दो बहनों की शानदार जोड़ी एक बार फिर बड़े पर्दे पर नजर आने वाली है. हम बात कर रहें फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ की रेणुका शहाणे और माधुरी दीक्षित की. जी हां, दोनों अभिनेत्रियां बहुत जल्द ही एक मराठी फिल्म में नजर आने वाली हैं. बौलीवुड की धक-धक गर्ल और रेणुका शहाणे की जोड़ी 23 साल बाद एक बार फिर देखने को मिलेगी.
इसको लेकर हाल ही में एक कार्यक्रम में रेणुका ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, यह उनके लिए सपने जैसा है जो एक बार फिर सच हो रहा है. उनका सपना था कि वे एक बार फिर माधुरी के साथ काम करें और उनका ये सपना अब 23 साल बाद पूरा हो गया. वह इसे लेकर काफी उत्साहित हैं. उन्हें लगता है अगर किसी को माधुरी दीक्षित के साथ काम करने का अवसर मिलता है तो उसे करना चाहिए, भले ही उसके लिए उन्हें पैसे ही क्यों न देने पड़े. वह इतनी शानदार अभिनेत्री हैं.
गौरतलब है कि 1994 में आई सुपरहिट फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ में रेणुका ने माधुरी की बड़ी बहन का किरदार निभाया था. इस फिल्म में उनके अलावा सलमान खान मुख्य भूमिका में थे. किरदार के मुताबिक, रेणुका सीढ़ी पर से गिरने के कारण दम तोड़ देती हैं. दर्शकों ने इस पिल्म को काफी पसंद किया था. फिल्म ने बौक्स औफिस पर बहुत धमाल मचाया था. आज भी जब लोग इस फिल्म को देखने बैठते हैं तो उसी दिलचस्पी के साथ पूरा फिल्म देखते हैं जितने मजे के साथ किसी फिल्म को पहली बार देखा जाता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दोनों बड़े अभिनेत्रियां बड़े ही लंबे अरसे बाद मराठी फिल्म ‘3 स्टोरिज’ में साथ काम कर रही हैं. इस फिल्म में उनके अलावा पुलकित सम्राट भी हैं.
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24 साल तक अपने बल्ले से क्रिकेट की दुनिया को सम्मोहित करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर अब क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं, लेकिन उनके बनाए अनगिनत रिकौर्ड उन्हें हर दिन क्रिकेट की दुनिया में चर्चा में बनाए रखते हैं. एक और खास बात है जो उन्हें लगातार खबरों में बनाए रखती है, वह हैं उनके बेटे अर्जुन तेंदुलकर. सचिन की तरह अर्जुन भी क्रिकेट खेलते हैं और आए दिन अपने प्रदर्शन से खूब सुर्खिया बटोरते हैं. हालांकि अर्जुन सचिन की तरह बल्लेबाजी नहीं, बल्कि गेंदबाजी करते हैं. वह बल्ले से भी कई बार कमाल करते हैं.
अभी हाल में अर्जुन तब चर्चा में आए, जब उन्होंने औस्ट्रेलिया में एक टूर्नामेंट में 24 गेंदों में 48 रन बनाए. इसके साथ ही उन्होंने मैच में 4 विकेट भी झटके. खबरों की दुनिया में आए दिन अर्जुन की तुलना सचिन तेंदुलकर के साथ की जाती है. इस बारे में जब सचिन से सवाल किया गया तो टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपने बेटे अर्जुन से खुद की तुलना पर अपनी राय रखते हुए कहा कि अर्जुन को अर्जुन ही रहना चाहिए, उसकी तुलना मुझसे नहीं होनी चाहिए. सचिन ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में जारी औटो एक्सपो में ये बात कही.
सचिन ने कहा कि अर्जुन को अपने खेल पर फोकस करना चाहिए और खेल के प्रति जूनून बनाये रखना चाहिए. किसी भी एक पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी से तुलना नहीं करना चाहिए. एक पिता होने के नाते मैं चाहता हूं कि अर्जुन बेहतर बने, मैंने भी यही अपने पिता से सीखा है. जीवन में आने वाली हर चुनौती से दो चार होना और इन सबके बीच खेल के प्रति जूनून बनाये रखना ही उसे आगे ले जा सकता है.
