Social Media : आजकल मोबाइल, इंटरनैट के बढ़ते उपयोग के कारण हमारा और बच्चों का शरीर बीमारियों, जैसे अनिद्रा, अवसाद, मोटापे से घिरता जा रहा है, हम आलसी होते जा रहे हैं और तनाव महसूस कर रहे हैं. इस समय सब से ज्यादा आवश्यकता है डिजिटल दुनिया से दूर रहने की. बढ़ते स्क्रीनटाइम की वजह से बच्चों और बड़ों के बीच आपसी बातचीत कम होती जा रही है, जिस से उन में भावनात्मक जुड़ाव भी कम होता जा रहा है. इस के लिए आवश्यक है कि काम खत्म करने के बाद परिवार के साथ समय बिताएं या दोस्तों से मिलने चले जाएं या ऐसी जगह चले जाएं जहां डिजिटल स्क्रीन की दुनिया से दूरी बनाना मुमकिन हो, ताकि आप खुद को अपनी मनपसंद एक्टिविटी, जैसे खेलने, किताबें पढ़ने, कुकिंग करने, गार्डनिंग करने, संगीत सुनने, ड्राइंग करने, पेंटिंग करने इत्यादि में व्यस्त रखें और अपनी सोच को सकारात्मक रख सकें.
सोशल मीडिया पर टाइम को करें कम : सोशल मीडिया भी हमारे स्क्रीनटाइम को बढ़ाने में काफी हद तक जिम्मेदार है. हमारी सक्रियता सोशल मीडिया, जैसे ट्विटर, इंस्टाग्राम,फेसबुक, व्हाट्सऐप, यूट्यूब आदि पर कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है. इन पर हर पल आते नोटिफिकेशन, कमैंट और पोस्ट हम को दिनभर मोबाइल की स्क्रीन को स्क्रौल करते रहने के लिए मजबूर करते हैं.
ऐसे में जरूरी है कि स्क्रीनटाइम को कम करें. इस के लिए सोशल मीडिया के अनचाहे कमैंट्स को काबू करें यानी इन को नियंत्रण में रखें. इस के लिए सोशल मीडिया, जैसे फेसबुक आदि पर कुछ भी जानकारी शेयर करने से पहले उस की प्राइवेसी सैटिंग्स को चैक कर लें. यदि वह पब्लिक है तो उसे कोई भी देख सकता है, इसलिए कोई भी जानकारी शेयर करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि उसे किस मोड में रखना है- पब्लिक, फ्रैंड्स या प्राइवेट ताकि केवल वही लोग आप की पोस्ट देख सकें जिन के साथ आप शेयर करना चाहते हैं. सोशल मीडिया पर कम से कम समय बिताने के लिए आप ऐप्स की मदद ले सकते हैं.
स्क्रीन के साथ स्वस्थ रहें
सोशल मीडिया पर आते मीम्स या मैसेज आप के चेहरे पर कुछ देर के लिए मुसकराहट तो ला सकते हैं लेकिन आप की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं, इसलिए स्क्रीन के साथ स्वस्थ रहें.
टैक्स्ट नेक सिंड्रोम
यदि हम ध्यान देंगे तो पाएंगे कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल में ज्यादातर समय हम गरदन ?ाका कर नीचे देखते हैं. इस से गरदन की मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है और ये अकड़ सकती हैं. यह छोटी सी गलती कई बार आप के कमर और कंधों तक या उस के भी नीचे पहुंच जाती है. इसी बीमारी को टैक्स्ट नेक सिंड्रोम कहते हैं. इस से बचने के लिए आप लंबे समय तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो कम से कम 20 मिनट में एक बार आंखों को स्क्रीन से हटा कर शरीर को थोड़ा सा स्ट्रैच कर सकते हैं ताकि इस समस्या से बच सकें.
कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं
मोबाइल आप को डायबिटीज, मोटापा और दिल की कई गंभीर बीमारियां दे सकता है क्योंकि लाइटिंग स्क्रीन वाले गैजेट्स का देररात तक इस्तेमाल करने से आप की आंखों पर इस का असर पड़ता है और आप की नींद भी प्रभावित होती है. इस से आप को दिल की बीमारियों के साथसाथ मोटापे की समस्या भी हो सकती है. इस से आंखों को ग्लूकोमा या लो नाइट विजन की समस्या हो सकती है. रिसर्च के मुताबिक, आंखों के लिए स्मार्टफोन की ब्लू लाइट हानिकारक होती है.
