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बदलाव : प्रमोद की जिंदगी में कैसे आया बदलाव

प्रमोद को सरकारी काम के सिलसिले में सुबह की पहली बस से चंड़ीगढ़ जाना था, इसलिए वह जल्दी तैयार हो कर बसस्टैंड पहुंच गया था. प्रमोद टिकट खिड़की पर लाइन में खड़ा हो गया था. दूसरी लाइन, जो औरतों के लिए थी, में 23-24 साल की एक लड़की खड़ी थी.

बूथ पर बस पहुंचते ही टिकट मिलनी शुरू हो गई. लेकिन तब तक लाइन भी काफी लंबी हो चुकी थी. खैर, प्रमोद को तो टिकट मिल गई और बस में वह इतमीनान से सीट पर जा कर बैठ गया. थोड़ी देर में वह लड़की भी प्रमोद के बगल की सीट पर आ कर बैठ गई. उन्हें 3 सवारी वाली सीट पर इकट्ठा नंबर मिल गया था.

ठसाठस भरने के बाद बस अपनी मंजिल की ओर रवाना हुई. लड़की ने अपना ईयरफोन और मोबाइल फोन निकाला और गाने सुनने लगी. बीचबीच में झटके खा कर वह प्रमोद से टकराती भी रही. बस जैसे ही शहर से बाहर निकली और सुबह की ठंडी हवा शरीर से टकराई तो प्रमोद 5 साल पहले की यादों में खो गया.

उस दिन भी प्रमोद बस से दफ्तर के काम से चंडीगढ़ ही जा रहा था. बसअड्डा पहुंचने में उसे थोड़ी देर हो गई थी. उस दिन किसी नौकरी के लिए चंडीगढ़ में लिखित परीक्षा थी. पहली बस होने के चलते भीड़ बहुत ज्यादा थी. जहां एक ओर मर्दों की बहुत लंबी लाइन थी, वहीं दूसरी ओर औरतों की लाइन छोटी थी.

प्रमोद को यह अहसास हो चला था कि आज इस बस में शायद ही सीट मिले, लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है, यह सोच कर वह लाइन में खड़ा रहा.

तभी औरतों की लाइन में एक लड़की आ कर खड़ी हो गई. उम्र यही कोई 25 साल के आसपास. खुले बाल, पैंटटीशर्ट पहने, वह हाथ में एक बैग लिए हुए खड़ी थी. प्रमोद ने अपनी लाइन से बाहर आ कर उस लड़की से पूछा, ‘मैडम, आप कहां जाएंगी?’

उस लड़की ने प्रमोद की तरफ गौर से देखा, फिर कुछ सोच कर बोली, ‘चंडीगढ़.’ प्रमोद ने कहा, ‘मैं भी चंडीगढ़ ही जा रहा हूं, अगर आप मेरी थोड़ी मदद कर दें तो…’

वह लड़की बोली, ‘कहिए, मैं आप की क्या मदद कर सकती हूं?’ प्रमोद ने 500 का एक नोट उसे थमाते हुए कहा, ‘आप मेरी भी एक टिकट चंडीगढ़ की ले कर मेरी मदद कर सकती हैं.’

‘ठीक है. आप बैठिए, मैं ले कर आती हूं,’ लड़की ने कहा. प्रमोद बूथ पर लगी बस के पास

आ कर खड़ा हो गया और थोड़ी देर में वह लड़की टिकट ले कर उस के पास आ गई. उन्हें अगले दरवाजे के बिलकुल साथ वाली 2 सवारियों की सीट मिली थी.

बस शहर से निकल पड़ी थी. प्रमोद ने उस लड़की का शुक्रिया अदा किया. बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो प्रमोद ने उस से पूछ लिया, ‘आप का क्या नाम है और चंडीगढ़ में क्या काम करती हैं?’ उस लड़की ने अपना नाम रीमा बताया और वह वहां एक फर्म में सेल्स ऐक्जिक्यूटिव थी. काम के सिलसिले में वह यहां आई थी. काम खत्म कर के वह वापस लौट रही थी.

प्रमोद ने उसे बताया कि वह यहां लोकल दफ्तर में काम करता है और सरकारी काम से महीने 2 महीने में उस का चंडीगढ़ आनाजाना लगा रहता है. बस चलती रही तो बातों का सिलसिला भी चलता रहा. रीमा ने बताया कि वह मूल रूप से पहाड़ी है. यहां चंडीगढ़ में किराए का मकान ले कर रह रही है. घर में मम्मीपापा और छोटी बहन हैं, जो गांव में रहते हैं. बड़ा भाई नोएडा में एक प्राइवेट फर्म में सौफ्टवेयर इंजीनियर है.

प्रमोद ने बताया कि वह भी किराए का मकान ले कर रह रहा है. बीवीबच्चे सब गांव में हैं. महीने में 2-4 बार ही घर का चक्कर लग पाता है. अभी रिटायरमैंट में 12-13 साल का वक्त पड़ा है, इस के बाद ही जिंदगी शायद सैट हो पाए. बातोंबातों में कब पेहवा आ गया, पता ही नहीं चला. बस वहां 15 मिनट के लिए रुकी.

प्रमोद नीचे उतर कर चाय और सैंडविच ले आया. जब तक चाय पी तब तक बस चलने को तैयार हो गई. बातों का सिलसिला फिर शुरू हो गया. उन दोनों ने घरपरिवार व दफ्तर तक की तमाम बातें कर लीं. एकदूसरे को टैलीफोन नंबर भी दे दिए.

हालांकि प्रमोद की उम्र उस लड़की की उम्र से तकरीबन दोगुनी रही होगी, फिर भी उस ने उसे अपना दोस्त मान लिया था और उस से घर चलने को कहा था.

प्रमोद ने उसे बताया, ‘इस बार तो घर नहीं चल पाऊंगा, क्योंकि जरूरी काम है. अगली बार जब भी मैं यहां आऊंगा, तो सुबह नहीं शाम को आऊंगा. रातभर आप के यहां रुक कर जाऊंगा और अगर आप को हमारे यहां आना हो तो वैसा ही आप भी करना,’ इसी वादे के साथ वे दोनों रुखसत हुए. प्रमोद ने सुबहसुबह चंडीगढ़ दफ्तर पहुंच कर काम निबटाया और वापस बस में बैठ कर घर की तरफ रवाना हुआ.

