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डैबिट/क्रैडिट कार्ड का दुरुपयोग रोकने की तकनीक

बैंकों में औनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. आएदिन लोग इस के शिकार हो रहे हैं. बैंक अधिकारी बन कर फोन से एटीएम कार्ड की जानकारी ले कर खाते से पैसे उड़ाने की घटनाएं लगातार हो रही हैं जबकि इस दिशा में जनजागृति अभियान भी चल रहे हैं. इस के अलावा क्रैडिट या एटीएम कार्ड का इस्तेमाल किसी अन्य के लिए इस्तेमाल करना अब भी आसान नहीं है लेकिन इस का दुरुपयोग नहीं हो तथा इसे ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके, इस के लिए इसे औन और औफ करने की टैक्नोलौजी विकसित की जा रही है. इस का मतलब है कि जब आप को एटीएम का इस्तेमाल करना है तो आप एटीएम का कोड डाल कर उसे औन कर दो और पैसा निकालने के बाद औफ कर लो.

यह तकनीक मोबाइल ऐप के जरिए ग्राहक को औनलाइन लेनदेन की सुविधा प्रदान करेगा. यह सुविधा दिए जाने से एटीएम या कै्रडिट कार्ड खो जाने पर कोई अन्य व्यक्ति उस का दुरुपयोग नहीं कर सकेगा. औनलाइन फ्रौड बड़े स्तर पर हो रहे हैं, इसीलिए इस तकनीक की जरूरत थी और यह संभव हो गया है.

एक आंकड़े के अनुसार, पिछले वर्ष दिसंबर तक क्रैडिट और डैबिट कार्ड धोखाधड़ी में 25 हजार 800 मामले सामने आए. धोखाधड़ी के इन मामलों के जरिए बैंकों से लोगों  का करीब 179 करोड़ रुपए लूटा गया है. सब से बड़ी दिक्कत एटीएम की है जिस की सूचना फोन पर मांग कर बड़ी धोखाधड़ी हो रही है. कम पढ़ेलिखे लोग इन धोखेबाजों के चंगुल में फंस जाते हैं और अपने खूनपसीने की कमाई दो मिनट में लुटा बैठते हैं. इस ऐप के सामने आने से उम्मीद है कि गरीब अब लुटेगा नहीं.

ओमेर्टा : खलनायक को नायक बनाने वाली भावना शून्य फिल्म

इटालियन शब्द ‘ओमेर्टा’ का अर्थ होता है माफिया. मगर हंसल मेहता की फिल्म ‘ओमेर्टा’ इटालियन माफिया की कहानी नहीं है. बल्कि हंसल मेहता की बायोग्राफिकल अपराध कथा वाली फिल्म ‘‘ओमेर्टा’’ मशहूर आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख के जीवन पर बनायी गयी है. इसे कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में  काफी सराहा जा चुका है. पर यह फिल्म फीचर फिल्म की बजाय डाक्यू ड्रामा वाली फिल्म है.

फिल्म की कहानी पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक अहमद उमर सईद शेख (राज कुमार राव) के इर्द गिर्द घूमती है. लंदन में पढ़ाई कर रहा अहमद उमर सईद शेख एक अच्छे मध्यमवर्गीय परिवार से है. लेकिन 1994 में सीरिया व बोसनिया में जो कुछ होता है, उससे उसका ब्रेन वाश हो जाता है. फिर उमर एक गलत राह पकड़ लेता है. वह ‘कश्मीर स्वतंत्रता’ की मुहिम का हिस्सा बन जाता है. फिर उमर पाकिस्तानी कट्टर पंथियों और आई एस आई के इशारे पर रोहित वर्मा बनकर भारत आता है. और दिल्ली में कुछ विदेशी पर्यटकों को अगवा कर उनकी हत्या कर देता है.

पकड़े जाने पर उमर सईद को दिल्ली की तिहाड़ जेल में काफी टार्चर किया जाता है. फिर पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर कुछ आतंकवादी भारतीय जहाज आई सी -184 का अपहरण कर कंधार ले जाते हैं और विमान के यात्रियों को रिहा करने के बदले जेल से उमर सईद शेख व मसूद अजहर सहित चार आतंकवादी साथियों की रिहाई की मांग करते हैं. उमर सईद रिहा होकर पाकिस्तान चला जाता है और उन पर आतंकवादी का ठप्पा लग जाता है. जबकि उमर के पिता (केवल अरोड़ा) चिल्लाते रहते हैं कि उनका बेटा आतंकवादी नहीं है. पर उमर तो पाकिस्तानी सेना व जासूसी संस्था के इशारे पर काम करता रहता है.

Omerta

फिर 9/11 यानी कि ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ पर आतंकवादी हमले और मुंबई के 26/11 से उसके जुड़े होने की बात की गयी है. 2002 में उमर सईद, बशीर बनकर अमरीकन पत्रकार डैनियल पर्ल (तिमोथी रायन) से मिलता है और फिर उसकी हत्या करता है. अमरीकन सरकार के दबाव के चलते पाकिस्तानी सरकार को उमर को गिरफ्तार कर सजा सुनानी पड़ती है. उमर सईद शेख अभी भी पाकिस्तानी जेल में बंद है.

हंसल मेहता ने पहली बार एक खलनायक पर फिल्म बनायी है. कुछ लोगों की राय में एक खूंखार आतंकवादी का महिमा मंडन करना गलत है. जबकि हंसल मेहता का दावा है कि उन्होंने नकारात्मक सोच वाले इंसान का महिमा मंडन नहीं किया है, बल्कि यह बताने की कोशिश की है कि आज की पीढ़ी आतंकवादी संगठनों की तरफ क्यों आकर्षित हो रही है? मगर पूरी फिल्म देखने के बाद हंसल मेहता का तर्क सही नजर नहीं आता.

नब्बे के दशक में सीरिया व बोसनिया में मुस्लिमों के साथ जो कुछ हो रहा था, उस वजह से उमर सईद आतंकवादी बनता है. इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता. उमर सईद को निजी स्तर पर या उनके परिवार या उनके बहुत करीबी रिश्तेदार या दोस्त के साथ ऐसा कुछ नहीं होता, जिसकी वजह से उसके अंदर का गुस्सा फूटता और वह आतंकवाद की राह पकड़ता. एक साधारण इंसान आतंकवादी क्यों बनता है, वह कई कारनामों को अंजाम क्यों देता है, इस पर यह फिल्म कोई बात नहीं करती. हां! हंसल मेहता ने पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे आंतकवादी कैंप, उनकी ट्रेनिंग आदि का सजीव चित्रण किया है.

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हंसल मेहता ने अपनी फिल्म में इस बात को जोरदार तरीके से रेखांकित किया है कि पाकिस्तानी हुकूमत आतंकवादियों को शरण देने के साथ उनकी मददगार बनी हुई है. हंसल मेहता ने फिल्म को कई वास्तविक लोकेशन पर फिल्माने के साथ ही कुछ घटनाक्रमों के वास्तविक वीडियो फुटेज भी उपयोग किए हैं. इससे यह फीचर फिल्म की बजाय डाक्यू ड्रामा बन जाती है.

फिल्म की पटकथा के अलावा इसमें जिस तरह से वास्तविक वीडियो जोड़े गए हैं, उसके चलते उमर सईद की कहानी से पूरी तरह ना वाकिफ दर्शक की समझ में नहीं आता कि क्या हो रहा है? फिल्म के कुछ दृश्य दर्शकों को विचलित जरुर करते हैं, मगर फिल्म दर्शकों को बांधने में पूरी तरह से विफल रहती है. फिल्मकार ने विदेशी पयर्टकों के अपहरण व उनकी हत्या के अलावा अमरीकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या को बेवजह काफी विस्तार से चित्रित किया है.

फिल्म में उमर सईद की शादी सहित कई  घटना क्रम हैं, मगर कमजोर पटकथा के चलते कई घटनाक्रम सही अनुपात में उकेरे नहीं जा सके. हंसल मेहता की पिछली फिल्मों की ही तर्ज पर बनी यह फिल्म दर्शकों को पसंद आए, इसकी उम्मीदें काफी कम हैं. फिल्म में अंग्रेजी भाषा /संवादों का काफी उपयोग किया गया है, जिसके चलते यह फिल्म काफी सीमित दर्शक वर्ग के लिए बनकर रह गयी.

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जहां तक अभिनय का सवाल है तो बेहद शांत नजर आने वाले खूंखार व जालिम आतंकवादी उमर सईद शेख के किरदार को राज कुमार राव ने अपने अभिनय से जीवंत किया है. कुछ दृश्यों में राज कुमार राव महज कैरी केचर/काफी बनावटी बनकर उभरते हैं, फिर भी राज कुमार राव ने एक बार फिर खुद को बेहतरीन अभिनेता साबित किया है. ईशान छाबड़ा का पार्श्व संगीत ठीक ठाक है.

एक घंटा 36 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘ओमेर्टा’’ का निर्माण ‘स्विस इंटरटेनमेंट’ और ‘कर्मा फीचर्स’ ने मिलकर किया है. फिल्म के निर्देशक हंसल मेहता, संगीतकार ईशान छाबड़ा, लेखक मुकुल देव व हंसल मेहता, कैमरामैन अनुज राकेश धवन तथा कलाकार हैं – राज कुमार राव, राजेश तैलंग, रूपिंदर नागरा, केवल अरोड़ा, तिमोथी रायन, हरमीत सिंह व अन्य.