वर्तमान टीम अब तक सबसे बेहतरीन टीमों में से एक है, इस सवाल के जवाब में सचिन ने कहा कि मैं टीमों की तुलना करना पसंद नहीं करता हूं. क्योंकि तुलना करते वक्त हम उन खिलाड़ियों का कुछ न कुछ छोड़ देते हैं. जिन्होंने अपने ढंग से इस खेल में अपना योगदान दिया है, आज इस खेल का स्तर इतना उठा है, तो इसमें सभी का योगदान है. इसलिए हमें तुलना करने से बचना चाहिए.
भारत के लिए सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के करियर में 34357 रन बनाये हैं. उन्होंने 100 शतक और 164 अर्धशतक अपने नाम किए. जो मौजूदा समय में रिकौर्ड है. भारतीय खेलों में सचिन तेंदुलकर के सराहनीय योगदान की वजह से उन्हें साल 2014 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा जा चुका है.
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आइसक्रीम लवर्स को इस गर्मी झटका लग सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अपनी फेवरेट आइसक्रीम खाने के लिए उन्हें ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस व्यापार से जुड़ी बड़ी कंपनियां इस गर्मी आइसक्रीम के दाम पांच प्रतिशत तक बढ़ाने के बारे में सोच रही हैं. कीमत में वृद्धि की वजह ड्राई फ्रूट्स, फ्यूल आदि के दाम समेत अन्य लागत बढ़ना बताई जा रही है.
एक खबर के मुताबिक, कीमतें बढ़ने के बावजूद आइसक्रीम का 8,000 करोड़ रुपये का संगठित उद्योग 15 से 18 प्रतिशत की सालाना वृद्धि की उम्मीद कर रहा है. वाडीलाल और क्रीमबेल जैसी बड़ी क्रीम कंपनियां जहां दाम बढ़ाने पर विचार कर रही हैं, वहीं अमूल कंपनी का कहना है कि वह अभी कीमतों में इजाफा नहीं करेगी.
दूसरी ओर मदर डेयरी की ओर से कहा गया है कि वे अभी स्थिति का आकलन कर रहे हैं, जिसके बाद ही कीमतों को लेकर कोई भी फैसला लिया जाएगा.
क्रीमबेल की ओर से इस मामले में कहा गया कि, छह महीनों में डीजल, वेतन-मजदूरी, और पैकेजिंग मटेरियल की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. इस वजह से आइसक्रीम की लागत बढ़ी है, ऐसे में उसकी कीमतें बढ़ना तय है.
कंपनी ने कहा कि पिछले कुछ सालों से कीमतें स्थिर बनी हुई थीं. लेकिन अब लागत की बढ़ती कीमत से निपटने के लिए दाम बढ़ाना जरूरी हो गया. इस साल इसकी कीमतें पांच प्रतिशत बढ़ाई जाएंगी. यानी जो आइसक्रीम 20 रुपये में मिलती थी वो अब 25 रुपये में मिलेगी.
वहीं इंडस्ट्री का मानना है कि कीमतों में इजाफा होने पर भी ग्राहकों की संख्या में कमी नहीं आएगी. उनका मानना है कि हर साल की तरह इस साल भी आइसक्रीम की डिमांड बनी रहेगी और इंडस्ट्री का कारोबार बढ़ेगा.
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अगर आप चाहते हैं कि आप किसी से व्हाट्सऐप पर चैट करें और वह आपको औनलाइन नहीं देख पाए और साथ ही मैसेज पढ़ने का नीला निशान भी नहीं आए. तो आज हम आपको इसके बारे में ही बताने जा रहे हैं. ऐसा करने के लिए आपको कोई पैसे नहीं देने हैं. इसके लिए आपको बस अपने व्हाट्सऐप की सेटिंग्स में कुछ बदलाव करना होगा. इसके अलावा एक ऐप भी इंस्टॉल करनी होगी, सबसे खास बात की इसके लिए अलग से कोई पैसा नहीं देना है, यह बिल्कुल फ्री है.
सेटिंग्स में बदलाव करने के लिए अपने व्हाट्सऐप को ओपन करें. इसके बाद सबसे ऊपर राइट साइड में आ रहे 3 डौट्स पर क्लिक करना है. यहां कुछ औप्शन आएंगे. यहां सबसे पहले आ रहे Privacy (प्राइवेसी) के औप्शन पर क्लिक करें. यहां क्लिक करने के बाद कई औप्शन आएंगे. यहां सबसे आखिर में आ रहे Read Receipts (रीड रिसिप्ट्स) का औप्शन आ रहा होगा.