बस रात के तकरीबन 10 बजे वापस पहुंची. बसअड्डे पर उतर कर प्रमोद अपने मकान में पहुंचा ही था कि फोन की घंटी बजी, देखा तो रीमा का ही फोन था. उठाया तो रीमा ने पूछा, ‘घर पहुंच गए ठीकठाक?’ प्रमोद ने कहा, ‘हां, अभीअभी घर पहुंचा हूं.’

रीमा ने कहा, ‘चलो, ठीक है. नहाओधोओ, खाओपीयो, थक गए होगे,’ और फोन काट दिया. अब रीमा से हफ्ते में एकाध बार

तो फोन पर बात हो ही जाती थी. धीरेधीरे यह दोस्ती गहरी हो रही थी.

एक महीने बाद फिर से प्रमोद को दफ्तर के काम से चंडीगढ़ जाना पड़ रहा था. प्रमोद ने रीमा से बात की तो उस ने कहा, ‘आप शाम को ही आ जाओ. सुबह जल्दी उठने में दिक्कत नहीं होगी और इसी बहाने आप के साथ रहने का मौका मिल जाएगा.’ प्रमोद ने दोपहर की बस पकड़ी तो रात 8 बजे चंडीगढ़ उतार दिया. बसअड्डे पर रीमा स्कूटी लिए खड़ी थी. स्कूटी के पीछे बैठ प्रमोद उस के मकान पर चला गया.

बहुत बढि़या घर था. रीमा ने घर में तमाम सुखसुविधाएं जुटा रखी थीं. प्रमोद चाय पीने के बाद नहाधो कर फ्रैश हो गया. रीमा ने भी समय से पहले खाना वगैरह तैयार कर लिया था. प्रमोद के पास आ कर जुल्फें झटका कर उस ने पूछा, ‘आप का मनपसंद ब्रांड कौन सा है…?’

प्रमोद कुछ अचकचा गया, फिर थोड़ी देर में वह बोला, ‘जो साकी पिला दे…’

रीमा ने विदेशी ब्रांड की बोतल ली और पैग बनाने शुरू कर दिए. 2-2 पैग लेने के बाद उन्होंने खाना खाया और पतिपत्नी की तरह प्यार कर के उसी बिस्तर पर सो गए. प्रमोद सुबह उठा तो खुद को बहुत हलका महसूस कर रहा था. रीमा भी जल्दी उठ गई थी. उसे भी दफ्तर जाना था. उन दोनों ने तैयार हो कर नाश्ता किया और अपनेअपने काम पर निकल गए.

अब इसी तरह से जिंदगी चलने लगी. रीमा जब भी प्रमोद के पास आती तो वह उसे होटल में रख लेता. जब भी छुट्टियां होतीं तो वे शिमला, मोरनी हिल्स, धर्मशाला जैसी कम दूरी की जगहों पर घूमने निकल जाते.

एक रात जब प्रमोद रीमा के घर पर सोने की तैयारी कर रहा था, तो उस के मन में यह सवाल उठा कि रीमा जवान है, खूबसूरत है, अच्छा कमाती है. यह तो नएनए कितने ही लड़कों के साथ दोस्ती कर सकती है, मौजमस्ती कर सकती है, फिर यह उस जैसे अधेड़ को क्यों पसंद करती है? प्रमोद ने उस के बालों में उंगली घुमाते हुए पूछा, ‘रीमा, एक बात पूछूं, अगर आप बुरा न मानो तो…’

रीमा ने कहा, ‘मैं जानती हूं कि आप क्या पूछना चाहते हैं. आप यही जानना चाहते हैं न कि मैं यह सब अधेड़ उम्र के लोगों के साथ क्यों करती हूं, जबकि मेरे लिए जवान लड़कों की कोई कमी नहीं है? ‘मैं क्या हमारे यहां सब जवान लड़कियां यही करती हैं. इस की खास वजह यह है कि हम यहां वीकऐंड पर मौजमस्ती करना चाहती हैं. अधेड़ मर्द जिंदगी के हर तरह के रास्तों से गुजरे होते हैं. उन्हें हर तरह का अनुभव होता है. उन का अपना परिवार होता है, इसलिए वे चिपकू नहीं होते और जब जहां उन को कहा जाए वे दोस्ती वहीं छोड़ देते हैं. कमाई की नजर से भी ठीकठाक होते हैं.

‘नौजवान लड़के जिद्दी होते हैं. वे समझौता नहीं करते, बल्कि मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं. कभी नस काट लेते हैं तो कभी पागलों जैसी हरकतें करने लगते हैं. यही वजह है कि हम आप जैसों को पसंद करती हैं.’ प्रमोद और रीमा की दोस्ती तकरीबन 5 साल तक चली. उस के बाद रीमा ने शादी कर अपना घर बसा लिया और दिल्ली शिफ्ट हो गई.

हमारे समाज में यह एक नया बदलाव आया है या आ रहा है. अच्छा है या बुरा है, यह तो अलग चर्चा की बात हो सकती है, लेकिन बदलाव हो रहा है. जीरकपुर बसस्टैंड पर बस रुकी तो झटका लगा और प्रमोद यादों से वर्तमान में लौटा. साथ बैठी लड़की उस के कंधे पर सिर रख कर सो रही थी.

प्रमोद ने उसे जगाया तो अपना बैग संभालते हुए वह बस से उतर गई. प्रमोद बस में बैठा कुछ सोच रहा था. थोड़ी देर में बस बसअड्डे की तरफ चल पड़ी थी.

मुल्क : मनोरंजन के साथ उपदेशात्मक व एजेंडे वाली फिल्म

‘दस’, ‘तथास्तु’, ‘रा वन’’, ‘तुम बिन’ जैसी फिल्मों के सर्जक अनुभव सिन्हा की नई फिल्म ‘‘मुल्क’’ सत्य घटनाक्रमों पर आधारित पूर्णरूपेण एजेंडे वाली फिल्म है. फिल्म ‘‘मुल्क’’, मुल्क की बजाय महजब पर बात करती है. यह फिल्म हम (हिंदू) और वो (मुसलमान) के विभाजन की बात करते हुए वर्तमान समय की देश की सामाजिक व राजनीतिक परिस्थितियों पर करारा प्रहार भी करती है. पर फिल्म के अंत में जिस तरह से जज अपना निर्णय सुनाते हुए उपदेशात्मक भाषण बाजी करता है, उससे फिल्म कमजोर हो जाती है.

