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पप्पू अमेरिका से कब आएगा-भाग 3 : विभा किसकी राह देख रही थी

दीदी चाहती थीं कि सब लोग शादी की तैयारियों में मदद करने के लिए कम से कम 10 दिन पहले भोपाल पहुंच जाएं. उन के अलावा दूसरा कौन था मदद करने वाला. सही भी था. अर्चना के बाद मांबाबूजी ने बहुत इंतजार करने के बाद सोच लिया था कि अब उन की कोई संतान नहीं होगी. उन्हें एक बेटा भी चाहिए था, निराशा तो हुई मगर क्या कर सकते थे. उन्होंने अपने मन को समझा लिया था. ऐसे में अर्चना के जन्म के 11 वर्ष के बाद नरेंद्र का जन्म हुआ था. नरेंद्र को अर्चना ने इतना प्यार दिया कि उस को मां और बाबूजी से ज्यादा अर्चना से लगाव था. वह अपनी दीदी की हर बात मानता था. वह उस से दीदी जैसे प्यार करता था, दोस्त जैसा अपनापन देता था और मां जैसा सम्मान करता था.

दफ्तर में 10 दिन छुट्टी ले कर नरेंद्र परिवार के साथ भोपाल जा पहुंचा. दीदी और जीजाजी बहुत खुश हुए. वे जानते थे कि अब नरेंद्र आ गया है तो वह सब संभाल लेगा. नरेंद्र भी तुरंत अपनी भांजी की शादी के कामों में जुट गया.

अगले दिन जब विभा और अर्चना बाजार गई हुई थीं तब अचानक नरेंद्र को खयाल आया कि उस ने तो अपनी भांजी के होने वाले दूल्हे को देखा ही न था. यह बात जब उस ने अपने जीजाजी से कही तो तुरंत उन्होंने कहा, ‘‘अरे, अभी तक अर्चना ने तुम्हें फोटो नहीं दिखाई? रुको, मैं ले कर आता हूं.’’

जब नरेंद्र ने लड़के की तसवीर देखी तो उसे लगा चेहरा तो बहुत जानापहचाना लग रहा है. लेकिन बहुत याद करने पर भी उसे याद नहीं आया कि उसे कहां देखा है? फिर वह शादी के कामों में उलझ कर इस बात को भूल गया.

शाम को नरेंद्र से मिलने मनोहर आया. वह उस का बचपन का दोस्त था. दोनों इंदौर में प्राथमिक कक्षाओं से ले कर महाविद्यालय तक साथसाथ पढ़े थे. फिर वह अमेरिका चला गया. उस के बाद जैसे दोनों का संबंधविच्छेद ही हो गया. उस की खबर न पा कर मित्रों की टोली यही सोचती रही कि वहां जा कर वह बहुत बड़ा आदमी बन गया होगा. पैसों के ढेर पर बैठे उसे इंदौर के ये साधारण मित्र याद नहीं आते होंगे. आज उस से मिलने के बाद नरेंद्र को असलियत का पता चला तो उस की आंखें नम हो गईं.

मनोहर अमेरिका में मिलने वाले वजीफे के भरोसे अमेरिका चला गया और एमएस में दाखिला ले लिया. उसे 6 महीनों तक वजीफा मिला भी. फिर वजीफा मिलना बंद हो गया. बाकी की पढ़ाई पूरी करने के लिए उसे तरहतरह के पापड़ बेलने पडे़. उसे कई ऐसे काम करने पडे़ जो यहां रहते हुए भारतवासी सोच भी नहीं सकते. उसी दौरान उसे कई भयंकर अनुभव हुए. वहां के प्रवासी भारतीयों ने उस की मदद न की होती तो शायद उसे पढ़ाई छोड़ कर वापस आने के लिए पैसे न होने के कारण भीख तक मांगनी पड़ती.

मनोहर ने बताया कि यहां भारतीय सोचते हैं कि अमेरिका जाने वाला हर आदमी जैसे सपनों की सैर करने गया है. वहां वह पैसों में खेल रहा है और वैभवपूर्ण जीवन जी रहा है. कुछ हद तक कुछ लोगों के विषय में यह सही हो सकता है लेकिन वहां ऐसे भी लोग हैं जो पगपग पर ठोकर खाते हैं और तनावपूर्ण जीवन जीते हैं.

मनोहर ने उसे बताया कि लुधियाना का रहने वाला एक लड़का भारत आ कर यहां गांव की सीधीसादी, अनपढ़ लड़की से शादी कर के अमेरिका ले गया. यहां सब खुश थे कि अनपढ़ गंवार हो कर भी लड़की को अमेरिका जाने का मौका मिल गया. वहां उस बेचारी का क्या हाल हुआ, क्या कोई जानता है?

‘‘क्यों, क्या हुआ?’’ नरेंद्र ने पूछा.

‘‘वहां उस लड़के की पहली पत्नी थी जो विदेशी थी. दोनों उस लड़की के सामने ही खुल कर रासलीलाएं करते थे. उन की भाषा अलग, रहनसहन अलग. इस के साथ किसी भी प्रकार का संबंध तो दूर खानेपीने या किसी भी जरूरत के बारे में न पूछते. कामवाली बाई से भी बदतर हालत थी. पति से पूछने पर गालीगलौज और मारपीट. वह वापस आना चाहती थी, वे लोग उस के लिए भी तैयार नहीं हुए. वे उसे किसी से मिलने नहीं देते थे, न कहीं जाने देते थे. एकदो बार उस लड़की ने घर से भागने की कोशिश की तो पकड़ कर वापस ले गए और इतनी पिटाई की कि लड़की ने बिस्तर पकड़ लिया. पता नहीं, बाद में उस ने कब और कैसे खुदकुशी कर ली. बेचारी की कहानी का और क्या अंत हो सकता था? यह सब मुझे वहां के एक मित्र ने बताया.’’

वह चुप हो गया. उस अनजान लड़की के लिए शायद दिल भर आया था. कुछ रुक कर फिर बोला, ‘‘कितनी भी मेहनत करो, आप को अमेरिका में दूसरे नंबर पर ही रहना होगा. स्वाभाविक है कि प्रथम स्थान तो वहां के नागरिकों का होगा. कुछ लोग परिस्थितियों से समझौता कर के, नित्य संघर्ष का सामना करते हुए वहां रह भी गए तो बच्चे जब बडे़ होने लगते हैं तो फिर से तनाव का सामना करना पड़ता है. बच्चे उस माहौल में पलतेबढ़ते हैं, इसलिए उन की संस्कृति ही सीखते हैं. उन की सोच ही अलग हो जाती है. मांबाप को यह सब ठीक लगे और सब की एक राय हो तो ठीक है वरना फिर से संघर्ष. 60 साल के बेटे को भी मांबाप यहां कुछ भी कह देते हैं, डांट देते हैं, अपमानित कर देते हैं पर बेटा कुछ नहीं कहता. पर वहां 12 साल के बच्चे को भी कुछ कहा जाए तो वह बंदूक निकाल कर गोली दाग देगा. ऐसी घटनाएं लोकविदित हैं. ऐसी कई समस्याएं हैं जिन की ओर से लोग जानबूझ कर आंख मूंद लेते हैं.

‘‘यह सब मैं नहीं पचा पाया. मैं अपने देश में, अपनों के बीच शांति से और सम्मानपूर्वक जीना चाहता था. मेरी पत्नी भी यही चाहती थी. इसलिए हम वापस आ गए. मेरी पढ़ाई और तजरबे के कारण यहां आते ही अच्छी नौकरी मिल गई.

पप्पू अमेरिका से कब आएगा-भाग 2 : विभा किसकी राह देख रही थी

‘‘उस की ग्रेजुएशन पूरी हो गई?’’ विभा ने पूछ लिया.

‘‘ग्रेजुएशन क्या पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर ली. लड़के के लिए पेपर में इश्तिहार दे दिया है. 2-3 मैरिज ब्यूरो में भी पैसे भर दिए हैं. साथ में दोस्तों और रिश्तेदारों को भी बता दिया है कि टीना के लिए अमेरिकी दूल्हा ही चाहिए.’’

विभा अपने ही विचारों में खोई कभी मेनका और कभी सरला की ओर देख रही थी और मन ही मन सोच रही थी, ‘जाने पप्पू कब बड़ा होगा.’

‘‘अरे विभाजी, सब लोग मौजमस्ती कर रहे हैं और आप बैठीबैठी क्या सोच रही हैं? यही न कि ‘एक दिन पप्पू बड़ा हो जाएगा तो मैं उसे अपनी नजरों से कदापि दूर नहीं भेजूंगी. पता नहीं, ये लोग अपनी औलाद को इतनी दूर भेज कर कैसे चैन से जी पाते हैं.’ ठीक कह रहा हूं न. मैं आप को अच्छी तरह जानता हूं,’’ ये मिस्टर दिवाकर थे.

