Download App

मारवाड़ के लुटेरों पर पुलिस का दांव

राजस्थान का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. मेवाड़ और मारवाड़ की धरती शूरवीरता के लिए जानी जाती है. रेतीले धोरों और अरावली पर्वतमालाओं से घिरे इस सूबे के लोगों को भले ही जान गंवानी पड़ी, लेकिन युद्ध के मैदान में कभी पीठ नहीं दिखाई. इस के इतर राजस्थान की कुछ जनजातियां अपराध के लिए भी जानी जाती रही हैं.

लेकिन अब समय बदल गया है. ऐसे तमाम लोग हैं, जो कामयाब न होने पर अपने सपने पूरे करने के लिए जनजातियों की तरह अपराध की राह पर चल निकले हैं. अन्य राज्यों के लोगों की तरह राजस्थान के भी हजारों लोग भारत के दक्षिणी राज्यों में रोजगार की वजह से रह रहे हैं.

मारवाड़ के रहने वाले कुछ लोगों ने अपने विश्वस्त साथियों का गिरोह बना कर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में करोड़ों की चोरी, लूट और डकैती जैसे संगीन अपराध किए हैं. ये वहां अपराध कर के राजस्थान आ जाते हैं और अपने गांव या रिश्तेदारियों में छिप जाते हैं. कुछ दिनों में मामला शांत हो जाता है तो फिर वहां पहुंच जाते हैं. उन्हें वहां किसी तरह की परेशानी भी नहीं होती, क्योंकि वहां रहतेरहते ये वहां की भाषा भी सीख गए हैं. स्थानीय भाषा की वजह से ये जल्दी ही वहां के लोगों में घुलमिल जाते हैं.

मारवाड़ के इन लुटेरों ने जब वहां कई वारदातें कीं तो वहां की पुलिस इन लुटेरों की खोजबीन करती हुई उन के गांव तक पहुंच गई. लेकिन राजस्थान पहुंचने पर दांव उल्टा पड़ गया. इधर 3 ऐसी घटनाएं घट गईं, जिन में लुटेरों को पकड़ने आई तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की पुलिस खुद अपराधी बन गई. यहां तक कि चेन्नै के एक जांबाज इंसपेक्टर को जान से भी हाथ धोना पड़ा.

चेन्नै के थाना मदुरहोल के लक्ष्मीपुरम की कडप्पा रोड पर गहनों का एक काफी बड़ा शोरूम है महालक्ष्मी ज्वैलर्स. यह शोरूम मुकेश कुमार जैन का है. वह मूलरूप से राजस्थान के जिला पाली के गांव बावरा के रहने वाले हैं. वह रोजाना दोपहर के 1 बजे के करीब शोरूम बंद कर के लंच के लिए घर चले जाते थे. कुछ देर घर पर आराम कर के वह शाम करीब 4 बजे शोरूम खोलते थे.

16 नवंबर, 2017 को भी मुकेश कुमार जैन अपना जवैलरी का शोरूम बंद कर के लंच करने घर चले गए थे. शाम करीब 4 बजे जब उन्होंने आ कर शोरूम खोला तो उन के होश उड़ गए. शोरूम की छत में सेंध लगी हुई थी. अंदर रखे डिब्बों से सोनेचांदी के सारे गहने गायब थे. 2 लाख रुपए रकद रखे थे, वे भी नहीं थे. मुकेश ने हिसाब लगाया तो पता चला कि साढ़े 3 किलोग्राम सोने और 5 किलोग्राम चांदी के गहने और करीब 2 लाख रुपए नकद गायब थे.

दिनदहाड़े ज्वैलरी के शोरूम में छत में सेंध लगा कर करीब सवा करोड़ रुपए के गहने और नकदी पार कर दी गई थी. चोरों ने यह सेंध ड्रिल मशीन से लगाई थी. उन्होंने गहने और नकदी तो उड़ाई ही, शोरूम में लगे सीसीटीवी कैमरे भी उखाड़ ले गए थे.

मुकेश ने वारदात की सूचना थाना मदुरहोल पुलिस को दी. पुलिस ने घटनास्थल पर आ कर जांच की. जांच में पता चला कि शोरूम की छत पर बने कमरे से ड्रिल मशीन द्वारा छेद किया गया था.

society

शोरूम के ऊपर बने कमरे में कपड़े की दुकान थी. वह दुकान नाथूराम जाट ने किराए पर ले रखी थी. वह भी राजस्थान के जिला पाली के गांव रामावास का रहने वाला था. उसी के साथ दिनेश और दीपाराम भी रहते थे. दिनेश थाना बिलाड़ा का रहने वाला था तो दीपाराम पाली के खारिया नींव का रहने वाला था. ये तीनों पुलिस को कमरे पर नहीं मिले. पुलिस ने शोरूम के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो पता चला कि मुकेश के ज्वैलरी शोरूम में नाथूराम और उस के साथियों ने ही लूट की थी.

लूट के 2 दिनों बाद चेन्नै पुलिस ने शोरूम के मालिक मुकेश जैन को साथ ले कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए राजस्थान के जिला पाली आ कर डेरा डाल दिया. पुलिस ने पूछताछ के लिए कुछ लोगों को पकड़ा भी, लेकिन नाथूराम जाट और उस के साथियों के बारे में कुछ पता नहीं चला तो चेन्नै पुलिस लौट गई.

11 दिसंबर, 2017 को एक बार फिर चेन्नै पुलिस पाली आई. इस टीम में इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन और इंसपेक्टर टी.एम. मुनिशेखर के अलावा 2 हैडकांस्टेबल अंबरोस व गुरुमूर्ति और एक कांस्टेबल सुदर्शन शामिल थे. यह टीम पाली के एसपी दीपक भार्गव से मिली तो उन्होंने टीम की हर तरह से मदद मरने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें काररवाई करनी हो, बता दें. स्थानीय पुलिस हर तरह से उन की मदद करेगी.

इस के बाद चेन्नै से आई पुलिस अपने हिसाब से आरोपियों की तलाश करती रही. पुलिस ने नाथूराम के 2 नजदीकी लोगों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि नाथूराम पाली में जैतारण-रामवास मार्ग पर करोलिया गांव में खारिया नींव के रहने वाले दीपाराम जाट के बंद पड़े चूने के भट्ठे पर मिल सकता है.

इस सूचना पर चेन्नै पुलिस ने पाली पुलिस को बिना बताए 12 दिसंबर की रात करीब ढाई-तीन बजे करोलिया गांव स्थित दीपाराम के चूने के भट्ठे पर बिना वर्दी के छापा मारा. पुलिस की यह टीम सरकारी गाड़ी के बजाय किराए की टवेरा कार से गई थी.

टीम की अगुवाई कर रहे इंसपेक्टर पेरियापांडियन और इंसपेक्टर मुनिशेखर के पास सरकारी रिवौल्वर थी. पुलिस टीम के पहुंचते ही भट्ठे पर बने एक कमरे में सो रहे लोग जाग गए. उस समय वहां 3 पुरुष, 6 महिलाएं और कुछ लड़कियां थीं. उन सब ने मिल कर लाठीडंडों से पुलिस पर हमला बोल दिया.

पुलिस घबरा गई और हमलावरों का मुकाबला करने के बजाय वहां से भागने लगी. इसी बीच लोहे के गेट पर चढ़ रहे इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन को गोली लग गई, जिस से वह वहीं गिर गए. जबकि उन के साथी भाग गए थे. मौका पा कर हमला करने वाले सभी लोग वहां से भाग निकले. इस हमले में टीम के कुछ अन्य लोग भी घायल हो गए थे.

थोड़ी दूर जा कर जब पुलिस टीम को पता चला कि टी.वी. पेरियापांडियन साथ नहीं हैं तो सभी वापस लौटे. भट्ठे पर जा कर देखा तो टी.वी. पेरियापांडियन घायल पड़े थे.

उन्हें जैतारण के अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अभी तक स्थानीय पुलिस को इस घटना की कोई जानकारी नहीं थी. स्थानीय पुलिस को जैतारण अस्पताल प्रशासन से इस घटना की जानकारी मिली. इस घटना की जानकारी एसपी दीपक भार्गव को भी मिल गई.

सूचना पा कर सारे पुलिस अधिकारी अस्पताल पहुंचे और चेन्नै पुलिस से घटना के बारे में पूछताछ की. पता चला कि छापा मारने के दौरान नाथूराम ने अपने 8-10 साथियों के साथ उन पर हमला किया था. इस हमले में इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन उन के बीच फंस गए थे. इन्होंने उन की सरकारी पिस्टल छीन ली और उसी से उन्हें गोली मार दी, जिस से उन की मौत हो गई.

पाली के पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो चेन्नै से आई पुलिस ने उन्हें जो कुछ बताया, वह उन के गले नहीं उतरा. फिर भी थाना जैतारण में चेन्नै पुलिस की ओर से नाथूराम जाट, दीपाराम जाट और दिनेश चौधरी व अन्य लोगों के खिलाफ हत्या, जानलेवा हमला करने और सरकारी काम में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पाली पुलिस को घटनास्थल पर गोली का एक खोखा मिला था, जो पुलिस की पिस्टल का था. एफएसएल टीम ने भी घटनास्थल पर जा कर जरूरी साक्ष्य जुटाए. पुलिस के लिए जांच का विषय यह था कि गोली किस ने और कितनी दूरी से चलाई. वह गोली एक्सीडेंटल चली थी या डिफेंस में चलाई गई थी. जैतारण पुलिस ने हमलावरों में से कुछ को पकड़ लिया, लेकिन नाथूराम नहीं पकड़ा जा सका था. पुलिस उस की तलाश में सरगर्मी से जुटी थी.

जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन की लाश का पोस्टमार्टम मैडिकल बोर्ड द्वारा कराया गया. इस के बाद 14 दिसंबर को हवाई जहाज द्वारा उन के शव को चेन्नै भेज दिया गया. चेन्नै में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी, उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, डीजीपी टी.के. राजेंद्रन, पुलिस कमिश्नर ए.के. विश्वनाथन और विपक्ष के नेता एम.के. स्टालिन सहित तमाम राजनेताओं और पुलिस अफसरों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

इस मौके पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी ने दिवंगत इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन के घर वालों को 1 करोड़ रुपए की राशि बतौर मुआवजा और घायल पुलिसकर्मियों को एकएक लाख रुपए देने की घोषणा की. इस के बाद टी.वी. पेरियापांडियन के शव को उन के पैतृक गांव जिला तिरुनलवेली के मुवेराथली ले जाया गया, जहां राजकीय सम्मान के साथ उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

14 दिसंबर को चेन्नै पुलिस के जौइंट पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार जैतारण पहुंचे और डीएसपी वीरेंद्र सिंह तथा चेन्नै के पुलिस इंसपेक्टर मुनिशेखर से घटना के बारे में जानकारी ली. घटनास्थल का भी निरीक्षण किया गया. इस के बाद एसपी दीपक भार्गव ने भी पाली जा कर घटना के बारे में तथ्यात्मक जानकारी ली और आरोपियों की गिरफ्तारी और लूटी गई ज्वैलरी की बरामदगी के बारे में चर्चा की.

society

इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन की मौत की जांच के लिए पाली पुलिस के बुलाने पर जयपुर से पहुंचे बैलेस्टिक एक्सपर्ट ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने चेन्नै पुलिस के दोनों इंसपेक्टरों की पिस्टल, घटनास्थल तथा लाश के फोटोग्राफ और वीडियो फुटेज आदि राज्य विधिविज्ञान प्रयोगशाला जयपुर पर मंगवाए.

गोली की बरामदगी के लिए पाली पुलिस ने मेटल डिटेक्टर से घटनास्थल के आसपास जांच कराई, लेकिन गोली नहीं मिली. जबकि मृतक इंसपेक्टर की लाश में भी गोली नहीं मिली थी.

इस बीच 14 दिसंबर, 2017 को जोधपुर के थाना रातानाड़ा की पुलिस ने चेन्नै के महालक्ष्मी ज्वैलर्स के शोरूम में हुई सवा करोड़ रुपए के गहनों की लूट के मुख्य आरोपी नाथूराम के साथी जोधपुर के बिलाड़ा निवासी दिनेश जाट को गिरफ्तार कर लिया था. दिनेश जाट बिलाड़ा थाने का हिस्ट्रीशीटर था. उस के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज थे. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए स्टैंडिंग वारंट भी जारी कर रखा था.

15 दिसंबर को जोधपुर रेंज के आईजी हवा सिंह घुमारिया भी जैतारण पहुंचे और घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस बीच पाली पुलिस ने घटनास्थल पर जा कर मृतक इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन की मौत का क्राइम सीन दोहराया.

चेन्नै एवं राजस्थान के पुलिस अधिकारियों और एफएसएल विशेषज्ञों की उपस्थिति में दोहराए गए क्राइम सीन में सामने आया कि जब टी.वी. पेरियापांडियन ने लोहे के गेट पर चढ़ कर भागने की कोशिश की थी, तब पहले गेट से बाहर निकल चुके चेन्नै पुलिस के इंसपेक्टर मुनिशेखर की पिस्टल से एक्सीडेंटल गोली चल गई थी. इसी गोली से पेरियापांडियन की मौत हुई थी.

चेन्नै पुलिस के इंसपेक्टर की मौत का सच सामने आने के बाद थाना जैतारण पुलिस ने 15 दिसंबर को हमलावर तेजाराम जाट, उस की पत्नी विद्या देवी और बेटी सुगना को गिरफ्तार कर लिया.

लेकिन उन्हें हत्या का आरोपी न बना कर भादंवि की धारा 307, 331 व 353 के तहत गिरफ्तार किया गया था. चूना भट्ठे के उस कमरे में तेजाराम का परिवार रहता था.

हमलावर तेजाराम और चेन्नै पुलिस टीम से की गई पूछताछ में पता चला कि 12 दिसंबर की रात चेन्नै पुलिस ने जब चूना भट्ठे पर छापा मारा था, तब दोनों इंसपेक्टरों ने अपनी पिस्टल लोड कर रखी थीं.

पुलिस टीम जैसे ही अंदर हाल के पास पहुंची, पदचाप सुन कर तेजाराम जाग गया. पुलिस वालों को चोर समझ कर वह चिल्लाया तो हाल में सो रही उस की पत्नी, बेटियां व अन्य लोग जाग गए और उन्होंने लाठियों से पुलिस पर हमला कर दिया.

उस समय नाथूराम भी वहां मौजूद था. वह समझ गया कि ये चोर नहीं, चेन्नै पुलिस है, इसलिए वह भागने की युक्ति सोचने लगा. अचानक हुए हमले से घबराई चेन्नै पुलिस भागने लगी. इंसपेक्टर मुनिशेखर और अन्य पुलिस वाले तो दीवार फांद कर बाहर निकल गए.

टी.वी. पेरियापांडियन दीवार फांदने के बजाय जब लोहे के गेट पर चढ़ कर कूदने का प्रयास कर रहे थे, तब गेट के बाहर खड़े इंसपेक्टर मुनिशेखर अपनी पिस्टल को अनलौक कर रहे थे कि अचानक एक्सीडेंटल गोली चल गई, जो टी.वी. पेरियापांडियन को लगी. वह गेट से गिर गए और उन की मौत हो गई. इसी बीच मौका पा कर नाथूराम फरार हो गया था.

दरअसल, चेन्नै पुलिस को अनुमान नहीं था कि वहां 9-10 लोग होंगे. उस का मानना था कि नाथूराम 1-2 लोगों के साथ छिपा होगा. चेन्नै के थाना मदुरहोल थाने के इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन दबंग और बहादुर पुलिस अफसर थे.  यह दुर्भाग्य ही था कि उन की मौत अपने ही साथी की गोली से हो गई.

पाली के एसपी दीपक भार्गव के अनुसार, चेन्नै पुलिस के इंसपेक्टर मुनिशेखर को चार्जशीट में भादंवि की धारा 304ए का आरोपी बनाया जाएगा. तथ्यात्मक जांच रिपोर्ट चेन्नै पुलिस को भेजी जाएगी. चेन्नै पुलिस इंसपेक्टर मुनिशेखर पर विभागीय काररवाई करेगी.

17 दिसंबर को पुलिस ने चेन्नै में हुई ज्वैलरी लूट की वारदात के मुख्य आरोपी नाथूराम जाट की पत्नी मंजू देवी को गिरफ्तार कर लिया था. वह जोधपुर के पीपाड़ शहर के पास मालावास गांव में अपने धर्मभाई के घर छिपी हुई थी. मंजू को चेन्नै से आई पुलिस टीम पर हमले के आरोप में पकड़ा गया था.

कथा लिखे जाने तक नाथूराम और अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस लगातार छापे मार रही थी. नाथूराम के खिलाफ पाली के थाना जैतारण में मारपीट के 4 और जोधपुर के थाना बिलाड़ा में एक मुकदमा पहले से दर्ज है. वह कई सालों से अपने गांव में नहीं रहा था. वह चेन्नै बेंगलुरु आदि शहरों में रहता था.

नाथूराम और दीपाराम के पकड़े जाने के बाद चेन्नै में महालक्ष्मी ज्वैलर्स के शोरूम में हुई सवा करोड़ रुपए के गहनों की लूट का मामला भले ही सुलझ जाए, लेकिन चेन्नै पुलिस के लिए माल की बरामदगी चुनौती रहेगी. जोधपुर में गिरफ्तार चोरी के आरोपी दिनेश जाट को चेन्नै पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर चेन्नै ले गई.

इसी तरह 29 अगस्त, 2017 को विशाखापट्टनम में एक ज्वैलर से 3 किलोग्राम सोना लूट लिया गया था. लूट की इस वारदात में ज्वैलर के पास काम करने वाला राकेश प्रजापत शामिल था.

वह राजस्थान के जिला पाली के रोहिट के पास धींगाणा का रहने वाला था. लूट के बाद वह पाली आ गया था. यहां बाड़मेर रोड पर होटल चलाने वाले हनुमान प्रजापत से उस की पुरानी जानपहचान थी. हनुमान के मार्फत राकेश ने लूट का सारा सोना श्रवण सोनी को बेच दिया.

society

मामले की जांच करते हुए आंध्र प्रदेश पुलिस जोधपुर पहुंची और 3 नवंबर को झालामंड मीरानगर निवासी रामनिवास जाट को गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद जोधपुर जिले के थाना बोरानाड़ा के गांव खारडा भांडू के रहने वाले ज्वैलर श्रवण सोनी को पकड़ा गया.