फिल्म की कहानी बनारस के एक मोहल्ले से शुरू होती है. जहां हिंदू व मुस्लिम परिवार एक दूसरे के साथ बिना धर्म के भेदभाव के प्रेम पूर्वक रहते हैं. यहीं एक मुस्लिम परिवार है – वकील मुराद अली मोहम्मद (रिषि कपूर ) का. इस परिवार में उनकी पत्नी तबस्सुम (नीना गुप्ता), छोटा भाई बिलाल (मनोज पाहवा), बिलाल की पत्नी (प्राची शाह पंड्या), बेटा शाहिद (प्रतीक बब्बर), बेटी आयत हैं. बड़ा बेटा अल्ताफ लंदन में रहता है, जिसने एक हिंदू लड़की आरती मोहम्मद (तापसी पन्नू) से शादी की है. आरती मोहम्मद वकील भी हैं. आरती का अपने पति अल्ताफ से मतभेद हो गया है और दोनों अलग होने की सोच रहे हैं. क्योंकि अल्ताफ चाहता है कि आरती मां बनने से पहले तय करके बताए कि उनका होने वाला बच्चा किस धर्म को मानेगा.

बहरहाल, मुराद अली के जन्मदिन के जश्न का हिस्सा बनने के लिए आरती मोहम्मद लंदन से बनारस आती है. पर रात में ही शाहिद क्रिकेट मैच देखने कानपुर जाने की बात करके चला जाता है. पर पता चलता है कि वह कानपुर की बजाय इलाहाबाद गया था और इलाहाबाद के बस अड्डे पर हुए बम विस्फोट में 16 निर्दोष मारे जाते हैं. इस आतंकवादी हमले के तीन आरोपियों की पहचान होती है, जिनमें से एक शाहिद मोहम्मद है. दो आरोपी मारे जाते हैं. तीसरे आरोपी शाहिद मोहम्मद का एनकाउंटर एटीएस प्रमुख दानिश जावेद (रजत कपूर) कर देते हैं.

इसी के साथ अब मुराद अली मोहम्मद के पूरे परिवार को आतंकवादी मान लिया जाता है. पूरे परिवार की जिंदगी रातों रात बदल जाती है. मोहल्ले के सभी हिंदू इस परिवार से खुद को दूर कर लेते हैं. मुराद अली मोहम्मद के घर की दीवार पर लिख दिया जाता है कि ‘पाकिस्तान जाओ’.

उधर पुलिस शाहिद मोहम्मद के पिता और मुराद अली के छोटे भाई बिलाल को साजिशकर्ता मानकर गिरफ्तार कर लेती है. अब तक इलाके के सम्मानित वकील माने जाते रहे मुराद अली मोहम्मद को भी आरोपी बनाया जाता है. इस परिवार को आंतकवादी साबित करने के लिए एटीएस अफसर दानिश जावेद और सरकारी वकील संतोष आनंद (आशुतोष राणा) कमर कस लेते हैं.

अब मुराद अली मोहम्मद व उनके परिवार के सामने खुद को निर्दोष साबित करने व अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा को पुनः अर्जित करने के लिए अदालती लड़ाई लड़ने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं रह जाता. मुराद अली अदालत में खुद अपनी लड़ाई लड़ना चाहते हैं, मगर अदालत के अंदर उनकी देशभक्ति व मुस्लिम होने को लेकर जिस तरह के सवाल उठाए जाते हैं, उससे विचलित होकर वह मुकदमा लड़ने की जिम्मेदारी आरती मोहम्मद को दे देते हैं. उसके बाद बहस आतंकवाद या शाहिद को किस तरह फुसला कर इस तरफ ले जाया गया, उस पर नहीं होती है. बल्कि पूरी बहस मुस्लिम धर्म व मुराद अली के परिवार ने शाहिद को आतंकवादी बनाकर पैसा कमाने का व्यापार चला रखा था, इसी के इर्द गिर्द होती है.

धीरे धीरे बहस हम (हिंदू) और वो (मुसलमान) के विभाजन के साथ वर्तमान समय की सामाजिक व राजनीतिक परिस्थितियों की तरफ जाती है. अदालत के अंदर अंततः आरती मोहम्मद कटघरे में खड़े मुराद अली से सवाल करती है कि आप देशभक्त हैं, यह कैसे साबित करेंगे? आप जैसी दाढ़ी वाले मुसलमान और एक दाढ़ी वाले आतंकवादी के फर्क को कैसे साबित करेंगे? फिल्म के अंत में जज कुछ सोचने पर विवश करने वाले सवालों के साथ लंबा भाषण देते हैं.

फिल्म की पटकथा में कुछ कमियां हैं, मगर बेहतरीन संवादों के चलते वह कमी दर्शक की नजरों से ओझल हो जाती है. फिल्म के संवाद हर इंसान को सोचने पर विवश करते हैं. पटकथा लेखक ने फिल्म में कई सवाल उठाए, पर उन पर बाद में कोई बात ही नहीं की. मसलन-आयत ने जब अपने प्रेमी व अपने भाई शाहिद मोहम्मद को बंद कमरे में हाथ में बंदूक लिए व किसी से बात करते हुए सुना, तो फिर वह चुप क्यों रही? उसने इसकी जानकारी पूरे परिवार को क्यों नहीं दी?

मोबाइल के 14 सिम को लेकर वकील संतोष आनंद ने कई बार सवाल उठाए, पर उस पर फिल्म अंत तक कुछ नही कहती? इंटरवल से पहले फिल्म की गति न सिर्फ धीमी है, बल्कि एक ही जगह घूमती रहती है, पर इंटरवल के बाद फिल्म में तेजी आती है. कोर्ट के दृश्य अच्छे बन पड़े हैं. फिल्म में लेखक व निर्देशक ने नौकरी से लेकर प्रशासनिक स्तर पर सरकार मुस्लिमों के मुकाबले हिंदुओं को ज्यादा तरजीह देने का आरोप भी सरकार पर लगाया है.

इतना ही नहीं लेखक व निर्देशक अनुभव सिन्हा की इस फिल्म में काफी विरोधाभास है. एक तरफ वह सरकार व हिंदुओं पर हम (हिंदू) और वो (मुसलमान) के विभाजन की  बात करते हैं, तो वहीं वह मुस्लिम पुलिस अफसर दानिश जावेद को मुस्लिमों को आतंकवादी मानने के पूर्वाग्रह से ग्रसित बताते हुए आरोप लगाया है कि दानिश अली ने पूर्वाग्रह के ही चलते शाहिद मोहम्म्द को जिंदा गिरफ्तार करने की बजाय उसका एनकाउंटर कर पूरे मुस्लिम परिवार को आतंकवादी साबित करने का प्रयास किया.