‘आप खाक जानते हैं’, उस ने मन में सोचा पर कुछ न बोली. केवल हकला कर रह गई, ‘‘जी…जी…’’

उस ने सोचा कैसा उजड्ड आदमी है. लोग किस रफ्तार से दौडे़ जा रहे हैं और यह…? इस के विचार कितने दकियानूसी हैं. उस समय वह भूल गई कि इंसान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले, उस की प्यार और अपनेपन की प्यास कभी नहीं मिटती. वह उठी और औरतों के दूसरे झुंड में जा मिली.

वहां एक औरत धीमी आवाज में कह रही थी, ‘‘आजकल तो लोगों पर एक पागलपन सा सवार है जिस के लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. हमारे पड़ोसी लालजी ने अपने बेटे को इंजीनियरिंग के बाद अमेरिका भेजा था. वे कोई बहुत धनी नहीं थे. मध्यवर्गीय ही कह लो. वहां जा कर उस की अच्छी सी नौकरी लग गई. वहां की जिंदगी उसे इतनी भा गई कि एक गोरी मेम से शादी कर के वहीं बस गया. मगर वह कायर था इसलिए शादी की बात घर में नहीं बताई. जब भी वह भारत आता उस के मांबाप उस से शादी के लिए कहते. इस तरह 5-6 साल गुजर गए. पिछली बार जब वह भारत आया तो मांबाप ने एक अच्छी सी लड़की ढूंढ़ ली. उस ने भी बिना एतराज के उस से शादी कर ली. बहुत जल्दी उसे अमेरिका ले जाने का वादा कर के वह लौट गया. 2 साल से वह लड़की यहीं पर है और अपने पति के बुलावे का इंतजार कर रही है. अभी हाल ही में लालजी को अमेरिका से आए किसी दोस्त ने बताया कि वहां उस लड़के की मृत्यु हो गई है. मृत्यु का कारण किसी को पता नहीं है. मांबाप तो रो ही रहे हैं, साथ में वह 20-21 वर्ष की लड़की भी रोतेरोते पागल सी हो गई है,’’ तभी दूसरी ने कहा.

‘‘खैर मानिए कि लड़की यहीं पर है. हमारे रिश्तेदारों में भी ऐसी ही घटना हो गई थी. रिश्तेदार एक छोटे से गांव के रहने वाले और रूढि़वादी हैं. उन की लड़की ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं है. गांव से ही मिडिल पास है. अंगरेजी तो बिलकुल नहीं आती. जब उसे अमेरिका में रहने वाला लड़का ब्याह कर ले गया तो सारे रिश्तेदार अचंभित थे. जवान लड़कियां उस से ईर्ष्या करतीं. वह लड़की जब अमेरिका पहुंची तो उस ने देखा कि उस का पति और उस की अमेरिकन पत्नी सुबहसुबह नौकरी के लिए निकल जाते. उन्हें केवल एक पूर्णकालीन नौकरानी की जरूरत थी जो उन की, उन के घर की और उन के बच्चे की देखभाल कर सके. ऐसे में दहेज दे  कर भी अगर ऐसी कोई लड़की मिल रही थी तो लड़के की तो मुंहमांगी मुराद पूरी हो रही थी. ऐसी जिंदगी से तंग आ कर लड़की ने जब भारत वापस लौटना चाहा तो पहले तो किसी ने ध्यान न दिया, बाद में रोजरोज उस के कहने पर दोनों मिल कर उस की पिटाई करने लगे. न वहां उस की खोजखबर लेने वाला था न कोई उस की मदद करने वाला.’’

‘‘रेखाजी, आएदिन अखबारों में विज्ञापन छपते हैं, आप देखती ही होंगीं, ‘उच्च शिक्षा प्राप्त करने या नौकरी के लिए आस्ट्रेलिया, कनाडा या और कहीं जाने के लिए आप हम से मिलिए. हम आप के पासपोर्ट, वीजा आदि का इंतजाम करवा देंगे.’ बाद में पता चलता है कि वहां जा कर या तो कोई सड़कछाप काम करना पड़ता है या तरहतरह की ठोकरें खानी पड़ती हैं, नौकरी मिलना तो दूर की बात है, वापस आने के पैसे भी नहीं होते. कितने लोग गलत कामों में फंस जाते हैं,’’ लतिका ने कहा जो इन महिलाओं में ज्यादा समझदार थी.

‘‘ठीक कहा आप ने लतिकाजी, कई बार तो ये एजेंट लोग पैसे लेने के बाद यहीं के यहीं गायब हो जाते हैं कि विदेश जाने का सपना धरा का धरा रह जाता है,’’ एक अन्य ने जोड़ा.

विभा का सिर चकराने लगा. क्या ये सब बातें सच हैं या विदेश जाने वाले लोगों के प्रति जलन के मारे ऐसी बातें फैलाई जाती हैं.

‘‘विभाजी, आप यहां क्या कर रही हैं. सब लोग खाना शुरू भी कर चुके हैं. कहां खो गई हैं आप? चलिए, मैं ले चलती हूं,’’ मिसेज मोहन ने उन का हाथ थाम कर उठाते हुए कहा.

घर वापस आतेआते रात के 11 बज रहे थे. आते ही मां ने नरेंद्र से कहा, ‘‘बेटा, भोपाल से अर्चना का फोन आया था. उस की बेटी पिंकी की शादी तय हो गई है. अक्तूबर में शादी होगी. तारीख पक्की होते ही फिर बताएगी.’’

‘‘अच्छा मां, यह तो बड़ी अच्छी बात है. आज तो बहुत देर हो गई है. कल मैं दीदी से बात करता हूं,’’ नरेंद्र ने कहा.

घर में सब बहुत खुश थे खासकर नरेंद्र. उस की बहन अर्चना कई महीनों से अपनी बेटी के लिए एक अच्छे वर की तलाश में थी. अर्चना ने किसी से कहा तो नहीं था पर सभी लोग जानते थे कि वह हमेशा से विदेश में बसने वाले दामाद की तलाश में थी. पिंकी की पढ़ाई तो 2 साल पहले ही पूरी हो गई थी मगर दीदी की तलाश आज रंग लाई थी. उस ने जरूर अपनी पसंद का ही दामाद ढूंढ़ा होगा.

अगले दिन फोन से बात करने पर उस का अंदाजा सही निकला. यह जान कर सब खुश हुए. दीदी ने बताया कि लड़का अमेरिका के टैक्सास में रहता है.

ऑल राउंडर है डॉक्टर अनीता सहगल ‘वसुन्धरा’

500 से अधिक पेटिंग, 35 से अधिक डिग्री, 1000 से अधिक कार्यक्रमों का संचालन करने तथा 1000 से अधिक सम्मान हासिल करने वाली डाक्टर अनीता सहगल ‘वसुन्धरा’ को ऑल राउंडर प्रतिभा माना जाता है

जिंदगी एक फलसफा है, इसकी तह तक पहुँच पाना हर किसी के बस में नहीं होता है, यहां तक वही पहुंच पाते हैं, जिनमें मेहनत करने का जूनून होता है. कला, शिक्षा, अभिनय, साहित्य, समाजसेवा और उदघोषणा के क्षेत्र में एक समान पकड़ रखने वाली डाक्टर अनीता सहगल ‘वसुन्धरा’ एक ऐसा ही नाम है. अनीता सहगल का कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाते हुये पाँच सौ से अधिक वेस्ट मैटेरियल से पेंटिंग बनाई. इनकी पेंटिंग प्रदर्शनियाँ लग चुकी है. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री इसकी सराहना कर चुके है. पेटिंग के साथ ही साथ अनीता सहगल रंगोली, कलश सज्जा, मेंहदी, थाल डेकोरेशन, मंच सज्जा, कुकिंग, बागवानी, इंटीरियर डेकोरेशन, कढाई, बुनाई, ज्वैलरी डिजाइनिंग और साफ्ट टॅायस मेंकिग जैसे अनेकों हुनर में माहिर है.

शिक्षा के क्षेत्र में कमाया नाम: शिक्षा के क्षेत्र में अनीता सहगल ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से एम० एस० सी० (आनर्स) गणित में प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसके बाद अनीता का पढ़ाई का सिलसिला चलता गया और आज भी अनवरत चाल रहा है. अनीता ने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम०एड० की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की. इसके साथ ही साथ उन्होंने मास्टर इन जर्नलिज्म एंड मॉस कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, फ़िल्म प्रोडक्शन, फोटोग्राफी, एम०एस०डब्लू सहित लगभग 35 से अधिक डिग्री और डिप्लोमा , अलगअलग विश्वविद्यालयों से हासिल किये है. अनीता सहगल उत्तर प्रदेश की पहली महिला होंगी, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में इतनी अधिक डिग्रियां हासिल की हैं.

