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इस बार मलेशिया में जुटेंगे भोजपुरी सिनेमा के महारथी

‘‘याशी फिल्मस’’ के अभय सिन्हा के प्रयासों से चार वर्ष पहले इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड की शुरूआत की गई थी. इस तरह विदेशी धरती पर अभय सिन्हा ने भोजपुरी फिल्मों की हस्तियों को विदेशी धरती पर सम्मान दिलाने का काम किया था. पहला समारोह मौरीशस में, दूसरा अवार्ड समारोह दुबई तथा गत वर्ष तीसरा ‘इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड’ लंदन में आयोजित किया गया था. इस बार चौथा इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड मलेशिया में 21 जुलाई को संपन्न होगा.

‘याशी फिल्म्स’ और संघ आर्टस एसडीबी बीएचडी प्रस्तुत ढिशुम इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड (अीईबीफा)के मलेशिया में आयोजित होने की पुष्टि करते हुए ‘याशी फिल्म्स’ के अभय सिन्हा ने कहा-  इस बार यह समारोह मलेशिया में 21 जुलाई को संपन्न होगा. इस अवार्ड समारोह में भोजपुरी मेगा स्टार व सांसद मनोज तिवारी,  सुनील शेट्टी, भोजपुरी अभिनेता रविकिशन, कुमार सानू, दिनेशलाल यादव निरहुआ, पवन सिंह, खेसारीलाल यादव, विनय आनंद, कृष्णा अभिषेक, यश कुमार, अरविंद अकेला कल्लू, रितेष पांडे, मालिनी अवस्थी, कल्पना पटवारी, मधु शर्मा, रश्मि देसाई, मोनालिसा, आम्रपाली दुबे, अक्षरा सिंह, अंजना सिंह, पायल रोहतगी, संभावना सेठ, शिविका दिवान, श्यामली श्रीवास्तव, शुभि शर्मा, राकेश मिश्रा और राजीव मिश्रा सहित अन्य लोग शिरकत करेंगे.

इस अवसर पर भोजपुरी सिनेमा में योगदान देने वाले कुछ विशिष्ट अतिथियों का सम्मान भी किया जाएगा. इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ फिल्मों और कलाकारों तथा तकनीशियनों का सम्मान भी किया जाएगा. इस समारोह में मलेशिया सरकार और भारत के कुछ अतिविशिष्ट अतिथि भी शामिल होंगे.’’

भोजपुरी फिल्मों और गानों में बढ़ती अश्लीलता पर चिंता जताते हुए अभय सिन्हा ने कहा – ‘‘भोजपुरी में बहुत अच्छी फिल्में भी बनती हैं. इस इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड समारोह के जरिये हम पूरे विश्व को दिखाना चाहते है कि भोजपुरी कितनी अच्छी फिल्में बनी हैं. भोजपुरी फिल्मों से अश्लीलता खत्म हो, इसके लिए कई बडे़ कलाकारों को अवार्ड समारोह में बुलाया जा रहा है. भोजपुरी का अच्छा स्वरूप दिखाया जाएगा.’’

भोजपुरी अंतरराष्ट्रीय फिल्म अवार्ड समारोह (आईबीफा) ने जहां एक तरफ भोजपुरी की आवाज को गांव जवार से निकाल कर सात समंदर पार विदेशों में ले जाकर चर्चित कर दिया, वहीं दूसरी तरफ भोजपुरी की दुनिया को विस्तार देते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय प्लैटफौर्म दिया.

एक बार फिर से पिता बनने वाले हैं शाहिद कपूर

शाहिद कपूर के घर दोबारा खुशियां आने वाली हैं. उनकी पत्नी मीरा राजपूत प्रेग्नेंट हैं और इस साल की सर्दियों में उनके घर एक नन्हा मेहमान आयेगा. शाहिद ने खुद इस बात की जानकारी दी है.

पिछले कुछ दिनों से इस तरह की खबरें आ रही थीं , मीशा की लेटेस्ट तस्वीरों के बाद इस तरह की चर्चा थी कि वो प्रेग्नेंट हैं लेकिन शुक्रवार को शाहिद ने इंस्टाग्राम के जरिये इसकी पुष्टि कर दी. साथ ही अपनी बेटी मीशा की एक तस्वीर भी पोस्ट की जिसमें लिखा है – बिग सिस्टर. ये साफ संकेत था कि मीशा जल्द ही बड़ी बहन बनने जा रही हैं.

मीरा ने भी पिछले दिनों कहा था कि अभी उनका बौलीवुड में आने का कोई प्लान नहीं है. अभी एक और बच्चे का प्लान है और उसके बाद तय करेंगी. शाहिद ने भी कहा था कि मीरा एक और बच्चे के ख्वाहिश रखती हैं. वो परंपरा को तोडना चाहती हैं. सबसे पहले वो बच्चों के जन्म के साथ उनकी परवरिश करना चाहती हैं और ताकि उसके बाद वो अपने मन का काम करने के लिए स्वतंत्र हो सकें.

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दिल्ली के लेडी श्रीराम कौलेज से इंग्लिश ग्रैजुएट मीरा जब यूनाइटेड नेशंस में इंटर्न थी तब साल 2014 में उनकी शाहिद से मुलाकात हुई. एक साल बाद सात जुलाई को दोनों ने गुरुग्राम में एक निजी समारोह में दोनों की शादी हो गई और साल 2017 में 26 अगस्त को मीरा ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम मीशा रखा गया.

शाहिद और मीरा का दूसरा बेबी इस साल अक्टूबर में होगा, शाहिद हमेशा से ही फैमिली मैन बन कर रहना चाहते थे. अक्सर उन्हें पत्नी मीरा और बेटी के साथ सार्वजानिक स्थानों पर देखा जाता है. शाहिद इन दिनों श्री नारायण सिंह की फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू में काम कर रहे हैं. बिजली चोरी और उससे जुड़ी समस्याओं पर बन रही इस फिल्म में श्रद्धा कपूर और यामी गौतम भी हैं.

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महेंद्र सिंह धोनी और उनकी पत्नी के लिये अजीबो गरीब प्रपोजल

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए क्रिकेट फैंस की दीवानगी किसी से छिपी नहीं है. कई क्रिकेट फैंस तो धोनी से सिर्फ हाथ भर मिलाने के लिए मैदान के बीच आने का जोखिम उठा लेते हैं. लेकिन अब एक लड़की ने खुलेआम महेंद्र सिंह धोनी को अपना पहला प्यार बता दिया है. इतना ही नहीं उसने अपने होने वाले पार्टनर को इसके लिए सौरी भी बोल दिया है. अब इस लड़की का फोटो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है.

दरअसल शुक्रवार को पुणे में चेन्नई और राजस्थान के बीच मैच खेला गया. इस मैच में एक बार फिर से धोनी की टीम ने शानदार खेल दिखाया और मैच में जीत हासिल की. इसी मैच के दौरान स्टेडियम में एक लड़की अपने हाथ में एक प्लेकार्ड थामे दिखाई दी. उस प्लेकार्ड पर उसने मैसेज लिखा…’ मैं अपने फ्यूचर पार्टनर से माफी चाहूंगी, पर महेंद्र सिंह धोनी हमेशा मेरा पहला प्यार रहेंगे.’ इस फोटो को आईसीसी के ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है. अब लोग इसे खू खूब रीट्वीट और शेयर कर रहे हैं.

चेन्नई के सलामी बल्लेबाज शेन वाटसन के शानदार शतक के बाद अपने गेंदबाजों के बेहतरीन गेंदबाजी की बदौलत चेन्नई ने शुक्रवार को यहां इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 11वें संस्करण के एक मैच में राजस्थान रायल्स को 64 रन से हराकर अपने नए घर का जीत से स्वागत किया. नए घरेलू मैदान में खेल रही चेन्नई ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पांच विकेट पर 204 रन का विशाल स्कोर बनाया और फिर राजस्थान को 18.3 ओवर में 140 रन पर समेटकर 64 रन से मैच जीत लिया.

चेन्नई की चार मैचों में यह तीसरी जीत है जबकि राजस्थान को पांच मैचों में तीसरी हार का सामना करना पड़ा है. इसके साथ ही प्वाइंट्स टेबल में चेन्नई की टीम टॉप पर पहुंच गई है.

इससे पहले साक्षी को एक शख्स ने किया था ऐसे प्रपोज

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इससे पहले चेन्नई और पंजाब के बीच हुए मैच में जब धोनी अपनी आतिशी पारी के दम पर चेन्नई को जीत की ओर ले जा रहे थे तभी एक शख्स ने अजीब काम कर दिया. धोनी की पारी के दौरान एक फैन ने माही से माफी मांगते हुए साक्षी धोनी को प्रपोज कर डाला. दरअसल यह फैन एक पोस्टर लिए हुए था जिसपर लिखा था, ‘सौरी माही भाई, बट आय लव यू साक्षी धोनी.’ फैन की यह पोस्टर लिए तस्वीर सोशल मीडिया पर जरूर वायरल हो गई.

इस मैच में हमेशा की तरह माही की पत्नी साक्षी भी मौजूद थीं और अपने पति की हौसला अफजाई कर रही थीं. इस मैच में काफी उतार चढ़ाव नजर आए जो न केवल साक्षी के चेहरे पर बल्कि पंजाब की टीम की मालकिन प्रीति जिंटा के चेहरे पर भी साफ नजर आए जो खुद भी इस मैच में अपनी टीम को चियर करने के लिए मौजूद थीं.

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राष्ट्रीय पेंशन योजना में हुआ बड़ा बदलाव, जानें क्या है बदलाव

राष्‍ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में अब बैंक खाता व मोबाइल नंबर देना अनिवार्य कर दिया गया है. पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण ने यह प्रावधान किया है. इसके साथ ही प्रिवेंशन औफ मनी लौन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के दिशानिर्देशों के तहत पीएफआरडीए ने नए और मौजूदा सब्सक्राइबर्स के लिए विदेशी खाता कर अनुपालन कानून (एफएटीसीए) और सेंट्रल रजिस्ट्री औफ सिक्योरिटाइजेशन एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड सिक्टोरिटी इंटरेस्ट (सीईआरएसएआई) अनिवार्य कर दिया है. प्राधिकरण ने समय-समय पर एनपीएस की परिचालन संबंधी दिक्‍कतों को सुधारने और सरल बनाने के लिए कई तरह की पहल की हैं। जैसा कि एनपीसी आर्किटेक्चर के तहत न्यू फंक्शनैलिटी डेवेलप्मेंट, खाता खोलने का सरलीकरण, निकासी और शिकायत निवारण प्रबंधन आदि.