अनुभव सिन्हा ने ‘‘मुल्क’’ में सेक्यूलरिजम की बात करते हुए आतंकवाद, आतंकवादी और जिहाद की परिभाषा भी बतायी है. पर वह फिल्म के अंत में सौहाद्र या प्रेम या दो धर्मावलंबियों के बीच भाईचारा दिखाने की बजाय दिखाते हैं कि  अदालत मे सारी बहस व जज का उपदेशात्मक निर्णय सुनने के बावजूद फिल्म के अंत में जब चौबे (अशोक तिवारी), मुराद अली के नजदीक आकर उनसे गले मिलना चाहते हैं, तो मुराद अली उनकी जानबूझकर अनदेखी कर अपनी बहू आरती के पास चले जाते हैं.

कई कमियों के बावजूद अनुभव सिन्हा इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने ऐसे विषय पर फिल्म बनायी है, जिससे अमूमन फिल्मकार दूरी बनाकर रखते हैं. निर्देशक के तौर पर वह साधुवाद के पात्र हैं. उनकी पिछली सभी फिल्मों के मुकाबले ‘मुल्क’ बेहतर फिल्म है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो मुराद अली मोहम्मद के किरदार में रिषि कपूर ने अति शानदार अभिनय किया है. उम्र के साथ उनके अभिनय की  धार तेज होती जा रही है. वकील संतोष आनंद के किरदार में आशुतोष राणा काफी समय बाद अच्छा अभिनय करते हुए नजर आए हैं. पिछली कुछ फिल्मों में उनके अभिनय से धार गायब हो चुकी थी. प्रतीक बब्बर के किरदार की लंबाई काफी छोटी है और उनके हिस्से करने के लिए कुछ खास रहा नहीं. प्रतीक बब्बर के अभिनय में निखार नहीं आया. उन्हे काफी मेहनत करने की जरुरत है.

यूं तो तापसी पन्नू एक बेहतरीन अदाकारा हैं, मगर इस फिल्म में ‘पिंक’ के मुकाबले उनकी अदाकारी उन्नीस ही रही. पर क्लायमेक्स में तापसी पन्नू की जानदार अदाकारी उभर कर आती है. जज के किरदार में कुमुद मिश्रा व एटीएस अफसर दानिश जावेद के किरदार में रजत कपूर ठीक ठाक रहे.

फिल्म का गीत संगीत प्रभावशाली नहीं है. फिल्म की शुरुआत में ही मुराद अली के घर पर रखी गयी गीत संगीत वाली पार्टी जबरन ठूंसी हुई लगती है.

दो घंटे बीस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मुल्क’’ का निर्माण दीपक मुकुट  और अनुभव सिन्हा ने किया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक अनुभव सिन्हा, संगीतकार प्रसाद सशते, अनुराग सैकिया, कैमरामैन ईवान मुलिगन तथा फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं – रिषि कपूर, रजत कपूर, तापसी पन्नू, मनोज पाहवा, नीना गुप्ता, प्रतीक बब्बर, आशुतोष राणा, अशोक तिवारी, अश्रुत जैन, वर्तिका सिंह, प्राची शाह पंड्या, इंद्रनील सेन गुप्ता, अब्दुल कादिर अमीन व अन्य.

कारवां : क्या इरफान खान के भरोसे फिल्म की नैय्या पार लगेगी

रोड ट्रिप पर कई फिल्में बन चुकी हैं, मगर निर्देशक आकर्ष खुराना की रोड ट्रिप वाली फिल्म ‘‘कारवां’’ रोड ट्रिप के साथ आत्मखोज वाली फिल्म है. इस तरह की फिल्म बनाना आसान नहीं होता. अफसोस फिल्मकार आकर्ष खुराना  अपनी इस यात्रा में सफल नजर नहीं आते. वैसे यह फिल्म जिंदगी, प्यार, रिश्ते व मौत की कहानी भी है.

फिल्म की कहानी के केंद्र में अविनाश (दुलकेर सलमान) हैं, जो कि बंगलौर में एक आई टी कंपनी में नौकरी कर रहा है. वह मशहूर फोटोग्राफर बनना चाहता था. उसने अपनी खींची हुई तस्वीरों की एक प्रदर्शनी भी लगायी थी. मगर अपने पिता के दबाव के आगे चुप रहकर उसने फोटोग्राफी से दूरी बनाते हुए आई टी कंपनी में नौकरी करनी शुरू कर दी थी. अपने सपने का पीछा न कर पाने की वजह से अविनाश दुःखी और निराशापूर्ण जिंदगी जीता है.

इसी बीच उसके पिता बस से धार्मिक यात्रा पर निकले हुए हैं. अचानक ट्रेवल एजेंसी की तरफ से अविनाश के पास फोन आता है कि बस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी है, जिसमें उनके पिता की मौत हो गयी है और उनके पिता का शव हवाई जहाज से बंगलौर भेजा गया है, जिसे वह एअरपोर्ट पर जाकर ले ले. अविनाश अपने दोस्त शौकत (इरफान खान) के पास जाकर कहता है कि वह अपनी वैन दे दे. शौकत खुद उसके साथ चल देता है. दोनों एयरपोर्ट से शव लेकर निकलते हैं और अंतिम क्रिया करने की योजना बनाते हैं.

अचानक शौकत देखता है कि डिब्बे में बंद शव तो एक महिला का है. पता चलता है कि कोचीन में रह रही ताहिरा (कृति खरबंदा) की मां भी उसी बस में थी और उनकी भी मौत हुई है. गलती से शव अदला बदली हो गए हैं. अब अपने पिता के शव को लेने के लिए अविनाश अपने दोस्त शौकत के साथ कोचीन रवाना होता है.

अचानक ताहिरा के फोन की वजह से अविनाष ऊटी के कौलेज जाकर ताहिरा की बेटी तान्या (मिथिला पालकर) को भी अपने साथ लेकर आगे बढ़ते हैं. उसके बाद भी इनकी यात्रा में कई पड़ाव आते हैं और अंत में अविनाश अपने पिता के शव का दाह संस्कार कोचीन में ही कर देता है. पर इस रोड यात्रा में शौकत को पत्नी मिल जाती है, तो वहीं अविनाश की मुलाकात अपनी कौलेज के दिनों की प्रेमिका रोमिला से होती है, जिसे बिना बताए वह गायब हुए थे. हालांक अब रोमिला की शादी एक डाक्टर से हो चुकी है.