इसके सामने टिक का निशान आ रहा होगा, इस टिक के निशान पर क्लिक करके इसे हटा दें. इसे हटाने के बाद आप व्हाट्सऐप के किसी भी मैसेज को देखेंगे तो उस पर टिक का नीला निशान नहीं आएगा. मतलब सेंडर को पता ही नहीं चलेगा कि आपने मैसेज देख लिया है या नहीं.
यह सब करने के बाद सबसे पहले आप Unseen Ninja (अनसीन निंजा) ऐप को गूगल प्ले स्टोर से इंस्टौल करें इसे जब आप इंस्टौल कर लेंगे तो इसमें कुछ अलग से करने की जरूरत नहीं है. इसी ऐप में आपका व्हाट्सऐप चल जाएगा. जब भी कोई मैसेज आए तो इस ऐप से रिप्लाई करें.
इस ऐप से रिप्लाई करने पर व्हाट्सऐप पर आपको औनलाइन नहीं दिखाएगा. आप इसमें व्हाट्सऐप पर आने वाले सभी मैसेज पढ़ सकते हैं. इसके अलावा रिप्लाई भी कर सकते हैं. इस ऐप से रिप्लाई करने पर आपका लास्ट सीन टाइम भी नहीं बदलेगा. मतलब इस ट्रिक से आप व्हाट्सऐप पर आसानी से चैट कर सकते हैं लेकिन किसी को पता ही नहीं चलेगा.
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करण जोहर अपनी 2012 की सफलतम फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ की सिक्वअल फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’ का निर्माण करने जा रहे हैं, जिसका निर्देशन पुनीत मल्होत्रा करेंगे. जब से इस फिल्म के निर्माण की खबरें गर्म हुई थीं, तभी से फिल्म के कलाकारों को लेकर अटकलों का बाजार भी गर्म रहा.
पर अब सूत्र बता रहे हैं कि इस फिल्म में दो लड़के यानी कि दो छात्र की बजाय एक छात्र और एक छात्रा की बजाय दो छात्राएं होंगी.इतना ही नहीं फिल्म के हीरो टाइगर श्रौफ होंगे, पर उनकी निजी जिंदगी की प्रेमिका दिशा पाटनी को इस फिल्म में जगह नही मिल पायी. अब यह तय हो चुका है कि फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ में अब टाइगर श्रौफ के साथ अनन्या पांडे और तारा सुतारिया अभिनय करेंगी.
अनन्या पांडे की बतौर अदाकारा यह पहली फिल्म होगी. वह मशहूर बौलीवुड अभिनेता चंकी पांडे की बेटी हैं. जबकि तारा सुतारिया मशहूर वी जे, मौडल और टीवी कलाकार हैं. इतना ही नही ‘गुजारिश’ और ‘तारे जमीं पर’ जैसी फिल्मों में कुछ किरदारों को अपनी आवाज दे चुकी हैं.
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हमारी सभ्यता और संस्कृति में ठगी को विद्या और कला की मान्यता बेवजह नहीं मिली है. ठगी दुष्कर काम है जिस में आत्मविश्वास, ज्ञान और अभिनय सहित ढेरों गुणों व जानकारियां अनिवार्य होती हैं. यों ठगी सर्वव्यापी है. हर कोई किसी न किसी को ठग रहा है. व्यापारी ग्राहकों को, डाक्टर मरीजों को, बैंक उपभोक्ताओं को और नेता जनता को ठग रहे हैं.
यह मामला थोड़ा अलग है जिस में ठगों ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को ही चूना लगा डाला. यह बात खुद उन्होंने सदन में स्वीकारी कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद वजन घटाने वाली एक दवाई का इश्तिहार उन्होंने देखा और दवा और्डर कर दी. 1 हजार रुपए लेने के बाद दवा कंपनी ने फिर हजार रुपए मांगे तो वेंकैया का माथा ठनका पर तब तक वे आम लोगों की तरह ठगे जा चुके थे.
अब उम्मीद की जानी चाहिए कि इन ठगों की बाबत कोई कठोर कानून बनेगा जो लोगों की कमजोरियों का फायदा तरहतरह के विज्ञापन दे कर खुलेआम उठाते हैं. बेहतर तो यह होगा कि मोटे लोग वजन कम करने वाले चमत्कारी विज्ञापनों के चक्कर में पड़़ने के बजाय व्यायाम और खानपान पर ध्यान दें.