श्रवण सोनी को ले जाने पर उस के घर वालों ने थाना बोरानाड़ा में उस के अपरहण का मामला दर्ज करा दिया था. बोरानाड़ा पुलिस ने जांचपड़ताल की तो श्रवण सोनी के आंध्र प्रदेश पुलिस की कस्टडी में होने की बात पता चली.

आंध्र प्रदेश पुलिस ने रामनिवास, श्रवण सोनी, हनुमान प्रजापत और राकेश प्रजापत को हिरासत में ले कर सोना बरामद कर लिया था. लेकिन कागजों में न तो उन्हें गिरफ्तार दिखाया गया था और न ही सोने की बरामदगी दिखाई गई थी, जबकि राकेश प्रजापत को बाकायदा हथकड़ी लगा कर रखा गया था. लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं दिखाया गया था.

आंध्र प्रदेश की पुलिस टीम द्वारा रामनिवास को लूट के मामले में आरोपी न बनाने और उस की कार जब्त न करने के लिए डेढ़ लाख रुपए मांगे गए थे, साथ ही मौजमस्ती के लिए लड़कियों का इंतजाम करने को भी कहा गया था. पुलिस टीम का कहना था कि उस ने यह कार विशाखापट्टनम से लूटे गए 3 किलोग्राम सोने को बेच कर खरीदी थी.

आंध्र प्रदेश पुलिस ने 5 नवंबर को रामनिवास और श्रवण सोनी को कुछ शर्तों पर छोड़ दिया था और श्रवण सोनी से 6 नवंबर को 2 लाख रुपए लाने को कहा था. इस से पहले आंध्र प्रदेश पुलिस ने रामनिवास के एटीएम से 20 हजार रुपए निकलवा कर रख लिए थे.

छूटते ही रामनिवास सीधे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यालय पहुंचा और आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत कर दी. एसीबी ने 80 हजार रुपए दे कर रामनिवास को आंध्र प्रदेश पुलिस के पास भेज कर शिकायत की पुष्टि की. इस के बाद 6 नवंबर को विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश से आई 4 लोगों की पुलिस टीम को 80 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया गया.

इन में विशाखापट्टनम जिले की क्राइम ब्रांच के सबडिवीजन नौर्थ के इसंपेक्टर आर.वी.आर.के. चौधरी, विशाखापट्टनम के थाना परवाड़ा के एसआई एस.के. शरीफ, थाना एम.आर. पेटा के एसआई गोपाल राव और थाना वनटाउन के कांस्टेबल एस. हरिप्रसाद शामिल थे. ये चारों जोधपुर में बाड़मेर रोड पर बोरानाड़ा स्थित एक होटल में रुके हुए थे.

गिरफ्तारी के अगले दिन 7 नवंबर को चारों लोगों को अदालत में पेश किया गया, जहां से अदालत के आदेश पर सभी को जेल भेज दिया गया. पूरी टीम के गिरफ्तार होने की सूचना मिलने पर 3 किलोग्राम सोने की लूट के मामले की जांच के लिए विशाखापट्टनम से दूसरी टीम भेजी गई. यह टीम 7 नवंबर को जोधपुर पहुंची. इस टीम ने सोने की लूट के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

बिना पैसे दिए रेस्तरां में खाओ खाना पर…

दुनिया भर में हर क्षेत्र में तरहतरह की चीजों को ले कर नएनए प्रयोग हो रहे हैं. ऐसा ही एक प्रयोग जापान की 33 वर्षीय आईटी इंजीनियर सेकाई कोबायाशी ने रेस्तरां के रूप में किया है. सेकाई कोबायाशी जापान में टोक्यो के उपनगर गिनबोचो में रहती हैं. उन्हें रेस्तरां में काम करने का अनुभव अपने छात्र जीवन में हुआ था, तभी से वह कुछ नया करने की सोचा करती थीं.

कोबायाशी ने जो रेस्तरां शुरू किया है, उस में खाना खाने के बाद पैसा देना जरूरी नहीं है. लेकिन इस के बदले 2 शिफ्टों में काम करना होता है. कोई भी व्यक्ति इस रेस्तरां में आ कर अगर 50 मिनट काम करता है तो उसे मुफ्त में खाना मिलता है.

कोबायाशी कहती हैं, ‘‘इस रेस्तरां को शुरू करने का उद्देश्य उन लोगों को भोजन कराना है, जो कभीकभी बिना खाना खाए सोते हैं.’’ इसी वजह से इस रेस्तरां में कोबायाशी के अलावा कोई भी स्थाई नहीं है. उन के रेस्तरां में एक बार में 12 लोग खाना खा सकते हैं. यहां आने वाले लोग या तो पैसा चुका कर खाना खा सकते हैं या फिर 2 शिफ्टों में काम कर के.

इस रेस्तरां में पहली बार आने वाला व्यक्ति पहले खाना खा सकता है और अपनी सुविधा के अनुसार काम करने के वक्त का चयन भी कर सकता है. इस रेस्तरां की शुरुआत 2 साल पहले हुई थी.

अब तक 500 से अधिक लोग यहां काम का विकल्प चुन चुके हैं. अब इस रेस्तरां में ऐसे लोग भी आते हैं, जो कोबायाशी के काम से प्रभावित हैं और उन की व्यवस्था का अध्ययन करते हैं. कोबायाशी का कहना है कि हमारे जीवन में वक्त और जरूरतें बदलती   रहती हैं और इसी से हमें नए अनुभव भी मिलते हैं.

VIDEO : प्रियंका चोपड़ा लुक फ्रॉम पीपुल्स चॉइस अवार्ड मेकअप टिप्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

मदद के नाम पर देह धंधा : लड़कियां कैसे फंसती थी जाल में

उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी की रहने वाली सुनीता की मां अकसर बीमार रहती थी. उसे लगता था कि अगर कहीं उस की नौकरी लग जाती तो वह अपनी मां का ठीक से इलाज करा लेती. उस के पिता की मौत हो चुकी थी.

एक छोटा भाई जरूर था, लेकिन वह अभी पढ़ रहा था. एक दिन उस के फोन पर एक मिसकाल आई. उस ने पलट कर फोन किया तो पता चला वह नंबर लखनऊ की रहने वाली सोनी का था.

इस के बाद सोनी और सुनीता में बातचीत होने लगी. बाचतीत में एक दिन सुनीता ने सोनी से अपनी परेशानी कह सुनाई. सोनी बातचीत में काफी माहिर थी. मीठीमीठी बातें कर के उस ने सुनीता से दोस्ती गांठ ली. फोन के साथसाथ दोनों वाट्सऐप पर भी एकदूसरे को मैसेज करने लगी थीं.

सुनीता काफी सुंदर थी. उस की सुंदरता ने सोनी का मन मोह लिया. इसी वजह से सोनी के मन में लालच आ गया. उसे लगा कि अगर सुनीता उस के पास आ जाए तो उस का काम बन जाए.

सुनीता वाराणसी के लंका स्थित अपने घर में मां के साथ रहती थी. संयोग से एक दिन उस ने खुद ही सोनी को मौका दे दिया. उस ने कहा, ‘‘सोनी, मेरी मां की तबीयत खराब रहती है. उन का इलाज कराना है, घर में कोई मदद करने वाला नहीं है. मैं क्या करूं, कुछ समझ नहीं पा रही हूं. कोई नौकरी भी नहीं मिल रही है.’’

‘‘अगर तुम लखनऊ में होती तो मैं तुम्हारी मदद कर देती. यहां मैं कोई नौकरी दिला देती, जिस से तुम्हें आराम से 10 से 15 हजार रुपए महीना वेतन मिल जाता. अगर तुम बढि़या काम करती तो जल्दी ही तुम्हारा वेतन दोगुना हो जाता.’’ जवाब में सोनी ने सुनीता को समझाते हुए कहा.

‘‘अभी तो मैं मां को ले कर लखनऊ आ नहीं सकती. अगर नौकरी मिल जाए और महीने, 2 महीने में कुछ पैसे मिल जाएं तो मैं मां को ला कर वहीं रहने लगती.’’ सोनी की बात सुन कर सुनीता ने कहा.

सुनीता की बातों से सोनी को लगा कि वह लखनऊ आ सकती है. उसे आकर्षित करने के लिए सोनी ने कहा, ‘‘सुनीता, तुम यहां आ जाओ और हम लोगों के साथ रह कर काम को देखसमझ लो. अगर काम पसंद आ जाए तो मां को ले आना. यहां रहने की कोई कमी नहीं है. मैं अपनी सहेली सुमन के साथ रहती हूं. हम से मिल कर तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा.’’

सुनीता जरूरतमंद थी ही, इसलिए उसे लगा कि एक बार लखनऊ जा कर सोनी से मिलने में कोई बुराई नहीं है. लखनऊ कोई बहुत दूर तो है नहीं, क्यों न एक बार जा कर उस के काम को देखसमझ ले. अगर काम अच्छा लगा तो करेगी, वरना वाराणसी लौट आएगी.

society

सोनी से हुई बातचीत के करीब 10 दिनों बाद सुनीता वाराणसी पैसेंजर ट्रेन से लखनऊ के लिए निकल पड़ी. सुमन और सोनी को उस ने अपने आने की बात पहले ही बता दी थी, इसलिए दोनों उसे लेने के लिए चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंच गई थीं.

