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मां बनने वाली हैं सानिया मिर्जा, शोएब मलिक ने ट्वीट कर दी जानकारी

भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा मां बनने वाली हैं, यह खुशखबरी उनके पति और पाकिस्तान क्रिकेट टीम के खिलाड़ी शोएब मलिक ने दी है. सोमवार (23 अप्रैल) को उन्होंने इस बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. टि्वटर पर मलिक ने इसके साथ कैप्शन में लिखा, “मिर्जा मलिक”. कैप्शन के आगे दिल और बच्चे की डिजाइन वाला स्माइली इमोजी बना हुआ था.

फोटो में तीन अलमारियां दिख रही थीं. पहली (बाएं ओर) सानिया की थी, जिसमें लिखा था- मिर्जा. उस हिस्से में उनका सामान रखा नजर आ रहा था. सबसे किनारे (दाहिने) शोएब का हिस्सा था, जिसमें टी-शर्ट पर लिखा- मलिक. दोनों अलमारियों के बीच वाली रैक में मिर्जा-मलिक लिखा था, जबकि उसमें छोटे आकार की टी-शर्ट थी. यह उनके होने वाले बच्चे की रैक थी.

पति के अलावा सानिया ने भी इस फोटो को अपने टि्वटर हैंडल से पोस्ट किया. उन्होंने कैप्शन में लिखा, “बेबी मिर्जा मलिक”. सानिया के मां बनने की जानकारी पर उनके फैंस और अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें बधाई दी है.

आपको बता दें कि सानिया टेनिस कोर्ट के अलावा वर्चुअल स्पेस भी खासा सक्रिय रहती हैं. टि्वटर हो या फेसबुक, समय-समय पर वह अपने फोटो और स्टेटस पोस्ट करती रहती हैं. हाल ही में कठुआ और उन्नाव में हुई गैंगरेप की घटनाओं पर उन्होंने टिप्पणियां की थीं और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई थी.

सानिया को बीते दिनों सेंचुरी मैट्रेस ने अपना ब्रांड अंबैस्डर चुना था. टेनिस स्टार ने इससे पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि वह बच्चों के नाम मिर्जा मलिक रखेंगी, जिसमें उनका और पति का सरनेम शामिल होगा. सानिया ने इसी के साथ यह भी कहा था, “मेरे पति चाहते हैं कि हमें बेटी पैदा हो”.

साल 2010 में सानिया ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के क्रिकेटर से शादी की थी. समारोह हैदराबाद में पूरे रस्मों-रिवाज के साथ हुआ था. ऐसे में तकरीबन आठ साल यह सानिया-शोएब की पहली संतान होगी.

बैंक मित्र बनकर अब आप भी हर महीने कर सकते हैं कमाई

पैसा कमाने की तलाश कर रहे युवाओं के लिए अच्छा औफर है. प्रधानमंत्री जनधन योजना से जुड़कर यानी बैंक मित्र बनकर आप पैसा कमा सकते हैं. बैंक मित्र को न्यूनतम 5000 रुपये का फिक्सड वेतन मिलेगा, इसके अलावा खातों में लेन-देन पर अलग से कमीशन भी मिलेगा. साथ ही बैंक मित्र के लिए अलग के एक कर्ज स्कीम भी तैयार की गई है. इसमें उसे कंप्यूटर, वाहन आदि के लिए कर्ज भी बैंक देगा. पुराने वित्तीय समावेशन में उम्मीद के मुताबिक खाते न खुल पाने की एक बड़ी वजह बिजनेस कौरसपांडेंट का टिकाऊ न होना रहा था. ऐसा इसलिए था, कि उसमें कोई फिक्स वेतन का प्रावधान नहीं था. इस कमी को देखते हुए प्रधानमंत्री जन-धन योजना में कई अहम बदलाव किए गए.

कौन होता हैं बैंक मित्र?

बैंक मित्र में उन लोगों को शामिल किया गया है, जिन्हें प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करवाने का जिम्मा दिया गया है. खास तौर पर यह लोग उन जगहों पर कार्य कर रहे हैं जिन जगहों पर न तो किसी बैंक की शाखा है और न ही कोई एटीएम. ऐसे में यह लोग आप तक पहुंच कर आपको योजना से सम्बंधित जानकारी से लेकर आपको धन राशी पहुंचाने तक का कार्य करते है.

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वेतन के अलावा कमीशन

बैंक मित्र के लिए बनी स्कीम में जहां उनका न्यूनतम 5000 रुपये वेतन प्रतिमाह फिक्सड किया गया है. वहीं, खाता खोलने और उसमें होने वाले लेन-देन के लिए कमीशन (वैरिएबल) अलग से तय किया गया है. इसके अलावा कंप्यूटर, वाहन आदि को खरीदने के लिए 1.25 लाख रुपए का कर्ज मिलेगा. बैंक मित्र को काम के लिए कंप्यूटर, वाहन आदि की भी जरूरत पड़ेगी. वित्त मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार बैंक मित्र की जरूरतों को देखते हुए स्कीम में प्रावधान किया गया है कि वह 1.25 लाख रुपए तक का कर्ज ले सकेगा.

कौन बन सकेगा बैंक मित्र?

इसमें 50 हजार रुपये उपकरण के लिए, 25 हजार रुपए कार्यशील पूंजी और 50 हजार रुपए वाहन का कर्ज मिलेगा. इसके लिए उसे 35 महीने से लेकर 60 महीने तक का कर्ज मिलेगा. कर्ज के लिए 18-60 साल की उम्र के लोग पात्र होंगे. कोई भी व्यस्क व्यक्ति बैंक मित्र बन सकता है. इसके अलावा सेवानिवृत हो चुके बैंक कर्मचारी, शिक्षक, बैंक, सेना के व्यक्ति भी इसके लिए पात्र होंगे. साथ ही केमिस्ट शौप, किराना शौप, पेट्रोल पंप, स्वयं सहायता समूह, पीसीओ, कौमन सर्विस सेंटर आदि भी बैंक मित्र बन सकेंगे. सरकार की इस नई स्कीम से हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से नौकरी मिलने की संभावना है.

क्या-क्या करेंगे बैंक मित्र

  • प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत बचत और दुसरी सुविधाओं के बारे में लोगों को शिक्षित करना और जागरूकता फैलाना.
  • सेविंग्स और लोन सम्बंधित बातों की सलाह देना.
  • ग्राहकों की पहचान करना प्राथमिक जानकारी, आंकडें इक्कठा करना, फौर्म को संभलके रखना, लोगों द्वारा दी गई जानकारी की जांच करना, और लोगों द्वारा दी गई राशी को संभल कर जमा करवाना.
  • आवेदन और खातों से संबंधित फौर्म भरना.
  • राशी का समय पर भुगतान और जमा करने का कार्य.
  • किसी की तरफ से आया हुआ पैसा सही हांथों तक पहुचना और उसकी रसीद बनाने का काम.
  • खातों और अन्य सुविधाओं से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध करवाना.