रोड ट्रिप वाली इस फिल्म में पीढ़ियों के अंतराल की वजह से बिगड़ते रिश्ते, सोच सहित कई बातें की गयी हैं. इस यात्रा के दौरान सिर्फ अविनाश ही नहीं बल्कि शौकत भी अपनी खुद की खोज करता है. मगर फिल्म में कुछ परिस्थितियां अति बनावटी लगती हैं. फिल्म की पटकथा व संवाद बेहतर बन पड़े हैं. तमाम संवाद ऐेसे हैं, जिन्हें इरफान खान अपनी संवाद अदायगी की अदा से जिस तरह पेश करते हैं, उससे दर्शक हंसे बिना नहीं रहता.

पर इंटरवल के बाद फिल्म की गति धीमी हो जाती है. कथानक स्तर पर लेखक व निर्देशक दोनो ही चूके हैं. जब आप 2018 में फिल्म बना रहे हैं. फिल्म की मुख्य पात्र ऊटी के कौलेज में पढ़ रही एक मुक्त व आजाद ख्यालों वाली लड़की है, जो कि शराब व सिगरेट पीती है, खुलेआम सेक्स पर बात करती है .खुलेआम वह ‘गर्भ’ है या नहीं इसकी जांच करने वाली किट खरीदती है. ऐसे में मुस्लिम पात्र शौकत से उस पात्र के पहनावे पर एतराज जाहिर करवाना अजीब सा लगता है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो इरफान खान एक बार फिर बेजोड़ अभिनेता के तौर पर उभरे हैं. वह जब भी परदे पर आते हैं, दर्शक के चेहरे पर मुस्कान ले ही आते हैं. दक्षिण भारत में कई सफल फिल्में दे चुके उत्कृष्ट अभिनेता दुलकेर सलमान की हिंदी में यह पहली फिल्म है. मगर दुलकेर सलमान अविनाश राजपुरोहित के किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाए. यहां तक कि इरफान व दुलकेर की केमिस्ट्री भी परदे पर ठीक नहीं बैठी. जबकि मिथिला पालकर अपने सहज अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लेती हैं. वह कई जटिल भावनात्मक दृश्यों को बड़ी सहजता से निभा गयी हैं. फिल्म के कैमरामैन सर्वाधिक साधुवाद के पात्र हैं.

एक घंटे 54 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘कारवां’’ का निर्माण रौनी स्क्रूवाला और प्रीती राठी गुप्ता ने किया है. फिल्म के निर्देशक व पटकथा लेखक आकर्ष खुराना, संवाद लेखक हुसैन दलवई, कहानीकार विजय नंबियार, संगीतकार प्रतीक खुहद, अनुराग सैकिया, इमाद शाह, कैमरामैन अविनाश अरूण और कलाकार हैं – इरफान खान, दुलकेर सलमान, मिथिला पालकर, कृति खरबंदा, अमला अनिकेनी, प्रीती राठी गुप्ता व अन्य.

मेरा बौयफ्रैंड अपनी पिछली गलफ्रैंड जो अब शादीशुदा है के संपर्क में है. इसीलिए वह मुझ से कटाकटा रहता है. मैं क्या करूं कि हमारा रिश्ता सुधर जाए.

सवाल
मैं 22 वर्षीय अविवाहित युवती हूं. 8 महीनों से एक युवक से प्यार करती हूं. वह भी मुझ से प्यार करता है. हम दोनों ने शादी करने का भी मन बना लिया था. लड़के के घरवाले इस शादी के लिए रजामंद हैं पर मेरे मम्मीपापा को यह संबंध स्वीकार नहीं है. कारण मेरे घर वाले रिश्तेदारी में शादी नहीं करना चाहते. लड़का मेरी मौसी की जेठानी का बेटा है.

कुछ दिनों से मुझे बौयफ्रैंड के स्वभाव में कुछ बदलाव सा नजर आने लगा है. लगता है कि वह अपनी पिछली गलफ्रैंड जो अब शादीशुदा है के संपर्क में है. इसीलिए वह मुझ से कटाकटा रहता है. कभीकभी उस के रवैए से लगता है कि वह मुझे छोड़ना चाहता है. इस में थोड़ी गलती मेरी भी है.

उस ने एक बार बातोंबातों में कह दिया था कि वह अपनी गर्लफ्रैंड को आज भी नहीं भूल पाया है. बस उसी दिन से मैं उस पर बेवजह शक करने लगी. वह कभी मेरा फोन देर से उठाता या मुझे मिलने किसी कारण से नहीं आ पाता तो मैं सीधासीधा कटाक्ष करने लगती कि हो न हो तुम अपनी तथाकथित प्रेमिका के पास गए होगे. लगता है मेरे तानोंउलाहनों से ही वह मुझ से कन्नी काटने लगा है. कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए जिस से हमारा रिश्ता सुधर जाए?

जवाब
सर्वप्रथम तो आप को अपना स्वभाव बदलना होगा. आप के बौयफ्रैंड ने आप से अपनी पहली गर्लफ्रैंड की बात नहीं छिपाई. आप से जिंदगी की अभूतपूर्व सचाई बयां कर दी कि वह आज भी उसे नहीं भुला पाया है. पहले प्यार को भुलाना आसान नहीं होता पर चूंकि उस लड़की की अब शादी हो चुकी है तो उस से आप को कोई खतरा नहीं हो सकता. अत: बेवजह अपने मित्र को तानेउलाहने देना बंद करें वरना आप का यह रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चलने वाला.

रही शादी की बात तो अभी आप दोनों की मित्रता को मात्र 8 महीने हुए हैं. इसलिए अभी कुछ वक्त और लें एकदूसरे को समझने के लिए. समय के साथ थोड़ा मैच्योर भी हो जाएंगी. रिश्तों को परखने की समझ भी आ जाएगी. तब यदि आप को लगे कि आप दोनों एकदूसरे के लिए परफैक्ट जीवनसाथी साबित हो सकते हैं तब घरवालों को शादी के लिए राजी कर सकते हैं.

