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कोई आपका फोन ट्रैक तो नहीं कर रहा, ऐसे लगाएं फ्री में पता

अगर आपका नंबर अक्सर बिजी आता है, कई बार कौल ही नहीं लगता या फिर आपके नंबर पर कोई कौल करता है और फोन पहुंच से बाहर बताता है तो हो सकता है कि कोई आपका मोबाइल नंबर ट्रैक कर रहा हो. आज हम आपको 4 USSD कोड बता रहे हैं जिनकी मदद से आप यह पता कर सकते हैं कि कहीं आपका फोन ट्रैक तो नहीं हो रहा है?

कोड *#62#

कई बार आपका नंबर no-service या no-answer बोलता है. ऐसे में कोड *#62# को आप अपने फोन में डायल कर पता लगा सकते हैं कि आपका फोन किसी दूसरे नंबर पर री-डायरेक्ट किया गया है या नहीं. कई बार आपका नंबर आपरेटर के नंबर पर री-डायरेक्ट हो जाता है.

कोड *#21#

अपने एंड्रायड फोन में कोड *#21# को डायल करके आप यह जान सकते हैं कि आपके मैसेज, कौल या कोई और डाटा को कहीं दूसरी जगह डायवर्ट तो नहीं किया जा रहा है. अगर आपका कौल कहीं डायवर्ट किया जा रहा होगा तो इस कोड की मदद से नंबर सहित पूरा डिटेल आपको मिल जाएगा.

कोड *#*#4636#*#

कोड *#*#4636#*# की मदद से आप अपने फोन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. जैसे- फोन में कौन सी बैटरी है, वाई-फाई कनेक्शन टेस्ट, फोन का मौडल, रैम इत्यादि. बता दें कि इन कोड को डायल करने पर आपके पैसे नहीं कटेंगे.

कोड ##002#

कोड ##002# की मदद से आप किसी भी फोन के सभी फौरवर्डिंग को डी-एक्टिव कर सकते हैं.

तेल के दाम सस्ते करने के लिये सरकार को करना होगा यह काम

पेट्रोल-डीजल अपने रिकौर्ड स्तर पर हैं, आम जनता त्रस्त है. लेकिन, सरकार किसी भी तरीके से इसे सस्ता करने की कोशिश नहीं कर रही है. पेट्रोलियम मंत्री कई बार बयान दे चुके हैं कि जल्द ही इस पर राहत मिलेगी. लेकिन, अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद फिलहाल कम है. लेकिन, अगर सरकार चाहे तो पेट्रोल-डीजल 32 फीसदी तक सस्ता हो सकता है. लेकिन, इसका सिर्फ एक ही तरीका है कि मौजूदा सभी टैक्सों को खत्म करते हुए पेट्रोल-डीजल व अन्य पेट्रोलियम पदार्थों को गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी GST के दायरे में लाया जाए.

क्या है पेट्रोल का मौजूदा रेट

  • रिफाइनिंग के बाद डीलर को बेचे गए पेट्रोल की कीमत: 38.17 रुपए प्रति लीटर
  • एक्साइज ड्यूटी: 19.48 रुपए प्रति लीटर
  • वैट: 16.55 रुपए प्रति लीटर
  • डीलर कमीशन: 3.63 रुपए प्रति लीटर
  • कुल कीमत: 77.83 रुपए प्रति लीटर

GST लगने पर क्या होगा भाव

  • रिफाइनिंग के बाद डीलर को बेचे गए पेट्रोल की कीमत: 38.17 रुपए प्रति लीटर
  • 28% का अधिकतम GST लगने पर: 10.68 रुपए प्रति लीटर
  • डीलर कमीशन: 3.63 रुपए प्रति लीटर
  • कुल कीमत: 52.48 रुपए प्रति लीटर

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कितनी बढ़ गई एक्साइज ड्यूटी

एक्साइज ड्यूटी की वजह से भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ा इजाफा हुआ है. हालांकि, सरकार इसे घटाने को तैयार नहीं हैं. क्योंकि, इससे सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा. लेकिन, पिछले चार साल की बात करें तो अप्रैल 2014 में पेट्रोल पर कुल एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए प्रति लीटर थी. वहीं, मई 2018 में यह 19.48 रुपए प्रति लीटर है. देखा जाए तो 4 साल में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 105% की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, डीजल की बात करें तो इस पर अप्रैल 2014 में एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपए प्रति लीटर थी. मई 2018 में यह 330 फीसदी बढ़कर 15.33 रुपए प्रति लीटर पहुंच गई है. अगर इसे खत्म किया जाए तो पेट्रोल-डीजल पर बड़ी राहत मिल सकती है.

एक्साइज ड्यूटी घटाने से नहीं बनेगी बात

पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती की मांग हो रही है. लेकिन, एक्साइज घटाने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत नहीं मिलेगी. क्योंकि, तेल कंपनियां रोजाना दाम तय करती हैं. 2 रुपए तक एक्साइज ड्यूटी में कटौती हो भी जाए तो एक हफ्ते में रिवाइज्ड कीमतों से यह फिर वहीं पहुंच जाएंगी. ऐसे में सिर्फ एक्साइज ड्यूटी घटाने से बात नहीं बनेगी.

कंपनियों पर लगे टैक्स

सरकार तेल उत्पादक कंपनियों पर विंडफौल टैक्स लगा सकती है. सरकार तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी पर विंडफौल टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है. इससे पेट्रोल-डीजल के दाम में दो रुपए तक की कटौती संभव है. भारतीय तेल उत्पादक कंपनियों के लिए कच्चे तेल की कीमत 70 डौलर प्रति बैरल तक सीमित की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो भारतीय औयल फील्ड से तेल निकाल कर उसे अंतरराष्ट्रीय दरों पर बेचने वाली तेल उत्पादक कंपनियां अगर 70 डौलर प्रति बैरेल की दर से ज्यादा पर पेट्रोल बेचती हैं, तो उन्हें आमदनी का कुछ हिस्सा सरकार को देना होगा.

क्या है विंडफौल टैक्स

विंडफौल टैक्‍स एक तरह का विशेष तेल टैक्‍स है. इससे मिलने वाले रेवेन्‍यू का फायदा फ्यूल रिटेलर्स को दिया जाएगा, जिससे वह कीमतों में बढ़ोत्‍तरी को अब्‍जौर्ब कर सके. कंज्‍यूमर को तत्‍काल राहत देने के लिए सरकार विंडफौल टैक्‍स लगा सकती है. विंडफौल टैक्‍स दुनिया के कुछ विकसित देशों में प्रभावी है. यूके में 2011 में तेल की कीमतें 75 डौलर प्रति बैरल से ऊपर जाने पर टैक्‍स रेट बढ़ा दिया गया, जो नौर्थ सी औयल और गैस से मिलने वाले प्रौफिट पर लागू हुआ था. इसी तरह चीन ने 2006 में घरेलू तेल प्रोड्यूसर्स पर स्‍पेशन अपस्‍ट्रीम प्रौफिट टैक्‍स लगाया.

चार्जिंग के दौरान स्मार्टफोन हो जाता है गर्म? आजमाएं ये उपाय

आजकल स्मार्टफोन के बिना शायद ही किसी का दिन गुजरता. आज के समय में हर कोई अपना ज्यादातर काम स्मार्टफोन पर ही कर लेता है. लेकिन स्मार्टफोन के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इनकी बैटरी लाइफ काफी कम रहती है और फिर इन्हें चार्ज करो तो ये गर्म होने लगते हैं. चार्जिंग के दौरान स्मार्टफोन अगर गर्म हो रहा है, तो इससे कई तरह के खतरे होने की आशंका भी बढ़ जाती है. इसलिए हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं, जिनका इस्तेमाल करके स्मार्टफोन को चार्जिंग के दौरान गर्म होने से रोका जा सकता है.