एक बार फिर “हैप्पी बर्थडे सचिन” की आवाज से गूंजेगा वानखेड़े स्टेडियम

क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन तेंदुलकर आज 45 बरस के हो गए हैं और दुनिया भर से आज उन्हें बधाइयां मिलने का सिलसिला जारी है. अपने 24 साल के क्रिकेट करियर में तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 34,357 रन बनाए. उनके नाम टेस्ट और वनडे क्रिकेट में सर्वाधिक रन का रिकौर्ड भी हैं. उन्होंने वनडे में 18,426 और टेस्ट में 15,921 रन बनाए. 24 अप्रैल 1973 के दिन एक बजे मुंबई में सचिन का जन्म हुआ था. महज 16 वर्ष की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने वाले मास्टर ब्लास्टर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में अपने नाम कई रिकौर्ड किए. सचिन ने क्रिकेट के अपने शानदार सफर में कई ऐसे कीर्तिमान रचे कि उन्हें ‘क्रिकेट के भगवान’ का दर्जा दे दिया गया.

सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन भी है और आईपीएल 2018 का खुमार भी लोगों पर छाया हुआ है. आज (24 अप्रैल) मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई और हैदराबाद के बीच मुकाबला होना है. वानखेड़े स्टेडियम सचिन तेंदुलकर का होम ग्राउंड रहा है. ऐसे में इस स्टेडियम पर आज के मैच में सचिन भी मौजूद होंगे, क्योंकि सचिन मुंबई की टीम के मेंटोर भी हैं.

सचिन तेंदुलकर जब वानखेड़े स्टेडियम में मौजूद होंगे तो वहां आए दर्शक, खिलाड़ी, कमेंटेटेर और बाकी स्टाफ सभी साथ मिलकर उन्हें जन्मदिन की बधाई भी जरूर देंगे. यानि एक बार फिर से पूरा वानखेड़े स्टेडियम ‘हैप्पी बर्थडे सचिन’ से गूंज उठेगा.

बता दें कि पिछले साल भी 24 फरवरी के दिन मुंबई का मैच वानखेड़े स्टेडियम में था. ऐसे में स्टेडियम में सचिन के लिए केक मंगवाया गया था और सचिन के केक काटने के साथ ही पूरा स्टेडियम ‘हैप्पी बर्थडे सचिन’ से गूंज उठा था.

जीत की तलाश में आज वानखेड़े में उतरेगी मुंबई

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की मौजूदा विजेता मुंबई इस सीजन में अभी तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. पांच मैचों में उसके हिस्से सिर्फ एक जीत आई है जबकि चार हार का सामना करना पड़ा है. जीत की पटरी पर लौटने के लिए उतारू मुंबई अपने घर वानखेड़े स्टेडियम में मंगलवार को हैदराबाद से भिड़ेगी. दोनों टीमों को अपने पिछले मैच में हार मिली है. मुंबई को राजस्थान ने रोचक मुकाबले में मात दी थी तो वहीं हैदराबाद को चेन्नई ने परास्त किया था.

मुंबई अभी तक अपनी काबिलियत के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई है. कभी उसकी बल्लेबाजी चलती है तो कभी गेंदबाजी. दोनों विभाग एक साथ अभी तक टीम के लिए मिलकर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं. पिछले मैच में एक समय मुंबई की टीम अच्छी स्थिति में थी, लेकिन अंत के ओवरों में वह इसका फायदा नहीं उठा पाई और एक विशाल स्कोर से चूक गई. कप्तान रोहित शर्मा चाहेंगे की हैदराबाद के खिलाफ टीम इस तरह की गलती न करे.

टीम की बल्लेबाजी की धुरी रोहित ही हैं. इस सीजन में सूर्यकुमार यादव ने भी अपने बल्ले से बेहतरीन प्रदर्शन किया है. उन्होंने कई मैचों में बल्ले से वो जिम्मेदारी निभाई है जिसकी उनसे उम्मीद की जाती थी. उनके अलावा ईशान किशन भी फौर्म में आ गए हैं. हार्दिक पांड्या और केरन पोलार्ड ने अपना वो रूप अभी तक नहीं दिखाया है जिसके लिए वो जाने जाते हैं.

गेंदबाजी में टीम जसप्रीत बुमराह और मुस्तफिजुर रहमान के जिम्मे हैं. इन दोनों ने आखिरी ओवरों में टीम के लिए जरूरी सफलता हासिल की है. हालांकि, पिछले मैच में बुमराह आखिरी ओवर में अपनी लय खो दी थी और एक ओवर में 18 रन खर्च कर जीत राजस्थान के पाले में डाल दी थी. इन दोनों के अलावा इस सीजन में टीम के लेग स्पिनर मयंक मरक डे की फिरकी से काफी बल्लेबाज परेशानी में पड़ते दिखे हैं.

सिकरिया ने सिखाया कैसे हो नक्सलियों का खात्मा

2 में से तुम्हें क्या चाहिए, कलम या तलवार.. कविता की लाइनों में कवि ने सालों पहले जो सवाल  उठाया था, उसका जबाब बिहार के जहानाबाद जिले के सिकरिया पंचायत के युवाओं ने दे दिया है. नक्सलियों की बंदूकों से थर्राने वाले इस पंचायत में लड़के और लड़कियों ने बंदूक फेंक कर कलम और कंप्यूटर माउस थाम लिया है. उन्होंने फैसला कर लिया है कि उन्हें तलवार या बंदूक नहीं बल्कि कलम की ज्यादा दरकार है. नक्सली जिस बंदूक के जरिए गांवों में तरक्की लाने की बात करते हैं, वह कलम के जरिए ही आ सकती है.

पटना-गया रोड से 5 किलोमीटर उत्तर की ओर जहानाबाद जिला है. जहानाबाद जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर बसा है सिकरिया पंचायत. जहानाबाद के चप्पे-चप्पे में कभी नक्सलियों की तूती बोलती थी. उनका ही हुक्म चलता था. पुलिस उस इलाके में जाने से कतराती थी.

कभी बिहार का ‘लाल इलाका’ होने का कलंक ढोने वाले सिकरिया पंचायत की गलियों में घुसते ही उजालों का अहसास दिखने लगता है. कभी बारूद की गंध और गोलियों की तड़तड़ाहट के लिए बदनाम सिकरिया में अब कंप्यूटर के कीबोर्ड की खटखट, सिलाई मशीनों की संगीतमय खड़खड़ सुनाई पड़ती है और स्कूलों में एक्कम एक.. दो दूनी चार.. के सुर लगाते बच्चों का हुजूम नजर आता है. नक्सलियों के सफाए के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशनों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा हर साल करोड़ों-अरबों रूपए फूंकने की योजनाओं की पोल-पट्टी खोल देता है सिकरिया. सिकरिया ने इस बात को सच कर दिखाया है कि जब सड़क आगे बढ़ती है तो नक्सली पीछे हटने लगते हैं.