सब्सक्राइबर की सहूलियत के लिए किया बदलाव

वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि प्राधिकरण की ओर से फैसला लिया गया है कि सब्सक्राइबर की सहूलियत के लिए और एनपीएस से बिना किसी दिक्कत के बाहर निकलने के लिए बैंक खाता जानकारी और मोबाइल डिटेल देना अनिवार्य है. यह नए सब्सक्राइबर्स की ओर से न्यू कौमन सब्सक्राइब रजिस्ट्रेशन फौर्म (सीएसआरएफ) में भरना जरूरी है. मौजूदा सब्सक्राइबर्स को अपने लौगइन (www.cra-nsdl.com or https://enps.karvy.com/Login/Login ) में औनलाइन एफएटीसीए सेल्फ सर्टिफिकेशन जमा करने की सुविधा दी हुई है. यह जानकारी भी मंत्रालय ने ही मुहैया कराई है. अपने फौर्म को रिजेक्ट होने से बचाने के लिए सब्सक्राइबर्स के लिए इन सभी कौलम को भरना जरूरी है. साथ ही उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि ये कौलम खाली न छूटे.

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राष्‍ट्रीय पेंशन योजना में 1.8 करोड़ सब्‍सक्राइबर

एनपीएस के तहत लगभग 1.8 करोड़ सब्सक्राइबर आते हैं. इसकी शुरुआत 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए हुई थी. 2009 में इसे सरकार ने आम लोगों के लिए खोल दिया. सरकार ने पहली जनवरी 2004 के बाद सरकारी नौकरी में आने वाले सभी कर्मचारियों के लिए एनपीएस की सदस्यता अनिवार्य कर दी थी. केवल सैन्य बलों को ही एनपीएस से छूट है. इसके तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते से एक निश्चित राशि पेंशन के लिए योगदान करते हैं, इतनी ही राशि सरकार कर्मचारी के पेंशन फंड में जमा करती है. वहीं, निजी क्षेत्र खासकर कमजोर वर्ग के लोगों के लिए सरकार ने अटल पेंशन योजना शुरू की है.

क्‍या है एफएटीसीए?

विदेशी खाता कर अनुपालन कानून (एफएटीसीए) अमेरिकी कानून है. इसका मकसद अमेरिकी नागरिकों तथा गैर-अमेरिकी व्यक्तियों द्वारा कर चोरी को रोकना है. इसके तहत भारत समेत दुनिया के तमाम देशों के बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों से कुछ सूचनाएं लेनी होती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अमेरिकी टैक्स की चोरी नहीं कर रहे हैं. इसीलिए बैंक और वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों से एक सेल्फ सर्टिफिकेशन लेते हैं.

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अब चाहे जितनी बार करें कौल, हर बार नंबर होगा अलग

क्या आप नहीं चाहते कि कौलिंग के वक्त आपके नंबर को कोई अपनी स्क्रीन पर देख सके?  हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप गुमनाम हो कर अनलिमिटेड कौलिंग का मजा ले सकते हैं. लेकिन इस बात का ध्यान रहें कि इन तरीकों का इस्तेमाल आप तभी कर सकते हैं, जब आपके पास इंटरनेट कनेक्शन हो.

ऐप करेगा आपकी मदद

Indy Call- ऐप को 10 लाख यूजर्स ने डाउनलोड किया है. प्ले स्टोर पर इसे 3.9 स्टार मिला है, जिसे 17 हजार से ज्यादा यूजर्स ने रेटिंग दी है. ऐप की साइज 21 एमबी है. ऐप की मदद से आप फ्री में अनलिमिटेड काल कर पाएंगे. ऐप की सबसे बड़ी खासियत ये है कि जब भी आप किसी यूजर को फोन करेंगे उसे दूसरा नंबर दिखाई देगा. यानी अगर आपने किसी शख्स को इस ऐप की मदद से 5 बार कौल किया तो सामने वाले को हर बार अलग-अलग नंबर दिखाई देगा. इससे सामने वाले को पता नहीं चलेगा की कौल किसका है. अगर आप इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो सामने वाला आपके नंबर को True Caller पर भी ट्रैक नहीं कर पाएगा. यहां ध्यान देना जरूरी है कि इस ऐप के लिए आपके फोन में डाटा पैक एक्टिव हो.

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औनलाइन वेबसाइट आएगा आपके काम

फोन करने के लिए सबसे जरूरी चीज है सिम कार्ड. ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि आपका सिम कार्ड काम करना बंद कर देता है या फिर आपके पास आपका फोन नहीं होता, ऐसे समय में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आप किसी नंबर पर कौल कैसे करेंगे? औनलाइन ऐसी कई सारी बेवसाइट्स मौजूद हैं, जहां आप बिना सिम कार्ड के फ्री कौल कर सकते हैं. हम ऐसे ही एक तरीके के बारे में आपको जानकारी देने जा रहे हैं.

  • अपने पीसी या स्मार्टफोन के ब्राउसर में जाएं और गूगल के सर्च सेक्शन में Reveal Name टाइप करें.
  • इंटर करने पर जो औप्शन सबसे ऊपर दिखाई देगा उसपर क्लिक करें.
  • आपको एक वेबसाइट दिखाई देगी. इस वेबसाइट में एक फोन बना दिखेगा, उसमें Look Up औप्शन पर क्लिक करें.
  • यहां कई सारे देश और उनके कोड दिखाई देंगे, इनमें अपने देश को चुनें.
  • देश के चयन के बाद सर्च औप्शन में उस नंबर को टाइप करें जिसपर आपको कौल करना है.
  • नंबर टाइप करने के बाद नीचे हरे रंग में एक Call का बटन दिखाई देगा, इस बटन पर क्लिक करें.
  • कौल बटन पर क्लिक करते ही फोन कनेक्ट हो जाएगा. इसकी एक खासियत ये भी है कि सामने वाले को आपका नंबर नहीं दिखाई देगा.

ऐसी कई सारी औनलाइन वेबसाइट्स हैं जो फ्री कौल की सुविधा देती हैं वो भी बिना सिम कार्ड के. इसके अलावा गूगल प्ले स्टोर पर भी कई ऐप्स है जिन्हें डाउनलोड करके आप कौल कर सकते हैं.

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तीसरी आंख से रहें सावधान

स्टूडैंट लाइफ जी रही रीता एक दिन बहुत परेशान थी. कई तरह की आशंकाएं उस के दिमाग में उठ रही थीं. उसे पूरा यकीन था कि वह खुद भी अनजाने में ऐसे गुप्त हथियार का शिकार हुई है, जो उस का सामाजिक जीवन खराब कर सकता है. पर सुकून इस बात का भी था कि उस हथियार का इस्तेमाल करने वाला पकड़ा गया था. रीता शायद कभी परेशान न हुई होती यदि उसे पता नहीं चलता कि शहर के एक कपड़ों के शोरूम के ट्रायलरूम में हिडेन कैमरा पकड़ा गया है. रीता को चूंकि शौपिंग का शौक था, इसलिए अकसर उसी शोरूम में कपड़ों की खरीदारी करने जाती थी. उसे इस बात का पछतावा था, लेकिन दिल के एक कोने में सुकून भी था कि अब शर्मनाक सिलसिला किसी के साथ नहीं चलेगा.

रीता कोई अकेली लड़की नहीं, बल्कि कब कौन युवती या महिला हिडेन कैमरे का शिकार हो जाए, कोई नहीं जानता. 1 साल पहले राजधानी दिल्ली के लाजपतनगर की सैंट्रल मार्केट में ब्रैंडेड कपड़ों के एक शोरूम में जो सच सामने आया था वह बेहद चौंकाने वाला था. दरअसल, एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करने वाली रूबी शोरूम गई. ट्रायलरूम में उस ने देखा कि एक गैप के पीछे की तरफ कैमरा लैंस है. उस ने बाहर निकल कर चैक किया, तो वहां चालू हालत में वीडियो मोड पर मोबाइल लगा हुआ दिखा. हंगामा हुआ तो पुलिस आ गई. इस के बाद पता चला कि शोरूम कर्मी ही इस शर्मनाक करतूत को अंजाम दे रहा था. पुलिस ने उस के खिलाफ छेड़छाड़ की धारा- 354, 354 (सी) व आईटी ऐक्ट के अंतर्गत केस दर्ज कर के जेल भेज दिया.

सार्वजनिक जीवन में संकट

इस से पहले नोएडा शहर के एक गर्ल्स होस्टल के बाथरूम में भी हिडेन कैमरा पकड़ा गया था. जांच के दौरान वहां 3 कैमरे मिले थे.

जयपुर की रहने वाली एक युवती ने एक शोरूम में अपने लिए नए कपड़े खरीदे. कपड़ों को पहन कर देखने के लिए वह चेंजिंगरूम में गई. उस ने 3 टौप बदल कर देखे तभी अचानक उस की नजर छत पर लगे कैमरे पर गई, तो उस के होश उड़ गए. पुलिस ने इस मामलें में काररवाई की.

इस तरह के कई मामले सामने आने लगे हैं. गत वर्ष भाजपा नेत्री स्मृति इरानी ने गोवा स्थित फैब इंडिया के शौरूम के ट्रायलरूम में हिडेन कैमरा पकड़ा. कंप्यूटर हार्डडिस्क की जांच हुई, तो पता चला कि जो भी महिला कपड़े बदलती थी उस के पेट के ऊपर के हिस्से की रिकौर्डिंग होती थी.

ट्रायलरूम, गर्ल्स होस्टल, बाथरूम, कालेज, सार्वजनिक शौचालय, होटल के कमरे में लगा हिडेन कैमरा किसी को भी अपना शिकार बना सकता है. ऐसे में युवतियों व महिलाओं को ऐसी जगहों का इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह छानबीन कर लेनी चाहिए. सतर्क नहीं होंगे तो आप की तसवीरों और वीडियो को पोर्न वैबसाइट से ले कर सोशल मीडिया तक  सार्वजनिक किया जा सकता है.