सोनी और सुमन से मिलने के बाद सुनीता ने कहा, ‘‘यार ट्रेन काफी लेट हो गई, जिस से यहां पहुंचने में काफी देर हो गई. चलो, पहले वहां चलते हैं, जहां नौकरी की बात करनी है. उस के बाद बैठ कर आराम से आपस में बातें करेंगे. अगर नौकरी पसंद आई तो रुक जाऊंगी, वरना रात की ट्रेन से वापस लौट जाऊंगी. तुम दोनों को नाहक परेशान नहीं होना पड़ेगा.’’

‘‘सुनीता, तुम जंगल में नहीं आई हो. हम दोनों तुम्हारे साथ हैं. आज तो देर हो गई है. औफिस बंद हो गया होगा. कल वहां चल कर बात कर लेंगे. अभी तुम हमारे साथ मेरे कमरे पर चलो. आज हम तीनों पार्टी कर के खूब एंजौय करेंगे.’’ सोनी ने कहा.

सुनीता को बहुत दिनों बाद घर से बाहर निकल कर तनावरहित कुछ समय गुजारने का मौका मिला था. सुमन और सोनी से मिल कर वह काफी खुश थी. दोनों उसे बहुत अच्छी लगी थीं. तीनों एक कार में बैठ कर लखनऊ के तेलीबाग स्थित सोनी के घर पहुंच गईं.

घर में सिर्फ सोनी का पति तौहीद था. वह देखने में काफी सीधासादा था. तीनों के घर पहुंचते ही वह घर से चला गया. उस समय शाम के करीब 6 बज रहे थे.

ठंडी का मौसम था. सुनीता का स्वागत चायपकौड़ों से किया गया. तीनों आपस में चाय पीते हुए बातें करने लगीं. चाय खत्म हुई तो सोनी ने कहा, ‘‘सुनीता, मैं तुम्हें कपड़े देती हूं. तुम फ्रैश हो कर कपड़े बदल लो.’’

‘‘सुनीता, सोनी के कपड़े तुम्हें एकदम फिट आएंगे. यह बहुत ही सैक्सी लुक वाले कपड़े पहनती है. उन्हें पहन कर तो तुम कयामत लगोगी.’’ सुमन ने कहा.

इस बीच सोनी कपड़े ले आई. न चाहते हुए भी सुनीता को सोनी की ड्रैस पहननी पड़ी. कपड़े पहन कर उस ने खुद को देखा तो सचमुच ही वह अलग दिख रही थी. वह खुश हो गई. बातें करतेकरते एकदूसरे के फोटो खींचे जाने लगे.

सोनी ने सुनीता के मौडलिंग वाले फोटो खींचतेखींचते बिना कपड़ों के भी फोटो खींचे. उस समय सुनीता की समझ में कुछ नहीं आया. वह सोच रही थी कि यह लड़कियों की दोस्ती है.

थोड़ी देर बाद सुमन अपने घर चली गई. अब सोनी और सुनीता ही रह गईं. रात में सोनी का पति तौहीद आया तो खाना खा कर सोनी अपने पति के साथ सोने चली गई. सुनीता भी अलग कमरे में सो गई. उसे नींद आने लगी थी, तभी उस के कमरे का दरवाजा खुला. सोनी एक आदमी के साथ उस के कमरे में आई.

सोनी उस आदमी को वहीं छोड़ कर बाहर निकल गई और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया. अब कमरे में सुनीता और वह आदमी ही रह गए. सोनी के जाते ही उस ने कहा, ‘‘सुनीता, आज की रात के लिए सोनी ने तुम्हारा 6 हजार रुपए में सौदा किया है.’’

उस आदमी की बात सुन कर सुनीता के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उस की आंखों के सामने लखनऊ से ले कर वाराणसी तक की दोस्ती, बातचीत और आवभगत की तसवीर घूमने लगी. सुनीता समझ गई कि वह फंस चुकी है. उस आदमी ने सुनीता को उस के वे निर्वस्त्र फोटो दिखाए, जो कुछ देर पहले ही सोनी और सुमन ने मजाकमजाक में खींचे थे. उस ने कहा, ‘‘अगर तुम ने मेरी बात नहीं मानी तो ये तुम्हारी इन तसवीरों को सार्वजनिक कर देंगी. तब लोग तुम्हें ही गलत समझेंगे.’’

सुनीता के सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं था. उसे पूरी रात उस आदमी की दरिंदगी का सामना करने को मजबूर होना पड़ा. सवेरा होते ही वह आदमी चला गया. उस के जाने के बाद सोनी कमरे में आई. सुनीता ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई.

सोनी चुपचाप सब सुनती रही. इस के बाद उस ने सुनीता को एक हजार रुपए देते हुए कहा, ‘‘सुनीता, आज से यही तुम्हारी नौकरी है. तुम्हारा खानापीना, कपड़े और मैकअप का सारा खर्च हम उठाएंगे. रहने के लिए हमारा घर है ही. इस सब के अलावा तुम्हें हर रात के एक हजार मिलेंगे. तुम 8-10 हजार रुपए की बात कर रही थी, मैं तुम्हें 20 से 25 हजार रुपए देने की बात कर रही हूं. अब तुम देख लो कि तुम्हें बदनाम होना है या मैं जो कह रही हूं, वह करना है.’’

चंगुल में फंस चुकी सुनीता को बचाव का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था. उसे लगा कि अगर उस ने लड़ाईझगड़ा किया तो वे उस के साथ और ज्यादा बुरा कर सकते हैं. इसलिए वह मजबूर हो गई. फिर उस के साथ यह सिलसिला सा चल निकला.

पहले रात को ही कोई आदमी आता था. कुछ दिनों बाद दिन में भी उस के पास ग्राहक आने लगे. सुनीता कुछ कहती तो सुमन, सोनी और दोनों के पति तौहीद और सुरजीत कहते, ‘‘सुनीता जाड़े के दिनों में कमाई ज्यादा होती है. अभी कमा कर रुपए जमा कर लो, गरमी में ग्राहक कम होंगे तो ये काम आएंगे.’’

कुछ ही दिनों में सुनीता को यह काम बोझ लगने लगा. 10 दिन साथ रहने के बाद उन लोगों को सुनीता पर भरोसा हो गया. वे उसे ग्राहकों के साथ बाहर भी भेजने लगे. सुनीता को बाहर जाना होता तो तौहीद और सुरजीत उसे पहुंचाने जाते. सवेरा होने पर वे जा कर उसे ले आते. इस तरह वह दिन में अलग और रात को अलग ग्राहकों को खुश करने लगी.

एक दिन सोनी ने सुनीता से कहा, ‘‘सुनीता, मैं तुम्हें अपनी सहेली के यहां भेज रही हूं. तुम वहां जा कर काम करो. हम लोग एक जगह इस तरह का काम नहीं कर सकते. एक जगह ऐसा काम करने में पकड़े जाने का खतरा रहता है.’’

सोनी ने सुनीता को अपनी सहेली शोभा के यहां भेज दिया. शोभा जानकीपुरम में रहती थी. वहां सुनीता के साथ और ज्यादा बुरा सलूक होने लगा. शोभा के यहां दिन में 2 और रात में 2 ग्राहक उस के पास आने लगे. ज्यादा कमाई के चक्कर में शोभा ने ग्राहकों की संख्या बढ़ा दी थी. क्योंकि उसे पता था कि सुनीता एक सप्ताह के लिए ही उस के पास आई है.

वह लालच में फंस गई. ज्यादा काम करने से सुनीता की तबीयत खराब हो गई. इस के बाद भी शोभा ने उस के पास ग्राहकों को भेजना जारी रखा. एक दिन सवेरे सुनीता को भागने का मौका मिल गया.

बिना किसी बात की परवाह किए सुनीता सवेरे 4 बजे घर से भाग निकली. घर से बाहर आते ही उसे मौर्निंग वाक कर जाने वाले प्रदीप मिल गए. उन की मदद से वह थाना जानकीपुरम पहुंची, जहां उस की मुलाकात इंसपेक्टर अमरनाथ वर्मा से हुई. उन्होंने सुनीता को आराम से बैठाया और उस की पूरी बात ध्यान से सुनी.

इस के बाद उन्होंने महिला सिपाही कोमल और ज्योति के जरिए पूरी जानकारी प्राप्त की. सुनीता से पता चला कि उस की तरह तमाम लड़कियां इस जाल में फंसी हुई हैं. वाट्सऐप के जरिए लड़कियों के फोटो भेज कर उन का सौदा किया जाता है.

सौदा तय होने के बाद वे लड़कियों को ग्राहकों तक पहुंचाते थे. लड़की को ग्राहक के पास पहुंचा कर वे पैसा ले लेते थे. अगले दिन सुबह जा कर लड़की को ले आते थे.

सीओ अलीगंज डा. मीनाक्षी ने मामले की जांच कराई. इसी के साथ शोभा, मणिशंकर, सुरजीत, तौहीद, सुमन और सोनी के खिलाफ देहव्यापार कराने का मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस ने सुरजीत, तौहीद, सुमन और सोनी को तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शोभा और मणिशंकर फरार होने में कामयाब रहे.

दरअसल, सुनीता के भागने का पता चलते ही वे भी घर छोड़ कर भाग गए थे. जांच में पता चला कि सुमन और सोनी मीठीमीठी बातें कर के लड़कियों को जाल में फंसाती थीं. इस के लिए वे कई बार रेलवे स्टेशन या बसअड्डे पर भी जाती थीं. इन का निशाना ऐसी लड़कियां होती थीं, जो नौकरी की तलाश में रहती थीं.

