आंखें बंद कर के भी बिलकुल साफ दिखती है.

कमाल का है यह जय श्री अद्भुत चापलूस चालीसा यंत्र.

पलायन और प्रदूषण के बीच के इस संबंध को भी समझिए

युवा कसबों और गांवों से बुरी तरह शहरों और मैट्रोज में आ रहे हैं जहां शिक्षा के अवसर और कमाई के रास्ते तो हैं ही, खुलापन भी है जो उन के गांवकसबे में बिलकुल नहीं है. धर्म, जाति, भाषा के बंधनों से दूर युवा शहरों में आ जाते हैं पर ज्यादातर को सस्ते इलाकों में रहना पड़ता है, क्योंकि शहर बेहद महंगे और औसत युवा के लिए गांवकसबे की कमाई या बचत के बाहर के होते हैं.

युवाओं और मजदूरों की भरमार के कारण इन शहरों पर बेहद दबाव बढ़ रहा है और शहर दिनबदिन बदबूदार व प्रदूषित होते जा रहे हैं. गांवों की साफ हवा के आदी युवा शहर की जहरीली हवा में बीमार हो जाते हैं और दवाइयों पर निर्भर हो जाते हैं.

एक तरह से दुष्चक्र चल रहा है. चूंकि शहरों में मजदूर सस्ते मिल जाते हैं और मालिकों को कारखाने और सर्विस सैंटर बनाने में आसानी होती है तो वे शहरों में ही नौकरियों के अवसर दे रहे हैं और चूंकि अवसर शहरों के ही हैं, युवाओं को शहर आ कर भविष्य का दांव अपनाना पड़ता है और फिर शहर गंदे होते जाते हैं. हर शहर में गंदे इलाके बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं.

शहरों में प्रदूषण आज इस कारण बढ़ रहा है कि सड़कों, सीवरों, सफाई का इंतजाम बढ़ती आबादी के अनुसार करना कठिन होता जा रहा है. शहरों में कुछ लोग अमीर हो जाते हैं, सरकार को ज्यादा आबादी के शहरों से आय अधिक होने लगती है लेकिन नगर निकायों की आमदनी का स्रोत न के बराबर बढ़ता है जिस का असर शहर की गंदगी से सीधा जुड़ा है.

हर शहर के खाली इलाकों, आसपास के खेतों, जंगलों और यहां तक कि नदीनालों पर भी रहने के कच्चेपक्के मकान बन गए हैं. जहां 1,000 लोग रहने चाहिए वहां 5,000 रहने लगे हैं तो प्रदूषण होगा ही. रोनेधोने से काम नहीं चलेगा क्योंकि न सरकार शहरों में किसी को आने से रोक सकती है न मांग के अनुसार सुविधाओं को तुरंत जुटा सकती है.

यह प्रदूषण तो अब जिंदगी का हिस्सा बन गया है और हमारी संस्थाएं चाहे जो मरजी हो कर लें, कुछ नहीं कर सकतीं. अब गांवों को सुधारने की तो बात करता भी कोई नहीं है क्योंकि वहां जो लोग बचे हैं वे निम्न जातियों के हैं और यह देश उन बहुमत वाली नीची जातियों के बारे में सोचने को तैयार तक नहीं. सो, शहरी प्रदूषण के लिए तैयार रहें, हरदम, फिट या अनफिट.

आज के टाइम में लड़की ही नहीं, लड़का भी हो संस्कारों वाला

दिनेश और उन की पत्नी उर्मिला अपनी बेटी सीमा के विवाह के 3 माह बाद उस की घरगृहस्थी देखने जयपुर जा रहे थे. पूरे रास्ते उन की बातचीत का विषय यही रहा कि उन की लाडली घरगृहस्थी कैसे संभालती होगी? शादी से पहले तो उसे पढ़नेलिखने से ही फुरसत नहीं थी. उन्होंने अपनी बेटी को सिखाया तो सब कुछ है, लेकिन जानने में और जिम्मेदारी उठाने में फर्क होता है और यही फर्क उन्हें परेशान कर रहा था कि पता नहीं वहां जा कर क्या देखने को मिले.

मगर उन की हैरानी का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने सीमा का घर खूब सजाधजा और व्यवस्थित देखा. कारण बहुत जल्दी उन की समझ में आ गया. घर के कामकाज जितना सीमा जानती थी, उतना ही उन का दामाद रवि भी जानता था. जिम्मेदारी का अनुभव दोनों को ही था. अत: दोनों ही इस जिम्मेदारी का लुत्फ उठा रहे थे.