कौन शातिर हिडेन कैमरे से आप की तसवीरें या वीडियो उतार ले कुछ कहा नहीं जा सकता. सार्वजनिक जीवन में बड़ा संकट आ सकता है. ट्रायलरूम के शीशे के पीछे से भी कोई आप को देख सकता है. इस की खबर भी नहीं होगी. कुछ खास किस्म के कांच किसी भी ट्रायलरूम में हो सकते हैं, जो दिखने में बिलकुल सामान्य लगते हैं. अगर किसी जगह कोई छोटी लाइट या काला बिंदु नजर आए तो सावधान हो जाना चाहिए. ऐसा स्थान जो खासतौर पर महिलाओं के लिए ही बनाया गया हो वहां कैमरे होने की संभावना सब से अधिक होती है. ट्रायलरूम में कपड़े बदलते वक्त पता भी नहीं होता कि वहां कैमरा लगा है.

शिकार होने से बचें

कई बार शातिर लोग वीडियो रिकौर्ड कर के उसे एमएमएस के तौर पर तैयार कर लेते हैं और फिर ब्लैकमेल भी करते हैं. हरियाणा के रोहतक का मामला कुछ ऐसा ही रहा जहां एक लड़की का एमएमएस तैयार कर के उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई. दरअसल, स्टेडियम में कुश्ती की प्रैक्टिस करने वाली एक नाबालिग का चेंजिंग रूम में वीडियो तैयार कर के सैक्सुअल रिलेशन का प्रैशर बनाया. प्लेयर तनाव में आ गई, जिस के चलते उस ने आत्महत्या का प्रयास किया, तो मामला खुला.

वैसे किसी होटल या अनजान कमरे में जाते समय कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो हिडेन कैमरे का शिकार होने से बचा जा सकता है. जानकार मानते हैं कि यदि कहीं हिडेन कैमरा नजर आ जाए, तो उसे बिलकुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. आप की खामोशी दूसरी महिलाओं के लिए मुसीबत बन सकती है. कैमरा पकड़ में आए, तो मौके पर खुद फैसला करने की कतई न सोचें. ऐसे में शोरशराबा करने और झगड़े से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी जगहों के संचालक सुबूतों को नष्ट कर सकते हैं. बेहतर तरीका यही है कि अपने परिचितों के साथ पुलिस को तत्काल सूचना दे दी जाए.

मानसिक रूप से बीमार

साइबर क्राइम ऐक्सपर्ट कर्मवीर सिंह कहते हैं कि किसी मौल, होटल या रेस्तरां आदि के ट्रायल या बाथरूम में महिलाओं को देखना चाहिए कि वहां की दीवारें गहरे रंग की न हों. सफेद रंग की दीवारें होने पर खुफिया कैमरे के होने की संभावना नहीं होती, क्योंकि कैमरे का लैंस व्हाइट नहीं होता. गहने रंग वाली दीवारों में कैमरा लगाना आसान होता है और वह पकड़ में भी नहीं आता. ट्रायलरूम में पूर्ण प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए. प्रकाश कम होगा, तो कैमरे को पकड़ना मुश्किल होगा.

डाक्टर फरीदा खान कहती हैं, ‘‘ऐसे लोग किसी न किसी रूप में मानसिक रूप से बीमार होते हैं, वे कुंठित होते हैं. जब वे गलत तरीके की हरकतें करने की हिम्मत नहीं कर पाते, तो अपनी कुंठाओं को शांत करने के लिए इस तरह के वीडियो बना कर देखते हैं और उन का गलत इस्तेमाल भी करते हैं. उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि वीडियो सार्वजनिक करने से किसी की जिंदगी भी तबाह हो सकती है.’’

राजकोट में सामने आया एक मामला इसी कुंठा से मिलताजुलता है. एक फोटोग्राफर ने अपने स्टूडियो में ट्रायलरूम बनाया था जहां महिलाएं फोटो खिंचाने के लिए कपड़े बदलती थीं. उस ने वहां एक कैमरा छिपा कर रखा था. जैसे ही कोई ग्राहक वहां कपड़े बदलने के लिए जाती थी, तो वह चुपके से कैमरा औन कर देता था, जिस की रिकौर्डिंग उस के कंप्यूटर में होती थी.

घिनौनी मानसिकता

उत्तराखंड के देहरादून शहर के एक व्यक्ति ने तो सभी सीमाओं को लांघ दिया. अधेड़ उम्र का सरबजीत पेशे से सिविल इंजीनियर था. वह हमेशा आदर्श व संस्कारों की बात किया करता था. यों तो वह खुद 2 शादीशुदा बेटियों का पिता था, लेकिन हकीकत में वह इनसानियत को शर्मसार कर देने वाली घिनौनी मानसिकता का वारिस था. जवान लड़कियों के जिस्म को देखना और उन की क्लिप तैयार करना उस का रोजमर्रा का काम था. अनगिनत लड़कियों को बेलिबास देख कर वह अपनी कुंठा को शांत करता था. लड़कियों के बाथरूम में लगाए गए वैब कैमरे के जरीए वह उन की हर हलचल को अपने बैडरूम में लगे कंप्यूटर पर गुपचुप देखता था. वह अकेला रहता था और अपने घर के कमरों में छात्राओं को ही बतौर किराएदार रखता था. उसे खुद भी याद नहीं था कि उस ने अब तक कितनी लड़कियों

को अपनी गंदी नजरों का शिकार बनाया. इस अजीब मानसिकता का भी वह शिकार था कि जल्द ही वह एक लड़की को देख कर उकता जाता था और नई लड़की की ख्वाहिश जाग

उठती थी, तो वह बहाने से कमरा खाली करा लेता था. वह पकड़ा नहीं जाता, यदि एक लड़की की नजर बाथरूम के गीजर में लगे कैमरे पर न गई होती.

यहां हो सकते हैं कैमरे

हिडेन कैमरा छिपाने की कुछ खास जगहें निर्धारित होती हैं. इस के लिए पहले से सतर्क रहा जाए, तो किसी के गलत इरादों से बिलकुल बचा जा सकता है. ऐक्सपर्ट्स की मानें, तो जिन चीजों में कैमरा होने की संभावना अधिक होती है उन में फूलों के गमले, फोटो फ्रेम, छत के सैंटर में लगा पंखा, बाथरूम का शावर, गैस या बिजली का गीजर, बिजली का स्विच, कमरे के हैंगर हुक, दीवार की घड़ी, फैंसी लाइट व बेकार रखे टीवी रिमोट शामिल होते हैं. इस के अलावा कपड़ों के शोरूम के ट्रायलरूम में भी कैमरा होने की संभावना ज्यादा होती है.

शरीर के ऊपरी भाग को कवर करने वाले कैमरे दीवार के बल्ब, दरवाजे, अलमारी के हैंडल या डिजाइन में हो सकते हैं.

शरीर के निचले भाग को कवर करने वाला कैमरा किसी बेकार पड़े सामान, स्टूल, मेज या दरवाजे के अंदर सफाई से छिपाया गया हो सकता है. शीशे के पीछे भी कैमरा हो सकता है. होस्टल या होटल के रूम में कैमरा शीशे के पीछे, टीवी सैट के अंदर, सजावटी सामान या एसी में हो सकता है. वाशरूम में कैमरा आमतौर पर शीशे के पीछे, किसी कोने या किसी सजावटी वस्तु में हो सकता है.

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जीवन सरिता : अपनों के बिना सफलता फीकी

जीवविज्ञान की कक्षा चल रही थी. अध्यापक छात्रों को ककून से तितली बनने की प्रक्रिया के बारे में बता रहे थे. उन के सामने एक ककून रखा हुआ था और उस में बंद तितली बाहर आने के लिए लगातार कठिन संघर्ष कर रही थी. इतने में ही अध्यापक कुछ कार्यवश थोड़ी देर के लिए कक्षा से बाहर निकल गए. छात्रों ने देखा कि तितली को अपने ककून से बाहर आने में काफी कष्ट व असहनीय पीड़ा हो रही है तो उन्होंने बालसुलभ सहानुभूतिवश ककून से तितली को निकलने में मदद करने की कोशिश की.

छात्रों ने ककून से बाहर आ रही अति नाजुक तितली को हाथ से पकड़ कर बाहर की तरफ खींच लिया. तितली बाहर तो आई किंतु इस प्रक्रिया के दौरान उस की मौत हो गई. जब अध्यापक कक्षा में वापस आए, छात्रों को मौन देख कर बड़ी हैरत में पड़ गए. किंतु पास में ही जब उन्होंने तितली को मृत देखा तो उन्हें सारी बातें समझने में तनिक भी देर नहीं लगी.

अध्यापक ने कहा, ‘‘तुम लोगों ने तितली को उस के ककून से बाहर आने में मदद कर उस की जान ले ली है. तितली अपने ककून से बाहर आने में जिस संघर्ष का सामना करती है, जिस दर्द को बरदाश्त करती है, वह उस के जीवन के अस्तित्व के लिए अनिवार्य होता है.

‘‘इस धरती पर जीवित रहने के लिए उसे वह पीड़ा सहनी ही पड़ती है. जन्म के समय के इस संघर्ष में जीवन जीने के लिए अनिवार्य गुणों को तितलियां बड़ी आसानी से सीख लेती हैं. कोई भी केटरपिलर अपने जीवन के इन कष्टों को सहन किए बिना जीवित नहीं रह सकता है. तुम लोगों ने उस तितली को उन जीवनदायी कष्टों से बचा कर उस की जान ले ली है.’’

सच पूछिए तो जीवन में कामयाबी प्राप्त करने तथा इस दुनिया में अपना अस्तित्व बनाए रखने का फार्मूला भी इस जीवनदर्शन से अलग नहीं है. इस धरती पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति को अपने जीवन के हिस्से के दुखदर्द तथा संताप को खुद सहन करना होता है.

सफर आसान नहीं

महान कूटनीतिज्ञ तथा राजनीतिज्ञ बेंजामिन डिजरायली कहा करते थे, ‘सफलता प्राप्त करना एक नया जीवन प्राप्त करने सरीखा होता है. जैसे एक नए जीव के जन्म के लिए प्रसवपीड़ा अनिवार्य तथा सर्वविदित सत्य है, उसी प्रकार सफलता के मुरीद व्यक्ति को जीवन की बेशुमार पीड़ाओं का सामना करना होता है.

‘सफलता बहुत संघर्ष व बलिदान मांगती है. निश्चय सुदृढ़ हो तथा अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए यदि कोई शख्स आने वाली हर मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार हो तो फिर कामयाबी पाने में कोई संदेह शेष नहीं रह जाता है.’

