कई सालों से मौड्यूलर किचन का प्रचलन बढ़ा है. इस की मांग धीरेधीरे बढ़ती ही जा रही है. आज की महिलाएं इसे मौडर्न और स्टाइलिश सम?ाती हैं, इसलिए गृहणियां इसे अधिक चुनती हैं. इस की खासीयत यह है कि इस में कम जगह पर अधिक सामान सही तरीके से रखा जा सकता है. इस से कई सुविधाएं होती हैं जिन्हें बजट के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है.

मुंबई जैसे शहर में जहां बहुत कम जगह में एक नहीं, दो परिवार साथ रहते हैं, किचन बहुत छोटा होता है. किचन के सामान को रखने में समस्या आती है. ऐसे में मौड्यूलर किचन बनाना जरूरी होता है. इस से सामान एक निश्चित स्थान पर रखे जा सकते हैं और फिर स्मार्ट कुकिंग की जा सकती है.

तकनीक का विकास जितनी तेजी से हो रहा है, उस का असर केवल बाहर ही नहीं, घर पर भी मौड्यूलर किचन के रूप में दिखाई पड़ रहा है. यह कौन्सैप्ट विदेशी है, लेकिन इस का प्रयोग भारत में भी खूब होने लगा है.

क्या है मौड्यूलर किचन

असल में मौड्यूलर किचन को कस्टोमाइज्ड किचन कहा जाता है. इस में व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार वस्तुओं को सैट कर सकता है. इस से कम समय में सामान रखा जा सकता है और काम जल्दी हो जाता है, लेकिन समयसमय पर इस की देखभाल न करने पर इस का असर विपरीत भी हो सकता है.

इस के अलावा मौड्यूलर किचन में नमी और गंध को सोखने की क्षमता होती है, जो चिमनी के सहारे होता है. इस में कैबिनेट और ड्रायर हलके होने की वजह से आसानी से संचालित किए जा सकते हैं.

चुनाव सही औप्शन का

  1. सिंथैटिक प्लास्टिक पौलीमर के रूप में होने की वजह से यह बहुत ज्यादा मजबूत होता है. मौड्यूलर किचन कैबिनेट बनाने के लिए यह बैस्ट मैटीरियल माना जाता है. इस के अलावा इन में कई आकर्षक रंग मिलते हैं जिसे इच्छानुसार चुना जा सकता है. मौड्यूलर किचन कई प्रकार के होते हैं.
  2. नैचुरल वुड, जो देखने में सुंदर पर समय के साथ नमी सोखती है और खराब हो जाती है, साथ ही महंगी होती है.
  3. कैबिनेट में लकड़ी के ऊपर प्लास्टिक शीट लगी होती है. यह लंबे समय तक चलती है. यह नमी नहीं सोख सकती और सस्ती होती है.
  4. नैचुरल लकड़ी के पतलेपतले टुकड़ों को जोड़ कर बनाई गई शीट विनियर्स कहलाता है. इस में सौलिड वुड के टुकड़े होने की वजह से यह रियल वुड की तरह दिखता और टिकाऊ होता है. धूप से रंग फीका हो जाता है, लकड़ी से सस्ता होता है.
  5. पीवीसी यानी पौलिविनाइल क्लोराइड टिकाऊ और कई रंगों में मिलता है. यह बहुत ज्यादा मजबूत होता है, इसलिए मौड्यूलर किचन कैबिनेट बनाने के लिए इस का प्रयोग अधिक किया जाता है.
  6. स्टेनलैस स्टील के प्रयोग मौड्यूलर किचन में करने से जंग और दाग नहीं लगता. इसे आसानी से साफ किया जा सकता है.
  7. एक्रेलिक का प्रयोग आजकल अधिक हो रहा है. यह नौन-टौक्सिक होती है, इस की चमक अधिक होने से किचन बड़ा दिखता है.

प्रभाव जलवायु का

आशापुरा इंटीरियर्स के आर्किटैक्ट विजय पिथाडिया कहते हैं, ‘‘मौड्यूलर किचन का यह कौन्सैप्ट विदेशों से आया है जो इंडिया की जलवायु में कई बार ठीक नहीं होता और जल्दी खराब हो जाता है. मौड्यूलर किचन देखने में सुंदर और स्टाइलिश लग सकता है पर इस की सही देखभाल करना बहुत जरूरी होता है. खासकर, रसोई में खाना बनाने वाला कोई दूसरा व्यक्ति हो तो समस्या बढ़ती है, क्योंकि विदेशी मैटीरियल से बने मौड्यूलर किचन में पानी लगने या सही देखभाल न करने से वह जल्दी खराब हो जाता है.’’

मौड्यूलर किचन का होना जरूरी

  1. अगर किचन छोटा हो तो चारों तरफ सामान फैला रहता है. ऐसे में मौड्यूलर किचन से सभी सामान को सही जगह रखा जा सकता है, जिस से खाना बनाने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती है.
  2. बाजार में आजकल कई प्रकार के मौड्यूलर किचन मिलते हैं, जिसे व्यक्ति अपने बजट के अनुसार चुन सकते हैं और समयसमय पर इसे बदल कर नया लुक दिया जा सकता है.
  3. मौड्यूलर किचन को इंस्टौल करने में समय कम लगता है, बारबार शिफ्ट करने वालों के लिए यह आसान औप्शन है, क्योंकि इसे कहीं भी ले जाना आसान होता है और इसे फिर से एसेम्बल करना भी मुश्किल नहीं होता.
  4.  इस तरह के किचन में बजट कम होता है और भिन्नभिन्न प्रकार के औप्शन होने की वजह से व्यक्ति अपने बजट के अनुसार किचन को सजा सकता है. कम बजट में मौड्यूलर किचन के लिए व्यक्ति खुद इंस्ट्रक्शन को फौलो कर सामान को उचित स्थान पर इंस्टौल भी कर सकता है.
  5. इस का रखरखाव बहुत आसान होता है, लेकिन समयसमय पर इस की साफसफाई अच्छी तरह करने की आवश्यकता होती है.
  6. मौड्यूलर किचन को सही तरह से बनाने पर एलिगेंट, स्टाइलिस्ट और मौडर्न लुक आता है, जो व्यक्ति को सुकून देता है. इस में समयसमय पर फेरबदल भी किया जा सकता है.
  7. इसे रिपेयर करना आसान होता है. साथ ही, कम पैसे में इसे फिर से ठीक किया जा सकता है.

विजय कहते हैं, ‘‘जो लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट होते रहते हैं उन के लिए मौड्यूलर किचन सही रहता है, क्योंकि कम लागत में केवल कुछ दिनों में ही इसे फिट कर लिया जा सकता है. एक स्थान पर रहने वाले व्यक्ति इसे लो डैंसिटी वाला मानते हैं. इंडियन प्रोडक्ट अधिकतर पीतल के होते हैं जबकि विदेशी प्रोडक्ट स्प्रिंग और गैल्वनाइज शीट के होते हैं. इंडियन प्रोडक्ट्स ?को प्रयोग कर बनाया गया मौड्यूलर किचन महंगा होने के बावजूद सब से अधिक टिकाऊ होता है.’’

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