उर्मिला हैरान थीं कि उन की बेटी की गृहस्थी में दामाद बराबरी की भूमिका अदा कर रहा है. दोनों कभी अपनी अज्ञानता पर मिल कर ठहाके लगाते, तो कभी कुशलता पर एकदूसरे की पीठ ठोंकते. ‘फलां औरत वाले काम’, ‘फलां मर्दों वाले काम’ के पचड़े के बजाय जिसे जो काम आता करता और जो काम नहीं आता उसे करने की कोशिश दोनों ही करते. दिनेश हैरानी से बेटी को गाड़ी धोते, उस की सर्विसिंग करवाते और दामाद को झाड़ू लगाते, सब्जियां काटते देख रहे थे.

पति ही नहीं साथी

रवि शुरू से ही कभी तालीम की वजह से, तो कभी नौकरी की वजह से परिवार से दूर अकेला रहा, जहां उसे अपना हर काम खुद करना पड़ता था. बाहर का खाना पसंद न होने की वजह से वह खाना भी खुद ही बनाने लगा. सीमा से शादी के बाद अच्छी बात यह हुई कि वह खालिस पति बनने के बजाय सीमा का सही माने में साथी बन गया.

सीमा के मातापिता ने बेटीदामाद को ऐसे पतिपत्नी के रूप में देखने की कल्पना सपने में भी नहीं की होगी. उन्हें खुशहाल देख कर दिनेश सोचने पर मजबूर हो गए कि कभी यह बात उन की समझ में क्यों नहीं आई?

परिवर्तन समाज के सिर्फ ढांचे या स्वरूप में ही नहीं आता, बल्कि उस के सदस्यों की भूमिका में बदलाव की मांग भी करता है. अगर हम इस नई भूमिका के मुताबिक ढल जाएं, तो जीवन सरल, सहज, आसान हो जाता है.

lifestyle

पहले के जमाने में जो भी था, वर्तमान में जो भी है असंगत है. इस थ्योरी से अलग अगर सोचो, तो पाएंगे पहले परिवार में महिलाओं की संख्या इतनी ज्यादा होती थी कि उन्हें पुरुषों की मदद की आवश्यकता ही नहीं होती थी. घरेलू मामलों से उन्हें दूर ही रखा जाता था. छोटीबड़ी उलझनें वे सभी आपस में मिलजुल कर ही सुलझा लिया करती थीं. यहां तक कि कई बातें घर के पुरुष सदस्यों तक पहुंचती भी नहीं थी.

अपना काम खुद करने की आदत

इस के विपरीत आज पतिपत्नी के बीच में पूरी गृहस्थी का जंजाल है. न कोई मदद मिले, न कोई सलाह दे, ऐसे में पत्नी चाहती है कि पति मदद करे और पति झुंझला उठता है कि उसे क्या पता इन के बारे में.

कई बड़ेबुजुर्ग कहते हैं कि आज के नवविवाहितों को देखो, विवाह होते ही एकदूसरे से झगड़ने लगते हैं. हम ने तो विवाह के 10 साल बाद तक एकदूसरे से ऊंची आवाज में भी बात नहीं की थी.

अगर विवाह होते ही झगड़ने के कारणों पर गौर करें, तो पाएंगे कि वे निहायत छोटीछोटी बातें होती हैं जैसे ‘तुम सामान क्यों फैलाते हो?’, ‘तुम ने आज सिर्फ एक सब्जी क्यों बनाई?’, ‘तुम ने नल बंद नहीं किया?’, ‘तुम ने शर्ट प्रैस नहीं की?’, ‘तो क्या मैं प्याज छीलूं?’

यह ऐसी स्थिति होती है, जिस में महिला छोटीबड़ी जिम्मेदारियों से बेहाल है और पुरुष समझ नहीं पा रहा कि वह बेहाल है, तो क्यों? महिलाओं का यही तो काम है. उस की मां भी करती थी. फिर उस की पत्नी को ये सब करने में झल्लाहट क्यों? वह सिर्फ इतनी सी बात नहीं समझ पाता कि उस की मां अकेली ये सब नहीं करती थीं. उन के साथ चाची, दादी, भाभी सभी हुआ करती थीं और अगर जीवन में कभी किया भी, तो गृहस्थी जब कम से कम 10-15 साल पुरानी हो चुकी थी.

आज भी ज्यादातर लड़कियां घरगृहस्थी से संबंधित हाईटैक ज्ञान से लैस हो कर ही ससुराल आती हैं. बेटी को ऊंची से ऊंची शिक्षा दिलाने के साथसाथ मातापिता उसे वह व्यावहारिक ज्ञान भी देते हैं, जिस में घरेलू कामकाज से ले कर ऊंचे संस्कार सब कुछ शामिल होता है.

व्यक्तित्व विकास पर ध्यान

मगर अपना काम खुद करना चाहिए, यही मामूली सा ज्ञान मातापिता अपने बेटे को नहीं दे पाते. उस की जरूरतें मां या बहनें सहज रूप से पूर्ण कर देती हैं. कपड़ों से ले कर जूतेमोजे तक विवाह से पहले मां, बहनें संभालती हैं, इस उम्मीद से कि विवाह के बाद ये सब काम उस की बहू करेगी.

