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दीवार – भाग 6 : इंस्पेक्टर जड़ेजा का क्या मकसद था

लेखक- अमित अरविंद जोहरापुरकर

इला चैन की सांस लेते हुए बोली, “बापू, इन बच्चों को हम बंदूकबाजी सीखने राइफल क्लब ले जाते हैं. वहीं शायद इन्हें मिली होगी. “इला, यह तो खराब हो गई थी. मैं विपिन भाई से पूछ कर दूसरी ले आया था, हमारे नाटक में इस्तेमाल करने के लिए,” जिगर ने बताया

.”तुम लोग नाटक भी खेलते हो?” महंत ने पूछा. “हां बापू, और सारा काम खुद ही करते हैं. सेट भी बनाते हैं. इस साल हम ने इन का एक शो टैगोर हाल में भी रखा था,” इला बोली. महाराज कुछ बोले नहीं. उन का इशारा समझ इला कमला को नीचे ले गई. महाराज काफी वक्त कमला के बेटे जिगर से उस के नाटक की बातें पूछते रहे.

वह भी बड़े चाव से वहां पड़ा नाटक का और भी सामान निकाल कर उन्हें समझाता रहा. वह दोनों नीचे आए, तब वहां बैठ कर चिंता कर रही कमला उठ कर खड़ी हो गई और बोली, “बापू, अब क्या होगा. मेरे बच्चे ने कुछ नहीं किया है. लेकिन, हमें यह बस्ती छोड़नी पड़ेगी?”

महाराज बोले, “कमला, भरोसा रखो. खून किसी बस्ती वाले ने नहीं किया है. लेकिन, मुझे कुछ काम है, इसलिए मैं जिगर को अपने साथ ले जा रहा हूं.” ऐसा कह कर वह जिगर को साथ ले कर चल पड़े. तभी उन्हें रास्ते के दूसरी ओर से एक पुलिस जीप दिखाई दी. दूर से ही उस में बैठे झाला को देख वह संभल कर देखने लगे. वह लोग उन पर नजर रख रहे हैं, ये अब उन्हें पता चल गया.

उन्होंने अपना फोन उठाया और कुछ नंबर लगाते हुए वह अपने कमरे में चले गए. आधे घंटे बाद जब वह नीचे लौटे, तब उन का भगवा कुरतापजामा छोड़ उन्होंने टीशर्ट और जर्किन पहन रखी थी. पुलिस जीप अभी भी वहीं खड़ी थी. उन्होंने रास्ते पर नजर घुमाई, तब होटल से सट कर जो गली थी, उस की छोर पर गोरधन खड़ा एक कांस्टेबल से बात कर रहा था. उन के साथ और भी 2 लोग थे.

गोरधन ने महाराज को देखा और कुछ इशारा किया. वैसे, महाराज झट से रास्ता पार कर पुलिस जीप की ओर चले गए. झाला अब उस जीप में अकेला ही ड्राइवर की बगल की सीट पर सुस्ताया हुआ बैठ कर सिगरेट पी रहा था. उसे कुछ ध्यान में आए, उस के पहले ही महाराज जीप में बैठ गए और जीप चलानी शुरू की. वह कुछ बोले, उस के पहले ही उसे ध्यान आया कि जीप में पीछे और 3 लोग बैठे हुए हैं. और उस में से एक बंदे ने झाला की पीठ पर बंदूक तान रखी थी.

“यह तुम लोगों को बहुत भारी पड़ेगा,” झाला बोला. उस ने अपनी पिस्तौल निकालने के लिए ज्यों ही हाथ बढ़ाया, वैसे ही महाराज हंस कर बोले,  “उस की कोई जरूरत नहीं है झाला. वैसे भी तुम्हारी बंदूक में गोलियां नहीं हैं. हम कुछ सोचसमझ कर ही यह कर रहे हैं. तुम सिर्फ मेरे सवालों के जवाब देते जाओ.”

झाला गरूर से बोला, “देखो, हम तो ऊपर से आए आदेश का पालन करते हैं.” “बस वही आदेश अब मेरा सुनो, मुझे अच्छे से पता है कि कल क्या हुआ था. बस, मुझे तुम्हारे मुंह से सुनना है,” जीप की रफ्तार और बढ़ाते हुए महंत बोले. “तुम क्या बक रहे हो?” झाला बोला. “मैं क्या बोल रहा हूं, यह तुम्हें अच्छे से पता है. इंस्पेक्टर जड़ेजा दीवार की बगल में खड़ा था. कोई भी गोली बस्ती से आ कर उन्हें छू नहीं सकती थी. फिर भी उन्हें सिर पर गोली लगी और खून बहने लगा.”

“मैं उन के सामने ही खड़ा था, तुम लोग मुझे झट से दूर ले गए,” हकलाते हुए झाला ने कहा, “मतलब…?” “मतलब यही कि इंस्पेक्टर जड़ेजा का खून तुम लोगों  का रचाया नाटक था. वह जिंदा है, और हम उस से मिलने जा रहे हैं. बस तुम्हें तो हमारी जानकारी कन्फर्म करनी है,” महाराज बोले. महाराज जीप चलाते हुए रिंग रोड पार कर काफी दूर एक खेत के पास आ गए. तब तक झाला के पीछे लगी बंदूक वैसी ही लगी थी.