गांव का किसान सुमेश्वर बताता है कि उसके गांव में 6-7 साल पहले तक रात हो या दिन नक्सलियों की चहलकदमी होती रहती थी. स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई होने के बजाए माओवादियों की जनअदालतें लगती थीं. गांव वाले हर पल डर से सहमे रहते थे. नक्सलियों का फरमान नहीं सुनने पर सजा मिलती और पुलिस गांव वालों को नक्सलियों को पनाह देने का आरोप मढ़ कर परेशान करती थी. जीना पूरी तरह से मुहाल हो गया था. आठवीं क्लास में पढ़ने वाली सुरेखा बताती है कि स्कूल में कंप्यूटर चलाने में बहुत मजा आता है और वह बड़ी होकर कंप्यूटर टीचर बनना चाहती है. वह कंप्यूटर टीचर ही क्यों बनना चहती है के सवाल का वह बड़ी ही मासूमियत से जबाब देती है कि इससे वह जब चाहेगी तब कंप्यूटर चला सकेगी.

सरकारी दावा है कि सिकरिया के अलावा जहानाबाद के सेवनन, मांदे बिगहा, जामुक, सुरुंगापुर, भवानीचक पंचायतों में 8 साल पहले शुरू किए गए ‘आपकी सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम की वजह से ही उन इलाकों से नक्सली भाग खड़े हुए हैं. इसका कुछ असर हो सकता है पर उन पंचायतों के लोगों ने नक्सलियों के खौफ और अपनी जान की परवाह न कर तरक्की के कामों में सरकार का साथ बड़ी ही मुस्तैदी से दिया है. यही वजह है कि जहानाबाद के करौना से सिकरिया की ओर बढ़ते ही बदलाव की धमक दिखनी शुरू हो जाती है. जगह-जगह बिजली के खंभे गाड़े जा रहे हैं, सड़कें और पुल-पुलिया बन रहे हैं, पंचायत भवन बन रहा है, स्कूलों में बच्चों का हुड़दंग हो रहा है, खेतों में किसान गुनगुनाते हुए हल-ट्रैक्टर चला रहे हैं.

किसान हरखू बताता है कि पहले तो गांव वालों को डर था कि सरकारी कामों में साथ देने पर नक्सली परेशान करेंगे. नक्सलियों ने कई बार धमकाया भी, पर मरता क्या न करता? वैसे भी हम सब की जिंदगी तबाह और बर्बाद हो रही थी. हमारे पास एक ही चारा था कि या तो नक्सलियों के डर से घुट-घुट कर मरते रहें या फिर सरकार का साथ देकर अपने गांवों को बचा लें.

जहानाबाद का यह वहीं इलाका है जहां कभी लाल सेना और भूमि सेना के बीच आए दिन जंग छिड़ी रहती थी. उनकी लड़ाई में कई मासूम गांव वाले भी मारे गए. बिहार में नक्सलियों की जन्म भूमि और कर्मभूमि यही इलाका रहा है. भाकपा माओवादी के बड़े नेता अरविंदजी का घर सिकरिया पंचायत के शुकुलचक गांव में ही है. नक्सली नेता पवनजी का घर सेवनन में है. युवाओं को बरगला कर बंदूक थमा दी जाती थी. आज लाल सेना और भूमि सेना इतिहास की बात हो चुके हैं और युवाओं ने कारबाइन और राइफल के बजाए कलम उठा ली है और कंप्यूटर  सीखने में लग गए हैं. इनमें लड़कियों की संख्या काफी ज्यादा है. कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर में सौ से ज्यादा लड़कियां कंप्यूटर सीख कर समय के साथ कदमताल करने की कोशिश में लगी हुई हैं.

सिकरिया पंचायत की सरपंच पूनम देवी कहती हैं कि अब वहां बहुत कुछ बदल गया है. गांव के लोगों ने सरकारी योजनाओं और मदद का फायदा उठा कर गांवों का चेहरा ही बदल डाला है. पहले नक्सलियों के डर से तमाम योजनाएं फाइलों में ही पड़ी रह जाती थीं. अब कह सकते हैं कि भटकाव को दौर खत्म हो चुका है और हर उम्र और वर्ग के लोग तरक्की में भाग ले रहे हैं.

जहानाबाद के सिकरिया जैसे कई नक्सली असर वाले पंचायतों को कारबाइन से कंप्यूटर तक का सफर तय करने में काफी वक्त लग गया और इस दौरान उन्हें काफी कुछ गंवाना एवं झेलना पड़ा, पर गांव वालों के हौसलों को देखकर महसूस होता है कि वे अपने इलाकों पर लगे दाग-ध्ब्बों को तरक्की की फुहार से जल्द ही धो डालेंगे.

अब यामी गौतम की बहन सुरीली का बौलीवुड में आगमन

फिल्म ‘विकी डोनर’ से बौलीवुड में कदम रखने वाली अभिनेत्री यामी गौतम का करियर अभी तक गति नहीं पकड़ पाया है. इसके बावजूद अब उनकी छोटी बहन सुरीली भी बालीवुड में कदम रखने जा रही हैं. सुरीली को राजकुमार संतोषी ने फिल्म ‘‘बैटल आफ सरागढ़ी’’ में रणदीप हुड्डा की हीरोईन के किरदार के लिए चुना है. इस बात की सूचना यामी गौतम और उनकी बहन सुरीली ने स्वयं अपने अपने इंस्टाग्राम पेज पर दी है, जबकि राजकुमार संतोषी की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है. फिल्म ‘‘बैटल आफ सारागढ़ी’’ में हवलदार इषार सिंह की भूमिका में रणदीप हुड्डा हैं.

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ज्ञातब्य है कि राजकुमार संतोषी पिछले चार वर्ष से इस फिल्म के निर्माण में लगे हुए हैं, मगर अभी तक यह फिल्म शुरू नहीं हो पायी. जबकि इसी कहानी पर अक्षय कुमार  फिल्म ‘‘केसरी’’ बना रहे हैं, जिसमें अक्षय कुमार के साथ परिणीति चोपड़ा हैं. तो वहीं पहले अजय देवगन भी इसी विषय पर फिल्म बनाने वाले थे. अब अजय देवगन यह फिल्म नहीं बनाएंगे. जबकि इसी फिल्म के निर्माण को लेकर अजय देवगन ने राजकुमार संतोषी से झगड़ा भी किया था. इतना ही नहीं इसी विषय पर एक सीरियल ‘डिस्कवरी’के जीत चैनल पर प्रसारित हो रहा है, जिसे दर्शक नहीं मिल रहे हैं.

 

फर्जी फ्रैंड रिक्वैस्ट कैसे पहचानें

बेंगलुरु के किसी प्रैस्टीजियस मैनेजमैंट इंस्टिट्यूट की 22 वर्षीय छात्रा पाखी जब एक दिन फेसबुक देख रही थी तो उस के एक अन्य फेसबुक फ्रैंड का मैसेज आया, यार, यह बताओ तुम्हारा फेसबुक अकाउंट हैक हो गया है क्या? क्योंकि तुम्हारे नाम और तुम्हारे फोटो के साथ फेसबुक पर एक दूसरा अकाउंट खुला हुआ है और उस में यह भी लिखा है कि तुम्हारा फेसबुक अकाउंट हैक हो गया है इसलिए तुम ने यह नया फेसबुक अकाउंट ओपन किया है और उस फेसबुक पर फ्रैं डरिक्वैस्ट के रूप में मेरे कई फ्रैंड्स ने उस रिक्वैस्ट को कन्फर्म भी कर दिया है.