परंपरागत सोच रेत की तरह होती है, जिस पर न केवल हम चलते हैं, बल्कि पीछे पद्चिह्न भी छोड़ जाते हैं. किसी भी महिला मंडली में बातचीत का यह आम विषय होता है कि अपने व्यवसाय में निपुण उन के पति घर के कामकाज में कितने अनाड़ी हैं.

आत्मनिर्भरता जरूरी

पत्नी कामकाजी हो या घरेलू, अगर पति सिर्फ अपनी देखभाल करना खुद सीख ले यानी कपड़े, जूतेमोजे, तौलिया वगैरहवगैरह के लिए पत्नी का मुंह ताकने के बजाय इन सब मामलों में आत्मनिर्भर बन जाए, तो कई समस्याओं का समाधान अपनेआप हो जाता है. इस से पुरुषों में जहां आत्मविश्वास आएगा, वहीं पत्नियां खुद के लिए भी वक्त निकाल पाएंगी. ‘मेरा क्या, मैं तो कुछ भी खा लूंगी, कुछ भी पहन लूंगी’ जैसी भावना से उबर कर वे भी व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देंगी.

इस संदर्भ में कावेरी का उदाहरण खास है. पतिपत्नी दोनों डाक्टर हैं. कहते हैं व्यवसाय एक होने से पतिपत्नी में सहज तालमेल की गुंजाइश ज्यादा होती है. पर डा. कावेरी के साथ ऐसा नहीं है. उन के पति डा. प्रभात अपनी हर छोटीबड़ी जरूरत के लिए कावेरी पर निर्भर हैं. सफाई पसंद हैं, इसलिए दरवाजों पर डस्ट नहीं देख सकते, पर खुद कभी डस्टर को हाथ नहीं लगाते.

‘कावेरी के हाथों से बने व्यंजनों की बात ही अलग है’ यह कह कर नौकरों को फटकने नहीं देते. दूसरी ओर कावेरी पति की इन ख्वाहिशों को पूरा करने में ऐसी जुटी कि डिस्पैंसरी उस के लिए सपना बन कर रह गई. एक दिन एक मित्र ने कहा कि कावेरी की मदद कर दिया कर तो सुन कर डा. साहब कहते हैं कि क्या करूं, मुझे कुछ आता ही नहीं. अगर डाक्टर अमन अपना काम खुद करना जानते और घरेलू दायित्वों को निभाने में जरा सा भी साथ देते, तो न केवल घर व्यवस्थित होता, कावेरी भी एक सफल डाक्टर होती.

अभिप्राय यह है कि अगर जरूरत हो तो किसी भी परंपरा की शुरुआत कभी भी की जा सकती है. नए जमाने की नई खुशबूदार मिट्टी में एक नई परंपरा के बीजारोपण का सही समय यही है. संतान बेटा हो या बेटी ऊंची शिक्षा, ऊंचे कैरियर के अलावा भावी पारिवारिक जीवन के लिए अब बेटी के समान ही बेटे को भी तैयार करना होगा.

जैसे संस्कारों से लैस बहू हमें चाहिए वैसे ही संस्कार बेटे में डालने का होमवर्क भी पहले ही कर लेना चाहिए. अगर हम सभी क्षेत्रों में बेटी को आत्मनिर्भर देखना चाहते हैं, तो बेटे को क्यों नहीं? आज जब महिलाएं घर से ले कर बाहर तक सभी जगह अपनी सफल और मजबूत मौजूदगी दर्ज करा रही हैं, तो घर का मोरचा पुरुषों के लिए वर्जित क्यों रहे? गृहस्थी से ले कर दफ्तर तक, आत्मनिर्भर तो दोनों को ही बनना होगा, फिर चाहे बेटा हो या बेटी.

मी ऐंड माईसैल्फ : पर्सनैलिटी को मैंटेन रखना है बहुत फायदेमंद

अकसर उम्र बढ़ने के साथसाथ और गृहिणी होने के कारण महिलाओं की यह सोच बन जाती है कि उन्हें किस के लिए सुंदर दिखना है. आखिर उन्हें देखने वाला ही कौन है. यह उम्र तो उन के बच्चों के सजनेसंवरने की है. सजनासंवरना तो सिर्फ उन महिलाओं के लिए जरूरी होता है जो कामकाज के सिलसिले में घर से बाहर हैं. लेकिन आज की उन की यह सोच बिलकुल गलत है, क्योंकि पहननाओढ़ना उम्र का मुहताज नहीं होता, बल्कि यह तो महिला की खुद की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह खुद को हर उम्र में कैसे वैल मैंटेन रख कर सैलिब्रिटीज की तरह मिसाल कायम कर सकती है. इसलिए यह बात मन में बैठा लें कि उम्र भले ही ढलने लगे, लेकिन पर्सनैलिटी फीकी नहीं पड़नी चाहिए.