महात्मा गांधी के बारे में कहा जाता है कि वे अपनी पूरी जिंदगी में रोजाना 2 घंटे से अधिक कभी भी नहीं सोए. थौमस अल्वा एडीसन को अपने अनुसंधानों के समय रात और दिन का फर्क मालूम नहीं होता था. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि बेतरतीब बाल तथा बढ़ी दाढ़ी के साथ घुटने तक फटे हुए पतलून में किसी ट्रेन के थर्ड क्लास कंपार्टमैंट में यात्रा करने वाले तथा अति साधारण दिखने वाले व्यक्ति के अंदर महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन का जादुई व्यक्तित्व भी छिपा हो सकता है?

आशय यह है कि जीवन के किसी क्षेत्र तथा मानव ज्ञान की किसी भी विधा में सफलता का सफर आसान नहीं होता. हमें हर मोड़ पर त्याग करने तथा कुरबानी देने की दरकार होती है.

त्याग काफी नहीं

किंतु केवल बलिदान तथा त्याग का होना ही सफलता की कसौटी नहीं है. अहम बात यह है कि सफलता के लिए किया जा रहा संघर्ष सच्चा है या नहीं. संघर्ष सही दिशा में किया जा रहा है या नहीं? क्योंकि समर्पण जितना सच्चा होता है, जितना सुदृढ़ होता है, सफलता उतनी ही निश्चित मानी जाती है.

यहां पर सब से अधिक जरूरी तथा विचारणीय प्रश्न यह उठता है कि संघर्ष करने तथा सफल होने की उत्कट लालसा में कहीं हम अपनों को ही नजरअंदाज तो नहीं कर रहे हैं? कामयाबी की रोशनी में चकाचौंध हो कर हम जिस अहम चीज को नकार जाते हैं वह होती है हमारी अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी का एहसास तथा कर्तव्य का भाव.

इस सच से कदाचित ही कोई इनकार कर पाए कि सफलता के लिए त्याग की जरूरत होती है, किंतु अहम प्रश्न यह उठता है कि सफलता त्याग की किस कीमत पर एवं कितनी कीमत पर?

कहानी जिंदगी की

प्रतीक की जिंदगी की कहानी उस के खुद के परिवार की खुशियों तथा निरंतर सफल होने की चाहत के मध्य की सुविधा से परे नहीं है. प्रतीक किसी मल्टीनैशनल कंपनी में काम करता था. वह अपनी महत्त्वाकांक्षा की प्राप्ति की राह में इस कदर व्यस्त हो गया था कि उस के पास अपनी पत्नी तथा बेटे के साथ अपने गम व खुशियों को बांटने का न तो वक्त होता था और न ही वह इस की कोई आवश्यकता समझता था. उस की पत्नी स्वाति को भी इस बात की हमेशा शिकायत रहती थी कि प्रतीक के पास उस के लिए कोई समय नहीं होता है. इस वजह से आएदिन परिवार में कलह तथा अशांति का माहौल रहता था. स्वाति ने कुछ दिनों के बाद इसे ही अपनी नियति मान कर प्रतीक से शिकायतें करनी बंद कर दीं.

प्रतीक के इकलौते बेटे आकाश को भी अकसर यही शिकायत रहती थी. ‘पापा, आप के पास तो मेरे लिए कोई वक्त ही नहीं है. आप तो मेरे साथ कभी खेलते भी नहीं हैं. यदि आप आज मेरे साथ नहीं खेलेंगे तो जान लीजिए, मैं कभी भी आप से बात नहीं करूंगा.’

सच पूछिए तो अपने बेटे की इन दोटूक बातों से प्रतीक के दिल को बहुत ठेस लगती थी और वह भावनात्मक रूप से थोड़ी देर के लिए परेशान हो उठता था. किंतु नौकरी की जिम्मेदारियों तथा सब से आगे बढ़ने की महत्त्वाकांक्षा के चक्रव्यूह में वह फिर से उलझ जाता.

वक्त गुजरता गया. प्रतीक व उस के परिवार के मध्य की नाराजगी धीरेधीरे उसे अपनों से दूर करती गई. सब लोगों ने उस से बातें करनी बंद कर दी. हां, उस का बेटा कभीकभी जरूर उस से आ कर चिपक जाता था, किंतु जब वह अपनी मम्मी को देखता तो शीघ्र भागने की कोशिश करने लगता. साथ रहते भी तनहातनहा रहने का क्रम कुछ दिनों तक इसी प्रकार जारी रहा.

सहसा एक दिन अपनी पत्नी के एक प्रश्न ने प्रतीक को अंदर से झकझोर कर रख दिया. ‘आखिर आप चाहते क्या हैं? आप को यदि अपनी नौकरी से इतनी ही मुहब्बत थी तो फिर आप ने मुझ से शादी क्यों की? यदि आप के पास अपनी पत्नी तथा अपने बेटे के लिए वक्त नहीं है तो फिर आप हम लोगों को छोड़ क्यों नहीं देते हैं?’

‘मैं आज जो कुछ भी कर रहा हूं,

वह तुम लोगों के सुखद जीवन के लिए कर रहा हूं. जीवन के भोगविलास तथा ऐशोआराम के लिए मेरी कोशिश केवल मेरे जीवन के लिए नहीं है, यह सब केवल और केवल तुम लोगों के लिए है,’ प्रतीक अकसर यही उत्तर दे कर अपनी पत्नी का मुंह बंद कर दिया करता था.

‘मैं मानती हूं कि आप की महत्त्वाकांक्षा में, आप के सपनों में हम सभी की सुख तथा सुविधाएं निहित हैं, किंतु सोच कर देखिए यदि मैं ही जीवित नहीं रही तो आप की शोहरत व सफलता की दुहाई देने वाले कौन होंगे? आप अपनी शानोशौकत किसे दिखाएंगे व आप किस पर गर्व करेंगे?

‘सफलता के शिखर पर पहुंच कर आप दुनिया की नजर में नाम तो कमा लेंगे, किंतु जब आप के खुद अपने ही आप के करीब नहीं होंगे तो क्या आप की वे खुशियां अधूरी तथा निरर्थक नहीं रह जाएंगी?’ प्रतीक की पत्नी ने बड़ी संजीदिगी से ये बातें कहीं.

अपनी पत्नी के आत्मदर्शन पर प्रतीक ने बड़ी गंभीरता से सोचा और आखिरकार उसे जो आत्मबोध हुआ, उस की स्निग्ध छांह में उस के मन पर वर्षों से जमी भ्रम की तपिश किसी मोम की तरह पिघलती गई और उसे अपने मन के जख्म पर किसी मरहम सरीखे ठंडक की अनुभूति हुई. उस आत्मानुभूति ने उस के जीवन की दिशा व दशा दोनों में कई अहम तबदीलियां ला दीं.

ऐसा नहीं है कि प्रतीक ने सपने देखना छोड़ दिया है. आज भी वह जीवन के वही सारे सपने देखता है, किंतु उस के पास उन सपनों को साकार करने की वो बेचैनी अब नहीं रही. परिवार की खुशियों की कीमत पर प्रतीक ने सपनों का पीछा करना छोड़ दिया. वह अब अपने बेटे के साथ खेलने के लिए तथा भागनेदौड़ने के लिए पूरा वक्त निकालता है. ऐसे में पत्नी भी खुश रहने लगी है.

परिवार की भूमिका

सच पूछें तो आधुनिक अर्थव्यवस्था की सूचना क्रांति के वर्तमान जादुई युग में जनमानस की सोच तथा जीवनशैली में जिस प्रकार के बदलाव आए हैं, उन के चलते हम ने आज यदि कुछ खोया है, तो वह है मानसिक शांति व आत्मिक सुकून. भौतिक भोगविलास की अंतहीन खोज में हम ने यदि कुछ खोया है, तो वह पारिवारिक सुखसुकून की वो स्निग्धता, जिस के कोमल एहसास में जीवन का परम सुख निहित होता है.

कदाचित इस बात से हम इनकार नहीं कर सकते कि मानव जीवन में परिवार की भूमिका उस कुशन या गद्दे की तरह की होती है, जो हमें जीवन में सफलता की ऊंचाइयों से अचानक गिरने पर हमें जख्मी होने से बचाती है. इसीलिए सफलता पाने की कोशिश में केवल संघर्ष ही अनिवार्य नहीं है, बल्कि उन अपनों के प्यार व सहानुभूति की भी दरकार होती है जिन की उपस्थिति के बिना जीवन तथा जहान की सारी खुशियां अधूरी प्रतीत होती हैं.

आप के अपने आप के सपनों के पीछे भागने की रेस में आप के साथ होंगे तो आप को एक अद्भुत ऊर्जा तथा प्रेरणा का एहसास पलप्रतिपल होगा. अपनों के प्यार को खो कर पाई गई किसी भी कामयाबी की कीमत कभी भी इतनी अधिक नहीं होती, जो आप के जीवन की भावनात्मक कमी की भरपाई कर सके.

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ग्रीन टी: फायदे और नुकसान

सब से पहले ग्रीन टी का चलन चीन में हुआ था. कमीलिया सीनेसिस नाम की पत्तियों से इसे बनाया जाता है. यह चाय कई तरह से सेहत के लिए फायदेमंद है. आज के जमाने में यह पूरे संसार में पी जाती है. मोटे लोग चर्बी को घटाने और छरहरा दिखने के लिए इसे पीते हैं. कई खाने की चीजों जैसे पूरक भोजन, पीने की चीजों, सेहत के लिए फायदेमंद चीजों और कास्मेटिक सामान वगैरह में कच्चे माल के रूप में इसे इस्तेमाल किया जाता है. इस के पत्तों का रस निकाल कर एक दवा की तरह इस का इस्तेमाल किया जाता है.

