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लेजर लैंड लेवलर जमीन करे एकसार दिलाए रोजगार

जमीन से अच्छी पैदावार लेने के लिए खेतों का समतल होना बहुत जरूरी है. पहले जहां खेतों को एकसार करने के लिए परंपरागत तरीके अपनाए जाते थे जिस में समय व मेहनत भी बहुत लगती थी, वहीं अब वही काम कृषि यंत्रों की मदद से काफी आसान हो गया है. जमीन को एकसार करने वाला ऐसा ही यंत्र है लेजर लैंड लेवलर.

कंप्यूटराइज्ड तकनीक से काम करने वाला यह यंत्र काफी कम समय में खेत की मिट्टी को समतल कर देता है. इस यंत्र को ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है.

इस मशीन में किरणों के अनुरूप खुद से चलने वाला धातु का बना ब्लेड लगा होता है जो हाइड्रोलिक पंप के दबाव से काम करता है और खेत के ऊंचे हिस्सों से मिट्टी को काट कर खेत के निचले हिस्से वाली जगह पर छोड़ता चलता है. इसी प्रक्रिया को पूरे खेत में अपनाया जाता है जिस के तहत पूरा खेत समतल हो जाता है.

लेजर लैंड लेवलर यंत्र के बारे में गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के किसान सुशील त्यागी ने बताया कि अगर खेत की जमीन एकसार नहीं है तो उस में खाद, बीज, पानी भी समान मात्रा में नहीं मिल सकेगा. इस का पैदावार पर भी फर्क पड़ेगा. इसलिए समयसमय पर लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र द्वारा खेत को समतल करवाते रहना चाहिए.

सुशील त्यागी ने आगे बताया कि इस यंत्र में 4 खास उपकरण लगे होते हैं. इन में लेजर ट्रांसमीटर, रिसीवर, कंट्रोल बौक्स और लेवलर होता है. रिसीवर से मिलने वाली सूचना के मुताबिक ट्रैक्टर पर लगा कंट्रोल बौक्स हाइड्रोलिक सिस्टम से लेवलर को ऊपरनीचे करता है. इसी प्रक्रिया के तहत खेत को एकसार बनाया जाता है. खेत एकसार होने से फसल में लगने वाले पानी में भी खासी बचत होती है. साथ ही, फसल पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है.

खेत की जमीन अगर 6 इंच तक ऊंचीनीची है तो लेवलर द्वारा 1 एकड़ खेत को समतल करने में मात्र 2 घंटे लगते हैं. इसे 50 हार्सपावर से अधिक के टै्रक्टर के साथ जोड़ कर आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है.

किसान लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र खरीद कर इसे अपनी कमाई का जरीया भी बनना सकते हैं. एक यंत्र पर 2 लोगों को रोजगार मिल सकता है और खरीदे गए यंत्र की कीमत भी तकरीबन 3 साल में वसूल हो जाती है.

भारत के नाम से लेजर लैंड लेवलर यंत्र बनाने वाले सुशील त्यागी ने बताया कि हमारे यंत्र की कीमत इस समय तकरीबन 2 लाख, 60 हजार रुपए है. इस में 63 हजार रुपए सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाती है. यह यंत्र किसानों के लिए फायदे का सौदा है. अगर कोई किसान इस बारे में अधिक जानकारी लेना चाहे तो सुशील त्यागी के मोबाइल नंबर 9911654158 और 7599206130 पर भी बात कर सकता है.

अब फेसबुक ऐप से आप कर सकेंगे अपना मोबाइल रिचार्ज

डाटा लीक विवाद के बीच फेसबुक ने भारत में मोबाइल रिचार्ज का फीचर पेश किया है. फेसबुक के इस फीचर का कड़ा मुकाबला पेटीएम, फ्रीचार्ज, एयरटेल ऐप, वोडाफोन ऐप और मोबिक्विक जैसे ऐप से होगा. इस फीचर को फिलहाल, सिर्फ एंड्रायड फेसबुक यूजर्स के लिए उपलब्ध कराया गया है. हालांकि यह फीचर आईफोन वालों के लिए कब उपलब्ध होगा, इसकी जानकारी कंपनी ने अभी नहीं दी है.

कैसे करता है यह फीचर काम?

इस फीचर को इस्तेमाल में लाने के लिए आपको गूगल प्ले पर जाकर लेटेस्ट फेसबुक ऐप डाउनलोड करना होगा. अगर आपके स्मार्टफोन में यह ऐप पहले से मौजूद है तो उसे अपडेट कर लें. इसके बाद फेसबुक ऐप में हैमबर्गर आइकन पर जाएं, यह विकल्प नोटिफिकेशन आइकन के बगल में रहता है. इसके बाद मोबाइल रीचार्ज विकल्प पर टैप करें. कुछ वर्जन में यह मोबाइल टाप-अप के विकल्प से नजर आ रहा है.

फिर आपको एक वेलकम स्क्रीन नजर आएगा जहां पर उन डेबिट या क्रेडिट कार्ड का ब्योरा डालने का विकल्प दिखाई देगा. यहां अपना क्रेडिट कार्ड की डिटेल डाले. इसके बाद रीचार्ज नाउ पर टैप कर मोबाइल फोन का ब्योरा डालें. फिर रीचार्ज की राशि बताएं.

रीचार्ज की प्रक्रिया पूरी करने के लिए Place Order बटन पर क्लिक करें. इसके बाद ऐप आपसे ओटीपी या 3डी सिक्योर पासवर्ड के बारे में पूछा जाएगा. आखिर में ऐप आपको आर्डर कंफर्मेशन का मैसेज भेजेगा. बता दें कि इस ऐप में आपके मोबाइल नंबर के लिए उपलब्ध सभी रीचार्ज पैक की भी जानकारी मिल जाएगी. इसके लिए आपको प्लान ब्राउज को चुनना है.