ये सैलिब्रिटीज हैं मिसाल

हेमामालिनी आज करीब 69 साल की हैं और आज भी ग्लैमरस ऐक्ट्रैस मानी जाती हैं. अपने ग्लैमरस लुक को आज भी बरकरार रखते हुए वे यंग ऐक्ट्रैसेज को मात देती हैं. आज भी वे कइयों की ड्रीम गर्ल हैं. जब वे किसी फैशन शो में जाती हैं, तो उन का रैंप पर चलना ही कइयों के होश उड़ा देता है. दर्शक उन की फिल्मों के कायल हैं.

हेमामालिनी को क्लासिकल डांस में महारथ हासिल है. अपनी इसी कला से वे खुद को और ज्यादा मैंटेन रखती हैं. उन की ऐजलैस ब्यूटी का राज यह भी है कि वे मेकअप कम से कम करती हैं और ट्रैडिशनल ब्यूटी टिप्स को ही आजमाने में विश्वास रखती हैं. स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए वे फलों और सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करने पर ज्यादा जोर देती हैं. यही सब चीजें उन्हें हर उम्र में खूबसूरत और हैल्दी बनाए हुए हैं.

माधुरी दीक्षित

50 साल की होने के बावजूद माधुरी का फेस फ्रैश लुक देता है, क्योंकि वे ऐक्ट्रैस होने के बावजूद भी महंगे कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स को यूज करने के बजाय घरेलू नुसखों पर ज्यादा विश्वास रखती हैं.

lifestyle

माधुरी का सभी उम्र के लोगों के लिए हमेशा यही संदेश रहता है कि भले आप की उम्र बढ़ती जाए, लेकिन आप हमेशा खुद को मैंटेन रखें ताकि देखने वाले देखते रह जाएं. माधुरी को डांस का शौक है और वे अपने इसी शौक को ऐक्सरसाइज के तौर पर प्रयोग कर खुद को फिट बनाए रखती हैं. वे दूसरों के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए मैंटेन रहती हैं.

जूही चावला

चुलबुले किरदार और मनमोहक मुसकान के लिए जानी जाने वाली जूही चावला 50 साल की उम्र में भी खुद को वैल मैंटेन किए हुए हैं. उन का मानना है कि भले ही हम घर पर रहें, तो भी खुद को मैंटेन रखना चाहिए. इस से हमारा कौन्फिडैंस बूस्ट होता है. वे अपनी स्किन को हमेशा तरोताजा बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीती हैं और रात को मेकअप रिमूव करने के बाद ही सोती हैं.

lifestyle

जूही का मानना है कि अगर खुद को बीमारियों से बचाना है तो सुबह की नींद छोड़ कर फ्रैश हवा में घूमें. फिर देखें कैसे आप पूरी उम्र जवां दिखती हैं.

कैसे संवारें खुद को

कोकिल कपूर मेकओवर के अनुसार सब से पहले हमारा चेहरा आकर्षित करता है, बाकी चीजों पर ध्यान बाद में जाता है, इसलिए स्किन केयर बहुत जरूरी है. जिस तरह समयसमय पर आप का मन मार्केट जा कर अच्छे आउटफिट्स खरीदने का होता है ठीक उसी तरह आप समयसमय पर अपने फेस को भी ब्यूटी ट्रीटमैंट दे कर और ग्लोइंग बनाएं. यह न सोचें कि मैं तो घर पर ही रहती हूं, इसलिए मुझे क्या जरूरत है. आप का ऐसा सोचना गलत है, क्योंकि आप भले ही घर में रहती हों, लेकिन किचन से वास्ता तो पड़ता ही है जहां धुआं, पसीना त्वचा को प्रभावित करते हैं. इसलिए स्किन ट्रीटमैंट लेना जरूरी है ताकि आप की स्किन हर उम्र में हैल्दी रहे. इस के लिए महीने में 1 बार ब्यूटीपार्लर जरूर जाएं. घर पर ग्लो के लिए आप संतरे के रस में बेसन मिला कर हफ्ते में 2 बार चेहरे पर लगाएं. मुहांसों के लिए खीरे के पानी में बेसन मिला कर चेहरे पर लगाएं.