समाजसेवा बनी पहचानःअनीता सहगल ने समाजसेवा के जरिये समाज में एक अलग पहचान बना ली है. वह सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘ग्लोबल क्रिएशंस’ की अध्यक्ष भी है. इसके माध्यम से वह गरीब बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और बेजुबान जानवरों की बेहतरी के लिये काम करती है. कला और संस्कृति के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर कला की अनेको विधाओं की कार्यशालाएं आयोजित करके समाज के प्रत्येक वर्ग को बहुत अधिक लाभाविंत किया है. निर्धन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना, महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण देकर उनकों आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जाता है. अनीता सहगल बेजुबान और लाचार जानवरों की मदद करती है. ‘ग्लोबल क्रिएशंस’ बिना किसी सरकारी मदद के गाँव-गाँव और पिछडे इलाकों में जनसेवा का काम करती है.

समाजसेवा के क्षेत्र में बुजुर्गों और बच्चों के लिये एक साथ काम करने के कारण अनीता सहगल को ‘बुजुर्गो की बेटी और बच्चों की सेंटा‘ के नाम से भी जाना जाता है. अनीता ना केवल ऐसे लोगों की मदद करती है, बल्कि इनके जीवकोपार्जन के लिये भी प्रयास करती है. कुछ जानवरो को उन्होने अपने घर में ही पनाह दे दी है. अनीता सहगल ग्रेजुएट तक के बच्चों को सांइस और गणित पढ़ाती है. गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देती है. अनीता को खुद भी पढ़ने लिखने का बहुत शौक है और यही शौक इनको औरों से अलग खड़ा करता है.

कमाल की उद्घोषिकाः अनीता सहगल कमाल की उद्घोषिका है. मंच से लेकर टीवी और रेडियो तक उनकी धाक है. लखनऊ दूरदर्शन की एप्रूव्ड कंपीयरर है. शैक्षिक दूरदर्शन एप्रूव्ड स्क्रीप्ट राइटर है. अनीता के बहुत से लेख, कविताएं, व्यंग, कहानियां प्रकाशित हो चुकी है. अनीता की सुरीली खनकदार आवाज के साथ ही साथ गहरा ज्ञान उनके मंच संचालन की खूबी है. मंच संचालन के दौरान ही उनकी स्वरचित शेरो-शायरी से संचालन और भी अधिक आकर्षक बन जाता है. अनीता ने लखनऊ महोत्सव, ताज महोत्सव, झांसी महोत्सव, हिडंन महोत्सव, देवरिया महोत्सव, फतेहपुर महोत्सव, देवा महोत्सव और मैनपुरी महोत्सव जैसे तमाम कार्यक्रमो में मंच संचालन कर चुकी है. इसके साथ ही साथ राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के तमाम महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में वह संचालन कर चुकी है.

शासकीय और गैर शासकीय दोनों ही कार्यक्रमों में वह संचालन करती है. गणतंत्र दिवस परेड की लाइव कमेंटी करने का काम करती हैं. किसी महिला के रूप में यह काम करने वाली व पहली महिला हैं. वह कई सालों से लगातार यह काम करती आ रही है. टीवी और रेडियों के कई शो भी वह संचालित कर चुकी है. उदघोषक के रूप में उनकी पहचान पूरे उत्तर प्रदेश में तो है ही फिल्म नगरी मुम्बई में भी वह कई सफल कार्यक्रम कर चुकी है.

लाजवाब अदाकरीः अनीता सहगल कमाल की अदाकारा भी है. वह कई फिल्मों, टेली सीरियलस, डॉक्यूमेंट्री एवं विज्ञापन फिल्मों में भी अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी हैं. अनीता कहती है ‘सभी तरह की फिल्मों, विज्ञापन फिल्मो और सीरियल में काम करने का अलग अलग अनुभव रहा. यह अनुभव खुद को बेहतर बनाने में काम देता है. कोई भी फिल्म, सीरियल या विज्ञापन के लिये काम करते समय मैं केवल यह देखती हूँ कि मेरा किरदार कितना माध्यय खास है. मैं उसके जरिये समाज को क्या संदेश दे सकती हूँ. मेरे लिये किसी भी किरदार का चुनाव करते समय यह सामने होता है.

डाक्टर अनीता सहगल ‘वसुन्धरा’ को अलग-अलग संस्थाओं के द्वारा लखनऊ और देश के दूसरे शहरों में कई तरह के 1000 से अधिक एवार्ड, सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके है. पूर्व राष्ट्रपति डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया उत्तर प्रदेश का ‘बेस्ट एंकर अवार्ड’ प्रमुख है. पूर्व राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री के द्वारा ‘श्रेष्ठ कलाकार सम्मान‘, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के द्वारा ‘तुलसी सम्मान‘ और ‘उत्तर प्रदेश प्रगति रत्न सम्मान’ बॉलीवुड सिंगर उदित नारायण द्वारा ‘आधी आबादी वीमेन एचीवर्स अवार्ड’, ‘श्रेष्ठ कलाकार सम्मान’, ‘यंग एचीवर्स सम्मान’, इम्वा अवार्ड, यूनिक एचीवमेंट अवार्ड कला शिरोमणि सम्मान, सशक्त महिला सम्मान, बेस्ट सर्पोटिंग एक्ट्रेस एवार्ड, बहुमुखी प्रतिभा एवार्ड,कमलेश्वर स्तुति सम्मान, यू.पी. गौरव एवार्ड, नारी शक्ति सम्मान जैसे अनगिनत प्रमुख है. अनीता कहती है कि यह सम्मान और भी जिम्मेदारी से काम करने की प्रेरणा देते हैं.

एक महिला होते हुए हर क्षेत्र मे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली अनीता सहगल आज समाज में हर वर्ग के लोगों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं.
हुनर के साथ-साथ अपने शांत, मिलनसार, मुस्कुराती हुई मुस्कान के साथ सबको अपना बनाने वाली अनीता सहगल पर पूरे प्रदेशवासियों को उस पर नाज हैं, ऐसी विलक्षण प्रतिभाएं पृथ्वी पर कभी-कभी जन्म लेती है.

‘उत्तर प्रदेश दिवस’ में दिखा विकास का खाका, किया प्रतिभाओ का सम्मान

लखनऊ :  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर प्रदेश के विकास का खाका जनता के सामने रखा.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बसंत पंचमी से ‘अभ्युदय योजना’ का शुभारम्भ किए जाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग करने वाले प्रदेश के युवाओं के लिए इस योजना के अन्तर्गत निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी. प्रथम चरण में राज्य के सभी मण्डल मुख्यालयों पर यह कोचिंग संस्थान प्रारम्भ किये जाएंगे. इन संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागी युवाओं के लिए फिजिकल और वर्चुअल, दोनों माध्यमों से मार्गदर्शन की व्यवस्था लागू की जाएगी. इन संस्थानों के लिए विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं राजकीय विद्यालयों का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रयोग में लाया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने अवध शिल्पग्राम परिसर में उत्तर प्रदेश राज्य के ७१ वें स्थापना दिवस पर ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के चतुर्थ संस्करण के उद्घाटन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को इस अवसर पर सम्मानित किया. समारोह के दौरान अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये. उन्होंने ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के अवसर पर अवध शिल्पग्राम में आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान राजस्थान राज्य के कोटा तथा प्रदेश के जनपद प्रयागराज से प्रतियोगी विद्यार्थियों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने के अभियान के दौरान उनके द्वारा प्रदेश के युवाओं को राज्य में ही कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के सम्बन्ध मंे विचार-विमर्श किया गया था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के अनेक प्रतिभाशाली लोगों ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से देश-दुनिया में उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है. राज्य सरकार द्वारा कला, संस्कृति, खेल, विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रदेश का मान-सम्मान बढ़ाने वाली 03 से 05 विभूतियों को ‘यू0पी0 गौरव सम्मान’ से प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा. विभूतियों को सम्मानित करने का यह कार्यक्रम इसी वर्ष प्रारम्भ किया जाएगा. सम्मान प्राप्त करने वाली विभूति को 11 लाख रुपए की धनराशि, प्रतीक चिन्ह, मेडल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 24 जनवरी, 2018 को प्रथम ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना प्रारम्भ की गयी थी. प्रदेश के औद्योगिक विकास के निरन्तर प्रयासों की अभिनव कड़ी के रूप में राज्य सरकार द्वारा ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना प्रारम्भ की गयी. इसका उद्देश्य राज्य के विभिन्न जनपदों के परम्परागत और विशिष्ट पहचान वाले उत्पादों को प्रोत्साहित कर युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना है. वर्तमान में यह योजना देश की सर्वाधिक लोकप्रिय योजनाओं में से एक है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ की सराहना की है. इस योजना में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने का सामथ्र्य है. केन्द्रीय बजट में भी इस योजना को सम्मिलित किया गया है. उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में एमएसएमई विभाग के अन्तर्गत एक जनपद, एक उत्पाद, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड से सम्बन्धित उद्यमियों व हस्तशिल्पियों को सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि यह योजनाएं प्रधानमंत्री जी की ‘वोकल फाॅर लोकल’ की संकल्पना को आगे बढ़ा रही हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि द्वितीय ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ प्रारम्भ की गयी. यह योजना स्थानीय दस्तकारों तथा पारम्परिक कारीगरों के कौशल विकास हेतु संचालित की जा रही है. इसके अन्तर्गत पारम्परिक कारीगरों के आजीविका के साधनों का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि तृतीय ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर अटल आवासीय विद्यालय की स्थापना की योजना का शुभारम्भ किया गया. इसके तहत, प्रदेश के सभी 18 मण्डलों में अटल आवासीय विद्यालय स्थापित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की संस्कृति और परम्परा पर गर्व की अनुभूति होती है. उत्तर प्रदेश भारत का हृदय स्थल है. यह देश की संस्कृति और परम्परा का केन्द्र स्थल है. उत्तर प्रदेश की देश में अग्रणी भूमिका रही है. विगत कुछ वर्षाें में यह भूमिका प्रभावित हुई. वर्तमान राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश को पुनः अग्रणी बनाने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि विगत 10 माह से पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना के विरुद्ध संघर्ष कर रही है. ऐसे समय में प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री जी के ‘जान भी, जहान भी’ मंत्र के अनुरूप कोविड प्रबन्धन के साथ ही, विकास कार्याें को पूरी गति से आगे बढ़ा रही ह