खेत जहां से शुरू था, वहीं कुछ बावरा लड़के खड़े थे. जीप देख कर वे सभी छुप गए और फिर दौड़ते हुए जीप के पीछे आ गए. उस खेत के अंत में एक छोटा सा घर था. उस के काफी पहले जीप बंद कर महाराज आगे बढ़ चले और झट से उन्होंने दरवाजा खटखटाया. उन के कपडों से उन्हें पहचानना मुश्किल ही था.

जैसे ही दरवाजा खुला, वैसे ही खोलने वाले को जोर से मुक्का मार कर उन्होंने नीचे गिराया और उस नीचे गिरे हुए इंस्पेक्टर जड़ेजा से बोले, “ज्यादा होशियारी मत करना, वरना तुम्हारा असल में खून हो जाएगा.” इंस्पेक्टर जड़ेजा संभल कर उठने की कोशिश करते हुए चिल्लाया, “झाला, तू ने क्यों मुंह खोला? अब एसपी नागर हमें छोड़ेगा नहीं.”

“मैं ने कुछ नहीं किया. उसे पहले से सब पता था,” झाला बोला. पीछे से अंदर घुसे 4-5 नौजवानों ने उसे और जड़ेजा को कस कर बांधा और जीप में बिठा दिया. “मुझे तो तभी शक हुआ. तुम्हें ऐसे अचानक गोली कैसे लग सकती है. मैं ने अपने तरीके से तहकीकात की, तब पता चला कि यह गोली बस्ती से तो नहीं आई थी. फिर मैं ने तुम्हारे बारे में पता किया.

“गोरधन की बातों से मुझे तुम्हारे शराब के कारोबार के बारे में पता चला. तुम बावरा लोगों को डराधमका कर उन का गलत इस्तेमाल करते थे. तुम्हारे डिपार्टमेंट के ही काफी लोग इस वजह से नाराज थे. और तुम्हारी इन्क्वायरी भी चल रही थी. उन लोगों की मदद से ही मुझे इस जगह का पता चला. और हमारे बावरा बच्चे तो काम में आ गए. “बावरा बस्ती हटाने के लिए तुम लोगों ने यह षड़यंत्र रचा है, यह मुझे अच्छे से पता चल गया है इंस्पेक्टर जड़ेजा.

“बस्ती तो अब एसपी नागर हटा कर ही रहेगा,” इंस्पेक्टर जड़ेजा हंस कर बोला. “तुम दोनों की बरात पहले वहां ले चलते हैं, फिर देखेंगे कि कौन क्या करता है,” महाराज हंसते हुए बोले. पुलिस जीप में उन दोनों को जकड़ कर बिठा कर महाराज वहां पहुंचे, तब तक शाम काफी हो चुकी थी. वहां काफी भीड़ जमा हो गई थी.

पुलिस जीप का हार्न बजा कर महाराज भीड़ को हटा कर दीवार के पास पहुंचे. बस्ती के शुरुआत में पुलिस और मिलिटरी के कुछ जवान हाथ में बैरिकेड ले कर खड़े थे. बस्ती के अंदर बावरा लोग इकठ्ठा हो कर खड़े थे, इला और उस के कुछ साथी भी उन के साथ ही खड़े थे. पुलिस जीप की वजह से महाराज बेरोकटोक वहां पहुंच गए. लेकिन वह जैसे ही गाड़ी से उतरे, वैसे ही उन्हें पहचान कर एसपी नागर उन के पास आ गए.

“अब हमें हमारा काम करना पड़ेगा. हमारे सब्र की सीमा समाप्त हो गई है. आप गुनाहगारों को बचाने की कोशिश कर रहे हो,” एसपी नागर गुस्से से बोले. महाराज बोले, “गुनाहगारों को ले कर ही आए हैं हम. और उन्हें बचाने वाले भी आप ही हो, यह भी हमें अच्छे से पता है. और तभी सामने से उन्हें देख कर उन की तरफ आए एक सूट पहने अधिकारी ने आ कर उन्हें प्रणाम किया.

“तुम्हारी वजह से ही आज यह मुमकिन हो सका है,” महाराज उस से बोले.  “बापू, क्या आप ने हमें इसीलिए इस काबिल बनाया कि हम वक्त पर काम न आएं? शर्मिंदा मत कीजिए. आप सिर्फ अब यहां के लोगों को समझाइए और उन की भीड़ हटाइए. और पीछे कुछ और अधिकारी आ गए थे. उन्हें बोला, “चलिए,” और वह एसपी नागर और जड़ेजा जहां खड़े किए थे, वहां गया. तब तक वहां पहुंचे गोरधन ने सभी को क्याक्या हुआ है, वह समझाया.

इंस्पेक्टर जड़ेजा को जिंदा देख कर वह जो भय और शोक का वातावरण था, पल में ही वहां खुशी की लहर छा गई.  “हम तुम्हें छोड़ेंगे नहीं,” एसपी नागर और जड़ेजा दोनों ही महाराज की ओर देख कर विषैली नजरों से बोले. पुलिस उन्हें हथकड़ियां पहना कर ले जाने लगी, तब उस अधिकारी की पहचान कराते हुए महाराज बोले, “यह मेरा भांजा हरेन है. यह केंद्र शासन में…” उन की बात को बीच में ही काट कर हरेन बोले, “बापू, वह जाने दीजिए न.” और वह इला से बोले,  “कभीकभी कुछ काम गुमनामी से करो तो ही अच्छा होता है.”

