‘‘उस की ग्रेजुएशन पूरी हो गई?’’ विभा ने पूछ लिया.
‘‘ग्रेजुएशन क्या पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर ली. लड़के के लिए पेपर में इश्तिहार दे दिया है. 2-3 मैरिज ब्यूरो में भी पैसे भर दिए हैं. साथ में दोस्तों और रिश्तेदारों को भी बता दिया है कि टीना के लिए अमेरिकी दूल्हा ही चाहिए.’’
विभा अपने ही विचारों में खोई कभी मेनका और कभी सरला की ओर देख रही थी और मन ही मन सोच रही थी, ‘जाने पप्पू कब बड़ा होगा.’
‘‘अरे विभाजी, सब लोग मौजमस्ती कर रहे हैं और आप बैठीबैठी क्या सोच रही हैं? यही न कि ‘एक दिन पप्पू बड़ा हो जाएगा तो मैं उसे अपनी नजरों से कदापि दूर नहीं भेजूंगी. पता नहीं, ये लोग अपनी औलाद को इतनी दूर भेज कर कैसे चैन से जी पाते हैं.’ ठीक कह रहा हूं न. मैं आप को अच्छी तरह जानता हूं,’’ ये मिस्टर दिवाकर थे.
‘आप खाक जानते हैं’, उस ने मन में सोचा पर कुछ न बोली. केवल हकला कर रह गई, ‘‘जी…जी…’’
उस ने सोचा कैसा उजड्ड आदमी है. लोग किस रफ्तार से दौडे़ जा रहे हैं और यह…? इस के विचार कितने दकियानूसी हैं. उस समय वह भूल गई कि इंसान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले, उस की प्यार और अपनेपन की प्यास कभी नहीं मिटती. वह उठी और औरतों के दूसरे झुंड में जा मिली.
वहां एक औरत धीमी आवाज में कह रही थी, ‘‘आजकल तो लोगों पर एक पागलपन सा सवार है जिस के लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. हमारे पड़ोसी लालजी ने अपने बेटे को इंजीनियरिंग के बाद अमेरिका भेजा था. वे कोई बहुत धनी नहीं थे. मध्यवर्गीय ही कह लो. वहां जा कर उस की अच्छी सी नौकरी लग गई. वहां की जिंदगी उसे इतनी भा गई कि एक गोरी मेम से शादी कर के वहीं बस गया. मगर वह कायर था इसलिए शादी की बात घर में नहीं बताई. जब भी वह भारत आता उस के मांबाप उस से शादी के लिए कहते. इस तरह 5-6 साल गुजर गए. पिछली बार जब वह भारत आया तो मांबाप ने एक अच्छी सी लड़की ढूंढ़ ली. उस ने भी बिना एतराज के उस से शादी कर ली. बहुत जल्दी उसे अमेरिका ले जाने का वादा कर के वह लौट गया. 2 साल से वह लड़की यहीं पर है और अपने पति के बुलावे का इंतजार कर रही है. अभी हाल ही में लालजी को अमेरिका से आए किसी दोस्त ने बताया कि वहां उस लड़के की मृत्यु हो गई है. मृत्यु का कारण किसी को पता नहीं है. मांबाप तो रो ही रहे हैं, साथ में वह 20-21 वर्ष की लड़की भी रोतेरोते पागल सी हो गई है,’’ तभी दूसरी ने कहा.