मोहम्मद शमी ने बीसीसीआई को भी दिया धोखा : हसीन जहां

भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब उनकी बीवी हसीन जहां ने उनकी उम्र को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि शमी ने उम्र छिपाकर बीसीसीआई को धोखा दिया है. बतौर सुबूत हसीन ने शमी की हाईस्कूल की अलग-अलग दो मार्कशीट और ड्राइविंग लाइसेंस भी अपनी फेसबुक आइडी पर पोस्ट की हैं.

हसीन की इस पोस्ट को लेकर अब फिर से सोशल मीडिया पर नया हंगामा शुरू हो गया है. वहीं शमी के परिजन इस संबंध में कुछ भी कहने से इन्कार कर रहे हैं. पांच मार्च को हसीन जहां ने सोशल मीडिया के जरिये ही अपने पति शमी के खिलाफ मोर्चा खोला था. उन्होंने अपनी फेसबुक वौल पर पोस्ट करके पति पर दूसरी महिलाओं से संबंध होने का आरोप लगाया था. उसके बाद दोनों अलग हो गए थे. इतना ही नहीं हसीन ने जेठ हसीब पर दुष्कर्म, ससुरालियों पर मारपीट व दहेज उत्पीड़न के आरोप भी लगाए थे.

इस मामले में हसीन ने सभी के खिलाफ कोलकाता में मुकदमा भी दर्ज कराया है. शमी पर उन्होंने मैच फिक्सिंग तक के आरोप लगाए थे. जांच के बाद बीसीसीआई ने शमी को क्लीन चिट दे दी थी. यह मामला अब शांत हो गया था. शमी टीम इंडिया के साथ इंग्लैंड में टेस्ट मैच खेल रहे हैं.

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इस बीच मंगलवार देर रात हसीन ने शमी के लिए एक मुसीबत और खड़ी कर दी है. इस बार हसीन ने शमी की उम्र पर सवाल खड़े करते हुए फेसबुक पर पोस्ट की है. उन्होंने शमी की हाईस्कूल की दो मार्कशीट की फोटो पोस्ट की हैं.

एक मार्कशीट जनता इंटर कौलेज पतेई खालसा अमरोहा की है. इसमें शमी ने वर्ष 2002 में हाईस्कूल किया है और इसमे जन्मतिथि तीन जनवरी 1984 है जबकि हाईस्कूल की दूसरी मार्कशीट उदय प्रताप इंटर कालेज कुतुबपुर खेतबपुर जनपद गाजीपुर की है. यह मार्कशीट वर्ष 2008 की है. इसमें शमी की जन्मतिथि तीन सितंबर 1990 है.

इतना ही नहीं हसीन ने शमी के ड्राइविंग लाइसेंस की एक फोटो भी पोस्ट की है. इसमें उनकी जन्मतिथि पांच मई 1982 लिखी हुई है. हसीन की इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. शमी के भाई हसीब अहमद ने कहा है कि हसीन, शमी को परेशान कर मैच से उनका ध्यान भटकाना चाहती हैं.

बढ़ जाएगी टेलीविजन की साउंड क्वालिटी, अपनाकर देखें ये टिप्स

बेशक टीवी मनोरंजन का एक ऐसा साधन है जो हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है, अगर उसकी साउंड क्वालिटी भी मजेदार हो तो क्या कहने. मौजूदा दौर की फिल्में हो या धारावाहिक या कोई भी शो, हर एक स्पेशल साउंड इफेक्ट्स के साथ प्रसारित होते हैं लेकिन इसका मजा तभी लिया जा सकता है जब आपको टीवी की औडियो क्वालिटी बढ़ाने के तरीके पता हों. दरअसल, टीवी में पहले से ही डिफौल्ट औडियो सेटिंग्स काम करती हैं, जोकि हमेशा अच्छा साउंड नहीं देती हैं. अच्छी साउंड क्वालिटी के लिए कुछ तरीके आजमाएं जा सकते हैं.

पहला तरीका: औडियो सेटिंग और इक्वालाइजर से आजमाकर देखें. अगर आपकी टीवी में कई तरह के औडियो मोड जैसे कि मूवी, म्यूजिक, गेम, वौयस, कस्टम आदि उपलब्ध हैं तो मोड बदलकर देखें. अगर कोई भी मोड आपके काम का नहीं है तो कस्टम मोड में जाएं और इक्वालाइजर को अपने हिसाब से सेट करें. बेस ठीक करने के लिए फ्रीक्वेंसी स्लाइडर को 20Hz से 250Hz बीच की रेंज में सेट करें.

दूसरा तरीका: टीवी के लिए टेबल माउंट स्टैंड का प्रयोग करें. अगर टीवी के स्पीकर नीचे की ओर ध्वनि फेंकने वाले हैं तो टेबल माउंट स्टैंड से ध्वनि टकराकर इसकी लाउडनैस में इजाफा करेगी. मेज की सतह गिरते हुए टीवी साउंड में वर्चुअल साउंड इफेक्ट जोड़ती है.

तीसरा तरीका: टीवी के लिए अलग से स्पीकर सिस्टम का इस्तेमाल करें. पहले दो तरीके अगर आपके काम के नहीं है तो अलग से स्पीकर सिस्टम लगाना कारगर होगा. इसके लिए स्पीकर खरीदने से पहले अपने टीवी के कनेक्टिविटी विकल्प को जरूर चेक कर लें. ऐसा अक्सर देखा जाता है और आप खुद भी इस चीज को महसूस कर सकते हैं कि टीवी पर प्रोग्राम भले ही अच्छा आ रहा हो लेकिन औडियो ठीक नहीं है तो वह भी नीरस लगने लगता है.

अब व्हाट्सऐप मैसेज भेजने के लिए लगेगा चार्ज

व्हाट्सऐप जल्द ही मैसेज भेजने वालों से पैसे लेने वाला है. खबरों के अनुसार व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजने के लिए जो कीमत निश्चित की गई है वो आमतौर पर भेजे जाने वाले टेक्स्ट मैसेज की कीमत से भी ज्यादा होगी, हालांकि अगर आप एक आम आदमी हैं तो आपको इसके लिए परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है.

दरअसल फेसबुक व्हाट्सऐप के बिजनेस अकाउंट यूजर्स से मैसेज भेजने के लिए पैसे लेने की तैयारी कर रहा है. इसकी जानकारी खुद व्हाट्सऐप ने दी है. व्हाट्सऐप बिजनेस अकाउंट से भेजे गए मैसेज की कीमत का दर तय होगा और उसके तहत बिजनेस अकाउंट चलाने वाली तमाम कंपनियों से मैसेज के लिए पैसे लिए जाएंगे.