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज देश और दुनिया में उत्तर प्रदेश की छवि बदल रही है. प्रदेश की बेहतर कानून-व्यवस्था को अन्य राज्य माॅडल के रूप में अपनाना चाह रहे हैं. राज्य में कानून और व्यवस्था के उत्कृष्ट वातावरण से प्रदेश में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े हैं. प्रदेश सरकार ने अब तक लगभग 04 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां उपलब्ध करायी हैं. निजी क्षेत्र में 15 लाख नौजवानों का नियोजन हुआ है. डेढ़ करोड़ से अधिक युवाओं को निवेश के माध्यम से रोजगार तथा लगभग 15 करोड़ नौजवानों को स्वतः रोजगार के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं से जोड़ने का कार्य विगत पौने चार वर्ष में हुआ है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों में जो कार्य हुए हैं, उससे एक नई कार्य संस्कृति का जन्म हुआ है. यह नई कार्य संस्कृति हर एक क्षेत्र में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की है. प्रदेश में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है. कृषि, जल संसाधन के क्षेत्रों में इस दिशा मंे उल्लेखनीय कार्य हुआ है. सूखाग्रस्त माने जाने वाले बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र में ‘हर घर नल’ योजना कार्य कर रही है. वर्तमान राज्य सरकार द्वारा गन्ना किसानों को 01 लाख 15 हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया है. पर्यटन एवं संस्कृति क्षेत्रों के भी कार्य अत्यन्त उल्लेखनीय हंै. प्रयागराज कुम्भ-2019 के आयोजन को सुरक्षा, स्वच्छता एवं सुव्यवस्था ने विशिष्ट पहचान दी. यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर कहा. प्रयागराज कुम्भ-2019 के पश्चात प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 24 करोड़ जनसंख्या का राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश ने कोरोना प्रबन्धन के क्षेत्र में उदाहरण स्थापित किया है. राज्य ने यह साबित किया है कि किसी भी आपदा का मुकाबला टीमवर्क एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के माध्यम से किया जा सकता है. लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश में अन्य राज्यों से 40 लाख से अधिक श्रमिक व कामगार वापस आये. राज्य सरकार ने इनके रहने व खाने की व्यवस्था की. प्रदेश सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग’ का गठन किया गया है. राज्य सरकार अपने पोर्टल पर पंजीकृत श्रमिकों को शीघ्र सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा की गारण्टी भी देगी. प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के हर वृद्ध, निराश्रित महिला एवं पात्र दिव्यांगजन को प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जा रही है. हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है. इससे प्रदेश नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से देश में ही कोरोना का वैक्सीन तैयार किया गया है. ब्राजील के राष्ट्रपति ने यहां विकसित वैक्सीन को संजीवनी बूटी कहा है. भारत में विकसित वैक्सीन यहां के नागरिकों अलावा भूटान, नेपाल, माॅरीशस आदि दुनिया के दूसरे देशों के नागरिकों की जीवन रक्षा कर रहा है. प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन के पहले चरण के पहले दिन 22 हजार हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया गया. दूसरी तिथि को 01 लाख 01 हजार वैक्सीनेशन किये गये. आगामी 28 व 29 जनवरी को भी हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया जाएगा.

समारोह को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश का सर्वांगीण विकास हो रहा है. राज्य औद्योगिक रूप से समृद्ध हो रहा है. साथ ही, युवाओं को रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. नकल विहीन परीक्षा, मेधावी छात्राओं एवं शिक्षकों के सम्मान के माध्यम से उत्कृष्ट शैक्षिक वातावरण बनाया जा रहा है. विश्वविद्यालयों में शोध पीठ की स्थापना की जा रही है.

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज तथा पं0 दीनदयाल उपाध्याय की अन्त्योदय की संकल्पना को साकार कर रही है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किए जाने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी द्वारा इसके लिए ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’, ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ आदि योजनाएं क्रियान्वित की गयी हैं. इन योजनाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का ‘योगी माॅडल’ बताते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती पूरी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करती है. इससे सतत विकास सम्भव होता है.

‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना की प्रगति के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट का विमोचन भी किया. इस अवसर पर स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया के सी0जी0एम0 श्री अजय कुमार खन्ना एवं अपर मुख्य सचिव एमएसएमई श्री नवनीत सहगल के मध्य ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के सम्बन्ध में एक एमओयू का हस्तान्तरण किया गया. इसी प्रकार अपर मुख्य सचिव एमएसएमई श्री नवनीत सहगल एवं इण्डियन इंस्टीट्यूट आॅफ पैकेजिंग के डायरेक्टर श्री संजीव आनन्द के मध्य ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के उत्पादों की पैकेजिंग के सम्बन्ध में एक अन्य एम0ओ0यू0 का हस्तान्तरण किया गया. ‘उद्यम सारथी’ एप के माध्यम से ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के सम्बन्ध में समस्त जानकारी प्राप्त की जा सकती है. एप में युवाओं को प्रशिक्षित करने की भी व्यवस्था है. भविष्य में प्रदेश की सभी योजनाओं को एप से जोड़ा जाएगा.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने समाज कल्याण विभाग द्वारा विद्यार्थियों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति का वितरण भी किया. उन्होंने बटन दबाकर 1,43,929 विद्यार्थियों के बैंक खातों में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की 39 करोड़ रुपए की धनराशि का आॅनलाइन अन्तरण किया. उन्होंने 05 छात्र-छात्राओं को प्रतीकात्मक रूप से छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि प्रदान की. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के तहत 05 पारम्परिक कारीगरों तथा ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के 02 हस्तशिल्पियों को उन्नत टूल किट प्रदान किये. उन्होंने माटी कला बोर्ड के 02 माटी कारीगरों को भी पुरस्कृत किया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न खेलों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाले पुरुष एवं महिला खिलाड़ियों को वर्ष 2019-20 के लिए क्रमशः ‘लक्ष्मण पुरस्कार तथा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से सम्मानित किया. ‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से 08 महिला खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया है. इनमें 01 खिलाड़ी वेटरन वर्ग से हैं. साथ ही, 10 पुरुष खिलाड़ियों को ‘लक्ष्मण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है. इनमें वेटरन वर्ग के 02 खिलाड़ी सम्मिलित हैं.

‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों में हैण्ड बाॅल की सुश्री स्वर्णिमा जायसवाल, एथलेटिक्स की सुश्री प्रियंका, वुशू की सुश्री साक्षी जौहरी, हाॅकी की सुश्री वन्दना कटारिया, शूटिंग की सुश्री हिमानी सिंह, तीरंदाजी की दिव्यांग खिलाड़ी सुश्री ज्योति, शूटिंग की दिव्यांग खिलाड़ी सुश्री आकांक्षा तथा वेटर्न वर्ग में एथलेटिक्स की श्रीमती विमला सिंह हैं.

‘लक्ष्मण पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों में कबड्डी के श्री नितिन तोमर, रोइंग के श्री पुनीत कुमार, कुश्ती के श्री गौरव बालियान, वुशू के श्री सूरज यादव, बैडमिन्टन के दिव्यांग खिलाड़ी श्री अबू हुबैदा, पावरलिफ्टिंग के दिव्यांग खिलाड़ी श्री सचिन चैधरी, शूटिंग के दिव्यांग खिलाड़ी श्री आकाश, एथलेटिक्स के दिव्यांग खिलाड़ी श्री वरुण सिंह भाटी तथा वेटर्न वर्ग में कुश्ती के श्री राजकुमार तथा एथलेटिक्स के श्री कुलदीप कुमार हैं.