इला उन की ओर देख कर मुसकराई. 2 दिन बाद इंद्रपुरी महाराज बस्ती को विदा कहने वहां आए, तब उन के पास काफी अच्छी खबरें थीं. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने सीधा हस्तक्षेप कर यह दीवार शुरू करा दी. इतना ही नहीं, इस बस्ती के लोगों को, चूंकि वह यहां दशकों से रह रहे थे, दूसरी जगह पर पर्याप्त जगह दे कर बसने के लिए कार्यवाही शुरू कर दी थी. गैरकानूनी तरीके से शराब बनाने और बेचने का जो काम एसपी नागर, जड़ेजा, और उन का नेटवर्क कर रहा था, उस का परदाफाश होने से अब वह बुरे फंस गए थे.

इसी दौरान इंस्पेक्टर जड़ेजा की झूठी हत्या दिखा कर उस बहाने बावरा बस्ती उजाड़ने का षड्यंत्र जांचने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करने का ऐलान सरकार की ओर से किया गया. “आप की बदौलत यह बस्ती आबाद रही बापू, और यह दीवार भी टूट रही है,” इला ने कहा.

“यह दीवार तो टूटेगी. लेकिन ऐसी कितनी और दीवारें हमें तोड़नी हैं, इलाबेन,” महाराज बोले. “वही तो हमारा काम है,” इला ने हंस कर जवाब दिया.

विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र: प्रधानमंत्री

लखनऊ . प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनपद कुशीनगर में लगभग 254 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित कुशीनगर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया.

इस अवसर पर आयोजित कार्यकम को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र है. आज कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की यह सुविधा, उनकी श्रद्धा को अर्पित पुष्पांजलि है. भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से लेकर महापरिनिर्वाण तक की सम्पूर्ण यात्रा का साक्षी यह क्षेत्र आज सीधे दुनिया से जुड़ गया है. श्रीलंकन एयरलाइंस के विमान का कुशीनगर में उतरना इस पुण्य भूमि को नमन करने की तरह है. देश सबका साथ और सबका प्रयास की सहायता से सबके विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि कुशीनगर का विकास, उत्तर प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. कुशीनगर का इण्टरनेशनल एयरपोर्ट दशकांे की आशाओं और अपेक्षाओं का परिणाम है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह क्षेत्र सिर्फ भारत के अनुयायियों के लिये ही नहीं, बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिये भी बहुत बड़ा श्रद्धा व आकर्षण का केन्द्र बनने जा रहा है. कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट एयर कनेक्टिविटी का माध्यम बनने के साथ-साथ इसका सीधा लाभ किसान, पशुपालक, दुकानदार, श्रमिक, उद्यमी आदि को मिलेगा. सबसे ज्यादा लाभ यहां के टूरिज्म, ट्रेवल टैक्सी, होटल-रेस्टोरेन्ट, छोटे-छोटे बिजनेस करने वालों को मिलेगा. इस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर बनेंगे.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पर्यटन किसी भी स्वरूप में हो, आस्था अथवा आनन्द के लिए हो, आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इसके लिये बहुत ज्यादा जरूरी है. रेल, रोड, एयरवेज, वॉटरवेज के साथ साथ होटल, हॉस्पिटल, इण्टरनेट-मोबाइल कनेक्टिविटी, सफाई व्यवस्था, सीवरेज ट्रीटमेन्ट का प्लान्ट यह अपने आप में एक सम्पूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर है. टूरिज्म बढ़ाने के लिए इन सभी का एक साथ कार्य करना जरूरी है. आज 21वीं सदी का भारत इसी एप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन में भारत की तेज गति एवं प्रगति से दुनिया में एक विश्वास पैदा होगा. टूरिस्ट के रूप में अथवा किसी काम-काज से भारत आना पड़ता है तो व्यापक रूप से वैक्सीनेटेड भारत दुनिया के पर्यटकों के लिये आश्वस्ति का एक कारण बन सकता है. एयर कनेक्टिविटी को देश में उन लोगों तथा उन क्षेत्रों तक पहुंचाने पर जोर दिया गया, जिसके बारे में पहले सोचा भी नहीं गया था. इसी लक्ष्य के साथ उड़ान योजना को 4 साल पूरे हो रहे हैं. उड़ान योजना के बीते सालों में 900 से अधिक रूटों को स्वीकृति दी जा चुकी है तथा इनमें 350 से अधिक रूटों पर हवाई सेवा शुरू भी हो चुकी है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आने वाले 3-4 सालों में कोशिश यह है कि 200 से अधिक एयरपोर्ट, हेलीपैड और सी-प्लेन की सेवा देने वाले वॉटर ड्रोन का नेटवर्क भी देश में तैयार हो. बढ़ती हुई इन सुविधाओं के बीच एयरपोर्ट पर भारत का सामान्य नागरिक दिखने लगा है. मध्यम वर्ग के ज्यादा से ज्यादा लोग अब हवाई सेवा का लाभ ले रहे हैं. उड़ान योजना के तहत उत्तर प्रदेश में भी कनेक्टिविटी लगातार बढ़ रही है. उत्तर प्रदेश में कुशीनगर एयरपोर्ट से पहले ही, 08 एयरपोर्ट चालू हो चुके हैं.

लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर के बाद जेवर मे भी इण्टरनेशनल एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है. इसके अतिरिक्त, अयोध्या, अलीगढ़, आजमगढ़, श्रावस्ती, चित्रकूट, मुरादाबाद में भी नये एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश के अलग-अलग अंचलो में हवाई मार्ग से कनेक्टिविटी बहुत जल्द मजबूत हो जायेगी. इससे घरेलू यात्रियों तथा श्रद्धालुओं को बहुत सुविधा होने जा रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का एविएशन सेक्टर प्रोफेशनली चले, सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता मिले, इसके लिए हाल ही में एयर इण्डिया से जुड़ा कदम देश ने उठाया है. यह निर्णय भारत के एविएशन सेक्टर को नई ऊर्जा देगा. भारत के युवाओं को यहीं बेहतर ट्रेनिंग मिले, इसके लिये देश के 05 एयरपोर्ट में नई फ्लाइंग एकेडमी स्थापित करने हेतु प्रक्रिया शुरु की गयी है. ट्रेनिंग के लिये एयरपोर्ट के उपयोग से जुड़े नियमों को भी सरल किया गया है.

भारत द्वारा हाल में बनाई गयी ड्रोन नीति भी देश में कृषि से स्वास्थ्य तक, डिजास्टर मैनेजमेंट से लेकर डिफेंस तक, जीवन को बदलने वाली है. ड्रोन की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर ड्रोन फ्लाइंग से जुड़े ट्रेन्ड मैनपावर को तैयार करने के लिये भारत में सिस्टम विकसित किया जा रहा है. सारी योजनाएं तेजी से आगे बढ़ें, किसी तरह की कोई रुकावट न हो, इसके लिये प्रधानमंत्री गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान भी लॉन्च किया गया है. इससे गवर्नेंस में सुधार आयेगा. यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि सड़क, रेल, हवाई जहाज एक दूसरे को सपोर्ट करें और क्षमता बढ़ायें.

भारत में हो रहे निरन्तर रिफॉर्म का ही परिणाम है कि भारतीय सिविल एविएशन सेक्टर में 1,000 नये विमान जुड़ने का अनुमान लगाया गया है. आजादी के अमृत महोत्सव काल में भारत का एविएशन सेक्टर राष्ट्र की गति और राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक बनेगा, उत्तर प्रदेश की ऊर्जा भी इसमें शामिल होगी.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि हम सबके लिए यह दिन कई मायनों में अत्यन्त महत्वपूर्ण है. आज शरद पूर्णिमा की पावन तिथि है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने वाले, लौकिक संस्कृत में सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी की भी आज जयन्ती है. बौद्ध परम्परा के अनुसार अभिधम्म दिवस भी आज ही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूरी दुनिया में जब भी मैत्री और करुणा की बात आती है, विश्व मानवता भगवान बुद्ध का सदैव स्मरण करती है. प्रधानमंत्री जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में यही बात तो कही थी कि ‘दुनिया ने युद्ध दिया होगा, लेकिन भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया है.’ जब भगवान बुद्ध की बात करते हैं, तो उत्तर प्रदेश और भारत का यह संदेश दुनिया के कोने-कोने में जाता है. भगवान बुद्ध से जुड़े सर्वाधिक स्थल उत्तर प्रदेश में हम सभी का गौरव हैं. चाहे भगवान बुद्ध की राजधानी कपिलवस्तु हो या जिस धरती पर उन्होंने पहला उपदेश दिया – सारनाथ हो, उन्होंने सबसे अधिक चातुर्मास श्रावस्ती में व्यतीत किये, सबसे अधिक कथाश्रवण और सत्संग का लाभ जिस धरती को मिला वह कौशाम्बी तथा इसी के साथ संकिसा एवं भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश आजादी के बाद लगातार उपेक्षित था. इसके विकास की एक नई उड़ान को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री जी का आशीर्वाद व सान्निध्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के 05 करोड़ से अधिक नागरिकों को प्राप्त हो रहा है. हम सब का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री बनने के साथ प्रधानमंत्री जी ने बौद्ध सर्किट की इस परिकल्पना को साकार करना प्रारम्भ कर दिया. आज उसका परिणाम है कि बौद्ध सर्किट न केवल सड़क मार्ग बल्कि वायु मार्ग से भी जुड़ गया है. इसी क्रम में, अर्न्तराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन प्रारम्भ हो चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1947 से लेकर वर्ष 2014 तक उत्तर प्रदेश में केवल 2 एयरपोर्ट फंक्शनल थे, पहला लखनऊ तथा दूसरा वाराणसी, प्रदेश की कनेक्टिविटी भी उस समय मात्र 15 से 16 स्थानों के लिये थी. आज प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से इस एयरपोर्ट का लोकार्पण होने जा रहा है. यह प्रदेश का 9वां फंक्शनल एयरपोर्ट होने जा रहा है. अब उत्तर प्रदेश 75 गंतव्य स्थानों पर वायु सेवा के साथ सीधे जुड़ चुका है. उड़ान योजना के अन्तर्गत हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज की यात्रा कर सकता है. प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी, विकास की ढेर सारी योजनाओं को अपने साथ लेकर आ रही है. कुशीनगर प्रदेश का तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 11 नये एयरपोर्ट पर कार्य हो रहा है, जिसमें 02 अर्न्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट – अयोध्या तथा नोएडा के निर्माण की कार्यवाही युद्ध स्तर पर आगे बढ़ रही है. प्रधानमंत्री जी का मार्गदर्शन न केवल उत्तर प्रदेश के विकास, बल्कि पर्यटन सुविधाओं को आगे बढ़ाने तथा उसके माध्यम से रोजगार की सम्भावनाओं को विकसित करने का एक सशक्त माध्यम बना है.

केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम0 सिंधिया ने सभी का स्वागत करते हुये कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की विशेषताओं के बारे में अवगत कराया.इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, केन्द्र एवं प्रदेश सरकार के मंत्रिगण सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे.

मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण करेंगे प्रधानमंत्री

लखनऊ . उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आवेदित सभी 09 नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों को नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा शैक्षिणक सत्र-2021-22 के लिए अनुमति प्रदान कर दी गयी है.

यह जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि यह मेडिकल कॉलेज जनपद फतेहपुर, एटा, मिर्जापुर, जौनपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, हरदोई, प्रतापगढ़ तथा गाजीपुर में स्थापित किये गये है. इन सभी मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण आगामी 25 अक्टूबर, 2021 को जनपद सिद्धार्थनगर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है.

Habit Song : Shehnaaz Gill और Sidharth Shukla का आखिरी गाना हुआ रिलीज, फैंस हुए इमोशनल

बिग बॉस 13 के विनर सिद्धार्थ शुक्ला की मौत के बाद से यह उनका आखिरी गाना रिलीज हुआ है, जिसमें वह शहनाज गिल के साथ नजर आ रहे हैं. इस गाने में शहनाज गिल काफी ज्यादा मायूस नजर आ रही हैं, इस गाने में शहनाज बता रही हैं कि सिद्धार्थ उन्हें बिना बताएं ही चले गए.

शहनाज गिल को इस हालत में देखकर फैंस काफी ज्यादा इमोशनल हो गए हैं. सोशल मीडिया पर भी हर कोई शहनाज गिल और सिद्धार्थ शुक्ला के बारे में बात करता नजर आ रहा है. इस गाने में सिद्धार्थ शुक्ला शहनाज गिल के साथ शूटिंग करते नजर आ रहे हैं.

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वहीं कुछ समय पहले ही सिद्धार्थ शुक्ला के फैंस ने मेकर्स से गुहार लगाई थी कि उनका आखिरी गाना रिलीज कर देना चाहिए. इस बात को ध्यान में रखते हुए मेकर्स ने सिडनाज के फैंस की इच्छा को पूरा कर दिया है.

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बता दें कि सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल बिग बॉस 13 के घर में एक दूसरे के संपर्क में आएं थें, जिसके बाद से दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई थी, अब दोनों एक साथ कई सारे गाने में भी नजर आने लगे थें. फैंस को जिसके बाद वह कई सारे रियलिटी शो में भी एक साथ नजर आ रहे थें.

खबर यह भी थी कि सिद्धार्थ और शहनाज परिवार वालों के बीच में सगाई कर ली थी और इस साल दिसंबर में शादी के बंधन में भी बंधने वाले थें. सिद्धार्थ शुक्ला अचानक ऐसे चले जाएंगे किसी को पता नहीं था.

सिद्धार्थ के जाने का गम सभी इंडस्ट्री के लोगों को है, सिद्धार्थ हमेशा अपने फैंस के दिल में जिंदा रहेंगे.

 

खुद की तलाश

मेरी पत्नी प्रैग्नेंट है लेकिन कोरोना कि वजह से वो हर वक्त डिप्रैशन में आ जाती है क्या करें?

सवाल

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मेरी उम्र 30 वर्ष है. 2 साल हो गए हैं शादी हुए. मेरी पत्नी और मैं ने इस वर्ष बेबी के लिए प्लान किया था. लेकिन कोविड-19 के कारण हम अगले साल के लिए बच्चे के बारे में सोचने लगे. लेकिन लापरवाही की वजह से पत्नी प्रैग्नैंट हो गई. पत्नी अबौर्शन नहीं कराना चाहती थी. इस बात को 4 महीने हो गए हैं. पत्नी अब डिप्रैशन में रहने लगी है. उसे हर वक्त भय रहता है कि डिलीवरी के वक्त अस्पताल जाना पड़ेगा और कोरोना के चलते बच्चे को कुछ हो गया तो हम सभी बड़ी मुश्किल में फंस जाएंगे. सु झाव दें, इस स्थिति में मैं उसे कैसे सम झाऊं?