रियल वर्ल्ड से जुड़ें, आनंद लें
भावनाओं को व्यक्त करें शब्दों की मदद से : आजकल हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों के बजाय इमोजी और शौर्ट में शब्दों का उपयोग कर रहे हैं. इस के लिए कोशिश करें कि रात का खाना एकसाथ टेबल पर बैठ कर खाएं ताकि एकदूसरे से संवाद कर सकें, अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त कर सकें और मन की बातें एकदूसरे से शेयर कर सकें ताकि यदि कोई समस्या है तो उसे सुल?ाने में एकदूसरे की मदद मिल सके और अवसाद व तनाव से दूर हो सकें.
सहेजें रिश्तों को : पहले के दौर में जब मोबाइल नहीं था तो लोगों का आपस में काफी मिलनाजुलना होता था, बातचीत का सिलसिला चलता रहता था, लोग एकदूसरे की परेशानी व भावना को सम?ाते थे. साथ ही, समस्याओं को सुल?ाने के लिए प्रयास करते थे. लेकिन जब से मोबाइल आया है, बच्चे हों या बड़े, ज्यादातर समय मोबाइल की दुनिया में ही व्यस्त रहते हैं. इस से आपसी संवाद कम होता जा रहा है.
सोशल मीडिया के जरिए बातें तो काफी हो रही हैं लेकिन दिलों के बीच की दूरियां बढ़ती जा रही हैं. लोगों के बीच उचित संवाद नहीं हो पा रहा है. व्यक्तिगत समस्याओं का जाल बढ़ रहा है और रिश्तों की बुनियाद कमजोर पड़ती जा रही है. ऐसे में रिश्ते बन कम रहे हैं, टूट ज्यादा रहे हैं.
आजकल लोग वर्चुअल दुनिया में ज्यादा जीने लगे हैं जिस के कारण परिवार में आजकल आमनेसामने बैठ कर बातें करना भी कम हो गया है जिस का रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है और कई बार यही रिश्ते के टूटने की वजह बन रहा है.
इस स्थिति का शिकार बनने से बचने के लिए स्मार्टफोन या सोशल मीडिया पर बने दोस्तों के साथसाथ अपने आसपास के दोस्तों के लिए भी समय निकालें और दोनों में संतुलन बनाए रखें.
एक तरफ जहां मोबाइल या स्मार्टफोन आप को दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से कनैक्ट करने का मौका देते हैं तो वहीं दूसरी ओर इस का बहुत ज्यादा इस्तेमाल आसपास के लोगों से डिसकनैक्ट होने का कारण बन रहा है.
रहें कनैक्ट रियल वर्ल्ड से : तकनीक के इस युग में हम इंटरनैट और मोबाइल की वजह से सारी दुनिया से कनैक्ट रहते हैं लेकिन अपने आसपास, परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों आदि सभी से डिसकनैक्ट बने रहते हैं, ठीक इसी तरह सोशल मीडिया पर पूरे समय ऐक्टिव बने रहते हैं क्योंकि इस पर हर पल आते अलर्ट नोटिफिकेशंस, मैसेजेस हम को बिजी बनाए रखते हैं लेकिन सोशल लाइफ से डिसकनैक्ट रहते हैं.
आपस में मिलनाजुलना, बातचीत करना पसंद नहीं करते जिस का असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. सोशल मीडिया पर आते मीम्स या मैसेज आप के चेहरे पर कुछ देर के लिए मुसकराहट तो ला सकते हैं लेकिन आप की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं. सो, खुद को इस ब्लूस्क्रीन से आजाद करें और स्वस्थ रहें. रियल वर्ल्ड में रह कर असली चीजों का मजा लें.
रियल वर्ल्ड से कनैक्ट रहने के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल का समय कम कर के लोगों से सीधे कनैक्ट होने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश करें, वास्तविक दुनिया का आनंद लें और टैक स्ट्रैस से खुद को दूर रखें. Social Media