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बिहार के महाचर्चित चारा घोटाले का समापन राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को साढे़ 3 साल की सजा के साथ हुआ जिन्हें हजारीबाग जेल में मालीगिरी का काम सौंपा गया है. अब लालू साढ़े 3 साल जेल की बगिया संजोते क्यारियां बनाएंगे, सागसब्जी और फलफूल लगाएंगे और फिर निराईगुड़ाई भी करेंगे जिस से फसल में खरपतवार न उगे. इन्हीं खरपतवारों में से एक घास भी होती है जिसे चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
भा जाए तो जेल गार्डनिंग भी किचन गार्डनिंग की तरह रुचिकर काम है जिस में माली अपने रोपे पौधों को रोज बढ़ते देख खुश होता है. फिर लालू को तो इस बाबत 93 रुपए रोज की दिहाड़ी भी मिलेगी. इस मेहनताने का वे एक अलग सुख भोगेंगे. बस, वे यह ध्यान रखें कि अब कैसे भी हो, चारा न उग पाए और हाईकोर्ट उन्हें रहम खा कर जमानत दे दे.
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जमाना अब ब्रैंडेड राजनीति का है. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी प्यार की राजनीति पर जोर दे रहे हैं तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पूर्वोत्तर राज्यों की हिंसा के कीचड़ में कमल खिलने का सपना देख रहे हैं. तीसरे किस्म की जो राजनीति तमिल अभिनेता रजनीकांत करने जा रहे हैं वह आध्यात्मिक राजनीति होगी.
यह आध्यात्म क्या बला होती है, यह आज तक न कोई ढंग से समझ पाया और न ही कोई समझा पाया. अब इस में राजनीति की छौंक रजनीकांत ने लगा दी, तो लगता है प्रयोगवादी राजनीति के इस नए दौर में नेता भी भगवान को पाने की बात करने लगे हैं. तमिलनाडु की राजनीति द्रविड़ आंदोलन की गोद में पलीबढ़ी है जो मूलतया अनीश्वरवादी है. अब रजनीकांत इस में ईश्वरवाद भी घुसाने का जोखिम उठा रहे हैं तो तय है परदे के पीछे कोई और भी है. जब परदा पूरी तरह उठेगा तभी पता चलेगा कि आध्यात्मिक राजनीति के माने क्या होते हैं.
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छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य होने के चलते ही गरीब राज्य माना जाता है. मुख्यमंत्री रमन सिंह के ठाटबाट कभी किसी सुबूत के मुहताज नहीं रहे. चुनावी साल में रमन सिंह ने नया कारनामा 16 पजेरो कारें खरीदने का कर दिखाया है जिन की कीमत 8 करोड़ रुपए है. एक सी दिखने वाली इन कारों का नंबर भी एकसा सीजी-02-एआर 0004 है.
सुरक्षा के लिहाज से खरीदी गईं इन बुलैटप्रूफ कारों को ले कर चर्चा है कि इन्हें एक तांत्रिक के कहने पर खरीदा गया और 0004 नंबर इसलिए रखा गया कि राज्य में भाजपा चौथी बार भी सत्ता में आए और रमन सिंह फिर से मुख्यमंत्री बनें.
छत्तीसगढ़ में इस साल सूखा पड़ा है और मनरेगा में मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही. ऐसे में ये महंगी कारें गरीब आदिवासियों की नजरों में खटकते खतरे का संकेत हैं कि शौक इतनी बड़ी चीज का नहीं होना चाहिए.
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दिल्ली अब दुनिया की सब से अधिक प्रदूषित राजधानी हो गई है. इस का प्रदूषण स्तर चीन के बीजिंग को भी निरंतर पीछे छोड़ रहा है. प्रदूषण एक धीमा लेकिन पक्का हत्यारा है. आज के लोग जिन जहरीले तत्त्वों का सामना कर रहे हैं, वे लोगों के जीवनकाल को कई दिन या हफ्तों तक कम कर देंगे.
वायु प्रदूषण, कई स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हुआ है. विशेषरूप से फेफड़े के कैंसर से. एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, फेफड़े का कैंसर सभी तरह कैंसरों का 6.9 प्रतिशत है और पुरुषों व महिलाओं दोनों में कैंसर संबंधी मौतों में इस का योगदान 9.3 प्रतिशत है. हम में से हरेक के लिए समझना जरूरी है कि वायु प्रदूषण किस तरह से हमारे फेफड़ों और पूरे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है.