मैसेज की कीमत अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग होगी. एक मैसेज के लिए 30 पैसे से 5.8 रुपये तक देने पड़ेंगे. खास बात यह है कि मैसेज के लिए पैसे देने पर मैसेज के पहुंचने की गारंटी होगी. फेसबुक प्राइवेसी को लेकर लगातार हो रही खर्च को निकालने के लिए नए तरीके खोज रही है.

व्हाट्सऐप ने बुधवार को कहा कि बिजनेस अकाउंट से शिपिंग कंफर्मेशन, अप्वायंटमेंट रिमांडर, टिकट जैसे नोटिफिकेशंस भेजने के लिए इसके बिजनेस ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है, हालांकि इसके लिए एसएमएस के मुकाबले ज्यादा चार्ज देना होगा.

‘अंगूरी भाभी’ का यह ग्लैमरस अंदाज देख आप भी रह जाएंगे हैरान

टीवी पर आने वाले पौपुलर शो ‘भाभी जी घर पर हैं’ में अंगूरी भाभी का किरदार निभाने वाली शुभांगी अत्रे इन दिनों अपने एक फोटोशूट को लेकर सुर्खियों में हैं. वैसे तो उनका अंदाज फैंस के बीच सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. लेकिन इन दिनों शुभांगी के अंदाज से ज्यादा उनका नया ग्लैमरस फोटोशूट वायरल हो रहा है.

शुभांगी आमतौर पर सीरीयल में इंडियन लुक और देसी अंदाज में ही नजर आती हैं. लेकिन इसबार नई ग्लैमरस तस्वीरों में भाभी जी अपने देसी अंदाज से बिल्कुल जुदा नजर आ रही हैं. इस फोटोशूट को किसी मशहूर फोटोग्राफर ने नहीं खुद उनके पति पीयूष पूरे ने शूट किया है. गौरतलब है कि पीयूष पूरे भी एक्टर हैं.

फोटोशूट में अंगुरी भाभी यानी कि शुभांगी अत्रे ने ज्यादातर लाइट शेड ही पहने हैं. इस फोटोशूट के बारे में शुभांगी का कहना है, “मुझे लाइट शेड बहुत पसंद है. इनमें सबसे ज्यादा सफेद कलर मेरा पसंदीदा है.


इस ग्लैमरस फोटोशूट को कराए जाने की वजह पूछने पर भाबी जी का कहना है, “लोगों ने मुझे अंगूरी भाभी के लुक में हमेशा देखा है. मैं चाहती हूं कि वो मेरे नए अंदाज को भी देखें.”

रेलवे देता है आपको तमाम प्रकार की सुविधाएं, क्या आपको है पता

इंडियन रेलवे यात्रियों को ऐसी काफी सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाता है जिन्हें बेहद कम लोग ही जानते हैं. लेकिन अगर आपको साल में कई बार ट्रेन से सफर करना पड़ता है तो आपको कम से कम इन नियमों के बारे में पता होना चाहिए. हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको ऐसी ही पांच बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे काफी सारे लोग अनजान रहते हैं.

आसानी से मिल जाती है टिकट की डुप्लीकेट कौपी: अगर आपने रिजर्वेशन काउंटर से टिकट ली है और किसी वजह से टिकट गुम हो गई है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है, आप उसकी डुप्लीकेट कौपी भी निकलवा सकते हैं.

इन लोगों को मिलती है सस्ती टिकट: औफलाइन माध्यम से टिकट खरीदने पर विकलांग व्यक्तियों, मरीजों, वरिष्ठ नागरिकों, पुरस्कार विजेता (अवार्डी), शहीदों की विधवाएं, छात्रों, युवाओं, कलाकारों, खिलाड़ियों, मेडिकल प्रोफेशनल्स और अन्य लोगों को सस्ती टिकिटें उपलब्ध कराई जाती है. यह छूट श्रेणी के आधार पर 25 फीसद से 100 फीसद तक होती है. हालांकि अगर औनलाइन माध्यम से टिकट बुक कराई जाती है तो इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) पर सिर्फ वरिष्ठ नागरिकों को ही छूट उपलब्ध करवाई जाती है.

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बोर्डिंग स्टेशन बदल सकते हैं आप: यूजर आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर अपना अकाउंट लाग-इन कर बोर्डिंग स्टेशन का नाम बदल सकते हैं. इंडियन रेलवे उस सूरत में बोर्डिंग स्टेशन के नाम में बदलाव की अनुमति नहीं देती है जब टिकट औफलाइन मोड में बुक किया गया हो. जिस भी यात्री ने आईआरसीटीसी के माध्यम से औनलाइन टिकट बुक कराया हो वो ट्रेन के डिपार्चर से 24 घंटे पहले तक बोर्डिंग स्टेशन के नाम में बदलाव कर सकता है.

अपना टिकट ट्रांसफर कर सकते हैं आप: कभी-कभी ऐसा भी होता है जब आपके पास रेलवे की कन्फर्म टिकट होती है, लेकिन किसी कारणवश आपको यात्रा कैंसिल करनी पड़ जाती है, ऐसे में अगर आप अपनी जगह किसी और को भेजना चाहें वो वह (आपकी टिकट) टिकट उसके नाम ट्रांसफर की जा सकती है. हालांकि आपको यह काम यात्रा के 48 घंटे पहले करना होगा. यानी अगर आप चाहें तो आप अपने पारिवारिक सदस्य को अपनी टिकट ट्रांसफर कर उसे यात्रा पर भेज सकते हैं. आप अपना टिकट सिर्फ अपने पारिवारिक सदस्यों को ही ट्रांसफर कर सकते हैं. जैसे कि मां, पिता, भाई, बहन, बेटा, बेटी, पति और पत्नी. इसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति को इस ट्रिकट को ट्रांसफर कराने की इजाजत नहीं है.

आरएसी वालों को भी मिल सकती है बर्थ: वो यात्री जिनकी टिकट आरएसी (रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन) श्रेणी की है उन्हें शुरुआती तौर पर बैठने भर के लिए सीट उपलब्ध करवाई जाती है और बाद में स्थान मिलने पर उन्हें बर्थ भी उपलब्ध करवाई जा सकती है. यह उस सूरत में होता है जब काफी सारे यात्री अंतिम मिनटों में अपनी टिकट कैंसिल कराते हैं या फिर यात्री समय पर स्टेशन नहीं पहुंचते हैं.