सुमन और सोनी महिलाएं थीं, इसलिए लड़कियां उन पर भरोसा कर लेती थीं. दोनों लड़कियों का भरोसा जीतने के लिए उन्हें अपने घर ठहराती थीं. वहां हंसीमजाक के दौरान उन की अश्लील फोटो खींच लेती थीं. इस के बाद उन्हीं फोटो की बदौलत वे उन्हें ब्लैकमेल कर के देहव्यापार में उतार देती थीं.

ये लड़की को बताते थे कि उन का ग्राहक बहुत बड़ा आदमी है. वह नौकरी दिलाएगा. इस के बाद बुकिंग और सप्लाई का धंधा शुरू हो जाता था. लड़की का पूरा खर्च यही लोग उठाते थे. ग्राहक के हिसाब से लड़की को हजार, 5 सौ रुपए दिए जाते थे.

ग्राहकों को लुभाने के लिए लड़कियों को आकर्षक कपड़े पहनने को दिए जाते थे, बढि़या मेकअप किया जाता था. जिस से ग्राहक मोटा पैसा दे सके. हर लड़की के एक रात के लिए 6 से 8 हजार रुपए लिए जाते थे.

कई बार ज्यादा कमाई के लिए ग्राहकों की संख्या बढ़ा दी जाती थी. बाद में यही लड़कियां दूसरी जरूरतमंद लड़कियों को यहां ले आती थीं. पुलिस ने सुनीता को उस के घर भेज कर बाकी आरोपियों को जेल भेज दिया है.

सुनीता का कहना है, ‘‘मुझे जरा भी अहसास नहीं हुआ कि मैं एक ऐसे जाल में फंसने जा रही हूं, जिस से मेरी जिंदगी बरबाद हो जाएगी. मैं ने उन लोगों का क्या बिगाड़ा था, जो उन्होंने मेरा भविष्य खराब कर दिया. मैं ने तो मदद मांगी थी, उन लोगों ने मदद के बहाने मुझे देह के बाजार में धकेल दिया.’’

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित तथा सुनीता परिवर्तित नाम है

VIDEO : प्रियंका चोपड़ा लुक फ्रॉम पीपुल्स चॉइस अवार्ड मेकअप टिप्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

सैक्स पावर बढ़ाने का दावा करने वाली फालतू दवाएं न लें

आप ने ऐसे कई विज्ञापन देखे होंगे जिन में सैक्स समस्याओं को खत्म करने और सैक्स पावर बढ़ाने की दवाओं के बारे में बताया जाता है. यों तो सैक्स पावर बढ़ाने का दावा कई दवा कंपनियां करती हैं, लेकिन सवाल है कि इन पर कितना विश्वास किया जाए. इस पर विचार करें. लेकिन आंखें बंद कर के भरोसा न करें. आप को ऐसे विज्ञापनों से सावधान रहने  की जरूरत है.

बौडी पर बुरा प्रभाव : ऐसी दवाएं किसी मान्यताप्राप्त लैब में नहीं, बल्कि झोलाछाप नीमहकीमों द्वारा बनाई जाती हैं, जिन्हें दवा बनाने की कोई साइंटिफिक जानकारी नहीं होती. इधरउधर, गांव के बुजुर्गों से मिले अधकचरे ज्ञान के आधार पर वे इन्हें तैयार करते हैं. दवा में किस चीज की मात्रा कितनी होनी चाहिए और कौन सी 2 चीजें एक ही दवाई में होने पर रिएैक्ट करेंगी, इस बारे में भी इन लोगों को कोई जानकारी नहीं होती है.

ये दवाएं सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त भी नहीं होती हैं. यही वजह है कि जब इन का सेवन किया जाता है तो ये शरीर पर गलत असर डालती हैं. कई बार तो इन के सेवन से धीरेधीरे शरीर के अंग भी काम करना बंद कर देते हैं. इसलिए वही दवाएं लें जो आप की समस्या के अनुसार मान्यताप्राप्त डाक्टर द्वारा दी गई हों.

डोज का सही होना जरूरी

परेशानी चाहे तन से जुड़ी हो या मन से, उस का निवारण तभी हो सकता है जब उस की काट के लिए दवा सही मात्रा में ली जाए. इस के लिए जरूरी है कि सही डाक्टर से उचित देखरेख में ही यह काम किया जाए. लेकिन झोलाछाप, ओझा आदि पैसे बनाने के लिए और अधिक से अधिक दवा की बिक्री के लिए ज्यादा डोज लेने को कहते देते हैं. उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि इस से मरीज की सेहत पर क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा. इन चक्करों में पड़ने से बचें.

दवा के साइड इफैक्ट्स

कामोत्तेजना बढ़ाने वाली वियाग्रा जैसी कई दवाओं के भ्रामक विज्ञापन अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं और युवा पीढ़ी इस ओर जल्द आकर्षित होती है और इन दवाओं का सेवन शुरू करती है. थोड़ा सा असर दिखने पर युवाओं को यह एक नशे के जैसा लगने लगता है और वे खुद ही इस की मात्रा बढ़ा देते हैं ताकि और मजे लिए जा सकें. मजे का तो पता  नहीं लेकिन इन दवाओं का साइड इफैक्ट होने लगते हैं और मरीज को थकान व कमजोरी जैसी समस्याएं महसूस होने लगती हैं. ऐसी कोई भी दवा लेने से बचें और अगर ले रहे हैं तो उन दवाओं के बारे में इंटरनैट पर पूरी जानकारी लें और फिर सोचविचार के बाद ही उन्हें खरीदने के बारे में सोचें.

अति हर चीज की बुरी

सैक्स पावर बढ़ाने जैसी कई दवाओं के विज्ञापन आएदिन छपते रहते हैं, लेकिन ये सभी सही नहीं होते हैं. सैक्स की हर व्यक्ति की अपनी इच्छा और क्षमता होती है. इसे किसी दूसरे से कंपैरिजन नहीं किया जा सकता है. इसलिए कहीं  पढ़ कर ऐसा न सोचें कि आप भी ये दवाएं खा कर हृष्टपुष्ट हो जाएंगे.

यदि अगर वास्तव में कोई दिक्कत है तो अपने डाक्टर से कंसल्ट करें और अपने अच्छे खानपान और पूरी नींद जैसी बातों पर ध्यान दें. इन विज्ञापनों के बारे में सोच कर ज्यादा ऐक्साइटेड न हों क्योंकि अति हर चीज की बुरी होती है. अगर आप की सैक्सलाइफ बिना कुछ किए ही अच्छी चल रही है तो फिर इन दवाओं का सेवन करना बेकार है.

गर्भ निरोधक गोलियां

गर्भ रोकने वाली दवाओं को बारबार लेने के घातक परिणाम हो सकते हैं. स्त्रियों के प्रजन्न अंगों पर इन का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. उपयोग करने के इच्छुकों को चाहिए कि वे डाक्टर से दवाओं के साइड इफैक्ट, उन के असफल होने की आशंकाएं और गर्भाशय से बाहर गर्भधारण की संभावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें. यदि अगला मासिकधर्म न आए या मासिकधर्म के समय बहुत अधिक खून बहने लगे, तो हकीमों के पास जाने के बजाय तुरंत डाक्टर से जांच करवाएं.

डाक्टर से जांच करवा कर यह सुनिश्चित कर लें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार महिला इस दवा को लेने के लिए सक्षम है या नहीं. आपात गर्भनिरोधक गोलियों का विज्ञापन जिस तरह से किया जा रहा है उस से समाज में और विशेषरूप से युवावर्ग में यह भ्रांति फैल रही है कि बिना किसी डर के यौन संबंध बनाओ, गोली है न. लेकिन ऐसा नहीं है. युवाओं को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि इन गोलियों की जरूरत ही न पड़े.

ऐसा न हो कि आपात गोली आफत की गोली बन जाए. इसलिए डाक्टर से मिलें और किसकिस तरह के प्रोटैक्शन होते हैं और आप दोनों में से कौन सा प्रोटैक्शन लेना ज्यादा बेहतर होगा, आदि के बारे में बात कर के ही कोई प्रोटैक्शन यूज करें. सिर्फ इन विज्ञापनों में दी गई गोली का नाम पढ़ कर ही लेना शुरू न करें.

वियाग्रा का इस्तेमाल न करें

प्रिस्क्रिप्शन पर दी गई परफौर्मेंस बढ़ाने वाली दवाओं जैसे वियाग्रा का उपयोग कभी न करें, क्योंकि इन्हें पहले से ब्लडप्रैशर जैसी कंडीशन होने पर, लेना सुरक्षित नहीं होता, साथ ही, अगर आप शुगर की बीमारी से पीडि़त हैं तो भी यह दवा लेना सही नहीं है. यह आप के डाक्टर का काम है कि आप के लिए ऐसी दवा लिखें जो आप के लिए सुरक्षित हों और आप को बताएं कि आप को कितनी डोज से इन्हें लेने की शुरुआत करनी चाहिए. विशेषरूप से जब आप पहले से आप द्वारा ली जाने वाली दवाओं के साथ इन्हें लेने का प्लान बना रहे हों.

हर्ब्स और हर्बल मिश्रण से बनी दवाओं से सावधान

आप सैक्स की इच्छा बढ़ाने का दावा करने वाली हर्ब्स और हर्बल मिश्रण से बच कर रहें. इन में से कुछ के कारण असुविधाजनक इरैक्शन हो सकता है जो घंटों तक वापस नहीं आता और योहिम्बे जैसी हर्ब आप के हृदय की गति को बढ़ा कर कार्डियक अरैस्ट  की आशंका को बढ़ा देती है. इसलिए इन्हें लेने से पहले हमेशा अपने डाक्टर की सलाह लें.