पाखी ने जब अपनी फ्रैंड कामिनी का यह मैसेज पढ़ा तो उस के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. उस ने आननफानन में अपने कई फ्रैंड्स को फोन किया और इस प्रकार की फर्जी फेसबुक के परिणामों के बारे में पता किया. अधिकांश दोस्तों ने यही कहा कि फेसबुक पर इस की शिकायत करो और अपने सभी फ्रैंड्स को भी यही करने को कह दो. शीघ्र ही फेसबुक उस फेक अकाउंट को ब्लौक कर देगा. पाखी ने यही किया और कुछ दिनों में उस के उस फर्जी अकाउंट से उस का फोटो हट चुका था. फिर पाखी ने अपने एफबी अकाउंट पेज की टाइमलाइन पर यह मैसेज भी अपलोड कर दिया कि उस का फर्जी अकाउंट बना है इसलिए उस के नाम से कोई फ्रैंडरिक्वैस्ट का कोईर् भी मैसेज आए तो उसे कन्फर्म न करें.

इस के अतिरिक्त पाखी ने फेसबुक पर सैटिंग्स में प्राइवेसी वाले लिंक पर जा कर कई चीजों को चेंज कर दिया. जैसे फेसबुक पर उस के मैसेज को कौनकौन देख सकता है, उस के फ्रैंड लिस्ट में कौनकौन फोटो अपलोड कर सकता है. इस से उस का अकाउंट फिर से सेफ हो गया.

फेसबुक के इस प्रकार के फर्जी अकाउंट के फ्रैंडरिक्वैस्ट को बिना जाने कन्फर्म करने के कारण आएदिन वित्तीय धोखाधड़ी से ले कर अन्य कई प्रकार की व्यक्तिगत क्षति की घटनाएं अब आम हो गई हैं. लिहाजा, यह आवश्यक हो गया है कि यदि हम फेसबुक पर किसी अकाउंट को ओपन करते हैं तो उस पर फ्रैंडरिक्वैस्ट के आए मैसेज को सावधानी से पढ़ें.

जब हम फेसबुक पर आई सभी फ्रैंडरिक्वैस्ट को बिना सोचेसमझे कन्फर्म कर देते हैं तो किसी परेशानी में फंस जाते हैं इसीलिए फेसबुक केबारे में बेसिक जानकारियां और फेसबुक पर फर्जी अकाउंट को पहचानने के तरीकों को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए.

फेसबुक पर फर्जी अकाउंट को पहचानना जरूरी

इस में कभीकभी वैसे अकाउंट ओपन किए जाते हैं जिस में आवश्यक जानकारियां वास्तविक नाम तथा आइडैंटिटी को गुप्त रखा जाता है. गलत नाम, फर्जी लोकेशन तथा एडै्रस के कारण यह जानना मुश्किल हो जाता है कि किसी तरह की डाटा की चोरी तथा धोखाधड़ी के लिए आखिर दोषी कौन है. फिर इस प्रकार के फर्जी अकाउंट के जरिए वे दूसरे व्यक्ति के अकाउंट में घुस कर उस के महत्त्वपूर्ण गोपनीय डाटा को अनैतिक रूप से प्राप्त कर उस का अनुचित फायदा उठाते हैं. इस तरह के फर्जी फेसबुक अकाउंट का मुख्य उद्देश्य आप की संपत्ति, बैंक बचत तथा अन्य कीमती वस्तुओं की गैरकानूनी चोरी करना होता है.

फर्जी फेसबुक अकाउंट हालफिलहाल बैंकों से अनाधिकारिक निकासी तथा अन्य प्रकार के साइबर अपराधों में बेतहाशा वृद्धि का भी कारण है. आप के बैंक अकाउंट के नंबर के साथ पासपोर्ट और अन्य अनिवार्य जानकारियां भी खतरे में पड़ सकती हैं. आप के अकाउंट पर फर्जी फ्रैंड आप की टाइमलाइन पर गंदे तथा अश्लील फोटो और वीडियो भी अपलोड कर सकते हैं जिस के कारण आप को शर्मिंदगी के साथ कई कानूनी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है.

फेसबुक अकाउंट पर फर्जी जैंडर का अर्थ अकाउंट होल्डर का अपने सैक्स से विपरीत फोटो लगाने से है. उदाहरण के लिए कोई पुरुष अकाउंट होल्डर अपने प्रोफाइल में किसी महिला या लड़की का फोटो लगा सकता है. चूंकि फीमेल करैक्टर पुरुष के लिए आकर्षक होता है, इसीलिए इस प्रकार के अकाउंट कई फ्रैंड्स को अपनी तरफ आकर्षित करने में आसानी से सफल हो जाते हैं. इसीलिए जब आप इस प्रकार के फर्जी अकाउंट को कन्फर्म कर रहे हों तो उस से पहले आप उस अकाउंट होल्डर की आइडैंटिटी को कन्फर्म कर लें.

काल्पनिक प्रोफाइल नाम

फर्जी अकाउंट को पहचानने का एक और आसान तरीका प्रोफाइल नाम को पहचानने से भी है. यदि किसी यूजर का प्रोफाइल नाम किसी बड़े सैलिब्रिटी का हो तो यह मान कर चलिए कि वह फेसबुक अकाउंट कभी भी वास्तविक नहीं हो सकता. लिहाजा, ऐसी फ्रैंडरिक्वैस्ट को फर्जी मान कर हमेशा रिफ्यूज कर दें.

फ्रैंडरिक्वैस्ट भेजने वाले के प्रोफाइल को सावधानी से पढ़ें

जब हम अपने फेसबुक अकाउंट पर किसी के द्वारा भेजी गई फ्रैंडरिक्वैस्ट को रिसीव करते हैं तो हमारा पहला रिएक्शन खुशियों से भरा होता है. लेकिन जो आप को फांस रहा है उसे खुशी से क्या मतलब, अत: ऐसी स्थिति में विवेकपूर्ण निर्णय यही होता है कि हम फेसबुक पर फ्रैंडरिक्वैस्ट भेजने वाले के प्रोफाइल को सावधानीपूर्वक पढ़ें और गहराई से विचार करें कि उस के द्वारा दी गई सूचनाएं वास्तव में तर्कसंगत हैं या नहीं. उदाहरण के लिए यदि फ्रैंडरिक्वैस्ट  वाले ने अपनी उम्र 25 वर्ष दिखाई है और अपने वर्किंग स्टेटस में खुद को किसी कंपनी के चीफ ऐग्जीक्यूटिव अफसर के रूप में दिखाया है तो यह सही नहीं है, क्योंकि इतनी कम उम्र में किसी कंपनी का सीईओ होना किसी भी लिहाज से तथ्यपरक नहीं लगता है. लिहाजा, इस प्रकार की फर्जी फ्रैंडरिक्वैस्ट रिजैक्ट कर दें.       

मीडिया द्वारा फैलती पोंगापंथी

व्हाट्सऐप, फेसबुक, अखबारों के साथसाथ कई टीवी चैनल, जैसे ‘आस्था’, ‘संस्कार’, ‘दिव्य’, ‘दिशा’, ‘साधना’, ‘गौड’ आदि पोंगापंथी फैलाने में किसी न किसी तरह से लिप्त हैं.