रूट को आउट करने के बाद कोहली ने अनोखे अंदाज में मनाया जश्न

भारत और इंग्लै़ंड के बीच पहले टेस्ट के पहले दिन भारत का पलड़ा जरूर भारी रहा लेकिन एक समय तक इंग्लैंड टीम इंडिया पर हावी हो ही चुका था. तीसरे सत्र की शुरुआत में इंग्लैंड का स्कोर केवल 3 विकेट के नुकसान पर 216 रन हो चुका था. लेकिन तभी इंग्लैंड के कप्तान जो रूट के रन आउट होने के बाद मैच पलट गया. भारतीय कप्तान विराट कोहली का इंग्लैंड के खिलाफ पहले क्रिकेट टेस्ट के पहले दिन अपने समकक्ष जो रूट के आउट होने के बाद मनाया गया जश्न सुर्खियां बना.

रूट बड़ी पारी की ओर बढ़ रहे थे लेकिन कोहली के सटीक निशाने का शिकार बनकर 80 रन बनाने के बाद रन आउट हुए. रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर रूट दूसरा रन चुराने के लिए दौड़े लेकिन कोहली ने तेजी से दौड़ लगाते हुए गेंद उठाई और तुरंत वापस फेंकते हुए गेंदबाजी छोर पर सटीक निशाने पर इंग्लैंड के कप्तान को रन आउट कर दिया.

कोहली ने इसके बाद ‘माइक ड्राप’ विदाई के साथ रूट के आउट होने का जश्न मनाया जैसा इंग्लैंड के कप्तान ने पिछले महीने भारत पर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला में इंग्लैंड को 2-1 की जीत दिलाने के बाद किया था.

भारत और इंग्लैंड के बीच पांच टेस्ट मैचों के सीरीज के पहले टेस्ट के पहले दिन औफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन की अगुआई में भारतीय गेंदबाजों ने दिन के आखिरी सत्र में शानदार प्रदर्शन करते हुए मेजबान इंग्लैंड को बैकफुट पर धकेल दिया. इंग्लैंड ने पहले दिन का खेल खत्म होने तक नौ विकेट के नुकसान पर 285 रन बना लिए थे जहां स्टम्प्स तक जेम्स एंडरसन (0) और सैम कुरैन 24 रन बनाकर खड़े हुए थे.

दिन के पहले सत्र में एक और दूसरे सत्र में दो विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाजों ने आखिरी सत्र में इंग्लैंड के छह बल्लेबाजों को आउट किया जिसमें सबसे अहम विकेट इंग्लैंड के कप्तान जोए रूट (80) का साबित हुआ. उन्हें भारतीय कप्तान विराट कोहली ने सीधे विकेटों पर थ्रो मार रन आउट किया.

रूट के जाने के बाद इंग्लिश बल्लेबाज विकेट पर पैर नहीं जमा सके. आदिल राशिद (13) और कुरैन ने भारतीय गेंदबाजों को परेशान करने की कोशिश की, लेकिन यह जोड़ी ज्यादा देर तक टिक नहीं सकी. इंग्लैंड पहले दिन ही औल आउट हो गई होती, लेकिन मोहम्मद शमी की गेंद पर दिन के आखिरी ओवर में दिनेश कार्तिक ने एंडरसन का कैच छोड़ दिया.

भारत की तरफ से रविचंद्रन अश्विन अभी तक चार विकेट ले चुके हैं. अश्विन ने ही पहले सत्र में एलिस्टर कुक (13) को 26 के कुल स्कोर पर बोल्ड कर भारत को पहली सफलता दिलाई थी. आखिरी सत्र में पहला विकेट रूट का गिरा. वह 216 के कुल स्कोर पर आउट हुए. 156 गेंदों में नौ चौकों की मदद से अर्धशतकीय पारी खेलने वाले रूट, जॉनी बेयर्सटो (70) के साथ गैरजरूरी दूसरा रन लेने की जल्द बाजी में अपना विकेट खो बैठे. रूट और बेयर्सटो के बीच चौथे विकेट के लिए 104 रनों की साझेदारी हुई.

रूट के जाने के सात रन बाद बाद उमेश यादव ने बेयर्सटो को बोल्ड कर इंग्लैंड को पांचवां झटका दिया. बेयर्सटो ने 88 गेंदों की अपनी पारी में नौ चौके लगाए. अश्विन ने जोस बटलर को खाता भी नहीं खोलने दिया.

बेन स्टोक्स को भी अश्विन ने अपनी ही गेंद पर लपक मेजबान टीम का सातवां विकेट गिरा दिया. स्टोक्स ने 41 गेंदों पर दो चौकों के साथ 21 रन बनाए. स्टोक्स का विकेट 243 के कुल योग पर गिरा. यहां से कुरैन और आदिल राशिद ने कुछ जुझारूपन दिखाया और आठवें विकेट के लिए 35 रन जोड़े. इस साझेदारी को ईशांत शर्मा ने तोड़ा. ईशांत ने राशिद को पगबाधा आउट कर अपना पहला विकेट लिया. अश्विन ने स्टुअर्ट ब्रौड (1) को 283 के कुल स्कोर पर पवेलियन भेज इंग्लैंड को नौवां झटका दिया.

पहला विकेट अश्विन ने लिया था भारत के लिए

इससे पहले, भारत ने पहले सत्र में 83 रन खर्च कर एक विकेट लिया था. पहले सत्र में भारतीय गेंदबाजों का मजबूती से सामना करने वाले सलामी बल्लेबाज केटन जेनिंग्स (42) दूसरे सत्र में दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से शमी की गेंद पर बोल्ड हो गए. 98 के कुल स्कोर पर शमी की गेंद जेनिंग्स के बल्ले से टकरा उनके पैर पर लगी और फिर स्टम्प से जा टकराई. उन्होंने अपनी पारी में 98 गेंदों का सामना करते हुए चार चौके लगाए.

शमी ने डेविड मलान (8) को टिकने नहीं दिया. मलान 112 के कुल स्कोर पर शमी की गेंद पर पगबाधा करार दे दिए गए. यहां से बेयर्सटो ने रूट के साथ पारी को आगे बढ़ाया. इस बीच इंग्लिश कप्तान ने अपना अर्धशतक पूरा किया. दोनों ने चायकाल तक इंग्लैंड को चौथा झटका नहीं लगने दिया था.

भारत के अश्विन के अलावा शमी ने दो विकेट लिए. उमेश और ईशांत को एक-एक सफलता मिली.

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