‘‘खैर मानिए कि लड़की यहीं पर है. हमारे रिश्तेदारों में भी ऐसी ही घटना हो गई थी. रिश्तेदार एक छोटे से गांव के रहने वाले और रूढि़वादी हैं. उन की लड़की ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं है. गांव से ही मिडिल पास है. अंगरेजी तो बिलकुल नहीं आती. जब उसे अमेरिका में रहने वाला लड़का ब्याह कर ले गया तो सारे रिश्तेदार अचंभित थे. जवान लड़कियां उस से ईर्ष्या करतीं. वह लड़की जब अमेरिका पहुंची तो उस ने देखा कि उस का पति और उस की अमेरिकन पत्नी सुबहसुबह नौकरी के लिए निकल जाते. उन्हें केवल एक पूर्णकालीन नौकरानी की जरूरत थी जो उन की, उन के घर की और उन के बच्चे की देखभाल कर सके. ऐसे में दहेज दे कर भी अगर ऐसी कोई लड़की मिल रही थी तो लड़के की तो मुंहमांगी मुराद पूरी हो रही थी. ऐसी जिंदगी से तंग आ कर लड़की ने जब भारत वापस लौटना चाहा तो पहले तो किसी ने ध्यान न दिया, बाद में रोजरोज उस के कहने पर दोनों मिल कर उस की पिटाई करने लगे. न वहां उस की खोजखबर लेने वाला था न कोई उस की मदद करने वाला.’’
‘‘रेखाजी, आएदिन अखबारों में विज्ञापन छपते हैं, आप देखती ही होंगीं, ‘उच्च शिक्षा प्राप्त करने या नौकरी के लिए आस्ट्रेलिया, कनाडा या और कहीं जाने के लिए आप हम से मिलिए. हम आप के पासपोर्ट, वीजा आदि का इंतजाम करवा देंगे.’ बाद में पता चलता है कि वहां जा कर या तो कोई सड़कछाप काम करना पड़ता है या तरहतरह की ठोकरें खानी पड़ती हैं, नौकरी मिलना तो दूर की बात है, वापस आने के पैसे भी नहीं होते. कितने लोग गलत कामों में फंस जाते हैं,’’ लतिका ने कहा जो इन महिलाओं में ज्यादा समझदार थी.
‘‘ठीक कहा आप ने लतिकाजी, कई बार तो ये एजेंट लोग पैसे लेने के बाद यहीं के यहीं गायब हो जाते हैं कि विदेश जाने का सपना धरा का धरा रह जाता है,’’ एक अन्य ने जोड़ा.
विभा का सिर चकराने लगा. क्या ये सब बातें सच हैं या विदेश जाने वाले लोगों के प्रति जलन के मारे ऐसी बातें फैलाई जाती हैं.
‘‘विभाजी, आप यहां क्या कर रही हैं. सब लोग खाना शुरू भी कर चुके हैं. कहां खो गई हैं आप? चलिए, मैं ले चलती हूं,’’ मिसेज मोहन ने उन का हाथ थाम कर उठाते हुए कहा.
घर वापस आतेआते रात के 11 बज रहे थे. आते ही मां ने नरेंद्र से कहा, ‘‘बेटा, भोपाल से अर्चना का फोन आया था. उस की बेटी पिंकी की शादी तय हो गई है. अक्तूबर में शादी होगी. तारीख पक्की होते ही फिर बताएगी.’’
‘‘अच्छा मां, यह तो बड़ी अच्छी बात है. आज तो बहुत देर हो गई है. कल मैं दीदी से बात करता हूं,’’ नरेंद्र ने कहा.
घर में सब बहुत खुश थे खासकर नरेंद्र. उस की बहन अर्चना कई महीनों से अपनी बेटी के लिए एक अच्छे वर की तलाश में थी. अर्चना ने किसी से कहा तो नहीं था पर सभी लोग जानते थे कि वह हमेशा से विदेश में बसने वाले दामाद की तलाश में थी. पिंकी की पढ़ाई तो 2 साल पहले ही पूरी हो गई थी मगर दीदी की तलाश आज रंग लाई थी. उस ने जरूर अपनी पसंद का ही दामाद ढूंढ़ा होगा.
अगले दिन फोन से बात करने पर उस का अंदाजा सही निकला. यह जान कर सब खुश हुए. दीदी ने बताया कि लड़का अमेरिका के टैक्सास में रहता है.