मुख्यमंत्री जी द्वारा युवा कल्याण विभाग के राज्यस्तरीय ‘स्वामी विवेकानन्द यूथ अवाॅर्ड’ भी प्रदान किये गये. व्यक्तिगत श्रेणी में यह अवाॅर्ड 10 युवाओं को प्रदान किए गये हैं. मुख्यमंत्री जी ने यह पुरस्कार श्री सागर कसाना (गाजियाबाद), कु0 इशिका बंसल (आगरा) को प्रदान किये. राज्यस्तरीय ‘स्वामी विवेकानन्द यूथ अवाॅर्ड’ श्री कृष्ण पाण्डेय (गोरखपुर), श्री कलीम अतहर (पीलीभीत), श्री केतन मोर (झांसी), श्री शुभम मिश्रा (लखनऊ), श्री प्रवीण कुमार गुप्ता (अम्बेडकरनगर), श्री अजीत कुमार (लखनऊ), श्री अंकित मौर्य (लखनऊ) तथा रविकान्त मिश्रा (फतेहपुर) को भी दिया गया है. उन्होंने सामूहिक श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले युवक एवं महिला मंगल दल को सम्मानित किया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने हेतु कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘गोकुल पुरस्कार’ एवं ‘नन्द बाबा पुरस्कार’ वितरित किये. वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए दुग्ध संघ लखीमपुर खीरी की दुग्ध समिति बेलवामोती के सदस्य श्री वरुण सिंह को प्रथम पुरस्कार तथा दुग्ध संघ गोरखपुर की दुग्ध समिति माहोपार के सदस्य श्री धीरेन्द्र सिंह को द्वितीय पुरस्कार दिया. उन्होंने भारतीय गोवंश की गाय के माध्यम से सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए दुग्ध संघ मथुरा की दुग्ध समिति भूड़ासानी के सदस्य श्री हरेन्द्र सिंह को ‘नन्द बाबा पुरस्कार’ प्रदान किया. उन्होंने कृषि विभाग द्वारा दिये जाने वाले ‘कृषक पुरस्कार’ जनपद लखनऊ की डाॅ0 कामिनी सिंह, जनपद बाराबंकी के श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह तथा जनपद बहराइच के श्री अनिरुद्ध को प्रदान किये. मुख्यमंत्री जी द्वारा ‘दृष्टि योजना’ के अन्तर्गत जनपद भदोही के एफ0पी0ओ0 हरियाली किसान समृद्धि प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड को योजना की प्रथम किस्त के रूप में 18 लाख रुपए का डमी चेक एवं स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया.

कार्यक्रम के दौरान ‘इतिहास में महिला शक्ति’ पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. यूपी गुडविल ताइक्वाण्डो फेडरेशन की प्रशिक्षित महिलाओं द्वारा मार्शल आर्ट के विभिन्न करतब प्रदर्शित किए गये. इण्डियन ब्लाइण्ड जूडो फेडरेशन की बालिकाओं द्वारा आत्मरक्षार्थ जूडो का प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम के दौरान संस्कृति विभाग के कलाकारों ने थारू नृत्य प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री, दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, नागरिक उड्डयन मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नंदी’, जल शक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह, खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री उपेन्द्र तिवारी, महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह, उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीराम चैहान, कृषि राज्य मंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, सांसद श्री कौशल किशोर सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन श्री मुकेश मेश्राम, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

बिग बॉस 14: घर से बाहुर हुई सोनाली फोगाट, रोटी फेंकना पड़ा भारी

बिग बॉस 14 से सोनाली फोगाट को घर से बेघर कर दिया गया है. यह खबर फैंस के लिए काफी ज्यादा चौकाने वाला था. कि इस हफ्ते चार लोग नॉमिनेट होने के लिस्ट में थें. जिनका नाम था, राहुल वैद्या, निक्की तम्बोली, सोनाली फोगाट और रुबीना दिलाइक जिसमें से सोनाली फोगाट को घर से बाहर कर दिया गया है.

सनोला फोगाट की खबर मिलेत ही फैंस को शौक लगा है, सभी चाहते थे कि सोनाली फोगाट घर में लंबे समय तक टिकी रहेंगी, लेकिन हुआ नहीं ऐसा. एक रिपोर्ट के मुताबिक खुलासा हुआ कि इस हफ्ते कम वोट मिलने की वजह से सोनाली फोगाट कोघरसे बेघर किया गया है.

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इस बार वीकेंड के वार में सलमान खान बिजी थे जिस वजह से सोनाली फोगाट का एलिमिनेश अलग अंदाज में किया गया, जिसे देखकर फैंस भी शॉक हो गए हैं. फैंस इस वजह से परेशान भी नजर आ रहे हैं. हालांकि अब तो सोनाली फोगाट घर से जा चुकी हैं.

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सलमान खान बिजी थे जिस वजह से इसे रश्मि देसाई और सिद्धार्थ शुक्ला ने देखा था, वहीं सोनाली फोगाट बिग बॉस के घर मं दो बार खाना फेंकने को लेकर ट्रोल हो चुकी हैं. जब वीकेंड के वार में उनका सामना मीडिया से हुआ तो वहां भी लोगों ने अन्न को फेंकने के लिए सोनाली फोगाट की नंदा करते नजर आएं.

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इन दिनों बिग बॉस सभी घरों में चर्चा का विषय बना हुआ है , लोग इन्हें देखना ज्यादा पसंद कर रहे है. बिग बॉस को टीआरपी लिस्ट में लाने के लिए मेकर्स ने खूब ज्यादा मेहनत किया है . इसके बाद आखिरी में इस शो को टीआरपी के लिस्ट में शामिल कर लिया गया है. अब देखना है कि आखिरकर इस शो का फाइनल विजेता कौन बनता है.

वरुण धवन की शादी में पहुंचे करण जौहर, मीडिया को देख छिपाया चेहरा

बॉलीवुड एक्टर वरुण धवन और नताशा दलाल की शादी में शामिल होने के लिए सभी मेहमान पहुंच रहे थें, इसी बीच करण जौहर नजर आएं, करण का लुक हमेशा कि तरह इस बार भी कुछ अलग था, जिन्हें देखते ही मीडिया वाले फोटो लेना शुरू कर दिया.

करण जौहर पहले तो अपना चेहरा छिपाने की कोशिशकर रहे थें, लेकिन कैमरे से कौन बचा सकता है किसी को. बता दें कि इस दौरान करण जौहर शानदार आउटफिट में नजर आ रहे थें. साथ में उन्होंने चश्मा भी लगा रखा था. कोरोना से बचने के लिए करण जौहर मास्क लगाए नजर आएं, साथ में उन्होंने वोट डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा था.

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वैसे फैंस को करण जौहर का यह अंदाज फाफी ज्यादा पसंद आ रहा था. सभी मेहमानों की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. अब सिर्फ वरुण धवन और नताशा दलाल की तस्वीरो का इंतजार है. बता दें कि करण जौहर ने मीडिया से बीते कुछ महीनों से दूरी बना रखी है. इसलिए उन्हें देखते ही इसलिए मुंह छिपा लिया था.

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बता दें कि बाकी सभी मेहमानों की तरह करण जौहर और नताशा दलाल की शादी में शामिल होने के लिए करण को भी वोट की सवारी करनी पड़ी.

बतादें कि करण और नताशा की शादी के लिए सिक्योरेटी का पुख्ता इअंतजाम किया गया था. चारों तरह गार्ड्स ही गार्ड्स नजर आ रहे थें.

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वरुण धवन और नताशा दलाल की शादी का इंतजार सभी फैंस को था सभी जल्द वरुण धवन और नताशा दलाल की एक झलक पाने के लिए बेताब हैं.

केले का छिलका -भाग 1: मसूरी के रास्ते में ईशान ने क्या देखा

‘‘देहरादून के सिर पर ताज की तरह विराजमान मसूरी की अपनी निराली छटा है. सागर तल से लगभग 2,005 मीटर की ऊंचाई पर 65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली मसूरी से एक ओर घाटी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है तो दूसरी ओर बर्फीले हिमालय की ऊंचीऊंची चोटियां. मसूरी को ‘पहाड़ों की रानी’ यों ही नहीं कहा जाता.

‘‘यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गनहिल, कैमल्सबैक रोड, नगरनिगम उद्यान, चाइल्ड्स लौज, झड़ीपानी निर्झर, कैंप्टी फौल, धनोल्टी प्रमुख हैं.’’

गाइड अपनी लच्छेदार भाषा में रटारटाया भाषण दिए जा रहा था. अधिकतर यात्री एकाग्रचित्त हो कर सुन रहे थे, लेकिन कुछ लोग खिड़की से बाहर मनोहर और लुभावने दृश्य देख रहे थे.

अचानक ईशान ने महसूस किया कि कुछ गड़बड़ है. उस के पास बैठी लड़की की आंखों से आंसू टपक रहे थे. वह अपनी सिसकियों को दबाने का असफल प्रयास कर रही थी और इसी ने ईशान का ध्यान आकर्षित किया था. जब पास में बैठी कोई लड़की, जो खूबसूरत भी हो, अगर इतने सुहावने वातावरण के बावजूद रो रही हो तो एक सुसंस्कृत युवक का क्या कर्तव्य बनता है?