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जवाब

डिप्रैशन ऐसी समस्या है जो व्यक्ति को स्वस्थ से अस्वस्थ बना देती है. इस का प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है. खासकर जब महिला गर्भवती हो. आप की पत्नी की डिप्रैशन की वजह आजकल के हालात हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए आप को व परिवार में सभी को उन का ध्यान रखना होगा. उन्हें पूरी तरह से आश्वस्त करें कि वे घर में पूरी तरह से सुरक्षित हैं और होने वाला बच्चा अपनेआप सुरक्षित है. पत्नी को टीवी चैनल की तनावभरी न्यूज से दूर रखें. उन्हें अपना प्यार और स्नेह दें. उन्हें सम झाएं कि वे तनाव में रहेंगी तो असर बच्चे पर पड़ेगा जिस के लिए वे इतना चिंतित हैं. एक स्वस्थ बच्चे के लिए उन्हें खुश रहना है. जहां तक अस्पतालों की बात है, तो उन्हें उन की गाइनोकोलौजिस्ट से संपर्क करवाएं. उन से उन की वीडियो कौलिंग करवा सकते हैं. वह सम झाएगी कि मैटरनिटी वार्ड अलग हैं. वहां सावधानी बरती जा रही है. डाक्टर के सम झाने से वे आश्वस्त हो जाएंगी. हम भी यही सलाह देते हैं कि उन्हें समय से दवाएं, पौष्टिक आहार दें. डाक्टर ने जो निर्देश दिए हैं उन का पालन करें. पौजिटिव सोच एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

खुद की तलाश : भाग 1

अपनेअंदर की घुटन को मन में दबा कर मानसी छत पर चली आई. बाहर की ताजा हवा में सब से दूर, वह फिर से सामान्य रूप से सांस ले पा रही थी. उस ने मन ही मन प्रार्थना की कि उस के व्यवहार की विचित्रता पर किसी का ध्यान न जाए. यह लगभग रोज का नाटक हो गया था, विभा आती और सारा परिवार उस के इर्दगिर्द इकट्ठा हो जाता. इस दौरान मानसी बेहद मानसिक यातना से गुजरती थी. ऐसा नहीं कि उसे अपनी छोटी बहन से प्यार नहीं था. बहुत प्यार था उसे विभा से पर परिस्थिति ही कुछ ऐसी हो गई थी कि अपनी बहन को देखते ही उस का मन खिन्न हो उठता. ‘यह फैसला भी तो तुम्हारा ही था. अब उस पर पछताने से क्या होगा?’’ उस के मन ने उसे दुत्कारा और उस की आंखों के सामने वह शाम पुन: सजीव हो उठी, जो इन घटनाओं की गवाह थीं.

एमए के प्रथम वर्ष की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने के उपरांत बड़ी उमंगों के साथ घर आई थी छुट्टियां मनाने. सिविल सर्विस या लैक्चररशिप के बीच जू झ रही थी. यों तो उस का मन बचपन से ही सिविल सर्विस में जाने का था, पर जैसेजैसे उस की निकटता साहित्य से बढ़ी और बीए के बाद एक अस्थायी शिक्षक के रूप में उस ने जिस सुख का अनुभव किया था, उस के परिणामस्वरूप उस का  झुकाव लैक्चररशिप की ओर अधिक होता गया. बच्चों को किसी सुंदर पंक्ति से परिचित कराने के साथसाथ उन में किसी जीवनमूल्य को निविष्ट करना उसे एक अनूठे रोमांच से भर देता था. घर आई थी तो सोचा था परिवार वालों का परामर्श लेगी पर उसे आए एक दिन भी कहां बीता था कि उस के सामने विभोर के रिश्ते का प्रस्ताव रख दिया गया. प्रस्ताव क्या था, आदेश ही तो था. मम्मी खुश होहो कर तसवीरें दिखा रही थीं और दादी जन्मपत्री के मिलान की व्याख्या कर रही थीं.

इस अचानक हुए वज्रपात पर उस का संपूर्ण अंतर्मन आतंकित हो उठा था. लगा जैसे सांस लेना ही मुश्किल हो जाएगा. कितनी कठिनाई से मुंह से निकला था ‘न.’ उस के इस एक धीमे से निकले शब्दों ने घर को सन्नाटे में डुबो दिया था. पापा ने बात संभालने की कोशिश की थी, ‘‘मेरे बचपन का दोस्त है अशोक. उस का लड़का है विभोर.’’

उसे पता था कि हाल ही में उस के पापा ने फेसबुक के माध्यम से अपने पुराने दोस्तों से पुन: संपर्क स्थापित किया था. स्वयं उस ने ही तो इतने उत्साह से उन की सहायता की थी. उसे क्या पता था कि स्वयं अपने लिए ही गड्ढा खोद रही है. अभी तो उसे आगे पढ़ना है, विदेश से फैलोशिप करनी है… इतना कुछ है करने को. ऐसे में वह अपने सपनों की बलि चढ़ा अपना जीवन घरगृहस्थी में कैसे निछावर कर सकती है?

वह ‘नहींनहीं’ की माला जपने लगी. विभा ने ही तो उसे  झक झोर कर उस की तंद्रा भंग की थी. शाम को खाना खाते हुए इस बारे में सिर्फ विभा ने इतना भर कहा था, ‘‘शादी ही तो है? इतनी कौन सी बड़ी आफत आन पड़ी है तुम पर? लड़का भी तो कितना अच्छा है. पापा भी वादा कर आए हैं. तुम न होती बीच में तो मैं ही शादी कर लेती.’’ दादी ने उसे डपट कर चुप तो करा दिया पर मानसी ने गौर किया कि मां ने पापा को गहरी निगाहों से ताका.