गौरतलब है कि इससे पहले फेसबुक ने यह पेमेंट फीचर अमेरिका, फ्रांस जैसे कई देशों में दिया है. अब इस फीचर को कंपनी भारत के लिए जारी कर दिया है. इस फेसबुक ऐप से मोबाइल रीचार्ज करने के लिए अभी सिर्फ क्रेडिट या डेबिट कार्ड इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं. इसका मतलब है कि नेट बैंकिंग, यूपीआई या किसी अन्य पेमेंट आप्शन का फिलहाल इस्तेमाल संभव नहीं है.

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टैक्स चोरी पर कंपनी भी करे सख्त कार्रवाई : आयकर विभाग

टैक्स चोरी को रोकने के लिए सरकार और इनकम टैक्स विभाग लगातार काम कर रहे हैं. आयकर विभाग की तरफ से एक एडवाइजरी जारी की गई है. यह एडवाइजरी नौकरी करने वालों के लिए खास है. इसमें कहा गया है जो टैक्स चोरी करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा. इतना ही नहीं उनके खिलाफ उस कंपनी से भी एक्शन लेने के लिए कहा जाएगा जहां वह नौकरी करते हैं. दरअसल यह एडवाइजरी उन लोगों को देखते हुए जारी की गई है जो लोग टैक्स बचाने के गलत तरीक अपनाते हैं. इसमें कई नौकरीपेशा लोग अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त अपनी सैलरी में ज्यादा कटौती की बात करते हैं. या फिर अपनी कम इनकम की बात करते हैं.

इनकम टैक्स विभाग के बेंगलुरु के सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) के मुताबिक सैलरी पाने वाले टैक्सपेयर्स से कहा गया है कि गलत तरीके से टैक्स बचाने के चक्कर में गलत टैक्स कंस्लटेंट्स के चक्कर में न आएं. विभाग के अनुसार रिटर्न में आय कम दिखाना या कटौती बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय है और पकड़े जाने पर आयकर कानून की धाराओं के तहत मुकदमा किया जा सकता है.

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आयकर विभाग ने सैलरीड क्‍लास के टैक्‍सपेयर्स द्वारा इनकम कम दिखाने की रिपोर्ट्स पर चिंता जताते हुए यह एडवाइजरी जारी की है. इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट में हाल में टैक्‍स रिफंड से जुड़े एक फ्रौड के मामले का खुलासा किया था. बेंगलुरू में बेलवेदर इन्‍फार्मेशन टैक्‍नोलौजी कंपनीज के कर्मचारियों द्वारा फ्रौड के जरिए टैक्‍स रिफंड लेने का मामला सामने आया था. सीबीआई ने इस मामले में आपराधिक मामला दर्ज किया है.

सैलरीड क्‍लास के टैक्‍सपेयर्स के लिए टैक्स दाखिल करने का सत्र शुरू हो चुका है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वेतनभोगी करदाताओं के लिए नए आईटीआर फार्म को हाल ही में अधिसूचित किया जो आयकर विभाग की वेबसाइट https://www.incometaxindiaefiling.gov.in पर उपलब्ध है. सैलरी पाने वालों के लिए सहज आईटीआर में जो जानकारी मांगी गई है उसमें वेतन में जिन-जिन भत्तों पर टैक्स लगता है उसका ब्योरा देना है. यह जानकारी कर्मचारी के फार्म-16 में दर्ज होती हैं. इसलिए उन्हें इसे देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. हालांकि पहले सहज फार्म में यह कौलम नहीं था.

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कैश क्रंच की समस्या से निपटने में लग सकता है 2 हफ्ते का वक्त

देश के कुछ हिस्सों में कैश की किल्लत के बीच सरकार और रिजर्व बैंक ने दावा किया है कि देश में कैश की कमी नहीं है. एटीएम में नोट न होने की समस्या अस्थायी और तकनीकी कारणों से है. लेकिन एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्केट में जितना कैश का फ्लो होना चाहिए, उसमें 70,000 करोड़ रुपए की अब भी कमी है. ऐसे में नकदी संकट से जूझ रहे देश के कई हिस्सों को राहत कम से कम दो हफ्तों में मिल सकेगी. हो सकता है कि पूरी राहत मिलने में छह सप्ताह तक लग जाएं.

आरबीआई के पास नहीं है पैसा

इकोनोमिस्ट का मानना है कि डिमांड पूरी करने के लिए अतिरिक्त 70 हजार करोड़ से लेकर एक लाख करोड़ रुपए तक के नोट छापने में वक्त लगेगा. आरबीआई भले ही दावा करे लेकिन, खुद आरबीआई के पास बैंकों को देने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है. इसलिए छपाई में इतना वक्त लग सकता है. जानकारों का कहना है कि देश में लोगों के पास और एटीएम में कुल कम से कम 19.4 से 20 लाख करोड़ रुपए की करंसी होने चाहिए. अभी लोगों के पास 17.5 लाख करोड़ रुपए हैं, जबकि अनुमान है कि इसके अलावा 1.2 लाख करोड़ रुपए का इस्तेमाल डिजिटल ट्रांजैक्शंस में होगा.

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70000 करोड़ रुपए की कमी

ऐक्सिस बैंक के चीफ इकनोमिस्ट सौगत भट्टाचार्य के मुताबिक, नवंबर 2016 में लगे झटके का असर अभी पूरी रह खत्म नहीं हुआ है. एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि वित्त वर्ष 2018 में 10.8 पर्सेंट नौमिनल जीडीपी ग्रोथ के आधार पर मार्च तक लोगों के पास 19.4 लाख करोड़ रुपए की करंसी होनी चाहिए थी, लेकिन असल में करंसी 1.9 लाख करोड़ रुपए कम थी. हालांकि, डिजिटल तरीकों से कम से कम 1.2 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हो सकता है. लेकिन, फिर भी करीब 70000 करोड़ रुपए की कमी हो सकती है.

तेलंगाना से हुई थी शुरुआत

कैश क्रंच की स्थिति सबसे पहले अप्रैल की शुरुआत में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में शुरू हुई थी और जल्द ही यह देश के दूसरे इलाकों तक पहुंच गई. बुधवार को स्थिति में कुछ सुधार होता दिखा और कई एटीएम से लोगों को फिर पैसा मिलने लगा.