फेफड़े के कैंसर के कारण
फेफड़े के ऊतकों में कोशिकाएं जब अनियंत्रित हो कर बढ़ने लगती हैं तब अंदर एक ट्यूमर बनने लगता है, जिसे फेफड़े कैंसर या लंग कार्सिनोमा कहते हैं. यह मैटास्टासिस प्रक्रिया से पास के ऊतकों या शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. कार्सिनोमा के 2 मुख्य प्रकार हैं : लघु कोशिका लंग कार्सिनोमा (एससीएलसी) और गैरलघु कोशिका लंग कार्सिनोमा (एनएससीएलसी).
अधिकांश मामलों में फेफड़ों के कैसर की वजह होती है लंबे समय तक धूम्रपान. हालांकि, धूम्रपान न करने वालों में भी इस का 10 से 15 प्रतिशत तक जोखिम रहता है. इस के अलावा, इस कंडीशन में योगदान देने वाले अन्य कारकों में जैनेटिक्स और वायु प्रदूषण के जरिए शरीर में पहुंचने वाले विभिन्न हानिकारक पदार्थ शामिल हैं. जिन के परिवार में पहले किसी को यह समस्या है या जिन्होंने पहले रेडिएशन थेरैपी ली है उन को भी इस स्थिति का जोखिम बना रहता है.
संकेत और लक्षण
एससीएलसी और एनएससीएलसी दोनों के लक्षण समान हैं और इन में प्रमुख हैं- बिगड़ी हुई खांसी, खांसते समय कफ में खून आना, छाती का दर्द जो खांसते या हंसते समय बढ़ जाता हो, सांस की तकलीफ, घरघराहट, कमजोरी व थकान, भूख की कमी और वजन घटना. कुछ लोगों को सांस के संक्रमण जैसे निमोनिया या ब्रोंकाइटिस का अनुभव हो सकता है. जब कैंसर फैलता है तो प्रभावित क्षेत्र के अनुसार लक्षण भिन्न होते हैं.
वायु प्रदूषण व फेफड़ों का कैंसर
आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में हर साल 3,000 मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है, यानी प्रतिदिन 8 मौतें. मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव बहुत जटिल होते हैं. इस का कारण यह है कि इस के विभिन्न स्रोत हैं, और प्रत्येक का हमारे स्वास्थ्य पर एक अलग प्रभाव होता है. वायु प्रदूषण तत्त्व फेफड़ों और श्वसन प्रणाली पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं. वे रक्त परिसंचरण प्रणाली में घुलमिल जाते हैं और शरीर में हर ओर पहुंचने लगते हैं. इस के अलावा, ये वायु प्रदूषक तत्त्व मिट्टी, पौधों और पानी में भी जमा हो सकते हैं, जिस से कैंसर से जुड़े जोखिम में वृद्धि हो सकती है.
जैविक प्रदूषक ज्यादातर एलर्जीकारक होते हैं जो अस्थमा, फीवर और अन्य एलर्जी रोगों का कारण हो सकते हैं. वाष्पशील कार्बनिक पदार्थ नाक और गले में जलन पैदा करते हैं. वे लंबे समय तक सिरदर्द, मतली, और बैलेंस में कमी का कारण बन सकते हैं और जिगर व शरीर के अन्य भागों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. औद्योगिक तथा वाहन उत्सर्जन से निकलने वाली नाइट्रोजन औक्साइड, विशेषरूप से सर्दी में, बच्चों को सांस की बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील बनाती है. कार्बन मोनोऔक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिल कर औक्सीजन की क्षमता को कम कर सकती है. इस के अलावा, यह मस्तिष्क और हृदय के लिए भी हानिकारक है.
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स्मौग धूल, धूएं और धुंध का मिश्रण है. यह फेफड़ों और दिल दोनों के लिए बहुत खतरनाक है. सल्फर डाइऔक्साइड की उच्च मात्रा ब्रोंकाइटिस को बढ़ा सकती है.
डब्लूएचओ की इंटरनैशनल एजेंसी फौर रिसर्च औन कैंसर ने बाहरी वायु प्रदूषण को कार्सिनोजेन (कैंसर-कारक एजेंट) के रूप में वर्गीकृत किया है. यह अनुमान 5 महाद्वीपों से प्राप्त 1,000 से अधिक वैज्ञानिक कागजात और अध्ययनों का विश्लेषण कर के निकाला गया. प्रदूषित हवा में छोटे धूल कण होते हैं जिन्हें पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) कहते हैं. यह बहुत छोटे ठोस कणों और तरल बूंदों, जो हवा में पाए जाते हैं तथा जोखिम पैदा करते हैं का एक संयोजन है.