फेसबुक, व्हाट्सऐप पर दिनों के अनुसार देवीदेवताओं की तसवीरें व संदेश आते हैं, जैसे सोमवार को शंकर, मंगलवार को हनुमान आदि. बस, एक बार ‘जय’ लिखो अधूरे काम पूरे होंगे. हजारों की संख्या में लोग, ‘जय,’ ‘प्रणाम,’ ‘जयकारा’ आदि फटाफट लिख भेजते हैं.  इसी तरह हजारों की संख्या में लोग लाइक और शेयर करते हैं.

एक और तरीका–7 जगह इस संदेश को भेजो तो 4 दिनों के भीतर आप के पास धनागम होगा. स्वयं मुझे एक परिचित ने ऐसे मैसेज के साथ फोन किया कि तुम भी जल्दी से 7 मिनट के अंदर 7 जगह इस मैसेज को भेजो, फिर देखो इस का कमाल.

एक और बानगी व्हाट्सऐप पर–‘हनुमान’ के इन 12 नामों को 12 लोगों को भेजें. 3 दिनों में मनोकामना पूर्ण होगी. इनकार करेंगे तो 12 वर्ष तक कोई भी काम नहीं बनेगा. धर्मभीरू लोगों को डराने का यह एक सहज तरीका है. इसी तरह, राम के नाम हजार बार लिखो और 15 लोगों को भेजो, रात तक खुशखबरी मिलेगी.

फेसबुक पर — मानते हो तो दिल से लाइक करें-‘ओम साईं राम.’ पोस्ट करते ही 94,339 लाइक, 1,550 शेयर आ गए फेसबुक पर.

नवग्रह मंदिर, खरगौन, मध्य प्रदेश का संदेश फेसबुक पर, ‘‘अपने दुश्मनों से छुटकारा पाने, अपने जीवन के हर क्षेत्र में विजयी होने, कोर्ट केस जीतने, प्रतियोगिता में जीतने के लिए पूजा कराएं.’’

इन संदेशों के बारे में जितना कहा जाए, उतना कम है. आजकल व्हाट्सऐप पर एक औडियो मैसेज आता है कि यदि देश के दुश्मन कोई अफवाह फैलाना चाहें या देश में आतंकी खबर फैलाना चाहें तो कितनी जल्दी सोशल मीडिया द्वारा फैला सकते हैं. मास मैसेज भेजने वाले इस बात का अनुमान लगा रहे हैं, इसलिए, बिना सोचेसमझे कोई भी मैसेज आगे, न बढ़ाएं.

पोंगापंथी फैलाने में समाचारपत्रों की भी भूमिका है. हर दिन राशिफल प्रकाशित किया जाता है. राशिफल पढ़ कर लोग बिगड़े काम बनाने की गांरटी लेने वाले गुरुओं की शरण में पहुंचते हैं. ऐसे गुरु खूब वसूली करते हैं. इस तरह लोग मूर्ख बनते हैं औैर दुख की बात है कि बनते ही रहेंगे.

अकर्मण्यता का प्रचार

‘रंक से राजा बनाने वाले राशि और भाग्यरत्न, भाग्योदय, रोगमुक्त और धनदौलत, संपन्नता पाने का रामबाण उपाय…’ ऐसे विज्ञापन अंधविश्वास ही फैलाते हैं.

सोशल मीडिया में कीर्तन, कथा व पांडित्य प्रवचनों का काफी चलन है. शिक्षित वर्ग में भी यह अंधविश्वास तेजी से फैल रहा है कि इन मार्गों द्वारा मन और विचारों की शुद्धि होने के साथसाथ अगला जीवन सुधरेगा.

आज का आकर्षण टैलीविजन और इस में कदम बढ़ाते भक्ति चैनलों पर प्रवचन देती, कथा सुनाती सुंदर व युवा नारियों की वाणी की प्रखरता दर्शकों के जनसमूह को सम्मोहित कर लेती है. जयजयकार के साथ धनधान्य व सम्मान से विभूषित होती इन युवतियों की संख्या बढ़ती जा रही है. कुछ समय पूर्व तक इस क्षेत्र में पुरुषवर्ग का वर्चस्व था लेकिन अब कथा क्षेत्र, कीर्तन, वास्तुज्ञान में भी महिलावर्ग की उपस्थिति बढ़ रही है.

ऐसे स्थानों पर हजारों लोग घंटों बैठ कर प्रवचन सुनते हैं. अपना घरबार, कामकाज छोड़ बस ईश्वर भरोसे अपने कार्यसिद्धि, जीवनसुधार की कामना लिए आते हैं. विश्वास के साथ वे कहते हैं, ‘हम तो भगवान भरोसे हैं, वे ही सब संभालेंगे.’ ऐसे विचार अकर्मण्यता बढ़ाते हैं जबकि कर्मठता घटाते हैं. इस संदर्भ में एक सूफी कहानी है- एक सूफी गुरु ने अपने शिष्य को अपने ऊंट की जिम्मेदारी सौंपी औैर वह सोने चला गया. नींद आने पर शिष्य ने ऊंट की जिम्मेदारी अल्लाह मियां को सौंपी और वह सो गया. सुबह ऊंट नदारद था. पूछे जाने पर शिष्य का जवाब था कि यह तो अल्लाह मियां की गलती है. आप ही तो कहते हो कि अल्लाह पर पूरा विश्वास करो.

चैनलों पर पोंगापंथी

‘दिशा’ चैनल पर ‘भाग्यदर्पण’ के तहत ‘लाल वट तेल’ बेचने का अनोखा तरीका यों दिखाया जा रहा है — आप लाल रंग का दीपक जलाओगे तो शक्ति प्रसन्न होगी. इस से शत्रु का नाश होगा, भूतप्रेत का असर समाप्त होगा. फिर धोखाधड़ी से बचने की सलाह देते हुए औनलाइन खरीदने पर जोर दिया जाता हैं.  इस के लिए डब्लूडब्लूडब्लू डौट लाल वट डौट कौम पर और्डर करें, तेल

आप के द्वार पहुंच जाएगा. स्पष्ट है कि दुकानदारी चलाई जा रही है और अंधविश्वास फैलाया जा रहा है.

‘दिव्य’ चैनल पर ‘यस आइ कैन चेंज’ के तहत विज्ञापन ‘कौन सी समस्या के लिए कौन सा नग चाहिए,’ इस के लिए डब्लूडब्लूडब्लू डौट रत्नअमृत डौट कौम पर विजिट करें.

हमारे कौल सैंटर में फोन द्वारा अपने कष्ट दूर करने के लिए हम से परामर्श लें और नग धारण कर कष्टों से मुक्त हों.

‘गौड’ चैनल पर जीसस के प्रचार में कहा जाता है जो भी तुम्हारे द्वारा पाप किए गए हैं, उन्हें जीसस अपने ऊपर ले लेते हैं.’ इस का आशय है कि गलत कार्य करने से डरने की बात नहीं.

एक और भ्रमित करने वाला विज्ञापन साधना चैनल पर आता है. इस में कहा जाता है कि ‘इंद्रकवच’ धारण करें और हर संकट, बाधा से मुक्ति पाएं. तुरंत फोन करें.