सरकार ने बढ़ाई 500 के नोट की छपाई

सरकार ने कहा है कि वह 500 रुपए के नोटों की प्रिंटिंग पांच गुना बढ़ाएगी. भारत में चार सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस हैं. मैसूर और सालबनी के प्रेस आरबीआई के पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड चलाती है. इन दोनों में 500 रुपए के नोट छापे जाते हैं. अगर दोनों शिफ्ट्स में काम हो तो ये दोनों प्रेस हर साल बैंक नोट के 1600 करोड़ पीस छाप सकते हैं.

छपाई में लगेंगे दो हफ्ते

70 हजार करोड़ रुपए की अनुमानित कमी है. अगर यह मान लें कि यह पूरा अंतर केवल 500 रुपए के नोटों की छपाई से घटाया जाएगा तो देश को लगभग 140 करोड़ अतिरिक्त बैंक नोटों की जरूरत होगी. ऐसे में मैसूर और सालबनी के छापाखानों को इन्हें छापने में कम से कम दो हफ्ते लगेंगे.

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हार्दिक पांड्या ने ईशान किशन से कुछ यूं मांगी माफी

मुंबई और बेंगलुरु के बीच मंगलवार को हुए मैच में मुंबई ने शानदार खेल दिखाते हुए बेंगलुरु को 46 रनों से हाराते हुए. साल 2018 के आईपीएल सीजन में अपनी जीत का खाता खोला. इस मैच में मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा ने शानदार 94 रनों की पारी खेली और टीम को 213 रनों का विशाल स्कोर खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई. वहीं बेंगलुरु के कप्तान विराट कोहली ने भी अपनी टीम के लिए शानदार 92 रनों की पारी तो खेली लेकिन वे अपनी टीम को जीत नहीं दिला सके.

इस रोमांचक मैच में जब दूसरी पारी में बेंगलुरु की टीम बल्लेबाजी कर रही थी तो मुंबई के विकेटकीपर ईशान किशन बुरी तरह घायल हो गए. मैच के 12वें ओवर में जसप्रीत बुमराह की गेंद पर कप्तान विराट कोहली ने शौट खेला. गेंद बाउंड्री लाइन के पास गई. वहां खड़े हार्दिक पांड्या ने गेंद को रोक कर उसे विकेटकीपर की तरफ थ्रो किया. ईशान किशन गेंद का उछाल नहीं समझ पाए और गेंद सीधा उनकी आंख के पास जा लगी. गेंद लगते ही ईशान किशन जमीन पर गिर पड़े. वह दर्द से तड़प रहे थे. जिस वक्त ईशान को गेंद लगी उन्होंने हेलमेट भी नहीं पहना हुआ था, इस वजह से गेंद सीधे उनकी आंख के पास लगी. उनकी आंख के पास का हिस्सा नीला पड़ गया.

इस घटना के बाद तुरंत फिजियो को ग्राउंड पर बुलाया गया और उन्हें फर्स्ट एड दिया, लेकिन जब इससे भी ईशान का दर्द कम नहीं हुआ तो उन्हें बीच मैच में ग्राउंड से बाहर लेकर जाना पड़ा. ईशान के ग्राउंड से बाहर जाने के बाद आदित्य तारे को विकेट किपिंग के लिए मैदान पर बुलाया गया

Mera cutie pie ? Sorry bhai! Stay strong, @ishankishan23.

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हार्दिक ने इंस्टा पर मांगी माफी

मैच के बाद हार्दिक ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ईशान के साथ अपनी तस्वीर पोस्ट करते हुए माफी मांगी है. हार्दिक ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा है, “मेरा क्यूटी पाई, सौरी भाई. स्टे स्ट्रौन्ग (मजबूत बने रहो)”. हार्दिक के इस कमेंट पर फैंस ने भी जम के कमेंट किए. कुछ ने मजेदार कमेंट भी किए. हार्दिक ने इस पोस्ट के साथ अपनी और ईशान की फोटो भी शेयर की है.

इसके अलावा मैच में कई वाक्ये हुए जब मुंबई की बल्लेबाजी चल रही थी. तब 19वें ओवर में बेहद नजदीकी मामले में हार्दिक पांड्या को पहले अंपायर ने आउट दिया और मुंबई ने रीव्यू ले लिया. यहां तक तो ठीक था लेकिन जब स्क्रीन पर गेंद बल्ले को छू कर जाती दिखी और इसके बावजूद थर्ड अंपायर ने उसे नौट आउट करार दिया.

विराट हुए हैरान और नाराज भी

इस फैसले से विराट के अलावा दर्शक भी हैरान नजर आए. विराट अंपायर से नाराजगी जताते हुए भी दिखाई दिए. हालाकि अंपायर से चर्चा के बाद विराट निराशा में मुस्कुराते हुए जरूर दिखे लेकिन उसके बाद पूरे मैच वे गुस्से में ही दिखे. हार्दिक पांड्या ने इस जीवनदान का पूरा फायदा उठाते हुए अगली 2 गेंदों में 2 शानदार सिक्‍स लगाते हुए 5 गेंदों में 17 रन बना डाले और टीम का स्कोर 214 तक पुहंचा दिया.

इस घटना के बाद बल्लेबाजी करने के दौरान भी कोहली गुस्से में ही दिखे. हालांकि उनका गुस्सा नाराजगी में बदलता गया जब उनकी टीम का कोई भी बल्लेबाज उनका साथ नहीं दे सका और टीम एक छोर पर विकेट खोती चली गई. विराट ने इस पारी में 92 नाबाद रन बनाकर औरेंजकैप भी हासिल कर ली थी, लेकिन वे अपनी टीम को जीत न दिला सके इस बात की निराशा और गुस्सा उनके चेहरे पर साफ दिखाई दिया.