हत्यारा प्रेमी : दीपक क्यों चाहता था कि इंद्रा ससुराल न जाए

राजस्थान के जिला नागौर में एक कस्बा है. मेड़ता सिटी. इसी कस्बे में कभी मीराबाई जन्मी थीं. मीरा का मंदिर भी यहां बना हुआ है. मेड़ता सिटी की गांधी कालोनी में दीपक उर्फ दीपू रहता था. दीपक के पिता बंशीलाल डिस्काम कंपनी में नौकरी करते थे. उन की पोस्टिंग सातलावास जीएसएस पर थी. पिता की सरकारी नौकरी होने की वजह से घर में किसी तरह का अभाव नहीं था. जिस से दीपक भी खूब बनठन कर रहता था.

मेड़ता सिटी में नायकों की ढाणी की रहने वाली इंद्रा नाम की युवती से उसे प्यार हो गया था. दीपक चाहता था कि वह अपनी प्रेमिका पर दिल खोल कर पैसे खर्च करे पर उसे घर से जेब खर्च के जो पैसे मिलते थे उस से उस का ही खर्चा बड़ी मुश्किल से चल पाता था. चाह कर भी वह प्रेमिका इंद्रा को उस की पसंद का सामान नहीं दिलवा पाता था.

तब दीपक ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और वह पिता के साथ डिस्काम में ही काम करने लगा. वहां काम करने से उसे अच्छी आय होने लगी. अपनी कमाई के दम पर वह इंद्रा को अपनी मोटरसाइकिल पर घुमाताफिराता. अपनी कमाई का अधिकांश भाग वह प्रेमिका इंद्रा पर ही खर्च करने लगा.

इंद्रा एक विधवा युवती थी. दरअसल इंद्रा की शादी करीब 3 साल पहले बीकानेर में हुई थी पर शादी के कुछ दिन बाद ही उस के पति की अचानक मौत हो गई. पति की मौत का उसे बड़ा सदमा लगा.

ऊपर से ससुराल वाले उसे ताने देने लगे कि वह डायन है. घर में आते ही उस ने पति को डस लिया. ससुराल में दिए जाने वाले तानों से वह और ज्यादा दुखी हो गई और फिर एक दिन अपने मायके आ गई.

मायके में रह कर वह पति की यादों को भुलाने की कोशिश करने लगी. धीरेधीरे उस का जीवन सामान्य होता गया. वह बाजार आदि भी आनेजाने लगी. उसी दौरान उस की मुलाकात दीपक उर्फ दीपू से हुई. बाद उन की फोन पर भी बात होने लगी. बातों मुलाकातों से बात आगे बढ़ते हुए प्यार तक पहुंच गई. इस के बाद तो वह दीपक के साथ मोटरसाइकिल पर घूमनेफिरने लगी.

यह काम इंद्रा के घर वालों को पता नहीं थी. उन्हें तो इस बात की चिंता होने लगी कि विधवा होने के कारण बेटी का पहाड़ सा जीवन कैसे कटेगा. वह उस के लिए लड़का तलाशने लगे.

आसोप कस्बे में एक रिश्तेदार के माध्यम से पंचाराम नाम के युवक से शादी की बात बन गई. फिर नाताप्रथा के तहत इंद्रा की पंचाराम से शादी कर दी. यह करीब 8 माह पहले की बात है.

दूसरी शादी के बाद इंद्रा ससुराल चली गई तो दीपक बुझा सा रहने लगा. उस के बिना उस का मन नहीं लग रहा था. वह कभीकभी इंद्रा से फोन पर बात कर लेता था. कुछ दिनों बाद इंद्रा आसोप से मायके आई तो वह दीपक से पहले की तरह मिलने लगी. दूसरे पति पंचाराम से ज्यादा वह दीपक को चाहती थी. क्योंकि वह उसे हर तरह से खुश रखता था.

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मार्च 2017 में दीपक के घर वालों ने अपने ही समाज की लड़की से दीपक की शादी कर दी. दीपक ने अपनी शादी की बात इंद्रा से काफी दिनों तक छिपाए रखी पर इंद्रा को किसी तरह अपने प्रेमी की शादी की बात पता चल गई. यह बात इंद्रा को ठीक नहीं लगी. तब इंद्रा ने दीपक से बातचीत कम कर दी.

जब दीपक उसे मिलने के लिए बुलाता तो वह बेमन से उस से मिलने जाती थी. अक्तूबर, 2017 के तीसरे हफ्ते में दीपक और इंद्रा की मुलाकात हुई तो इंद्रा ने कहा, ‘‘दीपू, ससुराल से पति का बुलावा आ रहा है. मैं 2-4 दिनों में ही चली जाऊंगी.’’

‘‘इंद्रा प्लीज, ऐसा मत करो. तुम चली जाओगी तो मैं तुम्हारे बिना कैसे जी पाऊंगा. याद है जब तुम शादी के बाद यहां से चली गई थी तो मेरा मन नहीं लग रहा था.’’ दीपक बोला.

‘‘मेरी दूसरी शादी हुई है. मैं पति को खोना नहीं चाहती. मुझे माफ करना. मुझे ससुराल जाना ही होगा.’’ इंद्रा ने कहा.

दीपक उसे बारबार ससुराल जाने को मना करता रहा. पर वह जाने की जिद करती रही. इसी बात पर दोनों में काफी देर तक बहस होती रही. इस के बाद दोनों ही मुंह फुला कर अपनेअपने घर चले गए.

उस रोज 27 अक्तूबर, 2017 का दिन था. मेड़ता सिटी थाने में किसी व्यक्ति ने सूचना दी कि एक युवती की अधजली लाश जोधपुर रोड पर स्थित जय गुरुदेव नगर कालोनी के सुनसान इलाके में पड़ी है. सुबहसुबह लाश मिलने की खबर से थाने में हलचल मच गई.

थानाप्रभारी अमराराम बिश्नोई पुलिस टीम के साथ सूचना में बताए पते पर पहुंच गए. घटनास्थल के आसपास भीड़ जमा थी. पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, मगर अधजले शव के पास ऐसी कोई चीज नहीं मिली जिस से मृतका की पहचान हो पाती.

थानाप्रभारी की सूचना पर सीओ राजेंद्र प्रसाद दिवाकर भी मौके पर पहुंच गए थे. उन्होंने भी मौके का निरीक्षण कर वहां खड़े लोगों से पूछताछ की. कोई भी उस शव की शिनाख्त नहीं कर सका.

नायकों की ढाणी का रहने वाला रामलाल नायक भी लाश मिलने की खबर पा कर जय गुरुदेव नगर कालोनी पहुंच गया. उस की बेटी  इंद्रा भी 26 अक्तूबर से लापता थी. झुलसी हुई लाश को वह भी नहीं पहचान सका. लाश की शिनाख्त न होने पर पुलिस ने जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

मरने वाली युवती की शिनाख्त हुए बिना जांच आगे बढ़नी संभव नहीं थी. सीओ राजेंद्र प्रसाद दिवाकर और थानाप्रभारी अमराराम बिश्नोई इस बात पर विचारविमर्श करने लगे कि लाश की शिनाख्त कैसे हो. उसी समय उन के दिमाग में आइडिया आया कि यदि मृतका के अंगूठे के निशान ले कर उन की जांच कराई जाए तो उस की पहचान हो सकती है क्योंकि आधार कार्ड बनवाते समय भी फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं. हो सकता है कि इस युवती का आधार कार्ड बना हुआ हो.

पुलिस ने आधार कार्ड मशीन में मृतका के अंगूठे का निशान लिया तो पता चला कि मृतका का आधार कार्ड बना हुआ है. इस जांच से यह पता चल गया कि मृतका का नाम इंद्रा पुत्री रामलाल नायक है. लाश की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने रामलाल नायक को सिटी थाने बुलाया और उस की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

पुलिस ने रामलाल नायक से पूछताछ की तो उस ने बताया कि इंद्रा करीब डेढ़ महीने पहले गांधी कालोनी निवासी अपने दोस्त दीपक के साथ बिना कुछ बताए कहीं चली गई थी. उन दिनों गणपति उत्सव चल रहा था. वह 7-8 दिन बाद वापस घर लौट आई थी. इस बार भी सोचा था कि उसी के साथ कहीं चली गई होगी. मगर उस का मोबाइल बंद होने के कारण उन्हें शंका हुई.

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रामलाल ने शक जताया कि इंद्रा की हत्या दीपक ने ही की होगी. रामलाल से पुलिस को पता चला कि इंद्रा के पास मोबाइल फोन रहता था जो लाश के पास नहीं मिला था. अब दीपक के मिलने पर ही मृतका के फोन के बारे में पता चल सकता था.

28 अक्तूबर को डा. बलदेव सिहाग, डा. अल्पना गुप्ता और डा. भूपेंद्र कुड़ी के 3 सदस्यीय मैडिकल बोर्ड ने इंद्रा के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम के बाद शव उस के परिजनों को सौंप दिया गया.