ईशान एक अमेरिकन बैंक में योजना अधिकारी था. वेतन इतना मिलता था कि भारत सरकार के उच्च अधिकारियों को भी एक बार ईर्ष्या हो जाती. वर्ष में एक बार 15 दिन की अनिवार्य छुट्टी पूरे वेतन के साथ मिलती थी. स्थान के लिहाज से सब से अच्छे होटल में रहना और सुबह का नाश्ता मुफ्त. घूमनेफिरने और हर दिन के कड़े काम की उकताहट से उबरने के लिए इस से बड़ा प्रोत्साहन और क्या हो सकता है.

ईशान का विवाह पिछले वर्ष बड़े धूमधाम से हुआ था. पत्नी गर्भवती थी और प्रसूति के लिए मायके गई हुई थी. कुछ सहयोगी, जो कुछ समय पहले मसूरी हो कर आए थे, इतनी प्रशंसा कर रहे थे कि उस ने भी मसूरी घूमने का निश्चय किया. वैसे तो घूमनेफिरने का आनंद पत्नी के साथ ही आता है, बिलकुल दूसरे हनीमून जैसा. परंतु इस समय ईशान की पत्नी पहाड़ों पर जाने की स्थिति में नहीं थी इसलिए वह अकेला ही निकल पड़ा था.

मसूरी के एक वातानुकूलित होटल में कमरा पहले से आरक्षित किया जा चुका था. कुछ समय तक कमरे में बैठेबैठे ही खिड़की खोल कर ईशान दूरदूर तक फैली हरियाली और कीड़ेमकोड़ों की तरह दिखते मकानों को निहारता रहा. कभीकभी आवारा बादल कमरे में ही घुस आते थे और तब वह सिहर कर अपनी पत्नी गौरी की कमी महसूस करता.

होटल की स्वागतिका से कह कर ईशान ने आसपास घूमने के लिए बस में सीट आरक्षित करवा ली थी. उस समय वह बस में बैठा हुआ था जब पास बैठी लड़की की सिसकियों ने उस का ध्यान अपनी ओर खींचा.

जब नहीं रहा गया तो उस ने शालीनता से पूछा, ‘‘क्षमा कीजिए, आप को कुछ कष्ट है क्या? क्या मैं आप की कुछ मदद कर सकता हूं?’’

लड़की ने कोई उत्तर नहीं दिया, केवल सिसकती रही. ईशान की समझ में नहीं आ रहा था कि अपने काम से काम रखे या अंगरेजी फिल्मों के नायक की तरह अपना रूमाल उसे पेश करे.

आखिर एक लंबी सांस छोड़ते हुए उस ने कहा, ‘‘देखिए, मैं आप के मामले में कोई दखल नहीं देना चाहता. हां, अगर आप समझती हैं कि एक अजनबी से कुछ मदद ले सकती हैं तो मैं हाजिर हूं.’’

सिसकियां दबाते हुए लड़की ने कहा, ‘‘मेरा सिर चकरा रहा है. मैं कहीं खुली जगह में बैठना चाहती हूं.’’

‘‘ओह, तबीयत खराब है?’’

‘‘नहीं,’’ लड़की ने कराहते हुए कहा.

‘‘तो फिर…’’ ईशान झिझका, ‘‘खैर, मैं अभी बस रुकवाता हूं,’’ सोचा, लड़की की तबीयत खराब होना भी एक नाजुक मामला है.

जब उस ने थोड़ी चहलपहल वाली जगह पर बस रुकवाई तो सारे पर्यटक आश्चर्य से उसे देखने लगे.

लड़की के हाथ में केवल एक पर्स था, वह झट से उतर गई. ईशान अपनी सीट पर बैठने ही वाला था कि उसे कुछ बुरा लगा. सोचने लगा कि अकेली मुसीबत में पड़ी लड़की को यों ही छोड़ देना ठीक नहीं. शायद उसे मदद की आवश्यकता हो?

इस से पहले कि चालक बे्रक पर से पैर हटाता, वह अपना बैग उठा कर लड़की के पीछेपीछे उतर गया. बस उन्हें छोड़ कर आगे बढ़ गई.

सड़क के किनारे एक खाली बेंच थी. लड़की जा कर उस पर बैठ गई. फिर उस ने आंखें बंद कर लीं और सिर पीछे टिका लिया. ईशान भी पास ही बैठ गया. पर अब महसूस कर रहा था कि वह किस चक्कर में पड़ गया.

लगभग 2 मिनट की चुप्पी के बाद लड़की ने क्षीण स्वर में कहा, ‘‘मुझे अफसोस है. आप बेकार में ही मेरे लिए इतना परेशान हो रहे हैं.’’

पहली बार ईशान का ध्यान लड़की की टांगों पर गया. वह स्कर्टब्लाउज पहने थी. गोरीगोरी टांगें रेशम की तरह मुलायम लग रही थीं. घुटने से ऊपर तक के मोजे पहने थे, देखने में वे पारदर्शी और टांगों के रंग से मिलतेजुलते थे.

ईशान ने सिर झटका, ‘मूर्ख कहीं का, इस तरह मत भटक.’

‘‘परेशानी तो कुछ नहीं,’’ ईशान ने जल्दी से कहा, ‘‘हां, अगर आप के कुछ काम आया तो खुशी होगी.’’

अचानक लड़की की आंखों से फिर से ढेर सारे आंसू निकल पड़े तो ईशान भौचक्का रह गया.

‘‘मैं अपने मातापिता के साथ कुछ रोज पहले यहां आई थी,’’ लड़की ने सिसकते हुए कहा.

‘‘ओह, ये बात है,’’ ईशान कुछ न समझते हुए बोला.

केले का छिलका -भाग 3: मसूरी के रास्ते में ईशान ने क्या देखा

‘‘अब क्या करोगी? घूमने चलोगी या आराम करोगी?’’ ईशान ने बाहर आ कर पूछा.

‘‘आराम कहां है मेरी जिंदगी में,’’ रौनी ने आह भर कर कहा.

‘‘देखो, अब ऐसी बातें मत करो. सामान्य होने की कोशिश करो,’’ ईशान ने अब अधिकार से उस के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘मैं सोचता हूं, तुम्हें कुछ देर अब आराम करना चाहिए. चलो, तुम्हारे होटल छोड़ आता हूं. शाम को फिर मिलेंगे.’’

‘‘होटल,’’ रौनी से उदासी से कहा, ‘‘होटल तो मैं ने बहुत पहले छोड़ दिया था. रहने के लिए रुपया चाहिए और सारा रुपया पिताजी की जेब में था. वह तो होटल का मालिक इतना सज्जन था कि उस ने मुझ से कोई हिसाब नहीं मांगा.’’

‘‘तो फिर कहां रहती हो?’’ ईशान ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘कालीबाड़ी में. इतने सारे लोग रोज आतेजाते हैं, मुझे कोई परेशानी नहीं होती,’’ रौनी ने लापरवाही से कहा.

ईशान ने कुछ क्षणों तक सोचा और फिर कहा, ‘‘तुम्हें कालीबाड़ी में रहने की कोई जरूरत नहीं है. चलो, अपना सामान उठाओ और मेरे होटल में आ जाओ. मैं तुम्हारे लिए कमरा आरक्षित करवा दूंगा.’’

रौनी ने आशंका और अविश्वास से ईशान को देखा और कहा, ‘‘आप मेरे लिए इतना सब क्यों करेंगे? मैं नादान और कमसिन जरूर हूं पर भोली भी नहीं हूं.’’

ईशान के ऊपर बिजली सी गिर पड़ी. शीघ्रता से बोला, ‘‘विश्वास करो रौनी, मेरा कोई बुरा आशय नहीं है. मैं कोई नाजायज फायदा भी नहीं उठाना चाहता. हां, एक दोस्त की हैसियत से तुम्हें कुछ लमहे खुशी के दे सकता हूं तो इनकार कर के मेरा दिल तो न तोड़ो.’’

रौनी ने शरारतभरी मुसकराहट से कहा, ‘‘बुरा मान गए? दरअसल, हम लड़कियों को हर पल चौकन्ना और होशियार रहना पड़ता है. अच्छे और बुरे की पहचान करना कोई आसान काम है क्या?’’

ईशान ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम ने तो मुझे डरा ही दिया था. अपने ही आईने में भेडि़या नजर आने लगा.’’

‘‘अब छोडि़ए भी. हां, इतना फिर कहूंगी कि मैं जहां हूं, ठीक हूं. आप मेरी चिंता मत कीजिए,’’ उस ने जोर दिया.

‘‘रौनी, कृपा कर के अब यह संवाद अधिक मत दोहराओ. तुम मेरी खातिर चलो. मुझे अच्छा लगेगा,’’ रौनी का हाथ ईशान ने मजबूती से पकड़ लिया.