डाइट का रखें खास ध्यान

डा. पवन सेफी, रचना डाइट के अनुसार शादी से पहले तक हर लड़की हैल्थ कौंशस होती है, खुद को मैंटेन रखती है. लेकिन शादी के बाद वह खुद के प्रति केयरलैस हो जाती है, जबकि हर 5 साल में हारमोंस में बदलाव होता रहता है. वह लड़की से पत्नी और पत्नी से मां तक बन जाती है, फिर भी खुद के लाइफस्टाइल को बदलती नहीं. एक ही फ्रेम में हमेशा सैट रहती है.

lifestyle

पहले पति को खुश करने के लिए उस की पसंद की चीजें बनाती हैं, फिर बच्चों की पसंद की. भले ही उस के लिए वे चीजें सही हों या नहीं और कभीकभी तो बिना खाए भी पूरा दिन निकाल देती है. यही लापरवाही धीरेधीरे उसे बीमारियों की गिरफ्त में ले जाती है. ऐसे में जरूरी है हैल्दी व समय पर खाना खाना. पूरे दिन में कम से कम 10-12 गिलास लिक्विड लें ताकि खुद को फिट रख पाएं. ध्यान रखें प्रैगनैंसी के बाद दूध पीने से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं, क्योंकि विटामिंस और मिनरल्स की पूर्ति इन्हीं से होती है.

न पड़ें मैडिकल ट्रीटमैंट के चक्कर में

बौलीवुड में खुद को खूबसूरत दिखाने की होड़ लगी रहती है और इसी होड़ में वे अपने हर अंग को खूबसूरत बनाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी तक कराने में पीछे नहीं रहतीं. लेकिन आप को बता दें कि अनेक ऐसे उदाहरण हैं प्लास्टिक सर्जरी के, जिन के घातक परिणाम सामने आए हैं. इन में शुमार हैं कोइना मित्रा, राखी सांवत, कंगना राणावत, अनुष्का शर्मा, मिनिषा लांबा, जिन्हें बाद में अपने फैसले पर बहुत पछताना पड़ा, क्योंकि खूबसूरत दिखने की जिस चाह से उन्होंने सर्जरी कराई थी उसी ने उन्हें बदसूरत बना दिया.

आज भी लोग कंगना के मासूम चेहरे को मिस करते हैं और राखी के प्लास्टिक फेस के चर्चे तो काफी समय तक रहे. इतना ही नहीं ईशा देओल की लिप सर्जरी भी चर्चा में रही. इसलिए खुद को संवारने के लिए मैडिकल ट्रीटमैंट के चक्कर में न पड़ें.

बनाएं खुद से अपनी पहचान

आप की पहचान खुद से, आप के वर्क से, आप की पर्सनैलिटी से होनी चाहिए न कि आप के पिता, पति के नाम से. आप जब कहीं जाएं तो कोई यह न कहे कि आप फलां उद्योगपति की पत्नी हैं, बल्कि आप अपने व्यक्तित्व से मुकाम हासिल करें. लोगों की जबान पर बस आप की सफलता के ही चर्चे हों.

ड्रैसिंग सैंस का रखें खयाल

नोएडा स्थित केडीआई की फैशन डिजाइनर मीनाक्षी शर्मा के अनुसार आप की ड्रैसिंग सैंस हर उम्र में यूनीक होनी चाहिए ताकि आप चाहे घर में हों या बाहर सभी आप के आउटफिट्स की तारीफ करें. यह जरूरी नहीं कि महंगे आउटफिट्स से ही आप तारीफ पा सकती हैं या फिर जो कपड़े दूसरों पर अच्छे लगें वे आप पर भी अच्छे लगें. बल्कि जरूरी है कि आप अपने फीचर्स को ध्यान में रख कर कलर और कपड़ों का चयन करें. फिटिंग का ध्यान खासतौर पर रखें, क्योंकि अगर आप जरूरत से ज्यादा ढीले या टाइट कपड़े पहनेंगी तो बेढंगी लगेंगी. इसलिए फिटिंग एकदम परफैक्ट होनी चाहिए. ब्राइट कलर के कपड़े ज्यादा खरीदें और उन के साथ ऐक्सैसरीज और फुटवियर भी मैचिंग हो. सिर्फ कपड़ों पर ही नहीं, बल्कि अपने लुक और फेस पर भी ध्यान दें. फिर देखिए आप का कौन्फिडैंस अलग ही दिखेगा.

यह सोच कभी मन में न लाएं कि हमें क्या जरूरत इस उम्र में ड्रैस सैंस रखने की, क्योंकि यह न सिर्फ आप के लिए, बल्कि औरों के सामने भी आप को प्रेजैंटेबल बनाती है.

बंद हो सकता है एप्पल का Iphone X, जानें आखिर क्यों

एप्पल आईफोन के खरीदारों के लिए बुरी खबर है. आईफोन एक्स 2018 में बंद हो सकता है. ऐसा हम नहीं एक एजेंसी ने दावा किया है. दरअसल, एप्पल ने पिछले साल लेटेस्ट टेक्नोलौजी से लैस अपना नया हैंडसेट आईफोन X पेश किया था. एप्पल का यह फोन बेस्ट-सेलिंग आईफोन्स में से एक नहीं रहा. क्योंकि, एप्पल ने इसका लिमिटेड स्टौक ही बनाया. प्रोडक्शन में देरी के कारण इसकी बिक्री की शुरुआत में ही धीमी रही. अब अनुमान लगाया गया है कि 2018 की पहली तिमाही में फोन की 18 मिलियन यूनिट्स ही बिकेंगी.