सत्य सेवाधाम, वृंदावन-21,000 रुपए दें, 200 ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दक्षिणा दें ताकि उन के आशीर्वाद से आप के सारे कार्य निर्विघ्न संपन्न हो सकें.

एक दिन टैलीविजन पर समाचार आ रहा था, साईंबाबा के दर्शन महंगे हुए– दर्शन 200 रुपए, आरती 600 रुपए. साईंबाबा के बारे में लिखा गया वर्णन तथा लोगों से सुनते आ रहे विचारों से मालूम यही हुआ कि साईंबाबा फकीर थे, वे खिचड़ी खा कर जीर्णशीर्ण रहे. आज उन्हीं के मंदिरों में बोली लगाई जा रही है. यह फैसला मंदिर के ट्रस्ट ने लिया है. मंदिर में हर वर्ष करोड़ों का चढ़ावा आता है. यानी लूट में भी बढ़ोतरी के लिए मीडिया का उपयोग खुलेआम हो रहा है.

टैलीविजन आज सब से बड़ा सोशल मीडिया है. इस में ‘तेज चैनल’ के ‘किस्मत कनैक्शन’ कार्यक्रम में कहा गया, ‘यह जगत भौतिक है. मृत्योपरांत अच्छा जीव ही सूक्ष्मलोक में जाता है वरना यहीं भौतिकलोक में ही आना पड़ता हैं. इसलिए भगवद्भक्ति में लगिए ताकि पुण्यों का संचय हो सके.’ साथ ही, मृत्यु के बाद किस तरह की योनियों में जाता है व्यक्ति, इस पर लंबी व्याख्या की गई. ये वर्णन पोंगापंथी ही तो हैं. पुराणों, गंरथों में लिखी बातें पढ़ कर, वर्णित कर प्रवाचकों की दुकानें चल रही हैं.

इसी चैनल पर, आप को बताया जाता है कि मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति की मुक्ति नहीं हुई है तो श्रीमद्भगवत का पाठ कराएं और अमावस्या के दिन पूजा कराएं.

इस के अलावा एक और अविश्वसनीय व हास्यास्पद बात कही गई–कोई आप से रूठ गया  है और आप उस से जुड़ना चाहते हैं तो सुबह व शाम उस के नाम की माला 108 बार जपते रहिए. वह रिश्ता बन जाएगा. इस बात से ज्यादा हास्यास्पद या पोंगापंथी वाली बात और क्या हो सकती है भला.

भक्तिमुक्ति के नाम पर प्रचार करने वाले संगठन कई अजीब तरीके अपनाते हैं. मंहगी गाडि़यों, सिल्क वस्त्रों में लिपटे हुए संत प्रवचन द्वारा मोहमाया से दूर रहने की बात करते हैं जबकि स्वयं अकूत धन के मालिक बने रहते हैं.

धंधा है, बिजनैस है – चाहे कपड़ा बेचो, बकरा काटो या मंदिर में बैठ कर दर्शनार्थियों को ठगो, मतलब तो कमाई से ही है. एक पारिवारिक महिला मित्र ने अनुभव सुनाया. मथुरा के एक प्रसिद्घ मंदिर में पुजारी को 501 रुपए दिए जाने पर रुपए वापस करते हुए उस ने कहा, ‘‘आप की पूजा स्वीकृत नहीं होगी. आप में श्रद्धा नहीं है. कम से कम 1,001 रुपए से पूजा होती है ठाकुरजी की.’’ यह वाकेआ सिद्ध करता है कि ठगने वाला व्यक्ति, दूसरे को ढोंगी कह रहा है.

अखबारों में प्रकाशित धार्मिक लेख, टैलीविजन पर दिखाए जाने वाले धार्मिक प्रकरण, प्रवचन, ऊटपटांग उपाय बताए जाने वाले राशियों के फल आदि दर्शकों, पाठकों के विचारों पर प्रभाव डाल उन्हें अपनी ओर खींचते हैं. अंधविश्वास गहरा होता जाता है जब दर्शक, पाठक इन को बारबार देखता और पढ़ता है. इस विधि को मार्केटिंग भाषा में ‘पुश फैक्टर’ कहा जाता है.

पोंगापंथी व अंधविश्वास से बचना लोगों के अपने हाथ में है. किसी भी प्रचार पर विश्वास व अमल करने से पूर्व बुद्धि का प्रयोग करें. पर धर्म के प्रचारक इतने तेज हैं कि वे बुद्धि का इस्तेमाल करने ही नहीं देते. इसलिए हम सब को बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है.

छत्तीसगढ़ का शिमला ‘मैनपाट’

पर्यटन की अपार संभावनाओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ के हरेभरे जंगल, झरने और पहाड़ सहज ही पर्यटकों का मन मोह लेते हैं. बहुत कम सैलानियों को शायद ही यह पता होगा की छत्तीसगढ़ में मैनपाट एक ऐसी खूबसूरत जगह है जहां बर्फ गिरती है और सर्दियों में यह इलाका बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है. मैनपाट में का़फी ठंडक रहती है, यही कारण है कि इसे ‘छत्तीसगढ़ का शिमला’ कहा जाता है. मैनपाट छतीसगढ़ का एक पर्यटन स्थल है. यह स्थल अंबिकापुर नगर, जो पूर्व सरगुजा, विश्रामपुर के नाम से भी जाना जाता है, 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मैनपाट विंध्य पर्वतमाला पर स्थित है. समुद्र की सतह से इस की ऊंचाई 3,780 फुट है. मैनपाट की लंबाई 28 किलोमीटर और चौड़ाई 12 किलोमीटर है. यह बहुत ही आकर्षक स्थल है.

छत्तीसगढ़ के मैनपाट की वादियां शिमला का एहसास दिलाती हैं खासकर सावन और सर्दी के मौसम में. प्रकृति की अनुपम छटाओं से परिपूर्ण मैनपाट को सावन में बादल घेरे रहते हैं, तब इस की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. लगता है, जैसे आकाश से बादल धरा पर उतर रहे हों. अंबिकापुर से दरिमा होते हुए कमलेश्वरपुर तक पक्की घुमावदार सड़क और दोनों ओर घने जंगल मैनपाट पहुंचने से पहले ही हर किसी को प्रफुल्लित कर देते हैं. मैनपाट की वादियां यों तो पहले से ही खूबसूरत हैं, लेकिन बादलों की वजह से इस की खूबसूरती में चारचांद लग जाते हैं. शिमला, कुल्लूमनाली जैसे पर्यटन स्थलों में प्रकृति की अनुपम छटा देख चुके लोग जब मैनपाट की वादियों को देखते हैं तो इस की तुलना शिमला से करते हैं.