अगले दिन शांत माहौल में सुबहसुबह मां ने फिर वही बात छेड़ी थी. मानसी ने एक ठंडी सांस ली. कल रात उस ने उन्हें अपनी योजनाओं से अवगत कराया था. अभी उसे आगे पढ़ना है, अपना कैरियर बनाना है. शादी के बाद ये सब कैसे संभव होगा? उस के मम्मीपापा ने हमेशा उस का उत्साहवर्धन किया. उसे परिस्थितियां दीं कि वह अपने हिसाब से जी सके, फिर आज जब उस के जीवन के इतने महत्त्वपूर्ण फैसले पर बात आई तो वे अपना निर्णय उस पर थोपना चाहते हैं, यह कैसा न्याय हुआ?

‘‘बेटा, तेरी पढ़ाईलिखाई से किसी को कोई दिक्कत थोड़े ही है,’’ मां ने बड़े प्यार से उसे सम झाना चाहा पर उस ने बीच में उन की बात काट दी, ‘‘होनी भी नहीं चाहिए. पर बात यह नहीं है मां. तुम ने शादी के बाद पढ़ाई करी है, मैं जानती हूं लेकिन मैं तुम जैसी नहीं हूं मां, जो घर में, पति में, बच्चों में ही अपने संसार को पा ले… मैं न तो पढ़ाई में मन लगा पाऊंगी न ही घर में. यह तो सभी के साथ अन्याय होगा न?’’

मां कुछ वक्त शांत रहीं. उन्होंने कहा कुछ नहीं, लेकिन उन के भावों से ऐसा भी नहीं लगा कि वे मायूस या दुखी हैं. उन्हें पता है कि मानसी अत्यंत महत्त्वाकांक्षी लड़की है. उस का सपना अपने पैरों पर खड़े होना है और वे उस की दृढ़ता की और निष्ठा की कायल भी हैं. बचपन से ही उन की बड़ी बेटी का मन न कभी बननेसंवरने में लगा, न ही उस की कोई खास दोस्ती रही है. सारा ध्यान उस ने अपने व्यक्तित्व को निखारने में ही लगाया है.

एक अंतराल के बाद बगीचे के बीचोंबीच लगे आम के पेड़ पर निगाह टिकाए ,उन्होंने उसे बताया, ‘‘विभा ने बीए के बाद आगे पढ़ने से मना कर दिया है.’’ मानसी चौंकी. उसे लगा मां उसे फिर से मनाने का प्रयास करेंगी. फिर उस ने मां के कहे शब्दों पर गौर किया. आगे नहीं पढ़ेगी? फिर क्या करेगी? नौकरी करेगी? कोई और कोर्स जौइन करेगी? मां ने उस के चेहरे पर तैरते प्रश्नों को हमेशा की तरह सही ताड़ा, ‘‘तुम तो जानती हो कि उस का मन नौकरी करने का कभी नहीं था.’’

सच ही तो कह रही हैं मां. विभा उस के एकदम विपरीत रही है. पढ़ाई तो जैसेतैसे कर ली पर नौकरी वह नहीं  करेगी. कहती है कि अपनी लाइफ सोशलाइजिंग में स्पैंड करेगी और फिर थोड़ाबहुत सोशल वर्क भी कर लेगी. यु नो फौर गुडविल.’ मानसी ने हंसते हुए अपना सिर हिलाया. उस की बहन में कभी परिपक्वता आएगी भी या नहीं?

‘‘विभा शादी के लिए तैयार है. सोचा था तेरी शादी के बाद उस की शादी तुरंत कर देंगे,’’ मां ने सीधेसीधे बोल दिया.

 

फेस्टिवल स्पेशल: सब्जियों से बनाएं फूलगोभी पिज्जा, क्रिस्पी एगप्लांट और मिंटी ब्रोकली

कई बार आपको घर पर पिज्जा बनाने का मन करता है , लेकिन ऐसे में आप चाहे तो घर पर वेजिटेबल पिज्जा बना सकती हैं, जो आपके हेल्थ के लिए फायदेमंद होगा.

  1. फूलगोभी पिज्जा

सामग्री

– 1 कप मैदा – 1/2 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर – 1/2 कप फूलगोभी कसी

– 6 बड़े चम्मच चीज – 1 छोटा चम्मच मक्खन – 3 बड़े चम्मच पिज्जा सौस

– नमक स्वादानुसार.

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विधि

मैदे को छान कर उस में नमक, बेकिंग पाउडर, 2 बड़े चम्मच चीज, फूलगोभी व मक्खन मिला कर पानी से गूंध लें. गुंधे आटे को 2 भागों में बांट कर बेल लें. एक परत पर 2 बड़े चम्मच चीज डालें व दूसरी परत लगा कर गरम ओवन में 180 डिग्री पर 9-10 मिनट बेक करें. इस पर पिज्जा सौस व चीज डालें और फिर चीज के पिघलने तक बेक करें. गरमगरम सर्व करें.

2. क्रिस्पी एगप्लांट विद हौट ऐंड सौर सौस

सामग्री

– 1 बड़ा बैगन – 21/2 बड़े चम्मच चावल का आटा – 21/2 बड़े चम्मच बेसन – 1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर.

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सामग्री सौस की

– 1 बड़ा चम्मच मक्खन – 1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट – 1 हरा प्याज कटा

– 2 बड़ेचम्मच लाल, पीली व हरी शिमलामिर्च कटी – 11/2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस – 1 छोेटा चम्मच सोया सौस – 1 छोटा चम्मच चिली सौस – 1 छोटा चम्मच विनेगर – 1 बड़ा चम्मच कौर्न पाउडर – तलने के लिए पर्याप्त तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

बैगन को धो कर उस के स्लाइस काट लें. चावल, बेसन व नमक को मिला कर सभी स्लाइस को डस्ट कर लें. तेल गरम कर तल कर प्लेट में रखें.