– स्मार्टफोन को चार्जिंग के दौरान गर्म होने से बचाने के लिए बैटरी सेवर औन कर दें. इससे न सिर्फ बैटरी लाइफ बढ़ती है, बल्कि स्मार्टफोन भी जल्दी चार्ज होता है.

– स्मार्टफोन को हमेशा ओरिजनल चार्जर से ही चार्ज करें. अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि स्मार्टफोन नया होता है तो ओरिजनल चार्जर से ही चार्ज करते हैं, लेकिन थोड़ा समय हो जाने के बाद कई यूजर अपने स्मार्टफोन को किसी भी चार्जर से चार्ज करने लगते हैं. इसके अलावा चार्जर खराब होने पर भी कई यूजर डुप्लीकेट चार्जर से अपने फोन को चार्ज करते हैं, जिससे स्मार्टफोन चार्जिंग के दौरान गर्म होने लगते हैं.

– कई बार देखने को मिलता है कि जिन यूजर के स्मार्टफोन में बैक कवर लगा होता है, उनके फोन चार्जिंग के दौरान ज्यादा हीट होते हैं. इसलिए टेक एक्सपर्ट का मानना है कि स्मार्टफोन की चार्जिंग के दौरान उसका बैक कवर निकाल दिया जाए.

– स्मार्टफोन में यूजर अपना इंटरनेट हमेशा औन रखते हैं, जिससे कई ऐप्स और ब्राउजिंग कंटेंट बैकग्राउंड में चलते रहते हैं और जब चार्जिंग के दौरान भी इंटरनेट औन रहता है, तो इससे फोन गर्म होने लगता है. इसलिए चार्जिंग के दौरान इंटरनेट को औफ कर दें और हो सके तो फोन को फ्लाइट मोड पर डाल दें.

– इन सबके अलावा कुछ यूजर्स अपने स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए यूएसबी पोर्ट का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इससे न सिर्फ स्मार्टफोन की बैटरी खराब होती है, बल्कि फोन भी हीट होता है. इसलिए स्मार्टफोन को यूएसबी के जरिए चार्ज करने की बजाय ओरिजनल चार्जर से ही चार्ज करें.

ट्रौफी के साथ पोज दे रहे थे खिलाड़ी, पर धोनी कहीं और ही थे बिजी

शेन वौटसन की धुआंधार पारी के दम पर चेन्नई ने आईपीएल 2018 का खिताब अपने नाम कर लिया है. शेन वौटसन ने 57 गेंदों में 8 छक्के और 7 चौके लगाकर नाबाद 117 रनों की शतकीय पारी खेली. रविवार (27 मई) को आईपीएल सीजन के 11वें मुकाबले में हैदराबाद को हराकर तीसरा खिताब अपने नाम किया. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए इस फाइनल मुकाबले में चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और उनकी टीम ने एक बार फिर साबित किया कि उम्र मायने नहीं रखती. आपके पास अनुभव और फिटनेस हैं तो आप कोई भी जंग जीत सकते हैं.

आईपीएल 2018 फाइनल मुकाबले में हैदराबाद ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में छह विकेट के नुकसान पर 178 रनों का मजबूत स्कोर बनाया था. हैदराबाद के गेंदबाजों ने इस सीजन में जिस तरह का प्रदर्शन किया था उसे देखकर लग रहा था कि चेन्नई के लिए यह जीत बेहद मुश्किल होगी, लेकिन 36 साल के शेन वौटसन ने एक छोर पर अकेले खड़े होकर हैदराबाद के गेंदबाजों की जमकर धुनाई की और चेन्नई को 18.3 ओवरों में ही लक्ष्य तक पहुंचा दिया. चेन्नई ने सिर्फ दो विकेट खोए.

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मैच जीतने के बाद चेन्नई के खिलाड़ियों ने मैदान पर जीत का जश्न जमकर मनाया. मैदान पर सभी खिलाड़ियों ने आईपीएल 2018 की ट्रौफी के साथ अलग-अलग पोज दिए. फाइनल जीतने के बाद बहुत से खिलाड़ी मैदान पर अपने बच्चों के साथ भी नजर आए. मुरली विजय, सुरेश रैना, इमरान ताहिर, महेंद्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह के बच्चे भी खिलाड़ियों के साथ जीत के जश्न में शामिल हुए.

इन सबके बीच चेन्नई कप्तान ‘थाला’ महेंद्र सिंह धोनी एक बार फिर से अपने अलग अंदाज की वजह से सुर्खियों में छा गए. दरअसल, जिस वक्त सभी खिलाड़ी ट्रौफी के साथ पोज देने में बिजी थे. धोनी अपनी बेटी जीवा के साथ मस्ती करते नजर आए.

सोशल मीडिया पर लोगों ने धोनी के इस अंदाज की जमकर तारीफ की. सोशल मीडिया पर फैन्स ने लिखा- जब टीम ट्रौफी उठा रही थी. धोनी ने जीवा को उठाया. कोई शक नहीं क्यों हम धोनी को इतना प्यार करते हैं.

धोनी का यह अंदाज देखकर कमेंटेटरर्स ने भी कहा, धोनी ने कई ट्रौफियां उठाई हैं इसलिए उनके लिए ज्यादा एक्साइटमेंट नहीं हैं. जीवा ही उनकी असली ट्रौफी है और वह उसके साथ मस्ती कर रहे हैं.

महेंद्र सिंह धोनी ने भी जीवा और साक्षी के साथ अपनी एक तस्वीर शेयर की. इस तस्वीर को शेयर करते हुए धोनी ने लिखा- सपोर्ट और मुंबई का ‘पीले सागर’ में बदलने के लिए शुक्रिया. शेन वौटसन की हैरान कर देने वाली पारी. एक अच्छे सीजन का अंत. आखिर में धोनी ने लिखा- जीवा को ट्रौफी की कोई फिक्र नहीं है, वो तो बस मैदान में दौड़ना चाहती है. ऐसा जीवा का कहना है.

बता दें कि दो साल के बैन के बाद आईपीएल 2018 में वापसी करने वाली चेन्नई की यह तीसरी खिताबी जीत है. इससे पहले वो 2010 और 2011 में खिताब अपने नाम कर चुकी है. इसी के साथ वह सबसे ज्यादा आईपीएल खिताब जीतने के मामले में मुंबई के बराबर पहुंच गई है. दोनों टीमों के नाम सबसे ज्यादा तीन-तीन खिताब हैं.

यह चेन्नई का 7वां आईपीएल फाइनल था और उसके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का 8वां. चेन्नई का नाम आईपीएल इतिहास की सबसे सफल टीमों में गिना जाता है क्योंकि उसने नौ सीजन खेले हैं और सभी बार प्लेऔफ में जगह बनाई.

गलतफहमियां जब रिश्तों में जगह बनाने लगें

राधा और अनुज की शादी को 2 वर्ष हो चुके हैं. राधा को अपनी नौकरी की वजह से अकसर बाहर जाना पड़ता है. वीकैंड पर जब वह घर पर होती है, तो कुछ वक्त अकेले, पढ़ते हुए या आराम करते हुए गुजारना चाहती है या फिर घर के छोटेमोटे काम करते हुए समय बीत जाता है.

अनुज जो हफ्ते में 5 दिन उसे मिस करता है, चाहता है कि वह उन 2 दिनों में अधिकतम समय उस के साथ बिताए, दोनों साथ आउटिंग पर जाएं, मगर राधा जो ट्रैवलिंग करतेकरते थक गई होती है, बाहर जाने के नाम से ही भड़क उठती है. यहां तक कि फिल्म देखने या रेस्तरां में खाना खाने जाना भी उसे नागवार गुजरता है.