यहां पर्यटकोंको सावधानी से वाहन चलाना पड़ता है. रिमझिम फुहारों के कारण कई स्थानों पर तो दिन में भी वाहनों की लाइट जलाने की जरूरत पड़ जाती है. अंबिकापुर से दरिमा होते हुए मैनपाट जाने के मार्ग में जैसेजैसे चढ़ाई ऊपर होती जाती है, सड़क के दोनों ओर के घने जगल अनायास ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. मैनपाट में सुबह काफी देर से होती है देर तक तक घना कोहरा छाया रहता है और दोपहर में भी धूप के बावजूद गरमाहट का एहसास नहीं होता. जुलाई महीने में मैनपाट ही ऐसा नजारा देख पर्यटक आश्चर्यचकित रह जाते हैं. प्राकृतिक संपदा से भरपूर बादलों से घिरे मैनपाट में सरभंजा जलप्रपात, टाइगर पौइंट और फिश पौइंट मुख्य दर्शनीय स्थल हैं. शहरी कोलाहल, प्रदूषण, भागमभाग और रोजमर्रा के तनाव से हट कर हरियाली के बीच मैनपाट पर्यटकों को खासा लुभाता है. यहां पहुंच कर पर्यटकों को बादलों को नजदीक से देखने का अनुभव प्राप्त होता है.

पर्र्यटकों के लिए यहां होटल के अलावा कुछ निजी रिजौर्ट और गैस्ट हाउस भी ठहरने के लिए उपलब्ध हैं. छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से विख्यात मैनपाट की प्राकृतिक सुंदरता से हर कोई वाकिफ है और यही कारण है कि हर मौसम में यहां दूरदूर से पर्यटक पहुंचते हैं.

स्नेह से दूर करें बच्चों का अकेलापन

हम आज ऐसी दुनिया में रहते हैं, जहां लोग सिर्फ भाग रहे हैं और यह भागमभाग सिर्फ भौतिकवादी सुखों को पाने की है. हम सभी इस दौड़ का हिस्सा इसलिए बनते हैं कि हम अपने बच्चों को बेहतर सुखसुविधा और बेहतर भविष्य दे सकें, उन का जीवन आसान व आरामदायक बना सकें, आर्थिक स्थिरता ला कर उन के सपने पूरे कर सकें. लेकिन इस भागदौड़ में हम नहीं समझ पाते हैं कि इतना सब पाने में हम कुछ अत्यंत महत्त्वपूर्ण यानी अपने बच्चों से दूर हो रहे हैं.

अपने दैनिक कार्यों और बच्चों के लिए समय के निकालने के बीच में संतुलन बनाना कईर् कामकाजी अभिभावकों के लिए चुनौती होता है. व्यस्त समय में अभिभावक बच्चों को पूरा समय नहीं दे पाते. नतीजे में अभिभावकों के प्रति बच्चों में आत्मीय लगाव खत्म होने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. अकेलापन दूर करने के लिए बच्चे मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटौप आदि संसाधनों में समय बिता रहे हैं. इस से बच्चों में चिड़चिड़ाहट तथा हीनभावना बढ़ रही है. अधिकांश परिवारों में मातापिता दोनों काम पर जाते हैं, ऐसे में उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि वे अपने बच्चों के लिए रोजाना थोड़ा समय जरूर निकालें.

दरअसल, बच्चों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं और हर सवाल का हल उन के पास नहीं होता है. इसलिए उन्हें हमारी जरूरत होती है. जिस तरह से आप अपनी औफिस मीटिंग के लिए समय निकालते हैं उसी तरह बच्चों के लिए भी समय निकालें. उन्हें एहसास होने दें कि आप के लिए वे महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि आप के बच्चों को आप के तोहफों से ज्यादा आप की मौजूदगी की जरूरत है.

आइए जानते हैं शैमरौक प्रीस्कूल्स की एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर और शेमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल्स की फाउंडर डायरैक्टर मीनल अरोड़ा के कुछ ऐसे टिप्स जिन से आप अपने बच्चों के साथ बेहद प्रभावी व गुणवत्तापूर्ण तरीके से समय बिता सकें.

छोटे कदम, बड़े परिणाम

हमारे छोटेछोटे कदम बच्चों के मस्तिष्क पर बहुत प्रभाव डालते हैं. बच्चों को गुडमौर्निंग, गुडआफ्टरनून, गुडनाइट विश करना, स्कूल जाते समय गुड डे कहना, उन्हें गले लगा लेना, उन्हें गोद में उठा लेना, उन्हें देख कर प्यार से मुसकराना, अपने बच्चे के गाल पर किस करना आदि बच्चों के साथ की गई अभिभावकों की छोटीछोटी ये क्रियाएं दर्शाती हैं कि ‘मुझे तुम्हारा खयाल है.’ ये छोटीछोटी बातें बच्चों के लिए उस की दुनिया होती हैं और बच्चों को हमेशा अभिभावकों का साथ चाहिए होता है, सुकून चाहिए होता है. चाहे आप उन से कितना ही नाराज क्यों न हों, उन्हें हर दिन बताएं कि आप उन से कितना प्यार करते हैं. सब के पसंदीदा बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की एक पिता के रूप में बेहतरीन छवि है. वे भले ही कितने ही व्यस्त क्यों न हों, दिन में 2-3 बार अपने बच्चों से जरूर बातें करते हैं.

भोजन का वक्त खुशियों का वक्त

पेरैंट्स को चाहिए कि वे दिन में कम से कम एक समय का भोजन बच्चे के साथ बैठ कर करें और बेहतर होगा डिनर करें क्योंकि यही वह समय होता है जब सभी सदस्य काम से लौट कर दिनभर की थकान के बाद एकसाथ बैठते हैं. पूरे परिवार के  साथ बैठ कर बातें करने को अपनी दिनचर्या का जरूरी हिस्सा बनाएं और उन से दिनभर के काम व उपलब्धियों के बारे में बात करें. इस दौरान यदि आप का बच्चा कहता है कि उसे आप से कुछ कहना है, तो इस बात को गंभीरता से लें, और सब काम छोड़ कर उस की बात को ध्यान से सुनें. बच्चे को उस की सफलताओं और उपलब्धियों के लिए बधाईर् दें. बच्चों की सफलता  के लिए उन की तारीफ करें क्योंकि इस से उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. डिनर करते समय अपने बच्चों को परिवार व उन से संबंधित चर्चाओं में शामिल करें. उन की बेहतरी से संबंधित मामलों में उन की भी राय लें. इस से न सिर्फ उन्हें पारिवारिक मुद्दे समझने में मदद मिलेगी बल्कि उन में अपना खुद का नजरिया विकसित करने का आत्मविश्वास भी आएगा.

समय को लमहों से मापें

बच्चों के साथ समय बिताने के लिए तरीके ढूंढ़ें. उन्हें घर के छोटेछोटे काम करने के लिए प्रोत्साहित करें. इस से न सिर्फ आप को उन के साथ ज्यादा समय बिताने में मदद मिलेगी बल्कि  इस से उन में जिम्मेदारी का एहसास भी आएगा. इस के साथ ही यह बच्चे व आप के बीच खुशनुमा और दुखभरी बातें साझा करने के लिए भी सही समय होगा.