ये है इसका बड़ा कारण

KGI सिक्योरिटीज के विश्लेषक Ming-Chi Kuo के मुताबिक, आईफोन एक्स के निराश करने वाले नंबर की वजह से एप्पल इसे बंद कर सकती है. दरअसल, आईफोन एक्स की कम बिक्री का सबसे बड़ा कारण चीन रहा. चीन के यूजर्स को आईफोन X का डिस्प्ले छोटा लगा. दरअसल, आईफोन X में 5.8 इंच की स्क्रीन है, लेकिन उसका इस्तेमाल करने वाला एरिया 5.5 इंच से भी कम है. जबकि पुराने आईफोन में यह ज्यादा था. यूजर्स को आईफोन की सीरीज 10 के मुकाबले सीरीज 6 और 7 ज्यादा बेहतर लगी. एप्पल को भी इन्हीं सीरीज पर यूजर्स का अच्छा रिस्पांस मिला.

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2018 के मध्य तक बंद होगा iPhone X

आईफोन एक्स के भविष्य को लेकर अभी कुछ निश्चित नहीं है. आधिकारिक तौर पर इसकी कोई घोषणा नहीं हुई है. लेकिन, Kuo के मुताबिक आईफोन एक्स को 2018 के मध्य तक बंद किया जा सकता है. हालांकि, तब तक आईफोन एक्स की तकरीबन 62 मिलियन यूनिट्स की बिक्री हो जाएगी. यह पहले के 80 मिलियन यूनिट्स की बिक्री के अनुमान से कम है.

भारत में भी नहीं मिला अच्छा रिस्पौन्स

भारत में भी आईफोन एक्स को बहुत अच्छा रिस्पौन्स नहीं मिला. इसके पीछे फोन की कीमत रही. लोगों का मानना है कि यह महंगा था. भारत में इसकी शुरुआती कीमत 89000 रुपए है. उम्मीद है कि आईफोन एक्स से इंस्पायर मौडल्स कम कीमत पर लौन्च किए जाएंगे. खासतौर से 6.1 इंच का आईफोन SE लौन्च होने की उम्मीद है. यह उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सकता है.

जज्बा-ए-दोस्ती : पाकिस्तानी खिलाड़ी ने बांधा हिंदुस्तानी क्रिकेटर के जूते का फीता

भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम ने भले ही पाकिस्तान की क्रिकेट टीम को सेमीफाइनल मुकाबले में हरा दिया हो, लेकिन मंगलवार को मैच के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से एक पाकिस्तानी क्रिकेटर ने हर हिंदुस्तानी का दिल जीत लिया.

दरअसल, मैच के दौरान भारत की ओर से जिताऊ पारी खेलने वाले बल्लेबाज शुभमान गिल के जूते का फीता खुल गया था, जिसे एक पाकिस्तानी क्रिकेटर ने बांधा.

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में भले ही कड़वाहट हो, लेकिन सेमीफाइनल मैच के दौरान हुए इस वाक्ये ने दोनों देशों के रिश्तों में मिठास पैदा करने वाला काम किया. सोशल मीडिया पर इस खास पल की तस्वीर इस वक्त काफी वायरल हो रही है. यह तस्वीर स्पोर्ट्समैन स्पिरिट का बेहद ही शानदार उदाहरण है.

बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए अंडर-19 क्रिकेट के सेमीफाइनल मुकाबले में भारत ने 203 रनों से शानदार जीत हासिल की. टीम इंडिया की ओर से मैच जिताऊ पारी खेलते हुए शुभमान गिल ने नाबाद 102 रन बनाए.

यह मैच हेगले ओवल मैदान पर खेला गया, इसे जीतने के साथ ही भारत ने आईसीसी अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में जगह बना ली है. इस मैच में औफ द मैच शुभमन गिल को मिला. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवरों में नौ विकेट के नुकसान पर 272 रन बना लिए थे. 273 रनों का पीछा करते हुए बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तान की टीम 29.3 ओवरों में 69 रनों पर ही ढेर हो गई. भारत की तरफ से सबसे ज्यादा चार विकेट ईशान पोरेल ने लिए. इस पूरे टूर्नामेंट में यह पाकिस्तान का सबसे कम स्कोर है. पाकिस्तान के सिर्फ तीन बल्लेबाज ही दहाई का आंकड़ा छू सके.