अनुज को राधा का यह व्यवहार धीरेधीरे चुभने लगा. उसे लगने लगा कि राधा उसे अवौइड कर रही है. वह शायद उस का साथ पसंद नहीं करती है जबकि राधा महसूस करने लगी थी कि अनुज को न तो उस की परवाह है और न ही उस की इच्छाओं की. वह बस अपनी नीड्स को उस पर थोपना चाहता है. इस तरह अपनीअपनी तरह से साथी के बारे में अनुमान लगाने से दोनों के बीच गलतफहमी की दीवार खड़ी होती गई.

अनेक विवाह छोटीछोटी गलतफहमियों को न सुलझाए जाने के कारण टूट जाते हैं. छोटी सी गलतफहमी को बड़ा रूप लेते देर नहीं लगती, इसलिए उसे नजरअंदाज न करें. गलतफहमी जहाज में हुए एक छोटे से छेद की तरह होती है. अगर उसे भरा न जाए तो रिश्ते के डूबने में देर नहीं लगती.

भावनाओं को समझ न पाना

गलतफहमी किसी कांटे की तरह होती है और जब वह आप के रिश्ते में चुभन पैदा करने लगती है तो कभी फूल लगने वाला रिश्ता आप को खरोंचें देने लगता है. जो युगल कभी एकदूसरे पर जान छिड़कता था, एकदूसरे की बांहों में जिसे सुकून मिलता था और जो साथी की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था, उसे जब गलतफहमी का नाग डसता है तो रिश्ते की मधुरता और प्यार को नफरत में बदलते देर नहीं लगती. फिर राहें अलगअलग चुनने के सिवा उन के पास कोई विकल्प नहीं बचता.

आमतौर पर गलतफहमी का अर्थ होता है ऐसी स्थिति जब कोई व्यक्ति दूसरे की बात या भावनाओं को समझने में असमर्थ होता है और जब गलतफहमियां बढ़ने लगती हैं, तो वे झगड़े का आकार ले लेती हैं, जिस का अंत कभीकभी बहुत भयावह होता है.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट अंजना गौड़ के अनुसार, ‘‘साथी को मेरी परवाह नहीं है या वह सिर्फ अपने बारे में सोचता है, इस तरह की गलतफहमी होना युगल के बीच एक आम बात है. अपने पार्टनर की प्राथमिकताओं और सोच को गलत समझना बहुत आसान है, विशेषकर जब बहुत जल्दी वे नाराज या उदास हो जाते हों और कम्यूनिकेट करने के बारे में केवल सोचते ही रह जाते हों.

‘‘असली दिक्कत यह है कि अपनी तरह से साथी की बात का मतलब निकालना या अपनी बात कहने में ईगो का आड़े आना, धीरेधीरे फूलताफलता रहता है और फिर इतना बड़ा हो जाता है कि गलतफहमी झगड़े का रूप ले लेती है.’’

वजहें क्या हैं

स्वार्थी होना: पतिपत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने और एकदूसरे पर विश्वास करने के लिए जरूरी होता है कि वे एकदूसरे से कुछ न छिपाएं और हर तरह से एकदूसरे की मदद करें. जब आप के साथी को आप की जरूरत हो तो आप वहां मौजूद हों. गलतफहमी तब बीच में आ खड़ी होती है जब आप सैल्फ सैंटर्ड होते हैं. केवल अपने बारे में सोचते हैं. जाहिर है, तब आप का साथी कैसे आप पर विश्वास करेगा कि जरूरत के समय आप उस का साथ देंगे या उस की भावनाओं का मान रखेंगे.

मेरी परवाह नहीं: पति या पत्नी किसी को भी ऐसा महसूस हो सकता है कि उस के साथी को न तो उस की परवाह है और न ही वह उसे प्यार करता है. वास्तविकता तो यह है कि विवाह लविंग और केयरिंग के आधार पर टिका होता है. जब साथी के अंदर इग्नोर किए जाने या गैरजरूरी होने की फीलिंग आने लगती है तो गलतफहमियों की ऊंचीऊंची दीवारें खड़ी होने लगती हैं.

जिम्मेदारियों को निभाने में त्रुटि होना: जब साथी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने या उठाने से कतराता है, तो गलतफहमी पैदा होने लगती है. ऐसे में तब मन में सवाल उठने स्वाभाविक होते हैं कि क्या वह मुझे प्यार नहीं करता? क्या उसे मेरा खयाल नहीं है? क्या वह मजबूरन मेरे साथ रह रहा है? गलतफहमी बीच में न आए इस के लिए युगल को अपनीअपनी जिम्मेदारियां खुशीखुशी उठानी चाहिए.

वैवाहिक सलाहकार मानते हैं कि रिश्ता जिंदगी भर कायम रहे, इस के लिए 3 मुख्य जिम्मेदारियां अवश्य निभाएं-अपने साथी से प्यार करना, अपने पार्टनर पर गर्व करना और अपने रिश्ते को बचाना.

काम और कमिटमैंट: आजकल जब औरतों का कार्यक्षेत्र घर तक न रह कर विस्तृत हो गया है और वे हाउसवाइफ की परिधि से निकल आई हैं, तो ऐसे में पति के लिए आवश्यक है कि वह उस के काम और कमिटमैंट को समझे और कद्र करे. बदली हुई परिस्थितियों में पत्नी को पूरा सहयोग दे. रिश्ते में आए इस बदलाव को हैंडल करना पति के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि यह बात आज के समय में गलतफहमी की सब से बड़ी वजह बनती जा रही है. इस के लिए दोनों को ही एकदूसरे के काम की कमिटमैंट के बारे में डिस्कस कर उस के अनुसार खुद को ढालना होगा.

धोखा: यह सब से आम वजह है. यह तब पैदा होती है जब एक साथी यह मानने लगता है कि उस के साथी का किसी और से संबंध है. ऐसा वह बिना किसी ठोस आधार के भी मान लेता है. हो सकता है कि यह सच भी हो, लेकिन अगर इसे ठीक से संभाला न जाए तो निश्चित तौर पर यह विवाह के टूटने का कारण बन सकता है. अत: आप को जब भी महसूस हो कि आप का साथी किसी उलझन में है और आप को शक भरी नजरों से देख रहा है तो तुरंत सतर्क हो जाएं.

दूसरों का हस्तक्षेप: जब दूसरे लोग चाहे वे आप के ही परिवार के सदस्य हों या मित्र अथवा रिश्तेदार आप की जिंदगी में हस्तक्षेप करने लगते हैं तो गलतफहमियां खड़ी हो जाती हैं. ऐसे लोगों को युगल के बीत झगड़ा करा कर संतोष मिलता है और उन का मतलब पूरा होता है. यह तो सर्वविदित है कि आपसी फूट का फायदा तीसरा व्यक्ति उठाता है. पतिपत्नी का रिश्ता चाहे कितना ही मधुर क्यों न हो, उस में कितना ही प्यार क्यों न हो, पर असहमति या झगड़े तो फिर भी होते हैं और यह अस्वाभाविक भी नहीं है. जब ऐसा हो तो किसी तीसरे को बीच में डालने के बजाय स्वयं उन मुद्दों को सुलझाएं जो आप को परेशान कर रहे हों.

सैक्स को प्राथमिकता दें: सैक्स संबंध शादीशुदा जिंदगी में गलतफहमी की सब से अहम वजह है. पतिपत्नी दोनों ही चाहते हैं कि सैक्स संबंधों को ऐंजौय करें. जब आप दूरियां बनाने लगते हैं, तो शक और गलतफहमी दोनों ही रिश्ते को खोखला करने लगती हैं. आप का साथी आप से खुश नहीं है या आप से दूर रहना पसंद करता है, तो यह रिश्ते में आई सब से बड़ी गलतफहमी बन सकती है.

स्पाइसी ट्रीट : दहीमिर्ची करी

दहीमिर्ची करी

सामग्री

– 1 बड़ा चम्मच औयल

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा

– चुटकीभर हींग

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी

– 2 मोटी हरीमिर्चें कटी हुई

– 200 ग्राम दही

– नमक स्वादानुसार

विधि

एक पैन में औयल गरम कर के हींग और जीरा डाल कर चटकाएं. फिर मोटी वाली हरीमिर्चें डाल कर थोड़ा चलाएं. अब हलदी, नमक और दही डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर आंच से उतार लें, ठंडा होने पर सर्व करें.

स्पाइसी ट्रीट : सहजन करी

सहजन करी

सामग्री

– 2 मध्यम आकार के प्याज

– 3 बड़े चम्मच औयल

– 3-4 सहजन की फलियां

– 2 हरीमिर्चें

– थोड़ा सा अदरक

– 3-4 कलियां लहसुन

– 1 छोटा चम्मच जीरा

– 1/2 कप मूंगफली भुनी और दरदरी पिसी

– 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी

– 2 छोटे चम्मच धनिया पाउडर

– 1 छोटा चम्मच गरममसाला

– सजाने के लिए थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– नमक स्वादानुसार

विधि

अदरक, लहसुन, प्याज, हरीमिर्चें और जीरे को पीस लें. फिर एक पैन में औयल गरम कर के उस में प्याज का पेस्ट डाल कर हलका भुनने पर सभी सूखे मसाले डाल कर तब तक भूनें जब तक मसाले औयल न छोड़ दें. फिर उस में सहजन की फलियां और मूंगफली डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर 1-2 कप पानी डाल कर तब तक पकाएं जब तक सहजन की फलियां नरम न पड़ जाएं. अब धनिया पत्ती डाल कर गरमगरम सर्व करें.

4 घंटे में खुला अपहरण का रहस्य

संतोष तुम्हारे पास पैसे तो बहुत होते हैं, फिर भी तुम पैसों की चिंता में रहते हो, क्यों भाई? तुम्हारा मालिक भी तुम पर कितना भरोसा करता है. पैसा, गाड़ी सब तुम्हारे भरोसे पर रखा है.’’ प्रिंटिंग प्रैस में काम करने वाले अजय ने अपने दोस्त संतोष को समझाते हुए कहा.

‘‘यार तुम लोगों को लगता है कि जो पैसा, गाड़ी है, वह मेरे लिए है. तुम लोग बहुत भोले और नासमझ हो. तुम्हें पता होना चाहिए कि हर मालिक अपने काम से काम रखता है. जब तक उस का काम रहता है, तब तक गाड़ी और पैसा सब देगा. काम निकलने के बाद न गाड़ी देगा और न पैसा. हम जैसों को कुत्ता समझते हैं. एक गलती करो तो 10 गाली मिलती हैं और नौकरी से निकालने की धमकी अलग.’’ संतोष पर शराब का नशा चढ़ चुका था. वह अपने मन की भड़ास निकालते हुए बोला.

‘‘संतोष, तुम अजय भाई की बात को समझो कि वह कहना क्या चाहते हैं? हम तीनों में सब से ज्यादा खुशहाल तुम्हारा ही मालिक है. तुम ही कुछ कर सकते हो.’’ संतोष और अजय के तीसरे दोस्त सर्वेश ने दोनों के बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा.

‘‘बात तो हम समझते हैं अजय भाई, पर करें क्या. यह नहीं समझ आ रहा है. हम उस से कैसे पैसे निकालें. तुम लोग बताओ, हम हर काम करने को तैयार हैं.’’ संतोष ने कहा.

‘‘संतोष भाई, तुम्हारा मालिक मोटी मुरगी है. बस तुम उस की कमजोर नस दबा दो, वह खुद मुंहमांगी रकम दे देगा. फिल्में नहीं देखते, मालिकों से कैसे पैसा लिया जाता है.’’ अजय ने संतोष को समझाया.

‘‘बात समझ में आ गई अजय भाई, हम रोजाना उस के बेटे को स्कूल छोड़ने जाते हैं. एक दिन हम यही तोता अपने पिंजरे में पाल लेंगे और तभी आजाद करेंगे, जब पैसा मिलेगा नहीं तो तोते को दुनिया से आजाद कर देंगे.’’

शराब के नशे में संतोष यह सोच ही नहीं पा रहा था कि उस के कदम अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं. बातों में उस के दोस्त अजय और सर्वेश उसे उकसा रहे थे. बातोंबातों में तीनों ने एक ही झटके में मोटा पैसा कमाने की योजना बना ली.

असल में संतोष राणा प्रताप मार्ग स्थित सूर्योदय कालोनी में रहने वाले अनूप अग्रवाल के घर में गाड़ी चलाने का काम करता था. अनूप अग्रवाल लखनऊ के बड़े बिजनैसमैन थे. उन की बेटी मुंबई में पढ़ रही थी. बेटा अर्णव लामार्टीनियर कालेज में पढ़ता था.

लामार्टीनियर कालेज लखनऊ का सब से मशहूर कालेज है और सब से सुरिक्षत इलाके में बना है. जहां से कुछ ही दूरी पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का आवास है. सूर्योदय कालोनी से लामार्टीनियर कालेज की दूरी बामुश्किल 3 किलोमीटर है.  अनूप रोज अपने ड्राइवर संतोष के साथ अपनी कार से उसे स्कूल भेजते थे, वही दोपहर में अर्णव को लेने भी जाता था.

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अनूप ने 10 माह पहले ही संतोष को अपने यहां ड्राइवर रखा था. संतोष मूलरूप से सीतापुर जिले के खैराबाद का रहने वाला था. वह अनूप के बिजनैस से जुड़े लेनदेन के काम भी करता था. उसे पूरे व्यापार के बारे में पता था. संतोष अनूप के घर से कुछ ही दूरी पर किराए का कमरा ले कर रहता था.

ऐसे में जरूरत पड़ने पर वह जल्दी ही अनूप के घर आ जाता था. अपने दोस्तों के साथ नशे में हुई बातचीत के बाद संतोष अब कुछ ऐसा करना चाहता था, जिस से उसे बहुत सारा पैसा मिल जाए. अनूप की अच्छी कमाई देख कर उसे लालच आ चुका था.

19 मार्च, 2018 की सुबह करीब 9 बजे  थे. संतोष अर्णव को एसयूवी कार से स्कूल के लिए घर से निकला. साढ़े 9 बजे से उस की परीक्षा थी. वह जल्दी से जल्दी स्कूल पहुंचना चाहता था. रोजाना वह अपने घर से हजरतगंज होते स्कूल जाता था. लेकिन उस दिन संतोष ने कार 1090 चौराहे से गोमती नगर की तरफ मोड़ दी.

अर्णव ने कारण पूछा तो संतोष बोला, ‘‘हजरतगंज में जाम है. स्कूल के लिए देर हो जाएगी.’’ अर्णव कक्षा 9 में पढ़ता था. उसे परीक्षा की टेंशन थी, इसलिए वह चुपचाप अपनी बुक्स देखने लगा.

अर्णव को ले कर कार 1090 चौराहे पहुंची तो संतोष का दोस्त अजय गाड़ी के सामने आ गया. संतोष दरवाजा खोल कर गाड़ी के नीचे उतरा तो उसे डांटने लगा. जब तक अर्णव कुछ समझ पाता, तब तक संतोष अपनी सीट पर बैठ गया और  अजय अर्णव की बगल बैठ गया.

अजय ने बैठते ही उस की कमर से तमंचा लगा कर उसे चुप रहने के लिए कहा. गाड़ी वापस मुड़ कर सीतापुर रोड की तरफ जाने लगी. इस बीच अर्णव को नशे का इंजेक्शन दे कर बेहोश कर दिया गया था. अर्णव को इन लोगों ने बोरे में भर कर पिछली सीट पर डाल दिया. गाड़ी अब सीतापुर रोड से होते हुए आगे निकल गई थी.

अर्णव को स्कूल छोड़ कर जब संतोष घर नहीं आया तो पहले घर वालों को लगा कि वह कहीं किसी काम से चला गया होगा. लेकिन स्कूल से फोन आ गया कि अर्णव की आज परीक्षा थी, वह स्कूल नहीं आया. इस पर घर वालों से संतोष के मोबाइल नंबर पर फोन करना शुरू किया तो वह बंद मिला.

कुछ देर में यह बात साफ हो गई कि ड्राइवर संतोष अर्णव को ले कर गायब हो गया है. इस के बाद घर, परिवार के लोग और रिश्तेदार एकत्र हो गए. मोहल्ले में कोहराम मच गया. तत्काल लखनऊ पुलिस को सूचना दी गई.

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक के अग्रवाल परिवार से करीबी रिश्ते थे, उन से यह बात बताई गई. उन्होंने लखनऊ के एसएसपी से कहा. लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने तुरंत पुलिस की एक टीम बना कर एएसपी (पूर्वी) सर्वेश कुमार मिश्रा को इस मामले को संभालने को कहा.

लामार्टिनियर कालेज लखनऊ का प्रतिष्ठित कालेज है. वहां के बच्चे के अपहरण की सूचना से उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अफसर भी चौकन्ने हो गए. डीजीपी ओ.पी. सिंह ने आईजी सुजीत पांडे को मामले में त्वरित काररवाई करने के लिए कहा. स्थानीय पुलिस के साथ उत्तर प्रदेश की स्पैशल टास्क फोर्स को भी इस में लगा दिया गया.

एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश छुट्टी पर थे. उन की छुट्टी रद्द कर के उन्हें भी मामले में लगा दिया गया. अनूप अग्रवाल का घर हजरतगंज थाना क्षेत्र में आता है. वहां के इंसपेक्टर आनंद शाही भी छुट्टी पर थे. उन्हें भी तुरंत बुलाया गया. पूरे लखनऊ की पुलिस एक घंटे में अलर्ट हो गई. गाड़ी नंबर सभी थानों को भेज दिया गया. टोल प्लाजा पर कार का नंबर चेक किया गया तो यह बात साफ हो गई कि कार सीतापुर जिले की तरफ गई है.

इंटौला थाने के इंसपेक्टर शिवशंकर सिंह ने बताया कि अनूप की गाड़ी टोल प्लाजा से 9 बज कर 29 मिनट 52 सेकेंड पर गुजरी है. इस में 3 लोग दिख रहे थे. सीसीटीवी फुटेज में ड्राइवर का चेहरा साफ नहीं दिखा, पर पुलिस को यह पता चल चुका था कि कार अर्णव को ले कर सीतापुर की तरफ गई है. यह सूचना मिलते ही लखनऊ पुलिस ने सीतापुर पुलिस से संपर्क किया. उन्होंने एसपी आनंद कुलकर्णी को इस घटना की सूचना दे दी.

इस के बाद सीतापुर पुलिस ने घेराबंदी तेज कर दी. लखनऊ पुलिस ने संतोष का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा रखा था. सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा, इंसपेक्टर आनंद शाही और इंसपेक्टर कृष्णानगर अंजनी पांडेय ड्राइवर संतोष की काल डिटेल्स खंगाल रहे थे.

इस में 3 फोन नंबर ऐसे मिले, जिन की सुबह 10 बजे से आपस में बातचीत हुई थी. इन में एक नंबर बंद हो गया था, जबकि बाकी के 2 नंबरों की लोकेशन सीतापुर के मानपुर गांव में दिख रही थी. मानपुर गांव खैराबाद पुलिस थाना क्षेत्र में आता है. वहां की पुलिस को एलर्ट किया गया.

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खैराबाद की पुलिस जब मानपुर पहुंची तो पुलिस को मोड़ पर ही कुछ लोग मिल गए उन्होंने बताया कि एक लाल रंग की कार खेत की तरफ गई है. पुलिस वहां गई तो ड्राइवर संतोष और अर्णव खेत में ही मिल गए. सीतापुर पुलिस ने जब इन लोगों को पकड़ा, तब तक अर्णव के पिता अनूप को ले कर लखनऊ पुलिस भी वहां पहुंच चुकी थी.

पूछताछ में संतोष ने बताया कि अपहरण की साजिश उस ने अपने मौसेरे भाई कासिमपुर सीतापुर निवासी सर्वेश यादव और पारा रोड निवासी दोस्त अजय के साथ मिल कर रची थी. लखनऊ से अर्णव को अगवा करने में संतोष और अजय शामिल थे.

सर्वेश ने उन के छिपने की व्यवस्था की थी. कार को खेत में खड़ा कर के संतोष और अर्णव को वहीं छोड़ कर सर्वेश और अजय टोह लेने लखनऊ चले गए थे.

पुलिस ने जब अर्णव को बरामद किया तो उस ने बताया कि ड्राइवर संतोष ने उसे बताया था कि बदमाशों ने दोनों को अगवा कर लिया है. उस ने मुझे भी चुपचाप खेत में छिपे रहने को कहा था. अगवा करने वाले कुछ भी कर सकते हैं,इसलिए हम ने शोर नहीं मचाया. कार में ही अर्णव का बैग मिला. पुलिस संतोष और अर्णव को ले कर लखनऊ चली आई जिस ने भी अपहरण की घटना में  ड्राइवर संतोष का नाम सुना हैरान था कि वह ऐसा कैसे कर सकता है.

पुलिस के साथ पिता को देख कर अर्णव उन से लिपट कर रोने लगा था. उसे पिता ने बताया कि संतोष ने ही यह सारा काम किया है. तब अर्णव को भरोसा हुआ कि संतोष कितना बुरा आदमी है. अर्णव को सकुशल बरामद कर के पुलिस ने राहत की सांस ली.

लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार का अगला प्रयास 2 अपहर्त्ताओं अजय और सर्वेश को गिरफ्तार करना था. पुलिस ने उन की तलाश शुरू कर दी. 20 मार्च की शाम को पुलिस को पता चला कि दोनों फरार अभियुक्त बैकुंठ धाम के पास गोमती नदी के किनारे हैं.पुलिस ने वहां पर घेराबंदी की तो खुद को फंसता देख अभियुक्तों ने पुलिस टीम पर फायर कर दिया.

इस के जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की तो अजय के पैर में गोली लग गई. वह घायल हो गया. दूसरा अभियुक्त फरार हो गया. अजय के पिता सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं. उन के साथ ही वह रहता था. पिता को यह पता भी नहीं था कि बेटा अपहरण में लिप्त है.

मुठभेड़ में शामिल पुलिस टीम के सीओ (हजरतगंज) अभय कुमार मिश्रा, इंसपेक्टर आनंद कुमार शाही, अंजनी कुमार पांडेय, शिवशंकर सिंह, एसआई आशीष द्विवेदी, कांस्टेबल सुदीप, राम निवास, अनीस, यशकांत, सुधीर, वीर सिंह के कार्य की एसएसपी ने भी सराहना करते हुए उन्हें पुरस्कृत किया. डीजी ओ.पी. सिंह ने पुलिस टीम को चाय पार्टी दी.

डीजीपी ने आईजी सुजीत पांडेय, एसएसपी दीपक कुमार, सीतापुर के एसपी आनंद कुलकर्णी की भी तारीफ की. जिस तरह से पुलिस ने केवल 4 घंटे में बच्चे को बरामद कर बदमाशों को पकड़ा उस से लगता है कि अगर पुलिस सही तरह से तालमेल मिला कर काम करे तो अपराधियों के हौसले पस्त होते देर नहीं लगेगी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित कथा में कुछ पात्रों के नाम परिवर्तित हैं.

शिकारी खुद बन गया शिकार : अवैद्य संबंधों के चक्कर में हत्या

सुबह का वक्त था. उत्तरपूर्वी दिल्ली की दिलशाद कालोनी में रहने वाले संजीव शर्मा चाय की चुस्कियां लेते हुए अखबार पढ़ रहे थे, तभी उन के पड़ोसी नदीम ने उन्हें खबर दी कि उन के स्कूल का गेट खुला हुआ है और अंदर पुकारने पर गार्ड देवीलाल भी जवाब नहीं दे रहा है.

संजीव शर्मा का एच-432, ओल्ड सीमापुरी में बाल कौन्वेंट स्कूल था. देवीलाल उन के स्कूल में रात का सुरक्षागार्ड था. शर्माजी ने रहने के लिए उसे स्कूल में ही एक कमरा दे दिया था.

नदीम की बात सुन कर संजीव कुमार शर्मा उस के साथ अपने स्कूल की तरफ निकल गए. संजीव शर्मा जब अपने स्कूल में देवीलाल के कमरे में गए तो वहां लहूलुहान हालत में देवीलाल की लाश पड़ी थी. उस के सिर तथा दोनों हाथों से खून निकल रहा था.

यह खौफनाक मंजर देख कर संजीव कुमार शर्मा और नदीम के होश फाख्ता हो गए. संजीव शर्मा ने उसी समय 100 नंबर पर फोन कर के वारदात की सूचना पुलिस को दे दी. यह इलाका चूंकि सीमापुरी थानाक्षेत्र में आता है, इसलिए थाना सीमापुरी के एसआई आनंद कुमार और एसआई सौरभ घटनास्थल एच-432, ओल्ड सीमापुरी पहुंच गए. तब तक वहां आसपास रहने वाले कई लोग पहुंच चुके थे.

पुलिस ने एक फोल्डिंग पलंग पर पड़ी सिक्योरिटी गार्ड देवीलाल की लाश का निरीक्षण किया तो उस के सिर पर चोट थी. ऐसा लग रहा था जैसे उस के सिर पर कोई भारी चीज मारी गई हो. इस के अलावा उस की दोनों कलाइयां कटी मिलीं.

बिस्तर के अलावा फर्श पर भी खून ही खून फैला हुआ था. कमरे में रखी दोनों अलमारियां खुली हुई थीं. काफी सामान फर्श पर बिखरा हुआ था. हालात देख कर लूट की संभावना भी नजर आ रही थी.

इसी कमरे की मेज पर शराब की एक बोतल व 2 गिलास तथा बचा हुआ खाना भी मौजूद था. एसआई सौरभ ने यह सूचना थानाप्रभारी संजीव गौतम को दे दी. हत्याकांड की सूचना पा कर थानाप्रभारी संजीव गौतम पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.

घटनास्थल का मौकामुआयना करने के बाद थानाप्रभारी इस नतीजे पर पहुंचे कि हत्यारा स्कूल में मित्रवत दाखिल हुआ था और उस ने मृतक के साथ शराब भी पी थी. इसलिए उस की हत्या में उस का कोई नजदीकी ही शामिल हो सकता है. खुली अलमारी और बिखरा सामान लूट की तरफ इशारा कर रहा था.

स्कूल मालिक संजीव शर्मा ने बताया कि देवीलाल जम्मू का रहने वाला था. पिछले 2 साल से वह उन के स्कूल में रात को सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम कर रहा था. थानाप्रभारी ने मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम बुला कर गिलास तथा शराब की खाली बोतल से फिंगरप्रिंट्स उठवा लिए.

मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेज दिया. फिर स्कूल मालिक संजीव शर्मा की तहरीर पर गार्ड देवीलाल उर्फ दीनदयाल की हत्या का मामला दर्ज करवा दिया.

थानाप्रभारी संजीव गौतम ने इस केस की तफ्तीश इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) जे.के. सिंह को सौंप दी. उन्होंने डीसीपी नूपुर प्रसाद, एसीपी रामसिंह को भी घटना के बारे में अवगत करा दिया.

डीसीपी नूपुर प्रसाद ने इस हत्याकांड का खुलासा करने के लिए एसीपी रामसिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित की, जिस में आईपीएस हर्ष इंदोरा, थानाप्रभारी संजीव गौतम, अतिरिक्त थानाप्रभारी अरुण कुमार, इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) जे.के. सिंह, स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर हीरालाल, एसआई मीना चौहान, एएसआई आनंद, कांस्टेबल प्रियंका, वीरेंद्र, संजीव आदि शामिल थे.

टीम ने जांच शुरू की और स्कूल के प्रिंसिपल तथा मालिक संजीव कुमार शर्मा से मृतक गार्ड देवीलाल की गतिविधियों के बारे में विस्तार से पूछताछ की तो उन्होंने बता दिया कि गार्ड देवीलाल सीमापुरी की ही एक ट्रैवल एजेंसी में पिछले 20 सालों से गार्ड की नौकरी कर रहा था.

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इस के बीवीबच्चे जम्मू के गांव गुडि़याल में रहते हैं. पिछले 2 सालों से वह उन के स्कूल में नौकरी कर रहा था. चूंकि उस की ड्यूटी रात की थी, इसलिए उन्होंने रहने के लिए स्कूल में ही उसे एक कमरा दे दिया था.

संजीव शर्मा से बात करने के बाद पुलिस ने स्कूल के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को भी खंगाला. मगर उस से पुलिस को कोई भी सुराग नहीं मिला. क्योंकि स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे केवल दिन के वक्त चालू रहते थे. शाम होने पर उन्हें बंद कर दिया जाता था.

कहीं से कोई सुराग न मिलने पर पुलिस ने मृतक के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स का अध्ययन किया गया तो पुलिस की निगाहें मृतक के फोन पर आई अंतिम काल पर अटक गईं. उस नंबर पर गार्ड की पहले भी बातें हुई थीं और 3 मार्च, 2018 की रात साढ़े 10 बजे लोकेशन उस फोन नंबर की घटनास्थल पर ही थी.

जांच में वह फोन नंबर सीमापुरी की ही रहने वाली महिला अंजलि का निकला. पुलिस ने अंजलि के फोन नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में भी एक फोन नंबर ऐसा मिला, जिस की लोकेशन घटना वाली रात को अंजलि के साथ घटनास्थल की थी. इतनी जांच के बाद पुलिस टीम को केस के खुलासे के आसार नजर आने लगे.

पुलिस टीम सीमापुरी में स्थित अंजलि के घर पहुंच गई. पुलिस को देख कर अंजलि एकदम से घबरा गई. इंसपेक्टर जे.के. सिंह ने अंजलि से पूछा, ‘‘तुम गार्ड देवीलाल को कैसे जानती हो?’’

‘‘मेरा बेटा उसी स्कूल में पढ़ता है, जहां देवीलाल गार्ड था, इसलिए कभीकभी उस से मुलाकात होती रहती थी. इस से ज्यादा मैं देवीलाल के बारे में कुछ नहीं जानती.’’ अंजलि ने बताया.

इंसपेक्टर जे.के. सिंह को लगा कि अंजलि सच्चाई को छिपाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि उन के पास अंजलि और देवीलाल के बीच अकसर होने वाली बातचीत का सबूत मौजूद था. इसलिए वह पूछताछ के लिए उसे थाने ले आए. थाने में उन्होंने अंजलि से पूछा, ‘‘3 मार्च की रात साढे़ 10 बजे तुम देवीलाल के कमरे में क्या करने गई थी?’’

यह सवाल सुनते ही अंजलि की बोलती बंद हो गई. कुछ देर की चुप्पी के बाद उस ने जो कुछ बताया, उस से देवीलाल की हत्या की गुत्थी परतदरपरत खुलती चली गई. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने अपने दूसरे प्रेमी साजिद उर्फ शेरू के साथ मिल कर देवीलाल की हत्या की थी. देवीलाल की हत्या क्यों की गई, इसे जानने के लिए 2 साल पीछे के घटनाक्रम पर नजर दौड़ानी होगी, जो इस प्रकार है—

40 वर्षीय देवीलाल पिछले 20 सालों से पुरानी सीमापुरी में जयवीर ट्रैवल एजेंसी में नौकरी करता था. लेकिन वहां पगार कम होने के कारण उस के घर की आर्थिक जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं. चूंकि ट्रैवल एजेंसी में उस का काम दिन में होता था, इसलिए रात के समय खाली होने के कारण वह संजीव कुमार शर्मा के स्कूल में गार्ड के रूप में नौकरी करने लगा. संजीव शर्मा ने उसे रहने के लिए स्कूल में ही एक कमरा भी दे दिया था.

देवीलाल का साल में एक बार ही घर जाना होता था. बाकी समय उस का समय दिल्ली में गुजरता था. चूंकि उस की पत्नी प्रमिला जम्मू में ही रहती थी, इसलिए वह बाजारू औरतों के संपर्क में रहता था.

2 जगहों पर काम करने के कारण थोड़े ही समय में उस के पास काफी रुपए इकट्ठे हो गए थे. वह अपने सभी रुपए अपने अंडरवियर में बनी जेब में रखता था.

अंजलि की शादी करीब 8 साल पहले सुरेंद्र के साथ हुई थी. शादी की शुरुआत में तो अंजलि सुरेंद्र के साथ बहुत खुश थी. बाद में वह एक बेटे की मां बनी, जिस का नाम कपिल रखा. सुरेंद्र प्राइवेट नौकरी करता था. उसी से वह अपने परिवार का पालनपोषण कर रहा था.

अंजलि की यह खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकी. बीमारी की वजह से सुरेंद्र की नौकरी छूट गई. इस से परिवार में आर्थिक समस्या खड़ी हो गई.

अंजलि के पास जो थोड़ेबहुत पैसे जमा थे, वह भी सुरेंद्र की बीमारी पर खर्च हो गए थे. अंजलि ने सुरेंद्र को बचाने की जीतोड़ कोशिश की लेकिन एक दिन उस की मौत हो गई.

पति की मौत से अंजलि की आंखों में अंधेरा छा गया. जैसेतैसे कर उस ने पति का दाहसंस्कार किया, फिर जीविका चलाने के लिए सीमापुरी की एक कैटरिंग शौप में नौकरी करने लगी. वहां से उसे जितनी पगार मिलती थी, उस से बड़ी मुश्किल से मांबेटे का गुजारा होता था.

2 साल पहले उस ने बेटे कपिल का एडमिशन ओल्ड सीमापुरी में स्थित बाल कौनवेंट स्कूल में नर्सरी कक्षा में करवाया. यह स्कूल ओल्ड सीमापुरी का एक नामचीन प्राइवेट स्कूल है. वह रोजाना सुबह बेटे को स्कूल छोड़ने जाती थी और छुट्टी के समय उसे स्कूल से लेने पहुंच जाती थी. बच्चे की छुट्टी होने तक वह अन्य मांओं की तरह गेट पर खड़ी हो कर बेटे का इंतजार करती थी.

हालांकि अंजलि एक विधवा थी, लेकिन उस के सौंदर्य में आज भी कशिश बरकरार थी. गरीबी का अभिशाप भी उस के खूबसूरत चेहरे का रंग फीका नहीं कर पाया था. उस के हुस्न का आलम यह था कि वह जिधर भी निकलती, युवकों की प्यासी निगाहें चोरीचोरी उस के रूप का रसपान करने, उस के हसीन चेहरे पर टिक जातीं.

एक दिन शाम के समय जब स्कूल का गार्ड देवीलाल गेट पर ड्यूटी दे रहा था, तभी अचानक उस की निगाह अंजलि पर पड़ी. अंजलि को देख कर उस की आंखें चमक उठीं. वह उस पर डोरे डालने की योजनाएं बनाने लगा.

गार्ड देवीलाल उस के बेटे कपिल का विशेष ध्यान रखने लगा. वह कपिल को चौकलेट, टौफी आदि दे कर उस का करीबी बन गया. अंजलि ने देखा कि देवीलाल कपिल को खूब प्यार करता है तो वह घर से उस के लिए कुछ न कुछ खाने की चीज बना कर लाने लगी.

इस तरह दोनों ही एकदूसरे को चाहने लगे. अंजलि को जब कभी पैसों की जरूरत होती तो वह उस की मदद भी कर देता. गार्ड की सहानुभूति पा कर अंजलि उस की दोस्त बन गई. अपने मोबाइल नंबर तो वे पहले ही एकदूसरे को दे चुके थे, जिस से वह बातचीत करते रहते थे.

देवीलाल ने जब देखा कि खूबसूरत अंजलि पूरी तरह शीशे में उतर गई है तो वह रात के समय उसे स्कूल में बुलाने लगा. अंजलि के आने पर वह उस के साथ महंगी शराब पीता. अंजलि भी उस के साथ शराब पीती फिर दोनों अपनी हसरतें पूरी करते थे.

अंजलि को जब भी पैसों की जरूरत होती, देवीलाल अपने अंडरवियर की जेब से निकाल कर उसे दे देता था. अंजलि उस के पास इतने सारे रुपए देख कर बेहद प्रभावित हो गई थी, इसलिए वह देवीलाल को हर तरह से खुश रखने की कोशिश करती थी.

धीरेधीरे उस का देवीलाल के पास आनाजाना इतना बढ़ गया कि आसपड़ोस के लोगों को भी उस के अवैध संबंधों की जानकारी हो गई. लेकिन अंजलि और देवीलाल को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा. देवीलाल को जब भी मौका मिलता, वह अंजलि को अपने कमरे में बुला कर अपनी हसरतें पूरी कर लेता.

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अंजलि की मौसी मधु का पति साजिद उस का हालचाल पूछने उस के पास आता रहता था. दोनों सालों से एकदूसरे को जानते थे. अंजलि के पति की मौत के बाद साजिद ने ही अंजलि को सहारा दिया था. साजिद भी अंजलि के हुस्न पर लट्टू था. साजिद के साथ भी अंजलि के शारीरिक संबंध थे.

वह कईकई दिन अंजलि के यहां रुक जाता था. इस कारण उस के और मधु के संबंधों में भी खटास आ चुकी थी. साजिद ड्राइवर था, हरियाणा से करनाल बाइपास की ओर आने वाले यात्रियों को अपनी इनोवा कार में ढोया करता था.

साजिद को जब अंजलि और गार्ड देवीलाल के संबंधों की जानकारी हुई तो वह इस का विरोध करने लगा. चूंकि अंजलि पर गार्ड देवीलाल खुल कर खर्च करता था, इसलिए वह उसे छोड़ना नहीं चाहती थी. वह साजिद को किसी तरह समझा देती फिर मौका मिलते ही देवीलाल से मिलने स्कूल में बने उस के कमरे में चली जाती थी. किसी तरह साजिद को यह बात पता चल ही जाती थी, तब उस ने अंजलि पर देवीलाल से रिश्ता तोड़ देने का दबाव बनाया.

अंजलि के दिमाग में एक शैतानी योजना ने जन्म ले लिया. साजिद की इनोवा कार खराब थी. कार ठीक कराने के लिए उस के पास पैसे तक नहीं थे, इसलिए वह खाली बैठा था.

तब अंजलि ने साजिद को बताया कि देवीलाल के पास काफी रुपए रहते हैं. अगर दोनों मिल कर उस का काम तमाम कर दें तो उस के रुपयों पर आसानी से हाथ साफ किया जा सकता है.

साजिद तो देवीलाल से पहले से ही खार खाए बैठा था. लालच में वह उस की हत्या करने के लिए राजी हो गया. अब दोनों अपनी इस योजना को अंजाम देने के लिए अवसर की तलाश में रहने लगे. 3 मार्च, 2018 की रात देवीलाल का मूड बना तो उस ने उसी समय अंजलि को फोन कर दिया.

इस से पहले उस ने व्हिस्की की बोतल और खाना पैक करवा लिया. रात के 10 बजे उस ने अपनी प्रेमिका अंजलि को फोन कर के स्कूल में पहुंचने के लिए कहा तो अंजलि और साजिद की आंखें खुशी से चमकने लगीं.

अंजलि ने पहले तो शृंगार किया. होंठों पर सुर्ख लिपस्टिक लगाई, फिर साजिद की बुलेट मोटरसाइकिल पर बैठ कर कौन्वेंट स्कूल के नजदीक पहुंचा. अंजलि जिस समय स्कूल में पहुंची, रात के 10 बज रहे थे. देवीलाल की निगाहें केवल अंजलि पर पड़ीं तो वह उसे टकटकी लगाए देखता रह गया. उसे अंजलि इतनी सुंदर पहले कभी नहीं लगी थी. अंजलि के अंदर आने पर उस ने बांहों में भर कर चूमा फिर अपने कमरे पर बिछी चारपाई पर ले गया. तभी अंजलि ने उस से कोल्डड्रिंक लाने की फरमाइश की.

देवीलाल कोल्डड्रिंक लाने स्कूल से बाहर गया, तभी मौका मिलते ही अंजलि ने फोन कर के साजिद को अंदर बुलाया और छिप जाने के लिए कह दिया. देवीलाल के आने के बाद अंजलि व्हिस्की में कोल्डड्रिंक मिला कर उसे शराब पिलाने लगी. देवीलाल ने अंजलि के लिए भी पैग बना लिया.

अंजलि भी शराब की शौकीन थी, लेकिन उस दिन उस ने स्वयं तो कम पी लेकिन देवीलाल को अधिक पिला कर मदहोश कर दिया. जब अंजलि ने देवीलाल को बेसुध देखा तो उस ने साजिद को इशारा कर बुला लिया.

अंजलि ने उस से देवीलाल का काम तमाम करने के लिए कहा. फिर साजिद ने देवीलाल के सिर पर लोहे की रौड का भरपूर वार कर उस का काम तमाम कर दिया. इस के बाद साजिद और अंजलि ने देवीलाल के अंडरवियर में रखे लगभग 60 हजार रुपए तथा मोबाइल फोन ले लिया.

जब दोनों वहां से जाने लगे तो अंजलि को शक हुआ कि कहीं देवीलाल बच न जाए. अगर वह बच गया तो वह इस मामले में फंस जाएगी, इसलिए अंजलि ने साजिद को उस की कलाई की नसें काटने के लिए कहा.

यह सुन कर साजिद ने अपने साथ लाए पेपर कटर से देवीलाल के दोनों हाथों की नसें काट दीं, जिस से उस का खून बह गया. देवीलाल की हत्या करने के बाद दोनों शातिर इत्मीनान से अपने घर लौट गए.

अंजलि की निशानदेही पर पुलिस ने उस के पहले प्रेमी साजिद को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों की निशानदेही पर देवीलाल से लूटे गए रुपए, 3 मोबाइल फोन, मोटरसाइकिल तथा हत्या में प्रयुक्त रौड, पेपर कटर बरामद कर लिया. पुलिस ने दोनों को 7 मार्च को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

डाक्टरों के यहां पड़े छापों से बदला चाइल्ड सेक्स रेशियो

भले ही समाज आज चाहे आधुनिक होने पर इतरा रहा है पर इसी समाज के अनेक लोग ऐसे हैं जो बेटी होने पर या तो खुशी जाहिर करते ही नहीं और यदि करते भी हैं तो उतनी खुशी जाहिर नहीं करते जितनी बेटा पैदा होने पर की जाती है. बेटा होने की चाहत में वह गर्भ में पल रही कन्या की हत्या तक करा देते हैं.

भारत के किसीकिसी क्षेत्र में तो बेटी को जन्म देने वाली मां को ही इस का कुसूरवार समझा जाता है. जिस से उन इलाकों में भ्रूण हत्याएं बहुत होती है. इस का नतीजा यह निकलता है कि उस इलाके में लड़कों के बजाए लड़कियों की संख्या बहुत कम रह जाती है. जो सामाजिक संतुलन के लिए सही नहीं है.

राजस्थान के झुंझनू, सीकर जिलों में भी यही स्थिति थी. लड़के की चाहत रखने वाले अनेक लोग डाक्टरों की मिलीभगत से कन्या को जन्म लेने से पहले ही गर्भ में खत्म करा देते थे. जिस की वजह से इन इलाकों में लड़कियों की संख्या में गिरावट आ रही थी. सन 2011 की जनगणना के अनुसार झुंझनू में 1000 लड़कों के मुकाबले 837 लड़कियां थीं.

यह गिरावट चिंता का विषय थी. लिहाजा क्षेत्र के कुछ जिम्मेदार लोग इस कुरीति को रोकने और लोगों की सोच बदलने के लिए सामने आए. लोगों ने तय कर लिया कि अब बेटी पैदा होने पर घर में खुशी जाहिर की जाएगी. कोई भी कन्या भ्रूण की हत्या नहीं कराएगा. इस अभियान को चलाने के लिए समितियां भी बनाई गईं.

समितियों ने कुछ गर्भवती महिलाओं को डमी बना कर अलगअलग डाक्टरों के पास कन्या भ्रूण हत्या कराने की बात तय करने के लिए भेजा. जो डाक्टर इस काम के लिए तैयार हुए उन्हें रंगे हाथों पकड़वाया गया. इस से डाक्टरों में भी डर बैठ गया.

इस से जो भी डाक्टर कन्या भ्रूण की चोरीछिपे हत्या करते थे, उन्होंने भी यह काम बंद कर दिया. इस काम में झुंझनू जिले की 63 महिलाओं ने एक्टिव रोल निभाया. एक गर्भवती महिला ने तो 4 जगह छापे डलवाए.

शुरुआत हुई तो लोगों की सोच भी बदलती चली गई. अब जिस परिवार में बेटी जन्म लेती है, वहां भांगड़े के साथ जश्न मनाया जाता है और लड़कों के जन्म की तरह कुआं पूजन भीहोने लगा है. जब लोगों ने इस सामाजिक समस्या के प्रति अभियान चलाया तो सरकार ने भी इन लोगों के इस प्रयास को सराहा और पीसीपीएनडीटी एक्ट सख्ती से लागू किया.

जिस के तहत लिंग जांच करने वाले के खिलाफ 10 साल की सजा का प्रावधान कर दिया, जबकि अन्य राज्यों में यही सजा मात्र 3 साल की है. लोगों में आई इस जागृति का यह परिणाम निकला कि लड़कियों की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा होना शुरू हो गया.

सन 2011 में 1000 लड़कों के मुकाबले जो 837 लड़कियां थीं, वो संख्या बढ़ कर 955 हो चुकी है. सीकर जिले के जिलाधिकारी नरेश ने बताया कि सीकर पहले भ्रूण हत्या के लिए बदनाम था.

हम ने हर ब्लौक में एक लड़की को ब्रैंड अंबेसडर बनाया. इस से चाइल्ड सेक्स रेशियो में बहुत सुधार आया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी तरह काम करने वाले 10 जिलाधिकारियों को सम्मानित किया है.

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