ग्रीन टी किस तरह काम करती है

ग्रीन टी की पत्ती, कली और तने के हिस्से को इस्तेमाल में लाया जाता है. इस की ताजी पत्तियों को भाप से ऊंचे तापमान पर रख कर तैयार किया जाता है. इस विधि के दौरान इस में पाई जाने वाले तत्त्व जैसे पालीफिनाल आदि जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं, खत्म नहीं होते हैं. इस के इस्तेमाल से इनसान का दिमाग और बीमारियों से लड़ने की ताकत भी बनी रहती है और शरीर भी फुर्तीला बना रहता है.  यह एक ऐसी चीज है जो आसानी से बाजारों में मिल जाती है. हमारे देश में भी मोटापे को कम करने के लिए इस का इस्तेमाल काफी किया जा रहा है. इस की पीने की मात्रा, इस में पाए जाने वाली फायदेमंद चीजों और इस से शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में जानना बहुत जरूरी है. ज्यादा मात्रा में ग्रीन टी का इस्तेमाल कई लोगों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है. इसलिए डाक्टर की सलाह के बिना ग्रीन टी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

ग्रीन टी में मौजूद जरूरी तत्त्व

ग्रीन टी के फायदे और नुकसान को जानने के लिए यह जरूरी है कि इस में मौजूद चीजों के बारे में भी जाना जाए. कई बार जहां एक ओर यह हमारे शरीर के लिए फायदेमंद साबित होती है, वहीं दूसरी ओर इस से शरीर को नुकसान भी हो सकता है. इसलिए इस में मौजूद चीजों के लिए चौकसी रखना जरूरी है. ग्रीन टी में कैफीन, पालीफिनाल, थियोब्रोसाइस, कैराटिन, टैनिन, जरूरी वसा, थिपोफाइलाइन, वैक्स, सैपोनिन, मालिब्डिनम, विटामिन सी, ए, बी1, बी2, के, मिनरल, फ्लूराइड, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कापर, निकिल व जिंक वगैरह तत्त्व पाए जाते हैं. ये तत्त्व फायदेमंद या नुकसानदाक हो सकते हैं, इसलिए ग्रीन टी का इस्तेमाल अपने शरीर को ध्यान में रख कर ही करना चाहिए.

सेहत के लिए फायदेमंद

वैसे तो ग्रीन टी का नाम आते ही हमारे दिमाग में फिटनेस का खयाल आता है और रोजाना ग्रीन टी पीने वालों को कई तरह की बीमारियों से छुटकारा भी मिलता है. लिहाजा इस के फायदे इस तरह से हैं : * ग्रीन टी में विटामिन ई, बी और सी ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. ये एंटीआक्सीडेंट का काम करते हैं, जो कि हमें पुरानी बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं. * ग्रीन टी पीने से कैंसर का खतरा 25 फीसदी तक कम हो जाता है.

* इसे पीने से मधुमेह रोगी के खून में चीनी की मात्रा कम हो जाती है.

* ग्रीन टी से शरीर का नुकसानदायक कोलेस्ट्राल कम होता है और फायदेमंद कोलेस्ट्राल की मात्रा सही बनी रहती है.

* ग्रीन टी में थेनाइन होता है जिस से अमीनो एसिड बनता है. यह शरीर को तरोताजा बनाए रखता है और दिमागी शांति के साथसाथ थकावट व तनाव को भी कम करने में मदद करता है.

* ग्रीन टी में उम्र को कम करने वाली चीजें होती हैं, जो चेहरे की झुर्रियों को कम करती हैं, जिस से चेहरे की चमक तरोताजा बनी रहती है.

* खाने के बाद 1 कप ग्रीन टी पीने से खाना आसानी से पच जाता है, जिस के कारण व्यक्ति का वजन कम हो जाता है.

* यह जोड़ों की अकड़न के खतरे को भी कम करती है.

गलत प्रभाव

वैसे तो ग्रीन टी बहुत फायदेमंद होती है, परंतु इस में मौजूद कैफीन की मात्रा सदैव संदेह में डालती है, लिहाजा इस के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जो इस तरह से हैं :

* नींद में कमी होना.

* अधिक पीने से लिवर व किडनी में परेशानी हो सकती है.

* गर्भवती महिलाओं के लिए यह बहुत नुकसानदायक होती है.

* इस के पीने से बच्चों के वजन में कमी आती है.

* इस के सेवन से भू्रण की मौत भी हो सकती है व गर्भधारण में परेशानी होती है.

* इस में मौजूद कैफीन ब्लड प्रेशर को बढ़ा देती है.

* इसे खाली पेट लेने से गैस बनती है.

सावधानी व चेतावनी

ग्रीन टी को जब कम मात्रा में लिया जाता है, तो यह ज्यादातर लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाती है. कुछ लोगों में यह गैस और कब्ज को बढ़ावा देती है. इस के रस का ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करना जिगर की समस्याओं को बढ़ावा देता है. इस प्रकार ग्रीन टी की खुराक के बारे में काफी भिन्नता पाई जाती है. लेकिन आमतौर पर यह भिन्नता 1 से 10 कप के बीच पाई गई है. रोज इस की मात्रा 3 से 4 कप के बीच लेना काफी फायदेमंद होता है.

* सिरदर्द व दिमागी शांति के लिए प्रतिदिन 3 कप ग्रीन टी पीनी चाहिए.

* सोच में सुधार लाने के लिए तकरीबन 1 कप ग्रीन टी का इस्तेमाल ठीक रहता है.

* कोलेस्ट्राल की मात्रा को कम करने के लिए रोज 10 कप या उस से ज्यादा ग्रीन टी लेना लाभदायक रहता है.

* पार्किसंस बीमारी को रोकने के लिए रोजाना 5 से 33 कप ग्रीन टी पीना ठीक रहता है.

* महिलाओं के लिए 1 से 4 कप ग्रीन टी रोज लेना फायदेमंद होता है.

* गर्भवती औरतों को रोज 1 से 2 कप ग्रीन टी पीनी चाहिए.

लिहाजा यह कहा जा सकता है कि सेहत के प्रति जागरूक लोग ग्रीन टी जैसे पेय पदार्थ की मदद लेते हैं, जोकि उन के शरीर को कई बीमारियों से बचाती है.

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कोई पीछा तो नहीं कर रहा

मूलरूप से गुवाहाटी की रहने वाली नजमा 2012 में सिलचर में किराए पर मकान ले कर अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी. घर से यूनिवर्सिटी तक का आनाजाना बस से करती. इस में करीब 45 मिनट का समय लगता था. उस दिन यूनिवर्सिटी में चल रहे यूथ फैस्टिवल की वजह से वह घर लौटने में लेट हो गई. 11 बज चुके थे. वह अपनी सहेली के साथ बस से उतरी. बस से उतर कर गली में करीब 3-4 मिनट की वाकिंग पर उस का घर था. सहेली का घर थोड़ी और दूर था. नजमा बताती है, ‘‘हम ने देखा कि रास्ते में कुछ लड़के हमें अजीब नजरों से देख रहे हैं. ये वही लड़के थे जो अकसर हम पर कमैंट करते थे. दरअसल, हाल ही में मैं ने जिम जौइन किया था. जिम में पहले से कोई लड़की नहीं थी. उस एरिया में लड़कियां जिम नहीं जातीं. यही नहीं, मैं जींस भी पहनती हूं. इसे ले कर भी वे लड़के अकसर मुझ पर कमैंट करते हुए पीछा करते. इन में से कुछ लड़के जिम में मेरे साथ ही थे.

‘‘उस दिन रात में भी ये लड़के हमारा पीछा करने लगे. वे कार में थे. हम तेजी से आगे बढ़े. मेरा घर आ गया था. मैं ने अपनी सहेली से कहा कि तू मेरे घर ही रुक जा. पर उस के भाई को बुखार था, इसलिए वह नहीं रुकी और चली गई. मगर थोड़ी देर के बाद ही उस का फोन आया. वह रोती हुई बता रही थी कि ये लड़के उस का पीछा कर रहे हैं और कार में खींचने के प्रयास में हैं. मैं ने तुरंत उस के भाई और अपने पड़ोस में रहने वाले लड़के को उस की सहायता के लिए भेजा.

‘‘इस बीच मेरी सहेली स्वयं को बचाने के लिए मेन रोड छोड़ कर भागने लगी, वहां कंस्ट्रक्शन का मैटीरियल पड़ा था और गाड़ी का निकलना मुमकिन नहीं था. लड़के भी कार छोड़ कर पैदल ही उस के पीछे भागे. वे उसे दबोचने ही वाले थे कि उस का भाई और मेरे पड़ोस का लड़का वहां पहुंच गए. एक बड़ा हादसा होतेहोते बच गया.

‘‘पुलिस में शिकायत करने की बात पर सभी ने मुझे ऐसा न करने की सलाह दी. उन का कहना था कि पुलिस मदद तो करेगी नहीं उलटे आप परेशानी में फंस जाओगी.

‘‘अफसोस की बात तो यह थी कि मकानमालिक से ले कर जिम इंस्ट्रक्टर तक सभी मुझे ही दोषी ठहरा रहे थे. उन के मुताबिक हमारा इतनी रात तक घर से बाहर रहना या फिर जींस वगैरह पहनना गलत है.’’

फिलहाल नजमा दिल्ली में मिनिस्ट्री औफ सोशल जस्टिस में कंसलटैंट है. वह स्वीकार करती है कि अब दिल्ली में रहते हुए वह काफी एहतियात बरतती है. लेट नाइट बाहर नहीं रहती. मीडिया के दोस्तों से अच्छा रिश्ता बना कर रखती है. यदि कोई पीछा करता नजर आता है तो अपना रास्ता बदल लेती है. जहां तक संभव हो औटो में जाने से बचती है. कैब बुक करती है. स्टाकिंग यानी पीछा करना हमारे देश की एक अहम समस्या बन गई है. नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के 2015 के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में सब से ज्यादा स्टाकिंग की घटनाएं होती हैं.

गत वर्ष इंडियन पीनल कोड की धारा 354 डी के अंतर्गत दर्ज कराई गई कुल 6,266 घटनाओं में से 18% यानी 1,124 घटनाएं दिल्ली की थीं. यदि दिल्ली जैसे शहर में लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं तो दूसरे इलाकों की तो बात करना भी बेमानी है.

क्या है स्टाकिंग

स्टाकिंग लगातार और अनचाहा संपर्क, ध्यानाकर्षण, मानसिक प्रताड़ना या इसी तरह का और व्यवहार, जो व्यक्ति विश्ेष की ओर होता है. इस से व्यक्ति के मन में भय उत्पन्न होता है. स्टाकिंग के कारण पीडि़त या उस से जुड़े लोगों के जीवन को खतरा उत्पन्न हो सकता है. स्टाकर पूर्व प्रेमी/प्रेमिका, पूर्व पति/पत्नी, परिचित या अजनबी कोई भी हो सकता है. कई लोग सैलिब्रिटीज का भी पीछा करते हैं. स्टाकिंग पुरुष व स्त्री दोनों के ही द्वारा की जाती है, लेकिन पुरुष इस मामले में काफी आगे हैं.