कैप फेंक देने का हुआ मन

मैच खत्म होने के बाद जब विराट को औरेंज कैप दी गई तब विराट ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि उनका कैप फेंकने का मन कर रहा है. कोहली ने कहा कि ”मैं इसे नहीं पहनना चाहता. फिलहाल, इसे फेंक देने का मन कर रहा है और मैं इस पर फोकस करना चाहता हूं कि हमने विकेट कैसे गंवाए”. साफ था कि थर्ड अंपायर के निर्णय से नाराजगी के बाद उनका गुस्सा उनके साथियों की नाकामी को लेकर भी था.

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काजल का असली रंग : बेटे को पढ़ाने वाले टीचर से बनाए संबंध

वासना की आग ऐसी भड़की कि पतिपत्नी के उस रिश्ते को भी भूल गई, जिस के लिए 12 साल पहले उस ने सात जन्मों का बंधन निभाने का वादा किया था. उस ने प्रेमी संग मिल कर पति की हत्या कर डाली. प्रेमी ने योजना तो ऐसी बनाई थी कि पति की हत्या में मायके वाले ही फंस जाएं और वह प्रेमिका संग मौज मनाता रहे. लेकिन उन के मंसूबों पर तब पानी फिर गया, जब उन की काल डिटेल्स में 13 सौ बार बातचीत करने का पता चला.

35 वर्षीय दिलीप कुमार पाठक बिहार के बेगूसराय जिले के थाना तेघरा के गांव रानीटोल में अपनी ससुराल आया था. उस की पत्नी काजल उर्फ कंचन एकलौते बेटे अंश को ले कर सालों से मायके में रह रही थी. अंश मामा के घर रह कर ही पढ़ता था. काजल भी वहीं रहते हुए एक नर्सरी स्कूल में पढ़ाती थी.

वैसे भी दिलीप की माली हालत ठीक नहीं थी. वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. प्रौपर्टी डीलिंग के इस धंधे में उस ने अपनी सारी जमापूंजी लगा दी थी. इस धंधे में उसे इतना घाटा हुआ था कि वह पैसेपैसे के लिए मोहताज हो गया था. अपनी स्थिति सुधारने के लिए ही उस ने पत्नी और बेटे को ससुराल भेजा था.

उस ने सोचा था कि जब तक हाथ खाली है, तब तक पत्नी और बच्चे को मायके में रहने दे. पैसों का थोड़ा इंतजाम हो जाने के बाद उन्हें वापस बुला लेगा. इसीलिए उस ने काजल और बेटे अंश को रहने के लिए ससुराल भेज दिया था.

उस दिन 25 नवंबर, 2017 की तारीख थी. शाम साढ़े 6 बजे के करीब दिलीप घर से अकेला ही बेटे की कौपी खरीदने चौर बाजार के लिए निकला. उस ने पत्नी से कहा कि कौपी खरीद कर थोड़ी देर में लौट आएगा. उसे घर से निकले काफी देर हो चुकी थी. देखतेदेखते रात के 10 बज गए, लेकिन दिलीप लौट कर घर नहीं आया. इस से काजल और अंश दोनों परेशान हो गए. दोनों की समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें. इतनी रात गए उसे कहां ढूंढें.

परेशान काजल को जब कुछ नहीं सूझा तो उस ने देवर विनीत के पास ससुराल फोन कर के पूछा कि दिलीप वहां तो नहीं गए हैं? शाम 5 बजे के करीब बाजार जाने के लिए कह कर घर से पैदल ही निकले थे, लेकिन अभी तक लौट कर नहीं आए. मेरा तो सोचसोच कर दिल बैठा जा रहा है.

भाभी के मुंह से भाई के बारे में ऐसी बात सुन कर विनीत भी परेशान हो गया कि आखिर बिना कुछ बताए भाई कहां चला गया. फिर उस ने बड़े भाई दिलीप के फोन पर काल की तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. उस ने कई बार उस से बात करने की कोशिश की लेकिन हर बार फोन बंद मिला. आखिर उस ने यह बात घर वालों को भी बता दी.

दिलीप के घर वाले जिला समस्तीपुर में रहते थे. वहां से बेगूसराय थोड़ी दूरी पर था. विनीत ने सोचा अब तो सुबह ही कुछ हो सकता है. उस ने रात तो जैसेतैसे काट ली. सुबह होते ही वह भाई का पता लगाने रानीटोल पहुंच गया.

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वहां पहुंच कर उसे पता चला कि रानीटोल से सटी बूढ़ी गंडक नदी के किनारे हृष्टपुष्ट गोरे रंग और औसत कदकाठी के एक युवक की लाश पाई गई है. लाश का जो हुलिया बताया जा रहा था, वह काफी कुछ उस के भाई दिलीप से मेल खा रहा था. यह सुन कर विनीत थोड़ा विचलित हो गया कि कहीं लाश भाई की तो नहीं है. हो सकता है, उस के साथ कोई घटना घट गई हो.

जितनी भी जल्दी हो सकता था, वह मौके पर पहुंच गया. वहां काफी भीड़ जमा थी. भीड़ को चीरता हुआ वह लाश तक पहुंच गया. लाश दाईं करवट पड़ी थी. हत्यारों ने उस की गरदन पर किसी तेज धारदार हथियार से पीछे से वार किया था. पास ही पूजा की सामग्री पड़ी थी और लाश के ऊपर अधखुली पीली मखमली चादर पड़ी थी.

ऐसा लग रहा था, जैसे मृतक जब पूजा कर रहा था, तभी हत्यारे ने मौका देख कर उस पर पीछे से वार कर दिया हो. विनीत लाश देख कर पहचान गया कि लाश उस के भाई की है. वह भाई की लाश से लिपट कर बिलखबिलख कर रोने लगा.

गांव वाले भी लाश को देखते ही पहचान गए थे कि काजल के पति दिलीप की लाश है. जैसे ही काजल को पति की हत्या की सूचना मिली तो वह गश खा कर गिर गई. घर में रोनापीटना शुरू हो गया. घर वाले वहां पहुंच गए, जहां दामाद का शव पड़ा था.