केस को सुलझाने के लिए सीओ राजेंद्र प्रसाद दिवाकर के नेतृत्व में एक पुलिस टीम  बनाई गई. टीम में थानाप्रभारी (मेड़ता) अमराराम बिश्नोई, थानाप्रभारी (कुचेरा) महावीर प्रसाद, हैडकांस्टेबल भंवराराम, कांस्टेबल हरदीन, सूखाराम, अकरम, अनीस, हरीश, साबिर खान और महिला कांस्टेबल लक्ष्मी को शामिल किया गया. दीपक की तलाश में पुलिस ने इधरउधर छापेमारी की. तब कहीं 5 दिन बाद पहली नवंबर, 2017 को दीपक उर्फ दीपू पुलिस के हत्थे चढ़ पाया.

पुलिस ने थाने ला कर जब उस से इंद्रा की हत्या के बारे में पूछा तो वह थोड़ी देर इधरउधर की बातें करता रहा लेकिन थोड़ी सख्ती के बाद उस ने इंद्रा की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया.

पुलिस ने उसी रोज दीपक को मेड़ता सिटी कोर्ट में पेश कर के 5 दिन के रिमांड पर ले लिया और कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में इंद्रा मर्डर की जो कहानी प्रकाश में आई वह इस प्रकार निकली.

दीपक और इंद्रा एकदूजे से बेइंतहा मोहब्बत करते थे. लेकिन उन के संबंधों में दरार तब आई जब इंद्रा को दीपक की शादी होने की जानकारी मिली. इंद्रा को दीपक की यह बात बहुत बुरी लगी कि उस ने शादी करने की बात उस से छिपाए क्यों रखी. इंद्रा को यह महसूस हुआ कि दीपक उसे छल रहा है. इसलिए उस ने दीपक से संबंध खत्म कर पति के पास जाने का फैसला कर लिया. यही बात उस ने दीपक को साफसाफ बता दी.

दीपक ने उसी रोज तय कर लिया था कि अगर इंद्रा ने ससुराल जाने का कार्यक्रम नहीं बदला तो वह उसे जान से मार डालेगा. इंद्रा को यह खबर नहीं थी कि दीपक उस की जान लेने पर आमादा है. जब 26 अक्तूबर को दीपक ने इंद्रा को फोन कर के बुलाया तो उसे पता नहीं था कि प्रेमी के रूप में उसे मौत बुला रही है.

उसे 27 अक्तूबर को ससुराल जाना था इसलिए सोचा कि जाने से पहले एक बार दीपक से मिल ले. इसलिए उस के बुलावे पर वह उस से मिलने पहुंच गई. इंद्रा ने जब उसे बताया कि वह कल ससुराल जाएगी तो दीपक ने ससुराल जाने से उसे फिर मना किया. वह नहीं मानी तो वह उसे बहलाफुसला कर मोटरसाइकिल से सातलावास डिस्काम जीएसएस पर बने कमरे में ले गया.

ससुराल जाने के मुद्दे पर फिर इंद्रा से बहस हुई. दीपक को गुस्सा आ गया. उस ने पहले से बनाई योजनानुसार इंद्रा की चुन्नी उसी के गले में लपेट कर उस की हत्या कर दी. गला घोंटने से इंद्रा की आंखें बाहर निकल गईं और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

इस के बाद उस की लाश को एक बोरे में डाला और बाइक पर रख कर उसे मेड़ता सिटी से बाहर जोधपुर रोड पर जय गुरुदेव कालोनी में सुनसान जगह पर ले गया.

इस के बाद अपनी मोटरसाइकिल से पैट्रोल निकाल कर रात के अंधेरे में लाश को आग लगा दी. उस ने सोचा कि अब शव की शिनाख्त नहीं हो पाएगी और वह बच जाएगा. लेकिन आधार मशीन पर मृतका के अंगूठे का निशान लेते ही लाश की शिनाख्त हो गई और फिर पुलिस दीपक तक पहुंच गई.

पुलिस ने दीपक की निशानदेही पर उस की बाइक भी जब्त कर ली, जो इंद्रा की लाश ठिकाने लगाने में प्रयुक्त की गई थी. पूछताछ पूरी होने पर दीपक उर्फ दीपू को 5 नवंबर, 2017 को पुन: कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. मामले की जांच थानाप्रभारी अमराराम बिश्नोई कर रहे थे. कथा लिखे जाने तक दीपक की जमानत नहीं हुई थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ये हैं दुनिया की बेहतरीन जासूसी एजेंसियां

हम ने कई फिल्मों में रा और आईएसआई के एजेंटों के बारे में देखा है. टीवी पर भी इस से संबंधित कई सीरियल आए हैं.

जैसे अनिल कपूर का मशहूर शो ‘24’ भी काफी लोकप्रिय हुआ था. इस में अनिल कपूर ने एक रा एजेंट की भूमिका निभाई थी. आज के किशोर आधुनिक तकनीकी के साथ हर चीज से अपडेट रहना चाहते हैं तो क्यों न उन्हें दुनिया की खासखास और बेहतरीन खुफिया एजेंसियों के बारे में जानकारी दी जाए.

किसी भी देश में सुरक्षा और चौकसी बनाए रखने के लिए कई तरह की सेनाओं, एजेंसियों और अन्य माध्यमों का प्रयोग किया जाता है. इन में से एक महत्त्वपूर्ण कार्य है जासूसी करना. यह काम सरकारी जासूसी एजेंसी से कराया जाता है. खुफिया एजेंसियों का काम दूसरे देशों और संगठनों में सेंध लगा कर उन की जानकारी अपने देश के लिए निकालना होता है.

यही कारण है कि हर देश अपनी सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए खुफिया एजेंसियों पर निर्भर रहता है. वह खुफिया जानकारी ही होती है, जो किसी भी वारदात को अंजाम तक पहुंचने से पहले रोक सकती हैं.

दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों के असर को काटने के लिए अपनी खुफिया एजेंसी को ज्यादा कारगर बनाना जरूरी होता है. इन एजेंसियों में काम करने वाले लोग और इन के तरीके आम लोगों को पता नहीं होते. इन का सार्वजनिक रूप से कभी खुलासा भी नहीं किया जाता. इन के काम का भी कोई सेट फार्मूला नहीं होता है. यहां कुछ खुफिया एजेंसियों के बारे में बताया जा रहा है, जिन के काम करने की शैली आम लोगों के लिए हमेशा राज ही रहती है.

रा (रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग, भारत)

खुफिया एजेंसी किसी भी देश की सुरक्षा में अपना अलग महत्त्व रखती है. रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग (रा) का गठन 1962 के भारतचीन युद्ध और 1965 के भारतपाक युद्ध के बाद तब किया गया, जब इंदिरा गांधी सरकार ने भारत की सुरक्षा की जरूरत को महसूस किया. इस की स्थापना सन 1968 में की गई थी. इसे दुनिया की ताकतवर खुफिया एजेंसी माना जाता है.

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इस पर खासतौर से विदेशी धरती से भारत के खिलाफ रची जाने वाली साजिशों, योजनाओं का पता लगाने, अपराधियों और आतंकवादियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और उस के हिसाब से देश के नीति निर्माताओं को जानकारी मुहैया कराने की जिम्मेदारी है, ताकि देश और यहां के लोगों की सुरक्षा संबंधी नीतियों को बेहतर बनाया जा सके.

इस का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है. यह एजेंसी भारत के प्रधानमंत्री के अलावा किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है. यह विदेशी मामलों, अपराधियों, आतंकियों के बारे में पूरी जानकारी रखती है. रा अपने खुफिया औपरेशंस के लिए जानी जाती है. इस ने अपनी कार्यकुशलता के जरिए कई बडे़ आतंकी हमलों को नाकाम किया है.

इस के सभी मिशन इतने सीक्रेट होते हैं कि किसी को कानोंकान खबर तक नहीं होती. यहां तक कि एजेंसी में काम करने वालों के परिजनों तक को पता नहीं होता कि वह किस मिशन पर काम कर रहा है. यह एजेंसी इतनी खुफिया है कि किसी भी अखबार को इस के बारे में छापने की अनुमति नहीं है.

आईएसआई (इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस, पाकिस्तान)

यह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी है जो आतंकवाद और उपद्रव को बढ़ाने के लिए भी बदनाम रही है. आईएसआई की स्थापना सन 1948 में की गई थी. 1950 में पूरे पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का जिम्मा आईएसआई को सौंप दिया गया था.

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इस में सेना के तीनों अंगों के अधिकारी मिल कर काम करते हैं. अमेरिका क्राइम रिपोर्ट के मुताबिक आईएसआई को सब से ताकतवर एजेंसी बताया गया था. हालांकि आईएसआई पर आए दिन आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. भारत में हुए कई आतंकी हमलों में भी आईएसआई के एजेंटों की भूमिका उजागर हो चुकी है. इस का मुख्यालय इस्लामाबाद में है.