स्टैरौयड न लें

गैरकानूनी स्टैरौयड आप की सैक्स इच्छा बढ़ा तो सकते हैं लेकिन बाद में आप को इस की महंगी कीमत चुकानी पड़ती है. ये आप के हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं और शरीर में ऐसे अपरिविर्तनीय बदलाव ला सकते हैं जिन से आप कभी भी पूरी तरह से नहीं उबर नहीं सकते. बजाय इस के ऐसे प्राकृतिक और कानूनी रूप से वैध सप्लीमैंट का उपयोग करें जो स्टैरौयड के समान ही प्रभाव रखते हैं और आप को स्थायी रूप से कोई हानि भी नहीं पहुंचाते.

VIDEO : प्रियंका चोपड़ा लुक फ्रॉम पीपुल्स चॉइस अवार्ड मेकअप टिप्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

पर्यटकों को लुभाता रोचक सैरगाहों से संपन्न ‘लिथुआनिया’

मेरा बेटा लिथुआनिया के कौनस शहर में हृदय चिकित्सा के क्षेत्र में उच्चशिक्षा प्राप्त करने के लिए कई वर्षों से रह रहा है. इस बार हम ने उस के पास जा कर घूमने का प्रोग्राम बनाया. लिथुआनिया की राजधानी विल्नुस जाने के लिए भारत से सीधे फ्लाइट उपलब्ध नहीं है. वहां जाने के लिए मास्को, प्राग, टर्की, फिनलैंड आदि कई देशों से कनैक्टेड स्थानीय फ्लाइट से जाया जा सकता है.

दरअसल, लिथुआनिया यूरोपियन यूनियन में आता है, इसलिए यहां के लिए शेंगने वीजा मिलता है. शेंगने वीजा से पर्यटकों को यूरोप के किसी भी देश में जाने के लिए अलग से वीजा लेने की जरूरत नहीं पड़ती. यूरोप के किसी भी देश से होते हुए आने पर यदि पर्यटकों के पास कनैक्टेड स्थानीय फ्लाइट पकड़ने के लिए समय का काफी अंतराल  है तो, वे एयरपोर्ट से बाहर निकल कर उस देश में घूमने का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

यह देश उत्तरी गोलार्ध में आता है, इसलिए यहां सितंबर से मार्च तक का मौसम बेहद सर्द होता है. भरपूर सर्दी में यहां का तापमान माइनस 20 डिगरी से 25 डिगरी तक चला जाता है. इसलिए यहां घूमने के लिए अप्रैल से अगस्त तक का मौसम सब से अच्छा रहता है. फिर भी बीचबीच में मौसम अपने तेवर दिखाने से बाज नहीं आता, सो, कभी भी गरम कपड़ों की जरूरत पड़ जाती है.

हम दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से मध्यरात्रि डेढ़ बजे की फ्लाइट से मास्को होते हुए स्थानीय समयानुसार अपने गंतव्य पर सुबह 10 बजे पहुंचे. मेरा बेटा एयरपोर्ट के बाहर हमारी प्रतीक्षा कर रहा था. बेटे ने हमें बताया कि उस ने विल्नुस में 2 दिन रुक कर हमारे घूमने का इंतजाम कर रखा है.

चूंकि हमारा गंतव्य स्थान कौनस शहर था और विल्नुस से कौनस की दूरी 150 किलोमीटर के आसपास है, इसलिए पहले विल्नुस घूमने का प्रोग्राम बनाया गया. यहां ठहरने के लिए पर्यटक महंगे, सस्ते सभी तरह के होटल अपने बजट के अनुसार ले सकते हैं.

यहां पर 7 से 10 यूरो प्रतिदिन के हिसाब से होटल उपलब्ध होते हैं जो सस्ते होने के साथसाथ साफसुथरे भी होते हैं. यहां बंकबैड वाले कमरे होते हैं जिन में एक बड़े से कमरे में एकसाथ 7-8 लोगों के रहने का इंतजाम होता है. इन में एक किचन और 2-3 बाथरूम की सुविधा होती है. यहां ठहरने वाले लोग किचन में अपना सामान ले कर खुद खाना बना सकते हैं. इन की बुकिंग पर्यटक यहां आने से पहले औनलाइन भी करा सकते हैं. हम भी यहां पहले से बुक किए गए होटल में रुके और 2 दिन विल्नुस शहर के मुख्य दर्शनीय स्थलों को देखने का आनंद उठाया.

विल्नुस के दर्शनीय स्थल

ओल्ड टाउन : विल्नुस के ओल्ड टाउन का वास्तुशिल्प और म्यूजियम देखने लायक है. यहां लिथुआनियन ज्यूयिश के इतिहास के चिह्न देखे जा सकते हैं, जो यहां आने वालों को 14वीं शताब्दी की याद दिलाते हैं. यूनेस्को ने तो इस टाउन को विल्नुस शहर के हृदयस्थल की संज्ञा दे कर इस का महत्त्व और भी बढ़ा दिया है. यह टाउन छोटा लेकिन भीड़भाड़ रहित है. पर्यटक यहां एक ओर प्राचीन शिल्पनिर्माण देख कर हैरान होते हैं तो दूसरी ओर लिथुआनियन खाने का मजा लेने से नहीं चूकते.

सैंट एनीस चर्च : विल्नुस के इस चर्च की खूबसूरती और शिल्पनिर्माण से प्रभावित हो कर नैपोलियन ने कहा था कि ‘यदि संभव होता तो मैं इसे अपनी हथेली पर उठा कर अपने साथ पैरिस अवश्य ले जाता.’

सैंट्स पीटर ऐंड पौल चर्च : बाहर से प्राचीन व सामान्य दिखने वाले इस चर्च के भीतरी भाग में अद्भुत शिल्पनिर्माण है. पर्यटक यहां आ कर भावविभोर हो जाते हैं.

केजीबी म्यूजियम : मशहूर केजीबी म्यूजियम में वे सेल हैं जहां कम्यूनिज्म के शत्रु समझे जाने वालों पर बेहद अमानवीय अत्याचार किए जाते थे. यहां दिल दहला देने वाला सन्नाटा पर्यटकों को मासूम लोगों के सिरों को आरपार करती गोलियों की आवाज के साथ उन की चीखों का क्षणभर के लिए मानव का मानव के प्रति कू्ररता का आभास जरूर करवाता है, जिसे यहां फोटो प्रदर्शनी, उस समय इस्तेमाल की गई गोलियां, गोलाबारूद, हथियारों व इस्तेमाल किए गए अन्य सामान द्वारा प्रदर्शित किया गया है.

गैदीमिनास टावर : विल्नुस शहर की सुंदरता को पर्यटक गैदीमिनास टावर से निहार सकते हैं. वास्तव में लिथुआनिया के इतिहास में ग्रैंड ड्यूक गैदीमिनास एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति था जिस ने विल्नुस शहर की नींव रखी थी और इस टावर को बनाया था. इस टावर पर पर्यटक पैदल और एलिवेटर से भी जा सकते हैं.

गेट औफ डौन : विल्नुस शहर की सुरक्षा हेतु 16वीं शताब्दी में बनाई गई दीवार के शुरू में 9 दरवाजे हुआ करते थे. इस का वास्तुशिल्प देखते ही बनता है.

मनी म्यूजियम : चूंकि यह देश जनवरी 2015 से यूरोपीय यूनियन का सदस्य बन चुका है और अब यहां की करैंसी यूरो है, इसलिए इस म्यूजियम में जनवरी 2015 से पहले प्रचलित लिथुआनियन करैंसी लीटास के अलावा विश्व की कई प्रसिद्ध करैंसियों को सहेज कर रखा गया है. प्राचीनकाल में प्रचलित सोनेचांदी के सिक्कों व अन्य कई कीमती धातुओं के सिक्कों को भी प्रदर्शन के लिए रखा गया है.

इस के अतिरिक्त 13वीं सदी की याद दिलाता विल्नुस कैथेडरल, बरनारडाइन चर्च और चर्च औफ होली स्प्रिट जैसे स्थल भी देखने योग्य हैं.

विल्नुस में रुकने के बाद हम लिथुआनिया के दूसरे सब से बड़े शहर कौनस, जो हमारा गंतव्य स्थान भी था, की ओर रवाना हो गए.

लिथुआनियन शीतोष्ण जलवायु वाला देश है, सो, यहां भरपूर वर्षा होती है. परिणामस्वरूप यहां हर जगह हरियाली ही हरियाली नजर आती है. जंगलों को यहां सहेज कर रखा गया है. जहां भी भवननिर्माण है वह जगह ऊंचेऊंचे, घने, जंगली पेड़ों से घिरी हुई है. ऐसा लगता है मानो जंगलों के बीच भवनों का निर्माण किया गया है.

घने जंगलों के बीच बने घरों में रहने वाले लोगों को स्वच्छ वायु तो मिलती ही है, उन्हें प्रकृति का सान्निध्य भी मिलता है. यहां घने जंगली पेड़ों के बीचोंबीच कुछकुछ दूरी पर बैंच लगाई गई हैं जो इन को पार्कनुमा बना देती हैं.