जहां से दिलीप का शव बरामद हुआ था, वह इलाका समस्तीपुर जिले के थाना मुफस्सिल में पड़ता था. थाना मुफस्सिल को घटना की सूचना मिल चुकी थी. थानाप्रभारी पवन सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए थे. पवन सिंह ने इस बात की सूचना पुलिस अधीक्षक दीपक रंजन और डीएसपी मोहम्मद तनवीर अहमद को दे दी थी.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी वहां पहुंच गए. घटनास्थल और लाश का निरीक्षण करने के बाद थानाप्रभारी पवन सिंह ने मृतक के भाई से पूछताछ की तो उस ने बताया कि दिलीप के पास उस का एक सेलफोन था, जो गायब है.

घटनास्थल पर पूजा की सामग्री के अलावा दूसरी कोई चीज नहीं मिली थी. पुलिस ने पूजा सामग्री और चादर अपने कब्जे में ले ली. कागजी काररवाई करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. फिर पुलिस थाने लौट आई.

विनीत ने अपने भाई दिलीप की हत्या की तहरीर थाने में दे दी, जिस के आधार पर पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 34 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के जांच शुरू कर दी.

दिलीप पाठक हत्याकांड का खुलासा करने के लिए एसपी दीपक रंजन ने डीएसपी तनवीर अहमद के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी. डीएसपी तनवीर अहमद ने घटनास्थल का दौरा कर के स्थिति को समझने की कोशिश की. परिस्थितियां बता रही थीं कि हत्या के इस मामले में मृतक का कोई अपना ही शामिल था. वह कौन था, इस का पता लगाना जरूरी था.

पुलिस ने मृतक के भाई विनीत पाठक से दिलीप की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. काजल ने भी यही कहा. इसी दौरान एक मुखबिर ने चौंकाने वाली जानकारी दी. उस ने बताया कि दिलीप और उस की पत्नी काजल के बीच काफी मनमुटाव चल रहा था.

प्रारंभिक जांच के दौरान तनवीर अहमद को काजल की हरकतें खटकी भी थीं, लेकिन उस के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे, इसलिए उन्होंने उस से सीधे बात करना ठीक नहीं समझा था.

डीएसपी मोहम्मद तनवीर अहमद ने दिलीप और काजल के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काजल के फोन की डिटेल्स देख कर उन के होश उड़ गए. उस के फोन पर डेढ़ महीने में एक ही नंबर से 13 सौ फोन आए थे. कई काल तो ऐसी थीं, जिन में उसी नंबर से 2 से 3 घंटे तक बातचीत की गई थी.

यह नंबर पुलिस के शक के दायरे में आ गया. पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो वह नंबर लक्ष्मण कुमार पासवान, निवासी रातगांव करारी, थाना-तेघरा, जिला बेगूसराय का निकला. पुलिस ने बिना समय गंवाए उसी दिन लक्ष्मण के घर पर दबिश दी और उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई.

पूछताछ में लक्ष्मण टूट गया. उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उस ने काजल के कहने पर उस के पति दिलीप की हत्या की थी. काजल उस की प्रेमिका थी. यह सुन कर सभी अधिकारी स्तब्ध रह गए. क्योंकि देखने में भोलीभाली लगने वाली औरत नागिन से भी जहरीली निकली, जिस ने इश्क के नशे में अपने पति को ही डंस लिया.

काजल के उजले चेहरे से नकाब उतर चुका था. डीएसपी अहमद ने एसपी दिलीप रंजन को पूरी बात बता दी. एसपी साहब ने महिला पुलिस को रानीटोल भेज कर काजल को थाने बुलवाया. थाने में लक्ष्मण को बैठा देख काजल के चेहरे का रंग उड़ गया.

काजल को यह समझते देर नहीं लगी कि उस के गुनाहों की पोल खुल चुकी है. ऐसे में भलाई सच बताने में ही है. काजल ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया कि उसी के कहने पर लक्ष्मण ने दिलीप की हत्या की थी. काजल ने हत्या की पूरी कहानी कुछ ऐसे बयां की—

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35 वर्षीय दिलीप कुमार पाठक मूलत: बिहार के समस्तीपुर जिले के थाना भगवानपुर के गांव बुढ़ीवन तैयर का रहने वाला था. पिता अनिल पाठक की 4 संतानों में वह सब से बड़ा था. हंसमुख स्वभाव का दिलीप मेहनतकश था. उस ने प्रौपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया था, उस का यह धंधा सही चल निकला था.

दिलीप अपने पैरों पर खड़ा हो चुका था और ईमानदारी से पैसा कमा रहा था. पिता ने 12 साल पहले उस की शादी बेगूसराय के तेघरा, रानीटोल की रहने वाली काजल के साथ कर दी थी. शादी के कई साल बाद उस के घर में एक बेटा पैदा हुआ, जिस का नाम अंश रखा गया.

समय के साथ प्रौपर्टी के धंधे में दिलीप को काफी नुकसान हुआ. इस के बाद उस का धंधा धीरेधीरे और भी मंदा होता गया. स्थिति यह आई कि प्रौपर्टी के बिजनैस में उस ने जितनी पूंजी लगाई थी, सब डूब गई. यह करीब 3 साल पहले की बात है.

पति की माली हालत खराब देख काजल बेटे को ले कर अपने मायके रानीटोल चली गई और वहीं मांबाप के साथ रहने लगी. पत्नी का यह रवैया दिलीप को काफी खला, क्योंकि मुसीबत के वक्त साथ देने के बजाय वह उसे अकेला छोड़ कर चली गई. वह मन मसोस कर रह गया और सब कुछ वक्त पर छोड़ दिया.

उधर काजल ने बेटे को वहीं के एक कौन्वेंट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया. दिलीप बीचबीच में पत्नी और बेटे से मिलने ससुराल जाता रहता था. ससुराल में 1-2 दिन रह कर वह अपने घर लौट आता था.

अंश जिस कौन्वेंट स्कूल में पढ़ता था, वहां की किताबें भाषा में काफी मुश्किल होती थीं. कभीकभी अंगरेजी के कुछ शब्दों के अर्थ काजल को भी पता नहीं होते थे, जबकि वह अच्छीभली पढ़ीलिखी थी. बेटे की पढ़ाई में कोई परेशानी न आए, इसलिए उस ने अंश के लिए घर पर ही एक ट्यूटर लगा दिया. यह पिछले साल जुलाईअगस्त की बात है.