सौस बनाने के लिए एक पैन में मक्खन गरम कर प्याज व अदरकलहसुन का पेस्ट भूनें. भुनने पर शिमलामिर्च डाल कर फिर भूनें. अब सारी सौस, विनेगर, नमक व 1 कप पानी डाल कर सिमर करें. कौर्न पाउडर का पेस्ट बना कर डालें व गाढ़ा होने पर आंच से उतार लें. प्लेट में बैगन व सौस गर्निश कर सर्व करें.

3. मिंटी ब्रोकली

सामग्री

– 1 ब्रोकली – 1/2 कप पनीर के टुकड़े – 1 हरा प्याज कटा – 1 टमाटर कटा – 11/2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस – 1-2 हरीमिर्चें कटी – 1 कली लहसुन कटी – 11/2 बड़े चम्मच औलिव औयल – नमक स्वादानुसार.

विधि

ब्रोकली के छोटे टुकड़े काट लें. एक पैन में तेल गरम कर प्याज व लहसुन भून लें. अब इस में टमाटर डाल कर पकाएं. पकने पर सौस, ब्रोकली, पनीर, मिर्च व नमक डाल कर ब्रोकली के पकने तक पकाएं. चावल, रोटियों या परांठों के साथ परोसें.

4. हरीभरी गुझिया

सामग्री

– 1/2 कप मेथी की पत्तियां कटी – 11/2 कप मैदा – 2 बड़े चम्मच दही – 1 छोटा चम्मच हरीमिर्च पेस्ट – 1 बड़ा चम्मच मक्खन – 1 मूली पत्तों सहित – 1 आलू – 1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर – 1/4 छोटा चम्मच धनिया पाउडर – 1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर – तलने के लिए पर्याप्त तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

मूली व आलू को धो कर छील कर छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें. मूली के पत्तों को भी अच्छी तरह धो कर काट लें. अब 1 बड़ा चम्मच तेल गरम कर हलदी पाउडर, धनिया पाउडर, लालमिर्च पाउडर व नमक डाल कर मिलाएं. फिर मूली व आलू डाल कर ढक कर पकाएं. मैदे में स्वादानुसार नमक, मक्खन, मेथी, हरीमिर्च का पेस्ट और दही डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. थोड़ा सा पानी डाल कर अच्छी तरह गूंध लें. गुंधे आटे के छोटे पेड़े बना कर बेल कर चौकोर आकार में काट लें. फिर आलू व मूली का मसाला भर कर पानी से तीनों तरफ से सील करें. कड़ाही में तेल गरम कर तल लें. चटनी के साथ गरमगरम परोसें.

Bigg Boss 15: घर से बाहर आते ही इन लोगों पर भड़की Donal Bisht, बताया इविक्शन का जिम्मेदार

बिग बॉस 15 से बीती रात ही डोनल बिष्ट और विधि पांड्या को घर से बाहर कर दिया गया है, जिसके बाद से घर के अंदर अफरा तफरी का माहौल है, इस शो को शुरू हुए 3 हफ्ते जल्द पूरे होने वाले हैं.

शुरुआती दिनों में ही बिग बॉस ने घरवालों को सजा के तौर पर सरप्राइज इविक्शन शॉक दे डाला है. इसके बाद बिग बॉस घरवालों से नाराज होकर अपना गुस्सा इन लोगों पर निकाला है, बिग बॉस ने सभी घर वालों को जंगलवासी बना दिया है.

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इसी के साथ उस रात बिग बॉस ने उन घरवालों के नाम लिए जिनका घर के अंदर सबसे कम योगदान रहा था, जो थी विधि पांड्या और डोनल बिष्ट, जिन्हें उसी वक्त घर से बाहर जाना पड़ा. बिग बॉस के इस फैसले से घरवालों को काफी ज्यादा बड़ा झटका लगा.

अब घर से बाहर आते ही डोनल बिष्ट ने अपना रिएक्शन दे दिया है, डोनल ने एक इंटरव्यू में कहा कि लोगों ने मुझे बहुत प्यार दिया घर के अंदर मैं सिर्फ अपने दिल की सुन रही थी, मैं किसी भी प्लानिंग के तहत घर के अंदर नहीं गई थी.

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जिस तरह का बर्ताव लोग मेरे साथ कर रहे थें, उस तरह मैं भी उनके साथ पेश आ रही थीं, अपने इविक्शन के बारे में बात करते हुए डोनल ने कहा कि मैं अपनी बातों को रखने कि कोशिश कर रही थीं, लेकिन लोग हमारी बातों को समझने के लिए तैयार ही नहीं थें,

मुझे बाहर निकालने के लिए लोगों की यह तगड़ी प्लानिंग पहले से चल रही थी, इस बात का पता मुझे अफसाना खान से लगा था. उन्होने कहा था कि वह वहां पर थी, जब तेजस्वी और विशाल इविक्शन के लिए प्लानिंग कर रहे थें.

खैर इन सभी चीजों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है लोगों ने मुझे काफी ज्यादा प्यार दिया है, वह मेरे लिए काफी ज्यादा मायने रखता है.

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