सपा नेता और उद्योगपति अमर सिंह अपने धर्म भतीजे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से रो देने तक की हद तक झुब्ध हैं, क्योंकि इस भूतपूर्व भतीजे ने बिना किसी शर्मोहया या लिहाज के उन्हें दलाल जैसे वाहियात और सभ्य समाज में वर्जित हो चले सबोधन से नवाज कर उनके चेहरे से नूर का नकाब उतार दिया है.

दुख इस कदर अमर सिंह के दिल से फूटा पड़ रहा है कि वे खुद न्यूज़ चैनल वालों को बुला बुला कर अपनी दलाली की मिसालें बता रहे हैं कि देखो जब यह आस्ट्रेलिया गया था, तब उंगली पकड़कर मैं इसे ले गया था, ये देखो उसकी शादी का एलबम जिसके हर फोटो और फ्रेम में मैं हूं और ये भी देखो वो भी देखो ..... .

यादवी कुनबे में चल रहे महाभारत का अंतिम पर्व सबके सामने है, बस पितामह भीष्म आकर बाण शैय्या पर लेट कर सूर्य के उत्तरायन होने का इंतजार नहीं कर रहे. तय है वे नहीं चाह रहे कि यूपी के चुनाव में उनके अपने ही आपस में लड़ मिट कर अपने ही वंश का नामोनिशान मिटा लें, जिससे इतिहास भरा पड़ा है.

खैर मुद्दे और दुख का विषय अमर सिंह को दलाल कहा जाना है, जिससे आहत लोकतंत्र के इस महात्मा विदुर को आज के संजयों के सामने अपने खून के आंसू दिखाने पर मजबूर होना पड़ रहा है और यह सफाई देना पड़ रही है कि वे कलयुग की कैकैयी या मंथरा नहीं हैं, जैसा कि सोशल मीडिया वाली प्रजा कह और समझ रही है. लोग चटखारे लेकर कह रहे हैं कि गौर से देखिये इस शख्स को यही है वो जो आदमी कम पनौती ज्यादा है, इसी ने जयाप्रदा का तलाक करवाया, अंबानी भाइयों को लड़वाया, बच्चन परिवार में सास जया भादुरी और बहू ऐश्वर्या राय के चूल्हे अलग करवा दिये, यह आदमी सुब्रत राय सहारा से जुड़ा तो उन्हें जेल की हवा खानी पड़ रही है और यही वो आदमी है जो यादव परिवार में पड़ी फूट और कलह का जिम्मेदार है.

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