सीआईए (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी, अमेरिका)

यह अमेरिका की बहुचर्चित खुफिया एजेंसी है. इस की स्थापना सन 1947 में तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने की थी. सीआईए 4 भागों में बंटी हुई है. इस का मुख्यालय वर्जीनिया में है. सीआईए सीधे डायरेक्टर औफ नैशनल इंटेलिजेंस को रिपोर्ट करती है. 2013 में वाशिंगटन पोस्ट ने सीआईए को सब से ज्यादा बजट वाली खुफिया एजेंसी बताया था. साइबर क्राइम, आतंकवाद रोकने समेत सीआईए देश की सुरक्षा के लिए काम करती है. कहा जाता है कि अमेरिका को सुपर पावर का दरजा सीआईए के खुफिया कार्यक्रमों की वजह से ही मिल पाया है.

वैसे भारत में ही नहीं, दुनिया के कई देशों में सीआईए की गतिविधियों को ले कर सदैव प्रश्नचिह्न लगते रहे हैं. हालांकि ओसामा बिन लादेन को मार गिराने में सीआईए की सफलता एक लंबे अरसे के बाद मिली ऐतिहासिक विजय मानी गई थी. सीआईए के पास दूसरे देशों से खुफिया जानकारी जुटाने के अलावा आतंकवाद, परमाणु हथियार और देश के बड़े नेताओं की सुरक्षा का भी जिम्मा है.

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मौजूदा समय में सीआईए के सामने आतंकवाद एक बड़ी चुनौती है. कहा जाता है कि सीआईए का बजट अरबों डौलर का होता है. इसे मिलने वाले पैसे की जानकाररी को वैसे तो गुप्त रखा जाता है पर माना जाता है कि 2017 में इस के लिए अमेरिकी सरकार ने 12.82 अरब डौलर का बजट दिया था.

एमआई-6 (मिलिट्री इंटेलिजेंस सेक्शन-6, ब्रिटेन)

जेम्स बौंड सीरीज की फिल्मों में बौंड के किरदार को इसी इंटेलिजेंस एजेंसी का सीक्रेट एजेंट बताया जाता है. अब आप समझ ही गए होंगे कि तकनीक और बहादुरी में इस का कोई मुकाबला नहीं है. इस की स्थापना सन 1909 में की गई थी. यह सब से पुरानी खुफिया एजेंसियों में से एक है. माना जाता है कि इस एजेंसी ने अपनी सेवाएं प्रथम विश्वयुद्ध में भी दी थीं और हिटलर को हराने में इस की मुख्य भूमिका थी.

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इस एजेंसी की खास बात यह भी है कि यह दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों को भी उन के मिशन में मदद करती है. इसे यूनाइटेड किंगडम की सुरक्षा का गुप्त मोर्चा भी कहा जाता है. एमआई-6 जौइंट इंटेलिजेंस, डिफेंस सरकार के साथ जानकारी साझा करने जैसे काम करती है.

एमएसएस (मिनिस्ट्री औफ स्टेट सिक्योरिटी, चीन)

यह चीन की एकलौती खुफिया एजेंसी है, जो आंतरिक और बाहरी दोनों मामलों पर नजर रखती है. इस का मुख्यालय बीजिंग में है. यह एजेंसी चीन को विश्व की गतिविधियों से अवगत कराती है. इस एजेंसी के जिम्मे काउंटर इंटेलिजेंस औपरेशंस और विदेशी खुफिया औपरेशंस को चलाना है. इस का गठन सन 1983 में हुआ था.

यह एजेंसी देश के आंतरिक मामलों में दखल बस कम्युनिस्ट पार्टी की लोकप्रियता बनाए रखने के लिए देती है. चीन जैसे कम्युनिस्ट देश में कई बार सूचनाओं पर भी प्रतिबंध लग जाते हैं.

वैसे भी यहां की कम्युनिस्ट सरकार को अगर कोई गुप्त सूचना या दुश्मन के बारे में जानना होता है तो वह एमएसएस को ही याद करती है. यह चीनी सरकार की सब से भरोसेमंद एजेंसी है. इस एजेंसी का एक ही मकसद है चीनी जनता की रक्षा और कम्युनिस्ट पार्टी का शासन बरकरार रखना.

पिछले 2 दशकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह तेजी से उभरी है. इस की खासियत यह है कि जितनी बारीकी से यह अपने देश के नागरिकों की हर गतिविधि का रिकौर्ड रखती है, उतना ही मजबूत तंत्र इस का विदेशों में भी है.

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चीन ने जिस तरह से आर्थिक क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपना दबदबा बनाया है और उस से महाशक्ति अमेरिका तक परेशान है, ठीक इसी तरह उस की खुफिया एजेंसी भी काफी मजबूत हो गई है. उस के स्लीपर सेल आज दुनिया के कोनेकोने में फैले हुए हैं.

एएसआईएस (आस्ट्रेलियन सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस, आस्ट्रेलिया)

यह आस्ट्रेलिया की खुफिया एजेंसी है. पिछले 2 दशकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह तेजी से उभरी है. इस का मुख्यालय कैनबरा में है. इस का सहयोग व्यापार और विदेशी मामलों में भी लिया जाता है. 13 मई, 1952 को इस जांच एजेंसी का गठन किया गया था. इस की इंटेलिजेंसी काफी कुशल है जो अब तक इसे अंतरराष्ट्रीय खतरों से बचाए हुए है. इस का कार्यक्षेत्र एशिया और प्रशांत महासागर के क्षेत्र हैं.

यह खुफिया एजेंसी आस्ट्रेलियाई सरकार की एक तरह से वाचडौग है और यह चौबीसों घंटे देश की सेवा में लगी रहती है. पिछले कुछ सालों में इस ने कई घरेलू और बाहरी अपराधियों को गिरफ्तार करवाया है.

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मोसाद (इजराइल)

यह खुफिया एजेंसी दुनिया की सब से बेहतरीन खुफिया एजेंसी मानी जाती है. इस एजेंसी का अरब के देशों में काफी दबदबा है. इस की स्थापना सन 1949 में की गई थी. इस के बारे में खास बात यह है कि ये अपना काम बहुत ही क्रूरता के साथ करती है.

अगर इजराइल या फिर उस के नागरिकों के खिलाफ कोई साजिश रची जा रही हो तो जानकारी मिलने पर मोसाद के खूंखार एजेंट ऐसे साजिशकर्ताओं को दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ कर मौत के घाट उतार देते हैं.

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यह दुनिया की सब से खतरनाक खुफिया एजेंसी है. कहा जाता है कि इस का कोई भी औपरेशन आज तक फेल नहीं हुआ. मोसाद मुख्यत: आतंक विरोधी औपरेशंस को अंजाम देती है और सीक्रेट औपरेशंस चलाती है, जिस का उद्देश्य देश की रक्षा करना होता है. वैसे तो मोसाद काम इजराइल में अन्य एजेंसियों के साथ मिल कर करती है, लेकिन उस की जवाबदेही केवल प्रधानमंत्री को ही है.

डीजीएसई (डायरेक्टोरेट जनरल फौर एक्सटर्नल सिक्योरिटी, फ्रांस)

इस एजेंसी को सन 1982 में बनाया गया था, जिस का मकसद फ्रांस सरकार के लिए विदेशों से खुफिया जानकारी एकत्र करना है. इस का मुख्यालय पेरिस में है. यह एजेंसी अन्य देशों की खुफिया एजेंसी से काफी अलग है. डीजीएसई सिर्फ देश के बाहरी मामलों पर नजर रखती है. इस का मुख्य काम सरकार को आईएसआई की गतिविधियों से आगाह कराना है.

यह लोकल पुलिस के साथ मिल कर भी काम करती है. इस एजेंसी के द्वारा सेना और पुलिस को रणनीति बनाने में बहुत सहयोग दिया जाता है. कुछ देशों की तरह यह एजेंसी भले ही शक्तिशाली न हो लेकिन 9/11 के बाद इस ने 15 आतंकवादी घटनाएं होने से बचाई है. संसाधनों की कमी के बावजूद इस के हजारों जासूस दुनिया भर में फैले हुए हैं.

बीएनडी (फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस, जर्मनी)

जर्मनी की बीएनडी को बेहतरीन और आधुनिक तकनीकों से लैस खुफिया एजेंसी माना जाता है. इस का मुख्यालय म्यूनिख के पास पुलाच में है. इस एजेंसी की खास बात यह है कि यह दुनिया भर की फोन काल्स पर खास नजर रहती है. इस एजेंसी के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है.

इस की निगरानी प्रणाली इतनी शानदार है कि शायद ही कोई इंटेलिजेंस एजेंसी इसे मात दे पाए. खतरे को पहले ही भांप कर यह उसे खत्म कर देती है. इस का गठन सन 1956 में हुआ था. बीएनडी योजनाबद्ध अपराध, प्रौद्योगिकी के अवैध हस्तांतरण, हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी, मनी लांड्रिंग और गैरकानूनी ढंग से देश से आनेजाने वालों का भी मूल्यांकन करती है.

समय के साथसाथ इस एजेंसी ने अपने कदम काफी आगे बढ़ा लिए हैं, इस एजेंसी की सब से बड़ी ताकत इस के जासूस होते हैं. अपने जासूसों के बल पर ही यह एजेंसी जान पाती है कि दुनिया में क्या चल रहा है. कहते हैं कि मौजूदा समय में बीएनडी के पास लगभग 4 हजार जासूसों का नेटवर्क है.