खुले मैदानों में जंगली घास और फूल अपनेआप हर वर्ष उगते रहते हैं जो देखने में बहुत सुंदर लगते हैं. यही घास जब बड़ी हो जाती है तो उसे मशीनों से काट दिया जाता है. सड़कों के किनारे सेब, चैरी, नाशपाती इत्यादि फलों के पेड़ दिखाई देते हैं.

लिथुआनिया में कहीं भी भारत जैसी भीड़भाड़ देखने को नहीं मिलती. इस देश की कुल आबादी 30 लाख है. यहां सभी सरकारी बसें बिजली चालित हैं. बसों का टाइमटेबल हर बसस्टैंड पर लगा होता है और बसें टाइम से स्टैंड पर पहुंच जाती हैं. देश पूरी तरह से साफसुथरा व सुव्यवस्थित है. यहां पुलिस हर समय चौकन्नी रहती है. निजी वाहन सिर्फ पार्किंगप्लेस पर ही खड़े किए जाने अनिवार्य होते हैं. पार्किंग के लिए किराया चार्ज करने के लिए आटोमैटिक मशीनें लगी हुई हैं.

किसी भी किस्म की असुविधा होने पर पुलिस को फोन करने पर पुलिस तुरंत कार्यवाही करती है और इस के लिए पुलिस द्वारा शिकायतकर्ता से उस की न तो कोई व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती है और न ही पुलिस उस से किसी प्रकार की पूछताछ करती है.

शहरों में तो लोग देखने को मिल भी जाते हैं, लेकिन गांवों में तो आंखें मनुष्यों को देखने को तरस जाती हैं. बस, दिखाई देते हैं तो सिर्फ खेत ही खेत. गांवों के घर सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. फलदार पेड़ों से घिरे हर घर में अपना छोटा तालाब और वर्षा के पानी को सुरक्षित रखने के लिए हौद जरूर बनाए हुए हैं.

ऐतिहासिक प्रैसिडैंशियल पैलेस : कौनस के ओल्ड टाउन में ऐतिहासिक प्रैसिडैंशियल पैलेस पर्यटकों को अकर्षित करता है. इस भवन का निर्माण 1860 में किया गया था. वर्ष 1920 में विल्नुस जब आंतरिक युद्ध से जूझ रहा था तब सरकारी कामकाज चलाने के लिए राजधानी को कौनस में स्थानांतरित कर, राष्ट्रपति को यह महल आवंटित किया गया था. आजकल इस महल को आर्ट औफ म्यूजियम में तबदील कर दिया गया है. यहां तत्कालीन राष्ट्रपति के दस्तावेज, सिक्के, स्टैप, निजी जरूरत के दैनिक सामान इत्यादि रखा गया है. इस के अतिरिक्त फोटो प्रदर्शनी द्वारा उस दौर का इतिहास दर्शाया गया है.

सैरामिक्स म्यूजियम : कौनस टाउन हौल के बेसमैंट में स्थित प्रसिद्ध सैरामिक्स म्यूजियम है. पर्यटकों को यहां प्राचीनकाल में प्रयोग में लाए जाने वाले मिट्टी के बरतनों के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है.

ओपन एयर म्यूजियम : लिथुआनिया की 4 मुख्य संस्कृतियों को दर्शाता यह अपनी तरह का अद्भुत म्यूजियम है. यह एक खुले बड़े मैदान में बनाया गया है. यहां लिथुआनिया के पुराने घरों के निर्माण, उन में रहने वाले लोगों की आदतों और उन के रहनसहन के बारे में दर्शाया गया है. यहां प्राचीनकाल के औजारों, खिलौनों, बरतनों को भी रखा गया है.

डैविल म्यूजियम : इस म्यूजियम में अलगअलग प्रकार के शैतानों की मूर्तियां रखी हुई हैं और लिथुआनिया के पौराणिक इतिहास को भी दिखाया गया है.

चिडि़याघर : पूरे लिथुआनिया में सिर्फ इसी शहर में चिडि़याघर है. इसलिए छुट्टी वाले दिन यहां खासी भीड़ रहती है. यह सैंटर सिटी में स्थित है. यहां देशविदेशों से लाए गए हर प्रकार के पशुपक्षी, समुद्री जीवजंतु हैं. यहां शेर, जिराफ, गैंडा, ऊंट, भालू, जैबरा, बंदर इत्यादि बहुत से बड़बड़े जानवरों से ले कर छोटे से छोटे समुद्री जीवों को मिला कर लगभग 2,900 प्रजातियां हैं. यहां भारतीय तोते और मोर भी हैं.

भारतीय मोर के साथ

जब यहां के सफेद मोर भी काली घटाओं को देख कर नाचने लगते हैं, तो अनायास ही दर्शक अपनेअपने कैमरे में इन तसवीरों को लेना नहीं भूलते.

ऐडवैंचर पार्क : यहां वैज्ञानिक तरीके से पूरी तरह सुरक्षित बाधाएं बनाई गई हैं. ये बाधाएं पेड़ों को एकदूसरे से स्टील के मोटेमोटे तारों से बांध कर जमीन से कई फुट ऊंची बनाई गई हैं. बाधाएं पार करने से पहले लोगों को सुरक्षा बैल्ट पहना दी जाती है और सुरक्षित हो कर खेल का आनंद लेने के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए जाते हैं. यहां आने वाला छोटाबड़ा व्यक्ति इन बाधाओं को पार कर खेल का भरपूर आनंद लेता है.

इस के अतिरिक्त म्यूजियम औफ द हिस्ट्री औफ लिथुआनियन, मैडिसन ऐंड फौर्मेसी, कौनस बोटैनिकल गार्डन, वर्जिन मैरी चर्च, चर्च औफ सैंट फ्रांसिस, जेबियर चर्च और मेकोलस जिलनकास आर्ट म्यूजियम इत्यादि भी पर्यटकों को यहां आने के लिए आकर्षित करते हैं.

VIDEO : प्रियंका चोपड़ा लुक फ्रॉम पीपुल्स चॉइस अवार्ड मेकअप टिप्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

अरविंद केजरीवाल जी, आप तो ऐसे न थे

लोग नेता बनने के लिए ट्रेनिंग लेते हैं, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऐसे हैं जो नेता बनने के बाद नेतागीरी के गुण सीख रहे हैं. उन्होंने उन नेताओं से माफी मांग ली जिन के खिलाफ थोक में आरोप उगले थे. इस अप्रत्याशित कदम पर हर कोई चौंका और आम आदमी पार्टी में तो बगावत की सी स्थिति बन गई.

क्षमा वाकई वीरों का आभूषण है और आजकल वीर क्षमा करने वाला नहीं, बल्कि मांगने वाला माना जाता है. यह और बात है कि केजरीवाल की इस वीरता के पीछे कई परेशानियां व मजबूरियां छिपी हैं, मसलन कौन दिल्ली सेवा छोड़ वकीलों व अदालतों की परिक्रमा करे, वह भी यह जानतेसमझते हुए कि जमाना ठीक नहीं और अदालतों का मूड भी उखड़ाउखड़ा सा रहता है.

VIDEO : प्रियंका चोपड़ा लुक फ्रॉम पीपुल्स चॉइस अवार्ड मेकअप टिप्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

भारत की विकास गति पर क्रुगमैन के सवाल

हम लगातार पढ़ रहे हैं कि भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. उस को ले कर भ्रम की स्थिति कभी नहीं रही. लेकिन हाल ही में अमेरिकी अर्थशास्त्री तथा 2008 का नोबेल पुरस्कार पाने वाले पौल कु्रगमैन ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में जो बात कही है उसे देख कर लगता है कि हमें सिर्फ गुमराह किया जा रहा है कि भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है.

क्रुगमैन का कहना है कि भारत में गरीबी और असमानता साफ दिखती है. गरीबी यहां खत्म नहीं हो रही है, इसलिए तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का भ्रम पालना ठीक नहीं है. यह सच है कि भारत में पहले की तुलना में गरीबी की संख्या घटी है और लोगों की खरीद क्षमता बढ़ी है. और यह भी सही है कि ब्रिटेन ने जिस अमीरी को पाने में 150 वर्ष लगा दिए, भारत यह स्तर महज ढाई-तीन दशकों में ही हासिल कर चुका है लेकिन स्थिति अब भी बहुत अच्छी नहीं है.

उन्होंने बेरोजगारी को भारत का सब से बड़ा मौजूदा संकट बताया और कहा कि उस के  लिए विनिर्माण क्षेत्र पर फोकस करना जरूरी है. अकेले सेवा क्षेत्र के बल पर स्थायी तरक्की हासिल नहीं की जा सकती. इस के लिए विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना जरूरी है.

भारत में गरीबी उन्मूलन पर काम हुआ है लेकिन आर्थिक असमानता को दूर करने के प्रयास नहीं हुए हैं. इस स्थिति में आर्थिक विकास की सही तसवीर पेश नहीं की जा सकती. भारतीय युवा पीढ़ी के लिए रोजगार सृजन जरूरी है और यही आर्थिक विकास को गति दे सकता है.

रोजगार वास्तव में सब से बड़ा संकट है. बाजार में नौकरियां ही नहीं हैं. स्थायी नौकरी की अवधारणा खत्म हो चुकी हैं. अस्थायी नौकरी में अनिश्चितता बरकरार है. नौकरी पाने के लिए संघर्ष करने के बजाय युवाओं को स्वावलंबी बनाने की जरूरत है. युवा पीढ़ी स्वरोजगार की तरफ आकर्षित हो कर नौकरी पाने के सपने के बजाय नौकरी देने के सपने के साथ काम करे तो स्थिति में बड़ा बदलाव आ सकता है और तब कु्रगमैन को कहना पड़ेगा कि भारत तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है.