रौनी के साथ ईशान कालीबाड़ी गया और उस का सामान उठवाया. केवल एक सूटकेस और स्लीपिंग बैग देख कर उसे आश्चर्य तो हुआ, पर कुछ बोला नहीं.

रौनी ने अपनेआप ही सफाई दी, ‘‘रुपए की जरूरत पड़ी तो बाकी सामान बेच दिया.’’

ईशान ने कोई उत्तर नहीं दिया. होटल पहुंच कर रौनी के लिए कमरा लिया. शाम की कौफी, नाश्ता भी वहीं किया और फिर रात को मसूरी का आनंद लेने के लिए निकल पड़े. रौनी से धीरेधीरे ईशान की घनिष्ठता बढ़ गई. शर्म व झिझक भी कम होती जा रही थी.

जिस किसी दुकान पर वह कोई पोशाक या आभूषण ठिठक कर देखने लगती, ईशान तुरंत खरीद कर भेंट कर देता. धीरेधीरे ईशान का एहसान अधिकार में बदलने लगा. रौनी अब खुल कर फरमाइश भी कर देती थी. अच्छा खातीपीती थी और खूब खरीदती थी.

ईशान जितने रुपए साथ लाया था, सब कभी के खत्म हो चुके थे. अब वह अपने बैंक का ‘क्रैडिट कार्ड’ इस्तेमाल कर रहा था. सोच कर आया था कि अपनी पत्नी गौरी के लिए ढेर सारी चीजें खरीदेगा और अपने होने वाले बच्चे के लिए ढेर सारे खिलौने व कपड़े, पर रौनी के चक्कर में फुरसत ही न मिली. साथ ही अब तो इफरात से खर्च करने के कारण आर्थिक स्थिति भी डांवांडोल हो रही थी. ठीक पता नहीं था कि क्रैडिट कार्ड कब तक साथ देगा.

15 दिन कैसे निकल गए, पता नहीं लगा. ईशान को रौनी अच्छी लगने लगी थी. कभीकभी तो लगता कि वह उसे प्यार करने लगा है. काश, कहीं रौनी की ओर से कोई संकेत मिल जाता.

परंतु रौनी ने ऐसा कुछ नहीं किया. मौजमस्ती ने उस का दुख मिटा दिया था, उस की खिलखिलाहट में एक खिलाड़ी का स्वर गूंजता था. इसी से ईशान बड़ा सुकून महसूस करता था.

‘‘कल सुबह तो मैं चला जाऊंगा,’’ ईशान ने डूबी हुई आवाज में कहा, ‘‘अब तुम क्या करोगी?’’

‘‘अब तुम ही चले परदेस…’’ रौनी ने शरारत से ठुमका लगा कर कहा, ‘‘लगा के ठेस तो अब हम क्या करेगा?’’

ईशान ने हंस कर कहा, ‘‘शैतानी से बाज नहीं आओगी. सुनो, मेरे साथ चलोगी?’’

‘‘न बाबा,’’ रौनी ने अपने कानों को हाथ लगाते हुए कहा, ‘‘तुम्हारी गौरी से जूते खाने हैं क्या?’’

‘‘तो तुम से कब और कैसे भेंट होगी?’’ ईशान ने पूछा.

‘‘यह मुझ पर छोड़ दो. पहले अपना ठिकाना ढूंढ़ लूं. फिर तो तुम्हें कहीं से भी पकड़ लाऊंगी,’’ रौनी ने हंसते हुए कहा.

‘‘तुम्हें मजाक सूझ रहा है और मेरी जान पर बनी है,’’ ईशान ने नाराजगी का फिल्मी इजहार किया.

रौनी ने केवल जीभ दिखा दी. फिर उस की प्रार्थना पर ईशान ने होटल का 2 दिन का किराया और दे दिया. साथ ही कुछ रुपए खानेपीने के लिए दिए.

ईशान जब घर पहुंचा तो एकदम कड़का था. बैंक से भी पता लगा कि उस ने बचत से कहीं अधिक खर्च कर डाला है, इसलिए अब उधार पर अधिक सूद देना पड़ेगा. लेकिन रौनी की मधुरस्मृति ने दुखी नहीं होने दिया. सोचने लगा, कब याद करेगी अब?

कुछ समय बाद ईशान की पत्नी गौरी गोलमटोल बबलू को ले कर घर आ गई. उस ने पति के बरताव में कुछ बदलाव सा महसूस किया. लेकिन उस ने खामोश रहना ही बेहतर समझा.

ईशान ने एकाध बार सोचा कि क्यों न गौरी को बता दे कि कैसे उस ने एक मुसीबत में फंसी लड़की को सहारा दिया. तब गौरी अवश्य ही उस की प्रशंसा करेगी. फिर यह सोच कर रह जाता था कि बहादुरी दिखाने के बजाय विवेक से काम लेना अधिक अच्छा होता है. हो सकता है, गौरी इस का गलत अर्थ लगाए.

वर्ष बीत रहा था और रौनी के संपर्क न करने से ईशान को बेचैनी सी होने लगी थी. कभी यह भी सोचता था कि चलो, अच्छा हुआ, पीछा छूटा. कहीं उस का संबंध गहरा हो जाता तो अपना पारिवारिक जीवन ही डांवांडोल हो जाता. उन क्षणों में वह गौरी से आवश्यकता से अधिक ही प्रेम जताने लगता.

जब छुट्टी लेने का समय आया तो उस ने फिर से मसूरी ही जाने का निश्चय किया.

‘‘पिछले साल ही तो मसूरी गए थे?’’ गौरी ने पूछा, ‘‘क्या हमारे महान देश में पर्यटक स्थलों की कमी पड़ गई है?’’

‘‘गौरी, एक बार मसूरी चलो तो सही. तुम देखते ही उस से प्यार करने लगोगी,’’ ईशान ने हंस कर कहा, ‘‘मेरा तो मन करता है, वहां ही कोई घर ले लूं.’’

गौरी को दार्जिलिंग अधिक अच्छा लगता था. इस बात पर अकसर दोनों में गरम बहस भी होती थी.

वे मसूरी पहुंचे तो ठहरे उसी पुराने होटल में.

दोपहर का सुहावना मौसम था. वे घूमने निकल पड़े. बादल छाए हुए थे और ठंडी हवा के झोंके बदन में सिहरन भर रहे थे. गौरी ने बबलू को कंबल में लपेट कर गोद में लिटा रखा था. ईशान पास ही बैठा उस से अपने अनुभवों का वर्णन कर रहा था.

अचानक एक परिचित स्वर कानों में पड़ा. ईशान चौंक गया. मुड़ कर देखा, वही थी. साथ में एक मोटा आदमी था. पीछे वाली बैंच पर दोनों बैठे थे. ईशान की तरफ उन की पीठ थी.

‘‘मैं अपने मांबाप के साथ कुछ रोज पहले यहां आई थी,’’ रौनी सिसकते हुए कह रही थी, ‘‘मुझे क्या मालूम था… क्षमा कीजिए, मेरा नाम वैरोनिका है, वैसे सब मुझे ‘रौनी’ कहते हैं…मेरी मां को कैंसर था…’’

ईशान का दिल डूबने लगा. वह गौरी से आंखें न मिला सका. ऐसा लगा, जैसे उस ने उस की चोरी पकड़ ली हो.

2 आदमी हाथों में मूंगफली की पुडि़या लिए सामने से निकले. दोनों वार्त्तालाप में मस्त थे.

‘‘किसी शायर ने क्या खूब कहा है,’’ एक आदमी कह रहा था, ‘‘औरत केले के छिलके की तरह होती है, पैर पड़ा नहीं कि फिसल गए.’’

दोनों ठहाका मार कर हंस रहे थे. क्या खूब कहा था.

 

मेरी उम्र 29 साल है,मैं पहली बार गर्भवती हुई हूं,कृपया बताएं कि गर्भवती महिला को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

सवाल
मेरी उम्र 29 साल है. मैं पहली बार गर्भवती हुई हूं. कृपया बताएं कि गर्भवती महिला को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

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जवाब
गर्भावस्था के दौरान घर पर बना संतुलित आहार ही सर्वोत्तम होता है. आहार में विटामिन व मिनरल्स की पर्याप्त मात्रा आवश्यक है. गर्भावस्था के दौरान फ्राइड, स्पाइसी और खट्टा खाने से परहेज करना चाहिए. बाहर का खाना और जूस नहीं लेना चाहिए. जूस घर पर बनाएं. पिज्जा, बर्गर जैसे फूड्स से भी बचना चाहिए. पानीपूरी का सेवन भी नहीं करना चाहिए, अगर आप की पाचनक्रिया अच्छी नहीं है तो मिर्च और अचार भी नहीं खाना चाहिए.