शक भी हो सकती है वजह

अनुजा कपूर एक जानीमानी समाज सुधारिका, क्रिमिनल साइकोलौजिस्ट व ऐडवोकेट हैं. वे बताती हैं, ‘‘एक महिला हाथ धो कर मेरे पीछे पड़ गई है. वह मेरे कुलीग की पत्नी है. यह कुलीग मेरा फैमिली फ्रैंड है और मेरे एनजीओ ‘निर्भया एक शक्ति’ में साथ काम करता है.’’ ‘‘उस की पत्नी के दिमाग में शक घर कर गया है. उसे लगता है कि हम दोनों के बीच कुछ चल रहा है. इसी वजह से 4-5 सालों से वह मेरा पीछा कर रही है. पूरी तरह मेरी जिंदगी में घुसने का प्रयास करती है. मेरी हर गतिविधि पर नजर रखती है कि मैं कहां जाती हूं, क्या करती हूं. मेरे कहीं पहुचने से पहले वह या उस का जासूस वहां मौजूद होता है.

‘‘वह मेरे दोस्तों पर नजर रखती है. सोशल मीडिया में मेरे बारे में जानकारियां खंगालती है. अपने पति से मेरे बारे में पूछती है. इतना ही नहीं वह अपने पति के साथ घरेलू हिंसा भी कर रही है. उसे शांति से जीने नहीं दे रही. कभी खाना नहीं देती तो कभी घर में बंद कर देती है. बारबार उस से यही कहती है कि तेरा अनुजा के साथ गलत रिश्ता है. ‘‘दरअसल, प्रभावशाली लोग भी कईर् दफा स्टाकिंग के शिकार हो जाते हैं. इस का मकसद उन्हें डीफेम करना होता है, तो कुछ महिलाएं शक के आधार पर किसी का पीछा करने लगती हैं. अकसर मेरा गार्ड मुझे सूचित करता है कि मैडम जब आप आती हैं तो पीछे से एक गाड़ी आप का पीछा करती आती है. दरअसल, उस महिला ने मेरे खिलाफ डेढ़ लाख रुपयों में एक जासूस रख छोड़ा है, जो खास इवेंट्स वगैरह के दौरान हम दोनों की तसवीरें खींच कर उसे देता है. वह महिला यह बात पति के आगे स्वीकार चुकी है कि सुबूत इकट्ठे करने के लिए उस ने जासूस अपौइंट किया है.

‘‘अफसोस की बात यह है कि इस सारे मामलें में उस महिला को अपने मांबाप का समर्थन भी हासिल है. वह इस बात को नहीं समझती कि स्त्रीपुरुष भी आपस में दोस्त हो सकते हैं. हम एक औफिस में हैं तो क्या इवेंट्स के दौरान साथ नहीं दिखेंगे?

‘‘अब मैं ने तय कर लिया है कि जल्द ही उस महिला पर डीफेम, स्टाकिंग व हैरसमैंट का केस दायर करूंगी, क्योंकि उस ने मेरा और मेरे दोस्त का जीना मुहाल कर रखा है.’’

स्टाकिंग में क्या क्या सम्मिलित है

डा. संदीप गोयल के अनुसार स्टाकिंग के अंतर्गत बहुत सी बातें आते हैं, जिन में प्रमुख हैं:

– स्टाकर के द्वारा फोन, डाक या ईमेल द्वारा लगातार अनचाहे, अनुचित और भयभीत करने वाले संदेश पहुंचाना.

– पीडि़त के लिए बारबार अनचाही चीजें, उपहार या फूल छोड़ना या भेजना.

– घर, स्कूल, कालेज, औफिस या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान तक पीडि़त का पीछा करना या उस के इंतजार में वहां खड़े रहना.

– पीडि़त के बारे में निजी जानकारी प्राप्त करने के लिए निजी जासूसी सेवाएं लेना, सार्वजनिक रिकौर्ड तक पहुंच बनाना या इंटरनैट सर्च सर्विसेज का गलत इस्तेमाल करना.

– पीडि़त के घर से निकलने वाले कूड़े में से उस के बारे में निजी जानकारी जुटाने का प्रयास करना.

अपवाद

– पीछा करने वाला शख्स सरकार द्वारा अधिकृत हो.

– पीछा किसी नियम/कानून के अंतर्गत किया जा रहा हो.

– रीजनेबल और जस्टिफाइड स्टाकिंग.

स्टाकर की मानसिकता

स्टाकर आमतौर पर एकाकी व शर्मीले होते हैं. ऐसे लोग अकेले रहते हैं. उन के पास जीवनसाथी ही नहीं, बल्कि परिवार या दोस्तों जैसे महत्त्वपूर्ण संबंध भी नहीं होते. स्टाकर नादसिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऔर्डर से पीडि़त होते हैं. वे महसूस करते हैं कि वे दुनिया के सब से महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं. डा. समीर पारीख, डायरैक्टर मैंटल हैल्थ व बिहैवियरल साइंस, फोर्टिस अस्पताल बताते हैं कि स्टाकर या पागलों की तरह पीछा करने वाले व्यक्ति की मानसिकता ही ऐसी हो जाती है कि वह यह मानने को तैयार ही नहीं होता कि सामने वाला उस को स्वीकार नहीं करना चाहता. इस के विपरीत वह उस इनसान को अपनी जिंदगी का उद्देश्य बना लेता है, जिसे पाने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है. कभीकभी देखा गया है कि जो व्यक्ति पारिवारिक सपोर्ट न होने की वजह से पहले ही डिप्रैशन का शिकार हो, उस में इस तरह की जनूनी मानसिकता हो जाती है. लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. इस तरह के लोग भावनात्मक रूप से कम और जनूनी तौर पर ज्यादा सोचते हैं. इसलिए यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि अपनी सोच या मीडिया मैसेज के प्रभाव से उत्पन्न हुई एक आपराधिक प्रवृत्ति है.

डा. संदीप गोयल के अनुसार, स्टाकर कई तरह के होते हैं:

अस्वीकृत स्टाकर: इस प्रकार के स्टाकर तब नाराज हो जाते हैं, जब उन के प्रेम संबंध खत्म हो जाते हैं. अस्वीकृत स्टाकर न सिर्फ आत्मकेंद्रित होते हैं, बल्कि ईर्ष्या से भरे हुए भी होते हैं.

विद्वेष या गुस्से से भरे स्टाकर: ऐसे स्टाकर किसी संबंध के समाप्त होने पर अपमानित महसूस करते हैं और दूसरे पक्ष से बदला लेने की भावना से भरे होते हैं.

अंतरंगता चाहने वाले स्टाकर: इस प्रकार के स्टाकर पीडि़त से अंतरंग व रोमानी संबंध चाहते हैं. अगर पीडि़त के द्वारा स्टाकर को अस्वीकार कर दिया जाता है, तो वे लगातार उसे फोन करेंगे, खत लिखेंगे या उस के करीब आने का प्रयास करेंगे. अगर पीडि़त किसी और के साथ रिलेशनशिप में चली/चला जाता है तो वे ईर्ष्या से भर जाते हैं. कई बार ऐसे स्टाकर हिंसक भी हो जाते हैं.

लुटेरे या आक्रामक स्टाकर: इस प्रकार के स्टाकर यौन संतुष्टि की चाह में अनियंत्रित व हिंसक हो जाते हैं. यह जरूरी नहीं कि ऐसे स्टाकर पीडि़त को जानते हों. शायद पीडि़त को पता भी न हो कि कोई उस का पीछा कर रहा है.

अयोग्य प्रेमी: इस प्रकार के स्टाकर सामाजिक रूप से इतने कुशल नहीं होते. वे पीडि़त के साथ रिलेशनशिप में जाना चाहते हैं.

विकृत आकर्षण: इस प्रकार के स्टाकर महसूस करते हैं कि पीडि़त उन से प्यार करता है. इस प्रकार के मामलों में अकसर दूसरा पक्ष उन से उच्च सामाजिक वर्ग का होता है. फिर भी स्टाकर बारबार उस के करीब जाने की कोशिश करते हैं.

क्या कहता है कानून

दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता कुनाल मदान बताते हैं कि हमारे देश में आपराधिक कानून, भारतीय दंड संहिता 1860 के अंतर्गत महिला को सुरक्षा प्रदान की जाती है. निर्भया कांड के बाद कानून में मौजूद कमियों को देखते हुए 2013 में कुछ विशेष सुधार किए गए और आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2013 लाया गया, जिस के अंतर्गत किसी महिला का पीछा करना, प्राईवेट जगहों पर महिला को छिप कर देखना या इंटरनैट व सोशल मीडिया के जरीए महिला को सताना यानी साइबर स्टाकिंग आदि ऐक्ट 354 डी के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आते हैं. इस ऐक्ट के प्रावधान के मुताबिक अपराधी यदि पहली बार इस तरह के कृत्य में दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल की सजा व जुर्माना हो सकता है. यदि वह व्यक्ति दोबारा इसी अपराध में दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल तक की सजा व जुर्माना हो सकता है.

स्टाकिंग अपराध के लक्षण

अनचाहे तोहफे मिलना: यदि कोई आप को चुपकेचुपके तोहफे पहुंचा रहा है जैसे गुलाब, चौकलेट, टेडीबियर या लव लैटर, तो गुस्से में आ कर ऐसे तोहफों को घर के बाहर न फेंकें. इस के विपरीत संभाल कर रखें. यदि मामला गंभीर होता है, तो ये सभी तोहफे एक सुबूत के तौर पर इस्तेमाल हो सकते हैं. कई बार कुछ सनकी अपराधी डराने के लिए मरी हुई गिलहरी, खून से लथपथ पत्र आदि चीजें भेजते हैं. इन सब से डरें नहीं, संभाल कर रखें.

मारने की धमकी: यदि कोई आप को इंटरनैट से, मेल से या फिर सामने आ कर मारने की धमकी देता है, आप की हर ऐक्टिविटी पर नजर रखता है, आप को जलाने, खुद को/आप को दोनों को मारने की धमकी देता है.

साइबर स्टाकिंग: डा. संदीप गोयल बताते हैं, ‘‘सोशल मीडिया के बढ़ते चलन के कारण साइबर स्टाकिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. साइबर स्टाकिंग में स्टाकर पीडि़त का पीछा करने के लिए इलैक्ट्रौनिक माध्यमों जैसे इंटरनैट या सैलफोनका इस्तेमाल करते हैं. साइबर स्टाकिंग में स्टाकर स्वयं पीडि़त का पीछा नहीं करते बल्कि उस के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. कई स्टाकर पीडि़त को अपमानित करने के लिए इंटरनैट पर उस का झूठा प्रोफाइल डाल देते हैं या उस की निजी जानकारी सार्वजनिक कर देते हैं.’’