ट्यूटर का नाम लक्ष्मण कुमार पासवान था. रातगांव करारी का रहने वाला 21 वर्षीय लक्ष्मण कुमार एकदम साधारण शक्लसूरत और सांवले रंग का युवक था. लक्ष्मण की वाकपटुता से काजल काफी प्रभावित थी. अंश को भी वह खूब मन लगा कर पढ़ाता था. थोड़े ही दिनों में लक्ष्मण उस परिवार का हिस्सा बन गया. बेटे को पढ़ाते समय काजल लक्ष्मण के पास ही बैठी रहती थी.

लक्ष्मण जवान था. ऊपर से कुंवारा भी. जब काजल उस कमरे में आ कर बैठती थी, जिस में वह अंश को पढ़ाता था तो लक्ष्मण उसे कनखियों से निहारता रहता था. काजल भी लक्ष्मण के पास बैठने के लिए बेकरार रहती थी.

एक दिन लक्ष्मण अंश को ट्यूशन पढ़ाने उस के घर पहुंचा. उस समय शाम का वक्त था. उस रोज काजल काफी परेशान थी. उस ने अपने दुखों का पिटारा उस के सामने खोल कर रख दिया. लक्ष्मण काजल की दुखभरी व्यथा सुन कर भावनाओं में बह गया.

काजल ने उस से कहा कि वह उस के लिए कोई छोटीमोटी नौकरी ढूंढने में मदद करे. लक्ष्मण मना नहीं कर सका. बाद में लक्ष्मण ने अपने एक परिचित के माध्यम से एक नर्सरी स्कूल में उसे अध्यापिका की नौकरी दिलवा दी.

काजल लक्ष्मण के अहसानों की कायल थी. धीरेधीरे वह उस की ओर झुकती गई. लक्ष्मण भी उस की ओर आकर्षित होता गया. धीरेधीरे दोनों में प्यार हो गया. प्यार भी ऐसा कि एकदूसरे को देखे बिना रह न सके. यह बात भी जुलाई अगस्त 2016 की है. 2 महीने के प्यार के बाद लक्ष्मण और काजल ने चुपके से मंदिर में विवाह कर लिया. काजल ने इस की भनक किसी को नहीं लगने दी, पति तक को नहीं.

9 वर्ष का अंश भले ही छोटा था, लेकिन उस में इतनी अक्ल थी कि वह अच्छे और बुरे में फर्क महसूस कर सके. उस ने अपनी मम्मी और ट्यूटर के बीच के रिश्तों को महसूस कर लिया था. उसे लगता था कि कहीं कुछ गलत हो रहा है, जो घरपरिवार के लिए अच्छा नहीं है. अंश ने यह बात अपने पापा दिलीप को बता दी. बेटे की बात सुन कर उस के तनबदन में आग लग गई.

बहरहाल, सूचना मिलने के अगले दिन दिलीप ससुराल रानीटोल पहुंच गया. उस दिन ट्यूटर लक्ष्मण को ले कर पतिपत्नी के बीच काफी झगड़ा हुआ. काजल पति को समझाने के लिए झूठ पर झूठ बोले जा रही थी. उस ने सफाई देते हुए कहा कि उस के और लक्ष्मण के बीच कोई संबंध नहीं है.

लक्ष्मण को उस ने बेटे को ट्यूशन पढ़ाने के लिए रखा है. ट्यूटर आता है और बच्चे को ट्यूशन पढ़ा कर चला जाता है. उस रोज काजल अपने त्रियाचरित्र के दम पर पति को काबू करने में कामयाब हो गई थी. जैसेतैसे मामला शांत तो हो गया, लेकिन दिलीप पत्नी पर नजर रखने लगा.

पति को उस पर शक हो गया है, काजल ने यह बात लक्ष्मण को फोन कर के बता दी थी. उस ने लक्ष्मण को यह कहते हुए सावधान कर दिया था कि पति जब तक घर पर रहे, तब तक वह बच्चे को ट्यूशन पढ़ाने भी न आए. लक्ष्मण उस की बात मान गया और वैसा ही किया, जैसा उस ने करने को कहा था.

काजल लक्ष्मण से मिलने के लिए बेचैन रहती थी. पति के रहते उन के मिलन में बाधा पड़ रही थी. काजल से लक्ष्मण की जुदाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. उस ने पति को रास्ते से हटाने के लिए लक्ष्मण पर दबाव बनाया कि वह उस की हत्या कर दे. उस के बाद रास्ते में रुकावट पैदा करने वाला कोई नहीं रहेगा. काजल को पाने के लिए लक्ष्मण उस की बात मानने के लिए तैयार हो गया.

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लक्ष्मण जानता था कि दिलीप की माली हालत अच्छी नहीं है, इसलिए कुछ ऐसा चक्कर चलाया जाए, जिस से वह उस के काबू में आ जाए. इस के लिए उस ने काजल को धोखे में रखते हुए एक और खेल खेलने की सोची.

उस ने सोचा कि दिलीप की हत्या का ऐसा तानाबाना बुना जाए, जिस से पूरा शक काजल और काजल के मायके वालों पर ही जाए. कभी मामले का खुलासा हो भी तो वह शक के दायरे से बचा रहे.

दिलीप ने लक्ष्मण को कभी नहीं देखा था, इसलिए वह उसे जानतापहचानता नहीं था. लक्ष्मण और काजल ने इसी बात का फायदा उठाते हुए योजना बनाई कि दिलीप को भरोसा दिलाया जाए कि एक ऐसी पूजा है, जिसे ध्यानमग्न हो कर करने पर पूजा की जगह पर ही 25 हजार रुपए मिल जाते हैं.

योजना बनाने के बाद काजल ने पति को इस पूजा के लिए मना लिया. दिलीप इसलिए तैयार हुआ था क्योंकि उस की आर्थिक स्थिति एकदम जर्जर हो चुकी थी. वह पैसेपैसे के लिए मोहताज था. उस ने सोचा कि संभव है ऐसा करने पर उसे आर्थिक लाभ मिल जाए.