देश की सुरक्षा से संबंधित इस एजेंसी के पास बहुत से अधिकार भी हैं जैसे कि सुरक्षा की बात हो तो यह कभी भी किसी का भी फोन टेप कर सकती है. किसी की निजी जानकारी लेने पर भी वह किसी भी प्रकार की बाधा में नहीं फंसते हैं.

एफएसबी (फेडरल सिक्योरिटी सर्विस, रूस)

1995 में स्थापित एफएसबी खुफिया एजेंसी का लोहा पूरी दुनिया मानती है. इस का मुख्यालय मौस्को में है. माना जाता है कि सूचना देने और सुरक्षा पहुंचाने में एफएसबी का कोई जवाब नहीं है. खुफिया से जुड़े मामलों के अलावा एफएसबी बौर्डर से जुड़े मामलों पर भी गहरी नजर रखती है. यह गंभीर अपराधों और संघीय कानूनों के उल्लंघन की जांच भी करती है. ऐसा रूस के शीर्ष सुरक्षा बलों का मानना है.

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यूं तो पिछले कई सालों तक जब सोवियत संघ का पतन नहीं हुआ था, तब रूस में खुफिया एजेंसी केजीबी का दबदबा था और राष्ट्रपति पुतिन उस के चीफ रह चुके हैं. लेकिन एफएसबी ने पिछले कुछ सालों से आतंकवाद के खात्मे के लिए जो कार्यक्रम चलाए हैं, उस से यह रूस की नंबर एक खुफिया एजेंसी बन गई है.

इस एजेंसी ने ही रूस को एक बार फिर सुपरपावर देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बना दिया है वरना केजीबी के बंद होने के बाद रूस की परेशानी बढ़ गई थी. देश के बाहर ही नहीं, बल्कि देश में आतंकवाद की संभावित घटनाओं को रोकने के लिए यह मशहूर है.

निजी स्कूलों पर सरकारी नकेल और पेरैंटस का नजरिया

निजी स्कूलों में फीस को घटाने की मांग कुछ वैसी ही है जैसे फाइवस्टार होटल से अपने फूड मैन्यू के  रेट को कम करने के लिए कहा जाए. वोट के लिए सरकार पेरैंट्स के साथ खड़ी दिखना चाहती है. स्कूल प्रबंधक इसे इंस्पैक्टरराज की वापसी की तरह से देख रहे हैं जिस से निजी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. ऐसे में डर इस बात का है कि कहीं निजी स्कूलों का हाल भी सरकारी स्कूलों की तरह न हो जाए.

पूरे देश में अभिभावक निजी स्कूलों की बढ़ रही फीस से परेशान हैं. ऐसे में वे उसी सरकार से उम्मीद भी कर रहे हैं जिस के स्कूलों से बचाने के लिए अपने बच्चों के निजी स्कूलों में दाखिले कराए थे. अभिभावकों के एकजुट होने से सरकार ने निजी स्कूलों के लिए नियमकानून बनाने शुरू कर दिए हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश बनाया है. इस में तमाम तरह के ऐसे प्रावधान हैं जिन से स्कूल संचालक बच्चों की फीस मनमाने तरीके से बढ़ा नहीं पाएंगे. फौरीतौर पर अभिभावकों को लग रहा है कि सरकार के हस्तक्षेप से उन को राहत मिलेगी.

शिक्षा के जानकार लोगों का कहना है कि सरकारी हस्तक्षेप का प्रभाव निजी स्कूलों की गुणवत्ता पर भी पडे़गा. निजी स्कूलों में इंस्पैक्टरराज शुरू होगा, भ्रष्टाचार बढे़गा. जिस से निबटने के लिए निजी स्कूल अपनी गुणवत्ता से समझौता करेंगे. धीरेधीरे निजी स्कूलों का हाल भी सरकारी स्कूलो सा हो जाएगा.

ज्यादातर निजी स्कूलों को सरकार किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं देती है. स्कूल संचालक स्कूल प्रबंधन पर खर्च होने वाला एकएक पैसे का प्रबंध खुद करता है. उस के पास केवल फीस ही अकेला जरिया होता है जिस से वह पैसों का प्रबंध कर सकता है. स्कूल आजकल चमचमाती दुकानों की तरह हो गए हैं. अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला कराने के समय स्कूलों की गुणवत्ता से अधिक बाहरी चमकदमक देखते हैं. शायद ही कोई अभिभावक हो जिसे यह पता हो कि स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर कितने योग्य हैं.

हर अभिभावक स्कूलबस, फर्नीचर, स्विमिंग पूल, एसी और ड्रैस की खूबसूरती को देखते हैं. स्कूल बच्चों के लिए हर सुविधा जुटा दे, हर अभिभावक यही चाहता है. जब स्कूल इस के बदले फीस बढ़ाता है तो पेरैंट्स परेशान होने लगते हैं. विरोध करते समय पेरैंट्स यह भूल जाते हैं कि स्कूल भी एक तरह का बिजनैस है. जितनी सुविधाएं बढ़ेंगी, फीस भी उतनी बढे़गी. फीस अगर घटेगी तो दूसरे बिजनैस की तरह स्कूल भी सुविधाओं से समझौते करने लगेंगे.

कम फीस वाले सरकारी स्कूल

आज सरकारी स्कूलों को देखें तो बहुत सारे स्कूलों का आधारभूत ढांचा पहले से अच्छा हो गया है. वहां फीस भी कम है और किताबें, भोजन सरकारी मिलता है. निजी स्कूलों से अच्छे टीचर सरकारी स्कूलों में हैं. वे ज्यादा टैलेंटेड हैं. उन का वेतन भी ज्यादा है. पेरैंट्स वहां बच्चों को नहीं भेजना चाहते हैं. इस की बड़ी वजह यह है कि वहां उन को माहौल अच्छा नहीं दिखता है. निजी स्कूलों की व्यवस्था सरकारी स्कूलों से बेहतर है क्योंकि वहां स्कूल संचालक पूरी तरह से स्कूलों पर ही ध्यान देता है. सरकारी स्कूलों में सरकार शिक्षा सुधार की बातें तो बहुत करती है पर वह अपने स्कूलों पर नियंत्रण नहीं रख पाती है. सरकार की नीतियों और सही से स्कूलों का ख्याल न रख पाने से सरकारी स्कूल धीरेधीरे बरबाद हो गए. जबकि प्रति बच्चा खर्च सरकारी और गैरसरकारी स्कूलों में बराबर सा ही होगा. सरकारी स्कूलों के चलाने के लिए मंत्रालय तक का खर्च जोड़ना होगा.

सरकारी स्कूलों को छोड़ कर निजी क्षेत्र के स्कूलों में बच्चों का दाखिला पेरैंट्स ने इसी कारण कराना शुरू किया था क्योंकि ये बेहतर थे. यहां पर बच्चों को पढ़ाना एक तरह से सफलता की गांरटी मानी जाने लगी है. धीरेधीरे निजी स्कूलों में अब पढ़ाई का स्तर गिरने लगा है. वहां भी बच्चे अब सही से पढ़ नहीं पा रहे हैं.

स्कूलों में आपराधिक घटनाएं भी होने लगी हैं. ऐसे में सरकारी नियंत्रण में रहने के कारण अब निजी स्कूलों की दशा भी खराब हो सकती है. स्कूल प्रबंधक मानते हैं कि हर स्कूल अपनी तरह से सुविधाएं जुटाता है. हर सुविधा के लिए बजट का प्रबंध करना पड़ता है, ऐसे में अगर स्कूलों पर नकेल कसी गई तो परेशानी हो सकती है. स्कूलों की गुणवत्ता खराब हो सकती है.

सरकारी हस्तक्षेप

शिक्षा अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों का प्रवेश प्राइवेट स्कूलों में सरकार कराती है. इस की फीस सरकार देती है. निजी स्कूलों के प्रबंधक बताते हैं कि शिक्षा अधिकार कानून के तहत जिन बच्चों का प्रवेश सरकार ने कराया है, उन की फीस समय पर स्कूल में नहीं जमा होती. यही कारण है कि निजी स्कूल इस कानून के तहत बच्चों का प्रवेश अपने यहां करने से बचते हैं. ऐसे में सरकार उस प्राइवेट स्कूल में बच्चों को भेज देती है जहां बच्चे नहीं होते हैं. अगर सरकार सही तरह से योजना का संचालन करे तो ही जरूरतमंद बच्चों को लाभ होगा वरना यह योजना मजाक बन कर रह गई है.’’ निजी स्कूलों की फीस हर साल अलगअलग तरह से बढ़ती है. इस में 8 से 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की जाती है. निजी स्कूलों के अपने अलग तर्क हैं.

स्कूल प्रबंधन कहता है कि लगातार महंगाई बढ़ रही है. स्कूलों में काम करने वालों का वेतन बढ़ रहा है. ऐसे में स्कूल प्रबंधन अपने खर्च कैसे निकाले? अभिभावक फीस कम करने की बात तो करते हैं पर सुविधाओं में एक भी कटौती नहीं चाहते. वे स्कूलबस से ले कर क्लास तक पूरी तरह से फिट चाहते हैं.