जब आप घर पहुंचते हैं और घर के काम व डिनर आदि निबटाने की जल्दी में होते हैं तो अपने बच्चे को अपने कामों में जोड़ें और उन की मदद लें. साथ ही, उन की मदद के लिए उन्हें धन्यवाद भी दें. इन कामों के साथसाथ अपने बच्चे से बातचीत करते रहें और उसे कुछ सिखाने की कोशिश भी. कपड़े धोने जैसे कामों के बीच आप उस से उस की दिनभर की गतिविधियों और उस के मन की बातें जान सकते हैं. हफ्तेभर आप ठीक से बच्चों के लिए यदि समय न निकाल सकें तो वीकेंड पर आप उन्हें कुछ खास महसूस करा सकते हैं और उस के साथ जुड़ सकते हैं. बच्चों को बाहर घूमने जाना पसंद होता है, जैसे किसी मौल में या ऐतिहासिक जगह पर या परिवार के साथ पिकनिक पर जाना आप को उस  के साथ ढेरों बातें करने का मौका दे सकता है.

कहानी सुनाएं, समां बाधें

बच्चों के साथ किताबें पढे़ं. बच्चों को नई कहानियां हमेशा रोमांचक लगती हैं. उन को नई किताबों से परिचित कराएं, उन के साथ बैठ कर खुद भी कुछ नईर् अच्छी कहानियों से जानपहचान करें. इस से आप और आप के बच्चे जानकारी भी हासिल कर पाएंगे और साथ में अच्छा समय भी व्यतीत कर पाएंगें. इन खुशनुमा लमहों को उन के सपनों तक ले जाएं. उन के सपनों की दुनिया में उन के साथ कदम रखें. उन्हें काल्पनिक कहानियां सुनाएं, उन की कल्पना को बढ़ावा दें. उन के भीतर छिपे हुए प्रतिभाशाली लेखक को बाहर लाएं और कहानियों के अंत पर उन की राय लेने की कोशिश करें. उन्हें इन भूमिकाओं को निभाने के लिए प्रोत्साहित करें और अच्छी तरह अपना किरदार चुनने में उन की मदद करें.

सन डे, फन डे, हौलिडे

अपने परिवार के साथ आउटिंग पर जरूर जाएं, फिर चाहे यह बड़ी हो या छोटी. और हां, अपने गैजेट्स साथ ले कर नहीं जाएं. आउटिंग पर उन के साथ बातचीत करें, मस्तीभरे खेल खेलें और जीवन को खुल कर जिएं. अपने बचपन के दिनों को याद करें, बचपन की यादें ताजा करें और अपने बचपन में खेले जाने वाले खेलों को बच्चों के साथ फिर खेलें. सप्ताह के दौरान जीवन में आने वाली एकरूपता को तोड़ने का सब से अच्छा तरीका है, फिर से बच्चा बन जाना.

जश्न और उल्लास

त्योहार और विशेष अवसर तब और खास बन जाते हैं जब वे परिवार के साथ मिल कर मनाएं जाते हैं. यह ऐसा समय होता है जब पूरा परिवार साथ रहता है और साथ में मस्ती करता है. इस अवसर का लाभ उठाएं. आप अपने बच्चे के सब से अच्छे दोस्त व शुभचिंतक बनें. बच्चों के साथ हम जो समय बितातेहैं वह सब से कीमती होता है. इन लमहों को नजरअंदाज नहीं करें क्योंकि ये वे मजेदार पल होते हैं, जो आप के व बच्चों के चेहरों पर मुसकान लाते हैं और पेरैंट्स व बच्चों को खुशहाल व संतुष्ट बनाते हैं. कभी अपने बच्चों को अमीर बनने के लिए शिक्षित नहीं करें बल्कि उन्हें खुश रहने के लिए शिक्षित करें, जिस से उन्हें चीजों की अहमियत पता हो, उन की कीमत नहीं.

वीडियो गेम से लेकर सेहत तक का ख्याल रखते हैं ये गैजेट्स

तकनीक की दुनिया में आए दिन कई बदलाव हो रहे हैं. यूजर्स को ध्यान में रखते हुई निर्माता कंपनियां कई गैजेट्स लौन्च कर रही हैं. ऐसे में हम आपको उन 4 गैजेट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो वीडियो गेम से लेकर आपकी सेहत का ख्याल रखने तक में मदद करेंगे. जानते हैं इन गैजेट्स के फीचर्स के बारे में.

Garmin Vivofit 4

Garmin Vivofit 4 फिटनेस बैंड की कीमत 4,999 रुपये है. फिटनेस बैंड यूजर की सभी एक्टिविटी पर नजर रखता है. डिवाइस एक साल से ज्यादा बैटरी बैकअप देता है. डिवाइस में बिल्ट इन औलवेज औन डिस्प्ले दिया गया है. डिवाइस में समय, दिन, टाइमर और स्टेप काउंटर जैसे फीचर्स को एक्सेस किया जा सकता है. साथ ही डिवाइस के डिस्प्ले में आपको मौसम की भी जानकारी भी मिलती है. बैंड आपकी एक्टिविटीज को ट्रैक करता है. इनमें, रनिंग, वाकिंग, बाइकिंग और स्विमिंग शामिल है. बैंड आपके फोन को खोजने में भी मदद करेगा. फिटनेस बैंड से एक बटन दबाकर आप अपने फोन को खोज सकेंगे. डिवाइस आपके स्टेप्स, डिस्टेंस और कैलोरी बर्न का भी हिसाब रखता है.

PXN 0082 Game Controller

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आज ज्यादा तर यूजर्स टच स्क्रीन पर गेम खेलते हैं. लेकिन अगर आपको वीडियो गेम के पुराने दिन याद हों, तो उस समय joy stick की मदद से गेम खेला जाता था. joy stick में कई बटन होते थे, जिनकी मदद से यूजर अपने गेम को कंट्रोल करते थे. अब गीयरबेस्ट के PXN कंट्रोलर से आप उस पुराने अनुभव को दोबारा महसूस कर सकते हैं. डिवाइस को यूजर्स काफी पसंद कर रहे हैं.

GoPro HERO

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‘गोप्रो हीरो’ एक वाटरप्रूफ एक्शन कैमरा है. ‘गो प्रो हीरो’ 10 मीटर पानी तक की गहराई में काम कर सकता है. डिवाइस में वाइड एंगल व्यू, वौयस कंट्रोल और स्टेबलाइजेशन जैसे फीचर्स शामिल हैं. ‘गोप्रो हीरो ’की कीमत 18,990 रुपये है. इसमे 10 मेगापिक्सल का कैमरा है. इसमें 1/2.3 इंच का सीएमओएस सेंसर लगा है. डिवाइस से 60 एफपीएस और 30 एपपीएस पर 4K रिकौर्डिंग की जा सकती है.

TomTom Spark 3

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डिवाइस की कीमत 12,627 रुपये है. डिवाइस आपकी एक्टिविटी को मौनिटर करता है. फिटनेस बैंड 40 मीटर पानी की गहराई तक में काम कर सकता है. इससे आप स्विमिंग करते हुए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस फिटनेस बैंड में हर्टरेट ट्रैकर लगा है, जिसकी मदद से आप अपने दिल की धड़कन को मौनिटर कर सकते हैं. इसके अलावा इस डिवाइस को आप फोन से कनेक्ट कर के संगीत का मजा उठा सकते हैं. फिटनेस बैंड 2 हफ्ते की बैटरी बैकअप देता है. डिवाइस एंड्रौयड और आईओएस दोनों ही प्लेटफौर्म को स्पोर्ट करता है.

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