बहरहाल, सब कुछ योजना के मुताबिक चल रहा था. काजल ने 25 नवंबर, 2017 को दिन में एक तेज धार वाला गंडासा दिलीप की मोटरसाइकिल की डिक्की में छिपा कर रख दिया. उस ने यह बात फोन कर के लक्ष्मण को बता दी. अब केवल योजना को अमलीजामा पहनाना बाकी था. लक्ष्मण ने काजल को भरोसा दिलाया कि आज काम तमाम हो जाएगा.

25 नवंबर की शाम साढ़े 6 बजे के करीब दिलीप बेटे के लिए कौपी खरीदने के लिए घर से अकेला निकला. घर से निकल कर जब वह चौर बाजार पहुंचा तो पीछे से लक्ष्मण पंडित बन कर उस की मोटरसाइकिल के पास पहुंच गया.

दरअसल, दिलीप के घर से निकलते ही काजल ने लक्ष्मण को फोन कर के बता दिया था कि शिकार घर से निकल चुका है. चौर में उस से मुलाकात हो जाएगी. आगे क्या करना है, यह उसे पता था ही.

चौर बाजार में उस की मुलाकात दिलीप से हुई तो उस ने काजल का परिचय देते हुए उसे पूजा वाली बात बताई. दिलीप समझ गया कि यह वही पंडित है, जिस से पूजा करानी है.

लक्ष्मण उसे बाइक पर बैठा कर चौर (तेघरा) से समस्तीपुर ले आया, जहां उस ने पूजा की सामग्री खरीदी. सामग्री खरीदने के बाद वह दिलीप को ले कर मोटरसाइकिल से रानीटोल स्थित माधोपुर बूढ़ी गंडक नदी के किनारे पहुंच गया. यह इलाका जिला समस्तीपुर में आता था.

योजना के अनुसार, लक्ष्मण ने पहले दिलीप से पूजा करवाई. पूजा की प्रारंभिक विधि समाप्त होने के बाद उस ने पैसे पाने के लिए दिलीप से 15 मिनट तक आंखें बंद कर ध्यानमग्न होने को कहा. साथ यह भी कहा कि आंखें बंद करने के बाद ही पैसे मिलेंगे.

दिलीप ध्यानमग्न हो गया. तभी लक्ष्मण बाइक की डिक्की में रखा धारदार गंडासा ले आया. उस ने पीछे से दिलीप की गरदन पर जोरदार वार किया. गरदन कटने से दिलीप की मौके पर ही मौत हो गई.

दिलीप की हत्या करने के बाद लक्ष्मण वहां से बाइक से वापस बेगूसराय लौट गया. बेगूसराय जाते वक्त लक्ष्मण ने दिलीप का मोबाइल फोन गरुआरा चौर की झाडि़यों में फेंक दिया. वहां से आगे जा कर उस ने गंडासा दलसिंहसराय के पास एनएच-28 के किनारे एक झाड़ी में फेंक दिया, ताकि पुलिस उस तक कभी न पहुंच सके.

इत्मीनान होने के बाद वह मोटरसाइकिल ले कर प्रेमिका काजल के घर रानीटोल पहुंचा. काजल उस के आने का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी. लक्ष्मण को देखते ही उस का चेहरा खुशी से खिल उठा. घर में सभी सो गए थे. उस ने दबे पांव मोटरसाइकिल बरामदे में चढ़ा दी. उस वक्त रात के करीब 10 बज रहे थे.

मोटरसाइकिल खड़ी करवाने के बाद काजल ऊपर खाली पड़े कमरे में गई तो पीछेपीछे लक्ष्मण भी हो लिया. वहां दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. बाद में लक्ष्मण अपने घर चला गया.

दोनों के रास्ते का रोड़ा साफ हो चुका था. दोनों यह सोच कर खुश थे कि पुलिस उन तक कभी नहीं पहुंच पाएगी. लेकिन कानून के लंबे हाथों ने उन के मंसूबों पर पानी फेर दिया और दोनों वहां पहुंच गए, जहां उन का असली ठिकाना था यानी जेल की सलाखों के पीछे. अंश अपने दादा अनिल के साथ अपने पैतृक गांव बूढ़ीवन आ गया और दादादादी के साथ रह रहा है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कार पार्किंग जितनी जगह में घर, क्या आपने देखा

जंगल खत्म होते जा रहे हैं, खेती की जमीनों पर कंकरीट के जंगल खड़े हो रहे हैं. गांव हो या शहर, बढ़ती आबादी की वजह से अभी से जमीनों की कमी नजर आने लगी है. फलस्वरूप बढ़ती कीमतों के साथ रीयल एस्टेट मार्केट खूब फलफूल रहा है.

इन्हीं स्थितियों के मद्देनजर आर्किटेक्ट के सामने चुनौती खड़ी हो गई है कि कम से कम जमीन पर बेहतर बिल्डिंग कैसे खड़ी करें. कुछ आर्किटेक्ट ने इस चुनौती को स्वीकार कर के परिणाम भी दिया है.

ऐसे ही आर्किटेक्ट हैं हेलसिंकी (फिनलैंड) के मार्को कासाग्रेंड. उन्होंने कार पार्किंग की औसत जगह में 3 मंजिला घर बना कर दिखाया है. इस घर में मध्यमवर्गीय परिवार की जरूरत की सारी चीजें रखी जा सकती हैं. इस के अलावा यह घर ईको फ्रैंडली और भूकंपरोधी भी है.

मार्को कासाग्रेंड ने यह घर 2017 में हुए हेलसिंकी डिजाइन वीक में दिखाने के लिए तैयार किया था. घर की चौड़ाई मात्र 8.2 फीट और लंबाई 16.4 फीट है. तीनों मंजिलों को मिला कर कुल क्षेत्रफल 402 वर्गफीट होता है. 3 में से 1 फ्लोर औफिस के लिए, दूसरा रहने के लिए और तीसरा ग्रीन स्पेस के लिए है.