सबसे ज्यादा 18 रन रोहेल नजीर ने बनाए. साद खान ने 15 और मुहम्मद मूसा ने 11 रन बनाए. भारत की ओर से कप्तान पृथ्वी शौ ने 41 और मनजोत कालरा ने 47 बनाते हुए मैच को अच्छी शुरुआत दी और पहले विकेट के लिए 89 रन जोड़े. भारत का पहला विकेट कप्तान के रूप में गिरा. इन दोनों के बाद एक छोर से सिर्फ शुभमान विकेट पर जमे रहे जबकि दूसरे छोर से विकेट गिरते रहे.

यामहा आर15 वी3 की बुकिंग शुरू, जानें क्या है खास

Auto Expo 2018 आने वाला है, इससे पहले ही कंपनियां अपने नए वाहन लौन्च भी कर रही हैं, वहीं कुछ कंपनियां औटो एक्सपो में लौन्च करेंगी. अब यामाहा ने अपनी आने वाली बाइक Yamaha R15 V3 की बुकिंग शुरू कर दी है.

इस बाइक को कंपनी औटो एक्सपो में लौन्च करेगी. कंपनी ने इस बाइक की बुकिंग लेनी शुरू कर कर दी है. इसे यामाहा के किसी भी डीलर के यहां बुक किया जा सकता है. इसका बुकिंग अमाउंट 5,000 रुपए रखा गया है.

अभी से बुकिंग कराने का यह फायदा होगा कि लौन्च होने पर डिलीवरी लेने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. भारत में आ रहे यामाहा के इस मौडल में इसके इंटरनेशल मौडल के मुकाबले कुछ कम फीचर्स होंगे.

भारतीय मौडल में (एबीएस) एंटी लौकिंग ब्रेकिंग सिस्टम नहीं होगा. इसके अलावा अपसाइड डाउन फौर्क्स की बजाए रेग्युलर फौर्क्स दिए जाएंगे. यह बाइक यामाहा की R15 V2 को रिप्लेस करेगी. वहीं इसकी कीमत की बात करें तो इसकी कीमत 1.2 लाख रुपए के आसपास हो सकती है.

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इंजन

इंजन की बात करें तो R15 V3.0 में 155.1CC का लिक्विड कूल्ड, सिंगल सिलेंडर इंजन मिल सकता है. पावर की बात करें तो इसका इंजन 1,000RPM पर 19bHP की पावर देगा. वहीं 8,500 RPM पर 14.7 न्यूटन मीटर का टार्क देगा. इसके अलावा इसमें 6 स्पीड का गिरयबौक्स मिल सकता है.

आपको बता दें कि हीरो ने भी अपनी Xtream 200R को भारत में पेश कर दिया है. इस बाइक की कीमत 90,000 रुपए के करीब होने की संभावना है. इस बाइक को अप्रैल से सेल किया जाएगा. इसमें 200CC का इंजन दिया गया है. इंजन 18.1bHP की पावर देता है. वहीं इसका टार्क 17.1 न्यूटन मीटर का है. इसमें 5 स्पीड वाला गियर बौक्स दिया गया है.

xtreme 200R की सवारी को आरामदायक बनाने के लिए इसमें नया सस्पेंशन सिस्टम दिया गया है. यह हीरो की पहली बाइक है जिसके पीछे भी मोनोशौक दिया गया है. Xtreme 200R के फ्रंट और रियर में ब्रेकिंग के लिए 276mm की डिस्क प्लेट दी गई है. वहीं इसकी ब्रेकिंग को आसान बनाने के लिए इसमें ABS (एंटी लौक ब्रेकिंग सिस्टम) का औप्शन भी दिया गया है.

स्टेट बैंक औफ इंडिया ने बढ़ाए डिपौजिट रेट्स

लेंडिंग कारोबार से कौम्पटीशन बढ़ाने की तैयारी में जुटी स्टेट बैंक औफ इंडिया (एसबीआई) ने पांच साल में पहली बार डिपौजिट रेट में बढ़ोतरी की है. पिछले महीने प्राइवेट सेक्टर के एक्सिस बैंक ने डिपौजिट रेट में मामूली बढ़ोतरी की थी. एसबीआई ने 1 करोड़ रुपये से ज्यादा डिपौजिट और सीनियर सिटीजंस के रेट्स में 50 से 140 बेसिस प्वाइंट्स तक की बढ़ोतरी की है. 100 बेसिस प्वाइंट्स 1 पर्सेंटेज प्वाइंट के बराबर होता है. बैंक ने सबसे ज्यादा रेट हाइक 46 से 210 दिन के डिपौजिट्स के लिए किया है जो 140 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी के साथ 4.85% से बढ़कर 6.25% हो गया है.