क्या करें सुरक्षा के लिए: कुनाल मदान कहते हैं कि यदि आप अपने आसपास इस प्रकार की कोई भी संदिग्ध हरकत महसूस करती हैं, तो पुलिस को बुलाने में जरा भी देर न करें. समय रहते ऐसे व्यक्ति को पुलिस के हवाले न किया जाए तो उस के हौसले बढ़ते जाते हैं. और वह कोई भी बड़ा अपराध कर सकता है.

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लाइफ पार्टनर की तलाश, वो भी औनलाइन

औनलाइन शौपिंग तो आप खूब करती होंगी, लेकिन औनलाइन जीवनसाथी खोजने के बारे में आप का क्या विचार है? यूनिवर्सिटी औफ शिकागो में मनोविज्ञान के प्रौफेसर जौन कासियोपो के शोध के मुताबिक, जिन प्रेमियों के रिश्ते की शुरुआत औनलाइन डेटिंग से होती है, वे दूसरे दंपतियों के मुकाबले थोड़ा ज्यादा खुश रहते हैं.

अगर आप को अपने मातापिता व रिश्तेदारों के द्वारा दिखाए जा रहे रिश्ते पसंद नहीं आ रहे हैं या आप बारबार लड़कों के रिजैक्शन से परेशान हो चुकी हैं, तो औनलाइन लाइफ पार्टनर खोजना आप के लिए एक अच्छा विकल्प है.

आप औनलाइन अपनी पसंद के अनुसार लाइफपार्टनर खोज सकती हैं. इस में न तो रिश्तेदारों को बारबार रिश्ता बताने के लिए कहना पड़ता है और न ही उन के बताए रिश्ते को मना करने पर उन की नाराजगी का सामना करना पड़ता है. बस, अपना प्रोफाइल बनाया और जैसा पार्टनर चाहिए वैसा खोज लिया. नागपुर के राहुल और शिल्पा गोरखडे के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

शिल्पा कहती हैं, ‘‘मुझे लड़का नागपुर का चाहिए था, लेकिन घर वाले जो भी रिश्ता लाते, वह दूसरी जगह का होता. ऊपर से मुझे पसंद भी नहीं आता. अब तो हालत यह हो गई थी कि रिश्तेदारों ने रिश्ता बताने से मना कर दिया था. कहते थे कि कितना भी अच्छा रिश्ता ढूंढ़ कर लाओ, शिल्पा को पसंद नहीं आएगा. पता नहीं कैसा लड़का चाहिए. सब की बातें सुनसुन कर मैं परेशान हो चुकी थी. एक दिन मैं ने अपने भैया को अपनी चौइस के बारे में बताया कि मुझे कैसा जीवनसाथी चाहिए. मेरी चौइस जानने के बाद हम दोनों ने मिल कर भारत मैट्रिमोनियल पर प्रोफाइल बनाया. प्रोफाइल बनाने के 2 दिन के बाद ही राहुल ने मेरा प्रोफाइल देख कर रिक्वैस्ट भेजी. वे नागपुर के थे, तो मैं ने रिक्वैस्ट स्वीकार कर ली. फिर बातचीत के बाद वे अच्छे लगने लगे. इस दौरान हम एकदूसरे को अच्छी तरह जानने के लिए कई बार मिले. तब जा कर शादी का फैसला किया.’’

क्यों बढ़ रही है मांग

पहले किसी लड़के या लड़की की शादी करनी होती थी तो दूर के चाचा, बूआ व पुरानी रिश्तेदारी में रिश्ता खोजा जाता था, लेकिन अब समय बदल गया है. इंटरनैट पर बड़ी संख्या में लोग पार्टनर की तलाश कर रहे हैं, क्योंकि यहां बिना इधरउधर भटके मनमाफिक साथी की तलाश पूरी हो जाती है.

आज शादी के लिए एक अच्छे पार्टनर की तलाश करना वाकई बड़ा मुश्किल काम हो गया है. खासकर उन के लिए जो 12 से भी ज्यादा घंटे औफिस में बिताते हैं. कामकाजी लड़केलड़कियों के पास इतना समय नहीं है कि वे अपने मातापिता के द्वारा खोजे लड़के या लड़की को बारबार देखें.

आज इंटरनैट के माध्यम से लोगों की भौगोलिक पहुंच बढ़ी है. पहले लोग अपने शहर व आसपास की जगहों में ही लड़का खोजते थे, लेकिन इंटरनैट की मदद से देश के किसी भी शहर में लाइफपार्टनर की खोज की जा सकती है. यहां तक कि इस से विदेशों में भी शादी संभव है.

इंटरनैट की मांग बढ़ने का एक कारण यह भी है कि पारंपरिक रूप से रिश्ते तय करने की प्रक्रिया में लड़की की भूमिका एक वस्तु की तरह होती थी, जहां उस की पसंद न पसंद न के बराबर होती थी, लेकिन लड़कियों की बदली सामाजिक स्थिति, शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता से उन का आत्मविश्वास बढ़ा है. वे भी अपने लिए योग्य जीवनसाथी की तलाश करने में बराबर रुचि ले रही हैं और साइट्स उन्हें इस में पूरी स्वतंत्रता देती हैं कि वे अपने लिए योग्य वर चुनें.

कहां से खोजें पार्टनर

यदि आप भी इंटरनैट की खुली दुनिया में अपना जीवनसाथी खोजना चाहती हैं, अपनी जिंदगी रोमांस से भरना चाहती हैं, तो सब से पहला सवाल मन में आता है कि शुरुआत कहां से और कैसे करें? मगर नई पीढ़ी के लिए इस सवाल का जवाब भी मुश्किल नहीं है. वह अच्छी तरह से जानती है कि जीवनसाथी कहां और किनकिन साइट्स के माध्यम से ढूंढ़ा जा सकता है. अगर आप मैट्रिमोनियल साइट्स के माध्यम से जीवनसाथी तलाशना चाहती हैं, तो इन साइट्स पर अपना प्रोफाइल बना कर स्मार्ट लाइफपार्टनर खोज सकती हैं.

इन मैट्रिमोनियल साइट्स पर अलअलग तरह की सुविधा होती है. आप फ्री मैंबरशिप भी ले सकती हैं. फ्री मैंबरशिप में आप केवल दूसरों का प्रोफाइल देख सकती हैं और इंटरैस्ट भेज सकती हैं. इस में आप को दूसरों के फोन नंबर दिखाई नहीं देते, जब तक कि सामने वाला खुद अपना नंबर न दे. इस के लिए दूसरे यूजर का पेड मैंबर होना जरूरी है. तभी वह आप को फोन नंबर भेज पाएगा.

अगर आप चाहती हैं कि आप के प्रोफाइल में आप का फोन नंबर दिखे और आप भी दूसरों से संपर्क कर पाएं, तो आप को पेड मैंबरशिप लेनी पड़ेगी. मैट्रिमोनियल साइट्स प्रीमियम पेड मैंबर की भी सुविधा देती हैं, जिस में आप दूसरे औनलाइन मैंबर से चैट भी कर सकती हैं. इन साइटों पर आप का फोटो, फोन नंबर और ईमेल के लिए प्राइवेसी और सिक्युरिटी का औप्शन होता है, इसलिए यहां घबराने वाली कोई बात नहीं होती. जब भी इस तरह की मैट्रिमोनियल साइट पर अपना प्रोफाइल बनाएं, तो इस बात का ध्यान रखें कि आप जिस साइट पर अपना प्रोफाइल बना रही हैं वह रजिस्टर्ड हो. ऐसा न करें कि किसी ने आप से कहा कि इस साइट पर अच्छे लड़के मिलते हैं, तो आप ने उस साइट पर प्रोफाइल बना लिया. प्रोफाइल बनाने से पहले यह भी अवश्य जान लें कि वह साइट किस तरह से काम करती है.

औनलाइन पार्टनर ढूंढ़ने के फायदे

कई सारे विकल्प: रिश्तेदार व मातापिता को अगर कोई लड़का पसंद आता है, तो वे उसी लड़के में सारे गुण दिखाने लगते हैं. भले ही वह अच्छा हो या न हो. लेकिन औनलाइन पार्टनर खोजने पर आप को सारे विकल्प मिलते हैं, आप कई लोगों से मिल कर तय करती हैं कि कौन आप के लिए अच्छा है, आप किस के साथ ऐडजस्ट कर सकती हैं.

रिजैक्शन की टैंशन नहीं: जब लड़के वाले देखने आते हैं और देखने के बाद मना कर देते हैं, तो लड़की का आत्मविश्वास कम होने लगता है. भले ही मना करने की वजह कुछ भी हो, लेकिन इस के लिए लड़की को ही दोषी माना जाता है. कई बार तो लड़कियां रिजैक्शन से इतना थक चुकी होती हैं कि किसी भी लड़के से शादी के लिए हां कर देती हैं. औनलाइन पार्टनर ढूंढ़ने का सब से बड़ा फायदा यही होता है कि इस में रिजैक्शन की कोई टैंशन नहीं होती. दोनों तरफ से रजामंदी के बाद ही बात आगे बढ़ती है.

पैसे की भी बचत: अगर घर पर लड़के वाले देखने आते हैं, तो उन की खातिरदारी में काफी पैसे खर्च होते हैं. कोशिश रहती है कि किसी चीज की कमी न रहे. लेकिन जब उन्हें लड़की पसंद नहीं आती, तो खर्च करना बेकार हो जाता है. औनलाइन कोई खर्च नहीं होता. लड़कालड़की अपने अनुसार पार्टनर खोजते हैं, बातचीत के माध्यम से एकदूसरे को जानतेसमझते हैं.

रिश्तेदारों में नाराजगी नहीं: अकसर ऐसा होता है कि रिश्तेदार जब कोई रिश्ता ले कर आते हैं, तो सोचते हैं कि वे रिश्ता ले कर आए हैं तो बस शादी हो जाए, भले ही लड़की को लड़का पसंद आए या न आए. अगर उन के द्वारा लाए रिश्ते को मना कर दिया तो नाराज हो जाते हैं. मगर यहां आप बिना किसी को नाराज किए साथी खोज सकती हैं.