स्विमिंग पूल, प्लेग्राउंड, स्मार्टक्लास और साफसुथरा बाथरूम सभी को चाहिए. एक भी शिकायत होने पर पेरैंट्स हंगामा खड़ा कर देते हैं. जहां स्कूल प्रबंधन की गलती नहीं होती वहां भी वे उसी को जिम्मेदार ठहराते हैं.  ऐसे में स्कूलों के लिए अच्छी व्यवस्था करना संभव नहीं रह जाता. ऐसे में गुणवत्ता के साथ समझौता करने का प्रभाव स्कूल पर पडे़गा. पेरैंट्स देरसवेर इस बात को समझेंगे.

यह बात सच है कि कुछ स्कूल कौपी, किताब और ड्रैस तक स्कूलों से ही बेचने लगे हैं. इस के लिए मुख्यरूप से जिम्मेदारी पेरैंट्स की है जिन्हें लगता है कि सरकार के हस्तक्षेप से सब सरल हो सकता है. सरकार अगर खुद में ही इतना सक्षम होती तो उस के स्कूल खराब क्यों होते? जो सरकार लगातार प्रयास के बाद भी अपने स्कूलों में सुधार नहीं कर पा रही, वह निजी स्कूलों को केवल परेशान कर सकती है, उन में सुधार नहीं.

कुंडलियों में नहीं, इन बातों में छिपा है सुखी वैवाहिक जीवन का राज

पिछले साल एक समाचार ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया जब बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लालू यादव (अब चारा घोटाले में कैद) के बेटे तेजप्रताप के लिए दुलहन ढूंढ़ने हेतु 3 शर्तें रख डालीं.

पहली शर्त यह कि वे अपनी शादी में दहेज नहीं लेंगे, दूसरी वे अंगदान करने का संकल्प लें और तीसरी यह कि भविष्य में किसी की भी शादी में तोड़फोड़ करने की धमकी नहीं देंगे.

गौरतलब है कि गत वर्ष के आखिर में सुशील मोदी के बेटे उत्कर्ष तथागत की शादी संपन्न हुई थी. दूसरे नेताओं और अन्य नामचीन लोगों के मुकाबले शादी सादगी से निबटाई गई. बिना बैंडबाजे और भोज वाली इस शादी में मेहमानों को ई निमंत्रण कार्ड से आमंत्रित किया गया था. मेहमानों से अपील की गई थी कि वे कोई गिफ्ट या लिफाफा ले कर न आएं. समारोह स्थल पर केवल चाय और पानी के स्टौल लगाए गए थे. यद्यपि तेजप्रताप ने पहले इस शादी में घुस कर तोड़फोड़ की धमकी दी थी पर बाद में उस ने पासा पलटा और दुलहन खोजने की बात कर दी.

तेजप्रताप की दुलहन खोजने हेतु सुशील मोदी द्वारा रखी गई शर्तें काबिलेगौर होने के बावजूद अधूरी हैं. कई और ऐसी महत्त्वपूर्ण बातें भी हैं, जिन के लिए शादी से पूर्व युवा लड़केलड़कियों और उन के परिवार वालों को राजी करवाना जरूरी होना चाहिए.

शादी में फुजूलखर्ची क्यों

हम शादियों में सजावट, बैंडबाजे, डीजे, रीतिरिवाजों और मेहमानों के स्वागतसत्कार में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं. कईकई दिनों तक रीतिरिवाज चलते रहते हैं. पंडित और धर्म के तथाकथित ठेकेदारों की चांदी हो जाती है. वे मोटी रकम ऐंठते हैं. सजावट में लाखों रुपए बरबाद कर दिए जाते हैं. मेहमानों को तरहतरह के गिफ्ट दिए जाते हैं और कईकई दिनों तक उन के ठहरने के इंतजाम पर भी काफी रुपए बहा दिए जाते हैं. सीमित आय वाले परिवार बेटी की शादी में अच्छेखासे कर्ज में डूब जाते हैं. जहां तक संपन्न वर्ग, बड़े बिजनैसमैन्स और राजनेताओं का सवाल है, तो उन में दूसरों से बेहतर करने की होड़ लगी रहती है.

बीजेपी के पूर्व नेता जनार्दन रेड्डी (जिन्होंने गैरकानूनी माइनिंग के एक मामले में करीब 40 महीने जेल की सजा काटी) ने अपनी बेटी की शादी में कई सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए.

नवंबर, 2016 में संपन्न इस शादी में 40-50 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया था. पांचसितारा होटलों में 1,500 कमरे बुक हुए. हैलिकौप्टर उतरने के लिए 15 हैलीपैड बनाए गए. विवाहस्थल की सुरक्षा हेतु 3 हजार सुरक्षा गार्ड लगाए गए. बौलीवुड के आर्ट डाइरैक्टर्स ने विजयनगर स्टाइल के मंदिरों के कई भव्य सैट तैयार किए. दुलहन ने क्व17 करोड़ की साड़ी पहनी.

खास बात यह थी कि जिस वक्त बैंगलुरु में रेड्डी 5 दिनों तक भव्य समारोह कर रहे थे उस समय देश की आम जनता नोटबंदी की वजह से एटीएम और बैंकों के बाहर लंबीलंबी कतारों से जूझ रही थी.

शादियों में बेहिसाब खर्च किसी एक नेता ने किया हो, ऐसा नहीं है. ज्यादातर नेताओं, अमीर बिजनैसमैन्स व सैलिब्रिटीज के घरों की शादियां यों ही संपन्न होती हैं.

मगर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के लासूर में एक व्यापारी ने लोगों के लिए मिसाल कायम की. उन्होंने फुजूलखर्ची करने के बजाए उन रुपयों से गरीबों के लिए घर बनवा दिए.

महाराष्ट्र के अजय भुनोत की बेटी श्रेया की शादी 16 दिसंबर, 2016 को बिजनैसमैन मनोज जैन के बेटे के साथ तय हुई. दोनों परिवार आर्थिक रूप से संपन्न थे पर इस शादी को यादगार बनाने के लिए उन्होंने शोशेबाजी करने के बजाय गरीबों की मदद का मार्ग चुना.

शादी का खर्च बचा कर उन्होंने डेढ़ करोड़ रुपए में 2 एकड़ जमीन पर 90 मकान बनवाए और फिर शादी वाले दिन उन मकानों को आसपास के गरीब परिवारों को तोहफे के रूप में बांट कर अपनी खुशियों में उन्हें भी शरीक कर लिया.

जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न हैं वे वाकई इस तरह अपने साथ दूसरों की जिंदगी में भी खुशियां भर सकते हैं. मगर आम जनता जिस के पास बहुत रुपए नहीं वह भी दिखावे के चक्कर में फुजूलखर्ची करने से बाज नहीं आती.

क्यों न इस तरह रुपए बरबाद करने के बजाय उन रुपयों की एफडी बना कर लड़के/लड़की के नाम जमा कर दी जाए जो उन के सुरक्षित भविष्य की वजह बने. जिंदगी में ऊंचनीच होने पर आप की यह समझदारी उन्हें हौसला देगी.

कुंडलियां नहीं हैल्थ रिपोर्ट मिलाएं

शादी में अमूमन लोग कुंडलियों और ग्रहनक्षत्रों का मिलान करते हैं. लड़केलड़की के 36 में से कम से कम 30-32 गुण भी मिल रहे हैं या नहीं, लड़की पर राहू या शनि की दशा तो नहीं चल रही, लड़की मंगली तो नहीं जैसे बेमतलब की बातों में उलझ कर पंडितों की जेबें गरम करते रहते हैं. पंडित अपनी मरजी से ग्रहनक्षत्रों के फेर बता कर लोगों से भरपूर माल लूटते रहते हैं.

पर क्या आप ने सोचा है कि आए दिन बीमारियां, कलह, संतानप्राप्ति में बाधा, तलाक जैसी परेशानियों से जूझ रहे युगल कुंडलियां मिलाने के बावजूद सुखशांति से क्यों नहीं जी पा रहे?

दरअसल, इस की वजह यह है कि हम धर्म के नाम पर ठगने वाले मौलवियों और पंडेपुजारियों के झांसे में तो आ जाते हैं पर स्वस्थ, सुखी और तनावरहित जिंदगी के लिए वास्तव में जो जरूरी है उसे नहीं समझ पाते. शादी के बंधन में बंधने से पहले कुछ मैडिकल टैस्ट आप को और आप के होने वाले बच्चे को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकते हैं.

इस संदर्भ में 3 एच केयर डौट इन की फाउंडर ऐंड सीईओ डा. रूचि गुप्ता ने कुछ जरूरी मैडिकल टैस्ट के बारे में बताया:

आरएच इनकमपैटिबिलिटी (आरएच असंगति): अधिकतर लोग आरएच पौजिटिव होते हैं, लेकिन जनसंख्या का एक छोटा सा हिस्सा (करीब 15%) आरएच नैगेटिव होता है. आरएच फैक्टर लाल रक्त कणिकाओं पर लगा एक प्रोटीन होता है. अगर आप में आरएच फैक्टर है तो आप आरएच पौजिटिव हैं. अगर नहीं है तो आरएच नैगेटिव हैं. वैसे आरएच फैक्टर हमारे सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है. लेकिन अगर मां और बच्चे का आरएच फैक्टर अलगअलग होगा तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है. यह घातक भी हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि शादी से पहले आरएच फैक्टर की जांच करा ली जाए. अलगअलग आरएच फैक्टर्स वालों को आपस में शादी न करने की सलाह दी जाती है.