घर में बिजली के लिए सोलर पैनल लगे हैं और ऊपरी हिस्सा ऐसा है कि बर्फबारी में भी उसे कोई नुकसान न पहुंच सके. मार्को का कहना है कि वे बड़े प्लान पर काम कर रहे हैं, इस तकनीक को वे औफिस, दुकानों, वर्कशौप, होटल आदि के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं.

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हाईटाइड में डूब जाता है मध्यकालीन मठ

दुनिया भर में ऐसी तमाम जगहें हैं, जिन्हें देख या सुन कर किसी को भी आश्चर्य होता है. यह फोटो भी एक ऐसी ही महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर का है, जिस का नाम है मौ सैंट माइकल, जो दिखने में किले जैसा है, लेकिन यह ईसाई धर्म की संस्था की कई इमारतों का समूह है.  तटीय द्वीप की चट्टान पर इसे बनाने की शुरुआत 10वीं सदी में हुई थी. उस के बाद चरणबद्ध रूप से 12वीं, 17वीं और 18वीं सदी में इस ने पूरा आकार लिया.

आज यहां 46 फीट ऊंचे तक हाईटाइड आते हैं, उस के बाद इस का आधा हिस्सा समुद्र में डूब जाता है. उस दौरान यहां पहुंचने का मार्ग भी बंद हो जाता है. इस धरोहर तक आने वाले मार्ग में पुल तक समुद्र का पानी पहुंचता है.

यूनेस्को की तरफ से विश्व धरोहर घोषित इस जगह का यह फोटो अमेरिकी फोटोग्राफर स्टीफन बर्ना ने क्लिक किया है.

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रामपाल सिंह और शिवराज सिंह का याराना

रामपाल सिंह मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री हैं जिन की गिनती उन इनेगिने मंत्रियों में होती थी जिन के दामन पर कोई दाग नहीं लगा था, पर अब लग गया है. बात कहने को तो बहुत मामूली सी है कि उन के मंझले बेटे गिरजेश प्रताप सिंह ने अपने से थोड़ी सी कम जाति की एक युवती से चोरीछिपे आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली, लेकिन मांबाप के सामने वह ढीला पड़ गया और दूसरी जगह सगाई कर ली.

पीड़िता ने अग्निपरीक्षा देते खुदकुशी कर ली तो राज्यभर में खासा बबाल मच गया. इस मुश्किल घड़ी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन के काम आए और दोस्ती निभाई.

होनहार पुलिस वाले समझ गए कि कानून व्यवस्था कैसे बनाए रखनी है और जांच किस पद्धति से करनी है, लिहाजा, सबकुछ मैनेज हो गया और जो डैमेज हुआ वह इस साल के विधानसभा चुनाव में दिखना तय है, क्योंकि पीड़िता के समुदाय वाले भी कम ठसक वाले नहीं.

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धर्म के दुकानदारों को मिल रहा है भगवा राजनीति का लाभ

भगवा राजनीति का पूरापूरा लाभ देशभर के धर्म के दुकानदारों को मिल रहा है. हिंदूमुसलिम विवाद, आरक्षण, पद्मावती, पाकिस्तान, गौसेवा, गौवध, तीन तलाक, योग, वंदेमातरम, राष्ट्रभक्ति के नाम पर पूजापाखंड, भक्ति आदि का लाभ मिल रहा है नेताओं को और पंडेपुजारियों को भी. इस वर्ष मकर सक्रांति के मौके पर इलाहाबाद के माघ मेले में रिकौर्ड संख्या में अंधभक्तों ने गंगायमुना में डुबकी लगाई.

यह सेवा ईश्वर की या जनता की नहीं, यह भक्तों ने खुद की सेवा भी नहीं की, बल्कि यह सेवा की गई निठल्ले हजारों साधुओं, पुजारियों, पंडों, हस्तरेखा पाखंडियों की, फूलपत्ते बेचने वाले दुकानदारों की, खाना परोसने वाले दुकानदारों की और बस मालिकों की. हर अंधभक्त ने दिल खोल कर अपनी जेब ढीली की ताकि उस के खाते में पुण्य जमा हो जाए व मरने के बाद उसे स्वर्ग मिले और जीतेजी धनधान्य ऊपर से टपक कर उस की झोली में आ गिरे.

इस बार 1.55 करोड़ अंधभक्तों ने 2 दिनों में पानी में डुबकी लगा कर इस बहकावे पर मुहर लगाई कि इसी से, और केवल इसी से, उन का कल्याण होगा. ये 1.55 करोड़ लोग जहां भी जो भी काम करते हैं, उस के प्रति उन की निष्ठा उतनी नहीं होती जितनी इस पांखड के प्रति कि डुबकी लगाने से ही वे कुछ पा सकेंगे.

सरकार इसे सफल बनाने के लिए वर्षों से करोड़ों रुपए हर साल खर्च करती है. सरकार करों से एकत्र पैसा अंधभक्तों पर इस तरह से खर्च करती है मानो विकास की कुंजी यही है. भगवा राजनीति का उद्देश्य इसी तरह का पर्यटन बढ़ाना है ताकि लोग घूमने के बहाने दानदक्षिणा दें और एक संकुचित विचारधारा के गुलाम बने रहें.

धर्म के नाम पर कितनी ही सभ्यताओं ने बड़े विशाल निर्माण किए हैं तो साथ ही, लाखों नहीं, अरबों को मारा भी है. धर्म ने सुरक्षा देने का ऐसा छद्म जाल बुन रखा है कि हर व्यक्ति का दिमाग तर्क के प्रति सुन्न हो जाता है. विज्ञान व तकनीक की उन्नति के बावजूद अच्छेअच्छे अस्पतालों और आधुनिक कारखानों में मूर्तियों की बरात लगी रहती है मानो मानव अपनेआप में सक्षम नहीं है. मानव द्वारा ही निर्मित पर अब उस का लाभ उठा रहे बिचौलिए अंधभक्तों को यही बताते हैं कि धर्म ही अकेला स्वस्थ, सार्थक, साधनसंपन्न और संपूर्ण जीवन दे सकता है.

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