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गर्भावस्था में कैसा हो आहार

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गर्भ धारण करना किसी भी महिला के जीवन की सब से बड़ी खुशी होती है. मगर इस दौरान उसे कई सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं. आज नारी पर घरबाहर दोनों जिम्मेदारियां हैं. वह घर, बच्चों, औफिस सभी को हैंडल करती है.

आधुनिक युग की नारी होने के नाते कुछ महिलाएं धूम्रपान और शराब आदि का भी सेवन करने लगी हैं. यही वजह है कि गर्भावस्था में उन्हें अपनी खास देखभाल की जरूरत होती है. थोड़ी सी सावधानी बरतने पर मां और शिशु दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रह सकते हैं.

पौष्टिक आहार लेना जरूरी

आप मां बनने वाली हैं, तो यह जरूरी है कि आप पौष्टिक आहार लें. इस से आप को अपने और अपने गर्भ में पल रहे शिशु के लिए सभी जरूरी पोषक तत्त्व मिल जाएंगे. इन दिनों आप को अधिक विटामिन और खनिज, विशेषरूप से फौलिक ऐसिड और आयरन की जरूरत होती है.

गर्भावस्था के दौरान कैलोरी की भी कुछ अधिक जरूरत होती है. सही आहार का मतलब है कि आप क्या खा रही हैं, न कि यह कि कितना खा रही हैं. जंक फूड का सेवन सीमित मात्रा में करें, क्योंकि इस में केवल कैलोरी ज्यादा होती है बाकी पोषक तत्त्व कम या कह लें न के बराबर होते हैं.

मलाई रहित दूध, दही, छाछ, पनीर आदि का शामिल होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इन खाद्यपदार्थों में कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिन बी-12 की ज्यादा मात्रा होती है. अगर आप को लैक्टोज पसंद नहीं है या फिर दूध और दूध से बने उत्पाद नहीं पचते, तो अपने खाने के बारे में डाक्टर से बात करें.

पेयपदार्थ

पानी और ताजे फलों के रस का खूब सेवन करें. उबला या फिल्टर किया पानी ही पीएं. घर से बाहर जाते समय पानी साथ ले जाएं या फिर अच्छे ब्रैंड का बोतलबंद पानी ही पीएं. ज्यादातर रोग जलजनित विषाणुओं की वजह से ही होते हैं. डब्बाबंद जूस का सेवन कम करें, क्योंकि इन में बहुत अधिक चीनी होती है.

वसा और तेल

घी, मक्खन, नारियल के दूध और तेल में संतृप्त वसा की ज्यादा मात्रा होती है, जो ज्यादा गुणकारी नहीं होती. वनस्पति घी में वसा अधिक होती है. अत: वह भी संतृप्त वसा की तरह शरीर के लिए अच्छी नहीं है. वनस्पति तेल वसा का बेहतर स्रोत है, क्योंकि इस में असंतृप्त वसा अधिक होती है.

समुद्री नमक या आयोडीन युक्त नमक के साथसाथ डेयरी उत्पाद आयोडीन के अच्छे स्रोत हैं. अपने गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन शामिल करें.

गर्भावस्था से पहले आप का वजन कितना था और अब आप के गर्भ में कितने शिशु पल रहे हैं, उस हिसाब से अब आप को कितनी कैलोरी की जरूरत है, यह डाक्टर बता सकती हैं.

गर्भावस्था में क्या न खाएं

गर्भावस्था के दौरान कुछ खाद्यपदार्थों का सेवन न करें. ये शिशु के लिए असुरक्षित साबित हो सकते हैं. जैसे अपाश्चयुरिकृत दूध (भैंस या गाय का) और उस से बने डेयरी उत्पादों का सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित नहीं है. इन में ऐसे विषाणुओं के होने की संभावना रहती है, जिन से पेट के संक्रमण का खतरा रहता है. कहीं बाहर खाना खाते समय भी पनीर से बने व्यंजनों से बचें.

सभी किस्म के मांस को तब तक पकाएं जब तक कि उस से सभी गुलाबी निशान न हट जाएं. अंडे को भी अच्छी तरह पकाएं. विटामिन और खनिज की अधिक खुराक लेना भी शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है. कोई भी

दवा बिना डाक्टर की सलाह के न लें.

आज बहुत सी महिलाएं कामकाजी हैं, जो प्रैगनैंसी के दौरान भी औफिस जाती हैं और उन की डिलिवरी भी सामान्य होती है. लेकिन आप की प्रैगनैंसी में कौंप्लिकेशंस हैं, तो सफर में अपना खास खयाल रखें. सफर पर जाने से पहले डाक्टर से जरूर मिल लें.

अधिकतर मामलों में प्रैगनैंसी के दौरान ट्रैवलिंग सेफ होती है, फिर भले ही आप ट्रैवलिंग कार से कर रही हो, बस से या फिर ट्रेन से. लेकिन कुछ प्रिकौशंस को ध्यान में रखें तो आप और आप के बच्चे को किसी भी अचानक होने वाली घटना से बचाया जा सकता है.

प्रैगनैंसी में शुरू के 3 महीने और आखिर के 3 महीने सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान सफर करने से बचें. अगर किसी महिला को डाक्टर ने प्रैगनैंसी के हाई रिस्क पर होने की वजह से पूरी तरह बैड रैस्ट की सलाह दी है तो ऐसी महिलाओं के लिए यात्रा करना हानिकारक हो सकता है.

इन बातों को रखें याद

सब से पहले तो किसी भी हालात में शरीर में पानी की कमी न होने दें. अगर आप विमान से सफर कर रही हैं तो नमी का स्तर कम होने के कारण डीहाईडे्रशन की संभावना रहती है. पैर फैलाने के लिए पर्याप्त जगह वाली सीट लें. रैस्टरूम सीट के करीब हो.

अगर आप कार द्वारा लंबी दूरी का सफर तय कर रही हैं, तो सीट बैल्ट पेट के नीचे बांधें. कार की अगली सीट पर बैठें और स्वच्छ हवा के लिए खिड़की खुली रखें. ब्लडप्रैशर सामान्य रखने, ऐंठन और सूजन से बचने के लिए पैरों को फैलाती और मूवमैंट में रखें.

गर्भावस्था के दूसरे फेज यानी 3 से 6 महीने के बीच का समय सुरक्षित होता है. इन महीनों के दौरान मौर्निंग सिकनैस, अधिक थकान, सुस्ती जैसी शिकायतें कम ही होती हैं.

ऐसी जगह जाने से बचें जहां किसी संक्रमित बीमारी का प्रकोप फैला हो.

गर्भावस्था के 14 से 28 सप्ताहों के बीच ही यात्रा करें.

सफर के दौरान डाक्टर के निर्देशों का पालन करते हुए दवा साथ रखें. डाक्टर के पेपर्स और उन का फोन नंबर हमेशा साथ रखें ताकि आपातकाल में उस का उपयोग कर पाएं.

सफर में ज्यादा भागदौड़ न करें, क्योंकि आप जितनी अशांत रहेंगी, आप के बीमार होने की आशंका उतनी ही अधिक होगी.

नशीले पदार्थों से दूर रहें

गर्भावस्था में महिलाएं नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहें. साथ ही उन दवाओं से भी परहेज करें, जिन में ड्रग्स की मात्रा अधिक हो. यदि इस अवस्था में महिला शराब, सिगरेट, तंबाकू, पान, बीड़ी या गुटका का सेवन करती है तो इस का गर्भ में पल रहे शिशु पर प्रतिकूल असर पड़ता है. उस में शारीरिक दोष, सीखने की अक्षमता और भावनात्मक समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

गर्भावस्था के शुरू के 10 हफ्तों के बाद शिशु के शरीर का विकास तेजी से होने लगता है और इस में नशीले पदार्थों के सेवन का असर इतना खतरनाक पड़ता है कि उस के नर्वस सिस्टम के साथ आंखें भी खराब हो सकती हैं. इस के अलावा बच्चा ऐब्नौर्मल पैदा हो सकता है, समयपूर्व प्रसव भी हो सकता है, जिस से शिशु पर जान का जोखिम बना रहता है.

कैफीन की मात्रा भी कम करें. प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से अधिक कैफीन लेने से गर्भपात और कम वजन वाले शिशु के जन्म का जोखिम बढ़ जाता है. इसलिए प्रतिदिन 2 कप इंस्टैंट कौफी या 2 कप चाय से अधिक का सेवन न करें.

अगर आप मांस नहीं खाती हैं, तो अनाज, साबूत व पूर्ण अनाज, दालें और ड्राईफू्रट्स आप के लिए प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं. शाकाहारियों को प्रोटीन के लिए प्रतिदिन 45 ग्राम ड्राईफू्रट्स और 2/3 कप फलियों की आवश्यकता होती है. 1 अंडा, 14 ग्राम ड्राईफू्रट्स या 2 कप फलियां लगभग 28 ग्राम मांस के बराबर मानी जाती हैं. अगर मांसाहारी हैं तो मछली, चिकन आदि प्रोटीन के बेहतर स्रोत हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

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