पीएम 2.5 नामक सब से छोटे कण विशेषरूप से अत्यधिक हानिकारक हैं. सूक्ष्म होने के कारण वे आसानी से फेफड़े के टिश्यू में प्रवेश कर सकते हैं. पीएम 2.5 के कुछ स्रोतों में डीजल इंजन से निकलने वाला धुआं शामिल है. सर्दी में हालात और बदतर हो जाते हैं क्योंकि स्मौग के कारण इन कणों का फेफड़े के अंदर पहुंचना आसान हो जाता है. रेडोन एक रेडियोऐक्टिव गैस है, जो घर के अंदर जमा हो सकती है और जिस के संपर्क में आने पर फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि श्वसन तंत्र में प्रदूषकों के प्रवेश को रोकने के लिए नाक के बाल, बलगम और मैक्रोफेज जैसे रक्षा तंत्र मौजूद होते हैं परंतु ये तब विफल हो सकते हैं जब प्रदूषण का स्तर उच्च होता है.
घर के अंदर वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण का एक अन्य आम स्रोत धुआं घर के अंदर होता है जो कोयला जलाने से उत्पन्न होता है आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के दौरान. आंकड़े बताते हैं कि कोयले के धुएं के संपर्क में रहने वाली महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर का जोखिम दोगुना होता है. दुनियाभर में घरेलू वायु प्रदूषण के कारण लगभग 2.4 अरब लोगों के जीवन को खतरा है. इस कारण होने वाले लंग कैंसर से करीब 1.5 अरब लोगों की मृत्यु हो जाती है. शहरी क्षेत्रों में, इस के आम स्रोतों में शामिल हैं मच्छर भगाने वाली कौइल और सिगरेट का धुआं.
(लेखक पोर्टिया मैडिकल के मैडिकल डायरैक्टर हैं.)
क्या करें
कुछ ऐसे तरीके हैं जिन से वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है और फिर फेफड़ों के कैंसर की आशंका को भी कम किया जा सकता है. यह प्रयास व्यक्तिगत स्तर से शुरू होना चाहिए. जितना संभव हो, पैदल चलिए और साइकिल चलाइए. दिन में उस वक्त बाहर निकलें जब वायु प्रदूषण का स्तर सब से कम हो. मास्क पहन कर चलना हो तो एन95 वाला मास्क चुनें क्योंकि वह अधिक छोटे कणों को फेफड़ों में प्रवेश करने से रोक सकता है.
एक अन्य तरीका यह है कि उन क्षेत्रों से दूर रहें जहां वायु की गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं है. यह आवश्यक है कि सरकार और स्थानीय अधिकारी एक व्यापक रणनीति विकसित करने के लिए एकसाथ काम करें ताकि वायु प्रदूषण से होने वाले खतरों, जैसे कि लंग कैंसर, को कम किया जा सके.
सर्विकल कैंसर
महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी कैंसरों में सर्विकल कैंसर भारत में कैंसर संबंधी मौतों का दूसरा सब से आम कारण है. यह मुख्यतया ह्यूमन पैपिलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है. यह एक ऐसी स्थिति है जो मुख्यतया गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की परत, या गर्भाशय के निचले हिस्से को प्रभावित करती है. यह कैंसर धीरेधीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है. कैंसर के कुछ लक्षणों में योनि से असामान्य रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति या यौन संपर्क के बाद योनि से रक्तस्राव, मासिकधर्म की सामान्य से अधिक मात्रा या लंबी अवधि, असामान्य योनि स्राव, और यौनक्रिया के दौरान रक्तस्राव या दर्द प्रमुख हैं.
समय पर स्क्रीनिंग और रोग का पता लगाना सर्विकल कैंसर से मुकाबला करने के 2 महत्त्वपूर्ण पहलू हैं, क्योंकि यह पूरी तरह से इलाजयोग्य स्थिति है. इस के अलावा, महिलाओं को संक्रमण से बचने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन करने चाहिए. इस में कई साथियों के साथ यौन संपर्क से बचाव, नियमित जांच, धूम्रपान का त्याग, फलों, सब्जियों व साबुत अनाज का सेवन और शरीर का वजन ठीक रखना प्रमुख कदम हैं.