एसबीआई ने कहा है कि वह एक साल के बल्क डिपौजिट पर तत्काल प्रभाव से 100 बेसिस प्वाइंट्स यानी 1 पर्सेंटेज प्वाइंट ज्यादा 6.25% रेट औफर कर रहा है. उसने सात से 46 दिन के डिपौजिट पर 50 बेसिस प्वाइंट्स ज्यादा यानी 5.25% रेट औफर करने का ऐलान किया है जबकि 46 दिन से 2 साल तक के डिपौजिट पर वह 6.25% देगा. दो से दस साल के डिपौजिट्स पर एसबीआई 6% रेट औफर कर रहा है. रेट बढ़ाने की जरूरत इसलिए पड़ी है कि बैंक लोन बांटने के लिए एक्सेस सरकारी बौन्ड्स की बिकवाली में जुटे हैं. उनको जितने डिपौजिट की जरूरत है वह उनके तय रेट पर नहीं मिल रहा है.

रेटिंग कंपनी इकरा के ग्रुप हेड-फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा, ‘बल्क डिपौजिट सेगमेंट में ज्यादा डिपौजिट जुटाने और डिपौजिट रेट बढ़ाने की जरूरत नजर आ रही है. पिछले क्वार्टर में सर्टिफिकेट औफ डिपौजिट आउटस्टैंडिंग के वौल्यूम में तेज उछाल आई और मिनिमम कौरपोरेट डिपौजिट रेट में बढ़ोतरी हुई.’ बैंकों की तरफ से शौर्ट टर्म फंड जुटाने में इस्तेमाल होनेवाले सर्टिफिकेट फंड डिपौजिट्स का वौल्यूम जनवरी में 1.52 लाख करोड़ रुपये हो गया जो सितंबर में 82,412 करोड़ था. इसके साथ ही उनका रेट्स 6.12% से बढ़कर 6.23% हो गया.

बता दें कि 5 जनवरी तक इंक्रीमेंटल क्रेडिट 2.02 लाख करोड़ रुपये था जो 1.27 लाख करोड़ रुपये के एडिशनल डिपौजिट से कहीं ज्यादा है. 29 सितंबर 2017 से 5 जनवरी 2018 के बीच इंक्रीमेंटल क्रेडिट 1.85 लाख रुपये रहा जो 0.30 लाख करोड़ रुपये के डिपौजिट से बहुत ज्यादा है. लोन की डिमांड और डिपौजिट एडिशन में ज्यादा फर्क होने के चलते बैंकों ने बौन्ड पोर्टफोलियो को बेचना शुरू कर दिया था.

दूसरा कपिल देव पैदा नहीं हो सकता : मोहम्मद अजहरुद्दीन

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने युवा हरफनमौला खिलाड़ी हार्दिक पांड्या की तुलान कपिल देव से किए जाने पर अपनी नराजगी जताई है. उन्होंने इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे बकवास बताया है. अजहर का कहना है कि “हार्दिक पांड्या की तुलान कपिल देव से करना सही नही है, दूसरा कपिल देव पैदा नहीं हो सकता. दूसरा कपिल देव लाना बेहद ही मुश्किल है क्योंकि जो मेहनत उन्होंने उस दौरान की है वो अतुलनीय है. वह एक दिन में 20-25 ओवर डालते थे. कई लोग अब ऐसा नहीं कर सकते.”

बता दें कि हालिया दौर में पांड्या ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जिसकी वजह से उनकी तुलना कपिल देव से की जाने लगी है. उन्होंने हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में शानदार प्रदर्शन किया था. अजहर ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में मिली 63 रनों की जीत की तारीफ की है.

देश के सबसे सफल कप्तानों में शुमार अजहर ने कहा, “यह अच्छी बात है कि हम आखिरी मैच जीतने में सफल रहे. हम उस विकेट पर नंबर-1 टीम की तरह खेले. हमने अपना सम्मान बचाया. भारत ने गेंदबाजी भी अच्छी की और बल्लेबाजी भी.” अजहर ने साथ ही कहा कि “तीसरे टेस्ट में भारत के गेंदबाजों ने उसे मैच जिताया. गेंदबाजों ने हमारे लिए आखिरी टेस्ट मैच जीता. उन्होंने हकीकत में दक्षिण अफ्रीका को दबाव में रखा. हम थोड़े से दुर्भाग्यशाली रहे कि हम सीरीज नहीं जीत सके.”

अजहर कोहली के दूसरे टेस्ट में अाजिंक्य रहाणे और भुवनेश्वर कुमार को न उतारने के फैसले से नाखुश दिखे. उन्होंने कहा, “वह दोनों खिलाड़ी खेलने चाहिए थे, लेकिन एक कप्तान के तौर पर उन्होंने कोहली का बचाव भी किया और कहा एक कप्तान दूसरी तरह से सोचता है और टीम दूसरी तरह से. बाहर से सभी को लग रहा था कि इन दोनों को टीम में होना चाहिए था”. उन्होंने आगे कहा, “कोहला ने एक कप्तान के तौर पर अच्छा काम किया. उनका रिकार्ड अच्छा है.”

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