VIDEO : प्रियंका चोपड़ा लुक फ्रॉम पीपुल्स चॉइस अवार्ड मेकअप टिप्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

जातपांत की खाई

गांवों में चाहे किसान, छोटे काश्तकार, छोटी जमीनों के मालिक अपनेआप को यादव, जाट, गूजर, अहीर, कुर्मी, कारीगर आदि पिछड़ी ओबीसी जाति का समझ कर कल तक अछूत कहे जाने वाले दलित एससीएसटी लोगों से ऊपर समझते हैं, हिंदू वर्ण व्यवस्था में सवर्णों के लिए दोनों बराबर से हैं. दोनों को सदियों से समाज में सब से निचली जगह मिली है. दोनों का पैसा लूटा गया है, दोनों की औरतों को उठाया गया है, दोनों को साथ बैठने तक नहीं दिया गया है.

1947 के बाद के भूमि सुधार कानूनों की वजह से बहुत से किसानों के पास वे जमीनें आ गई हैं जो पहले ऊंची जातियों के जमींदारों के पास हुआ करती थीं पर उन से सवर्णों का व्यवहार वैसा ही है. ओबीसी आरक्षण का विरोध सवर्णों ने किया था तो इसलिए कि वे नहीं चाहते थे कि मंडल आयोग के जरीए कल तक दास और सेवक बने पर समझदार थोड़ी हैसियत वाले लोग बराबरी की जगह लेने लगें.

आज भी आरक्षण में ज्यादा गुस्सा इन ओबीसी जमातों के साथ है, दलित जमातों के साथ नहीं. जो भी ऊंचे पद मिले हैं उन में दलितों को आरक्षण का फायदा आज भी कम है पर ओबीसी बड़ी तेजी से उन पदों पर आ ही नहीं गए, बराबर के कुशल साबित हो रहे हैं.

धर्म की देन इस भेदभाव को खत्म करना भारत की आर्थिक प्रगति के लिए पहली जरूरत है. जो भारतीय मजदूरी करने विदेश गए वहां वे बराबर के से स्तर पर हैं क्योंकि जैसे ही सामाजिक भेदभाव से छूट मिलती है जन्मजात ऊंचनीच का भेदभाव खत्म हो जाता है.

भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी गणित के लिए पिछड़ों से बड़ा समझौता किया पर मराठों और राजपूतों की तरह उन्हें रखा अंगूठे के नीचे. असल राज की बागडोर मुख्य पुरोहितों के हाथ में रहती थी और राजा सेनापति की तरह हुक्म मात्र बजाते थे. आज के मंत्रिमंडल को नागपुर से ज्यादा चलाया जाता है, नौर्थ ब्लौक से कम. यह बात पिछड़े और दलित मंत्रियों और पार्टी सांसदों को न मालूम हो ऐसा नहीं है. दोनों बराबर का भेदभाव सह रहे हैं. लाख चरण स्पर्शों के बावजूद उन्हें वह सम्मान नहीं मिल रहा जो गुरु के अजीज को मिलता है.

गोरखपुर और फूलपुर की भाजपा की हार को इसी नजर से देखा जाना चाहिए. भाजपा ने न केवल व्यापारियों पर लात मारी, साधारण गांव में काम करने वाले और दूध वगैरह का व्यापार करने वालों को भी सकते में डाल दिया. उन के भगवे झंडे उठाने की कीमत दी नहीं गई उलटे उन्हें झंडे पकड़ने की इजाजत देने की दक्षिणा वसूल कर ली गई. यही गुस्सा अब इन उपचुनावों में सामने आया है. गुस्सा तो 2014 के बाद 2017 में भी था जब विधानसभा चुनाव हुए पर तब तक अखिलेश यादव और राहुल गांधी बहुजन समाज पार्टी की मायावती को मना नहीं पाए थे. अब भगवा आतंक पौराणिक युग के स्तर पर पहुंचने लगा है और इसलिए मायावती को अखिलेश यादव से हाथ मिलाना पड़ा. पहले दलित व पिछड़े नेताओं की हठधर्मी के कारण ही उन के बहुत से नेता अपने पर जुल्म ढाने वालों के साथ ही मिल गए थे. दोनों और जिद्दी बने रहते तो वे अपनी जमातों को खो बैठते. यह चुनाव नतीजे का परिणाम है.

यह समझ लेना चाहिए जैसे पैसा मेहनत से मिलता है इज्जत के लिए भी मेहनत करनी पड़ती है और इज्जत के बिना मेहनत नहीं होती और मेहनत के बिना पैसा नहीं मिलता.

VIDEO : प्रियंका चोपड़ा लुक फ्रॉम पीपुल्स चॉइस अवार्ड मेकअप टिप्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

गूगल का यह ऐप सीखा रहा है कोडिंग, वह भी बिल्कुल फ्री

अगर आप भी कोडिंग सीखना चाहते हैं और पैसों की वजह से किसी अन्य कारणों से कोडिंग सीखने के अपने शौक को दबा रहे हैं तो जरा ठहरिए. अपने हुनर को यूं जाने ना दीजिए और इसे जरूर सीखिए. क्योंकि आपके हुनर को पंख देने में गूगल आपकी मदद करेगा. जी हां, यह बिल्कुल सच है. गूगल आपके लिए एक ऐसा ऐप लेकर आया है, जिसकी मदद से आप आसानी से घर बैठे फ्री में कोडिंग सीख सकते हैं. इस ऐप का नाम ग्रासशापर (Grasshopper) है. इसे आप फ्री में गूगल प्ले-स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. बता दें कि ग्रासशापर ऐप एंड्रायड और आईओएस दोनों डिवाइस के लिए उपलब्ध है.

कैसे सीखें ग्रासशापर ऐप से कोडिंग

सबसे पहले Grasshopper को अपने फोन पर प्लेस्टोर से डाउनलोड कर लें. इसके बाद आपसे ई-मेल आईडी मांगी जाएगी. ई-मेल आईडी डालकर इसपर रजिस्टर करें. उसके बाद आपसे पूछा जाएगा कि आप कोडिंग के बारे में जानते हैं या नहीं? इसके बाद आप अपने हिसाब से क्लास की शुरुआत कर सकते हैं.

इसके द्वारा पजल के माध्यम से कोडिंग सिखाई जाती है. पहले आपको कुछ उदाहरण दिए जाते हैं और फिर आपसे सवाल पूछे जाते हैं. जवाब के लिए तीन विकल्प मिलते हैं. सही जवाब देकर आप एक लेवल पार कर दूसरे लेवल में पहुंचते हैं. गेम के दौरान आपको प्वाइंट भी मिलते हैं. इन प्वाइंट को आप राइट साइड में सबसे ऊपरकी तरफ देख सकते हैं. भले ही आप इस ऐप के जरिए कोडिंग में महारत हासिल ना कर पाएं, लेकिन हां इस ऐप के जरिए आप बेसिक कोडिंग जरूर सीख जाएंगे.

इंडस्ट्री लड़कियों को रोजी-रोटी देती है, यूं रेप करके छोड़ नहीं देती : सरोज खान

कास्टिंग काउच फिल्‍म इंडस्‍ट्री का एक गहरा काला सच है, जिस पर भले ही लोग बात करने से डरे, लेकिन इसके होने की बात लगभग सब मानते हैं. अब बौलीवुड के इस काले सच पर कोरियोग्राफर सरोज खान ने ऐसा बयान दिया है जिसको सुनने के बाद शायद हर कोई शर्मिंदा हो जाएगा.

दरअसल कास्टिंग काउच के मामले पर सरोज खान से जब सवाल का गया तो उन्होंने कहा, ये सब तो बाबा आदम के जमाने से चला आ रहा है. हर लड़की पर कोई न कोई हाथ साफ करने की कोशिश करता ही है. लेकिन इंडस्ट्री में लड़की को रेप करके यूं छोड़ नहीं देते, उन्हें काम और रोजी-रोटी भी देते हैं. इसलिए किसी को भी इन मामलों को लेकर सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री के पीछे नहीं पड़ना चाहिए. ये सब लड़की को हाथों में होता है. अगर तुम्‍हारे पास कला है तो अपने आपको इंडस्‍ट्री में बेचने की क्‍या जरूरत है.

सरोज खान ने सरकार पर भी कमेंट किया, उन्होंने कहा, सरकार भी ऐसा करती है. सरकार के लोग भी करते हैं. लेकिन लोग सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री के पिछे क्यों पड़ रहते हैं. सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री का नाम मत लो वो हमारा माई-बाप है.

जब उनके इस बयान पर मीडिया ने प्रतिक्रिया मांगी तो सरोज ने कहा- मुझे खेद है. मैं माफी मांगती हूं. बता दें कि दक्षिण भारत की एक स्ट्रगलर अदाकार श्री रेड्डी के बयान की वजह से भारत की फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच पर काफी बहस हो रहा है. एक्ट्रेस श्रुति सेठ ने कास्टिंग काउच पर बात रखने के लिए सरोज की भाषा का विरोध किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘उनका (सरोज) इरादा सही है, लेकिन उन्होंने गलत शब्दों का इस्तेमाल किया.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें