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मंगनी की अंगूठी (अंतिम भाग) : मोहित ने किसे अपना हमसफर बनाया

पूर्वकथा :

मोहित की पहली मुलाकात जहां कौल सैंटर वाली सुमिता से होती है वहीं दूसरी बार वह स्विट्जरलैंड भ्रमण के दौरान व्योमबाला सुमिता से मिलता है. अब मोहित की तीसरी मुलाकात एक विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर सुमिता से होती है. आखिर इन तीनों सुमिता में से उस ने किस को अपना हमसफर बनाया.

आगे पढ़िए…

एकदूसरे की तारीफ के बाद जैसे ही ड्रिंक्स का दौर शुरू हुआ, तभी हौल में कौल सैंटर वाली सुमिता ने कदम रखा. वह भी आज खासतौर से ब्यूटीपार्लर से सजधज कर आई थी.

उस ने नए फैशन की काली सलवारकमीज डाली हुई थी. बिना दुपट्टे के वह गले में नए डिजाइन का नैकलेस डाले हुए थी. आज वह मोहित से शादी के बारे में बात करना चाहती थी. तनहा कोने वाली पसंदीदा मेज अभी तक खाली थी. ‘शायद मोहित अभी तक नहीं आया था,’ यह सोचते हुए वह धीरधीरे चलती हुई मेज के पास पहुंची. साथ वाली मेज पर एक जोड़ा चहकताहंसता बातें कर रहा था. पुरुष की पीठ उस की तरफ थी. चेहरा पीछे से कुछ जानापहचाना सा लग रहा था. मगर मोहित तो हमेशा जींस, टीशर्ट या फिर कैजुअल वियर पहनता था. यह तो कोई हाई सोसाइटी का कोई सूटेडबूटेड नौजवान है.

कुर्सी पर बैठ कर वह उस जोड़े को देखने लगी. आवाज मोहित की ही थी. उसे अपनी तरफ देखते हुए व्योमबाला ने मोहित से कहा, ‘‘आप के पीछे की मेज पर बैठी लड़की आप को देख रही है.’’ इस पर मोहित चौंका, व्योमबाला से बातों में मग्न हो कर वह सुमिता के साथ अपने फिक्स्ड प्रोग्राम को तो भूल ही गया था. वह फुरती से उठा और मुड़ कर सुमिता के समीप पहुंचा.

‘‘हैलो डियर, हाऊ आर यू?’’ मोहित के इस बदले रूप को देख कर सुमिता चौंकी. साथ में एक खूबसूरत लड़की भी थी. ऐसी स्थिति की उस ने कल्पना भी नहीं की थी.

मोहित ने उस की बांह थामी और प्यार से खींचता हुआ उसे व्योमबाला के समीप ले आया. ‘‘इन से मिलिए, ये आप की हमनाम हैं, इन का नाम सुमिता वालिया है और ये एयरहोस्टेस हैं.’’

उन दोनों ने एकदूसरे से हाथ मिलाया. व्योमाबाला के स्पर्श में गर्मजोशी थी क्योंकि उस को मोहित ने कौल सैंटर वाली सुमिता के बारे में बता रखा था. वहां कौल सैंटर वाली सुमिता का स्पर्श ठंडा था. वह बड़े असमंजस में थी. ‘‘पिछले महीने जब मैं स्विट्जरलैंड भ्रमण पर गया था तब इन से मुलाकात हुई थी. मैं ने आप के बारे में तो इन्हें बता दिया था लेकिन इन के बारे में आप को बताना भूल गया था.’’

सुमिता के माथे पर बना तनाव का घेरा थोड़ा ढीला पड़ा. ठंडे और हलके ड्रिंक्स का दौर फिर से शुरू हुआ. तभी डांस फ्लोर पर डांस का पहला दौर शुरू हुआ.

‘‘लैट अस हैव ए राउंड,’’ व्योमबाला ने मोहित की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा. मोहित उठा और उस के साथ डांस फ्लोर की तरफ बढ़ गया. एयरहोस्टेस दुनियाभर में घूमती थी. अनेक देशों में ठहरने के दौरान एंटरटेनमैंट के लिए डांस करना, ऐंजौय करना, उस के लिए सहज था.

वह रिदम मिला कर दक्षता से डांस कर रही थी. सुमिता के साथ मोहित भी अनेक बार डांस फ्लोर पर थिरक चुका था. मगर एयरहोस्टेस सुमिता के साथ बात कुछ और ही थी. पहला दौर समाप्त हुआ. रैस्ट करने और हलके ड्रिंक्स के बाद नया दौर शुरू हुआ. इस बार कौल सैंटर वाली सुमिता का साथ था.

आज वह विशेष तौर पर सजधज कर नए उत्साह के साथ प्रपोजल ले कर आई थी. मगर खीर में मक्खी पड़ जाने के समान एयरहोस्टेस आ टपकी थी. वह उसी के समान सुंदर थी और उस से कहीं ज्यादा ऐक्टिव थी. मोहित हमेशा कैजुअल वियर में ही आता था, लेकिन आज वह बनठन कर सुमिता को अपनी बांहों में ले कर उस के वक्षस्थल को भींच लेता था. सुमिता भी उस का मजा लेती थी.

मगर आज दोनों में वह बेबाकी नहीं थी. दोनों आज किसी प्रोफैशनल डांसर जोड़े की तरह नाच रहे थे, जिन का मकसद किसी तरह इस राउंड को पूरा करना था, न कि अपना और अपने साथी का मनोरंजन करना. डांस के बाद खाना खाया गया. वे

दोनों अपनीअपनी शिकायतों के साथ मोहित को विश करतीं ऊपर से मुसकराती हुई विदा हुईं.

इस बात का मोहित को भी पछतावा हुआ कि क्यों उस ने उन दोनों को एकसाथ यहां बुलाया. उसे दोनों में से किसी एक को टाल देना चाहिए था, या फिर दोनों को ही टाल देना चाहिए था. मगर अब जो होना था हो चुका था. अगले कई दिन तक उन दोनों में से किसी का भी फोन नहीं आया. मोहित फिर से अपने चित्रों, ग्राफिक्स व डिजाइनों में डूब गया.

एक शाम उसे किसी विज्ञापन कंपनी से फोन आया. कंपनी की डायरैक्टर उस से एक सौंदर्य प्रसाधन कंपनी के लिए नए डिजाइनों पर आधारित विज्ञापन शृंखला के लिए विचारविमर्श करना चाहती थी. मोहित नियत समय पर कंपनी औफिस पहुंचा. विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर के औफिस के बाहर नेमप्लेट थी ‘सुमिता मुदगल’ विज्ञापन डायरैक्टर.

मोहित मुसकराया. 2-2 सुमिताओं के बाद तीसरी सुमिता मिल रही थी. उस का कार्ड देखने के बाद बाहर बैठा औफिस बौय उस को तुरंत अंदर ले गया. औफिस काफी भव्य और सुरुचिपूर्ण था. कीमती लकड़ी की मेज के साथ रिवौल्विंग चेयर पर दमकते चेहरे वाली बौबकट युवती टौप और पैंट पहने बैठी थी.

उस ने उठ कर गर्मजोशी से हाथ मिलाया. ‘‘प्लीज बैठिए, मिस्टर मोहित, आप का सरनेम क्या है?’’

‘‘मेहता, माई नेम इज मोहित मेहता.’’ ‘‘आप के बनाए डिजाइन काफी आकर्षक और लीक से हट कर होते हैं.’’

‘‘तारीफ के लिए शुक्रिया.’’ ‘‘हमारे पास एक मल्टीनैशनल कंपनी का बड़ा और्डर आया है, आप से इसी सिलसिले में बात करनी है.’’

इस के बाद लंबी बातचीत हुई. अपनी नोटबुक में जरूरी निर्देश नोट कर मोहित चला आया. इस के बाद डिजाइन दिखाने, डिसकस करने का सिलसिला चल पड़ा. कई बार सुमिता मुदगल उस के कार्यस्थल पर भी आई. मोहित पहले की तरह ही बेतरतीब ढंग से कपड़े पहनता, कभी तो कईकई दिन तक शेव नहीं करता. उस का यही खिलंदड़ापन अब तीसरी सुमिता को भी भा गया. वह भी अब बारबार आने लगी. मोहित भी शाम को उस के साथ घूमने लगा.

इस दौरान पहले वाली सुमिता और व्योमबाला का फोन भी नहीं आया. दोनों उस से नाराज हो गई थीं. मगर दोनों की नाराजगी ज्यादा दिन नहीं रही. दोनों का गुस्सा धीरेधीरे कम हुआ और दोनों यह सोचने लगीं कि क्या मोहित धोखेबाज था? नहीं ऐसा नहीं था. यह तो एक संयोग ही था कि 2-2 हमनाम लड़कियां उस से टकरा गई थीं या उसे मिल गई थीं. एक ही दिन, एक ही स्थान पर मुलाकात होना संयोग था.

अगर मोहित धोखेबाज होता तो उन्हें एक ही स्थान पर नहीं बुलाता. पहले कौल सैंटर वाली सुमिता का फोन आया. पहले तो मोहित चौंका, फिर मुसकराया और खिल उठा.

‘‘अरे, इतने दिन बाद आप ने कैसे याद किया?’’ ‘‘आप ने भी तो फोन नहीं किया.’’

‘‘मैं ने सोचा आप नाराज हैं.’’ ‘‘किस बात से?’’

अब मोहित क्या कहता. उस के बिना कहे भी सुमिता सब समझ गई. ‘‘आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘जो आप चाहें.’’ ‘‘किसी और के साथ कुछ फिक्स्ड तो नहीं है?’’

इस पर मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. ‘‘उस दिन तो संयोग मात्र ही था.’’

‘‘ओके, फिर सेम जगह और सेम टाइम.’’ अभी फोन रखा ही था कि व्योमबाला का फोन आ गया.

‘‘अरे, स्वीटहार्ट, आज आप ने कैसे याद किया.’’ ‘‘आप ने मुझे स्वीटहार्ट कहा, मैं तो सोचती थी कि आप की स्वीटहार्ट तो वह है,’’ व्योमबाला चहकी.

‘‘वह तो है ही, आप भी तो हो.’’ ‘‘एकसाथ 2-2 स्वीट्स होने से आप को शुगर की प्रौब्लम हो सकती है.’’

व्योमबाला के इस शिष्ट मजाक पर मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. ‘‘आज का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘पहले से ही फिक्स्ड है.’’ ‘‘अरे, मैं तो सोचती थी शायद आज आप की शाम खाली होगी.’’

‘‘उस ने भी उस दिन के बाद आज ही फोन किया है.’’ ‘‘क्या बात है, क्या उस से झगड़ा हो गया था?’’

‘‘नहीं वह उस दिन से ही नाराज हो गई और आज उस का गुस्सा कम हुआ तो उस ने फोन किया. आज उसी जगह मिलना है.’’ ‘‘ओह, तब तो आप की शामें इतने दिन तक बेरौनक रही होंगी,’’ व्योमबाला के स्वर में तलखी भरी थी.

मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. वह बताने लगा कि इस दौरान तीसरी सुमिता से उस की दोस्ती हो गई थी और कोई शाम बेरौनक नहीं रही. ‘‘ओके, आज शाम पहली नंबर की रही मैं फिर फोन करूंगी.’’

रैस्टोरैंट में तनहा कोने वाली मेज पर मोमबत्ती स्टैंड पर लगी मोमबत्तियों

का प्रकाश माहौल को बेहद रोमानी बना रहा था.

सुमिता सफेद झालरों और हलके सितारे टंगे सफेद सूट में बहुत दिलकश लग रही थी. मोहित भी मैच करती टीशर्ट और ट्राउजर में था. उस के गले में सोने की मोटी चेन थी. आज वह बेहद स्मार्ट लग रहा था. आज डांस फ्लोर पर दोनों काफी करीब थे. दोनों चाहेअनचाहे कहीं भी किसी के शरीर को स्पर्श हो जाने पर दूरी बनाए रखने की कोई सावधानी नहीं थी. सुमिता इस बात से निश्चिंत थी कि आज मोहित उस का था और उस की नजरें किसी व्योमबाला या किसी और के लिए नहीं भटक रही थीं.

डांस के बाद हलका ड्रिंक और फिर लजीज खाने का दौर शुरू हुआ. फिर शहर के एक तरफ स्थित पार्क में घूम कर दोनों राजीखुशी विदा हुए. 2-3 दिन बीत गए. मोहित काम में व्यस्त था. तभी मोबाइल की घंटी बजी. स्क्रीन पर नजर डाली तो फोन विज्ञापन कंपनी वाली सुमिता का था.

‘‘अरे, सुमिताजी नमस्ते.’’ ‘‘बहुत बिजी रहते हैं आप. जब भी फोन करो स्विच औफ मिलता है. कम से कम शाम को तो फोन औन रखा करो?’’ सुमिता मुदगल के स्वभाव में प्यार भरी शिकायत थी.

अब मोहित क्या कहता. शाम को तो वह बिना काम के ही बिजी रहता है. आखिर 2-2 उस के लिए लालायित थीं, लेकिन अब तो तीसरी भी आ गई थी. ‘‘क्या हुआ? क्या सो गए आप?’’

‘‘नहींनहीं, जरा काम में लगा था.’’ ‘‘आज शाम आउटिंग के लिए आ सकते हैं?’’

‘‘नहीं, आज बिजी हूं.’’ ‘‘कल?’’

‘‘देखेंगे.’’ आज की शाम तो व्योमबाला के साथ थी. व्योमबाला हलके मैरून कलर की साड़ीब्लाउज में अपने गौरवर्ण के कारण बला की हसीन लग रही थी. मोहित भी क्रीम कलर के सफारी सूट में जंच रहा था.

व्योमबाला के साथ डांस अलग अंदाज और हलका जोशीला था. कौल सैंटर वाली सुमिता अगर खिला गुलाब थी, तो व्योमबाला महकता हुआ जूही का फूल थी. मोमबत्तियों के रोमांटिक प्रकाश में खानापीना हुआ, फिर बोट क्लब पर बोटिंग. दोनों विदा हुए. इस दौरान पहली सुमिता का कोई जिक्र नहीं हुआ. उस के साथ बीती शाम अच्छी थी. यह शाम भी अच्छी रही. तीसरी सुमिता का जिक्र मोहित ने जानबूझ कर नहीं किया.

3 दिन बाद तीसरी सुमिता के साथ डेट थी. संयोग से उसे भी वही रैस्टोरैंट पसंद था. आज मोहित फिर से कैजुअल वियर में था. उस को आभास हो चला था कि तीसरी सुमिता भी पहली सुमिता की तरह उसे बेतरतीब और कैजुअल पहनावे में पसंद करती थी. उसे वह एक चित्रकार, एक कलाकार या दार्शनिक दिखने वाले रूप में ज्यादा पसंद था. ‘‘आप बैठो, मैं जरा टौयलेट हो आऊं.’’

टौयलेट से बाहर आते ही उस के कानों में 2 व्यक्तियों की बातचीत के अंश पड़े. ‘‘यह लड़का तगड़ा चक्करबाज है, 3-3 हसीनाओं से एकसाथ चक्कर चलाता है.’’

यह जुमला सुन कर मोहित पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया. उस ने तब तक कभी इस पहलू पर सोचा भी न था कि उस के बारे में देखने वाले खासकर उस से परिचित या उस को पहचानने वाले क्या सोचते थे. ‘‘आप को क्या हुआ? आप का चेहरा एकदम उतर गया है?’’ उस के चेहरे पर छाई गंभीरता को देख कर सुमिता ने पूछा.

‘‘कुछ नहीं, मैं अकस्मात किसी ग्राफिक्स के बारे में विचार कर रहा था.’’ ‘‘अरे, छोड़ो न. हर समय प्रोफैशन के बारे में नहीं सोचना चाहिए. शाम को ऐंजौय करो.’’

वह शाम भी अच्छी गुजरी. मगर अगले दिन मोहित गंभीर था. अब से उस ने कभी अपने कार्यस्थल पर काम करने वाले स्टाफ के चेहरे के भावों पर गौर नहीं किया था. मगर अब उसे महसूस हो रहा था कि उस की छवि उन की नजरों में पहले जैसी नहीं रही जब से 3-3 सुंदरियों के साथ शाम बिताने का सिलसिला चला था.

अगले 3 दिन में तीनों सुमिताओं का फोन आया. मगर उस ने मोबाइल की स्क्रीन पर नजर डाल कर फोन अटैंड नहीं किया. सभी कौलें मिस्ड कौल्स में दर्ज हो गईं. एक सप्ताह तक मिस्ड कौल्स का सिलसिला चलता रहा लेकिन वह अपने काम में व्यस्त रहा. आखिर कौल सैंटर वाली सुमिता से रहा न गया और वह उस के औफिस आ गई.

‘‘क्या बात है, फोन अटैंड क्यों नहीं करते?’’ ‘‘कुछ काम कर रहा हूं.’’

‘‘आज शाम खाली हो?’’ ‘‘नहीं.’’

‘‘कल?’’ ‘‘देखेंगे.’’

उस के स्वर में तटस्थता और उत्साहहीनता को महसूस कर सुमिता चुपचाप चली गई. इस के बाद बारीबारी से व्योमबाला और विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर का आना भी हुआ. मगर मोहित ने उन को भी टाल दिया. उस के ऐसा करने से तीनों देवियों की उत्कंठा और बढ़ी. पहले तो सभी उस के मर्यादित संयमित व्यवहार से प्रभावित थीं अब शाम की डेट टालने से उन की बेकरारी और बढ़ी.

दोनों सुमिताओं ने समझा कि वह उसे नहीं दूसरी को ज्यादा पसंद करता है. मगर तीसरी को पहली दोनों देवियों का पता नहीं था. इसलिए वह असमंजस में थी. मोहित अब सोच में पड़ गया था किसी चक्करबाज या रसिक के समान 3-3 सुंदरियों के साथ घूमनाफिरना, खानापीना उस के व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं था. उसे किसी एक को पसंद कर के उस से विवाह कर लेना चाहिए. वह इस पर विचार करने लगा किसे चुने.

तीनों ही सुंदर थीं, वैल सैटल्ड थीं. अच्छे परिवार से थीं. जातपांत का आजकल कोई मतलब नहीं था. उस के साथ तीनों जंचती थीं. तीनों का स्वभाव भी उस के अनुरूप था.

उधर वे तीनों उस से स्पष्ट बात कर विवाह संबंधी फैसला करना चाहती थीं. पहली 2 इस पसोपेश में थीं कि मोहित की पहली पसंद कौन थी? इतने दिन तक डेट के लिए मना करने से उन को गलतफहमी होनी ही थी. दोनों चुपचाप बीचबीच में रैस्टोरैंट का चक्कर भी लगा आईं कि शायद मोहित पहली या दूसरी सुमिता के साथ आया हो. मगर वह नहीं दिखा.

कौल सैंटर वाली सुमिता के ‘वेटर’ ने भी पुष्टि की कि वह नहीं आया था. अब उन का विचार यही बना कि वह काम में ज्यादा व्यस्त था. मोहित को भी स्पष्ट आभास था कि तीनों उस से विवाह करना चाहती हैं मगर वे तीनों ही उस से इस संबंध में पहल करने की अपेक्षा कर रही थीं.

अब उस ने तीनों में से किसी एक को चुनना था और उसे प्रपोज करना था. इस के लिए क्या करे? कैसे किसी एक का चुनाव करे. तीनों ही सुंदर थीं. अच्छे परिवारों से थी. चरित्रवान थीं. किसी के भी व्यवहार में हलकापन नहीं था. ‘‘मिस्टर मोहित, मैं सुमिता मुदगल बोल रही हूं. आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’ विज्ञापन डायरैक्टर का फोन था.

‘‘आज शाम खाली हैं आप. बोट क्लब आ जाएं?’’ काफी दिन से बाहर नहीं निकला. इसलिए मोहित भी शाम को ऐंजौय करना चाहता था. ‘‘बोट क्लब क्यों? रैस्टोरैंट क्यों नहीं?’’

‘‘आज खानेपीने से ज्यादा घूमने की इच्छा है.’’ ‘‘ओके.’’

पैडल औपरेटेड बोट झील में हलकेहलके शांत पानी में धीमेधीमे चल रही थी. झील के बीचोंबीच बोट रोक कर दोनों ने एकदूसरे की आंखों में झांका. ‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहती हूं.’’

‘‘किस बारे में,’’ अनजान बनते हुए मोहित बोला. ‘‘आप का विवाह के बारे में क्या खयाल है?

‘‘आप मुझ से विवाह करना चाहती हैं?’’ ‘‘जी हां,’’ सुमिता मुदगल ने स्पष्ट कहा.

‘‘अभी हमें मुलाकात किए मात्र 2 महीने हुए हैं इतनी जल्दी फैसला करना ठीक नहीं है.’’ ‘‘आप कितना समय चाहते हैं, फैसला करने के लिए?’’

‘‘कुछ कह नहीं सकता.’’ ‘‘आप चाहें तो फैसला लेने से पहले एकदूसरे को समझने के लिए ‘लिव इन’ के तौर पर साथसाथ रह सकते हैं. वैसे भी आजकल इसी का चलन है.’’ विज्ञापन डायरैक्टर ने गहरी नजरों से उस की तरफ देखते हुए कहा.

मोहित भी गहरी नजरों से उस की तरफ देखने लगा. विज्ञापन डायरैक्टर अच्छी समझदार थी. उस का सुझाव आजकल के नए दौर के हिसाब से था. ‘‘मैं सोचूंगा इस बारे में. अब हम थोड़ी देर बोटिंग कर के खाना खाने चलते हैं.’’

सही फैसले तक पहुंचने के लिए मोहित को एक सूत्र मिल गया था. वह यही था कि विवाह के संबंध में तीनों क्या विचार रखती थीं. अगले रोज उस ने शाम से पहले कौल सैंटर फोन किया.

‘‘अरे, आप ने आज कैसे याद किया,’’ सुमिता ने तनिक हैरानी से कहा. ‘‘इतने दिन व्यस्त रहा. आज काम की थकान शाम को सैर कर के दूर करने का इरादा है.’’

‘‘ओके, फिर सेम प्लेस एट सेम टाइम.’’ ‘‘नोनो, रैस्टोरैंट नहीं नैशनल पार्क.’’

‘‘ओके.’’ नैशनल पार्क काफी एरिया में

फैला हुआ था. एक आइसक्रीम पार्लर से आइसक्रीम के 2 कप ले दोनों टहलतेटहलते आगे निकल गए. जहांतहां झाडि़यों व पेड़ों के पीछे नौजवान जोड़े रोमांस कर रहे थे. कई बरसात का मौसम न होने पर भी रंगबिरंगे छाते लाए थे और उन को फैला कर उन की ओट में एकदूसरे से लिपटे हुए थे.

इस रोमानी माहौल को देख कर हम दोनों ही सकपका गए. तन्हाई्र पाने के इरादे से दोनों जल्दीजल्दी आगे बढ़ गए. एक तरफ कृत्रिम पहाड़ी बनाई गई थी. दोनों उस पर चढ़ गए. एक बड़े पत्थर पर बैठ कर दोनों ने एकदूसरे की तरफ देखा. ‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहता था.’’

‘‘किस बारे में?’’ ‘‘आप का शादी के बारे में क्या विचार है?’’

मोहित के इस सीधे सपाट सवाल पर सुमिता चौंक पड़ी और फिर मुसकराई. ‘‘विवाह जीवन का जरूरी कदम है. एक जरूरी संस्कार है.’’

‘‘और लिव इन रिलेशनशिप?’’ ‘‘इस का आजकल फैशन है. यह पश्चिम से आया रिवाज है. वहां इस के दुष्परिणामों के कारण इस का चलन अब घट रहा है.’’

‘‘आप विवाह को अच्छा समझती हैं या लिव इन को?’’ ‘‘मेरा तो लिव इन में बिलकुल भी विश्वास नहीं है.’’

‘‘और अगर विवाह सफल न रहे तो?’’ ‘‘ऐसा तो लिव इन में भी हो सकता है.’’

‘‘मगर लिव इन में संबंध विच्छेद आसान होता है.’’ ‘‘अगर संबंध विच्छेद का विचार पहले से ही मन में हो तो विवाह नहीं करना चाहिए और न ही लिव इन में रहना चाहिए.’’

सुमिता के इस सुलझे विचार से मोहित उस का कायल हो गया और प्रशंसात्मक नजरों से उस की तरफ देखने लगा. वह शाम भी काफी अच्छी बीती. 2 दिन बाद मोहित ने व्योमबाला को फोन किया. उस के साथ रैस्टोरैंट में मुलाकात तय हुई. व्योमबाला बिंदास और शोख अंदाज में नए फैशन के सलवारसूट में आई.

हलके ड्रिंक और डांस के 2-2 दौर चले. खाने का दौर शुरू हुआ. ‘‘मिस वालिया, आप का विवाह के बारे में क्या विचार है,’’ मोहित ने सीधे सवाल दागा.

‘‘मैरिज लाइफ के लिए जरूरी है. सोशल तौर पर भी और फिजिकली भी.’’ ‘‘और लिव इन…’’

‘‘वह भी ठीक है. बात तो आपस में निभाने की है. निभ जाए तो विवाह भी ठीक है लिव इन भी ठीक है. न निभे तो दोनों ही व्यर्थ हैं.’’ ‘‘आप किस को ठीक समझती हैं?’’

‘‘मैं तो लाइफ को ऐंजौय करना अच्छा समझती हूं. निभ जाए तो ठीक नहीं तो और सही. मगर घुटघुट कर जीना भी क्या जीना,’’ व्योमबाला दुनियाभर में घूमती थी. रोजाना सैकड़ों लोगों से उस की मुलाकात होती थी. उस का नजरिया काफी खुला और बिंदास था. वह शाम भी काफी शोख और खुशगवार रही. तीनों सुमिताओं की प्रकृति और सोच मोहित के सामने थी. पहली का लिव इन में विश्वास नहीं था.

दूसरी बिंदास थी, शोख थी, लाइफ ऐंजौय करना उस का मुख्य विचार था. ऐसी औरत या युवती बेहतर जीवनसाथी या बेहतर लिव इन साथी मिलने पर पुराने साथी को छोड़ सकती थी. तीसरी विज्ञापन डायरैक्टर काफी व्यावहारिक थी. उस का नजरिया विवाह के बारे में भी व्यावसायिक था. पहले लिव इन सफल रहा तो फिर विवाह. नहीं तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते.

मोहित एक चित्रकार था. कलाकार था. दार्शनिक विचारधारा वाला था. उस को अपना सही जीवन साथी समझ आ गया था. उस ने कौल सैंटर फोन किया.

‘‘अरे, अभी परसों ही तो मिले थे.’’ ‘‘आज मैं ने आप से एक खास बात करनी है.’’

वह तैयार हुआ. कैजुअल वियर की जगह वह शानदार ईवनिंग सूट में था. एक मित्र ज्वैलर्स के यहां से कीमती हीरे की अंगूठी खरीदी और रैस्टोरैंट की पसंदीदा मेज पर बैठ कर अपनी भावी जीवनसंगिनी का इंतजार करने लगा.

ये हैं दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज, जिनकी बौलिंग से डरते थे बल्लेबाज

क्रिकेट के इतिहास को देखा जाए तो ये पता चलता है कि इस खेल में हमेशा से बल्लेबाजों का बोल बोला रहा है. लेकिन इस बीच कई तेज गेंदबाज भी आए, जिन्होंने इस खेल में अपनी धारदार गेंदबाजी से सभी बल्लेबाजों को दहशत में डाला. आइए जानते हैं उन गेंदबाजों के बारे में.

शोएब अख्तर (161.3 किलोमीटर प्रति घंटा)

विश्व क्रिकेट इतिहास में सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकौर्ड पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब अख्तर के नाम है. विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ 2003 में न्यूजीलैंड में हुए मैच में शोएब अख्तर ने ये गेंद फेंकी थी, जिसे दुनिया की सबसे तेज गेंद माना जाता है. उनके सामने बल्लेबाज थे निक नाइट.

इसी के साथ शोएब अख्तर आईसीसी के अंतर्राष्ट्रीय मैच में पहले गेंदबाज बन गए जिसने 100 मील प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी की. इंटरनेशन वनडे में शोएब अख्तर ने 163 मैचों में कुल 247 विकेट लिए थे.

ब्रेट ली (161.1 किलोमीटर प्रति घंटा)

औस्ट्रेलिया गेंदबाज ब्रेट ली ने साल 2005 में नेपियर में हुए मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ ये गेंद फेंकी. इस गेंद के साथ ही शोएब अख्तर के बाद वो ऐसे दूसरे गेंदबाज बन गए, जिसने आईसीसी के मैच में 100 मील प्रति घंटा के रफ्तार से गेंदबाजी की. अपने करियर के दौरान ब्रेट ली ने 221 अंतरराष्ट्रीय वनडे मैचों में कुल 380 विकेट लिए.

शौन टेट (161.1 किलोमीटर प्रति घंटा)

औस्ट्रेलिया के शौन टेट ने साल 2010 में लौर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में इंग्लैंड के खिलाफ ये गेंद फेंकी थी. इससे पहले टेट पाकिस्तान के खिलाफ 160.7 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंक चुके थे. शौन टेट अपने देश के लिए ज्यादा नहीं खेल सके. उन्होंने केवल 35 अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय मैचों खेले और 62 विकेट लिए.

जेफरी थौम्पसन (160.6 किलोमीटर प्रति घंटा)

जेफरी थौम्पसन को दुनिया के सर्वकालिक सबसे तेज गेंदबाजों में शुमार किया जाता है. जेफरी के क्रिकेट करियर के दौरान गेंदबाजों की स्पीड मापने की आधुनिक मशीनें नहीं थी. इसिलए उनके रिकौर्ड को लेकर अक्सर विवाद रहता है. 1976 में गेंदबाजी की रफ्तार से जुड़े एक अध्ययन के दौरान नेट पर गेंदबाजी करते हुए जेफरी ने 160.6 किलोमीटर प्रति घंटा के रफ्तार से गेंद फेंकी थी.

जेफरी के कुछ समकालीन दावा करते हैं कि उनकी गेंदें शोएब अख्तर या ब्रेट ली से तेज होती थीं. हालांकि इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि शायद ही कभी हो सके. जेफरी थौम्पसन ने 51 टेस्ट मैचों में कुल 200 विकेट लिए. वहीं 50 वनडे मैचों में उन्होंने 55 विकेट लिए.

एंडी रौबर्ट्स (159.5 किलोमीटर प्रति घंटा)

वेस्टइंडीज के विश्व विख्यात तेज गेंदबाजों में शामिल एंडी रौबर्ट्स ने 1975 में डब्ल्यूएसीए में हुए मैच में औस्ट्रेलिया के खिलाफ ये गेंद फेंकी थी. एंडी रौबर्ट्स ने उस जमाने में गेंदबाज की जब टेस्ट क्रिकेट को बोलबाला था. उन्होंने 47 टेस्ट मैचों में 202 विकेट लिए. वहीं 56 वनडे मैचों में 87 विकेट. रौबर्ट्स को क्रिकेट इतिहास के सबसे मारक और श्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में शुमार किया जाता है.

इतिहास के पन्ने पलटने में जुटा है पूरा बौलीवुड

बौलीवुड में इन दिनों फिल्ममेकर्स इतिहास के पन्ने पलटने में व्यस्त हैं, कोई राजपूतों की आन-बान और शान को पर्दे पर लेकर आ रहा है तो कोई मराठाओं की ताकत दिखा रहा है. बौलीवुड स्टार्स भी इन ऐतिहासिक किरदारों को निभाने में अपनी शान समझते हैं और पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरते हैं. दिलचस्प पहलू यह है कि इन फिल्मों में इतिहास के अलग-अलग अध्याय को शामिल किया गया है, जो अलग-अलग कालखंडों से आते हैं.

1897 के बैटल औफ सारागढ़ी पर आधारित ‘केसरी’ के बाद अक्षय कुमार एक और फिल्म में इतिहास का सफर कर रहे हैं. चाणक्य धारावाहिक और ‘पिंजर’ जैसी कालजयी फ़िल्म बनाने वाले डा. चंद्रप्रकाश द्विवेदी अब पृथ्वीराज चौहान पर फिल्म बना रहे हैं, जिसे यशराज फिल्म्स जैसा बड़ा प्रोडक्शन हाउस प्रोड्यूस कर रहा है. इस फिल्म में अक्षय पृथ्वीराज चौहान का किरदार ही निभा रहे हैं. फिल्म की बाकी स्टार कास्ट अभी तय की जा रही है. शूटिंग अगले साल शुरू होने की संभावना है.

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इसी साल रिलीज हुई संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावत’ चित्तौड़ की महारानी पद्मावती के जौहर पर आधारित थी. इस फिल्म में दीपिका पादुकोण ने रानी पद्मावती का किरदार निभाया था, जबकि शाहिद कपूर उनके पति महारावल रतन सिंह के रोल में थे. वहीं, रणवीर सिंह ने दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी का किरदार प्ले किया. पद्मावत साल 2018 की अकेली फ़िल्म है, जिसने 300 करोड़ से अधिक कलेक्शन बौक्स औफिस पर किया है.

इससे पहले भंसाली मराठा पेशवा बाजीराव की लव स्टोरी पर ‘बाजीराव मस्तानी’ बना चुके हैं, जिसमें दीपिका ने मस्तानी और प्रियंका चोपड़ा ने बाजीराव की पत्नी काशीबाई का किरदार निभाया था.

अजय देवगन सरदार भगत सिंह बनकर पर्दे पर आ चुके हैं, अब वो मराठा योद्धा तानाजी मालसुरे के अंदाज में बड़े पर्दे पर उतरेंगे. इस फिल्म का शीर्षक ‘तानाजी- द अनसंग वौरियर’ है, जिसकी पहली झलक अजय ने ट्विटर के ज़रिए शेयर की थी. तानाजी सत्रहवीं सदी में शिवाजी के जनरल थे.

हड़प्पा संस्कृति पर आधारित फिल्म ‘मोहनजो-दाड़ो’ बनाने के बाद निर्देशक आशुतोष गोवारिकर एक बार फिर इतिहास की तरफ देख रहे हैं. इस बार उन्होंने पानीपत की तीसरी लड़ाई चुनी है, जिस पर वो ‘पानीपत’ शीर्षक से फिल्म बना रहे हैं. फिल्म में अर्जुन कपूर, संजय दत्त और कृति सनोन भी मुख्य भूमिकाओं में हैं. अर्जुन सदाशिव राव भाऊ के रोल में हैं, तो कृति उनकी पत्नी पार्वतीबाई का रोल निभा रही हैं. संजय दत्त अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली के किरदार में हैं.

वैसे आशुतोष इससे पहले ‘जोधा अकबर’ भी बना चुके हैं, जिसमें रितिक रोशन ने अकबर और ऐश्वर्या राय ने जोधाबाई का किरदार प्ले किया था. अभिषेक बच्चन को लेकर वो ‘खेलें हम जी जान से’ बना चुके हैं, जो बंगाल की मशहूर क्रांतिकारी घटना चटगांव अपराइजिंग पर आधारित थी.

अंग्रेजों से लोहा लेने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बायोपिक ‘मणिकर्णिका- द क्वीन औफ झांसी’ में कंगना रनौत झांसी की रानी का किरदार निभाने वाली हैं. यह फिल्म कृष के निर्देशन में बन रही है, जिन्होंने अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘गब्बर इज़ बैक’ से बौलीवुड में डायरेक्टोरियल पारी शुरू की थी. बंगाली कलाकार जीशु सेनगुप्ता राजा गंगाधर राव के किरदार में हैं, जबकि अतुल कुलकर्णी तात्या टोपे का रोल निभा रहे हैं. इस फिल्म से टीवी एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे बौलीवुड में डेब्यू कर रही हैं, जो झलकारीबाई के किरदार में हैं.

दुनिया के वो स्मार्टफोन जिन्हें लोगों ने सिरे से नकार दिया

जमाना बहुत तेजी से बदल रहा है और इस तेजी से बदलते हुए टेक्नोलोजी के जमाने में हर कोई तेजी से टेक्निकल होता जा रहा है. अब बात करें अगर स्मार्टफोन उपभोक्ताओं की ही लोग समय के साथ साथ अपने स्मार्टफोन को हमेशा बदलते रहते हैं, खैर स्मार्टफोन आज के जमाने में लोगों की आदत बन गई है और इसकी जरूरत भी है.

स्मार्टफोन इंडस्ट्री में पिछले कुछ वर्षों में कई हैंडसेट्स लौन्च किए गए हैं. इनमें कुछ स्मार्टफोन्स ऐसे हैं जो यूजर्स के बीच काफी लोकप्रिय हुए. वहीं, कुछ स्मार्टफोन्स ऐसे हैं जिन्हें बाजार में विफलता का सामना करना पड़ा. इस पोस्ट में हम कुछ ऐसे ही स्मार्टफोन्स के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने बाजार में सबसे खराब प्रदर्शन किया.

सैमसंग गैलेक्सी नोट 7 : इस फोन के ब्लास्ट होने के कई मामले सामने आए थे. फीचर्स के मामले में यह फोन अच्छा था. लेकिन इसकी बैटरी के चलते कई जगहों पर फोन में ब्लास्ट हुए. इसी कारण कंपनी ने फोन की यूनिट्स को वापस मंगवा लिया.

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ब्लैकबेरी स्टौर्म : ब्लैकबेरी ने यह फोन टच स्क्रीन स्मार्टफोन के शुरुआती दौर में लौन्च किया था. इस फोन की टच स्क्रीन, बैटरी, सौफ्टवेयर यूजर्स की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. ऐसे में यह फोन बाजार में नहीं चल पाया. आपको बता दें कि इस फोन की 1 मिलियन यूनिट वापस कर दिए गए थे.

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HTC थंडरबोल्ट : आपको बता दें कि यह स्मार्टफोन पहला 4G LTE स्मार्टफोन था. लेकिन इस फोन को लौन्च होने में देरी हो गई थी. साथ ही इसे ज्यादा LTE बैंड का सपोर्ट भी नहीं मिल पा रहा था. इसलिए इस फोन को यूजर्स के गुस्से का सामना करना पड़ा था.

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अमेजन फायर : ई:कौमर्स कंपनी अमेजन इंडिया ने इस फोन के जरिए मार्किट में कदम रखा था. लेकिन साधारण फीचर्स, बेकार बैटरी लाइफ, कमजोर डिजाइन, धीमी परफौर्मेंस और अधिक कीमत के कारण यह स्मार्टफोन बाजार में असफल हो गया. इस फोन से अमेजन को 170 मिलियन डौलर का घाटा हुआ था.

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मोटोरोला ड्रौइड बायोनिक : इस फोन को CES 2011 में पेश किया गया था. फोन में दिया गया कैमरा, बैटरी, कस्टम स्कीन समेत कुछ अन्य फीचर्स परफौर्मेंस के मामले में अच्छे साबित नहीं हुए थे जिसके चलते यह फोन बाजार में फेल हो गया.

जिस स्पिनर की अनिल कुंबले ने की थी खोज, एक बार फिर हो रहा है वो वायरल

परिंदों को मंजिल मिलेगी यकिनन ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं, अक्सर वो लोग खामोश रहते हैं जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं.

कुछ ऐसी ही कहानी है भारत के शंकर सज्जन की जोकि भारतीय टीम का हिस्सा तो नहीं हैं लेकिन फिलहाल सोशल मीडिया पर अपने क्रिकेट के जज्बे के कारण वायरल हो रहे हैं.

अफगानिस्तान टेस्ट के पहले मैच की शुरूआत से पहले भारत का एक लेग स्पिनर सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. इस लेग स्पिनर की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर तेजी से वायरल हो रहे है. इस लेग स्पिनर का नाम शंकर सज्जन है. शंकर को अफगानिस्तान के बल्लेबाजों को नेट प्रैक्टिस करवाते हुए देखा गया था, जिसके बाद से वह एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं. इस बार शंकर का वीडियो भारतीय क्रिकेटर श्रेयस गोपाल ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. इस वीडियो को शेयर करते हुए श्रेयस ने लिखा: जहां चाह, वहां राह… और आज मैंने इसका अनुभव भी किया.

शंकर सज्जन को हाल ही में अफगानिस्तान के बल्लेबाजों के सामने गेंदबाजी कराने के लिए भेजा गया था. शुरुआत में तो अफगानिस्तान के बल्लेबाज उन्हें हल्के में लेते रहे, लेकिन जल्दी ही इस धाकड़ स्पिनर ने अफगानी विकेट चटकाने शुरू कर दिए. अफगानी बल्लेबाज शंकर की गुगली के सामने पस्त होते नजर आए. शंकर सज्जन बेहद खास क्रिकेटर हैं. वह फिजिकली चैलेंज्ड हैं.

तीन साल पहले जब भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने देश से लेग स्पिनर स्टार ‘स्पिन स्टार्स हंट’ चुनने के लिए लगभग 80 शहरों का दौरा किया था. उन्होंने इस दौरान एक विशेष प्रतिभाशाली टैलेंट की खोज की है. 2000 से ज्यादा स्पिनरों को देखने के बाद कुंबले ने 110 फाइनलिस्ट तय किए थे. हालांकि, टेस्ट में शंकर को सेलेक्टर्स ने फेल कर दिया था, लेकिन कुंबले के अनुरोध करने पर इस लड़के को सेलेक्ट किया गया था.

शंकर इतनी सधी हुई लाइन और लेंथ के साथ गेंद फेंकते हैं कि हर बल्लेबाज हैरान रह जाता है. शंकर अनिल कुंबले और राशिद खान को अपना आइडल मानते हैं. शंकर कोई असाधारण स्पिनर नहीं है. वह क्रिकेट के लिए जुनूनी हैं. सारी बाधाओं को पार करते हुए शंकर ने अपनी शानदार गेंदबाजी से कुंबले को इस बात के लिए तैयार कर लिया था कि उन्हें चुना जाए.

शंकर बचपन से ही क्रिकेट को लेकर बेहद जुनूनी रहे हैं. हालांकि, शारीरिक बाधाओं ने हर कदम पर उनका रास्ता रोकने की कोशिश की है. तीन साल पहले बीजापुर, साहू क्रिकेट क्लब में कोच को मनाना उनके लिए आसान नहीं था. कोच ने उन्हें यह समझाया कि यदि उनका चयन हो जाता है तो उन्हें अच्छे से गेंदबाजी करनी होगी. शंकर ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से चयन प्रक्रिया को पूरा किया और मैरिट के आधार पर चुने गए थे.

शंकर ने जीवन की हर चुनौती को पार किया है. फिजिकल चैलेंज्ड के साथ साथ केवल दो वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया था. शंकर ने ‘स्पिन स्टार्स हंट’ में चुने जाने के बाद कहा था,  ‘मेरे अंकल शरण मेरे सपोर्ट में आए. मैं कुंबले सर का बहुत बड़ा फैन हूं. मेरे लिए यह किसी सपने का सच हो जाना है.

पनामा पेपर्स लीक में हुआ नया खुलासा, देश के कई नामचीन लोग फंसे

एक बार फिर से पनामा पेपर्स लीक मामला सुर्खियों में है, पनामा पेपर्स लीक मामले में एक नया मामला सामने आया है. साल 2016 के अप्रैल महीने में पनामा पेपर्स के छपने के 3 सप्ताह पहले पनामा की लौ फर्म मोसैक फोनसेका को किए गए एक मेल में कुछ भारतीय उद्दोगपतियों तथा चर्चित लोगों के नाम सामने आए हैं. जिनमें पीवीआर सिनेमा के मालिक अजय बिजली, सुनील मित्‍तल के बेटे व हाइक मैसेंजर के सीईओ कवीन भारती मित्‍तल और एशियन पेंट्स के प्रवर्तक अश्विन धनी के बेटे जलज अश्विन धनी का नाम शामिल हैं. ये सभी भारत के जाने माने लोग हैं और ये उन लोगों के नाम हैं जिनकी विदेश में भी कंपनी के होने का पता चला है. मोसैक इनके लिए काम कर रही थी.

कवीन ने साल 2008 में शुरु की थी कंपनी : ईमेल में खुलासा

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक केबीएम ग्‍लोबल लिमिटेड के प्रवर्तक के तौर पर कवीन भारती मित्‍तल का नाम सामने आया है. यह फर्म ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड (BVI) में दिसंबर 2008 में पंजीकृत हुई थी. मार्च 2016 के ईमेल में कवीन का नाम कंपनी के लाभार्थी प्रवर्तक के रूप में सामने आया है. इसमें उनका अमृता शेरगिल मार्ग, नई दिल्‍ली का पता भी दिया हुआ है.

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12 लाख नए दस्‍तावेज मिले

इस नए खुलासे में कुल 12 लाख ऐसे दस्‍तावेज मिले हैं जिनमें 12 हजार दस्‍तावेज भारतीयों से जुड़े है. 2016 में 1.15 करोड़ दस्‍तावेज सामने आए थे. इसे खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय समूह (ICIJ) और जर्मनी के अखबार सूड्यूश जिटुंग ने मिलकर इसका भांडाफोड़ किया था. दस्‍तावेजों से यह भी खुलासा हुआ है कि पनामा की लौ फर्म मोसैक फोनसेका उनका बहीखाता देख रही थी. मोसैक ने भारतीयों को उनकी कंपनियों के पंजीकरण से संबंधित दस्‍तावेज कम होने पर नोटिस भेजा था. इसके बाद मोसैक फोनसेका ने अपने सभी क्‍लाइंट को 90 दिन का नोटिस दिया जिसमें उसने पंजीकृत एजेंट पद से रिजाइन करने की बात कही क्‍योंकि कंपनियां वैधानिक औपचारिकताएं पूरी करने में फेल रही थीं.

अमिताभ बच्‍चन भी हैं इसका हिस्सा

इस खुलासे में भारत के काफी मशहूर नेता, अभिनेता तथा व्यापारियों के नाम सामने आए हैं लेकिन इन सबमें एक नाम ऐसा है जो बेहद चौकाने वाला है, जिन लोगों की विदेश में कंपनियां हैं उनमें शिव खेमका, अमिताभ बच्‍चन, जहांगीर सोराबजी, डीएलएफ समू‍ह के केपी सिंह और उनके परिवार वाले, अनुराग केजरीवाल, मेहरासंस ज्‍वेलर्स के नवीन मेहरा और हाजरा इकबाल मेमन व उनके परिवारवालों के नाम शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में जो खुलासा हुआ था उसमें बताया गया था कि अमिताभ बच्‍चन लेडी शिपिंग लिमिटेड और ट्रेजर शिपिंग लिमिटेड के निदेशक हैं. उन्‍हें ब्रिटेन की मिनवेरा ट्रस्‍ट ने 90 दिन का नोटिस भेजा था. वह इन दोनों कंपनियों के एडमिनिस्‍ट्रेटर के तौर पर काम कर रही थी. इस मामले में एक और कंपनी सी बल्‍क शिपिंग कंपनी लिमिटेड का भी नाम सामने आया. हालांकि जांच का सामना कर रहे अमिताभ बच्‍चन ने इन कंपनियों से कोई ताल्‍लुक होने से इनकार किया है. मोसैक फोनसेका से जुड़े दस्‍तावेजों में बताया गया कि कुछ भारतीय क्‍लाइटों ने अपना कंपनी बंद करने को कहा था जबकि कुछ ने लौ फर्म से बतौर एजेंट काम करने का आग्रह किया था.

जब बेचना हो पुराना स्मार्टफोन

अपना पुराना सामन बेचने के लिए आप क्विकर और ओएलएक्स जैसी वेबसाइट्स का सहारा लेते होंगे. लेकिन क्या आप ऐसी वेबसाइट्स के बारे में भी जानते हैं जो आपके पुराने खराब गैजेट्स को भी खरीदती हैं. ये वेबसाइट्स डिफेक्टिव और पुराने गैजेट्स को अच्छे दामों पर खरीदती हैं. इन साइट्स की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां आपको बायर्स का इंतजार नहीं करना पड़ता ये खुद ही आपका पुराना सामन खरीदती हैं.

आप जैसी गैजेट डेसक्रिप्शन इन साइट्स को बताते हैं ये उन्हीं के आधार पर आपको उसकी कीमत ऑफर करती है. जैसे ही आप ये ऑफर एक्सेप्ट करते हैं आपका गैजेट बिक जाता है और कीमत आपके लिंक्ड अकाउंट में आ जाती है. ये ई-कंपनी खुद आपके घर आकर गैजेट को पिक करती हैं और कैश में भी पेमेंट देती हैं. इस साइट्स पर जाकर आप स्‍मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप और अन्‍य गैजेट्स को आसानी से बेच सकते हैं.

कर्मा रिसाइक्लिंग

इन कंपनियों में सबसे बेहतर मानी जाती है कर्मा रिसाइक्लिंग. कर्मा एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो बढ़ते ई-वेस्‍ट को घटाने के लिए एक मिशन के तौर पर काम कर रहा है. यहां आप अपने पुराने और डिफेक्टिव स्‍मार्टफोन, टैबलेट, लैपटोप और आईफोन को आसानी से बेच सकते हैं.

अन्‍य सभी साइट्स की तरह कर्मा रिसाइक्लिंग भी ऑन द स्‍पॉट आपके गैजेट की वैल्‍यू बता देती है और उसके आधार पर आप गैजेट को बेचने का फैसला ले सकते हैं.यह साइट अब तक 3 लाख, 60 हजार से गैजेट्स खरीद चुकी है. इसके लिए साइट की तरफ से 15 करोड़ रुपए से ज्‍यादा की पेमेंट की गई है.

मोस्‍वैप

मोस्‍वैप भी पुराने गैजेट्स को बेचने का मौका देती है. स्‍मार्टफोन कंप्‍यूटर्स और लैपटॉप जैसा हर गैजेट यहां पर बेचा जा सकता है. दूसरी साइट्स की तरह ही मोस्‍वैप भी आपको प्राइस कोट करता है और ऑनलाइन ही आप अपना गैजेट बेच देते हैं. इसके बाद फ्री पिकअप के साथ ही आपको पेमेंट की जाती है. साइट पर आप अपने गैजेट्स का पिकअप स्‍टेटस और अन्‍य चीजें भी ट्रैक कर सकते है.

रिग्‍लोब

अगर आप टीवी और गेमिंग गैजेट्स बेचना चाहते हैं तो ये वेबसाइट आपके लिए सबसे बेहतर है. रिग्‍लोब पर टीवी, डेस्‍कटॉप कंप्‍यूटर और गेमिंग के पुराने गैजेट्स आसानी से बेचे और खरीदे भी जा सकते हैं. रिग्‍लोब पर अन्‍य साइट्स की तुलना में मोबाइल और टैबलेट्स की रीसेल प्राइस वैल्‍यू अच्छी मिलती है. यह साइट फिलहाल सिर्फ कैश में पेमेंट करती है. मतलब जब आपके घर से गैजेट को फ्री पिकअप किया जाएगा उसी समय आपको गैजेट का तय प्राइस भी दिया जाएगा.

बदली डॉट इन (badli.in)

बदली डॉट इन (badli.in) पर स्‍मार्टफोन, टैबलेट, लैपटोप समेत लगभग सभी गैजेट बेच सकते हैं. बेचने के अलावा आप यहां से सेकंड हैंड और रिफ‍बर्शिड गैजेट्स खरीदे जा सकते हैं. ये आपको मार्केट वैल्‍यू से काफी सस्‍ते में मिल जाएंगे.

इस कंपनी की शुरुआत 2013 में की गई थी और अब तक कंपनी हजारों सेकंड हैंड व पुराने गैजेट्स खरीद चुकी है. बेंगलूरू स्थित यह साइट फ्री पिकअप और डिलीवरी की सर्विस भी आपको देती है. बदली ने एक कस्‍टमर केयर नंबर भी जारी किया है.

एटरबे

40 से 80 हजार के बीच मिलने वाले ऐपल के आईफोन एटरबे पर आपको काफी कम कीमत में मिल सकते हैं. इस साइट पर न सिर्फ आईफोन बल्कि दूसरे स्मार्टफोन भी काफी कम कीमत पर मिल जाते हैं. ये साइट खुद भी पुराने मोबाइल खरीदती है और उन्हें ही बेचती भी है.

एटरोबे आपके पुराने गैजेट बेचने के बदले आपको पेमेंट के कई ऑप्‍शन देती है. यह साइट आपको कैश के अलावा अन्‍य फॉर्मेट में भी पेमेंट करती है. इसमें वाउचर और ट्री प्‍लांटेशन भी शामिल है. इन तीनों ऑप्‍शन में आप जो भी रास्‍ता चुनेंगे, उसी के जरिए आपको पेमेंट की जाती है.

Video : अब मोदी को लेकर बोलीं जसोदाबेन, मेरा पति मेरा देवता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुंवारा बताने के बयान पर मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन अब घिरती नजर आ रहीं हैं. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के हरदा जिले के टिमरनी कस्बे के एक सरकारी कार्यक्रम में आनंदीबेन ने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि नरेंद्र भाई ने कभी शादी ही नहीं की.

इस झूठे बयान पर सभी को हैरानी हुई थी लेकिन जसोदाबेन का तिलमिलाना स्वाभाविक बात है. आनंदीबेन पर बिना उनका नाम लिए तंज कसते जसोदाबेन ने कहा है कि एक पढ़ी लिखी महिला द्वारा इस तरह एक टीचर यानि जसोदाबेन के बारे में ऐसा कहना बिलकुल अनुचित है, इससे प्रधानमंत्री की छवि को भी नुकसान पहुंचा है.

बकौल जसोदाबेन वे यानि नरेंद्र मोदी उनके लिए आदरणीय हैं, वह उनके लिए राम हैं. कम हैरानी की बात नहीं कि जसोदाबेन को यह बात दोहराने मजबूर होना पड़ा कि उनकी और नरेंद्र मोदी की शादी की बात खुद मोदी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के पेपर फाइल करते वक्त दर्ज कराई थी और वहैसियत पत्नी जसोदाबेन का जिक्र किया था. असल में जसोदाबेन उस जमाने की पत्नी हैं, जब पति चाहे भला हो या बुरा हो, पर मेरा पति मेरा देवता है.

अपने भाई अशोक मोदी के मोबाइल फोन से जसोदाबेन ने एक वीडियो बनाकर वायरल किया है, जिसमें वे आनंदीबेन के बयान का खंडन करती नजर आ रहीं हैं. कोई शक न रहे इसलिए खुद नरेंद्र मोदी के साले अशोक मोदी ने इस बात की पुष्टि की है कि वीडियो में नजर आ रही महिला उनकी बहन जसोदाबेन ही हैं. अशोक मोदी का कहना है कि जब मीडिया के जरिये आनंदीबेन का बयान वायरल हुआ तो उन्होंने इसका जबाब देने का फैसला किया.

सोशल मीडिया पर हो रही इस बयानबाजी से वाकई नरेंद्र मोदी की इमेज खराब हो रही है, जो नहीं चाहते कि उनकी शादी और पत्नी का जिक्र हो, लेकिन इस बार उन्हें उनकी ही चहेती नेत्री आनंदीबेन ने दिक्कत में डाल दिया है. तय है वे इस मसले पर खामोश ही रहेंगे, लेकिन जसोदाबेन जैसी पतिव्रता का दिल दुखाकर आनंदीबेन को क्या हासिल हुआ और उन्होंने यह बयान क्यों दिया, यह जरूर सस्पेंस वाली बात है, क्योंकि न तो वे अपने बयान का खंडन कर रहीं हैं और न ही खेद व्यक्त कर रहीं हैं.

मैं ने काफी मेहनत की : विशाल मिश्रा

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जैसे छोटे शहर से एक गैर फिल्मी परिवार से आकर मुंबई और खासकर बौलीवुड में बतौर गायक व संगीतकार अपनी एक अलग पहचान बना लेने वाले विशाल मिश्रा इन दिनों काफी खुश हैं. उनकी इस खुशी की वजह पंद्रह दिनों के अंतराल में उनके संगीत से सजी दो बड़े बजट की फिल्मों ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ और ‘‘रेस 3’’ का प्रदर्शित होना है. यह वह फिल्में हैं, जिन्हे फिल्म आलोचकों की आलोचनाओं के बावजूद बाक्स आफिस पर सफलता मिल रही है. फ्लूट, तबला, हरमोनियम व गिटार सहित 17 वाद्ययंत्र बजा लेने वाले विशाल मिश्रा के लिए भाषा की बंदिश कभी नहीं रही. उन्होंने हिंदी के अलावा मराठी, तमिल व तेलगू भाषा की फिल्मों के लिए भी संगीत दिया है.

विशाल मिश्रा को सलमान खान का वरद हस्त हासिल है. सलमान खान की फिल्म ‘‘रेस 3’’ में विशाल मिश्रा ने तीन गानों को संगीत से सजाने के साथ ही दो गाने खुद गाए हैं. मजेदार बात यह है कि इन तीनों गीतों को सलमान खान ने स्वयं लिखा है.

अपनी अब तक की यात्रा को किस तरह से देखते हैं?

मैं उत्तर प्रदेश में उन्नाव का रहने वाला हूं. मेरे दादाजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मथुरा प्रसाद मिश्रा थे. मेरे पिताजी शैंलेंद्र कुमार मिश्रा एडवोकेट हैं. मेरे पिताजी को संगीत का शौक है. वह बहुत अच्छा गाते थे. वैसे तो हम जहां से हैं, वहां पर आज से 20 वर्ष पहले नाच व गाने को अच्छा नहीं माना जाता था. गीत गाने वाले को लोग कहते थे कि गवइया बनना है या तबलची बनना है. इसलिए उनके मन में यह बात रही होगी. हमारी परवरिश ऐसे माहौल में हुई है कि हम अपने पिता के सामने बैठ नहीं सकते थे. पिता जी से हम खुलकर बात नहीं करते थे. हम अपने पिता से बहुत डरते थे. डर तो अभी भी लगता है. तो मैं उनसे छिपकर गाना गाया करता था. कभी उनसे अपने मन की बात कहने का साहस नहीं जुटा पाता था.

मैं अपने पिता से छिप छिपकर गाने के आडीशन देने जाया करता था. आडीशन देकर बहुत सकून मिलता था. हमारे यहां बंदिशें बहुत ज्यादा थीं. उन दिनों कैसेट चला करते थे और मेरे पिता जगजीत सिंह को बहुत सुना करते थे. इसके अलावा हमारे घर पर एक कैसेट आया था, जिसके ‘ए’ साइड में फिल्म ‘हम साथ साथ’ के गाने थे. ‘बी’ साइड में ‘अर्थ’ के गाने थे. जब पिता जी घर पर नहीं होते थे, तब मैं ‘वाकमैन’ में डालकर सुना करता था. मैं ‘हम साथ साथ’ के गाने बहुत सुनता था. मुझे अच्छा लगता था. पर उस वक्त यह मेरा बचपना था.उस वक्त मुझे पता नहीं था कि कैफी आजमी कौन हैं? और कौन निर्देशक हैं? वगैरह वगैरह..पर गाने का शौक बढ़ता जा रहा था. तो मैं कैसेट डब करा करा कर घर लाता था और चुप चाप सुना करता था.

फिर धीरे धीरे पढ़ाई की तरफ रूझान बढ़ गया. मेरे जन्मदिन पर मेरी बड़ी बहन ने मुझे ‘की बोर्ड’ उपहार मे दिया था, तो मैं ‘की बोर्ड’ बजाया करता था. की बोर्ड बजाने में अंदर से संतुष्टि मिलती थी. फिर मैं क्रिकेट खेलने लगा, तो उस पर भी घर वालों को आपत्ति थी. कहा जाता था कि समय बर्बाद मत करो. पढ़ाई पर ध्यान दो. खैर, हमने कालेज की पढ़ाई पूरी की.

पिता की बंदिशों के चलते आपको गुस्सा भी आता होगा?

आपने एकदम सही पकड़ा. उस वक्त मां बाप हमें हमारे दुश्मन लगते थे, पर आज सोचता हूं, तो वह सही थे. उस वक्त हमें फोन पर ज्यादा बात करने की मनाही थी. आज मैं देखता हूं कि हर छोटे बच्चे के हाथ में मोबाइल फोन नजर आता है. सच कहूं तो आज मैं अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि मैं उत्तर प्रदेश के उन्नाव जैसे छोटे शहर में जन्मा व पला बढ़ा हूं. और अपने मां बाप का बेटा हूं. मैं जिस तरीके से लोगों से बात करता हूं, वह तरीका लोगों को काफी पसंद आता है. शायद यह मेरे माता पिता द्वारा मुझे दी गयी परवरिश का परिणाम है. हमारे यहां हर बड़ा चाचा और छोटा भाई भतीजा ही होता है. मुंबई और बालीवुड में तो ‘ब्रो’ सिस्टम चलता है, जो मेरी समझ से परे है.

वैसे मेरे दादाजी स्व. मथुरा प्रसाद मिश्रा को भी गायन का शौक था. वह आल्हा बहुत अच्छा गाते थे. उन्हे शायरी का शौक था. वह लिखते भी थे. रात में कहानियां सुनाया करते थे. लेकिन मैं और मेरे बाबा अच्छे दोस्त थे. हम हर मसले पर बात कर लेते थे.

पारिवारिक बंदिशों के बावजूद संगीत करियर कैसे बना?

दोस्त की मदद करने गया था और मेरी राह बन गयी. वास्तव में मेरा एक दोस्त था, जिसे संगीत के रियालिटी शो के लिए आडीशन देने जाना था. मेरे पास गाड़ी हुआ करती थी. उस दोस्त को आडीशन के लिए छोड़ने गया हुआ था. मेरे दोस्त ने मुझे भी आडीशन देने की सलाह दी. मैं ने यह सोचकर आडीशन दे दिया कि टीवी पर मेरा भी एक गाना आ जाएगा. मैं ने आडीशन दिया और राष्ट्रीय दूरदर्शन चैनल के रियालिटी शो ‘‘भारत की शान’’ के लिए मेरा चयन हो गया.

एक एपीसोड के लालच में बड़ी मुश्किल से पिता जी से इजाजत लेकर मुंबई आ गया. पर मैं इस शो का विजेता बन गया. मैं ने यहां संगीत की ट्रेनिंग लेकर नहीं आया था. पर मैं ने सब कुछ यहीं पर देख देखकर सीखा. मेरी प्रवृत्ति रही है हर नई चीज को जानने, समझने व सीखने की. 2012 में ‘‘भारत की शान’’ का हिस्सा बनने के लिए मुंबई आया था, आज 2018 में बतौर संगीतकार मेरे चालीस गाने आ चुके हैं. तो मेरे दोस्त की बदौलत संगीत मेरा करियर बन गया.

‘‘भारत की शान’’ गायक के तौर पर जीता था. तो फिर संगीतकार के रूप में आपका करियर आगे कैसे बढ़ा?

‘‘भारत की शान’’ का विजेता बनने के बाद मैं वापस उन्नाव नहीं गया. मैं ललित पंडित के साथ सहायक के तौर पर काम करने लगा. फिल्म ‘‘बेशरम’’ में स्वतंत्र रूप से मैं ने संगीत भी दिया था. वैसे सबसे पहला ब्रेक मुझे प्रभु देवा जी ने दिया. उस वक्त वह फिल्म ‘सिंह इज किंग’ बना रहे थे. उन्होंने मुझे बुलाया, मैं ने उन्हे जो गाना सुनाया, वह उन्हे जमा नहीं. मैं काफी निराश हो गया था. मगर कुछ दिन बाद उन्होंने मुझे पुनः बुलाया और वही पुराना गीत सुनाने के लिए कहा. उन्होंने अपनी नई फिल्म ‘तुतक तुतक तूतिया’ में मेरा वह गाना रखा. सबसे पहले बतौर संगीतकार मुझे प्रभु देवा ने अनुबंधित किया. यह 2016 की बात है.

उसी साल महेश मांजरेकर ने मुझसे मराठी फिल्म ‘‘फू-फ्रेंडशिप अनलिमिटेड’’ के लिए 16 गाने बनवाए. महेश मांजरेकर का भी मेरी जिंदगी में काफी योगदान है. उन्होंने हिंदी भाषी उत्तर प्रदेश के उन्नाव जैसे छोटे शहर के लड़के को मराठी भाषा में 16 गाने संगीतबद्ध करने का मौका दिया. उसके बाद मैने तमिल व तेलगू भाषा की फिल्में की.

महेश मांजरेकर की फिल्म ‘‘फू –फ्रेंडशिप अनलिमिटेड’ में मैं ने सलमान खान से ‘गच्ची’ गाना गवाया था. और खुद भी सलमान खान के साथ गाया था. फिल्म ‘‘मुन्ना माइकल’’ के गीत ‘‘प्यार हो’’ को संगीत से संवारने के साथ ही सुनिधि चौहान के साथ गाया /स्वरबद्ध भी किया. फिल्म ‘‘करीब करीब सिंगल’’ में ‘जाने दे’ गीत को आतिफ असलम और ‘खतम कहानी’ गीत को नूरा सिस्टर्स से गवाया. अब फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ और ‘‘रेस 3’’ भी प्रदर्शित हो चुकी हैं. इन फिल्मों के मेरे गीत काफी पसंद किए जा रहे हैं.

बौलीवुड में चर्चा है कि सलमान खान के साथ आपके काफी अच्छे रिश्ते हैं?

जी हां! मैं ने पहले ही बताया कि मेरी उनसे दोस्ती तब हुई थी, जब मैं ने उन्हे मराठी फिल्म में एक गीत गवाया था. उसके बाद हमारे बीच काफी अच्छे संबंध बन गए. फिर उनका मार्गदर्शन मुझे लगातार मिलता रहा. पिछले एक वर्ष से हम फिल्म ‘रेस 3’ के गानों पर साथ काम कर रहे थे. गाने की एक एक लाइन पर हमने साथ में काम किया है. फिल्म ‘रेस3’ में ‘‘सेल्फिश’’ सहित दो गाने ऐसे हैं, जिन्हे मैं ने संगीत से संवारा है और सलमान सर ने अपनी आवाज में स्वरबद्ध किया है.

मैं तो खुद को खुशनसीब समझता हूं कि मेरे गानों को सलमान सर ने अपनी आवाज दी है. सलमान सर के साथ काम करना किसी ख्वाहिश के पूरे होने से कम नहीं है. उनका विजन बहुत साफ रहता है. वह आपको सलाह देते हैं, लेकिन दखलंदाजी नहीं करते. मैं आज जो कुछ कर पाया, उसकी मुख्य वजह यह रही कि सही समय पर सही लोगों से मेरी मुलाकात होती रही.

‘‘भारत की शान’’ के समय का कोई खास अनुभव?

उस वक्त सब कुछ नया था. डेढ़ साल की पूरी यात्रा ही मेरे लिए अद्भुत थी. उन्नाव का लड़का ‘भारत की शान’’ रियालिटी शो में ललित पंडित, आनंद राज आनंद, इस्माइल दरबार के सामने गाता था. मैं ने बहुत अलग अलग गाने गाए. एपीसोड दर एपीसोड मेरा आत्मविश्वास बढ़ता गया. 52 एपीसोड में से 36 में मैं सर्वश्रेष्ठ गायक रहा. मैं ने काफी मेहनत की. हर किसी से सीखने की कोशिश की. मैं तहे दिल से ‘‘भारत की शान’’ का शुक्रिया अदा करता हूं. क्योंकि इसी शो के चलते मैं कई संगीतकारों, गायकों, गीतकारों व निर्माता निर्देशकों से मिला अन्यथा मुंबई और बालीवुड में मैं किसी को जानता ही नहीं था. इसी शो की वजह से मेरे लिए दरवाजा खुल गया था.

पर आप गायक से संगीतकार कैसे बन गए?

मैं मूलतः संगीतकार ही था. जब मैं कालेज में पढ़ता था, तब मेरी प्रेमिका हुआ करती थी. मैं उन्हे शायरी लिखकर, उसकी धुने बनाकर व गाकर सुनाया करता था. बहुत कम लोगों को पता है कि मुझे शायरी का शौक है. हम उन्नाव व लखनऊ के लोग शेरो शायरी से काफी ताल्लुक रखते हैं, मैं तो बहुत पढ़ता हूं. मैं ने तमाम बड़े बडे़ शायरों को पढ़ा है. तो मैं गायक बाद में पहले संगीतकार हूं. गालिब, तालिब, नजीर, कैफी आजमी, जान आलिया, मुनव्वर राणा, वसीम बरेली सहित सभी को पढ़ा है. मैं ने पंजाबी शायरों को भी काफी पढ़ा है. कई नाम ऐसे हैं, जिन्हें लोग नहीं जानते हैं.

आपकी प्रेमिका ने षायरी सुनकर क्या कहा था?

हर चीज का एक दरवाजा होता है. उसे शायरी तो समझ में आती नहीं थी. पर वह बोलती थी कि तुम गाने अच्छे बनाते हो.

इसके बाद..?

गौरव सिन्हा की फिल्म ‘‘आपके कमरे में कोई रहता है’’. ‘यमला पगला दीवाना फिर से’ प्रमुख हैं. फिल्म ‘‘यमला पगला दीवाना फिर से’’ में मैं ने एक गीत ‘राफ्ता राफ्ता’ बनाया है. जो कि रेखाजी, धर्मेंद्र, सोनाक्षी सिन्हा, सनी देओल, सलमान खान, बाबी देओल व रेमो डिसूजा पर फिल्माया गया है. यह एक फेस्टिवल गाना है.

आगे की योजना?

संगीत के क्षेत्र में लगातार रचनात्मक व बेहतरीन काम करते रहना है.

शादी के बाद ससुराल वालों के हाथों की कठपुतली क्यों बन जाती है लड़की

महिलाओं को विवाह के बाद अपने व्यक्तित्व को, स्वभाव को बहुत बदलना पड़ता है. समाज सोचता है कि नारी की स्वयं की पहचान कुछ नहीं है. विवाह के बाद बड़े प्यारदुलार से उस की सामाजिक, मानसिक स्वतंत्रता उस से छीनी जाती है. छीनने वाला और कोई नहीं स्वयं उस के मातापिता, सासससुर और पति नामक प्राणी होता है. विदाई के समय मांबाप बेटी को रोतेरोते समझाते हैं कि बेटी यह तुम्हारा दूसरा जन्म है. सासससुर और पति की आज्ञा का पालन करना तुम्हारा परम कर्त्तव्य है.

ससुराल में साससुसर और पति कुछ स्पष्ट और कुछ संकेतों द्वारा ससुराल के अनुसार चलने की हिदायत देते हैं. मध्यवर्गीय व उच्च मध्यवर्गीय समाज की यह खास समस्या है. पत्नी विदूषी है, किसी कला में पारंगत है, तो उस में ससुराल वाले और संकुचित मानसिकता वाला पति उस की प्रतिभा का गला घोटने में देर नहीं करता. नृत्यकला या गायन क्षेत्र हो तो उसे साफतौर पर बता दिया जाता है कि ये सब यहां नहीं चलेगा. इज्जतदार खानदान के मानसम्मान की दुहाई दी जाती.

यहां तक कि कुछ घरों में बहुओं को नौकरी करने से भी मना कर दिया जाता है. भले घर में कितनी ही आर्थिक तंगी क्यों न हो. किसीकिसी घर में जहां आर्थिक तंगी, बदहाली चरम सीमा पर पहुंची होती है वे नौकरी की आज्ञा तो दे देते हैं, पर औफिस में किसी पुरुष से बात नहीं करनी और पूरा वेतन पति या सास को देने की शर्त रख दी जाती है. कठपुतली वाली जिंदगी

सुनंदा जिला स्तर की टैनिस खिलाड़ी थी. घर भर की लाडली थी. जीवन कैसे हंसखेल कर बिताया जाता है यह उस से सीखा जा सकता था पर अपनी जीवन प्रतियोगिता में वह पिछड़ गई. देखसुन कर एक सभ्रांत घर में रिश्ता तय किया गया. पति व ससुर दोनों उच्चपदाधिकारी थे. पगफेरे के लगभग 1 महीने बाद कठपुतली की तरह व्यवहार करने को मजबूर हो गई, जिस की डोर सिर्फ ससुराल वालों के हाथ में थी. क्या पहनेगी, कहां जाएगी, कितनी बात करनी है सब पति और ससुराल वाले तय करते थे. उस की भाभी ने अपना मोबाइल उसे छिपा कर दे दिया. अवसर पाते ही सुनंदा ने मायके से फोन पर अपनी व्यथाकथा कही तो भाभी हैरान रह गईं. ऊंची दुकान फीके पकवान वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी. अगर वह कुछ कहती तो ससुराल वाले उस के भाई व पिता को नुकसान पहुंचाने की धमकी देते. बेचारी डर के मारे चुप रह जाती.

अवसर पाते ही पिता व भाई सुनंदा को ससुराल से वापस ले आए. 1 साल तक वह उन के साथ रही. जिला क्लब में टेबल टैनिस की कोच बन गई. साल भर तो ससुराल वालों की नाराजगी के कारण कोई खोजखबर नहीं ली पर बाद में एक दिन पति ही सिर झुकाए गिड़गिड़ाता हुआ आ पहुंचा और सुनंदा को ले जाने का आग्रह करने लगा. घरवालों ने लिखित रूप से उस से वे सब बातें लिखवाई जिन से पति और उस का पिता सुनंदा को धमकाता था. आइंदा सुनंदा के साथ कुछ गलत न करने का वादा रिकौर्ड करवा कर सुनंदा को उस के साथ भेज दिया.

सताने के नए पैंतरे एक और घटना में एक युवती का विवाह एक ऐसे घराने में हो गया. जो अव्वल दर्जे के धोखेबाज थे. उन्होंने अमीर और सभ्य बनने का नाटक किया था. वास्तव में वे लोग सिर से पैरों तक कर्ज में डृबे थे. शादी में उन्हें अच्छाखासा कैश मिलने की उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हुईं. इस का आक्रोश निकाला गया.

युवती की सारी बुनियादी आवश्यकताओं पर रोक लग गई. पति और ससुर के खाने के बाद जो बचता वही वह खाती. फोन करने, बाहर जाने पर पाबंदी थी. मायका दूसरे शहर में था. ससुराल वाले जानपहचान वालों से भी नहीं मिलवाते. अगर कोई मिलने की इच्छा जाहिर करता तो वे कहते कि वह सोई हुई है या तबीयत खराब है. बड़ी कोशिशों के बाद परिवार को उसे वहां से निकालने का मौका मिला. जहां तक सैक्स की बात हो पति अपनी इच्छाओं को सर्वोपरि रखता है. पत्नी थकी हो या बीमार अथवा उस की इच्छा न हो, परंतु स्त्री को पति की जरूरत के आगे घुटने टेकने ही पड़ते हैं. यदि यह प्रस्ताव पत्नी की ओर से हो तो उसे पहले दर्जे की बेहया मान कर अपमानित किया जाता है यानी कदमकदम पर उस की स्वतंत्रता को रौंदा जाता है.

कुछ पुरुष तो अपनी पत्नी को अपनी जायदाद या संपत्ति समझते हैं. पिछले दिनों यह खबर सुर्खियों में थी कि एक सैनिक अपनी पत्नी को अपने सैनिक मित्रों, सहयोगियों के साथ यौन संबंध बनाने को बाध्य करता था. मना करने पर चाकू से उस के कपड़े काट देता था. सच में स्त्री के साथ ऐसा व्यवहार, ऐसी दरिदंगी बेहद खौफनाक है. एक औरत विवाह के बाद अगर इस तरह के पुरुषरूपी भेडि़यों के हाथ पड़ जाती है, तो उस की हर प्रकार की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है. ज्यादातर पत्नियों को स्त्री समस्या के बारे में, रेप की बढ़ती घटनाओं पर, किसी सभा में बोलने या लिखने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है. पति शराबी है, मारपीट करता है, नपुंसक है तो भी पत्नी को उसी पति के लिए सती होना पड़ता. यानी रहने को मजबूर होना पड़ता है.

क्या करें महिलाएं विवाह के बाद महिला की स्वतंत्रता समाप्त न हो, इस के लिए स्त्रियों को स्वयं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए. कुछ दिन पहले का मामला है, विवाह के समय दूल्हा नशे में धुत्त होशहवास खो कर डांस कर रहा था. यह देख कर दुलहन ने उस से शादी करने से इनकार करते हुए मंडप छोड़ दिया. जहांतहां दहेज लोभियों को सबक सिखाने के लिए लड़की द्वारा बरात लौटा देने के समाचार आते रहते हैं, जो अच्छा संकेत हैं.

आज की युवा पीढ़ी को चाहिए कि अपने होने वाले पति या होने वाली पत्नी के साथ मिलबैठ कर अपनी आंकाक्षाओं, विचारधाराओं से भली प्रकार एकदूसरे को अवगत करा दें. शराबी, बेरोजगार, तथा दहेज के लोभी पुरुषों का बहिष्कार कर देना चाहिए. मातापिता भी अपनी बेटियों को बेवजह घुटने टेकने के लिए मजबूर न करें.

जिस प्रकार हम एक पौधे को जड़ से निकाल कर दूसरी जगह रोपते हैं, तो देखते हैं कि मिट्टी, पानी, हवा सब उस पौधे के लिए अनुकूल हैं अथवा नहीं. अगर मिट्टी ठीक नहीं है, पानी ज्यादा या कम दे दिया, हवा पर्याप्त न मिली तो पौधा सूख जाता है. इसी प्रकार स्त्री भी विवाह के बाद अपनी जड़ें मायके से निकाल कर ससुरालरूपी बगीचे में रोपती है. उसे स्वतंत्रता, प्यारदुलार रूपी हवा, मिट्टी मिलनी चाहिए नहीं तो उस का व्यक्तित्व मुरझा जाएगा. विवाह नारी स्वंतत्रता का अंत नहीं. प्रत्येक स्त्री को अपनी प्रतिभा, आकांक्षाओं और सपनों को संजो कर रखने का पूरा हक है. ये उस के जीवन की अमूल्य धरोहर हैं, जिन्हें नष्ट होने से रोकना है. उन का व्यक्तित्व और अस्तित्व एक ऐसा भवन है, जिसे खंडित करने का हक किसी को नहीं है.

यदि स्त्री किसी कारणवश ऐसे नर्क से गुजर रही है, तो उसे किसी की सहायता लेनी चाहिए. अपनी निजी स्वतंत्रता का हनन होने से रोकना चाहिए. नारी एक जननी है. उस का अपमान करना, उस पर अत्याचार करना या उस की मानसिक, शारीरिक, स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाना, जघन्य अपराध ही नहीं पूरे परिवार के विकास में भी बाधा है.

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