देश के कुछ हिस्सों में कैश की किल्लत के बीच सरकार और रिजर्व बैंक ने दावा किया है कि देश में कैश की कमी नहीं है. एटीएम में नोट न होने की समस्या अस्थायी और तकनीकी कारणों से है. लेकिन एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्केट में जितना कैश का फ्लो होना चाहिए, उसमें 70,000 करोड़ रुपए की अब भी कमी है. ऐसे में नकदी संकट से जूझ रहे देश के कई हिस्सों को राहत कम से कम दो हफ्तों में मिल सकेगी. हो सकता है कि पूरी राहत मिलने में छह सप्ताह तक लग जाएं.

आरबीआई के पास नहीं है पैसा

इकोनोमिस्ट का मानना है कि डिमांड पूरी करने के लिए अतिरिक्त 70 हजार करोड़ से लेकर एक लाख करोड़ रुपए तक के नोट छापने में वक्त लगेगा. आरबीआई भले ही दावा करे लेकिन, खुद आरबीआई के पास बैंकों को देने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है. इसलिए छपाई में इतना वक्त लग सकता है. जानकारों का कहना है कि देश में लोगों के पास और एटीएम में कुल कम से कम 19.4 से 20 लाख करोड़ रुपए की करंसी होने चाहिए. अभी लोगों के पास 17.5 लाख करोड़ रुपए हैं, जबकि अनुमान है कि इसके अलावा 1.2 लाख करोड़ रुपए का इस्तेमाल डिजिटल ट्रांजैक्शंस में होगा.

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70000 करोड़ रुपए की कमी

ऐक्सिस बैंक के चीफ इकनोमिस्ट सौगत भट्टाचार्य के मुताबिक, नवंबर 2016 में लगे झटके का असर अभी पूरी रह खत्म नहीं हुआ है. एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि वित्त वर्ष 2018 में 10.8 पर्सेंट नौमिनल जीडीपी ग्रोथ के आधार पर मार्च तक लोगों के पास 19.4 लाख करोड़ रुपए की करंसी होनी चाहिए थी, लेकिन असल में करंसी 1.9 लाख करोड़ रुपए कम थी. हालांकि, डिजिटल तरीकों से कम से कम 1.2 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हो सकता है. लेकिन, फिर भी करीब 70000 करोड़ रुपए की कमी हो सकती है.

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