थैलेसीमिया की जांच: शादी से पहले थैलेसीमिया ट्रेट की जांच भी करा लें. भारत में करीब 6 करोड़ लोगों के थैलेसीमिया ट्रेट हैं. चूंकि इस ट्रेट का उन पर प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिए अधिकतर लोग इस के बारे में नहीं जानते. यदि वे 2 लोग जिन में थैलेसीमिया ट्रेट है विवाह कर लेते हैं तो उन के बच्चों में खतरनाक थैलेसीमिया मेजर डिसीज होने की आशंका 25% तक होती है. इस की जांच साधारण ब्लड टैस्ट से हो जाती है और यह सुनिश्चित हो जाता है कि आप थैलेसीमिया ट्रेट के वाहक तो नहीं हैं?

एचआईवी ऐंड अदर सैक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीजेज टैस्ट: एचआईवी, हैपेटाइटिस बी और सी ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो जीवन भर चलती हैं. अगर सही इलाज न हो तो वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है. आप को अपने जीवनसाथी के मैडिकल स्टेटस के बारे में शादी से पहले ही पता चल जाएगा तो आप के लिए यह निर्णय लेना आसान होगा कि आप विवाहबंधन में बंधना चाहते हैं या नहीं.

ओवेरियन सिस्ट: अगर लड़की को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो या पीरियड्स अनियमित हों तो वह ओवेरियन सिस्ट का टैस्ट जरूर करा ले. अगर सामान्य पेल्विक परीक्षण के दौरान सिस्ट का पता चलता है तो सिस्ट के बारे में डिटेल पता लगाने के लिए एबडोमिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है. सिस्ट की वजह से गर्भधारण में भी कठिनाई आ सकती है.

क्रोनिक डिसऔर्डर टेस्ट: इन जांचों के द्वारा जल्द ही विवाह बंधन में बंधने वाले युगल अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीर होने और अपने वैवाहिक जीवन को तनावपूर्ण होने से बचा सकते हैं.

साइकोलौजिकल टैस्ट: आज के हालात देखते हुए साइकोलौजिकल टैस्ट भी बहुत जरूरी हो गए हैं. इन में सिजोफ्रैनिया, डिप्रैशन, पर्सनैलिटी डिसऔर्डर, बाई पोलर डिसऔर्डर आदि की जांच की जाती है.

कोई राज न हो दरमियां

शादी एक ऐसा बंधन है, जिस में किसी भी तरह के राज या दुरावछिपाव के लिए कोई जगह नहीं होती. 2 व्यक्ति एकदूसरे के पूरक और राजदार बन जाते हैं. मगर जब भी इन के बीच कोई राज सामने आता है तो रिश्तों में कड़वाहट पैदा होनी शुरू हो जाती है. पतिपत्नी के अवैध सबंध, कोई गंभीर बीमारी, शारीरिक अक्षमता या जौब के बारे में दी गई गलत जानकारी इस तरह के विवादों की जड़ बनती है और बात मरनेमारने तक पहुंच जाती है.

क्या यह बेहतर नहीं कि लड़केलड़कियां शादी से पहले ही यह संकल्प ले लें कि वे कभी अपने जीवनसाथी से कोई राज छिपा कर नहीं रखेंगे.

शादी करते वक्त सामान्य रूप से लड़के वाले इस बात का ध्यान जरूर रखते हैं कि जिस परिवार से उन का रिश्ता जुड़ रहा है वह समृद्ध हो, उन की टक्कर का हो. लड़की में किसी तरह का दोष न हो वगैरह.

लड़की भले ही दलित वर्ग की हो, अपंग हो या उस के साथ कोई हादसा हो चुका हो उस के अंदर यदि एक योग्य जीवनसाथी बनने की क्षमता है, जीने का जज्बा है तो क्या वह सहज स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए?

दुलहन ढूंढ़ते वक्त क्या लड़के से यह संकल्प नहीं कराना चाहिए कि वह लड़की की फिजीक, सुंदरता, रंग, जाति या आकर्षण देखने के बजाए उस की भीतरी खूबसूरती देखेगा.

सोच मिलनी जरूरी

शादी के बाद अकसर रिश्ते टूटते हैं, क्योंकि पतिपत्नी का नजरिया आपस में नहीं मिलता. शादी से पहले ही एकदूसरे को पूरी तरह समझने और अपने सपनों को डिसकस करने का प्रयास जरूर करें. लड़कों को यह संकल्प दिलाना भी जरूरी है कि वे आने वाले समय में अपनी बीवी के सपनों को भी तरजीह देंगे, पत्नी की भावनाओ को समझेंगे. जब भी मौका मिले पत्नी के कैरियर, सपनों के लिए स्वयं कुरबानी देने से भी हिचकेंगे नहीं. दोनों समान रूप से घरपरिवार और आपसी रिश्तों को संभालने के लिए जिम्मेदार होंगे.

इस आसान तरीकों को अपनाकर बढ़ाएं स्मार्टफोन, टैबलेट या फिर लैपटौप की बैटरी लाइफ

आप भी स्मार्टफोन, टैबलेट या फिर लैपटौप का इस्तेमाल करते होंगे. लेकिन अगर आप इसके बैटरी लाइफ से परेशान है तो आप हम आपक लिए ऐसे टिप्स लेकर आएं हैं, जो आपके डिवाइस की बैटरी लाइफ बढ़ाने में आपकी मदद करेंगे. तो देर किस बात की आइए जानते हैं इन खास टिप्स के बारें में.

तापमान का रखें ध्यान    

बैटरी को ऊंचे तापमान में इस्तेमाल करना, इसकी साइकलिंग से भी ज्यादा परेशान करने वाला हो सकता है. कम तापमान (30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान को ज्यादा माना जाता है) में डिवाइस का इस्तेमाल करने से उसकी लाइफ साइकल बेहतर होगी. टेस्टिंग में पाया गया है कि तीन महीने के लिए बैटरी को 60 डिग्री तापमान में इस्तेमाल करने पर परफौर्मेंस 60 फीसदी तक पहुंच जाती है और 40 डिग्री तापमान में परफौर्मेंस 65 फीसदी पर. लैपटौप में कूलिंग पैड का इस्तेमाल करें ताकि सीपीयू वेंट से गर्म हवा आसानी से निकल जाए.

मुफ्त ऐप से बचें, ऐप्स खरीदना शुरू करें

अध्ययन के मुताबिक विज्ञापन के साथ आने वाले ऐप्स आपके डिवाइस की बैटरी लाइफ औसतन 2.5 से 2.1 घंटे तक कम कर सकते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी फ्री ऐप्स आपकी बैटरी पर असर डाल रहे हैं, लेकिन अगर आपको उस पर कोई विज्ञापन नजर आए तो समझ लीजिए कि यह बैंडविथ और प्रोसेसर पर असर डालेगा ही डालेगा. ऐसे में आपके ले यही सही है कि मुफ्त के ऐप्स की बजाय ऐप्स को खरीदना शुरू करें.

लोकेशन ट्रैकिंग बंद कर दें

हाल ही में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फेसबुक ऐप आईफोन की बैटरी को जल्दी खत्म कर देता है क्योंकि यह बार-बार जीपीएस मौड्यूल का इस्तेमाल करके यूजर की लोकेशन के ट्रैक करता रहता है. ऐसे में जिन ऐप को आपके लोकेशन की जरूरत नहीं है, उनके लोकेशन ट्रैकिंग को आफ कर देना ही बेहतर है.

पूरी तरह से चार्ज करने से बेहतर है थोड़ा-थोड़ा चार्ज करें

बैटरी को 100 फीसदी से सीधे ले जाकर शून्य पर खत्म करने से बेहतर है कि आप इसे 50 फीसदी तक ही डिस्चार्ज होने दें. 30 से 80 फीसदी के बीच का क्रम बनाए रखें. ऐसा करने से आपके बैटरी की डिस्चार्ज साइकिल तीन गुनी बढ़ जाएगी.

इसके अलावा अगर आप इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर कर रहे हैं तो वाई-फाई का कनेक्शन आफ कर दें. अपने फोन, लैपटौप डिस्प्ले की ब्राइटनेस कम करें, लो पावर मोड को आन करें और फ्लाइट मोड का इस्तेमाल करें. इससे आपको इस समस्या से जल्द ही राहत मिलगी और बैटरी लाइफ पर असर पड़ेगा. इन सुझावों का पालन करने पर आप पाएंगे कि आपका फोन पहले की तुलना में ज्यादा बेहतर बैटरी लाइफ दे रहा है.