समय की कमी के बाद भी अच्छे रिश्ते: सब से बड़ी बात आज लोगों के पास समय की कमी है. बिजी लाइफ में संभव नहीं हो पाता कि वे रिश्ते ढूंढ़ पाएं. ऐसे में इस तरह की साइटों से बस एक क्लिक में पार्टनर मिल जाता है.

कैरियर से समझौता नहीं: आजकल लड़कियां अपने कैरियर के साथ समझौता नहीं करना चाहतीं. ऐसे में उन के लिए जीवनसाथी खोजना मातापिता के लिए काफी मुश्किल हो जाता है. लेकिन मैट्रिमोनियल साइट्स से उन की पसंद का और एक ही पेशे का लड़का खोजना आसान होता है.

ध्यान रहे इन साइट्स पर मिले पार्टनर की सही तरीके से खोजबीन न की जाए तो इस के कई नुकसान भी हैं. अत: यहां पार्टनर खोजते समय इन बातों का ध्यान रखें:

– लड़का अपने बारे में झूठी जानकारी दे सकता है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिन में फोटो से ले कर सैलरी, पारिवारिक पृष्ठभूमि व अन्य तथ्यों के बारे में झूठी जानकारी दी गई.

–  प्रोफाइल में दी गई जानकारी के बारे में या अन्य पहचान की जांचपड़ताल के लिए उसी क्षेत्र में रहने वाले दोस्तों, रिश्तेदारों से संपर्क करें.

–  ध्यान रहे कई बार लोग अपने प्रोफाइल को आकर्षक बनाने के लिए छोटीछोटी बातों को बढ़ाचढ़ा कर प्रस्तुत करते हैं, जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है.

– केवल प्रोफाइल देख कर मिलने का निर्णय न लें. पहले थोड़ी बातचीत कर जानसमझ लें. फिर तय करें.

मैट्रिमोनियल साइट्स ही विकल्प नहीं

मैट्रिमोनियल साइट्स के अलावा सोशल साइट्स की भी अपनी विशेष जगह बनती जा रही है. वह इसलिए, क्योंकि ये लाइफपार्टनर चुनने के कई बेहतरीन विकल्प उपलब्ध करा रहे हैं, जिस में परंपरागत तरीकों का थोपा हुआ एहसास नहीं है. यहां एक नयापन है, एक मजेदार व सुखद एहसास है.

निम्न सोशल साइट्स से आप पार्टनर खोज सकती हैं:

फेसबुक, गूगल प्लस, माई स्पेस, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, व्हाट्सऐप, वीचैट, लाइन, हाइक आदि.

इन साइटों पर प्रोफाइल बनाना काफी आसान है. इन में फेसबुक सब से ज्यादा लोकप्रिय है. यहां आसानी से एकदूसरे से जुड़ा जा सकता है, दोस्ती की जा सकती है, प्यार का इजहार किया जा सकता है.

डेटिंग ऐप से खोजें साथी

आज कई सारे डेटिंग ऐप्स आ गए हैं, जिन से आप डेटिंग व चैटिंग का मजा लेते हुए जीवनसाथी खोज सकती हैं. इस के लिए बस आप को ऐप डाउनलोड कर के रजिस्टर करना होगा. इस के बाद आप अपने साथी की तलाश कर सकती हैं.

ऐप डाउनलोड करने के बाद आप को साइन इन करना होगा. यह बहुत ही आसान है. इस के लिए बस अपनी सैल्फी क्लिक कर के अपलोड करें. यह सैल्फी आप के आसपास के लोगों को नजर आएगी और वे आप में रुचि लेना चाहेंगे तो एक नोटिफिकेशन भेजेंगे. आप को उन से बात करने के लिए वह नोटिफिकेशन स्वीकार करना होगा. फिर आप आराम से चैटिंग का मजा ले सकती हैं.

डेटिंग ऐप उन के लिए काफी मददगार है, जो ज्यादा लोगों के संपर्क में नहीं हैं. वे इस ऐप की मदद से जानसमझ कर अपना लाइफपार्टनर तलाश सकते हैं. सारे डेटिंग ऐप्स में लगभग एक ही तरह के फीचर होते हैं जैसे यूजर प्रोफाइल, मीडिया कंटैंट -फोटो, वीडियो, मैसेज, चैट फ्रैंड लिस्ट इत्यादि.

कुछ डेटिंग ऐप्स

ओकेक्यूपिड: इस में आप ईमेल व चैट कर सकती हैं, अपना विस्तृत प्रोफाइल बना सकती हैं और साथ ही दूसरे लोगों के प्रोफाइल को भी देख सकती हैं. यह ऐप आप से कुछ सवाल करता है और फिर आप जवाबों के आधार पर आप को ऐसा प्रोफाइल दिखाता है जिस के जवाब भी आप के जवाबों से मिलतेजुलते होते हैं.

टिंडर: यह मुफ्त डेटिंग ऐप फेसबुक के आधार पर आप के आसपास के लोगों का प्रोफाइल आप को दिखाता है और यदि दोनों परस्पर एकदूसरे को पसंद करते हैं, तो वे एकदूसरे से चैटिंग कर सकते हैं.

थ्रिल: यह ऐप लोकेशन के आधार पर आप को प्रोफाइल दिखाता है और फिर आप को दूसरों के प्रोफाइल को देख कर उन्हें आंकना होता है और अंकों के आधार पर यह आप को कुछ लोगों से जोड़ता है. महिलाएं कभी भी इस में शामिल हो सकती हैं, लेकिन पुरुषों को इस के लिए आवेदन करना पड़ता है. उन के आवेदन पर महिलाएं आकलन करती हैं और मिलने वाले ग्रेड के आधार पर उन्हें शामिल किया जाता है.

वू: वू समान सोशल नैटवर्क, साझा रुचियों के आधार पर आप को जोड़ता है. वू में शामिल होने के लिए एक गहन जांच प्रक्रिया होती है ताकि इस में केवल सिंगल लोग ही शामिल हों, जिन का उद्देश्य गंभीर रिश्ता हो न कि अनौपचारिक सैक्स.

ट्रुली मैडली: इस साइट पर प्रोफाइल बनाने के लिए भी आप की जांच की जाती है. उपयोग करने वालों को भरोसे के आधार पर रैकिंग दी जाती है.

औनलाइन पार्टनर से जरूर करें मुलाकात

सिर्फ चैटिंग के माध्यम से या फोन पर हुई बातचीत के आधार पर ही जीवनसाथी न चुनें. आप उसे जैसा समझ रही हैं, वह वास्तव में वैसा ही है या नहीं जानने के लिए उस से जरूर मिलें. मिल कर देखें कि वह कैसा है, बातचीत का तरीका क्या है. उस की अपने पार्टनर से क्याक्या उम्मीदें हैं. जब आप मिलने का प्लान बनाएं तो स्थान हमेशा अपने अनुसार ही चुनें, जिस स्थान के बारे में आप अच्छी तरह से जानती हैं, उसी स्थान का चुनाव करें. जब आप अपने औनलाइन पार्टनर से मिलने जाएं तो अपनी किसी फ्रैंड या फिर घर वालों को अवश्य बता दें कि आप कहां जा रही हैं.

जरूरी नहीं है कि आप एक मुलाकात में ही तय करें. आप को समझ न आए तो आप

कई बार मिल सकती हैं. आप जितना मिलेंगी, साथ समय बिताएंगी, आप उस के बारे में उतना ही ज्यादा जान पाएंगी. मिलने जाएं तो केवल प्यार में ही न डूबी रहें, बल्कि उसे समझने की भी कोशिश करें.

औनलाइन प्यार में ज्यादा मजा

आप को जान कर हैरानी होगी कि जो लोग औनलाइन प्यार करते हैं, वे प्यार को नएनए तरीके से ऐंजौय करते हैं. दरअसल, औनलाइन हमें सोचनेसमझने का समय मिलता है कि हमें क्या करना है, कैसे रिप्लाई करना है. यहां एकदूसरे से मिलने की तड़प होती है, जो पार्टनर को बांध कर रखती है.

आज कई तरह के इमोजी आ गए हैं जो आप के दिल की बात आसानी से सामने वाले को बयां कर देते हैं. आजकल तो डेटिंग ऐप में भी कई फीचर आ गए हैं, जो बस एक क्लिक पर बता देते हैं कि आप का दिल साथी के लिए कैसे धड़कता है. औनलाइन प्यार में आप साथी से किसी भी समय, किसी के भी सामने बात कर सकती हैं. आप को उस के लिए समय नहीं निकालना पड़ता. जब चाहा साथी को मैसेज भेज दिया.

‘‘औनलाइन पार्टनर ढूंढ़ने का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि इस में रिजैक्शन की कोई टैंशन नहीं होती. दोनों तरफ से रजामंदी के बाद ही बात आगे बढ़ती है…’

सावधानी भी जरूरी

सोशल मीडिया पर दोस्ती करना जितना आसान है उतना ही ज्यादा संभावना फेक प्रोफाइल मिलने की भी है. यहां आप को प्यार में फंसाने वाले हजारों मिलेंगे. अत: थोड़ी सावधानी जरूरी है.

विनीत के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. विनीत जबलपुर की एक लड़की का फोटो देख कर काफी आकर्षित हुआ. उस ने लड़की को फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी. लड़की ने रिक्वैस्ट स्वीकार कर ली. इस के बाद दोनों के बीच खूब बातें होने लगीं. विनीत उस के प्यार में इतना पागल हो गया कि उस से मिलने जबलपुर पहुंच गया. जब वह वहां पहुंचा तो अपनी गर्लफ्रैंड को देख कर हैरान रह गया. उस की प्रेमिका की जगह पर एक 43 साल की महिला थी, जिस ने 20 वर्षीय लड़की बन कर अपना प्रोफाइल बनाया था.

आज फेसबुक पर इस तरह के फेक प्रोफाइलों की बाढ़ है, जहां लोग बस मजे के लिए प्यार करते हैं. आप को थोड़ा चौकन्ना रहना पड़ेगा. यहां दोस्त जरा सोचसमझ कर बनाएं. बस संख्या बढ़ाने और पार्टनर खोजने के लिए किसी को भी न जोड़ लें. अपना प्रोफाइल फोटो लौक कर के रखें. अकाउंट में प्राइवेसी सैटिंग रखें. अगर कोई आप को ज्यादा परेशान करे तो उसे ब्लौक करें. ब्लौक करने के बाद वह आप की किसी भी गतिविधि को नहीं देख पाएगा.

VIDEO : नेल आर्ट डिजाइन – टील ब्लू नेल आर्ट

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