VIDEO : हॉलीवुड सेलेब्रिटी सिंगर सेलेना गोमेज़ लुक

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

वीडियो : दिशा पटानी ने अपने जबरदस्त मूव्स से डांस फ्लोर पर लगाई आग

बौलीवुड आदाकारा दिशा पटानी इन दिनों अपनी फिल्म ‘बागी 2’ की सफलता को एन्जाय कर रही हैं. टाइगर श्रौफ और दिशा स्टारर एक्शन से भरपूर इस फिल्म को काफी पसंद किया गया था. साल 2018 की सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्मों में शामिल ‘बागी 2’ की अभिनेत्री दिशा ने अपना एक शानदार वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसे लेकर वो सुर्खियों में आ गई हैं. इस वीडियो में वह कोरियोग्राफर के साथ मदमस्त होकर डांस करती दिखाई दे रही हैं.

वीडियो में दिशा रीमिक्स गाने पर लौकिंग करती दिखाई दे रही हैं. कोरियोग्राफर के साथ उनकी ट्यूनिंग साफ देखी जा सकती है. खास बात यह हैं कुछ ही घंटे पहले पोस्ट किया गया दिशा का ये वीडियो बड़ी ही तेजी से वायरल हो रहा हैं. इस वीडियो को अब तक 11 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.

हालांकि ये पहली बार नहीं हैं इससे पहले भी दिशा कई बार अपने लाजवाब डांस का जलवा दिखा चुकी हैं. उनके डांस का वीडियो अक्सर हा सोशल मीडिया पर वायरल होता रहता है.

बता दें कि दिशा पटानी ने अपने करियर की शुरुआत साल 2015 में तेलुगु फिल्म ‘लोफर’ से की थी. साल 2016 में आई ‘एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ उनकी पहली बौलीवुड फिल्म थी. 2017 में उनकी पहली हौलीवुड फिल्म ‘कुंग फू योगा’ रिलीज हुई. 2018 में ‘बागी 2’ के बाद अदाकारा ‘संघमित्रा’ में नजर आएंगी.

VIDEO : हॉलीवुड सेलेब्रिटी सिंगर सेलेना गोमेज़ लुक

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कोलकाता – चेन्नई मैच से पहले बाहर हो सकते हैं नितीश राणा

गुरुवार को यानि आज आईपीएल के सीजन 11 के 33वें मैच में मेजबान कोलकाता के सामने चेन्नई जैसी ताकतवर टीम को हरा कर पलेऔफ में अपना दावा मजबूत करने की चुनौती है. कोलकाता की टीम अपने घर ईडन गार्डन्स स्टेडियम में खेल रही है लेकिन उसके लिए पाइंट टेबल में टौप पर काबिज महेंद्र सिंह धोनी की  चेन्नई को रोकना आसान नही होने वाला है. वहीं दो साल बाद वापसी करने वाली चेन्नई की टीम ने अपने तूफानी प्रदर्शन से सभी टीमो के लिए कड़ी चुनौती पेश की है और उसे हराना किसी भी टीम के लिए मुश्किल काम ही है.

वैसे तो दिनेश कार्तिक की अगुवाई में कोलकाता की टीम भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है लेकिन कई मैचों में उस नजदीकी हार का सामना करना पड़ा है. कोलकाता ने अपने पिछले मैच में रौयल चैलेंजर्स बेंगलोर को हराने का बाद टीम के हौसला बढ़ गया है. टीम की बल्लेबाजी मजबूत है. बेंगलुरु के खिलाफ पिछले मैच में सफल रहे लिन को रोकना चेन्नई के लिए आसान नहीं होगा. लिन के अलावा सुनील नरेन भी ताबड़तोड़ पारी खेलने में सक्षम हैं और फौर्म में चल रहे हैं. इनके अलावा कप्तान दिनेश कार्तिक और उप-कप्तान रोबिन उथप्पा भी अच्छी फौर्म में हैं.

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नितीश के खेलने पर संदेह के बादल

वहीं कोलकाता के मध्यक्रम के बल्लेबाज नितीश राणा पीठ दर्द से परेशान है जिससे उनका गुरुवार को चेन्नई के खिलाफ मैच में खेलना निश्चित नहीं है. राणा ने बुधवार को अभ्यास सत्र में हिस्सा नहीं लिया. केकेआर टीम के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘उनकी पीठ के निचले हिस्से में दर्द है. अब गुरुवार को ही उनके बारे में फैसला होगा.’’

बेंगलुरु के खिलाफ रिटायर्ड हर्ट हुए थे नितीश

नितीश बेंगलुरु के खिलाफ हुए मैच में जब 10 गेंदों पर 15 रन बना कर खेल रहे थे, तभी उनकी पीठ में तकलीफ होने की वजह से उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा था. राणा ने अब तक आठ मैचों में 31.33 की औसत से 188 रन बनाये हैं तथा उन्हें दो बार मैन औफ द मैच चुना गया. उनकी कामचलाऊ औफ स्पिन भी कारगर साबित हुई है.

कोलकाता के मुख्य कोच जाक कैलिस भी कह चुके हैं कि हरफनमौला नितीश राणा का समर्थन करने का फायदा अब टीम को हो रहा है. राणा नये रंग में ढले कोलकाता की बल्लेबाजी की रीढ़ की हड्डी हैं और वह पार्ट टाइम औफ स्पिन गेंदबाजी भी करते हैं. नितीश राणा ने आईपीएल के इस सीजन में शानदार प्रदर्शन करते हुए दो बार मैन औफ द मैच का खिताब अपने नाम किया है. राणा ने गेंदबाजी में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है.

नितीश का बल्ला चलना मतलब कोलकाता की जीत तय

इस आईपीएल में जब भी नीतिश का बल्ला चला है उनकी टीम जीती ही है. राजस्थान के खिलाफ नितीश राणा ने शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं. अब तक आठ मैचों में नितीश ने पहले मैच में बेंगलुरु के खिलाफ 25 गेंदों पर 34 रन, दूसरे मैच में चेन्नई के खिलाफ 14 गेंद पर 16 रन, हैदराबाद के खिलाफ 16 गेंदों में 18 रन, दिल्ली के खिलाफ 35 गेंदों पर 59 रन, राजस्थान के खिलाफ 27 गेंदों में नाबाद 35 रन, पंजाब के खिलाफ 5 गेंद पर 3 रन, दिल्ली के खिलाफ 7 गेंदों में 8 रन, 10 गेंदों में 15 रन बनाए हैं. अभी तक जिस मैच में भी नितीश का बल्ला चला है, उनकी टीम मैच जीती है.

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करीना नहीं मैं सलमान के ज्यादा करीब हूं : करिश्मा कपूर

90 के दशक में सलमान खान और करिश्मा कपूर की जोड़ी सबसे सुपरहिट जोड़ी में से एक थी. उस समय इस जोड़ी ने चल मेरे भाई, दुल्हन हम ले जाएंगे, जुड़वा, जीत, अंदाज अपना अपना, बीवी नंबर 1 जैसी सुपरहिट फिल्में दी थीं. अब आज के समय में सलमान करीना के साथ बजरंगी भाईजान और बौडीगार्ड जैसी ब्लौकबस्टर फिल्में दे रहे हैं. इस अंतर पर बात करते हुए करिश्मा कपूर ने सलमान खान, करीना कपूर खान और अपने रिश्तों को लेकर कुछ ऐसा बयान दे दिया है, जिसे सुनकर करीना भी हैरान और परेशान हो सकती हैं. करिश्मा का कहना है कि भले ही सलमान करीना के साथ फिल्में करते हैं लेकिन फिर भी वो मेरे ज्यादा करीब हैं.

आपकी जानकारी के ले बता दें कि हाल ही में करिश्मा रियलिटी शो ‘एंटरटेंमेंट की रात-लिमिटेड एडिशन’ में पहुंचीं. जज के तौर पर पहुंची करिश्मा ने सलमान के साथ अपने रिश्तों को लेकर ढेर सारी बातें की. इस दौरान उन्होंने बताया कि करीना नहीं बल्कि सलमान उनके ज्यादा करीबी हैं. इस बात को जानकर हर कोई हैरान रह गया.  करिश्मा ने कहा, भले ही अब सलमान करीना के साथ फिल्में करते हैं लेकिन फिर भी करीना की तुलना में वो मेरे ज्यादा करीब हैं. हमारी दोस्ती लंबे समय से है. उसे करीना अभी भी बच्ची ही लगती है और वो उसे वैसा ही मानते हैं.

खास बात यह है कि करीना, सलमान के साथ ‘बौडीगार्ड’ और ‘बजरंगी भाईजान’ में काम कर चुकी हैं. करिश्मा ने फिल्म ‘बौडीगार्ड’ के बारें मे बात करते हुए कहा, मैंने बौडीगार्ड फिल्म में छाया को आवाज दी थी. वह मेरी आवाज थी जो फिल्म में सलमान के चरित्र बौडीगार्ड को परेशान करती थी. अब वह किस तरह की फिल्म करना चाहेंगी, इस पर करिश्मा ने कहा, सभी नंबर 1 नाम की फिल्मों में काम करने के बाद, मैं मम्मी नंबर 1 का हिस्सा बनना चाहूंगी, अगर इसे कोई बनाता है तो, मैं चाहती हूं कि यह फिल्म मां के अलग-अलग रूपों की व्याख्या करें, मैं इसका हिस्सा बनकर खुशी महसूस करूंगी.

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